RE: Desi Porn Kahani मेरी चाची की कहानी
मेरी चाची की कहानी--5
गतान्क से आगे..............
चाची की बात सुनते ही फूफा ने चाची को लिटा दिया और उनके पैर को फैला दिया और अपने लंड को चाची की चूत पर रगड़ने लगे, चाची तो पागल हो गयी थी, कस कर बिस्तर को पकड़ लिया, फूफा तो बड़े मज़े से चाची की चूत को अपने लंड से मार रहे थे, चाची बोली "उउउम्म्म्म उूउउंम्म राजेश अब तरसाओ मत जल्दी अंदर डाल दो...कई दिनो से चुदी नही है, डालो ना अंडाअरररर". जैसे ही फूफा ने लंड को अंदर डालना चाहा चाची उछल कर एक तरफ घूम गयी "आआअहह उूउउफफफ्फ़ राजेश रूको बहुत दर्द हो रहा है...मे अभी इसे नही ले सकती" फूफा बोले "कोमल मे थोड़ा तैल लगा लेता हूँ जिससे आसानी से तुम्हारी चूत मे घुस जाएगा" और फिर थोडा टेल (आयिल) लिया और अपने लंड और चाची की चूत पर लगाया और चूत के उपर रखा और फिर एक ज़ोर का धक्का मारा, पूरा लंड चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया पर चाची इस बार दर्द सहन कर गयी, क्यूँ तैल के कारण लंड एक दम चिकना हो गया था और अंदर भी जा चुका था, फूफा धीरे उनके उपर लेट गये और चुचि को चूस्ते हुए एक जोरदार दखा मारा "उूउउइइ माआ राजेश...धीरे धीरे चोदो, आवाज़ नीचे तक चले जाएगी..ऊऊहह एयाया". फिर फूफा ने भी अपना स्पीड थोड़ा स्लो किया पर पुच पच की आवाज़ मेरे कानो मे सीधी आ रही थी मेरा लंड पहली बार खड़ा हुआ था ये सब देख कर मुझे तो पसीने आने लगे.
चाची अब बड़े मज़े से चुदवा रही थी और फूफा के हर धक्के का जवाब दे रही थी और फूफा के चूतर को पकड़ कर अंदर की तरफ दबा रही थी और एक अजीब सी सिसकारी चाची के मूह से निकल रही थी, फूफा ने भी अपनी स्पीड तेज़ करदी थी और चाची की चूंची को बेदर्दी से दबा रहे थे. चाची के मूह "आआअहह उूुउउ" की आवाज़ निकल रही थी, फूफा के हर धक्के पर चाची का पूरा जिस्म हिल जाता, अब चाची फूफा को और ज़ोर्से चोदने के लिए कह रही थी, इतने मे चाची ने फूफा को अपने पैरों और हाथो से जाकड़ लिया और उनके मुहसे "आआआआआआआआआअ" की एक तेज आवाज़ निकली और शांत पढ़ने लगी. चाची अब फूफा को किस करने लगी शायद चाची अब झाड़ चुकी थी, पर फूफा तो बड़े जोश मे लंड अंदर बाहर करे जा रहे थे तभी उन्होने पूछा "कोमल मुझसे फिर कब चुदवा-ओगि" चाची बोली "अब तो आपसे ही चुदवाउंगी बड़ा मोटा लंड है आप का मज़ा आ गया...वादा कीजिए जब तक आप यहाँ है मुझे ऐसे ही चोदा करेंगे,... मे अब रोज रात को सोने से पहले एक बार आपसे ज़रूर चुदवाउंगी"
फूफा शायद अब पूरे जोश मे थे और तेज़ी से छोड़ने लगे, फिर 5, 6 धक्कों मे वो भी झाड़ गये और चाची पर लेट गये, चाची उनके पीठ (बॅक) को कस कर जाकड़ लिया और उनसे चिपक गयी, खुच देर बाद उन्होने फूफा को अपने से अलग किया और कपड़े ठीक करने लगी, तभी फूफा ने चाची को अपनी तरफ खींचा और किस कर लिया चाची शरमाते हुए उठी और सीधा नीचे चली गई. मेरी भी हालत कुछ अच्छी नही थी मे अभी भी अपने छोटेसे लंड को तना हुआ महसूस कर रहा था शायद यही मेरा सेक्स का पहल अनुभव था जिसे मैने अपनी आँखों के सामने देखा था, अब मुझे भी ये सब देखना अच्छा लगने लगा था.
दूसरे दिन मे जब सुबह 7 बजे उठा तो देखा फूफा बिस्तर पर नही थे विकाश अभी भी मेरे ही सोया था, मे उठा और अपने कमरे मे जा कर टूतपेस्ट और ब्रश लिया और छत की सीढ़ियों पर बैठ गया था भी देखा चाची चाइ (टी) लेकर फूफा के कमरे मे जा रही है, मे भी सीधे नीचे उतरा और खिड़की के पास जा कर खड़ा होगया अंदर से फूफा और चाची की आवाज़ आ रही थी.
चाची: "क्या बात आज तो बड़े फ्रेश लग रहे है"
फूफा: "हां...कल रात पहली बार इतनी अच्छी नींद आई"
चाची: "हमारी तो नींद ही उड़ा दी आपने"
फूफा: "क्यूँ क्या हुआ?"
चाची: "कल रात भर मे ठीक से नींद नही आई..पूरे बदन मे दर्द सा है"
फूफा:" क्यूँ कल रात तुम्हे मज़ा नही आया क्या?"
क़हचही:" हाए राम...कितना मोटा है आपका अभी तक दर्द हो रहा है...लग रहा है अभी भी अंदर है"
फूफा: "रात को तो बड़े मज़े से ले रही थी...अब कह रही हो दर्द हो रहा है"
चाची: "मना कर देती तो अच्छा होता.. ये दर्द तो नही होता"
फूफा: "बड़ी नाज़ुक हो..एक ही बार मे डर गयी...अब तो रोज करना है"
चाची: "ना बाबा...अभी 2, 3 दिन नही"
फूफा: "2, 3 दिन!!....अर्रे मेरा तो अभी भी खड़ा है तुम्हारी चूंची और चूतर देख कर..क्यूँ ना हम अभी !!"
चाची: "आआहह राजेश क्या कर रहे है आप, दरवाज़ा खुला है कमल आ जाएगी, आआअहह मत दबाओ दर्द हो रहा है"
फूफा: “उपरवालेने बड़े फुरशत मे बनाया है आपको”
चाची: “छोड़िए ना कोई आ जाएगा”
फूफा: "अर्रे 2 मिनट. मे हो जाएगा...सारी उपर करो ना!!"
चाची: "राजेश अभी नही, दोपहर मे कर लेना उूउउइ ऊओ नही"
फूफा: "अर्रे दोपहर मे भी कर लेंगे..अभी तो लंड खड़ा होगया है, तुम्हारी चूत लिए बिना मानेगा नही, तुम घूम के टेबल के सहारे झुक जाओ"
च्कही: "ऊफ़्फूओ नही"
फूफा: "अर्रे घुमो ना...जल्दी से कर लूँगा"
क़हचही: "आप तो दीवाने हो गये हो..मुझे बदनाम कर के ही छोड़ेंगे"
फूफा: “जल्दी उठाओ ना!!”
चाची: “नही छोड़िए मे जा रही हूँ..”
फूफा: “अर्रे सुनो ना जल्दी कर लूँगा”
चाची: “नही दोपहर मे कर लेना”
फूफा: “अर्रे रूको !!”
चाची की आने की आहट सुन कर मैं छत (टेरेसए) की सीढ़ियों (स्टेर केस) के पीछे चुप गया, चाची कपड़े ठीक करते हुए नीचे चली गयी. मैने उनकी पूरी बाते सुनली थी और सोच रहा था कि आज फिर दोपहर मे चाची की चुदाई होगी पर कहाँ होगी ये तो पता नही था, क्यूँ ना आज फिर चाची पर नज़र रखी जाए.
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