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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
मैने उसकी तरफ देखा और पूछा के क्या है अब तो दर्द नही हो रहा. हालाँकि मैं जानता था कि अब प्रिया को दर्द नही हो रहा है, पर ऐसा मैने उसको खिजाने के लिए ही पूछा था. वो बोली के अब दर्द नही हो रहा है अब करो ना. मैने अंजान बनते हुए पूछा के और क्या करूँ. उसने जुंझलाते हुए कहा के वही जो करना है. मैने फिर कहा के क्या सॉफ सॉफ बोलो ना मुझे ऐसे नही समझ आ रहा है. यह सब मैं जानबूझ कर मज़े लेने के लिए कर रहा था. प्रिया के मम्मों का मसलना लगातार जारी था ताकि उसकी उत्तेजना में कमी ना होने पाए.
आख़िर प्रिया ने वो शब्द कह ही दिए जिसका मुझे इंतेज़ार था. प्रिया धीरे से बोली जम के चुदाई शुरू करो ना अब तो दर्द भी नही हो रहा है. मैने हंसते हुए कहा जो आग्या मेरी जान मैं तो यही सुनने का वेट कर रहा था.
मैने धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा और फिर प्यार से अंदर कर दिया और धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाते हुए यही रिपीट करने लगा. प्रिया की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. मेरे आनंद की तो कोई सीमा ही नही थी. मुझे अपना लंड प्रिया की चूत के अंदर बाहर करने में जो आनंद आ रहा था वो शब्दों में नही बताया जा सकता. प्रिया की टाइट चूत का घर्षण मेरे जैसा अनुभवी व्यक्ति ही इतनी देर तक बर्दाश्त कर सकता था.
प्रिया अब पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी. उसके चेहरे पर अब दर्द की जगह पूरी तरह मस्ती के भाव थे. अब मैने अपने धक्कों की लंबाई बढ़ा दी और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर कर रहा था. केवल लंड का सुपरा ही अंदर रह जाता और में लंड को वापिस अंदर धकेल देता. में जब लंड को अंदर डालता तो प्रिया भी नीचे से गांद उठा कर लंड को अंदर लेने में जल्दी दिखा रही थी. प्रिया की साँसे भी तेज़ गति से चल रही थी. उसका मुँह आधा खुला हुआ था और वो आ……..ह, ह…..आ…..आ…..न, ह…..ओ…..ओ…..न की आवाज़ें निकाल रही थी.
इस बीच मेरा उसके मम्मों के साथ खिलवाड़ जारी था. क्या टाइट मम्मे थे. कभी मैं उसके मम्मों को दोनो हाथों में दबोच लेता, कभी एक को मुँह में लेकर चूसने लगता दूसरे की गोलाई हाथ से नापते हुए और कभी उसके निपल को दाँतों से हल्का हल्का काटने के कोशिश करता. इस सब में प्रिया को भी बहुत आनंद आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.
अचानक उसने अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर लपेट दिए और बोली यह क्या कर दिया है मुझको, मैं जैसे हवा में उड़ रही हूँ, जल्दी जल्दी ज़ोर ज़ोर से करो ना, मेरा दिल कर रहा है कि सारी उमर ऐसे ही चुदवाती रहूं और यह चुदाई ख़तम ही ना हो. मैं दिल ही दिल में बहुत खुश हुआ के वो अब खुल कर बिना किसी शरम के बोल रही थी. मुझे लड़कियों का ऐसे बोलना बहुत अच्छा लगता है. मैने कहा जान दिल तो मेरा भी यही चाहता है पर ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ कम टू आन एंड, इसका भी अंत अभी थोड़ी देर में हो जाएगा. वो बोली तो जल्दी करो ना बातें नही मुझको चोदो, मैं कही मज़ा आने से पहले कहीं मर ही ना जाऊं.
मैने हंसते हुए कहा के मेरी जान चुदवाते हुए कोई नही मरती, अभी तुम्हे मंज़िल पर पहुँचा देता हूँ. इसके बाद मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और इतनी तेज़ी से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू किए के जैसे किसी मशीन का पिस्टन अंदर बाहर होता है. मेरा लंड अब तेज़ी से उसकी चूत में अंदर बाहर हो रहा था. उसकी टाइट चूत का मेरे लंड के साथ घर्षण मुझे और उसको अत्यधिक मज़ा दे रहा था.
मैने अपने दोनो हाथ उसकी गांद के नीचे लगा दिए और कस के पकड़ लिया और पूरी ताक़त और तेज़ी से धक्के मारने लगा. उसकी साँसें उखड़ने लगीं और फिर उसके मुँह से एक तेज़ सिसकारी निकली और वो झार गयी. उसने एक ज़ोर की साँस ली और निढाल होकर अपना शरीर ढीला छोड़ दिया. उसकी चूत के पानी छोड़ने से मेरा लंड अब उसकी चूत में बहुत आसानी से अंदर बाहर होने लगा. उसके शरीर काकंपन ऐसे महसूस हो रहा था जैसे कोई वाइब्रटर लगा हो. 15-20 ज़ोरदार धक्के मारने के बाद मैं भी झाड़ गया और प्रिया से लिपट कर वहीं बेड पर ढेर हो गया.
प्रिया ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपनी तरफ खींचा. मेरे करवट लेते ही उसने मुझे कस्स के पकड़ लिया और बोली के मुझे बाहों में ले लो पता नही मुझे क्या हो रहा है अभी भी मेरा शरीर काँप रहा है. मैने प्रिया को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और उसके होंठ अपने होंठों में लेकर किस किया और अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी. वो अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाने लगी. उसके सख़्त मम्मे मेरी छाती में यूँ गढ़ रहे थे जैसे उस मे छेद कर देंगे. मैं प्यार से उसकी पीठ सहलाने लगा और उसको पूछा के कैसा लगा.
प्रिया बोली के आज तो उसको पिच्छली बार से भी डबल मज़ा आया बल्कि और भी ज़्यादा क्योंकि पिच्छली बार 2 बार का मिलाकर भी इतना मज़ा नही आया था जितना आज एक बार में ही आ गया. मैने कहा के हां जानू ऐसा ही होता है जब कोई एक्सपर्ट पूरा ध्यान रखकर प्यार से चुदाई करता है तो मज़ा ज़्यादा ही आता है. वो शोखी से बोली हांजी एक्सपर्ट तो तुम बहुत हो जो मुझको पूरी तरह से फसा भी लिया और चोद भी दिया और सभी कुच्छ मैने अपनी मर्ज़ी से किया. मैं केवल मुस्कुरा दिया क्योंकि कुच्छ कहने की ज़रूरत ही नही थी. सब कुच्छ तो प्रिया ने खुद ही कह दिया था.
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
प्रिया बैठ गयी और बोली के उसको बाथरूम जाना है. मैने कहा के जाओ. वो बेड से उतरने को हुई और जैसे ही खड़े होने की कोशिश की उसकी टाँगों ने जवाब दे दिया और वो वापिस बेड पर बैठ गयी. पहली चुदाई के बाद ऐसा ही होता है, ख़ासकर जब लंड सॉलिड चुदाई करे तब. मैं उठा और पहले टवल उठा कर उसकी चूत और टाँगों से अपना वीर्य सॉफ किया और टवल को बाथरूम में धोने डाल दिया. फिर एक बाल्टी में गरम पानी और एक फ्रेश टवल लेकर आया. मैने टवल फोल्ड करके गरम पानी में डाला और फिर पानी निचोड़ कर टवल से प्रिया की चूत की सिकाई करने लगा. 5-6 बार ऐसा करने पर वो बोली अब मुझे ठीक लग रहा है, अब मैं खड़ी हो सकती हूँ.
प्रिया फिर खड़ी हुई, अब वो वापिस तो नही बैठी पर उसके चेहरे पर अभी भी परेशानी के भाव थे. मैने उसको सहारा दिया और बाथरूम में ले गया. दरवाज़े पर ही वो बोली के ठीक है. वो अंदर चली गयी कुच्छ देर बाद उसने मुझे अंदर आने को कहा और मैं अंदर चला गया. वो वॉश बेसिन को पकड़ कर खड़ी थी और बोली के इस हालत में मैं घर कैसे जाऊंगी. मैने कहा के चिंता मत करो मैं तुम्हे थोड़ी देर में ही ठीक कर दूँगा.
मैने एक चौड़ा टब लिया और उसमे ठंडा और गरम पानी मिक्स करके पानी आधा भर दिया, इतना गरम के शरीर उसको सह सके. फिर मैने कपबोर्ड से एक आंट्रिनजेंट लोशन की शीशी निकाली और टब में थोड़ी सी मिक्स करदी. फिर मैने प्रिया को उस टब में बिठा दिया. पानी उसकी चूत को ढक रहा था और उसके अंदर भी जा रहा था और प्रिया की चूत की सिकाई भी कर रहा था. मैं एक छ्होटा स्टूल लेकर प्रिया के पीछे बैठ गया और उसकी पीठ अपने साथ लगा ली.
खाली तो बैठा नही जा सकता था, इसलिए मैने उसके दोनो मम्मे अपने दोनो हाथों में ले लिए और उनके साथ खेलने लगा. वही पुराना खेल, कभी मेरे हाथ उनकी गोलाई नापते, कभी उन्हे पूरा ढक लेते, कभी उन्हे प्यार से भींच लेते और कभी निपल्स को मसल्ने लगते. प्रिया तिर्छि नज़र से मेरी तरफ देखते हुए बोली के क्या अभी दिल नही भरा? मैने कहा के इतने प्यारे मम्मे मेरे सामने हों तो दिल कैसे काबू में रह सकता है, फिर ऐसे सुंदर मम्मे ही तो मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी हेँ. मेरा बस चले तो मैं ऐसे प्यारे मम्मों से खेलते हुए सारी उमर बिता दूँ. वो एक उन्मुक्त हँसी हंस दी और उसके हँसने से उसका शरीर हिलने लगा और मेरे अंदर एक गुदगुदी सी भर गया.
10 मिनट के करीब ऐसे ही बीत गये. मैने प्रिया को पूछा के अब कैसा लग रहा है? तो वो बोली के ऐसे तो ठीक ही लग रहा है पर खड़ी होने पर ही पता लगेगा. मैने कहा के कोशिश करो. उसने खड़े होने की कोशिश की और कामयाब भी हुई. गरम पानी की सिकाई ने उसको काफ़ी आराम दिया था और मेरी कामयाब तरकीब अपना काम एक बार फिर कर गयी थी. प्रिया आराम से बाहर आ गयी और बिना किसी सहारे के रूम में पहुँच गयी.
मैने घड़ी देखी, हमारे चलने का टाइम हो चला था. मैने कपबोर्ड में से प्रिया की ड्रेस निकाली और खोल कर बेड पर फैला दी और उसको कहा के जल्दी से कपड़े पहन कर तैयार हो जाए अब देर करना उचित नही होगा. वो समझ गयी और फुर्ती से रेडी हो गयी. मैं भी तैयार हो चुका था. फिर हम दोनो ने अपना अपना डियो उठाया और हल्का हल्का स्प्रे करके बाहर को चल दिए. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः.
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RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
कुँवारियों का शिकार--7
गतान्क से आयेज..............
मेरी बात सुनकर दोनो मुस्कुरा दीं और मैं उन्हें लिए हुए बेड पर आ गया. सीधे लेट कर मैने दोनो को अपने दायें-बायें लिटा लिया और अपनी एक-एक बाँह में लेकर अपने साथ चिपका लिया. एक तरफ छर्हरे बदन वाली प्रिया थी जिसे मैं भोग भी चुका था और चोद भी चुका था और आज भी चोदना चाहता था और दूसरी तरफ मखमली गुदाज बदन वाली निशा थी जिसे मैने आज लड़की से औरत बनाना था, आप समझ ही रहे होंगे के आज उसकी पहली चुदाई करनी थी और सील तोड़नी थी. मैं सोच रहा था के पहले किसको चोदू. फिर मैने फ़ैसला किया के पहले प्रिया को चोदना ठीक रहेगा जिसके 2 फ़ायदे होंगे. एक तो निशा उसकी चूत में लंड को अंदर बाहर होते देख लेगी तो उसका डर कुच्छ कम हो जाएगा और दूसरा वो प्रिया को चुदाई का मज़ा लेते देखकर गरम होकर तैयार भी पूरी तरह हो जाएगी पहली चुदाई के लिए. एक और बात थी के मैं भी निशा को भरपूर भोगना चाहता था और यह तभी मुमकिन था जब मैं उसकी एक लंबी चुदाई करू.
एक बार झड़ने के बाद जब मैं दुबारा तैयार होता हूँ तो फिर एक बहुत लंबी चुदाई कर सकता हूँ, दुबारा झड़ने के लिए बहुत ज़ोर लगाना पड़ता है और देर भी लगती है. यही सोच कर मैने प्रिया को कहा के पहले मैं उसको चोदून्गा ताकि निशा अपनी आँखों से देख ले लाइव चुदाई और समझ ले के क्या और कैसे होना है साथ ही साथ उसको मस्ती भी आ जाएगी और उसको चुदाई ज़्यादा आसान और उसके लिए ज़्यादा आनंद-दायक होगी. प्रिया ने कहा के वो तो ठीक है पर क्या तुम……. मैने उसकी बात काटी और बोला के फिकर मत करो तुम दोनो हो ना मुझे दुबारा तैयार करने के लिए, दस-एक मिनट में मैं दुबारा तैयार हो जाऊँगा और फिर दूसरी बार जल्दी झरूँगा भी नही तो उस कारण से भी निशा को ज़्यादा मज़ा दे सकूँगा.
प्रिया तो मेरी बात समझ गयी पर निशा हम दोनो को बारी-बारी देखती रही और उसके चेहरे के भाव बता रहे थे के उसे हमारी बात पूरी समझ नही आई है. मैने उसको कहा के वो सब देखती रहे तो उसको सब समझ में आ जाएगा.
अब मैं पूरे मूड में आ गया और दोनो के बदन पर हाथ फिराने लगा. मेरा ध्यान ज़्यादा निशा की तरफ था क्योंकि वो मेरे लिए एक नया जिस्म था. ज़ाहिर तौर पर प्रिया के साथ भी मेरे हाथों की छेड़-छाड़ जारी थी पर वो स्पर्श मेरा जाना पहचाना था इसलिए अंदर से मेरा ध्यान निशा पर ज़्यादा था. निशा का बदन मांसल ज़रूर था पर कहीं भी फ्लॅब नहीं था बहुत ही प्यारा गुदाज शरीर और उस पर कसे हुए मम्मे और उसका मेरे हर स्पर्श का स्वागत एक कंपकंपी या नीश्वास से करना और अगले स्पर्श के लिए उसकी स्पष्ट आतूरता मुझे उत्तेजित किए जा रही थी. मैने निशा की तरफ आधी करवट ले ली थी और प्रिया को अपनी तरफ खींच लेने से वो आधी मेरे ऊपेर थी और उसने अपनी एक टाँग मेरे ऊपेर की हुई थी और मैं उसकी जाँघ की निचली तरफ अपना हाथ बहुत प्यार से फिरा रहा था. हमेशा की तरह उसके पूरे शरीर पर गूस बंप्स थे जो उसको ज़रा सा छ्छूने पर ही उभर आते थे. उसकी बढ़ती उत्तेजना मैं अनुभव कर रहा था.
दूसरी तरफ मेरा दूसरा हाथ निशा की गर्देन पर लिपट कर नीचे उसके मम्मो से खेल रहा था. उसके सेब के आकर का मम्मा मेरे हाथ में भी पूरा नही समा रहा था. उसके भूरे रंग के चूचक पर मटर के दाने जितने निपल बड़े आकर्षक लग रहे थे. मेरे हाथ में आए हुए मम्मे का निपल कड़क हो चुका था और मैं कभी उसे चुटकी में लेकर हल्के से मसल देता और कभी अपनी पूरी हथेली उसके मम्मे पर रगड़ देता तो वो मचल जाती और ओ…….ह, आ……ह की आवाज़ें भी निकालनी शुरू हो गयी थी. निशा ने अपना मुँह मेरे कंधे में च्छूपा रखा था और बीच बीच में मुझे छ्होटे छ्होटे चुंबन प्रदान कर रही थी.
फिर मैने निशा को थोड़ा परे किया और अपना सर झुकाकर उसके दूसरे मम्मे को चाटना शुरू कर दिया. अपनी झीभ को मैं उसके मम्मे पर गोलाई में घुमा रहा था. हर चक्कर के बाद मेरी जीभ का घेरा तंग होता जा रहा था. मेरी जीभ उसके चूचक पर पहुँची. प्रिया के मुक़ाबले निशा के चूचक थोड़े कड़े होने के साथ साथ मुलायम भी थे. सबसे आख़िर मैं मेरी जीभ ने निशा के निपल का स्पर्श किया तो वो बहुत ज़ोरों सेकाँप गयी और उसके मुँह से एक आ…..ह निकली. मैने पूछा के क्या हुआ? निशा बोली के बहुत मज़ा आ रहा है रूको मत करते रहो. मैं भी कहाँ रुकने वाला था. मैने अपना मुँह पूरा खोल कर उसके मम्मे को ज़्यादा से ज़्यादा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, साथ ही अपनी जीभ को कड़ा करके उसके चूचक और निपल पर फिराने लगा.
निशा उत्तेजना के मारे उछलने लगी. फिर मैने दोनो को पीठ के बल साथ साथ लिटा दिया और उनके ऊपेर आ गया. मेरा एक-एक घुटना दोनो की जांघों के बीच था. दोनो का एक-एक मम्मा मेरे हाथों में और मैने अपनी कोहनियों उनके शरीरों के साथ सटा कर बेड पर टीकाया हुआ था और अपना बोझ उंनपर डाला हुआ था. फिर मैं बारी-बारी से दोनों के मम्मे अपने मुँह में लेने लगा. थोरी ही देर में मैने देखा के प्रिया की उत्तेजना काफ़ी बढ़ चुकी है और उसकी आँखें कामुक दृष्टि से मुझे निहार रही हैं जैसे कह रही हों के अब और ना तद्पाओ.
मैं भी अब पूरी तरह से उत्तेजित हो चुक्का था, सो मैने निशा को कहा के वो बैठ जाए और सारा कुच्छ ध्यान से देखे भी और साथ ही साथ प्रिया को और मुझे अपने हाथों से प्यार से सहला के और अपने होंठों से चूम चूम के उत्तेजित करती रहे. निशा ने कहा के ठीक है. फिर मैं उठ कर प्रिया की टाँगों के बीच में आ गया और अपना लोहे जैसा आकड़ा हुआ लंड अपने हाथ में लेकर प्रिया की चूत के मुहाने पर रख दिया और प्यार से रगड़ने लगा मानो लंड उसकी चूत पर दस्तक दे रहा हो और अंदर आने की इजाज़त माँग रहा हो.
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