Chodan Kahani जवानी की तपिश
06-04-2019, 01:12 PM,
#31
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
***** *****फ्लैशबैक
मेरी फ़ितरती हुश्न परस्ती टीचर सबा को देखते ही मुझे इस बात पर मजबूर करती कि मैं हरदम उनके साथ रहूँ। वो 28 साल की एक खूबसूरत खातून थी। और हुश्न का खिराज किस तरह अदा किया जाता है। वो उन्होंने ही मुझे सिखाया। वो ना सिर्फ़ मेरी मेथ्स टीचर थी। बल्की वो मेरी सेक्स टीचर भी थी। स्पोर्ट और खानदानी कद-काठी की वजह से ही मैं अपनी क्लास के तमाम लड़कों से बड़ा ही लगता था। मैंने टीचर का फेव रेट स्टूडेंट बनने के चक्कर में उनका कभी कोई काम मिस नहीं किया, यहाँ तक कि मैंने उनके पास अपना मैथ का ट्यूशन भी फ़िक्स करवा दिया।

अब स्कूल के बाद मैं उनके घर पर भी उनसे मैथ पढ़ने के लिए जाता था और वो 3 से 4 घंटे जो मैं तन्हा उनके साथ उनके रूम में होता था, वो मेरी उस वक्त की लाइफ के अविस्मरणीय क्षण थे। वो एक बड़े से घर में छोटे से परिवार के साथ रहती थी। उनके परिवार में उनके फादर जो कि बैंक में मुलाज़िम थे, उनकी मदर हाउसवाइफ, एक छोटा भाई जो इिंटरमीडियेट का स्टूडेंट था, मगर सारा दिन घर से बाहर ही रहता था, या फ़िर अपने रूम में।

टीचर 5 फीट हाइट की गोरी-चिट्टी, खूबसूरत फ़िगर की मालिक खातून थी। उनकी शादी हो चुकी थी, मगर उनके पति कनाडा में रहते थे, और अब टीचर भी जल्द ही उनके पास जाने की कोशिस कर रही थी। वैसे तो अक्सर ही किसी ना किसी बहाने मुझे टीचर के कभी आधे मम्मे, तो कभी उनकी हिलती हुई बड़ी-बड़ी गाण्ड नजर आ ही जाती थी और मैं इन दो चीजो को पूरी तरह से एंजाय करता था।

कुछ दोस्तों के साथ बातों-बातों के दौरान मैंने सेक्स के बारे में भी तफ़सील से सुना हुआ था। मगर ना कभी सेक्स करने का कोई इत्तेफाक हुआ था, ना ही मैंने कभी कोई पॉर्न मूवी ही देखी थी। आप यह कह सकते हैं कि मैंने कभी अपनी लाइफ में हरकत करती हुई ना तो टीवी पर और ना ही लाइव कोई मुकम्मल तौर पर नंगी खातून देखी थी।

लेकिन यह इत्तेफाक तब हुआ जब मैं एक दिन अपने टाइम से थोड़ा जल्दी ही टीचर के घर पहुँच गया तो, उनकी वालिदा दरवाजे पर खड़ी होकर किसी खातून से बातें कर रही थी। मुझे आता देखकर उन्होंने कहा-“अच्छा हुआ बेटा तुम थोड़ा जल्दी आ गये। तुम चल के बैठो, मैं जरा बाजार से होकर आती हूँ। तुम्हारी टीचर घर में अकेली थी ना तो, इसलिए मुझे अकेला घर छोड़ते हुए कुछ उलझन हो रही थी…”

मैंने जल्दी से कहा-कोई बात नहीं आंटी। मैं यही हूँ आप बेफ़िकर होकर जाइए…”

मेरी बात सुनकर उन्होंने मेरे सिर पर हाथ फेरा, और बोली-“अच्छा बेटा अंदर से कुण्डी लगा दो दरवाजे पर। मैं आकर बेल दूँगी तो दरवाजा खोलना…”

मैंने उनकी बात सुनकर गर्दन हिला दी।, और वो उस दूसरी आंटी के साथ आगे बढ़ गई। तो मैं दरवाजे को कुण्डी लगाकर रुटीन के मुताबिक ऊपर टीचर के रूम की तरफ बढ़ गया। ऊपर रूम का दरवाजा थोड़ा सा भिड़ा हुआ था, जो मेरे लाक के हैंडल बार दबाने से बहुत मामूली सी आवाज के साथ खुल गया। मैंने अंदर दाखिल होकर देखा तो टीचर मुझे कहीं नजर नहीं आई। लेकिन साइड पर वाशरूम के दरवाजे से पानी गिरने की आवाजें वाजिए तौर पर आ रही थी।

मैंने जैसे ही वाशरूम के दरवाजे की तरफ नजर घुमाई तो वाशरूम का दरवाजा आधा खुला हुआ था, और आधे दरवाजे में से सामने शावर के नीचे खड़ी टीचर सबा अपनी तमाम खूबसूरती के साथ बिल्कुल नंगी खड़ी नहा रही थी। उनकी पीठ मेरी तरफ थी, जिसके कारण उनका पिछला हिस्सा वाजेह तौर पर सॉफ मुझे नजर आ रहा था।

जिंदगी में पहली बार अपने सामने एक नंगी औरत देखकर एक लम्हे के लिए तो मैं घबरा गया। मगर मैं चाह कर भी अपनी नजरें वहाँ से ना घुमा सका। बस आँखे फाड़े मिस सबा को नहाते हुए देखने लगा। उनके चूतड़ों की गोलाइया जितनी कपड़ों में से गोल नजर आती थीं, नंगी में वो उनसे बहुत ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं। टीचर कभी-कभी हाथों को पीछे करते हुए इन गोलाईयों को रगड़ती और सॉफ करती, जिसके कारण वो एक झटके से हिलते तो मेरे दिल की धड़कन खुद-ब-खुद बढ़ जाती।

जब वो अपने दोनों हाथ उठाकर अपने सिर को सॉफ करती तो एक साइड से उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों की हल्की सी झलक नजर आ जाती। मैं पूरा हाट हो चुका था और नीचे से मेरा लण्ड जो उस वक्त भी 7” से कम ना होगा, पूरा अकड़ चुका था। जिसके कारण मेरी पैंट वाजेह तौर पर सामने से उभरी हुई थी। मगर मुझे उसका कोई अहसास नहीं था। मेरी आँखों में से आग सी निकल रही थी। मेरे कानों की लौ तप चुकी थी। अब तो मुझे इस बात का भी अहसास ना रहा था कि मैं अपनी ही टीचर के रूम में खड़ा उसे ही नंगी नहाते हुए देख रहा हूँ।

ना जाने कब टीचर ने अपना सिर घुमाया और मुझे इस तरह बाथरूम के बाहर खड़ा देखकर चौंकी, या चिल्लाई मुझे कुछ पता नहीं था। मैं तो तब होश में आया जब टीचर बालों को तौलिए में लपेटे एक बड़े से गाउन में खुद को छुपाए मेरे सामने खड़ी मुझे जोर-जोर से हिला रही थी।
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06-04-2019, 01:12 PM,
#32
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
ना जाने कब टीचर ने अपना सिर घुमाया और मुझे इस तरह बाथरूम के बाहर खड़ा देखकर चौंकी, या चिल्लाई मुझे कुछ पता नहीं था। मैं तो तब होश में आया जब टीचर बालों को तौलिए में लपेटे एक बड़े से गाउन में खुद को छुपाए मेरे सामने खड़ी मुझे जोर-जोर से हिला रही थी।

मैंने चौंक कर टीचर को देखा तो वो मेरे सामने खड़ी परेशान नजरों से मुझे देख रही थी, और कह रही थी-“क्या हुआ तुम्हें? तुम्हें कुछ सुनाई नहीं देता की मैं क्या कह रही हूँ? इधर मुझे देखो और थोड़ा होश में आओ…”

पशीना मेरे सिर से लेकर पाँव तक ऐसे बह रहा था जैसे उनके बजाए मैं अभी-अभी शावर से नहा के निकला हूँ। मैं अब भी आँखें फाड़े उनके चेहरे को देखता रहा। मेरी आँखें लाल हो रही थीं और उनसे जैसे आग सी बरस थी। मैं धीरे-धीरे काँप रहा था।

टीचर मेरी हालत देखकर बजाए मुझे किसी बात पर डाँटने के खुद परेशान हो गई थी।
मुझे उनकी आवाज सिर्फ़ अपने कानों से टकराती हुई सुनाई दे रही थी। वो क्या कर रही हैं मैं बस यह देख पा रहा था। लेकिन कुछ सोचने और समझने की हदों से निकल चुका था। मेरी हालत सिर्फ़ शौरी तौर पर हवस में थी, बाकी मेरा दिमाग़ काम नहीं कर रहा था। मेरी यह हालत देखकर मैंने देखा की टीचर बहुत परेशान लग रही है। वो मुझे बाजू से पकड़कर बेड की तरफ ले गई, और मुझे लिटा दिया फ़िर जल्दी से एक बोतल में से पानी का ग्लास भरकर आई और उसे मेरे होंठों से लगा दिया।

मगर मेरे दाँत एक दूसरे के साथ मुकम्मल तौर पर जम गये थे। पानी मेरे दाँतों से टकरा कर वापिस मेरे होंठों से होता हुआ मेरे गले से बह रहा था। टीचर ने ग्लास मेरे होंठों से दूर किया।
फ़िर उसने धीरे से मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी दोनों टांगे नीचे लटकी हुई थी। मैं आधा बेड पर और आधा नीचे था। मेरी आँखें सिर्फ़ टीचर का पीछा कर रही थीं। जहाँ वो जाती मैं सिर्फ़ उनको ही देख रहा था।

ग्लास साइड टेबल पर रखने के बाद टीचर बेड के पास नीचे बैठ गई, और मेरी नजरों से गुम हो गई। कुछ ही देर बाद मुझे अपने जूते और जुराबें उतरती महसूस हुई। फ़िर टीचर बेड पर आ गई, और मेरी एक हथेली को अपने हाथों में लेकर रगड़ने लगी। उनके चेहरे पर अभी तक परेशानी के आसार थे। कुछ देर तक वो बारी-बारी मेरे दोनों हाथों को रगड़ने लगी। लेकिन उनके नर्म-ओ-गुदाज हाथों की रगड़ से मेरे जिश्म की कपकपाहट में मजीद इजाफा हो गया। टीचर ने मेरी आँखों में देखा, और मेरे हाथों को मजीद रगड़ना रोक दिया।

उन्होंने मेरी आँखों में देखते हुए कहा-“लगता है कि गर्मी तुम्हारे दिमाग़ पर चढ़ गई है, और अब जब तक यह गर्मी नहीं उतरेगी तुम ठीक नहीं होगे…” फ़िर हल्के गुस्से से कहा-“क्या पहले कभी कोई नंगी औरत नहीं देखी घोंचू? कि मुझे नहाते देखकर तुम्हारी यह हालत हो गई है?”

मैं सपाट नजरों से सिर्फ़ टीचर को देख रहा था। मगर कुछ कह नहीं पाया। अब टीचर बगैर कुछ कहे उठ गई थी। फ़िर कुछ देर तक टीचर मेरी नजरों से गुम रही। फ़िर अचानक से वो मेरे दायां साइड की तरफ प्रकट हुई। वो अभी तक उसी गाउन में थी। उन्होंने अब अपने सिर से तौलिया हटा लिया था। उनके गीले बाल शनो पर बिखरे हुए थे, वो धूली-धूली सी पिंक रंग के गाउन में और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी।



फ़िर उन्होंने मुझे देखते हुए कहा-“जो हरकत तुमने की थी, उसपर तो तुम्हें सजा मिलनी चाहिए थी। अब उल्टा तुम्हें सजा देने के बजाए मजा देना पड़ेगा। वरना यह गर्मी तुम्हारी जान भी ले सकती है। खैर, मैं जो भी कर रही हूँ तुम्हारे लिए कर रही हूँ, ताकी तुम इस हालत से बाहर आ सको। बुलाने को तो डाक्टर भी बुला सकती थी। मगर उसे बुलाकर क्या कहूँगी कि तुम्हें क्या हुआ है। उल्टी मेरी बदनामी होगी। अब जो कर रही हूँ उसको सीरियस नहीं लेना है तुमने। ओके…”

फ़िर उन्होंने हाथ बढ़ाकर मेरी पैंट की जिप खोली जहाँ से अभी तक मेरे लण्ड का उभार वाजिए तौर पर नजर आ रहा था। इस लम्हे मुझे मिस सबा की खुदकलमी सी सुनाई दी-“मेरे अंदर जो गर्मी लगी है। अगर वो इस घोंचू को लग जाए तो शायद यह मर ही जाए। इसको तो ठंडा कर दूँगी मगर मेरा क्या होगा?”

फ़िर एक नजर मेरी तरफ देखकर हल्के से कहा-“नोट बैड। अगर यह थोड़ा और बड़ा होता तो इसकी गर्मी मिटाते-मिटाते मैं भी खुद को ठंडा कर लेती। लेकिन इस बच्चे से खुद को क्या ठंडा करूँ?” इस दौरान टीचर ने पैंट के अंदर हाथ डालकर अंडरवेर के नीचे से मेरे लण्ड को पकड़ लिया था। मेरे लण्ड पर हाथ लगाते ही टीचर के होंठ सीटी के अंदाज में सिकुड़ गये और एक हल्की सी सीटी की आवाज सुनाई दी। जबकी टीचर का हाथ मेरे लण्ड पर लगाते ही मेरे जिश्म को एक जोरदार सा झटका लगा, और मेरे जिश्म की कपकपी मजीद बढ़ गई थी।

टीचर ने झट से मेरा लण्ड अंडरवेर के अंदर से खींचकर जिप वाले हिस्से से बाहर निकाला तो उनकी आँखों के साइज़ में कुछ मजीद इजाफा हो चुका था। शायद उनको मेरा लण्ड पसंद आया था। उन्होंने एक चकित अंदाज में मेरी तरफ देखा और मुश्कुराते हुये बोली-“घोंचू तुम तो छुपे रुस्तम निकले। नोट बैड…”

फ़िर उन्होंने बड़े प्यार से मेरे लण्ड पर धीरे-धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया। वो अपने हाथ को बड़े प्यार से नीचे से लेकर ऊपर ले जाती और फ़िर उसी प्यार से ऊपर से नीचे ले आती। जिप वाले हिस्से से मेरे बोल्स बाहर नहीं आ पाए थे, शायद इसीलिए टीचर ने मेरी बेल्ट खोलकर पैंट का बटन भी खोला। उसके बाद उन्होंने मेरी शर्ट को मेरे पेट तक ऊपर कर दिया। पैंट मेरी कमर के नीचे फँसी हुई थी, जिसके कारण अभी भी मेरे लण्ड का पूरा हिस्सा वजीह नहीं हो रहा था।

तो टीचर ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर के नीचे देकर मुझे एक झटके से ऊपर किया। फ़िर एक हाथ और उसकी कोहनी के बल पर मेरी कमर को ऊपर रोकते हुए दूसरे हाथ से उन्होंने मेरी पैंट को जल्दी से मेरे घुटनों तक नीचे सरका दिया। अब मेरे पेट से लेकर घुटनों तक का पूरा हिस्सा टीचर के सामने बिल्कुल नंगा हो चुका था। इस वक्त मुझे किसी बात का अहसास नहीं हो रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। क्या मुझे टीचर के सामने इस तरह नंगा होना चाहिए या नहीं? बस मैं एक नजर टीचर को देखे जा रहा था।
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06-04-2019, 01:12 PM,
#33
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
टीचर ने अपने दोनों हाथ मेरी कमर के नीचे देकर मुझे एक झटके से ऊपर किया। फ़िर एक हाथ और उसकी कोहनी के बल पर मेरी कमर को ऊपर रोकते हुए दूसरे हाथ से उन्होंने मेरी पैंट को जल्दी से मेरे घुटनों तक नीचे सरका दिया। अब मेरे पेट से लेकर घुटनों तक का पूरा हिस्सा टीचर के सामने बिल्कुल नंगा हो चुका था। इस वक्त मुझे किसी बात का अहसास नहीं हो रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। क्या मुझे टीचर के सामने इस तरह नंगा होना चाहिए या नहीं? बस मैं एक नजर टीचर को देखे जा रहा था।

टीचर ने भी मुश्कुराकर मुझे देखा, और फ़िर एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ते हुए मुझसे कहा-“मैं समझी थी कि तुम्हारा लण्ड छोटू होगा। मगर यहाँ तो पूरा फेमिली पैक छुपाया हुआ है वो भी विद टूथब्रश …”

उनकी आँखों में अब खुमार सा नजर आ रहा था। कुछ देर तो वो मेरे लण्ड को ऊपर-नीचे करती रही। उसके बाद उन्होंने एक सरसरी सी नजर मुझ पर डालकर अपना चेहरा मेरे लण्ड के करीब कर लिया। मुझमें इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि मैं अपनी गर्दन उठाकर अपने लण्ड की तरफ ही देखता। कि बाहर अकड़कर निकला हुआ कितना शानदार लग रहा है।


टीचर ने अपने होंठ मेरे लण्ड की टोपी के ऊपर रख दिए, और उसको चूमने लगी। वो बहुत ही प्यार से होंठों को सीटी के अंदाज में सिकोड़कर लण्ड की टोपी को बिल्कुल उन दोनों होंठों के सेंटर पॉइंट पर रखती और उसको होंठों की मदद से अपने अंदर जोरदार अंदाज में खींचते हुए फ़िर दोनों होंठों से लण्ड के ऊपर एक कप सा बनाकर चूमने की आवाज निकालते हुए छोड़ देती।

कुछ देर के बाद उन्होंने अपनी जबान बाहर निकाली और उसकी नोक से मेरी पेशाब करने वाली जगह के छेद में रगड़ने लगी। कुछ देर जबान की मदद से उस जगह को छेड़ती रही फ़िर धीरे-धीरे अपनी जबान को मेरे लण्ड के टोपे के चारों तरफ घुमाने लगी। फ़िर वो अचानक से रुक गई और अपनी नाक से मेरे लण्ड और जाँघ के बीच वाली जगह को गहरी-गहरी साँसें लेकर सूंघने लगी।

कुछ देर इस तरह सूंघने के बाद उसने अपना सिर उठाकर मुझे देखा और बड़ी ही सेक्सी आवाज में बोली-“कमीने, बहुत ही सेक्सी अरोमा है तुम्हारे पशीने का…”

फ़िर उन्होंने मेरे चेहरे की तरफ बढ़ते हुए कहा-“अब तो मैं इस गलती को भी अपने लिए लकी समझ रही हूँ कि अगर आज मुझसे या तुमसे यह गलती ना होती तो मैं शायद कभी भी तुम्हारे साथ इतना आगे बढ़ने के बारे सोचती भी नहीं। और इस खूबसूरत गोरे लण्ड, उसके सेक्सी अरोमा, और जो इसमें से दूधिया सफेद और यक़ीनन टेस्टी जूस निकलेगा उसे मिस कर देती…” यह कहकर उन्होंने अपने होंठों से मेरे होंठों को चूम लिया।

अपना सिर मेरे चेहरे से उठाते हुए बोली– “सारी जानू, आज मैं कुछ और चूमना चाहती हूँ। यार बाकी सुहबत बाकी, तुम अब यही हो कहाँ जाओगे? चेहरा तो मैं बाद में भी चूम सकती हूँ। जिसके लिए मैं बहुत तड़पी हूँ पहले वो तो चूम लूँ…” यह कहकर उन्होंने एक बार फ़िर लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर अपना चेहरा मेरे लण्ड पर झुका लिया।

अब उसने मेरे लण्ड को अपनी जबान से चारों तरफ से चाटना शुरू कर दिया। अब वो धीरे धीरे मेरे लण्ड को चाट रही थी नीचे से लेकर ऊपर तक। तीन-चार बार चाटने के बाद वो मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लेती और होंठों को सख़्त करते हुए नीचे ले जाती। मेरा पूरा लण्ड उसके मुँह में गुम हो जाता। फ़िर वापिस निकालते हुए वो उन्हीं होंठों की मदद से लण्ड को बड़ी मजबूती से जकड़कर ऊपर की तरफ साँस लेते हुए उसको अपनी तरफ खींचते बाहर निकालती।
उनके इस तरह लण्ड को चूसते वक्त मुझे ऐसा लगता की मेरी साँस भी उसके साथ ही बाहर निकल जाएगी। मैं मजे की उन बुलंदियों पर था, जहाँ अब मेरा कंट्रोल मुझ पर नहीं रहा था। अब तो मुझमें आँखें खोलने की भी हिम्मत नहीं रही थी। मेरी आँखें खुद-ब-खुद बंद हो गई। बस अब एक अहसास था, एक लज़्जत थी, साँसों की तेजी थी, और मिस सबा की तड़प थी। अब उनकी चुप्पा लगाने की स्पीड में तेजी आ रही थी। वो बहुत ही वाइल्ड अंदाज में मेरे लण्ड को चूसे जा रही थी।

शायद मेरा पहली बार था, या फ़िर मेरे अंदर इतनी गर्मी थी और मैं पहले से ही इतना हाट हो चुका था कि 5 मिनट के चुप्पे के बाद ही मुझे ऐसा महसूस हुआ कि कोई चीज मेरे पूरे जिश्म से खींचकर मेरे लण्ड के पास जमा होने लगी है। जिसके कारण मेरे जिश्म में ऐंठन होने लगी। अब पहली बार मैं अपने गले में से कुछ आवाजें निकालने के काबिल हुआ था। जो अब भी खुद ही निकल रही थी। जिन पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था। ‘आआह्ह’ की एक बुलंद आवाज मेरे मुँह से निकली, और इसके साथ ही मेरा जिश्म अकड़ने लगा।
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06-04-2019, 01:12 PM,
#34
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मैंने परेशान होकर अपनी आँखें खोल दी। यह सब मेरे लिए नया था। यह अहसास मेरे लिए लज़्जत का वो अहसास था जो मैं आज तक नहीं भूल पाया।

उसी वक्त टीचर सबा ने भी मेरे लण्ड को अपने मुँह से आजादी देकर मेरी तरफ मुश्कुराकर देखा, और बोली-“कम ओन, कम ओन बेबी इन माई माउथ…” यह कहते ही वो एक बार फ़िर मेरे लण्ड पर झुक गई और बहुत तेजी से मेरे लण्ड को चूसने लगी।

यह लज़्जत मुझसे बर्दास्त नहीं हो रही थी। मैं अब अपने मुँह से आवाजें निकालने लगा था-“ओओऊऊ… आआआ… टीऽऽऽचर… अह्ह…” मेरा जिश्म बहुत तेजी से अकड़ने लगा और मेरे जिश्म को जोरदार झटके लगने लगे। और मैं जोरदार आवाज ‘ऊऊऊऊईईईई’ के साथ ही टीचर के मुँह में ही झटके मारने लगा।

यह सब मेरा लशुरी अमल था। मुझे ऐसा महसूस होने लगा कि मेरे जिश्म से कुछ निचोड़कर टीचर मेरे लण्ड के ज़रिए अपने मुँह में ले रही हैं। मुझे महसूस हुआ कि कुछ बहुत ही तेजी से मेरे लण्ड से बाहर निकला था, और यह सब टीचर के मुँह में चला गया था।

मैं कुछ देर तक उसी हालत में आँखें बंद किए पड़ा रहा। मेरे जिश्म की कपकपाहट अब खतम हो चुकी थी। मुझे एक अजीब सा सकून महसूस हो रहा था, ऐसा लग रहा था कि मेरा सारा जिस हल्का हो गया हो और मैं हवाओं में उड़ रहा हूँ।


मैंने आँखें खोलकर देखा तो अब टीचर मेरे दायें साइड पर मौजूद नहीं थी। मैं धीरे-धीरे होश-ओ- हवास में लौट रहा था। अब मेरे अंदर मजे की जगह खौफ ने लेना शुरू कर दिया था। मैं हर उस लम्हे को याद करने लगा जो अब तक गुजर चुका था। मुझे वो तमाम बातें याद थी। मैं जल्दी से बेड पर से उठा तो मैंने देखा कि मेरी टांगे अभी तक बेड से नीचे लटकी हुई थीं। मेरी पैंट और अंडरवेर अब घुटनों से भी उतरकर पिंडलियों तक जा पहुँची थी। मेरी शर्ट सीने तक ऊपर खीची हुई थी।

मैंने जल्दी से अपनी शर्ट नीचे की, और खड़े होकर अपनी पैंट और अंडरवेर को जल्दी से ऊपर करके बेल्ट बाँध लिया। मुझे अब यह फ़िकर सताने लगी थी कि टीचर अब मुझे छोड़ेगी नहीं। यह जो भी हुआ है टीचर ने मुझे ठीक करने के लिए किया है, और अब इन तमाम हरकतों की वजह से टीचर मुझे कभी माफ नहीं करेगी। इसी दौरान एक बार फ़िर वाशरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी, तो मैं समझ गया कि टीचर शायद वाशरूम में हैं।

मैंने वाशरूम की तरफ देखा तो उसका दरवाजा बंद था। मैंने आगे बढ़कर जल्दी से अपना वो स्कूल बैग उठाया जो उसी वक्त वाशरूम के पास गिर गया था, जब मैंने टीचर को नंगा नहाते हुए देखा था। मुझमें अब टीचर से सामना करने की हिम्मत नहीं थी। मुझे बहुत डर लग रहा था। मैं जल्दी-जल्दी रूम से बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ बढ़ा तो उसी वक्त वाशरूम का दरवाजा खोलकर टीचर बाहर आ गई। मैंने एक नजर टीचर की तरफ देखा और फ़िर जल्दी से अपनी नजरें झुका ली, और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। टीचर ने अभी तक वही पिंक गाउन पहना हुआ था।

टीचर मुझे देखकर वहीं रुक गई और थोड़ा सा सख़्त लहजे में कहा-“रुको, कहाँ जा रहे हो?”

मैं टीचर की आवाज सुनकर रुक गया। टीचर का सख़्त लहजा सुनकर मेरी तो टांगे ही काँपना शुरू हो गई थीं। फ़िर टीचर मेरे करीब आई। मगर मेरी गर्दन अभी तक झुकी हुई थी मैंने टीचर को एक बार भी सिर उठाकर नहीं देखा था।

“कहाँ जा रहे थे?” टीचर ने एक बार फ़िर पूछा।

लेकिन मैं जवाब ना दे पाया। मुझे अपनी आवाज गले में घुटी-घुटी सी महसूस हुई, जिसको बावजूद कोशिस के भी मैं बाहर नहीं निकाल पाया। मेरे सिर्फ़ होंठ मामूली से हिल पाए। मगर उनमें से कोई आवाज खारिज नहीं हुई।

“चलो उधर सोफा पर बैठो…” यह जुमला कहते हुए टीचर के लहजे में कुछ नमी सी महसूस हुई।

लेकिन उनके सामने मेरे कदम बहुत भारी हो चुके थे और मैं वहाँ से एक कदम भी वापिस नहीं मुड पाया। मेरी हालत को शायद टीचर ने महसूस करते हुए मुझे बाजू से पकड़ा और मुझे खींचते हुए सोफे की तरफ बढ़ गई। मुझमें तो हिलने की भी ताकत नहीं थी। मैं खामोशी से एक रोबोट की तरह आगे बढ़ गया। टीचर ने मुझे थ्री सीटर सोफे पर बिठा दिया, और खुद मेरे साथ ही एक साइड पर बैठ गई, और खामोशी से मुझे देखने लगी। मैं नजरें झुकाए सोफे की एक साइड पर बैठा रहा ।
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06-04-2019, 01:13 PM,
#35
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
कुछ देर के बाद टीचर की आवाज सुनाई दी-“घोंचू, अब क्या नजरें झुकाए बैठे हो? जब नजरें झुकानी थी तब तो बड़ी आँखें फाड़-फाड़कर मुझे नंगा देखने में ऐसे गुम हुये कि सारे होश-ओ- हवास गुम हो गये थे तुम्हारे…”

टीचर की बातें तो सख़्त थीं, लेकिन लहजे से जरा भी महसूस नहीं होता था कि वो मुझसे नाराज हैं, या वो मुझे इस तमाम गुस्ताखी की सजा देना चाहती हैं। इसी दौरान टीचर ने एक हाथ से मेरे चेहरे को जरा ऊपर उठाया। मगर मैं फ़िर भी एक नई नवेली दुल्हन की तरह नजरें ना उठा पाया।

“इधर। हेलो मुझे देखो। अब क्यों लड़कियों की तरह शरमा रहे हो?” टीचर ने कहा।

मगर मैंने फ़िर भी नजरें नहीं उठाई।

“मैंने कहा ना… मुझे देखो…” टीचर ने इस बार कुछ तेज लहजे में कहा।

तो मैं डर गया कि कहीं टीचर गुस्सा ना हो जाए, तो मैंने जल्दी से आँखें उठाकर टीचर की तरफ देखा। उनके होंठों पर मुश्कुराहट और आँखों में शरारत सी नजर आई।

मुझे देखते हुए टीचर ने बड़े ही प्यार से अपना एक हाथ मेरे गाल पर फेरते हुए कहा-“तुम डरे हुए क्यों हो? तुम्हें अब मुझसे डरने की जरूरत नहीं। आज से हम दोस्त हैं। आज जो कुछ भी हुआ, उसके बारे में तुम किसी से जिकर नहीं करोगे। सबसे पहले तो तुम मुझसे इस बात का प्रामिस करो…”

मैंने टीचर का मूड सही देखकर जल्दी से गर्दन हिला दी।

“नहीं, गर्दन हिलाकर नहीं। मेरे हाथ पर हाथ रखकर वादा करो कि तुम इस बात का किसी से कोई जजकार नहीं करोगे…” इस बार उन्होंने अपना एक हाथ प्रामिस के लिए मेरे सामने कर दिया।

जिस पर मैंने जल्दी से अपना हाथ रखते हुए हल्के से कहा-“टीचर, आप मुझे बस एक बार माफ कर दें और प्लीज मुझसे नाराज ना हों। मैं इस बात का किसी से जिकर नहीं करूँगा…”

मेरी सहमी हुई हालत देखकर टीचर ने हँसते हुए कहा-“अरे पगलेम किसने कहा कि मैं तुमसे नाराज हूँ? मैं तो तुमसे बिल्कुल भी नाराज नहीं हूँ। बल्की आज के बाद तो हम आपस में बेस्टफ्रेंड भी हैं…”

टीचर की बात सुनकर में चौंक गया। मेरी आँखें खुल गई थीं। अब मेरी वो फ़ितरती शोखी फ़िर से सिर उभारने लगी जो की मेरा ख़ास थी। मैंने उत्तेजित होकर जल्दी से एक टाँग मोड़कर सोफा पर रखी, और जल्दी से सीधा होकर टीचर के सामने हो गया। हैरत से बोला-“आप वाकई मुझसे नाराज नहीं। और वो… वो… जो मैंने आपको देखा वो?”

मेरी बात सुनकर टीचर ने भी मेरी तरह ही अपनी एक टाँग उठाकर सोफे पर रखी और मेरे सामने होकर बैठते हुए सोख लहजे में बोली-“तो क्या हुआ? मैंने भी अपना बदला ले लिया। तुमने मुझे देखा तो मैंने भी तुम्हें देख लिया…”

मुझे टीचर की मेरे साथ की गई वो तमाम हरकतें और बातें याद आईं। मैंने टीचर को देखा तो उनके होंठों पे एक खूबसूरत और खुशी की मुश्कुराहट सजी हुई थी और वो सोख नजरों से मुझे देख रही थी। टीचर की बात सुनकर और उनकी नजरों की ताव ना लाकर मैंने एक बार फ़िर अपनी नजरें नीची कर ली। तभी टाँग ऊपर रखने की वजह से उनका गाउन थोड़ा खिसक गया और उनकी एक जाँघ का कुछ हिस्सा नंगा हो गया। जिस पर मेरी अचानक से नजर पड़ी। मगर मैंने जल्दी से वहाँ से अपनी नजर हटा ली कि कहीं टीचर फ़िर से नाराज हो जाए। लेकिन उनकी गोरी-गोरी जाँघ का वो हिस्सा देखने के लिए मेरा दिल मेरे काबू से बाहर निकल रहा था। मगर मैंने खुद पर बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किया हुआ था, और फ़िर से मैं टीचर की तरफ देख रहा था।

तभी टीचर ने मुझसे पूछा-“अच्छा एक बात पूच्छू? सच-सच बताओगे?”

मैंने घबराते हुए कहा-“जी टीचर पूछें, मैं आपसे झूठ नहीं बोलूँगा…”

टीचर-“क्या तुमने कभी कोई नंगी औरत नहीं देखी? जो मुझे नंगा देखकर तुम्हारी ऐसी हालत हो गई?”

टीचर के इस तरह बात करने से पहले तो मुझे बहुत शर्म आई कि मैं टीचर को क्या जवाब दूँ। मगर एक बार फ़िर पूछ ने पर मैंने कहा-“नहीं…”

टीचर ने कहा-“क्या कभी कोई पॉर्न मूवी देखी है?”

मैंने एक बार फ़िर गर्दन नहीं में हिलाते हुए कहा-“नहीं…”

मेरी बात सुनकर टीचर बड़ी हैरान हुई, और कहा-“तुम वाकई ‘घोंचू’ हो। मैंने अक्सर देखा है कि तुम्हारी उमर के लड़के ऐसी बातों से किसी हद तक वाकिफ ही होते हैं। अगर नहीं भी तो उन्होंने कहीं ना कहीं से कोई पॉर्न वगैरा जरूर देखा हुआ होता है। तुमने आज तक ऐसा कुछ नहीं किया?”

मैंने एक बार फ़िर नहीं में सिर हिला दिया।

टीचर कुछ देर तक मुझे खामोशी से देखने लगी, और फ़िर बोली-“अच्छा तुम्हें कुछ सेक्स के बारे में मालूम है? मेरा मतलब है कि औरत और मर्द के रिश्ते के बारे में। या बस ऐसे ही ऊूँट की तरह लंबे हो गये हो?”

मैंने इस बात पर हल्के से मुश्कुराते हुए गर्दन हिला दी।

टीचर ने मुश्कुराते हुए मुझे देखा-“अच्छा तो सेक्स के बारे में सब पता है। कैसे पता चला?”

मैंने जवाब दियाऽ “दोस्तों से…”

“हुम्म्म… तो क्या-क्या पता है तुम्हें सेक्स के बारे में?”

मैं थोड़ा सोच में डूब गया और फ़िर कुछ सोचते होये बोला-“लड़का और लड़की अकेले में मिलते हैं, और फ़िर सेक्स करते हैं, और अगर उसमें अहतियात ना करें तो बच्चा हो जाता है…”

टीचर जोर-जोर से हँसने लगी। फ़िर बोली “लेकिन सेक्स में क्या करते हैं?”

मैंने टीचर को देखा फ़िर हिचकिचाते हुए जवाब दिया-“दोनों नंगे हो जाते हैं, और फ़िर एक दूसरे में चिपक जाते हैं, चूमते हैं…” मैंने अपनी तरफ से बड़ी नालेज वाला जवाब दिया था और इस बात पर बड़े फखरिया अंदाज में टीचर को देख रहा था।

टीचर मुझे देखकर एक बार फ़िर जोर-जोर से हँसने लगी।, और बोली-“बस? मुझे पता चल गया कि तुम्हें सेक्स के बारे में कितना पता है?”

फ़िर कुछ देर वो खामोशी से मेरी तरफ देखती रही और बोली-“अगर तुम मेरे साथ पक्का प्रामिस करो कि तुम किसी को कुछ नहीं बताओगे तो मैं तुम्हें मैथ के साथ-साथ सेक्स की भी क्लास देने को तैयार हूँ। मैं तुम्हें सेक्स में भी इतना एक्सपर्ट कर दूँगी कि तुम सेक्स के हर एग्जाम में फर्स्ट ही आओगे…”

मैंने जल्दी से जवाब दिया-“मैं प्रामिस करता हूँ कि मैं किसी से इस बात का जिकर नहीं करूँगा। मगर क्या मैं सेक्स में एक्सपर्ट बन सकता हूँ?” मैंने टीचर से हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाते हुए पूछा।

टीचर ने फौरन मेरे हाथ को अपने हाथों में थाम लिया, और थोड़ा सा खिसक के मेरे पास आ गई, और कहा-“तुम्हें खुद पता नहीं कि तुम क्या हो? में अपने तजुर्बे की बुनियाद पर गारन्टी दे सकती हूँ कि तुम इस उमर में भी अच्छ से अच्छा सेक्स एक्सपर्ट बन सकते हो, और बड़े होकर तो तुम ऐसे झंडे गाड़ोगे कि कोई तुम्हारा दूर-दूर तक मुकाबिल नहीं होगा…”

मैं आँखें फाड़े टीचर की बात सुनता रहा। मुझे समझ में तो कुछ नहीं आया, बस मैं ऐसे ही गर्दन हिलाता रहा जैसे मैं उनकी तमाम बातें बाखूबी समझ रहा हूँ।

“अच्छा। तो फ़िर आज मैं तुम्हें सेक्स का एक पूरी डेमो दूँगी। इस दौरान तुमने आज कोई सवाल नहीं करना और ना ही किसी बात से मना करना है, जब तक डेमो क्लास खतम नहीं होती। उसके बाद चाहो तो तुम मुझसे सवाल भी कर लेना। फ़िर कल से मैं तुम्हें स्टेप बाइ स्टेप सेक्स की क्लास दूँगी…”
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06-04-2019, 01:46 PM,
#36
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मुझे टीचर की कोई बात पल्ले तो नहीं पड़ी, मगर मैंने सिर्फ़ सिर हिलाने में ही भलाई समझी। मेरे सिर हिलाते ही टीचर सोफा से खड़ी हो गई और मुझे सोफा के सेंटर में आकर बैठने को कहा-“तुम यहाँ सोफा के सेंटर पर आ जाओ…”

मैं जल्दी से खिसक कर सोफे के सेंटर पर आ गया। टीचर ने एक बार फ़िर मेरी तरफ देखकर थोड़ा सख़्त लहजे में कहा-“देखो तुमने प्रामिस किया है कि तुम इस सेक्स क्लास के बारे में किसी से बात नहीं करोगे। अगर तुमने किसी से बात की तो मैं तुमसे नाराज हो जाऊँगी, और दूसरा तुम्हारे बाबा को भी जाकर सब कुछ बता दूँगी। फ़िर तुम्हारा जो हश्र होगा वो तुम खुद सोच सकते हो?”

मैं बाबा का सुनकर थोड़ा घबरा गया और जल्दी से बोला-“टीचर मैंने प्रामिस किया हैं मैं किसी से कभी कोई बात नहीं करूँगा…”

मेरा जवाब सुनकर टीचर के चेहरे के भाव फौरन नॉर्मल हो गये। उन्होंने जो अपने चेहरे पर सख्ती मुझे डराने के लिए तरी की हुई थी उसकी जगह एक दिलफरेब मुश्कुराहट ने ले ली। वो पिंक गाउन में मेरे सामने खड़ी हुई थी। मेरी बात सुनकर उन्होंने मुश्कुराते हुए अपनी एक टाँग का घुटना मोड़ते हुए मेरे बायें साइड पर रखा और फ़िर दूसरी टाँग उठाकर उसी तरह मेरी दाईं साइड पर रख दी।

अब वो दोनों घुटनों के बल मेरी दोनों टाँगों को ऊपर से क्रॉस करते हुए ठीक जैसे मेरी गोद में बैठी हुई थी, इस तरह बैठने से उनका पूरा बदन मेरे बिल्कुल करीब आ चुका था। उनके बदन से उठने वाली महक मेरी साँसों में घुल रही थी। उन्होंने अपने चेहरे को मेरे करीब लाते हुए बिल्कुल मेरे चेहरे के फ्रंट पर ले आई और मेरी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी और एक बार फ़िर कहा-“तैयार हो डेमो क्लास के लिए?”

टीचर के इस तरह मेरे करीब होने से उनके जिश्म की गर्मी मुझे पर असर अंदाज हो रही थी। मेरा हलाक सूख कर काँटा हो चुका था। मेरे सूखे गले से बड़ी दबी-दबी सी आवाज निकली-“यस टीचर…”

उसके बाद टीचर ने मुश्कुराते हुए अपने होंठों के मेरे होंठों पर रख दिया। ‘अह्ह’ क्या गरम और टेस्टी होंठ थे। मैंने अपने दोनों होंठ आपस में भींचे हुए थे। उन्होंने अपने दोनों होंठों को चुसाइ मशीन की तरह मेरे दोनों होंठों के ऊपर रखकर मेरे होंठों को जोर से अपने होंठों में चूसा, तो मेरे होंठ अलग होकर उनके होंठों में जकड़ गये और अपनी जगह से ऊपर उठकर उनके मुँह में दाखिल हो गये।
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06-04-2019, 01:47 PM,
#37
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
उसके बाद टीचर ने मुश्कुराते हुए अपने होंठों के मेरे होंठों पर रख दिया। ‘अह्ह’ क्या गरम और टेस्टी होंठ थे। मैंने अपने दोनों होंठ आपस में भींचे हुए थे। उन्होंने अपने दोनों होंठों को चुसाइ मशीन की तरह मेरे दोनों होंठों के ऊपर रखकर मेरे होंठों को जोर से अपने होंठों में चूसा, तो मेरे होंठ अलग होकर उनके होंठों में जकड़ गये और अपनी जगह से ऊपर उठकर उनके मुँह में दाखिल हो गये।



उन्होंने बड़ी महारत से फौरन मेरे निचले होंठ को अपने दोनों होंठों में पकड़ लिया और उसे चूसने लगी। मेरे जिश्म में हजारों चीटियाँ से रेंगने लगी। मेरी आँखें लज़्जत में डूबने लगी। मेरा जिश्म हाट होने लगा। टीचर अभी तक अपने घुटनों के बल बैठी हुई थी। उन्होंने अभी तक मेरी गोद में बैठने की कोशिस नहीं की थी। लेकिन उनकी जांघों का अंदरूनी हिस्सा कभी-कभी मेरी जांघों के बाहरी हिस्सों से टकरा जाता। इस तरह बैठने से उनका सीना कभी-कभी मेरे सीने से टकराता तो मुझे एक नर्म-ओ-गूदाज अहसास सा महसूस होता।

उनके नरम-नरम मम्मे जो अभी तक गाउन में छुपे हुए थे। मुझसे टकरा कर मेरी वहशतों में इजाफा कर रहे थे। टीचर बहुत ही प्यार से मेरे निचले होंठ को चूस रही थी। कभी वो अपनी जुबान भी मेरी मुँह के अंदर दाखिल कर देती। मुझे यह सब अजीब भी लग रहा था, लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था। इसी कोशिस के दौरान एक बार मेरी जबान टीचर की जबान से टकरा गई। जबान के आपस में टकराने से एक झुरझुरी सी मेरे पूरे बदन में फैल गई।

मैंने फौरन अपनी जबान पीछे कर ली। मगर मैंने महसूस किया कि टीचर अपनी जबान को मेरे मुँह में चारों तरफ घुमाकर शायद मेरी जबान को ढूँढने की कोशिस कर रही हैं। मैंने एक बार फ़िर जासूस और मजे से मजबूर होकर अपनी जबान आगे की तो, जैसे ही मेरी जबान टीचर की जबान से टकराई तो टीचर ने जल्दी से अपनी जबान पीछे करते हुए अपने मुँह को चुसाइ मशीन में बदला, और मेरी जबान को जोर से चूसकर अपने मुँह में ले लिया, और फ़िर उसे अपने दोनों होंठों में पकड़कर चाटने लगी।

मेरी जबान थोड़ा कुदरती तौर पर लंबी और आगे से नोकदार है, जिसकी वजह से मेरी आधे से ज़्यादा जबान टीचर के मुँह में जा चुकी थी, और वो उसको बड़े मजे ले लेकर चूसने लगी। जिसके कारण मेरी हार्टनेस में इजाफा होता जा रहा था। अब नीचे मेरे लण्ड की हालत ऐसी हो चुकी थी कि वो किसी वक्त भी पैंट फाड़कर बाहर निकालने के लिए तैयार था। मेरी आँखों में तपिश बढ़ चुकी थी। मेरे कानों की लौ तपने लगी थी। 10 मिनट की किसिंग में अब मेरा साँस फूलने लगा था। लेकिन टीचर मेरे होंठों को अब तक इस तरह किस किए जा रही थी, जैसे की सदियों की भूखी हो।

10 मिनट की मुसलसल किसिंग के बाद टीचर ने मेरे होंठों से अपने होंठ हटाए और मेरी तरफ देखा। मेरी तो जो हालत थी सो थी, लेकिन टीचर की हालत शायद मुझसे ज़्यादा खराब हो चुकी थी। मेरे होंठों से होंठ हटते ही टीचर मेरी गोद में बैठी तो, उसे नीचे से मेरे लण्ड का उभार महसूस हुआ जो पैंट में फूल गया था। टीचर ने नशीली आँखों से मेरी तरफ देखा और अपने निचले हिस्से को मेरे लण्ड के साथ हल्के-हल्के रगड़ने लगी। जिसके कारण मेरे लण्ड की अकड़न और बढ़ने लगी।

उसी वक्त टीचर ने वो किया जो मेरे वहमो गुमान में भी नहीं था। टीचर ने एक झटके से गाउन की बँधी डोरी खोलकर अपना गाउन झटके से उतार दिया। गाउन के उतरते ही टीचर के अकड़े हुए गोल-गोल मम्मे मेरी आँखों के सामने आ गये। उन्होंने गाउन के नीचे अभी तक कुछ नहीं पहना था, ना ब्रा और ना ही पैंटी। वो मुकम्मल नंगी मेरे सामने थी। मैं आँखें फाड़े टीचर को इस हालत में अपने इतना करीब देख रहा था।

टीचर ने मुश्कुराते हुए मुझे देखा और अपनी चूची को मेरे चेहरे के साथ रगड़ने लगी। इस कोशिस में टीचर को अपने घुटनों के बल पर थोड़ा ऊपर उठना पड़ा, जिसके कारण जो टीचर के नीचे हिस्सा मेरे लण्ड से टकरा रहा था, अब वो दूर हो गया। मगर दो तरो-ताजा और मोटी-मोटी चुचियाँ मेरे चेहरे पर मुसलसल हरकत कर रही थीं। मेरी नाक और चेहरा कुछ देर के लिए टीचर के दोनों मम्मों के बीच में आ गया। जिसके कारण उनके बीच से उठती हुई महक मेरे दिमाग़ पर चढ़ने लगी और मैं अपने होश खोने लगा। मेरी आँखें बंद होने लगी। उसी वक्त मुझे महसूस हुआ कि टीचर के एक मम्मे का निपल शायद मेरे होंठों पर लग रहा था। मैंने आँखें खोलकर देखा तो उनकी चूची का अकड़ा हुआ निपल मेरे होंठों से लगा मेरे मुँह में जाने की कोशिस कर रहा था। मैंने नजरें उठाकर टीचर के चहरे की तरफ देखा।

तब टीचर ने मुश्कुराते हुए कहा-“इन्हें चूसो…”

उस वक्त में टीचर के सेक्स ट्रांस में इतना जकड़ चुका था कि मुझे खुद पर कोई जोर नहीं था। वो जो कह रही थी या कर रही थी, मैं खामोशी से बस उनका साथ दे रहा था। मैंने जल्दी से अपना मुँह खोलकर उनके मम्मे को अपने मुँह में भर लिया और हल्के-हल्के उसे चूसने लगा। उस वक्त मुझे अहसास हुआ कि मम्मा चूसना तो मैंने कभी किसी से सीखा ही नहीं था। यह तो फ़ितरत है जो हर एक को बचपन से मिलती है। यही तो वो पहला काम है, जो इंसान दुनियाँ में आकर करता है, मम्मा चूसता है, और अपनी खुराक हासिल करता है। तो मम्मा चूसने के लिए मुझे टीचर के सिखाने की जरूरत नहीं थी। मैं उनके निपल को अपने मुँह में लेकर बखूबी चूसने में मशगूल हो गया।
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06-04-2019, 01:48 PM,
#38
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
मगर मेरे इस काम से टीचर की आहें निकलने लगी। मैं जैसे-जैसे उनका मम्मा चूसता। वो आह्ह… आआह्ह… ऊऊऊह्ह की सेक्स में डूबी हुई आवाजें निकाल रही थी। मैं कभी-कभी अपनी जबान से उनके निपल को भी छेड़ देता। टीचर की बेचैनी बढ़ रही थी, इसलिए वो मचल रही थी। उनके हिलने के कारण कभी-कभी मम्मा मेरे मुँह से निकल जाता, तो मैं गर्दन को हिलाकर दोनों मम्मों में से जो मेरे करीब होता, मैं उसे पकड़कर चूसने लगता।


बारी-बारी मैंने टीचर के दोनों मम्मों को चूस-चूसकर गीला कर दिया था। इस तरह मम्मे चूसने से मुझे भी बहुत मजा आ रहा था और मैं बड़ी ही चाह के साथ अपना काम पूरी इमानदारी से कर रहा था। दोनों मम्मों को चूसने में कोई कमी नहीं कर रहा था कि किसी को कम और किसी को ज़्यादा । कुछ देर इसी तरह चलने के बाद टीचर सोफा से उठकर खड़ी हो गई।

मैं हैरत से टीचर को देखने लगा का क्या हुआ मुझसे कोई गलती तो नहीं हो गई? वो मुकम्मल तौर पर नंगी मेरे सामने खड़ी थी। उनके जिश्म के नसीबो फराज मेरी आँखों के सामने ही थे। दिल कर रहा था उन्हें जकड़कर एक बार फ़िर उन मम्मों का पूरा रस चूस लूँ। मगर मजबूर था। यह मेरी डेमो क्लास थी और टीचर ने प्रामिस लिया था कि वो जो करेंगी मैं करने दूँगा, कोई सवाल नहीं करूँगा। तो में एक फरमावरदार स्टूडेंट की तरह खामोश बैठकर उनको देख रहा था।

टीचर ने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया तो मैंने जल्दी से उनका आगे बढ़ा हुआ हाथ पकड़ लिया। मेरी बेचैनी और तड़प को टीचर ने भी महसूस किया और उनके चेहरे पर मुश्कुराहट आ गई। उन्होंने आँखों-आँखों में हाथ के हल्के झटके से मुझे सोफा पर से उठने का इशारा किया, तो मैं जरखरीद गुलाम की तरह उनकी आँख की एक ही जुम्बिश से उठकर खड़ा हो गया। वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे बेड की तरफ ले जाने लगी।

वो उल्टे कदमों ही बेड की तरफ चल रही थी। जिसके कारण उनका फ्रंट मेरी तरफ था और चलते हुए उनके मम्मे हल्के-हल्के हिल रहे थे, और उनके हिलने से मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं पूरा हिल रहा हूँ, मेरा दिल हिल रहा है, मेरी धड़कनें तेज हो रही हैं, मेरी नजरें मुसलसल उनके मम्मों पर लगी हुई थीं।

टीचर मुझे बड़े गौर से देख रही थी, मेरी एक-एक हरकत को नोट कर रही थी। जो उन्होंने मुझे डेमो क्लास के बाद बताया था। वो मुझे लेकर बेड के करीब आ गई, और मुझे बेड पर बैठने का इशारा किया। मैं बेड के किनारे बैठ गया। मुझे बेड पर बिठाने के बाद टीचर ने आगे बढ़कर मेरी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए। कुछ देर में मेरा ऊपरी धड़ बिल्कुल नंगा हो चुका था। बालों से पाक मेरा सॉफ सीना जो एक्सर्साइज के बदौलत अभी हल्की-हल्की शेप लेना ही शुरू हुआ था, उनकी नजरों के सामने जाहिर हो गया।

वो प्यासी नजरों से मेरे सीने की तरफ देख रही थी। उन्होंने आगे बढ़कर बहुत ही प्यार से मेरे सीने पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। फ़िर उसी हाथ से हल्के से धक्का देकर मुझे बेड पर पीछे की तरफ धकेल कर लिटा दिया। खुद मेरे एक साइड पर आ गई, और मेरे सीने पर झुक गई, और मेरे सीने पर अपने होंठों से प्यार करने लगी। वो बहुत ही खूबसूरत अंदाज में मेरे सीने पर चूम रही थी। फ़िर धीरे धीरे मेरे निप्पलों की तरफ बढ़ गई और उनको अपने मुँह में लेकर हल्के से चूसा।
उनके ऐसा करने से मेरे जिश्म को एक जोरदार झटका लगा और मेरे मुँह से ‘आआअह्ह’ की एक जोरदार आवाज निकली। मैं मजे की ऊँचाइयों पर पहुँच चुका था। फ़िर उन्होंने बारी-बारी मेरे दोनों निपल्स को चूसा और अपनी जबान से कुछ देर के लिए छेड़ा। उसके बाद वो धीरे-धीरे नीचे की तरफ सरकने लगी। वो बहुत प्यार से मेरे पूरे बदन को चूमती और चाटती हुई नीचे जाने लगी। फ़िर उन्होंने रुक कर मेरी पैंट का बेल्ट और बटन खोलकर जिप को भी नीचे कर दिया, और फ़िर एक ही झटके से पैंट को नीचे कर दिया। मगर मेरी पैंट नीचे मेरे जूते में जाकर अटक गई जो मैंने एक बार फ़िर पहन लिए थे।

वो बेड से नीचे उतरी और मेरे जूते उतारने लगी। कुछ ही देर में मेरे जूते और मोजे उतर चुके थे। जिसके बाद मेरी पैंट आसानी से मेरे पैरों से निकल गई और अब वो नीचे पड़ी हुई थी। मैं भी अब पूरी तरह नंगा हो चुका था। टीचर ने एक बार फ़िर बेड पर आते हुए मुझे कमर से पकड़कर पूरा बेड पर आने का इशारा किया, तो मैंने भी अपने दोनों पैर उठाकर बेड के किनारों पर रखे और कमर उठाकर खुद को पैरों की मदद से ऊपर की तरफ धकेला तो मैं अब पूरी तरह से बेड पर आ चुका था।
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06-04-2019, 01:48 PM,
#39
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
वो बेड से नीचे उतरी और मेरे जूते उतारने लगी। कुछ ही देर में मेरे जूते और मोजे उतर चुके थे। जिसके बाद मेरी पैंट आसानी से मेरे पैरों से निकल गई और अब वो नीचे पड़ी हुई थी। मैं भी अब पूरी तरह नंगा हो चुका था। टीचर ने एक बार फ़िर बेड पर आते हुए मुझे कमर से पकड़कर पूरा बेड पर आने का इशारा किया, तो मैंने भी अपने दोनों पैर उठाकर बेड के किनारों पर रखे और कमर उठाकर खुद को पैरों की मदद से ऊपर की तरफ धकेला तो मैं अब पूरी तरह से बेड पर आ चुका था।

इसी दौरान मेरी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी, जो पैंट से बाहर निकलते ही पूरा तरह से अकड़कर मेरे पेट का साथ लगा हुआ था। मैंने टीचर की तरफ देखा तो उनकी नजरें मेरे लण्ड की तरफ लगी हुई थी और मुझे एक हवस और चमक वाजेह तौर पर नजर आ रही थी। उन्होंने अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर मेरे लण्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया। टीचर के हाथों में तो जादू था। उनके हाथ में जाते ही मेरे को लण्ड को मस्ती सूझने लगी जिस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था। वो एक ख़ूँख़ार भैंसे के नथुनों को तरह फूलने और पिचकने लगा उसकी रगें उभर आई थीं।

मैं हैरत से अपने लण्ड की तरफ देख रहा था। मैं खुद भी हैरान था कि आज तक मैंने भी कभी अपने लण्ड को इस हालत में नहीं देखा था। आज तो यह कुछ अलग ही रूप में दिख रहा था। टीचर की नजरें ऐसे मेरे लण्ड के साथ चिपकी हुई थीं, जैसे मेरे लण्ड ने उसे हेप्नोटाइज कर दिया हो। वो धीरे-धीरे मेरे लण्ड पर झुकने लगी। वो अभी लण्ड से दूर ही थी कि उनकी खूबसूरत गुलाबी जबान उनके मुँह से बाहर आ चुकी थी और उनका मुँह पूरी तरह खुल चुका था।

मैं बड़ी हैरत से टीचर को देख रहा था। बेड पर बगैर तकिये के सिर रखे मुझे यह सब देखने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी और गर्दन उठाकर देखने से मुझे गर्दन में दर्द महसूस हो रहा था, तो मैंने बेड के सिरहाने की तरफ देखा तो वहाँ तकिए मौजूद थे। मैं एक हाथ बढ़ाकर तकिया खींचकर अपने सिर के नीचे रख लिया, जिसके कारण मेरी गर्दन अब ऊपर उठ गई थी और मैं अब वाजिए तौर पर टीचर को सब कुछ करते हुए देख सकता था। अब वो अपनी जबान की नोक से मेरे लण्ड के ऊपरी हिस्से से खेल रही थी। जिसके कारण मेरे पूरे बदन में चीटियाँ सी रेंग रही थीं। मेरी आँखें बंद होने लगी थीं। मगर अब मैं अपनी डेमो क्लास का कोई भी हिस्सा मिस करना नहीं चाहता था। एक-एक हिस्से को सीखना, समझना और एंजाय करना चाहता था।

मगर मजे का क्या करता? वो मेरे बदन में आग लगा रहा था और मैं सोचने और समझने की हद से बाहर जा रहा था। लेकिन एंजाय खूब कर रहा था। टीचर अब मेरे लण्ड को पूरा लेकर चूस रही थी तो कभी नीचे से लेकर ऊपर तक और ऊपर से लेकर नीचे तक चाट रही थी। मैं तो अंदाज़ा नहीं लगा सकता था कि उनके लण्ड को चूसने का स्टाइल सबसे आला है। पर यह जरूर कह सकता हूँ कि मुझे मजा बहुत आ रहा था।

कुछ देर की चुसाइ के बाद टीचर ने अपना सिर मेरे लण्ड से हटाया और अपनी एक टाँग क्रॉस करके मेरे ऊपर आ गई। अब उन्होंने मेरी टाँगों के ऊपर बैठते हुए एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड़ा और खुद अपनी चूत के सुराख को मेरे लण्ड के ऊपर सेट करने लगी। मेरा लण्ड ज्योन्ही उसकी चूत पर लगा तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने मेरे लण्ड को गरम तंदूर के करीब कर दिया हो। उसकी चूत बहुत ही हाट हो रही थी, जिसकी तपिश अब मेरे लण्ड के टोपे पर भी महसूस हो रही थी।

कुछ देर की सेदटिंग के बाद टीचर ने खुद को मेरे लण्ड के ऊपर दबाया। जिसके कारण मेरा लण्ड एक झटके से 2” तक उनकी चूत में घुस गया। लण्ड के अंदर जाते ही टीचर के मुँह से एक जोरदार सिसकी सी निकली-“स्स्स्स्ि… अह्ह…”

मेरे जिश्म को भी एक मजे की नई लहर का अहसास हुआ। लण्ड के ऊपर उसके चूत की तपिश कुछ और बढ़ गई थी। चन्द सेकेंड इंतजार करने के बाद टीचर एक झटके से ही मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई, और थोड़ी देर पहले मेरा बाहर अकड़ता हुआ लण्ड टीचर की चूत में गुम हो चुका था। मुझे ऐसे लगने लगा कि जैसे मेरे लण्ड को आग पर सेंका जा रहा है।

इस तरह झटके से बैठने के कारण टीचर की भी एक लंबी सी ‘आआआअह्ह’ निकली। उन्होंने अपनी आँखें बंद कर ली और उनके दोनों हाथ अपने बालों से खेलते हुए उनके सिर पर पहुँच चुके थे। वो अपने चेहरे को बालों और अपनी दोनों बाजू से लगाकर सहला रही थी।

कुछ देर ऐसे ही इंतजार करने के बाद टीचर ने बगैर लण्ड को थोड़ा भी बाहर निकाले अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी। जिसके कारण उनकी चूत के पास की चमड़ी मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी और नीचे मेरे टट्टों के पास रगड़ खा रही थी। जिसकी वजह से मुझे चमड़ी के खिंचने से थोड़ा-थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था। मगर मैं खामोश ही रहा कुछ बोला नहीं। क्योंकी इस दर्द के मुकाबले मुझे लण्ड के अंदर होने से उसकी हाट चूत की तपिश और हिलने से जो मजा रहा था मैं उसको गँवाना नहीं चाहता था।
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06-04-2019, 01:48 PM,
#40
RE: Chodan Kahani जवानी की तपिश
कुछ देर ऐसे ही इंतजार करने के बाद टीचर ने बगैर लण्ड को थोड़ा भी बाहर निकाले अपनी कमर को गोल-गोल घुमाने लगी। जिसके कारण उनकी चूत के पास की चमड़ी मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी और नीचे मेरे टट्टों के पास रगड़ खा रही थी। जिसकी वजह से मुझे चमड़ी के खिंचने से थोड़ा-थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था। मगर मैं खामोश ही रहा कुछ बोला नहीं। क्योंकी इस दर्द के मुकाबले मुझे लण्ड के अंदर होने से उसकी हाट चूत की तपिश और हिलने से जो मजा रहा था मैं उसको गँवाना नहीं चाहता था।

कुछ देर इस तरह अपनी गाण्ड गोल-गोल घुमाने के बाद टीचर ने अपने दोनों हाथ मेरे कंधों के पास रख दिए, और फ़िर अपनी कमर को उठाकर लण्ड को अपनी चूत से थोड़ा बाहर निकाला, मगर इतना नहीं कि पूरा ही लण्ड बाहर निकल जाए। और फ़िर एक जोरदार झटके से उसको वापिस अंदर ले लिया। पहले-पहले तो वो यह झटके आराम-आराम से लगाती रही। और हल्की-हल्की सिसकियाँ भी भरती रही। लेकिन फ़िर उनके झटकों और सिसकियों में तेजी आती गई।

वो बड़ी महारत और नपे तुले अंदाज में अपनी कमर को ऊपर उठाती और फ़िर उसी अंदाज में नीचे करती। जिसकी वजह से मेरा लण्ड उनकी चूत में तेजी से अंदर-बाहर होने लगा। उनकी गरम चूत की तपिश और रगड़ मुझे बेचैन कर रही थी। मेरी आँखें कभी बंद हो जाती, तो कभी मैं उन्हें खोलने की कोशिस करता तो मेरे सामने ही टीचर के खूबसूरत मम्मे झूलते हुए दिखाई देते।

मैंने गैर इरादी तौर पर अपने हाथ उठाकर उन झूलते हुए मम्मों को अपने हाथों में पकड़ने को कोशिस की। मगर वो तो इस तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे थे, कि हर बार मेरे हाथों से निकल जाते। मैं भी मुकम्मल तौर पर मजे में खोया हुआ था, और मेरे हाथों में भी इतना दम नहीं था कि में उन्हें मजबूती से पकड़ सकता। इस दौरान मुझे महसूस होने लगा का मेरा जिश्म अकड़ने लगा था। मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी थीं, जिस पर मेरा कोई कंट्रोल नहीं था-“ऊओह्ह… ओह्ह… ओह्ह… आह्ह…”

मेरी आवाजें और जिश्म की अकड़न देखकर टीचर ने आँखें खोली और उनको आवाजें सुनाई दी। लेकिन उन्होंने बात करते हुए रोकने की कोशिस की-“नहीं थोड़ा और… रुक जाओ… मैं भी… मैं भी आ रही हूँ…”

मुझे टीचर की कोई बात समझ में नहीं आई। मेरा खुद पर से कंट्रोल खतम हो चुका था। मेरा जिश्म पूरी तरह अकड़ गया। मैंने गैर इरादी तौर पर अपने निचले धड़ को ऊपर की तरफ उठाना शुरू कर दिया जिसके कारण अब टीचर को ऊपर-नीचे होने में थोड़ी तकलीफ होने लगी, तो वो रुक गई और बड़ी तेजी से उन्होंने मेरे कंधों के पास से हाथ हटाकर मेरी कमर के पास रखे, और उसे नीचे की तरफ दबा दिया। मेरी कमर एक बार फ़िर बेड से लग गई। टीचर जल्दी से मेरे पूरे लण्ड को अपने अंदर रखते हुए कमर को आगे पीछे करने लगी, जिसके कारण अब मेरा लण्ड डाइरेक्ट टीचर की सामने वाली जगह से रगड़ खा रहा था।

चन्द ही लम्हे इस हालत में होने का बाद रूम टीचर की और मेरी एक साथ ही जोरदार-“आआअह्ह… मर गई… आह्ह… कम ओन अह्ह… ओईईई… ऊऊईईई… अह्ह…” की आवाजों से गूँज उठा।

मेरे लण्ड से कुछ धारें निकलकर टीचर की चूत में भरती जा रही थी। मुझे भी अपने लण्ड पर कुछ गरम-गरम लिक्विड़ का अहसास हुआ। टीचर ने चूत को बड़ी मजबूती से मेरे लण्ड के ऊपर दबा रखा था। उनके जिश्म को जोरदार झटके लग रहे थे। उनकी आँखें कभी खुलती तो, कभी बंद हो जाती थी। दो से तीन मिनट तक इस हालत में रहने के बाद टीचर बेसूध सी होकर मेरे ही ऊपर गिर गई। उनके नरम-ओ-गुदाज मम्मे मेरे सीने में दब गये थे, और टीचर का ढलका हुअ सिर मेरे बायें साइड पे गिरा हुआ था।

***** *****फ्लेशबैक से वापिस

सारा के सेक्सी बदन के नशेबो फराज को कपड़ों की ही कैद से देख-देखकर जो मैं इतने दिन से हाट हो रहा था, और फ़िर वो चादर वाली। मैंने बहुत दिन सबर किया था। लेकिन आज मैं खुद को रोक नहीं पाया। फूफो और सारा के जाने के बाद मेरे जेहन में सारा को चोदने की प्लाननिंग चल रही थी। इसी दौरान मैं कब अपने जेहन में अपनी लाइफ के पहले सेक्स, जो कि अपनी टीचर के साथ किया था उसको सोचते-सोचते सो गया।



आज मुझे खाना खाने का भी खयाल ना रहा था। सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे महसूस हुआ कि शायद कोई मेरे लण्ड पर बहुत धीरे-धीरे से हाथ को घुमा रहा है। नीचे से ऊपर फ़िर ऊपर से नीचे उसके छूने से महसूस हो रहा था कि जैसे वो मेरे लण्ड की साइज़ और मोटाई का अंदाज़ा लगाने की कोशिस कर रहा है। मैं इस बात को महसूस करते ही सोने की एक्टिंग करता रहा, और हल्के से आँखों में झिर्री बनाकर देखा तो मेरे बेड की एक साइड पर सारा को बैठे देखकर मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा। मैं यह देखकर खुश हो गया कि मुझे तो कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ी थी, और सारा खुद ही मेरे लण्ड को देख रही थी। उसकी आँखें मेरे लण्ड की तरफ लगी हुई थी, जो सुबह के वक्त मेरे खयालों में अकड़ा हुआ टेंट बनाकर खड़ा था।

सारा की आँखों में हवस और सेक्स के डोरे वाजिए तौर पर तैर रहे थे। वो मेरे लण्ड की साइज़ और मोटाई को देखकर शायद उसमें गुम थी। उसको इस बात का भी होश नहीं था कि मेरी आँख भी खुल सकती है? मैंने उसे इतना अपने लण्ड में खोया हुआ देखकर अपनी आँखें पूरी खोल ली, मगर अपनी जगह से कोई हरकत नहीं की। अब मैं पूरी आँखें खोलकर उस देख रहा था। मगर वो सिर्फ़ हल्के-हल्के हाथों से मेरे लण्ड को सहला रही थी, उसे पकड़ने की कोशिस नहीं की थी। सारा को अपने सामने इस तरह देखकर, मेरे लण्ड में मजीद ऐंठन होने लगी, और उसने एक जोरदार झटका लिया।

जिससे सारा चौंक गई और वो अपनी मदहोशी की काफ़ियत से बाहर आ गई। उसने जल्दी से मेरे चेहरे की तरफ देखा तो मेरी आँखें खुली देखकर वो घबरा गई, और झट से बेड पर से उठकर खड़ी हो गई। मैं मुश्कुराती हुई नजरों से सारा को देख रहा था।

वो मुझे अपनी तरफ देखते हुए देखकर झट से बोली-“वो… वो छोटे साईं। मैं तो… मैं तो बस आपको लेने के लिए आई थी। वो जनानखाने में बड़ी बीबी साईं आपका इंतजार कर रही हैं…” यह कहकर उसने अपनी नजरें नीचे झुका ली और अपने दुपट्टे के पल्लू को एक हाथ में लेकर दूसरे हाथ की उँगली पर लपेटने लगी।

मैं मुश्कुराता हुआ उठा, और थोड़ा सा खिसक कर बेड के सिरहने से टेक लगा ली। और फ़िर सारा की तरफ देखकर बड़े ही प्यार से उसे अपने करीब आने को कहा-“इधर आओ सारा…”

सारा अभी तक अपनी नजरें नीचे झुकाए खड़ी थी, उसने कोई जवाब नहीं दिया मगर खामोशी से बस दो कदम आगे बढ़कर बेड की साइड से लगकर खड़ी हो गई। मैंने थोड़ा आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ लिया। उसका हाथ पकड़ते ही मुझे महसूस हुआ कि वो धीरे-धीरे काँप रही है। मेरे हाथ पकड़ते ही सारा ने एक लम्हे के लिए अपनी नजरें उठाकर मेरी तरफ देखा। मैं अब भी उसके चेहरे पर नजरें गाड़े उसको मुश्कुराकर देख रहा था। उसने मुझे इस तरह अपनी तरफ देखते हुए पाकर जल्दी से अपनी नजरें नीची कर ली।
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