RE: Chudai kahani एक मस्त लम्बी कहानी
अगले दो दिन बहुत मस्ती के बीते। दुसरे दिन रात को पहली बार जमील इस बात के लिए राजी हुआ कि हम सब एक हीं रुम में एक दुसरे की चुदाई करें, और इस तरह से पहली बार हमने ओर्जी का मजा लिया। तीसरे दिन सुबह को कौटेज का मैनेजर जब हम नाश्ता कर रहे थे तब आया और हम सब को विश किया। हमसे आराम और सुविधा के बारे में पूछा, और फ़िर उसने एक अजीब सी बात कही। उसने मेरी ओर देखते हुए कहा, "आपको याद है सर, जब आप आए थे तब मैंने आपको आपके पड़ोस में विदेशियों के रहने की बात कही थी। वो लोग आज जाने वाले थे, पर वो एक-दो दिन रुक सकते हैं, अगर आपकी हाँ हो तो। सर, इससे हमारा बिजीनेस बढ़ेगा और सर आप्लोग के कौटेज का किराया, इन दिनों का, हम आधा कर देंगे।" मैं तो रागिनी और सानिया की चुदाई में ऐसा मशगुल था कि मुझे कुछ याद हीं नहीं रहा था (वो दोनों माल भी इतनी जबर्दस्त है कि...)। मैं मैनेजर की बात समझा नहीं, मैंने पूछा, "पर उनके रुकने का हमसे क्या रिश्ता है?" अब मैनेजर बोला-"असल में सर वो आप लोग के बारे में पुछ रहे थे तो मैंने कह दिया कि सब लोग यहाँ मस्ती के लिए आएँ हैं। असल में वो लोग इस मैडम के साथ (उसने सानिया की तरफ़ ईशारा किया) एक दिन बिताना चाहते हैं, अच्छा पे करेंगे। आप अगर अलाउ करें तो..., मैं आप लोग के लिए यहाँ कि लोकल पहाड़ी लड़की अरेन्ज कर दुँगा।" मैं सब समझ गया। सानिया की आँखे इस नए प्रस्ताव पर चमक उठी। जमील अनईजी हो गया, और रागिनी चौंकी हुई सी दिख रहे थी। मैंने सानिया को देखा तो उसने ईशारे में मुझे आगे बात करने को कहा। मैंने पूछा-"कितना पे करेंगे? हमारा नुकसान तो न होगा?" जमील थोड़ा टोकना चाहता था पर सानिया ने उसका हाथ दबा दिया। वैसे भी यहां पर वो दोनों बाप-बेटी तो थे भी नहीं, और मैनेजर को यही पता था कि हम दो प्रौढ़ सुरी जैसे दलाल की इन दो कमसीन कौलगर्ल को यहाँ मस्ती के लिए लाएँ हैं।
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