Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
10-23-2020, 01:08 PM,
#51
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
दूसरी मंजिल पर स्थित कमरे में खिड़की की चौखट पर एक पैर टिकाकर विकास ने हाथ में दबे रिवॉल्वर की मूठ का भरपूर वार शीशे पर किया—वातावरण में कांच टूटने और फिर फर्श पर टूटकर खील-खील हो जाने की आवाज गूंजती चली गई।
कांच कमरे के अन्दर फर्श पर गिरा था।
“क...कौन है?” एक स्त्री की हड़बड़ाई-सी आवाज गूंजी।
विकास ने फुर्ती से टूटे हुए कांच वाले स्थान से हाथ अन्दर डाल दिया। कमरे में अंधेरा व्याप्त था। हां—अन्दर हलचल का आभास अवश्य हो रहा था—फिर वातावरण में चिटकनी खुलने की आवाज उभरी।
‘कट’ से लाइट ऑन हुई।
यही वह क्षण था जब विकास खिड़की के पट खोलकर जिन्न की तरह कमरे में कूद पड़ा।
वातावरण एक नारी की चीख से झनझना उठा। यह चीख स्विच बोर्ड के समीप मौजूद करीब पच्चीस वर्षीय महिला के कंठ से विकास को देखकर निकली थी। उसके जिस्म पर नाइट गाउन था और वह खड़ी वह थर-थर कांप रही थी। रिवॉल्वर ताने विकास ने क्रूर अन्दाज में उसे घूरा।
विस्फारित-सी महिला जड़ होकर रह गई, जुबान तालू से जा चिपकी थी— चीख के बाद एक हल्की-सी आवाज भी उसके कंठ से न निकली, विकास उसके अत्यन्त समीप पहुंच गया—नाल उसके मस्तक पर रखकर गुर्राया—“चीखो, मैं कहता हूं जोर से चीखो।”
उसने बड़ी मुश्किल से कहा—“क...कौन हो तुम, क्या चाहते हो?”
“मैं चाहता हूं कि तुम चीखो, जोर से!”
महिला को लगा कि ये लम्बा और क्रूर लड़का उसके मुंह से चीख निकल जाने की वजह से गुस्से में है, कह रहा है कि अब चीखकर देखो, ये गोली तुम्हारा सिर तोड़ देगी, डर की वजह से चीखना तो दूर, वह ‘चूं’ भी न कर सकी, जबकि विकास गुर्राया—“मैं कहता हूं चीखो, अगर चुप रही तो गोली मार दूंगा।”
भिन्नाई हुई-सी महिला लड़के को देखती रही—ऐसा तो वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकती थी कि वह वाकई उसे चीखने का हुक्म दे रहा है, जबकि विकास ने उसे चीखती न देखकर रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार उसके सिर पर किया और चीखा—“मैं कहता हूं चीखो, जोर से—किसी को मदद के लिए बुलाओ।”
तभी बराबर वाले कमरे से किसी लड़की के चीखने की आवाज ने कोठी को झंझोड़ डाला।
“बचाओ....बचाओ!” महिला भी हलक फाड़कर चिल्ला उठी।
¶¶
सेफ के अन्दर खड़ा जेम्स बाण्ड अभी इन चीखों का अर्थ ठीक से समझ भी नहीं पाया था कि चैम्बूर हड़बड़ाकर उठ बैठा, बौखलाए-से स्वर में उसने कहा—“य...ये क्या हो रहा है—ओह, ये चीखें तो जेनिफर और कलिंग की हैं—वे शायद किसी मुसीबत में हैं।”
इतना कहते हुए उन्होंने तकिए के नीचे से रिवॉल्वर निकाला, फुर्ती से दरवाजे की तऱफ लपका कि तभी, बाण्ड ने सेफ से बाहर जम्प लगाते हुए कहा— “अ...आप यहीं ठहरिए मिस्टर चैम्बूर, मैं देखता हूं।”
चैम्बूर ठिठक गया, चीखें अब भी गूंज रही थीं।
हाथ में रिवॉल्वर लिए बाण्ड आंधी-तूफान की तरह दरवाजे पर झपटा, चिटकनी खोलकर गैलरी में पहुंचा और फिर पागलों की तरह जेनिफर तथा कलिंग के कमरों की तरफ भागता चला गया।
हाथ में रिवॉल्वर लिए चैम्बूर दरवाजे के बीचो-बीच किंकर्तव्यविमूढ़-सा खड़ा था, एक मोड़ पर घूमने के बाद बाण्ड उसकी नजरों से ओझल हो गया और यही वह क्षण था जबकि एक थम्ब के पीछे से एक इंसान जिस्म तीर की तरह सनसनाता हुआ उसकी तरफ आया।
अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाया था कि एक इंसानी सिर की टक्कर ‘फड़ाक’ से उसकी नाक पर पड़ी—वह बिलबिला उठा, रिवॉल्वर हाथ से निकलकर फर्श पर गिर पड़ा—और फिर हमलावर ने संभलने के लिए उसे एक क्षण भी तो नहीं दिया, चैम्बूर के कंठ से लगातार चीखें उबलने लगीं।
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:08 PM,
#52
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
जब विकास को यकीन हो गया कि इन चीखों ने चैम्बूर को कमरे से बाहर निकाल दिया होगा तो रिवॉल्वर लिए वह कमरे के बन्द दरवाजे की तरफ बढ़ा, चिटकनी खोलता हुआ बोला, “शाबाश, और जोर से चीखो—चीखती रहो, मुझे यकीन है कि तुम्हारी मदद के लिए जरूर कोई आएगा—जोर से चीखो।”
“बचाओ...बचाओ...बचाओ!” महिला हलक फाड़-फाड़कर अपनी पूरी ताकत से चीखती रही।
चीखने की वैसी ही आवाजें बराबर वाले कमरे से भी आ रही थीं। विकास दरवाजा खोलकर कमरे से बाहर निकल आया, गैलरी में आते ही दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया— रिवॉल्वर बहुत ही आराम से उसने जेब में डाला।
गैलरी के मोड़ के उस पार से विकास ने भागते कदमों की आहट सुनी, कोई बहुत ही तेजी से आंधी-तूफान की तरह इसी तरफ भागा चला आ रहा था।
“गुरु ने भी अपना काम काफी जल्दी निपटा लिया महसूस होता है।” बड़बड़ाता हुआ विकास बराबर वाले कमरे के बन्द दरवाजे की तरफ बढ़ा, उसका विचार दरवाजे को नॉक करके अशरफ को ऑपरेशन की सफलता की सूचना देकर उसे बाहर बुला लेने का था।
भागते कदमों की आवाज बेहद नजदीक आ गई, उसने गैलरी के मोड़ की तरफ देखते हुए नॉक करने के लिए अभी हाथ उठाया ही था कि उसके तिरपन कांप गए।
हां, ये सच है कि उस एक पल के लिए विकास जैसे लड़के के होश फाख्ता हो गए थे। ऐसा वहां बाण्ड को मौजूद देखकर हुआ था।
उसने तो इस तरह भागकर इस तरफ आने की कल्पना केवल विजय के लिए ही की थी—बाण्ड को देखने से पहले, ऐसा तो वह ख्वाब में भी नहीं सोच सकता था कि वह बाण्ड होगा।
भागते कदमों की आवाज को उसने विजय के कदमों की आवाज ही समझ था।
सामने बाण्ड को देखते ही हतप्रभ-सा खड़ा रह गया वह, हक्का-बक्का—सोचने-समझने की शक्ति ही न रही उसमें— एक क्षण के लिए दिमाग मानो बिल्कुल शून्य हो गया था।
वह तब चौंका, जब दूर रिवॉल्वर ताने खड़ा बाण्ड गुर्राया—“कौन हो तुम?”
“त...तुम कौन हो?” विकास भी गुर्राया, बाण्ड की यहां मौजूदगी ने उसे किंकर्तव्यविमूढ़ कर दिया था।
जवाब में बाण्ड ने एकदम फायर झोंक दिया—“धांय!”
ऐसे नाजुक क्षण में विकास को गोली से बचने की अपनी संगआर्ट का प्रदर्शन करने के अलावा और सूझ भी क्या सकता था, संगआर्ट का प्रदर्शन करके उसने न सिर्फ खुद को गोली से बचाया—बल्कि हवा में उछला, किसी तीर की तरह सनसनाता हुआ बाण्ड पर लपका।
उसे गोली से बचता देखकर बाण्ड हक्का-बक्का रह गया, दूसरा फायर करने का होश ही न रहा था उसे और नतीजा ये निकला कि विकास की फ्लाइंग किक उसके सीने पर पड़ी।
एक चीख के साथ वह हवा में उछलकर पीछे फर्श पर जा गिरा, इस बीच रिवॉल्वर हाथ से छूटकर जाने कहां जा गिरा था—विकास ने उस पर पुनः जम्प लगा दी, परन्तु इस बीच बाण्ड भी स्वयं को संभाल चुका था—ऐन वक्त पर उसने अपना स्थान छोड़ दिया।
विकास मुंह के बल फर्श पर आकर गिरा।
बिजली के बेटे की तरह बाण्ड झपटकर उसके ऊपर चढ़ बैठा और विकास को कोई भी अवसर दिए बिना दोनों हाथ उसकी गर्दन पर जमा दिए, विकास छटपटाकर उसके बन्धन से निकलने की कोशिश कर रहा था, जबकि दांत भींचे बाण्ड उसकी गरदन दबाए चला जा रहा था, तभी—अपने पीछे उसने आहट सुनी। विकास को छोड़कर बाण्ड ने उछल पड़ने में बिजली की-सी फुर्ती दिखाई, परन्तु उसके संभलने से पहले ही किसी रिवॉल्वर के दस्ते का भरपूर वार कनपटी पर पड़ा—अगले ही क्षण असंख्य रंग-बिरंगे तारे उसकी आंखों के सामने चकरा उठे, वह लहराया—वातावरण में काली चादर खिंचती चली गई।
बाण्ड धड़ाम से फर्श पर गिर पड़ा।
“भागो यहां से—जल्दी।” ये आवाज अशरफ की थी।
¶¶
“हैलो—हैलो सर, मैं जेम्स बाण्ड बोल रहा हूं।”
ट्रांसमीटर पर दूसरी तरफ से मिस्टर एम की आवाज—“हां, हम बोल रहे हैं बाण्ड—रात के इस वक्त तुम्हें सम्बन्ध स्थापित करने की क्या जरूरत आ पड़ी और तुम इतने घबराए हुए—से क्यों हो?”
“म...मिस्टर चैम्बूर का अपहरण हो गया है सर!”
“क...क्या—कैसे?”
“फिलहाल विवरण बताने का समय नहीं है चीफ, उन लोगों से टकराव में मैं बेहोश हो गया था—दस मिनट बेहोश रहा, होश में आते ही आपसे बात कर रहा हूं— अभी मैं चैम्बूर की कोठी पर ही हूं, सीधा अपनी कोठी पर पहुंचूंगा, आप किसी के जरिए इसी वक्त भारतीय सीक्रेट सर्विस के एजेण्टों से सम्बन्धित फाइल मेरी कोठी पर भिजवा दीजिए.”
“उसकी तुम्हें क्या जरूरत आ पड़ी?”
“बाद में बताऊंगा सर, प्लीज—फिलहाल आप वह फाइल भेज दीजिए और हां, एलिजाबेथ होटल में रह रही वह जापानी लड़की हालांकि इस वक्त भी के.एस.एस. के जासूसों की नजरों में होगी, मगर मेरे ख्याल से अब वहां पहरा पर्याप्त नहीं रहा है—इसी वक्त से ब्यूटी के चारों तरफ सीक्रेट सर्विस एजेण्टों का सख्त-से-सख्त जाल बिछा दीजिए, मगर उस लड़की को इसका बिल्कुल इल्म न हो पाए— उससे किसी की कोई बात नहीं करनी है, सिर्फ इस बात पर नजर रखनी है कि वह किसी से या कोई उससे न मिल पाए— उसके इर्द-गिर्द संदिग्ध नजर आने वाले किसी भी व्यक्ति को तुरन्त गिरफ्तार कर लिया जाए—जासूसों की नजरों से एक पल के लिए ओझल न हो सके वह लड़की, मुझे उसकी हर सांस का हिसाब चाहिए।”
“हम सारा प्रबन्ध अभी कर देते हैं।”
मिस्टर एम के इस वाक्य को सुनने के बाद बाण्ड ने एक भी औपचारिक शब्द कहकर समय नहीं गंवाया, ट्रांसमीटर ऑफ करके जेब में रखता हुआ वह चैम्बूर के कमरे की तरफ भागा, कमरे में पहुंचकर उसने कोई नम्बर डायल किया—दूसरी तरफ घण्टी बजने लगी—बाण्ड रिसीवर कान से लगाए खड़ा रहा।
बैल बज रही थी, परन्तु रिसीवर नहीं उठाया जा रहा था।
बाण्ड कसमसा-सा रहा था, चेहरे पर झुंझलाहट के भाव उभरने लगे और केवल दो मिनट में यह झुंझलाहट इतनी बढ़ गई कि रिसीबर क्रेडिल पर पटकने ही जा रहा था कि दूसरी तरफ से रिसीवर उठाए जाने ती आवाज आई, बाण्ड ने बेचैन होकर शीघ्रता से कहा—“हैलो....हैलो!”
“कौन है?” एक नींद में डूबी अलसाई-सी आवाज!
“म...मैं बाण्ड हूं—डबल ओ सेविन—क्या मिस्टर जिम बोल रहे हैं?”
“अ...आप मिस्टर बाण्ड।” दूसरी तरफ से बोलने वाले का आलस्य गायब—“क्या बात है, रात के इस...।”
बाण्ड ने उसकी बात बीच ही में काटकर जल्दी-से-कहा— “हथियारों की दुकान में पड़ी डकैती से सम्बन्धित जितने भी निशान और सबूत आपने अभी इकट्ठे किए हैं, वे सभी लेकर फौरन मेरी कोठी पर पहुंचिए।”
“क्यों?”
“किसी किस्म के सवाल-जवाबों में उलझने का समय नहीं है, एक क्षण भी गंवाए बिना पहुंचिए।” कहने के बाद उसने दूसरी तरफ से किसी जवाब की प्रतीक्षा किए बिना रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया।
घूमा और फिर भागता हुआ बाहर निकल गया। कमरों में बन्द जेनिफर और कलिंग को बाहर निकालने तक की जहमत न उठाई थी उसने।
तीस मिनट बाद जब वह अपनी कोठी पर पहुंचा तो मिस्टर एम का भेजा हुआ आदमी वहां पहले ही से मौजूद था, उसके हाथ में भारतीय सीक्रेट सर्विस के एजेण्टों से सम्बधित फाइल थी— बाण्ड ने फाइल लेकर उसे विदा किया।
केवल पांच मिनट बाद मिस्टर जिम वहां पहुंच गए।
एक क्षण भी गंवाए बिना बाण्ड ने उनसे हथियारों की दुकान में हुई डकैती से सम्बन्धित फाइल ले ली, मिस्टर जिम ने कई प्रश्न किए परन्तु बाण्ड ने किसी भी प्रश्न का जवाब नहीं दिया तथा उन्हें कमरे ही में पड़े सोफे पर बैठने का इशारा करके स्वयं एक रीडिंग टेबल पर बैठ गया।
बाण्ड द्वारा एक बटन ऑन करते ही मेज के पृष्ठ भाग में कोई रॉड ऑन हो गई— मेज के बीच में लगा पारदर्शी शीशा बुरी तरह चमकने लगा, जिस पर लाई गई फाइल में से उसने चौकीदार की टॉर्च तथा लाठी पर से प्राप्त होने वाले फिंगरप्रिंट्स के निगेटिव्स शीशे पर रख दिए।
उंगलियों के निशान बिल्कुल साफ चमकने लगे।
अब बाण्ड ने मिस्टर एम द्वारा भेजी गई फाइल खोली और उसमें मौजूद विजय, विकास आदि की उंगलियों के निशानों से उन्हें मिलाने लगा।
यह बहुत बारीक काम था और बाण्ड इसे पूरी एकाग्रता के साथ कर रहा था।
विजय, विकास और परवेज की उंगलियों के निशान ने उसे निराश किया—परन्तु टॉर्च पर मौजूद निशानों के अशरफ के निशानों से मिलते ही उसकी आंखें बुरी तरह चमकने लगीं—फिर वह दुकान के तालों और शटर के हैंडिल से प्राप्त निशानों को विकास की उंगलियों के निशानों से मिलाने में कामयाब हो गया।
इस सारे काम में उसे पूरा एक घण्टा लग गया था, लेकिन जब वह उठा तब चेहरा सफलता की दमक से चमक रहा था, अब वह निश्चिंत नजर आ रहा था—बिल्कुल तनावरहित।
“क्या मैं पूछ सकता हूं मिस्टर बाण्ड कि आप क्या कर रहे थे?” जिम ने पूछा।
“ओह!” बाण्ड के होंठों पर उसकी सदाबहार आकर्षक मुस्कान उभर आई— “आप अभी तक यहीं हैं।”
“पूरे एक घण्टे बोर हुआ हूं, बीच में यह सोचकर नहीं बोला कि आप व्यर्थ ही डिस्टर्ब होंगे।”
बैठने के बाद एक सिगरेट सुलगाते हुए बाण्ड ने पूछा—“क्या जानना चाहते हैं आप?”
“उन उंगलियों के निशानों को आप किनकी उंगलियों के निशानों से मिला रहे थे?”
प्रश्न सुनकर थोड़ी देर चुप रहा बाण्ड, फिर बोला—“इस बात को छोड़िए मिस्टर जिम, आप केवल इतना ही जान लीजिए कि मैं हथियारों की दुकान में डकैती डालने वालों के नाम जान चुका हूं—अब केवल यही पता लगाना बाकी रह गया है कि वो लंदन में कहां रह रहे हैं, और यह पता लगाने के लिए भी मेंरे पास एक जबरदस्त क्लू या हथियार मौजूद है—आपके डाकू शीघ्र ही लंदन की जेल मैनजर आएंगे।”
“क्या आप मुझे उनके नाम नहीं बताएंगे?”
“जो बताया है, वह भी केवल इसलिए क्योंकि एक घण्टा आप यहां धैर्यपूर्वक बैठे रहे हैं— उनकी गिरफ्तारी से पहले मैं ये शब्द भी किसी अन्य से कहने वाला नहीं हूं और यदि आप सचमुच इन अपराधियों की गिरफ्तारी चाहते हैं तो वक्त से पहले मेरे शब्दों का जिक्र किसी और से न करें!”
जेम्स बाण्ड के चेहरे को देखता रह गया, कुछ बोल नहीं सका।
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:08 PM,
#53
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
पीटर हाउस के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित उस कमरे में पड़े सोफे पर चैम्बूर के बेहोश जिस्म को लिटाते हुए विजय ने एक लम्बी सांस ली, माथे से पसीना पोंछा और हांफता हुआ स्वयं भी ‘धम्म’ से सोफे पर गिर पड़ा—चैम्बूर को कन्धे पर लादकर रेनवाटर पाइप पर चढ़ने तथा फिर वहां से यहां तक लाने में उसकी सांस फूल गई थी।
सांसें विकास, अशरफ और विक्रम की भी अनियंत्रित थीं।
चैम्बूर की कोठी से यहां तक पहुंचने के लिए विक्रम ने कार आंधी के समान तेज चलाई थी, प्रत्येक पल यह खतरा लगा रहा था कि कहीं कोई गश्ती पुलिस टुकड़ी उन्हें रोक न ले।
मस्तिष्क तरह-तरह की आशकांओं के अधीन तनावग्रस्त रहे थे।
विक्रम ने कहा—“गाड़ी में तुम लोग बाण्ड के बारे में बात कर रहे थे, वह भला चैम्बूर की कोठी में कहां से पहुंच गया?”
“यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है।” अशरफ ने कहा—“मैं तो ऑपरेशन की कामयाबी पर पूरी तरह आश्वस्त होकर कमरे से बाहर निकला था कि गैलरी का दृश्य देखते ही चौंक पड़ा, एक व्यक्ति से बाकायदा विकास का मल्लयुद्ध चल रहा था, तब—मेरे दिमाग में उस फायर की आवाज का आशय समझ में आया जो मैंने कलिंग के पास कमरे में रहते सुनी थी—बाण्ड को पहचानते ही तो मेरे होश फाख्ता हो गए और मैंने निश्चय कर लिया कि बाण्ड को बेहोश किए बिना हम यहां से नहीं निकल सकेंगे।”
“और आपने रिवॉल्वर के दस्ते से उसे बेहोश कर दिया!”
“हां, मगर समझ में नहीं आया—रात के इस वक्त बाण्ड आखिर वहां कर क्या रहा था?”
“हमारा इन्तजार!” विजय ने बड़े आराम से कहा। तीनों एक साथ चिहुंक पड़े, विकास बोला—“इन्तजार! क्या उन्हें मालूम तथा कि हम वहां पहुंचेंगे?”
“बेशक मालूम था!”
“कैसे?”
“इस बार चूक हमसे हो गई प्यारे, इसीलिए कहते हैं कि बड़े-बड़े धुरन्धर चूक जाते हैं।”
विकास ने पूछा—“क्या चूक हो गई आपसे?”
“तुमने चैम्बूर को गार्डनर के नाम से फोन किया और फिर उसकी आवाज सुनते ही बिना एक लफ्ज भी बोले रख दिया, यह छोटी-सी बात हमारे दिमाग में नहीं आई कि चैम्बूर और गार्डनर के बीच इस रहस्यमय फोन की चर्चा होनी कितनी स्वाभाविक है—गार्डनर ने चैम्बूर से कहा होगा कि उसने ऐसा कोई फोन नहीं किया था—फिर सवाल उठा कि फोन किसने किस मकसद से किया—तभी उन्हें ग्राडवे का कत्ल होने की बात स्पष्ट हो गई होगी—उसमें आशा का कोहिनूर देखना भी जुड़ गया— इन तीन वारदातों ने उन्हें बता दिया कि कुछ लोग कोहिनूर में दिलचस्पी ले रहे हैं—और शायद इसी केस पर काम करने के लिए के.एस.एस. ने एम से बाण्ड को इस केस पर नियुक्त करने को कहा—इस प्रकार बाण्ड के लिए यह समझ जाना कितना आसान है कि कोहिनूर में दिलचस्पी लेने वालों का अगला शिकार चैम्बूर है और इतना पता लगने पर भी बाण्ड चैम्बूर के इर्द-गिर्द न रहता?”
“ओह!”
“अगर हम उसी वक्त सोच लेते कि तुम्हारे फोन की उधर क्या प्रतिक्रिया होगी तो हमें बाण्ड की वहां मौजूदगी का पहले से ही आभास होता और इस तरह चौंकते नहीं।”
“क्या बाण्ड को वहां देखकर आप भी चौंके थे गुरु?”
“चौंक पड़ना तो स्वाभाविक ही था, हम थम्ब के पीछे घात लगाए खड़े थे कि कब दरवाजा खुले—दरवाजा खुलने से पहले ही हमें कमरे के अन्दर से आवाजें आईं— यह सोचकर हम चकराए कि कमरे में चैम्बूर यदि अकेला है तो वह बोल क्यों रहा है और यदि कोई दूसरा है तो कौन है— तभी एक झटके से दरवाजा खुला—अभी बाण्ड पर नजर पड़ते ही हमारी बुद्धि को जंग लगा, वह एक पल बौखलाया फिर गैलरी में ठिठके बिना भागता चला गया था—और उसी क्षण वे सारी बातें बिजली की तरह हमारे दिमाग में कौंध गईं जो थोड़ी देर पहले कह आए हैं।”
“और यदि सच कहा जाए गुरु तो मैं आज बाल-बाल बचा हूं।”
विकास ने कहा—“गैलरी के दूसरी तरफ से भागते कदमों की आहट सुनकर भी मैं लापरवाह बना रहा, यह सोचकर कि आप होंगे मगर आपके स्थान पर बाण्ड को देखते ही मैं भौंचक्का रह गया, उस वक्त मेरे सामने वहां बाण्ड आ खड़ा होगा, इस सच्चाई पर मैं तो अब भी ठीक से विश्वास नहीं कर पा रहा हूं— मेरे दिल वाले स्थान का निशाना लिया था, वह तो मैं खुद को संगआर्ट का प्रदर्शन करके...।”
“स...संगआर्ट?” विजय एकदम इस तरह उछल पड़ा जैसे उसे सैकड़ों बिच्छुओं ने एक साथ डांक मार दिए हों।
तीनों भौंचक्के-से उसकी तरफ देखने लगे।
“क्या हुआ गुरु?”
“तुमने संगआर्ट से खुद को उसकी गोली से बचाया था?”
“और नहीं तो क्या करता?”
“मारे गए मलखान!” कहकर विजय ने बहुत जोर से अपने माथे पर हाथ मारा और लहराकर इस तरह वापस ‘धम्म’ से सोफे पर गिर पड़ा जैसे माथे में गोली लगी हो, फिर उसने अपने सारे शरीर को इस तरह ढीला छोड़ दिया जैसे उसमें प्राण ही बाकी न रहे हो।
हैरत में डूबे तीनों उसे देख रहे थे।
“क्या हुआ गुरु?”
“सब कुछ हो गया है प्यारे—होने के लिए अब बाकी कुछ नहीं बचा है।” विजय की अवस्था उस सेठ जैसी दिखाई दे रही थी, जो रात को तिजोरी को नोटों से लबालब भरी छोड़कर सोया था और सुबह होते ही उसे बिल्कुल खाली पाया।
अशरफ चीख–सा पड़ा—“ऐसा क्या हो गया है विजय, बताते क्यों नहीं?”
“बाण्ड जान गया है प्यारे कि हम लोग कौन हैं?”
“क...कैसे?” विक्रम चीख उठा।
“जब ये लम्बू उसके सामने संगआर्ट का प्रदर्शन करेगा तो होगा ही क्या, किसी ने सच कहा है—साले लम्बों की अकल घुटने में ही होती है।”
और विजय के आशय को समझकर जहां विक्रम और अशरफ भौंचक्के रह गए, वहीं विकास का चेहरा बिल्कुल फक्क पड़ गया— सफेद—राख की तरह बिल्कुल निस्तेज—कुछ कहते नहीं बन पड़ा उस पर—यह तो उसने सोचा भी नहीं था कि वह इतनी बड़ी भूल कर चुका है—अशरफ और विक्रम की तरह वह भी केवल विजय के चेहरे को देखता रह गया।
“वह जानता है प्यारे कि संगआर्ट का इस्तेमाल दुनिया के गिने-चुने लोग ही कर सकते हैं—उन गिने-चुने लोगों में से अपनी विशेष लम्बाई के तुम अकेले ही हो— पुष्टि के लिए वह टॉर्च आदि से प्राप्त उंगलियों के निशानों को तुम्हारे और अशरफ के निशानों से मिला लेगा— जब तुम दोनों यहां हो तो वह बड़ी आसानी से लंदन ही में हमारी मौजूदगी की भी कल्पना कर लेगा।”
कोई कुछ नहीं बोला, जुबान पर ताले लटक गए थे।
विजय ने भन्नाए हुए स्वर में कहा—“अब मुंह लटकाए क्या बैठे हो?”
“सचमुच गुरु, बहुत बड़ी भूल हो गई।”
“इसमें भूल ही क्या करेगी प्यारे, गोली साली तुम्हारे दिल पर लपक रही थी—दो बातों में से एक तो होनी ही थी, या तो तुम्हारा कल्याण या ये भूल—कल्याण से फिर भी भूल अच्छी है।”
“वह तो ठीक है गुरु लेकिन...।”
“लेकिन?”
“गलती करने के बाद भी मुझे अहसास नहीं हुआ कि गलती हो चुकी है।”
“अब मुंह लटकाने या जो हो चुका है उस पर अफसोस करने से न तेल निकलने वाला है न तेल की धार—अब तो हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि अब इन नए हालात में हमारी स्थिति क्या है और हम क्या कर सकते हैं!”
“अब उसे केवल यह पता लगाना बाकी है कि लंदन में हम कहां रह रहे हैं?”
विकास बोला—“यह पता लगाने के लिए वह आशा आण्टी को गिरफ्तार कर सकता है।”
“आशा—ओह, प्यारो गए काम से!” इस क्षण विजय दूसरी बार पस्त हुआ—“हमारे नाम समझ में आते ही वह बहुत आसानी से समझ गया होगा कि वह ब्यूटी नहीं आशा है।”
“हमें आशा आण्टी को फौरन वहां से हटा देना चाहिए।” विकास ने जल्दी से कहा।
रिस्टवॉच पर नजर डालते हुए विजय ने कहा—“बहुत देर हो चुकी है।”
“क्या मतलब ?”
“बाण्ड के सिर पर रिवॉल्वर के दस्ते का वार हुए एक घण्टा गुजर चुका है, जबकि बाण्ड जैसी इच्छाशक्ति वाला उस चोट से पन्द्रह मिनट से ज्यादा तक बेहोश होने वाला नहीं है और होश में आते ही उसने आशा के चारों तरफ पहरा इतना कड़ा करा दिया होगा कि यदि हममें से किसी ने उस तक पहुंचने की मूर्खता की तो फौरन गिरफ्तार हो जाएगा।”
सभी के चेहरे लटक गए, अशरफ ने कहा—“लेकिन विजय, क्या जरूरी है कि जो हम सोच रहे हैं वही हुआ हो, ऐसा, भी तो हो सकता है कि बाण्ड के दिमाग में आशा का ख्याल ही न आया हो।”
“हालांकि सम्भावना बहुत कम है, लेकिन फिर भी ऐसा हो सकता है।”
“तो क्यों न हम आशा तक पहुंचने के लिए कम-से-कम एक बार ट्राई करें?” अशरफ ने कहा—“या कोई यही ताड़ने का रास्ता निकालें, कि आशा के चारों तरफ कोई पहरा है या नहीं?”
“गर्म खाने से मुंह जल जाता है प्यारे, इसलिए बुजुर्गों ने कहा है कि फूंक मार-मारकर ठंडा करके खाओ।”
“क्या मतलब?”
“यदि हमारा भेद जानने के बाद भी बाण्ड का ध्यान ब्यूटी के आशा होने पर अभी तक नहीं गया है तो यह ‘तय’ समझो कि भविष्य में बहुत जल्दी जाने वाला भी नहीं है—उस स्थिति में यदि आशा के चारों तरफ इस वक्त कोई पहरा न होगा तो हमें कल दिन में भी यही स्थिति मिलेगी—पहरा होगा तो वैसे ही हम कुछ नहीं कर सकेंगे— अतः कल दिन में ही सारी स्थिति को समझकर कोई कदम उठाना समझदारी है—इस वक्त हमारा लंदन की सड़कों पर निकलना वैसे भी मौत को दावत देने जैसा है।”
विजय की बात तर्कसंगत थी और विकास को जंच भी रही थी, परन्तु फिर भी यह उसे कुछ अजीब-सा लग रहा था कि इस वक्त आशा की खैर-खबर ही न ली जाए—फिर भी वह कुछ बोला नहीं— अपनी कोई राय पेश नहीं की उसने।
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:08 PM,
#54
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
“बोलो!” विकास गुर्राया—“अगर जान बचाना चाहते हो तो बोलो कि अलफांसे से तुम्हारे क्या सम्बन्ध हैं—इर्विन और गार्डनर से छुपकर तुम उससे क्या बातें करते हो?”
मगर चैम्बूर बेचारे को भला किसी सवाल का जवाब देने का होश कहां था?
बड़ी ही दयनीय अवस्था थी उसकी।
वह बेचारा तो चीख भी नहीं सकता था, मुंह पर सख्ती से एक टेप जो चिपका हुआ था।
कपड़े के नाम पर उसके जिस्म पर यह टेप ही एकमात्र रेशा था, वरना तो जन्मजात नग्न अवस्था में एक कुर्सी पर बंधा बैठा था— रेशम की डोरी की मदद से उसके हाथ कुर्सी के हत्थों के साथ बंधे थे और पैर कुर्सी के अगले दो पैरों के साथ।
पिछले दो घण्टे से बेचारे चैम्बूर की यही स्थिति थी।
जुबान खुलवाने का काम विकास को सौंपते हुए विजय ने चैम्बूर को उसके हवाले कर दिया था और विकास को जानने वाले सहज ही अनुमान लगा सकते हैं कि इन दो घण्टों में उसने चैम्बूर की क्या हालत कर दी होगी—मार-मारकर विकास ने उसका पूरा चेहरा सुजा दिया था।
जिस्म पर जगह-जगह नील पड़े हुए थे।
कई स्थानों पर सिगरेट से जलाए जाने के निशान भी थे।
ऐसे प्रत्येक अवसर पर चैम्बूर की अन्तरात्मा से मर्मान्तक चीखें उबल पड़तीं, परन्तु टेप के कारण हलक में ही घुटकर रह जातीं— विकास की यातनाएं सहता-सहता वह इन दो घण्टों में तीन बार बेहोश हो चुका था, विकास हर बार होश में लाकर उसे नए सिरे से टॉर्चर करना शुरू कर देता।
इतना सब कुछ होने के बावजूद भी चैम्बूर अभी तक टूटा नहीं था।
और जब विकास के इतने टॉर्चर करने के बाद कोई न टूटे, तब!
वह लड़का शैतान बन जाता है—बेरहम –क्रूर और वीभत्स। जिस कुर्सी के साथ चैम्बूर को बांधा गया था वह कमरे के ठीक बीचोबीच पड़ी थी, विकास अपना भभकता चेहरा लिए उसके सामने खड़ा था—कुर्सी से काफी हटकर तीन तरफ सोफा सेट की तीन कुर्सियां पड़ी थीं और उन पर अधलेटी-सी अवस्था में पड़े थे—विजय, अशरफ और विक्रम। वे बिल्कुल नॉर्मल अवस्था में, लापरवाह से पड़े थे, जैसे पता ही न हो कि कमरे में क्या हो रहा है—विक्रम किंग साइज की एक सिगरेट का धुंआ उड़ा रहा था, अशरफ अपनी दस उंगलियों पर एक माचिस को नचा रहा था तो विजय एक ऑलपिन से अपने दांत कुरेद रहा था।
विकास ने झपटकर चैम्बूर के बाल पकड़े, लाल-सुर्ख चेहरा लिए गुर्राया—“जब तक तुम मेरे सवालों का जवाब नहीं दोगे तब तक मैं तुम्हें न मरने दूंगा और न ही एक मिनट के लिए टॉर्चर करना बन्द करूंगा—तुम्हें बोलना ही होगा चैम्बूर—मेरे एक-एक सवाल का जवाब देना होगा तुम्हें—बताओ—जवाब दोगे या नहीं?”
घुटी-घुटी सी चीखों के साथ जब इस बार भी चैम्बूर ने नकारात्मक अंदाज में गरदन हिलाई तो विकास मानो आपे से बाहर हो गया— उसने सीधा घूंसा चैम्बूर की नाक पर मारा दर्द से बिलबिलाते हुए चैम्बूर की एक घुटी हुई चीख उभरी, उसकी नाक पिचक गई थी और वहां से परनाले का-सा रूप धारण करके खून बहने लगा था, परन्तु विकास रुकने वाला कहां था?
उसके दोनों हाथ बिजली की-सी गति से चलने लगे।
चैम्बूर के जिस्म पर वह इस तरह घूंसे बरसा रहा था, जैसे वह इंसान नहीं रुई की गठरी हो—पीछे हटा, नोकीले बूट की एक भरपूर ठोकर चैम्बूर की छाती पर जमाई।
वह कुर्सी ही उलटकर धड़ाम से फर्श पर जा गिरी, जिस पर वह बंधा था, किन्तु विकास पर तो जुनुन हो गया था, उसे भला इस बात का होश कहां?
उस स्थिति में भी बूट की ठोकरें चैम्बूर के जिस्म पर वह मारता ही रहा। उसे यह भी होश नहीं रहा था कि चैम्बूर एक बार फिर बेहोश हो गया है— उसके बेहोश जिस्म पर ही बेरहमी से चोट करता रहा वह तब विक्रम ने कहा— “वह बेहोश हो गया है विकास!”
विकास को जैसे होश आया, वह ठिठक गया।
वह बुरी तरह हांफ रहा था, सारा जिस्म पसीने से लथपथ हो गया था—कुछ ऐसी अवस्था थी विकास की जैसे मीलों लम्बी दौड़ लगाने के बाद अभी-अभी यहां पहुंचा हो—कुछ देर तक उसी अवस्था में फर्श पर पड़ी कुर्सी पर बंधे चैम्बूर को आग्नेय नेत्रों से घूरता रहा।
फिर अचानक ही उसने कुर्सी सीधी कर दी।
“मुझे नहीं लगता प्यारे दिलजले कि यह हमें एक लफ्ज भी बताएगा।” विजय ने कहा।
हवा के झोंके की तरह विजय की तरफ घूम गया लड़का—उसकी हालत देखकर अशरफ और विक्रम की रीढ़ की हड्डियों में मौत की सिहरन दौड़ गई, रोंगटे तो विजय जैसे व्यक्ति के भी खड़े हो गए थे— उसका पूरा चेहरा एक धधकती हुई भट्टी के समान नजर आ रहा था और आंखें मानो उस भट्टी में सुलगते हुए दो अंगारे थे—नर—पशु-सा नजर आ रहा था वह, भेड़िए की तरह गुर्राकर बोला—“चैम्बूर को बोलना होगा गुरु,एक-एक लफ्ज मैं इससे उगलवाकर ही दम लूंगा जो यह जानता है।”
“मगर कैसे?” विजय कह उठा—“पूरे सवा दो घण्टे हो गए हैं, इन सवा दो घण्टों में टॉर्चर का हर तरीका इस पर इस्तेमाल किया जा चुका है, मगर इसने एक...!”
“टॉर्चर के तरीके?” लड़का दांत भींचकर कह उठा— “इसका मतलहब ये हुआ अंकल कि टॉर्चर के तरीके अभी आपने देखे ही नहीं है, विकास सहने वालों की नहीं—देखने वालों की भी रूह कंपकंपा दिया करता है।”
“अब तुम्हारे पास आखिरी तरीका बचा है, ब्लेड वाला— ब्लेड से तुम प्याज के छिलके की तरह इसकी खाल उतार सकते हो, लेकिन उस तरीके को इस्तेमाल न करने की हिदायत तुम्हें विजय ने पहले ही दे दी है।”
“यही तो मुसीबत है।” विजय की तरफ देखते हुए विकास ने दांत भींचकर अपने दांए हाथ का घूंसा पूरी ताकत से बाईं हथेली पर मारा— “अगर विजय गुरु ने वह तरीका अवैध घोषित न किया होता तो...!”
“उस तरीके से यह मर सकता है प्यारे और अगर ये मर गया तो सारा खेल ही खत्म हो जाएगा।”
“मैं इस हरामजादे को मरने नहीं दूंगा गुरु, टॉर्चर चेयर पर बैठे लोग जुबान इसलिए खोलते हैं कि कहीं टॉर्चर करने वाला उन्हें मार ही न डाले, मगर ये इसलिए बोलेगा कि कहीं मैं इसे जिन्दा छोड़ दूं—मैं इसके अन्दर मरने की इच्छा इतनी प्रबल कर दूंगा कि जीवन का एक-एक क्षण इसे भारी हो जाएगा।”
“लेकिन यह होगा कैसे प्यारे?”
कुछ जवाब नहीं दिया विकास ने, रह-रहकर दाएं हाथ के घूंसे बाईं हथेली पर मारता रहा—अन्दाज ऐसा था जैसे बहुत जल्दी से कोई तरकीब सोच लेना चाहता हो।
वे तीनों अजीब-सी नजरों से उसे देखते रहे। अशरफ के हाथ में मौजूद माचिस पर से होती हुई डबल एक्स फाइव की दृष्टि उस ऑलपिन पर टिक गई, जिससे विजय अभी तक अपने दांत कुरेद रहा था, अचानक ही उसने चीख पड़ने की-सी अवस्था में पूछा—“ये ऑलपिन आपने कहां से लिया है गुरु?”
विजय ने कोने में रखे एक मेज की तरफ इशारा करके कहा—
“उसकी ऊपर वाली दराज से।”
“क्या वहां और ऑलपिन भी हैं?”
“पूरी डिब्बी भरी रखी है।”
“वैरी गुड!” कहने के साथ ही विकास ने झपटकर अशरफ के हाथ से माचिस छीन ली, वे विकास को हैरतअंगेज नजरों से देखते ही रह गए थे, जबकि वह लपकता-सा मेज के समीप पहुंचा। ड्राअर खोली। उसमें से ऑलपिन की डिब्बी निकालकर मेज पर रखी। माचिस खोलकर उसने सारी तीलियां मेज पर बिखेर दीं, वह बॉक्स, जिसमें तीलियां होती हैं, खाली करके पुनः माचिस के खोल में डाला— अब उसके हाथ में रिक्त मैच बॉक्स था।
विकास ने डिब्बी से एक ऑलपिन लेकर माचिस के फ्रंट में घुसेड़ दिया, ऑलपिन का नुकीला अग्रिम बाग माचिस के अन्दर से होता हुआ तीलियों वाली डिबिया को ‘क्रॉस’ करके पृष्ठ—भाग से बाहर निकल आया, ऑलपिन की पीठ माचिस के फ्रंट से उठ गई थी।
मानो किसी एक इंच मोटे लकड़ी के तख्ते पर दो इंच लम्बी कील पूरी तरह ठोक दी गई हो।
अब विकास जल्दी-जल्दी माचिस में इसी प्रकार ऑलपिन लगाने लगा—एक प्रकार से ऑलपिनों को माचिस में ठोकता जा रहा था वह—माचिस के पृष्ठ भाग में उभरी हुई ऑलपिनों की नोकों की संख्या बढ़ती ही गई।
उन्हें और बढ़ाने में व्यस्त विकास ने कहा—“चैम्बूर को होश में लाओ अशरफ अंकल!”
अशरफ अपने स्थान से उठ खड़ा हुआ।
विकास अपना ये नए किस्म का हथियार बनाने में व्यस्त था, अशरफ ने पानी से भरा एक जग उठाया और झटके से सारा पानी चैम्बूर के चेहरे पर फेंक दिया। पांच मिनट बाद जब चैम्बूर के जिस्म में हरकत हुई तो विकास पलट पड़ा— उस वक्त विकास की मुट्ठी में दबी माचिस को इन तीनों ने देखा और इसमें शक नहीं कि विजय जैसे व्यक्ति के जिस्म में भी झुरझुरी-सी दौड़ गई।
माचिस के पृष्ठ भाग से बीसों ऑलपिनों की नोकें झांक रही थीं। उनमें से किसी की भी तरफ देखे बिना विकास चैम्बूर के सामने पहुंच गया, चैम्बूर ने आंखें खोलीं और विकास ने आगे बढ़कर माचिस का पृष्ठ भाग हत्थे के साथ बंधी चैम्बूर की बाईं कलाई पर रख दिया, बीसों ऑलपिन चैम्बूर की कलाई में धंस गए।
चैम्बूर ने माचिस की तरफ देखा।
मुट्ठी से माचिस को पकड़े विकास उसे बेहरमी से हाथ की तरफ खींचता ही चला गया।
चैम्बूर के मुंह पर यदि टेप न लगा होता तो उसकी चीख से ‘स्मिथ स्ट्रीट’ का ये सारा इलाका दहल उठता—चीख घुटकर रह गई, वह रेत पर पड़ी मछली के समान बिलबिला उठा।
ऑलपिन की नोकें खाल, गोश्त और खून में लिसड़ गईं—चैम्बूर की कलाई पर उतनी ही समानान्तर खूनी रेखाएं बन गईं जितने वे ऑलपिन थे।
इसके बाद विकास ने उसके पूरे शरीर पर अपने इस अजीब शस्त्र का इस्तेमाल शुरू कर दिया।
इस टॉर्चर से वह मरने वाला नहीं था, और इस असहनीय पीड़ा को सहता कब तक?
ऑलपिनों के साथ ही माचिस भी खून से लिसड़ चुकी थी—जब विकास ने अपना ये शस्त्र उसके गाल पर रखा तो चैम्बूर ने रुक जाने का इशारा किया—इशारे से यह भी कहा कि वह सब कुछ बताने के लिए तैयार है। विकास ने न चीखने की चेतावनी देकर उसके मुंह से टेप हटा लिया।
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:08 PM,
#55
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
पहले सवाल के जवाब में चैम्बूर ने कहा—“मिस्टर अलफांसे के साथ मिलकर मैंने कोहिनूर को चोरी करने की स्कीम बनाई है।”
“अलफांसे से तुम्हारा परिचय कैसे हुआ?”
“यह तो आप जानते ही हैं कि मैं के.एस.एस. में मिस्टर गार्डनर का दायां हाथ हूं—कोहिनूर की सुरक्षा के लिए जो भी व्यवस्था की गई है, मैं उसके चप्पे-चप्पे से वाकिफ हूं— मैं अक्सर सोचा करता था कि ऐसी कड़ी सुरक्षा-व्यवस्था में से भला कोई चोर कोहिनूर को चुराने की बात सोच ही कैसे सकता है—और सबसे बड़ी बात तो ये है कि चन्द आदमियों के अलावा कोई उस सुरक्षा-व्यवस्था से भी वाकिफ नहीं है— आज से एक साल पहले की बात है, मैं और गार्डनर कोहिनूर के चोरी हो जाने की सम्भावनाओं पर बातचीत कर रहे थे, गार्डनर ने मुझसे सलाह मांगी कि सुरक्षा की जो व्यवस्था कर दी गई है उसके अलावा और क्या व्यवस्था हो सकती है?”
इतनी कड़ी सुरक्षा तो हमने कर दी है कि एड़ी से चोटी तक का जोर लगाने के बावजूद भी कोई कोहिनूर तक नहीं पहुंच सकता, फिर और ज्यादा सुरक्षा की क्या जरूरत है?
यानी तुम सुरक्षा-व्यवस्था से सन्तुष्ट हो?
‘पूरी तरह!’
वे इस तरह मुस्कराए मानो मैंने उनकी तारीफ की हो, फिर बोले—‘अभी मैं सन्तुष्ट नहीं हूं, सोचता हूं कि यदि कोई शातिर कोशिश करे तो योजना बनाकर कोहिनूर को चुरा सकता है।’
“मैं उन्हें कोई सलाह तो नहीं दे सका—लेकिन सोचता रहा कि आखिर गार्डनर सन्तुष्ट क्यों नहीं है—जो व्यवस्थाएं थीं, मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकता था कि कोई उनके रहते कोहिनूर तक पहुंच सकता है— जब किसी को व्यवस्थाओं की ही जानकारी नहीं होगी तो वह योजना क्या बनाएगा—कोई व्यवस्थाओं की जानकारी किस तरह हासिल कर सकता हैं, क्योंकि व्यवस्थाएं चन्द लोगों को पता हैं।
“यही सोचते-सोचते मेरे दिमाग में विचार कौंधा कि किसी चोर को व्यवस्थाओं की जानकारी केवल उन्हीं व्यक्तियों में से किसी से हो सकती है, जिन्हें पूर्ण व्यवस्था की जानकारी है—जैसे मैं!
“अपने बारे में सोचकर मेरा दिमाग हवा में नाचने लगा।
“विचार उठने लगा कि यदि मैं किसी शातिर को व्यवस्था की जानकारी दे दूं तो क्या वह योजना बनाकर सफलतापूर्वक कोहिनूर की चोरी कर सकता है—शायद नहीं, इतनी व्यवस्थाओं को वह कैसे पार करेगा—मगर मिस्टर गार्डनर तो कह रहे थे कि दुनिया में अभी ऐसे शातिर हैं—मैंने सोचा कौन है ऐसा शातिर?
“दिन गुजरते रहे, यह फितूर कोई नुकीले दांत वाला कीड़ा बनकर मेरे दिमाग की नसों को कुतरता रहा—सोते-जागते अक्सर मेरी आंखों के सामने कोहिनूर चकराने लगा, यदि मैं रुका हुआ था तो केवल इस भावना से, क्योंकि मुझे यकीन नहीं था कि व्यवस्था की पूर्ण जानकारी होने के बाद भी कोई कोहिनूर को सफलतापूर्वक चुराने की योजना बना सकता है।
“उन्हीं दिनों एक चोर म्यूजियम से कोहिनूर चुराने के चक्कर में पकड़ा गया— म्यूजियम की कुछ व्यवस्थाएं तो आपकी जानकारी में होंगी ही, उनके अलावा जो पूर्ण व्यवस्थाएं हैं मैं उनके बारे में भी जानता था और कल्पना भी नहीं कर सकता था कि उन्हें पार करके कोई म्यूजियम में नजर आने वाली कोहिनूर की परछाईं तक भी पहुंच सकता है।”
“परछाईं?” विकास ने चौंकते हुए पूछा।
“हां, म्यूजियम में कोहिनूर नहीं, बल्कि सिर्फ उसकी परछाईं है— कोहिनूर का प्रतिबिम्ब मात्र-दर्शक उसी को देखते हैं और ये सोचकर खुश हो लेते हैं कि उन्होंने कोहिनूर को देख लिया है।”
चैम्बूर की इस बात को सुनकर केवल विकास ही नहीं, विजय, अशरफ और विक्रम भी चौंक पड़े थे—हैरत में डूबे वे अपनी-अपनी कुर्सियों से उठ खड़े हुए और चैम्बूर की कुर्सी के नजदीक पहुंच गए।
विकास ने कहा—“हम समझे नहीं, इस बात को जरा विस्तार से बताओ।”
“दरअसल कोहिनूर को कहीं और ही रखा गया है, वैज्ञानिक रीति से ऐसा सिस्टम कर दिया गया है कि कोहिनूर का प्रतिबिम्ब उस जार में नजर आए—प्रतिबिम्ब भी ऐसा कि जिसे देखकर कोई प्रतिबिम्ब न कह सके—कोहिनूर ही समझे।”
उन चारों के चेहरों पर हैरत और व्यवस्था करने वालों के लिए प्रशंसा के भाव उभर आए।
विजय ने पूछा—“अगर वह मात्र कोहिनूर का प्रतिबिम्ब है चैम्बूर प्यारे तो फिर उसकी सुरक्षा के लिए म्यूजियम में इतने कड़े प्रबन्ध क्यों किए गए हैं?”
“वह इन्तजाम भी असल कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था का ही एक अंग हैं।”
“क्या मतलब?”
“म्य़ूजियम की सिक्योरिटी तक का एक भी व्यक्ति यह नहीं जानता कि वो कोहिनूर की नहीं, केवल उसके प्रतिबिम्ब की हिफाजत कर रहे हैं, यानी वे सब भी उसे कोहिनूर ही समझते हैं— म्यूजियम में कोई भी उस कड़ी व्यवस्था को देखकर यही सोचता है कि वह कोहिनूर है, असल बात तो वह स्वप्न में भी नहीं सोच सकता—अतः अगर कोई कोहिनूर को चुराने की स्कीम बनाएगा तो दरअसल वह केवल प्रतिबिम्ब को ही चुराने की स्कीम बना रहा होगा—यदि स्कीम बनाकर कोई म्यूजियम में रखे कोहिनूर तक पहुंच भी गया तो प्रतिबिम्ब उसके हाथ नहीं आएगा और वह पकड़ा जाएगा।”
हैरत में डूबे वे चारों किंकर्तव्यविमूढ़-से खड़े थे।
चैम्बूर ने आगे कहा—“पकड़े जाने वाले चोर से भी सिर्फ प्रतिबिम्ब को कोहिनूर समझने की भूल हुई थी।”
“क्या मतलब?”
“म्यूजियम की पूरी सिक्योरिटी और प्रतिबिम्ब के चारों तरफ किए गए सभी इन्तजामों को योजना बनाकर उसने ऐसी खूबसूरती से धोखा दिया था कि सैकड़ों आंखों में से उसे एक भी आँख न देख सकी— पचासों इन्तजामों में से उसे एक भी इन्तजाम रोक नहीं सका, जार भी तोड़ डाला था उसने— गार्डनर तक को मानना पड़ा कि म्यूजियम में जार के अन्दर प्रतिबिम्ब के स्थान पर कोहिनूर होता तो वह चोर चोरी करने में सफल हो गया था, उसकी स्कीम बहुत सुलझी हुई और सुदृढ़ थी।”
“फिर?” अशरफ ने पूछा।
“मुझे मानना पड़ा कि यदि उसे पहले ही से पूर्ण व्यवस्था की जानकारी होती तो वह उस कोहिनूर की सफल चोरी जरूर कर लेता—अब मुझे यकीन हो गया कि दुनिया में ऐसे लोग हैं जो व्यवस्था की पूर्ण जानकारी होने पर कोहिनूर की सफल चोरी कर सकते हैं— व्यवस्था की जानकारी मैं ही दे सकता था—अतः मैं उस चोर जैसे ही किसी शातिर की तलाश में जुट गया—उन्हीं दिनों मैंने अखबार में पढ़ा कि अलफांसे आजकल अमेरिका में है—अलफांसे का नाम मैं अखबारों और दूसरे माध्यमों से बहुत पहले से सुनता आ रहा था।
“अचानक ही मेरे दिमाग में यह बात अटैक हुई कि अलफांसे मेरे काम का आदमी हो सकता है और मैं उसी वक्त वाशिंगटन पहुंच गया, अलफांसे एक होटल में ठहरा हुआ था—बड़ी मुश्किल से पता लगाकर मैं उससे मिला।
अलफांसे ने कहा— ‘सबसे पहले तुम अपना परिचय दो और फिर बताओ कि मुझसे क्यों मिलना चाहते थे।’
‘मेरा नाम बर्लिन है।’ मैंने उसे अपना गलत नाम बताया।
‘कहां के रहने वाले हो?’
‘लंदन का!’
‘क्या काम करते हो?’
‘वही जो आप बड़े स्केल पर करते हैं।’ मैंने कहा— ‘यानी पैसे के लिए कुछ भी कर सकता हूं—चोरी, डकैती, ठगी और मर्डर तक—आपमें और मुझमें केवल इतना फर्क है कि आपका क्षेत्र सारी दुनिया है और मेरा क्षेत्र पूरा लन्दन भी नहीं है।’
‘क्या तुम इतनी दूर केवल मुझसे मिलने आए हो?
‘जी हां!’
‘क्यों?’
‘मेरे पास एक ऐसा काम है जिसमें यदि सफलता मिल जाए तो न केवल वह दुनिया की सबसे बड़ी लूट होगी, बल्कि सफल होने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धनवान व्यक्ति बन जाएगा।’
‘ऐसी क्या योजना है?’
‘योजना तो आपको बनानी होगी, मैं तो केवल रास्ते में आने वाली अड़चनों के बारे में बता सकता हूं।’
‘क्या मतलब?’
‘पहले आप मेरे साथ काम करने का वादा कीजिए, तब बताता हूं।’
एक पल अलफांसे ने जाने क्या सोचा, फिर बोला—‘खैर, मैं वादा करता हूं—अब बोलो।’
‘मैं कोहिनूर को चुराने की बात कर रहा हूं।’
‘क...क्या?’ अलफांसे एकदम उछल पड़ा, उसने विस्फारित नेत्रों से मेरी तरफ देखा—कुछ ऐसे अन्दाज में जैसे उसे लगा हो कि कहीं मैं पागल तो नहीं हूं, जबकि मैं अपने होंठ पर बड़ी ही रहस्यमय-सी मुस्कान बिखेरता हुआ बोला—‘सौदा फिफ्टी-फिफ्टी में होगा, कोहिनूर जितने का बिके उसमें से आधे मेरे, आधे आपके, कहिए?’
अलफांसे ने मुझे अविश्वसनीय-सी नजरों से देखते हुए कहा—‘कहीं तुम पागल तो नहीं हो?’
मैंने पूछा—‘आपके ऐसा सोचने की वजह क्या है?’
‘क्योंकि मुझे तुम इस स्तर के चोर नजर नहीं आ रहे हो, जो कोहिनूर को चुराने की बात सोच सके।’
‘आप तो इस स्तर के चोर हैं?’
‘क्या मतलब?’
‘यदि मुझ अकेले, में कोहिनूर को चुराने की क्षमता होती तो मैं लन्दन से इतनी दूर यहां, आपसे मिलने क्यों आता— क्यों व्यर्थ ही आपको फिफ्टी परसेंट का पार्टनर बनाता?’
अलफांसे ने अब भी अविश्वसनीय स्वर में कहा—‘क्या तुम वाकई सचमुच के कोहिनूर की बात कर रहे हो?’
‘जी हां, कोहिनूर की –उसके अक्स की नहीं।’
‘अक्स?’
‘वही, जो म्यूजियम में रखा नजर आता है और जिसे देखकर लोग समझते हैं कि उन्होंने कोहिनूर देख लिया है।’
‘क्या मतलब?’
जवाब में मैंने उसे म्यूजियम में रखे कोहिनूर की असलियत बता दी, मैंने जान-बूझकर अक्स की बात छेड़ी थी, ताकि मैं उसे अपनी जानकारी का छोटा-सा नमूना दिखा सकूं—ऐसा मैंने उस पर अपना प्रभाव जमाने के लिए कहा था और वही हुआ, उसके चेहरे पर हैरत के चिह्न उभर आए, मेरे चुप होने पर बोला— ‘तुम्हें यह जानकारी कैसे है?’
‘मुझे तो यह जानकारी भी है कि कोहिनूर कहां रखा है और उसकी सुरक्षा के लिए क्या-क्या इन्तजाम किए गए हैं—चप्पे-चप्पे की जानकारी है मुझे!’
‘ओह!’ अब अलफांसे के चेहरे पर सोचने के भाव उभर आए— ‘ये सब जानकारी तुम्हें कहां से मिलीं?’
“ये आप न पूछें—केवल कोहिनूर से मतलब रखें....।”
‘यानी तुम चाहते हो कि मैं कोई ठोस स्कीम बनाकर कोहिनूर को चुराऊं?’
‘यदि आप कर सकते हैं तो ऐसा जरूर करना चाहिए।’
उस वक्त पहली बार मैंने अलफांसें के होठों पर मुस्कान को उभरते देखा, जिसका जिक्र अक्सर अखबार में पढ़ा करता था, वह बोला— ‘दुनिया में ऐसा कोई काम है मिस्टर बर्लिन जिसे अलफांसे न कर सके?’
‘कोहिनूर की चोरी आपके लिए चुनौती बन सकती है।’
‘मैं इस चुनौती को मंजूर करता हूं, सुरक्षा-व्यवस्था बताओ।’
मैंने अच्छी तरह से ठोक बजाकर पहले अलफांसे से यह वादा लिया कि इस लूट में फिफ्टी परसेंट हिस्सा मेरा है, तब कहीं जाकर उसे समस्त सुरक्षा-व्यवस्थाओं की जानकारी दी—कुरेद-कुरेदकर उसने मुझसे सब कुछ पूछ लिया और जब उसने महसूस किया कि मुझसे मेरा सारा ज्ञान ले चुका है तो अचानक ही मेरे प्रति उसका व्यवहार बदल गया, बोला—‘पहले तो मुझे शक था, लेकिन अब यकीन हो गया कि तुम कोई परले दर्जे के पागल हो।’
‘क...क्या मतलब?’ मैं बुरी तरह चौंक पड़ा।
‘ये सुरक्षा-व्यवस्था और फिर तुम ये भी चाहते हो कि कोई कोहिनूर चुराने की स्कीम बनाए?’
‘हां।’
‘अगर तुम लन्दन से किसी को आत्महत्या की सलाह देने निकले हो तो उससे कहो कि किसी रेल की पटरी को तकिया बनाकर आराम से लेट जाए—इतना घुमावदार तरीका बताने की क्या जरूरत है?’
‘क्या आप कोहिनूर की चोरी की स्कीम बनाने को आत्महत्या करना कह रहे हैं?’
‘बेशक!’
'ऐसा क्यों?'
'क्योंकि दुनिया का बिरले से बिरला व्यक्ति भी उन व्यवस्थाओं को तोड़कर कोहिनूर तक पहुंचने की स्कीम नहीं बना सकता, जो तुमने बताई है।'
'तो कहिए कि आपने इस चुनौती के सामने घुटने टेक दिए हैं।'
'अगर तुम्हें यही सोचने से सन्तुष्टि होती है तो यही सही बर्लिन भाई, मैं हाथ जोड़ता हूं तुम्हारे—मुझे माफ कर दो।'
'म...मगर आपने वादा किया था कि सुरक्षा व्यवस्था सुनने के बाद....'
परन्तु वो हाथ जोड़े केवल चुप रहा।
'मैंने उसे तैयार करने की हर तरह से कोशिश की, मगर वह नहीं माना और अन्त में मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि यह व्यक्ति व्यवस्थाएं सुनकर घबरा गया है—सो, मैं उससे यह रिक्वेस्ट करके वापस आ गया कि मेरी और अपनी इस वार्ता के बारे में कभी किसी से कोई जिक्र न करे—अलफांसे को पस्त होता देखकर मेरे हौसले भी पस्त हो गए थे और फिर कभी मैंने इस बारे में नहीं सोचा—कोहिनूर को हासिल करने की बात ही दिमाग से निकाल दी।”
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:09 PM,
#56
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
जब काफी प्रतीक्षा के बावजूद चैम्बूर आगे कुछ नहीं बोला तो अशरफ ने पूछा—“फिर क्या हुआ?”
चैम्बूर ने एक लम्बी सांस खींचने के बाद कहना शुरू किया—“आज से करीब तीन महीने पहले जब एक शाम मैं गार्डनर से मिलने उसकी कोठी पर गया तो वहां अलफांसे को देखकर बुरी तरह चौंक पड़ा।
“उसके वहां मौजूद होने की मैं कल्पना भी नहीं कर सकता था, मेरा दिमाग बुरी तरह झनझना रहा था और उस वक्त तो मैं कांप ही उठा जब दिमाग में यह ख्याल आया कि कहीं अलफांसे वाशिंगटन में हुई हमारी वार्ता का जिक्र गार्डनर से न कर दे?”
“मुझे देखर अलफांसे भी उतनी ही बुरी तरह चौंका था।”
“मगर हममें से किसी ने भी वहां ऐसा कोई भाव प्रकट नहीं किया, जिससे गार्डनर या इर्विन को हमारे पूर्वपरिचित होने का आभास होता।
“गार्डनर ने अलफांसे से मेरा परिचय अपने दोस्त के रूप में कराया और अलफांसे का परिचय उसके असली नाम और व्यक्तित्व से दिया—मेरा असली नाम सुनकर अलफांसे इस तरह मुस्कराया था जैसे उसने मेरी कोई बहुत बड़ी नब्ज पकड़ ली हो।
“कुछ ही देर बाद इर्विन और अलफांसे कहीं बाहर घूमने चले गए।
“उनके जाने के बाद मैंने गार्डनर से पूछा—“लेकिन सर, ये अन्तर्राष्ट्रीय मुजरिम यहां कैसे?”
“इर्विन का दोस्त बन गया है।” गार्डनर ने पूरी लापरवाही के साथ कहा।
“क...कैसे?”
उन्होंने बोगान के आदमियों से अलफांसे द्वारा इर्विन को बचाए जाने की घटना विस्तार से मुझे सुना दी, सुनते ही मैं इस नतीजे पर पहुंच गया कि वह सारी घटना मात्र संयोग नहीं, बल्कि अलफांसे की सोची-समझी स्कीम रही होगी और यह सारा ड्रामा उसन गार्डनर की कोठी में घुसने के लिए किया है।
उस वक्त मैं गार्डनर से इधर-उधर की दो-चार बातें करके उठ आया, परन्तु उसी रात गुप्त रूप से होटल एलिजाबेथ जाकर अलफांसे से मिला, मुझे देखकर ही वह मुस्कराया और बोला—“आओ मिस्टर बर्लिन, मैं जानता था कि तुम यहां आओगे।”
“मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि आप जैसा आदमी इतना नीच होगा।” यह वाक्य मैंने अत्यधिक उत्तेजना के कारण कहा था, परन्तु अलफांसे बिल्कुल भी उत्तेजित नहीं हुआ, उल्टे मुस्कराता हुआ बोला—“तुमने भी तो मुझसे झूठ बोला था मिस्टर चैम्बूर!”
“मैंने तो आपको केवल अपना नाम ही गलत बताया था, लेकिन आपने तो ठीक वही काम किया तो धूर्त डायरेक्टर-प्रोड्यूसर किसी गरीब लेखक के साथ करते हैं—पहले सारी कहानी सुन लेंगे, कुरेद-कुरेदकर कहानी का बारीक-से-बारीक प्वॉइट जान लेंगे और फिर कह देंगे कि ये स्टोरी फिल्म के लिए बेकार है—साल-दो साल बाद बेचारा लेखक किसी हॉल में बैठा अपनी स्टोरी पर बनी फिल्म देखकर आंसू बहा रहा होगा, क्योंकि कास्टिंग में वह लेखक के स्थान पर उसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर का नाम पढ़ रहा होगा। जिसे उसने स्टोरी सुनाई थी और जो उसे रिजेक्ट कर चुके थे।”
अलफांसे मुस्कराया, बोला—“अपनी बात को 'एक्सप्लेन' करने का अच्छा तरीका चुना है तुमने!”
“मैंने सुना था कि मुजरिमों के कुछ उसूल होते हैं और आप जैसे बड़े मुजरिम तो उसूलों के बहुत पक्के होते हैं, लेकिन आप—हूंह—आपके बारे में तो अखबार वाले बिल्कुल गलत ही छापते हैं—आपका कोई उसूल नहीं है, पूरा कोहिनूर हड़प कर जाने के चक्कर में आपने मुझसे झूठ बोला।”
“वार्ता के बीच में हम कोहिनूर का नाम नहीं लें तो अच्छा है मिस्टर चैम्बूर!”
“नाम, आप नाम लेने की बात करते हैं—मैं आपका भांडा फोड़ दूंगा—ज्यादा-से-ज्यादा क्या होगा, यही न कि आप वाशिंगटन में हुई मेरी और अपनी मुलाकात का खुलासा कर देंगे—मैं पकड़ा जाऊंगा—मुझे अपनी परवाह नहीं है, मगर अपनी आंखों से मैं चुपचाप यह नहीं देखता रह सकता कि आप अकेले कोहि...।”
“म...मिस्टर चैम्बूर!” अलफांसे की गुर्राहट ने मुझे एड़ी से चोटी तक कंपकंपा डाला, मैं आतंकित-सा उसके भभकते हुए चेहरे को देखता रह गया, जबकि उसने बड़ी शीघ्रता से अपनी उत्तेजना पर काबू पाया और संतुलित स्वर में बोला—“पहले मेरी बात भी सुन लो।”
“सुनने को अब रह ही क्या गया है?”
“तुम्हारे द्वारा मुझ पर लगाए गए आरोप सही हो सकते हैं, परन्तु सौ प्रतिशत सही नहीं हैं।”
“क्या मतलब?”
“जो भी हुआ है, वह सब कुछ मैंने जानकर नहीं किया।”
“मैं अब भी नहीं समझा।”
“वाशिंगटन में जो व्यवस्थाएं तुमने मुझे बताई थीं, उस वक्त मुझे वे वाकई बहुत सुदृढ़ दिखाई दी थीं और तत्काल मैं उन्हें भेदने की कोई स्कीम नहीं बना सका था—और वैसे भी तुमसे मेरी पहली भेंट थी और मैं यूं आंख मींचकर किसी पर विश्वास नहीं किया करता हूं, उसके साथ काम करना तो बहुत दूर की बात है—इसीलिए मैंने तुम्हें टाल दिया था—लेकिन जो व्यवस्थाएं तुम मुझे बता गए थे वे मेरे लिए एक चुनौती-सी बन गई थीं, जानते हो क्यों?”
“क्यों?”
“क्योंकि लगातार हफ्तों की माथा—पच्ची के बाद भी मैं उन व्यवस्थाओं को भेदकर कोहिनूर तक पहुचने की योजना नहीं बना सका था और फिर जब मुझे यह महसूस हुआ कि इन व्यवस्थाओं के सामने मैं वाकई पस्त हो रहा हूं तो मुझे स्कीम बनाने की जिद-सी चढ़ गई—मैंने निश्चय किया कि कोहिनूर की चोरी करूं या न करूं, लेकिन ऐसी स्कीम बनाकर ही दम लूंगा जिसके आधार पर कोई भी व्यक्ति उन व्यवस्थाओं को भेदता हूआ कोहिनूर की सफल चोरी कर सके और वह योजना बनाने के लिए मैं लन्दन आ गया—गार्डनर को वॉच किया, परन्तु कोई लाभ नहीं निकला और जब लाभ निकला तो मात्र एक संयोग से।”
“कैसा संयोग?”
“वही, बोगान के गुर्गों से मेरे द्वारा इर्विन को बचाए जाने की घटना।”
“वह संयोग था?”
“मैं जानता हूं कि तुम इस बात पर आसानी से यकीन नहीं करोगे, लेकिन सच मानो वह घटना एक संयोग ही थी, मुझे नहीं मालूम था कि इर्विन गार्डनर की लड़की है—मैंने तो उसकी पुकार सुनकर बोगान के गुण्डों से उसे बचाया था—मगर उस वक्त मैं दंग रह गया जब वह मुझे गार्डनर की कोठी में ले गई और मुझे वहां जाकर यह मालूम पड़ा कि वह गार्डनर की लड़की है।”
“चलो माने लेता हूं।” मैंने जैसे उस पर कोई एहसान किया।
“यह पता लगते ही कि इर्विन गार्डनर की लड़की है, मेरा दिमाग सक्रिय हो उठा और एक ही झटके में वह योजना बनती चली गई, जिसने मुझे महीनों से परेशान कर रखा था।”
“तुम्हारे दिमाग में क्या बात आई?”
“तुम मुझे बता ही चुके थे कि गार्डनर के.एस.एस. का डायरेक्टर है, उसी की कोठी के नीचे वह कंट्रोल रूम है, जहां से कोहिनूर पर नजर रखने वाले उपग्रह को कंट्रोल किया जाता है और उससे प्रसारित होने वाले संदेशों को नोट किया जाता है—इधर मैंने महसूस किया था कि इर्विन मुझमें दिलचस्पी ले रही है—यह बात बिजली की तरह मेरे मस्तिष्क में कौंध गई कि कोहिनूर तक पहुंचने के लिए गार्डनर की कोठी में डेरा डालना जरूरी है और कोठी में दाखिल होने के लिए इर्विन से सम्बन्ध बढ़ाना ही एकमात्र रास्ता है।”
“और आपने कदम आगे बढ़ा दिए?”
“बेशक!”
“अब आपका क्या विचार है?”
“सारे विचार तो प्रकट कर दिए हैं, अब रह ही क्या गया है?”
“मुझसे फिफ्टी परसेंट की पार्टनशिप के बारे में क्या ख्याल है?”
अलफांसे ने बहुत आराम से कहा—“विचार ही क्या होता, पार्टनरशिप पक्की है।”
उसकी इस बात पर कई क्षण तक मैं उसे देखता रहा, समझने की कोशिश कर रहा था कि कहीं इस बार भी वह मुझे बहलाकर धोखा तो नहीं दे रहा है, मैं अब आसानी से उस पर यकीन नहीं कर सकता था—अत: बोला—“मगर मुझे कैसे यकीन हो कि काम पूरा होने के बाद आप मुझे मेरा हिस्सा दे ही देंगे?”
“तुम जो कहो, मैं करने को तैयार हूं।”
“इसी वक्त आपको मुझे अपनी पूरी योजना बतानी होगी।”
मेरे इस वाक्य से असफांसे के दिमाग को एक झटका-सा लगा, स्कीम बताने में उसने काफी आनाकानी की—ये भी कहा कि मैं कोई दूसरी शर्त रख लूं, लेकिन मैं भी अड़ गया, स्पष्ट कह दिया मैंने कि इसी समय वह मुझे अपनी पूरी स्कीम बताएगा वरना अपनी परवाह किए बिना मैं गार्डनर को इर्विन से उसके सम्बन्ध बढ़ाने के रहस्य से अवगत करा दूंगा—अंत में अलफांसे को ही झुकना पड़ा।”
व्यग्र होकर अशरफ ने पूछा—“क्या स्कीम है उसकी?”
“न—न—प्यारे, इस तरह नहीं—क्रमबद्ध तरीके से चलो!” विजय ने कहा—“पहले सुरक्षा-व्यवस्था पूछो, उसके बाद उसे भेदती हुई स्कीम और यदि सच पूछा जाए तो ये सभी बातें बाद की हैं—सबसे पहला काम है, अपने चैम्बूर प्यारे की मरहम-पट्टी—देखो न, कितने गहरे जख्म हैं और फिर अपने चैम्बूर प्यारे बोल भी कितनी देर से रहे हैं—हलक सूख गया होगा, एक गिलास पानी की जरूरत होगी—क्यों चैम्बूर भाई, पिओगे पानी?”
विजय की बात सुनकर उसके होठों पर बहुत ही फीकी, अजीब-सी मुस्कान उभरी थी, वैसी हो जैसी फांसी पर लटकने वाले अपराधी के होंठों पर तब उभर सकती है, जब फांसी से एक क्षण पूर्व कोई उसे दीर्घायु होने का आर्शीवाद दे।
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:09 PM,
#57
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
किसी खटके से आशा की आंख खुल गई।
उसने कमरे में चारों तरफ नजर दौंड़ाकर अपनी नींद खुल जाने का कारण जानना चाहा, कमरे में नाइट बल्ब की मद्धिम रोशनी बिखरी पड़ी थी, किन्तु उसे कहीं भी कोई असामान्य बात नजर नहीं आई—उसने अपनी कलाई में बंधी रिस्टवॉच में समय देखा—सुबह के पांच बज रहे थे।
कमरे के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
आशा एकदम चौंककर उठ बैठी, अब आंख खुलने का कारण उसकी समझ में आ गया—दस्तक देने वाला इससे पहले भी कम-से-कम एक बार दस्तक दे चुका था और यह विचार दिमाग में आते ही बिजली की तरह सवाल कौंधा—“कौन हो सकता है?”
साहस करके आशा ने ऊंची आवाज में पूछा—“कौन है?”
“ये मैं हूं मिस ब्यूटी, जेम्स बॉण्ड—दरवाजा खोलिए!” यह आवाज बॉण्ड की ही थी और इस आवाज को सुनते ही आशा के रोंगटे खड़े हो गए। एक बार को तो दिल धक्क से रह गया, लेकिन फिर, पहले से कहीं ज्यादा तेज गति से धड़कने लगा—मस्तक पर पसीने की बूंदें उभर आईं थीं।
इतनी सुबह बॉण्ड यहां क्यों आया है—क्या वह उसका रहस्य जान गया है—यदि हां, तो अब वह उसके साथ क्या सलूक करेगा?
इसी किस्म के सैकड़ों सवाल उसके मस्तिष्क में चकरा उठे—फिर भी उसने काफी जल्दी कहा—“क्या बात है, इतनी सुबह-सुबह आप मेरी नींद खराब करने क्यों चले आए हैं?”
“आपसे कुछ जरूरी बातें करनी हैं।”
“ऐसी क्या जरूरी बातें हैं?” आशा ने क्रोधित स्वर में कहा—“आपको किसी की नींद खराब करने का कोई हक नहीं है मिस्टर बॉण्ड—प्लीज इस वक्त आप यहां से चले जाइए, आठ बजे मैं ब्रेकफास्ट लूंगी, आप को जो भी बातें करनी हैं तभी कीजिएगा।”
“तब तक देर हो चुकी होगी मिस ब्यूटी, बातें अभी करनी जरूरी हैं।”
“ओफ्फो, क्या मुसीबत है—ठहरिए—कपड़े पहनकर खोलती हूं!” गुस्से में भुनभुनाने का अभिन्य करती हुई आशा ने इतनी जोर से कहा कि आवाज बाहर तक जा सके, साथ ही वह सचमुच बेड से उतर भी पड़ी थी, उसके जिस्म पर इस वक्त झीना-सा 'स्लीपिंग सूट' था।
वह कपड़े बदलने लगी।
इस बीच भी निरन्तर उसके दिमाग में यही प्रश्न चकराते रहे थे और वह स्वयं को सफलतापूर्वक बॉण्ड का सामना करने के लिए तैयार कर रही थी—कपड़े पहनने के बाद उसने दरवाजा खोला।
सामने ही बॉण्ड खड़ा था, जिसने बड़ी मोहक मुस्कान के साथ कहा—“हैलो मिस ब्यूटी, गुड मॉर्निंग!”
“हूंह—क्या खाक गुड मॉर्निंग?” आशा ने बुरा-सा मुंह बनाकर कहा—“मेरी मॉर्निंग तो आपने अपनी शक्ल दिखाकर खराब कर दी है।”
बॉण्ड के चेहरे पर नाराजगी का ऐसा एक भी भाव नहीं उभरा जिससे ये लगता कि उसने आशा के वाक्य को पसन्द नहीं किया है—उल्टे मुस्कराता हुआ बिना इजाजत लिए आशा को एक तरफ हटाकर, कमरे में दाखिल होता हुआ बोला—“विशेष रूप से लड़कियां उस दिन को बहुत मुबारक मानती हैं, जिस दिन की सुबह उन्हें बॉण्ड नजर आ जाए!”
“मैं उन कॉलगर्ल जैसी लड़कियों में से नहीं हूं।”
“ओह!” वह तेजी से आशा की तरफ घूमकर बोला—“आप तो अभी तक झुंझला रही हैं, शायद नींद के बीच में टूट जाने की वजह से लगता है कि नींद से आपको बहुत प्यार है?”
“हर स्वस्थ व्यक्ति को नींद से प्यार होता है।”
“नींद के बारे में मेरे विचार कुछ और हैं।”
आशा लगभग गुर्राई—“क्या आपने ये दरवाजा मुझे नींद के बारे में अपने विचार बताने के लिए खुलवाया है?”
“ऐसी बात नहीं है, लेकिन फिर भी—जब बात चली ही है तो मेरे विचार भी सुन लीजिए।”
इस बार आशा कुछ बोली नहीं, हां—चेहरे पर तमतमाकर उसे घूरती अवश्य रही—जो नजर आ रही थी, वह उसकी बाहरी स्थिति थी—आन्तरिक स्थिति तो ये थी कि बॉण्ड के सामने एक-एक पल नियंत्रण में रहकर खड़े रहना भी उसे भारी पड़ रहा था।
बॉण्ड ने उसकी चुप्पी का लाभ उठाकर कहा—“जिन लोगों को नींद से ज्यादा प्यार होता है, वे ज्यादातर सोते रहते हैं—अपनी जिंदगी का एक-तिहाई भाग वे सोकर ही गुजार देते हैं और इसीलिए अक्सर ऐसे लोग जिंदगी की दौड़ में बहुत पिछड़ जाते हैं मिस ब्यूटी, यहां तक कि मौत दबे पांव उनके बहुत करीब आ जाती है, वे सोते रहते हैं—मौत झपटकर उनका गला दबा देती है और वे सोते ही रहते हैं—फिर सोते ही रह जाते हैं।”
बॉण्ड के अंतिम शब्दों ने आशा के माधे पर पसीना छलछला दिया।
दिल किसी हथौड़े की तरह रह-रहकर पसलियों पर चोट करने लगा, हलक स्वयं ही सूखता चला जा रहा था और यह सब कुछ आशा के दिमाग में पनपे केवल इसी एक विचार के कारण हो रहा था कि आखिर बॉण्ड उससे ऐसी बातें क्यों कर रहा है?
साहस करके उसने पूछा ही लिया—“अ....आप मुझसे ऐसी बातें क्यों कर रहे हैं?
“अरे—आप तो डर गईं, देखिए—आपके माधे पर पसीना उभर आया।” कहने के बीच ही उसने एक ठहाका लगाया और आगे बोला—“मैं तो सिर्फ ज्यादा सोने वालों के बारे में अपने विचार बता रहा था, खैर—मैं उन लोगों के बारे में अपने विचार प्रस्तुत कर सकता हूं, जो अक्सर जागते रहते हैं, जैसे मैं!”
आशा का मानो दिमाग फट गया, वह चीख पड़ी—“मुझे आपके विचार नहीं सुनने हैं।”
“आप इतनी नर्वस क्यों हो रही हैं?”
“त...तुम—तुम किस नीयत से आए हो यहां—वेटर, अरे कोई है?” आशा ने जोर से पुकारा।
बॉण्ड अपनी आंखें उसके चेहरे पर जमाए बड़ी ही स्थिर और दिलचस्प नजरों से आशा को देख रहा था, होंठों पर वैसी ही मुस्कान थी जैसी अपने जाल में छटपटा रही मछली को देखकर मछेरे के होंठों पर उभरती है—यह मुस्कान गहरी होती चली जा रही थी।
आशा कई बार चीखी परन्तु प्रत्युत्तर में कहीं से कोई आवाज नहीं उभरी, चारों तरफ छाए सन्नाटे में उसकी आवाज मात्र गूंजकर रह गई, झुंझलाकर वह बड़बड़ा उठी—“कैसा होटल है, कोई सुरक्षा नहीं—चाहे जो, चाहे जिसके कमरे में घुसा चला आए।”
“तुम्हारी आवाज बहुत-से लोग सुन रहे हैं मिस ब्यूटी, लेकिन वे आएंगे नहीं।”
“क्यों नहीं आएंगे?”
“क्योंकि वे जानते हैं कि आपके कमरे में मैं हूं और वे मुझे चाहे जो नहीं, जेम्स बॉण्ड कहते हैं।
“इसका क्या मतलब?” आशा ने गुर्राने की पूरी कोशिश की।
“मतलब जरूर समझाऊंगा, मगर—मैंने तो सुना ता कि जापानी लोग 'मैनर्स' मां के पेट से सीखकर आते हैं—आश्चर्य की बात है, मैं इतनी देर से आपके कमरे में खड़ा हूं और आपने अभी तक एक बार भी मुझसे बैठ जाने के लिए नहीं कहा।”
“हम जापानी लोग 'मैनर्स' का इस्तेमाल उन लोगों के लिए करते हैं, जिन्हें खुद भी 'मैनर्स' आते हों।” आशा ने तीखे स्वर में कहा—“और बिना इजाजत किसी के कमरे में घुसने से बड़ी बदतमीजी और क्या हो सकती है—विशेषरूप से किसी लड़की के कमरे में।”
वह आशा के चेहरे पर झुककर बड़े ही रहस्यमय स्वर में बोला—“इससे बड़ी बदतमीजी भी हो सकती है।”
“क...क्या?” यह शब्द बौखलाहट में आशा के मुंह से निकल गया।
“बिना इजाजात किसी लड़की के कमरे में बैठ जाना।” कहने के साथ ही बॉण्ड अपने जूते की एड़ी पर बहुत तेजी से घूमा और आगे बढ़कर धम्म् से सोफे पर बैठ गया।
उसकी इस हरकत ने आशा को अन्दर तक बुरी तरह हिलाकर रख दिया था।
प्रत्यक्ष में वह तमतमा उठी, आशा उतने ही गुस्से का प्रदर्शन कर रही थी जितने गुस्से में कि चाहकर भी एक लफ्ज नहीं कह पाता, जबकि उसकी तरफ से पूरी तरह लापरवाह बॉण्ड सोफे पर बैठा इत्मीनान से एक सिगरेट सुलगा रहा था।
होंठों पर अत्याधिक गुस्से के प्रतीक झाग भरकर आशा चीख पड़ी—“अब आपकी बदतमीजी सारी हदों से गुजरती जा रही है मिस्टर बॉण्ड!”
लाइटर ऑफ करते हुए बॉण्ड ने कहा—“जब आपने बदतमीज की ये पदवी मुझे दे ही दी है तो क्यों न पूरा प्रदर्शन करके यह साबित करूं कि मैं इसका हकदार था—वैसे यदि आप चाहें तो मैं बिना इजाजत किसी लड़की के कमरे में बैठ जाने से कहीं ज्यादा बदतमीजी का प्रदर्शन कर सकता हूं।”
आशा को बॉण्ड के इस व्यवहार से लग रहा था कि वह उसे पहचान चुका है और यह भयानक विचार उसे तोड़े दे रहा था, फिर भी—वह खुद पर काफी नियंत्रण रखकर बोली—“आप आखिर मुझसे चाहते क्या हैं?”
“यदि आप सचमुच यही जानना चाहती हैं तो आइए, आराम से बैठिए—मैं आपको समझाता हूं।” इस वाक्य के शब्दों के बीच-बीच में उसके मुंह और नाक से धुआं निकलता रहा था।
शायद बॉण्ड से जल्दी पीछा छुड़ाने की गर्ज से वह आगे बढ़ी और बॉण्ड के ठीक सामने वाले सोफे पर, सेण्टर टेबल के उस तरफ बैठ गई, बोली—“कहिए!”
बॉण्ड ने पूरी तन्मयता के साथ सिगरेट में एक कश लगाया और फिर इस कश के सारे धुएं को निगलता हुआ बोला—“हां, तो मैं आपको जागते रहने वाले व्यक्ति के बारे में बता रहा था।”
आशा भुनभुना उठी, लेकिन चुप रही।
बॉण्ड ने कहा—“जो जागते रहते हैं वे जिन्दगी में बहुत कुछ हासिल कर लेते हैं—ऐसी बहुत-सी बातें पता लगा लेते हैं, जिनके पता न लगने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता, बल्कि जिन्दगी की दौड़ में वह काफी पिछड़ जाता—जागने वाला व्यक्ति हमेशा सफल होता है, जैसे मैं—हां, अब मेरा ही उदाहरण लीजिए न मिस ब्यूटी—बिल्कुल ताजा-तरीन उदाहरण है—कई रातों से मैं बिल्कुल नहीं सोया, जागता ही रहा और उस जागते रहने का ही नतीजा है कि इस वक्त मैं यहां हूं।”
बॉण्ड का एक-एक शब्द सुनकर आशा के लिए नियंत्रण में रहना, बल्कि होश में रहना भारी पड़ रहा था, उसका प्रत्येक शब्द नुकीले तीर जैसा था जो उसे पस्त किए दे रहा था, फिर भी संभलकर उसने सामान्य स्वर में कहा—“मैं आपकी किसी बात का अर्थ नहीं समझ पा रही हूं मिस्टर बॉण्ड!”
“बड़े अफसोस की बात है।” बॉण्ड ने दुख प्रकट किया।
“प...प्लीज, आप वह काम बताइए, जिसकी वजह से इतनी सुबह-सुबह यहां आए हैं।”
“हां, याद आया—पिछली मुलाकात में मैंने आपसे कहा था कि आप खूबसूरत हैं, लेकिन यदि आपके ये बाल और आंखें काले रंग की होतीं तो कुछ ज्यादा ही खूबसूरत नजर आतीं—क्या आपने मेरी इस राय पर कुछ सोचा, आपका क्या विचार है?”
“मैंने इस बारे में कुछ नहीं सोचा।” आशा ने नियंत्रण में रहने की भरपूर कोशिश की।
“जरा सोचिए, या छोड़िए—सिर्फ सोचने की क्या जरूरत है—प्रेक्टिकल किया जाए तो बात ही कुछ और होती है, लंदन में 'मेकअप शॉप्स' की कमी नहीं है—एक से बढ़कर एक हैं—उनमें से कोई भी केवल एक घण्टे में आपके बालों और आंखों का रंग काला कर देगा, करा लीजिए और फिर देखिए कि आप आकाश से उतरी अप्सरा-सी नजर आती हैं या नहीं?”
दरअसल बॉण्ड के इस वाक्य का बिल्कुल सीथा और स्पष्ट संकेत था कि वह उसे पहचान गया है और इसीलिए आशा बुरी तरह आतंकित हो उठी, बॉण्ड के देखने पर आशा को लगता कि उसकी ब्लेड जैसी पैनी आंखें, उसके चेहरे पर मौजूद मेकअप की हर पर्त को उधेड़ती चली जा रही हैं—बॉण्ड का हर शब्द उसके अन्तर में किसी 'नश्तर' के समान उतरता चला जा रहा था।
“क्या बात है मिस ब्यूटी, आप क्या सोचने लगीं?”
“आं....क...कुछ नहीं, खैर—क्या आप सिर्फ यही बातें करने आए थे?”
“जी नहीं!”
आशा मानो बोर हो गई हो—“फिर आप वे बातें क्यों नहीं करते?”
“यदि आपकी ऐसी ही मर्जी है तो अब कर लेते हैं!”
“कीजिए!”
बॉण्ड ने सिगरेट में अन्तिम कश लगाया और उसे सेन्टर टेबल पर रखी ऐशट्रे में मसलने के बहाने झुका, सिगरेट मसलने के बाद उसी झुकी हुई स्थिति में उसने आंखें आशा के चेहरे पर गड़ा दीं—कुछ ऐसे अन्दाज में कि आशा उसके इस एक्शन को नोट कर ले और आशा ने नोट किया था।
उसने अपने चेहरे पर सामान्य भावों को समेटकर रखने की बहुत कोशिश की, मगर अब उसमें वह क्या कर सकती थी कि दिल सीने से किसी मेंढक की तरह उछल-उछलकर कंठ में वार करने लगा—हलक बुरी तरह सूख गया—बेचारी आशा के लाख संभालते-संभालते भी चेहरा फक्क पड़ने लगा, आंखों में आतंक के साए लहरा उठे—बॉण्ड ने अपने एक्शन से इसी सबकी अपेक्षा की थी।
इस वक्त आशा को वह 'जिन्न' सा नजर आया, ऐसा जिन्न जो अपना हाथ बढ़ाकर उसकी गर्दन पकड़ लेगा, आशा मन-ही-मन बुदबुदाई—“हे भगवान, अब आखिर ये जिन्न क्या कहने जा रहा है?”
बॉण्ड उसी स्थिति में उसे घूरे जा रहा था।
“क...कहिए न मिस्टर बॉण्ड?” वह बड़ी मुश्किल से बोली।
“कोहिनूर को चुराने की स्कीम बनाने वाले पकड़े गए।”
“धक्क!” एक बड़ी जोर की आवाज के बाद आशा के दिल ने मानो धड़कना बंद कर दिया—अवाक रह गई वह—आंखों के सामने अंधेरा-सा छाने लगा—दोनों कानों के पास 'सांय-सांय' की अजीब-सी आवाज उत्पन्न करता हुआ सन्नाटा गूंज रहा था।
“क्या हुआ मिस ब्यूटी?”
“आं!” वह चौंकी—“हां, क्या कहा आपने—वे लोग पकड़े गए जो कोहिनूर को चुराने का ख्वाब देख रहे थे—वैरी गुड—उन मूर्ख लोगों को तो मैं भी देखना चाहूंगी, और हां—अब तो आपको पता लगा होगा कि मेरा उनसे कोई सम्बन्ध नहीं है, आपको मुझ पर उनका साथी होने का शक था न?”
“उनमें से एक नाम विजय है!”
“धुम्म—धड़ाम्!”
आशा के मस्तिष्क में जैसे बम विस्फोट हुए, फिर भी वह संभलकर बोली—“कौन विजय?”
“क्या आपने उसका नाम नहीं सुना, भारत का उतना ही प्रसिद्ध जासूस है जितना ब्रिटेन का मैं, और उसके साथ ही विकास भी पकड़ा गया है, उसका शिष्य—उससे भी ज्यादा प्रसिद्ध।”
आशा बड़ी मुश्किल से खुद को बेहोश होने से रोक पा रही थी—जब बॉण्ड ने अशरफ का भी नाम लिया तो आशा, निराशा के समुद्र की गरहाइयों में डूबती चली गई।
“अब तो आपको मेरे बारे में गलतफहमी नहीं रही?” इस बार आशा ने स्वयं को बड़ी मुश्किल से संभाला।
उसे घूरते हुए बॉण्ड ने कहा—“मैंने उनसे आपके बारे में बात की थी।”
“क्या रहा?”
“उनका कहना है कि आप भी उनकी साथी हैं।”
“म...मैं?” उसके जिस्म के सभी मसामों ने एक साथ पसीना उगल दिया।
“उनका कहना है कि आप जापानी नहीं भारतीय हैं। आपका नाम भी ब्यूटी नहीं आशा है।”
आशा की उम्मीदें रेत के महल की तरह धड़धड़ाकर बिखर गईं, फिर भी वह पागलों की तरह चीखी—“नहीं, ये बकवास है—मैं ब्यूटी हूं, वे झूठ बोलते हैं, मैं किसी आशा को नहीं जानती।”
¶¶
Reply
10-23-2020, 01:09 PM,
#58
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
जब पूरी तरह मरहम-पट्टी के बाद चैम्बूर से प्रश्न किया गया तो बिना किसी हुज्जत के वह बोला—“यह तो आप जानते ही हैं कि एक छोटा-सा उपग्रह अपनी कक्ष में पृथ्वी के चारों तरफ घूम रहा है—उसका नाम कोहिनूर पर नजर रखना हैं उसका सम्बन्ध एक कंट्रोल रूम से है—ये कंट्रोल रूम गार्डनर की कोठी के तहखाने में है।”
“हमें इस उपग्रह की कार्यशैली जाननी है प्यारे।”
“कोहिनूर जहां भी रखा है, उसके निचले तले में एक बहुत ही छोटा और विशेष ट्रांसमीटर चिपका दिया गया है, इस ट्रांसमीटर का सम्बन्ध उपग्रह से है और ये ट्रांसमीटर कोहिनूर पर किसी का हाथ लगते ही ऑन हो जाएगा।”
“कैसे?”
“इंसानी जिस्म की ऊष्मा से!”
“ओह!”
“सभी प्राणियों की अपेक्षा इंसानी जिस्म में सबसे कम ऊष्मा है और इस ट्रांसमीटर में उस कम ऊष्मा से भी ऑन होने की क्षमता है अर्थात किसी भी किस्म की ऊष्मा मिलते ही, जो किसी के कोहिनूर पर हाथ लगाते ही उसे मिल जाएगी, ट्रांसमीटर ऑन हो जाएगा और कंट्रोल रूम में बैठे लोग जान जाएंगे कि किसी ने कोहिनूर को हाथ लगाया है।”
“कैसे?”
“ट्रांसमीटर का सम्बन्ध उपग्रह से है और उपग्रह का सम्बन्ध कंट्रोल रूम से—कंट्रोल रूम में एक टी.वी. स्क्रीन रखी है, इस स्क्रीन पर उपग्रह चौबीस घण्टे सिग्नल देता रहता है।”
“उपग्रह सिग्नल किस रूप में देता है?”
“स्क्रीन पर रह-रहकर 'टिंग-टिंग' की आवाज के साथ एक टेढ़ी-मेढ़ी हरी रेखा चमकती रहती है, कुछ वैसे ही अन्दाज में जैसे बादलों के बीच चमकती हुई नजर आती है—“टिंग-टिंग” की आवाज के साथ इस हरी बिजली के चमकते रहने का अर्थ है कि सब कुछ ठीक है—उधर किसी ने कोहिनूर के छुआ तो ऊष्मा से ट्रांसमीटर ऑन हो जाएगा, उपग्रह बिजली की-सी गति से उसे कैच करेगा और तुरन्त ही सूचना को कंट्रोल रूप में रिले करेगा।”
“उसके रिले करने का क्या तरीका है?”
“स्क्रीन पर चमकने वाली बिजली का रंग लाल हो जाएगा और कंट्रोल रूप में 'टिंग-टिंग' के स्थान पर 'पिंग-पिंग' की आवाज गूंजने लगेगी—कंट्रोल रूम के अन्दर ये सिग्नल सिर्फ एक क्षण के अन्दर मिल जाएगा, यानी उधर किसी ने कोहिनूर को स्पर्श किया और इधर सिग्नल मिला।”
“इस कंट्रोल रूम तक जाने का रास्ता?”
“मिस्टर गार्डनर के बेडरूम से है।”
“ये कैसे खुलता है?”
“बेडरूम में एक मजबूत सेफ रखी है, यह सेफ कोई विशेष नम्बर सैट करने से खुलती है।”
“नम्बर क्या है?”
“वह मैं नहीं जानता।”
आगे बढ़कर विकास गुर्रा उठा—“तुम झूठ बोलते हो।”
“मैं सच कह रहा हूं, जब आपको सभी कुछ बता रहा हूं तो भला नम्बर क्यों छुपाऊंगा, इस सेफ को हमेशा मिस्टर गार्डनर ही खोलते हैं और उनके अलावा शायद सेफ के नम्बर को कोई नहीं जानता, यही वो कुछ बातें हैं, जिन्हें जानने के लिए अलफांसे को इर्विन से शादी करके गार्डनर के घर में घुसना पड़ा।”
विकास उसे खा जाने वाली नजरों से घूर रहा था, जबकि विजय ने कहा—“खैर, आगे बढ़ो।”
“इस सेफ के अन्दर एक लाल रंग का टेलीफोन रखा है, मिस्टर गार्डनर इसका रिसीवर उठाकर कोई नम्बर डॉयल करते हैं, डॉयल करने के बाद जैसे ही वो रिसीवर क्रेडिल पर रखते हैं, वैसे ही बेडरूम के साथ अटैड बाथरूम का टायलेट फर्श बिना किसी प्रकार की आवाज उत्पन्न किए अपने स्थान से हट जाता है।”
“ये नम्बर भी तुम्हें पता नहीं होगा?”
“सिर्फ इतना बता सकता हूं कि वे सात नम्बर रिंग करते हैं।”
विकास उसे इस तरह घूर रहा था कि कच्चा चबा जाएगा, मगर कुछ बोला नहीं।
“इसके बाद?” विजय ने पूछा।
“बाथरूम से नीचे तहखाने तक एक लोहे की सीढ़ी के जरिए पहूंचा जाता है—जैसे ही आप सीढ़ी के सबसे निचले डंडे पर कदम रखेंगे, वैसे ही सारा रास्ता यानी सेफ आदि बन्द हो जाएगी।”
“गुड, फिर क्या होगा?”
“जब तक आप सीढ़ियों पर रहेंगे, तब तक आपके चारों तरफ अंधेरा रहेगा और आपके द्वारा अंतिम डंडा पार करते ही एक बल्ब ऑन हो उठेगा—तब आप खुद को एक छोटी-सी कोठरी में पाएंगे— इस कोठरी में चौबीस घण्टे एक गार्ड की ड्यूटी रहती है—आपके साथ यदि मिस्टर गार्डनर हैं तो ठीक, वरना एक क्षण को भी विलम्ब किए बिना वह आपको रायफल से शूट कर देगा।”
“उफ्फ, बड़ा जालिम है साला, खैर—यदि हमारे साथ मिस्टर गार्डनर हों तो क्या करेगा?”
“जो बल्ब आपके कोठरी में आते ही ऑन हुआ है, उसका दूसरा स्विच कोठरी की दाईं दीवार पर है और इसी स्विच के बराबर में एक ऐसा तीन छिद्रों वाला स्विच है—जिसमें एक विशेष प्लग फिट हो सकता है—गार्डनर का आदेश होने पर ही गार्ड अपनी जेब से प्लग निकालकर स्विच पर फिक्स करेगा।”
“उससे क्या होगा?”
“कोठरी की बाईं तरफ की पूरी-की-पूरी दीवार किसी शटर की तरह जमीन में धंस जाएगी और अब, आपके सामने करीब पांच फीट चौड़ी दूर तक एक लम्बी गैलरी पड़ी होगी, इस गैलरी की छत पर जगह-जगह बल्ब लगे हैं, जिनके प्रकाश से गैलरी हमेशा चकाचौंध रहती है, दोनों तरफ—दीवारों से सटे सशस्त्र गार्ड खड़े रहते हैं— आपको इनके बीच में से होकर गुजरना होगा—करीब एक फर्लांग के बाद गैलरी बाईं तरफ मुड़ेगी—इस मोड़ पर एक कम्प्यूटर आपका असली नाम कंट्रोल रूम को रिले कर देगा—कंट्रोल रूम में रखी इस कम्प्यूटर से सम्बन्धित एक स्क्रीन पर उन सभी के नाम उभर आएंगे, जो इसके सामने से गुजरे हैं।”
“यानी बंटाधार?”
चैम्बूर के होंठों पर एक उदासी भरी और फीकी मुस्कान उभर आई, बोला—“ऐसी बहुत-सी बातें हैं, जिनकी वजह से सारी व्यवस्थाओं की जानकारी होने के बावजूद भी मैं कभी कोई कोई योजना नहीं बना सका।”
“आगे बढ़ो प्यारे, ये साला कम्प्यूटर एक क्षण में किसी भी मेकअप को बेकार कर देगा।”
“आगे फिर एक फर्लांग लम्बी, सीधी गैलरी है और उसी तरह से गार्ड खड़े हैं, गैलरी का अंतिम सिरा इस्पात की एक दीवार है यानी यहां गैलरी बन्द हो गई प्रतीत होती है, परन्तु असल में इस्पात की ये दीवार कंट्रोल रूम का दरवाजा है, जिसे केवल अन्दर से ही खोला जा सकता है।”
“मिस्टर गार्डनर इसे किस तरह खोलते हैं?”
“विशेष सांकेतिक अन्दाज में दस्तक देकर!”
“तुमने देखा और सुना तो होगा, ये सांकेतिक अंदाज क्या है?”
“मिस्टर गार्डनर इस्पात की उस चादर पर हाथ से एक बार, सा—रे—गा—मा—यानी पूरी सरगम बजाते हैं और उसके पन्द्रह सेकण्ड बाद इस्पात की वह दीवार कोठरी की दीवार की तरह ही जमीन में समा जाती है।”
“यानी वहां पहुंचने से पहले संगीतकार बनना भी जरूरी है?”
“बस, अब आप कंट्रोल रूम में पहुंच गए हैं, यहां हर समय पांच व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है—एक उपग्रह से सम्बन्धित स्क्रीन पर, दूसरा कम्प्यूटर से सम्बन्धित स्क्रीन पर, तीसरे की उस स्क्रीन पर जिस पर हर समय पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता उपग्रह चमकता रहता है, चौथे की उस अलार्म पर जिसके बजते ही तहखाने में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति को मालूम हो जाएगा कि तहखाने में कोई गलत व्यक्ति घुस आया है और पांचवां व्यक्ति एक इंजीनियर है, जो कंट्रोल रूम में रखी मशीनों की नस-नस से वाकिफ है।”
“इस कंट्रोल रूम की भौगोलिक स्थिति क्या है?”
चैम्बूर ने बता दी, तब विजय ने अगला सवाल किया—“तहखाने में चौबीस घण्टे क्या उन्हीं गाड्र्स और पांच व्यक्तियों की ड्यूटी रहती है या ड्यूटियां बदलती रहती हैं?”
“वे तीन टीमें हैं—एक टीम की ड्यूटी केवल आठ घण्टे रहती है, तीन शिफ्टें हैं—सुबह के सात बजे से दोपहर तीन बजे तक—तीन से रात के ग्यारह बजे तक और रात के ग्यारह से फिर सुबह सात बजे तक!”
“ये टीमें तहखाने में किस रास्ते से आती-जाती हैं?”
“मैंने उन्हें तब्दील होते कभी नहीं देखा, इसलिए इस बारे में कुछ नहीं जानता—मगर हां, इतना जानता हूं कि जिस व्यक्ति की ड्यूटी जहां है, वह वहां के अलावा तहखाने के बारे में कुछ नहीं जानता।”
“खैर, अब ये बताओ प्यारे कि इस तहखाने में साला कोहिनूर कहां रखा है?”
“कोहिनूर इस तहखाने में नहीं है।”
“फिर?”
“वह यहां से काफी दूर टेम्स नदी के किनारे बनी एक इमारत में है।”
“वह कम्बख्त वहां क्या कर रहा है, हमारा मतलब—यदि कोहिनूर यहां नहीं है तो फिर गार्डनर की कोठी में सुरक्षा के इतने कड़े प्रबन्ध क्यों हैं?”
“सिर्फ कंट्रोल रूम की सुरक्षा के लिए, ताकि कोई उपग्रह को खराब न कर सके, क्योंकि अगर उपग्रह खराब हो गया तो कोहिनूर पर किसी का हाथ लगने की सूचना नहीं मिल सकेगी।”
“अगर कंट्रोल रूम की सूरक्षा के लिए ये प्रबन्ध किए गए हैं तो माशाअल्लाह, फिर कोहिनूर तक पहुंचना तो निश्चय ही साला एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने से कई गुना ज्यादा कठिन काम होगा?”
“असम्भव की सीमा तक कठिन है, मगर आप थोड़े गलत ढंग से सोच रहे हैं—दरअसल इस व्यवस्था को भी कोहिनूर के लिए की गई सुरक्षा-व्यवस्था ही मानना होगा, क्योंकि अत: कंट्रोल रूम और उपग्रह का सम्बन्ध आखिर है तो कोहिनूर से ही।”
“मान रहे हैं प्यारे, सवा सोलह आने मान रहे हैं।”
विकास ने पूछा—“कोहिनूर कहां रखा है?”
“टेम्स के किनारे बनी सैकड़ों इमारतों में से एक पांच मंजिली इमारत है, इमारत के मस्तक पर लगे बोर्ड पर लिखा है—“बैंक संस्थान।”
“बैंक संस्थान?”
“हां!” चैम्बूर ने बताया—“आम व्यक्ति यही जानता है कि इस इमारत में बैंकों से सम्बन्धित कोई सरकारी दफ्तर है, जिसमें लंदन के सभी बैंकों के खाते हैं और उनका हिसाब-किताब रखा जाता है—आम जनता का इस सरकारी दफ्तर से कोई सम्पर्क नहीं है—असल में यह सारी इमारत के.एम.एस. के अधिकार में है, यानी अगर इसे के.एस.एस. का ऑफिस कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।”
“कोहिनूर इस इमारत में है?”
“सुनते रहिए, दरअसल यदि आप इतनी जल्दी कोहिनूर तक पहुंचेंगे तो समझ कुछ नहीं सकेंगे?” चैम्बूर ने कहा—“दफ्तर सुबह नौ बजे खुलता है—और शाम छ: बजे बन्द हो जाता है—दफ्तर के बन्द होने पर ये सशस्त्र गार्ड अन्दर ही बन्द रह जाते हैं।”
“इसका क्या मतलब?”
“शाम छ: बजे छुट्टी होने के बाद, साढ़े छ: बजे—यानी सबसे अंत में मिस्टर गार्डनर इमारत से बाहर निकलते हैं, तब तक वे पांच सशस्त्र गार्ड मुख्य द्वार पर ही रहते हैं, जिनकी ड्यूटी दरअसल सारे दिन मुख्य द्वार पर ही रहती है—हां, तो मैं कह रहा था कि साढ़े छ: बजे मिस्टर गार्डनर इमारत से बाहर निकल आते हैं और शेष दो इमारत के अन्दर ही रह जाते हैं, गार्डनर के आदेश पर इमारत का मुख्य दरवाजा तीन बाहर वाले गार्ड बन्द कर देते हैं, इस द्वार की चाबी गार्डनर के पास रहती है—जिसे वह उसी समय निकालकर उन बाहर वाले तीन गाडर्स में से किसी एक को देते हैं—वह गार्ड दरवाजे को लॉक करके चाबी पुन: गार्डनर को दे देता है और इसके बाद गार्डनर अपने और वे तीनों गार्ड अपने-अपने रास्तों पर चले जाते हैं।”
“यानी वे दो गार्ड सारी रात अन्दर ही बन्द रहते हैं?”
“जी हां!”
“वहां रात को क्या वे मटर छीलते हैं?”
“रात भर वे क्या करते हैं, यह तो मैं नहीं बता सकता, मगर इतना जानता हूं कि जिस तरह मुख्य द्वार को बाहर से लॉक किया जाता है, उसी तरह ये गार्ड उसे अन्दर से भी लॉक कर लेते हैं—यानी अब मुख्य द्वार को किसी भी एक चाबी से नहीं खोला जा सकता।”
“सुबह को?”
“वे तीन गार्ड और मिस्टर गार्डनर ठीक पौने नौ बजे इमारत के मुख्य द्वार पर पहुंच जाते हैं, गार्डनर से चाबी लेकर गार्ड बाहर वाला लॉक खोलते हैं और दरवाजा नौ बजने में दस मिनट रह जाने पर तभी खुलता है जब अन्दर वाले गार्ड अन्दर वाला लॉक खोल देते हैं।”
“इसके बाद!”
“इमारत में दाखिल होकर मिस्टर गार्डनर अपने ऑफिस में चले जाते हैं और पांचों गार्ड मुस्तैदी के साथ दरवाजे पर खड़े हो जाते हैं—अब, ऑफिस में काम करने वालों का आगमन शुरू हो जाता है—ये गार्ड प्रत्येक को अच्छी तरह से चैक करने के बाद ही इमारत में दाखिल होने देते हैं और पूरे स्टाफ के आ चुकने के बाद द्वार पुन: बन्द करके अन्दर से लॉक कर लेते हैं, अब यह दरवाजा शाम छ: बजे ही खुलेगा और साढ़े छ: बजे तक पुन: पहले जैसी स्थिति में ही दोनों तरफ से बन्द हो जाएगा।”
“बड़ा चक्करदार चक्कर है, खैर—इस दरवाजे के अन्दर तो घुसो।”
“मैं तो घुस जाऊंगा लेकिन उम्मीद है कि आप लोग समझ गए होंगे—इस इमारत के अन्दर दिन या रात के समय दाखिल होना एक समस्या है, यह बात दिमाग में अच्छी तरह से बैठा लीजिए कि इस मुख्य द्वार के अलावा इमारत में एक चिड़िया तक के दाखिल होने की कोई जगह नहीं है।”
“हम सब समझ रहे हैं प्यारे, तुम आगे बढ़ो।”
“ग्राउंड फ्लोर पर ही मिस्टर गार्डनर का ऑफिस है, ऑफिस नहीं बल्कि उसे इस्पात की बनी हुई एक बहुत बड़ी टंकी कहा जाए तो ज्यादा उचित होगा, मुख्य द्वार में दाखिल होने के बाद गार्डनर के ऑफिस की तरफ जाने के लिए बाईं तरफ मुड़ना होगा—एक ऐसे हॉल में से गुजरना होगा जिसमें मौजूद सीटों और काउंटर्स पर पचासों वर्कर्स अपना काम करते रहते हैं।”
“ये वर्कर्स वहां क्या काम करते हैं?”
“इनका काम सचमुच लंदन के सभी बैंकों का हिसाब-किताब रखना है।”
“ओह!”
“इन वर्कर्स की नजरों से बचे रहकर हॉल पार करना लगभग असम्भव ही कहा जाएगा और किसी भी अजनबी को हॉल के अन्दर देखकर ये चौंक सकते हैं, क्योंकि इमारत के अन्दर किसी बाहरी व्यक्ति का कोई काम नहीं पड़ता—इस हॉल के दाईं तरफ से एक गैलरी चली गई है, गैलरी हमेशा ट्यूब लाइट के दूधिया प्रकाश से भरी रहती है, यह गैलरी सीधी गार्डनर के ऑफिस तक गई है, परन्तु बीच ही में यहां भी एक वैसा ही कम्प्यूटर रखा है जो अपने सामने से गुजरने वाले व्यक्ति का असली नाम उस कम्प्यूटर को प्रेषित कर देता है जो गार्डनर के कमरे में रखा है। यानी अपने ऑफिस में बैठा गार्डनर दो मिनट पहले ही, स्क्रीन पर—दो मिनट बाद ऑफिस में आने वाले का नाम जान लेता है, ऑफिस के दरवाजे के बाहर एक बैल लगी है—गार्डनर से मिलने के इच्छुक व्यक्ति को बैल बजानी पड़ती है—अन्दर बैठा गार्डनर जैसे ही बैल की आवाज सुनता है, वैसे ही मेज पर लगा बटन दबा देता है—इस बटन के दबाने से ऑफिस के दरवाजे में छुपा एक गुप्त कैमरा अपनी आंखों से आगन्तुक को देखने लगता है, आगन्तुक को इल्म तक नहीं हो पाता, जबकि अन्दर गार्डनर के सामने एक स्क्रीन पर यह स्पष्ट चमक रहा होता है—संतुष्ट होने के बाद गार्डनर पहला बटन ऑफ करके एक अन्य बटन दबाता है और उसके दबने से दरवाजा खुल जाता है, आगन्तुक से यदि उसे न मिलना हो तो एक अन्य बटन दबाने से ऑफिस के दरवाजे के बाहर मस्तक पर लगा बल्ब तीन बार स्पार्क करके शान्त हो जाता है।”
Reply
10-23-2020, 01:09 PM,
#59
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
“क्या इस दरवाजे को बाहर से नहीं खोला जा सकता?”
“केवल मिस्टर गार्डनर खोल सकते हैं।”
“क्या मतलब?”
“दरवाजे में विशेष लॉक लगा हुआ है, इस लॉक की चाबी गार्डनर के पास रहती है—वे उसी दरवाजे को खोलकर ऑफिस में दाखिल होते हैं और जाते वक्त इस लॉक को बन्द कर जाते हैं।”
“ऑफिस के अन्दर की सिच्युएशन?”
“यह तो मैं बता ही चुका हूं कि उसकी दीवारें, छत और फर्श आदि सभी कुछ मजबूत इस्पात से बने हैं, इस्पात की ये चादर दो इंच मोटी है, अन्दर दाखिल होने के लिए एकमात्र वही दरवाजा है, जिससे गार्डनर दाखिल होता है—यह कमरा बिल्कुल किसी कुएं की तरह गोल है—शायद आपको यह बताने की जरूरत तो नहीं है कि ऑफिस साउण्ड प्रूफ और एयर कण्डीशण्ड है—खैर, कमरे के बीचोबीच गार्डनर की विशाल मेज और रिवॉल्विंग चेयर है, इस तरफ—आगन्तुक के बैठने के लिए एक कुर्सी है—इसका सीधा-सा मतलब है कि उसके ऑफिस में, एक समय में गार्डनर से केवल एक ही व्यक्ति मिल सकता है।”
वे चारों चुपचाप चैम्बूर का मुंह ताकते रहे।
उसने आगे कहा—“गौर करने की बात है कि इस चैम्बर जैसे कमरे के अंदर मौजूद सारा फर्नीचर इस्पाती फर्श के साथ जुड़ा हुआ है—मेज पर फोन आदि वे सभी चीजें मौजूद हैं, जो किसी भी सरकारी अफसर की मेज पर हो सकती हैं और कोहिनूर तक के लिए इसी ऑफिस से एकमात्र रास्ता जाता है।”
“वह रास्ता भी बता दो प्यारे!”
“वहां जाने के लिए गार्डनर को एक विशेष चाबी से अपनी मेज की सबसे नीचे वाली दराज खोलनी होती है, इस दराज के अन्दर एक स्विच बोर्ड है, बोर्ड पर पूरे छब्बीस स्विच हैं और हर स्विच पर अक्षर लिखे हैं, अंग्रेजी भाषा के छब्बीस अक्षर—जिस स्विच पर 'एम' लिखा है उसे ऑन करने से चक्की के पाट की तरह इस्पाती ऑफिस का पूरा फर्श धीरे-धीरे घूमने लगता है।”
“बाकी पच्चीस स्विच किस मर्ज की दवा हैं?”
“ये मैं नहीं जानता, क्योंकि मेरे सामने गार्डनर ने कभी उनमें से किसी को इस्तेमाल नहीं किया।”
“खैर प्यारे, हां, तो तुम कह रहे थे कि चक्की चलने लगती है, उसके बाद?㝢”
“धीरे-धीरे घूमता हुआ फर्श नीचे की तरफ जाने लगता है और उसी के साथ फर्श पर मौजूद प्रत्येक वस्तु भी। कमाल की बात ये है कि फर्श के घूमने से आवाज इतनी कम होती है कि यदि उस वक्त कोई व्यक्ति ऑफिस के दरवाजे के बाहर भी खड़ा हो तो उसे सुन नहीं सकता और न ही कमरे की दीवारों में किसी प्रकार का कम्पन होता है। फर्श ज्यों-ज्यों नीचे धंसता जाता है त्यों-त्यों चैम्बर की गोल दीवारों में बनी चूड़ियां हमें चमकने लगती हैं और तब हमें पता लगता है कि घूमता हुआ फर्श एक-एक करके इन चूड़ियों पर उतरता चला जा रहा है—तीस मिनट बाद, करीब सौ फीट नीचे जाकर ये फर्श रुक जाता है—अब यदि हम फर्श पर खड़े होकर ऊपर की तरफ देखें तो हमें महसूस होगा कि हम किसी एक सौ पन्द्रह फीट गहरे सूखे कुएं के फर्श पर खड़े हैं, अब इस स्थान को चैम्बर भी नहीं, बल्कि टंकी कहना चाहिए—इस अवस्था में फर्श से टंकी की छत एक सौ पन्द्रह फीट ऊपर होती है।”
“आगे बढ़ो चैम्बूर प्यारे!”
“फर्श के रुकने तक ये तीस मिनट का सफर गार्डनर अपनी कुर्सी पर ही बैठा-बैठा तय करता है और फर्श के रुकते ही कुर्सी से उठ खड़ा होता है, कुर्सी के ठीक सामने इस्पात की दीवार पर फर्श से साढ़े चार फीट ऊपर बराबर-बराबर में दो-दो सूत व्यास के दो गोल छिद्र हैं, गार्डनर इस दो छिद्रों में अपनी दो उंगलियां डालकर दाईं तरफ को घुमा देता है और ऐसा करने से टंकी की दीवार में एक दरवाजा बन जाता है।”
“यानी अब हम पाताल में पहुंच गए।”
“इस दरवाजे को पार करते ही आपके सामने दस फीट चौड़ी और दूर तक सीधी चली गई बाकायदा एक सड़क होगी, फर्क सिर्फ ये है कि सड़क पत्थर और तारकोल से बनी होती है, मगर ये सड़क इस्पात की चादर से बनी है, दूर तक चली गई एक चिकनी सड़क—दोनों तरफ दीवारें और पन्द्रह फीट ऊपर छत—कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह एक इतनी विशाल गुफा है कि आप पूरी सुविधा के साथ एक कार में सफर कर सकते हैं।”
“यहां कार कहां से आएगी प्यारे?”
“टंकी के दरवाजे से बाहर निकलते ही आपको खड़ी मिलेगी।”
“क्या मतलब?” चारों ने एक साथ चौंककर पूछा।
“दरअसल इस कार का उपयोग गार्डनर कोहिनूर तक पहुंचने के लिए करता है। सफेद—बड़ी ही खूबसूरत नजर आने वाली मर्सिडीज है ये—ड्राइविंग सीट पर बैठिए और स्टार्ट करके मस्ती से यात्रा कीजिए—सड़क के कई मोड़ आपको पार करने होंगे—मगर चिन्ता न कीजिए, यदि आप मर्सिडीज को साठ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाएंगे तो सड़क पन्द्रह मिनट बाद आप को आपकी मंजिल पर छोड़ देगी।”
“यानी कोहिनूर के पास?㝢”
“बिल्कुल पास तो नहीं, लेकिन अब आप कोहिनूर के बहुत नजदीक पहुंच चुके हैं।”
“क्या मतलब?”
“जहां ये सड़क खत्म हो, मर्सिडीज को आप वहीं रोक दीजिए—वैसे भी, जब सड़क ही खत्म हो गई है तो मर्सिडीज आपको रोकनी ही होगी, गाड़ी से बाहर निकल आइए, बाईं तरफ आपको एक संकरी-सी गली नजर आएगी, गली इतनी संकरी है कि उसमें मर्सिडीज दाखिल नहीं हो सकती अत: विवशता है, इस गली में से आपको पैदल ही गुजरना होगा।”
विजय ने अपनी राय प्रकट की—“हमारा ख्याल यह है कि मर्सिडीज में पन्द्रह मिनट की यात्रा करने के बाद जहां हम पहुंचेंगे, वह स्थान म्यूजियम के ठीक नीचे है।”
“आपका अनुमान बिल्कुल सही है।”
विक्रम के मुंह से हैरत में डूबा स्वर निकला—“यानी कोहिनूर म्यूजियम के ठीक नीचे रखा है?”
“बल्कि ठीक म्यूजियम के उस हॉल के नीचे जहां उसका प्रतिबिम्ब नजर आता है।Ⲹ”
“ओह!” विकास की आंखों में ये सारी व्यवस्था करने वालों के लिए प्रशंसा के भाव उभर आए।
चैम्बूर ने कहा—“अब आपको उस संकरी गली से जरूर गुजरना पड़ेगा, लेकिन सावधान—गली में कदम रखते ही आपके जिस्म में सैकड़ों गोलियां भी धंस सकती हैं।”
“अरे, वह क्यों चैम्बूर भाई?”
“यह गली केवल एक गज चौड़ी तथा साठ गज लम्बी है, गली में केवल एक मोड़ है—इसकी दीवारों और छत में जगह-जगह स्वचालित गनें फिक्स हैं—इन गनों का सम्बन्ध गली के फर्श से है—यानी आपके गली में कदम रखते ही गनें गरज उठेंगी और आप एक सेकण्ड में धराशायी हो जाएंगे।”
“वह कैसे प्यारे?”
“उन सभी स्वचालित गनों का सम्बन्ध गली के फर्श से है, जहां आपने कदम रखा है—वहां मौजूद छुपे हुए एक ही स्विच से तीन गनों का सम्बन्ध होगा—दो, दोनों तरफ की दीवारों में और एक छत पर—वे तीनों गनें एक साथ गरज उठेंगी, निशाना होगा वही 'स्पॉट' जहां आप खड़े हैं—सोचने के लिए आपको एक क्षण का सौवां हिस्सा भी नहीं मिलेगा—इस प्रकार साठ गज लम्बी उस गली के फर्श में छुपे हुए पूरे सौ स्विच हैं—वे आपको चमकेंगे नहीं और इतने नसीब वाले आप हो नहीं सकते कि पूरी गली को पार कर जाएं और पैर सौ में से किसी एक भी स्विच पर न पड़े—एक भी स्विच पर पैर पड़ने का नतीजा मैं आपको बता ही चुका हूं।”
“कमाल का सिस्टम है!” अशरफ तारीफ कर उठा।
“गली में एक इंच भी जगह ऐसी नहीं है, जो कम-से-कम तीन गनों के निशाने पर न हो।”
“गार्डनर इस गली को कैसे पार करता है, प्यारे?”
“गली के बाहर ही एक टेलीफोन बूथ जैसा 'खोखा' बना हुआ है, गार्डनर जितनी बार भी मुझे कोहिनूर तक ले गया, उतनी ही बार मुझे कार के पास खड़े रहने के लिए कहकर उस बूथ में गया।”
“बूथ में क्या है?”
“एक फोन!”
विजय ने संभावना व्यक्त की—“वह कोई नम्बर रिंग करता होगा?”
“हां।”
“उस नम्बर से गली में छुपे हुए सभी स्विचों का सम्बन्ध, सम्बन्धित गनों से विच्छेद हो जाता होगा और फिर निर्विघ्न गली से गुजरा जा सकता है, तुम्हें यह नम्बर मालूम नहीं होगा।”
“एक बार फिर आपने बिल्कुल सही अनुमान लगाया है।”
“खैर, समझ लो कि हम गली भी पार कर गए हैं—अब आगे बढ़ो।”
“यह गली उस हॉल के द्वार पर जाकर खत्म होती है जिसके अन्दर कोहिनूर रखा है—इस्पात का बना यह हॉल लगभग वैसा ही है जैसा म्यूजियम का वह हॉल है, जहां लोग कोहिनूर का अक्स देखा करते हैं, हां—इतना फर्क जरूर है कि म्यूजियम वाले हॉल में दो दरवाजे हैं, जबकि इसमें एक ही है, एकमात्र वही जिस पर आप गली पार करके पहुंचेंगे—दरवाजे सहित इस हॉल की सभी दीवारों, फर्श और छत पर चौबीस घंटे करेंट रहता है—यदि आपका रत्ती बराबर भी कोई अंग किसी दीवार से स्पर्श हो गया तो करेंट आपको झट पकड़कर अपने से चिपका लेगा और तभी छोड़ेगा जब आपके जिस्म में खून की एक भी बूंद न रहेगी।”
“इस करेंट की काट?”
“हॉल के दरवाजे में दो बहुत ही बारीक से सुराख हैं, इतने ज्यादा बारीक कि गौर से देखने पर ही आप उन्हें पा सकेंगे और अब मैं आता हूं, गार्डनर पर—यदि आपमें से किसी ने गार्डनर को देखा है, उछटती नजर से नहीं बल्कि ध्यान से, तो उसके गले में पड़ा एक ताबीज जरूर देखा होगा—इस ताबीज को गार्डनर एक क्षण के लिए भी नहीं उतारता है, क्योंकि इसके अन्दर उस हॉल के दरवाजे की चाबी है।”
“चाबी?”
“जी हां, इस चाबी का आकार बड़ा ही अजीब-सा है, ऐसा कि देखकर आपयह सोच भी नहीं सकते कि वह चाबी है, हैयर पिन जैसा आकार है उसका—पीछे की तरफ रबर की एक छोटी-सी गिट्टक लगी है, अग्रिम भाग दो पतले-पतले तारों में विभक्त है। जैसे सांप की जीभ होती है—ताबीज में से निकालने के बाद गार्डनर इसे सावधानी से 'रबर' की गिट्टक से पकड़ता है।”
“शायद करेंट से बचने के लिए।” विक्रम बड़बड़ाया।
“गिट्टक से पकड़कर वह हेयर पिन-सी नजर आने वाली चाबी के दोनों अग्रिम तार दरवाजे में बने उन बारीक सुराखों में डाल देता है और फिर बड़ी ही सावधानी से उसे बाईं तरफ को घुमाता है, 'कट' की हल्की-सी आवाज होती है और वह हैयर पिन को वापस घुमाकर बाहर खींच लेता है—उसके ऐसा करते ही, इस्पात की चादर का एक हिस्सा फर्श में धंस जाता है, यही हॉल में जाने का एकमात्र रास्ता है।”
“और करेंट?”
“दरवाजा खुलते ही करेंट का प्रवाह भी कट हो जाता है।”
“गुड, अब?”
“सामने ही कोहिनूर नजर आ रहा है, हॉल के बीचोबीच एक रीडिंग टेबल रखी है—टेबल के ऊपर छोटी चौकी—चौकी पर लाल रंग का शानदार शनील बिछा है और उसके ऊपर रखा है दुनिया का वह नायाब और एकमात्र हीरा, उसकी चमक—उससे विस्फुटित होती सप्तरंगी किरणें दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को बरबस ही यूं खींचती हैं कि सब कुछ भूलकर इंसान उसकी तरफ बढ़ जाता है—लेकिन सावधान, अगर कोहिनूर के आकर्षण में आप फंस गए तो समझिए कि आपका अगला कदम मौत के मुंह में है।”
“मतलब?”
“कोहिनूर बहुत पास जरूर नजर आ रहा है, लेकिन असल में इस वक्त भी वह आपसे बहुत दूर है—कोहिनूर और आपके बीच मौत आपको निगलने के लिए जबड़ा फाड़े खड़ी है।”
“यह मौत किस रूप में है?”
“वेव्ज के रूप में।”
“वेव्ज?”
“हां, जो आपको बिल्कुल नजर नहीं आ रही होंगी—अदृश्य वेव्ज हैं वे—लेकिन यदि कोई भी वस्तु उनकी रेंज में दाखिल होती है तो तुरन्त ही—नीली-पीली आग का एक चकाचौंध कर देने वाला गोला नजर आता है जैसे बारूद जल उठा हो—'वेव्ज' से जब कोई वस्तु जलती है तो एक क्षण के लिए ऐसी चिंगारियां बिखरती हैं जैसी आप किसी भी वैल्डिग करने वाले की दुकान पर देख सकते हैं—सिर्फ एक क्षण के लिए वह वस्तु जलती हुई नजर आती है, अगले ही क्षण राख में बदलकर फर्श पर गिर जाती है। कोहिनूर और आपके बीच का वातावरण पुन: सामान्य नजर आता है, वेव्ज पुन: अदृश्य हैं।”
“इनकी काट?”
“मैं नहीं जानता।”
“क्या मतलब?”
“न गार्डनर ही कभी मुझे उस दरवाजे से आगे ले गया और न ही मेरे सामने स्वयं गया, इसलिए मैं नहीं जान सका कि उन वेव्ज को रास्ते से कैसे हटाया जा सकता है।”
“ठीक से समझाओ, वेव्ज की स्थिति क्या है?”
“जिस मेज पर कोहिनूर रखा है, बस यूं समझ लीजिए कि वह मेज इन वेव्ज के दायरे में है—मेज से तीन फीट दूर, उसके चारों तरफ ये वेव्ज एक वृत्त-सा बनाए हुए हैं—इनकी कल्पना आप उस रिंग से कर सकते हैं जिसमें आग लगा दी जाए—बिना वेव्ज के अन्दर से गुजरे आप दरवाजे से मेज तक नहीं पहुंच सकेंगे और वेव्ज के रहते, मेज से तीन फीट इधर ही जलकर खाक हो जाएंगे, सबसे खतरनाक बात तो वेव्ज का नजर न आना है—मुझे सारी स्थिति समझाने के लिए गार्डनर ने जेब से एक लोहे का टुकड़ा निकालकर मेज की तरफ फेंका, परन्तु मैंने उसे बीच ही में 'फक' से जलकर फर्श पर गिरते देखा।”
“खैर, मान लो कि कोई वेव्ज पार कर जाता है—उसके बाद?”
“मेज के पास जाकर आप आसानी से हीरे को उठा सकते हैं, लेकिन ठहरिए, कोहिनूर को वहां से उठाते ही एक साथ की मुसीबतें आप टूट पड़ेंगी?”
“हम जान चुके हैं।” विकास ने कहा—“कण्ट्रोल रूम से उपग्रह सिग्नल देने लगेगा।”
विजय ने कहा—“कोहिनूर के यहां से हटते ही म्यूजियम के उस हॉल में जार के अन्दर नजर आने वाला उसका अक्स भी गायब हो जाएगा और वहां की सिक्योरिटी सतर्क हो जाएगी।”
“इनके अलावा तीन काम और होंगे।”
“वे क्या-क्या?”
“चारों तरफ की इस्पाती दीवार में छुपे कैमरे आपका फोटो खींच लेंगे।”
“ओह!”
“कोहिनूर के अपनी जगह से हटते ही हॉल का वह दरवाजा 'खट्ट' से बन्द हो जाएगा।”
“इसका क्या मतलब?”
“आप कोहिनूर को उसकी जगह रख दीजिए, दरवाजा खुल जाएगा।”
“क....कमाल है!”
“मगर दुर्भाग्य की बात ये है कि आपको कोहिनूर को वापस मेज पर रखने का अवसर नहीं मिलेगा।”
“क्यों?”
“कोहिनूर के वहां से हटते ही तीसरा काम आप पर अन्धाधुन्ध गोली बरसाना होगा।”
“ये सारा सिस्टम किस तरह किया गया है?”
इसकी टैक्निकल जानकारी मुझे नहीं है, लेकिन इतना पता है कि हॉल की दीवारों में बीस स्वचालित स्टेनगनें छुपी हुईं हैं, जिनका रुख मेज और उसके आसपास के इलाके की तरफ है—कोहिनूर के हटते ही वे सब चल पड़ेगी—उसी तरह, कोहिनूर के हटते ही दीवारों में छुपे स्वचालित कैमरे आपके फोटो खींच लेंगे और दरवाजा बन्द हो जाएगा— अब यह दरवाजा केवल दो ही तरीकों से खुल सकता है, अन्दर से तब जबकि आप कोहिनूर को वापस मेज पर रख दें और बाहर से इसे केवल अपनी विशेष चाबी से मिस्टर गार्डनर खोल सकते हैं।”
“अजीब मुसीबत है, कोहिनूर को मेज पर रखते ही दरवाजा खुल जाएगा और उठाते ही बन्द, फिर भला कोहिनूर को लेकर कोई बाहर कैसे निकल सकता है?”
“ये सारे इन्तजाम इसीलिए किए गए हैं कि कोई कोहिनूर को लेकर निकल ही न सके।”
“म....मगर!”
“हालांकि छुपी हुई गनें जो गोलियां आप पर बरसा रही होंगी, आप उनसे और कमरे के अन्दर एक रिंग के रूप में मौजूद वेव्ज से ही नहीं बच सकेंगे और यदि मान लिया जाए कि किसी तरह बचे रहे तो भी, जब तक हीरा (मेज पर नहीं है) आपके हाथ में है, अन्दर से दरवाजा नहीं खुलेगा, सीधी-सी बात है कि आप इस इस्पाती हॉल में कैद होकर रह गए हैं—म्यूजियम और उपग्रह द्रवारा कोहिनूर के अपनी जगह से हट जाने की सूचना बाहर हो चुकी है, मिस्टर गार्डनर पूरी फोर्स के साथ वहां आकर आपको गिरफ्तार कर लेंगे।””
“इस व्यवस्था में अब कोई ऐसी बात तो नहीं रह गई है जिसे तुम बताना भूल गए हो?”
“भूला तो नहीं था, मगर हां—फ्लो में चन्द बातें बताने से रह जरूर गई हैं।”
“जैसे?”
“बैंक संस्थान की इमारत के अन्दर, गार्डनर वाले ऑफिस का फर्श धीरे-धीरे घूमता हुआ नीचे जाता है, मैं बता ही चुका हूं कि ऐसा दराज में मौजूद 'एम' बटन के ऑन होने से होता है, मगर इसके अन्दर एक और फैक्टर भी है।”
“वह क्या?”
“यह फर्श ऑफिस टाइम यानी केवल सुबह के नौ बजे से शाम के छह बजे तक ही ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर आ-जा सकता है इस टाइम के बाद या पहले नहीं।”
“एम बटन ऑन करने पर भी नहीं?”
“नहीं।”
“ऐसा क्यों?”
“गार्डनर के बताए मुताबिक इस फर्श में कहीं एक 'टाइम लॉक' फिट किया गया है—यह लॉक स्वयं ही सुबह के ठीक नौ बजे खुल जाता है और शाम छह बजे तक खुला रहता है—छह पांच पर लॉक स्वयं ही पुन: बन्द हो जाता है और फिर अगले दिन सुबह नौ बजे ही खुलता है—यदि शाम के छ: पांच पर फर्श अपने रास्ते में कहीं बीच में है तो टाइम लॉक के बन्द होते ही यथास्थान रुक जाएगा।”
“बड़ा अजीब चक्कर है!”
“ऐसा इन्तजाम शायद यह सोचकर किया गया है कि चोर ऑफिस टाइम के बाद ही कोहिनूर तक पहुंचने में सुविधा महसूस करेगा, ऐसी अवस्था में यदि वह किसी प्रकार ऑफिस में पहुंच भी जाए तो फर्श का उपयोग न कर सके।”
“फर्श केवल नौ और छह के बीच ही चल सकता है और इस समय में गार्डनर वहां मौजूद रहता है, इसका मतलब तो ये हुआ कि गार्नडर की नजरों से बचकर कोई इस फर्श का उपयोग नहीं कर सकता?”
“इन्तजाम करने वालों की कोशिश तो यही है।”
Reply
10-23-2020, 01:10 PM,
#60
RE: Desi Porn Stories अलफांसे की शादी
“क्या गार्डनर ऑफिस से एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेता?” विजय ने पूछा।
“लेता है, लेकिन बहुत कम—किसी आवश्यक कार्य के आ पड़ने पर ही, जिस दिन वह ऑफिस नहीं जाता उस दिन ऑफिस बन्द ही रहता है, उसके अलावा उस सीट पर अन्य कोई नहीं बैठता।”
“इसका मतलब ऐसे किसी दिन इस फर्श का इस्तेमाल किया जा सकता है?”
“किया तो जा सकता है, लेकिन...।”
“लेकिन....?”
“इस फर्श का कुछ-न-कुछ सम्बन्ध गार्डनर की कलाई में बंधी विशेष रिस्टवॉच से भी है, जैसे ही यह फर्श 'एम' बटन के ऑन होने पर घूमना शुरू करेगा वैसे ही गार्डनर की कलाई में बंधी रिस्टवॉच से एक सुई निकलकर गार्डनर की कलाई में रह-रहकर चुभने लगेगी और साथ ही 'पिक-पिक' की आवाज के साथ उसमें एक नन्हां-सा बल्ब भी जलने-बुझने लगेगा—ऐसा जरूर होगा—भले ही गार्डनर उस वक्त लंदन से हजारों मील दूर हो।”
“यानी कोहिनूर की तरफ कोई बढ़ रहा है, यह जानकारी गार्डनर को फर्श के घूमते ही मिल जाएगी।”
“बेशक!”
“तुमने फर्श को ऊपर से नीचे जाने की तरकीब तो बता दी लेकिन नीचे से ऊपर को...।”
“उसी 'एम' बटन को 'ऑफ' कर दीजिए।”
“कोई और ऐसी बात जो रह गई हो?”
“फिलहाल मुझे याद नहीं आ रही है और वैसे भी, अभी तो आप मुझसे अलफांसे की योजना जानना चाहेंगे—जब मैं आपको बताऊंगा, तो सम्भव है कोई बात निकल आए।”
“तो देर किसी बात की है प्यारे—हो जाओ शुरू!”
“यानी अलफांसे की योजना भी आप इसी वक्त जानना चाहते हैं?”
“हम तो प्यारे कबीरदास की बुद्धि का लोहा मानने वाले हैं—यह उसी ने कहा था कि—'काल करे सो आज कर, आज करे सो अब—पल में परले होएगी, बहुरि करैगो कब'—अगर हो सकता है प्यारे तुम कबीरदास से परिचित ही न हो—इसलिए केवल इतना ही समझ लो कि यह भी एक चीज थी और उसकी बात मानते हुए तुम फौरन टेपरिकॉर्डर की तरह चालू हो जाओ।”
चैम्बूर सचमुच चालू हो गया।
वे बहुत ही ध्यान से अलफांसे की योजना सुनने लगे, जब कोई बात समझ में नहीं आती थी या उलझनपूर्ण होती थी तो वे बीच-बीच में सवाल पूछ लेते थे, मगर ये हकीकत थी कि चैम्बूर के मुंह से वे ज्यों-ज्यों योजना सुनते गए त्यों-त्यों प्रशंसा और हैरत से उनकी आंखें फटती चली गईं—मगर पूरी योजना सुनने के बाद विजय की आंखें अजीब-से अंदाज में सिकुड़ गईं, उसे लगा कि या तो यह योजना अलफांसे की है ही नहीं या उसने चैम्बूर को पूरी ईमानदारी से नहीं बताई है, ऐसी कई समस्याएं थीं, जिनका योजना में कोई समाधान नहीं था।
¶¶
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,442,487 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 537,848 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,208,701 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 913,719 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,619,762 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,052,944 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,904,506 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,901,972 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,972,062 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 279,438 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)