RE: Chudai Kahani सपनों के रंग मस्ती संग
हमेशा से हम दोनों साथ में ही खेलते थे, साथ में स्कूल जाते थे और साथ में ही रहते थे पूरा दिन ..
उसके माता-पिता भी नौकरी करते थे ..
वो हमारे कॉलेज की “सबसे खूबसूरत लड़की” थी ..
बहुत सारे लड़के, उसके पीछे थे ..
पर, वो किसी भी लड़के को भाव नहीं देती थी ..
वो मुझसे 2 साल बड़ी थी और हमारे ही कॉलेज में थी ..
उसके माता पिता भी बहुत ही रिज़र्व्ड थे और उसके ऊपर बहुत ज़्यादा पाबंदियाँ थीं ..
कोई भी लड़का, उसके घर नहीं आ सकता था (मेरे अलावा) ..
हम दोनों के परिवार में बहुत अच्छे तालुकात थे और हम दोनों भी बेस्ट फ्रेंड्स थे ..
हम दोनों इतने करीब थे की हम हर कभी सेक्स की बातें करते थे और तो और हमने एक दूसरे को लगभग पूरा नंगा देखा था, जैसे उसने मुझे चड्डी में और मैंने उसे ब्रा और पैंटी में ..
पर मालूम नहीं क्यूँ उस रात से पहले कभी भी हमारे बीच, ऐसी कोई भावना नहीं आई ..
जनवरी के महीने की बात है ..
उसकी परीक्षा चल रही थी ..
उसके माता पिता को एक रिश्तेदार की शादी, अटेंड करने जाना था ..
तो शाम को लगभग 8 बजे, उसकी मम्मी मेरे घर आई और मेरी मम्मी से बोली – कांता, घर में अकेली है … कल उसका एग्ज़ॅम है और हम लोगों को बेहद ज़रूरी शादी अटेंड करने जाना है … वो पढ़ाई कर रही है इसीलिए जा नहीं सकती, हमारे साथ … आप विजय को हमारे घर भेज दो, उसके साथ बैठने के लिए … हम लोग 11 – 12 बजे तक, वापिस आ जाएँगे …
मेरी मां ने कुछ नहीं बोला और आसानी से मान गई क्यूंकी यह पहली बार नहीं था की हम दोनों ऐसे अकेले बैठ रहे थे ..
जब भी मेरे घर से कोई जाता था तो वो मेरे घर आ जाती थी और उसके घर से कोई जाता था तो मैं उसके घर चला जाता था ..
फिर, मैं उसके घर चला गया ..
आंटी ने बोला – बेटा, डिनर बना के रख दिया है ..
मेरे पसंदीदा “राजमा चावल” थे ..
कुछ टाइम बाद आंटी, अंकल और उनकी छोटी बेटी शादी में चले गये ..
मैं और कांता, लिविंग रूम में बैठे थे ..
मैंने कांता से पूछा – कल, कौन सी परीक्षा है … ??
उसने बोला – इंग्लीश की …
कांता ने उस टाइम जीन्स और टॉप पहन रखा था क्यूंकी थोड़ी देर पहले ही वो ट्यूशन से आई थी और कपड़े चेंज नहीं किए थे, अभी ..
कांता हमेशा घर में, टॉप और शॉर्ट्स पहन के रहती थी ..
थोड़ी देर, हम दोनों ऐसे ही बैठे थे ..
मेरा मन टीवी देखने का हो रहा था पर कांता पढ़ाई कर रही थी इसीलिए मैंने टीवी चालू नहीं किया और मैं वहाँ पड़ी कॉमिक्स पड़ने लगा ..
थोडा समय, ऐसे ही निकल गया ..
लगभग 9 बजे के आस पास, मेरी माँ आई वहाँ पर और पूछा – क्या कर रहे हो… ?? खाना लगा दूं क्या, अगर भूख लगी हो तो… ??
कांता ने मुझसे पूछा – भूख लगी है क्या … ??
मैंने बोला – नहीं … अभी तो नहीं …
तो कांता ने मेरी माँ को बोला – आंटी, अभी भूख नहीं है हमें … आप चिंता मत करो … भूख लगेगी तो हम खुद ही ले कर खा लेंगे … खाना तो बना हुआ ही है …
फिर, मेरी मम्मी चली गई ..
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