RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अबे लवडे,तेरा दिमाग़ घास चरने गया है क्या,..यदि दिव्या आइ लव यू,वाला मेस्सेज अपने भाई या अपने बाप को दिखा देती तो मेरा क्या हाल होता...यदि उसने भूले से भी वो मेस्सेज हमारे प्रिन्सिपल को दिखा देती तो आज ही मैं कॉलेज-निकाला घोसित हो जाता...."
"तू इतना भड़क क्यूँ रहा है,ऐसा कुच्छ भी तो नही हुआ ना..."
इतना अच्छा काम करने के बाद अरुण की गालियाँ सुनने से गुस्सा मुझे भी आ रहा था, अरुण की बॉडी की तरह मेरे भी बॉडी का टेंपरेचर बढ़ रहा था...लेकिन कैसे भी करके मैने अपने बॉडी टेंपरेचर को 25°सी पर मेनटेन करके रखा हुआ था क्यूंकी वो अपुन का सॉलिड दोस्त था....
"ऐसा कुच्छ भी नही हुआ का क्या मतलब बे...तू हमेशा चूतिया रहेगा..बकलंड कही का...उल्लू साले,कुत्ते,कमीने..."मुझे धक्का देते हुए अरुण ने कहा...
अरुण का ये धक्का सीधे मेरे लेफ्ट साइड मे असर किया और मैने अपने बिस्तर के नीचे रखा हुआ हॉकी स्टिक उठाया और बोला...
"सुन बे झन्डू ,यदि आगे एक शब्द भी बोला तो ये डंडा तेरी गान्ड मे घुसाकर मुँह से निकालूँगा...यदि गान्ड मे इतना ही दम था तो फिर मुझे क्यूँ बोला कि मैं तुझे दिव्या की चम्मी दिलाऊ, जा के खुद क्यूँ नही माँग ली...एक तो साला एहसान करो उपर से गाली भी खाऊ...सही है बेटा,बिल्कुल सही है..इसिच को कहते है हवन करते हुए हाथ जलना....चल फुट इधर से अभी और यदि अपने साले गौतम और अपने ससुर का तुझे इतना ही डर था तो फिर दिमाग़ से पैदल उस दिव्या से इश्क़ ही क्यूँ लड़ाया...बेटा ये प्यार-मोहब्बत वो मीठी खीर नही,जिसे घर मे तेरी मम्मी सामने वाली टेबल पर रखकर कहती है कि खा ले बेटा,खीर बहुत मीठी बनी है जिसके बाद तू अपना मुँह फाड़कर सारा का सारा निगल जाता है और डकार भी नही मारता...ये प्यार-मोहब्बत वो मीठी खीर है जिसे खाने के बाद बंदे की जीभ से लेकर कलेजा और आख़िर मे गान्ड तक जल जाती है...इसलिए यदि गट्स है तभी माल के पीछे पडो,वरना उन्हे पीछे छोड़ दो...और तूने क्या बोला मुझे...."
"माफ़ कर दीजिए जहांपनाह और मेरी फाड़ना बंद करिए...आप कहे तो मैं गंगा नदी के बीच मे जाकर दोनो कान पकड़ कर उठक-बैठक लगा लूँगा...."
"अब आया ना लाइन पर..."
"अब आगे क्या करूँ..."
"फ़ेसबुक चला और उसको अपनी आदत डलवा दे...ताकि जब तू उससे एक पल के लिए भी दूर रहे तो वो तड़प जाए,तुझसे बात करने को..वो बेचैन हो उठे तुझ जैसे बदसूरत को देखने के लिए....फिर देखना वो चुम्मी भी देगी और चुसेगी भी..."
"क्या चुसेगी बे.."
"होंठ...होंठ चुसेगी,वैसे तूने क्या सोचा था "
"मैने भी होंठ ही सोचा था "
"बस मेरे बताए रास्ते पर चलते रह...कुच्छ ही दिनो मे वो मज़े से लेगी भी और मज़े से देगी भी..."
"ये क्या बक रहा है बे कुत्ते..."
"मेरा मतलब तो गिफ्ट से था,अब भाई जब तुम दोनो कपल हो ही गये हो तो एक-दूसरे को गिफ्ट तो दोगे ही ना और बेटा ज़रा संभाल कर उसे दारू मत दे देना गिफ्ट मे..."
"ओह! समझ गया..."
"बस तू मेरे नक्शे कदम पर चल,दिव्या अपने आगे से भी लेगी और पीछे से भी लेगी..."
"मुझे मालूम है तेरे कहने का मतलब गिफ्ट है..."
"ग़लत...मेरा कहने का मतलब लंड था,मतलब कि वो आगे भी लंड लेगी और पिछवाड़े मे भी लंड लेगी.."ये बोलते ही मैं तुरंत वहाँ से काल्टी हो गया और अरुण हॉकी स्टिक लेकर मुझे दौड़ाने लगा......
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"अरमान,यही पर रोक दे यार...अबकी बार तीसरा कॉल आया है ऑफीस से,मैं चलता हूँ..."वरुण अपने वाइब्रट होते मोबाइल को हाथ मे पकड़ कर बोला...वरुण तैयार तो पहले से था इसलिए उसने एक मिनिट मे शू पहने और फ्लॅट से निकल गया.....
वरुण के जाने के बाद मेरे होंठो पर एक मुस्कान थी...ये मुस्कान उस वक़्त की थी ,जब अरुण मुझे धमकिया देते हुए पूरे हॉस्टिल मे दौड़ा रहा था...साला वो भी क्या पल थे,..कहने को तो हमारा हॉस्टिल किसी फाइव स्टार होटेल की तरह आलीशान तो नही था...लेकिन हमारे लिए हमारा हॉस्टिल किसी फाइव स्टार होटेल से कम भी नही था...हॉस्टिल की बेजान सी दीवारो,दरवाजो जिन पर हम अक्सर पेन से ड्रॉयिंग और कॉलेज के टीचर्स के कार्टून बनाया करते थे ,उन भद्दी सी दीवारो से हमे एक लगाव सा हो गया था...और आज फिर दिल कर रहा था कि उन बेजान सी भद्दी दीवारो के बीच रहूं, आज फिर दिल कर रहा था की अपने टीचर्स के कार्टून उन बेजान सी दीवारो पर बनाऊ और हॉस्टिल के बाथरूम मे जाकर स्पर्म डोनेट करूँ...पर ये मुमकिन नही था और शायद समय का चक्र ही एक ऐसी घटना थी,जिसके सामने मैने हार मानी थी....
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"अबे ओये मुँह बंद कर ले..." मुझे ज़ोर से हिलाते हुए अरुण बोला"इसी दुनिया मे है ना या फिर किसी एलीयन के साथ दूसरे प्लॅनेट की सैर कर रहा है..."
"मैं तो अपने स्वर्ग की सैर कर रहा था और तूने मुझे वहाँ से खींच लिया...साले तू हमेशा मेरे खास पल के बीच मे ही क्यूँ आकर टपक पड़ता है..."
"वो इसलिए क्यूंकी मैने तेरी एमाइल आइडी चेक की और निशा के सारे मेस्सेज पढ़ डाले..."
"ये तूने क्या किया..."
"अबे रिक्ट तो ऐसे रहा है,जैसे मैने तेरी गान्ड मार ली हो..."
"लेकिन फिर भी तुझे ऐसा नही करना चाहिए था...ये ग़लत है.."
"कुच्छ ग़लत नही है बीड़ू और जाकर इनबॉक्स चेक कर 40 मिनिट्स पहले निशा डार्लिंग ने मेस्सेज भेजा है..."
"सच...!"वहाँ से तुरंत उठकर मैं कंप्यूटर के पास पहुचा और अपना इनबॉक्स चेक किया...निशा ने आज एक मेस्सेज भेजा था लेकिन वो अनरीड मेस्सेज के ऑप्षन मे नही था जिसका सॉफ-सॉफ शुद्ध मतलब था की मेरे विशुध दोस्त ने निशा का ये मेस्सेज भी पढ़ लिया है....
"दूसरो के मेस्सेज पढ़ने की तेरी आदत अभी तक गयी नही..."बोलते हुए मैने निशा का मेस्सेज ओपन किया...
निशा ने अपने मेस्सेज मे लिखा था कि उसकी कंडीशन अब और भी खराब हो चुकी है...अब यदि उसकी कोई फ्रेंड भी मिलने आती है तो उसे ,निशा से मिलने नही दिया जाता...उसके बाप ने घर के बाहर दो गार्ड्स और लगवा दिए है जिससे उसका निकलना अब तो नामुमकिन ही है...निशा ने अपने मेस्सेज मे लिखा था कि उसे रात को जबर्जस्ति जल्दी सुला दिया जाता है...यदि वो नींद ना आने का बहाना करती है तो उसके माँ-बाप उसे नींद की गोलियाँ खाने की सलाह देते है और उसके बाद सबसे बुरी खबर निशा ने अपने मेस्सेज मे ये दी थी कि उसके घर के बाहर चौकीदारी करने वाले गार्ड ने उसके बाप को बता दिया है कि निशा का एक लड़के के साथ चक्कर है...लेकिन वो गार्ड मेरा नाम नही जानता इसलिए फिलहाल मुझे चिंता करने की कोई ज़रूरत नही है...निशा ने मुझे सलाह भी दी थी कि मैं उके घर के आस-पास भी नज़र ना आउ,वरना वो गार्ड मुझे पहचान लेगा.....अट दा एंड, निशा ने आख़िर इस मेस्सेज के ज़रिए एक खुशख़बरी दे ही दी,वो खुशख़बरी ये थी कि अभी से ठीक एक घंटे बाद निशा ऑनलाइन रहेगी....
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"अभी तक क्या कम मुसीबत थी ,जो तेरी उस लैला के गार्ड ने बीच मे एंट्री मार दी..."मेरे पीछे से अरुण बोला...
मैं पीछे मुड़ा तो देखा कि अरुण अपने घुटनो मे हाथ रखे झुक कर कंप्यूटर स्क्रीन मे नज़र गढ़ाए हुए था...
"अबे तू मेरा मेस्सेज क्यूँ पढ़ रहा है ...चल भाग यहाँ से..."
"एक शर्त पर..."
"बोल.."
"तू घर वापस चलेगा..."
"रहने दे,कोई ज़रूरत नही...तू मेरा मेस्सेज देख सकता है..."बड़बड़ाते हुए मैने कहा...
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"हाई...हाउ आर यू"ठीक एक घंटे बाद निशा का मेस्सेज आया...जिसे देखकर मेरा सीना खुशी के मारे 5 इंच ज़्यादा फूल गया...
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