RE: Desi Porn Kahani विधवा का पति
उनके चारों तरफ अच्छी-खासी भीड़ लग चुकी थी।
लोग पिता और पुत्र के उस अजीब-से रोमांचक मिलन को देख रहे थे—देखने वाले उस लाल जर्सी वाले मासूम , प्यारे और खूबसूरत बच्चे की दीवानगी देखते ही रह गए थे , जिसके छिले हुए घुटनों से अभी तक खून बह रहा था। जाने किस भावना से प्रेरित युवक उसे अपने से लिपटाए कांप रहा था और साथ ही अपना दिमाग उसे अन्तरिक्ष में तैरता-सा महसूस हो रहा था।
उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह बच्चा उसे अपना पापा क्यों कह रहा है ?
अभी वह बच्चे से अलग होने और कोई सवाल करने का होश भी नहीं जुटा पाया था कि बच्चों की रिक्शा का चालक बेतहाशा भागता हुआ वहां पहुंचा—वह ‘विशेष....विशेष’ करके चिल्ला रहा था। भीड़ के साथ ही बच्चे और युवक ने भी उसकी तरफ देखा।
हांफता हुआ रिक्शा चालक बोला —“तुम्हें क्या हुआ विशेष ?"
"देखते नहीं रिक्शा वाले—मेरे पापा मिल गए हैं ?" लड़के ने मासूम आवाज में कहा।
"तुम्हारे पापा …मगर....।"
वह कुछ कहता-कहता रुक गया और आश्चर्य के साथ युवक की तरफ देखने लगा—युवक स्वयं हक्का-बक्का-सा उसकी तरफ देख रहा था। रिक्शा वाले ने पूछा — "भला आप विशेष के पिता कैसे हो सकते हैं ?"
"क्या इस बच्चे का नाम विशेष है ?" उसके इस प्रश्न पर चारों तरफ खड़ी भीड़ चौंकी थी , साथ ही बच्चे ने कहा — "आप कैसी बातें कर रहे हैं पापा , क्या आप मेरा नाम नहीं जानते हैं ?"
हैरत में डूबे युवक ने एक नजर विशेष पर डाली , फिर रिक्शा चालक से पूछा —"विशेष कहां रहता है।"
"गांधी नगर में।"
"क्या तुम इसके पापा को जानते हो ?"
"जी...जी।" रिक्शा चालक चकित-सा था— “ जानता तो नहीं हूं, मगर बीबीजी कहती हैं कि आज से तीन महीने पहले विशेष के पिता का इन्तकाल हो चुका है।"
"बीबीजी कौन ?"
"विशेष की मम्मी।" '
"तुम झूठ बोलते हो रिक्शा वाले।" विशेष ने एकदम प्रतिरोध किया—“मेरी मम्मी ने मुझसे कहा था कि पापा मेरे लिए ढेर सारी टॉफियां लेने आकाश में गए हैं—क्या मैं आपको जानता नहीं हूँ पापा—मेरे लिए टॉफी लेने गए थे न आप।"
"हां बेटे—हां।" कहकर युवक ने उसे गोद में उठा लिया। ऐसा शायद विशेष के भोले अन्दाज की वजह से हुआ था। बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा था उसने और कहने के साथ ही उसकी झील-सी गहरी नीली और बड़ी-बड़ी आंखों में पानी था।
एकाएक युवक को ध्यान आया कि यहां , इतनी भीड़ के सामने ये अटपटी बातें करना उसके हित में नहीं है—उन अटपटी बातों को सुनकर कोई पुलिस को बुला सकता है या ड्यूटी पर तैनात कोई पुलिसमैन स्वयं भी यहां आ सकता है—इस वक्त किसी भी चक्कर में उलझकर उसका पुलिस के हत्थे चढ़ना खतरनाक है , अत: वहां से बच निकलने की गर्ज से बोला—“आओ बेटे , अब घर चलें।"
"चलो पापा , मम्मी आज बहुत खुश हो जाएंगी।" कहकर खुशी से लगभग झूमते हुए विशेष ने उसके गले में अपनी बांहें डाल दीं।
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