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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैं रागिनी की मदद से उसको पहले बिगाड़ कर देखता हूँ। बाद में जरुरत हुई तो तुम्हारी मदद लुँगा।" फ़िर मेरे दिल के भीतर से मेरे कमीनेपन की आवाज आई-"एक बार इस लौन्डिया को इसके बाप के सामने चोद ले बेटा, जीवन भर के लिए यादगार रहेगा यह अनुभव।" अब तक के अपने रंडीबाजी के शौक की वजह से मैंने कई बार एक साथ बहनों का मजा लिया था, या माँ-बेटी को एक साथ भोगा था। पर मैंने कभी किसी लड़की को उसके किसी मर्द रिश्तेदार के सामने नहीं चोदा था। दो-तीन दिन बाद एक शाम मैं जमील के साथ बैठ बीयर पीते हुए गप-शप कर रहा था। सानिया किचेन में थी और हमदोनों के लिए खाना पका रही थी। जमील कह रहा था कि करीब दस साल बाद ऐसा हुआ है कि वो बिना बीवी एक महिने रहेगा। मैंने मौका सही देख जमील से कह दिया-"क्या यार, अब भाभीजान यहाँ नहीं हैं तो थोड़ा मजा कर ले हुस्न के बाजार का, फ़िर तो घर का खाना ही मिलेगा।" जमील सब समझ कर बोला-"कहाँ से यार, अब इस उमर में ये सब ठीक नहीं लगता, बेटी भी अब जवान हो गयी है।" मैंने कहा-"क्यों मेरी उमर भी तो उतनी ही होगी जितनी तेरी। और मैं तो यार अब २५ साल से कम उमर की लौन्डिया ही चोदता हूँ। मर्द की उमर जैसे-जैसे बढ़ती है, उसे और ज्यादा जवान लड़की भोगनी चाहिए-मेरा तो यही मानना है। हर महिने कोशिश होती है की एक नया माल मिले। दो दलाल के टच में रहता हूँ, कोई मेरे टेस्ट की लड़की आती है तो मेरे से वो कौन्टैक्ट करते हैं। दो-चार बार तो सानिया से ५-६ साल छोटी लड़कियों को भी चोदा हूँ। मुझे तो कोई परेशानी नहीं होती। तु साले डरता है, इसीलिए ऐसा कहता है।" मैंने जान-बूझ कर सानिया का नाम लिया था। जमील थोड़ा हिचक के साथ बोला-"अब ये सब अच्छा नहीं लगेगा कि मैं एक जवान लड़की का बाप हो कर रन्डी खोजूँ। लोग क्या कहेंगे?" मुझे लगा कि ये जमील अब बोर्डर लाईन पर है, हल्के धक्के से मेरे जाल में आ जायेगा। ये सब देख मैं हल्की आवाज में बोला-"तु क्यों खोजेगा, तेरा यह दोस्त किस काम आयेगा। अगर बोल तो आज ही सेट कर दूँ, एक दम टंच माल आया है बाजार में करीब महिना भर पुराना है। दिन में दो घंटे मेरे घर चले जाना, किसी को पता नहीं चलेगा।" अब जमील भी इच्छुक हुआ-"तुम जानते हो इस लड़की को?" मैं मुस्कुराया-"हाँ एक बार मेरे साथ सो चुकी है, पर लड़की अभी भी टंच है। उमर होगी सानिया के बराबर या थोड़ा उन्नीस हीं। रंग सानिया से हल्का कम है पर बदन गजब का है-खुब मस्त, बल्कि कहो जबर्दस्त। साली की झाँट पहली बार मैंने ही साफ़ की थी। कहो तो सेट कर दूँ तेरे लिए कल दोपहर के लिए?" जमील फ़ुसफ़ुसाया, "किसी को पता तो नहीं चलेगा? कहीं सानिया ये सब जान गयी तो?" मैं बोला-"कैसे पता चलेगा किसीको? और सानिया को तु बताएगा क्या कि लड़की चोदने जा रहे हो। अबे अब शराफ़त छोड़, और मौका का फ़ायदा उठा, वर्ना एक मस्त लड़की हाथ से निकल जायेगी और जब तक तु हाँ कहेगा बाजार उसको ठोक-पीट कर लड़की से रंडी बना देगा। एक बार चोद कर देख मजा आ जायेगा।"
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01-13-2019, 11:08 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
.झे रागिनी याद आ रही थी। जमील अब भी थोड़े उलझन में था-"वो मेरे उमर से बहुत छोटी नहीं होगी, बेटी की उमर की लड़की?" मैंने कहा-"चल छोड़ ये सब, और कल की मस्ती के लिए तैयार हो जा।" तब तक सानिया हमें खाने के लिए बुलाने लगी। खाने के बाद जमील दाँत ब्रश करने चला गया तो मैंने सब बात सानिया को बतलाया और कहा कि वो भी कल दिन में मेरे से चुदाने को रेडी हो जाए। पुरी बात जान सानिया खुश हो गयी और मुझे चुम लिया। मैंने इसके बाद अपने घर आ कर रागिनी को फ़ोन किया और सब बात बताया कि उसको कल दिन में सानिया के पापा से चुदाना है, और उसको पुरा मजा देना है, बिल्कुल एक रन्डी की तरह। रागिनी तो मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार थी, बोली-"आप अब कब मुझे बुलाएँगे अंकल? मुझे एक बार सानिया दीदी के साथ मौका दीजिए ना।" मैंने कहा-"अरे बेटा, जरा जमील को सेट कर लेने दो, फ़िर सानिया के साथ का रास्ता हमेशा के लिए खुल जायेगा।" वो बात समझ कर पूछी-"तो कल शायद जब दीदी के पापा मेरे साथ होंगे आप दीदी के साथ, हैं ना।" मैं सिर्फ़ इतना ही कहा-"बहुत समझदार हो गयी हो।" और फ़िर वो हँसते हुए फ़ोन बन्द कर दी। अगले दिन जमील करीब एक बजे दोपहर में कौलेज से सीधे मेरे घर आ गया, और उसके १० मिनट बाद रागिनी भी आ गयी। रागिनी ने आज शायद ब्युटी-पार्लर से मकअप कराया था, बहुत सुन्दर लग रही थी। उसने एक लौन्ग स्कर्ट और ढ़ीला टौप पहना था। मैंने उसका परिचय जमील से कराया तो उसने हैलो अंकल कह कर उसके गाल पर किस कर लिया। फ़िर मैंने उनके लिए दो बोतल बीयर रख दिया और जमील को कहा कि अब वो मस्ती करे। और जब सब काम हो जाए, तब मुझे कौल करे। मेरे आने के बाद हीं वो जाए। रागिनी को कोई पेमेण्ट ना करे। ये सब कह मैं अब जमील की बेटी सानिया के बारे में सोचता हुआ घर से निकल गया। बेवकुफ़ जमील को अंदाजा नहीं था कि मैं अब उसकी बेटी की बूर ठोकने जा रहा हूँ। रास्ते से मैने सानिया को कौल किया कि दो मिनट में पहुँच रहा हूँ। जल्दी ही मैं जमील के घर के दरवाजे की घन्टी बजा रहा था। दरवाजा खुला और क्या खुला मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया। सामने सानिया बेशर्मी का पुतला बन खड़ी थी बीच दरवाजे पे। बिल्कुल नंगी, एक सुत धागा तक बदन पर नहीं था। भरी दोपहर में दरवाजे के बीचो-बीच, अपने दोनो हाथों को दरवाजे के दोनों साईड के चौखट पर टिका कर मुझे देख मुस्कुरायी। एक दम खिली हुई धूप में उसका गोरा बदन चमक रहा था। संयोग से उस दोपहर में सामने की सड़क सुन-सान थी।
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01-13-2019, 11:09 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
उसकी मुस्कुराहट में कोई फ़िक्र नहीं दिख रही थी कि कोई सड़क पर से उसको इस तरह देख लेगा। मुझे अवाक देख, वो वहीं मुझसे लिपट गयी और मुझे होठ पर चुम लिया। मैंने अब जल्दी से उसे धक्का दे कर घर के भीतर किया और दरवाजा बंद कर दिया और पूछा-"तुम्हें डर नहीं लगा, कि कोई देख लेगा, ऐसे एकदम नंगी दरवाजे पर खड़ी हो गयी।" मेरी घबड़ाहट देख वो खुश हुई और पुरे इत्मिनान से बोली-"अरे नहीं चाचू, तुम्हारा स्वागत करने के लिए ये कुछ नहीं है। इतने दिन बाद तुम आये हो मेरे पास।" मैं अब थोड़ा नौर्मल हो रहा था-"फ़िर भी, सड़क से कोई देख भी सकता था। ये तो बेशर्मी की हद कर दी तुम।" अब सानिया मस्त आवाज में बोली-"कितना मजा आता है, ऐसे बेशर्म हो कर कुछ करने में, आज तो अब्बू भी इसी समय लड़की चोद रहें है। काश मैं देख पाती कि वो कैसे चोदे रागिनी को।" मैंने हँसते हुए कहा-"कल सब रागिनी से पता चल जायेगा, फ़िर मैं बता दुँगा तुम्हें।" और मैंने उसे अपनी बाहों में भर चुमने लगा। करीब दस मिनट बाद मैंने कहा-"अब बोल, कहाँ चुदेगी, अपने बेड पर या अपने बाप के बेड पर?" उसकी साँस तेज चल रही थी, बहुत सेक्सी अंदाज में बुदबुदाई, "आपके साथ तो अपने बेड पर, अपने बाप के बेड पर तो अपने बाप से चुदाउँगी।" उसकी यह ख्वाइश सुन मेरे भीतर का कमीना फ़िर जाग गया। उसकी बात सुन मेरा लन्ड एक झटका मार दिया-"क्या बोली तू, क्या बोली? जमील से चुदाएगी तू?" वो बोली-"हाँ, अगर मौका मिला। चाचू, आप एक बार सेटिंग कर दो ना फ़िर मुझे कोई रोक-टोक नहीं रहेगा। खुब मस्ती करुँगी।" मैं उसके इरादे सुन मस्त हो गया-"ठीक है, पर पहले जरा जमील को अपना शराफ़त का चोला तो ढ़ीला करने दो। और जब तक बाप न मिलता है, तब तक यह चाचा तो है ना, चुदो खुब मेरे से हीं जब तक तुम्हें पुरी आजादी नहीं मिलती।" और अब मैं उसको बेड पर ठीक से सेट करने लगा। फ़िर उसके उपर आ गया। पहला राऊन्ड करीब ४५ मिनट चला और मैं उसके मुँह में झड़ गया। दुसरे राउन्ड के लिए वो मेरा लन्ड चुस रही थी कि मैंने जमील के सेल्फ़ोन पर कौल किया। करीब ८ रिन्ग बाद वो उठाया। मेरे पुछने पर कि कैसा चल रहा है, बोला-"सब ठीक-ठाक है, अब एक फ़ाईनल खेल होगा, रागिनी बोली है, अब वो करेगी।" मैंने आगे पूछा-"और सनिया की उमर की लड़की चोदने में परेशानी नहीं हुई ना?" मैं बार-बार सानिया का नाम ले रहा था कि वह अपनी बेटी की बात शुरु करे। जमील खुश था, बोला-"नहीं यार, बेटी के जवान होने के बाद ये सब सोचना गलत मानकर जवान लड़की का स्वाद मैं भूल गया था, थैक्स यार रागिनी बह्त अच्छी है।" उसने मुझसे पूछा कि मैं क्या कर रहा हूँ?" मैंने कहा-"एक जवान लड़की से लन्ड चुसा रहा हूँ, फ़िर उसको पीछे से चोदुँगा।" वो पूछा-"कौन है, कैसी है?" मैंने कहा-"कौन-कैसी क्या कहूँ यार। बहुत मस्त माल है, समझ ले कि सानिया है?" सानिया यह सुन एक झटके से अपना सर उपर की, तो मैंने इशारा किया कि सब ठीक है, वो चुसती रहे। जमील सपने में भी सोच नहीं सकता था कि मैं उसकी बेटी सानिया के साथ ये सब कर रहा हूँ। वो हँस दिया, और फ़ोन बन्द कर दिया। मैंने सानिया को पेट के बल पलट दिया और पीछे से उसको थोड़ा उपर उठा उसकी बूर में लन्ड घुसा कर चुदाई शुरु कर दी। वो मस्ती से कराह रही थी, और चुदवाए जा रही थी। सानिया का ध्यान जमील और रागिनी पर था, बोली-"चाचू, पूछे क्यों नहीं कि वो लोग कैसे कर रहे हैं। हम दोनों भी वैसे हीं करते।" मैंने कहा कि जमील अपना मजा कर चुका, अब शायद रागिनी उसके उपर चढ़ कर चोदेगी।
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01-13-2019, 11:10 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. यह सुन सानिया तुरन्त मेरे से छिटक गयी और मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे उपर चढ़ गयी="मैं रागिनी से कम थोड़े हूँ, जो वो करेगी मैं भी वो सब करुँगी", और मेरे लन्ड को अपने बूर में घुसा ऊपर से अपने कमर को नचा-नचा कर मेरे साथ चुदाई का खेल खेलने लगी। मैं उसके जोश को देख मस्त हो गया। वो आह-आह कर रही थी और मजे ले रही थी। मैंने एक बार फ़िर जमील को फ़ोन लगाया और जमील को कहा कि ले सुन कैसी मस्ती यहाँ हो रही है। मैंने फ़ोन को सानिया की बूर के पास कर दिया और जमील को पता भी नहीं चला कि वो जिस बूर की फ़च-फ़च, और जिस लड़की की आह-अओह की आवज सुन रहा है, वो उसकी अपनी जवान बेटी सानिया की है। रागिनी शायद अभी भी उसका लन्ड चुस रही थी। जमील एक बार फ़िर पूछा कि मैं किसके साथ हूँ? और मैंने एक बार फ़िर जवाब दिया-"कहा था न पहले भी कि समझ ले कि सानिया के साथ हूँ।" वो ये सुन हँसा और बोला-"अबे यार वो तेरी बेटी जैसी है।" और मैंने भी तुरन्त जड़ दिया-"रागिनी भी तो तेरी बेटी जैसी हीं है, उसे अभी-अभी चोदा की नहीं साले।" हम दोनों हँसे और फ़ोन बन्द कर दिया। सानिया की मस्ती अब झड़ निकली थी सो अब वो मेरे उपर निढ़ाल सा लेट गयी। मेरा लन्ड अभी भी उसकी बूर के भीतर फ़ँसा हुआ था। कुछ समय बाद जब उसकी साँस थोड़ी ठीक हुई, वो मेरे ऊपर से हटी और मेरा लन्ड मुँह में ले कर चुस कर झाड़ दी और मेरा सब माल मुँह में ले कर निगल गयी। अब तक हम दोनों थक गए थे, सो अब हम कपड़े पहनने लगे और बातें करने लगे। कुछ देर बाद जमील का फ़ोन आ गया कि मैं आ जाऊँ। मैं जब निकल रहा था तब सानिया बोली-"कुछ करो चाचु कि हम खुल कर खेल सकें। अब्बू को किसी तरह सेट करो फ़िर कोई डर नहीं रहेगा। मेरा बस चले तो मैं तो अब्बू के सामने सीधे नंगी खड़ी हो जाऊँ, पर डर लगता है।" मैंने उससे वादा किया कि मैं जल्द हीं कुछ करुँगा। जमील को पिछले एक सप्ताह में तीन दिन मैंने अपने घर भेजा, और हर बार अलग लड़की अरेन्ज कर के दी। वो भी अब खुल कर मजे लुटने लगा था। बीवी थी नहीं, तो मस्ती कर रहा था। एक दिन शाम को मैं उसके घर पर था, हम दोनों शराब की चुस्की ले रहे थे और बात लड़की पर आ गयी। वो अपने इस नये मजे के बारे में बता कर खुश था, और मुझे बार-बार थैंक्स कर रहा था कि जमाने के बाद उसे मेरी वजह से जवान लड़की चोदने को मिली। इसके पहले वो सुहागरात को अपनी बीवी चोदा था पहली बार और फ़िर सिर्फ़ उसी को चोदता रहा था। "यार, एक जवान लड़की के बदन का मजा हीं कुछ और है", वह यही कहा था कि सानिया वहाँ आमलेट ले कर आयी, तो जमील ने उसको सलाद काट कर लाने को कहा और वो चली गयी। मैंने उसको जाते हुए बदन को घुरते हुए कहा-"हाँ यार जमील, जवान लौन्डिया धरती पर सब्से खुबसुरत चीज है।" जमील देख रहा था कि मैं उसकी बेटी को किस नजर से देख रहा हूँ-"अबे बाबू साले, वो मेरी बेटी है, याद है ना?" मैंने एक ठंडी आह भरी-’हाँ दोस्त याद है, तभी तो रुका हुआ हूँ, वर्ना अभी वो यहाँ से ऐसे जाती क्या? यार जमील एक बात कह रहा हूँ, बुरा मत मानना। मैं न आज तक तुम्हारी बेटी को ख्याल में रख कर न मालूम कितनी बार अपना लन्ड झाड़ा हूँ।" दारू बहुत हिम्मत देती है ।मुझे पता था कि अब जमील सेक्स और शराब के साथ बात करते हुए, सानिया के बारे में कही हुई बात बहुत दिल से नहीं लेगा। जमील ने मेरी बात सुन मेरा हाथ अपने हाथ में ले कर हल्के से दबाया।
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01-13-2019, 11:10 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. मैंने आगे कहा-"सच कह रहा हूँ, कई बार जब लड़की चोदता हूँ, मैं सानिया के बारे में सोचता हूँ। इसके जोड़ की कोई लड़की मिली नहीं अभी तक, और इसका कुछ पता नहीं है। अगर पता चल जाए कुछ तो ट्राई करूँ। तुम बताओ न, कोई लड़का है, जिससे सानिया की दोस्ती है?" जमील बोला-"पता नहीं यार, कुछ पहले एक लड़का था, पर खुब डाँट खाने के बाद शायद दोनों अलग हो गये।" मैंने कहा-"बहुत हसीन है यार जमील ये लड़की, है कि नहीं?" जमील पर शराब का हल्का शुरुर था, बोला-"हाँ बाबू, सो तो है पर मेरी बेटी है यार। मैं कैसे कहूँ कि वो हसीन है?" मैं अभी भी होश में था, और जमील के दिल की बात का अन्दाजा लगा रहा था। मैंने कहा-"अबे तो तेरी बेटी है तो तु चुप-चाप रह, और मुझे ट्राई करने दे।" जमील बोला-"बच्ची है यार, छोड़ इसको, और बहुत माल है दुनिया में।" मैं अब थोड़ा ऐक्टींग करता हुआ बोला-"क्या बच्ची कह रहे हो यार। एक दम तैयार माल है। अभी आयी थी तो देखा नहीं कैसी मस्त चुची निकली है साली की। और पीछे से क्या लग रही थी उसकी चुतड़, गोल-गोल लचकदार, देखा नहीं क्या?" जमील अब भी उसके बारे में खुलने को नहीं तैयार था, और मैं बार-बार चांस ले रहा था कि वो कुछ सेक्सी बात अपनी बेटी के बारे में बोले। मैंने फ़िर कहा-"जमील मेरे दोस्त, आज एक ट्राई लेता हूँ हल्का सा इसके साथ। तेरी वो बेटी है, सो तु अभी रहने दे, पर मुझे क्यों रोक रहा है?" जमील पूछा-"क्या करेगा तु?" मैंने कहा-"बस थोड़ा लाईन मारुँगा, अगर लाईन क्लीयर का सिग्नल मिला तो आगे बढ़ूँगा वर्ना वापस जहाँ से चले थे, और क्या।" जमील अभी भी अपनी बेटी को अनछुई समझ मुझसे बचाने की कोशिश कर रहा था, कह रहा था कि वो ऐसी लड़की नहीं है, ऐसे काम के लिए नहीं मानेगी, वगैरह...। उसे कहाँ पता था की उसकी इस बेटी का बैन्ड मैं पहले हीं बजा चुका हूँ। मैंने एक शर्त के साथ उसको उकसाया, कहा-"यार अब मान भी जाओ अगर वो ऐसी-वैसी नहीं है जैसा तुम कह रहे हो तो मुझे खुद लाईन नहीं देगी, और अगर वह वैसी लड़की निकली जैसा मेरा सोचना है तो तुम्हें पता चल जायेगा। ऐसा सौलिड माल बी०ए० फ़ाईनल तक पहुँच जाए और चुदे नहीं आजकल के समय में. अनछुआ रहे, मैं नहीं मानता। शर्त लगा आज तु।"शराब के साथ शर्त मैंने जान कर शुरु किया था और जमील मेरे जाल में फ़ंस गया। जमील बोला-"ओके पर अगर तु जीता तो तुझे तो सानिया मिलेगी पर मैं जीता तो?" मैं बोला-"एक अनछुई कली मिलेगी तुझे मेरी तरफ़ से"। जमील की नशे से लाल आँखें अनछुई कली की बात पर चमक उठी थी फ़िर वो इस बार गौर से मुझे देखते हुए बोला-"कहाँ से लायेगा? तु जहाँ से लाता है वहाँ कुँवारी लड़की मिलेगी, मुझे इसमें शक है।" अब मैंने अपने दिल की सबसे गन्दी बात कह दी, "और अगर मैंने अनछुई कली तेरे लिए खोज ली तो तुझे सामने बैठ कर सानिया को मुझसे चुदाते देखना होगा।"
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. इस तरह मैं सानिया और उसके अब्बू के बीच की दूरी खत्म करना चाह रहा था जो सानिया भी चाह रही थी। उसने दो-एक बार इसका जिक्र भी किया था। अब वो बोला, "ऐसा होगा हीं नहीं, सानिया तुम्हे लाईन देगी हीं नहीं। तु ख्वाब मत देख साले।" मैं देख रहा था कि सब मेरे मन के हिसाब से हो रहा है तो मैंने जमील को समझाया-"असल में यार माँ के सामने तो बेटी कई बार चोदा हूँ, पर आज तक बाप के सामने बेटी नहीं चोदी कभी। इसलिए एक बार यह अनुभव करना लेना चाहता हूँ।" जमील अपनी आँख बन्द कर अपना गिलास खाली किया और हँसते हुए कहा-"सानिया मानेगी हीं नही।" मैंने बाजी लगाने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा-"अबे सानिया की बात छोड़, मैं उसको पुरा ट्रेन्ड कर के कुतिया बना कर तुम्हारे सामने चोद कर दिखा दुँगा। तुम्हें शर्म आए तो आए पर सानिया बिल्कुल बिंदास हो कर तुम्हारे सामने चुदेगी,शर्त लगा ले तू।" जमील ने भी मेरे से हाथ मिलाया और शर्त लग गयी। जमील को पता भी नहीं था की वो तो पहले से हारी हुई शर्त लगा रहा है। सानिया सलाद ले कर लौट रही थी। मैंने अपनी कामुक नजर उस पर टिका दी। सानिया एक नाईटी-टाईप गाउन पहने थी, जो उसके घुटने तक था जैसे हीं वो सलाद रख लौटने लगी मैंने कहा-"अरे बेटा कहाँ जा रही हो, जरा एक-एक पैग बना दो।" वो वहीं घुटनों पर बैठ गिलास बनाने लगी, और मैं उसको घुर रहा था। जमील सब देख रहा था चुप-चाप। सानिया अब अपने दोनों हाथोम से हम दोनों की तरफ़ गिलास बढ़ा दी, तो मैंने गिलास लेते हुए जमील से कहा-"बस यार आज का यह आखिरी गिलास है, इसके बाद आज नहीं। इस जाम में पहली बार शराब और शबाब दोनों का नशा है, और शबाब भी कैसा-सानिया जैसी हुस्न की मलिका का, चीयर्स"। सानिया को मेरे शर्त के बारे में पता नहीं था सो वो सकपका गयी, फ़िर लौट गयी। लौटती सानिया की चुतड़ पर मैंने एक हल्की सी थपकी दी, तो वो भाग गयी और मैं हँस पड़ा। साली ने अपने अब्बू के सामने गजब की एक्टिंग की थी। पर मुझे पता चल गया की उसने भीतर पैन्टी नहीं पहनी। मैंने सानिया के जाने के बाद जमील से यह बात कहा तो वो मानने को नहीं तैयार था कि उसकी जवान बेटी बिना पैन्टी के घुम सकती है। उस शर्त के बाद तो जमील के सामने सानिया का जिक्र करने का मुझे लायसेन्स ही मिल गया था। मैं बोला-"देख लो जमील दोस्त, तुम इसको अन्छुई, कुँवारी लड़की बोल रहे हो और ये साली सिर्फ़ एक पतले से गाऊन में हम दो मर्दों के बीच बैठ कर दारू बना रही थी। मुझे अब पुरा यकीन हो गया कि ये लड़की लन्ड के मजे ले चुकी है। क्या मस्त मजा देगी साली की बूर यार सोच के देख।" मैं जमील को उकसा रहा था, पूछा-"जमील दोस्त, बता ना तू आखरी बार कब देखा इसकी चूत, कभी देखा है या नहीं?" जमील भी अब रंग में रंगने लगा था, बोला-"यार आखिरी बार बहुत साल पहले देखा था, १२ साल की रही होगी। जीन्स की चेन से अपनी वहाँ की चमड़ी काट ली थी, तब देखा था।" मैंने अपना गिलास खाली किया-"वाह मेरे शेर, कैसी थी तब, जवान हो गयी थी कि नहीं?" जमील अब वर्षों बाद उस बात को याद कर रहा था और नशे में बोल रहा था-"बस समझो जवानी की पहली-दुसरी सीढ़ी पर हीं थी तब वो।" मैंने आगे पूछा-"और कैसी दिखती थी तब उसकी बूर?" जमील अब खुलने लगा-"बहुत गोरी। ऐसी गोरी चमड़ी आज तक नहीं देखी। काले-भूरे रोएँ होने शुरु हुए थे तब। एक बार जब वो अपने एक पैर को मोड़ी थी तो उसकी बूर की फ़ाँक थोड़ी खुली थी और तब हल्केगुलाबीपन की झलक भी दिखी थी। उसी दिन तो बस एक बार जीवन में मैंने उसकी जाँघ पर हाथ रख कर दबाया था ताकि एक बार कुँवारी बूर की झिल्ली देख सकूँ। यार सुहागरात के बाद कभी कुँवारी बूर मिली नहीं देखने को और तब यह अक्ल नहीं थी कि उस नायाब चीज का जी भर कर दीदार कर लूँ। सो बेगम की झिल्ली को देखे बिना हीं कब सील तोड़ी कुछ समझ नहीं आया।" मेरा लन्ड अब यह सब सुन ठनक गया, "और झिल्ली देखे?" उसने हल्के से कहा-"बस एक झलक। फ़िर तो लगा की यह सब मैं गलत कर और सोच रहा हूँ, और तब से अभी तक कभी ऐसी सोच दिमाग पर हावी नहीं होने दी। पर अब यार लड़कियों को भोग कर मुझे समझ आ रहा है कि मैंने क्या खोया है आज तक।" मैं अब अपने घर लौटने के लिए उठता हुआ बोला-"छोड़ ये सब और अब मस्ती कर। जब जागो तब सवेरा", और जमील से गले मिल वापस हो गया। सानिया को न पटाना था ना कुछ बहलाना फ़ुसलाना। मेरा ध्यान अब एक कुँवारी लड़की को खोजने में था। अगले दिन शाम में पर अकेले बैठ खाना खाने के बाद मैंने सुरी को फ़ोन किया और बताया कि एक कुँवारी लड़की दिन के समय में चाहिए। उसने पता करने के बाद मुझे फ़ोन करेगा ऐसा कहा।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
इसके दो दिन बाद उसने मुझे फ़ोन किया और कहा कि कुँवारी तो अरेन्ज कर दुँगा पर शक्ल-सूरत से बेकार है बिल्कुल। उसकी माँ दुसरे के घरों में झाड़ू-पोछा करती है पर अपनी बेटी की सील की कीमत बहुत माँग रही है। साली भाव नीचे नहीं कर रही दो महिने से मैं उसको बोल रहा हूँ। पर वो भी समझती है कि जो मिलेगा सील तुतते समय हीं मिलेगा उसके बाद उसकी बेटी को रिक्शेवाले हीं चोदेंगे, पैसेवाले नहीं। उमर तो उसकी कम है पर वो नाटी सी काली लड़की आपके लायक नहीं है सर।" मैंने कहा कि उसकी शक्ल-सुरत छोड़ो वो मुझे नहीं चाहिए, मुझे किसी को गिफ़्ट देनी है समझ ले। बस वो कुँवारी है इतना हीं काफ़ी है। कितना लगेगा?" सुरी बोला-"उसकी माँ जो माँग रही है उस हिसाब से तो मेरे कमीशन के बाद १८०००-२०००० की पड़ेगी पर वो नीचे नहीं आ रही और इस प्राईस पर मैं उसको बूक नहीं करुँगा। दो महिने से यही चल रहा है। उसकी फ़ोटो देख उसमें कोई इन्टेरेस्टेड नहीं दिख रहा था तो मैंने भी जोर नहीं दिया था, वैसे आप कहें तो १२०००-१३००० तक उसको पटा दुँगा। मैंने कहा कि अगले दिन मैं बताता हूँ। अगले दिन मैंने सानिया को फ़ोन पर सब बात बताई और कहा कि सब मिला कर १५००० का खर्च आयेगा और इसके बाद उसके जमील अब्बू की पुरी का बैन्ड बज जायेगा जब हम लोग उसके सामने सेक्स कर लेंगे। वो सब सुन खुश हुई और चहकती हुई बोली, "सुरी को बोल दीजिए न उस लड़की के लिए। आपके जो पैसे खर्च होंगे उसके बदले मैं दो दिन दोपहर में किसी के साथ मजे कर लुँगी। मेरा टेस्ट बदल जायेगा और पैसे भी वापस आ जाएँगे।" मैं सानिया को उसके बाप के सामने चोदने की बात सोच कर हीं १५००० भी खर्चने को तैयार था तो अब क्या प्रोबलम थी। मैंने तुरन्त सुरी से बात की और कहा, हिदायत दी कि अगर वो कुँवारी नहीं निकली तो फ़िर आगे से मेरा उसका लेन-देन खत्म हो जायेगा। उसने मुझे आश्वस्त किया, "सर मैं खुद अपनी आँखों से पहले उसकी सील चेक करके हीं आपके पास लाऊँगा, आप फ़िक्र ना करें।" बात दो दिन बाद के दोपहर के एक-डेढ़ घन्टे की थी। मैंने उसी दिन शाम को चार दिन बाद जमील के घर जा उसको बताया कि मैं उसके लिए लड़की खोज चुका हूँ। असल में पिछले चार-पाँच दिन से काम ज्यादा होने की वजह से उसके घर जा नहीं पाया।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. मेरी बात पर उसे यकीन नहीं हुआ मगर खुशी उसके चेहरे से झलक रही थी। फ़िर उसने थोड़ा आशंकित मन से सानिया के विषय में पूछा। मैं इसी पल के इन्तजार में था कि कब वो यह बात चलाए और मैं उसको बताऊँ। मैंने आराम से कह दिया कि सब हो गया है और अपने पप्पू को मैं उसके छेद की सैर करा चुका पिछले दिनों में। उसको विश्वास नहीं हो रहा था। अब मैंने उससे आधा सच और आधा झूठ कहा-"यार जमील, सानिया के सील तो हमारे बाजी लगाने के पहले से टूटी हुई थी और इस शर्त को तो मैं जीत गया हूँ। इसके बाद हीं मैंने तेरे लिए लड़की खोजी और उस पर २०००० खर्च किए हैं एक घन्टे के लिए। सोच साले, तेरी बेटी को चोदने की कीमत मुझे ऐसी बड़ी चुकानी पड़ी है। पर कोई बात नहीं यार सानिया के लिए ये रकम कुछ नहीं है।" साले जमील का मुँह आश्चर्य से खुला रह गया। कुछ पल बाद बोला-"क्या सच में वो पहले से करती है यह सब? छी: छी: मुझे विश्वास नहीं हो रहा।" जमील सच में दुखी था अपनी बेटी के बारे में जान कर। यह सब बातें पहले पैग को बनाते समय हो रही थी। मैंने जाम आगे बढ़ाया और कहा, "चीयर्स...दोस्त चीयरअप... से चीयर्स..."। जमील तेजी से गिलास खाली कर दिया, फ़िर पूछा, "और तू कैसे कर सका यह सब सानिया के जिस्म के साथ?" मैं अब मस्त था, झिझक की कोई बात थी हीं नही सो कहता गया, "जैसे किसी भी मस्त माल के साथ किया जाता है। अपने कड़क लन्ड को उसकी मस्त गुलाबी चूत में ठाँस कर उपर से जम कर धक्के लगाए दोस्त। वो भी क्या मस्त हो चुदाई यार। अभी भी लग रहा है कि लन्ड जल रहा है उसकी चूत की गर्मी से। पर अब तू परसों के लिए तैयार रह। तुझे एक लौन्डिया की सील तोड़नी है, वो भी सिर्फ़ दो घन्टे में।" वो अब भी बोला कि मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि सानिया अनछुई नहीं है। मैंने कहा-"ठीक है फ़िर तुम मेरे घर पर परसों रहना और मैं परसों दोपहर सानिया के साथ तेरे घर पर रहुँगा और उस दिन मैं उसकी तभी की पहनी हुई पैन्टी तुझे ला कर दुँगा, तब तो मानेगा? बिना धुली हुई पैन्टी देख कर। वैसे तु चाहे तो सानिया को बुला और पूछ ले, पर हो सकता है कि वो घबड़ा जाए। वि तो नहीं जानती न हमारे शर्त के बारे में और तुझसे काफ़ी पर्दा भी है उसका। परसों मैं उसको बता दुँगा कि तु भी जवान लड़की का रसिया है तो शायद फ़िर अगर तुम पुछो तो वो सच बोले। वैसे भी उसको सब बताना होगा, तभी तो तुम्हारे सामने वो चुदेगी।" और मैं हँसने लगा। जमील उलझन में था तो मैंने दुसरा पैग बना दिया
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01-13-2019, 11:11 PM,
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
. अगले दिन मैंने सानिया को सब बात बताई और वो काफ़ी खुश हुई। उसे इस बात की खुशी थी कि मैं उसको उसके अब्बू के सामने चोदुँगा। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके अब तक के स्ट्रीक्ट अब्बू सामने बैठ कर अपनी बेटी को चुदाते देखने को राजी हो जाएँगे। शायद इस kinky situation ने उसे और उत्तेजित कर दिया था। और फ़िर वो दिन आ गया जब जमील को मेरे घर उस कुँवारी लड़की को चोदने आना था। मैंने सुबह हीं फ़ोन करके उसको याद दिलाया। वो एक बजे आने को कहा तो मैंने भी सुरी को समय बता दिया। मैंने आज की छुट्टी ले ली थी। सुरी करीब साढ़े बारह में उस लड़की जुली को ले कर आया। जुली का रंग सच में कुछ ज्यादा हीं काला था। दुबली-पतली, छोटी सी लड़की थी वो, शायद ५ फ़ीट भी लम्बी नहीं थी। बदन भी बहुत भरा हुआ नहीं था, शायद दुबली होने की वजह से। एक लम्बे से प्रीन्टेड फ़्रौक पहन कर वो आयी थी और अपने उमर से कम दिख रही थी। चुचियों का उभार तो दिख रहा था पर अभी ब्रा बिना ही फ़्रौक पहने होने से खास पता नहीं चल रहा था। उसकी माँ भी साथ थी। करीब १७ साल की जुली देखने में १५ से कुछ ऊपर दिख रही थी। जुली की नाक बैठी हुई थी जिस वजह से उसका चेहरा भद्दा लगता था। मैंने सुरी को १५०००० दे दिये और पूछा, "कुँवारी हैं न, चेक कर लिए हो?" तो सुरी से पहले उसकी माँ बोली-"हाँ साहेब, १००%. आप भी तसल्ली कर लीजिए न।" इसके बाद उसने अपनी बेटी को कहा, "जुली, साहेब को पैन्ट खोल के दिखाओ"। जुली भी तुरन्त जमीन पर बैठ गयी और अपने पैन्टी या कहिए ब्लूमर को उतार कर अपने जाँघ खोल दिये। लौन्डिया का चेहरा जैसा हो, जवान बूर मस्त हीं होती है। उसके इस अंदाज के बाद मैं भी झुक कर उसके बूर की पुत्तियों को खोल कर भीतर की गुलाबी झिल्ली के दर्शन किए। काली-काली झाँटों से घिरी हुई काली-कलुटी बूर के भीतर का भाग एक्दम से लाल था और चमक रहा था। मेरे उठने के बाद जुली भी खड़ी हो गयी और कपड़े पहन लिए। सुरी ने उसकी माँ शायद १२००० दिए और दोनों साथ हीं चले गये। मैंने जुली को पानी पिलाया और बताया कि मेरा एक दोस्त अभी आयेगा, और वही उसको चोदेगा। फ़िर मैं उसके साथ इधर-उधर की बात करने लगा और तब तक जमील आ गया। जमील उस कमसीन कली सी जुली को देख मस्त हो गया। साले को अनुभव कम था, उसे तो वो कोई स्कूल-जाती बच्ची दिखी। मैंने अब जमील से कहा कि अब तुम इसके साथ मस्ती करो दो घन्टे ज्यादा से ज्यादा। मैं चला सानिया की गीली पैन्टी लाने। मैं भी दो घन्टे में आता हूँ, तब तक निबट लो। जमील फ़िर पेशोपेश में पड़ गया, "यार, क्या सच में सानिया के पास जा रहे हो?" मैंने पुरी बेहयाई से कहा, "हाँ दोस्त, अब जब तुम्हें पता है कि उसको लन्ड का स्वाद मिल चुका है तो क्यों परेशान हो? तुम अपना मजा लो और उसको अलग मजा लेने दो। मेरे साथ करेगी तो तुम्हें तसल्ली तो होगी कि वो सेफ़ है, वर्ना बाहर पता नहीं किस-किस से चुदा लेगी।" जमील बोला-"असल में यार, मुझे यह बात पच नहीं रही कि मेरी बेटी ऐसी है, खैर...अब वो जो करे।" मैं उसकी परेशानी समझ कर बोला-"अब भूल जाओ यह सब और इस लौन्डिया की सील तोड़ कर मजे करो। पुरा पैसा वसूल कर लेना। और सानिया ऐसी है कि कैसी है वो मैं अब जब आऊँगा तब बताऊँगा।" और मैं निकल गया। सानिया आज फ़िर दरवाज खोल कर मेरे से लिपट गयी। शुक्र है कि आज वो एक नाईटी पहन कर दरवाजा खोली थी।
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RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
मैंने उसे याद दिलाया कि आज वो एक पैन्टी पहन ले पहले फ़िर मेरा लन्ड चुसे ताकि अगर उसकी बूर गीली हो जाए तो उसका गीलापन उसकी पैन्टी में महसुस हो। उसने तुरंत नाईटी उपर करके मुझे दिखाया कि वो एक सेक्सी पैन्टी पहने हुए है। वो सफ़ेद रंग की एक छोटी से पैन्टी पहने हुए थी और शायद अपनी बूर से खेल-खेल कर उसको हल्का गीला भी कर चुकी थी। मैं यह सब देख मस्त हो गया। सानिया सच में अपने अब्बू के साथ के लिए सब करने को तैयार थी। मैंने आधे घंटे तक लगातार उसकी बूर चाटी और फ़िर उसको ऊँगली से खुब चोदा। उसकी बूर इतनी गीली कर दी की मुझे पानी उसके बूर के बाहरी होठों तक दिखने लगा और तब मैंने उसको पैन्टी पहना कर सामने से पैन्टी को साईड में करके चोदा ताकि जब मेरा लन्ड उसके बूर को मथे तो जो मक्खन-मलाई भीतर से निकल सब पैन्टी के सम्पर्क में जरुर आए। करीब सवा घंटे के खेल के बाद मैं और वो दोनों लगभग साथ-साथ झड़े। मैंने अपना माल उसकी मुँह में निकाला और वो हमेशा की तरह उसको निगल गयी। मैं उसकी उस गीली पैन्टी को उसके बदन से उतार कर एक पौलिथीन में डाल उसके घर से अपने घर की तरफ़ चल दिया। मैं जब घर पहुँचा तब जमील टीवी देख रहा था। मैंने उससे पूछा कि जुली किधर है तो उसने जवाब दिया कि बाथरुम में गयी है, सब साफ़ करने। वह मुस्कुरा रहा था। मैं समझ गया कि उसने जुली की सील तोड़ी है और खुश है। मैंने आगे पूछा-"माल कैसा था?" वो खुश हो कर बोला-"बहुत मस्त। बहुत मजा आया।" मैंने पूछा, "साली नखरे भी की थी क्या?" जमील बोला, "नहीं यार, ये तो जैसे बेचैन थी कि कोई उसकी सील तोड़े। मेरे से ज्यादा तो उसे हड़बड़ी थी। साली अपने हाथ से पकड़ कर लगा कर करायी मेरे से। खुब मजा आया। दर्द भी हँसते-हँसते सह गयी। सील टुटने के बाद खुद मुझे पीछे ढ़केल कर अपनी ऊँगली से खुद चेक भी की। इसके बाद एक बार धो कर आयी और तब जम के मजा दी। थैंक्स यार, तेरी वजह से यह सब मजा मिला।" मैंने उसके कंधे पर एक हल्का चपत लगाया, "जियो मेरे शेर, आज एक दम मस्त दिख रहे हो साले। उमर १० साल कम दिख रही है। अब भाभी जी से मिलोगे तो उसका क्या हाल करोगे, मुझे सब अब दिख रहा है।" अपनी बीवी की बात सुन कर जमील का चेहरा लाल हो गया। तभी जुली आ गयी, और मुझे देख कर मुस्कुराई। मैंने देखा कि उसके चेहरे पर कोई हिचक नहीं थी। मैंने उसको कहा-"क्यों मजा आया मेरे दोस्त के साथ?" जुली ने कहा-"हाँ, जैसा सोची थी उससे ज्यादा मजा लगा। दर्द तो हुआ पर मजा आया।" मैंने उसको कहा कि क्या वह अपना बूर एक बार और दिखाएगी, जैसे उसने पहले मुझे अपनी सील दिखाई थी। जुली तुरन्त वही जमीन पर बैठ गयी। वो अब बिना पैन्टी के ही थी। फ़िर से पहले की तरह ही अपने जाँघ खोल कर मुझे अपना बूर दिखाई, और मैंने भी उसकी बूर की पुत्ती खोल कर उसके बूर के भीतर की लाली देखी। चुदने के बाद उसकी बूर ज्यादा ही लाल दिख रही थी पर अब उसके बूर के भीतर की झिल्ली फ़टी हुई दिखी। हल्का-हल्का अवशेष उसका अभी भी था, जो शायद तीन-चार चुदाई के बाद पुरी तरह से गायब हो जाने वाला था। पर जुली लड़की से औरत बन कर बहुत खुश दिखी। मैंने उसको अपने ड्रावर से एक पैन्टी निकाल कर दी। सच तो यह है कि मैं घर पर ३०/७५ साईज से ३४/८५ साईज की दो-चार पैन्टी रखता था ऐसे मौके के लिए। आज कल जिस उमर की लड़कियों को मैं चोदता था, उनकी साईज इन्हीं में से कुछ होती थी। जुली तो नयी पैन्टी पा और खुश हो गयी। जामील यह सब देख बोला-"यार बाबू, तो तो साले घर पर पुरी तैयारी रखता है। कमाल है यार।" मैंने कहा-"साले जमील, एक बार अपने घर पर लड़की ला कर चोदना शुरु करो, तुम भी यह सब रखने लगोगे। वैसे तुम्हें बहुत परेशानी नहीं होगी, घर पर सानिया है हीं, उसकी पैन्टी काम आयेगी ऐसे समय में जब लड़की को पैन्टी की जरुरत पड़ेगी।" अब मुझे असल बात याद आयी। मैंने कहा-"हाँ, यह लो सानिया की पैन्टी।" और मैंने हाथ के पौलिथिन से सानिया की जो पैन्टी मैं लाया था निकाल कर जमील की तरफ़ उछाल दिया जिसे उसने कैच कर लिया। उसे मुठ्ठी में लेने के बाद बोला-"गीली है यार", तो मैंने कहा-"हाँ, जब मैंने सानिया को चोदा तब भी यही पैन्टी उसके बदन पर था। मैंने इसे एक साईड करके उसकी चूत चोदी और फ़िर उसकी पनिआई हुई चूत पे इसको खुब रगड़ा और इसे खुब गिला करके तेरे लिए लाया हूँ यार। एक बार सुँघ कर तो देख।" जमील हिचक रहा था। जुली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि हम क्या बात कर रहें हैं। मैंने फ़िर से जमील को कहा-"यार एक बार देख तो सुँघ कर, कैसी खुश्बू है सानिया के बूर की। अब मेरे से कैसी शर्म। तेरे लिए हीं लाया हूँ और मैंने उसके हाथ से पैन्टी ले कर खुद एक लम्बी साँस खीं कर उसको सुँघा। पैन्टी से अभी भी सानिया के बूर की खट्टी-कसैली बू आ रही थी!
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