RE: Desi Sex Kahani दिल दोस्ती और दारू
गौतम मुझे कुच्छ देर शांति से देखकर अपने दिमाग़ की बत्ती जलाता रहा और मैं वही खड़ा एश को देख कर सोच रहा था कि जाने ये लोग अब कौन सा धमाका करने वाले है....क्यूंकी अब मैं इतना सक्षम नही था कि कोई धमाका सह सकूँ...और इस लड़की को परखने मे मैं कैसे धोखा खा गया...इसने कभी तो ऐसा कुच्छ किया ही नही जिससे इसपर मुझे कभी कोई शक़ हो....साला दिल टूट गया यार, इन आख़िरी के दिनो मे.दिल तो करता है कि मैं भी स्यूयिसाइड कर लूँ ,लेकिन नही मैं तो युगपुरुष हूँ और यदि मैने स्यूयिसाइड कर लिया तो मेरे जो इतने सारे फॅन है ,उनका क्या होगा,.....
"अरमान , क्या तुमने कभी सोचा कि जब ग्राउंड पर गौतम के गुंडे तुम्हे मार कर चले गये थे तो तुम्हे हॉस्पिटल किसने पहुचाया था...."मुझे बहुत देर से अपनी तरफ देखता हुआ पाकर एश अनकंफर्टबल महसूस करने लगी और तब वो बोली....
"किसी ने 108 को कॉल कर दिया होगा...."
"एक दम सही जवाब पर कॉल किसने किया था ,क्या ये मालूम है..."
"देख अभी मेरा दिमाग़ चढ़ा हुआ है, इसलिए ज़्यादा शानपट्टी मत झाड़ और सीधे-सीधे बोल कि कहना क्या चाहती है...."
"108 को कॉल एश ने किया था..."एश के कुच्छ बोलने से पहले गौतम मेरे और एश के बीच खड़ा होते हुए बोला"और बस वही से तेरी बर्बादी की नीव रखी गयी...तुझे तो एश के पैर छुकर उसे थॅंक्स कहना चाहिए कि उसने तेरी जान बचा ली..."
"वो भी कर लेंगे,पहले आगे तो बक...और आइन्दा कभी ऐसे अचानक मेरे सामने खड़े मत होना ,वरना अचानक ही सामने वाले के चेहरे पर मुक्के मारने की बहुत खराब आदत है मुझे..."
"अरमान...बस तेरी इसी आदत की वज़ह से हमने वो सब कुच्छ किया ...."
"मुक्के खाने के लिए ? अबे झन्डू तू एक बार बोलकर तो देखता ,1000-2000 मुक्के तो मैं फ्री मे दे देता मैं तुझे...."
"तूने थर्ड सेमेस्टर के उस खूनी अंत के बाद मुझे बहुत शांत-शांत देखा होगा...है ना. तूने उस वक़्त सोचता था कि मेरी तुझसे फट गयी है और मैं तुझसे डरता हूँ, पर मेरे लल्लू लाल ऐसा कुच्छ भी नही था...आक्च्युयली एक दिन जब मैं और मेरे डॅड एक साथ बैठकर तेरे बारे मे सोच रहे थे तभी मुझे ख़याल आया कि यदि तुझे हराना है तो क्यूँ ना उस फील्ड मे हराया जाए, जहाँ तू कभी पवरफुल है....यानी कि दिमागी खेल और उसी दिन से मैने तेरे दिमाग़ के साथ खेलना शुरू कर दिया था....तेरे सिटी वालो के साथ हर छोटे-बड़े झगड़े सिर्फ़ मेरे दिमाग़ की उपज थी ,ताकि तुझे पोलीस की नज़र मे लाया जा सके...मैं तुझे और तेरी शक्सियत को ठीक तरह से भाँप गया था ,इसलिए जो मैं सोचता तू वही करता और फिर अपने इसी प्लान मे मैने एश को शामिल किया या फिर ये कहे कि एश खुद शामिल हुई ये कहते हुए कि'वो लल्लू ,लट्टू है मुझपर..दो लाइन यदि प्यार से भी बात कर ली तो साँस लेना तक भूल जाएगा...' और यही मेरा बोनस साबित हुआ...वैसे तो मैने कभी ध्यान नही दिया था कि तू ,एश पर फिदा है...पर जब फ्लॅशबॅक मे जाकर मैने सब कुच्छ याद किया तब मेरा काम आसान हो गया और यहाँ से मेरे इस मिशन की बागडोर एश के हाथ मे आ गयी....सेवेंत सेमेस्टर तक हमने तेरे दिमाग़ के साथ खेला ,तुझे परखा कि तू किस सिचुयेशन मे कैसी हरक़ते करता है और फिर जब तुझे पूरी तरह जान लिया तो हम सबने मिलकर आगे का प्रोग्राम सेट किया...
.वैसे तो तेरे साथ पिछले कुच्छ दिनो जो हुआ,वो मैं बहुत पहले भी करा सकता था ,लेकिन 8थ सेमेस्टर के आख़िरी दिन सूभ महूरत की तरह थे...जिसमे तू एक तो बेहद ही कड़वी याद लेकर जाता और दूसरा तुझे संभालने का कोई मौका नही मिलने वाला था.फर्स्ट एअर से लेकर फाइनल एअर तक तूने कयि कहावते कही होंगी पर एक फेमस कहावत है कि'यदि वक़्त खराब हो तो ऊट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है' और यदि तेरे साथ हुआ....आराधना का तेरी लाइफ मे आना हमारे लिए बोनस था... हमे मालूम था कि जब एश तुझे प्रपोज़ करेगी तो तू उसके प्रपोज़ल को आक्सेप्ट ही करेगा और उसके बाद आराधना को लात मारकर अपनी ज़िंदगी से बाहर कर देगा और एक लड़की को जब किसी से सच्चा प्यार हो जाए तो वो इतनी आसानी से उसे नही छोड़ती....इसीलिए एश ने आराधना से तेरी सेट्टिंग करवाई ताकि यदि हम फैल हो जाए तब भी आराधना कुच्छ ना कुच्छ बवाल खड़ा करेगी ही....लेकिन वो स्यूयिसाइड कर लेगी ,इसका अंदाज़ा किसी को नही था....अब आते है उन दिनो की तरफ जहाँ ये सब हुआ.
सिटी और हॉस्टिल का फेरवेल एक साथ कराकर तू उस दिन ये सोच रहा था कि जीत तेरी हुई ,पर हक़ीक़त ठीक उल्टी थी...हम तो चाहते ही थे कि पूरे कॉलेज का फेरवेल एक साथ हो और तू उसमे आंकरिंग करे....क्यूंकी हमे तुझे कलेक्टर के लड़के से जो मिलवाना था.दरअसल बात ये है कि कलेक्टर के लड़के से मेरी बहुत लंबी शर्त थी कि वो फेरवेल के दिन सबके सामने वैसे गंदे कॉमेंट्स दे सकता है कि नही....शुरू मे तो उसने मना कर दिया पर फिर मैने उसका मज़ाक उड़ाना चालू कर दिया कि वो, अरमान से डर गया है,इसीलिए चॅलेज आक्सेप्ट नही कर रहा...अबकी बार उसने चॅलेंज आक्सेप्ट कर लिया और फिर फेरवेल के दिन तेरी ,उससे नोक-झोक हुई....जिसके बाद मैने उसे और भड़काया...साथ ही तेरे पूरे दुश्मनो को भी मैने ही ये कहकर हवा मे बैठा दिया कि'अब तो तुम्हारे साथ कलेक्टर का लड़का है, अकेले मे बुला कर मार दो...कोई पोलीस केस भी नही होगा...."....उन बेचारो को तो इस बात की हवा तक नही है कि वो सब मेरे दोस्त नही ,मेरे प्लान का सिर्फ़ एक हिस्सा थे. वेल इन्षियली मेरा जो प्लान था उसके अकॉरडिंग, तू ग्राउंड मे बुरी तरह मार ख़ाता और अपने फाइनल एग्ज़ॅम नही दे पता....लेकिन फिर मैने सोचा कि इसे क्यूँ ना थोड़ा और ख़तरनाक बनाया जाए. इसलिए मैं तेरे हॉस्टिल के अंदर ऐसे बन्दो की तलाश करने लगा ,जो तुझसे खुन्नस खाए हुए हो और मुझे पता था कि तेरे घमंड और तेरे बुरे बर्ताव के कारण ऐसे एक नही कयि लड़के मिल जाएँगे...जो तुझे मारना चाहते हो...और वही मुझे कालिया और उसके रूम पार्ट्नर्स मिल गये....उस दिन जब तुझे ग्राउंड मे पेलने का प्लान था तो उसके एक दिन पहले कालिया के रूम पार्ट्नर द्वारा अरुण को इन सबकी खबर देना ,ये उस लड़के ने मेरे कहने पर ही किया था...आक्च्युयली मेरे प्लान के अकॉरडिंग उस दिन मार तू नही बल्कि मेरे खुद के दोस्त खाने वाले थे, जिसमे कलेक्टर का लड़का भी शामिल था.वैसे यदि तू चाहता तो कलेक्टर के लड़के को छोड़ कर इन सबसे बच सकता था ,लेकिन तूने ऐसा नही किया और ठीक ऐसा ही मैने सोचा था.....इसके बाद की कहानी तो तुझसे बेटर कोई नही जान सकता और फिर आराधना का केस....उफ़फ्फ़, कितना सुकून मिल रहा है मुझे .और तू ऐसे दिन देख सके इसीलिए एश ने उस दिन 108 को कॉल करके तेरी जान बचाई ,वरना तू तो उसी दिन निपट गया होता....कैसा लगा मेरा गेम..."
गौतम के इतने लंबे प्लान को सुनकर मेरा सर घूमने लगा क्यूंकी वकयि मे उसका प्लान सक्सेस्फुल हुआ था और मेरी हर तरफ से बंद बज चुकी थी...मुझे कुच्छ सूझ ही नही रहा था कि अब क्या बोलू.इसलिए मैने एक बार एश को देखा ,आँखो ही आँखो मे बाइ कहा और पार्किंग से हॉस्टिल की तरफ चल दिया.......
"सीडार के बारे मे नही जानना चाहेगा कि ,उसके साथ क्या हुआ..."हँसते हुए गौतम बोला"उसकी मौत कैसे हुई ,ये भी नही जानना चाहेगा क्या..."
"सीडार के मामले मे तो चुप ही रह तू ,वरना ज़िंदा ,ज़मीन मे गाढ दूँगा...मैं शांत हूँ इसका मतलब ये नही कि कुच्छ करूँगा नही.इसलिए चुप-चाप यहाँ से निकल जा और यही दुआ करना कि ज़िंदगी मे कभी मुझसे मुलाक़ात ना हो..."
"इसी...तेरी इसी आदत ने तेरी मारी है...वैसे एक बार फिर पुच्छ रहा हूँ
क्या तू ये जानना नही चाहेगा कि सीडार के साथ क्या हुआ..."
"क्या हुआ बे सीडार के साथ....स्ट्राइक मे दंगा हुआ था...ये मुझे मालूम है"
"दंगे करवाए भी जा सकते है अरमान सर.वैसे ये सब करवाने का हमारा कोई मूड नही था ,लेकिन तेरे कोमा मे जाने के बाद वो कुच्छ ज़्यादा ही उंगली कर रहा था...वरना तू ही सोच कि स्ट्राइक मे चाकू, तलवार लेकर कौन आता है...."
"तेरी माँ की चूत...तू गया काम से..."गौतम की तरफ दौड़ते हुए मैने उसकी गर्दन पकड़ी और पीछे खड़ी कार मे उसका सर दे मारा.
"यदि पूरे शहर की औलाद ना होकर सिर्फ़ एक बाप की औलाद है तो रुक यही..."बोलकर मैं पार्किंग मे से दौड़ते हुए दूर आया और एक बड़ा सा पत्थर उठाने लगा....लेकिन बीसी पत्थर इतना बड़ा था कि मुझसे उठा ही नही, इसलिए मैं वापस गौतम की तरफ भागा कि कही वो भाग ना जाए और तभिच मेरा सिक्स्त सेन्स ,जो इतने दिनो से बंद पड़ा था ,उसने काम करना शुरू कर दिया.....
"एक मिनिट....कहीं गौतम ये तो नही चाहता कि मैं इससे लड़ाई करू...यदि मैं इससे अभी लड़ता हूँ तो माँ कसम इसे इसके दोस्तो के पास पहुचा दूँगा और फिर मुझपर एक पोलीस केस बनेगा और अबकी बार तो मेरी और भी दुर्गति होगी क्यूंकी एस.पी. तो मुँह फाडे मेरा इंतज़ार ही कर रहा है कि कब मैं वापस आउ....इसीलिए...इसिचलिए जब मैने सब कुच्छ सुनने के बाद भी कुच्छ नही किया तो लवडे ने सीडार का टॉपिक छेड़ दिया, ताकि मैं इसे मारू और जैल चला जाउ....वाह बेटा, वन्स अगेन नाइस प्लान....लेकिन अब नही...."
"ले मार...मारना...दम है तो मार..."
"जिस चीज़ मे मुझे महारत हासिल है ,उसमे तू एक बार जीत गया ,इसका मतलब ये नही कि हर बार जीतेगा...जा तुझे और तेरे बाप को माफ़ किया, तुम भी क्या याद रखोगे कि किस इंसान से पाला पड़ा था..."
"तू खुद को बहुत यूनीक समझता है...अबे तुझ जैसे दारू पीकर ,हॉस्टिल के दम पर लड़ाई-झगड़ा करने वाले हर कॉलेज मे कौड़ियो के दम पर मिलते है.तू मेरी जेब मे रखा सिर्फ़ एक पटाखा है, जिसे जेब से निकाल कर मैं कही भी फोड़ सकता हूँ...."
"बेशक मैं एक पटाखा हूँ लेकिन मैं फूटुंगा वही ,जहाँ मैं चाहता हूँ....और तू अपने किस जीत की बात कर रहा है, जहाँ तेरे कयि दोस्त बुरी तरह मार खा गये ? ,जहाँ कुच्छ ने अपनी जान गवाँ दी ?
और इतना सब होने के बावज़ूद तू मुझसे मार खा रहा है,वो भी खुशी से....शरम कर कुच्छ. यूँ मेरी तरह डाइलॉग डेलिवरी या मेरे फुट-स्टेप फॉलो करने से तू अरमान नही बन सकता....क्यूंकी ओरिजिनल तो मैं हूँ ,तू तो सिर्फ़ मेरा एक कॉपी कट है...तूने दो साल लगा दिए मुझे हराने मे ,अबे मंद-बुद्धि ,तूने ये नही सोचा कि मेरे पास पूरी ज़िंदगी पड़ी है इन सबका बदला लेने के लिए और तू खुद सोच जब तू सिर्फ़ मेरी तरह सोचकर मेरा इतना नुकसान कर सकता है तो जब मैं खुद तेरे बारे मे सोचूँगा तो तेरा कितना नुकसान करूँगा....तेरा प्लान एक दम पर्फेक्ट था ,लेकिन तब तक ही जब तक के तूने मुझे अपने प्लान के बारे मे बताया नही था...."
"दम है तो मार... ले मारना"
"अबे तुम्हारी इतनी औकात कहाँ कि मेरे हाथ से मार खा जाओ...तुम जैसो को मारा नही जाता,उनके मुँह मे सिर्फ़ थुका जाता है "गौतम के मुँह पर थुक्ते हुए मैने कहा...लेकिन मेरा निशाना ठीक नही लगा और गौतम बच गया....तब मैं बोला"साला, तू तो मेरे थूक के भी काबिल नही....बदबयए, तेरी तो मैं अब कह के लूँगा..."
"अरमान...मैं तुम्हारी दिमागी हालत समझ सकती हूँ..."एश बीच मे बोली...
"जब मैं किसी से बात कर रहा हूँ तो इंटर्फियर कभी मत करना....तू...यकीन नही होता तू इस गंदे आदमी के साथ इसके गंदे प्लान मे शामिल हुई.तू तो पूरे एक सेमेस्टर 'अरमान...आइ लव यू....अरमान आइ लव यू' बोलती रही एश...मेरा दिमाग़ मुझे कहता कि तू झूठी है,लेकिन मैं नही माना...आइ रियली लव यू,एश...लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं वो सब भूल जाउन्गा जो तूने किया....तुझे तडपा दूँगा मैं मेरे पास आने के लिए...इतना मज़बूर कर दूँगा कि पागलो की तरह मुझे ढूँढेगी और तब मैं तेरे सामने आकर तुझे रिजेक्ट करूँगा."
"अरमान...मुझे तुम्हारे लिए सच मे बुरा लग रहा है ,इसलिए सबकी भलाई इसी मे है कि तुम अब अपनी ज़िंदगी मे आगे बढ़ो और इस कहानी को यही ख़त्म करो...."
"वाह ,अपनी बारी आई तो ज़िंदगी मे आगे बढ़ो...हुह, उस वक़्त तुम लोग ज़िंदगी मे आगे क्यूँ नही बढ़े ,जब ये सब कहा..."गॉगल लगाते हुए मैं बोला"और ये कहानी यही ख़त्म नही होगी ,मैं इसका सेक़ुअल बनाउगा और हीरो मैं ही रहूँगा...उसमे तुम सबके हर पाप का पाई-पाई हिसाब चुकाया जाएगा....गुडबाइ, हेट यू"
पार्किंग से हॉस्टिल की तरफ जाते हुए मुझे कुच्छ याद आया ,इसलिए मैं पार्किंग से थोड़ी दूर मे ही रुक कर चिल्लाया...
"सुन बे गौतम चूतिए, तुझे तेरी गर्ल फ्रेंड ने बताया है कि नही मुझे नही मालूम पर एक शानदार, जानदार और धमाकेदार दुश्मन होने के कारण मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं तुझे बता दूं कि फेरवेल के दिन मैने तेरी गर्ल फ्रेंड को बहुत देर तक किस किया था....यकीन ना आए तो पुच्छ लियो..."
ये सुनते ही गौतम की गान्ड फटी और वो एश की तरफ देखने लगा....
"देखा बेटा ,ये है अरमान का जलवा...तुम दोनो यहाँ आए थे मुझे उल्लू साबित करने...पर उल्लू साबित खुद हो गये,इसलिए अब एक काम और करना कि उल्लू की तरह आज रात भर जागना.वैसे भी अब जो मैने बोलने वाला हूँ,उसे सुनकर तुझे आज रात नींद नही आएगी और वो ये है कि' फेरवेल के दिन एश ने मुझे सेक्स करने के लिए कहा था...वो भी एक बार नही बल्कि तीन-चार बार, वो तो मेरी ही नियत अच्छी थी,वरना....चलो जाओ बे, तुम भी क्या याद रखोगे कि किस महान व्यक्ति से पाला पड़ा था....बदबयए"
ये उन दोनो से मेरी आख़िरी मुलाक़ात थी और फिर फाइनल एग्ज़ॅम्स ख़त्म करके मैं ठीक अकेला वैसे ही कॉलेज से निकला ,जैसे कॉलेज मे आया था.....
"अब मैं समझ गया कि तू ऐसे मरा हुआ क्यूँ यहाँ आया...लेकिन घर से क्यूँ भागा..."जमहाई मरते हुए वरुण ने पुछा....
"उसकी वज़ह पांडे जी की बेटी थी..."
"कौन ,तेरी होने वाली भाभी..."
"नही बे...वो तो बहुत बढ़िया है ,लेकिन उसकी छोटी बहन. एक दिन जब उसके घरवाले और मेरे घरवाले एक साथ बैठे थे ,तब पांडे जी की छुटकी लौंडिया ने मेरे कॉलेज के बारे मे पुछ्ना शुरू कर दिया....फिर रिज़ल्ट्स की बात छेड़ दी ,तब बड़े भैया उसकी साइड लेकर मेरी इज़्ज़त उतारने लगे....बहुत देर तक तो मैं सहता रहा और जब सहा नही गया तो ऐसे कड़वे वचन बोले कि वहाँ बैठे सभी लोगो की उल्टी साँस चलने लगी...जिसके थोड़ी देर बाद पांडे जी की लौंडिया रोने लगी और बड़े भैया ने घुमाकर एक थप्पड़ मेरे गाल पर रख दिया...."
"तो इसमे वनवास ग्रहण करने वाली कौन सी बात थी बे... "
"आगे तो सुन....मेरा गाल पर एक थप्पड़ चिपकाने के बाद उन्होने कहा कि'रहना है तो जैसे सब रहते है,वैसे रह...नही तो घर छोड़ दे'...बस फिर क्या था, वहाँ से उठकर मैने अपना बॅग भरा और यहाँ भाग आया...."
"ह्म्म....तो कहानी ख़त्म ,है ना...कहने का मतलब है कि अब मैं सब कुच्छ जान चुका हूँ ,राइट..."
"रॉंग, पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त...."
"अब काहे की पिक्चर बाकी है बे...जब सामने दा एंड लिखा गया तो..."
"क्या तूने कभी एश के अजीब-ओ-ग़रीब बिहेवियर पर ध्यान दिया कि कैसे अचानक उसका मूड बदल जाता था ,याद कर जब फिफ्थ सेमेस्टर मे हम लोग 3 दिनो के कॅंप के लिए गये थे...."
"वो कॅंप....कैसे भूल सकता हूँ मैं उस कॅंप को और आंजेलीना डार्लिंग को....उसकी फोटो रखा है क्या.."
"मेरे ख़याल से मैं शायद एश की बात कर रहा था, आंजेलीना की नही...."
"ओह..हां...बोल"
"याद कर कॅंप मे मेरी एश और दिव्या से कैसे भयानक लड़ाई हुई थी और फिर जब मैं एश के लिए खाना पहुचाने गया था तो उसने कैसे बड़े प्यार से खाना ले लिया था....इसके बाद जब गोल्डन जुबिली के फंक्षन के लिए आंकरिंग का आडिशन चल रहा था तब कैसे एश और मेरी ऑडिटोरियम के बाहर घमासान जंग हुई थी ,लेकिन उस घमासान जंग के अगले दिन ही वो ऐसे बर्ताव करने लगी जैसे वो घमासान जंग कभी हुई ही ना हो...."
"तू दिमाग़ मत खा और बोल कि कहना क्या चाहता है.... "
"मैं कहना ये चाहता हूँ कि एश को एक बीमारी है..अम्नईषिया ,जिसके कारण उसकी मेमोरी बहुत वीक है और वो अक्सर सामने खड़े व्यक्ति को देखकर पास्ट मे उसके और उस व्यक्ति के साथ क्या हुआ था ,वो भूल जाती है...मुझे इसकी खबर तब लगी,जब मैं कॉलेज से फाइनल एग्ज़ॅम देकर घर वापस आ गया था.उन्ही दिनो मेघा ने कॉल करके मुझे एश के बारे मे बताया था .जिसके अनुसार फर्स्ट एअर मे एश की स्यूयिसाइड करने की कोशिश ने उसके ब्रेन स्ट्रक्चर के लिमबिक सिस्टम की धज्जिया उड़ा दी थी और वही से उसकी मेमोरी वीक होने लगी....एश के ब्रेन स्ट्रक्चर की जब से धज्जिया उड़ी थी, तब से वो कयि चीज़े भूलनी लगी थी और मेघा का कहना था कि कभी-कभी तो वो ये भी भूल जाती थी कि उसने कभी स्यूयिसाइड करने की कोशिश भी की थी....वो कयि बार दिव्या को नही पहचान पाती थी और उसे क्लास मे सबके सामने इग्नोर करती थी ,जिसके कारण दिव्या और एश के बीच दरार पड़ने लगी....कयि बार क्लास मे जब कोई टीचर एश को खड़ा करता तो वो अपना नाम तक भूल जाती थी....
मेघा के इस जानलेवा खुलासे ने मुझे भी एश की कयि हरक़ते याद दिला दी ,जिसने अम्नईषिया पर अपनी मुन्हर लगा दी थी...जैसे कि कभी-कभी मैं एश को हाई करता तो मुझे बिल्कुल अनदेखा कर देती...जिसे मैं उसका घमंड समझ लेता था .एश अक्सर मंडे को सॅटर्डे बना देती थी ,लेकिन तब मैं उसे उसका मज़ाक समझता था.....अच्छे से कहूँ तो एश को सिर्फ़ वही चीज़े याद रहती थी , जो उसके आस-पास हो...जैसे उसका कॉलेज ,उसके करेंट फ्रेंड्स या फिर मैं ....मुझे याद है कि एक बार मैने एश से उसके स्कूल के बारे मे पुछा था ,तब उसने कहा था कि 'उसे याद नही है कि वो किस स्कूल से पास आउट हुई है ' और मैने इसे भी हल्के मे ले लिया....सारी चीज़े, सारी घटनाए मेरे सामने घटी ,पर मैने कभी ध्यान नही दिया और यदि एश पहले के तरह ही रही तो कुच्छ दिनो बाद शायद वो अपने कॉलेज, अपने कॉलेज फ्रेंड्स और मुझे भी भूल जाएगी...वो भूल जाएगी कि उसकी ज़िंदगी मे कभी मैं भी था...फिर वो मुझे पहचानेगी तक नही....बिल्ली कहीं की...पता नही मेरे खिलाफ उसने इतना बड़ा प्लान कैसे बना लिया.इसकी शायद एक ही वज़ह हो सकती है कि शुरुआत मे अम्नईषिया का ज़्यादा एफेक्ट उस पर ना हुआ हो.....नाउ स्टोरी ओवर ! "
"ठीक है ,तो फिर चल सोते है..."
"चल साले गे..."
"तू सुधरेगा नही..."
"सुधारना ही होता तो बिगड़ता ही क्यूँ..."
"अच्छा ये बता तेरे बाकी दोस्तो का क्या हुआ...जैसे सौरभ ,राजश्री पांडे ,सुलभ ,दिव्या वगेरह-वगेरह...."
"जहाँ तक मेरा अंदाज़ा है...जो कि हमेशा सच ही होता है ,उसके अनुसार सौरभ यूपीएससी की तैयारी मे लगा होगा...सुलभ और मेघा अब शायद एक शहर मे नही होंगे,पर एक दूसरे के टच मे ज़रूर होंगे...दिव्या जैसे झाटु के बारे मे मैं सोचता नही और राजश्री पांडे ,मेरे नक्शे कदम पर चलते हुए कॉलेज पर राज़ कर रहा होगा...."
"ठीक ही है स्टोरी, उतनी बुरी भी नही....गुड नाइट आंड स्वीट ड्रीम्स."
"बडनिगत आंड बाडड्रेआंस..."
.
वरुण के लुढ़कने के बाद मैं खड़ा हुआ, अपने दोनो हाथ उपर किया और एक मस्त अंगड़ाई वित जमहाई लेते हुए सामने पड़ी मागज़िन को उठाया...जिसमे दीपिका मॅम सॉलिड पोज़े दिए हुए थे....
"क्या यार...सुबह 5 बजे मूठ मारने का मन कर रहा है ,मैं एक युगपुरुष हूँ, मुझे इन सब पर कंट्रोल करना चाहिए...."बोलते हुए मैने मागज़िन दूर फेकि और मोबाइल लेकर बाहर बाल्कनी मे आ गया.....
.
मैं हमेशा से ही ग़लत था ,जो ज़िंदगी को पवर और पैसे के तराजू पर तौला करता था...जबकि सच तो ये था कि ज़िंदगी जीने के लिए ना तो बेहिसाब पवर की ज़रूरत होती है और ना ही बेशहमार पैसे की....ज़िंदगी जीने के लिए यदि किसी चीज़ की ज़रूरत होती है तो सिर्फ़ ऐसी ज़िंदगी की...जिसे हम जी सके...जिसमे छोटे-बड़े उतार-चढ़ाव हो पर अंत मे सब कुच्छ ठीक हो जाए....
एश शायद अपनी बीमारी के चलते मुझे भूल जाए ,पर मुझे यकीन है कि वो जब भी कॉलेज के फोटोस मे मुझे देखेगी तो एक पल के लिए,एक सेकेंड के लिए उसके दिल की घंटी ज़रूर बजेगी....और यदि वो घंटी नही भी बजती तो कोई बात नही...
8थ सेमेस्टर के बाद मैने फाइनली अपने दिमाग़ पर काबू पा लिया था ,मतलब कि अब मैं वही कुच्छ सोचता हूँ,जो मैं सोचना चाहता हूँ...अब ना तो मुझे आतिन्द्र का भूत सपने मे दिखता है और ना ही आराधना....पर ये दोनो मेरे साथ तब तक जुड़े रहेंगे ,जब तक मैं इस दुनिया से जुड़ा रहूँगा....
.
"जल्दी बोल,कॉल क्यूँ किया...."इतने देर से मैं जिस चीज़ का इंतज़ार कर रहा था ,फाइनली वो हो ही गया...कॉल निशा की थी और कॉल रिसीव करते ही रूड होते हुए मैं बोला"तेरा होने वाला हज़्बेंड कहाँ है..."
"तुम तो जानते ही हो कि ,आइ लव यू यार, फिर भी..."
"लड़कियो
"लड़कियो के आइ लव यू से मुझे डर लगता है...क्यूंकी एक के आइ लव यू ने अंदर तक हिला कर रख दिया था....तू बोल ,कॉल क्यूँ किया..."
"सेक्स करने का बहुत मन कर रहा है..."
"तो आजा फिर...मैं कौन सा मना कर रहा हूँ..."
"मुझे असल मे सेक्स नही करना ,बस तुम्हे बताने का दिल कर रहा था..."
"और कुच्छ भी बताना है तो जल्दी बता दो...आँखे बंद हो रही है मेरी..."
"और कुच्छ तो नही पर मैं ये सोच रही थी कि तुम्हे डर नही लगता क्या...जो डॅड को जानते हुए भी मुझसे इश्क़ लड़ा रहे है..."
"डर-वर अपने खून मे नही है...."
"ऐसे कैसे हो सकता है...जिसका जन्म हुआ है और जो एक दिन मरेगा ,उन सबको किसी ना किसी चीज़ से डर लगता है..."
"मेरा जन्म नही हुआ है ,मेरा अवतार हुआ है...."
"चल झूठे..."
.
इसी के साथ हम दोनो 'डर' टॉपिक पर एक दूसरे से लड़ाई करने लगे....
मेरा आगे क्या होगा..इसकी मुझे ज़्यादा परवाह नही थी,क्यूंकी मुझे मालूम है कि मेरे साथ जितना बुरा होना था वो तो हो चुका है, अब उससे ज़्यादा बुरा नही हो सकता और यदि हुआ भी तो मैं होने नही दूँगा....फिलहाल तो अपनी गाड़ी निशा भरोसे चल रही थी और इतने अच्छे-बुरे अनुभव से मैने एक चीज़ जो सीखी थी वो ये कि 'लव ईज़ नोट लवेबल' क्यूंकी लव मे मतलब इसका नही रहता कि आप अपनी ज़िंदगी कैसे जीते हो,बल्कि मतलब इसका रहता है कि आप अपने सपनो को कैसे जीते हो....
"माइसेल्फ अरमान और ये थे मेरी ज़िंदगी के कुच्छ अरमान ,जिनमे से कुच्छ पूरे हुए तो कुच्छ पूरे होने बाकी है और एक बात ,किसी शायर ने हंड्रेड पर्सेंट सच ही कहा है कि 'आशिक़ बनकर अपनी ज़िंदगी बर्बाद मत करना..'
--दा एंड--बोले तो समाप्त
|