RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
हम दोनो दूसरे रास्ते से जाने के लिए पीछे मुड़े ही थे कि किसी सीनियर ने हमे देख लिया और उधर आने के लिए कहा, जहाँ भीड़ जमा थी....
"वापस कहाँ जा रहे थे सर..."मेरे कंधे पर हाथ रखकर कोई बोला...
"वो मोबाइल छूट गया है, क्लास मे..."
"अच्छा..."उसने मेरा बॅग एक झटके से खींचा और बॅग की चैन खोलकर पूरा समान रास्ते मे ही बिखेर कर बॅग मेरे हाथ मे थमा दिया....
"अपना समान उठा और निकल यहाँ से..."
मैने एक हाथ मे अपना बॅग पकड़ कर अपनी बुक्स और कॉपी को उठाने के लिए झुका ही था कि उस Mcएल सीनियर ने मेरे पिछवाड़े पर कसकर एक लात मारी और मैं वही ज़ोर से मुँह के बल गिरा....
"चूतिया समझ के रखा है क्या..."पीछे से उसकी आवाज़ आई, हाथो की मुत्ठिया बँध चुकी थी, और यदि उस वक़्त वो वहाँ अकेले रहता तो उस साले को इतना मारता कि रॅगिंग की स्पेलिंग तक भूल जाता वो, लेकिन मैं उठता उसके पहले ही उसके कुछ और दोस्त आ गये, और उसको पकड़ कर बोले कि...
"अभी नही, बाद मे देख लेंगे इन दोनो को..."जिसके जवाब मे वो चिल्लाया कि "साले झूठ बोलता है, तू रुक आज रात तेरी धुलाई करता हूँ ,साले बीसी..."
उसके बाद सिर्फ़ ये हुआ कि मेरी गुस्से से बंद मुत्ठिया ढीली पड़ गयी, और वो सीनियर जिसने मेरे पिछवाड़े पर अपने जूते के निशान छोड़े थे वो मुझे गालियाँ देते हुए वहाँ से चला गया....
"मैने उसे मारा क्यूँ नही, क्या मैं डरपोक....नही..."आज ज़िंदगी के 18 साल गुज़ार लेने के बाद एक और सच से सामना करना पड़ रहा था....आज तक स्कूल मे सिर्फ़ छोटी-मोटी लड़ाई हुई थी, जिसमे मैं हर बार पूरे ज़ोर और शोर से भाग लेता था....और अपनी ए ग्रेड स्टडी के लिए हर बार बच भी जाता था....स्कूल मे अक्सर सब यही बोलते कि मैं बहुत हिम्मतवाला हूँ, लेकिन आज कुँए का मेंढक समुंदर मे आया था, जिसका मुक़ाबला बड़े बड़े कछुओ और शार्क से था......
"चल अपने रूम चलते है...."अरुण ने मेरा बॅग उठाकर मुझे पकड़ते हुए बोला....मैं चुप रहा, चेहरा गुस्से से अब भी लाल था.....
"चल, भूल जा..."मुझे ज़बरदस्ती अरुण ने खींचा, जिसके चलते मैं उसपर झल्ला उठा....
"अबे छोड़"
"भाड़ मे जा..."गुस्से मे वो भी था, इसलिए वो भी मुझ पर चिल्लाया और मेरा बॅग मेरे हाथ मे पकड़ा कर वहाँ से हॉस्टिल की तरफ चला गया......
"उस साले ने लात मेरे पिछवाड़े पर मारी है और गुस्सा ये हो रहा है...."अरुण को हॉस्टिल की तरफ जाते हुए मैं देख रहा था....कुछ देर पहले जो हुआ, वो सब देखकर शायद अरुण को भी गुस्सा आया था...
"सॉरी...."जब अरुण ने दरवाजा खोला तो मैने उससे कहा....जिसके जवाब मे वो हँसते हुए बोला
"सॉरी से काम नही चलेगा, मैं तो गान्ड मारूँगा...."
"चल बे, दूर चल...मैं तो तुझे देखते ही समझ गया था कि तू है..."
अंदर आकर मैने अपना बॅग एक तरफ फैंका और बिस्तर पर लेट गया, अभी कुछ ही देर हुए थे कि एक छोटे कद का लड़का अरुण के पास आया, उसकी आँखो मे लगा चश्मा उसे एक सीरीयस स्टूडेंट की उपाधि दे रहा था....वो सीधे मेरे पास आया और मुझसे हाथ मिलाया वो भी बिना कुछ बोले.....और फिर सीधे जाकर अरुण के पास बैठ गया...
"साला पागल लगता है..."उसे देखकर मैने कहा....
अरुण के पास जाकर वो बात करने लगा, और अरुण से बात करने के दौरान वो अपना चश्मा उतारता और मेरी तरफ कुछ देर तक देख कर वापस अपना चश्मा अपनी आँखो मे टांगता अरुण से बात करने लगता.......
" सुन बे अरमान...ये भूपेश मेरे ही यहाँ का है...."
उस छोटी सी हाइट वाले लड़के का नाम भूपेश था, जिसका नामकरण अरुण ने पहले ही कर दिया था....
"बी.एच.यू."अरुण उसे इसी नाम से बुलाता था....
"उस लड़की का नाम क्या है , जो सीएस मे है..."भू ने एक बार फिर अपना चस्मा निकाल कर मेरी तरफ देखा और फिर चश्मे पर फूक मार कर अरुण की चादर से चश्मे को सॉफ करने लगा....
"एश...."अरुण बोला...
एश का नाम सुनते ही सारी थकान दूर हो गयी, मैं उठकर बिस्तर पर बैठ गया और अरुण की तरफ देखकर बोला"क्या हुआ..."
"भू को एश से प्यार हो गया है..."
"इसे और एश से प्यार "भूपेश की तरफ देखकर मैं बोला....(अबे साले, अपनी शकल देखी है, कहाँ वो और कहाँ तू)
"इसके पास उसका मोबाइल नंबर भी है..."
ये सुनकर मुझे झटका लगा,वैसे तो एश का नंबर. मालूम करना कोई बड़ी बात नही थी, उसके क्लास मे जो भी उसके करीब हो उससे एश का नंबर लिया जा सकता है....लेकिन मुझे झटका इसलिए लगा क्यूंकी भू एश के मामले मे मुझसे ज़्यादा आक्टिव था....जहाँ मैने उसे चुपके से घूर्ने का अलावा और कुछ नही किया था, वही भू ने उसका नंबर. अपने मोबाइल मे सेव करके रखा था.....
"उसे कॉल करता हूँ..."अरुण से वो बोला और अपना नोकिया 1200 निकाल लिया....
मैने अपनी 18 साल की ज़िंदगी मे बहुत से प्रेमी जोड़े देखे थे, लेकिन उनमे से सिर्फ़ एक या दो प्रेमी जोड़े ही एक-दूसरे के लिए पर्फेक्ट थे....वरना एक से बढ़कर एक घोनचू लौन्डे टनटन माल लेकर घूमते है, जिसे देखकर अक्सर मेरा कलेजा जल उठता है और सिर्फ़ एक लाइन मुँह से निकलती है
"हम मर गये है क्या, जो इस गन्दू के साथ घूम रही है...."
और इसी डर मे कि कही एश के साथ ये भू ना सेट हो जाए, मैं अपने बिस्तर से उठा और भूपेश के हाथ से उसका मोबाइल छीन लिया....
"अबे यदि उसने तेरे मोबाइल नंबर. की रिपोर्ट कर दी तो...."उसे डरते हुए मैं बोला....
"कोई बात नही सिम फ़र्ज़ी है..."
"आजकल लोकेशन ट्रेस हो जाते है, और वैसे भी वो किसी ना किसी से सेट होगी तो क्यूँ अपना बॅलेन्स फालतू मे खर्च कर रहा है...."
"बाद की बाद मे देखेंगे..."मेरे हाथ से मोबाइल लेकर अरुण ने मोबाइल भू को थमा दिया और बोला"तू कॉल कर..."
"ये साला अरुण, मेरे साथ है या इसके साथ"
"तूने कुछ बोला क्या..."अरुण मेरी तरफ देखकर मुझसे पुछा....
"ना, मैने कुछ नही बोला....मैं क्यूँ बोलूँगा कुछ...एश मेरी वाइफ है क्या, जो मुझे उसकी फिकर होगी...."
मेरा इतना कहना था कि दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी...
"ले यार खोल..."अरुण मुझसे बोला,...
मैने पूरा दरवाजा खोला भी नही था कि एक जोरदार तमाचा मेरे गाल और कान पर पड़ा, मैं सन्न रह गया उस वक़्त और कान पर हाथ रखकर वही खड़ा रहा...अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था कि रूम के अंदर कौन आया था, जिसने अभी-अभी मेरा गाल लाल किया था वो वही था जिससे मेरी मुलाक़ात हॉस्टिल के बाहर हुई थी.....
"चल बे साइड चल..."मैं इस वक़्त दरवाजे और रूम के बीच मे खड़ा था, इसलिए उसने मुझे धक्का देते हुए कहा और सीधे जाकर मेरे बिस्तर पर बैठ गया, जो हाल मेरा था, वो हाल भू और अरुण का भी था, वो दोनो बिस्तर से खड़े हो गये थे.....
"नीचे बैठ वही ज़मीन पर..."मेरी तरफ इशारा करते हुए वो बोला"शकल याद है मेरी या भूल गया..."
"याद है..."
"हां तो हमेशा याद रखना, तेरे बाप की शकल है..."
उसने जैसे ही ये बोला, पूरा जिस्म गुस्से से लाल -पीला हो गया, यदि उस वक़्त मुझे अपने भाई के कहे हुए शब्द याद ना आए होते तो मा कसम उस साले को बहुत मारता......
"आइ कॉंटॅक्ट करेगा बे..."बिस्तर पर पूरा पसारता हुए रूम के दीवार की तरफ इशारा किया"उस दीवार को देख रहा है...मैने उसी दीवार पर तेरे जैसे ही एक चूतिए का सर पकड़ कर दे मारा था, साला चार महीने कोमा मे था....पोलीस भी कुछ नही उखाड़ पाई, क्यूंकी उसे कोई गवाह ही नही मिला जो ये बोलता कि वो सब मैने किया था...."
"तो ये सब मुझे क्यूँ बता रहे हो...."खून मेरा भी गरम था, इसलिए मैने बोल दिया...जिसका नतीज़ा ये हुआ कि वो सीनियर जो कुछ देर पहले मेरे बिस्तर पर पसरा हुआ था वो एकदम से उठ खड़ा हुआ और गुस्से से अपने दाँत पीसते हुए मेरे पास आया....
"सॉरी सर, उसे छोड़ दो, पागल है वो..."अरुण ने उस सीनियर को पकड़ा....
"समझा दे इस लौन्डे को वरना यहीं जान से मार दूँगा...."
"ठीक है, मैं इसे समझा दूँगा...."
"जा एक ग्लास पानी ला..."
अरुण वहाँ से पानी लेने चला गया और इधर रूम मे चुप्पी छाइ रही, अरुण कुछ देर मे ही वापस आ गया,लेकिन उसके हाथ खाली थे....
"सर, वो वहाँ का ग्लास शायद किसी लड़के ने अपने रूम मे रखा हुआ है, मैं बोतल मे आपके लिए पानी लाता हूँ...."अंदर घुसते ही अरुण बोला और बोतल लेकर वहाँ से पानी लेने चला गया.....
"तू इधर आ बे..."अरुण के जाने के बाद उसने मुझे अपने पास बुलाया और सिगरेट पीने के लिए पुछा....
"मैं नही पीता..."तपाक से मैने बिना एक पल गँवाए जवाब दिया,
वो सीनियर आगे कुछ बोलता उसके पहले ही अरुण दौड़ते भागते हुए बोतल मे पानी भरकर ले आया और उसे दे दिया....उसने बोतल मे मुँह लगाकर एक घूट पानी पिया और फिर बोतल मेरी तरफ बढ़ा दी...
"रिलॅक्स हो जा, और ले पानी पी..."
"मुझे प्यास नही है..."खून मेरा अब भी गरम था....
"पी ले पानी ,क्यूंकी इसके बाद मैं जो करने वाला हूँ उससे तेरा गला सूख जाएगा..."
उसके बात का मैने कोई जवाब नही दिया और वो अपने कंधे उचकाता हुआ बोला"तेरी मर्ज़ी...."
उसने अपने जेब से सिगरेट की पॅकेट निकाली और भूपेश को अपने पास बुलाया और रूम मे जल रहे बल्ब को ऑफ करने के लिए कहा....
"वापस ऑन कर जाके..."अंधेरे मे धुआ उड़ाते हुए उसने भू से वापस बल्ब को ऑन करने के लिए कहा और जब भू ने वापस बल्ब को ऑन कर दिया तो वो बोला....
"अब तू 100 बार बल्ब को ऑन करने के बाद बिस्तर पर आकर बैठ जाना और फिर उठकर बल्ब को ऑफ कर देना...चल शुरू हो जा...."
भूपेश की पहले से ही सिट्टी-पिटी गुम थी ,वो क्या बोलता...बिना कुछ बोले वो अरुण के बेड से बोर्ड तक 200 चक्कर मारने लगा......
"ले पी..."ऑन-ऑफ होते हुए बल्ब के बीच मे उसने मुझे एक सिगरेट दिया....
"मेरी आदत नही है..."
"इसीलिए तो पिला रहा हूँ, इंजिनियर साहेब...जब तक नशा पट्टी नही करोगे तो इंजिनियर कैसे बनॉगे...."
मज़बूरी मे सिगरेट को मुँह से लगाना पड़ा, भैया के द्वारा दी गयी नसीहत मे ये भी था कि मैं सिगरेट और शराब से दूर रहूं, लेकिन यदि मैं उस वक़्त ये सब नही करता तो उनके द्वारा दी गयी दूसरी नसीहत ,जिसमे उन्होने कहा था कि लड़ाई - झगड़ा मत करना, वो टूट जाती.....
"धुआ अंदर ले...मुँह मे रखकर तो पहली-दूसरी क्लास के लौन्डे भी सिगरेट पी लेते है..."
मैने वैसा ही किया, सिगरेट के धुए को अंदर लिया...सिगरेट के कश को अंदर क्या खींचा, पूरा का पूरा कलेजा जैसे बाहर आ गया, और मैं खांसने लगा.....
"एक कश और मार..."
मैने फिर कश अंदर लिया और नतीज़ा वही पहले जैसे ही रहा...
"एक कश और..."
तीसरी बार हिम्मत तो नही हो रही थी, लेकिन उस वक़्त कोई दूसरा रास्ता भी नही... भू अब भी बल्ब को ऑन-ऑफ करने मे लगा हुआ था....
"तेरे कितने राउंड हुए बे.."
"80...." हान्फते हुए भू ने जवाब दिया,
"बेटा अभी तो आधे भी नही हुए,...चल शुरू हो जा..."
तीसरी बार भी मैने सिगरेट के धुए को अपने सीने मे घुसाया और इस बार खांसने के साथ-साथ मेरी आँखो से आँसू भी निकल गये और सर भी घूमने लगा....
"आज के लिए इतना ही काफ़ी है, कल फिर मिलेंगे...."
उसका रूम से बाहर जाना था कि मैं और भू बिस्तर पर लेट कर हांपने लगे.....
"गंद....गंद...."भू बस इतना बोल पाया और हांपने लगा,
"क्या गंद-गंद कर रहा है बे..."
"गंद मार ली साले ने, चक्कर आ रहा है, पानी....पानी..."वो फिर हांपने लगा....
"इधर तो बीसी सर ही घूम रहा है...."अपना सर पकड़ कर मैं बोला...
"सिगरेट का असर ज़्यादा देर तक नही रहता, डॉन'ट वरी..."
"वरी गयी माँ चुदाने, तू जा दौड़कर पानी ला..."
अरुण के वहाँ से जाने के बाद मैं भू की तरफ मुड़ा, वो अपने सर छत की तरफ किए हुए हाँफ रहा था....
"क्यूँ बेटा, क्या हाल है...मज़ा आया.."
"बहुत मज़ा आया, दोबारा करने का मन कर रहा है...."
"जब से कॉलेज मे आया हूँ, साला सब मार के चले जाते है, अब दीपिका मॅम को ही ले ले, आज लॅब मे साली ने मेरा हाथ चूत से ही टच करवा दिया...."
"क्या...."उसने जैसे ही ये सुना उसकी सारी थकान दूर हो गयी और वो मेरे पास आकर बोला"दीपिका मॅम के बहुत चर्चे है कॉलेज मे ,ज़रा संभाल कर...एक बार जिसको ताड़ लेती है, उसे चोद्कर सॉरी उससे चुदवाकर ही दम लेती है....साली करॅक्टरलेस है..."
"तुझे कैसे पता..."
"मेरा एक दोस्त 2न्ड एअर मे है, उसी ने बताया दीपिका के जलवे के बारे मे, उसने ये भी बताया कि इसी वजह से उसको लास्ट एअर कॉलेज से निकालने भी वाले थे...लेकिन फिर होड़ और उसके बीच .....लेकिन तू फिकर मत कर, तुझे वो छोड देगी..."
"ऐसे कैसे छोड देगी..."
"तेरे मे वो बात ही नही है, वो उन्ही लड़को के साथ सेट्टिंग करती है जो हॅंडसम हो..."
"साला खुद तो बावरची लगता है और मुझे बोल रहा है, चल भाग यहाँ से..."
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