Desi Porn Stories आवारा सांड़
03-20-2021, 08:46 PM,
#51
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़


अपडेट—26

शीतल दीदी मुझे मारने के लिए जैसे ही चप्पल उठा कर मेरे पीछे भागी तो मैं दादी के पास से उठ के अंदर की ओर भागा लेकिन भागने के चक्कर मे किसी से टकरा गया.

संयोग से मैं जिससे टकराया उसके दूध पर ग़लती से मेरा हाथ टच हो गया....मुझे उसके दूध का नरम एहसास बहुत अच्छा लगा तो मैने बिना उसकी तरफ देखे ही कि ये कौन है उसके दूध को अपने फुल पंजे मे पकड़ कर खूब ज़ोर ज़ोर से जल्दी जल्दी चार पाँच बार दबा दबा कर मसल दिया.

मैने जैसे ही उसके दूध दबाए ज़ोर से तो उसकी ज़ोर से ‘’आआआहह’’ कर के चीख निकल गयी...मैं ये चीख सुन कर जैसे ही उसका चेहरा देखा तो मेरे चेहरे का रंग उड़ गया.

क्यों कि मैने जिसकी चुचि दबाई थी वो रश्मि दीदी थी….उनके चेहरे पर दर्द के भाव साफ जाहिर हो रहे थे….वो मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थी.

राज (मन मे)—लौन्डे लग गये….शीतल दीदी क्या कम थी जो अब तो ये भी मेरा जीना हराम कर देगी.

रश्मि (मन मे)—कितना बड़ा कमीना है….मैं इसकी बहन हूँ ये जानते हुए भी कितनी ज़ोर से मेरी चुचियो को मसल दिया….शीतल सही
कहती है..इससे बच कर रहना होगा…पता नही कब मेरा भी रेप कर दे ये, इस सांड़ का कोई भरोसा नही है.

मैं अपनी ही सोच मे गुम था कि तब तक शीतल दीदी मेरे पास आ गयी और ज़ोर से मेरी पीठ पर एक मुक्का ठोंक दिया…. मेरे जिस्म मे दर्द की एक तेज़ लहर दौड़ गयी….शीतल दीदी का मुक्का सीधा पीठ मे मेरी चोट वाली जगह पर लगा था. जिसके फलस्वरूप मेरी दर्द से कराह निकल गयी….कोई कुछ सवाल करे इसके पहले ही मैं बिना रुके अपने रूम मे भाग गया.

मीनू—शीतल तेरे हाथ मे से ये खून क्यो निकल रहा है, कोई चोट लगी है क्या….?

शीतल (चौंक कर)—न्न्नहि तो…..मुझे तो कोई चोट नही लगी है…..(फिर मन मे)—मुझे तो कोई चोट नही है फिर मेरे हाथ मे ताज़ा खून कहाँ
से आ गया….(कुछ याद आने पर)..ओमाइगॉड..इसका मतलब ये खून राज का है, तभी वो मेरे मुक्का मारने पर चिल्लाया था.

माँ—शीतल बेटा कोई चोट लगी है क्या तुझे….?

शीतल दीदी ने कोई जवाब नही दिया और वहाँ से उठ कर मेरे रूम का दरवाजा नॉक करने लगी…जो कि मैने बंद कर लिया था और इस
समय ब्र्ड पर लेटा हुआ था दर्द की वजह से.

शीतल—ओये…दरवाजा खोल जल्दी.

राज—क्यो फिर से मारना है….?

शीतल—तू दरवाजा तो खोल पहले फिर बताती हूँ कि क्या करना है.

राज—मैं नही खोलता..

शीतल—मैं दरवाजा तोड़ दूँगी समझा...नही तो सीधी तरह से खोल दे.

राज—वाह...मैं दरवाजा खोल दूं तो ये जंगली बिल्ली मुझे नोच डाले...इतना पागल नही हूँ मैं

दादी—क्यो परेशान करती रहती है उसको हमेशा…..? और तेरे हाथ मे खून क्यो बह रहा है….?

शीतल—अभी पता चल जाएगा, एक बार दरवाजा तो खोल दे.

मीनू—रुक मैं खुल्वाती हूँ दरवाजा, मेरे पास आइडिया है

माँ—क्या…?

मीनू (ज़ोर से)—राज….जल्दी से दरवाजा खोल…देख शीतल के हाथ से बहुत खून निकल रहा है….उसको डॉक्टर के पास ले जा जल्दी से.

शीतल दीदी को चोट लगने और खून निकलने की बात सुनते ही मैं तुरंत शर्ट पहन कर बाहर निकल आया और जल्दी से शीतल दीदी के पास जा कर उनका हाथ चेक करने लगा, उनके हाथ मे खून लगा देख मैने उन्हे अपनी गोद मे उठा लिया और तेज़ी से बाहर जाने लगा.

शीतल—उतार मुझे नीचे….जल्दी उतार मुझे नीचे….कहाँ ले के जा रहा है.

राज—नही आपको चोट लगी है….पहले डॉक्टर के पास चलो…..फिर मार लेना मुझे जी भर के.

मेरे ऐसे अचानक करने से सब चौंक गये, सबसे ज़्यादा रश्मि दीदी हैरान हुई....शीतल दीदी बार बार मुझे नीचे उतारने को चिल्लाए जा रही थी.

शीतल—उतार मुझे….कोई चोट वोट नही लगी है मुझे…पहले नीचे उतार फिर बताती हूँ.

रश्मि—ये सब क्या है मीनू…?

मीनू—क्यों कि मुझे पता है कि राज हम सब बहनों मे से शीतल को सबसे ज़्यादा चाहता है...उसकी मामूली सी खरोंच भी वो बर्दास्त नही
कर पता इसलिए मैने झूठ बोला दरवाजा खुलवाने के लिए.

राज—क्याआ.... ? आपने झूठ बोला....लेकिन दीदी के हाथ से खून क्यो निकल रहा है फिर... ?

शीतल—नीचे उतार मुझे फिर बताती हूँ.

मैने शीतल दीदी को नीचे उतार दिया.....नीचे उतरते ही चत्टाअक्कक......चतत्त्टाककक....उन्होने मेरे दोनो गालो पर अपने हाथो की मोहर लगा दी.

माँ (चिल्लाते हुए)—शीतलल्ल्ल्ल्ल....ये क्या बदतमीज़ी है.

शीतल (ज़ोर से)—इसने अपने गंदे हाथो से मुझे छुआ भी कैसे…..? और ये खून मेरा नही आपके इस लाड़ले का है… इसकी शर्ट उतरवाओ पहले…सब पता चल जाएगा.

राज—दादी…चलो मुझे नीद आ रही है.

शीतल (चिल्लाते हुए)—रुक , पहले शर्ट उतार अपनी.

राज—मुझे कुछ नही उतारना है.

माँ—चल दिखा मुझे कहाँ चोट लगी है तुझे.

राज—मुझे कोई चोट नही लगी है माँ…आप चिंता मत करो

मैं जल्दी से रूम मे चला गया…..वैसे भी थप्पड़ खाने के बाद मेरा दिमाग़ खराब हो गया था….मेरे वहाँ से जाने के बाद मीनू दीदी शीतल के उपर चिल्लाने लगी.

मीनू—तू हरदम उसके पीछे क्यो पड़ी रहती है….? क्यो इतनी नफ़रत करती है उससे.... ? एक ही तो भाई है हमारा....जब देखो तब उसे खरी खोटी सुनाती रहती है.....अब तो तेरा हाथ भी उठने लगा है....और एक वो है जो तुझे हम सबसे अधिक चाहता है तेरी एक खरोंच पर भी तड़प जाता है.....क्या तेरे सीने मे दिल नाम की कोई चीज़ नही है..... ?

शीतल (ज़ोर से)—हान्न्न...करती हूँ नफ़रत मैं.....एक बलात्कारी मेरा भाई कभी नही हो सकता.....उससे कह दो मुझसे दूर ही रहा करे....मैं उसकी शकल भी देखना नही चाहती.

माँ (चिल्लाते हुए)—शीतलल्ल्ल्ल्ल......आज के बाद दोबारा ऐसी बेहूदा बाते मुझे सुनने को ना मिले..समझी

मैं दादी के बिस्तर मे लेटे हुए शीतल दीदी के अपने प्रति व्यवहार के बारे मे सोच रहा था....शीतल दीदी की कही हुई बतो से मुझे बहुत तकलीफ़ हो रही थी जो कि मैने रूम मे जाते हुए सुन ली थी...साथ मे पीठ मे दर्द भी बहुत हो रहा था.....सोचते हुए कब नीद आ गयी पता ही नही चला.

रात मे मुझे अपने चेहरे पर कुछ गीलापन महसूस होने से नीद टूट गयी....मैने महसूस किया कि कोई मेरे पास बैठ कर रो रहा है जिसके
आँखो से गिरते आँसू मेरे जख़्मो को भिगो रहे थे.

मुझे उसके आँसुओं से बेहद सुखद एहसास होने लगा ऐसा लगने लगा जैसे कि मुझे अब कोई दर्द ही ना हो.....मैं समझ गया कि ये शीतल दीदी ही हैं...क्यों की मुझे भली भाँति पता है की उन्हे मेरी चोट से सबसे ज़्यादा तकलीफ़ होती है.

भले ही वो सब के सामने मुझसे नफ़रत करने का दिखावा करती हैं लेकिन सच तो यही है कि वो मुझे दर्द मे नही देख पाती....कुछ देर तक आँसू टपकाने के बाद उन्होने मलम ला कर मेरे जख़्मो पर लगाया और मेरे गालो पर जहाँ उन्होने थप्पड़ मारा था वहाँ काफ़ी देर तक धीरे धीरे चूमती रही और सिसकती रही.

अपने घर की हर औरत को मैने केवल भोगने की नज़र से देखा है शीतल दीदी को छोड़ कर....ना जाने क्यो उन्हे देखते ही मैं सब कुछ जैसे भूल जाता हूँ....मेरे हृदय मे एक अलग ही तरह की तरंगे हिलोरे लेने लगती हैं....मेरे अंदर की सारी कामुकता गायब सी हो जाती है और मेरा
दिल हमेशा चाँद को भी मात कर देने वाले मुखड़े को अपने सामने देखते रहना चाहता है...ऐसा क्यो है.... ? इसका जवाब तो शायद अभी मेरे पास भी नही है.

उनके इस मर्म स्पर्शी छुवन के एहसास से मैं एक बार फिर अपनी सुध बुध खो कर सुखद नीद की आगोश मे समाता चला गया….मुझे दादी के पास जाने का ख्याल भी दिमाग़ से निकल गया.

सुबह जब मेरी नीद खुली तो वहाँ कोई नही था….आज की सुबह मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत सुबह मे से एक थी…मैने फ्रेश होने के बाद बाहर आ गया तो मुझे कुछ सीटी बजने जैसी आवाज़ सुनाई पड़ी.

मैं समझ गया कि कोई अपनी बुर खोले मूत रही है….बुर की खुश्बू मिलते ही लंड राज अकड़ के सीना तान कर खड़ा हो गया…मैं धीरे कदमो से उधर बढ़ गया जिधर से किसी के मूतने से सीटी बजने की आवाज़ आ रही थी.

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03-20-2021, 08:46 PM,
#52
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अपडेट-27

अपने घर की हर औरत को मैने केवल भोगने की नज़र से देखा है शीतल दीदी को छोड़ कर....ना जाने क्यो उन्हे देखते ही मैं सब कुछ जैसे भूल जाता हूँ....मेरे हृदय मे एक अलग ही तरह की तरंगे हिलोरे लेने लगती हैं....मेरे अंदर की सारी कामुकता गायब सी हो जाती है और मेरा
दिल हमेशा चाँद को भी मात कर देने वाले मुखड़े को अपने सामने देखते रहना चाहता है...ऐसा क्यो है.... ? इसका जवाब तो शायद अभी मेरे पास भी नही है.

उनके इस मर्म स्पर्शी छुवन के एहसास से मैं एक बार फिर अपनी सुध बुध खो कर सुखद नीद की आगोश मे समाता चला गया….मुझे दादी के पास जाने का ख्याल भी दिमाग़ से निकल गया.

सुबह जब मेरी नीद खुली तो वाहा कोई नही था….आज की सुबह मेरे जीवन की सबसे खूबसूरत सुबह मे से एक थी…मैने फ्रेश होने के बाद बाहर आ गया तो मुझे कुछ सीटी बजने जैसी आवाज़ सुनाई पड़ी.

मैं समझ गया कि कोई अपनी बुर खोले मूत रही है….बुर की खुश्बू मिलते ही लंड राज अकड़ के सीना तान कर खड़ा हो गया…मैं धीरे कदमो से उधर बढ़ गया जिधर से किसी के मूतने से सीटी बजने की आवाज़ आ रही थी.

अब आगे……..

मैं दबे पावं सीटी की आवाज़ जहाँ से आ रही थी उस तरफ बढ़ गया…..वहाँ पहुचते ही मैने देखा कि रूपा चाची की मझली बेटी संध्या जो
की मुझसे एक साल बड़ी हैं वो अपने गोरे गोरे चूतड़ खोले बैठ कर मूत रही थी….उसके मूतने से सीटी की आवाज़ आ रही थी.

अब चूँकि हमारे घर मे कोई बाथरूम तो था नही….मिट्टी का बना घर है…आँगन मे ही तीन तरफ से लकड़ी गाढ कर उसमे कपड़ा लपेट दिया गया था चारो तरफ से जिससे घर की औरतो को नहाने आदि मे कोई परेशानी ना हो.

फिर भी कपड़ा कयि जगह से फटा हुआ था जिससे झाँक कर अंदर का नज़ारा देखा जा सकता है…आँगन हालाँकि अंदर था जिससे किसी
बाहरी आदमी के वहाँ आने की संभावना लगभग ना के ही बराबर थी.

संध्या दीदी दूसरी तरफ मूह कर के मूत रही थी…इसलिए उनका ध्यान पीछे नही था कि मैं उन्हे देख रहा हूँ…हालाँकि उन्होने अपने मोटे
मोटे गोरे चुतड़ों को अपने कुर्ते से ढक रखा था फिर भी वो आधे से ज़्यादा नंगे दिख रहे थे.

संध्या दीदी के नंगे चुतड़ों का दर्शन करते ही मेरा लंड क़ुतुब मीनार बन गया…..मैने एक नज़र अपने चारो तरफ घुमा कर देखा कि कही कोई मेरे आस पास तो नही है.

जब कन्फर्म हो गया कि कोई नही है तो मेरे मन मे संध्या दीदी की बुर देखने की ख्वाहिश बलवती हो गयी… बार बार मन मे सोचने लगा कि संध्या दीदी की बुर नंगी कैसी दिखती होगी….?

मन मे ये लालच उत्तपन्न होते ही मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा…..और फटे हुए कपड़े मे से अंदर झाँकने लगा लेकिन मेरी फूटी किस्मत, तभी
संध्या दीदी उठ कर खड़ी हो गयी और अपने सलवार का नाडा बाँधने लगी.

मुझे बस उनकी गोरी गोरी जाँघो की एक हल्की झलक ही मिल पाई…..उनकी बुर के दर्शन होते होते रह गये….मायूस होकर मैं मुड़ा ही था की उन्होने मुझे देख लिया.

संध्या (गुस्सा होते हुए)—तू यहाँ क्या ताका झाँकी कर रहा है…..?

राज—क्क्क…कुछ भी तो नही….वो मुझे सीटी की आवाज़ सुनाई पड़ी तो मैं वही सीटी देखने की कोशिश कर रहा था…लेकिन पता नही
अभी तक तो वो बज रही थी, मेरे आते ही बंद हो गयी….

संध्या—यहाँ कोई सीटी वीटी नही है, चल भाग यहाँ से.

राज—मैं समझ गया..इसका मतलब तुम ही सीटी बजा रही थी.....मुझे भी सीटी देखनी है...मुझे वो सीटी दिखाओ जो अभी अभी तुम बजा रही थी.

संध्या (सकपका कर)—मैने कहा ना यहाँ कोई सीटी नही है.

राज—है...सीटी है..तभी तो तुम बजा रही थी...मुझे वही सीटी चाहिए और वो भी अभी दो मुझे अपनी वो सीटी.

संध्या (शर्मा कर)—मेरे पास कोई सीटी नही है, समझा.

राज—मैने खुद सुना है, तुम्हे सीटी बजाते हुए….मुझे सीटी दिखाओ नही तो मैं सब को जा कर बता दूँगा कि तुम सीटी बजा रही थी बाथरूम मे.

संध्या (सकुचाते हुए)—मैं सच कहती हूँ..मेरे पास कोई सीटी नही है राज…समझा कर….

राज—फिर वो सीटी कहाँ से बज रही थी….? मुझे बेवकूफ़ मत बनाओ, मैने खुद सुना है.

संध्या—राज, सच मे मेरे पास कोई सीटी नही है…वो सीटी की आवाज़ तो……

राज—अब रुक क्यो गयी….आगे बताओ….

संध्या (सिर झुका कर)—कुछ नही….चल जा यहाँ से, नही तो अब मारूँगी.

राज—मैं कुछ नही जानता मुझे फिर से वही सीटी बजा कर दिखाओ….मुझे तुम्हारी सीटी देखना है…नही तो मैं चला चाची और चाचा के पास, उन्हे सब बता दूँगा.

संध्या (थोड़ा ज़ोर से)—तुझसे कह दिया ना एक बार की मेरे पास कोई सीटी नही है….और क्या बता देगा तू माँ और पापा से..?

राज—ठीक है….मैं अभी जाता हूँ चाचा और बड़ी चाची के पास....उन्हे बताता हूँ कि संध्या दीदी सलवार उतार कर सीटी बजा रही थी और मुझे दिखा नही रही है.

संध्या (शॉक्ड)—क्या देखा तूने….?

राज—मैने तुम्हे सलवार उतार कर सीटी बजाते हुए खुद अपने कानो से सुना है.

राज की बात सुन कर संध्या शरम और लाज़ से पानी पानी हो गयी…..उसकी समझ मे नही आ रहा था कि वो अब राज को कैसे समझाए कि ये सीटी की आवाज़ उसके मूतने की वजह से उसकी बुर से आ रही थी…बेचारी बुरी तरह से फँस गयी थी.. साथ ही ये भी सोच रही थी
कि कहीं अगर राज ने सच मे रूपा चाची और चाचा से ये बात कह दी तो वो उनका कैसे सामना करेगी उनके सामने कैसे जा सकेगी….?

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03-20-2021, 08:47 PM,
#53
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वही दूसरी तरफ पोलीस थाने मे डायचंद ने इनस्पेक्टर देशराज की सारी बाते मान ली…वो उसके कहे मुताबिक पैसा देने को तैय्यार हो गया.

देशराज—हवलदार पांडुरम.

पांडुरम—यस सर.

देशराज—उस दिन छमिया के बारे मे क्या कह रहा था तू….?

पांडुरम—किस दिन साहब…?

देशराज—जिस दिन असलम सेठ का मर्डर हुआ था और इन्वेस्टिगेशन के सिलसिले मे हम उसकी कोठी पर गये थे.

पांडुरम—ओह्ह्ह…आप उस नौकरानी की बात कर रहे हैं…?

देशराज—ह्म्‍म्म्म

पांडुरम—उसके बारे मे ना ही सोचे तो बेहतर होगा साहब, मैने उस दिन भी कहा था और आज फिर कहता हूँ…या तो सतयुग मे सावित्री हुई थी या इस कलियुग मे च्चामिया हुई है….हर तरह से पतिव्रता है वह….हाथ फ़िरवाने की बात तो दूर, अपने पति के अलावा किसी की तरफ देखती तक नही है.

देशराज—तुझे कैसे मालूम….?

पांडुरम—मैं एक बार ट्राइ मार चुका हूँ साहब….साली ने ऐसा करारा थप्पड़ मारा था कि जब भी याद आता है तो मेरे गाल झन झनाने लगते है आज भी.

देशराज—क्या नाम है उसके आदमी का…..?

पांडुरम—गोविंदा नाम है साहब उसके आदमी का.

देशराज—तो चल ड्राइवर से जीप निकलवा….ये साले उपर वाले बहुत कहते रहते हैं कि मैं कोई केस हल नही करता….आज हम असलम मर्डर केस को हाल करने का कीर्ति मान स्थापित करेंगे.

देशराज, कुछ हवलदार साथ लेकर असलम के बंग्लॉ की ओर चला गया….वहाँ पहुचते ही उसने असलम के ईमानदार नौकर गोविंदा के
कमरे की छान बीन शुरू कर दी.

गोविंदा (हैरान)—मेरे कमरे मे भला आपको क्या मिलेगा साहब….? मैं बहुत ही ईमानदार आदमी हूँ.

देशराज (चिल्लाते हुए)—तडाक....चत्त्तककक....हरामजादे...हमसे ज़ुबान लड़ाता है.....सरकारी काम मे बाधा डालने की कोशिश करता है साले.

देशराज ने चिल्लाते हुए गोविंदा के गाल पर जो थप्पड़ मारा वो इतना जोरदार था कि हलक से चीख निकालता हुआ बेचारा गोविंदा कमरे के बाहर लॉन मे जा गिरा...उसके मूह से खून निकलने लगा...देशराज पिछले लगातार दस सालो से नॅशनल ब्लॅक बेल्ट चॅंपियन भी है....देशराज
का ये रूप देख कर सारे नौकर काँप गये...छमिया चीखती हुई लॉन पर पड़े गोविंदा से जा लिपटी.

छमिया (रोते हुए)—इन्हे क्यों मार रहे हैं इनस्पेक्टर साहब.... ?

देशराज (चिल्लाते हुए)—मारू नही तो क्या आरती उतारू इसकी….? साला हमे अपने कमरे की तलाशी लेने से रोकना चाहता है, उल्लू का
पट्ठा.

छमिया (रोते हुए)—ये आपको रोक कहाँ रहे थे...इतना ही तो कहा था कि हमारे कमरे मे आपको क्या मिलेगा.

देशराज (ज़ोर से)—अगर ज़्यादा ज़ुबान ज़ोरी की तो खाल मे भूसा भर दूँगा….इस हवा मे रही तो धोखा खाएगी कि औरत होने के कारण तू बच सकती है.

छमिया चुप रह गयी…बड़ी बड़ी आँखो मे सहमे हुए भाव और आँसू लिए देशराज की तरफ देखती भर रही…इसके अलावा कर भी क्या सकती थी वह…? कोई भी क्या कर सकता था…?

सारे नौकर, सलमा और देशराज के साथ आए पोलीस वालो के अलावा वहाँ कोई नही था….कमरे की तलाशी चालू रही….अचानक देशराज हवलदार की तरफ अपना रुख़ किया.

देशराज—देख क्या रहा है पांडुरम…? इसके कमरे की अच्छे से तलाशी ले.

पांडुरम—यस सर.

पांडुरम ये कहने के साथ ही मशीनी अंदाज़ मे लॉन के उस पार एक पंक्ति मे बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ बढ़ गया.. उसके पीछे पीछे बाकी हवलदार भी चले गये साथ मे.

तभी देशराज का मोबाइल बजने लगा….उसने देखा तो ये ठाकुर का कॉल था…उसने एक तरफ जा कर ठाकुर से बात करने लगा.. इधर सभी डरे सहमे खड़े थे.

देशराज—आप चिंता मत कीजिए ठाकुर साहब…जिसने भी नीलेश ठाकुर जी के उपर हाथ उठाया है मैं उसकी और उसके परिवार की
जनम कुंडली पलट दूँगा जल्दी ही.
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03-20-2021, 08:47 PM,
#54
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट-28

सारे नौकर, सलमा और देशराज के साथ आए पोलीस वालो के अलावा वहाँ कोई नही था….कमरे की तलाशी चालू रही….अचानक देशराज हवलदार की तरफ अपना रुख़ किया.

देशराज—देख क्या रहा है पांडुरम…? इसके कमरे की अच्छे से तलाशी ले.

पांडुरम—यस सर.

पांडुरम ये कहने के साथ ही मशीनी अंदाज़ मे लॉन के उस पार एक पंक्ति मे बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ बढ़ गया.. उसके पीछे पीछे बाकी हवलदार भी चले गये साथ मे.

तभी देशराज का मोबाइल बजने लगा….उसने देखा तो ये ठाकुर का कॉल था…उसने एक तरफ जा कर ठाकुर से बात करने लगा.. इधर सभी डरे सहमे खड़े थे.

देशराज—आप चिंता मत कीजिए ठाकुर साहब…जिसने भी नीलेश ठाकुर जी के उपर हाथ उठाया है मैं उसकी और उसके परिवार की जानम कुंडली पलट दूँगा जल्दी ही.

अब आगे…….

ठाकुर से बात करने के बाद देशराज पलट कर कुछ देर तक छमिया और गोविंदा को घूरता रहा और फिर अपना रुख़ पीछे खामोश खड़ी
सलमा की ओर कर दिया.

देशराज—आइए सलमा जी

“आप कुछ कीजिए ना मालकिन…मालिक के सामने कोई पोलीस वाला हम लोगो से इस तरह से व्यवहार नही कर सकता था.” गोविंदा ने अपनी चाल तेज़ की और सलमा के नज़दीक पहुच कर धीरे से फुसफुसाया.

“मैं क्या कर सकती हूँ….?” सलमा इतनी ज़ोर से बोली कि बात इनस्पेक्टर देशराज के कानो तक पहुच जाए—“इनस्पेक्टर साहब को तुम पर शक है.”

“क्या शक है हम पर…?” गोविंदा के रूप मे मानो ज्वालामुखी फॅट पड़ा—“क्या ये कि मालिक को हमने मार डाला…हमने…?…मैं जो उन्हे
देवता समझता था….जो उनके चरण धोकर पानी पीता था……ज़रा सोचो मालकिन…मालिक की हत्या क्या हम करेंगे….हम…?”

देशराज (चिल्लाते हुए)—ज़्यादा नाटक किया तो साले तेरा जबड़ा तोड़ दूँगा…..सारी जिंदगी मैने तेरे ही जैसे कयि मालिक भक्त देखे हैं.

बेचारा गोविंदा कर भी क्या सकता था…बेचारा देशराज की दहाड़ सुनते ही खामोश हो गया…..और फिर एक पुराने संदूक की तलाशी ले रहे हवलदार पांडुरम चिल्लाने लगा.

पांडुरम (ज़ोर से)—मिल गये साहब..मिल गये.

देशराज (उसकी तरफ जाते हुए)—क्या…?

पांडुरम—खून से भीगे कपड़े…ये देखिए साहब.

कहने के साथ ही पांडुरम से गोविंदा का खून से सना हुआ कुर्ता उठा कर हवा मे लहराया तो एक चाकू उस कुर्ते मे से निकल कर ज़मीन पर गिर पड़ा…पांडुरम ने कुर्ता छोड़ कर उसको उठाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया ही था कि,,

देशराज (ज़ोर से)—नही पांडुरम….चाकू को हाथ मत लगाना…इस पर उंगलियो के निशान होंगे.

पांडुरम ठिठक गया…सभी अवाक रह गये ये देख कर…जबकि गोविंदा और छमिया की तो रूह तक काँपने लगी.

देशराज गोविंदा पर ऐसे झपटा तेज़ी से जैसे की बाज़ किसी कबूतर के उपर झपट्ता हो….गोविंदा के बाल पकड़ लिए उसने और पूरी बेरहमी के साथ घसीटता हुआ संदूक के नज़दीक ले गया.

देशराज (ज़ोर से)—क्यो बे…?…ये क्या है….?

गोविंदा (हाथ जोड़ कर गिड गिडाते हुए)—म्‍म्म…मुझे नही मालूम….मैं सत्य कहता हूँ इनस्पेक्टर साहब, मुझे कुछ नही मालूम…..म्म..मुझे नही मालूम की ये….

देशराज—ये कुर्ता और संदूक मे पड़ी ये धोती क्या तेरी नही है……?

गोविंदा—य..ये कपड़े तो मेरे ही हैं साहब...मगर मुझे ये नही मालूम कि इनमे खून कहाँ से लग गया…?..मैं सच कहता हूँ...भगवान की
कसम खा कर कहता हूँ...मुझे कुछ नही मालूम साहब.

देशराज—और ये..ये चाकू भी तेरा है.... ?

गोविंदा—ना...नही साहब....ये चाकू मेरा बिल्कुल नही है.

देशराज (चिल्लाते हुए)—चात्त्ताअक्ककककक......अब भी झूठ बोलता है हरामजादे.....

देशराज ने चिल्लाते हुए गोविंदा के चेहरे पर जोरदार थप्पड़ मारा.....जिससे गोविंदा लड़खड़ाते हुए वहाँ बिछि हुई खटिया के पाए से जा
टकराया.....छमिया बेचारी ऐसे खड़ी थी जैसे उसको लकवा मार गया हो.

देशराज (सब की ओर देखते हुए)—देखा तुम लोगो ने…..अपनी आँखो से देखा....इसके खून से सने कपड़े और चाकू, इसकी अपनी संदूक से निकले.....और फिर भी ये हरामी की औलाद कहता है की इसको कुछ नही मालूम.

गोविंदा (ज़ोर से रोते हुए)—मैं सच कहता हूँ इनस्पेक्टर साहब....अगर मैं झूठ बोलू तो अपनी छमिया का मरा मूह देखु….मुझे सच मे बिल्कुल नही मालूम कि ये चाकू मेरे संदूक मे कहाँ से आ गया और मेरे कपड़ो मे खून कहाँ से लग गया... ?

देशराज (चिल्लाते हुए)—हम सब को बेवक़ूफ़ समझता है..मादरचोद.

इतना कहने के साथ ही देशराज ने सरकार द्वारा पहनाई गयी भारी बट्ट वाली बेल्ट निकाल कर गोविंदा को पीटने लगा….उसके पीटने का
अंदाज़ ऐसा था कि जैसे वो किसी इंसान को नही बल्कि कोई जानवर को मार रहा हो…

गोविंदा की चीखे दूर दूर तक गूँज रही थी…..पर उसको बचाता कौन….?….नौकरो की आँखो मे उसके लिए घृणा थी.. और छमिया हतप्रभ
हो कर खड़ी देखे जा रही थी…गोविंदा गिरते पड़ते हुए सलमा के पैर पकड़ कर गिड गिडाने लगा.

गोविंदा (गिड गिडाते हुए)—मुझे बचा लो मालकिन….नही तो इनस्पेक्टर साहब मुझे जान से मार डालेंगे…..मुझे बचा लो, मैं सच कहता हूँ
…मैने मालिक को नही मारा….भला मालिक की हत्या मैं क्यो करूँगा…?

बेचारा गोविंदा…‼ काश, वह जानता कि वो भिखारी के पैरो मे पड़ा भीख माँग रहा है…
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03-20-2021, 08:47 PM,
#55
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
दूसरी तरफ राज अपनी दीदी संध्या से सीटी दिखाने के लिए पीछे ही पड़ गया था….संध्या बड़ी असमंजस की स्थिति मे फँस गयी थी.

राज—देखो दीदी..सीधी तरह से मुझे वो सीटी फिर से बजा के दिखाओ वरना मैं अभी जा कर चाचा और चाची को सब बता दूँगा.

संध्या—राज ज़िद नही करते..समझा कर..ये ग़लत बात है.

राज—ठीक है…अब तो चाचा जी की डाँट खाने को रेडी हो जाओ….मैं ये चला.

संध्या (मन मे)—कहाँ फँस गयी मैं…ये पागल सच मे ना बता दे…क्या करूँ….?

संध्या—अच्छा राज सुन…सुन तो..

राज—अपनी सीटी दिखा रही हो.

संध्या—मैं सच कहती हूँ...मेरे पास कोई सीटी नही है....वो लड़किया जब बाथरूम करती हैं तब ऐसी ही आवाज़ होती है

राज—झूठ.....मैने और तो किसी की आवाज़ नही सुनी बाथरूम करते समय सीटी बजने जैसी....तुम झूठ बोल रही हो.

संध्या—तेरी कसम....हर लड़की को पेशाब करते समय ऐसी ही आवाज़ निकलती है.

राज—तो मुझे क्यो नही निकलती... ?

संध्या—क्यों कि तुम लड़की नही लड़का हो इसलिए.

राज—तो फिर मुझे एक बार तुम्हारी सीटी दिखाओ बजा कर तब मैं मानूँगा.

संध्या—नही…मैं ये नही कर सकती..मैं तुम्हारी बहन हूँ…तुम्हे शर्म आनी चाहिए ये कहते हुए भी.

राज—वाह…वाह…तुम्हे मूटते हुए सीटी बजाने मे शरम नही आई और मुझे शरम का पहाड़ा पढ़ा रही हो.

संध्या—तू समझता क्यो नही है….मैं नही दिखा सकती तुझे.

राज—अगर ज़्यादा शरम आ रही है तो तुम फिर से मूत कर सीटी बजाओ मैं उस फटे कपड़े मे से झाँक कर देख लूँगा.

संध्या (शॉक्ड)—तू ना सच मे बहुत बड़ा कमीना है.....जा बता दे जिसको बताना है....चल भाग यहाँ से.

संध्या उसके उपर चिल्लाते हुए अंदर जाने लगी....अपना दाँव खाली जाते देख कर राज ने कुछ सोचा और फिर ज़ोर ज़ोर से चीखने लगा.

राज (चिल्लाते हुए)—हाए..मर गया...संध्या दीदी ने मुझे मार डाला..बचाओ

संध्या (घबरा कर)—क्क्क..क्या किया है मैने... ? क्यो चिल्ला रहा है.... ?

राज—तुमने मेरी पीठ मे चाकू मार दिया...मैं मर गया रे...अब मैं सब को दिखाउन्गा कि तुमने मुझे जान से मरने की कोशिश की है...ये देखो मेरी पीठ..

राज ने अपनी शर्ट उपर कर के जैसे ही संध्या को अपनी पीठ दिखाई तो उसकी चोट देख कर संध्या भी अंदर तक काँप गयी क्यों कि चोट रियल थी.

संध्या—इतनी ज़्यादा चोट तुझे कैसे लगी.... ?

राज—तुमने ही तो मारा मुझे.... ?

संध्या—मैने कब मारा तुझे.... ?

राज—पर मैं तो सब को यही बताउँगा की संध्या दीदी ने मारा है....नही तो जल्दी से अपनी सीटी दिखाओ.

संध्या—नही..मतलब नही

राज—माआआ...चचीई...बचाअऊऊ

संध्या (मन मे)—अगर इसने मेरा नाम बताया तो सब मुझे ही डाटेंगे.....लाड़ला जो है ये सब का....मुझे इसको कैसे भी चुप कराना होगा....नही तो सब मेरा जीना मुश्किल कर देंगे.

संध्या—चुप...मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ....शाम को देख लेना.

राज—नही..अभी दिखाओ

संध्या—अभी सब घर मे हैं शाम को देख लेना….क्या मेरी इतनी बात भी नही मानेगा….?

राज—अगर शाम को नही दिखाया तो सोच लेना फिर.

संध्या—पक्का दिखा दूँगी..तेरी कसम

मैं कुछ आगे कर पाता कि तभी माँ और चाची दौड़ती हुई वहाँ आ गयी और मेरा सारा प्लान चौपट हो गया….संध्या दीदी जल्दी से अंदर चली गयी.

माँ—क्या हुआ..चिल्ला क्यो रहा था…?

चाची—हाँ..राज क्या हुआ..बता मुझे…?

राज—वो कुछ नही…..अभी अभी मैने यहाँ एक साँप देखा था…इसलिए डर गया था.

मा—कहाँ है साँप…?

राज—अब वो चला गया मा.

चाची—शूकर है…घर के अंदर नही घुस गया.

राज (मन मे)—क्या मस्त फूली हुई गोल मटोल बड़ी गान्ड है चाची की……हाए चाची एक बार अपनी ये गान्ड ही मरवा लो मुझसे….कसम से मस्त बुर भी होगी चाची की…….चाचा मादरचोद रोज चोदता होगा चाची को.

माँ—तुझे चोट कहाँ लगी है दिखा मुझे…?

चाची—हाँ, कल भी तेरी पीठ से खून निकल रहा था…?

राज—अरे कुछ नही चाची….वो कलर था..कोई खून नही था…अब मैं चला कॉलेज

माँ—सुन…आज तुझे रश्मि को उसके गाओं लेके जाना होगा…

राज—ठीक है माँ

मैं किसी तरह से रेडी हुआ…पीठ मे दर्द तो अभी भी हो रहा था…कपड़े पहनने मे भी दिक्कत हो रही थी…तभी कोई मेरे रूम मे एंटर हुआ तो मैने जल्दी से दर्द को इग्नोर कर के शर्ट पहन लिया और जैसे ही पलटा तो मेरे सामने शीतल दीदी खड़ी थी.

शीतल—ये चोट कहाँ से लगी तुझे….? सच सच बताना..नही तो बहुत मार खाएगा मुझसे….किस के साथ झगड़ा किया अब..?

राज—मैं आप से झूठ कभी नही बोलता दीदी.चाहे आप मुझसे कितनी भी नफ़रत कर लो…...कल वो नीलेश ठाकुर शिल्पा को उठा ले गया था तो उससे ही झगड़ा हो गया… मैने सालो को ढंग से धोबी की तरह कूटा लेकिन सालो ने धोखे से पीठ मे चाकू मार दिया.

शीतल (शॉक्ड)—क्याआअ….? चत्त्ताअक्ककक……तुझे मैने समझाया था ना कि उस लड़की से दूर रहा कर…अब ठाकुर चुप नही बैठेगा…हे भगवान..तेरे पास दिमाग़ है की नही…तू है ही नफ़रत करने के लायक….जा दूर हो जा मेरी नॅज़ारो से….मैं तेरी शकल भी नही देखना चाहती.

शीतल दीदी गुस्सा होकर रूम से बाहर निकल गयी….मैं जूते पहनने के लिए जैसे ही झुका तो बिस्तर मे दवाइयाँ रखी हुई थी..मैं समझ गया कि ये भी शीतल दीदी का ही काम है….मैं दवा खा कर रश्मि दीदी के साथ कॉलेज निकल गया….हालाँकि माँ और शीतल दीदी ने बहुत
मना किया मुझे कॉलेज जाने से…फिर भी मैं नही माना और चला गया.

मैं रश्मि दीदी के साथ जैसे ही कॉलेज पहुचा तो ...
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03-20-2021, 08:47 PM,
#56
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट-29

शीतल (शॉक्ड)—क्याआअ….? चत्त्ताअक्ककक……तुझे मैने समझाया था ना कि उस लड़की से दूर रहा कर…अब ठाकुर चुप नही बैठेगा…हे भगवान..तेरे पास दिमाग़ है कि नही…तू है ही नफ़रत करने के लायक….जा दूर हो जा मेरी . से….मैं तेरी शकल भी नही देखना चाहती.

शीतल दीदी गुस्सा होकर रूम से बाहर निकल गयी….मैं जूते पहनने के लिए जैसे ही झुका तो बिस्तर मे . रखी हुई थी..मैं समझ गया कि ये भी शीतल दीदी का ही काम है….मैने दवा खा कर रश्मि दीदी के साथ कॉलेज निकल गया….हालाँकि माँ और शीतल दीदी ने बहुत
मना किया मुझे कॉलेज जाने से…फिर भी मैं नही माना और चला गया.

मैं क्लासरूम मे जैसे ही एंटर हुआ तो किसी से टकरा गया….जैसे ही उसके उपर मेरी नज़र गयी तो….

अब आगे…….

ये वंदना थी जिससे मैं टकराया था….वो मुझे खा जाने वाली . से देखने लगी….मैने भी मुश्कुरा कर उसके गुस्से को और भी हवा दे दिया.

वंदना—अँधा है क्या…दिखाई नही देता तुझे….?

राज—अँधा तो नही हूँ….पर आज कुछ अब तक दिखाई ही कहाँ हो जो दिखेगा…..हां परसो ज़रूर दिखाया था तुमने….वैसे तुम नीचे से भी
पान खाती हो क्या…?

वंदना—क्या मतलब है तुम्हारा….?

राज—कुछ नही,,,,उस दिन तुम्हारी चड्डी मे से लाल लाल पानी कुछ ज़्यादा ही बह रहा था.

वंदना (शॉक्ड)—व्हाट…अपनी औकात मे रहो समझे…शायद तुम जानते नही कि मैं यहाँ के ठाकुर की बेटी हूँ…मुझसे पंगा लेना तुझे बहुत महनगा पड़ेगा.

राज—सस्ती चीज़े तो मुझे भी यूज़ करने की आदत नही है.

वंदना—लगता है कि आज तेरी रॅगिंग ज़रूर होगी और वो भी मेरा भाई करेगा तरीके से…

वंदना वहाँ से गुस्से मे बड़बड़ाते हुए बाहर चली गयी और मैं अपनी दोस्त मंडली के पास जा कर बैठ गया…सभी स्टूडेंट्स मुझे घूर घूर कर देखने लगे.

राज—अबे..ये सब मुझे क्यो घूर रहे हैं….?

अनवर—तूने उस दिन ठाकुर के आदमियो को मारा जो था इसलिए….अब तो मेरी बात मान और कहीं और अड्मिशन ले ले …मैं तो कहता
हूँ की पढ़ाई छोड़ दे और कुछ दिन के लिए कहीं दूर चला जा …ठाकुर के आदमी तुझे ढूँढ रहे हैं.

राज—आबे ठाकुर क्या मेरी झान्ट उखाड़ेगा….और अगर उखाड़ भी लिया तो अच्छा ही है…वैसे भी मैं रोज रोज बना बना कर परेशान हो गया हू….बिन मौसम की खेती की तरह रोज उग आती हैं..हिहिहीही

रवि—भोसड़ी के…तुझे हँसी आ रही है....क्या तू ठाकुर को जानता नही है कि वो कैसा आदमी है…जब से सीयेम बना है…हर जगह खून
ख़राबा, लूट मार, रेप हो रहे हैं…उसका गुंडा राज चल रहा है राज्य भर मे.

राज—देख भाई मैं ठहरा छटा सांड़...और सांड़ किसी से नही डरता.....ये ठाकुर झाटुआ क्या चीज़ है.

आयुष—गान्डू…तेरी गान्ड मार लेगा वो….अच्छा हुआ कि तू कल कॉलेज नही आया था वरना कल ही तेरी गान्ड मार जाती.

राज—क्यो क्या हुआ था कल…..?

कल्लू—कल नीलेश आया था तुझे ढूँढते हुए….तू तो मिला नही, पर बेचारी वो शिल्पा उनके फंदे मे फँस गयी.. उसको ज़बरदस्ती उठा ले गये
वो…..क्या पता उसका रेप करने के बाद जिंदा भी छोड़ा उसको कि नही…?

राज—क्यो आज नही आई वो….?

रवि—जब बची होगी तब ना आएगी बेचारी.

तभी क्लास मे हिन्दी की मेडम मिसेज़. नीरजा आ गयी…आते ही उन्होने मुझे कुछ देर घूरा और फिर आगे बढ़ गयी… नीरजा मेडम की उमर लगभग 35 के आस पास होगी…बड़े चुचे और पीछे बड़ी सी गान्ड…रंग थोड़ा सांवला ज़रूर था किंतु फेस कट मस्त था.

कल्लू—अरे यार…आज तो इसने टेस्ट लेने को कहा था.

राज—अबे पागल हो गया है क्या…? हमे कॉलेज आए अभी हुए ही कितने दिन है और तू टेस्ट की बात करने लगा…अभी कुछ पढ़ाई हुई ही
कहाँ है.

रवि—भोसड़ी के….कॉलेज को खुले हुए दो महीना हो गये हैं….हम अभी से आना चालू किए हैं …कोर्स आधा हो चुका है.

राज—फिर तो हो गया टेस्ट….मैने तो अभी तक किताब खोल कर भी नही देखा कि उसके अंदर सिलबस क्या है…वैसे तूने तो पढ़ा ही
होगा…मुझे भी थोड़ा बहुत बता देना…मैं भी लिख लूँगा कुछ.

रवि—मैने खुद ही कुछ नही पढ़ा है..तुझे क्या बताउन्गा.

राज—अबे तुम लोग नही पढ़ोगे तो मैं एग्ज़ॅम मे पास कैसे होऊँगा….? लगता है पास होने के लिए अब इस मेडम को भी चोदना पड़ेगा…तभी कुछ हो पाएगा.

आयुष—तुझे चोदने के अलावा कुछ सूझता भी है….जब देखो तब तेरा दिमाग़ चोदने मे ही लगा रहता है.

राज—अब तेरा खड़ा ही नही होता और मेरा बैठता ही नही है तो इसमे मेरी क्या ग़लती है….लगता है कि तुम लोगो की बीवियो को चोदने का शुभ काम भी मुझे ही करना पड़ेगा,

रवि—साले गान्ड तोड़ दूँगा तेरी….वो तेरी भाभी होगी और भाभी माँ समान होती है.

नीरजा—प्ल्स..साइलेंट….आज मैने टेस्ट के लिए कहा था…तो रेडी हैं सभी….?

राज (मन मे)--सबने यस माँ कह कर मेरी गान्ड मरवा दी….आज की जगह कल ले लेती तो क्या हो जाता….वैसे भी कल तक कौन सा मुझे कुछ याद होने वाला था..चलो आज ही नही…कुछ भी लिख दूँगा.

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03-20-2021, 08:47 PM,
#57
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
मेडम ने बोर्ड पर कुछ क्वेस्चन्स लिख दिए और हमे उनका उत्तर लिखने को कहा….मैने किताब टेबल के नीचे कर के जल्दी जल्दी उनके आन्सर्स सर्च करने लगा..मगर मिला ही नही कुछ.

बड़ी मुश्किल से एक दो आन्सर्स मिले तो मैने किताब से उस पेज को फाड़ लिया और लिखने लगा देख देख कर….लेकिन मेडम ने देख लिया.

नीरजा—राज तुम कॉपी कर रहे हो…? क्या है तुम्हारे हाथ मे, इधर दो…स्टॅंड अप

राज (पेज जेब मे डाल कर)—नही तो मेडम कुछ भी नही है.

वंदना—है मेडम….इसने अभी अभी वो काग़ज़ जेब मे डाला है.

नीरजा—वो पेज मुझे दो.

राज—कुछ नही है मेडम.

नीरजा—अच्छा….तो फिर मैं खुद ही निकाल लूँगी.

मेरे मना करने के बाद भी नीरजा मेडम नही मानी और उन्होने मेरी जेब से वो पेज निकालने के लिए हाथ डाल ही दिया… हाथ डालते ही तुरंत उन्होने जल्दी से बाहर खिच और मुझे शॉक से देखने लगी.

राज—मैने कहा मेडम नही है….लेकिन आप नही मानी

मेडम अपना सिर झुका कर चुप चाप सामने अपनी चेयर पर जा कर बैठ गयी.....लेकिन उनके चेहरे के भाव कुछ अलग ही कहानी बयान कर रहे थे...वो अभी भी किसी शॉक मे डूबी हुई थी.

नीरजा (मन मे)—बाप रे....कितना मोटा और लंबा है इसका.....उपर से जेब भी पूरा फटा हुआ और चड्डी भी नही पहन रखी इसने...मेरे तो हाथ मे भी नही आ रहा था....मेरे पति का तो आधा भी नही होगा इसके मुक़ाबले मे.

इधर मेडम सोच मे गुम थी उधर मैने जल्दी से वो काग़ज़ ज़मीन से उठा कर जो कि मेरी जेब फटी होने के कारण नीचे गिर गया था, लिखने लगा.

पीरियड ख़तम होते ही वो सबकी कॉपी ले कर जल्दी से बाहर निकली...लेकिन गेट के पास पहुच कर उन्होने एक बार फिर से पलट कर मेरी
ऊवार विस्मय भरी दृष्टि से देखा और फिर चली गयी.

पीरियड ख़तम होते ही जैसे हम बाहर निकले तो देखा कि राहुल ठाकुर अपनी गुंडा फौज के साथ कॉलेज मे मेरे बारे मे हर किसी से पूछ
ताछ कर रहा था.

राज (मन मे)—ये साले ठाकुर लोग मुझे जीने नही देंगे….लगता है सबसे पहले इनके घर की लड़कियो को ही चोदना पड़ेगा…क्यो ना
ठकुराने को ही चोद डालु पहले…वैसे भी बाल विधवा है तो उसकी बुर भी टाइट ही होनी चाहिए.

मैं यही सोच ही रहा था कि तभी रश्मि दीदी मेरे पास आई और मुझे खिचते हुए पीछे ले गयी…मुझे उनके चेहरे पर चिंता की लकीरे सॉफ दिख रही थी.

राज—क्या बात है दीदी…आप मुझे कहाँ ले जा रही हो…? सब देख रहे हैं यहाँ.

रश्मि—चुप....जल्दी से चल निकल यहाँ से.....वो सब तुझे ही ढूँढ रहे हैं...चल पीछे के गेट से निकल चल....मेरे साथ मेरे गाओं चल, अभी यहाँ रुकना ठीक नही है.

राज—कुछ नही होता दीदी....इन ठाकूरो की तो मैं...

रश्मि—जितना कहा है उतना सुना कर..समझा

रश्मि दीदी नही मानी…आख़िर मुझे उनके साथ पीछे के गेट से जाना ही पड़ा…घर जाते वक़्त ही रास्ते मे शिल्पा की मा मिल गयी और मेरे पैरो मे लिपट गयी…ये देख कर रश्मि दीदी हैरान हो गयी.

जलेबी—बेटा मुझे माफ़ कर दो…..मैने तुम्हे ग़लत समझा और बिना सच जाने ही तुम पर हाथ उठा दिया…मैं तुमसे माफी चाहती हूँ.

रश्मि—राज कौन है ये औरत और किस बात की माफी चाहती है तुमसे….?

राज—कुछ नही दीदी...ये उस कॉलेज वाली लड़की शिल्पा की माँ है.

रश्मि—ओह…..जो भी हुआ शिल्पा के साथ कल, वो बहुत ग़लत था…अब कहाँ है वो…अब तक उन्न दरिंदो ने छोड़ा उसको कि नही….?

जलेबी—मैं उसी बात की तो माफी माँग रही हूँ…कल अगर तुम समय पर पहुच कर उस ठाकुर और उसके गंडो से मेरी बेटी को नही बचाते तो ना जाने क्या होता उस बेचारी का…..मुझे शिल्पा ने सब बता दिया है कि तुमने उस कुत्ते नीलेश ठाकुर को बहुत मारा है….इतना ही नही शिल्पा को बचाते हुए तुम्हे पीठ मे चाकू भी लगा है…मैने सच जाने बिना ही तुम्हे भला बुरा कह दिया.

रश्मि (शॉक्ड)—क्य्ाआआअ…..? चाकू लगा तुझे…? इतनी बड़ी बात हो गयी और तूने किसी को बताया तक नही….?

राज—छोड़ो दीदी…ये सब होता रहता है.

रश्मि—ये छोटी बात है….? अब तू बिल्कुल यहा नही रहेगा...अभी चल मेरे साथ ...मुझे कुछ भी नही सुनना है.

जलेबी—राज बेटा...एक बार चल के शिल्पा से मिल ले....उसका रो रो कर बुरा हाल है...और उसकी तबीयत भी ठीक नही है... कोई दवा भी नही खा रही है वो..

रश्मि—नही वो अब कहीं नही जाएगा....पहले ही दो बार तुम्हारी लड़की के चक्कर मे ठाकुर से दुश्मनी ले चुका है वो.

राज—दीदी आप चलो मैं अभी आता हूँ.

रश्मि (चिल्लाते हुए)—तुझे एक बार मे समझ मे नही आता क्या.... ? सीधे चल मेरे साथ.

राज—बस दस मिनिट लगेगा दीदी....ज़रा सोचो अगर उसको कुछ हो गया तो मेरी ये मेहनत तो बेकार चली जाएगी ना…उसको उन लोगो ने ड्रग्स का हेवी डोस दिया हुआ है..जिसकी वजह से उसकी तबीयत खराब हो रही है…एक बार मिल के देख लेता हू.

रश्मि (कुछ सोच कर)—ठीक है...चल तेरे साथ मैं भी चलूंगी.

राज (मन मे)—दीदी ने सब गड़बड़ कर दिया….कहा मैं सोच रहा था की रास्ते मे किसी खेत पर शिल्पा की मम्मी को लिटा कर चोद लूँगा…सब बेकार हो गया.

मैं रश्मि दीदी के साथ शिल्पा के घर चला गया….जहा शिल्पा बेड पर आधे अधूरे कपड़े पहन कर लेटे हुए इधर उधर करवट बदल रही थी.

मेरी आवाज़ सुनते ही वो तुरंत पलट गयी और उठने की कोशिश मे गिर गयी..मैने जल्दी से उसको उठाया तो वो मेरी बाहों मे ही सिमट गयी और रोने लगी.

मैने उसको बड़ी मुश्किल से शांत किया….रश्मि दीदी ने भी उसको समझाया….शिल्पा ने ज़बरदस्ती मेरी शर्ट खिच के उतार दी और मेरी पीठ का घाव देखने लगी.

मेरी पीठ के दोनो साइड इतना गहरा घाव देख कर रश्मि दीदी की भी आँखे छलक आई….मैने शर्ट पहन कर उसको मेडिसिन्स खिलाई और फिर मिलने का बोल कर वापिस घर आ गया.

मेरे कहने पर रश्मि दीदी ने घर मे किसी को कुछ नही बताया….लंच करने के बाद मैं दीदी के साथ उनके गाओं यानी की अपने मामा के घर के लिए निकल पड़ा…..जहा से मेरी किस्मत एक नया ही मोड़ लेने वाली है.
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03-20-2021, 08:48 PM,
#58
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़


अपडेट—30

मैं रश्मि दीदी के साथ उनके गाओं के लिए निकल पड़ा….बस मे काफ़ी भीड़ थी, लेकिन फिर भी खड़े होने लायक जगह मिल ही गयी….मेरे मामा का गाओं यहाँ से करीब 50 किमी की दूरी पर था…..बस से उतरने के बाद भी लगभग 3 किमी पैदल ही चल के जाना पड़ता था…अभी फिलहाल गाओं तक जाने का कोई भी साधन नही था….होता भी कैसे…अभी तक पक्की रोड भी तो नही बनी थी…वही कच्ची पगडंडी ही थी.

मैं रश्मि दीदी के पीछे खड़ा हो गया….बस चलती रही और उसकी भीड़ भी बढ़ती रही….धीरे धीरे ये हालत हो गयी कि खड़े रह पाना भी दूभर लगने लगा था.

लोग पीछे से धक्का देते तो मैं दीदी के उपर गिरता और आगे से देते तो दीदी मेरे उपर गिरती….इस धक्का मुक्की मे मेरे लंड की हालत भी
खराब होने लगी और बेचारा इस भीड़ भाड़ से परेशान होकर क्रोधित हो गया.

उसके क्रोध का शिकार बन रही थी रश्मि दीदी….अगर उन्होने सलवार नही पहनी होती तो कब का उनकी चड्डी मे छेद कर के उनकी गान्ड को फाड़ चुका होता…वैसे कोशिश तो यही कर रहा था.

जब भी धक्का लगने पर वो उनकी गान्ड मे घुसने के लिए दबाव बनाता तो दीदी मेरी तरफ मूड के थोड़ा गुस्से मे देखती और मैं सिर्फ़ मुश्कुरा कर सॉरी बोल देता….वो भी शायद मौके की नज़ाकत को समझ रही थी इसलिए कुछ नही बोली.

राज (कंडक्टर से)—भाई हमे राम नगर के पुल के पास उतार देना.

कंडक्टर—ठीक है…उतार दूँगा.

अगले स्टॉप पर कुछ आवारा दिल फेंक आशिक़ चढ़ गये बस मे….चढ़ते ही उन्होने अपनी आदत के मुताबिक लड़कियो पर कॉमेंट कसते हुए छेड़ छाड़ करने लगे….वो आगे बढ़ने लगे लड़कियो के चूतड़ और चुचियो को घूरते हुए.

आवारा 1—बहुत भीड़ है भाई….ज़रा देख के चलो…आगे ही नही ज़रा पीछे भी.

आवारा 2—हाँ भाई…मैं पीछे का देखता हूँ तू आगे का संभाल.

राज—कंडक्टर भाई...वो पुल आया क्या.... ?

कंडक्टर—जब आएगा तो बता दूँगा यार…कितनी बार पूछेगा..कम से कम दस बार तो पूछ चुका है.

राज—ठीक है…ठीक है…जब आए तो बता देना.

वो लड़के धक्का मुक्की करते हुए हमारे पास तक आ गये…और जबरन दीदी से चिपकने लगे…एक तो वहाँ पर जगह की कमी पहले से ही थी उपर से ये भी घुस आए.

रश्मि—देखिए ठीक से खड़े होइए.

आवारा 3—मेरा तो ठीक से ही खड़ा है….क्यो बे तेरा खड़ा नही है क्या…? ये मेडम खड़ा करने को बोल रही है.

आवारा 4—मेरा तो 24 घंटे खड़ा ही रहता है.

आवारा 1—क्यो बेबी चाहिए क्या…? मेरा भी खड़ा है…?

रश्मि—शट अप…और दूर हटो

लेकिन दूर हटने की जगह चारो दीदी से बिल्कुल सट कर खड़े हो गये….दीदी अब असहाय होकर मेरी तरफ एक बार पलट के देखी….और फिर सामने देखने लगी.

तभी उनमे से एक लड़के ने रश्मि दीदी की कमर मे हाथ रखने को हुआ ही था कि मैने उसका हाथ बीच मे ही पकड़ लिया… उसने अपना\
हाथ छुड़ाने की बहुत कोशिश की लेकिन नही छुड़ा पाया.

राज—ऐसी ग़लती दुबारा मत करना….वरना जिंदगी भर एक ही हाथ से खाने और धोने का काम करना पड़ेगा.

आवारा 2—अबे चिकने कौन है बे तू….? ये लड़की तेरी बीवी लगती है क्या….?

राज—मेरी बीवी लगती है कि नही ये छोड़ लेकिन तेरी बहन ज़रूर है.

आवारा 1—साले बहुत ज़ुबान लड़ाता है....ये ड्राइवर गाड़ी रोक.....हमारे ही इलाक़े मे आकर हमको ही आँख दिखाता है.

राज—इलाक़ा कुत्तो का होता है…शेर जिस किसी भी इलाक़े मे भी चला जाए….वही का राजा कहलाता है.

आवारा 3—मारो साले को…बहुत अकड़ है इसमे…
तभी............................

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03-20-2021, 08:48 PM,
#59
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़

तभी मैने उसके दाहिने गाल पर एक ज़ोर का थप्पड़ जड़ दिया….नतीज़ा उसके सामने के दो दाँत टूट कर बाहर आ गये.. ये देख कर सब
सन्न रह गये….उसके बाकी साथी आगे बढ़े तो मैने उन्हे वही रुकने को कहा.

राज (उंगली घूमाते हुए)—वही रुक जाओ…..वरना मैने अगर मारना चालू किया तो यहाँ कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा.

आवारा 1—देख लेंगे तुझे….बच के कहाँ जाएगा….चल बे फिर कभी मिलेगा तब देखेंगे इसको.

वो चारो वही उतर गये…वो कहावत सही कही गयी है कि अगर कुत्तो की भीड़ मे एक भी कुत्ते को पत्थर मार दो तो बाकी की गान्ड अपने आप फॅट जाती है.

राज—भाई वो पुल कब आएगा.

कंडक्टर—पुल तो निकल गया.

राज—क्याआ…? गाड़ी पीछे ले….?

कंडक्टर—गाड़ी पीछे नही जाएगी....अब अगले स्टॉप पर ही उतरना......आआआआ

राज—क्या कहा...गाड़ी पीछे नही जाएगी...तेरी तो...चत्त्ताअक्ककक...चात्त्ताअक्ककक

कंडक्टर (गाल सहलाते हुए)—भाई जल्दी बस पीछे ले ले.....नही तो ये मुझे मार डालेगा.

ड्राइवर ने जल्दी से बस मोड़ कर वापिस हमारे गाओं तरफ जाने वाली पुलिया के पास छोड़ दिया.....मैं और दीदी दोनो धीरे धीरे पैदल ही चलने लगे.

रश्मि—तू हमेशा लड़ाई झगड़े के मूड मे ही क्यो रहता है.... ?

राज—मुझसे लड़कियो की बे-इज़्ज़ती देखी नही जाती.

रश्मि—और जो तू खुद गाओं भर की लड़कियो के साथ करता फिरता है तब…..

राज—क्या करता हूँ मैं….? कुछ भी तो नही करता

रश्मि —रहने दे...सब देख और सुन चुकी हू तेरे बारे मे....पूरे गाओं भर मे बदनाम है....तुझे पता भी है कि ये सब लड़के कितने बदमाश हैं…एक नंबर के छटे हुए गुंडे हैं….तू तो कुछ दिन मे अपने घर चला जाएगा… लेकिन मुझे तो रोज आना जाना है….वो अब की बार ज़्यादा लोगो को लेकर आएँगे.

राज—तो पोलीस कंप्लेन कर दो.

रश्मि—यहाँ का थाना इंचार्ज देशराज एक नंबर का कमीना इनस्पेक्टर है….उसकी नज़र तो खुद ही लोगो की बहू बेटियो पर लगी रहती है.

राज—चिंता मत करो आप….मैं सब ठीक कर दूँगा.

रश्मि—तूने मेरे साथ ऐसे बात क्यो की थी…?

राज—कब…?

रश्मि—कुछ नही…

राज—अच्छा…उस दिन…वो मुझे पता नही था कि आप रश्मि दीदी हो.

रश्मि—क्यो करता है ऐसी गंदी हरकते….? पूरे गाओं मे तेरा नाम बदनाम है....पता नही लोग क्या क्या कहते हैं... ?

राज—क्या कहते हैं….?

रश्मि—जैसे तुझे पता ही नही है.

राज—अब मुझे कैसे पता होगा... ?

रश्मि—तू आगे चल मैं आती हूँ..

राज—क्यो...मेरे साथ चलने मे डर लगता है.

रश्मि—बहस मत कर...तू चल मुझे थोड़ा काम है.

राज—अब यहाँ सुनसान जगह पर आपको क्या काम आ गया….? अच्छा अब समझा…बाय्फ्रेंड से मिलना है…

रश्मि—चुप पागल...कुछ भी बोलता है....मेरा आज तक कोई बॉय फ्रेंड नही है समझा....मैं इन सब मे नही रहती.

राज—तो फिर क्या काम आ गया अचानक से..... ?

रश्मि—उफफफ्फ़....अब क्या तुझसे खुल कर कहूँ कि मुझे बाथरूम करना है..तब समझेगा....ईडियट

राज—तो सीधे सीधे कहो ना कि मुझे मूतना है.

रश्मि—चुप बेवक़ूफ़….फिर चालू हो गयी तेरी कमीनपंति

राज—अच्छा बाबा सॉरी….आप जाओ मूत लो…मैं दूसरी तरफ मूह घुमा लेता हूँ.

रश्मि—नही तू आगे जा पहले.

राज—ये लो आप से बात करते हुए मेरा मन भी मूतने को होने लगा.

रश्मि—तो जाके कर ले उधर...मुझे क्यो सुना रहा है.... ?

मैं सामने खुले मे जाकर अपनी ज़िप खोल कर लंड को बाहर निकाल के मूतने लगा....रश्मि दीदी ने अपना मूह घुमा लिया था दूसरी
तरफ...तभी मेरे मन मे एक शरारत सूझी.

राज (चिल्लाते हुए)—आआआआअ......मर गया....ओह्ह्ह्ह माआ

मेरी चिल्लाने की आवाज़ सुन कर रश्मि दीदी बिना सोचे समझे मेरे पास भाग कर आ गयी.....उन्हे क्या पता कि ये सब मेरी प्लॅनिंग थी उनको अपने लंड के नीचे लाने की.

रश्मि—राज...क्या हुआ...तू चिल्लाया क्यो.... ?

राज—आआआ....पता नही किसी कीड़े ने काट लिया तो बहुत दर्द हो रहा है.... ? सूजन भी आ गयी लगता है... ?

रश्मि—कहाँ काट लिया....चल दिखा मुझे जल्दी से... ?

राज (लंड की तरफ इशारा करते हुए)—यहाँ काट लिया.....आआआआ.....मर गया.

रश्मि ने जैसे ही नीचे देखा तो उसकी साँस गले मे ही अटक गयी.....उसके सामने राज का विशाल लंड खड़ा हुआ था जिसका टोपा किसी पहाड़ी आलू की तरह फूला हुआ था.....रश्मि का ये पहला मौका था जब वो कोई रियल लंड देख रही थी वो भी इतने पास से.

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03-20-2021, 08:48 PM,
#60
RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
रश्मि (मन मे)—बाप रे...कितना बड़ा और मोटा है राज का... ? कही इसे कोई बीमारी तो नही है... ? सब सही कहते हैं ये सचमुच का सांड़ ही है.....पता नही कैसे घुसता होगा उनके अंदर.... ? मेरे अंदर तो आधा घुसने पर ही जान चली जाएगी मेरी.

राज—दीदी अब देखती ही रहोगी की कुछ करोगी भी.... ?

रश्मि (सकपका कर)—एम्म...मैं क्या करूँ... ?

राज—कुछ नही....बस इसको बंद कर दो अंदर...मेरे छुने से ज़्यादा दर्द हो रहा है.

रश्मि—चल डॉक्टर को दिखा ले.

राज—नही...मुझे शरम आती है.

रश्मि—अपनी बहन के सामने खोल के खड़ा है…और कहता है कि शरम आती है.

राज—आप बस बंद कर दो बस…

रश्मि ने काँपते हाथो से किसी तरह से उसको पॅंट के अंदर किया….इसमे उसको बहुत मेहनत करनी पड़ी….बड़ी मुश्किल से अंदर गया
वो….लेकिन रश्मि के दिल मे एक झुनझुनी उत्पन्न कर गया.

राज—अब आप भी यहीं मूत लो.

रश्मि—क्य्ाआअ…?

राज—मैं दूसरी तरफ मूह घुमा लूँगा.

रश्मि ने इस बार ज़्यादा बहस किए बिना ही थोड़ी दूरी पर पेड़ की आड़ मे बैठ कर मूतने लगी…..मेरा दिल बार बार रश्मि दीदी की बुर को देखने के लिए लालायित होने लगा.

राज (मन मे)—हाए…दीदी यही बैठ के मूत लेती ना…कैसी बुर होगी रश्मि दीदी की….? चिकनी होगी कि उनकी बुर मे झान्टे होगी…? एक
बार अपनी गान्ड के ही दर्शन करा दो दीदी.

शायद राज के दिल की पुकार रश्मि के जेहन तक पहुच गयी…..उसका दिल भी इस समय बग़ावत करने पर उतारू होने लगा था उसको जाने क्या सूझी कि उसने पेड़ की आड़ से थोड़ा बाहर निकल कर अपनी गोरी नंगी गान्ड के उपर से कुर्ता उठा लिया और इसी दौरान राज
को उसकी पूरी नंगी गान्ड की एक झलक देखने को मिल ही गयी.

पेशाब करने के बाद रश्मि वापिस आ गयी…अब दोनो चुप चाप चल रहे थे लेकिन दोनो के मन मे कुछ तरंगे हिलोरे ले रही थी.

राज (मन मे)—कितनी खूबसूरत और गोरी गान्ड है दीदी की…..एक बार पूरी नंगी देखने को मिल जाए तो दिल खुश हो जाएगा.

रश्मि (मन मे)—मेरा मन आज बहक क्यो रहा है….? मुझे पूरा यकीन है कि राज ने मेरी गान्ड ज़रूर देखी है तो क्या राज मुझे भी चोदना चाहता है…..? मांगलिक होने के कारण मेरी शादी तो होने से रही…..क्या मैं जिंदगी भर कुवारि ही रहूंगी…..? राज का कितना बड़ा है और
गोरा भी है…..क्या राज सच मे मुझे चोदेगा….? क्या मुझे राज से चुदवा लेना चाहिए….? घर की बात घर मे ही रहेगी….लेकिन ये ग़लत है….पाप है….वो मेरा भाई है.

ऐसे ही सोचते हुए हम कब गाओं पहुच गये समय का पता ही नही चला….गाओं मे घुसते ही छोटे मामा दिनेश मिल गये जिनकी शादी होने वाली थी.

दिनेश—अच्छा हुआ तुम लोग आ गये…मैं बस स्टॅंड ही आ रहा था….तुम लोग घर चलो मैं एक बार खेत घूम कर आता हूँ.

राज—मैं भी आपके साथ चलता हूँ मामा.

रश्मि—ठीक है भैया….मैं घर जा रही हूँ….आप राज का ध्यान रखना.

रश्मि दीदी घर चली गयी और मैं मामा के साथ खेतो की तरफ निकल गया….छोटे मामा से मेरी काफ़ी बनती थी….खेत मे आ कर उन्होने एक चारपाई बिच्छा दी और हम दोनो वही बैठ गये.

राज—क्या मामा….शादी भी तय कर ली और बताया भी नही मुझे….?

दिनेश—मैने कहाँ तय की घर वालो की पसंद है.

राज—क्यो आपको पसंद नही है मामी….? या वो खूबसूरत नही हैं….?

दिनेश—ऐसी बात नही है….सब कहते हैं कि वो बहुत सुंदर है.

राज—सब कहते हैं मतलब….? आप ने नही देखा क्या मामी को.... ?

दिनेश—नही...और ना ही उसने मुझे देखा ....ये ले मिंटो फ्रेश खा.

राज—अच्छा फोन मे बात तो होती होगी ना.... ?

दिनेश—नही मैने आज तक उसको फोन नही किया…उसने एक दो बार किया था लेकिन मैने उठाया नही…समझ मे नही आया की क्या बात करू.

राज—इसका मतलब कि आप ने अपनी होने वाली बीवी को नही देखा…और ना ही उसने आपको देखा.

दिनेश—ह्म्‍म्म्मम

मिंटो फ्रेश खाते ही मेरे दिमाग़ की बत्ती जल उठी….मेरे दिमाग़ मे कयि आइडिया कुल बुलाने लगे और मैं उनके विषय मे सोचने लग गया.

राज (मन मे)—मामा ने मामी को नही देखा….मामी ने मामा को नही देखा…इसका मतलब दोनो ने एक दूसरे को नही देखा….अगर मैं दिनेश मामा बन कर होने वाली मामी को पेल दूं तो….?

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