RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"साले पढ़ेंगे नही तो बॅक ही लगेगी ना "मैने ऐसा कहा जैसे पूरे सेमेस्टर मेरे हाथ से एक पल के लिए भी बुक ना छूटी हो....
"तेरा क्या हुआ बे..."प्रिनटाउट निकलवाने के बाद मैने वही खड़े एक लड़के से पुछा...
"3 सब्जेक्ट मे लुढ़क गया..."
"और तेरा..."मैने दूसरे से पुछा..
"दो मे बॅक..."
"देखो बेटा, पास होने के लिए पढ़ना पड़ता है...दिन भर फ़ेसबुक मे ऑनलाइन रहने से कुच्छ नही होता...अगली बार से मेहनत करना तभी पास हो पाओगे वरना सब सब्जेक्ट मे फैल....साले उल्लू..."
.
जिन-जिन लड़को की बॅक लगी थी उन्हे सुनाकर मैं अपने रूम आया...वहाँ सौरभ और अरुण बार-बार अपने रिज़ल्ट इस उम्मीद मे देख रहे थे की शायद उनसे देखने मे ग़लती हो गयी हो....
"तुम दोनो फिर से फैल हो गये "उनके जले पर नमक छिड़कते हुए मैने कहा...
"बोसे ड्के तू खुश हो रहा है..."
"नही यार, मैं तो बहुत दुखी हूँ...चेहरे पर मत जा, मैं अंदर से बहुत ज़्यादा दुखी हूँ..."
"ये साले,म्सी मुझे ही हर बार क्यूँ लुढ़का देते है...इनकी *** को चोदु साले हरामी,बीसी..."अरुण चिल्लाते हुए बोला...
"इसी बात पर बाथरूम को स्पर्म डोनेट करके आ..."उदास होने का नाटक करते हुए मैं बोला....
"अरुण रुक, मैं भी चलता हूँ..."अपना मोबाइल एक तरफ गुस्से से फेक कर सौरभ बोला...
"तू किधर चला बे..."
"साले मेरी भी बॅक लगी है...मैं भी स्पर्म डोनेट करने जा रहा हूँ..."
.
जिस दिन रिज़ल्ट आया,उस दिन हॉस्टिल कुच्छ शांत था, जिसके भी रूम मे जाओ सब अपने रिज़ल्ट का प्रिनटाउट हाथ मे लिए देख रहे थे कि उन्हे किस सब्जेक्ट मे कितना नंबर मिला है....कुच्छ अपने घर फोन लगाकर खुशी से अपना रिज़ल्ट बता रहे थे तो कुच्छ फोन पर ही गालियाँ खा रहे थे....मेरे रूम मे खुद इस वक़्त मायूसी का महॉल था,इसलिए खुशी के महॉल की तालश मे मैं पूरे हॉस्टिल मे घूमता रहा और रात के 1 बजे पूरे हॉस्टिल का चक्कर मार कर अपने रूम लौटा तो देखा की अरुण ,सौरभ गहरी नींद मे है.....रात के 1 बजे विभा की कॉल फिर आई...
"हां बोलो..."कॉल रिसीव करके मैं बोला...
"रिज़ल्ट आ गया तुम लोगो का, मालूम चला या नही..."
"रात के 1 बजकर 3 मिनिट पर तुमने ये बताने के लिए कॉल किया है..."
"नही...कुच्छ और भी बात करनी है..."
"तो डाइरेक्ट पॉइंट पर आने का, "
"देखो अरमान..."बोलकर वो चुप हो गयी...
"हां दिखाओ..."
"देखो अरमान, तुम मुझे ब्लॅकमेल नही कर सकते..."
"ये पाप मैने कब किया...मॅम"
"सीसी की लॅब मे तुम अपने दोस्तो से क्या बोल रहे थे कि उन्हे तुम आ वॉक टू दा जंगल ,की कहानी बताओगे..."
"हां,तो उसमे बुरा क्या है..."
"आज के बाद वो सब भूल जाओ और किसी से उस बारे मे कुच्छ मत कहना..."
"वो क्या है कि मैं निहायत ही सारीफ़ और सच बोलने वाला इंसान हूँ....मुझे झूठ बर्दाश्त नही होता,इसलिए यदि कोई मुझसे पुछेगा तो सच बताना ही पड़ेगा ना...विभा मॅम"
"रेस्पेक्ट युवर टीचर्स..."
"दिल पे मत ले, मुँह मे ले...आसानी होगी"
"तुम शायद भूल रहे हो कि ,तुम्हारा सीसी सब्जेक्ट का नंबर मेरे हाथ मे है..."
"और तू शायद भूल रही है कि तेरी इज़्ज़त मेरे एल पर है...जिसे मैं जब चाहू तब उतार सकता हूँ...इसलिए अपना रौब उसपर झड़ना ,जो उस काबिल लगे...मेरे सामने यदि दोबारा कभी ऐसी हरकत की तो मैं डाइरेक्ट फ़ेसबुक पर स्टेटस डाल दूँगा और उस दिन ग्राउंड पर जो हुआ उसकी पिक्स भी...जिसमे मैने वरुण और उसके दोस्तो की पेलाइ की और तू भी वहाँ मौज़ूद थी..."
"मैं कॉल रख रही हूँ..."
"तो रख दे, मैं कौन सा इंट्रेस्टेड हूँ तेरी जैसी लौंडिया से बात करने मे....तेरी जैसी को तो मैं चुसता भी नही..."और उसके बाद आदतन अनुसार मेरे मुँह से विभा के लिए बीसी निकल गया
.
मेरे ऐसे जवाब से विभा समझ गयी थी कि उसके कपड़े मेरे हाथ मे है,जिसे मैं जब चाहू उतार सकता हूँ....लेकिन फिलहाल मैं ये सब करने के मूड मे नही था,क्यूंकी अक्सर मैने न्यूज़ पेपर और लोगो के मुँह से सुना था कि,लड़कियो की इज़्ज़त करनी चाहिए....और वैसे भी मैं विभा के साथ कुच्छ दूसरा ही काम करने का मूड बना रहा था और यदि मैं ऐसी हरकत करता तो मेरा वो काम शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाता... दीपिका मॅम के मेरे लाइफ से चले जाने के बाद मुझे उसके बराबर ही हॉट लड़की चाहिए थी और मेरे फॅंटेसी ये भी थी कि वो एक टीचर हो..ऐसा नही था की विभा,दीपिका बाद एकलौती सेक्सी मेडम थी...कॉलेज मे और भी हॉट टीचर्स थी,लेकिन उनको पटाने मे टाइम लगता जो कि अपने पास नही था...इसलिए मैने विभा को चुना...,विभा के केस मे मेरे दो फ़ायदे भी थे ,पहला ये की उसकी चूत ,दीपिका से थोड़ी टाइट होगी ,ऐसा मैने अंदाज़ा लगाया और दूसरा ये कि वो मेरे कंट्रोल मे रहेगी....लेकिन ऐसा सोचते वक़्त मुझे ये नही मालूम था कि मेरी ये सोच,मेरी ये हरकत...एक नयी लड़ाई की बुनियाद रख रही है और इस बुनियाद का नतीजा अब तक के नतीजो मे सबसे बुरा और भयंकर होगा....यहाँ तक की जानलेवा भी ,लेकिन मैं नही रुका...क्यूंकी मुझे जल्द से जल्द विभा को चोदना था...मुझे ये काम फर्स्ट एअर मे ही कर देना चाहिए था लेकिन फर्स्ट एअर मे दीपिका मॅम जैसी हॉट आइटम के सामने विभा को मैने इग्नोर मारा पर अब विभा मुझे माल लगने लगी थी...जिसे मैं जल्द से जल्द चोदना चाहता था...
.
विभा को जाल मे फसाने के लिए सबसे पहला काम ये करना था कि मेरे इस अरमान की भनक किसी को ना लगे...मतलब की जैसे मैने दीपिका मॅम को रात-ओ-रात चोदा और सुबह होते ही बात आयाराम-गयाराम हो गयी...वैसी ही सिचुयेशन मैं विभा के केस मे भी अप्लाइ करना चाहता था....इसलिए मैने अपने इस अरमान की भनक अरुण और सौरभ तक को नही लगने दी...दूसरा काम मुझे जो करना था वो ये की विभा पर काबू पाना...ताकि वो मेरी बात ताल ना सके और तीसरा काम उसे ठोकना....ताकि मुझे हर दिन स्पर्म बाथरूम को डोनेट ना करना पड़े....पहला काम तो अंडर प्रोसेसिंग था और इसकी भनक मेरे दोस्तो को तो दूर ,खुद विभा को ये नही मालूम था कि उसको लेकर मेरे अरमान क्या है...दूसरा काम था उसे कंट्रोल करना, जो मैं कल से शुरू करने वाला था और विभा को कंट्रोल करने का मेरा रामबाण ये था की जितना हो सके विभा को इग्नोर किया जाए...ताकि वो मुझसे बात करने के लिए तरस जाए...
.
"अबे ओये रुक"वरुण ने एक जोरदार पंच मेरे हाथ मे मारते हुए बोला"क्यूँ बे साले...इस बीच मे एश कहाँ खो गयी...उसे पटाने के लिए तो तूने कोई प्लान नही बनाया और विभा की चूत के लिए बहुत बड़े-बड़े कारनामे किए तूने...."
"और तो और साले ने दीपिका को भी अकेले खाया और विभा को भी...हम सब तो लंड पकड़ कर रह गये..."दूसरे हाथ मे दूसरा पंच जड़ते हुए अरुण बोला....
"अच्छा हुआ,सौरभ और सुलभ नही है...वरना एक-एक पंच वो भी मारते..."अपने दोनो हाथ को अपने ऑपोसिट हाथ की हथेली से सहलाते हुए मैं बोला"अबे सालो दर्द होता है..."
"मुझे तो शक़ है कि तू एश से प्यार भी करता था या नही..."एक और बार जोरदार मुक्का मारते हुए वरुण बोला...
"देख मुंडा खराब मत कर...तुम लोगो को क्या लगा कि मैने कभी एश के लिए प्लान नही बनाया...अबे गधो एश का मामला अलग था, उसका एक बाय्फ्रेंड था जिसका बाप एक गुंडा था...तो सोचो कि यदि मैं सबके सामने उसपर लाइन मारता तो क्या मैं आज तक ज़िंदा बचता..."
"लेकिन फिर भी अपुन को तेरे लव मे फॉल्ट नज़र आ रहा है..."
"एश के लिए मैने जो प्लान बनाया था उसपर मैं खुद श्योर नही था कि मेरा वो प्लान कामयाब होगा या नही...क्यूंकी ना तो मैं ढंग से एश को जानता था और ना ही उसकी पसंद...मैं ये तक नही जानता था कि उसका घर कहाँ है, वो कॉलेज से जाने के बाद क्या करती है,किनसे मिलती है....बोले तो मैं एक ऐसी लड़की से प्यार करता था जो मेरे लिए बिल्कुल नयी थी...."
"फिर तूने उसके लिए जाल कैसे बुना,जो तेरे लिए किसी एलीयन के माफिक थी"
"दिल से किया पगले...मैने उसे दिल से समझा...दिल से ही उसके बारे मे सोचा और दिल से ही प्लान बनाया..."
"घंटा बनाया,चोदु मत बना मुझे..."एक और मुक्का मुझे जड़ते हुए अरुण बोला"ले बता तो अपने दिल का प्लान..."
"अबे तुम दोनो ने मुझे ढोलक समझ लिया है क्या,जो बजाते ही चले जा रहे हो..."ताव मे आकर मैं उठा और अरुण को तीन-चार नोन-स्टॉप पंच जड़ कर बोला"एक बात बता, तुम मे से किस-किस ने एश को फ़ेसबुक पर रिक्वेस्ट भेजी थी..."
"सबने...मतलब कि मैने,तूने,सुलभ,सौरभ,भू,नवीन...लगभग सभी ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी..."
"और आक्सेप्ट कितनो की हुई "
"सिर्फ़ तेरी..."दिमाग़ को उथल पुथल करते हुए अरुण ने कहा...
"तो बेटा यही तो था मेरा प्लान जो स्लो पाय्सन की तरह एश के दिल मे उतर रहा था...चल बोल पापा "
.
नेक्स्ट डे फर्स्ट पीरियड विभा का ही था और वो अपनी आदतन सज-सवार कर क्लास मे आई और एक-एक स्टूडेंट्स को खड़ा करके उनके सेकेंड सेमेस्टर का रिज़ल्ट पुछने लगी....
"7.7 ,एसी"खड़े होकर मैने जवाब दिया...
मेरे मुँह से एसी वर्ड सुनकर सब हँसने लगे,साले ये सोच रहे थे कि मैं फेंक रहा हूँ....
"कीप साइलेन्स..."विभा ने सबको शांत करते हुए कहा"अरमान ,क्या सच मे तुम पास हो गये..."
"नही ,सब मे बॅक है "
"ओके...ओके,डॉन'ट गेट आंग्री..."
"तेरी *** की चूत..."विभा को गाली देते हुए अरुण उठा"एक मे बॅक है मॅम..."
"लास्ट सेमिस्टर मे भी तुम्हारा बॅक था ना..."
"वो निकल गया..."
"गुड..."
उसके बाद बरी आई सौरभ की...
"सेम हियर मॅम..."
"मतलब.."
"मतलब की अरुण की तरह मैं भी एक मे लटक गया हूँ..."
"ओके,सीट डाउन..."
"8.2,...क्लिनिक ऑल क्लियर..."सुलभ एक झटके मे खड़ा हुआ और दूसरे झटके मे बैठ गया...बोले तो वेरी फास्ट प्रोसेस....
सबका रिज़ल्ट पुछने के बाद विभा ने अपना पकाऊ लेक्चर चालू किया, अरुण की आज तबीयत कुच्छ ढीले-ढीले सी थी, सुबह उसने कॉलेज आते वक़्त बताया भी था की उसे बुखार टाइप से लग रहा है...सेकेंड सेमेस्टर मे बॅक लगने से वो बहुत ज़्यादा ही अपसेट था,जबकि सौरभ पहले की तरह मस्त था....
"दुनिया ने चोद के रख दिया है यार, "पीछे वाली बेंच पर अपने दोनो हाथ टिकते हुए अरुण बोला...
"अबे बॅक तो लगती रहती है...इसमे उदास होने की क्या ज़रूरत है..."
"लेकिन हर बार मैं ही क्यूँ,व्हाई मे...इस साले अरमान की तो बॅक नही लगती...ज़िंदगी झंड हो चुकी है मेरी,लगता है कि छत से कूदकर स्यूयिसाइड कर लूँ...लेकिन डरता हूँ कि यदि छत से कूद कर भी नही मारा तो फिर मेरे पॅपा जी ही मुझे मार देंगे...."
"अबे चोदु,तूने वो कहावत तो सुनी ही होगी की...
स्मूद रोड्स नेवेर मेक गुड ड्राइवर्स!
स्मूद सी नेवेर मेक्स गुड सेलर्स!
क्लियर स्काइस नेवेर मेक गुड पाइलट्स!
प्राब्लम फ्री लाइफ नेवेर मेक्स आ स्ट्रॉंग & गुड पर्सन!
बी स्ट्रॉंग एनफ टू आक्सेप्ट दा चॅलेनजर्स ऑफ लाइफ.
डॉन’ट अस्क लाइफ
“व्हाई मी?”
इनस्टेड से
“ट्राइ मी!”....."
"एक लाइन मे इसका मतलब समझा ना "
"मतलब कि बिना बॅक लगे आप एक सॉलिड इंजिनियर नही बन सकते बोले तो बॅक लगनी चाहिए..."मैने कहा...
"तो फिर तू हर बार एसी क्यूँ हो जाता है..."सुलभ ने ताना मारा...
"मेरा तो हर बार खराब पेपर जाता है...लेकिन ये यूनिवर्सिटी वाले पास कर देते है तो इसमे मेरी क्या ग़लती..."
|