RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क आगे.....................
रितिका सन्न पड़ गयी थी अंकित की ये बात सुन की....पर वो भी एक समझदार यूएस में रहने वाली लड़की
थी उसे पता है कि क्या जवाब देना है..
रितिका :- तुमको मेने क्या समझा और तुम क्या निकले...मेने तुम्हे मजबूर किया..मेने
अंकित :- (बीच में रोकते हुए) अच्छा उस दिन साड़ी का पल्लू गिरा के...और छोटे छोटे कपड़े पहन
के सामने आना..सब कुछ जान बुझ के ही तो करा है...
रितिका :- यू अरे ... युक मेने ऐसा सोचा भी नही था कि तुम ऐसी सोच रखते हो...यू इंडियन्स आर जट्ट
तुम लोग इन छोटे कपड़ों से समझते हो कि लड़कियाँ तुम्हारे साथ...च्ीी...कितनी घटिया सोच है
तुम्हारी.....
अंकित :- ओ मेडम यह्न लेक्चर सुनने के लिए नही खड़ा हूँ में....और ढंग से सुन ले हम तो
ऐसे ही हैं....अब तुम ऐसे अपने अंग दिखाओगी वो कुछ नही...जान बुझ के साड़ी का पल्लू गिराना
और इतने कम कपड़े पहन के मेरे सामने घूमना....वो गंदा नही है..
रितिका :- छी.....इससे पहले कि में तुम्ही घर से धक्के मार के निकाल दूं .. गेट आउट ऑफ माइ हाउस
और अपनी शक्ल मत दिखाना मुझे....बाहर से इतने अच्छे बनते हो और अंदर सी इतनी घटिया सोच
(अपनी गर्दन साइड कर लेती है...नज़री नही मिलाना चाहती थी उससे)
अंकित को तो पता नही क्या हो गया था..इस वक़्त वो दिमाग़ से काम नही लेता..
अंकित :- क्यूँ जाउ..हाँ...एक बार मेरे साथ सेक्स कर भी लेगी तो क्या फ़र्क पड़ जाएगा तुझे...वैसे
भी 5 साल से तेरे साथ किसी ने किया नही है..इस खूबसूरत जिस्म की तो सुन कम से कम..कब तक तडपा
के रखेगी....(ये लाइन बोल के तो सारी हादे तोड़ दी उसने)
रितिका ये सब सुन के उसे इतना गुस्सा आया...कि उसने अपना मूह उपर करा..और एक और ज़ोर दार
तमच्चा....चटाकककककककककककककक अंकित के गाल पे रसीद दिया......
रितिका की आँखें भर गयी थी....
रितिका :- यू बस्टर्ड...बोलते हुए शरम नही आई....इतनी घटिया और गंदी सोच रखते हो तुम....क्या सोचा
था तुम्हारे बारे में और क्या निकले तुम...अरे तुम जैसे लड़कों को जीने का हक नही होना चाहिए..
जस्ट गेट आउट इससे पहले कि में तुम्हारे साथ कुछ कर दूं..निकल जाओ मेरे घर से....जस्ट गो अवे
फ्रॉम हियर..अपनी ये गंदी शक्ल लेके जाओ यहाँ से....
लेकिन शायद अंकित ने कुछ और सोच रखा था...उसका दिमाग़ इस वक़्त अपने ठिकाने पे नही था
अंकित :- ठीक है चला जाउन्गा.....लेकिन उससे पहले मेरा क़र्ज़ लिया हुआ मुझे वापिस दे दो
में चला जाउन्गा....
रितिका उसे घूर्ने लगती है...कि ये लड़का क्या बोल रहा है..
अंकित :- अब याद नही आ रहा और ना ही समझ आ रहा है कि में क्या बोल रहा हूँ..वैसे तो बड़ी
समझदार है तू..और अब तुझे समझ नही आ रहा है ना.....
तो में समझाता हूँ..याद कर..तूने मुझे क्या कहा था ... कि में तेरा एहसान कभी भूल
नही पाउन्गा में तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकती हूँ...कहा था ना ऐसा...दिमाग़ पे ज़ोर डाल...
रितिका ये बात सुन के सोच में पड़ जाती है...कि उस दिन जब आर्नव को अंकित ने बचाया था..तब
रितिका ने बोला था अंकित से..
में आपका ये एहसान कभी नही भूलूंगी...में हर कीमत पर आपके लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ
जो माँगॉगे वो दूँगी..
रितिका को जब ये लाइन दुबारा मेमॉरीयीड हुई...तब उससने अपनी नज़रे उठा के अंकित से मिलाई ..
रितिका की आँखें नम थी..उधर अंकित मुस्कुरा दिया..
रितिका :- हाँ दी थी....(बड़ी हिम्मत से उसने ये बोला)
अंकित :- चलो अच्छा है याद आ गया...तो अब वो वक़्त आ गया है....हाँ आ गया है....मेरा एहसान
चुकाने का वक़्त आ गया है.....और उस एहसान की कीमत है
तू....तू....एक बार तुझे मेरे साथ सोना पड़ेगा...यू हॅव टू स्लीप वित मी...यही है तेरी कीमत तेरे
बच्चे को बचाने की....यही है मेरी कीमत तेरे बच्चे की ज़िंदगी की......
अंकित की ये बात रितिका के कानो में पड़ी...तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गयी उसे बिल्कुल
उम्मीद नही थी.....उसे बिल्कुल उम्मीद नही थी कि अंकित कुछ ऐसा भी कर सकता है.....
वो किचन की स्लॅप का सहारा लेके खड़ी हो गयी.....एक पल के लिए वो टूट गयी...
लेकिन फिर उसने हिम्मत कर के बोला..
रितिका :- इस घटिया सोच को में कभी नही भुला सकती जो तुम्हारे पास है...में तुम जैसे घटिया लड़के
के साथ सोना तो दूर...हाथ भी ना लगाने दूं...औकात देखी है अपनी..कुछ नही है मेरे सामने तेरी
चला जा यहाँ से .. और अपनी शक्ल मत दिखाना....और अगर तूने कुछ भी ज़बरदस्ती किया तो में
पोलीस बुलाउन्गी...और तेरे घर वालों को बुला के तेरी गंदी घटिया और गिरी हुई हर्कतो के बारे में
बताऊगी....
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