Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:22 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“उफ्फ्फ्फ रेखा आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई, गांड़, आपकी गांड़, आपकी मस्त चिकनी गांड़ दीजिए मुझे।”

“नहीं्ईं्ईं्ईं्ईं्ईं”

“नहीं क्या मेरी बुरचोदी आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई, दीजिए।” उसकी चूचियों का मलीदा बनाता हुआ खूंखार लहजे में बोला क्षितू।

“नहीं्ईं्ईं्ईं्ईं्ईं, फाड़ दोगे।”

“चुप आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई, बिल्कुल चुप्प्प्प्प्प। आपकी चूत फटी क्या?”

“नहीं”

“फिर?” उसने और कोई ना नुकुर सुनने की कोई जहमत नहीं उठाई, सीधे रेखा को पलट दिया और अपने लंड पर थूक लसेड़ कल उसकी गांड़ के छेद पर टिका दिया। जबरदस्ती, उसके पैरों को फैला कर, उस पर सवार था, पूरा बलात्कारी की मुद्रा में।

“नहीं्ईं्ईं्ईं्ईं्ईं, आह्ह्ह्ह्ह् नहीं्ईं्ईं्ईं्ईं्ईं, प्लीईईईईईईईज्ज्ज्ज, रोक कामिनी रोक आह मार डालेगा ओह्ह्ह्ह्ह्ह।” कराह उठी वह जब क्षितिज दबाव देने लगा अपने लंड पर। “आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह, फट रही्ही्ई्ई्ई्ई्ई है ओह्ह्ह्ह्ह्ह मां्आ्आं्आं्आं्आं।” दर्दनाक चीख पूरे कमरे में गूंज रही थी। न मुझे परवाह थी और न ही होश, न ही हरिया और करीम को परवाह थी, फटती है तो फटे, साली कुतिया, शुरू में रोती चिल्लाती बहुत है, हरामजादी, फिर जब मजा आना शुरू होता है तो चोद, और चोद, साली नौटंकी।

“लो घुस्स्स्स्आ्आ्आ्आ्ह्ह गया, पूरा घुस्स्स्स्आ्आ्आ्आ्ह्ह गया। अब आपकी गांड़ का दरवाजा खुल्ल्ल्ल गया। आह बड़ा टाईट है ओह आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई।”

“आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह, मार डाला, मार डाला, फाड़ डाला, चीर डाला ओ्ओ्ओह्ह्ह्।” रोने लगी। क्षितिज के मजबूत बदन के नीचे दबी, पिसती, छटपटा रही थी। क्षितिज अब तक ज्ञान हासिल कर चुका था ऐसी स्थिति से निबटने के लिए। कुछ पल स्थिर रह कर रेखा की चूचियों को मसलता रहा और उसकी गर्दन को, कंधों को चूमता रहा। धीरे धीरे रेखा का रोना कलपना शांत होता चला गया और क्षितिज समझ गया कि चिड़िया जाल में फंस चुकी है। आहिस्ते आहिस्ते लंड निकालने लगा। “आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह” एक आह दोनों के मुख से निकली। रेखा की आह राहत की तो क्षितिज की आह आनंद की। गच्च, फिर से ठोक दिया क्षितिज ने, “आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह” यह आह रेखा की थी, आवाज कम, दर्द कम, आनंद का पुट था उसकी आवाज में। अब और क्या था। हौले हौले गच्च गच्च, रफ्तार बढ़ाता चला गया क्षितिज। रेखा कहां कुछ पलों पहले मर्मांतक चीखें निकाल रही थी, अब आनंदय सिसकारियां निकालने को वाध्य हो गयी। “आह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह्ह्ह इस्स्स्स्स्स, उस्स्स्स्, अम्म्म्म्आ्आ्आ्आ्आ, आह चोद, आह्ह् चोद बेटे उफ्फ्फ्फ मां्आ्आं्आं्आं्आं।”

“ओह्ह्ह्ह्ह्ह आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई उफ्फ्फ्फ आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई, मस्त मस्त गांड़ वाली आंआंआंआंआंआटी्ई्ई्ई। उफ्फ्फ्फ स्वर्ग है स्वर्ग आपकी गांड़ में आह्ह्ह्ह्ह् मेरी गांड़ मरानी आंटी्ई्ई्ई्ई्ई्ई। इतनी टाईट आह मजा आ रहा है अह्ह्ह्ह् अह्ह्ह्ह्” मस्ती में भर कर क्षितिज चोदे जा रहा था, गचागच, फचाफच। धमाचौकड़ी मचा दिया फिर उन लोगों ने तो मेरे बिस्तर पर।

इधर इसी दौरान आव देखा न ताव, भच्चाक से हरिया ने एक करारे ठाप से अपना पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर भोंक दिया। “आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह,” निकल गयी मेरे मुख से और जैसे ही मैं उसके धक्के से थोड़ी पीछे खिसकी, तभी घच्च से करीम का लंड मेरी गांड़ का दरवाजा चीरता हुआ पूरा समा गया अंदर। “ओह्ह्ह्ह्ह्ह,” मेरी चूत और गांड़, पूर्ण रुप से बिंध कर रह गयी। उफ्फ्फ्फ, पूर्णता के उस आहसास के लिए ही मैं इतनी देर से मरी जा रही थी। दोनों बूढ़े जता देना चाह रहे थे कि मैं उन्हें कमतर समझने की गलतफहमी में न रहूं। मैं खुद भी तो यही चाह रही थी। खड़े खड़े ही उन दोनों ने इस मशीनी अंदाज में मुझे चोदना चालू किया कि ओह मां, ओह मां, गजब का दम था उनका। इस बुढ़ापे में भी ऐसी चुदाई की क्षमता और वह भी खड़े खड़े? इतनी देर से वासना की तपिश मे झुलसती न जाने मैं अपने यौनांगों को मसलते, रगड़ते क्या हाल कर बैठी थी। सारे अंग तरंगित हो उठे और मिनट भर में ही मैं आनंद के अतिरेक में पागलों की तरह थरथराने लगी और झड़ने लगी, “ओह्ह्ह्ह्ह्ह ओ्ओ्ओ्ओह्ह्ह्ह््ह्ह, आ्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह,” बेहद सुखद थे वे पल। झड़ कर ढीली पड़ने लगी मैं। लेकिन वाह रे बूढ़े शेर, छोड़ा नहीं मुझे, उठा लिया हवा में मुझे, भुजाओं में अभी भी बहुत दम था। उसी तरह हवा में उठा कर हवाई फायर कर रहे थे। मैं हवा में हिचकोले खाती हुई चुदी जा रही थी, चूत और गांड़ का भुर्ता बनाने में तुले थे दोनों। मेरी चूचियों को इस बुरी तरह से मसल रहे थे मानो गूथ ही डालेंगे आटे की तरह। शायद, कुछ आक्रोश की अभिव्यक्ति थी, कुछ ललकार का प्रभाव था और शायद अपने उम्र को झुठला कर अपनी चोदन क्षमता को साबित करने का प्रयास। जो भी था, बेहद सुखद था। करीब बीस मिनट तक मुझे खड़े खड़े नोचते खसोटते रहे, फिर मेरी चूत में लंड फंसाए मुझे लिए दिए हरिया कुर्सी पर बैठ गया। पीछे से मेरी गांड़ में करीम का हमलाजारी था। कूटे जा रहा था, कूटे जा रहा था भकाभक। उस स्थिति में करीब पांच मिनट तक मेरी चुदाई चलती रही।
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-28-2020, 02:22 PM

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