RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
कविता किचन मे समान को अपनी जगह पर रखकर खाना पकने की तैयारी करने लगी जबकि
मैं और सोनिया मों दाद के रूम मे जाके वहाँ के सामान को ठीक करके रखने लगे,,पहले तो
हम लोगो ने सभी कपड़े उठाकर अच्छी तरह से तह लगा कर एक तरफ रख दिए और फिर रूम
मे जो समान टूट गया था उसको उठाकर बाहर गेट के पास रख दिया,,,हम लोग बाहर गये तो
देखा कि बाहर जो पोलीस वाले ड्यूटी कर रहे थे अब वो लोग वहाँ नही थे,,,,
हम लोग काफ़ी टाइम से रूम की सफाई कर रहे थे इसलिए पसीने से भीग गये थे जब मोम
और डॅड का रूम ठीक तरह से सेट हो गया जिसमे हमे 1 अवर से भी ज़्यादा का टाइम लग गया
था ,,फिर हम लोग नीचे के दूसरे रूम मे चले गये जो रूम मामा का था,,,
( मतलब विशाल का था )
वो रूम स्टोर रूम भी था इसलिए वहाँ कुछ ज़्यादा समान पड़ा हुआ था,,,हम लोगो को इतना
काम करने की आदत नही थी खांसकार सोनिया को तो बिल्कुल भी नही ,,,,वो तो किचन मे भी
कोई काम नही करना जानती थी ,,,बस माँ के साथ मिलकर कभी सब्जी काट देती थी,,जबकि
कविता को किचन का सारा काम आता था,,,
हम लोगो का पूरा बदन पसीने से भीग गया था,,,हालाकी सर्दी का मौसम शुरू हो गया था
और हम लोगो को जब गर्मी का एहसास हुआ तो हम लोगो ने एसी भी ऑन कर लिया था लेकिन फिर
भी इतनी मेहनत करते हुए हम लोगो को पसीना आ ही रहा था,,,यहाँ पर समान जो इतना
ज़्यादा था कि ज़्यादा मेहनत करनी पड़ रही थी,,,,मेरा तो ठीक था लेकिन सोनिया थक गयी
थी वो बड़ी आराम से काम कर रही थी ,,मुझे ज़्यादा गर्मी लग रही थी इसलिए मैने अपनी
टी-शर्ट निकाल दी,,,मेरे ऐसे करने से सोनिया ने एक बार मुझे घूर कर देखा और जब मैने
इशारा किया अपने जिस्म पर आए हुए पसीने की तरफ तो वो समझ गयी कि गर्मी की वजह से
मैने टी-शर्ट उतारी है,,,मेरी टी-शर्ट उतर गयी थी और मैं खूब मेहनत कर रहा था अब
तो ज़्यादा ही मेहनत करनी पड़ रही थी मुझे क्यूकी सोनिया जो थक गयी थी,,,,
तभी मैं और सोनिया ज़मीन पर गिरी हुई एक लोहे की अलमारी को ज़मीन से उठाकर वापिस उसकी
जगह पर खड़ी कर रहे थे,,,,सोनिया थक कर चूर हो गयी थी थोड़ी ही देर मे इसलिए
उस से अब ज़्यादा ज़ोर नही लगाया जा रहा था,,,सारा ज़ोर मुझे ही लगाना पड़ रहा था लेकिन
मेरे अकेले के लिए इस अलमारी को उठाना मुमकिन नही था फिर भी मैने अपनी तरफ से अलमारी को
उठा लिया लेकिन सोनिया को मुश्किल हो रही थी वो ज़्यादा ज़ोर नही लगा पा रही थी,,तभी
मैने हल्के गुस्से से उसको देखा और इशारा किया कि वो भी ज़ोर लगाए क्यूकी अलमारी का सारा
वजन मेरे हाथों पर ही था वो तो बस अलमारी को पकड़ कर खड़ी हुई थी,,,मेरे से अलमारी
को संभालना मुश्किल हो रहा था इसलिए मैं उसको इशारा कर रहा था कि वो भी थोड़ा ज़ोर
लगाए लेकिन उस से ज़ोर नही लग रहा था,,हार कर मैने अलमारी को वापिस ज़मीन पर रख
दिया और सोनिया ने भी अलमारी के वापिस ज़मीन पर आने से चैन की साँस ली,,,तभी एक दम से
वो मेरी तरफ देखकर हँसने लगी,,,,,और हंसते हुए ज़मीन पर बैठ गयी,,,,
क्या हुआ तुझे,,, हँसने क्यूँ लगी एक दम से ,, पागल हो गयी है क्या,,,,,
नही भाई मैं तो तेरी हालत पे हंस रही हूँ ,,,कितनी मुश्किल हो रही थी तुझे अलमारी
को थामने मे ,,,और मुझसे तो थोड़ा सा भी ज़ोर नही लग रहा था इतनी ज़्यादा थक गयी हूँ
मैं,,,इतना बोलकर वो फिर से हँसने लगी,,,,
तो इसमे हँसने की क्या बात है,,,मैने थोड़ा अकड़ते हुए बोला,,,चल उठा बहुत काम बाकी
है अभी,,,
लेकिन वो मेरी बात नही सुन रही थी बस हँसती जा रही थी,,,,
क्या हो गया तुझे पागल तो नही हो गयी,,,बिन वजह क्यूँ हंस रही है,,,
पता नही भाई,,,,बहुत हँसी आ रही है मुझे एक दम से,,,वो हँसती जा रही थी ,,,,
अच्छा अच्छा हंसले ,,,,वैसे भी तू पागल है और बिन वजह हँसने वाले को पागल ही समझते है
लोग,,,,,हंसले जितना हँसना है,,,,काम तो बाद मे भी हो जाएगा,,,,,
मेरे इतना बोलने से वो कुछ देर चुप हुई और वापिस फिर से हँसने लगी,,,,,
अब क्या हो गया ,,एक पल के लिए चुप हो गयी थी और फिर से हँसने लगी,,,सच मे पागल हो
गयी है तू,,,,
हाँ हां जानती हूँ पागल हो गयी हूँ ,,तभी तो हंस रही हूँ,,,तू भी हंस लिया कर
सन्नी कभी कभी,,,,इतना बोलकर वो हँसती जा रही थी,,,,
ना मुझे कोई शॉंक नही बिन वजह हँसने का मैं तेरी तरह पागल नही हूँ,,,
मैने उसको वापिस पागल बोला तो वो ज़मीन से उठकर खड़ी हो गयी,,,,अच्छा मैं पागल हूँ जो
हंस रही हूँ अभी रुक तुझे भी पागल करती हूँ मैं,,,इतना बोलकर वो मेरे पास आ गयी
और इस से पहले मैं उसको रोकता उसने मेरी कमर पर गुद-गुदि करनी शुरू करदी,,मेरे जिस्म
पर टी-शर्ट नही थी इसलिए मुझे ज़्यादा ही गुद-गुदि हो रही थी,,उपर से सोनिया खुद भी
खिल-खिला कर हंस रही थी तो मुझे भी बहुत हँसी आने लगी,,,,वो खुद भी हँसती जा रही
थी और मुझे भी गुद-गुदि करके हंसा रही थी,,,,हम दोनो ही पागल हो गये थे,,,
तभी मुझे कुछ ज़्यादा ही गुद-गुदि होने लगी तो मैं थोड़ा पीछे हटने लगा ,,मेरे पीछे
एक मॅट्रेस ज़मीन पर पड़ा हुआ था,,,मैं पीछे हटने लगा सोनिया की गुद-गुदि से बचने
के लिए और साथ मे सोनिया भी आगे होने लगी ताकि मुझे गुद-गुदि कर सके,,जैसे ही मैं थोड़ा
पीछे हटा मेरा पैर मॅट्रेस से टकरा गया और मैं बेक़ाबू होके पीछे की तरफ गिर गया
मैने खुद को गिरने से बचाने के लिए सोनिया का हाथ पकड़ लिया वैसे भी मैं उसके हाथों
को अपने जिस्म से दूर करने की और गुद-गुदि से बचने की कोशिश कर रहा था,,,
मैने गिरते हुए सोनिया का हाथ पकड़ लिए और एसा करने से सोनिया भी मेरे साथ गिर गयी,मैं
मॅट्रेस के उपर पीठ के बल गिरा जबकि सोनिया मेरी छाती पर पेट के बल गिर गयी,,गिरने
के बाद भी वो हँसती जा रही थी,,उसका सर मेरी नंगी और पसीने से भीगी हुई छाती पर
टिका हुआ था और वो हँसती जा रही थी,,,उसके हाथ भी मेरी नंगी छाती पर थे,, कुछ
देर हँसने के बाद जब उसको एहसास हुआ कि वो मेरे जिस्म पर गिरी हुई है तो उसने अपने सर
को मेरी छाती से उपर उठा लिया और मेरी तरफ देखने लगी,,,,अभी भी उसके चहरे पर
हल्की हल्की मुस्कान थी,,,वो मुस्कुराती हुई मेरी तरफ देखने लगी और फिर मेरी छाती से
अपना सर उठकर मेरी छाती की तरफ,जब उसको एहसास हुआ कि वो मेरी नंगी छाती से चिपकी
हुई है तो उसकी हँसी रुक गयी,,,मुस्कान भी उसके चहरे से उड़ गयी एक दम से,,उसने कुछ पल
के लिए मेरी नंगी छाती को देखा और फिर मेरे चहरे की तरफ देखने लगी,,,वो थोड़ी डर
गयी परेशान वो गयी खुद को ऐसी हालत मे पाके,,,
उसने अपने हाथ को ठीक से मेरी छाती पर रखा और मेरे उपर से उठाने की कोशिश करने
लगी लेकिन मेरी छाती पर हल्का हल्का पसीना था जिस से उसके हाथ फिसल गये और वो वापिस
मेरे उपर गिर गयी,,,वो वापिस मेरी छाती से चिपक गयी,,,उसके गिरने से मेरी हँसी निकल
गयी,,,,उसने सर उठाकर मेरी तरफ देखा तो मुझे हंसते देख हल्के गुस्से से घूर्ने लगी
लेकिन मैं चुप नही हुआ और हल्के हल्के मुस्कुराता रहा,,,उसने फिर से गुस्से से देखा और
उपर उठने की कोशिश की लेकिन वो एक बार फिर फिसल गयी और वापिस मेरी छाती पर गिर
गयी,,,,,इस बार वो मेरी छाती पर गिरी तो उपर नही उठी,,तभी मैने महसूस किया उसके
हाथ मेरी छाती पर हल्के से फिसलने लगे,,,तभी मैने एक दम से उसके शोल्डर से उसको
पकड़ा और अपने जिस्म से थोड़ा उपर उठा दिया,,,,उसने चेहरा उपर उठाकर मेरी तरफ देखा
और आगे की तरफ बढ़ने लगी,,,,,मुझे उसकी हालत ठीक नही लगी,,वो कुछ बेचैन लग रही
थी और हल्के से उपर की तरफ बढ़ रही थी,,,अभी तक उसका सर मेरी छाती पर था लेकिन
अब वो मेरे शोल्डर तक गर्दन के पास तक पहुँच गयी थी,,,मेरे हाथ उसके शोल्डर पर
टिके हुए थे और वो हल्की सी मेरे जिस्म से उपर उठी हुई थी,,,जबकि उसके हाथ मेरी छाती
पर हल्के हल्के इधर उधर फिसल रहे थे,,,,मेरे हाथों पर भी पसीना था और सोनिया
की स्किन भी एक दम रेशम जैसी थी,,,,मेरे पसीने से भरे हुए हाथ उसके शोल्डर पर से
फिसल गये और वो वापिस मेरे जिस्म पर गिर गयी,,,अब उसका चहरा मेरी छाती पर नही बल्कि
मेरे राइट साइड के शोल्डर पर गर्दन एक पास था,,,
वो थोड़ी गर्म हो गयी थी शायद और बेचैन भी,,,,बेचैनी मे उसके हाथ मेरी छाती और
कमर की दोनो तरफ फिसल रहे थे उसकी साँसे उखड़ने लगी थी और गर्म हो गयी थी जिसका
एहसास मुझे अपनी गर्दन पर होने लगा था,,उसके दिल की धड़कन बहुत तेज हो गयी थी जो कि
मुझे अपनी छाती पर महसूस हो रही थी,,,
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