RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
“चीफ ने कहा है कि हमें दो-दो घण्टे के लिए इनसे मिला दिया जाएगा, अपने-अपने शिकार की आदतों, बोलने के ढंग आदि का अध्ययन हमें खुद ही करके उनकी नकल करनी होगी—सीक्रेट सर्विस का जूनियर विभाग इन पांचों के बारे में सम्पूर्ण जानकारियां एकत्रित करके तेजी से हरे की फाइल तैयार करने में जुटा हुआ है, हमें ये फाइलें पढ़कर अच्छी तरह कंठस्थ कर लेनी हैं।”
“फाइलें कब तक तैयार हो जाएंगी?”
“परसों तक, कल हमें डैथ हाउस में इनसे मिलना है।”
“विक्रम कह उठा—“काफी पुख्ता काम किया जा रहा है।”
“केवल इसलिए कि यदि बाण्ड, लूमड़ या अन्य कोई ब्रिटिश जासूस हम पर शक करके हमारी जन्मपत्री जानना चाहे तो उसे हमारे पैदा होने से वर्तमान आयु तक का पक्का रिकॉर्ड मिले।”
“खैर!” विकास बोला— “अब मुख्य प्रश्न उभरकर यह आता है कि लन्दन पहुंचकर कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था या अलफांसे गुरु की स्कीम पता लगाने के लिए क्या करेंगे?”
“पहले लन्दन पहुंच तो जाएं प्यारे!”
“क्या मतलब?”
“सबसे पहले यानी आज से पांचवें दिन अपना झानझरोखे यहां से सीधा लन्दन पहुंचेगा, उसी दिन हम यहां से पाकिस्तान के लिए रवाना होंगे—दिलजला न्यूयार्क के लिए, विक्रमादित्य रूस के लिए और मिस गोगियापाशा यहां से सीधी आस्ट्रेलिया जाएंगी—फिर एक-एक दिन के अन्तराल से हम अपने-अपने गंतव्य स्थल से लंदल पहुंचेंगे, पहला नम्बर विक्रम का है, दूसरा हमारा, तीसरा आशा का और पांचवां विकास का—अशरफ तो वहां होगा ही, हम सबको एलिजाबेथ में ही अपरिचितों की तरह रहना है।”
“काफी लम्बा-चौड़ा सिलसिला है।”
“जब काम लम्बा-चौड़ा और टकराव काइयां लोगों से हो तो सिलसिले को लम्बा करना ही पड़ता है—हां, तो अब हम सब एलिजाबेथ में इकट्ठे हो गए हैं और वह सवाल उठता है जो अभी-अभी दिलजले ने किया था—यानी हम काम कहां से शुरू करेंगे—वाकई, यह एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है और फिलहाल हमारे पास इसका कोई भी संतोषजनक हल नहीं है।”
“तो फिर?” एक साथ चारों कह उठे।
“चारों तरफ फैले अंधकार में एक व्यक्ति हमें प्रकाश के हल्के से बिन्दु के रूम में नजर आ रहा है।”
“कौन व्यक्ति?”
“याद करो प्यारे दिलजले, वेटर के पीछे जब हम सब ग्राडवे की लाश के पास पहुंचे थे, तब वहां अंधेरा था और गार्डनर ने किसी फोकसदार बल्ब की रोशनी लॉन के उस अंधेरे भाग की तऱफ घुमाने का आदेश दिया था, तब हम ही में से एक व्यक्ति ने उसके आदेशों का पालन किया था।”
“हां, किया था।”
“एकमात्र वही व्यक्ति मुझे प्रकाश बिन्दु के रूप में नजर आ रहा है।”
“वह भला मामले में हमारी क्या मदद कर सकता है?”
“मेरा अनुमान है कि उसका सम्बन्ध के.एस.एस. से होगा।”
“ओह!” विकास के मस्तक पर बल पड़ गए- “निश्चय ही आपका दिमाग काफी तेज दौड़ रहा है गुरु, परन्तु आपका अनुमान गलत भी तो हो सकता है, मुमकिन है कि के.एस.एस. से उसका कोई सम्बन्ध न हो और मात्र जिज्ञासावश उसने गार्डनर के आदेश का पालन किया हो।”
“इसीलिए तो हमने उसे मात्र प्रकाश बिन्दु कहा है, प्रकाश किरण नहीं।”
“क्या आप उसका नाम जानते हैं?”
“नहीं।”
“इस अवस्था में कहां ढूंढते फिरेंगे आप उसे, किसी से उसके बारे में पूछताछ करने का मतलब होगा व्यर्थ ही खुद को संदिग्ध बनाना और बिना पूछताछ के वह मिलेगा, नहीं, संयोग से यदि मिल भी जाए तो पता नहीं ऐसा संयोग होने में कितने दिन लग जाएं और संयोग होने पर यदि पता लगे कि के.एस.एस. से उसका कोई सम्बन्ध नहीं है तो हमारी हालत क्या होगी?”
“तुम्हारी सारी बातें ठीक हैं प्यारे दिलजले, मगर क्या करें, इसके अलावा कम-से-कम फिलहाल तो हमारे पास कोई रास्ता ही नहीं, हां—यदि वहां पहुंचने पर कोई रास्ता निकल आए तो बात दूसरी है—कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में पता करना विशेष रूप से कठिन इसलिए है, क्योंकि चन्द लोगों के अलावा बाकियों को तो यह भनक तक नहीं है कि सरकार ने कोहिनूर की सुरक्षा के लिए विशेष विभाग बना रखा है—हमारे ख्याल से खुद जेम्स बाण्ड भी गार्डनर का पद नहीं जानता है, उसे भी सिर्फ इतना ही मालूम है कि गार्डनर सिक्योरिटी विभाग में कोई बहुत बड़ा अफसर है—जरा सोचो, जिस रहस्य को ब्रिटेन का बाण्ड जैसा जासूस भी नहीं जानता है, उसके बारे में किसी ऐसे-गैरे को क्या पता होगा-के.एस.एस. का एक आम सदस्य भी ग्राडबे की तरह व्यवस्था के सिर्फ उसी स्पॉट को जानता होगा जहां वह कार्यरत है।”
“अगर इतनी गोपनीयता है तो भला अलफांसे गुरु को समूची सुरक्षा व्यवस्था का विवरण कहां से मिला होगा?” विकास ने प्रश्न उठाया।”
“उसका नाम लूमड़ है प्यारे, काम करने या अपने लाभ की सूचनाएं एकत्रित करने का उसका अपना एक अलग ही तरीका है—तीन महीने पहले वह इर्विन पर आसक्त हुआ, जाहिर है कि वह तभी आसक्त हुआ होगा जब उसे सारी हकीकत पता होगी—इसका मतलब ये है कि कम-से-कम छः महीने पहले से उसके दिमाग में कोहिनूर को प्राप्त करने की सनक है और तुम समझ ही सकते हो अपना लूमड़ छः महीने की कोशिश में तो यह भी पता लगा सकता है कि दुनिया में पहले मुर्गी आई या मुर्गी का अण्डा?”
“कोई भी योजना बनाने से पहले हमें एक नजर कोहिनूर को देखना जरूर चाहिए।” आशा ने कहा।
“उसके दर्शन करना भी हमारे टाइम टेबल में शामिल है।”
“क्या मतलब?”
“कोहिनूर को लंदन के प्रसिद्ध ‘एवेटा’ नामक म्यूजियम में रखा गया है—‘एवेटा’ मंगलवार के अतिरिक्त प्रतिदिन पब्लिक के लिए दस से चार तक खुलता है—इस म्यूजियम में एक-से-एक विचित्र, नायाब और कीमती वस्तुएं रखी हैं। उन्हीं में से एक कोहिनूर भी है परन्तु कोहिनूर को सबसे अलग विशेष पहरे में रखा गया है— म्यूजियम के उस भाग को पब्लिक के लिए दो से चार तक यानी केवल दो घण्टे के लिए खोला जाता है।”
“यहां भी सख्त सुरक्षा-व्यवस्था होगी?”
“वह तो सर्वविदित है ही—यानी इस ऊपरी सुरक्षा-व्यवस्था के बारे में आम लोग भी जानते हैं।”
आशा ने पूछा—“क्या व्यवस्था है वहां?”
“वह किसी बहुत बड़ी टंकी जैसा गोल हॉल है, हॉल करीब चालीस फीट ऊंचा है और दीवारें सपाट तथा संगमरमर की बनी हैं—हॉल में दो दरवाजे हैं, एक पब्लिक के आने के लिए और दूसरा निकलने के लिए-इनके अलावा गोल हॉल में कहीं कोई खिड़की तक नहीं है— हॉल के बीचोबीच आदमकद शीशे का एक जार रखा है, इस जार की निचली तहें संगमरमर के चिकने फर्श में गुम हैं और कहते हैं कि ये जार ऐसे पारदर्शी शीशे का बना है जो किसी भी तरीके से टूट नहीं सकता है—जार के अन्दर सुर्ख शनील की एक चौकी है और उस चौकी के ठीक बीच में रखा कोहिनूर अपने अन्दर से सात तरह का प्रकाश निकालता हुआ नजर आता है—कोहिनूर की वजह से वह गोल हॉल हमेशा सतरंगी प्रकाश से भरा रहता है, हॉल के बीचोबीच इस जार की स्थिति किसी छोटी मीनार जैसी है और इस मीनार से तीन गज दूर जंजीर का रेलिंग का बना हुआ है, जंजीर के रेलिंग के अन्दर जाना अवैध है यानी दर्शक कोहिनूर को रेलिंग के चारों तरफ घूमते हुए कम-से-कम साढ़े तीन फीट दूर से देखते हैं, उस समय हाल की दीवारों से सटे हुए सशस्त्र सैनिक खड़े रहते हैं, जिनका काम सिर्फ कोहिनूर को देखने आए लोगों पर नजर रखना और उन्हें वॉच करते रहना है—किसी भी किस्म की गड़बड़ होते ही उनके हथियार हरकत में आने के लिए तैयार रहते हैं।”
“अच्छी व्यवस्था है।”
“अभी से तारीफ क्यों कर रहे हो प्यारे, व्यवस्था अभी पूरी कहां हुई है?”
“कुछ और भी रह गया है?”
“बेशक!”
“क्या?”
“प्रवेश द्वार पर एक ‘मैटल डिटेक्टर’ रखा गया है, हॉल में प्रविष्ट होने वाले प्रत्येक व्यक्ति को स्वाभाविक रूप से, उसके सामने से जरूर गुजरना पड़ता है—और अगर आपकी जेब में कोई शस्त्र है तो वह मैटल डिटेक्टर आपको पकड़ लेगा—इसके अलावा हॉल में प्रविष्ट होते ही दाईं तरफ एक मेज के पीछे कर्नल जैसी रैंक का कोई मिलिट्री अधिकारी बैठा होगा—मेज पर एक रजिस्टर तथा पैन मौजूद है—इस व्यक्ति की ड्यूटी कोहिनूर को देखने आने वाले प्रत्येक व्यक्ति के साइन रजिस्टर में कराते रहना है।”
“साइन?”
“म्यूजियम के विभाग के पास आज तक उतने ही रजिस्टर सुरक्षित रखे हैं जितने साल से कोहिनूर आम जनता के लिए वहां रखा है यानी प्रत्येक साल का अलग रजिस्टर है, प्रत्येक दिन की तारीख आदि डालने के बाद ही हॉल का दरवाजा जनता के लिए खोला जाता है और प्रत्येक व्यक्ति रजिस्टर में साइन करने के बाद ही आगे बढ़ सकता है—ऐसा कोई उदाहरण नहीं है कि किसी ने बिना उस रजिस्टर पर साइन किए कोहिनूर देखा हो।”
“दर्शकों के साइन लेने से उन्हें क्या लाभ है?”
“वे शायद कोहिनूर देखने आने वालों का रिकॉर्ड रखना चाहते हैं ताकि किसी किस्म की गड़बड़ होने पर उन्हें वॉच किया जा सके, दूसरे वह ये देखना चाहते होंगे कि एक ही व्यक्ति अनेक बार तो कोहिनूर को देखने नहीं आ रहा है, यदि एक ही व्यक्ति नाम बदलकर कई बार आएगा तब भी शायद उनके राइटिंग एक्सपर्ट बता देंगे कि साइन एक ही व्यक्ति के हैं और वह व्यक्ति सिक्योरिटी की नजरों में आ जाएगा—सुना है कि रजिस्टर के पास जो अफसर बैठा रहता है वह परले दर्जे का मनोवैज्ञानिक है—वह हमेशा अपनी गहरी नीली आंखों से साइन करने वालों के हाथ देखता रहता है और यदि व्यक्ति अपने अलावा किसी अन्य नाम से साइन करे तो वह ताड़ जाता है।”
“कमाल है, इन लोगों ने तो कोहिनूर को देखना भी एक प्रॉब्लम बना दी है।”
“जो उसे सिर्फ जिज्ञासावश देखने जाते हैं उनके लिए इस सारी प्रक्रिया में कहीं कोई प्रॉब्लम नहीं है परन्तु यदि कोई किसी दुर्भावना से जाए तो उसके लिए सारी प्रक्रिया एक परीक्षा जैसी जरूर है—जैसे हम—हमारे लिए वह प्रक्रिया वाकई एक परीक्षा सिद्ध होगी।”
“कोहिनूर को चुराने की बात भला कोई सोच ही कैसे सकता है?”
“इतना ही नहीं, अफवाह है कि कोहिनूर को देखते वक्त हमारी आंखें जितनी आंखों को देख रही होती हैं, उससे कई गुना ज्यादा ऐसी आंखें हमें देख रही होती हैं जिन्हें हम भरसक कोशिश करने के बावजूद भी नहीं देख सकते, छुपी हुई आंखें—हालांकि सरकारी तौर पर कभी इसकी पुष्टि नहीं हुई—परन्तु कहते हैं कि हॉल के दोनों दरवाजों का सम्बन्ध खुद कोहिनूर से है, कोहिनूर के अपनी जगह से हटते ही दरवाजे बन्द हो जाएंगे और तब तक नहीं खुलेंगे जब तक कि कोहिनूर को उसके स्थान पर न रख दिया जाए—इतना सब कुछ होते हुए भी लूमड़ जैसे लोग कोहिनूर को चुराने के मनसूबे बांध ही लेते हैं।”
आशा ने कहा— “इस स्थिति मैं तो कोहिनूर को एक नजर देखने तक जाना कड़ी परीक्षा देने जैसा है।”
“तुम समझ ही सकती हो, इन इन्तजामों का जिक्र यहां हमने इसलिए किया है, क्योंकि कम-से-कम एक बार तो हमें वहां जाकर कोहिनूर की स्थिति देखनी ही होगी। अगर अप्रत्याशित रूप से ये सब बातें सामने आतीं तो हममें से कोई गड़बड़ा भी सकता था।”
“अब तो वहां हमें काफी सतर्क होकर जाना पड़ेगा।”
“पूरी तरह, हल्की-सी चूक की वजह से ही हम सिक्योरिटी की दृष्टि में संदिग्ध हो सकते हैं—सबसे कठिन काम रजिस्टर के पास बैठे अफसर की आंखों को धोखा देना है—उसके बाद हमें भीड़ में शामिल होकर साधारण दर्शक की तरह ही कोहिनूर को देखना है, दृष्टि में विशेषता आई और समझ लो कि हम किसी छुपी हुई आंख की नजरों में आ चुके हैं।”
“खैर!” आशा बोली— “जब हम वहां जा ही रहे हैं तो इस किस्म के खतरों का सामना तो हर कदम पर करना ही होगा।”
“हां ये हुई न मर्दों वाली बात।”
आशा ने उसे घूरकर देखा और विजय सकपका गया।
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