RE: Desi Sex Kahani एक आहट "ज़िंदगी" की
गतान्क से आगे..............
कुछ 5 मिनट तक ऐसे ही होंठो और जीब को चाटने के बाद अलग हुए..दोनो की साँसे चढ़ि
हुई थी....
अंकित :- रितिका ...
स्शह होंठो पे उंगली रखते हुए......
रितिका :- कुछ मत बोलो...अब ब्लिकुल नही...अब तुम्हे जो करना है वो करो लेकिन कुछ मत बोलो..
अंकित उसकी बात को समझ जाता है और फिर नीचे की तरफ आने लगता है और पलंग से उतर जाता है..
और अपनी बेल्ट खोल के जीन्स उतार देता है...रितिका उसे अपनी आँखों से घूर्ने लगती है....
जैसे ही जीन्स नीचे उतारती है रितिका के दिल की धड़कन किसी सूपर एक्सप्रेस ट्रेन की तरह भागने लगती
है.....अंदर कच्छे में अंकित का लंड...जिसका आज पता चलने वाला था..
कच्छे के अंदर से तो वो काफ़ी ख़तनाक था किसी भी चूत के लिए क्यूँ कि कच्छा पूरा फूला पड़ा
था और अंदर पड़ा लंड बाहर से अलग चमक रहा था...
अंकित रितिका के पास आया उसका पेटिकोट खिचा रितिका की कमर अपने आप ही उपर उठ गयी और अंकित ने
उसका पेटिकोट खिच के उतार दिया और फैंक दिया ज़मीन पर..
अंकित का लंड एक हल्का सा झटका ख़ाता है कच्छे के अंदर ही ऐसे कोमल सुंदर हॉट हॉट लेग्स को
देख के.....रितिका ये देख लेती है...उसकी तो साँसे बिना कुछ करे ही उखाड़ रही थी.....उसके चुचें
उपर नीचे तेज़ी से हो रहे थे.....
अंकित की नज़र जब पेंटी पे गई तो उसके लंड ने दो चार और झटके मारे क्यूँ की पेंटी चूत वाली
जगह से बेहद गीली पड़ी थी..और उस शरीर पे एक मात्र सिर्फ़ वही बची थी...इतना कातिलाना शरीर लग
रहा था रितिका का.....
छोटी सी कच्छि थी बस...पूरी शरीर पे..और उसके नीचे वो टाँगे ..अंकित ने अपने हाथ आगे
बढ़ाए और उपर से टाँगों को अपने हाथ से सहलाता हुआ नीचे आने लगा...
रितिका के पैर बुरी तरह से कांप गये......
फिर अपने होंठ आगे बढ़ा के अंकित ने अपने होंठ रितिका की थाइस पे रख दिए और वहाँ चूमने
लगा..
अहह...बड़े ही प्यारी सिसकी उसके मुँह से निकली....उसको आज इतना सुकून मिल रहा था मानो कोई
उसके शरीर की सेवा कर रहा था....
फिर अंकित ने रितिका की पेंटी में अपनी उंगली फँसा दी....
अचानक रितिका नी उसके हाथ के उपर अपना हाथ रख दिया....दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने
लगे..
अंकित की आँखों में सॉफ पता चल रहा था कि वो पूछ रहा हो कि प्लीज़ रितिका अब और नही...
और शायद रितिका नी उसकी बात को समझ लिया.....और उसने अपना हाथ हटा लिया और अपनी आँखें बंद
कर ली....
अंकित ने उंगली फँसाई और उसे खिचने लगा नीचे...रितिका ने वो मस्त भारी भरकम गान्ड हवा में
उठा ली और अंकित ने आख़िर रितिका की पेंटी नीचे आसानी से धीरे धीरे खिचनी चालू कर दी....
अंकित का दिल भी ज़ोरों से धड़क रहा था और यही हाल रितिका का भी था....
आख़िर के सामने वो सोना वो हीरे जैसी....चीज़ जिसके लिए हर एक आदमी मरता है एक नज़र पाने के
लिए ना जाने क्या क्या कर जाता है वो अब अंकित के सामने आ जाती है......
अंकित की आँखें जैसे ही रितिका की उस गुलाबी फूली हुई अपनी रस से भरी पड़ी हुई थी तो अंकित के लंड
की बॅंड बज गयी..और उसका लंड कच्छे के अंदर से पलंग पे लगने लगा इतने ज़बरदस्त झटके मार रहा
था वो कच्छे के अंदर से.....
अंकित ने अपने होंठों पे जीब फिराई....उसने आज तक ऐसी चूत नही देखी थी..कितनी ही सेक्स मूवीस देखी
हो उसने..लेकिन इस जैसी चूत कभी नही देखी..
अभी तो कुछ हुआ नही..और ये उबलते हुए पानी की तरह चूत रस बहा रही थी.....
अंकित का हाथ ऑटोमॅटिकली अपने लंड पे चला गया और उसे उसने हल्का सा मसल डाला...
रितिका की हालत बुरी थी एक तरफ तो वो शर्मा रही थी लेकिन दूसरी तरफ उसके साथ आने वाले पल की खबर
से उसका शरीर उसकी चूत के ज़रिए अपनी बात को अंकित के सामने रख रहा था...
अंकित ने अब रितिका को टीज़ करने का प्लान कॅन्सल कर दिया..और अपना हाथ फँसा के कच्छे में घुसाया
और उसे नीचे कर दिया..कच्छा सरकता हुआ नीचे गया..और घुटनो में जाके अटक गया..अंकित खड़ा हुआ
और टाँगों में से निकाल कर फैंक दिया...
कच्छा उतार के अंकित पलंग पे आया और अपने हाथ से रितिका की टाँगों को फैलाता है.....
जो दोनो टाँगें आपस में जुड़ी हुई थी..उन्हे उसने खोल के अलग किया...
रितिका बहुत ज़्यादा घबरा रही थी और शरमा रही थी..
उसने अपनी आँखें नही खोली थी...दिल तेज़ी से धड़क रहा था वो जानती थी कि आगे क्या होने वाला है...
अंकित ने अपना चेहरा आगे बढ़ा के रितिका की चूत के पास धीरे धीरे ले गया....
हाई..क्या मदमस्त खुशबू आ रही है...अंकित आँखें बंद कर के वहाँ सूंघटा है....उसका लंड उसके पेट पे बार बार लग रहा था....
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