06-07-2017, 11:46 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
मुझे मेरे सपनो की दुनिया से अकरम के डॅड की आवाज़ ने निकाला....
वसीम- चलो सब रेडी है ना...
अकरम- यस डॅड...ऑल सेट...
वसीम- ह्म..तो अपना सामान बाहर खड़ी बस मे रखवा दो...
वसीम के कहते ही सब खुस्फुसाने लगे...क्योकि अभी तक हम सब यही सोच रहे थे कि हम कार्स से जाने वाले है...
अकरम- बट डॅड..बस से क्यों...कार से चलते ना..
वसीम- देखो बेटा...बस मे सब साथ मे रहेगे...और फिर सफ़र लंबा भी तो है...
अकरम- लंबा...6-7 घंटे का तो है डॅड...
वसीम- अरे नही...हम दूसरी जगह जा रहे है...मेरे पुस्तैनि गाओं मे...और वो यहाँ से 19-20 घंटे का रास्ता है...
वसीम की बात सुन कर मुझे झटका लगा ..क्योकि अकरम ने मुझे पास वाले गाओं का बोला था...
मैं- क्या...इतनी दूर...पर अकरम तूने तो कहा था...कि...
अकरम(बीच मे )- सॉरी यार..मुझे भी कहाँ पता था...
वसीम- अरे बेटा...टेन्षन क्यो ले रहे हो...ये भी ज़्यादा दूर नही ...और ये गाओं तुम्हे पसंद भी आएगा...
ज़िया- हाँ यार...टेन्षन छोड़ो...और मज़े करने को तैयार हो जाओ...हहहे...
रिया का मतलब मेरे अलावा कोई नही समझा और मैने भी मुस्कुरा कर हाँ बोल दिया...मेरे हाँ बोलते ही संजू और पूनम ने भी हाँ कर दी....
फिर क्या था...सबने सामान रखवाया...और बस मे सवार होने लगे...
हमारे साथ 1 ड्राइवर और एक नौकरानी भी जा रही थी...
हमे निकलते हुए दोपहर हो चुकी थी...और रास्ता 20 घंटे का था....तो ये तय हुआ कि रात मे कहीं स्टे करेंगे...जिससे सफ़र मे थकान कम होगी....
सब लोग बस मे चढ़ने लगे...तभी मैने अकरम और संजू को अपने पास बुलाया...
मैं- कमीनो...अपना सामान रख लिया कि नही...
अकरम- हाँ साले...सब सेट है...तू चल तो सही...
बस बहुत ही बड़ी थी...और जैसे ही मैं बस मे चढ़ा तो देखा कि ये एक लग्षुरी बस थी...
बस को इस तरह डिज़ाइन किया गया था कि जिसमे सफ़र आरामदायक हो और लोगो की प्राईवेसी भी बनी रहे...
बस मे छोटे-2 कॅबिन बनाए गये थे...हर कॅबिन मे 2 बड़ी शीट्स थी जो आमने-सामने बैठने के लिए...और उन्हे फोल्ड करने पर वो बेड का काम करती थी...
ऐसे ही बस मे 6 कॅबिन थे...3 -3 दोनो तरफ....और कॅबिन्स के उपेर भी सोने का इंतज़ाम था.( लाइक स्लिपर )
उसके अलावा ड्राइवर के साइड मे एक लोंग शीट थी...और कॅबिन्स के आगे दोनो तरफ 2-2 शीट थी...उसके बाद कॅबिन थे...
पूनम , जूही, मोहिनी और रूही एक तरफ की शीट्स पर बैठ गई...
दूसरी तरफ की शीट्स पर गुल ,शादिया, मोना और सबनम ने क़ब्ज़ा कर लिया....
अब बच गया मैं, और ज़िया , अकरम और संजू...और वो नौकरानी...
मैं कुछ सोचता उसके पहले ही ज़िया मुझे ले कर एक कॅबिन मे चली आई...और अकरम और संजू दूसरे कॅबिन मे पहुच गये...
मैं- ज़िया..यहाँ क्यो लाई...
ज़िया- अरे यार नये - नये बाय्फ्रेंड बने हो...थोड़ा अकेले मे टाइम स्पेंड तो कर लो....
मैं- ओके...बट अभी तो सफ़र शुरू हुआ है...आराम से करेंगे ना...
ज़िया- आगे का किसे पता...कौन किसे पकड़ ले..हाँ...
मैं - मतलब...
ज़िया- मुझे सब पता है...सबको घूर के देख रहे थे ना...सबको सेट करने का इरादा है क्या...
मैं सोचने लगा कि ज़िया तो बहुत ही ओपन है...खुद ही अपनी माँ-बेहन के बारे मे ऐसी बात कर रही है...तो मैं क्यो पीछे रहूं....
मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..अभी तो सिर्फ़ अपनी न्यू गर्लफ्रेंड के मज़े लेना है..बाकी को बाद मे देखेंगे...
फिर मैने ज़िया को किस करने के लिए उसे आगे खीचा कि तभी जूही की आवाज़ आई..
जूही- अरे अंकित...यहाँ आओ ना..कहाँ छिप कर बैठ गये...
ज़िया- उफ़फ्फ़ हो...ये जूही की बच्ची...चलो ..नही तो वो यही आ जायगी..
मैं- गुस्सा नही यार...बहुत टाइम है अभी...आओ चले...
फिर हम दोनो बाहर आ कर बैठ गये...
सब लोग 2 की शीट पर 3 को अड्जस्ट कर के बैठे थे...
मैं- हाँ तो...अब क्या करना है...
जूही- अंताक्षरी खेलते है...( इंडिया मे सफ़र के दौरान खेला जाने वाला फेमस गेम)
मैं- ओके...
फिर हम थोड़ी देर तक अंताक्षरी खेलते रहे...पर 1 घंटे मे ही सबको आलस आने लगा और सब धीरे-धीरे कॅबिन मे सोने जाने लगे....
शादिया, सबनम और मोना 1 कॅबिन मे...
जूही, पूनम, मोहिनी और रूही एक कॅबिन मे...
ज़िया , गुल और नौकरानी एक कॅबिन मे...और हम तीनो लड़के एक कॅबिन मे....
इस तरह हम सब तीन कॅबिन मे फिट हो गये....सरद और वसीम अभी भी ड्राइवर के साथ वाली शीट पर थे...रास्ता बताने के लिए...
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06-07-2017, 11:47 AM,
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RE: चूतो का समुंदर
मैने ज़िया की गान्ड को थपथपाते हुए फुल स्पीड मे चोदना शुरू किया ओर ज़िया ज़ोर-ज़ोर से आवाज़े निकालने लगी ऑर चुदाई का रंग चरम पर पहुच गये…
ज़िया-आअहह…आअहह…ऊररर…तीएजज,,,,आहह,,,,,,आअन्न्ंदडाा ….ताअक्कक….म्म्मा आ….उूउउफ़फ्फ़…म्म्माप….फ़फफादद्ड़..दद्दूव…आअहह...उूउउफ़फ्फ़..म्म्मा......आाऐययईई.....म्म्माहआ...आअहह
मैं- आहह..ईएहह….एस्स..एस्स….ये..ले…...
ज़िया- आअहह…आअहह…ऊररर…तीएजज,,,,आहह,,,,,,आअन्न्ंदडाा ….ताअक्कक….म्म्माहआ….उूउउफ़फ्फ़…माआ…म्माईिईन्न्न…..म्म्माअ…आआईइ……आअहह…ऊओह
मैं- साली.... ओर तेजज्ज़ डालु..
ज़िया-आअहह….दददााालल्ल्ल्ल्ल्ल…द्ददी…..आआअहह…फासस्थटत्त…आअहह
..यस…यस..एस…आअहह....तीएजज्ज़....ऊओरर..त्त्टीज्जज....आहह...उउफफफ्फ़...आआहह
मैं-यस बेबी..ये ले..…ये ले
मैने तेज़ी से ज़िया की चुदाई कर रहा था ऑर ज़िया की गान्ड पर मेरी जाघे इतनी तेज़ी से टकराने लगी कि उसकी गान्ड लाल पड़ने लगी …..15-20 मिनिट की चुदाई से ज़िया फिर से झड़ने लगी ओर उसकी सिसकारिया तेज होने लगी....
ज़िया-आअहह…आहह…हहा…ऐसे ही करो..आहह…..आहहह…अहहह..यईएसस..सहहाः…ज्जॉर्र्र..ससी..आहहह....फ़फफात्तत्त…..प्प्पाट्त्ट…आहः..उउंम…हहूऊ…
आअहह.ययईएसस…आऐईइईसीएहहीी…ययईसस…ज्जूओर्रर…ससीए…..तीज़्ज़ज्ज…हहाअ…उउउफफफ्फ़...
.यसस्सस्स…आअहह…आअहह…ययईईसस्स….ऊऊहह…आअहह
मैं-यस बेबी यस
ज़िया- अहः..उउंम…हहूऊ…आअहह.ययईएसस…आऐईइईसीए हहीी…ययईसस…ज्जूओर्रर…ससीए…..एसस्सस्स…आअहह…फफफफफफुऊफ़ुऊूक्कककककक…म्माईिईन्न्न,….आआईयइयाय …आअहहहह…ऊओ…म्मा….ऊहह…ऊहह..ऊहह
ऐसे चिल्लाते हुए ज़िया झड़ने लगी ऑर उसका चूत रस मेरे लंड से होते हुए निकल कर फुकछ-फुकछ की आवाज़े करने लगा…
मैं भी झड़ने ही वाला था तो मैने कहा…
मैं- मैं भी आ रहा हूँ…यही डाल दूं......
ज़िया- डाल दो...आअहह...
मैं- तो लो...यीहह...यीहह......एस्स बेबी...उउंम...यईहह..
मैने ज़िया की चूत लंड रस से भर दी और फिर हम लेट कर गले लग गये और किस करने लगे...
थोड़ी देर बाद हम नॉर्मल हुए तो हम ने कंबल ओढ़ा और बाते करने लगे...
मैं- तुम इतनी वाइल्ड चुदाई पसंद करती हो....??
ज़िया- ह्म्म..इसमे मज़ा बढ़ जाता है...और तुमने तो बहुत मज़ा दिया...
मैं- ह्म..बट सॉरी...इतना दर्द दिया ...सॉरी दीदी...
ज़िया- ना...दीदी नही...कुतिया बोलो...हहहे...
मैं- हाहाहा...ओके..तो मेरी कुतिया...मज़ा आया ना...
ज़िया- ह्म..बहुत..अब थोड़ा रेस्ट कर लेते है...फिर रात मे जहा स्टे करेंगे..वहाँ देखेंगे...ओके...वैसे तुम्हे मज़ा आया ना...सच बोलो..
मैं- सच....बहुत मज़ा आया...
फिर हम कंबल के अंदर पूरे नंगे एक-दूसरे से चिपक कर लेट गये...
और बाहर हमारी चुदाई देख कर एक शक्स अपने आप से बोला...... "सच मे ..मज़ा तो मुझे भी बहुत आया...."
थोड़ी देर रेस्ट करते हुए..मैं हल्का सा नीद की आगोश मे चला गया....
थोड़ी देर बाद मुझे अकरम की आवाज़ आई...
अकरम- उठ अंकित....उठ भी जा साले.....
मैने आँख खोली तो अकरम मुझे हिला रहा था...और तभी मुझे अहसास हुआ कि बस रुकी हुई है....
मैं- उउउंम....क्या है बे...
अकरम- उठ साले....हम रात यही रुकेगे...आराम से सो लेना...अभी नीचे चल...
मैं- ह्म्म...चलता हूँ...
तभी मुझे याद आया कि मैं कंबल मे पूरा नंगा लेटा हूँ...थॅंक गॉड मैं कंबल से निकला नही....
मैं- तू चल ना...आता हूँ...
अकरम- ह्म्म..आजा जल्दी...
अकरम नीचे निकल गया और मैं रिलॅक्स हो गया ...नही तो अकरम को क्या समझाता कि मैं नंगा क्यो लेटा हूँ...
मैने जल्दी से अपने कपड़े पहने और फिर ज़िया के बारे मे सोचने लगा कि वो कब उठ गई और कपड़े पहन के निकल भी गई...
मुझे ज़िया पर गुस्सा आ रहा था...कम से कम जगा कर तो जा सकती थी...
मैं गुस्से मे नीचे उतरा तो पता चला कि हम एक गाओं मे किसी बड़ी हवेली के सामने खड़े थे...
सब लोग अभी भी बाहर खड़े हुए थे...फिर मैने ज़िया को देखा तो उसने मुझे देख कर स्माइल कर दी और उसकी स्माइल ने मेरा गुस्सा और बढ़ा दिया...
पर इस वक़्त उससे बात करना मुश्किल था....फिर मैने सोचा कि इसे तो बाद मे देखगे...पहले इस जगह का तो पता करूँ...
मैं- अकरम...हम कहाँ है अभी ...
वसीम(बीच मे)- बेटा ये हमारे दोस्त की हवेली है...वो इसी गाओं का है...
मैं- पर हम यहाँ क्यो रुके अंकल...आइ मीन किसी होटेल मे रुक सकते थे...
वसीम- बेटा...होटल मे रूम्स मिलने मे प्राब्लम होती और फिर होटेल के लिए आगे सहर जाना पड़ता जो काफ़ी दूर है...रात हो रही थी तो यही रुक गये...
सरद- डोंट वरी बेटा..ये हवेली होटेल से कम नही...तुम्हे कोई प्राब्लम नही होगी..
मैं- अरे..ऐसा कोई मतलब नही था मेरा...मैं तो बस पूछ रहा था ..
वसीम- ओके...अब सब अंदर चलो...नोकर हमारा सामान ले आएँगे....
फिर हम सब हवेली मे चले गये...अंदर आते ही मैने देखा कि ये हवेली वाकई लाजवाब है...
सुख-सूबिधा के सारे सामान मौजूद थे....रात बिताने के लिए होटेल से अच्छी ही थी...
हम सब हॉल मे जमा हो गये...तभी मेरे आदमी का कॉल आ गया....मैं उठ कर थोड़ा दूर आया और कॉल पिक की...
( कॉल पर )
मैं- हाँ..क्या हुआ...??
स- अभी कहाँ हो तुम...??
मैं- मैं तो एक गाओं मे हूँ...असल मे हम अकरम की फॅमिली के साथ **** गाओं जा रहे है...क्यो क्या हुआ...
स- ह्म्म...तो कौन - कौन है तुम्हारे साथ...???
मैं- मेरे साथ...(मैने सबके बारे मे बता दिया)
स- ह्म्म...तो थोड़ा साबधान रहना...
मैं(चौंक कर)- साबधान...किससे...
स- अरे अपने दुश्मनो से और किससे...
मैं- पर यहाँ कौन है मेरा दुश्मन....और जो मेरे दुश्मन है...उन्हे क्या पता कि मैं कहाँ हूँ...
स- तुम भी ना....जब संजू और पूनम तुम्हारे साथ है तो फिर...
मैं(बीच मे)- ह्म्म...पता था मुझे...वही से कुछ बात लीक हुई होगी...बट डोंट वरी...हम उस जगह नही जा रहे जिस जगह डिसाइड हुआ था...
स- मतलब...
मैं- सुनो(और मैने प्लान चेंज का पूरा मामला बता दिया)
स- ह्म्म...इसमे तुम्हे कुछ अजीब नही लगा...
मैं- हाँ..लगा था...अब मेरी बात ध्यान से सुनो...$$$$$%$%%%$$$
स- ह्म्म्न..थोड़ा टाइम दो...सब पता करता हूँ....
मैं- ओके..और हाँ..वो दोनो कैसे है...
स- मस्त है यार....
मैं- ओके..और बहादुर ने कुछ बोला...
स- नही..वो सिर्फ़ तुम्हारे डॅड से ही बात करेगा...
मैं- ओके..नज़र रखना...और हाँ कामिनी के उपेर भी...
स- उसकी टेन्षन मत लो...वो खुद मुझे सब बतायेगी....डोंट वरी...
मैं- गुड..चलो..बाइ...पहुच के बात करूगा...
स- ओके..बाइ...
फिर मैं फ़ोन कट कर के सबके साथ बैठ गया...तभी चाइ आ गई और चाइ पी कर वसीम ने सबको उनके रूम्स बता दिए...
नीचे 4 रूम थे...1 मे वसीम और उसकी बीवी...2 मे सरद और उसकी बीवी...3 मे मोहिनी , पूनम और जूही...4 मे शादिया अकेली ....
बाकी उपेर के 4 रूम्स मे से 1 मे अकरम, मैं और संजू चले गये...2 मे ज़िया, रूही और गुल...और 3 मे नौकरानी जो हमारे साथ आई थी...
ड्राइवर बस मे ही सोने वाला था....
हम अपने रूम मे आए और फ्रेश होकर डिन्नर करने गये और फिर अपने-2 रूम मे सोने आ गये...
अपने रूम मे आते ही हम तीनो फरन्डस ने दो-दो पेग लगाए और रेस्ट करने लगे...
थोड़ी देर बाद अकरम और संजू सोने लगे...क्योकि वो दोनो पूरे सफ़र मे जागते ही रहे थे...
तभी मुझे अपने आदमी की बात याद आई....कि अपने दुश्मनो से साबधान रहना...
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