RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
हम लोग चाइ पी रहे थे तभी चाचा जी ने फिर से अपने हाथ से अपना मास्क निकाला ऑर
मेरे से कुछ बोले लेकिन वो बड़ी स्लो आवाज़ मे बोल रहे थे कि मुझे कुछ समझ नही आ
रहा था इसलिए मैं अपनी चाइ के कप को हाथ मे लेके चाचा जी के पास हो गया ऑर उनकी बात
सुनने लगा,,,,,,,,
तुम दोनो ही आए हो बेटा ,,,कोई ऑर नही आया,,,,,,चाचा जी ने बड़ी आराम से स्लो आवाज़ मे
पूछा,,,,
चाचा जी को भाई का तो माँ ने बता दिया होगा की वो बाहर चला गया है,,,,शोबा के बहुत
ज़रूरी पेपर था इसलिए नही ,,,,,पापा को बॅंक से छुट्टी नही मिल रही थी आना तो वो भी
बहुत चाहते थे लेकिन आपको तो पता ही है,,,ऑर बुआ
अभी बुआ के बारे मे बोलने ही लगा ताकि चाचा जी ने मेरे मुँह पे हाथ रख दिया,,,ऑर
मुझे चुप करवा दिया,,,
तेरे बाप के पास कभी टाइम नही हुआ मेरे लिए ना पहले होता था ऑर ना अब पहले भी वो
तभी मैने देखा कि चाचा के हाथ को चाची ने अपने हाथों मे लिया ऑर तभी बोलते
बोलते चाचा ने चाची की तरफ देखा ऑर चाची ने चाचा को चुप रहने का इशारा किया ऑर
चाचा भी चुप हो गये ऑर एक दम से बात पलट दी चाचा जी ने,,,,,,,,,,,
अच्छा ये बताओ तुम लोगो की पढ़ाई कैसी चल रही है,,,,,,,,,चाचा जी के एक दम बात पलटने से
ऑर चाची के द्वारा चाचा के एक दम चुप हो जाने से जहाँ मैं ऑर सोनिया कुछ सोच मे पड़
गये थे वहीं माँ ऑर मामा सर झुका कर चाइ के कप को मुँह लगा कर चाइ पीने मे लगे थे
मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था ,,,,,,,,,,,,,,स्टडी ठीक चल रही है चाचा जी ,,,,बस आज कल
कुछ ज़्यादा ही बिज़ी रहते है स्टडी मे तभी तो इतना टाइम लग गया गाँव आने मे
हाँ बेटा तुम शहर वाले कुछ ज़्यादा ही बिज़ी हो गये हो जो इस बूढ़े को देखने भी नही
आते ,,,,बड़ी बड़ी इमारतों मे ऑर अपने ऑफीस मे घुटे रहते हो कभी इस गाँव की ठंडी ऑर
सॉफ हवा का लुफ्त उठाने भी आ जाया करो,,,,, चाचा जी ने कहा
नही चाचा जी ऐसी बात नही है,,पहले छोटी क्लास थी तो माँ के साथ कभी कभी आ जाता
था लेकिन अभी बड़ी क्लास मे हूँ तो स्टडी का बोझ कुछ ज़्यादा हो गया है,,,,,ऑर वैसे भी
बड़ी इमारतें अब सिर्फ़ शहर तक ही नही रह गई अब तो गाँव मे भी बड़ी इमारतें बनने
लगी है,,,,,मैने अभी देखा आपके घर से थोड़ी दूर भी एक नया घर बना है जो शहरी
अंदाज मे बना हुआ है,,,,,,,,,,, मैने चाचा जी से कहा
वो घर केवल ने बनाया है,,,,हर रोज गाँव मे आना मुश्किल था मेरे लिए इसलिए 15-20 दिन
मे एक बार आ जाता है 2 दिन के लिए लेकिन शहर वाले को गाँव के घर मे रहना अच्छा नही
लगा इसलिए नया घर बना लिया वो भी शहरी अंदाज़ वाला ,,मुझे भी बोल रहा था उस घर
मे जाने को लेकिन बेटा मैं देसी बंदा इसी घर मे रहने लाएक हूँ,,,,यहीं जन्मा हूँ
ऑर जितना दाना पानी लिखा है इसी घर मे खाउन्गा ऑर मरके ही निकलूंगा इस घर से,,,,,
तभी चाची बोली,,,,,,,,,,,,,,अजी शुभ शुभ बोलो ऐसे गंदे अल्फ़ाज़ मत लाओ अपनी ज़ुबान पर,,इतना
बोलते ही चाची की आँखें फिर से नम हो गई,,,,,,,,,
इस औरत को तो छोटी छोटी बात मे रोना आ जाता है,,,,आख़िर एक ना एक दिन तो मुझे जाना ही है
ना तो इसमे रोना क्या,,,तभी चाचा जी को खाँसी आने लगी ऑर माँ ने जल्दी से उनके हाथ से
मास्क पकड़ा ऑर उनको पहना दिया,,,,,,,,,,
आपको डॉक्टर ने ज़्यादा बोलने से माना किया है आप आराम करो बस,,,अब कोई बात नही करनी,,
तभी माँ ने मुझे ऑर सोनिया को भी रूम से बाहर जाने को बोला,,,,,,,,चलो बच्चों अब इनको
आराम करने दो तुम यहाँ रहोगे तो ये बातें ही करते रहेंगे,,,,,,,मैं चाइ ख़तम कर
चुका था ऑर सोनिया ने भी अपना चाइ का कप टेबल पर रखा ऑर हम लोग रूम से बाहर आ
गये,,,मामा जी उसी रूम मे चाचा जी के पास रहे जबकि माँ ऑर चाची जी बर्तन लेके रसोई
मे चली गई,,,मैं ऑर सोनिया बाहर आँगन मे चारपाई पर बैठ गये हमारा कपड़ो वाला
बॅग भी वही पड़ा हुआ था,,,,,,,
चलो तुम दोनो को तुम्हारा रूम दिखा देती हूँ,,,,,,,तभी चाची हमारे पास आती हुई
बोली,,,,,,चलो बच्चो मेरे साथ,,,,,मैं ऑर सोनिया चाची के साथ चल पड़े वो हमे घर से
बाहर ले जाने लगी तो मैने पूछा चाची कहाँ लेके जा रही हो आप हमे,,,,,,,,,,
बेटा तुम शहरी लोग हो गाँव के घर मे कहाँ रहोगे इसलिए तुम लोगो को केवल के घर मे
लेके जा रही हूँ जो पास मे है,,केवल ने अपने तरीके से नया बनवाया है अभी कुछ ही
महीने पहले,,,,मैने पीछे मूड कर माँ की तरफ देखा तो माँ भी हमे चाची के साथ
जाने का इशारा करने लगी ऑर हम लोग चाची के साथ चल पड़े,,,,,,,,,,,,
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