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RE: Chudai Kahani लेडी डाक्टर
वो मुँह फाड़कर मुझे देखने लगी। उसकी आँखों में मुझे लाल लहरिये से दिखने लगे।
“तुम झूठ बोलते हो...”
“इसमें झूठ की क्या बात है...? ये कोई अनहोनी बात है क्या?”
“मुझे यकीन नहीं होता कि कोई आदमी इतनी देर तक...”
“आपको मेरी किसी भी बात पर यकीन नहीं आ रहा है... मुझे बहुत अफसोस है इस बात का...” मैंने गमगीन लहज़े में कहा। फिर कुछ सोच कर मैंने कहा... “आपके हसबैंड कितनी देर तक सैक्स करते हैं?”
उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया और वो कुछ ना बोली... मैंने फिर पूछा तो वो बोली... “बस तीन-चार मिनट!”
“क्या?????” अब हैरत करने की बारी मेरी थी जोकि असलियत में नाटक ही था।
“इसीलिये तो कह रही हूँ...” वो बोली, “कि तुम आधे घंटे तक कैसे टिक सकते हो? और मास्टरबेट.. एक घंटे तक???”
फिर थोड़ी देर खामोशी रही और वो बोली... “मुझे तुम्हारी किसी बात पर यकीन नहीं है... ना ग्यारह इंच वाली बात... और ना ही एक घंटे... आधे घंटे वाली बात...”
मैं बोला... “तो आप ही बताइये कि मैं कैसे आपको यकीन दिलाऊँ?”
वो चुप रही। मैं उसे एकटक देखता रहा। फिर वो अजीब सी नज़रों से मुझे देखती हुई बोली... “मैं देखना चाहती हूँ...”
मैंने पूछा... “क्या... क्या देखना चाहती हैं?”
वो धीरे से बोली... “मैं देखना चाहती हूँ कि क्या वाकय तुम्हारा पेनिस ग्यारह इंच का है... बस ऐसे ही... अपनी क्यूरियोसिटी को मिटाने के लिये...”
मुझे तो मानो दिल की मुराद मिल गयी... मैंने कहा... “तो... उतारूँ पैंट...?”
वो जल्दी से बोली... “नहीं... नहीं... यहाँ नहीं... कंपाऊंडर है और शायद कोई पेशेंट भी आ गया है...”
“फिर कहाँ?” मैंने पूछा।
“तुमने कहा था कि तुम्हारी आंटी घर पर नहीं है... तो... क्या मैं...?”
“हाँ हाँ... क्यों नहीं...” मैं अपनी खुशी को दबाते हुए बोला। “तो कब?”
RohitKapoorPro MemberPosts: 129Joined: 22 Oct 2014 22:33
Re: लेडी डाक्टर (लेखक: गुलशन खत्री)
Post by RohitKapoor » 22 Sep 2015 06:09
“बस क्लिनिक बंद करके आती हूँ...”
“मैं बाहर आपका इंतज़ार करता हूँ...” मैंने कंपकंपाती हुई आवाज़ में कहा और क्लिनिक से बाहर आ गया। फौरन अपनी दुकान पर पहुँच कर मैंने नौकर से कहा कि वो लंच के लिये दुकान बंद कर दे और दो घंटे बाद खोले और मैं क्लिनिक और दुकान से कुछ दूर जा कर खड़ा हो गया। मेरी नज़रें क्लिनिक के दरवाजे पर थीं।
आखिरी पेशेंट को निपटा कर डॉक्टर ज़ुबैदा बाहर निकली। कंपाऊंडर को कुछ निर्देश दिये और दायें-बायें देखने लगी। फिर उसकी नज़र मुझ पर पड़ी। नज़रें मिलते ही मैं दूसरी तरफ देखने लगा। उसने भी यहाँ-वहाँ देखा और फिर मेरी तरफ आने लगी। जब वो मेरे करीब आयी तो मैं बिना उसकी तरफ देखे आगे बढ़ा। वो मेरे पीछे-पीछे चलने लगी।
जब मैं अपने फ्लैट का दरवाजा खोल रहा था तो मुझे अपने पीछे सैंडलों की खटखटाहट सुनायी दी। मुड़ कर देखा तो डॉक्टर ही थी। जल्दी से दरवाज़ा खोल कर मैं अंदर आया। वो भी झट से अंदर घुस गयी। मैंने सुकून की साँस ली और डॉक्टर की तरफ देखा। मुझे उसके चेहरे पर थोड़ी सी घबड़ाहट नज़र आयी। वो किसी डरे हुए कबूतर की तरह यहाँ-वहाँ देख रही थी।
मैंने उसे सोफ़े की तरफ बैठने का इशारा किया। वो झिझकते हुए बोली... “देखो, मुझे अब ऐसा लग रहा है कि मुझे यहाँ इस तरह नहीं आना चाहिये था... पता नहीं, किस जज़्बात में बह कर आ गयी।”
मैंने कहा, “अब आ गयी हो... तो बैठो... जल्दी से चेक-अप कर लो और चली जाओ।”
“हाँ... हाँ...” उसने कहा और सोफे पर बैठ गयी।
मैंने दरवाजा बंद कर लिया और सोचने लगा कि अब क्या करना चाहिये। वो भी मुझे देखने लगी।
“कुछ पीते हैं...” मैंने कहा और इससे पहले कि वो कुछ कहती, मैं किचन की तरफ बढ़ा।
मैंने सॉफ्ट ड्रिंक की बोतल फ्रिज से निकाली और फिर ड्रॉइंग रूम में पहुँच गया।
वो बोली.... “कुछ बियर वगैरह नहीं है?"
ये सुनकर तो मैं इतना खुश हुआ कि क्या बताऊँ। जल्दी से किचन में जा कर फ्रिज से हेवर्ड फाइव-थाऊसैंड बियर की बोतल निकाल कर खोली और साथ में गिलास ले कर बाहर आया और फिर गिलास में बियर भर के उसे दी।|
अचानक उसकी नज़र सामने टीपॉय पर पढ़ी एक किताब पर पड़ी, जिसके कवर पेज पर एक नंगी लड़की की तस्वीर थी। मैंने कहा, “मैं अभी आता हूँ...” और फिर से किचन की तरफ चला गया। किचन की दीवार की आड़ से मैंने चुपके से देखा तो मेरा अंदाज़ा सही निकला। वो किताब उसके हाथ में थी। किताब के अंदर नंगी औरतों और मर्दों की चुदाई की तस्वीरें देख कर उसके माथे पर पसीना आ गया। ये बहुत ही बढ़िया किताब थी। चुदाई के इतने क्लासिकल फोटो थे उसमें कि अच्छे-अच्छों का लंड खड़ा हो जाये और औरत देख ले तो उसकी सोई चूत जाग उठे। मैंने देखा कि बियर पीते हुए वो पन्ने पलटते हुए बड़े ध्यान से तस्वीरें देख रही थी। उसके गालों पर भी लाली छा गयी थी।
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