RE: Chodan Kahani शौहरत का काला सच
मंत्री तो बस उसे देखता ही रह गया पर ड्राइवर के कारण कुछ बोल ना पाया।
गाड़ी एक बड़े से फार्म हाऊस पर जाकर रुकी, दरबान ने बड़ी शालीनता के साथ उनका स्वागत किया और बॉस को खबर दी कि मंत्री जी शीबा के साथ आए हैं।
बॉस खुद उनको लेने बाहर तक आए और जैसे ही उनकी निगाह शीबा पर पड़ी, वो किसी पत्थर की मूरत की तरह हो गये, एकटक बस शीबा को देखने लगे।
उनका ध्यान भंग मंत्री जी ने किया- हेलो सर…
बॉस- ऑश… हेलो हेलो… हय मिस शीबा, कैसी हो आप? यहाँ तक आने में कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई?
शीबा भी एक अदाकारा थी और ऐसे मौके पे किस तरह पेश आना है उसे अच्छी तरह आता था।
उसने बड़े ही सेक्सी अंदाज में कहा- नहीं सर नहीं… मुझे कोई तकलीफ़ नहीं हुई और आप से मिलने के लिए तो कोई भी तकलीफ़ उठाने को मैं तैयार थी, थैंक गॉड कि आज आपसे मिलना हो गया।
शीबा ने आगे बढ़ कर बॉस से हाथ मिलाया और यही वो पल था कि जवान गठीले बदन वाला बॉस उसके स्पर्श से पिघलता चला गया, वो बस शीबा के मुलायम हाथ को मसलने लगा, उसके चेहरे पे एक क़ातिल मुस्कान आ गई थी।
मंत्री जी- अच्छा सर, अब मैं चलता हूँ, मिस शीबा आप अपनी फिल्म के बारे में सर से बात कीजिए।
मंत्री वहाँ से चला गया और जाते जाते दरबान को हिदायत दे गये कि साहब एक जरूरी मीटिंग में बिज़ी रहेंगे, तो ख्याल रहे कोई डिस्टर्ब नहीं करें…
बॉस शीबा का हाथ पकड़े हुए अंदर चले गये।
अंदर का नजारा काफ़ी अच्छा था, साजो सजावट खूब थी वहाँ…
और जब वो एक कमरे में पहुँचे तो शीबा बस देखती रह गई… एक आलीशान कमरा जिसके बीचों बीच एक गोल बड़ा सा बेड लगा हुआ था, जिस पर गुलाब की पत्तियाँ से सजावट थी और एक बेहद रूमानी महक से पूरा कमरा महक रहा था।
शीबा- श वाउ सर… आपका रूम तो काफ़ी आलीशान और खूबसूरत है।
बॉस- अरे नहीं नहीं मिस शीबा, आपसे ज़्यादा खूबसूरत नहीं है। इसकी चमक आपके हुस्न के सामने फीकी है एकदम… सच कहूँ, जबसे तुमको उस फिल्म में देखा है मेरी रातों की नींद उड़ गई है, बस सोच रहा था एक बार तुम सामने आ जाओ तो मज़ा आ जाए।
शीबा उसके एकदम करीब आ गई उनकी साँसें घुलने लगी थी।
शीबा- मैं आपके सामने हूँ सर… प्लीज़ मेरी फिल्म पास करवा दीजिए, बड़ी मेहनत की है मैंने उसमें… अगर वो पास ना हुई तो मैं कहीं की नहीं रहूँगी।
बॉस ने शीबा के चेहरे को अपने दोनों हाथों में थाम लिया और उसकी आँखों में झाँक कर बोलने लगा- अरे आप डरती क्यों हो, मैं हूँ ना, सब ठीक कर दूँगा, बस तुम मुझे सर मत कहो, मुझे जानू कहो, तुम मेरी जान, मैं तुम्हारा जानू!
वह दोनों हाथों से शीबा का चेहरा पकड़ कर दीवानों की तरह चूमने लगा, वो उसके चेहरे को चूमते जा रहा था और शीबा भी धीरे धीरे इस मदहोश आलम में बहती जा रही थी।
अब बॉस ने शीबा की खूबसूरत गोलाइयों पर अपने हाथ रख दिया, और हलके हलके दबाने लगा और अपने आप से बोल रहा था- कितना हसीं हुस्न है, लाजवाब, आज तो इसमें डूब जाने को मन चाहता है।
और बॉस ने शीबा को अपनी बाँहों में भर कर सीने से लगा लिया।
शीबा के वक्ष उसके सीने से चिपके थे, और उसके हाथ शीबा के कूल्हों पर थे।
वो अपना हाथ धीरे धीरे गोल गोल घुमा रहा था।
अब वो धीरे उसकी पीठ को सहला रहा था।
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