11-13-2018, 12:32 PM,
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा, चुप करो तुम. तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे कह सकते हो. ये सब तुम लोगो की चालाकी थी.
वो बोला सच हमेशा कड़वा होता है. तुझे अगर लगता था कि तूने कुछ ग़लत किया है तो अपने पति को सब कुछ बता कर माफी माँग लेती. तेरा पति बहुत अछा इंसान है तुझे माफ़ कर ही देता. पर तू तो अपने किए पर परदा डालना चाहती थी इश्लीए मेरे घर आ गयी.
मैने कहा ऐसा कुछ नही है. ये तुम भी जानते हो.
वो बोला अगर ऐसा नही है तो तूने अशोक को क्यो कहा कि तू जो वो कहेगा करेगी.
मैने कहा मुझे नही पता था कि वो अशोक है वरना ऐसा नही कहती.
वो बोला, अछा कोई और तेरी ले लेता तो ठीक था पर बेचारे अशोक ने ले ली तो तेरा ईमान जाग गया.
मैने कहा, बंद करो ये बकवास तुम क्या जानो कि ईमान क्या होता है.
वो बोला तो ठीक है अगर तेरे अंदर हिम्मत है तो अपने पति को सब कुछ बता दो. उसने तुझे माफ़ कर दिया तो ठीक है वरना मैं तुझे अपना लूँगा.
मैने कहा अपना लूँगा मतलब ? अपनी औकात में रहो.
वो बोला, मेरी औकात क्या बस तेरी गांद मारने तक थी, क्या मैं तुझे अपने साथ नही रख सकता, तुम अमीर लोग एक नंबर के कामीने हो.
मैं उसे कोई जवाब नही दे पाई.
वो बोला, अगर तुम कहो तो मैं तेरे पति को हमारे बारे में सब कुछ बता देता हू, तू तो लगता है कुछ कह नही पाएगी.
मैने पूछा क्या ये ब्लॅकमेल है ?
वो बोला, फिर वही बात, मैने तुझे तेरी मर्ज़ी से पाया था. तुझे ब्लॅकमेल नही किया था, और आगे भी मेरा ऐसा कोई इरादा नही है. मैं कितनी बार तुझे सम्झाउ. तेरी मर्ज़ी होगी तब ही मैं तेरे साथ करूँगा. मैं तो बस ये कह रहा था कि अगर तुझ में हिम्मत ना हो अपने पति को बताने की तो मैं बता देता हू. अगर तू नही चाहती तो ठीक है. वैसे भी उसे ना ही पता चले तो ठीक है, हम आराम से मज़े कर सकते है. तू मेरे साथ रिस्ता मत तोड़. बाकी रही उस साइकल वाले की बात, तू उसकी चिंता मत कर मैं उसकी अकल ठिकाने लगाता हूँ.
मैने कहा, मेरा तुम्हारे साथ कोई रिस्ता नही है.
वो बोला अछा तो क्या बस गांद और लंड तक ही सब कुछ था. मज़े लिए और चलते बने.
मुझे समझ नही आ रहा था कि मैं उसे क्या जवाब दू.
मैने कहा, तुम अब ऐसी बाते मत करो और मेरा पीछा छोड़ दो.
वो बोला, ठीक है जैसी तेरी मर्ज़ी, मैं अब तुझे परेशान नही करूँगा. तू अपनी जिंदगी में खुस रह. मेरा यकीन कर मैं कोई ब्लॅकमेल नही करूँगा. ज़बरदस्ती नमर्दो का काम है, मैं तो सेडक्षन में विस्वास करता हू.
ये कह कर उसने फोन रख दिया.
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11-13-2018, 12:33 PM,
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मुझे सब कुछ अजीब लग रहा था मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर वो करना क्या चाहता है ?
मेरी समझ से सब कुछ बाहर था. उष्का बर्ताव कुछ बदला बदला सा लग रहा था.
पर मुझे इस बात का सकुन था कि अब वो मुझे परेशान नही करेगा.
मुझे लग रहा था कि मुझे संजय को सब कुछ बता कर उनसे माफी माँग लेनी चाहिए.
पर उन्हे सब कुछ कैसे बताउ समझ नही पा रही थी.
मैं बहुत सोचने के बाद भी कोई फ़ैसला नही कर पाई.
मुझे नही लगता था कि संजय सब कुछ जान-ने के बाद मुझे माफ़ कर पाएँगे.
मुझे पता नही क्यो बिल्लू की बात पर विस्वास था कि वो मुझे ब्लॅकमेल नही करेगा. और ऐसा हुवा भी.
इश्लीए मैने संजय को सब कुछ बताना ठीक नही समझा. मैं अपने परिवार को हर हाल में बचाना चाहती थी.
अगले कुछ दिन शांति से बीत गये. मैं फिर से अपने परिवार में खो गयी.
एक दिन सुबह की बात है मैं अख़बार पढ़ रही थी.
एक खबर देख कर मैं चोंक गयी.
साइकल वाला जो मुझे परेशान करता था उसकी फोटो छपी थी और उसके नीचे लिखा था कि उसकी किसी ने हत्या कर दी, कातिल का अभी पता नही चल पाया है पोलीस की जाँच चल रही है. उसकी लाश एक शुन्सान गली में खून से लत-पथ मिली थी.
एक पल को लगा कि चलो अछा हुवा उस कामीने की यही सज़ा थी. पर फिर ख़याल आया कि कहीं ये सब बिल्लू ने तो नही किया ?
तभी अचानक संजय की आवाज़ सुनाई दी, अरे ऋतु इतने ध्यान से क्या पढ़ रही हो, आज नास्ता मिलेगा कि नही.
मैने कहा, कुछ नही बस यू ही. मैं अभी नास्ता तैयार करती हू.
किचन में, मैं बस यही सोच रही थी की बिल्लू उसकी अकल ठीकने लगाने को बोल तो रहा था, कहीं ये उसी का काम तो नही.
फिर मैने सोचा, जाने दो मुझे इस सब से क्या लेना देना.
संजय और चिंटू के जाने के बाद कोई 10:30 बजे का वक्त था. मैं बेडरूम में थोडा आराम कर रही थी.
अचानक फोन की घंटी बजी. ना जाने क्यो मुझे ख़याल आया कि कहीं ये बिल्लू का तो नही. शायद ये अख़बार की खबर के कारण था.
मैने झट से फोन उठाया, ये बिल्लू का ही था.
वो बोला, अब वो साइकल वाला तुझे परेशान नही करेगा.
मैने जान बुझ कर उस से पूछा, तुमने क्या किया उसके साथ ?
वो बोला, उस से तुझे क्या मतलब बस इतना समझ ले कि वो अब कभी तुझे परेशान करने नही आएगा.
मैने पूछा, आख़िर तुम साब्बित क्या करना चाहते हो ?
वो बोला, कुछ नही बस तेरी एक छोटी सी समशया दूर की है.
मेरे मूह से अचानक निकल गया तो तुमने उसे मार दिया.
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11-13-2018, 12:33 PM,
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
वो बोला, चुप कर फोन पर ऐसी बात नही करते.
मैने कहा, पर तुमने ये सब ठीक नही किया.
वो बोला, क्या हम मिल कर बात कर सकते है ?
मैने कहा, नही मैं तुमसे नही मिलना चाहती.
वो बोला, प्लीज़ एक बार मिल ले तुझे देखने का मन कर रहा है, तू कहे तो मैं तेरे घर के पीछे आ जाता हूँ.
मैने कहा, तुम यहा मत आओ,
वो बोला, तो तू मुझ से उसी गार्डेन में मिलने आजा जहाँ हम पहले मिले थे.
मैने कहा, मैं तुम से कहीं भी नही मिलना चाहती.
वो बोला, मैं तेरा इंतेज़ार करूँगा. और फोन रख दिया.
मुझे नही पता कि ऐसा क्यो था पर मैं एक बार बिल्लू से मिलना चाहती थी. शायद ये अख़बार की खबर के कारण ही था.
पर मैं फिर से किसी मुसीबत में नही फँसना चाहती थी, इश्लीए मैने फ़ैसला किया कि मुझे कही नही जाना, वो इंतेज़ार करता है तो करता रहे.
मैं अपने बेडरूम में लेट गयी. पर अख़बार की खबर बार, बार मेरे दीमाग में घूम रही थी. मेरे मन में इस बात का सकुन था कि अब मुझे दुबारा उस आदमी से जॅलील नही होना पड़ेगा. पर मैं ये विश्वास नही कर पा रही थी कि बिल्लू ने उसे मार दिया.
सारा दिन मैं इन्ही विचारो में खोई रही.
अगले दिन संजय और चिंटू के जाने के बाद मैं फिर से इन्ही विचारो में खो गयी.
घर के सभी काम करने के बाद मैं नहाने चली गयी. मैं नहा कर निकली ही थी कि डोर बेल बज उठी.
मैने झट से कपड़े पहने और दरवाजे की और बढ़ गयी.
दरवाजा खोलते ही मैं चोंक गयी.
मेरे सामने बिल्लू खड़ा था.
वो धीरे से बोला, पहली बार तेरे घर आया हू क्या अंदर नही बुलाओगी ?
मैने पूछा, तुम यहा क्या कर रहे हो कोई देख लेगा.
वो बोला, तभी तो कह रहा हू मुझे अंदर आने दो.
ये कह कर वो मुझे एक तरफ हटा कर अंदर आ गया.
मुझे ना जाने क्या हो गया था. मैं वाहा खड़े खड़े तमाशा देखती रही.
मैने हिम्मत जुटा कर कहा, बिल्लू ये क्या मज़ाक है कोई तुम्हे देख लेगा तो मैं मुसीबत में पड़ जाउन्गि, तुमने वादा किया था कि तुम मुझे ब्लॅकमेल नही करोगे.
वो बोला, फिर वही बात मैं बस तुझसे मिलने आया हू. कल मैं सारा दिन गार्डेन में तेरा इंतेज़ार करता रहा पर तू नही आई. मैं बस अभी चला जाउन्गा, रही किसी के देखने की बात मैं एलेकट्रेसियन हू मैं अक्सर लोगो के घर आता जाता रहता हू. किसी को कुछ पता नही चलेगा.
ये कह कर वो दरवाजे की ओर बढ़ा और उसे बंद कर दिया, और बोला, आराम से बैठ कर बात करें.
मैने कहा बिल्लू तुम समझते क्यो नही मैं मुसीबत में फँस जाउन्गि, प्लीज़ अभी यहा से चले जाओ.
वो बोला चला जाउन्गा, जब आ ही गया हू तो थोड़ी देर रुक तो जाने दे. ये कह कर वो सामने पड़े एक सोफे पर बैठ गया.
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैं समझ नही पा रही थी कि क्या करूँ.
वो बोला, आ ना थोड़ी देर बात करते है फिर मैं चला जाउन्गा.
मैने पूछा, तो तुमने उस साइकल वाले को मार दिया ?
वो बोला, यहा पास तो आ फिर बात करते है.
मैं उशके पास वाले सोफे पर जा कर बैठ गयी.
मैने पूछा, हा अब बताओ.
वो बोला, मेरा इरादा उसे मारने का नही था, पर वो तेरे घर और तेरे पति के बारे में जान गया था.
मैं जब उसे समझाने गया था तो वो कह रहा था कि या तो उस परी की मुझे दिला दे वरना उशके पति को सब कुछ बता कर तुम लोगो का खेल ख़तम करवा दूँगा.
ये सब सुन कर मेरे पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.
मैने पूछा, उसे मेरे घर और पति के बारे में कैसे पता चला.
वो बोला, ये छोटा सा सहर है कोई भी कुछ भी जान सकता है.
मैने पूछा, पर तुम्हे उसे मारने की क्या ज़रूरत थी.
वो बोला, तो क्या करता, मैं उसे तुझे और परेशान करने देता ? वो तुझे ब्लॅकमेल करता तो ?
मैने कहा, अगर तुम पकड़े गये तो.
वो बोला, इस सहर में रोज कुछ ना कुछ होता है, वैसे भी किसी ने मुझे नही देखा, और फिर एक साइकल वाले की कोन परवाह करेगा.
मैने कहा, पर मुझे ये सब ठीक नही लग रहा, तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए था.
वो बोला, क्या तुझे अछा नही लगा कि उसे उसके किए की सज़ा मिली.
मैने पूछा, तो फिर तुम्हारी और अशोक की सज़ा का क्या.
वो बोला, हमने तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती नही की, ना ही तुझे लोगो के सामने जॅलील किया. आख़िर तू समझती क्यो नही ?
मैं खामोश हो गयी.
मैने कहा बस अब तुम यहा से जाओ, बहुत हो गयी बाते.
वो उठा और बोला ठीक है मैं भी लेट हो रहा हू क्या मैं तुम्हारा टाय्लेट यूज़ कर सकता हू.
मैने झीज़कते हुवे कहा, हा उधर सामने है चले जाओ.
वो बोला, तुम भी आ जाओ ना, क्या आज मुझे करते हुवे नही देखोगी.
ना चाहते हुवे भी मैं शर्मा गयी.
मैने कहा, जल्दी करो और जाओ.
वो टाय्लेट चला गया.
मैं वही उसका इंतेज़ार करने लगी.
कोई 2 मिनूट बाद उसने आवाज़ लगाई, अरे ये दरवाजा अटक गया है, ये कैसे खुलेगा.
हमारा दरवाजा कभी नही अटका था, फिर भी मैं वाहा जा कर उसे खोलने की कोशिस करने लगी.
दरवाजा झट से खुल गया.
जो मैने देखा उसे देख कर मेरे होश उड़ गये.
वो मेरे सामने खड़ा था और उसकी ज़ीप खुली थी जिसमे से उसका लिंग मेरी आँखो के सामने झूल रहा था.
वो हंसते हुवे बोला, ओह सॉरी मैं दरवाजे के चक्कर में ज़िप बंद करना भूल ही गया.
मैं फॉरन वाहा से हट गयी और घर के मुख्य दरवाजे पर आ गयी.
मैने उसे आवाज़ लगाई, जल्दी करो.
वो चुपचाप वाहा आ गया.
वो मेरी आँखो में देख कर बोला, सच बता क्या तुझे मेरी याद आती है ?
मैने पूछा, तुम्हे क्या लगता है इतना बड़ा धोका खा कर में तुम्हे याद करूँगी.
वो बोला, शायद तू ठीक कह रही है, क्या तू सब भुला कर फिर से मेरे साथ एंजाय नही कर सकती.
मैने कहा, मैने कभी तुम्हारे साथ एंजाय नही किया.
उसने मेरे नितंबो पर हाथ रखा और बोला, जब मैं उस दिन तेरी गांद मार रहा था, तूने ही कहा था ना कि बहुत मज़ा आ रहा है.
मैने उसका हाथ अपने नितंबो पर से हटाया और हड़बड़ते हुवे बोली, व……व……वो तो मैं बहक गयी थी. पर वो भी तुम्हारी चालाकी के कारण था.
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
उसने फिर से मेरे नितंबो पर हाथ रख दिया और उन्हे मसल्ते हुवे बोला, तो आज फिर से एक बार बहक जाओ ना.
मैने कहा, बिल्लू प्लीज़ फिर से ये सब सुरू मत करो, मैं तुमसे नफ़रत करती हू.
वो मेरे कदमो में बैठ गया और बोला, मुझे माफ़ कर दो प्लीज़, तुम्हारे जैसी हसीना की नफ़रत मेरे लिए जहर है. मैं तो तेरे प्यार का प्यासा हू.
मैने कहा, ये नाटक मत करो अब, प्लीज़ यहा से चले जाओ.
वो बोला, पहले मुझे माफ़ कर दो और बोलो की तुम्हे मुझ से नफ़रत नही है.
मैने कहा, अब इन बातो का क्या मतलब, जो मेरे साथ होना था हो गया. उस कामीने अशोक ने तो मेरे साथ……………..
वो बोला, अशोक को भूल जा वो अब हमारे बीच नही आएगा.
मैने कहा, पर मैं तुम से कोई रिस्ता नही रखना चाहती.
वो बोला, रिस्ता मत रखो पर एक बार मुझे माफ़ तो कर दो.
मैने कहा, ठीक है माफ़ किया अब जाओ यहा से.
वो बोला, मैं कैसे मान लू कि तूने मुझे माफ़ कर दिया.
मैने पूछा, तो क्या अब स्टंप पेपर पर लीख कर दू ?
वो बोला, नही बस एक बार अपनी चूत के होंटो की किस दे दो.
ये सुन कर मेरे शरीर में बीजली की ल़हेर सी दौड़ गयी.
मैने कहा, तुम जाते हो कि नही.
वो बोला, अछा बस एक बार मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर प्यार से छू ले फिर में चला जाउन्गा.
ये कह कर वो खड़ा हो गया.
मैं अजीब सी बेचनि लिए वाहा खड़ी रही, समझ नही पा रही थी कि उसे क्या काहु अब.
वो अपनी ज़िप खोलने लगा और मैने अपनी आँखे बंद कर ली.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और उसमे अपना लिंग थमा दिया, और बोला लो एक बार इसे प्यार से छू तो लो इसने उस दिन तुझे खूब मज़े दिए थे. इतनी भी बेरहम मत बनो.
मैने उसका लिंग थाम लिया, और आँखे बंद किए चुपचाप खड़ी रही.
मैं सोच रही थी कि अब इशे छूने में हर्ज ही क्या है. वैसे भी जब मैं उशे अपने अंदर महसूस कर चुकी थी तो अब हाथ से महसूस करने में क्या जाएगा.
वो बोला, थॅंकआइयू ऋतु, लगता है तूने सच में मुझे माफ़ कर दिया.
मैने कुछ कहना ठीक नही समझा.
उसका लिंग पठार जैसा कठोर महसूस हो रहा था.
मैने कहा, ठीक है अब जाओ.
वो बोला, आँखे खोल कर ठीक से इशके चारो और छू कर देखो ना.
मैने ना जाने क्यो, आँखे खोल कर उसकी ओर देखा.
वो बड़े प्यार से मेरी ओर देख रहा था.
वो बोला, नीचे देखो ना, तुझे तो ये देखना अछा लगता था.
मैने धीरे से नज़रे झुका ली.
अब मेरी नज़र उसके लिंग पर थी. मैने धीरे से अपना हाथ उसके चारो और घुमाया.
वो बोला, थोडा नीचे जाओ ना, मेरे आँड भी छू कर देखो.
मैने शरमाते हुवे हाथ उसके लिंग से नीचे सरका कर उसके आँड को हाथो में थाम लिया. बिल्लू ने सभी बॉल सॉफ कर रखे थे इश्लीए उसके आँड बहुत मुलायम लग रहे थे.
मैने कहा बस ठीक है ?
उसने कहा जैसा तुम कहो.
मैने कहा, ठीक है अब जाओ फिर.
वो कुछ नही बोला और मेरे आगे बैठ गया और मेरी सलवार के उपर से ही मेरी योनि को चूमने लगा.
मेरे ना चाहते हुवे भी होश उड़ गये.
मैने कहा बिल्लू प्लीज़ रुक जाओ.
पर वो नही माना और बेतहासा मेरी योनि को चूमता रहा.
हालाँकि मेरी योनि और उसके होंटो के बीच हल्की सी कपड़ो की दीवार थी पर उसके होंठ मुझे बिल्कुल मेरी योनि पर महसूस हो रहे थे.
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
मैने कहा बिल्लू ये सब ठीक नही है, तुम अब जाओ यहा से.
वो बोला, बस थोड़ी देर इस जन्नत में रहने दो फिर तो यू ही नरक में भटकना है. और मेरी योनि को बेतहासा चूमता रहा.
मैं मदहोश होती चली गयी. मैं उसे चाहते हुवे भी नही रोक पा रही थी. मुझे अजीब से अहसास हो रहे थे.
वो बोला, तुम अगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारा नाडा खोल दूं. तेरी चूत और मेरे होंटो के बीच ये सलवार मज़ा खराब कर रही है.
मैं खामोशी से वाहा खड़ी रही.
ना तो मैं उसे माना करना चाहती थी और ना ही हां करना चाहती थी. बहुत ही अजीब सिचुयेशन थी मेरे लिए.
वो शायद मेरी सिचुयेशन समझ गया और मेरा नाडा खोलने लगा. मेरी साँसे तेज हो गयी.
उसने धीरे से सलवार सरका दी और बोला, अरे वाह ये तो एक दम चिकनी है. एक भी बॉल नही है. सच ये तो तेरी सूरत जैसी ही सुंदर है.
मैं शर्मा गयी और अपनी आँखे बंद कर ली.
क्योंकि मैं नहा कर आई थी इश्लीए जल्दी ललदी में दरवाजा खोलने के चक्कर में पॅंटी पहन-ना भूल गयी थी.
बिल्लू ने अपने होंठ मेरी योनि के होंटो पर टीका दिए और एक बहुत गहरी किस की. मैं बेचन हो उठी और मेरे हाथ अपने आप उसके सर पर चले गये.
वो और ज़्यादा गहराई से मेरी योनि को चूमने लगा.
फिर उसने दोनो हाथो से मेरी योनि को फ़ैयालेया और अपनी जीभ मेरी योनि में घुस्सा दी.
मेरी साँसे और ज़्यादा तेज होती चली गयी.
मैं ओरल सेक्स के बारे में तो जानती थी पर ऐसा नही सुना था कि वाहा जीभ भी डाली जा सकती है.
बिल्लू अपनी जीभ को मेरी योनि के अंदर बाहर करने लगा और मैं उसके सर को थामे हुवे चुपचाप वाहा खड़ी रही.
बिल्लू की मुलायम मुलायम जीभ मेरी योनि में अंदर बाहर फिसल रही थी और मुझे सेक्स का भरपूर आनंद आ रहा था.
ये मेरे लिए बिल्कुल ही नया अहसास था.
संजय तो शायद मेरी योनि पर मूह लगाने से कतराते थे और बिल्लू मेरी योनि में जीभ फिरा रहा था.
मैं ना चाहते हुवे भी संजय से बिल्लू को कंपेर कर रही थी.
मेरी साँसे तेज होती चली गयी और मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
मुझे लग रहा था की, मेरी योनि किसी भी वक्त बरसात कर सकती है.
मैने बिल्लू से कहा बिल्लू बस रुक जाओ, मैं बहने वाली हू.
वो बोला, तो बहा दो खुद को मैं तेरी एक एक बूँद पीना चाहता हू. ये कह उसने फिर से मेरी योनि में जीब घुस्सा दी और तेज़ी से उसे अंदर बाहर करने लगा.
मैने उशके सर को ज़ोर से पकड़ लिया, और अचानक मेरी योनि ने पानी की नादिया बहा दी.
मैने बिल्लू से कहा बस अब हट जाओ.
पर वो नही हटा और अपने काम में लगा रहा.
थोड़ी देर बाद वो हट गया और बोला, वाह मज़ा आ गया, तेरी चूत तो तेरी गांद से भी ज़्यादा मस्त है.
वो खड़ा हो गया.
मैने आँख खोल कर देखा तो पाया कि उसके मूह पर मेरी योनि के पानी की बूंदे थी.
उसहने पूछा, ऐसे क्यो देख रही हो.
मैने शर्मा के नज़रे झुका ली.
उसहने मुझे बाहो में उठा लिया और पूछा, तेरा बेडरूम कहा है.
मैने कहा प्लीज़ मुझे उतार दो मैं तुम्हारे साथ बेडरूम में नही जा सकती.
वो बोला, मुझ से अब रुका नही जा रहा, मेरा बहुत मन कर रहा है.
मैने कहा, मुझे डर लग रहा है, कोई आ गया तो मैं कहीं की नही रहूंगी, प्लीज़ अब तुम जाओ.
मैने ये कहा ही था कि डोर बेल बज उठी.
बिल्लू ने मुझे नीचे उतार दिया.
मैने झट से नाडा बाँधा और बिल्लू से कहा तुम टाय्लेट में घुस्स जाओ.
वो टाय्लेट में घुस्स गया और मैं दरवाजा खोलने आ गयी.
सामने पोस्ट मॅन खड़ा था. उसे मेरे साइन चाहिए थे इश्लीए बेल बजाई थी.
साइन ले कर उसहने एक लेटर मुझे दे दिया. लेटर संजय के नाम था.
मैने दरवाजा बंद किया और अंदर आ गयी.
मैं टाय्लेट के पास आ गयी और धीरे से बिल्लू को आवाज़ लगाई.
वो झट से बाहर आ गया.
वो बोला, कोन था ?
मैने कहा, पोस्ट मॅन था.
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
वह मेरे करीब आया और मेरे होंटो पर अपने होन्ट रख दिए.
मैं भी उसके होंटो की छुवन में खो गयी.
कोई 5 मिनूट बाद उसहने मेरे होंटो को छोड़ा और बोला, चल ना तेरे बेडरूम में.
मैने झीज़कते हुवे कहा मुझे यहा डर लग रहा है. कोई फिर से आ गया तो ?
वो बोला, चल फिर मेरे घर चलते है. वाहा कोई नही आएगा.
मैने पूछा, वो अशोक क्या वाहा नही होगा ?
वो बोला, तू उसकी चिंता मत कर, वो अब हमारे बीच नही आएगा. मुझ पर विश्वास कर. वो मेरा घर है वाहा मेरी मर्ज़ी के बिना कोई नही आ सकता.
मैने टाइम देखा तो पाया कि 1:30 बज चुके थे.
मैने बिल्लू को कहा पर अभी मेरे पास वक्त नही है. मुझे खाना भी बनाना है, चिंटू भी स्कूल से आने वाला है.
वो बोला, तो ठीक है तू कल सुबह मेरे साथ मेरे घर चलना. वाहा किसी बात की कोई चिंता नही होगी.
मैं असमंजस में थी कि क्या करू. पर ये सच था कि उस वक्त मई बिल्लू के साथ हर शीमा लाँघ देना चाहती थी.
वो अपनी ज़िप खोलने लगा.
मैने पूछा अरे अब ये क्या कर रहे हो, अब तुम्हे चलना चाहिए.
वो बोला, चला जाउन्गा बस एक बार इसे अपने होंटो में ले लो.
मैने कहा, नही बाकी सब बाद में देखेंगे तुम प्लीज़ अब जाओ.
उसहने पूछा, तुम कल चलॉगी ना मेरे साथ मेरे घर.
मैने कहा, सोचूँगी, तुम अभी जाओ.
बिल्लू ने अपना लिंग अपनी पॅंट में वापस डाल लिया.
पॅंट में भी वो तना हुवा सॉफ दीखाई दे रहा था.
बिल्लू फिर मेरे पास आया और मुझे बाहों में भर लिया और अपने दोनो हाथ मेरे नितंबो पर रख कर मुझे अपनी और खींचने लगा.
वो बोला, एक बात पूचु ?
मैने कहा, हा.
वो बोला, जब मैने उस दिन तेरी गांद मारी थी तो क्या तुझे अछा नही लगा था क्या ?
मैने कहा, मुझे नही पता.
वो बोला, तो क्या उशके बाद फिर कभी तेरी मुझ से गांद मरवाने की इच्छा हुई ?
मैने शरमाते हुवे कहा, ये कैसी बाते कर रहे हो अब जाओ यहा से.
वो बोला, एक बार बता तो सही कि क्या तुझे वो पल याद आया था जब तू मेरे आगे झुकी हुई थी और मैं तेरी गांद मार रहा था.
मेरे लिए ऐसे सवालो के जवाब देना मुस्किल था.
मैने कहा, छोड़ो मुझे अब तुम्हारा जाने का वक्त हो गया. चिंटू भी घर आने वाला है.
वो बोला, एक बात तो बता दो, क्या तुम्हे आज मज़ा आया.
मैने कहा पता नही.
वो बोला, जैसे तुमने मेरा सर पकड़ रखा था ऐसा लग रहा था की तुझे अपनी छूट चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था.
मैने शरम से अपनी नज़रे झुका ली.
वो बोला, तो मैं ठीक ही कह रहा हू है ना, ये तो कुछ भी नही था, तू कल देखना, मैं तुझे कैसा मज़ा देता हू.
मैने कहा, ठीक है, अब जाते हो की नही
वो बोला, तू बाहर झाँक कर देख कोई है तो नही.
मैने दरवाजा खोला तो पाया कि दूर दूर तक कोई भी दीखाई नही दे रहा था.
मैने बिल्लू से कहा कोई नही है तुम जाओ.
वो दरवाजे की तरफ बढ़ा और मेरे नितंबो को दबोच कर बोला मैं आज सो नही पाउन्गा, कल जल्दी तैयार हो जाना, मैं ठीक 10:30 बजे तुझे लेने आ जाउन्गा.
वो बाहर चला गया और मैं दरवाजा बंद कर के अंदर आ गयी.
क्रमशः ..............................
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
गतांक से आगे ............. जो भी मेरे साथ उस दिन हुवा, वो मेरी समझ के बिल्कुल बाहर था. मैं बिल्कुल भी विस्वास नही कर पा रही थी कि बिल्लू फिर से मेरे साथ इतना कुछ कर गया.
पर कहते है कि भावनायें जब बहक जाती है तो कदमो को थामना मुस्किल हो जाता है, कुछ ऐसा ही मेरे साथ भी हुवा था.
बिल्लू के जाने के बाद मैं बेडरूम में आ कर अपने बेड पर गिर गयी. मेरी साँसे अभी तक तेज तेज चल रही थी और दिल भी ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था.
मैं बिल्लू से ज़्यादा खुद पर हैरान थी कि आख़िर मुझे हो क्या गया था.
मैं हैरान थी कि आख़िर उस धोकेबाज बिल्लू ने मुझ पर कैसा जादू कर दिया कि मैं मदहोश हो कर वाहा दरवाजे पर उशके हाथो का खिलोना बन कर खड़ी रही.
पर फिर अचानक मैं अजीब सी मदहोशी में खो गयी. जो भी अभी थोड़ी देर पहले बिल्लू मेरे साथ कर के गया था वो एक मूवी की तरह मेरी आँखो में घूमने लगा और मेरी साँसे थमने की बजाए फिर से तेज़ी पकड़ने लगी.
इस बात को झुटलाना बहुत मुस्किल था कि बिल्लू के होन्ट मेरी योनि पर मुझे ना चाहते हुवे भी बहुत प्यारा सा अहसाश दे गये थे. ये ऐसा अहसाश था जिशे मैने अभी तक अपनी शादी शुदा जिंदगी में भी महसूस नही किया था.
मैने मन ही मन महसूस किया कि मेरा एक मन तो इतना आनंद पा कर आकाश में उड़ा जा रहा है, और एक मन गिल्ट और शर्मिंदगी में डूबा जा रहा है, ऐसा लगता था कि मैं 2 टुकड़ो में बट गयी हूँ.
एक पल मैं खुद को कोस रही थी कि आख़िर मैने फिर से ये सब कैसे होने दिया और वो भी अपने घर में. और दूसरे पल मैं बिल्लू के साथ बिताए एक एक पल में खो जाती थी, ऐसा मेरे साथ पहले कभी भी नही हुवा था.
एक पल को ये भी ख़याल आया कि काश बिल्लू ही मेरा पति होता तो मैं खुल कर उशके साथ खो पाती और मुझे गिल्ट और शर्मिंदगी का सामना नही करना पड़ता.
मैं जानती थी कि ये सब सोचना मेरे लिए पाप के समान है, पर मेरा मन मेरे बस में कहा था, ये विचार तो खुद ही जाने कहा से मेरे मन में आ रहे थे, कुछ ऐसा असर किया था बिल्लू ने मेरे दिलो, दीमाग पर.
अब सवाल ये नही था कि मैं बिल्लू से कैसे निपतुँगी, बल्कि सवाल ये था कि जो अहसास वो मुझे दे गया था उन्हे मैं कैसे भुला पाउन्गि.
फिर अचानक में एक गहरी चिंता में डूब गयी. मुझे ख़याल आया कि जब कल बिल्लू मुझे लेने आएगा तो मैं उसे कैसे मना कर पाउन्गि.
मैं भावनाओ में बह कर बिल्लू के साथ जाने को तैयार तो हो गयी, पर मैं ये आछे से जानती थी कि मेरी मर्यादायें मुझे ये सब नही करने देंगी.
पूरा दिन में जाने अंजाने बिल्लू के ख़यालो में खोई रही. लगता था जैसे मुझे बिल्लू से प्यार हो गया है. पर मैं ये भी सोच रही थी कि जिसने मुझे इतना बड़ा धोका दिया उसे मैं कैसे अपने दिल में जगह दे सकती हूँ.
फिर भी मैने फ़ैसला किया कि मुझे हर हाल में अपने बहकते कदमो को थामना होगा. और मुझे यकीन भी था कि मैं कुछ ना कुछ ज़रूर कर पाउन्गि.
सारा दिन इशी कसम्कश में कट गया और रात होते ही बेचानी की कोई शीमा नही रही.
मैं बार, बार करवटें बदल रही थी और संजय दूसरी तरफ करवट लिए पड़े थे.
बिल्लू के होंटो की छुवन मेरी योनि पर अभी तक ताज़ा थी, और मैं मन ही मन ना चाहते हुवे भी बार बार उन पॅलो में खो जाती थी जब बिल्लू की जीभ मेरी योनि की गहराई तक फिसल रही थी और मुझे भी भावनाओ की अजीब सी गहराई में खींच रही थी.
समझ में नही आ रहा था कि मैं अपने मन में उठते इन विचारो को कैसे रोकू. मैं बार बार भगवान से यही दुवा कर रही थी की मेरे मन को शांति दो ताकि मैं अपनी मर्यादाओ में रह संकु और अपने बहकते कदमो को थाम संकु.
मुझे कब नींद आई पता नही, पर इतना ज़रूरत पता है कि जब मैं सुबह उठी तो मेरे तन बदन में अजीब सी घबराहट और बेचानी हो रही थी.
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11-13-2018, 12:34 PM,
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
इसी बेचानी में मैने ब्रेकफास्ट बनाया और जैसे तैसे संजय और चिंटू को खिलाया. पर मैं एक निवाला भी ठीक से नही खा पाई.
मैं संजय से अपनी हालत छुपाने की कोशिश कर रही थी, पर मेरे अंदर बेचानी हर पल बढ़ती जा रही थी.
संजय और चिंटू चले गये और मैं बेडरूम में आ कर लेट गयी. घड़ी में 9:45 बज रहे थे.
आँखे बंद करते ही मेरी आँखो में उस दिन का नज़ारा घूम गया जब में अपने घर के पीछे झाड़ियो में झुकी हुई थी और बिल्लू मेरे पीछे मेरे नितंबो में लिंग डाले हुवे था.
मैं फॉरन हड़बड़ा कर उठ गयी और अपने ध्यान को यहा वाहा लगाने की कोशिस करने लगी. मैने एक गिलास पानी पिया और फिर से लेट गयी.
पर फिर से ना जाने क्यो वो पल याद आ गया जब बिल्लू ने मेरे नितंबो में धक्के लगाते हुवे पूछा था कि, “कैसा लग रहा है” और मैने जवाब दिया था कि “बहुत अछा”.
मैं समझ नही पा रही थी कि आख़िर ऐसे विचार मुझे क्यो आ रहे है.
मैं बेड से उठ कर किचन में आ गयी.
इस कसम्कश में मुझे ध्यान ही नही रहा कि पूरा घर बिखरा पड़ा है.
मैं जैसे तैसे अपने काम में लग गयी पर दिमाग़ अभी भी इसी उधैीडबुन में था कि अब मुझे क्या करना चाहिए.
बिल्लू आने वाला था, और मैं कोई फ़ैसला नही कर पा रही थी.
पर इतना ज़रूर था कि मेरे लिए उशके साथ चलना मुमकिन नही था.
उशके घर में मेरे साथ जो कुछ हुवा था उशके बाद, वाहा जाना मेरे लिए किसी भी हालत में मुनासिब नही था.
10:45 बज गये और बिल्लू नही आया, मुझे लगा अछा हुवा मैं अपने मन की दुविधा से बच गयी.
मैं ये सोच ही रही थी की डोर बेल बज उठी.
मैं फिर से बेचन हो गयी.
मुझे यकीन था कि ये बिल्लू ही होगा.
मैने हल्का सा दरवाजा खोला, सामने बिल्लू खड़ा था.
वो मुझे देख कर बोला, सॉरी थोड़ा लेट हो गया.
मैने कहा, बिल्लू मैं तुम्हारे साथ नही जा सकती, तुम यहा से चले जाओ.
उसने कहा, क्यो क्या हुवा ?
मैने कहा, मुझे नही पता, तुम प्लीज़ जाओ कोई देख लेगा.
उसने दरवाजा धकैलते हुवे कहा, अंदर बैठ कर बात करें.
मैने दरवाजा ज़ोर से थाम कर कहा, नही तुम अब जाओ.
उसने कहा, पूरी रात मैं सो नही पाया, सारी रात तू मेरे ख़यालो में घूमती रही और अब तू कहती है कि मैं जाउ, मैं कहा जाउ ?
उसने फिर से दरवाजे को धकैला पर मैं दरवाजे को मजबूती से थामे रही.
उसने कहा, देखो कोई देख लेगा, मुझे जल्दी अंदर आने दो, थोड़ी देर मुझ से बात ही कर लो, मैं चला जाउन्गा.
मुझे पता तो था कि वो ये सब क्यो कह रहा है पर फिर भी दरवाजे पर मेरे हाथो की पकड़ थोड़ी ढीली पड़ गयी और वो झट से दरवाजा धकेल कर अंदर आ गया.
अंदर आ कर उसने दरवाजे की कुण्डी लगा दी और मेरे सामने खड़ा हो गया.
उसने पूछा, क्या बात है ?
मैने कहा, कुछ नही मुझे ये सब ठीक नही लग रहा.
उसने कहा, इस में ठीक लगने, ना लगने की क्या बात है ? ये तो एक खेल है, मज़े से खेलो और भूल जाओ, तू बेकार में चिंता कर रही है.
मैने कहा, तुम आदमी हो, एक औरत की मजबूरी तुम नही समझ सकते.
उसने कहा, अगर मैं तुझे मजबूर कर रहा हूँ तो मैं ज़रूर ग़लत हूँ, पर अगर तेरा मन खुद मेरे साथ एंजाय करना चाहता है तो, तुझे खुद को ज़बरदस्ती नही रोकना चाहिए, ये जवानी बार बार नही आएगी.
मैने कहा, पर में कैसे भूल जाउ की में किसी की पत्नी हूँ ? मैं अंदर ही अंदर घुट रही हूँ, मुझ से ये सब नही होगा, तुम प्लीज़ जाओ.
उसने कहा, क्या तुझे यकीन है कि संजय ही तेरा पति है और मैं नही ?
मैने हैरानी में पूछा, क्या मतलब ?
उसने कहा, क्या ऐसा नही हो सकता कि शायद किसी जनम में तुम मेरी पत्नी रही हो.
मैने गुस्से में कहा, हां, हां बिल्कुल हो सकता है, और ये भी हो सकता है कि वो कमीना अशोक भी किसी जनम में मेरा पति रहा हो, तभी तुम मुझे उशके पास ले गये थे.
बिल्लू थोड़ा सकपका गया.
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RE: Chodan Kahani छोटी सी भूल
थोड़ा सोचने के बाद वो बोला, वक्त आने पर तुझे सारी सचाई पता चल जाएगी. तू अशोक को भूल जा, मैने कल माफी तो माँगी थी, और तूने मुझे माफ़ भी किया था, क्या कल तू नाटक कर रही थी ?
मैने कहा, नाटक तो तुम करते हो, मुझे क्या पता नाटक क्या होता है.
बिल्लू मेरे कदमो में बैठ गया और बोला, तू गुस्से में और भी ज़्यादा प्यारी लग रही है.
मैने कोई जवाब नही दिया.
प्लीज़ मुझ पर रहम खाओ, मैं तुझसे फिर से माफी माँगता हू. कल सारी रात मैं तेरे लिए तड़प्ता रहा, तुझे क्या पता मेरी क्या हालत हो रही है तेरे प्यार में.
मैने कहा, अगर तुम्हे मुझ से प्यार था तो मुझे धोका क्यो दिया.
वो बोला, तुमने मुझे अभी तक माफ़ नही किया, मैं क्या करूँ, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.
मैने कहा, ठीक है, ठीक है, अब उठ जाओ और यहा से जाओ.
उसने पूछा, क्या तू मेरे साथ नही चलेगी.
मैने कहा, मैं तुम्हारे साथ नही जा सकती समझा करो, तुम्हे मुझसे जो चाहिए था, वो तुम्हे मिल तो गया.
उसने कहा, एक बार फिर से दे दो ना.
मेरे होंटो से अचानक निकल गया, क्या ? और मैं ना चाहते हुवे भी शर्मा गयी.
उसने बेशर्मी से हंसते हुवे कहा, वही दे दो जहा कल मैने अपनी जीभ घुमाई थी, सच कल सारी रात मेरा लंड मेरी जीभ को कोस्ता रहा कि क्या किशमत पाई है.
ये सुन कर एक पल को मेरे होश उड़ गये. मेरे मन का एक कोना भी तो ऐसा ही चाहता था कि बिल्लू मुझ में गहराई तक समा जाए.
पर फिर मैने खुद को संभाला और कहा, चुप करो, मैं ऐसा नही कर सकती, जितना तुम्हे मिलना था मिल चुका, अब मैं और कुछ नही कर सकती.
उसने पूछा, सच बता क्या दुबारा तुझे मेरा लंड लेने की इच्छा नही हुई ? क्या तुझे कभी वो पल याद नही आया जब मैने तेरी गांद मारी थी ?
ये सब सुन कर मैं फिर से अपने होश खो बैठी, मेरी आँखो में फिर से वो पल घूम गया जब बिल्लू बहुत तेज-तेज मेरे नितंबो में धक्के लगा रहा था और मैं उशके हर धक्के का मज़ा ले रही थी.
उसने फिर पूछा, बता ना शर्मा मत क्या तुझे कभी याद नही आया कि तूने कैसे उस दिन मज़े से दी थी, मुझे तो वो दिन रोज याद आता है और मैं बार बार यही दुआ करता हूँ कि तेरी फिर से वैसे ही मिल जाए.
वो ऐसी बाते कर रहा था कि कोई भी सुन कर बहक जाता, मैं भी थोड़ा सा बहक गयी, पर फिर मैने कहा, नही मुझे कुछ याद नही आया, तुम अब जाओ, मेरा पीछा छोड़ दो और मुझे मेरे परिवार में खुश रहने दो.
वो बोला, तू तो खुश ही है मैं ही दीवानो की तरह यहा वाहा भटक रहा हूँ.
मैने कहा, तो मैं क्या करूँ मैने तो तुम्हे मेरे पीछे नही लगाया.
वो बोला, ठीक है ग़लती मेरी ही है, जो सब कुछ छोड़ कर तेरे पीछे पड़ा हूँ, मैं चला जाउन्गा पर एक बार अपनी चूत तो चुस्वा लो.
मैं कुछ नही कह पाई.
उसने बैठे बैठे मेरे नितंबो को थाम लिया और सलवार के उपर से ही मेरी योनि पर मूह रगड़ने लगा.
मैं हड़बड़ा कर पीछे हट गयी.
उसने कहा, अब कम से कम जो कल किया था वही कर लेने दो.
मैने कोई जवाब नही दिया.
बिल्लू ने आगे बढ़ कर मेरी योनि पर फिर से अपना मूह सटा दिया.
मैं अब पीछे नही हट पाई.
मैं जानती थी कि अगर मई बहक गयी तो खुद को थामना मुश्किल हो जाएगा, पर ना जाने क्यो मैने फिर उसे नही रोका.
वक्त जैसे खुद को दोहरा रहा था, जैसा कल हुवा था, वैसा ही आज भी हो रहा था.
मैं चुपचाप वाहा खड़ी रही और वो मेरी योनि को कपड़ो के उपर से ही चूमता रहा, मैने खुद को थामने की बहुत कॉसिश की पर मैं मदहोश होती चली गयी.
थोड़ी देर बाद वो बोला, यार मज़ा नही आ रहा, नाडा खोल दो ना.
कल के एक्सपीरियेन्स के कारण मैं खुद ऐसा ही चाहती थी, पर मैं खुद उशके लिए अपना नाडा नही खोल सकती थी.
उसने फिर कहा प्लीज़ खोल दो ना, मज़ा नही आ रहा.
मेरी साँसे तेज हो गयी, मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ.
वो दोनो हातो से मेरे नितंबो को लगातार मसल रहा था और मेरी योनि पर यहा वाहा मूह रग़ाद रहा था.
मेरी हालत और कराब होती जा रही थी.
उसने कहा, थोड़ा खोल दो ना, तुम्हे और ज़्यादा मज़ा आएगा, कल का मज़ा भूल गयी क्या.
मैने झीज़कते हुवे कहा, तुम खुद ही खोल लो ना.
उसने सर उठा कर मुस्कुराते हुवे मेरी और देखा और बोला, ना बाबा ना, तू खुद ही खोल, मैं खोलूँगा तो ऐसा लगेगा कि मैं तुझे मजबूर कर रहा हू.
मैं मन ही मन सोच रही थी कि इस बिल्लू को तो पॉलिटिक्स में होना चाहिए, बहुत ही डिप्लोमॅटिक बाते करता है.
वो वैसे ही मेरी योनि को चूमता रहा और अपने दोनो हाथो से मेरे नितंबो को मसलता रहा.
मैं ना चाहते हुवे भी बहकति चली गयी.
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