RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
उन तीनो के वहाँ से आगे बढ़ने के बाद मैने अपने दोस्तो को पुकारा,लेकिन सालो के कान मे तो जैसे किसी ने लंड डाल दिया था,उनमे से किसी ने भी मुझे कोई रेस्पोन्स नही दिया...
"अबे कुत्तो, जल्दी चलो...वरना वॉर्डन हमे ठोक-ठोक कर बहाल कर देगा..."
"क्या..."वो सब एक साथ चीखे और दौड़ते हुए मेरे पास आए....
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"क्या बात की तूने उस फुलझड़ी से,.."
"कुच्छ नही..."
"अरे कुच्छ तो किया होगा..."उपर पहाड़ी पर चढ़ते हुए सौरभ ने मुझे धक्का देकर पुछा...
"कहा ना कुच्छ नही किया मैने..."
"तो फिर उसने कुच्छ किया होगा, क्यूँ अरमान भाई..."सौरभ की नकल करते हुए राजश्री पांडे ने भी मुझे धक्का दिया, जिससे मैं उपर चढ़ते हुए गिरने से बाल-बाल बचा...
एक तो वैसे भी आंजेलीना ने पूरे दिमाग़ के अंजर-पंजर ढीले कर दिए थे उपर से अब ये...
"वो छोड़ के गयी है मुझको...."बोलते हुए मैने एक जोरदार मुक्का राजश्री पांडे की पीठ मे जड़ दिया
कॅंप के नज़दीक आने तक हम सबकी दिल की धड़कने बढ़ चुकी थी क्यूंकी हम सब जानते थे कि अब हमारा वॉर्डन सबके सामने हमारी इज़्ज़त उतारेगा..लेकिन जब हम लोग अपने कॅंप्स के नज़दीक गये तो वहाँ कोई भीड़-भाड़ नही थी, वहाँ का नज़ारा पहले जैसे ही था...मतलब कि सभी लड़के अपने कॅंप मे और वॉर्डन ,उन दो गाइडेन्स के साथ अपने कॅंप मे.....
"लगता है कि अब सबके सामने हमारी बेज़्जती नही होगी...चियर्स लवडो..."
"तुझे कैसे पता..."
"क्यूंकी अब हम सब चुप चाप वॉर्डन के कॅंप मे जाएँगे और सॉरी बोल देंगे...जिसके बाद वो हमे उन दो गाइडेन्स के सामने गाली बकेगा और फिर वॉर्निंग देकर छोड़ देगा..."
"तुझे कैसे पता कि सब कुच्छ ऐसा ही होगा..."अरुण ने पुछा...
"मुझे ये सब इसलिए पता है,क्यूंकी..."अरुण के कंधे पर हाथ रखकर मैं बोला"क्यूंकी मैं ये सब स्कूल के दिनो मे भी कर चुका हूँ....वो भी एक बार नही कयि बार."
"मेरे पास एक प्लान है..."सौरभ ने मेरा हाथ अरुण के कंधे से हटाया और हम दोनो के बीच मे घुसकर बोला"यदि ऐसा ही है तो फिर सबको वॉर्डन के कॅंप मे सॉरी बोलने के लिए जाने की ज़रूरत नही..."
"आगे बोल..."
"बोले तो ,तू और राजश्री पांडे चले जाओ..."
"एडा समझ रखा है..."सौरभ को पीछे धकेल कर मैने कहा...
"सही तो बोल रहा है ,सौरभ..."अरुण बोला"तुम दोनो जाकर वॉर्डन को सॉरी बोलना और हमारे हिस्से की गाली खाकर आ जाना,फालतू मे सब गाली खाएँगे"
"तो फिर...तू और राजश्री चल दे या सौरभ को भेज दे.. "अरुण को भी पीछे धकेलते हुए मैने कहा....
"अबे तूने ही तो अभी कहा कि तू ये सब पहले भी कर चुका है,वो भी एक बार नही बल्कि बार-बार...इसलिए तुझे भेज रहे है क्यूंकी तू एक्सपीरियेन्स वाला आदमी है..."मेरे करीब आते हुए सुलभ ने कहा ,लेकिन मैं जब उन सबकी बात मानने से मना कर दिया तो अरुण पीछे से मेरे कान मे फुसफुसाया....
"यदि कोई प्राब्लम हो तो राजश्री को फँसा देना...इसीलिए तो उसे तेरे साथ भेज रहे है..."
"बदले मे मुझे क्या मिलेगा..."
"हम सबकी ढेर सारी दुआ और बहुत सारा प्यार..."
"गान्ड मे डाल ले अपना प्यार...मैं ये सब एक ही शर्त पर करूँगा..."चालाकी भरी मुस्कान के साथ मैने कहा"तू मुझे वो 100 वापस कर,जो बस मे तूने मुझसे वापस ले लिए थे...."
"चल बे, तुझे मैं 100 क्या 100 पैसे भी नही दूँगा..."
"फिर मैं भी नही जा रहा वॉर्डन के पास..."अरुण का रुबाब देखकर मैने भी अपने हाथ खड़े कर दिए.
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मेरे ज़िद ने अरुण,सौरभ और सुलभ को गहरी चिंता मे डाल दिया था....क्यूंकी एक तरफ अरुण 100 देने मे आना-कानी कर रहा था तो वही दूसरी तरफ सब ये चाहते थे कि मैं ही वॉर्डन के पास जाउ...5 मिनिट तक उन तीनो मे कुच्छ डिस्कशन हुआ...जिसके बाद अरुण ने अपने पर्स से सौ की एक हरी पत्ती मुझे थमा दी.
जब ये मसला ठिकाने लगा तो अब राजश्री पांडे ने रोना शुरू कर दिया कि वो मेरे साथ वॉर्डन के पास नही जाएगा लेकिन उसे मनाने मे मुझे बहुत ज़्यादा मेहनत नही करनी पड़ी...मैने उसे ,उसका सीनियर होने के नाते बहुत सारी धमकिया दी...जिसके बाद ना चाहते हुए भी पांडे जी को हमारी बात माननी पड़ी.उसके बाद वहाँ से अरुण, सुलभ,सौरभ अपने कॅंप की तरफ गये और राजश्री पांडे मेरे साथ वॉर्डन के कॅंप की तरफ....
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"सर ,मे आइ कम इन..."
"आओ अरमान...अभी मैं तुम्हारे ही बारे मे सोच रहा था..."
वॉर्डन की अनुमति मिलने के बाद हम दोनो अंदर घुसे. वॉर्डन के साथ इस वक़्त तीन लोग थे.दो को तो मैं जानता था ,जो हमारे गाइडेन्स थे..लेकिन तीसरे वाले को मैं पहली बार देख रहा था, खैर ये वक़्त इस समय उस तीसरे वाले के बारे मे ना सोचकर अपने बारे मे सोचने का था लेकिन मैं अंदर आकर वॉर्डन को सॉरी बोलता या अपनी फेंक स्टोरी उन्हे सुनाता कि हम लोग बाहर क्यूँ गये थे...इसके पहले ही वॉर्डन बोल पड़ा....
"अरमान,ये है मेरे बचपन का दोस्त बलराम...तुम यकीन नही करोगे कि हम लोग 12थ तक एक साथ ही पढ़ते थे.."चाय का प्याला सामने ज़मीन पर रखने के बाद ,कुच्छ सोचते हुए वॉर्डन ने कहा"18 साल बाद हम दोनो आज फिर मिले वो भी बड़े अजीब तरीके से और आज मैं बहुत खुश हूँ..."
"लवडा बहुत खुश नज़र आ रहा है, यही बढ़िया मौका है कि इसके सामने अपनी ग़लती स्वीकार कर लूँ..."मैने मन मे सोचा...
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"अरमान ,आज मेरे दोस्त बलराम ने एक बड़ा ही बढ़िया सुझाव दिया है...बलराम जो कि हमारे साइड मे लगे दूसरे कॉलेज के कॅंप का केर्टेकर है...उसने कहा है कि एक रात दोनो कॉलेज मिलकर ग्रूप डिस्कशन का प्रोग्राम रखते है..."
"ग्रूप डिस्कशन नही , डिबेट..."बलराम बीच मे बोला"और टॉपिक रहेगा इंजिनीयर्स वी/एस डॉक्टर्स..."
"बढ़िया आइडिया है..."मुझे उनके उस डिबेट कॉंपिटेशन मे कोई इंटेरेस्ट नही था,लेकिन फिर भी मैने इंटेरेस्ट के साथ कहा.
"तुम यहाँ क्यूँ आए थे, कुच्छ काम था क्या..."वॉर्डन ने मुझसे पुछा..जिसके बाद मैं थोड़ा चौका...
मैं कुच्छ देर और वहाँ रहा और इधर-उधर की बाते करते हुए वॉर्डन से वो सब जानने लगा कि मेरे कॅंप से गायब होने के बाद यहाँ क्या-क्या हुआ था..लेकिन मेरा सर उस वक़्त जोरो से घूमा जब मुझे बातो ही बातो मे ये पता चला कि वॉर्डन पिछले एक घंटे से म्बबस कॉलेज के केर्टेकर के साथ बैठा गप्पे लड़ा रहा था और फिर जब वॉर्डन ने मुझे, मेरी उस करतूत के लिए कुच्छ नही कहा तो कुच्छ-कुच्छ बाते मेरे दिमाग़ मे घुसना शुरू हो गयी...जैसे कि वॉर्डन को ये मालूम तक नही था कि मैं कुच्छ देर पहले अपने दोस्तो के साथ यहाँ से नीचे डॅम की तरफ गया था....
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मैं ,राजश्री पांडे के साथ तुरंत वहाँ से निकला और कुच्छ लड़को के कॅंप मे जाकर पुछा कि क्या उन सबकी ,वॉर्डन के साथ मीटिंग हुई थी या किसी को भी हमारे कॅंप से गायब होने की खबर थी और जो जवाब उन लड़को ने दिया उसे सुनकर मैं डबल शॉक्ड हुआ...उन लड़को ने मुझसे कहा कि...ना तो कोई मीटिंग हुई थी और ना ही किसी को पता था कि मैं यहाँ से गायब था.....
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"अरमान भाई..क्या हुआ..."
"कुच्छ नही ,एक तो साला पहले से ही सपने मे आकर दिमाग़ को चोदता था और अब ये दूसरी रियल मे दिमाग़ को चोद रही है...साले दोनो के दोनो भूत है,उपर से नेटवर्क प्राब्लम की वजह से गूगल महाराज भी मेरे साथ नही है..."
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वो लड़की ,जो अपने दो दोस्तो के साथ मुझे पहाड़ी के नीचे मिली थी...उसने मुझे कहा था की मेरे कॉलेज वाले मुझे ढूँढ रहे है और वहाँ से गुज़रते वक़्त उसने मेरा नाम,मेरे वॉर्डन के मुँह से सुना और फिर घनघोर अंधेरे मे एक दिए की रोशनी मे उसने अंधेरे मे तीर चलाया था ,जो कि एक दम फिट बैठा....लेकिन यहाँ आकर मुझे मालूम चला कि उसकी कोई भी बात सच नही थी.ना तो किसी को मेरे गायब होने की खबर थी और ना ही उसने मेरा नाम हमारे वॉर्डन के मुँह से सुना था, तो अब मेरे सामने सवाल ये था कि 'फिर उसे मेरा नाम कैसे मालूम चला, साली कोई भूत तो नही थी...'
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यही सब सोचते हुए मैं अपने कॅंप के अंदर घुसा.रास्ते मे मैने राजश्री पांडे को समझा दिया था कि यदि सुलभ,सौरभ और अरुण मे से कोई ये पुच्छे कि 'वॉर्डन ने क्या कहा' तो उसे बोलना है 'वॉर्डन ने बहुत गाली बकी '
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