RE: Desi Porn Kahani संगसार
आदम-हव्वा के इस खामोश समर्पण में किसी तीसे के वजूद की कोई गुंजाइश नहीं बची थी. तन एक हो गए. धड़कन एक हो गई अपने को देखने, इस दुनिया को पहचानने और खुदा तक पहुंचने का रास्ता एक होकर बदन में पेवस्त हो गया, जिसको वे बेतहाशा चूम रहे थे.
शाम ढले जब आसिया घर नहीं लौटी तो सास बेचैन हो उठी. ससुर जब दतर से लौटे तो अपने साथ खबर भी लाए कि किसी जवाना-मर्द औरत को जानकारी के जुर्म में पकड़ा गया हैअइ. सुनकर सास की जान निकल गई शहर में बम फटने से फिर हंगामा, ऐसी हालत में आसिया कहाँ अटक गई
"लगता है जिधर कर्फ्यू लगा है उसी इलाके में गई होगी", ससुर ने कहा.
"अगली दफा से घर का पता और फोन नंबर लिख लूँगी, बेचारी को आज जाना नसीब हुआ तो यह आफत आ पड़ी." सास ने हाथ मलते हुए कहा
रात आँखों-आंखों में कट गई कहाँ फोन करें? मां और आसमा मन्नत बढ़ाने शहर गई हैं सहेलियों का न नाम पता है, न टेलीफोन नंबर. जब कर्फ्यू हटने का ऐलान हो गया और दोपहर तक आसिया नहीं लौटी तो दोनों परेशान हो उठे.
"अफ़ज़ल को क्या जवाब दूँगी? कहेगा कि अम्मा आसिया की हिफाजत न कर सकीं?" सास ने आँखें पोंछी.
"समधिन भी क्या सोचेंगी कि बहू का ख़याल न किया, अकेले जाने दिया." ससुर लस्ता-से पड़ गए.
दोनों ने मुशकिलकुश की तस्वीह घुमाना शुरू कर दिया. आए गए के सामने मुंह नहीं खोला. फिक्र ने उन्हें चंद घण्टों में अधमा बना दिया था.
दोस्तों ने उसे किसी तरह जेल जाने से पहले ही छुड़ा लिया था मगर वह इस बात से उन सबसे खफा था. जब वह बका-झककर खामोश हुआ तो सादिक ने कमरे की खामोशी तोड़ी.
"उसका और तुम्हारा रिश्ता मैं मानता हूं, तुम्हारी अपनी निजी जिंदगी से ताल्लुक रखता है मगर जो कुछ तुम लोगों के साथ आज घटा वह अब तुम्हारा मामला नहीं रह गया बल्कि उसका ताल्लुक हम से और इस समाज से है. इसलिए अभी तक हम चुप थे, मगर इस मामले में अब तुम चुप होगे और हम अपना फर्ज निभाएँगे."
"कुछ सोचो तो, गुनाहगार तो बराबर का मैं भी हुआ, सजा सिर्फ उसे क्यों मिले? वह तड़पा.
"तुम्हें छुड़ाना आसान थ, तुम छूट गए. अब हम उसे छुड़ाने की कोशिश करेंगे, इतमीनान रखो. असलम ने समझाया.
"एक बार फिर मर्द दगाबाज साबित हो गया." उसने दोनों हाथों से कान के पास फड़कती रग पकड़ी.
"यार! बोर मत करो, बात को समझो. यहाँ साथ-साथ लैला-मजनूँ की कहानी नहीं दोहरानी, यहाँ ज़रूरत है उसे बचाने की, आज एक की शामत आई है, कल हजारों पकड़ी जाएँगी." नुईम ने झुँझलाकर कहा.
"इसको तनाव बहुत है, कहीं दिमाग की रग न फट जाए, कहो तो इंजेक्शन देकर सुला दूँ ताकि हम बैठक चैन से सलाहा-मशविरा कर सकें. "फारूख ने सादिक के कान में कहा.
दोस्तों ने जबरदस्ती उसे बिस्त पर लिटाया. फारूख ने अपना दवा का बैग खोला, इंजेक्शन तैयार किया और यह कहते हुए उसके बाजू में घोंप दिया, "बात तुम्हारी नहीं है बल्कि हम जो निजाम लाना चाहते हैं, आसिया जो पाना चाहती है या औरतें अपनी तरह जीना चाहती हैं, यह उसकी है. उनकी तिलमिलाहट इसलिए है कि आसिया अब उनके लिए चुनौती बन गई है और हमारे संघर्ष की मशाला"
"मगर मैं तो अपने को उन्हीं जाहिलों की पंक्ति में खड़ा पा रहा हूं." वह बैन करता सा चीखा.
"यकीन रखो, उसे सजा नहीं होने देंगे. हाँ, जब मुकदमा चलेगा और बहस शुरू होगी तो हम अपना नजरिया इस जोरदार तरीके से सामने रोंगे कि इन जालिमों को बराल झाँकने के अलावा कुछ समझ में नहीं आएगा. "सादिक ने तल्खी से कहा.
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