Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-10-2017, 09:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे बने एक बॅंक मे.....





मैं- क्या मतलब कि पैसे नही मिल सकते...क्या मेरे अकाउंट मे पैसे नही है....



एंप्लायी- है सर...बहुत है...पर आप पैसे निकाल नही सकते....



मैं- पर क्यो....वही तो पूछा मैने...जब पैसे है तो निकाल क्यो नही सकता...



एंप्लायी- क्योकि ये जॉइंट अकाउंट है...मिस्टर.आकाश मल्होत्रा के साथ...



मैं- जानता हूँ..वो मेरे डॅड है....और जॉइंट अकाउंट मे मेरा नाम है ना...तो मैं क्यो नही निकाल सकता...



एंप्लायी- आप निकाल सकते है...पर अभी नही....अभी इस अकाउंट से एक भी पैसा नही निकल सकता....



मैं- पर क्यो...उसकी कोई वजह तो होगी....



एंप्लायी- वजह है आपके डॅड की पार्ट्नरशिप ...और उस पार्ट्नरशिप का अग्रीमेंट....



मैं- क्या मतलब...मैं कुछ समझा नही...आप ज़रा डीटेल मे बतायगे....



एंप्लायी- जी सर...सुनिए....



मिस्टर.आकाश , मिस्टर.वर्मा और मिस्टर.सक्षेना पार्ट्नर्स है ...उनके अग्रीमेंट के हिसाब से अगर कोई भी पार्ट्नर ये पार्ट्नरशिप ख़त्म करने के लिए अप्लाइ करेगा तो फिर जब तक वो अप्लिकेशन या तो वापिस नही होती या फिर पार्ट्नरशिप टूट ती नही...तब तक कोई भी पार्ट्नर अपने अकाउंट से पैसे नही ले सकता...



उन तीनो ने जो अकाउंट दिए थे...ये उनमे से एक है...इसलिए पैसे नही निकाल सकते...



मैं- क्या बकवास है. .ये कहाँ का रूल है...



एंप्लायी- ये अग्रीमेंट इन तीनो ने बनवाया तो इन पर ये रूल लागू होता है...



मैं- ओके...पर ये अप्लिकेशन दी किसने...



एंप्लायी- मिस्टर.वर्मा ने...



मैं(दाँत पीस कर)- वर्मा....आइ न्यू इट...साला कमीना...



एंप्लायी- सॉरी सर....वी कॅंट डू तीस ..



मैं- ओके...गो टू हेल...



और मैं वहाँ से गुस्से मे निकल आया और डॅड को कॉल किया...



मैने जब डॅड से पूछा तो उन्होने भी वही बात बोली...मतलब ये था कि अब मैं पैसे नही निकाल सकता....



मैं- साला...आज मुझे दुख हो रहा कि मैने सेप्रेट अकाउंट क्यो नही खोला...डॅड ने कितनी बार कहा...पर मैं ही...हॅट्ट्ट...



अब मैं सोनू को क्या मुँह दिखाउन्गा....कहाँ से पैसे लाउन्गा....सोनम का ट्रीटमेंट कैसे होगा....ओह गॉड...ये क्या मुसीबत दे दी...पैसा होते हुए भी यूज़ नही कर सकता...हाटत्त ...



काफ़ी देर तक सोचने के बाद मुझे एक ही उपाए समझ आया...कि मैं वर्मा से मिल कर उसे अप्लिकेशन वापिस लेने को कहूँ...बस कुछ दिन के लिए...जितना उसने मुझे टाइम दिया था...तब तक मेरा काम भी हो जायगा...



यही सोच कर मैं वर्मा के ऑफीस निकल गया...कुछ देर बाद मैं वर्मा के कॅबिन मे उसके सामने खड़ा था....



वर्मा- तो ये बात है...पर मैं अप्लिकेशन वापिस क्यो लूँ...मेरा क्या फ़ायदा...ह्म..



वर्मा ने एक ड्रिंक का सीप मारते हुए बोला ...जब मैने उसे बॅंक की कंडीशन याद दिलाई...



मैं- फ़ायदा...फ़ायदा तो नही...पर नुकसान भी नही...



वर्मा- वही तो...तो मैं तेरी बात किस लिए मानु...



मैं- तुमने मुझे 15 दिन का टाइम दिया था ना...तो 15 दिन तक ये सब मत करो...फिर कर लेना...



वर्मा(मुस्कुरा कर)- 15 दिन तो तुझे सोचने को दिए थे कि तू ऐसे ही पैसे देगा या मैं कोर्ट मे जाउ.....समझे...



मैं- ह्म्म..पर मुझे पैसो की ज़रूरत है...और वो पैसे तो मेरे है....इसलिए वो अप्लिकेशन वापिस ले लो...



वर्मा(पेग गटक कर)- ज़रूरत...ह्म्म..पैसा चीज़ ही ऐसी है...पर मैं तेरी हेल्प क्यो करूँ...



मैं- हेल्प नही...मैं सिर्फ़ वेट करने का बोल रहा हू...कुछ दिन बस...



वर्मा(दूसरा पेग बना कर)- ओके...मैं तेरी बात मानुगा...पर एक शर्त पर...



मैं- कौन सी शर्त...



वर्मा(एक साँस मे पेग गटक कर)- तू बस अपने घुटनो पर बैठ कर मुझ से मदद की भीख माग ले...हाहाहा...



मैं(गुस्से से चिल्ला कर)- वर्मा...अपनी औकात मत भूल....



वर्मा- हाहाहा...मेरी औकात क्या है...ये मत समझा...या तो भीक माग या दफ़ा हो जा यहा से....



मैं- जाता हूँ...पर एक बात सुन ले...अब तक मैं सिर्फ़ तुझे सबक सीखना चाहता था..पर अब मैं तेरी जिंदगी नरक से बदतर कर दूँगा...याद रखना...



वर्मा(गुस्से से)- चल जा यहा से...



मैं(गुस्से से)- याद रखना....2 दिन..और तू ख़तम....





और मैं वहाँ से गुस्से मे निकल आया और कार दौड़ा दी...



मैं(कार मे)- इसकी माँ की...मुझसे भीक मँगवाएगा....अब बताता हूँ साले को...इसको जीते जी नरक मे ना पहुँचाया तो मेरा नाम भी अंकित नही...



तभी मेरा फ़ोन बज उठा और मैने नंबर देख कर अपना गुस्सा काबू किया और फ़ोन पर बात की...



मैं- ओके...मैं अभी आया...



फिर मैं बस स्टॅंड पहुँचा और फिर उससे मिला जिसको लेने मैं यहाँ आया था ...



मैं- ह्म्म..अब देखना...आपके आ जाने से मेरा प्लान किस तरह कामयाब होगा....बस मज़ा आ जायगा....चलिए....



मैने अपने गेस्ट को एक सुरक्षित जगह पर ठहराया और वहाँ से निकल गया....



जब मैं कार मे था तो मेरा फ़ोन बज उठा...ये रक्षा का नंबर. था जो सुबह से कॉल पर कॉल किए जा रही थी....



( कॉल पर )



मैं- हाँ बेटा...बोलो ..



रक्षा(गुस्से मे) - क्या बोलूं...आपको इतना भी टाइम नही कि मुझसे बात कर ले...अरे कम से कम कॉल तो ले ले...हाँ....



मैं- अरे यार...गुस्सा क्यो होती हो...बिज़ी था...



रक्षा- वाह...मुझे उस कुत्ते के सामने भेज दिया और खुद बिज़ी हो गये...एक बार ये भी नही सोचा कि इस छोटी सी जान की क्या हालत हुई होगी...हाँ...



मैं- नही...क्योकि मैं अपनी रक्षा को जानता हूँ...तू बडो-बडो को पानी पिला दे...फिर वो मामूली कुत्ता तेरा क्या बिगाड़ सकता था...



रक्षा- ओह हो...तो आप इतना कुछ जानते है मेरे बारे मे...



मैं- ह्म्म...अच्छा ये बताओ कि वजह हुआ क्या...



रक्षा- अरे मेरे भोले भैया...इतने मासूम मत बनो...आपको तो अब तक पता चल ही गया होगा कि रफ़्तार को पोलीस ले गई...



मैं(हंस कर)- हाँ मेरी जान...वो तो पता है...पर ये बताओ कि तूने ये सब कैसे किया....



रक्षा- ह्म्म...उस ठर्कि ने बहुत मेहनत करवाई...सुनो सुरू से बताती हूँ...



फिर रक्षा ने रफ़्तार के साथ पार्क मे हुई पूरी घटना बता दी..जिसे सुन कर मेरी हँसी निकल गई....



रक्षा- आपको हँसी आ रही है...पता है...अगर थोड़ी सी भी गड़बड़ हो जाती तो वो कमीना मेरे साथ...



मैं(बीच मे)- हे...तूने सोच भी कैसे लिया कि मैं तुझे उस कमीने के सामने अकेला भेजुगा...



रक्षा- क्या मतलब...



मैं- मतलब ये डार्लिंग...कि वहाँ भीड़ मे मेरे आदमी भी थे...कही कुछ गड़बड़ होती तो वो सब संभाल लेते...उनकी नज़र थी तुम पर....



रक्षा- ओह...अच्छा अब बताओ...मेरा इनाम कब मिलेगा...



मैं- बहुत जल्द...थोड़ा फ्री होने दो..फिर 2 दिन सिर्फ़ तुम्हारे ...



रक्षा- ह्म्म..उसके लिए मैं वेट कर लूगी...पर मुझे आज एक छोटा सा इनाम तो दो...



मैं- आज..नही...आज टाइम नही..बिज़ी हूँ...



रक्षा- टाइम नही...ह्म्म...लगता है आप ऐसे नही मानोगे...मुझे ही कुछ करना होगा...



मैं- ओके..कर लो फिर....देखे तो क्या करती हो...



रक्षा- ओके...फिर देख ही लो..बाइ...



रक्षा ने फ़ोन कट कर दिया और मेरे माइंड मे एक सवाल छोड़ गई....आख़िर अब ये लड़की करने क्या वाली है.....????



थोड़ी देर बाद जब मैं अपने घर पहुँचा तो पता चला कि रक्षा पारूल के रूम मे है..और मेरा वेट कर रही है....


मैं(मन मे)- ये लड़की भी ना....मानेगी नही....
Reply
06-10-2017, 09:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं जैसे ही पारूल के रूम मे पहुँचा तो रक्षा उठ कर मेरे पास आ गई...



रक्षा(गुस्से से)- कहाँ थे आप...मैं कब्से आपका वेट कर रही थी...



मैं- रिलॅक्स यार...मुझे बैठने तो दे...आते ही सुरू हो गई...



रक्षा- नही...बैठना बाद मे...पहले ये बताओ कि आपने मेरा कॉल क्यो नही लिया...



मैं- वो..आक्च्युयली थोड़ा बिज़ी था...वो बॅंक गया था....(मन मे)- क्या नाटक कर लेती है ...गुड...



रक्षा- वेरी बॅड...आपको पता है मैं कब्से वेट कर रही हूँ...सुबह से...



मैं- ओह्ह...आइ एम सॉरी यार...वो मैं सच मे फस गया था...सॉरी...



रक्षा- सॉरी से काम नही चलेगा...सज़ा मिलेगी...



मैं- ओके..तो सज़ा दे देना...पर तू बैठने तो दे...



फिर थोड़ी देर तक हम दोनो पारूल के पास बैठे और फिर रक्षा ने मुझे बाहर चलने का इशारा किया पर मैने मना कर दिया....



रक्षा(झल्ला कर)- देख पारूल...तेरे भैया मेरा काम नही कर रहे...मैं जा रही हूँ...बाइ...



पारूल- कौन सा काम..भैया...कर दो ना इसका काम...



मैं- अरे...कर दूँगा बाद मे...अभी नही...



रक्षा- देखा. .इन्हे बस अपना काम निकालना आता है...और खुद की बारी आई तो ना बोलने लगे...



मैं- अरे..मैने मना कब किया...मैं बाद मे...





पारूल(बीच मे)- भैया...ग़लत बात...आपको रक्षा का काम करना चाहिए....



मैं(मन मे)- अरे यार..तुझे क्या बोलू कि ये किस काम की बात कर रही है.....



पारूल- भैया...कोई बहाना नही...आप अभी इसका काम कर दो...ओके..



रक्षा- लो..अब तो पारूल ने भी बोल दिया...अब कर भी दो ना...



मैं(रक्षा को घूर कर)- तू ऐसे नही मानेगी...चल..आज अच्छे से काम कर ही देता हूँ...



फिर मैं रक्षा के साथ बाहर निकलने लगा तो पारूल पीछे से बोली...



पारूल- भैया...इसका काम करके मेरा भी काम कर देना....



पारूल की बात सुन कर रक्षा खिलखिला पड़ी और उसे देख कर मुझे गुस्सा आ गया....



मैं- ओके...पारूल...बाद मे बताना...क्या काम है...अभी रेस्ट कर...



और फिर मैं रक्षा को ले कर अपने रूम मे आया और आते ही गेट लॉक कर के रक्षा को बेड पर पटक दिया....



मैं(गुस्से से)- बड़ी गर्मी है तुझे....घर ही आ गई...रुक नही सकती थी क्या...



रक्षा(बेड पर पड़े हुए)- उउंम..नही ना...ये गर्मी संभलती नही...अब आप ही ठंडा कर दो ना...आओ...



रक्षा ने मादकता से एक अंगड़ाई ली और अपने बड़े हो चुके बूब्स को और बढ़ा कर के मुझे इन्वाइट कर दिया....



रक्षा की मादकता देख कर मेरा भी मूड बनने लगा...पर मैं अभी भी गुस्से मे था...



मैं- अच्छा..ठंडा होना है...देख फिर...आज तेरी खैर नही..आज तू चल भी नही पायगी...देख...



रक्षा- तो आओ ना...कौन कम्बख़्त चलना चाहता है...ऐसी हालत कर दो कि मैं बेड से उठ भी ना पाउ...कम से कम इसी बहाने आपके पास पड़ी रहूगि....ह्म्म..



मैं रक्षा की बात सुन कर ना चाहते हुए भी मुस्कुरा दिया...और फिर गुस्सा दिखाते हुए उसके पास पहुँचा....



मैं- साली...बहुत बोलने लगी ..रुक ..बताता हूँ...



इससे पहले की मैं कुछ करता...रक्षा ने बैठ कर अपना टॉप और ब्रा निकाल दी...



उसके गोरे बूब्स देख कर मेरी गर्मी बढ़ने लगी...



मैने रक्षा को पैरो से पकड़ा और अपने पास खिसका लिया...



मेरे पास आते ही रक्षा ने उठ कर अपने होंठ मेरे होंठो पर चिपका दिए और मेरी बोलती बंद कर दी....

मैं- अओउंम..उउउंम्म...उउउंम्म....



रक्षा- उउउंम्म...उउउंम्म...उूउउम्म्म्म...उूउउंम्म...उउंम्म...



रक्षा पूरे पॅशन के साथ मेरे होंठो को चूस रही थी...मेरा सिर उसने दोनो हाथो की गिरफ़्त मे कर के मेरे होंठ चूसना सुरू कर दिया...और उसके नुकीले हो उठे निप्पल मेरे सीने मे चुभाने लगी...



रक्षा की गर्मी देख कर मैं भी गरम हो गया और मैने रक्षा को बाहों ने भर कर उपर उठा लिया और रक्षा ने भी अपनी टांगे मेरी कमर मे लपेट दी और किस्सिंग जारी रखी...



रक्षा- उउउंम्म..आअहह...ओह्ह भैया...उउम्म्म्म...उउउंम्म...उउंम...



मैं- उउउंम...उउउंम्म...आओउउंम्म...उउउंम्म...



किस करते हुए मैं लगातार रक्षा की बड़ी हो चली गान्ड दबाता रहा और रक्षा और ज़्यादा जोश के साथ मेरे होंठ चूस्ति रही...



थोड़ी देर बाद जब रक्षा को सास लेने की ज़रूरत पड़ी..तब उसने मेरे होंठो को छोड़ा...



रक्षा- आअहह...भैया...मज़ा आ गया...



मैं- मज़ा...वो तो अभी सुरू हुआ है मेरी जान...



और मैने फिर से रक्षा को बेड पर पटक दिया...बेड पर गिरते ही रक्षा ने अपने जीन्स को ओपन किया और गान्ड उठा कर उसे नीचे कर दिया...बाकी का काम मैने जीन्स को पैरो से निकाल कर किया..



जीन्स बाजू फेक कर मैं पलटा तो पाया कि रक्षा के पैर हवा मे थे और वो पैंटी निकाल रही थी...



मैने तुरंत उसकी पैंटी को भी पैरो से अलग कर दिया और फिर खुद भी नंगा हो गया...



रक्षा- उउउंम...अब आ भी जाओ भैया...भुजा दो मेरी प्यास...ओह्ह्ह..भैया...आओ ना...



मैने तुरंत रक्षा की टांगे खोली और गान्ड से पकड़ कर उसकी कमर को हवा मे लटका दिया और उसकी चिकनी चूत पर अपना मुँह लगा दिया....

मैं- सस्स्रररुउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउप्प्प...मम्मूउउहह...



रक्षा- ओह्ह भैया...कितना तरसया आपने....करो भैया...और प्यार करो...



मैं- म्मूउहह...आअहह..हाँ बेटा...आज तुझे बहुत प्यार करूगा...उउंम्म..



रक्षा- ऊहह..भैया.....जीभ डालो ना...आआअहह....



फिर मैने जीभ को नुकीला किया और रक्षा की चूत मे डाल दी...जिससे रक्षा और ज़्यादा मस्ती मे आ गई.....



मैं- सस्स्ररुउउप्प....उउउंम...उूउउंम्म....उउम्म्म्म....



रक्षा- उउंम...बहुत अच्छे...आहह..ऐसे ही भैया...उउंम्म...उउउंम..



मैं- उउउंम्म...उउंम्म...उूउउंम्म.....



रक्षा- आअहह...भैया...करो...गुड़िया को मज़ा दे दो...ओह्ह...तेज भैया....आहह...



मैं- उउंम्म...सस्ररुउउउगग़गग...सस्ररूउउग़गग..उउंम..उउंम्म..उउंम...



रक्षा- ओह भैया...ज़ोर से...खा जाओ...ओह्ह....उउंम्म...



थोड़ी देर की चूत चुसाइ से रक्षा झड़ने को तैयार थी...उसने मेरा सिर चूत पर दावाया और चूत रस बहाने लगी...



रक्षा- आअहह...भैया....गई..आहह..गैिईई...



और रक्षा ने अपना नमकीन चूत रस मेरे मुँह मे छोड़ दिया....और मैं चूत रस का मज़ा लेने लगा...



रक्षा प्यार से मेरे सिर पर हाथ फिराने लगी....



रक्षा- ओह्ह भैया...आप ने सारी तड़प मिटा दी...उउउंम्म...ऐसे ही इसका ख्याल रखा करो प्ल्ज़्ज़...



मैं- ह्म्म..अभी तू इसका ख्याल कर...आजा...(मैने लंड की तरफ इशारा किया...)



रक्षा- ह्म्म्मय..इसका ख्याल तो मैं जिंदगी भर रखुगी....



और रक्षा मेरे पास आई और लंड को मुँह मे गुपप कर लिया...



मैं- आअहह...तू तो बड़ी एक्सपर्ट हो गई...अब दिखा दे अपना कमाल....



और फिर रक्षा ने लंड हिलाते हुए जीभ से लंड चाटना सुरू कर दिया....और कुछ देर बाद लंड को मुँह मे डाल लिया...



रक्षा- उउउंम्म...उूुउउंम्म...सस्स्रररुउउप्प्प...उउंम..उउउंम्म...



मैं- वाह बेटा....ऐसे ही प्यार करो इसे....ये बहुत तड़पा है तुम्हारे लिए...



रक्षा- उउंम्म..उउंम..उउंम..उउंम..


और रक्षा फुल स्पीड से लंड को मुँह मे आगे-पीछे करने लगी....
Reply
06-11-2017, 09:51 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बाद ही मेरा लंड पूरी औकात मे आ गया...और रक्षा भी दुबारा से गरम हो गई...



रक्षा- उउउंम्म..उउंम..आहह...अब अपनी गुड़िया को जन्नत की सैर कराओ भैया...



मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म...आजा बेटा...



और मैने रक्षा को पास मे खीचा और उसकी टांगे हाथ से उपर कर दी और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा....



रक्षा- भैया..प्ल्ज़ ...अब तड़पाओ मत ना...प्ल्ज़...



और मैने धीरे से सुपाडा रक्षा की चूत मे डाल दिया...



रक्षा- उउउंम्म...डाल दो भैया...अंदर तक आग लगी है...डाल दूऊऊऊ.....



और रक्षा की बात ख़त्म होने के पहले लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया....



रक्षा- आआहह....भैया....उूउउंम्म...



मैं- क्या हुआ बेटा...मज़ा नही आया...



रक्षा- आहह...बहुत अच्छा लगा...बहुत आग लगी थी....अब सुकून मिल रहा है...अब सुरू करो ना...



मैने भी रक्षा को तेज़ी से चोदना सही समझा...क्योकि काफ़ी देर से हम अंदर थे...और पारूल भी आ सकती थी.....



मैने रक्षा की टांगे पकड़ कर जोरदार चुदाई सुरू कर दी....



रक्षा- आअहह ..आहह..आहह...ऐसे ही भैया...और तेज...आहह..आहह..



मैं- हाँ बेटा...ये लो...एस्स..एस्स..एस्स...



रक्षा- ओह भैया...कहाँ चले गये थे...उउफफफ्फ़....अब रोज मज़ा देना...आअहह....ज़ोर से....आअहह...



मैं- हाँ बेटा...रोज करूगा....अभी मज़ा कर...यीहह...यीहह...



थोड़ी देर की दमदार चुदाई के बाद रक्षा दुबारा झड़ने लगी...



जब रक्षा झड गई तो मैने लंड को चूत से निकाला और रक्षा के सीने पर आ गया....और रक्षा ने गुप्प से लंड चूसना सुरू कर दिया....



रक्षा- उूुुउउम्म्म्म...उूुुुउउम्म्म्म....उूुुउउम्म्म्मम....



मैं- ओह यस...चूस बेटा...आअहह...



कुछ देर तक रक्षा लंड चूस्ति रही और मैं उसके बूब्स सहलाता रहा...फिर मैं वापिस नीचे आया और लंड को रक्षा की चूत पर टीकाया कि तभी रक्षा ने मुझे रोक दिया....



मैं- क्या हुआ....मेरा नही हुआ..तेरा हो गया क्या...



रक्षा- नही...आप मुझे पीछे से करो..कुतिया बना कर...



मैं(मुस्कुरा कर)- अच्छा...मेरी कुतिया बनना है...



रक्षा- हाँ...वैसे मे ज़्यादा मज़ा आता है...करो ना...



मैं- हाँ बेटा...अभी कुतिया बनाता हूँ...



और अपना लंड निकाल कर रक्षा को पलटा दिया...रक्षा भी पोज़ मे आकर अपनी मदमस्त गान्ड को हवा मे उठा कर लंड का वेट करने लगी...



रक्षा ने मुझे पीछे से चूत मारने को कहा था...पर उसकी चिकनी गान्ड देख कर मेरा मन मचल गया और मैने गान्ड के छेद पर लंड लगा दिया....



रक्षा(पीछे देख कर)- भैया....क्या इरादा है...ह्म्म..



मैं- अभी बताता हूँ...



और मैने हाथ से लंड को पकड़ा और रक्षा की गान्ड मे सुपाडा डाल दिया....



रक्षा- आअहह...आप तो फाड़ ही दोगे...



मैं- निकाल लूँ ...



रक्षा- नही...आपको गान्ड ज़्यादा पसंद है ना...तो करो...



मैं- पर तुझे दर्द होगा...



रक्षा- तो क्या...अपने भैया के लिए मेरे सारे छेद तैयार है...आप बस करो...



मैं- तो लो फिर...



और मैने एक शॉट मारा और आधा लंड गान्ड मे चला गया....

रक्षा- म्म म्मूऊम्म्मय्ी...आअहह...भैया...रूको मत...डाल दो...



मैं- ये लो बेटा....



और फिर से एक शॉट मारा और पूरा लंड गान्ड मे चला गया...



रक्षा को दर्द हुआ और आसू भी निकले पर वो रुकी नही...



रक्षा- भैय्ाआअ....अब रुकना मत..करो...



और मैने रक्षा की कमर पकड़ कर उसे तेज़ी से चोदना सुरू कर दिया....

रक्षा- आअहह....करो भैया करो...आअहह..आअहह..आअहह...



मैं- एस बेटा....ले...ईएह..ईएह...



रक्षा ने अपने हाथ से अपनी चूत को मसलना सुरू कर दिया और गान्ड को पीछे कर के गान्ड मरवाने लगी...



रक्षा- ओह्ह भैयाअ....फाड़ दो ...आष्ह..ज़ोर से...आआअहह....



मैं- हाँ बेटा....तू मज़ा कर...ये ले...एस्स..एस्स...



कुछ देर तक रूम मे सिर्फ़ चुदाई की आवाज़े गूँजती रही और रक्षा की सिसकारियाँ तेज होती गई....



रक्षा- आअहह...भैया...अब मई गई...आअहह...आअहह...



और रक्षा के झाड़ते ही मैने उसको पकड़ कर तेज़ी से शॉट मारे और थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ने लगा...



मैं- ये लो बेटा...मैं भी आया....एस्स..एस्स..एस्स..आअहह..आअहह...



मेरे झाड़ते ही मैने लंड को बाहर निकाल लिया और रक्षा बेड पर लेट गई...



मैं भी रक्षा के बाजू मे लेट गया और उसकी गान्ड सहलाने लगा...



मैं- अब कैसा लग रहा बेटा...



रक्षा- बहुत अच्छा....



मैं- ह्म्म..तो अब जल्दी फ्रेश हो जाओ..कहीं पारूल आ गई तो अच्छा नही होगा...



रक्षा- ओके...



फिर हम रेडी हुए और पारूल के रूम मे आ गये...





पारूल- तो...कर दिया इसका काम....



मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्म..कर दिया...और अच्छे से किया...खुद पूछ लो इससे...



पारूल- क्यो रक्षा दी...भैया ठीक कह रहे है ना...आपका काम कर दिया ना ...



रक्षा(मुस्कुरा कर)- हाँ पारूल...बहुत मन से किया....100% हो गया...



पारूल- ह्म्म..भैया है ही ऐसे ..जिसका काम करते है वो खुस हो जाता है...



मैं- ओके..अब बाते हो गई हो तो मैं रक्षा को घर छोड़ दूं...फिर मुझे भी काम है...



रक्षा- भैया आप अपना काम देखो..मैं पारूल के साथ हूँ...बाद मे चली जाउन्गी...



मैं- ओके..तुम दोनो बातें करो..मैं चलता हूँ...



मैं घर से निकल ही रहा था कि तभी एक करियर वाला एक पार्सल ले आया...



आदमी- सर...मिस्टर.अंकित मल्होत्रा...



मैं- यस..मैं ही हूँ...बोलो..



आदमी- सर..आपका पार्कल...



मैं- पार्सल...



फिर मैने पार्कल लिया और सोचने लगा की आख़िर मुझे कौन भेजेगा...फिर सोचा की खोल कर देख लू...बाद मे पता करूगा....



जैसे ही मैने पार्सल ओपन किया तो मेरी आखे बड़ी हो गई...



मैं- ये...ये तो....आख़िर कौन भेज सकता है ये.....????????????????



जैसे ही मैने पार्सल ओपन किया तो उसमे मुझे कई फोटोस मिले...जिन्हे देख कर मेरी आँखे बड़ी हो गई...

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06-12-2017, 11:23 AM,
RE: चूतो का समुंदर
उसकी वजह यह थी कि उन फोटोस मे एक फोटो मेरे दादाजी , आज़ाद की भी थी...जिसे मैं पहचान गया था...

असल मे डाइयरी के साथ मुझे कुछ फोटोस भी मिले थे...जिनमे दादाजी की सेम यही फोटो थी...

मैं(मन मे)- ये फोटोस...आख़िर भेजी किसने...

मैने पार्कल को अच्छी तरह से चेक किया...बुत उस पर भेजने वाले का कोई नाम नही था...

मैं एक-एक कर के सारे फोटोस देखने लगा...पर उनमे से मुझे कोई भी पहचान वाला नही दिखा...

मैं- मेरे दादाजी के साथ ये बाकी की फोटोस है किन लोगो की...साला इन्हे तो मैं पहचानता ही नही...

इससे पहले कि मैं कुछ और सोचता या आगे देखता...मुझे किसी के आने की आहट हुई...

जब मैने गेट की तरफ देखा तो बाजार से सुजाता चली आ रही थी...

मैने जल्दी से पार्सल को वापिस बंद किया और सुजाता को देखने लगा...

आज सुजाता कुछ परेशान दिख रही थी...उसके माथे पर थोड़ा पसीना भी दिखाई दे रहा था....

मैं- और आंटी...कहाँ से...

सुजाता- क्क .क्या...ओह अंकित...सॉरी मैने देखा ही नही..

मैं- कोई नही...वैसे आप कहाँ गई थी...

सुजाता- मैं...वो..हाँ...मैं तुम्हारे ऑफीस गई थी...थोड़ा काम था. .

मैं- ओके..और डॅड...वो कहाँ है...

सुजाता- वो..वो वही ऑफीस मे है...

मैं- क्या बात है आंटी...आप टेन्षन मे दिख रही है...सब ठीक तो है ना...

सुजाता(अपना चेहरा सॉफ कर के)- टेन्षन...नही...नही तो...मुझे क्या टेन्षन...वो तो बाहर धूप है ना....इसलिए ये पसीना...अच्छा बेटा..मैं थोड़ा फ्रेश हो लूँ...फिर आती हूँ...

और इतना कह कर सुजाता जल्दी से रूम मे भाग गई....

मैं(मन मे)- कुछ तो बात है....आज तक मेरे डॅड का ओफ्फिस बोलने वाली मेरा ऑफीस बोल रही है...उपर से झूट कि डॅड ऑफीस मे है...वो तो एक क्लाइंट के पास थे अभी....और ये चेहरा....ह्म्म..इसे देख कर सब समझ आ रहा है कि कोई बड़ी बात है...पर क्या....पता लगाना होगा....कही इसकी टेन्षन मेरे लिए कोई टेन्षन ना ले आए...

और ये फोटोस....इनको बाद मे देखेगे...पहले पैसो का इंतज़ाम कर लूँ...वो ज़्यादा ज़रूरी है...

फिर मैने वो पार्सल अपने रूम मे रखा और घर से निकल गया.....

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Reply
06-12-2017, 11:24 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम के घर.......


आज सुबह से...जब से वसीम का सामना अंकित से हुआ था...तबसे वसीम काफ़ी परेशान हो गया था.....

वसीम को रह-रह कर अंकित की आँखे याद आ रही थी...अंकित का उसे इस तरह घूर्ना वसीम की परेशानी की वजह थी....

वसीम(मन मे)- अंकित आख़िर मुझे ऐसे क्यो देख रहा था...क्या ये सिर्फ़ मेरा बहम था...या फिर कुछ ऐसा था जो अंकित ढूँढने की कोसिस कर रहा था....

अंकित ने जिस तरह से मुझे हॉस्पिटल मे धमकाया था...उससे ये तो सॉफ हो गया कि उसे मेरे बारे मे कुछ पता है...

पर सवाल ये है कि उसे आख़िर पता क्या है...क्या वो सब जान गया...या सिर्फ़ मुझ पर शक है...

नही...ये शक नही हो सकता...शक की वजह से वो मुझे धमकी नही दे सकता....पक्का उसे कुछ तो पता चला है ...

और हो ना हो...ये ज़रूर उस रिचा ने बका होगा....साली कुछ भी कर सकती है...उसका कोई भरोशा नही....और सवाल उसकी बेटी का था...तब तो...हाँ...उसी ने बका होगा....

पहले उस कमीनी को देखता हूँ...पता तो चले कि साली ने क्या-क्या उगल दिया....

और ये सब सोच कर वसीम ने रिचा को कॉल किया और मिलने बुलाया...

कुछ देर बाद दोनो एक होटल के रूम मे मिले....

रिचा- हाँ..तो इतना अर्जेंट क्यो बुलाया...पता है मुझे कितने बहाने बनाने पड़े....

वसीम- तुझे किस से बोलने की ज़रूरत पड़ गई...है कौन तेरे घर...हाँ...

रिचा- अरे...बताना ही भूल गई...मेरी बेटी वापिस आ गई...

वसीम(शोक्ड)- क्या...पर कैसे...

रिचा- अंकित ने उसे छोड़ दिया...

वसीम- छोड़ दिया...ऐसे ही..नही-नही...वो इतना सरीफ़ भी नही...बिना किसी मक़सद के वो कुछ नही करता...ज़रूर इसकी कोई वजह होगी...

रिचा- वजह है ना...वो साला मेरी बेटी के साथ सोना चाहता है...

वसीम- बस...

रिचा(गुस्से से)- बस...क्या मतलब बस...क्या ये छोटी बात है...

वसीम- और किसी के लिए शायद बड़ी बात हो...पर अंकित के लिए छोटी बात ही है...

रिचा- तुम...तुम कहना क्या चाहते हो...क्या मेरी बेटी...

वसीम(बीच मे)- मैं तुम्हारी बेटी के लिए कुछ नही बोल रहा...मैं बस ये बोल रहा हूँ कि अंकित के लिए सेक्स कोई बड़ी बात नही...इसलिए कह रहा हूँ...ज़रूर कोई और वजह होगी...कोई बड़ी वजह ....

रिचा(सोचते हुए)- ह्म्म...कह तो तुम ठीक रहे हो...इस बारे मे सोचना पड़ेगा....खैर...अभी ये तो बताओ कि मुझे बुलाया किस लिए...

वसीम- हाँ..मैं बात तो भूल गया...मुझे ये जानना है कि तुमने अंकित को मेरे बारे मे क्या-क्या बताया....

रिचा(सहम कर) - मैने...मैने तो कुछ नही...आअहह...

वसीम(रिचा के बाल खीच कर)- झूट मत बोलो मुझसे...मैं जानता हूँ कि एक तू ही है जो ये जानती है कि सरफ़राज़ ख़ान कोई और नही...बल्कि मैं हूँ...समझी...

रिचा- नही...वो..वो दामिनी भी जानती है...

वसीम- वो सिर्फ़ मेरा नाम जानती है...चेहरा नही...ये सिर्फ़ तू जानती है कि वसीम ख़ान ही सरफ़राज़ है...हाँ..

रिचा- हां..पर मैने तो कुछ भी नही..

वसीम- तू ऐसे नही मानेगी...साली रंडी...

और वसीम ने रिचा को एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया...और रिचा फर्श पर गिर गई....

वसीम- अब बोलती है कि नही..वरना आज तेरी वो हालत करूगा की ...बोल साली...

रिचा- एम्म..मैने कुछ नही...आआहह...

रिचा ने ना बोला ही था कि वसीम ने झुक कर एक और थप्पड़ रिचा को जड़ दिया.....


वसीम- जितना झूठ बोलेगी...उसना दर्द होगा...सराफ़ात से मुँह खोल दे...वही तेरे किए अच्छा है....सच बोल साली...जल्दी...

रिचा- बताती हूँ...मुझे...बोलने तो दो....

वसीम(रिचा को खड़ा कर के)- हाँ बोल...क्या बोला उसे...

रिचा- मैने सिर्फ़ उसे ये बताया कि तुम्हारी उसके परिवार से दुश्मनी है...बस...

वसीम- और..

रिचा- और ये..कि तुम उसके परिवार को मिटाना चाहते हो...

वसीम- और...

रिचा(डरते हुए)- और..और कुछ नही...

वसीम(रिचा का गला पकड़ कर)- सच बोल...और क्या बोला...

रिचा- वो...वो जानता है कि तुम उसे मारना चाहते हो...बस यही बताया...और कुछ नही...

वसीम- और भी कुछ है...बोल साली वरना मार दूँगा.....

रिचा- तो मार दो...पर मैने और कुछ नही बोला था...

वसीम- क्या उसने दुश्मनी की वजह नही पूछी...

रिचा- पूछा था...पर मैने बोला कि मुझे पता नही...

वसीम- ह्म्म..तो अब सुन...उसे इसके अलावा कुछ भी पता चला ना...तो मैं पहले तेरी बेटी को मारूगा...फिर तुझे...तू तो जानती ही है की किसी को मारना मेरे लिए कितनी मामूली बात है....है ना...

रिचा- ह्म...जानती हू...मैं कुछ नही बोलुगी...हमे कुछ नही करना...प्ल्ज़्ज़...

वसीम- ओके...अब जल्दी से नंगी हो जा...

रिचा- तुम बिना चोदे नही मानोगे...जानती थी...

और रिचा ने बड़े प्यार से अपने कपड़े निकाले और नंगी हो कर बेड पर लेट गई...

रिचा- अब जल्दी करो..मुझे जाना भी है...

वसीम(रिचा के सारे कपड़े उठा कर(- ह्म..तो जा ...अब तू नंगी ही जाएगी...

और वसीम गेट तक पहुँच गया...तब रिचा गिडगिडाते हुए बोली...

रिचा- वसीम...ऐसा क्यो कर रहे हो...मैने क्या किया....ऐसा मत करो...प्ल्ज़्ज़...

वसीम- ये तेरे मुँह खोलने की सज़ा है...जा..नंगी ही जा...तेरे जैसी रंडी के लिए क्या बड़ी बात है....जा...

और वसीम बिना कुछ सुने कपड़े ले कर रूम से निकल गया और रिचा गेट के पास आ कर रोने लगी...कुछ देर बाद ....

रिचा(आँसू पोछ कर)- सरफ़राज़ ख़ान...अब तू देख ये रंडी क्या करती है...

और रिचा ने एक कॉल लगाया.....

रिचा- हेलो....होटल **** मे रूम नो. *** मे आ जाओ...अगर ये जानने की इक्षा हो की असल मे तुम्हारी फॅमिली के साथ हुआ क्या था.....

और हाँ...आते हुए मेरे लिए कपड़े ले आना...मैं बिल्कुल नंगी खड़ी हूँ...कोई मेरे कपड़े ले कर भाग गया...ओके...जल्दी आना....बाइ....

रिचा(कॉल कट कर के)- सरफ़राज़...अब ये रंडी....तुझे बहुत भारी पड़ेगी...तेरी कहानी ख़त्म....हुह...

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हॉस्पिटल मे...........


सोनम बेड पर लेटी हुई थी और सोनू उसके सिरहाने स्टूल पर...दोनो भाई-बेहन अभी सिसक -सिसक कर रो रहे थे....

सोनू- क्यो सोनम...क्यो किया ये सब...तुम ऐसा करोगी...नही...मैं नही मान सकता....

सोनम- सॉरी भाई...मैं मजबूर हूँ...बहुत मजबूर....

सोनू- जानता हूँ...पर...क्या भगवान हमारी मजबूरी समझेगा....और अंकित...उसका क्या...क्या बोलूँगा उसे...

सोनम- भाई...अभी उसे कुछ मत बोलना...चुप रहने मे ही हमारी भलाई है...जो हो रहा है वो ऐसे ही होने दो...

सोनू- और हाथ पर हाथ रखे बैठा रहूं...हाँ...जानती हो...जब अंकित को पता चलेगा तो वो क्या कहेगा...क्या सोचेगा...हाँ...

सोनम- शायद वो हमारी मजबूरी समझ जाएगा...

सोनू( खड़ा हो कर)- नही...वो हमे धोखेबाज कहेगा....और कुछ नही...

सोनम- जो भी हो...पर भाई...अभी चुप ही रहना...

सोनू(आसू पोछ कर)- और कोई रास्ता भी नही...अब जो उपर को मंजूर ....शायद धोखे बाज कहलाना ही हमारी किस्मत है......

और सोनू पैर पटकते हुए रूम से बाहर निकल गया और सोनम लेटी हुई आँसू बहाने लगी.......

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06-14-2017, 01:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे बने पोलीस स्टेशन मे.........

पोलीस स्टेशन के अंदर जाते ही मेरे नज़र सामने बैठे इंस्पेक्टर.आलोक पर पड़ी....

मैं- हेलो सर...मे आइ कम इन....

आलोक- ओह..अंकित...आओ-आओ...

मैं आलोक की तरफ आगे बढ़ा ही था कि मेरी नज़र साइड मे बने लॉक-अप पर पड़ी....

मैं- ओह हो. .ये तो कमाल हो गया...हाहाहा....पोलीस वाला खुद लॉक-अप मे...क्या आलोक सर...ये क्या हो रहा है...ह्म्म...क्या किया इसने....

आलोक- क्या करे अंकित...जब क़ानून की रक्षा करने वाले ही क़ानून के दुश्मन हो जाए तो ऐसा करना ही पड़ता है...क्योकि क़ानून तो सबके लिए एक समान है...चाहे आम जनता हो...या कोई क़ानून का रक्षक ही क्यो ना हो....

मैं- वाह सर..वेल सेड...आप जैसे कुछ ऑफिसर्स की वजह से ही पोलीस पर लोगो का भरोसा कायम है...वरना इन जैसे कमीनो ने तो पोलीस की इज़्ज़त कब की लूट ली....

रफ़्तार(लॉक-अप के अंदर से)- हे लड़के....तेरी तो...

आलोक(बीच मे)- रफ़्तार....शांत रहो...और अंकित...आओ मेरे साथ ...अंदर बैठते है...वही बताता हूँ कि इसने क्या कुकर्म किया....

मैं- ह्म...

फिर मैं मुस्कुराता हुआ आलोक के साथ अंदर चला गया...थोड़ी देर बाद आलोक को किसी काम से बाहर जाना पड़ा...और मैं उठ कर रफ़्तार के पास पहुँच गया....

मैं- और रफ़्तार...क्या हुआ...थम गई ना तेरी रफ़्तार....हाँ....

रफ़्तार- चला जा यहाँ से...वरना ठीक नही होगा....

मैं- हाहाहा...क्या कर लेगा तू...हाँ...अब ना तू पोलीस वाला रहा और ना ही आम आदमी...तू एक मुजरिम है बस....एक हवसि..हाहाहा....

रफ़्तार- लड़के....चुप कर...

मैं(हँसते हुए)- ओके..ओके...पर ये तो बता...कि अपनी बेटी की एज की लड़की के साथ...छी-छी....इतनी ही तड़प थी तो अपनी बेटी को ही....

रफ़्तार(चिल्ला कर)- लड़के....एक शब्द भी निकाला ना...तो मार डालूँगा...समझा...

मैं- ओह हो...इतना गुस्सा..सिर्फ़ बेटी की बात सुनी तो ये हाल है...जब मैं उसके साथ चुदाई...

रफ़्तार- चुप हो जा कमीने....वरना..

मैं(गुस्से से)- अबे चुप...तू कुछ नही कर सकता....समझा...और ये बता कि तेरी बेटी की बात पर इतना गुस्सा ...हाँ..तो क्या वो किसी की बेटी नही थी..जो तू उसकी इज़्ज़त लूटने चला था...हाँ...बोल साले...बोल...

रफ़्तार(दाँत पीसते हुए)- मैने कुछ नही किया...वो लड़की ही रंडी थी...समझा....

मैं- ह्म्म..कुछ नही किया तो ये हाल है...अब सोच..कुछ कर देता तो क्या होता...सोच...

फिर मैं रफ़्तार को देख कर मुस्कुराने लगा.....



रफ़्तार(गुस्से से)- एक बार वो लड़की मिल जाए...फिर मैं देखता हूँ उसे....

मैं- उसे देखने से पहले तुझे अपने बाप से निपटना होगा....समझा...

रफतात(घूर कर )- मतलब ...ये सब....तू...

मैं(बीच मे)- ह्म्म...चलो...जान कर खुशी हुई कि तू अपने बाप को जानता है....हाहाहा...

रफ़्तार(गेट पीट कर)- लड़के...ये तूने ठीक नही किया...अब देखना...मैं उस लड़की की वो हालत करूगा कि वो मौत की भीक माँगेगी...और उसके परिवार की तो...

मैं(बीच मे)- चुप...तू कुछ तब करेगा..जब यहाँ से निकलेगा....और मैं तुझे यहाँ से निकलने नही दूँगा....तो ये गुस्सा अपनी गान्ड मे डाल और मुफ़्त की रोटिया तोड़....मैं चलता हूँ...फिर आउगा...

रफ़्तार(पीछे से)- हाहाहा....तू मुझे जानता नही लड़के....ये सलाखे मुझे ज़्यादा देर तक रोक नही सकती...मैं यहा से निकला...और वो लड़की गई समझो...हाहाहा.....

मैं(पलट कर)- और तू मुझे नही जानता....मैं जानता हूँ कि तू क्या सोच रहा है...पर याद रखना...मेरी सोच तेरी सोच से कही आगे है...तू ये जल्दी समझ जाओगे....

फिर मैं स्टेशन से बाहर निकला और रक्षा को कॉल किया....

मैं- हेलो रक्षा...मेरी बात ध्यान से सुन ...

रक्षा- जी भैया...बोलो....

मैं- ओके..एक काम कर.....

फिर मैने रक्षा को काम समझा कर कॉल कट कर की और वहाँ से निकल गया......

स्टेशन से निकल कर मैं फिर से पैसो के बारे मे सोचने लगा....कि कहाँ से इंतज़ाम करू पैसो का....

असल मे , मैं पैसो के लिए एक आदमी के पास ही जा रहा था ...पर आलोक ने कॉल कर के मुझे स्टेशन बुला लिया...मोहिनी/मोना मर्डर केस के बारे मे बात करने के लिए.....

मैने कार चलाते हुए काफ़ी सोचा...और फिर जब कुछ समझ नही आया तो मैने अपने आदमी को कॉल कर दिया....

( कॉल पर )

मैं- हेलो...कहाँ है आप...

स- बस...यही हूँ....बोलो क्या हुआ...मिल लिए रफ़्तार से....

मैं- ह्म...मिल लिया...पर उसके तेवेर बिल्कुल नही बदले...वो रक्षा को नुकसान पहुँचा सकता है....

स- अरे नही...अंकित...उस बच्ची को कुछ नही होने देना....

मैं- डोंट वरी...मैने उसी का इंतज़ाम करने जा रहा हूँ...

स- ह्म....तो बोलो..मुझे कैसे कॉल किया....

मैं- एक छोटा सा काम था...मुझे 20 लाख रूप्यी चाहिए...2 दिन मे...

स- 20 लाख....पर तुम्हे पैसो की ज़रूरत कैसे पड़ गई ..तुम्हारे पास तो...

मैं(बीच मे)- टाइम सर...टाइम...टाइम खराब हो तो कुछ भी हो सकता है...फिलहाल ये बताओ कि आप इंतज़ाम कर लोगे कि नही...

स- अब तुम्हे ना थोड़े बोलूँगा...हो जायगा...पर कल तक...

मैं- ओके...कोई प्राब्लम नही...कल कर देना....और हाँ...अभी एक काम करो...होटल **** मे आज रात के लिए एक रूम बुक करो....

स- क्यो..रूम क्यो...

मैं- सब बताउन्गा...आप करो तो....अभी...

स- ओके...कर देता हूँ....

मैं- ओके बाइ..बाद मे बात करूगा....बब्यए....

मैने कॉल रखा ही था कि शीला का कॉल आ गया....पर मैने उसका कॉल नही लिया....मैं पिछली रात से उसका कॉल लगातार इग्नोर कर रहा था.......

शीला फिर भी कॉल करती रही और मैं उसे इग्नोर करते घर पहुँच गया...और वहाँ से रेडी हो कर अपनी मंज़िल की तरफ निकल गया....
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06-14-2017, 01:13 PM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर के आउटर मे बने होटेल मे........ 


रात के अंधेरे ने जब सारी दुनिया को अपने अंधकार मे डूबा दिया...याब होटल के एक रूम का गेट खुला....

और मैं सामने खड़े सक्श को देख कर मुस्कुरा दिया.....

मैं(मुस्कुरा कर )- ह्म्म...लेट्स प्ले दा गेम......

वहाँ रिचा अभी भी अपने रूम मे नंगी बैठी हुई किसी के आने का वेट कर रही थी...

रात के करीब 11 बजे उसके गेट नॉक हुई....जिसे सुन कर रिचा का फूला हुआ चेहरा थोड़ा निर्मल हुआ...पर उसका गुस्सा अभी भी बरकरार था....

रिचा(गेट के पास जा कर)- कौन है...

बाहर से कुछ कहा गया...जिसे सुन कर रिचा ने गेट अनलॉक किया और वापिस आ कर बेड पर पसर गई .....

थोड़ी देर मे ही गेट खोल कर 2 सक्श अंदर आ गये....और आते ही रिचा को नंगा देख कर दोनो के मुँह खुले रह गये....

रिचा- ऐसे मुँह मत फाडो...पहले गेट लॉक करो और यहाँ आओ....

वो दोनो गेट लॉक कर के रिचा के नज़दीक पहुँचे और रिचा की खुली हुई चूत पर आँखे टिका ली....जब रिचा ने इस बात पर गौर किया तो ज़ोर से हँसने लगी....

रिचा(हँसते हुए)- अब ऐसे क्या देख रही हो ....तुम दोनो के पास भी यही है...इसे चूत कहते है....जानती तो होगी ही....इसी के दम पर हम औरते मर्दो को नचाते है...सही कहा ना सबनम...बोलो सादिया....सही कहा ना...

सबनम- हुह..हाँ...तुम..तुम रिचा हो...राइट...

रिचा- बहुत अच्छे...तो तुम मुझे पहचान ही गई....वेल...मैं तो तुम्हे पहले से जानती हूँ...और तुम्हे भी...तुम सादिया हो ना...सबनम की बेहन...

सादिया- ह्म्म...मैं भी तुम्हे जानती हूँ...शायद तुम्हे याद ही होगा...उस रात उस होटल मे वसीम के साथ मैं ही थी...

सबनम- होटल मे ..वसीम के साथ...तुम ये किस बारे मे बोल रही हो...मैं कुछ समझी नही...

रिचा- ऐसा बहुत कुछ है सबनम डार्लिंग...जो तुम आज तक समझ नही पाई...क्यो सादिया....सही कहा ना...

रिचा की बात सुन कर सादिया कुछ नही बोली बस अपनी नजरेझूका ली...

रिचा- हहहे....शर्मिंदगी....अपनी ही बेहन से....शायद ये शरम पहले आई होती तो आज तुम्हे नज़रें ना झुकानी पड़ती....

सबनम- बस...अभी ये बताओ कि हमे यहाँ क्यो बुलाया....क्या ज़रूरी काम था हमसे...और..तुम ऐसे क्यो बैठी हुई हो...तुम्हारे कपड़े कहाँ है....

रिचा- सब बताती हूँ...पहले मैं पेट पूजा कर लूँ...बड़ी देर से कुछ खाया-पिया नही...तुम दोनो कुछ लॉगी...

सबनम और सादिया ने ना मे सिर हिला दिया और रिचा ने उठ कर कॉल लगाया और कुछ ऑर्डर दे डाला...

रिचा- कपड़े लाई हो...लाओ दो....

थोड़ी देर बाद रिचा कपड़ो मे थी...और बियर के साथ चिकन टिक्का का मज़ा ले रही थी...सबनम और सादिया उसके सामने बैठी रिचा के बोलने का वेट कर रही थी...

सादिया- अब खा लिया हो तो पॉइंट पर आओगी....हमे जाना भी है...

रिचा- ह्म..बस हो गया...

रिचा ने लास्ट सीप मारा और फिर सिगरेट जला कर कस मारने लगी...

सबनम- तो अब बताओ...तुमने हमे यहा क्यो बुलाया...और सादिया से तुम किस होटल की बात कर रही थी...

सादिया- दीदी...वो बात छोड़ो ना...

रिचा- क्यो छोड़ो...आख़िर तुम्हारी बेहन को भी तो पता चले कि तू असल मे है क्या...और इसी के घर मे रहकर क्या-क्या गुल खिलाती है...

सबनम- बस...अब काम की बात करो...तुम हमारी फॅमिली की बात बताने वाली थी ना...

रिचा(कश मार कर)- ह्म..पर ये बात सुनने के पहले तुम दोनो कसम खाओ कि ये बात इस रूम से बाहर नही जाएगी....

सादिया- कसम किसलिए...

रिचा- बात ही कुछ ऐसी है....बोलो...खाती हो कसम...

सबनम- ओके. .मैं अपने बेटे अकरम की कसम खाती हूँ ...ये बात हम तक ही रहेगी...

रिचा- और सादिया तू...तू अपनी बेटी की कसम खा ले....गुल ..यही नाम है ना उसका...

सादिया(चौंक कर)- तुम्हे...तुम्हे कैसे पता..

रिचा- मुझे ऐसा बहुत कुछ पता है जो तुम दोनो को पता नही..और ना ही तुम सोच सकती हो...अब खाओ कसम तो मैं बताना सुरू करू...

सादिया- ठीक है...मैं गुल की कसम खाती हूँ...अब बोलो....

रिचा- ओकक..तो ये कहानी है सरफ़राज़ ख़ान की...जिसे लोग वसीम ख़ान भी कहते है....

सबनम- तुम्हे ये कैसे पता कि उनका नाम सरफ़राज़ है...

रिचा- मैने बोला ना...कि तुम सोच भी नही सकती कि मुझे क्या-क्या पता है...और हाँ...अब सुनती रहो...बीच मे टोकना मत..

रिचा ने फिर दोनो को एक कहानी सुनानी स्टार्ट की...जिसे सुन कर दोनो की आँखे बड़ी हो गई...झटके पर झटके लगे...दोनो ने रोना सुरू कर दिया....और कहानी ख़त्म होने तक दोनो की आँखो से आसू बहते रहे......

रिचा- तो ये थी असली कहानी सरफ़राज़ ख़ान के वसीम ख़ान बनने तक...बाकी तुम जानती ही हो...है ना...

सबनम(रोते हुए)- क्या ये सब सच है....

रिचा- बिल्कुल सच...

सादिया(रोते हुए)- हम कैसे मान ले...

रिचा- क्योकि झूठ बोलने से मेरा कोई फ़ायदा तो होना नही है...हाँ...

सादिया- पर तुम भी तो उसके हाथ की कठपुतली हो...

रिचा- हहहे...नही मेरी जान...ऐसा लोग सोचते है कि मैं उनकी कठपुतली हूँ...पर असल बात ये है कि मैं ही उन सब को नचाती हूँ...हाँ थोड़ा नाटक करना होता है...पर सच यही है कि सब मेरे हिसाब से चलते है ...समझी...

सबनम- नही...मैं नही मनती...ये सच नही हो सकता..

रिचा- तो 3-4 दिन रूको...मैं तुम्हे वो रास्ता बताउन्गी जिससे तुम सब पता कर सकती हो...फिर सारे डाउट क्लियर हो जाएँगे...तब बताना कि मैं सही थी या नही...ओके...

सादिया- ठीक है....हमे सबूत का इंतज़ार रहेगा...और अगर तुम्हारी बात ग़लत निकली...तो तुम भी नही सोच सकती कि हम तुम्हारा क्या हाल करेंगे...समझी...

रिचा- ह्म...ठीक है...कुछ दिन वेट करो...सच तुम्हारे सामने होगा...और हाँ...मैं चलती हूँ...यहाँ का पेमेंट कर देना....फिर मिलेगे...बाइ...

और रिचा अपनी गान्ड मटकाते हुए निकल गई....थोड़ी देर बाद सादिया और सबनम भी अपने आपको ठीक कर के और पेमेंट कर के घर निकल गई...

उनके जाने के बाद एक सक्श काउंटर पर आया और मास्टर की के साथ कुछ पैसे रख कर बोला...

"" ये लो...इतने पैसे ठीक है ना....और हाँ..इस बारे मे किसी को बताया तो..""

कॉंटरमन- बिल्कुल नही...मैने तो कुछ देखा ही नही...

""गुड...""

फिर वो सक्श बाहर निकला और कार स्टार्ट कर के बुदबूदाया.....

""रिचा...तूने जो बोला वो तो उस रूम से बाहर आ गया...और साथ मे तेरा कॅरक्टर भी और सॉफ हो गया...अब मेरी बारी....देख तेरा क्या हाल होता है...तू भी सोच नही सकती...""

और फिर वो कार धुआँ उड़ाते हुए और रात के सन्नाटे को चीरते हुए तेज़ी से निकल गई...पीछे रह गया सिर्फ़...धुआँ..धुआँ....धुआँ.....

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06-14-2017, 01:14 PM,
RE: चूतो का समुंदर
नेक्स्ट मॉर्निंग.......अंकित के घर..........

जब मैं सुबह घर पहुँचा तो घर के सब लोग हॉल मे बैठे मेरा ही वेट कर रहे थे......

पारूल, डॅड, सविता , सुजाता....सब थोड़ा परेशान दिख रहे थे....जब मैने परेशानी की वजह पूछी तो पता चला कि वजह मैं ही हूँ....

मैं- ओह्ह...सॉरी एवेरिवन...आप सब को मेरी वजह से जो टेन्षन हुई ...उसके लिए सॉरी....

आकाश- पर ये तो बताओ कि तुम थे कहाँ...और कॉल क्यो नही किया...बता तो सकते थे कि रात को नही आओगे....

मैं- डॅड...सॉरी...मैं सच मे भूल गया था...और जब याद आया तब काफ़ी लेट हो गया था...आइ मीन आज सुबह ही याद आया था....

आकाश- अंकित...ये ग़लत बात है...आइन्दा याद रखना....कही भी जाओ...हमे इनफॉर्म कर देना...ओके...

मैं- ओहक डॅड..

आकाश- ओके ..अब नाश्ता करो और पारूल को स्कूल छोड़ दो...आज उसका कोई टेस्ट है...

पारूल- हाँ भैया...जल्दी करो...

मैं- ओके गुड़िया...बस 5 मिनट...

फिर मैने नाश्ता किया और रेडी हो कर पारूल को स्कूल ड्रॉप किया....और वहाँ से सीधा संजू के घर पहुँच गया....

संजू के घर पर अभी काफ़ी हलचल थी...मेघा, रजनी , और रक्षा बातें कर रही थी....

मैं- हेलो एवेरिवन...कैसे है सब...

रजनी- अरे अंकित..आओ बेटा...आज सुबह-सुबह...

मैं- क्या करूँ आंटी...मेघा आंटी जिम नही आई तो मैं ही आ गया....

मेघा- ओह..सॉरी अंकित...आज-कल जाग नही पाती...कल से पक्का आउगि...

मैं- कोई नही....अरे आंटी...कॉफी तो पिलाओ...और रक्षा...तू स्कूल नही गई...

रक्षा- नही..आज नही जाना...वैसे कल रात कैसी रही भैया....वो प्रॉजेक्ट पूरा हो गया....

मैं(मुस्कुरा कर)- हाँ बेटा..थॅंक्स टू यू....

रक्षा- थॅंक्स से काम नही चलेगा...मुझे इनाम चाहिए...

मैं- ओहक..तू चल मैं कॉफी पी कर रूम मे आता हूँ...

मेघा- ये किस बारे मे बात हो रही है...

मैं- अरे आंटी...एक प्रोजेक्ट था..जिसमे रक्षा ने मेरी हेल्प की ..बस वही...

मेघा- वाह रक्षा...तुझमे भी दिमाग़ है..

रक्षा- यस मोम...मेरा दिमाग़ कुछ ज़्यादा ही चलता है ऐसे प्रॉजेक्ट्स मे...क्यो भैया....हहहे...

मेघा- अरे वाह...वैसे प्रॉजेक्ट था क्या...

मैं- आंटी...मैं आपको बता दूँगा...रक्षा...तू चल...मैं आता हूँ...

फिर थोड़ी देर तक मैं कॉफी पीते हुए मेघा से बातें करता रहा...रजनी आंटी किसी काम से किचन मे बिज़ी थी...

मैं- तो आंटी...नेक्स्ट सेशन कब करना है...

मेघा(शरमा कर)- तुम भी ना....

मैं- अब बोल भी दो...मैं कब्से तड़प रहा हूँ...

मेघा(शरमाते हुए)- जब तुम कहो...पर ...वो...

मैं- डोंट वरी...उसकी क्लास मैं ऐसी लूगा कि उसके साथ आपका भी दिमाग़ चकरा जायगा....

मेघा- क्या करोगे...

मैं- सब बताउन्गा...बताउन्गा क्या...डाइरेक्ट शो दिखाउन्गा....बस वेट करो...वैसे अनु कहाँ है...दिखाई नही दे रही...

मेघा- वो रूम मे है...

मैं(कॉफी ख़त्म कर के)- ओके...मैं अनु से मिल लूँ...और आपका नेक्स्ट सेशन जल्दी होगा....वो भी फुल...

और मैं मेघा को आँख मार कर उपेर निकल गया और जैसे ही अनु का रूम खोला तो मैं वही का वही खड़ा रह गया...और सामने का नज़ारा देखने लगा.....

सामने अनु खड़ी थी...उसका चेहरा दूसरी तरफ था....उसने बदन पर एक टवल लपेट रखी थी और दूसरा टवल उसके हाथ मे था....वो अभी नहा कर निकली थी....

अनु एक तरफ गर्दन झुकाए अपने रेशमी बालो को टवल की फटकार से सूखा रही थी....हर एक फटकार के साथ उसके बालों से बूंदे निकल कर पूरे रूम मे उड़ रही थी...

फिर उसने गर्दन को झटका..बालो को लहराते हुए दूसरी तरफ ले गई और फिर से टवल की फटकार....

उसकी गर्दन के साथ उसकी पतली कमर भी हिल रही थी....और मुझे अपनी तरफ खीच रही थी कि आओ और मुझे बाहों मे भर लो...

टवल मे कसी उसकी गान्ड मेरे जिस्म मे गर्मी भरने के लिए काफ़ी थी...उपेर से उसकी आधी नंगी जाघे मेरे अरमानो को हवा दे रही थी....

पर असलियत ये थी कि अनु को देख कर मुझे उस पर प्यार ही आता था...ना की बस हवस ही उमड़ती थी....

मैं कुछ देर तक यू ही अनु को निहारते रहा...तभी अचानक से अनु पलटी और सहम कर अपने दोनो हाथो से अपना सीना ढक लिया....

तब मुझे यकीन हुआ कि लोग सच कहते है...""लड़कियो को ये अहसास हो जाता है की कोई उन्हे देख रहा है...पता नही कौन से सेन्सर लगे होते सी उनकी बॉडी मे....जो नज़रे पकड़ लेती है...""

अनु(सहमी हुई )- आ...आप...आपने तो डरा ही दिया...

मैं- अनु..रिलॅक्स...मैं तो बस...ओक...मैं जाता हूँ...

मैं पलटा ही था कि अनु ज़ोर से चिल्लाई...

अनु- नही...रुकिये....

मैं(पलट कर)- तुम्हे कोई प्राब्लम तो नही ना...नही तो मैं...

अनु(बीच मे)- गेट बंद कर दीजिए....

मैं अनु की बात सुनकर शॉक्ड हुआ बट मैने गेट लॉक किया और अनु के थोड़ा पास पहुँच गया...

मैं- अनु...वो...मैं क्या बोलू...उस दिन...

अनु(बीच मे)- नही....उस दिन मेरी ही ग़लती थी....

मैं- नही...तुम्हारी ग़लती नही थी...शायद मैं ही ग़लत था...मुझे ही ध्यान रखना चाहिए था....

अनु- नही...आपने कुछ ग़लत नही किया...मैं ही ग़लत समझी...और फिर ...

अनु बोलते-बोलते सुबकने लगी...

मैं- अनु...नही...तुम रो मत...तुम ग़लत नही हो...ये सब हालात की ग़लती है...हम बस हालातों का शिकार हुए है...

मैने आगे बढ़ कर अनु के गालो को पकड़ा और अंगूठो से उसकी नम आँखो को सॉफ करने लगा....

मैं- अनु...मैं बताता हूँ कि उस दिन असल मे हुआ क्या था...

अनु(मेरे हाथ थाम कर)- नही...उसकी ज़रूरत नही ...पारूल ने मुझे सब कुछ बता दिया है...

मैं- क्या...तुम सब जानती हो...और फिर भी तुम...

अनु(बीच मे)- क्या करती...आपका सामना करने की हिम्मत ही नही होती थी....आपसे इतना ग़लत बिहेव किया था तो...

मैं- ओह्ह...तो शर्मिंदा थी...पर मुझसे कैसी शर्मिंदगी...हाँ...

अनु- पता नही...पर हिम्मत ही नही हुई...इसलिए हमेशा आपसे झूठ बुलवाया कि मैं फ्रेंड के घर गई...जबकि मैं रूम मे ही थी...

मैं- ओह्ह..तो मेरी अनु होशियार हो गई...

अनु(सुबक्ते हुए)- आइ एम सॉरी....

मैं(अनु को गले लगा कर)- नही...कोई सॉरी नही....इट्स ओके...अब कुछ मत सोचना...बस मेरी अनु मुझे वापिस मिल गई...ये काफ़ी है मेरे लिए...

अनु- आइ लव यू...मैं आपको खोना नही चाहती...सॉरी...

मैं- बस अनु....बस...

फिर मैने अनु को कुछ देर तक बाहों मे भरे रखा और अपने आपसे बोला...

मैं(मन मे)- अनु...काश मैं भी तुम्हे प्यार कर पाता...पर मेरे दिल मे वो हिस्सा ही नही जो प्यार के अहसास को समझता है.....वो हिस्सा तो कब का टूट चुका है...सॉरी अनु...मैं तुम्हे वो प्यार नही दे सकता....जो तुम डिजर्व करती हो....सॉरी....

फिर थोड़ी देर तक मैं अनु के साथ प्यार भारी बातें करता रहा...तभी मुझे एक कॉल आया और मैं संजू के घर से निकल गया......

----------------------------------------------------
Reply
07-01-2018, 12:55 PM,
RE: चूतो का समुंदर
Update hogi kya story ab
Reply
08-21-2019, 10:39 PM,
RE: चूतो का समुंदर
yaar update kar v do.
purani kahani hai .
xossip pe padhi thi.
mazedaar kahini hai.
update please
Reply


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