RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं हर रात इस आस मे सोता हूँ कि, सुबह होते ही मेरा कोई भी खास दोस्त मेरे पिच्छवाड़े पर लात मार कर उठाए और फिर गले लगाकर बोले कि"रिलॅक्स कुत्ते, जो कुछ भी हुआ, वो सब एक सपना था...अब जल्दी से चल ,फर्स्ट क्लास दम्मो रानी की है, यदि लेट हुए तो हथियार पकड़ कर पूरे पीरियड भर बाहर खड़ा रहना पड़ेगा...."
लेकिन हक़ीक़त कभी सपने या ख्वाब मे तब्दील नही होते...मैने अपने साथ कुछ बहुत बुरा किया था...ये भी एक हक़ीक़त थी....जिस स्टील प्लांट मे मैं काम करता था, वहाँ मेरी किसी से कोई पहचान नही थी और ना ही कभी मैने उनसे मिलने-जुलने की कोशिश की....जब कभी एक दूसरे की हेल्प पड़ती तो"ये...ओये...ग्रीन शर्ट...ब्लू शर्ट..."ये सब बोलकर अपना काम चला लेते....उस दिन मैं रात को 9 बजे अपने रूम पर आया...वरुण मुझसे पहले आ चुका था....
"चल , हाथ-मूह धो ले...दारू पीते है..."एक टेबल की तरफ वरुण ने इशारा किया, जहाँ एम.डी. की बोतल रखी हुई थी...
"मैं आज निशा के घर जा रहा हूँ..."
"अरे ग़ज़ब...मतलब आज पूरी रात, लाइव मॅच होने वाला है..."
"लाइव मॅच तो होगा, लेकिन ऑडियेन्स सिर्फ़ हम दोनो होंगे..."
"साला ,मुझे अभी तक ये समझ नही आया कि निशा जैसी हाइ प्रोफाइल क्लास वाली लड़की ,तुझसे कैसे सेट हो गयी....मैं मर गया था क्या.."एम.डी. की बोतल को खोलते हुए वरुण ने कहा"अरमान, एक काम कर...तू निशा से शादी कर ले...लाइफ सेट हो जाएगी...."
"सजेशन अच्छा है, लेकिन मुझे पसंद नही..."
"तो फिर एक और सरिया उठा के पिच्छवाड़े मे डाल लियो, ज़िंदगी और भी बढ़िया गुज़रेगी..."चिढ़ते हुए वरुण बोला...
"मैं चलता हूँ..."ये बोलकर मैं रूम से बाहर आया...
निशा की तरह मैं भी चाहता था कि वो हर रात मेरी साथ ही बिताए, यही रीज़न था कि मैने उसे अभी तक छोड़ा नही था...और एक सॅडेस्ट पर्सन से सेक्स करने की चाह ने भी उसे मुझे बाँध रखा था....वो हमेशा जब भी मुझसे मिलती तो यही कहती कि, तुम्हारे साथ बहुत मज़ा आता है और उसके ऐसा कहने के बाद मैं एक बनावटी मुस्कुराहट उसपर फेक के मारता हूँ, जिसका निशाना हर बार ठीक बैठता है......
"कम..."निशा ने दरवाजा खोलते हुए कहा, और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे जल्दी से अंदर खींच लिया....
"सब्र कर थोड़ी देर...."मैने अंदर ही अंदर हज़ार गालियाँ निशा को दी
अंदर आकर हम दोनो डाइनिंग टेबल पर बैठ गये, वो मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी मुझे शरारत भरी नज़रों से देख रही थी, मैने भी उसकी आँखो मे आँखे डाली और इशारा किया कि मैं तैयार हूँ...मेरा इशारा पाकर वो एकदम से उठी और खाने की प्लेट को डाइनिंग टेबल पर रखकर सीधे मेरे उपर बैठ गयी.
"तुम डॉक्टर हो..."अपनी गहरे लाल रंग की शर्ट की बटन को खोलते हुए वो मुझसे पुछि....
"नही, मैं इंडिया का प्रेसीडेंट हूँ...कुछ काम था क्या..."मैने भी अपनी खाने की प्लेट डाइनिंग टेबल पर रखी और उसके जीन्स का लॉक खोलते हुए बोला...उसने अपने दोनो से मेरे सर को पकड़ा और प्यार से सहलाने लगी....
"अरमान, तुम जानते हो मुझे सबसे ज़्यादा क्या पसंद है..."
"चुदाई..."मैं मन ही मन मे चिल्लाया और निशा की तरफ देख कर ना मे सर हिलाया, अब मेरी नज़र निशा के चेहरे से होते हुए उसके सीने पर जा अटकी, जहाँ उसकी छाती के दोनो फूल बाहर खिलने के लिए तड़प रहे थे....निशा की कोमल गोरी कमर को सहलाते हुए मैने पकड़ा और उसे उपर उठा कर उसकी जीन्स को उसके घुटनो से भी नीचे कर दिया, अब वो मेरे सामने सिर्फ़ रेड ब्रा और पैंटी मे थी, उसके पूरे गोरे जिस्म मे ये रंग कयामत ढा रहा था...
मेरे सीने को सहलाती हुई निशा ने मेरी शर्ट को उतार कर फेक दिया और बेतहाशा मेरे सीने को किस करने लगी, इस वक़्त मेरे हाथ उसकी छातियो पर अटके हुए थे, मैने निशा के सीने के उन दोनो उभारों को कसकर पकड़ा और दबा दिया....
"आअहहस्सस्स....धत्त्त..."वो झूठे गुस्से के साथ बोली..
"नाइस ब्रा, काफ़ी अच्छा लग रहा है ,तुम पर...."उसकी ब्रा को उसके जिस्म से अलग करते हुए मैने कहा...
"यदि ये ब्रा, मेरे जिस्म पर इतना ही अच्छा लग रहा था तो फिर इसे उतारा क्यूँ...."
"क्यूंकी इस ब्रा के पीछे जो चीज़ है वो इससे भी खूबसूरत है"
उसकी छाती अब मेरे सामने नंगी थी, और मैं उसके उभारों को जब चाहे जैसे चाहूं दबा सकता था, वैसे तो मैं खुद को उसका गुलाम मानता था था,लेकिन सेक्स करते वक़्त वो मेरी गुलाम हो जाती थी...निशा के सीने के एक उभार को मैने प्यार से अपने मूह मे भर लिया और दूसरे को तेज़ी से मसल्ने लगा...
"मना किया ना...आहह उउउहह"मेरा हाथ हटाते हुए वो बोली"कितनी बार मना किया है, ज़्यादा तेज़ी से मत दबाया करो..."
मैं इस वक़्त निशा से बहस नही करना चाहता था, इसलिए मैने उसकी बात मान ली और अपने एक हाथ को उसकी छाती पर से हटा लिया और अपने हाथो से निशा के नंगे पेट को सहलाते हुए उसकी चूत पर अपना एक हाथ रख दिया...मेरे ऐसा करने पर वो किसी मछलि की तरह उछल पड़ी और सिसकारिया लेनी लगी,...मेरे पैंट मे बने हुए तंबू का उसे अहसास हो गया था, वो एक मादक सी आवाज़ मे बोली...
"जल्दी .....प्लीज़...आइ कॅन'ट वेट मोर....."मेरे लंड को पैंट के बाहर से ही सहलाती हुई निशा ने कहा....उसकी आवाज़ मे कंपन था...जो मुझे मदहोश कर रही थी...
मैने निशा को उपर उठाया और मैं खुद वहाँ खड़ा हो गया, चेयर को पीछे करने के बाद वो मेरे सामने घुटनो पर बैठी और मेरी तरफ देखते हुए मेरे लंड पर अपना हाथ फिरा रही थी, उसके बाद उसने मेरे लंड को पैंट से बाहर निकाला और अपने हाथो मे थामकर आगे पीछे करने लगी.....
"तुम जानते हो, तुम मे सबसे खास चीज़ क्या है...."मेरे लंड को अपने हाथो से सहलाती हुई उसने मुझसे पुछा....
"लंड...."
"बिल्कुल सही जवाब और आपको मिलती है एक चूत,जिसे आप आज रात भर रगड़ सकते है...."
निशा की इन चन्द लाइन्स ने मुझे और भी ज़्यादा पागल और मदहोश कर दिया और एक यही वक़्त था, जब मुझे उसकी चुदाई करने के अलावा और कुछ भी याद नही रहता, इन्ही चन्द पॅलो के लिए मैं आज भी निशा के साथ था....
"मेरे इनाम को पर्दे मे क्यूँ रखा है..."ऐसा कहते हुए मैने उसी वक़्त निशा को पकड़ कर ज़मीन पर लिटा दिया, और उसकी रशभरी गुलाबी चूत को पर्दे से बाहर किया...ये सब कुछ मैने इतनी जल्दी किया कि निशा हैरान रह गयी...और फिर मुस्कुराते हुए बोली...
"बहुत जल्दी हो रही है आपको.."
"तू कसम से माल ही ऐसी है..."
मेरा ऐसा कहते ही वो खुशी से मचल उठी, निशा को ज़मीन पर लिटाकर मैने एक बार फिर उसकी छाती को मसलना शुरू किया...
"आहह....उूुउउ....."निशा की प्यार भरी मचलन फडक रही थी और वो उतेजना की चरम सीमा पर पहुच कर दस्तक दे रही थी, वो इस वक़्त इतनी मदहोश हो गयी थी कि वो खुद के हाथो से अपने सीने के उभारों को रगड़ने लगी और मुझे इशारा किया कि ,मैं वो सब कुछ करूँ,जिसके लिए आज रात मैं यहाँ था....मैने निशा की गोरी चिकनी कमर को पकड़ा और उसे अपने लंड के ठीक उपर बैठा लिया, उसकी चूत इस वक़्त मेरे लंड के स्पर्श के लिए तड़प रही थी...मैने उसकी तड़प कम करने के लिए अपने हाथो से उसकी चूत को थोड़ा फैलाया और सीधे अपना लंड एक तेज धक्के के साथ अंदर घुसा दिया....
"अहह.......आहह"अपनी उंगली को दांतो से दबाते हुए वो बोली, उसका चेहरा इस वक़्त लाल पीला हो रहा था,...
मैं ज़मीन पर लेटा हुआ था और निशा मेरे उपर बैठी हुई अपनी गान्ड हिला कर मज़े लूट रही थी...इस तरह उसका दर्द भी कुछ कम हो गया था, और अब वो मस्ती भरी सिसकारियाँ ले रही थी...मैने एक बार फिर से अपने सबसे चहेती जगह को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और तेज़ी से अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा,...कभी निशा मेरे हाथो को पकड़ लेती तो कभी अपनी चिकनी गान्ड को मटकाते हुए आगे पीछे करती....मेरे तेज धक्को के साथ उसकी सिसकारियाँ भी बढ़ती जा रही थी, इसी बीच मैने उसके बूब्स को कयि बार बहुत तेज़ी से मसला , इतना तेज़ी से कि उसकी मस्ती भरी सिसकारियो मे अब दर्द झलक रहा था,लेकिन ये दर्द वो अपनी भारी गान्ड को आगे पीछे करके सह रही थी, हम दोनो इस पोज़िशन मे बहुत देर तक रहे,उसके बाद मैने निशा को अलग किया और घुटने पीछे की तरफ मोड़ कर बैठ गया और उसकी जाँघो को सहलाते हुए उसे भी अपने उपर बैठा लिया....
"स्शह...ये क्या कर रहे हो..."निशा बोली...
"कुछ नही, बस अपना काम कर रहा हूँ..."उसके नंगे बदन पर किस करते हुए मैं बोला और फिर अपने लंड को उसकी चूत से टिकाया और एक जोरदार धक्का मारा. इस पोज़िशन मे मैं पहली बार निशा को चोद रहा था,इसलिए वो तैयार ना थी , और जैसे ही मेरा लंड पूरा अंदर घुसा वो दर्द के मारे ज़ोर से चीखी, वो दर्द से तड़प उठी और मुझसे च्छुटने की कोशिश करने लगी,लेकिन मैने उसकी कमर को कसकर पकड़ा और उसकी चूत मे लंड अंदर बाहर करने लगा....निशा ने अपने हाथो से मेरे लंड को निकालने की भी कोशिश की ,लेकिन उसके हाथ मेरा काम बिगाड़ते उससे पहले ही मैने उसके दोनो हाथो को पकड़ कर पीछे जकड लिया, अब उसके पास असहाय होकर चुदने के आलवा और कोई रास्ता नही था,...निशा की सिसकारियाँ इस बीच लगातार निकल रही थी , जो मुझे और भी उतेज़ित कर रही थी, निशा की सिसकारियो मे दर्द सॉफ झलक रहा था....मैने निशा को ज़मीन पर वापस लिटाया और उसकी टाँगो को पकड़ कर उसे खुद की तरफ खींचा, उसके बाद मैने उसकी दोनो टाँगो को उपर उठाकर उसकी तरफ मोड़ दिया ,जिससे उसकी चूत मेरे सामने की तरफ आ गयी और बिना एक पल गँवाए मैने अपना लंड अंदर डाल दिया,निशा की चीख एक बार फिर पूरे घर मे गूँजी, उसका गोरा शरीर, दर्द और मस्ती से लाल पीला हो रहा था...
"मैं...अब...आहह....अरमान...आइ ल्ल्लूओवीए युवयू....सस्शह एसस्स्स्स्स्सस्स"
निशा झड गयी और उसकी गुलाबी चूत से पानी बाहर रिसने लगा , अब मैने उसके गालो को तेज़ी से सहलाया और बुरी तरह से निशा से लिपटकर और भी तेज़ी से अपना लंड घुसाने लगा...वो मुझे रोकने की कोशिश करने लगी ,लेकिन मैं नही रुका और लगातार अपना लंड उसकी चूत मे देता रहा, और कुछ देर के बाद मैं भी झड गया....मैं और निशा अब भी एक दूसरे से लिपटे हुए थे...हम दोनो एक दूसरे की आँखो मे आँखे डाल कर ना जाने क्या देख रहे थे....फिर उसने ऐसा कुछ कहा, जिसकी मैने कभी कल्पना तक नही की थी.......
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