Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-20-2021, 08:20 PM,
#1
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आवारा सांड़

Lekhak-- Anand singh



लेखक - आनंद सिंग

दोस्तो बड़ा अजीब सा नाम है ये आवारा सांड़.....ये कहानी है एक ऐसे लड़के की जिसको रात दिन बस एक ही काम नज़र आता था ....और वो काम था केवल चोदने का....

उसे इस काम मे महारत हासिल थी.....आख़िर हो भी क्यो ना..इतना विशाल लंड जो उपर वाले ने उसे दिया था....एक बार जो भी लड़की या औरत उसके लंड से चुद जाती वो हर समय बस इसी इंतज़ार मे रहती कि उसका बड़ा सा लंड फिर कब उनकी चूत या गान्ड मे घुस कर उन्हे
चोदेगा....

ये कहानी है एक ग़रीब परिवार के लड़के राज की.......उसके चुदाई सफ़र की.....जिसने स्कूल,गाओं,कॉलेज और घर की और रिश्तेदारो की
कुवारि लड़कियो और औरतो की चूत को अपने विशाल लंड से चोद चोद कर कैसे उनका भोसड़ा बनाया.....

इसीलिए लोग उसे प्यार से आवारा सांड़ कहते हैं...उसके बड़े और मोटे लंड के कारण....

Lekhak - Anand
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03-20-2021, 08:20 PM,
#2
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट * 1

"अरे वो मीनू......देख उस राज को भी उठा दे ....सूरज सर पर आ गया है.....और ये अभी तक बिस्तर से नही उठा" ...

ये आवाज़ है राज की माँ मालती की जो अपनी बड़ी बेटी मीना को अपने हीरो राज को उठाने के लिए बोल रही है...

40 की उमर होने के बावजूद भी देखने से उसकी उमर का अंदाज़ा नही लगता....36" की बड़ी बड़ी चुचिया और 38" की विशाल गान्ड....जो भी एक बार देख ले बिना मूठ मारे ना रह पाए....उपर से गोरा रंग.....

दूसरो की हम क्यो बात करे....उसका बेटा राज खुद ही अपनी माँ की बड़ी गान्ड के नाम पर अपने लंड का पानी गिराता रहता है....और मंन मे उसे नंगी कर के चोदने के सपने देखता है....वो तो इतना ही नही अपने घर की चचेरी बहनो और सग़ी बहनो को भी चोदने की फिराक मे लगा रहता है....बस मौका नही मिलता उसे...

मालती की चार औलाद हैं....जिनमे 3 बेटियाँ और एक लड़का है..... आइए एक नज़र मालती के परिवार पर डाल लेते हैं....

इंदु--एज..65..दादी

मालती--एज..40..माँ
मीना--एज..25..बड़ी बहन
शीतल--आगे..23.. मझली बहन
राधा--एज..18..छोटी बहन
राज--एज..20..हीरो

रमेश--एज..45..बड़े चाचा
रूपा--एज..38..बड़ी चाची
किंजल--एज..24..बड़ी बेटी
ऋतु--एज..22..छोटी बेटी

प्रताप--एज..43..छोटे चाचा
सीमा--एज..39..छोटी चाची
विद्या--एज..22..बड़ी बेटी
संध्या--एज..21..मझली बेटी
सोनम--एज..18..छोटी बेटी

ये तो था अपने हीरो के परिवार का लेखा जोखा......राज के पापा की मौत आज से 5 साल पहले कॅन्सर की वजह से हो गयी थी....इनके आमदनी का एक मात्र साधन खेती बाड़ी ही है.....वो भी ज़्यादा तो नही है...बस गुज़ारा चल रहा है जिसके चलते अभी तक सभी लड़किया कुवारि बैठी है....

अभी बटवारा ना होने के कारण सभी एक ही छत के नीचे रहते हैं.....राज परिवार का एकलौता लड़का होने के कारण सबका लाड़ला
था......जिससे वो लाड़ प्यार मे बिगड़ गया....

उपर से उसके दोस्त भी चोदु मिले...जिन्होने उसे चूत की ऐसी लत लगाई की फिर राज ने पीछे मूड कर नही देखा सबसे पहले अपने प्यारे
दोस्तो की ही माँ बहनो पर हाथ साफ करने लगा.....

तो चलते हैं कहानी की ओर जहाँ मालती मीनू को राज को उठाने के लिए कहती है.....

मीनू--माँ तुम कुछ कहती क्यो नही उस सांड़ को.....कल मेरी सहेली विमला को ही रास्ते मे पकड़ लिया था...वो तो अच्छा हुआ कि मैं टाइम
पर वहाँ पहुच गयी नही तो उसका भी मूह काला कर देता...ये सांड़

मालती--क्या करूँ बेटी....एकलौता जो है....सुधर जाएगा...अभी बच्चा है

मीनू--बच्चा नही ..पूरा सांड़ है.....कोई किसी दिन उसका बच्चा लेकर दरवाजे पर आ जाएगी तब मुझे मत बोलना कि बताया नही था...तेरी
लाड़ले की करतूते

मालती--अभी जाके उठा उसको....फिर खेत भी जाना है मुझे

मीनू--जाती हूँ....

मीनू जैसे ही राज को उठाने गयी.....जब दो तीन बार आवाज़ लगाने से वो नही उठा तो उसने उसकी चादर पकड़ के खीच दी...यही उससे बहुत बड़ी ग़लती हो गयी...

क्यों कि चादर के अंदर राज अपनी चड्डी उतार के सोया था...और उसका 11" लंबा और 5" मोटा लंड एक दम तन तना कर खड़ा था

मीनू की तो हलक मे साँस ही अटक गयी...वो अपने मूह के अंदर थूक निगले जा रही थी...वो यहाँ क्या करने आई थी सब भूल कर बस राज के भयंकर गोरे लंड को आँखे फाड़ कर देखे जा रही थी....

मीनू 25 साल की अन्चुदी गदराई लौंडिया थी.....इतने मस्त लंड को देख कर उसकी चूत ने रोना शुरू कर दिया.....

मीनू (मन मे)--बाप रे...कितना बड़ा लंड है राज का....अब समझी सब लड़किया क्यो इसके आगे पीछे घूमती हैं...उनकी तो फाड़ के रख देता होगा ये...उनकी क्या अगर मेरी चूत मे भी घुस गया ग़लती से तो पूरी बित्ते भर की फैला देगा एक ही बार मे चोद चोद कर...पूरा भोसड़ा बन
जाएगी मेरी चूत....एक बार छु के देखती हू...जब तक ये सांड़ सो रहा है...

मीनू डरते डरते काँपते हाथो से राज के लंड को पकड़ लेती है.....जब उसे राज के नीद मे होने का पूरा अंदाज़ा हो गया तो फिर लंड की
चमड़ी को उपर नीचे करने लगी...

मीनू पूरी तरह से गरम होकर चुदासी हो चुकी थी....उसकी जिंदगी का ये पहला लंड था जिसे उसने देखा था आज....वो भी अपने सगे छोटे भाई का....

मीनू अपना रिश्ता नाता सब भूल कर चूत की गर्मी के वशी भूत हो चुकी थी....लंड की चमड़ी उपर नीचे करते हुए जब उसके हाथ दर्द करने लगे तो उसने डरते हुए लंड का टोपा अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी....

मीनू को लंड चूसना इतना अच्छा लगा कि वो उसमे ही खो गयी...और आँखे बंद कर के चुस्ती गयी....उसका ध्यान तब जाके भंग हुआ जब किसी ने उसकी दोनो चुचियो को कस के मसल दिया...
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03-20-2021, 08:20 PM,
#3
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट*2

अपने दूध इतनी ज़ोर से मीसे जाने के कारण मीनू की सिसकारी निकल गयी और उसका लंड चूसना भी बंद हो गया...उसने पलट के देखा
तो उसकी हालत खराब होने लगी....क्यो कि उसके दूध ज़ोर से दबाने वाला और कोई नही बल्कि उसका अपना सगा छोटा भाई राज था....

मीनू बस राज को घबराई हुई हालत मे देखे जा रही थी...राज भी एक टक अपनी दीदी की आँखो मे झाँक रहा था लेकिन उसने अपनी बड़ी बहन के दूध पर से अपने हाथ नही हटाए....उल्टा एक बार फिर से कस कर उन्हे मसल दिया....

मीनू--आआआहह.....उउउइ..माआ....ये क्या कर रहा है...आआआअ....मैं तेरी दीदी हूँ ना...ये पाप है...मत कर..आआआअ...... ज़ोर से मत
मसल दर्द होता है.....छोड़ मुझे....सांड़ कही का

राज--अच्छा अभी जब तुम मेरा लंड चूस रही थी तब ये ज्ञान कहाँ गया था....खूब मज़ा लिया है तूने अपने भाई के लंड का...अब भाई भी तो
थोड़ा मज़ा लूट ले अपनी बहन का....

मीनू--मैं माँ से बता दूँगी.....आआअहह.....दर्द होता है....समझ नही आता क्या तुझे...एक बार मे...

राज--माँ से बोलने से पहले ये तो देख लूँ मेरी जवान फुल चोदने लायक दीदी....

मीनू--ये कैसी गंदी बाते मुझे बोल रहा है....शरम नही आती तुझे....अपनी दीदी को गंदी बात बोलता है...और क्या है ये...

राज ने अपना मोबाइल खोल कर मीनू को दिखा दिया....जिसे देख कर मीनू की रही सही हालत भी खराब हो गयी....

असल मे राज की नीद तो तभी खुल गयी थी जब मीनू उसके कमरे मे आई थी...मगर फिर भी वो सोने का बहाना किए पड़ा रहा क्यो कि नीचे उसने कुछ नही पहना था....

लेकिन जब मीनू ने उसका लंड चूसना चालू कर दिया तो उसे अपनी दीदी को चोदने का एक सुनहरा मौका मिल गया...राज तो वैसे भी मीनू को कयि बार बाथरूम मे छुप छुप कर मूतते हुए देख चुका था....कयि बार अपनी सग़ी बहन की नंगी बुर को देखते हुए अपने लंड का पानी मूठ मार कर गिरा चुका था...

राज हमेशा मीनू को चोदने के प्लान बनाता रहता लेकिन कभी सफलता नही मिली....और आज जब ये मौका मिला तो वो कैसे अपने हाथो से जाने देता.....

उसने तुरंत अपने तकिया के नीचे रखा मोबाइल उठाया और धीरे से मीनू की अपना लंड चूस्ते हुए वीडियो रेकॉर्ड कर ली...मीनू बेचारी अब
फस चुकी थी...वो राज के आगे गिड गिडाने लगी....

मीनू--देख इसे डेलीट कर दे....तू तो मेरा प्यारा भाई है ना...

राज--नही मैं तो अब माँ को दिखाउन्गा ये....उनको भी तो पता चले कि उनकी बेटी कितनी चुदासी है

मीनू (रुआंसी होकर)--ऐसा करने से तुझे क्या मिलेगा...अपनी ही बहन को बदनाम करेगा तू....

राज--और जो तुम मुझे दिन भर हर जगह बदनाम करती हो तब...

मीनू--देख तेरी कसम अब से कुछ नही बोलूँगी किसी से तेरे बारे मे....अब तो डेलीट कर दे

राज--वैसे एक शर्त पर डेलीट कर सकता हूँ...

मीनू--कैसी शर्त..मुझे सब मंजूर है...जल्दी डेलीट कर दे अब...

राज--मुझे चूतिया समझा है क्या...?..पहले मेरी शर्त पूरी होगी तभी डेलीट करूँगा

मीनू--ठीक है...शर्त बोल....क्या चाहिए तुझे...कितने पैसे चाहिए बोल

राज--पैसे का क्या करूँगा मैं....

मीनू--तो और क्या चाहिए...?

राज--तुम्हे पूरी नंगी कर के अपनी प्यारी दीदी की बुर चोदना है.....

मीनू (चिल्लाते हुए)--कय्य्ाआआ......चटाक़

राज (गुस्से मे)--तुमने मुझे थप्पड़ मारा....अभी माँ को जाके सब बताता हूँ....

राज पॅंट पहन कर और हाथ मे मोबाइल ले के बाहर जाने लगा ये देख मीनू डर के मारे पिछे से राज से लिपट गयी और रोने लगी...

मीनू--देख मैं तेरे पैर पकड़ती हूँ...माँ को कुछ मत बता...

राज--अब तो बिल्कुल नही....

मीनू--अगर मैं तेरी बात मान लूँ तो...

ये शब्द कानो मे पड़ते ही राज के कदम जहाँ के तहाँ रुक गये.....

राज--क्या कहा...

मीनू (धीरे से)--अगर मैं तेरी बात मान लूँ तब तो डेलीट कर देगा ना

राज--ऐसे नही....

मीनू--तो फिर...

राज--पहले बोल कि...मैं तुम्हे अपनी बुर चोदने को दूँगी

मीनू--मैं ऐसा कुछ नही बोलूँगी

राज--तो फिर ठीक है...मैं ये चला माँ के पास

मीनू (जल्दी से)--मैं तुम्हे अपनी बुर चोदने दूँगी...ले अब तो बोल दिया ना..प्लीज़ माँ को मत दिखा अब

राज--मेरे कुछ सवालो के जवाब दो...

मीनू--कैसे सवाल...?

राज--मुझे गंदी गंदी बाते बहुत पसंद हैं...तो जवाब भी वैसा ही होना चाहिए समझी कि नही...

मीनू--ठीक है

राज--पहला सवाल....आप कितने साल की थी जब आपके सीने मे चुचि निकलना शुरू हुई...

मीनू--मुझे याद नही...

राज--हुउऊ.....और दबा दबा कर मसल्ने लायक कब हुई चुचिया तुम्हारी

मीनू--18 साल मे

राज--पूरा बोलो...

मीनू--जब मैं 18 साल की हुई तब तक मेरी चुचिया खूब दबाने और मसल्ने लायक हो गयी थी

राज--अब अपनी बुर के बारे मे बताओ मुझे...

मीनू--क्या...

राज--यही कि वो कहाँ है....कैसी है...चिकनी है या उस पर झाँते हैं....

मीनू--मेरी दोनो जाँघो के बीच मे मेरी बुर है....खूब फूली हुई है...और झान्टे भी बहुत हैं मेरी बुर मे

राज--और बताओ...

मीनू--मेरी बुर मे दो छेद हैं....एक छेद मेरे मूतने के लिए है...और दूसरा छेद मेरी बुर को चोदने के लिए

राज--दीदी तुम्हारी बुर् चोदने लायक है कि नही...?

मीनू--मेरी बुर खूब हचक हचक कर चोदने लायक है

राज--कितने लोगो ने चोदा है अब तक तेरी बुर् का छेद..?

मीनू--तेरी कसम...आज तक किसी ने भी नही....मैं बिल्कुल कुआरी हूँ....चाहे तो तू खुद मुझे चोद कर देख ले...

राज--मेरा लंड कैसा लगा...

मीनू--बहुत सुंदर...लेकिन बहुत बड़ा है और मोटा भी बहुत है

राज--अब बताओ दीदी कि मैं अपने आधे लंड से तुम्हारी बुर् चोदु की पूरा लंड घुसेड कर

मीनू--मेरी बुर के चोदने वाले छेद मे अपना पूरा लंड घुसेड कर अच्छि तरह से चोद लो भाई..अपनी दीदी की बुर

राज--तो फिर आ जाओ

मीनू--पहले माँ को खेत चली जाने दो...तब तक तुम भी नाश्ता कर लो

राज--रुक थोड़ा तेरे दूध मसल लूँ...

मीनू--बाद मे अभी माँ आ जाएगी....माँ के जाने के बाद मुझे पूरी नंगी कर लेना और जितना मंन करे उतना चोद लेना मेरी बुर...मसल लेना
जितना मन करे मेरे दूध...अब नीचे चल...

फिर राज खुशी खुशी नीचे आ गया....उसकी माँ ने उसको नाश्ता कराया और फिर वो खेतो की तरफ चली गयी...माँ के जाते ही राज ने अपनी सग़ी बड़ी बहन मीनू को गोदी मे उठा कर अपने बिस्तर मे लाकर पटक दिया....
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03-20-2021, 08:21 PM,
#4
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट*3
अब कहानी राज की ज़ुबानी......................

मैं मीनू दीदी को लेकर कमरे मे आ गया….बाकी दोनो बहने स्कूल जा चुकी थी….हमारा कंबाइंड परिवार था….लेकिन कमरे अलग अलग थे….

दीदी बिस्तर पर बैठ गयी…मैं भी उनके पास आ गया…..

मीनू—देख राज ज़्यादा समय नही है.....जल्दी से चोद ले ...लेकिन मुझे पहले ठीक से तेरा लंड देखना और चूसना है.....

मैने जल्दी से अपने कपड़े उतार नंगा हो गया....मेरा लंड चोदने का नाम सुनकर ही पूरे जोश मे आकर तन तना गया था....

मीनू दीदी बड़े गौर से मेरे लंड को देख रही थी....

मैं—अब देखती ही रहोगी....मुझे भी तो कुछ दिखाओ...अपना माल..

मीनू—मुझे शरम आती है....तू खुद अपने हाथ से मेरे कपड़े उतार के मुझे पूरी नंगी कर ले

मैने दीदी को खड़ा खड़ा किया और सब से पहले उनका कुर्ता उपर कर के निकालने लगा…उन्होने अपने हाथ उपर कर कुर्ता उतारने मे मेरा साथ दिया…

कुर्ता निकलते ही ब्रा मे क़ैद उनकी बड़ी बड़ी चुचिया मेरे सामने आ गयी….जो उस ब्रा मे समा नही रही थी मैने ब्रा के उपर से ही उन पर हाथ रख के फेरने लगा…..

मीनू—ब्रा भी उतार दे.....और अच्छे से देख ले अपनी दीदी की चुचि.... जिनको देखने के लिए तू मरा जा रहा था....

मैं—तुम्हे कैसे मालूम.... ?

मीनू—मैं सब जानती हूँ....जब मैं झाड़ू लगाती हूँ...तब कैसे आँखे फाड़ कर रोज इनको देखता है जैसे पूरा निचोड़ लेगा....

मैं—मैं तो सच मे आपकी चुचि कब से निचोड़ना चाहता था....आपको पूरी नंगी देखने को तड़प रहा था...

मीनू—तो ब्रा उतार के निचोड़ ले आज मेरी चुचियो को......राज...एक बात सच बताएगा

मैं—क्या....

मीनू—यही कि तू मुझे रोज नंगी देखता था ना.....जब मैं नहाती हूँ....

मैं—हाँ....दीदी

मीनू—मैं तुझे नंगी अच्छी लगती हूँ....

मैं—मत पूछ दीदी....तुम्हारा नंगा जिस्म मुझे कितना पसंद है....

मीनू—सच मे---

मैं—हाँ….

मीनू—तो फिर कर ना जल्दी से मुझे नंगी…मैं भी तो जान बुझ कर नंगी नहाती हूँ…जब तू मुझे झाँकता है नहाते हुए….बता नही सकती मुझे कितना मज़ा आता है….तेरे सामने नंगी होने मे

मैं—तुम्हे सब मालूम था…

मीनू—हाँ...मेरे भाई....मैं तो चाहती हूँ कि तू मुझे रोज अपने हाथो से कयि बार नंगी करे.....मैं बार बार कपने पहनु और तू जब भी थोड़ा सा भी मौका मिले तो मुझे पकड़ के नंगी कर दे...

मैं—सच कह रही हो दीदी....

मीनू—हाँ...मेरे भाई....मेरा बहुत मन करता है तेरे हाथो से नंगी होने का....बोल अब से तू मुझे करेगा ना रोज नंगी....रोज मुझे कम से कम 10-15 बार नंगी करेगा ना...

मैं—हाँ...दीदी...मैं तुम्हे...दिन भर नंगी करूँगा......और फिर अपना लंड हर बार तुम्हारी बुर् को चोदने वाले छेद मे घुसेड दूँगा.... मुझे घुसेड़ने
दोगि ना दीदी...अपनी बुर मे...

मीनू—हाँ..राज....रोज घुसेड़ना अपना लंड.....खूब चोदना मेरी बुर....मैं तो कब से तुझे अपनी बुर देना चाहती थी....

मैं—अब से रोज पेलुँगा तेरी बुर दीदी....

मीनू—हाँ भाई....रोज खूब पेलना अपना लंड...अपनी दीदी की बुर मे घुसेड घुसेड कर.....बार बार घुसेड़ना....थोड़ा सा भी मौका मिलने पर
घुसेड देना अपना लंड मेरी बुर मे....बोल रोज हर दो दो घंटे मे लंड घुसाएगा ना अपनी दीदी की बुर के छेद मे...

मैं—हाँ..दीदी...रोज पेल पेल के तेरी बुर को भोसड़ा बना दूँगा

मीनू—तो जल्दी से मुझे पूरी नंगी कर ना.....और चोद डाल मेरी बुर

मैने दीदी के बचे कुचे कपड़े भी निकाल दिए....वो अब मेरे सामने पूरी नंगी खड़ी थी....उनके बड़े बड़े दूध कयामत ढा रहे थे.....मैने दोनो दूध
अपनी मुट्ठी मे दबोच लिए और उन्हे बेरहमी से मसल्ने लगा....

मीनू—आआहह....हाअ.....ऐसे ही खूब ज़ोर ज़ोर से मीस मेरे दूध...... मेरी हमेशा से ख्वाहिश थी कि तू मुझे खूब बेरहमी से चोदे....खूब ज़ोर ज़ोर से मेरे दूध दबाए...आआआ...आआ....मसल और दबा ...भाई...अपनी दीदी के दूध....

मैं—दीदी....बहुत मस्त दूध है तेरे....

मीनू—तेरे दबाने के लिए हैं भाई...तेरी दीदी के ये बड़े दूध....रोज दबाएगा ना मेरे दूध भाई

मैं—हाँ...दीदी....पूरा दिन दबाउन्गा...

मीनू—आआआअहह......दर्द...हो...रहा....है.....आआआहहा

मैं—ठीक थोड़ा धीरे धीरे दबाता हूँ अब....

मीनू—नही....आआआ...मेरे भाई....मुझे दर्द मे ही मज़ा आता है.... मुझे ऐसे ही पूरी बेरहमी से मसल डाल ....खूब बेदर्दी से मेरी बुर को
फाड़ना आज....और ज़ोर...से....दबा...भाई....हाँ....ऐसे ही..उूउउइई माआ...मर....गयी....आआअहह

मैं पूरे आधा घंटे तक दीदी की चुचियो को बेरहमी से मसलता रहा.....पूरी लाल हो गयी थी..दीदी...की गोरी गोरी चुचिया.....वो चिल्लाती
रही....मैं मसलता रहा...

मीनू—आआअहह...भाई...कोई आ...जाएगा...जल्दी से अब....मेरी बुर का भी उद्घाटन कर दे.....देख तेरे लंड से फटने के लिए तड़प रही है....

मैं दोनो दूध मीस्ते हुए अपना चेहरा नीचे लाया....दीदी की दोनो जाँघो के बीच....जहा मेरी सग़ी बड़ी बहन की बुर थी...

मैं देखता ही रह गया...दीदी की बुर को...वैसे तो मैने मीनू दीदी की बुर काई बार देख चुका था..लेकिन इतने पास से देखने का ये पहला मौका था....

पूरी बुर घनी घनी झान्टो से ढाकी हुयी थी....

मैं—दीदी…अपने छोटे भाई को…अपनी बुर दिखाओ ना…

मीनू—तेरे सामने ही तो है...देख ना...

मैं—तुम अपने हाथो से फैला के दिखाओ….

मीनू—ठीक है…ये..ले मेरे भाई…देख ले अच्छे से अपनी दीदी की बुर को….

दीदी ने अपने दोनो हाथो से अपनी बुर की दोनो फांको को फैला फैला कर बुर दिखाने लगी...बुर की दोनो फांके आपस मे चिपकी हुई
थी...बुर के अंदर लाल लाल दिखाई दे रहा था...पूरी गीली हो चुकी थी

मैं—ये इतनी गीली क्यो है दीदी..

मीनू—क्यो कि तेरी दीदी की बुर बहुत चुदासी है मेरे भाई...इसीलिए गीली हो गयी है

मैं—इसमे तो दो दो छेद हैं....चोदने वाला कौन सा है....

मीनू (बुर को और फैलाते हुए)—ये देख….ये उपर यहाँ पर ये छेद जो है ना…वो तेरी दीदी के मूतने का छेद है……अब उसके नीचे देख
…नीचे वाला छेद ….हाँ..यही….ये छेद तेरी दीदी की बुर को चोदने के लिए है…. अब समझ गया ना भाई

मैं—हाँ दीदी…समझ गया….बहुत प्यारी बुर है मेरी बहन की……मैं इस छेद को अपने लंड से चोद चोद कर और बड़ा कर दूँगा…..

मीनू—कर देना भाई….जितना बड़ा करना हो उतना बड़ा कर दे अपनी बहन की बुर के चोदने वाले छेद को…..अब जल्दी से मुझे चोद डाल मेरे भाई…. इसके पहले की कोई आ जाए…..

मैं—ठीक है दीदी

मैने अपने लंड का . दीदी की बुर के मुहाने पर टिका दिया…..

मैं—तेल लगा लूँ क्या थोड़ा……

मीनू—नही रे....तेल लगाने से आसानी से घुसेगा.....ज़्यादा दर्द नही होगा बुर फटने का......मुझे खूब दर्द चाहिए....तू ऐसे ही सूखा सूखा घुसेड
दे ......और पूरी बुर को अच्छे से फाड़ डाल की तेरी बहन की बुर चिथड़ा हो जाए.....

मैने एक ज़ोर का झटका दिया लेकिन लंड फिसल कर नीचे चला गया....दो तीन बार डालने पर भी नही घुसा बहुत टाइट चूत थी दीदी की.....

मीनू—रुक ऐसे नही घुसेगा ......वैसे भी तेरा गधे का लंड है... आदमी का थोड़े ही है जो इतना जल्दी घुस जाएगा......मैं बुर की फांके फैलाती
हूँ....तू पूरी ताक़त से धक्का लगा के घुसेड दे....

मैं—ठीक है...

दीदी ने अपनी बुर की फांको को दोनो हाथो से खूब फैला दिया.....मैने एक बार फिर से बुर के छेद पर लंड टीकाया और पूरी ताक़त से
धक्का मार दिया......लंड बुर को चीरता हुआ तीन इंच अंदर घुस गया.... दीदी की चीख निकल गयी

अच्छा हुआ कोई घर मे नही था...नही तो सब को पता चल जाता.....उसकी आँखो से आँसू बहने लगे...और आँखो के आगे अंधेरा छा गया....मुझे उसकी इस हालत पर तरस आ गया...आख़िर मेरी बहन थी वो...

मैं—लंड निकाल लूँ बाहर...दीदी

मीनू—नही....बिल्कुल नही....तू अंदर घुसेड़ता जा और बुर फाड़ता जा बस.....तुझे मेरी कसम है जो तूने बुर को फाडे बिना लंड बाहर
निकाला तो......मैं कितना भी दर्द से ताडपू तू बुर फाड़ने से मत रुकना....बस फाड़ता जा.....फाड़ता जा...मेरे भाई....और घुसेड...

मैने भी अब रहम की ओर सोचना छोड़ कर लगातार दो तीन तगड़े धक्के जड़ दिए बुर मे.....दीदी की बुर ने खून की उल्टी कर दी….पूरा
लंड बुर को ककड़ी की तरह फाड़ते हुए उनकी बच्चेदानी से जा टकराया

मीनू (ज़ोर से)—आआआआआअहह....माआआ.....मर...गयी......आआआआआअ.......आआआआआआआअ

और वो चिल्लाते हुए बेहोश हो गयी.....मैने जल्दी से पास मे रखे जग से उनके चेहरे पर पानी डाला जिससे वो होश मे आकर रोने लगी.....

मीनू (रोते हुए)—मेरी बुर फट गयी..भाई......बहुत दर्द हो रहा है....एयाया

मुझे तो दीदी ने कसम दे दी थी तो मैने अब धीरे धीरे चोदना चालू कर दिया…..साथ मे उनकी चुचि भी पीने लगा…..एक हाथ से चुचि मसलता भी जा रहा था….

दोहरे हमले से वो जल्दी ही फिर से गरम हो गयी और अपनी गान्ड उपर उठाने लगी….मैं समझ गया कि दीदी अब फुल चुदासी हो गयी हैं….

मैने दोनो चुचियो के निपल मरोड़ते हुए अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी बुर मे….और दे डेनया दन अपनी दीदी की बुर पेलने लगा….

मीनू—आआहह… ……आअहह…..हाँ…भाई….ऐसे…ही….और…ज़ोर…से……पेल मेरी बुर को…..मेरी चुचि भी खूब ज़ोर ज़ोर से मीस्ता
जा भाई…….. मेरे दूध मे काट दे……मेरे निपल भी अपने दांतो से काट भाई..हाँ…ऐसे ही भाई…..

मैं—बहुत मस्त बुर है दीदी…तुम्हारी….अब तो…रोज पेलुँगा……पेलने दोगि ना रोज दीदी अपनी बुर....

मीनू—आआअहह….आआहह…..हाँ…भाई……रोज मुझे…ऐसे ही पूरी नंगी कर के पेलना……मैं तुझसे अपनी सभी सहेलियो की बुर
चुदवाउन्गी……..

मैं—सच मे दीदी…..

मीनू—हाँ मेरे भाई…..तू सब को चोदना…….सब की बुर ऐसे ही फाड़ना……

मैं—आहह दीदी.....बहुत मज़ा है तेरी बुर मे....

मीनू—आअहह......और चोद भाई...अपनी बहन को और चोद.........ये बुर अब तेरी है..भाई...जब मन करे चोद लेना मेरी बुर.......

लगभग ऐसे ही एक घंटे तक हम दोनो की पलंग तोड़ चुदाई चलती रही.....इस दौरान मीनू दीदी चार बार झड चुकी थी....मेरा भी अब होने वाला था....

मैं—दीदी मेरा अब होने वाला है...निकालु बाहर

मीनू—नही अंदर ही गिरा दे अपना बीज.....कर दे मुझे ग्याभिन....मैं संभाल लूँगी सब....

मैं अब खूब धक्कम पेल दीदी की बुर को चोदने लगा.....दीदी पूरी मस्त हो गयी थी पहली चुदाई मे ही

मीनू—आआहहाअ....मज़ा आ गया भाई....तू मुझे ऐसे ही रोज 5-6 बार चोद डाला कर...

मैं—ज़रूर दीदी....

मीनू—मुझे खूब गंदा गंदा बोला कर दिन भर....मुझसे खूब गंदी गंदी बाते किया कर बुर चोदने की....

मैं—आपको गंदी बाते पसंद हैं...

मीनू—बहुत....तेरे मूह से गंदी गंदी बाते सुनना मुझे बहुत अच्छा लगता है भाई....

मैं—और क्या पसंद है आपको....

मीनू—मुझे दीदी मत बोला कर...

मैं—तो क्या बोलू आपको...

मीनू—मुझे ना...तू....बुर या फिर बुर चोदि कह के बुलाया कर

मैं—मुझे आपकी गान्ड भी बहुत पसंद है दीदी

मीनू—कल मार लेना अपनी दीदी की गान्ड भी भाई और मुझे रोज सुबह शाम भैंस के जैसे मेरा दूध निकाला कर...जैसे भैंस का निकालते हैं वैसे ही...

मैं—ठीक है मेरी बुर चोदि बहन…..ये ले…

मीनू—आआहहाअ....गिरा दे...अंदर..ही भाई......कर दे गर्भिन.....अपनी बुर चोदि बहन को

मैं—मैं आया...ये ले....बुर्चोदि.........

और फिर मेरे लंड ने मीनू दीदी की बुर को अपने पानी से भरना चालू कर दिया.....एक के बाद एक ना जाने कितनी लंबी पिचकारिया छूटने
लगी दीदी की बुर मे...पूरी लबालब भर गयी उनकी बुर.......

झड़ने के बाद मैं मीनू दीदी के उपर ही लेट गया.....
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03-20-2021, 08:21 PM,
#5
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट*4

और फिर मेरे लंड ने मीनू दीदी की बुर को अपने पानी से भरना चालू कर दिया.....एक के बाद एक ना जाने कितनी लंबी पिचकारिया छूटने
लगी दीदी की बुर मे...पूरी लबालब भर गयी उनकी बुर.......

झड़ने के बाद मैं मीनू दीदी के उपर ही लेट गया.....

अब आगे.......

शाम को मेरी नीद खुली तो देखा कि दीदी मेरे पास से उठ कर जा चुकी थी....बाहर बने लकड़ी के छोटे से बाथरूम मे जाकर मैने हाथ पैर धोकर अंदर आया तो बरामदे मे किंजल दीदी झाड़ू लगा रही थी

राज—दीदी एक कप चाय मिलेगी क्या.... ?

किंजल—उठ गया सांड़….काम का ना काज का दुश्मन अनाज का….आज कॉलेज क्यो नही गया……?

राज—आज थोड़ा तबीयत ठीक नही थी

किंजल—ये आवारा गर्दि करना बंद कर दे…नही तो बहुत पछताएगा बाद मे

राज—चाय देना है तो दो फालतू मे भेजा मत खाओ मेरा

किंजल—अपने से बडो से ऐसे ही बात करना सीखा है तूने

राज—तो मैं क्या करूँ.....जब देखो सुबह से रात तक हर कोई मुझे ही लेक्चर झाड़ता रहता है तो

किंजल—तो कुछ करता क्यो नही..... ?

राज (अपनी आँखो को किंजल के कुर्ते से झाँकती चुचियो मे गढ़ा के)—मैं तो कब से करने के लिए मरा जा रहा हूँ आप करने तो दो एक बार

किंजल उसकी बतो को सुन कर जैसे ही उसकी तरफ नज़र घुमाई तो उसे कहीं बड़े गौर से देखते हुए पाया…..जब उसने उसकी नज़रों का
पीछा किया तो समझ गयी…..तुरंत ही झाड़ू लगाना बंद कर गुस्से मे बुदबुदाते हुए रसोई घर मे जाने लगी

किंजल (मॅन मे बुदबुदाते हुए)—कमीना कहीं का…..कैसे घूर घूर के देख रहा था जैसे खा ही जाएगा मेरी चू….मेरी सभी सहेलिया ठीक ही कहती हैं कि ये सांड़ मौका मिलने पर मेरे उपर चढ़ने से भी नही चूकेगा….कितना बिगड़ गया है राज… मुझे बच के रहना होगा
इससे…..नही तो क्या पता कब ठोक दे मुझे ही

किंजल ऐसे ही बुदबुदाते हुए चाय बनाने लगी और राज वही आँगन मे बैठ कर किंजल को देख देख अपनी आँखे सेकने लगा….वो जब भी
कुछ उठाने के लिए नीचे झुकती तो उसका कुर्ता उसके मोटे मोटे चुतड़ों की दरार मे फस जाता तो राज इस सीन को देखने से भला कैसे
छोड़ देता

राज (मन मे)—वाउ….क्या मस्त गान्ड है किंजल दीदी की…कितनी बड़ी है….काश एक बार ये मुझे मारने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा

अपने मन मे यही सब सोचते हुए वो किंजल की गान्ड देख देख कर लंड मसल्ने लगा कि अचानक कुछ लेने के लिए किंजल उसकी तरफ पलटी तो उसने राज की ये हरकत देख ली

उसने जल्दी से चाय बनाकर उसके सामने जाकर रख दी और अपने गले मे चुन्नी डाल कर फिर से झाड़ू लगाने लगी…..लेकिन राज का ध्यान
तो उसकी फूली हुई गान्ड मे ही अटक के रह गया

किंजल (चिल्लाते हुए)—अब यहाँ बैठा ही रहेगा क्या…..? चाय पी और निकल यहाँ से

राज—चाय नही पीना अब

किंजल—तो क्या पिएगा अब….?

राज—दूध….(फिर धीरे से) और वो भी तुम्हारा

किंजल—क्या कहा तूने..... ?

राज—वही जो सुना

किंजल—आने दे बड़ी माँ को खेत से....मैं तेरी सब हरकते बताती हूँ उन्हे

राज—क्या किया है मैने जो बताओगी माँ को.... ?

किंजल—वो तो मैं उन्हे ही बताउन्गी अब

राज‘’क्या है..क्यो इतनी बॅड बॅड कर रही है’’ बाहर से आते हुए बड़ी चाची रूपा ने कहा

किंजल—इससे बोल दो यहाँ से चला जाए...मुझे परेशान ना करे बस

रूपा—क्यो मेरे बेटे के पीछे पड़ी रहती है हरदम

राज—देखो ना चाची दीदी मुझे दे नही रही है

किंजल (गुस्से से घूरते हुए)—क्या बोला..... ?

रूपा—अरे जब वो माँग रहा है तो दे दे ना उसे जो चाहिए

किंजल—माँ तुम नही जानती कि इस सांड़ को क्या चाहिए

राज (दीदी की चुचि घूरते हुए)—मुझे दूध पीना है

रूपा—आ जा मेरा बच्चा

किंजल (मन मे)—कितना बेशरम है...माँ के सामने ही घूर रहा है मेरे दूध

रूपा ने राज को अपने सीने से लगा लिया….जैसे ही वो रूपा के सीने से लगा तो उसकी चुचियो की खुश्बू से मदहोश होने लगा….अब
उसका ध्यान किंजल से हटकर रूपा चाची की चुचियो की ओर चला गया

राज (मंन मे)—दोनो माँ बेटी पक्की दुधारू भैंस हैं…..इन दोनो माँ बेटी की एक एक चुचि से कम से कम 5 लीटर दूध तो ज़रूर निकलेगा

रूपा—तुझे दूध पीना है….?

राज—हाँ चाची दीदी को आप बोलो ना मुझे दूध पिलाने को

किंजल पूरी शॉक्ड होकर राज को देखने लगी कि कितनी आसानी से इसने उसकी माँ से ऐसी बात कह दी बिना किसी डर या शरम के
…उसे ऐसे शॉक मे देख राज ने धीरे से उसे एक आँख मार दी जिससे उसका पारा और चढ़ गया

रूपा—किंजल दूध दे मेरे बेटे को

किंजल—माँ तुमने और चाची ने इसे बिगाड़ कर पूरा सांड़ बना दिया है….कुछ काम तो खुद करता नही है और ना ही किसी को करने देता है…पूरा दिन आवारा दोस्तो के साथ घूमता रहता है

राज—रहने दो नही पिलाना दूध तो नसीहत देने की कोई ज़रूरत नही है…मैं बाहर किसी से पी लूँगा

रूपा—क्यो बाहर पी लेगा…. तेरे घर मे दूध की कमी है क्या….?

राज—तो आप ही पिला दो ना दूध चाची

किंजल तो ये सुन कर ही सन्न रह गयी कि कितना बड़ा कमीना है ये….बेटी तो बेटी उसकी माँ पर भी ऩज़रें गड़ाए है…रूपा किचन मे जाकर उसके लिए दूध ले आई

रूपा—ले पी ले….तेरा जब भी दूध पीने का मन करे तो मुझे बोल दिया कर….तू ही तो एकलौता चिराग है हमारे ख़ानदान का… तुझे लाड प्यार नही करूँगी तो किसे करूँगी

राज—देखा दीदी….कुछ सीखो चाची से…अगली बार आप दूध पिलाने को तैयार रहना नही तो किसी दिन ज़बरदस्ती पी लूँगा

किंजल—चल भाग यहाँ से नही तो झाड़ू मार मार के तेरा ये दूध पीने का भूत अभी उतार दूँगी समझा

राज दूध पीकर वहाँ से बाहर निकल गया गाओं मे तालाब की ओर जहा उसके चारो दोस्त रवि, अनवर, आयुष और कल्लू बैठे हुए थे…ये उनका डेली का काम था

सभी दोस्त यहाँ बैठ कर गाओं की सभी लड़कियो और औरतो के बारे मे गंदी गंदी बाते करते….जब वो इधर बाथरूम करने या नहाने आती तो उन्हे देखते

लेकिन उनमे किसी मे भी इतनी हिम्मत नही होती थी कि वो किसी से डाइरेक्ट बात कर ले….इसलिए वो राज के साथ रहते थे क्यों कि वो
बॉडी से भी तंदुरुस्त था साथ मे निडर और साहसी भी….सुंदर हॅंडसम तो उसे उपर वाले ने ही बनाया था
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03-20-2021, 08:21 PM,
#6
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
UPDATE * 5

Anwar—aaj raj kaha rah gaya…..abhi tak nahi aaya…..?

Ravi—kahi ghusa pada hoga kisi choot me….

Kallu—ha yaar....raj ke to maje hain....sale ko choot bhi take ser chodne ko milti hain aur yaha dekhne ko bhi nahi milti

Ravi—abe teri bahan kajri ki saheli champa bhi to jawan ho gayi hai.....pakad ke dhaans de usko

Kallu—mann to bahut karta hai yaar....lekin vo mujhse sidhe muh kabhi baat hi nahi karti

Ayush—ek baar raj se milana padega usko

Anwar—arey vo to maha harami hai…..pichli bar jab mele me hamara jhagda hua tha to raj ko chot lag gayi thi…to mai use lekar apne ghar chala gaya…..use ghar me chhod kar mai gaon me doctor ke paas dawwayi lene chala gaya to is beech kamine ne mere chacha ki ladki ko hi mouka dekh kar pel diya aur chalta bana

Ravi—kallu vaise mujhe lagta hai ki teri bahan kajri bhi raj se phansi huyi hai……parso maine shaam ko kajri didi ko bagiche ke paas wale ganne ke khet me se raj ke sath nikalte dekha tha

Kallu—shak to mujhe bhi hai….lo shaitan ka naam liya aur shaitan hajir

Raj—kya ho raha hai jhanduo…..?

Ravi—teri hi tarif kar rahe the sab

Raj—achcha….koi dikhi kya aaj idhar

Anwar—abhi tak koi na aayi idhar gand dikhane

Raj—to tum log yaha baith ke dekho aur mujhe bhi batana…..chal kallu tere ghar chal ke chaay pite hain aaj

Ravi (haste huye)—ja…ja kallu….lekin chaay aur doodh yahi se kharid lena pahle se hi….nahi to tujhe vapis aana padega dukan lene

Raj—vo sab ghar ja ke dekhenge…..chal kallu

Kallu—yahi dukan me hi pi lete hain

Raj—arey yaar jo maza ghar ke doodh me hai vo dukan ke milawati doodh me kaha

Ayush—phir to kallu pakka aaj tere ghar me chaay patti khatam hogi….doodh to raj dhoond hi lega

Raj—doodh ki fikar tum mat karo…..chal jaldi se

Kallu ka mood nahi tha jane ka…..lekin raj uska pakka dost tha…har ladayi jhagde me uska sath deta tha…..yaha tak ki uske ghar ka kharcha bhi bahut had tak raj hi yaha vaha se paise ka jugad kar ke deta tha jisse chalta hai…isliye vo mana nahi kar paya

Kallu aur raj ke jate hi sab hasne lage….unhe pata tha ki raj pakka kallu ki bahan kajri ko chodne gaya hai aur ghar me chaay hogi bhi tab bhi kajri kallu ko dukan bhejegi lane ko kisi bahane se

Ravi—lo bhai raj ne to aate hi apna jugad jama liya

Anwar—sahi hai yar....bahut din se koi choot nahi mili chodne ko

Ayush—raj ko bol vahi koi tikdam fit kar sakta hai

Anwar—kal college me baat karte hain usse

Ravi—ha yaar…jab se college me admission liya hai hum charo ek din bhi college nahi gaye abhi tak….agar mere baap ko malum chala to meri gand tod dega jute maar maar ke

Anwar—ha yaar…kal college chalenge

Udhar raj aur kallu ghar pahuch gaye……ghar me kajri bahar hi jhadu laga rahi thi….dono aangan me rakhi charpayi par baith gaye…aur raj kajri ki gand ko ghurne laga jise kallu ne bakhubi dekh liya

Kallu—didi chaay bana do do cup

Kajri (raj ki oor dekh kar)—chaay pina hai to pahle dukan se chaay patti lekar aa…..doodh bhi nahi hai

Raj—tu dukan chala ja jaldi chaay lene…..tab tak mai doodh lagata hu

Kallu—tune kabhi doodh duha hai gaay ka.... ?

Raj—tu ja na....mujhe bahut practice hai doodh duhne ki

Kajri—haan...tu ja dukan....doodh raj laga lega

Kallu—par abhi to gaay aayi nahi hai to ye doodh kiska nikalega

Raj—gaay maine dekh li hai.....usi ka doodh nikalunga...tu ja bas jaldi

Kajri—dekh kitchen ke dibbe se paise le le aur aram se chaay patti dekh kar lena....jaldi jaldi mat karna

Kallu (mann me)—lagta hai ravi theek kah raha tha....raj pakka didi ko chod chuka hai....tabhi didi bhi mujhe jaldi se bhejne par lagi hai.....chudwane ke liye mari ja rahi hai

Kajri—khade khade kya soch raha hai.....chal ja jaldi

Kallu (mann me)—sala kamina....mujhe pahle hi samajh jana chahiye tha ki aaj didi ghar me akeli hai....maa aur bapu to mama ke ghar gaye hain

Kallu ke jate hi raj ne kajri ko pakad ke khich liya aur andar le gaya...aur darwaja band karke kajri ki chuchiyo ko jor jor se masalne laga

Kajri—aaaahhhhhh.....doodh baad me daba lena.....kallu kabhi bhi aa sakta hai....abhi jaldi se chod le ek baar

Raj—aaj tujhe nangi kar ke chodna hai

Kajri—theek hai...mai kallu ko aaj raat khet me rahne ko bol dungi...tu aa jana yahi....raat bhar dekh lena mujhe nangi aur jitna chodna ho chod lena....abhi jaldi wali chudai kar le

Raj—chal jaldi se doodh nange kar apne

Kajri—maine salwar ka nada khol diya hai.....aur kurta upar kar deti hu.....daba le jaldi se

Raj ne uski salwar niche khiska di chaddi sahit....lund me thook lagaya aur kajri ki bur me tika kar piche se jhuka ke pel diya andar aur dono hath samne le jakar dono chuchiyo ko kas ke pakad nichodne laga

Kajri—aaaahhhhhh....dhire ghused.....

Raj—dhire ka time nahi hai abhi

Kajri—meri bur me bhi to thoda thook laga deta na.....sukhi sukhi hi pel diya

Raj ne do teen jor se dhakke maar ke poora lund uski bachchedani tak pahucha diya…..aur satasat pelne laga kajri ki bur me sath hi chuchiyo ko bhi jor jor se meesne laga

Kajri—aaaahhhhh…..raj mai to teri deewani ho gayi hu……mann karta hai ki tu din bhar meri bur chodta rahe

Raj—kajri…..teri maa ki bur bhi aisi hi phooli huyi hogi na…..?

Kajri—kyo ab meri maa ki bur bhi chodne ka mann karne laga kya tera……

Raj—ha kajri….teri maa ki gaand bahut badi hai….ek baar nangi dekhne ko dil karta hai

Kajri—agar tu mujhe roj chodne ka vada kar to mai tujhe apni maa ki bur dikha sakti hu kaise bhi kar ke

Raj—dikha de jaldi se.....ek baar nahi dono time tujhe roj chodunga meri rani

Kajri—aaahhhhh…aur jor se chod.....aise hi....jor jor se masal mere doodh...aaahhhhhh

Raj—teri saheli champa bhi chodne layak ho gayi hai ab

Kajri—aaj raat ko maine champa ko mere ghar rukne ko kaha hai….tu aa jana chod lena use bhi…..mai set kar dungi

Champa ka naam sun kar raj ke lund me ufan aa gaya….aur vo bahut speed me dono chuchi ki ghundiyo ko kas kas ke marodte khichte huye de danadan chodne laga

Kajri ki gaand me lagte tez dhakko se thap thap fachch fatch ki awaz goonjne lagi joro se…..usko khade rahna mushkil ho gaya to raj ne use vahi jamin me lita kar uske upar chadh ke phir se pelne laga

Kajri—aaaahhhhh…..aur jor se pel.....chod chod ke meri bur ko bhosda bana de raj…..ye bur sirf tere chodne ke liye hai… aaahhhhhhhhh…..mai aane wali hu….aaaahhhh….gayiiiii…uuuiiimaaaaa…..oooye kallu dekh teri didi ki bur ko tere dost ne chod diya re…..mai gayiiiiii

Raj—ye le…..bhosdi…..teri gaand maru....burchodi....aaaahhhhh….mai bhi aane wala hu…..

Kajri—mere muh me gira de....mujhe tera pani pina hai...aaahhh...jaldi kar kallu aa raha hoga ab

Raj—abhi to mai teri bur me hi giraunga….ye le...

Kajri—phir se mujhe gabhin mat kar dena.....char mahine me do baar gabhin kar chuka hai mujhe tu...nahi to phir se goli khani padegi mujhe

Raj ne uski ek na sunte huye kajri ki bur me hi lambi lambi pichkariya chhodne laga...pata nahi kitni pichkariya uski bur me marne ke baad jab kallu ki awwaz sunayi di to jaldi se lund bahar nikal kar pant upar kiya aur darwaja kholne jane laga.. tab tak kajri ne bhi salwar upar kar ke kitchen me bhag gayi
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03-20-2021, 08:21 PM,
#7
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट__6

जैसे ही राज ने दरवाजा खोला तो सामने कल्लू हाथ मे चाय पत्ती का पॅकेट लिए खड़ा था और बड़ी ही तीखी नज़रों से राज के पसीने से लथपथ चेहरे को घुरे जा रहा था

राज—क्या हुआ ऐसे क्यो देख रहा है....... ?

कल्लू—तू अंदर दरवाजा बंद कर के क्या कर रहा था..... ? और….और इतना पसीना क्यो आ रहा है तेरे…..?….दरवाजा खोलने मे इतना
टाइम क्यो लगा..... ? दीदी कहाँ गयी..... ?

राज—हिहिहिहीही......मैं ना तेरी दीदी के साथ मेहनत कर रहा था....मेरा मतलब कि उनका काम मे हाथ बटा रहा था....और कोई गली का आवारा कुत्ता बीच मे घर के अंदर घुस कर हमारा काम ना बिगाड़ दे इसलिए दरवाजा बंद कर लिया था था.....तुझे अपने दोस्त पर इतना भी भरोसा नही है क्या........ ?

कल्लू (मन मे)—साले....मैं अच्छे से जानता हूँ कि तू चूत के मामले मे कितना बड़ा हरामी है....चूत के लिए तू कुछ भी कर सकता है....अपने घर की लॅडीस को भी मौका मिल जाए तो बिना चोदे ना छोड़े...फिर मैं तो केवल दोस्त हूँ....पक्का ये मेरी कजरी दीदी को चोद रहा था अंदर दरवाजा बंद कर के

कजरी (किचन से निकल कर)—अरे कल्लू तू आ गया....कितना टाइम लगा दिया तूने.....क्या करने लग गया था कि इतना टाइम लग गया..... अब वही खड़े रहना....चल ला इधर चाय....किसी काम का नही है

कल्लू—दीदी...दूध नही मिला और अभी तो गाय (काउ) भी नही आई हैं...तो चाय कैसे बनेगी बिना दूध के

कजरी—तो काली चाय पी लेना और राज ने तो वैसे भी दूध लगा के पी लिया है

कल्लू—हमारी गाएँ तो अभी तक आई नही हैं तो किसकी गाय का दूध दूह लिया इसने.... ?

कजरी (राज की ओर देख कर)—तेरे ही घर की गाय का दूध निकाल कर ज़ोर ज़ोर से दूह लिया राज ने और पी भी लिया….और तू ये सब मे ध्यान मत दे…इधर ला चाय पा पॅकेट…कामचोर कही का

कल्लू ने जैसे ही कजरी की डाँट सुनी तो सकपका कर पॅकेट उसके हाथ मे दे दिया ...कजरी अपनी गान्ड मटकाती हुई किचन मे चली
गयी...राज उसके लेफ्ट राइट करते चुतड़ों को देख कर अपना लंड मसल्ने लगा जिसे कल्लू और कजरी ने बखूबी देख लिया

कल्लू (मंन मे)—अब तो मुझे पक्का यकीन है कि दीदी इस कमिने से चुद चुकी है....साले ने मेरी बहन को भी नही छोड़ा.. पता नही कब से चोद रहा है ये दीदी और ना जाने अब तक कितनी बार चोद चुका होगा...साले का घोड़े से भी बड़ा और मोटा लंड है...दीदी की बुर् को चोद
चोद कर इसने मेरी कजरी दीदी की बुर की फांके खूब फैला दी होगी

राज—अरे कल्लू सुधा काकी नही दिख रही.... ?

कल्लू—माँ आज नानी के यहाँ गयी है

कजरी (टी लाते हुए)—कल्लू आज तुझे खेत मे रुकना होगा रात मे...कोई फसल को नुकसान ना पहुचा दे

कल्लू—पर घर मे तुम अकेले कैसे रहोगी.... ?

कजरी—तू चिंता मत कर आज रात यहाँ रुकने के लिए मैने चंपा को बोल दिया है

कल्लू—फिर भी कही दोनो डरोगी तो ..... ?

राज—अरे तो फिर दोस्त किस काम का….मैं रुक जाउन्गा आज रात तेरे घर…आख़िर दोस्त ही तो दोस्त के काम आएगा ना

कल्लू (जल्दी से)—नही…नही इसकी कोई ज़रूरत नही है….

कजरी—ठीक ही तो कह रहा है राज......राज तुम आ जाना और आज यही सोना रात मे....मुझे भी डर नही रहेगा

कल्लू (मन मे)—पक्का दाल मे कुछ काला है....साला कही मेरी चंपा को ना पेल दे रात मे

राज—चल कल्लू अब घूम के आते हैं.....वैसे दूध पीने के बाद काली चाय पीने का अलग ही मज़ा है

कल्लू—चल

कजरी—जल्दी आना....मैं तब तक खाना बनाती हूँ.....राज तुम भी टाइम से आ जाना

कल्लू—ठीक है दीदी

दोनो दोस्त गाओं मे आ गये....एक दुकान से सिग्रेट का पॅकेट लेकर बैठ के पीने लगे.....ये गाओं के लाला की दुकान थी जो उसने अपने घर से बाहर गाओं के किनारे लगा रखी थी

कभी कभी दुकान मे लाला जी की बहू या फिर उसकी लड़कियाँ बैठ जाती थी जो बहुत सुंदर थी...जिन्हे देखने के बहाने गाओं के मनचले
दुकान के आस पास मंडराते रहते थे

कल्लू—देख राज ...मैं चंपा को बहुत चाहता हूँ

राज—हां...ये तो हम सब दोस्त जानते हैं

कल्लू—तो देख तू चंपा से दूर रहना….कहीं ऐसा ना हो कि आज रात मौका देख के तू उसे पेल दे

राज—मैं ऐसा क्यो करूँगा.....तुझे शादी करनी है क्या चंपा से.... ?

कल्लू—मैं उससे शादी करने के लिए कब से तड़प रहा हूँ

राज—मैं तेरी शादी करा सकता हूँ उससे

कल्लू—कैसे... ? अगर तू ऐसा करवा दे तो मैं पूरी जिंदगी तेरी गुलामी करूँ यार....बता ना करवाएगा ना मेरी शादी चंपा से... ?

राज—करवा तो दूं लेकिन तुझे भी मेरा एक काम करना होगा

कल्लू—कैसा काम.... ? तू जो कहेगा मैं करूँगा मेरे दोस्त....तू तो मेरा भाई है ना

राज—तू मुझे भी चंपा को चोदने देगा...अगर मंजूर हो तो बोल वरना रवि से शादी की बात करने चंपा के घर वाले जाने ही वाले हैं

कल्लू (शॉक्ड)—क्याआ.... ? छी तू कैसा दोस्त है....ऐसा कभी नही हो सकता....तुझे शरम आनी चाहिए उसके बारे मे ऐसा सोचते हुए भी

राज—मुझे क्या....मैने तो तेरे ही भले की बात की थी....रवि ने तो मुझसे वादा भी किया है कि अगर चंपा से उसकी शादी करा दूं तो वो मुझे
रोज चंपा को चोदने देगा....तू ना सही रवि ही सही

कल्लू (गिडगिडा कर)—नही...तू ऐसा नही कर सकता...तू मेरा दोस्त है ना....देख मैं चंपा के बिना जी नही पाउन्गा

राज—अब मैं भी क्या करूँ...रवि ने मुझे अभी से चंपा को चोद लेने को कहा है....तू मेरा दोस्त है इसलिए मैने तुझे बता दिया...अब तूने ही
मना कर दिया तो मेरा क्या दोष है..... ?

कल्लू (थोड़ी देर सोच कर)—ठीक है...अगर मैं भी तुझे चंपा को एक बार चोद लेने दूं तो फिर करा देगा ना शादी.... ?

राज—एक बार नही...रोज एक बार चोदुन्गा मैं चंपा को शादी हो जाने के बाद भी...

कल्लू—तब तो मैं ही पूरा घुस जाउन्गा उसकी बुर मे..तू ऐसी बना देगा उसकी बुर चोद चोद कर

अभी वो दोनो बाते कर ही रहे थे कि दुकान मे लाला की छोटी बहू सरला आ गयी...उसे देखते ही राज का लंड तन तनाने लगा..तो उसने
कल्लू की बात बीच मे ही अधूरी छोड़ कर दुकान की तरफ बढ़ गया

कल्लू (धीरे से)—साला कमीना....अभी मेरी बहन की चूत चोद कर आया है और फिर से चूत वाली को देखते ही उसके पीछे चल दिया
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03-20-2021, 08:21 PM,
#8
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट—7​

कल्लू और राज आपस मे बात कर ही रहे थे कि दुकान पर लाला की छोटी बहू सरला आ गयी....गोरी चिटी ना ज़्यादा मोटी ना पतली बोले तो पर्फेक्ट फिगर...उमरा लगभग 24 साल..अभी कोई बच्चा नही हुआ था

सरला को देखते ही राज के लंड मे उफान मारने लगा और उसके लंड से लार टपकने लगी...कल्लू की बातों को अनसुना कर वो वहाँ से उठ कर दुकान की तरफ बढ़ गया

कल्लू (धीरे से)—साला सांड़.....अभी मेरी बहन की बुर को भोसड़ा बना कर आया है और फिर से चूत देखते ही लार टपकाने लगा... सांड़
कही का.....हमेशा चोदने के लिए साले का लंड तैयार ही खड़ा रहता है

राज—कैसी हो भौजी....आज कल तो दिखती ही नही.....लगता है भैया छोड़ते ही नही हैं

सरला—क्या करूँ...घर मे भी तो काम रहता है ना

राज—पर ये तो ग़लत बात है भौजी.....जैल मे बंद रहती हो...कभी हम देवर लोगो का भी तो ख्याल कर लिया करो

सरला—तो तुम भी शादी कर लो और ले आओ ख्याल रखने वाली

राज—आज कल बहुत मौसम चल रहा है भौजी.....कभी हमे भी तो सेवा का मौका दो

गाओं की लगभग सभी लॅडीस राज की फ़ितरत और उसके लंड के बारे मे जानती थी....कि राज एक नंबर का महा चुदक्कड...लड़का है
लेकिन उसके लंड का साइज़ सबके के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहता था

जब भी गाओं मे लड़कियाँ या औरते आपस मे चोदने चादने की चर्चा करती तो उनकी बातों मे राज का जिक्र होता ही होता था…सरला ने भी राज और उसके लंड के बारे मे अपने जेठानी और अगल बगल की औरतो के मूह से सुन रखी थी ….उसके मन मे भी राज का लंड देखने
की प्रबल जिग्यासा थी वैसे भी उसके पति का 4’ का ही था जिससे उसकी चुदासी बुर चुदासी ही रह जाती थी

सरला—मैं तुमसे उमर मे बहुत बड़ी हूँ देवर जी

राज—उमर से क्या होता है भाभी.....मैने तो अपने से चार गुना बड़ी औरत को भी जवान कर दिया है

सरला—चल झूठा...इतना भी मत फेका कर कि कोई लपेट ना सके

राज—एक बार नदी के दर्शन ही करा दो भौजी बदले मे अजगर देख लो

सरला—केचुवा कहो….अजगर मत कहो

राज—अंदर आ जाउ भौजी
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03-20-2021, 08:21 PM,
#9
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
सरला—ना..बाबा…ना…तू ना बाहर से ही बात कर….अगर मेरी सास ससुर या गाओं का कोई भी तुझे अंदर देख लिया तो मैं तो मुफ़्त मे ही बदनाम हो जाउन्गी

राज—एक बार अपनी नदी (रिवर) ही दिखा दो या आम का स्वाद चखा दो

सरला—मेरे पास नदी कहाँ है….?

राज—क्यो उसे बेचारी को छुपाये फिरती हो....एक बार दे दो भाभी कसम से जन्नत का मज़ा दूँगा आपको

सरला—जब मेरे पास नदी है ही नही तो कहाँ से दिखा दूं तुमको देवर जी

राज—चलो अंदर आकर बता ही देता हूँ

सरला—नही…तू वही से बता दे

सरला की बात सुने बिना ही राज कूद कर दुकान के भीतर घुस गया और शटर गिरा दिया जल्दी से....ये देख कर सरला घबरा गयी...उसे
अच्छे से मालूम था कि राज कितना बड़ा बेशरम है..जो किसी से भी कुछ कहने मे ना तो शरमाता है और ना ही किसी का डर है उसको

सरला—शटर क्यो बंद कर दिया....खोलो जल्दी से

राज—बस थोड़ी देर मे खोल दूँगा भौजी....पहले आपकी देख तो लूँ

सरला—क्या देखना है.... ? बाहर से ही देख लेना

राज—भाभी एक बार अपनी ये बुर दिखा दो (साड़ी के उपर से सरला की बुर मे हाथ रखते हुए)

सरला—चल निकल बाहर....नही तो मैं चिल्ला दूँगी

राज—चिल्ला दो....सब यही कहेंगे कि लाला की बहू दुकान बंद कर के मुझसे चुदवा रही थी...हिहीही

सरला—देख मेरी बदनामी हो जाएगी…बाहर से बात कर जो करना है

राज—जल्दी से बुर दिखा दो अपनी नही तो मैं अभी चिल्लाना चालू कर दूँगा

सरला—किसी को मालूम चला तो मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी

राज—तुम तो जानती हो भाभी की मैं बहुत शरीफ आदमी हूँ

सरला—पूरा गाओं जानता है कि तुम कितने शरीफ हो

राज—ठीक है….मैं फोन कर के किसी को बोल देता हूँ दरवाजा खोलने को

सरला (घबरा कर)—नही…नही...किसी को मत बुलाओ…तुम खुद ही खोल दो

राज—नही भाभी…मैं किसी के साथ ज़बरदस्ती नही करता….अगर तुम नही देना चाहती तो कोई बात नही है

राज अपना मोबाइल निकाल कर झूठ मूठ मे ही नंबर डाइयल करने लगा ये देख कर सरला तुरंत उसका हाथ पकड़ ली घबरा कर….गाओं मे लोग बदनामी से बहुत डरते हैं

सरला—नही…ऐसा मत करो.....तू किसी को बताएगा तो नही ना

राज—मैं ऐसा लड़का बिल्कुल नही हूँ...भाभी...किसी की बदनामी नही करता मैं कभी

सरला—वादा कर कि तू सिर्फ़ देखेगा बस और वो भी दूर से

राज—नही...मैं ऐसा वादा नही करता

सरला—दिखा तो रही हूँ ना तुझे

राज—मैं अच्छे से देखूँगा

सरला—मतलब....... ?
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03-20-2021, 08:22 PM,
#10
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
राज—मतलब कि जी भर के आपकी बुर को अपने हाथो से छुकर फैला कर और उंगली डाल कर देखूँगा

सरला—ठीक है...लेकिन सिर्फ़ 2 मिनिट बस

राज—नही 5 मिनिट्स

सरला—ठीक है....जल्दी से देख ले

सरला के हाँ करते ही राज ने तुरंत उसे नीचे लिटा दिया और साड़ी को एक झटके मे कमर से उपर कर दिया.....साड़ी उपर होते ही सरला
की मोटी मोटी केले जैसी चिकनी मांसल जांघे नंगी हो गयी

हालाँकि ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी मे उसकी जांघे साफ साफ दिख रही थी फिर भी राज ने पास मे रखी बड़ी टॉर्च को जला कर उसकी
नंगी जाँघो को देखते हुए उस पर अपनी जीभ फिराने लगा

सरला के जिस्म मे तेज़ करेंट जैसा लगा...ऐसा उसके साथ होने का ये पहला अनुभव था….जैसे जैसे राज उसकी जाँघो को चूमता गया सरला गरम होती गयी...वो खुद को बहुत रोकने की कोशिश कर रही थी फिर भी उसकी बुर चुदासी हुए बिना ना रह सकी....आख़िर राज इस खेल का महारथी था

सरला (सिसकते हुए)—जल्दी से देख ले...आआहह...राज कोई आ जाएगा...देख ले जल्दी...नही...चड्डी मत उतार....ना...राज...मत उतार...एक किनारे खिसका के देख ले..आअहह

राज—क्या देख लूँ...बोल के बताओ पहले.... ?

सरला—वही जिसे देखने के लिए तू मरा जा रहा है

राज—बोल के बताओ

सरला—मुझे नही मालूम...जल्दी कर ना
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