Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
01-30-2021, 12:32 PM,
#61
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
फिर नेहा पीछे हटी और अपना हाथ अपनी पैंटी के अंदर डाल दिया। समर ये देखकर हैरान रह गया। उसने अपना हाथ बाहर निकाला। उसकी उंगलियां गीली थी। दीदी की चूत का पानी। नेहा ने वो उंगलियां समर के मुँह की तरफ बढ़ाना शुरू किया ही था, की समर ने खुद ही आगे बढ़कर उन उंगलियों को अपने मुँह में ले लिया।

नेहा ये देख बहुत खुश हुई- “या, ये सोच रहा था..." नेहा बोली।

समर तो कुत्ते की तरह नेहा की उंगलियां चूस रहा था। अपनी बहन की चूत से टेस्टी चीज नहीं चखी थी उसने। नेहा भी गरम हो रही थी। उसे बहुत हाट लगता था जब समर ऐसे उसकी उंगलियां चूसता था। जब पूरी उंगलियों में से रस खतम हो गया तो नेहा ने अपना हाथ पीछे ले लिया। समर के मुँह में मस्त चूत का स्वाद आ गया था, वो और चाहता था।

मगर नेहा के मन में कुछ और था- “आँखें बंद कर समर...” उसने कामुकता से कहा।

समर ने बिना कुछ बोले अपनी बहन का कहा मान लिया। आँखें बंद हो गई। मगर दिमाग तो अब भी चल रहा था। क्या करना चाहती है दीदी?

समर का हाथ नेहा ने पकड़ा, और कुछ ही पलों में वो हाथ एक बहुत ही कोमल और गुदगुदी चीज पे आकर ठहर गया। नेहा ने समर के हाथ को उस कोमल चीज पर कसा। समर का हाथ अब उस चीज को दबा रहा था। उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

नेहा- “आँखें खोल समर...” नेहा ने बोला।

समर ने आँखें खोली और देखा उसके हाथ में क्या था? उसका माथा ठनका, क्योंकी वो दीदी की गाण्ड थी... समर ने अपने हाथ को नेहा की गाण्ड के ऊपर पाया। उसको सिर से पाँव तक एकदम झटका लग गया। नेहा की मोटी कोमल गाण्ड समर के हाथों में थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था की ये क्या हो रहा है? नेहा ने पाजमा पहना हुआ था, मगर उसके ऊपर से भी उसकी गाण्ड एकदम नरम और पहाड़ जैसी लग रही थी।

नेहा- “हाँ.. समर, वो मेरी गाण्ड ही है.." नेहा बोली।

समर के हाथ कांप रहे थे। पशीना छूट रहा था। धड़कनें भाग रही थी।
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01-30-2021, 12:32 PM,
#62
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर ने आँखें खोली और देखा उसके हाथ में क्या था? उसका माथा ठनका, क्योंकी वो दीदी की गाण्ड थी... समर ने अपने हाथ को नेहा की गाण्ड के ऊपर पाया। उसको सिर से पाँव तक एकदम झटका लग गया। नेहा की मोटी कोमल गाण्ड समर के हाथों में थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था की ये क्या हो रहा है? नेहा ने पाजमा पहना हुआ था, मगर उसके ऊपर से भी उसकी गाण्ड एकदम नरम और पहाड़ जैसी लग रही थी।

नेहा- “हाँ.. समर, वो मेरी गाण्ड ही है.." नेहा बोली।

समर के हाथ कांप रहे थे। पशीना छूट रहा था। धड़कनें भाग रही थी।

नेहा- “फिर मेरी गाण्ड पे हाथ.." नेहा बोल रही थी। पहली बार उसकी गाण्ड को किसी ने ऐसे छुआ। बड़ा मजा आ रहा था उसे।

लेकिन मजा तो समर से दूर था। वो तो चिंता और कनफयूजन में था। उसका हाथ जम गया था नेहा की गाण्ड पर।

नेहा ने ये देखा- “उफफो... फटतू समर..” वो बोली और फिर से समर का हाथ पकड़ लिया। अब वो पकड़कर समर के हाथ को अपने चूतड़ों पे घुमा रही थी।

समर को बहुत आनंद आने लगा।

नेहा- “ऐसे घुमा अपने हाथों को, इतनी प्यारी गाण्ड है मेरी, उसके मजे ले.." नेहा ने बोला। फिर उसने समर का हाथ छोड़ दिया और आगे की ओर झुक गई।

झक के नेहा ने अपनी गाण्ड को और बाहर निकाला, और समर को उससे खेलने का फिर निमंत्रण दिया। मगर समर फिर वहीं जमा रह गया। उसकी अभी भी हिम्मत नहीं हुई कुछ करने की।

नेहा- "तुझे अगर नहीं करना तो बोल दे, मेरे पास पूरी रात नहीं है यहां अपनी गाण्ड निकालकर खड़ी होने के लिए, मैं जा रही हूँ.."

नेहा बोल ही रही थी की तभी उसकी गाण्ड को बहुत जोर से दबाया गया। नेहा की चूत पे करेंट लगा। समर को एहसास हो चुका था की ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। उसके काँपते हुए हाथों में जान आ गई, और वो पूरी जान से नेहा की गाण्ड को दबाने लगे।

नेहा- “उफफ्फ़... आsss समर..." नेहा चिल्लाई।

मगर ये चीख में दर्द कम, हवस ज्यादा थी। नेहा को बहुत अच्छा लग रहा था। अपने छोटे भाई को अपनी गाण्ड से खेलते हुए उसे मस्त लग रहा था, और उसकी फुद्दी को भी।

समर ने दूसरा हाथ भी गाण्ड पे रख दिया। उसकी गाण्ड इतनी बड़ी और सेक्सी थी की, उसके दोनों चूतड़ों के लिए दो हाथ कम पड़ रहे थे। समर ने फिर भी कोशिश की। वो अब नेहा की गाण्ड मसल रहा था, अपनी दीदी की गाण्ड... दिल और दिमाग दोनों ही असमंजस में थे, मगर हाथ रुक नहीं रहे थे।

नेहा की गाण्ड पर दो हाथ ऐसे झपट रहे थे, जैसे शेर अपने शिकार पर। उसकी गाण्ड से खिलवाड़ हो रहा था,
और ये खिलवाड़ उसकी चूत में से पानी निकाल रहा था।

समर अपनी बहन की गाण्ड पर ऊपर-नीचे, आगे-पीछे, दायें बायें हाथ फेर रहा था।

नेहा- “हाँ... समर, ऐसे ही खेल मेरी गाण्ड से। फेर हाथ, दबा उसे, दबोच उसे..." नेहा बोल रही थी। उसके मुँह से “ऊवू, अया, एम्म्म...” जैसे शब्द निकल रहे थे।

समर ये सुनकर और उत्तेजित हो गया। उसने अपने दायां हाथ में अपनी बहन के दायें चूतड़ को दबोच लिया।

"ऊऊओहह.." नेहा ने हल्के से चीखा। उसके रोम-रोम में नशा फैल गया।

समर ने फिर अपनी पकड़ हल्की करी और फिर से उसे दबोचा। समर को तो जन्नत मिल गई थी। इतनी कोमल गाण्ड, कामुक गाण्ड उसके हाथों में थी। दिमाग घूम रहा था उसका उत्तेजना में। उसने ऐसे ही नेहा की लेफ्ट चूतड़ पे भी किया। दोनों हाथों से वो भारी सुडौल गाण्ड को रगड़ रहा था। गाण्ड के हर कोने को छू रहा था। उसके लण्ड से प्री-कम पानी की तरह बह रहा था।

नेहा की चूत का भी यही हाल था। समर का हाथ घूमते-घूमते गाण्ड की लकीर पे जाकर रुक गया। नेहा की सांसें भी रुक गई। समर लकीर पे ऊपर-नीचे अपनी उंगली चला रहा था। नेहा को पता था की वो उंगली क्या ढूँढ़ रही थी। कुछ ही पलों में वो मिल भी गया। नेहा की गाण्ड का छेद।
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01-30-2021, 12:32 PM,
#63
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर ने फिर अपनी पकड़ हल्की करी और फिर से उसे दबोचा। समर को तो जन्नत मिल गई थी। इतनी कोमल गाण्ड, कामुक गाण्ड उसके हाथों में थी। दिमाग घूम रहा था उसका उत्तेजना में। उसने ऐसे ही नेहा की लेफ्ट चूतड़ पे भी किया। दोनों हाथों से वो भारी सुडौल गाण्ड को रगड़ रहा था। गाण्ड के हर कोने को छू रहा था। उसके लण्ड से प्री-कम पानी की तरह बह रहा था।

नेहा की चूत का भी यही हाल था। समर का हाथ घूमते-घूमते गाण्ड की लकीर पे जाकर रुक गया। नेहा की सांसें भी रुक गई। समर लकीर पे ऊपर-नीचे अपनी उंगली चला रहा था। नेहा को पता था की वो उंगली क्या ढूँढ़ रही थी। कुछ ही पलों में वो मिल भी गया। नेहा की गाण्ड का छेद।

समर की उंगली ने अपनी दीदी की गाण्ड का छेद को छेड़ा । दोनों ही तिलमिला उठे। नेहा को थोड़ा अजब तो लगा, उसने समर को रोकना भी चाहा, मगर उसकी बाडी में जो सेन्सेशन आई थी वो उसे रोक रही थी। समर की उंगलियां दीदी की गाण्ड के छेद पर थीं। पाजामे की वजह से उसे छेड़ना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। मगर समर पूरी कोशिश कर रहा था।

मैं अपनी दीदी की गाण्ड को छेड़ रहा है, उनके छेद को छेड़ रहा हँ। कांप रहा था उसका शरीर नशे में। मगर वो गाण्ड को छोड़ नहीं रहा था। उसका मन किया की अपनी बहन का पाजामा उतारे और उसके छेद को चूम ले। ये सोचकर ही उसका लण्ड झड़ने को होने वाला था। मगर वो ये कर नहीं सकता था। वो बस एक हाथ से गाण्ड दबा रहा था और दूसरे हाथ से गाण्ड के छेद को उंगली करने की कोशिश कर रहा था।

नेहा- “हाए... समर, तू तो बहुत शातिर निकला। छेद को भी ढूँढ़ लिया। आआआ... मजा आ रहा है। करते रहो ऊमह हाँ..." नेहा बोली।

इतना मजा आ रहा था नेहा को की उसने अपनी गाण्ड और ऊपर उठाने की कोशिश की, और थोड़ा पीछे हो गई। जैसे ही उसकी गाण्ड थोड़ा पीछे हटी, उसपे एक बहुत हार्ड और सख्त चीज ने पोक किया। ये टच नेहा को करेंट लगा गया। उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी आँखें फट गई।

समर का लण्ड धंसा हुआ था नेहा की गाण्ड में। समर की आँखें बंद थी। वो तो अपनी बहन की गाण्ड पर झड़ने का इंतेजार कर रहा था। नेहा को अद्भुत नशा सा आ गया। मन किया की इस लण्ड को गाण्ड में ले ले। मगर अभी वो वक़्त नहीं आया था। वो हल्का-हल्का अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी। पाजामे के ऊपर से लण्ड को गाण्ड से मिलाने लगी। समर का लण्ड बेताब हो रहा था फटने के लिए। उसे इतनी खुशी कभी नहीं मिली थी, की तभी नेहा रुक गई और उठ गई। समर की आँख खुली, उसका दिल टूट गया। दीदी को भी अभी रुकना था। मगर उसे क्या पता था की उसकी बहन कुछ और सोच रही थी।
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01-30-2021, 12:32 PM,
#64
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
नेहा- “तूने मेरी गाण्ड को खुश कर दिया समर, और मुझे भी। तो अब इसका इनाम मिलेगा.." नेहा बोली और एक स्विफ्ट मोशन में अपने पाजामे को नीचे कर लिया।

समर तेज साँस लेता हुआ अपने कमरे में खड़ा था। दो कदम की दूरी पर उसकी बहन अपना पाजमा नीचे करे खड़ी थी। मिल्की सफेद नेहा की गाण्ड मानो कमरे में चमक रही थी। गाण्ड के दोनों गोलों के बीच से पिंक कलर की लेसी पैंटी दिख रही थी। वो पैंटी इतनी बड़ी नहीं थी की नेहा के पहाड़ जैसे चूटरों को ढक सके। दोनों चूतड़ आधे से ज्यादा दिख रहे थे।

समर को लगा उसके दिमाग के अंदर ढोल बज रहा हो। सच में बजी हुई थी उसकी। उसका लण्ड ऐसे धड़क रहा था मानो वो दिल हो, और असल दिल तो सीने से बाहर कूदने को हो रहा था। इतना सुंदर दृश्य... इतनी सुडोल गाण्ड... ऐसी गाण्ड जो उसने कभी पोर्न में भी ना दखी हो... एकदम पर्फेक्ट शेप... एकदम पर्फेक्ट साइज... कितनी सुंदर गाण्ड... उसकी दीदी की गाण्ड।

..
नेहा अपना पाजामा नीचे करके खड़ी थी, आँखें बंद थी, दिल धड़क रहा था, अपने आपको बेपर्दा महसूस कर रही थी। एक बड़ी बहन अपने छोटे भाई को अपनी गाण्ड के दर्शन करा रही थी। शर्म, हया को चीरते हए हवस बाहर

आ रही थी। नेहा को दो पल के लिए लगा की कहीं ये गलती तो नहीं, मगर उसका दिमाग तो उसे यही गलतियां करने को कह रहा था, और उसकी गीली चूत भी दिमाग का साथ दे रही थी।

नेहा- “अब कब तक ताकता रहेगा समर? आ यहां, जरा छूकर तो देख अपनी बहन की खाल, कैसी है?" नेहा बोली, वो खुद हैरान थी की उसके मुँह से कैसे शब्द निकल रहे हैं?

अपने नाचते हुए मन को सम्भालते हुए समर थोड़ा आगे बढ़ा और नेहा की गाण्ड के पास खड़ा हो गया। अगर वो थोड़ा और आगे बढ़ता तो उसका लण्ड नेहा की गाण्ड पे लग जाता। नेहा को भी ये पता था। तो वो खुद ही पीछे हो गई।

भाई बहन के मुँह से एक खुशी की आsss निकली। समर का तना हुआ लौड़ा नेहा के दायें चूतड़ पे दब गया था। नेहा अपनी गाण्ड की कोमल स्किन पर समर का गरम सख्त लण्ड महसूस करके नशे में थी। समर का हाल तो इससे भी ज्यादा बुरा था।

नेहा- “हाई, समर कितना सख्त है तेरा लण्ड?" नेहा की आवाज में हवस थी- “एम्म्म..."
“उम्म्म्म

..” समर का भी यही हाल था। उसे डर था की वो झड़ जायेगा अपनी बहन की गाण्ड पर।

नेहा- “चल भाई, लगा ले हाथ अपनी बहन की नंगी गाण्ड पर। इससे पहले की मेरा इरादा बदल जाए। चल, दबा ले, रगड़ ले अपने हाथों से मेरी गाण्ड...” नेहा अपनी गाण्ड और ज्यादा समर के लण्ड पे घिसते हुए बोली।
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01-30-2021, 12:32 PM,
#65
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
नेहा- “चल भाई, लगा ले हाथ अपनी बहन की नंगी गाण्ड पर। इससे पहले की मेरा इरादा बदल जाए। चल, दबा ले, रगड़ ले अपने हाथों से मेरी गाण्ड...” नेहा अपनी गाण्ड और ज्यादा समर के लण्ड पे घिसते हुए बोली।

समर को गाण्ड का छेद या चूत तो कतई नहीं दिख रही थी, वहां पर पैंटी या पाजमा था। मगर जो दिख रहा था वो उससे भी हद से ज्यादा खुश था। उसने अपने हाथ उठाए, मगर गाण्ड के ठीक ऊपर आकर वो रुक गया।

नेहा- चल समर, हिम्मत कर। गोल्डेन चान्स है."

और अगले ही पल समर के दोनों हाथों में अपनी दीदी की एक-एक चूतड़ थी। हाए क्या फीलिंग थी वो समर के लिए। जिंदगी में पहली बार उसने किसी लड़की के गुप्त अंग को छुआ था। एक गाण्ड.. वो उसकी खुशकिस्मती थी की उसकी पहली गाण्ड, दुनिया की सबसे सेक्सी गाण्डों में से एक थी। क्या मोमेंट था वो। भाई अपनी बहन की गाण्ड को छू रहा है। काँपते, थरथराते हाथ फेर रहा है। बहन मजे में साँस ले रही है, मुश्करा रही है। समय रुक सा गया है। कोमल, फूली हुई गाण्ड पे समर अब थोड़ा तेजी से हाथ फेरने लगा। अंग-अंग फड़क रहा था उसका, लण्ड भी।

नेहा- “दबा ना समर, दबोच..."

नेहा के कहने की देरी थी की समर ने जोर से उसकी गाण्ड को स्क्वीज किया- “आआआ...” मजेदार दर्द हुआ नेहा को। मेरी दीदी की गाण्ड कितनी ज्यादा कामुक है। मैं और कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा। उसने सोचा।

नेहा- “समर, स्पॅक माइ आस... मेक इट रेड... थप्पड़ मार उसपे.." नेहा को शायद ये दर्द अच्छा लग रहा था।

समर को समझ में नहीं आया की वो क्या करे?

नेहा- “मार.” नेहा फिर चिल्लाई।

सोचे समर का दायां हाथ ऊपर उठा और “फटाक" समर ने जोर से अपनी बहन की गाण्ड पे रखकर दिया।

नेहा- “आरगघी..." नेहा चिल्लाई।

समर ने नेहा की गान्ड पर 5-6 थप्पड़ जड़ दिए।

समर को ये करने में किंकी मजा आया। बिना नेहा के बोले उसने बहुत से थप्पड़ और जड़ दिए . थप्पड़ तगड़े नहीं थे, मगर समर को पता था की दीदी को दर्द तो हुआ होगा।

नेहा दर्द में चिल्ला और तिलमिला रही थी, मगर उसे मजा आ रहा। जब-जब उसकी गाण्ड पर थप्पड़ पड़ता वो जेल्ल की तरह काँपने लग जाती।

ये सीन देखकर समर और उत्तेजित हो गया। नेहा की गाण्ड अब एकदम गुलाबी हो गई थी, और चूत एकदम गीली। समर को उसकी गीली पैंटी दिख रही थी। उसका मन कर रहा था की सुबह की तरह फिर से चूत का पानी चखे।

नेहा की गाण्ड ऊपर-नीचे उछल रही थी। वो जानबूझ के अपनी गाण्ड को समर के लण्ड से रगड़ रही थी। समर का लण्ड बस फटने वाला था। उसका मन किया की दीदी की पैंटी हटाए और उसके छेद पे लण्ड रख दे। बस ये सोचने की देरी थी की, नेहा को अपनी गाण्ड पे कुछ गरम गीली चीज गिरती हुई महसूस हुई। नेहा समझ गई की क्या हुआ? उसने पीछे मुँह किया तो देखा की समर अपना लण्ड लिए खड़ा था, जिसके टोपे से वीर्य लटक रहा था।

समर- “आई आम सारी दीदी, मैंने आपको बताया नहीं..” समर बोला।

नेहा- “ठीक है... सही जगह पे झड़ा तू, मैं भी यही चाहती थी। हालाँकि मैं चाहती थी की तू थोड़ा और देर कंट्रोल करे.." नेहा ने अपनी गाण्ड पे लगा वीर्य चूसना शुरू कर दिया, और कहा- “शायद तुझे मेरी गाण्ड का छेद देखने को मिल जाता " उसने समर को टीज किया।

समर को अपने पे गुस्सा आया। नेहा की गाण्ड अभी भी नंगी थी, मगर उसपे लगा वीर्य वो चट कर चुकी थी। समर का लण्ड बैठने का नाम नहीं ले रहा था।

नेहा को पता था की वो अभी भी इस लण्ड के मजे ले सकती है, मगर कहा- “आज के लिए बहुत मजे दे दिये मैंने तुझे। अब सो जाते हैं.." नेहा ने अपना पाजमा ऊपर करते हुए कहा- “आखीरकार आगे के लिए भी कुछ बचाना है। क्यों?” ये कहकर नेहा ने समर के लण्ड से बचे हुए कम को निचोड़ा, और उसे हाथ में लेकर अपने कमरे में चली गई।

अगला दिन आया। सुबह के 11:00 बज चुके थे। नेहा अभी तक बेड पे ही थी।

नेहा की नींद टूट चुकी थी, मगर उठने का मन नहीं कर रहा था। रात को देर तक तो वो अपने भाई के साथ मजे ले रही थी। नींद कैसे पूरी होती? उसकी नंगी गाण्ड पर समर के हाथ, उसका लण्ड, उसका वीर्य। सपने जैसा लग रहा था। उसने याद किया की कैसे अपने कमरे में वापस आकर उसने एक-एक बूंद मुँह में ली थी अपने भाई के वीर्य की, और फिर अपनी चूत की आग बुझाई थी अपनी उंगलियों से।

उसके मन में तब एक ही चीज आ रही थी। समर का लण्ड... और वो उसकी चूत में कैसा लगेगा? सोचकर ही चूत में हलचल मच जाती थी। मगर वो अभी से इतनी दूर की नहीं सोच सकती। उसको धीरे-धीरे आगे बढ़ाने में मजा आ रहा था। वो उठी और अपने मिरर के आगे जाकर खड़ी हो गई। वो सिर्फ पैंटी और ब्रा में थी। उसने अपने चूचों को दबाया। अपने परी जैसे हश्न को सराहा। फिर चेंज करने बाथरूम चली गई। आधे घंटे बाद वो नीचे पहुँची। वहां देखा की उसके पेरेंट्स और समर पहले से खाने की टेबल पे बैठे है। सबसे पहले तो उसने जाकर अपने पापा को गले लगाया।

नेहा- “पापा... आप तो दिखते ही नहीं आज कल..” वो बोली।

यतीन- “क्या बताऊँ बेटा, काम ही इतना है.." यतीन बोला। सिर्फ उसको ही पता था की आफिस में क्या काम करता है? अपनी सेक्रेटरी सलमा का “काम"

नेहा- “बहुत बिजी हो गये हो... हम्म्म्म ..." नेहा बोली। अपने पेरेंट्स को देखकर उसे रात में सुनी उनकी बात याद आ गई। अपनी माँ की हताशा याद आ गई। लण्ड के लिए हताशा।

प्रीति- “चल नेहा तू ठीक टाइम पे आई है। मैं नाश्ता ही लगाने वाली थी..." प्रीति ने कहा।

नेहा ने प्रीति की ओर देख। उसने एक नाइट सूट पहना हुआ था। नेहा को पता था की उसकी माँ एक सेक्स बाम्ब है, इतनी खूबसूरत, इतनी हसीन। नेहा तो प्रार्थना करती थी की जब वो अपनी माँ जितनी हो तो वो भी इतनी सुंदर दिखे। प्रीति के नाइट सूट ने पूरा शरीर ढक रखा था, मगर उसकी क्लीवेज दिख रही थी। दिखे भी क्यों ना 36" इंच के चूचे ठकना आसान थोड़ी है। नेहा अंजाने में अपनी माँ के चूचे निहारने लगी।

प्रीति ने कहा- “चलो खाना शुरू करो..."

तब जाकर नेहा वापस होश में आई। सब खाने लगे।

समर इस बीच बस चुपचाप बैठा था। हो भी क्यों ना... कुछ घंटों पहले वो अपनी बहन की गाण्ड से खेल रहा था,

और अब वो बहन उसके सामने बैठी ऐसे रिएक्ट कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो। समर खा ही रहा था की तभी उसको अपने पाँवों पे कुछ रेंगता हआ लगा। वो किसी का कोमल पैर था। उसने नेहा की तरफ देखा जो उसके सामने बैठी थी। नेहा ने उसे आँख मारी और एक स्माइल दी। वो उसे टीज कर रही थी। समर अपनी हवा टाइट करे बैठा रहा।
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01-30-2021, 12:33 PM,
#66
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
नाश्ता करने के बाद समर और नेहा बर्तन धोने लगे।

नेहा- “ओये समर..." नेहा बोली।

समर- “हाँ... हाँ दीदी..” समर बोला।

नेहा- “मम्मी कितनी सेक्सी हैं ना... 42 साल की हो गई हैं, फिर भी कितनी हाट है यार। है ना?" नेहा बोली।

समर को ये सुनकर अजीब लगा। वो चुप ही रहा।

नेहा- “समर, तुझसे कुछ पूछा ना मैंने?" नेहा ने थोड़ा सख्ती से पूछा।

समर- “मैंने मम्मी को उस नजर से कभी देखा नहीं..” समर बोला, क्योंकी उसे शर्म आ रही थी।

नेहा- “ओह्ह... अच्छा... तो जा अब उस नजर से देखकर आ.." नेहा बोली।

समर को लगा की वो मजाक कर रही है। वो चुपचाप बरतन धोता रहा।

नेहा- “सुना नहीं.. जा मम्मी को उस नजर से देखकर आ.." नेहा ने उसको आर्डर दिया।

समर परेशान हो गया- “आर यू सीरीयस, दीदी?” समर ने पूछा।

नेहा- “हाँ... मैं बिल्कुल सीरीयस हूँ जा और मम्मी के बदन को उस नजर से देखकर आ। उनका चेहरा, उनके बाल, उनकी कमर, उनकी गाण्ड, उनके चूचे, सब..."

समर के माथे पे बल पड़ गये। ये दीदी क्या कह रही है? क्यों कह रही है? अपनी माँ के लिए। क्यों? मगर दीदी माँ को क्यों?” समर बड़बड़ाया। उसे बहुत अजीब लगा।

नेहा- “मैं चाहती हूँ की तुझे मम्मी के हुश्न और उनकी सेक्शीनेस के बारे में भी पता हो..." नेहा बोली।

समर को यकीन नहीं हुआ की उसकी बहन उसे क्या करने को कह रही है, कहा- “क्या मिलेगा इससे? मुझे समझ में नहीं आ रहा दीदी...” समर बोला।

नेहा ने समर की हालत पे गौर किया। उसे पता था की जो वो समर से करवा रही है वो बहुत गलत है, बुरा है, मगर उसके दिमाग में तो शैतान बसा हुआ था। ये गलत काम करने में मजा आने लगा था उसे, कहा- "तुझे समझने की कोई जरूरत नहीं है। जो मैं कह रही हूँ वो कर.." नेहा ने अपने गीले हाथों से अपने चूचे पकड़ लिए "नहीं तो ये सब भूल जा...”
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01-30-2021, 12:33 PM,
#67
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर का लण्ड जाग गया। उसे याद आया की दीदी की हर बात माननी ही है। क्योंकी वो अब दीदी के बदन को नहीं छोड़ सकता था। मन में सवालों के बावजूद वो मान गया। लण्ड की भावनायें दिल की भावनाओं पर भारी पड़ गई थी।

समर- “ओके... ओके दीदी..” समर बोला- “मगर मुझे करना क्या है? मुझे समझ में नहीं आया..."

नेहा- “कुछ ज्यादा नहीं। मम्मी के पास जा और उनके बदन को ढंग से देखकर आ। मगर एक बेटे की नजर से नहीं, एक मर्द की नजर से। फिर आकर मुझे बताओ की तुझे कैसा लगा अपनी मम्मी का शरीर?"

समर को ये सुनकर बहुत बुरा लगा। बहुत गुस्सा भी आया। मगर वो हाँ बोलकर वहां से चला गया। मम्मी को देखना ही तो है। दीदी को क्या पता मैं किस नजर से देखूगा। अपनी मम्मी को गलत नजर से थोड़े ही देखूगा मैं। जल्दी से जाकर देख लेता हूँ और दीदी को कुछ भी बता दूंगा। उसने यही सोचा। मगर होने कुछ और ही वाला था।

समर ने अपनी माँ, प्रीति को हाल में सफाई करते हुए पाया। वो सोफा चेयर पे खड़ी होकर ऊपर दीवार की सफाई कर रही थी। उसने अभी भी वही नाइटसूट पहना था। समर उसके पास जाकर खड़ा हो गया। बस मम्मी को देखना है। कुछ नहीं करना, बस देखना है। अपने मन में बस वो यही दोहरा रहा था। मन में कुछ गलत नहीं था उसके, मगर जब गलत होना हो तो हो ही जाता है। ना जाने क्यों, सबसे पहले उसकी नजर अपनी मम्मी की गाण्ड पे ही पड़ी। शायद इसलिए क्योंकी वो बहुत बड़ी लग रही थी।

प्रीति पूरी स्ट्रेच होकर सफाई कर रही थी, और इसकी वजह से उसकी गाण्ड बाहर निकल रही थी। ना चाहते हुए भी समर उसे घूरता गया। इतनी बड़ी... इतनी सुडोल... छी.... क्या कर रहा हूँ मैं? क्या हो गया है मुझे? समर ने सोचा और अपनी आँखें झुका ली। उसे गुस्सा और लालच आने लगी। अपने आपको रोक रहा था वो, पर ये काम ना आया। क्योंकी कुछ ही पलों में उसकी निगाहें फिर उठ गई।

फिर से वो अपनी मम्मी की गाण्ड को ताड़ने लगा। उसने देखा की उसकी मम्मी की गाण्ड नेहा से भी बड़ी थी।

थोड़ी चौड़ी थी, मगर फिर भी बहुत कामुक थी। सफाई की वजह से प्रीति की गाण्ड हिल रही थी। ये समर को और पागल कर रहा था। ये मैं गलत कर रहा हूँ, क्यों कर रहा हूँ? समर सोच रहा था मगर उसकी आँखें अपनी माँ से हट नहीं रही थी।

प्रीति अभी तक अपने काम में मगन थी। मगर अब उसने समर को अपने पास बुत बने खड़ा देखा, तो कहा “अरे समर, यहां क्या कर रहा है?"

समर अपने होश में आ गया- “माँ... वो मैं... वो मैं ऐसे ही खड़ा था..” उसने बोलते हुए कहा।

प्रीति ने कुछ सोचा नहीं- “अच्छा...” और वो फिर अपने काम में लग गई- “बेटे मैं और तेरे पापा आज तुम्हारे चाचा के यहां जा रहे हैं। एक घंटे में निकलेंगे और 3 घंटे में आ जायेंगे...” प्रीति बोले जा रही थी।

मगर उसका बेटा कुछ सुन नहीं रहा था। वो तो अपनी माँ के अंग-अंग को निहार रहा था। रंग एकदम गुलाबी गोरा, कमर ऐसी जो जवान लड़कियों को शर्मिंदा कर दे। कमर तक पहँचते घने काले बाल। नेहा और उसकी माँ में शायद ये ही अंतर था। नेहा के बाल जहां ब्राउन थे, वहीं प्रीति के काले। प्रीति का मुँह नेहा जैसा ही सुंदर और प्यारा। थोड़ा उमर का पता चलता था। मगर ज्यादा नहीं। 42 साल की प्रीति, 32 साल से ज्यादा की नहीं लगती थी। समर को शायद पहली बार एहसास हुआ की उसकी मम्मी कितनी ज्यादा सुंदर है।

उसने अपनी माँ की ब्यूटी को आज पहचाना था। वो भी अपनी बहन की वजह से। जो वो सोच रहा था, वो गलत था। मगर वो रुक नहीं रहा था। फिर उसकी नजर अपनी माँ की उस चीज पर पड़ी जो हर मर्द की चाहत होती हैं। चूचे.. अपनी माँ के बड़े-बड़े गोल-गोल चूचे।

चूचे... उसकी माँ के चूचे। वहीं पर नजर थी उसकी। नाइट सूट में कैद थे वो भारी भरकम मम्मे। समर को खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था। वो एक बेटा था और एक मर्द भी। उसके अंदर की दोनों साइड आपस में लड़ रही थी। एक उसे याद दिला रही थी की ये उसकी माँ है, तो दूसरी कह रही थी की ये एक सेक्सी औरत है। जिसके 38डी के बड़े-बड़े मम्मे हैं।
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01-30-2021, 12:33 PM,
#68
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
एक घंटे के अंदर प्रीति और यतीन घर से निकल गये थे। अब वो दो-तीन घंटे बाद ही आने वाले थे। नेहा ने एक मिनट भी बरबाद किए बिना समर को अपने कमरे में बुलाया।

समर अपने उछलते मन को लेते हए नेहा के कमरे में पहँचा। अंदर घुसते ही उसने पाया की नेहा अपने बिस्तर पे लेटी है। उसके चेहरे पे एक प्यारी सी मुश्कान है, आँखों में चमक है। ध्यान से देखने पे समर ने पाया की नेहा का एक हाथ उसके पाजामे के अंदर हिल रहा था। नेहा उंगली कर रही थी। समर का लण्ड उठने लगा। आज क्या होगा? ये सोच-सोचकर उसके पेट में तितलियां उड़ रही थी।

नेहा- “तेरा इंतेजार कर रही थी तो मुझे लगा की मैं खुद ही शुरू हो जाऊँ.." नेहा बोली। उसने अपना हाथ बाहर निकाला और समर के पास आकर खड़ी हो गई। एक हाथ उसने समर की गाण्ड पे रखा और उसे दबाया, दूसरा चूत के पानी से सना हुआ हाथ उसने सीधा समर के मुँह में घुसा दिया।

आज फिर समर को अपनी बहन की चूत का स्वाद मिला

नेहा- “ले भाई, चख ले मेरी चूत.." नेहा बोली।

समर खो गया उस टेस्ट में, और पागलों की तरह उसे चूसने लगा।

नेहा- “चल समर, आज मुझे तुझको पूरा नंगा देखना है, अपने कपड़े उतार। एक भी कपड़ा नहीं रहना चाहिये..." नेहा ने समर के कान में कहा।

समर ने एकाएक उंगलियां चूसना बंद कर दिया। नेहा ने अपना हाथ बाहर निकाला और समर के आगे बेड के किनारे पे बैठ गई- "स्ट्रिपिंग शुरू कर...” उसने कहा।

समर अभी तक अपनी बहन के सामने पूरा नंगा नहीं हुआ था। हल्की सी शर्म भी आ रही थी उसे। मगर नंगा तो होना ही पड़ेगा, दीदी ने जो कहा है। एक मोशन में उसने अपनी टी-शर्ट उतार दी। पाजामा भी उतर गया।

अंडरवेर में था। उसके अंदर उसका जागा हआ लण्ड साफ दिख रहा था। नेहा की चत गीली हो गई। समर ने अपने हाथ अपनी अंडरवेर में फँसाए और अगले पल वो एकदम नंगा हो गया।

नेहा की आँखों ने ऐसी दृश्य पहली बार देखी थी। एक मर्द, बिना किसी कपड़ों के... उसके सामने और ये मर्द और कोई नहीं, उसका अपना छोटा भाई था। आग लग गई नेहा के शरीर में। वो अपनी जगह से उठी और समर के पास आई। उसने उसके शरीर को ध्यान से देख। स्लिम और फर्म बाडी थी उसकी। मसल्स कम थीं, मगर फिर भी बहुत अट्रैक्टिव लग रहा था।

नेहा बोली- “जरा घूम तो.."

समर जो अब तक शर्म से लाल हुआ खड़ा था, अपनी बहन के लिए घूमा।

नेहा ने उसकी गाण्ड देखी। जो उसे अच्छी लगी। लण्ड तो उसे पहले से ही भाया हुआ था। वो एकदम समर के पास आ गई- “हाट है तू छोटे भाई..” ये बोलकर वो उसकी बैक पे हाथ फेरने लगी।

समर को थोड़ा प्राउड महसूस हुआ। नेहा धीरे-धीरे उसकी पीठ नोंच रही थी। मगर समर को मजा आ रहा था। नेहा का हाथ फिर सीधा समर की गाण्ड पर गया। वो उसे दबाने लगी।

नेहा- “कल रात को मेरी गाण्ड के बहुत मजे लिए थे ना तू...” वो बोली- “अब मेरी बरी...” ये बोलकर वो उसे
और जोरों से दबाने लगी।
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01-30-2021, 12:33 PM,
#69
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर को मजा भी आ रहा था और अजीब भी लग रहा था। नेहा समर की गाण्ड पे जोर-जोर से थप्पड़ जड़ने लगी। ऐसा लगा मानो कल रात का बदला ले रही हो। नेहा के मन की हवस दिख रही थी। वो गरम हो चुकी थी। समर को भी अपनी दीदी के कोमल हाथ अपनी गाण्ड पर पड़ते अच्छे लग रहे थे।

फिर नेहा ने एकदम से समर को घुमा दिया। समर चाहता था की नेहा अब उसके लण्ड को सहलाए। मगर नेहा ने अपने हाथ समर की छाती पर रख दिए। वो वहां अपने हाथ घुमाने लगी। उसके कोमल हाथ अपने भाई की छाती नाप रहे थे। नेहा ने फिर दोनों तरफ अपने हाथ रखे और जोर से उसकी छाती नोच ली।

समर- “अयाया...” समर के मुँह से चीख निकली।

नेहा- “क्यों समर, तू भी यही चाहता है ना? ऐसे ही नोचना चाहता है ना मेरी छाती?” नेहा ने फिर से उसकी छाती दबाते हुए कहा।

हाँ वो यह चाहता था। उसकी आँखें अपने आप नेहा के चूचों पर चली गई। वो दो फर्म मम्मे उसके टाप से आजाद होने के लिए मर रहे थे। कब मिलेगा मुझे इनपे हाथ रखने का मौका? वो सोच रहा था।

नेहा- “बोल... चाहता है तू इनसे खेलना.” नेहा ने अपने कूल्हों पर हाथ रख दिया, और कहा- “बोल?"

समर- “हाँ.. दीदी..” समर ने खुद को और नेहा को हैरान करते हुए बोल ही दिया- “मैं आपके मम्मों को छूना चाहता हूँ, उनसे खेलना चाहता हूँ..."

नेहा सुनकर हैरान हो गई। उसकी आँखें चौड़ी हो गई और मुँह पे एक मुश्कान आ गई- “वाह समर... काफी खुल गया है। अच्छा लगा..." नेहा बोली।

मगर समर तो सुन नहीं रहा था। वो तो ये सोच रहा था की उसके मुँह से ये शब्द निकले कैसे? ये क्या कह दिया उसने? लेकिन नेहा के अगले शब्द सुनकर उसका और उसके लण्ड दोनों का ध्यान वापस आ गया।

नेहा- “चाहती तो मैं भी यही हूँ की तू इनसे खेले, इनको नोचे, इनको चूसे..." नेहा बोली- “मगर जल्दी क्या है? हम अभी बहुत कुछ कर सकते हैं..." और उसने अपना पाजमा उतार दिया, फिर नेहा ने नजरें ऊपर की।

समर की आँखें फटी हुई थी। उसकी बड़ी बहन उसके सामने अपनी नंगी टाँगें लिए खड़ी थी। टांगों के बीच में एक काली पैंटी दिख रही थी, जो
उसकी चूत को ढक रही थी। उसका टाप छोटा था जिसकी वजह से पैंटी के ऊपर थोड़ा उसकी सेक्सी वेस्ट दिख रही थी। क्या सीन था। इतना प्यारा रंग था नेहा का। ऐसा जिसे देखकर बुरे से बुरा वक्त अच्छा बन जाए। गुस्से से लाल हुआ इंसान, खुशी से खिलखिला उठे। वाह... गोरे सफेद रंग में हल्का सा गुलाबी निखार।

नेहा को उसके इस मूव का रिएक्सन समर के लण्ड पे दिख रहा था, जिसका टोपा अब प्री-कम से गीला हो गया था। नेहा के मुँह में ये देखकर पानी आ गया। वो अपने भाई के सामने अर्धनग्न खड़ी थी। दिल उसका भी तेजी से धड़क रहा था। अंग प्रदर्शन करके उसकी चूत में भी हलचल हो रही थी। उसने अपनी मखमली टांगों को आपस में मसला।

समर की आँखें उसकी टांगों पर ऊपर से नीचे दौड़ रही थी। नेहा की लंबी टाँगें बहुत ज्यादा हाट थी। रंग तो था ही सेक्सी, एक भी बाल नहीं था। देखकर ही मखमल से भी ज्यादा नरम लग रही थी। समर का मन किया की उसकी टाँगें चाट जाए। उसकी आँखें आगे बढ़ीं और अपनी बहन की ब्लैक पैंटी पे आकर रुक गई। वो 'वी' की शेप में उसकी चूत को छुपा रही थी। हाए.. कितना मन था समर का की नेहा वो भी उतार दे। कैसी होगी दीदी की चूत?

नेहा ने देखा की समर उसकी पैंटी देख रहा है। उसने अपना हाथ अपनी पैंटी के ऊपर चूत वाली जगह पर रख दिया, और कहा- “अभी तुझे मेरी चूत नहीं दिखेगी भाई, अभी उसमें टाइम है." नेहा बोली।

अपनी बहन के मुँह से चूत शब्द सुनकर समर के लण्ड में और खून चढ़ गया।
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01-30-2021, 12:33 PM,
#70
RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
चूचे... उसकी माँ के चूचे। वहीं पर नजर थी उसकी। नाइट सूट में कैद थे वो भारी भरकम मम्मे। समर को खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था। वो एक बेटा था और एक मर्द भी। उसके अंदर की दोनों साइड आपस में लड़ रही थी। एक उसे याद दिला रही थी की ये उसकी माँ है, तो दूसरी कह रही थी की ये एक सेक्सी औरत है। जिसके 38डी के बड़े-बड़े मम्मे हैं।

प्रीति सफाई में खोई हुई थी। वो साफ करने के लिए दीवार को रगड़ने लगी। इस वजह से उसका शरीर भी हिलने लगा, और शरीर के साथ झूलने लगे उसके चूचे।

एक और चीज झूल रही थी- समर के कच्छे के अंदर पड़ी चीज। समर सख्त हो रहा था। अपनी माँ को देखकर। ना चाहते हुए भी, खुद को इतना समझाने के बाद भी, ये हो रहा था। अपनी मम्मी के सुपर साइज के चूचे देखकर समर पागल हुआ जा रहा। प्रीति के चूचे नेहा जैसे तने हुए नहीं थे, उमर की वजह से थोड़े लटक से रहे थे। लेकिन आज भी वो चूचे एक मुर्दे का लण्ड खड़ा कर सकते थे। ऊपर-नीचे उछलते मम्मों ने समर के लण्ड से प्री-कम निकलवा दिया।

माँ अपने काम में मगन थी, उसे आइडिया तक नहीं था की उसका बेटा उसके उछलते चूचों को देख रहा है और उसका लण्ड गीला हो रहा है। प्रीति ने कुछ देर बाद सफाई पूरी की। वो सोफे से नीचे उतरी तो देखा की समर अब भी वहीं खड़ा है। उसे थोड़ा अटपटा लगा।

प्रीति- “समर... क्या हो गया है तुझे... तू अभी तक यहीं खड़ा है? तेरी तबीयट तो ठीक है?" प्रीति ने पूछा। वो पशीने से थोड़ी गीली हो गई थी। उसके गले से होता हुआ पशीना उसकी खाईं जैसी क्लीवेज में घुस रहा था।

समर का लण्ड लाल होने लगा, कहा- “मोम वो... वो आपसे कुछ बात करनी थी..” उसने ऐनीवे जो मन में आया बोल दिया।

प्रीति ने पूछा- “क्या बात करनी है?"

समर- "वो... वो...” उसे समझ नहीं आया की क्या बोले? फिर कहा- “वो आज शापिंग करने चलते हैं..." उसके दिमाग में यही आया।

प्रीति- “आज... तू पागल है? अभी तो तुझे बताया की मैं और तेरे पापा तेरे चाचा के यहां जा रहे हैं। सोया हुआ
था क्या?" प्रीति ने नाराजी भरी आवाज में कहा।

सोया नहीं, खोया हुआ था समर उस वक्त। वो भी खुद अपनी माँ में।

समर- “ओहह... हाँ सारी मोम... भूल गया था..” उसने कहा- "ठीक है। अगले हफ्ते चले जायेंगे शापिंग..” ये बोलकर समर वहां से उल्टे पाँव भाग गया।

“अई......” प्रीति ने कहा ही था, मगर समर निकल गया। समर का बिहेवियर उसे अजीब सा लगा था। पता नहीं
क्या चाहता है ये लड़का?

समर झट से अपने कमरे में चला गया। उसे यकीन नहीं हुआ की क्या हुआ? उसका लण्ड तना हुआ, अपनी माँ के लिए। अपनी माँ की जो साइड उसने आज दखी थी वो पिचले 18 सालों में नहीं देखी थी। कितना हसीन बदन है मम्मी का, कितना सेक्सी। उसे समझ में नहीं आ रहा था की अपनी बहन पे गुस्सा हो की उसने माँ के ऐसे विचार दिमाग में डाल दिए, या उसको शुक्रिया अदा करे, की उसने माँ की इतनी सेक्सी साइड से उसका परिचय करवाया? वो अपने लण्ड को बाहर निकालने ही वाला था की तभी उसके दरवाजे पे दस्तक हई।

नेहा- “समर.." नेहा की आवाज थी।

अपने लण्ड पे काबू करते हुए उसने दरवाजा खोला।

नेहा- “कैसा लगा माँ का बदन?” नेहा ने पूछा, मगर इससे पहले समर कुछ बोलता वो खुद ही बोली- “अच्छा, ये मुझे बाद में बतइयो। तुझे पता है की माँ पापा बाहर जा रहे हैं?”

समर- “हाँ... चाचा के यहां..” समर ने कहा।

नेहा- “इसका मतलब क्या है, पता है?" नेहा ने पूछा।

समर ने पूछा- “क्या?"

नेहा- “मतलब, हम दोनों अकेले होंगे घर पे। एकदम अकेले...”
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