RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
अंकित :- थॅंक यू सो मच मॅम..आपसे बात करके सच में बहुत अच्छा लग रहा है..एक दिल पे जो
बोझ था वो काफ़ी हद तक कम हो गया..
अंकिता :- ह्म्म गुड...अब से तुम्हारी स्टडीस की ज़िमेदारी मेरी..घर दिखा दिया है तुम्हे यहाँ आके
एक्सट्रा क्लासस लूँगी तुम्हारी...समझी..
अंकित (हल्का सा मुस्कुराते हुए) ह्म्म....
शाम के 5 बजे
अंकित अपने घर की तरफ बढ़ रहा था...वो आज कुछ थोड़ा सा खुश था..अंकिता से बात करके उसका
मन काफ़ी हल्का महसूस हो रहा था...तभी फोन बजा
अंकित :- हेलो...नही...लेकिन....पर..में....नही नही...ओके...ओके..
(फोन कट)
और उसके चेहरे पे गंभीर भाव बन जाते हैं ......
अंकित दिल में घ्हबराहट लिए चल रहा था और आख़िर में एक जगह जाके रुका...और अपने काँपते
हाथ आगे बढ़ा के बेल वाले बटन पे रखा .... लेकिन दबाने में डर रहा था..कुछ सेकेंड
तक वो ऐसी ही खड़ा रहा .. हिम्मत जुटाता रहा था....आख़िर में उसने वो धीरे धीरे उस खाटके
को नीचे किया...
टिनग्ज्ग ट्टोंगगगग.......दबाते ही घंटी बज गयी..अंकित ने वहाँ से हाथ हटा लिया..
और खड़ा होके इंतजार करने लगा...उसका दिल ज़ोरों से धड़क रहा था....
तभी गेट खुला....और सामने खड़े इंसान को देख के उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी..
अंदर आओ.....हल्की सी आवाज़ में रितिका बोली और अंदर चली गयी..लेकिन अंकित बाहर खड़ा यही सोचता
रहा की आख़िर ये हुआ क्या रितिका को.....
कैसे हुआ ये सब....उसका चेहरा बिल्कुल बदल गया था...आँखों के नीचे काले धब्बे यानी डार्क
सिकलेस पड़े हुए थे...चेहरा बिल्कुल सूख गया था..एक दम कमजोर सी हो गयी थी....चेहरे पे जो
ग्लो था वो सब ख़तम हो चुका था...
क्या ये सब मेरी वजह से हुआ है....अंकित ने मन में सोचा..और आख़िर वो अंदर घुसा....सामने
रितिका खड़ी थी हॉल में शायद उसी के आने का इंतजार कर रही थी..
अंकित :- आर्नव कहाँ है? (घुसते अंकित ने ये पूछ लिया)
रितिका बिना बोले अपने कमरे में घुस जाने लगी...अंकित ने शायद ये समझा कि वो अंकित को वहाँ
उसके साथ आने को बोल रही है..तो वो उसके पीछे पीछे अंदर घुस गया...अंदर कमरे में घुसा
तब सामने रितिका खड़ी थी..
अंकित :- आर्नव कहाँ है रितिका जी?
रितिका :-(उसकी पीठ थी अंकित के सामने) आर्नव घर पे नही है....
घर पे नही है..अंकित बड़बड़ाया....
अंकित :- लेकिन आपने तो इसलिए बुलाया कि आर्नव ने ज़िद्द करी है इसलिए आ जाओ..
रितिका :- वो सिर्फ़ एक बहाना था....
अंकित :- बहाना था....लेकिन क्यूँ??
रितिका :- क्यूँ...ये तुम पूछ रहे हो क्यूँ.....तुम अच्छी तारह से जानते हो..
भूल गये वो दिन जब तुमने मुझे वो सब वर्ड्स कहे थे...याद है ना तुम्हे....
तुम यही सोच रहे हो ना मेरी ये हालत कैसी....तो सुनो ये हालत उस दिन के बाद से ऐसी हुई है...
रात रात भर मेने जाग के काटी हैं....3 महीने हो गये लेकिन ढंग से सोई नही हूँ में...
नींद की गोलियों के सहारे सोना पड़ रहा है....मेरी हेल्त खराब हो गयी है...इंजेक्षन्स लेने
पड़ते हैं मुझे..लेकिन उससे सिर्फ़ ये शरीर सही है...आत्मा नही....
हर रोज़ जब भी अपनी आँखें बंद करती हूँ...जो तुम्हारे वो वर्ड्स कान में घूमते हैं....
मेरे बेटे की ज़िंदगी की कीमत हूँ..मैं...तुम मुझे पाना चाहते हो...ये है तुम्हारी कीमत मेरे
बेटे की ज़िंदगी बचाने की......मेरा शरीर....बॅस यही दिमाग़ में घूमता रहता है...
उसके बाद तुम्हारी माँगी गयी वो माफी.....मुझे समझ ही नही आ रहा कि में कौन सी बात पे विश्वास
करूँ....तुम्हारी अच्छाई पे या तुम्हारे उस घटिया पन पे....तुम्हारे लिए वो कहे हुए शब्द बड़े ही
आसान थे...तुम तो बोल गये..लेकिन तुमने मेरी ज़िंदगी बदल के रख दी....
हर वक़्त अंदर की आत्मा से यही आवाज़ आती कि रितिका तूने अपने बेटे की ज़िंदगी का वादा किया था वो
भी पूरा नही कर पाई....उस दिन से बस यही बात घूमती आ रही है..कि मेरा दिया हुआ वादा एक एहसान
जो तुमने मुझ पर किया था उसको नही पूरा कर पाई...लेकिन पूरा करती भी तो कैसे..तुमने माँगा
ही कुछ ऐसा था कि दिल राज़ी होने को तैयार नही था..लेकिन फिर कल...कल के सपने के बाद मुझे अपने
दिल को मारना पड़ा.....कल के सपने में मेने देखा कि मेने खो दिया अपने आर्नव को वो भी सिर्फ़
इसलिए कि मेने उस इंसान को उसका हक नही दिया जिसने मेरे बेटे की ज़िंदगी बचाई थी.....
अंकित को उसके कानो पे विश्वास नही हो रहा था उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उसकी एक
ग़लती ने क्या कुछ कर दिया....फिर उसने हिम्मत जुटा के बोला..
अंकित :- मुझे अपनी ग़लती उसी दिन रियलाइज़ हो गयी थी..मेने उस दिन भी आपसे माफी माँगी थी और आज
भी माँगता हूँ...आपको जो सज़ा देनी है दे दीजिए..में तैयार हूँ..
रितिका :- अब सज़ा देने का वक़्त नही है..
अंकित :- लेकिन में नही चाहता कि मेरी वजह से आपको अब कोई भी तकलीफ़ हो...
रितिका कुछ नही बोलती.....वो अपने हाथ पीछे लेकर आने लगती है...
रितिका ने एक वाइट कलर का कुर्ता सा पहना हुआ था.....अपने हाथ को पीछे ले जाते हुई उस कुर्ते में
ज़िप थी...उसे खोलने लगती है..और खोलती हुई पूरी ज़िप खोल देती है...
अंकित रितिका को ऐसे ज़िप खोलता देख .. पूरी तरह से हिल जाता है..उसे समझ नही आ रहा था कि रितिका
क्या कर रही है..उसके मूह से कुछ निकलता उससे पहले..
रितिका ने अपने हाथ से पीछे से अपने शोल्डर के उपर से टॉप को नीचे गिरा दिया...और सेम
उसने दूसरे शोल्डर के उपर से किया...अब पीछे से उसकी उपर की वो सुंदर कोमल सफेद पीठ अंकित
की आँखों के सामने आ गयी......अंकित का तो ये देख के बुरा हाल ही हो गया...
फिर रितिका अचनाक मूड गयी और अंकित की तरफ फेस करके खड़ी हो गयी....और अपना हाथ कुर्ते में से
खीच के बाहर करने लगी..और दोनो हाथ बाहर कर लिए...अब वो बूब्स के उपर से पूरी न्यूड हो गयी
थी...उसके उपरी भाग के चुचें बाहर से दिख रहे थे..बाकी पे उसका कुर्ता था..
अंकित के सामने ये नज़ारा आते ही उसने अपनी नज़रे नीचे कर ली.....
अंकित :- ये क...या....कर...रही है..आप...
रितिका :- वही तो तुम चाहते हो..
अंकित :- प्लीज़ मत कीजेए...में अब कुछ नही चाहता..
रितिका :- अगर तुम्हे लगता है कि में ज़िंदा रहूं तो अपनी कीमत तुम ले लो..
अंकित ये सुन के सामने नज़रें करता है उसे बहुत बुरा लग रहा था.....लेकिन अब वो मजबूर था क्यूँ कि
वो अपनी वजह से रितिका को ऐसी हालत में नही देख सकता था...
और फिर रितिका ने अंकित को घूरते हुए..अपने कुर्ते को आगे से नीचे कर दिया....और नीचे करते
ही...उसके वो ठोस...36 साइज़ के बड़े बड़े चुचें जिनपे लाइट ब्राउन कलर के निपल्स थे
वो सामने आ गये.....
अंकित की आँखें फटी की फटी रह गया...ना चाहते हुए भी उसका लंड जीन्स के अंदर से कूदने लगा...
रितिका ने वो कुर्ता पैर के थ्रू निकाल के अपने से अलग कर दिया और फैंक दिया अब वो उपर से
बिल्कुल नंगी हो चुकी थी...फिर उसने नीचे पहना हुआ पाजामा ढीला किया और अपनी उंगलियाँ
फँसा कर उसे ढीला कर दिया और वो भी सीधा पैरों पे जा गिरा उसने वो भी पैर पे से निकाल के
साइड कर दिया.....
पाजामा उतरा उधर अंकित का लंड आसमान छूने लगा...अच्छाई के आगे एक बार फिर वासना ने अपना
रूप ले लिया....रितिका ने पैंटी नही पहनी हुई थी...वो इस वक़्त पूरी नंगी खड़ी थी...एक दम गोरी चिटी..
सपाट पेट और सेक्सी हॉट लेग्स वित थाइस...और बीच में वो कोरी...चिकनी चूत...बिना बाल के...
अंकित की आँखों में अब वासना झलकने लगी...कॉसिश करने के बाद भी वो वासना नही उतर सकती थी..
रितिका चलते हुए अंकित के पास आई...
रितिका :- यही चाहिए ना..एक शरीर...शरीर तो तुम्हे मिल जाएगा...लेकिन तुम ऐसे कभी किसी की आत्मा
को छू नही पाओगे...
(बोलते हुए अंकित की जीन्स खोल देती है....उसकी टीशर्ट उतार के फैंक देती है....उपर से अंकित भी नंगा
हो जाता है..जीन्स का बटन तो खुल गया था उसे उसने नीचे खिसका दिया.....कच्छे में अंकित का
लंड सॉफ दिखाई दे रहा था.....रितिका ने अपनी नज़रे दूसरी तरफ करी..और उसके कच्छे को खिसका दिया..
अब अंकित पूरा नंगा खड़ा था रितिका के सामने...इनफॅक्ट दोनो नंगे हो चुके थे और एक दूसरे
के सामने खड़े थे...
अंकित को समझ नही आ रहा था कि कैसे रिएक्ट करे..एक तरफ तो उसका दिल बोल रहा था कि ये सब ग़लत है.
लेकिन वासना ने उसे ऐसा बोलने नही दिया....
रितिका ने अंकित का हाथ पकड़ा और पलंग तक लेके आई...और खुद जाके उस बड़े से बेड पे
लेट गयी पीठ के बल..अपना शरीर पूरा खोल कर......
रितिका :- आज के लिए ये तुम्हारा है.....
अंकित ने रितिका की शायद बात सुनी नही..वो तो रितिका के पूरे शरीर को नीची से उपर तक
देखने लगा ... पैरों से लेके उसके चुचों तक उसकी नज़र चिपकी रही.....उसका लंड फडफडाने
लगा और हिलता हुआ सॉफ दिखाई दे रहा था....
कुछ सेकेंड तक वो ऐसे खड़ा रहा...फिर वो बेड पे चढ़ता हुआ रितिका की बगल में आके लेट
गया....और रितिका को घूर्ने लगा...कुछ मिनट तक ऐसे ही घूरता रहा....
रितिका उसकी तरफ ना देखते हुए बोली....
रितिका :- टाइम ज़्यादा नही है..आर्नव घर आ गया तो फिर......(बस वो बोलती हुई चुप हो गयी)
फिर अंकित सीधा खड़ा हुआ और रितिका के उपर आ गया.....अभी उसने अपना शरीर रितिका के शरीर
से टच नही किया था..बस दोनो तरफ उसके अपने घुटने और हाथ की कोहनी रख के उसके उपर आ
गया था.....
क्रमशः...........................
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