Desi Sex Kahani जलन
12-05-2020, 12:20 PM,
#41
RE: Desi Sex Kahani जलन
सुलतान सल्तनत का काम देखने लगे, मगर उसकी याद उनके दिल से न गई। जब कभी उसकी बाद आ जाती, उनका हृदय अधीर हो उठता था, कभी-कभी तो वे करवट लेते-लेते सुबह कर देते थे।

रात्रि के समय सुलतान पलंग पर उदास बैठे हुए थे। मेहर की याद ने उन्हें व्याकुल बना रखा था। वे नाना प्रकार के विचारों में बह रहे थे कि सहसा द्वार पर किसी का स्वर सुनकर, उन्होंने उधर देखा।

चौंक पड़े थे। बोले-*अजूरी, तुम!"

द्वार पर सचमुच अजूरी ही खडी थी। उसके हाथों में मदिरा का प्याला था। वह धीरे-धीरे आगे बढ आई।

सुलतान ने पूछा- "तुम कब आई अजूरी ?"

*आज ही आई हूं, जहाँपनाह ! ज्योंही आपका आना सुना, आपको शरबते-अनार पिलाने के लिए दिल बेताब हो गया।"

"अच्छा किया तुमने...।" सुलतान बोले। हाथ बन कर उन्होंने प्याला ले लिया—"मेरी दिलचस्पी के लिए तुम्हारा होना जरूरी भी था।"

सुलतान ने आज बहुत दिनों के बाद मदिरा पी थी। कई प्याले खाली हो गये। धीरे-धीरे उनके मस्तिष्क पर मदिरा ने प्रभाव डालना आरम्भ कर दिया।

वे बोले- आओ अजूरी!* उन्होंने अजूरी को अपने पास खींच लिया— बादशाहों की जिंदगी भी एक अजीज जिन्दगी है। दिन-रात शराब और औरतों में डूबे रहने पर भी उनका दिल जो चाहता है वह नहीं मिलता।"

“ठीक फरमा रहे हैं, आलीजाह!” ...अजूरी ने कहा।

सुलतान बहक रहे थे—“दिल की हालत पूछ रही हो न?...दिल में तो इतनी जलन है मानो आग लगी है। ताज्जुब करती हो?...नहीं अजूरी में सच कहता हूं। यों तो दुनिया के हर एक आदमी के दिल में जलन होती है। किसी के दिल में जलन है दौलत के लिए, किसी के जिगर में जलन है इज्जते-इशरत पाने के लिए, किसी के दिलों-दिमाग में है अपने दिलबर की मुहब्बत पाने के लिए यह सभी तो जलन हो है ! गरज यह कि दुनिया का कोई भी शख्स 'जलन से बचा नहीं है...मेरे जिगर में भी जलन है। मेरा दिल पहले से अब ज्यादा परेशान है। सब कुछ है, मगर मेरा दिल यहां से बहुत दूर है—वहाँ ! मेहर के पास है।"

"मेहर के पास?" --अजूरी ताज्जुब से बोली।

"तब क्या समझ रही है, हो कि मैं सिर्फ तुम्हें ही चाहता हूं। तुम तो तितली हो। मेरे पास सिर्फ अपनी जवानी लुटाने के लिए आयी हो, मुहब्बत करने के लिए नहीं। मुहब्बत करने की शक्ल दुसरी होती है, अजरी तुम्हारे चेहरे की तरह उसमें बेशर्मी नहीं रहती, तुम्हारी तरह बेदर्द होकर वह मेरे सामने नहीं खडी हो सकती...और एक...एक प्याला और दो...ऐं! तुम्हारा मुंह उदास हो गया है?...और यह क्या? आंसू? वल्लाह! यह भी कोई बात थी जो आंसू निकल आये...अच्छा! यह लो।" और सुलतान ने अजूरी के अधरोष्ठ पर चुम्बन की एक हल्की -सी मुहर लगा दी।
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12-05-2020, 12:21 PM,
#42
RE: Desi Sex Kahani जलन
दरबारे-आम लगा था। अमीर-उमराव सभी अपने स्थान पर बैठे थे।
उसी वक्त प्रहरी ने आकर सुलतान को झुककर अभिवादन करते हए कहा— आलीजाह! कुछ गांव वाले एक औरत के साथ इन्साफ के लिए दरे-दौलत पर हाजिर हैं और शहंशाह की कदमबोसी की आरजू रखते हैं।"

"इजाजत है...।" शहंशाह ने कहा। प्रहरी चला गया।

थोड़ी ही देर बाद दरबार में, कुछ गांव वालों ने एक औरत के साथ प्रवेश किया। उनमें से चार आदमी एक शव को उठाये हए थे। उस औरत को देखते ही शहजादा परवेज सिर से पैर तक कांप उठा। वह औरत दूसरी कोई नहीं—फातिमा थी।

"क्या है?" शहंशाह ने पूछा- क्या चाहते हो?"

"यह यतीम लड की इंसाफ चाहती है, गरीबपरवर!" एक ने कोर्निश कर रहा।

"वजीरे-आजम! दरियाफ्त करो इस लडकी से कि यह किस बात की फरियाद लेकर आई है ?" सुलतान ने हुक्म दिया।

वजीर के कुछ पूछने से पहले ही गांव वालों ने वह शव लाकर सुलतान के आगे लिटा दिया। एक ने हाथ बढकर शव का ढंका मुंह खोल दिया।

उसका मुंह देखते ही शहजादे की उल्टी सांसें चलने लगीं।

“या खुदा ! अब क्या होगा? इसका खून करने के जुर्म में सजाये-मौत?" मन-ही-मन परवेज बडबड उठा।

"यह क्या ? लाश!" सुलतान बोले-"किसकी लाश है यह?"

*गरीब परवर! यह है इस गरीब लडकी के भाई की लाश। आपकी सल्तनत में ऐसा जुल्म, ऐसा अंधेर कभी नहीं हुआ। या खुदा !"

वह लड की रोती हुई बोली- आलीजाह ! जहाँपनाह ! मैं अपने बेगुनाह भाई का इंसाफ कराने आई हूं। इस दुनिया में मेरा अपना कहने के लिए सिर्फ यही मेरा भाई था—बह भी आपके महल के एक शख्स के हाथों मौत का शिकार हुआ! या अल्लाह ! मैं कहीं की न रही।"

"बात साफ-साफ करो। मेरे महल के किस आदमी ने तुम्हारे भाई की जान ली है—किसने तुम्हारी दुनिया उजाड है? बोलो! में कुरान और खुदाये पाक की कसम खाकर कहता हूं कि तुम्हारा पूरा-पूरा इंसाफ करूंगा। तुमने सुना है न? सुलतान काशगर का इंसाफ है, खून का बदला खून-जान का बदला जान। बोलो, कौन है वह शख्स, जिसने इंसाफ की धधकती भट्टी में अपने आपको झोंकने की कोशिश की है...?"

और उनकी दृष्टि दरबार में उपस्थित लोगों में इतस्तत: घमने लगी, कदाचित् यह पता लगाने के लिए कि कौन अपराधी है? आज तक सुलतान की आंखों ने कभी धोखा नहीं खाया था। अपराधी की सूरत देखते ही पहचान जानते थे।

"उस शख्स का नाम लेते हुए जमीन फट जाएगी, आलमपनाह वह यहीं पर मौजूद है...।" फातिमा ने सिसकियों लेते हुए कहा।

“यहीं मौजूद है?" शहंशाह ने पूछा। उनकी दृष्टि अभी तक एक-एक दरबारी को आकृति पर गौर से पड रही थी।
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12-05-2020, 12:21 PM,
#43
RE: Desi Sex Kahani जलन
एकाएक उसकी दृष्टि शहजादे पर आकर रुक गई। शहजादा कांप उठा, साथ ही सुलतान भी। तो क्या शहजादा ही उसका भाई ही, मुजरिम है। या खुदा! यह कैसा कहर? अपने सगे भाई को, जिसे वे अपनी जान से भी बढ़ कर चाहते हैं किस तरह सजाये मौत दे सकेंगे?

शहंशाह पर मूर्छा-सी आ गई, मगर उनकी मूर्छा को किसी ने भी लक्ष्य नहीं किया, क्योंकि सुलतान ने अपने हृदय में उठते हुए तूफान का क्षणमात्र में शमन कर लिया था।

"तुम...! तुम...! शहजादे खड हो जाओ..." सुलतान ने कठोर स्वर में कहा।

यद्यपि उनका हृदय जल रहा था, तथापि इस समय उनके सामने न्याय की दीवार खडा थी, जिसे लांघकर निकल जाना कठिन था। सारे दरबार में सन्नाटा छा गया। शहजादा आपादमस्तक कांपता हुआ उठ खडा हुआ, रह-रहकर उनका मस्तिष्क घूम रहा था, शरीर का रक्त जैसे शरीर से विदा हो रहा था। ___ तुमने खन किया है. शहजादे!" सुलतान के स्वर में कम्पन था और आंखों में क्रोध_*मेरे भाई होकर, रियाया पर जुल्म करने की हिम्मत कैसे की तुमने? अपनी रियाया पर गजब ढाते वक्त तुमने मेरे इन्साफ की याद क्यों नहीं की?"

*भाईजान!" ___

"भाईजान न कहो। इस नापाक मुंह से ये पाक अल्फाज न निकालो...।" सुलतान का इशारा पाकर चार सिपाहियों ने शहजादे के हाथ में हथकड भर दी- जाओ! कल इसका फैसला होगा।"

सिपाही शहजादे को लेकर चले गए। सुलतान ने हृदय को पत्थर बनाकर देखा और सुना। अपने हृदय को , अपने रक्तमांस को, न्याय की वेदी पर चढते देखकर उनका हृदय हाहाकार करने लगा। सचमुच सुलतान शहजादे को बहुत चाहते थे—अपनी जान से भी अधिक।

परंतु परवेज ! परवेज तो जैसे बुद्धि-शून्य हो गया था।

"या परवरदिगार!"कहते हुए सुलतान मूर्छित होकर सिंहासन पर लुढ़क गये। सारे दरबार में हाहाकार मच गया। वजीर घबडाया हुआ सिंहासन की ओर दौड।

"या परबरदिगार! या खुदा! रहम कर और अपने इन ताबेदार को इंसाफ करने की ताकत दे...।" अपने विलास भवन में पलंग पर पड हुए वे छटपटा रहे थे।

अजूरी वहां मौजूद थी।
"क्या करूं? परवेज! यह तने क्या किया? तुझे अपने पर रहम न आया, अपनी रियाया पर रहम न आया, तो क्या तुझे अपने बेबस भाई पर भी रहम न आया? जरा-सी देर के लिए तूने यह नहीं सोचा कि कौन-सा दिल लेकर मेरा भाई इंसाफ करेगा?...उफ! जलन!...कलेजा जला जा रहा है, नाहक ही में लौटकर यहां आया। अजूरी चली जाओ, मेरे साथ तुम भी पागल न बनो। मैं पागल हो जाऊंगा...इंसाफ! इंसाफ!...गला घोंट दो मेरा! कल अपने भाई को सजाये-मौत देने के पहले ही मैं मर जाना चाहता हं हाय परवेज! यह तने क्या किया? क्यों मेरे जिगर में क्यामत की आग धधका दी?"

“अदने आदमी न बनिये, आका!" अजूरी ने सुलतान के कंधे पर अपना हाथ रख दिया —“इन्सान को खुदा ने बरदाश्त करने की ताकत बख्शी है।"

"ठीक कहती हो तुम...बरदाश्त करना ही होगा!"
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12-05-2020, 12:21 PM,
#44
RE: Desi Sex Kahani जलन
दूसरे दिन दरबार लगा। अपराधी और गणमान्य दर्शक उपस्थित हुए। सभी की मुखाकृति पर जैसे मलीनता छाई हुई थी। तभी अधीरता से शहंशाह के आने की राह देख रहे थे और कान आतुर हो रहे थे उन शब्दों को सुनने के लिए, जिन पर अभागे शहजादे का दण्ड और छुटकारा निर्भर था।

एक घंटा बीता, दूसरा भी बीता और तीसरा भी बीतने को आया, फिर भी सुलतान दरबार में नहीं आये।

वजीर घबराने लगा। वह दरबार से उठकर महल में आया तो पता लगा सुलतान विलास भवन से बाहर नहीं निकले हैं।

वजीर बेहद घबरा गया। बह दौड-दौड सुलतान के विलास भवन में आया। देखा सुलतान एक खम्भे के सहारे खड हैं। आंखें बंद है, गालों पर आंसुओं की बूंदें झलक रही हैं।

पग-ध्वनि सुनकर सुलतान ने अपनी आंखें खोलीं-

"वजीर!"

"शहंशाह ! दिल को सम्भालिए, आलीजाह !"

"कैसे सम्भालू दिल को वजीर!" शहंशाह रो पड।

"चार घंटे दिन चद आया है, जहाँपनाह! दरबार लग चुका है। आज ही फैसला देना है।"

"फैसला...अपने भाई की जिंदगी का फैसला।मैं मर क्यों न गया। या खदा। क्या करूं मैं? मगर इंसाफ तो देना ही पडगा वजीर!...मैं मर जाऊंगा, अपनी जान दे दूंगा, मगर इंसाफ पूरा पूरा करूंगा। शाही इंसाफ में धब्बा न लगने दूंगा, चलो।"

सुलतान ने ज्योंही दरबार में प्रवेश किया, कानाफूसी बन्द हो गईं और चारों ओर मौत का-सा सन्नाटा छा गया।

सुलतान आकर सिंहासन पर बैठ गये। रात-भर में ही उनके चेहरे की सारी रौनक काफूर हो गई थी। उनके बाल बिखरे हुए थे। मुखाकृति पीतवर्ण धारण किये थी।

एक बार उन्होंने अपनी उडती हुई दृष्टि दरबार पर डाली, फिर वजीर से बोले-"मुकदमे की कार्यवाही ही शुरू हो।"

मुकदमा शुरू हुआ। अपराधी और उनके गवाहों के बयान हुए। शहंशाह चुपचाप सुनते रहे।

वजीर सदा की भांति मुकदमे की कार्यवाही करता गया। सब कुछ समाप्त हो जाने पर वजीर ने आश्चर्य की मुद्रा में सुलतान की और देखा।

"खून का बदला खून और जान का बदला जान, यही शाही इंसाफ है...।" सुलतान ने दृढ स्वर में कहा।

उनकी आवाज स्थिर थी—"मुकदमे के सब पहलुओं पर मैंने किया है और इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि शहजादा बेशक गुनहगार है। फरियादी के हाथ में तलवार दी जाये।

"तलवार!..."सारा दरबार कांप उठा। तलवार दी जाये फातिमा के हाथ में? आखिर इस हुक्म से शहंशाह का मतलब क्या है ?
मगर किसकी हिम्मत थी सुलतान के हुक्म में दखल देने की। वजीर भी आश्चर्यचकित-सा खडा था। सब चुप थे—“परंतु हृदय में खलबली मची हुई थी।

फातिमा के हाथ में तलवार दी गई। उसने कांपते हुए हाथों से तलवार सम्भाली। वह डर से थर-थर कांप रही थी व सोच रही थी—'या खुदा! क्या इस तलवार से मुझे परवेज का खून करना पडगा ।'
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12-05-2020, 12:21 PM,
#45
RE: Desi Sex Kahani जलन
शहंशाह उठ खडा हुए और फातिमा से चार गज की दूरी पर आकर खड हो गये। उनके मुख से गम्भीर आवाज निकली—"फातिमा ! बहुत गौर करने पर मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि वाकई तुम्हारे साथ बेहद जुल्म हुआ है।"

सारा दरबार सांस रोककर सुन रहा था— ___ परवेज ने तेरे भाई का खुन किया है। सुलतान काशगर उसके लिए फांसी की सजा तजवीज करते हैं। और इधर देख, मैंने सुलतान काशगर की हैसियत से तेरा इंसाफ किया है. मगर अब एक बेबस इंसाफ की हैसियत से तेरे सामने खडाहूं। तेरे हाथ में तलवार है, उसे मेरे कलेजे में रख दे, ताकि भाई की मौत देखने के पहले ही मैं इस दुनिया से कूच कर जाऊं और तेरा इन्तकाम भी पूरा हो जाए। परवेज ने तेरे भाई को मार डाला है, उसे तो फांसी की सजा होगी ही, मगर इतने पर भी शायद तेरे दिल की जलन न जाएगी। इसलिए मैं तुझे हुक्म देता हूं कि तु भी परवेज के भाई का खन कर डाल। दोनों का भला होगा! तेरे दिल की जलन मिटेगी और मैं भी भाई की मौत अपनी आंखों से न देख सकूँगा। में इन्सान हूं, फातिमा! सुलतान बनकर मैंने इंसाफ किया, अब इन्सान बनकर तुमसे भीख मांगता हूं कि अपने हाथ की तलवार से मेरा सीना चाक कर दे।

“या खुदा!” बुड्डा वजीर गिरते-गिरते बचा।

"शहंशाह...!" सारा दरबार चिल्ला उठा। फातिमा के कांपते हुए हाथों से तलवार छूटकर जमीन पर गिर पड़ी

शहंशाह गरज उठे-बजदिल न बन! उठा ले तलवार! अपने भाई के खन का इंतकाम ले। परवेज ने तेरे भाई को मारा है, मैं उसका भाई-तेरे सामने खडहूं —उठा तलवार, रख दे मेरे सीने में ताकि तेरा इन्तकाम पूरा हो जाये। कांपती क्यों है?...उठा ले तलवार! शाही हुक्मउदूली न कर चल, जल्दी कर...।"

फातिमा ने तलवार उठाकर अपने हाथ में ले ली। सारा दरबार उठकर एकाएक खड हो गया और चिल्ला पड —शहंशाह ! यह कैसा कहर?"

"भाईजान !" बंदी अवस्था में खड परवेज चिल्ला उठा। इस समय सभी की आंखें डबडबा आई थीं।

"उफ्फ् ऐसा नेकदिल इन्सान! मरहबा ! मरहबा! भाई हो तो ऐसा! शहंशाह हो तो ऐसा! इन्साफ हो तो ऐसा! जाफरी! सद जाफरी !"

उपस्थित दरबारियों के मुंह सोये ये अल्फाज निकलकर उदासीन वातावरण में विलीन हो गये।

"हम अपनी फरियाद वापस लेते हैं!" गांव वाले चिल्ला पड -"हम इंसाफ नहीं चाहते ऐसा इंसाफ हम नहीं चाहते। हम कुछ नहीं चाहते।"

"शहंशाह, अपने लिए नहीं, मेरे लिए नहीं, अपनी बेकस रियाया के लिए नहीं तो कम-से कम इंसाफ के लिए जिंदा रहिये। आपके न रहने पर ऐसा पाक इंसाफ कौन दे सकेगा,

शहंशाह !" बूढIT वजीर बोला।

"जहाँपनाह!" फातिमा ने कहा- "मैं आपकी जान ले चुकी। मेरा इंसाफ पूरा हो गया। शहजादा परवेज को मैंने माफ किया। अब अपनी जान, मेरी ओर से सल्तनत के लिए महफूज रहने दीजिये।"
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12-05-2020, 12:21 PM,
#46
RE: Desi Sex Kahani जलन
"तुम छूटकर आ गये दोस्त?" कमर ने कहा।

"हां, आ गया!" शहजादा परवेज बोला— यह भाईजान की ही इनायत है, नहीं तो मैं कब का मौत का शिकार हो गया होता...जानते हो! भाईजान ने मेरे साथ अपनी जान भी देनी चाही थी

-ऐसे पाक फरिश्ता है वे।

"इंसाफ तो खूब हुआ कि सुलतान की भी जान बच गईं और तुम्हारी भी।” कहकर कमर ने अट्टहास किया। ____

हंसते हो...! खुलकर हंस लो, परंतु अब मेरी आंखें खुल गईं हैं। तुम मुझे बादशाह बनाने का ख्वाब दिखाते आ रहे थे, मगर मैं समझ गया कि बादशाह बनने की कुछ भी काबिलियत मुझमें नहीं हैं। ऐसा इंसाफ भला मैं कभी कर सकता था? तुम आज से मुझे भाईजान के खिलाफ कोई भी काम करने के लिए न कहना। एक नेक दिल इन्सान के साथ बगावत करने से खुदा का कहर टूट पड गा। अपनी दोस्ती तुम अपने पास रखो।" परवेज ने स्पष्ट कह दिया।

"शहजादे साहब! तुम भी पूरे बेवकूफ निकले। काम को अधूरे में छोड देना तो तुम्हारी खास आदत है। सुनो, आजकल सुलतान अपनी जान से आजिज आ गये हैं, इसलिए तुम्हारे साथ ही वे अपनी भी जान देना चाहते थे—और तुमने उसका उल्टा ही मतलब निकाल लिया। तुमने समझा कि सुलतान तुम्हें इतना प्यार करते हैं कि तुम्हारे साथ ही अपनी जान देने को तैयार हो गये। वल्लाह! खुब है दिमाग तुम्हारा! इसी दिमाग को लेकर मेरा सथ दोगे....खैर, अपनी गलती दुरुस्त कर लो। यह लो, जरा-सा शरबते-अनार .।"
कहकर कमर ने शहजादे के होंठों से प्याला लगा दिया। शराब का दौर-दौरा शुरू हो गया।

जब शहजादे पर शराब का पूरा असर हो चुका, तो कमर ने उठकर भीतर से दरवाजा बन्द कर लिया।
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12-05-2020, 12:21 PM,
#47
RE: Desi Sex Kahani जलन
बारह
शहर काशगर में एक पक्की सराय थी, जहां भिन्न-भिन्न देशों के आये हए व्यापारी उतरा करते थे। प्राय: दास और दासियों के विक्रय करने वाले व्यापारी ही वहां अधिक आते थे।

इस समय वहां वैसा ही एक व्यापारी ठहरा हुआ है, जिसके पास पचासौं दासियां और दास बिकने के लिए तैयार हैं। आज प्रात:काल से ही सराय में बडी चहल-पहल और साज-सजावट है, क्योंकि आज स्वयं सुलतान काशगर वहां बांदी खरीदने के लिए तशरीफ लाने वाले हैं।

चारों ओर एक विचित्र दृश्य उपस्थित है। सब बांदियां नहला-धुलाकर आभूषित की जा रही हैं — पता नहीं, आज किसका भाग्य सूर्य चमकने वाला है।

ठीक मध्याह्न के समय सुलतान आये।

"सुलतान आये।* का कोलाहल सराय भर में फैल गया। सब यथायोग्य स्थान पर सुलतान का स्वागत करने के लिए तैयार हो गये।

बांदियां एक कतार में खडी कर दी गईं। सौदागर सुलतान के आगमन की प्रतीक्षा में हाथ बांधकर खड़ा हो गया।

सुलतान आये और सौदागर ने कोर्निश की।

तभी बांदियां चुपचाप सिर नीचा किये खडी थीं। किसी की भी हिम्मत ऊपर आंख उठाने की नहीं होती।

सभी बांदियां एक-से-एक खूबसूरत और कमसिन हैं। उनके वस्त्रादि इतने महीन हैं कि उनके भीतर से उनकी अनुपम रूपराशि छन-छनकर बाहर आ रही है। उनके शरीर का रोम-रोम दिखाई पड़ रहा है। यद्यपि सभी बांदियां एक-से-एक खूबसूरत हैं, परंतु आखिर वाली बांदी तारों में चांद जैसी मालूम पड़ती है।

सुलतान हर बांदी के आगे आकर ध्यानपूर्वक उसकी सूरत देखते और उसकी खूबसूरती की तौल करते।

जिस बांदी के आगे जाकर खड हो जाते, वह तो मानो गड-सी जाती। सब बांदियां थर-थर कांपती हुई खडी थीं। यह क्या?

आखिर वाली बांदी पर दृष्टि पडते ही सुलतान चौंक पड। उनका सम्पूर्ण शरीर सिहर उठा। क्यों न हो ! जिस सौन्दर्यमयी की पूजा वे सोते-जागते किया करते हों, जिसकी सूरत अभी तक उनके हृदय पर अंकित हो-भला उसे ऐसी अवस्था में देखकर वे क्यों न चौंकते?, फिर भी उन्होंने अपने हृदय को सीमा उल्लंघन करने न दिया और उस बांदी की ओर हाथ से संकेत किया।

जिस बांदी को सुलतान ने पसंद किया था, वह और कोई नहीं, मेहर थी।

सुलतान का इशारा पाकर सौदागर बहुत खुश हुआ और मेहर के सामने आकर बोला — "सुना तूने, तुझे सुलतान ने पसंद किया है।"

मेहर की आंखें पृथ्वी की ओर केंद्रित थीं, उसने अभी तक सुलतान की ओर देखा भी न था। "तू अपनी ओढनी उतार दे। सुलतान तेरी जवानी का मुआइना करेंगे।" सौदागर ने मेहर से कहा।

न! हां! वहीखा। उसका सिर उसने सुनी?

मेहर कांप उठी। या खुदा! यह शर्मनाक काम वह किस तरह कर सकेगी? इतने आदमियों के सामने वह कैसे अपना वक्षस्थल आवरणहीन करेगी?

"नहीं, इसकी कोई जरूरत नहीं।" सुलतान ने कहा।

वह आवाज कान में पडते ही वह चौंक पड। उफ! यह किसकी आवाज उसने सुनी? अपने सुलतान की? मेहर ने सुलतान की ओर आंख उठाकर देखा। उसका सिर चकरा गया। उसका प्यार सुलतान! उसके गिरोह का डाकू सुलतान! हां! वही इस वक्त राजकीय परिधान में सामने खड। था।

मेहर को अपनी आंखों पर विश्वास न हुआ। वह स्वप्न में भी यह न समझ सकी थी कि साधारण मनुष्य की तरह उसके गिरोह में रहने वाला और सरदार की झिड कियाँ सहने वाला, सुलतान काशगर हो सकता है।
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12-05-2020, 12:21 PM,
#48
RE: Desi Sex Kahani जलन
सुलतान ने समझ लिया कि मेहर उन्हें पहचान गई है, परंतु उन्होंने इस समय अपनी किसी भी हरकत से यह प्रकट न होने दिया कि मेहर से उनकी पहले भी भेंट हो चुकी है।

मेहर ने सुलतान का यह रूखापन देखकर समझा कि कदाचित् सुलतान अभी तक उसे पहचान नहीं सके।

“इसे बादियों के महल में पहुंचा दिया जाये।

मेहर सोचने लगी इतनी बेरुखी? ओह ! फकीर की बात सच होती जान पड़ती है। अब देखें, खुदा क्या खेल दिखाता है।

मेहर बादियों के महल में पहुंचा दी गईं। दो महीने बीत गये। सुलतान ने, फिर उसकी कोई खोज-खबर न ली। पता नहीं कि वे उसे भूले थे या नहीं। ___ मेहर प्राय: सुलतान की इस बेरुखी के बारे में सोचा करती। जाने क्या धीरे-धीरे उसके दिल में एक तरह का मीठा-मीठा दर्द होने लगा था। किसलिए दर्द हो रहा है, वह अभी उसे नहीं मालूम हो सका था।

रह-रहकर दुआ देने वाले उस बड़े की सूरत उसकी नजरों के सामने नाचने लगती थी। फकीर ने जो कुछ कहा था, अभी तक वह भली नहीं थी। उसने कहा था-"बेटी, में तेरी किस्मत पढ रहा हूं-तू सुलतान काशगर की महबूबा बनेगी, मगर खुश न हो सकेगी।"

तो क्या सचमुच वह खुश न हो सकेगी? क्या सचमुच उसकी भाग्यरेखा पत्थर की कलम से लिखी गई है? मेहर के हृदय से उठने वाला तूफान बढ़ता जा रहा था। उसे दिन-पर-दिन अधिक बेचैनी मालूम होने लगी थी।

उस दिन पहर रात गये सुलतान अपने विलास-भवन में अजूरी के हाथ से शराब पीते हुए बैठे थे। यह छठवां जाम भरा गया कि सुलतान एकाएक रुक गये। उनके कानों में गाने की आवाज आई

दिल में दर्द है, पर होंठ सिये बैठी हूँ। क्या कहं, किससे कहूं राज पिये बैठी हूँ। दिल में य है कि तुम्हें वानिये-बेदाद कहूं।

जी में आता है, तुम्हें मैं सितम-ईजाज कहूं।। नशे के झोंक में सुलतान ने कहा- अभी बुलाओ उसे बांदी को, जो इस वक्त ऐसा दर्द भरा गाना गा रही है ! उसे क्या तकलीफ है?"

“जहाँपनाह ! यह वही नई आई हुई बांदी है। – अजूरी ने कहा।

"नई आई हुई बांदी!" सुलतान को अब मेहर की याद आई— ओह, वह ! हां, बुलाओ उसे अभी! इसी वक्त! जाती क्यों नहीं? मुंह क्या देख रही हो?"

अजूरी गईं और थोड़ी देर में मेहर को लेकर वापस आई।

सुलतान ने एक उडती नजर मेहर पर डाली, फिर अजूरी से बोले-"इसके कपड बदलवा कर मेरे पास वापस भेजो।"

अनिच्छा रहते हुए अजूरी ने सब कुछ किया। उसने मेहर को बहुमूल्य कपड़ा पहनाये, इसके पश्चात् इत्र आदि लगाकर उसे सुलतान के पास भेज दिया। मेहर आकर सुलतान के सामने खड हो गईं। उसका हृदय इस समय तीन वेग से स्पंदित हो रहा था।

"पास आओ।" सुलतान ने कहा।

मेहर आकर उनके पास खड हो गई। इस समय सुलतान पूर्ण रूप से नशे में थे। उन्होंने मेहर को अपने पास खींच लिया और उससे इस प्रकार खिलवाड़ करने लगे, जिस प्रकार और बांदियों से किया करते थे। मेहर धधकते हृदय से चुपचाप उनकी पाशविक क्रिया सहती रही। ____

वाकई में तुम्हारी सोहबत मुझे बहुत पसंद आई...।" सुलतान बोले-"थोडी -सी शरबते-अनार मुझे पिलाना।"

मेहर ने प्याला भरकर सुलतान के आगे कर दिया।

सुलतान बोले- इस तरह नहीं ।देखो ऐसे। सुलतान ने मेहर को अपनी गोद में बैठा लिया। मेहर ने कांपते हाथों से मदिरा का प्याला सुलतान के होंठों से लगा दिया।

"तुमने तो मुझे पहचान लिया होगा मेहर!" सुलतान अब खुल पड।

"हां पहचान लिया था पहली ही नजर में, मेरे महबूब ! मगर आपने अपना असली राज मुझसे छिपा क्यों रखा था?"

"जाने दो गुजरी बातों को...बताओ कि मेरे आने के बाद क्या हुआ और तुम पर क्या-क्या बीती?"

"आपके चले जाने के बाद, सरदार ने मुझ पर बेहद जुल्म किये, मगर मैंने उसकी मुहब्बत कबूल न की। कुछ दिनों बाद कादिर भी आपकी खोज में गिरोह से भाग गया। तब से किसी ने उसकी सूरत नहीं देखी। वह आपको बहुत चाहता था और जब जाने लगा तो उसने मुझसे कहा कि में सुलतान की खोज में जा रहा हूं।"

"बड अच्छा आदमी था बेचारा!"

"जब सरदार लाचार हो गया तो उसने मुझे उसी बांदियां बेचने वाले सौदागर के हाथ बेच दिया। जिससे आपने मुझे खरीदा। अब आप मेरे मालिक और मैं आपकी बांदी हूं। आप भी तो मुझे इतने दिनों तक भूले रहे।

"हम-तुम कभी जुदा न होंगे!" सुलतान ने कहा।

उसी समय मेघाच्छन्न नभ-मण्डल पर बाहर जोरों से बिजली कडक उठी। मेहर का कलेजा कांप गया। उफ्फ् ! उस फकीर की
भविष्यवाणी यदि झूठी हो सकती...! मेहर का शरीर शिथिल हो गया। मुखाकृति मलीन पड गईं।
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12-05-2020, 12:21 PM,
#49
RE: Desi Sex Kahani जलन
"क्या हुआ?—क्या हुआ?" कहते हुए सुलतान ने मेहर को जोर से अपने अंक में कस लिया।

मेहर ने प्रेम विभोर होकर कुछ चिंता व्यक्त करते हुए कहा-"किस्मत हम लोगों के साथ मजाक कर रही है, मेरे आका!"

मगर सुलतान ने उसकी बात का कुछ भी मतलब न समझा। वे न जान सके कि मेहर की बातें एक भयानक घटना की ओर संकेत कर रही हैं।

मेहर अब उनके खास महल में रहने लगी। सुलतान की महबूबा जानकर सब उसका आदर करने लगे।

यद्यपि उसका रहन-सहन सभी मल्का की तरह था, फिर भी उसका दिल दिन-रात चिंताग्रस्त रहता था। फकीर की बातें उसके हृदय में तूफान मचाये रहती थीं। वह बहुत प्रयत्न करती थी अपने हृदय को संभालने का, परंतु सब व्यर्थ, सारा महल जैसे उसे काटने के लिए दौडता था। महल की चहल-पहल उसे अच्छी नहीं लगती थी—वह यह कि पुन: अपने कबीले में चलकर जंगलों की पहाड पर विहार करे।

कभी-कभी उसे जहूर की—उस अभागे की, जिसने उसकी मुहब्बत के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया था—याद आ जाती थी। उस अभागे नौजवान ने तो उसी के लिए अपना घर-बार छोडा था।

मेहर की अवस्था दिन-ब-दिन बिगडने लगी। हाय! जहूर उसे कितना चाहता था दोनों किस जंगल की गोद में अपनी मुहब्बत की उलझन सुलझाते थे। कितना लुत्फ था उस मुहब्बत में ! इन्हीं सब चिन्ताओं में वह घुलने लगी।

अब सुलतान जब कभी उसके सामने आते तो न जाने किस विधि-विडम्बना से उसका हृदय कांपने लगता था। आने वाले अंधकारमय भविष्य की सूचना, मेहर को सुलतान की मुखाकृति पर दृष्टिगोचर हो जाती थी। ओह, यह अभागा सुलतान भी उसका पुजारी है, मगर यह भी बर्बाद हो जाएगा, फकीर का यही कथन था।

उफ्फ् ! फकीर के अल्फाज कितने खौफनाक थे। याद आते ही मेहर भय से अपना मुंह ढक लेती।

सुलतान ने भी मेहर की इस बिगडती हुई हालत पर गौर किया। वे मेहर को सच्चे दिल से चाहते थे। उन्होंने मेहर के मन-बहलाव के लिए कुछ उठा न रखा था, परंतु उस पर आक्रमण करती हुई चिंता दूर न हुई। उसकी अवस्था देखकर सुलतान भी उदासीन रहने लगे। उनका भी किसी काम में मन न लगता था। उन्होंने शराब छोड दी-ऐश व इशरत छोड दी थी-सब कुछ छोड दिया था, केवल मेहर के लिए। कई बार उन्होंने मेहर से उसके कष्ट के बारे में पूछा भी, परंतु मेहर से कोई स्पष्ट उत्तर न पाकर वे चुप रहे। दोनों रात को एक ही कमरे में सोते, मगर एक-दूसरे के इतना पास होते हुए भी मानो वे बहुत दूर थे।

मेहर का मन स्थिर था। वह कभी अपने कबीले के बारे में सोचती. कभी अपने अब्बा और जहूर के बारे में, कभी दिल में आता, कहीं भाग जाये! भाग जाये वहां, जहां रंज की पहुंच तक न हो—मगर वह भाग भी कैसे सकती थी? उसी के हाथ में तो सुलतान के जीवन की बागडोर थी। उसके भाग जाने पर सुलतान का जीवित रहना असम्भव था। मेहर सब समझती थी। उसे सुलतान के साथ पूरी सहानुभूति और पूरी मुहब्बत थी, इसलिए वह उन्हें छोड कर जाना भी नहीं चाहती थी! मगर वहां रहते-रहते उसका दिल जो जल रहा था, उसका कष्ट उसे असह्य था। वह कभी उन दिनों की बात सोचने लगती, जबकि सुलतान और वह डाकुओं के गिरोह में रहा करते थे। किस तरह उन दोनों में मुहब्बत थी ! स्वतंत्र न होते हुए भी वे दोनों कितने खुश थे। ___ मगर यहां आते ही क्या हो गया? किसने उसकी दुनिया में आग लगा दी? किसने उसके दिल में इतनी जलन, इतनी तकलीफ पैदा कर दी? कैसे उसके हृदय में इतनी व्यथा, इतनी पीड उत्पन्न हो गईं कि अपने प्यारे सुलतान से दो बात कर लेना भी कष्टकर प्रतीत होने लगा?

मेहर फकीर को कोसती मगर फकीर का इसमें क्या दोष था? उसने तो सिर्फ भाग्य की रेखा पढ दी थी—उसका नियंत्रण तो उसके अधिकार में नहीं था।

"मेहर...।" उस दिन बडी कोशिश करके सुलतान ने मेहर को पुकारा। ___ "तुम्हारी तबीयत अभी तक ठीक नहीं हुई। तुम दिन-पर-दिन सूखती जा रही हो...आखिर इसमें राज क्या है?* ___

"खुदा की कुदरत है, मेरे आका! जिसके लिए यह दिल तड पता था, उसे पाकर भी न पा सका। ___

"तुम यह कैसी बातें कर रही हो मेहर! तुम्हारी तकलीफ देखकर मैं भी अधमरा हो रहा है। देखो, शराब मैंने छोड दी, हंसना-बोलना छोड दिया, औरतों से खेलना छोड। दिया। सब कुछ छोड दिया मैंने ! सिर्फ तुम्हारे लिए। मैं तुम्हें चाहता हूं, मेहर! . मगर तुम यहां आकर न जाने कितनी जालिम बन गई हो। मैहर ! मेरे दिल में जलन है...और जलन तो सभी के दिल में होती है—दौलत की जलन, इन्तकाम की जलन, खुदा ने न जाने कितनी किस्म की जलन पैदा की है। मेहर! मैं प्यासा —तुम्हारे हाथ में पानी है, मगर मेरी प्यास बुझाना नहीं चाहती तुम। अपनी तकलीफ भी नहीं बताती कि उसे दूर करने की कोशिश करूं। आखिर इसका सबब?"

मेहर चुप रही। किस मुंह से, किन शब्दों में बेचारी मेहर बताये कि उसे क्या दुख, क्या तकलीफ है, क्या जलन है? अपने दुख की बात, अपनी जलन की कहानी तो खुद वह भी अभी तक नहीं समझ सकी है।

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12-05-2020, 12:21 PM,
#50
RE: Desi Sex Kahani जलन
तेरह

"तुम तो बड ताज्जुब की बात सुना रहे हो दोस्त!" कमर ने शहजादे से कहा।

"बात ताज्जब की भी है और खौफ की भी।" शहजादा कहने लगा—“आज महल-भर में उसकी तुती बोल रही है। सभी उसका हुक्म मानते हैं। खुद भाईजान भी उसकी बात नहीं टाल सकते। भाईजान ने उसे बांदी की तरह खरीदा था, मगर आज वह मल्का की तरह जिंदगी बसर कर रही है। जब से वह आई है, तब से मैं गौर कर रहा हूं, तो भाई साहब की हालत अच्छी नहीं नजर आती। वे दिन-पर-दिन सुखते चले जा रहे हैं। किसी काम में उनका दिल नहीं लगता। उनकी वजह से महल में जो बीसों छोरियों की जिन्दगी गुजर हो रही थी, वे महल से निकाल दी गई हैं और सिर्फ उसी एक छोकरी के पीछे पागल बने हुए हैं। अपनी हमदर्द शराब को भी उन्होंने कतई छोड दिया है।" ___

"ऐसी बात!। कमर ताज्जुब-भरी आवाज में बोला—"तब जरूर ही वह छोकरी बहुत खूबसूरत होगी। आखिर उसका नाम क्या है?"

"नाम है उसका मेहरुन्निसा!"

जहूर, परवेज का नया खरीदा हुआ गुलाम, जो दरवाजे के बाहर खड़ा हुआ भीतर की सब बातें सुन रहा था, एकदम चौंक पड। उसका मस्तिष्क घूम गया और वह धडाम से जमीन पर गिर पड़ाI

“जहूर!" परवेज ने पुकारा उस गुलाम को। गुलाम कराहता हुआ उठा और उदासीन भाव से सामने आकर खडा हो गया। "क्यों रे, कैसी तबीयत है?" परवेज ने पूछा।

"अच्छी है, आलीजाह!"

"देख मेरी बांदी अभी इस सल्तनत की होने वाली मल्का को लेकर आती होगी, उसे अंदर आ जाने देना।"

जहूर बाहर आकर बैठ गया। अन्दर बातचीत आरम्भ हो गई? कमर बोला— क्या तुमने उसे बुलाया है?"

"हां! मैंने सोचा, जरा तुम भी उसकी सूरत देख लो और उससे दो-दो बातें कर लो।"

“अच्छा ही किया...।" कमर ने कहा।

गुलाम दरवाजे पर बैठा हुआ बांदी के लौटने की राह देख रहा था। थोडी देर बाद उसने देखा कि बांदी के साथ मल्का -सी सजी हुई मेहर आ रही है। उस समय मेहर की खूबसूरती गजब ढा रही थी, फिर भी चांद जैसे मुखड पर कालिमा की अस्फुट छाया विद्यमान थी।

मेहर जब पास आ गई तो गुलाम ने झुककर कोर्निश की। मेहर की नजर उस पर हठात् जा पड़ी ।

यह क्या? यह कौन? मेहर का दिल कांप उठा। या खदा! यह उसकी आंखें क्या देख रही हैं? उसकी मुहब्बत का शिकार जहूर, आज गुलाम की हालत में उसके सामने खड़ा है।

“तुम?—जहूर तुम!"-उसके मुंह से कांपती हुई आवाज निकली।

जहूर धीमे से हंस पडII

उफ्फ् ! बाहर की इस सूखी हंसी में प्रेम का कितना भयानक इतिहास छिपा था! वह कितनी कृतघ्न है कि जिसने उसके लिए लाखों कष्ट सहे, उसे उसने पत्थर की तरह ठुकरा दिया।

"उस फकीर की बात सच हुई, मेहर!" कहते हुए जहूर ने मुंह फेर लिया। उसकी आंखें डबडबा आई थीं।

मेहर को, फिर उस फकीर की याद आ गई। फकीर के ही लफज तो कहर के अल्फाज बनकर उसे जला रहे थे। ।

मेहर अपने को संभाल न सकी, वह मूर्च्छित होकर गिरने की वाली थी कि शहजादा परवेज भीतर से आ पहुंचा। इज्जत के साथ उसने मेहर को कोर्निश की और भीतर लाकर बा-इज्जत पलंग पर बैठा दिया।

"क्या तबीयत कुछ खराब हो गई है ? " परवेज ने पूछा।

"नहीं शहजादे ! सब ठीक है। किसलिए मुझे याद फरमाया है आपने?"
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