Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-30-2021, 12:04 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
कड़ी_42

मीता चरणजीत को उठाकर अंदर ले जाता है। चरणजीत अंदर जा देखती है, की सुखजीत पूरी बिटू के नीचे लेटी हुई थी। ये देखकर चरणजीत हैरान हो जाती है। बिटू सुखजीत की चूचियों को मसलता हुआ, जोर-जोर से धक्के मार रहा था। सुखजीत भी नीचे से अपनी गाण्ड को उठा-उठाकर बिटू के हर धक्के का जवाब दे रही थी।

इतने में मीता चरणजीत को नीचे उतरता है, और उसे दीवार के साथ लगा देता है।

सुखजीत चरणजीत को देखकर बिटू के नीचे हिलते हुए बोली- “आह्ह... हाए हाए बहनजी भी आ गई हैं...”

बिटू- मीते भाई, आज तू अपने सारे शौक पूरे कर ले, आज साली ये तेरे हाथ में आ ही गई है।

मीता चरणजीत के दोनों हाथ दीवार से लगाकर पकड़ लेता है, और फिर वो उसके होंठों को अपने होंठों में भरकर चूसने लगता है। पर चरणजीत को बहुत शर्म आ रही थी। क्योंकी उसको ये लग रहा था, की वो कैसे अपनी चूत आज बिटू और सुखजीत के सामने मीते को देगी? चरणजीत दीवार से लगी मछली की तरह थप्पड़ रही थी, पर मीते के हाथों से छुट जाना उसके बस का नहीं था।

फिर मीता अपने दोनों हाथ चरणजीत की चूचियों पर रखाता और जोर-जोर से उसके दोनों चूचियों को मसलने लगता है, और बोला- “बस कर भाभी... मुझे अच्छे से पता है, तेरे अंदर भी पूरी आग मचल रही है। नहीं तो तू ऐसे ही ना अपनी गाण्ड जोर-जोर से मटकाकर चलती मेरे सामने...”

चरणजीत भी मीते से अपनी दोनों चूचियां अच्छे से मसलवाने के बाद गरम हो जाती है और वो सिसकारियां भरते हए बोली- "हाए मीते अगर किसी को इस बारे पता चला गया, तो कसम से मेरी

मीता चरणजीत को किस करके बोला- “भाभी तू सुखजीत को देख, कैसे वो पूरी नंगी होकर बिटू को दे रही है। जब उसे किसी बात का डर नहीं है, तो तू क्यों इतना डर रही है?"

चरणजीत- “उसने तो अपने घर शहर चले जाना है, पर मैंने तो यहीं पर रहना है ना इसलिए कह रही हूँ मैं..."

मीता- कुछ नहीं होता भाभी, तू फिकर ना कर। किसी को पता नहीं चलेगा की आज रात तूने यहाँ पर लगाई है।

चरणजीत ये सुनकर अब हिलना बंद कर देती है। मीता को भी अब पता चल जाता है, की अब चरणजीत गरम हो गई है। फिर मीता अपने दोनों हाथ उसकी चूचियों से हटाकर अपने दोनों हाथ उसके चूतरों पर रखकर जोर से उसके चूतर मसल देता है।

चरणजीत- “आहह... हाए ओये परा मर..."

मीता- “हाए भाभी तेरी मोटी गाण्ड देखकर लण्ड खड़ा हो जाता है। सच में आज तो तेरी मैं जमकर मारूँगा..."

चरणजीत अपने मन में सोच रही थी, की उसका सरदार तो उसको महीने-महीने हाथ तक नहीं लगाता। और ये मीता उसकी चूत मारने के लिए, इतना पागल हुआ जा रहा है। ये देखकर चरणजीत अंदर ही अंदर खुश हो जाती है। चरणजीत जानबूझ कर नाटक करते हुए बोली- “हाए मीते, मेरे सरदार को पता चल जाएगा...”

मीता अपना एक हाथ चरणजीत की चूतरों के बीच की लकीर में डालकर बोला- "भाभी उस बहनचोद सरदार को कुछ भी पता नहीं चलेगा। वो रंडियों को चोद चोदकर राज चुका है अब।

चरणजीत- “हाय सीयी... मीते प्लीज़्ज़... रहने दे आह्ह... प्लीज़्ज़.."

मीता- “चुप कर भाभी, आज तो मेरा लण्ड तेरी चूत में जाकर ही मानेगा.” फिर मीता चरणजीत के कुर्ते का पल्ला पकड़कर ऊपर करके उसका कुर्ता उतार देता है।

तभी चरणजीत अपनी दोनों चूचियां अपने हाथों से छुपा लेती है। मीता चरणजीत के दोनों हाथ अपने कंधे पर रखा लेता है। फिर वो थोड़ा नीचे होकर चरणजीत की चूचियों को अपने मुँह में डालकर चूसने लगता है। चरणजीत को इसमें बहुत मजा आने लगता है, और इस वजह से उसके मुँह से आह्ह... आss की आवाजें और जोर से निकालने लगती है।

मीता भी चरणजीत को और गरम करने के लिए उसके निपलों पर एक दाँत से जोर से काट लेता है। इससे चरणजीत के मुँह से जोर से छींक निकलती है।

चरणजीत- “आहह... आह्ह... हाए मर गई... मीते आराम से चूस ले ना...”

पर मीता कहां मानने वाला था, वो और जोर-जोर चरणजीत की चूचियों को दाँत से काटने लगा। जिससे चरणजीत पागल होने लगती है। चरणजीत की चूत बुरी तरह से पानी चोदने लगती है। फिर मीता चरणजीत की चूचियां चूसते-चूसते, उसको मंजे के पास लेकर जाता है। जहाँ सुखजीत बिटू से चुद रही थी। मीता चरणजीत की सलवार का नाड़ा खोल देता है।

चरणजीत- “हाए मीते प्लीज़्ज़... सलवार नहीं नहीं.."

पर मीता चरणजीत की तो एक भी नहीं सुनता। अपने दोनों हाथ डाकरल उसकी पैंटी के साथ उसकी सलवार को भी उतारकर उसकी टांगों के बीच से निकालकर साइड में फेंक देता है। चरणजीत के मुंह से आह निकली और वो मीते से एकदम लिपट जाती है। मीता का लण्ड भी अब पूरा खड़ा हो चुका था। फिर मीता चरणजीत की दोनों टाँगें ऊपर कंधों पर रखा लेता है। फिर मीता एक हाथ चरणजीत के मोटे गोरे चिकने चूतड़ों पर फेरता है। और दूसरे हाथ से अपना पाजामा उतार देता है। फिर उसका मोटा लंबा काला लण्ड बाहर आ जाता है, जिसे देख चरणजीत हैरान हो जाती है। मीता अपना लण्ड चरणजीत की चूत पर रखकर धीरे-धीरे उसकी चूत को रगड़ा कर धक्के मारने लगा। लण्ड को चूत से लगते ही एकदम काँप जाती है और उसके मुँह से सिसकारियां निकालने लगती है।

चरणजीत- आह्ह... “आहह... हाए मीते ऐसे ना कर प्लीज़्ज़... दर्द हो रहा है..."
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01-30-2021, 12:05 PM,
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पर मीते को चरणजीत को तड़पाने में बहुत मजा आ रहा था। मीता जोर से अपना लण्ड चरणजीत की चूत पर रगड़ने लगा और बोला- “भाभी तू चुप हो जा, जैसे तेरी मोटी गाण्ड ने लोगों का बुरा हाल किया हुआ है। आज वैसे ही मैं तेरा हाल करूँगा..” कहकर मीते ने अपना 9" इंच लंबा लण्ड एकदम से चरणजीत की चूत में उतार देता है।

लण्ड पूरा अंदर जाते ही चरणजीत के मुँह से चिल्लाने की आवाज निकलती है, और फिर वो मीते से चिपक जाती है। चरणजीत का लण्ड लेकर बुरा हाल हो जाता है, और वो मीते के होंठों को चूसने लगती है। चरणजीत अपनी चूत को कस लेती है, और फिर मीता अपना लण्ड एक बार पूरा बाहर निकल लेता है। और इस बार वो अपनी पूरी ताकत से अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में एक जोरदार धक्के से मारता है। इस बार उसका लण्ड सीधा चरणजीत की बच्चेदानी पर जाकर लगता है, जिससे चरणजीत के मुँह से जोर से आवाज निकली।

चरणजीत- “आह्ह... आह्ह... हाए ओये मर गई, तुझे कहा था आराम से कर सच में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है.."

पर मीता अपने पूरे जोश में आ गया था, वो अपनी पूरी ताकत से चरणजीत की चूत को जोर-जोर से चोदने में लगा हुआ था। चरणजीत की हालत मरने वाली हो गई थी, क्योंकी उसके पति सरदार का लण्ड सिर्फ 6" इंच का था। और मीते के बड़े और मोटे लण्ड ने चरणजीत की चूत को फाड़ ही दिया था।

चरणजीत- “हाए मीते बहुत दर्द हो रहा है आह...”

मीता ने चरणजीत की एक टांग नीचे रख दी, और एक टांग पूरी ऊपर उठाकर जोर-जोर से अपना लण्ड उसकी चूत में ठोंकने लगा। इससे चरणजीत की चूत पूरी खुल जाती है, जिस वजह से उसे दर्द कम होता है।

दूसरी तरफ बिटू ने सुखजीत को घोड़ी बना लिया होता है, वो पीछे से सुखजीत की कमर को पकड़कर जोर-जोर से सुखजीत की चूत मार रहा होता है।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद चरणजीत मीते को अपनी गाण्ड उठा-उठाकर अपनी चूत दे रही होती है। और फिर वो चिल्लाते हुए बोली- “आहह... मीते मेरा होने वाले है, आहह... आहह... ये ले पी ले मेरे पानी को..."

चरणजीत के मुँह से ये बातें सुनकर मीता अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकाल लेता है। और अपनी दोनों टाँगें खोलकर अपना मुँह उसकी चूत पर रखा लेता है। चरणजीत भी मीते के सिर को पकड़कर अपनी टांगों से उसके सिर को दबा देती है। चरणजीत सिसकारियां लेते हए नीचे से अपनी गाण्ड को उठा रही होती है।

सुखजीत घोड़ी बनी हुई थी, इसलिए वो चरणजीत के चेहरा के सेक्सी एक्सप्रेशन देख रही होती है। उन दोनों का चेहरा एक दूसरे के एकदम करीब था, इसलिए सुखजीत चरणजीत के होंठों पर अपने होंठ रख लेती है और वो दोनों एक दूसरे को किसिंग करने लगते हैं।

बिटू पीछे से सुखजीत को चोद रहा होता है, और चरणजीत मीते को अपनी चूत जोर-जोर से चुसवा रही होती है। तभी अचानक चरणजीत की चूत अपना पानी निकल देती है, जिसे मीता चाट-चाट कर पी जाता है। अब तक चरणजीत की दारू उतर जाती है, इसलिए वो मीते को बोलती है।

चरणजीत- "मीते जा मेरे लिए एक पेग बनाकर लेकर आ...”

सुखजीत- भाईजी एक मेरे लिए भी।

मीता उठकर पेग बनाने लगता है।

इतने में सुखजीत चरणजीत को नंगी देखकर पागल हो जाती है। वो अब बिटू के लण्ड को छोड़कर चरणजीत के ऊपर लंबी लेट जाती है और बोलती है- “बहनजी फिर कैसा लगा, बेगाने लण्ड के नीचे लेटना?"

चरणजीत- बहनजी सच में मजा आ गया।

सुखजीत ये सुनकर चरणजीत के होंठों को चूसने लगती है। बिटू सुखजीत को उल्टी लेटे देखकर पीछे से उसकी चूत में लण्ड डाल देता है। सुखजीत चरणजीत के चेहरे पर किसिंग करनी शुरू कर देती है। बिटू भी अब सुखजीत के ऊपर लेटकर धीरे-धीरे धक्के मारने लगता है।

इतने में मीता पेग बनाकर अंदर आ जाता है, वो देखता है की सुखजीत और चरणजीत एक दूसरे को किस कर रही होती हैं। ये देखकर वो मस्त हो जाता है, वो अपना लण्ड उन दोनों के गालों पर रगड़ने लगता है। जैसे ही उन दोनों को लण्ड महसूस होता है, तभी सुखजीत बोली।
सुखजीत- “लो बहनजी आ गया आपका शिकारी..."

चरणजीत- बहनजी अब क्या मेरा क्या आपका, अब तो दोनों का सांझा ही हो गया है।

चरणजीत की ये बात सुनते ही सुखजीत मीते के लण्ड पर जीभ फेर देती है। जिससे मीते की आँखें बंद हो जाती है और मीता बोला- “आहह... आहह... भाभी तू कम नहीं है, आग तो तेरे अंदर भी पूरी भरी हुई है...” ।

सुखजीत एक बार फिर से जीभ उसके लण्ड पर रगड़कर बोली- भाईजी आज तो आग चारों साइड मची हुई है।

फिर सुखजीत ने अपना पेग पकड़ा और पी जाती है, और चरणजीत भी अपना पेग खींच जाती है। वो दोनों पूरा नशे में हो जाती हैं। वो दोनों नशे में रंडियां बन चुकी थी, वो दोनों नशे में चुद रही थी। अब सुखजीत मीते से चुद रही थी, और बिटू चरणजीत को चोद रहा था।

संधू परिवार की बहुयें अब गश्तियां बन चुकी थीं। पूरी रात भर वो खूब जमकर चुदी और सुबह 4:00 बजे अपने अपने कपड़े डालकर सब लोगों से आँख बचाकर वो अपनी दुखती हुई गाण्ड और चूत लेकर अपने घर जा रही थीं।
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01-30-2021, 12:05 PM,
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कड़ी_43

सारी रात चूत मरवाने के बाद सुखजीत और चरणजीत सुबह 4:00 बजे वहां से निकालकर अपने घर की ओर निकल पड़ी। दोनों जट्टियों ने सारी रात अपनी अच्छे से तसल्ली करवा ली थी। घर आते ही सुखजीत सीधे अपने रूम में चली जाती है, और बेड पर उल्टी लंबी लेट जाती है।

पूरी रात जमकर चूत मरवाने के बाद सुखजीत पूरी तरह से थक चुकी थी। अब उसे उल्टा लेटने के बाद आराम मिल रहा था। इसलिए उसे कब नींद आ गई उसे पता तक नहीं चला। ऐसा ही हाल चरणजीत का भी होता है,
वो भी बेड पर गिरते ही सो जाती है।

सुबह के 8:00 बजे बज जाते हैं, और सुखजीत को मदहोशी में आवाजें सुनाई देती है, जिससे वो उठ गई और पूरे होश में आ गई। अपनी कच्ची पक्की नींद में वो अपनी आँखने खोलती है, तो देखती है की रीत उसे उठाते हुए बोल रही थी।

रीत- “मम्मी प्लीज़्ज़... उठ जाओ, बारात के लिए तैयार भी होना है..."

सुखजीत रीत की बात सुनकर होश में आती है, इतने में ही चरणजीत दरवाजे पर आकर बोली।

चरणजीत- “बहनजी क्या बात है, आपको तो कुछ ज्यादा ही थकावट हो गई है लगता है.."

[ चरणजीत की बात का मतलब अच्छे से समझ जाती है, और उसे देखकर शरमाने लगती है। फिर सुखजीत उठकर तैयार होने लगती है।

इतने में रीत के फोन पर मलिक का फोन आता है, तो वो रूम से बाहर निकलकर छत पर जाकर फोन उठाया।

रीत- हेलो।

मलिक- उठ गई मेरी जान?

रीत- हाँ जानू उठ गई मैं।

मलिक- जान कल मुझे सपना आया, की मैं तेरे ऊपर हूँ और तू मेरे नीचे लेटी हुई है।

रीत- छीः आप तो बहुत ज्यादा गंदे हो सुबह होते ही शुरू हो जाते हो। जाओ अब मैंने नहीं बात करनी आपसे।

मलिक- ओहहो... मेरा बच्चा मुझसे गुस्सा हो गया सारी।

रीत- ठीक है ठीक है।

मलिक- और जान क्या कर रही थी?

रीत- कुछ नहीं बस तैयार होने लगी थी, बारात में जाने के लिए।

मलिक- हाए मेरी जान कब से मेरे लिए तैयार होने लगी?

रीत- “छीः छीः आप फिर से शुरू हो गये। जाओ अब तो मैंने बात ही नहीं करनी...” कहकर रीत नलकी गुस्सा दिखाकर फोन कट कर देती है और नीचे चली जाती है।

9:00 बजे चुके थे और सब बारात के लिए तैयार हो जाते हैं। सुखजीत भी अपने आपको काफी अच्छे से तैयार कर लेती है। सुखजीत ने बेबी पिंक कलर का कट-स्लीव कुर्ता और नीचे पटियाला शाही सलवार डाली हुई थी।

और पीछे बालों का जुड़ा बनाकर अपने चेहरा को मेकप करके अच्छे से चमकाया होता है।

सुखजीत की कमीज पहले से ही टाइट थी, और थोड़ी डीप-नेक वाली थी। इसलिए उसकी दोनों चूचियों की लकीर साफ-साफ दिख रही थी। रात की चुदाई के कारण सुखजीत की आँखों में अभी तक नशा चढ़ा हुआ था। और आज तो सुखजीत अपने दोनों चूतर पहले से ज्यादा बाहर निकालकर मटक-मटक कर चल रही थी।

सुखजीत चरणजीत के पास जाती है, उधर चरणजीत भी आज सिरे का पटोला लग रही थी। उसने आज ग्रीन कलर का सूट डाला हुआ था। चरणजीत के दोनों चूतर भी सुखजीत के चूतरों की तरह आज कुछ ज्यादा ही बड़े लग रहे थे। और बड़े लगें भी क्यों ना रात को दोनों ने एक साथ जो अपनी चूत अपने आशिकों को दी थी।

चरणजीत ने एक साइड से चुन्नी ली हुई थी, इसलिए उसका गला नंगा साफ-साफ नजर आ रहा था। सुखजीत अच्छी भली जा रही थी, पर जैसे ही उसकी आँख चरणजीत से मिलती है, तो दोनों को एक साथ रात वाला कांड याद आ जाता है, और दोनों एक दूसरे को देखकर मुश्कुराने लगती हैं।

दूसरी तरफ रीत और पिंकी भी तैयार होकर अब तक आ जाती हैं। रीत ने आज पूरा आंतक मचाया होता है। रीत ने आज अनारकली वाला सूट डाला होता है, और उसने भी एक साइड चुन्नी ली होती है। रीत को देखकर ऐसा लग रहा था, मानो शराब ग्लास में से गिर गई हो।

अनारकली सूट में रीत के दोनों चूतर एकदम अलग ही नजर आ रहे थे, और उसके दोनों चूचियां ऐसी लग रही थीं, मानो सूट में दो राकेट उड़ने को तैयार बैठे हों। रीत के साथ-साथ पिंकी भी किसी से कम नहीं लग रही थी, पिंकी ने अपनी माँ की तरह ग्रीन कलर का सूट डाला हुआ था, जिसमें उसकी चूचियां बाहर आ रही थी, जिसमें सेक्सी लग रही थी।
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01-30-2021, 12:05 PM,
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पिंकी ने नीचे टाइट पैंटी डाली हुई थी, जिसमें उसके दोनों चूतर पूरे बाहर निकले हुए थे। पंजाब की सब जटियां एक साथ हो जाती है, और फिर 10:00 बजे बारात घर से निकल जाती है।

बारात पैलेस के पास पहुँच जाती है। लड़के को घोड़ी पर बिठाया जाता है, और उसके साथ ही बैंड बाजा शुरू हो जाता है। ढोल की आवाज पर सारे लोगों के पैर हरकत करने लगते हैं, और काफी लोग नाचना शुरू भी कर देते

बारात में शराबियों की कमी नहीं होती। बलविंदर और हरपाल शराब के नशे में पूरी तरह से डूबे हुए होते हैं। वो दोनों शराब के नशे में जोर-जोर से ठुमका मार-मारकर नाच रहे थे, उन दोनों के साथ बिटू और मीता भी होते है। ढोल की आवाज के साथ-साथ नोट भी उड़ने शुरू हो जाते हैं।

इतने में हरपाल सुखजीत का हाथ पकड़कर उसे डान्स करने के लिए आगे कर लेता है। सुखजीत पहले से ही नशे में होती है, और फिर वो जोर-जोर से अपनी गाण्ड को हिला-हिलाकर नाचने लगती है। साथ ही सुखजीत चरणजीत को भी अपने साथ खींच लेती है। फिर वो दोनों जट्टियां नशे में जमकर डान्स करने लगती हैं। वो दोनों अपने मोटे-मोटे चतरों और चचियों को जोर-जोर से हिलाकर डान्स कर रही थी।

पिंकी और रीत अपनी-अपनी मम्मी को इस तरह नाचते देखकर पागल हो जाती हैं। फिर वो दोनों भी मैदान में उतर जाती हैं, और अपनी-अपनी मुम्मियों के साथ खूब जोर लगाकर अपनी-अपनी गाण्ड मटकाकर डान्स करने लगती हैं। सड़क पर ये हाल हो गया था, की लोग रास्ते में अपनी कार रोक-रोक कर उन चारों का डान्स देख रहे थे।

ऐसे ही जोरदार डान्स के साथ धीरे-धीरे बारात पैलेस तक आ जाती है। उसके बाद बड़े-बड़े लोगों की आपस में मिलनी होती है। फिर आगे सालियां लड़के को रोकने के लिए खड़ी हो रखी थी। लड़कों वालों की तरफ काफी ज्यादा भीड़ हो जाती है, क्योंकी सारे लोग एक साथ हो जाते हैं। फिर वहां सालियों और जीजू का मजाक शुरू हो जाता है।

इतने में सुखजीत अपने चूतरों पर किसी का हाथ महसूस करती है। वो तभी पीछे मुड़कर देखती है, तो उसके पीछे बिटू खड़ा था। जो उसे देखकर स्माइल कर रहा था।

सुखजीत सिर हिलाकर उसे इशारे में कहती है- “प्लीज़्ज़... ऐसा वैसा यहाँ ना करो प्लीज़्ज़..."

पर बिटू उसकी कहां सुनने वाला था, बिटू को अच्छे से पता था की इतनी भीड़ में किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। इसलिए वो सुखजीत के कुर्ते के पल्ले के अंदर हाथ डालकर उसके चूतर अच्छे से मसल देता है। वो सुखजीत के चूतरों की लाइन में उंगलियां डालने की सोचता है। पर सुखजीत ने आज टाइट पैंटी डाली हुई थी, इसलिए उसकी उंगलियां अंदर नहीं जा रही थीं।

सुखजीत बिटू की हरकत से पूरी गरम हो रही थी। वो अपने होंठों को अपने होंठों में दबाकर बहुत मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल कर रही थी। दर्शल बात तो ये थी की सुखजीत ने रात को बिटू से इतनी ज्यादा मरवा ली थी की अब उसके एक टच से ही वो रात वाली चुदाई के मजे में जा पहुंची थी। फिर बारात का स्वागत होता है और सब लोग आगे चलने लगते हैं। तभी सुखजीत अपनी दुनियां में वापिस आती है, और सुखजीत बिटू का हाथ पकड़कर जल्दी से पीछे से निकलती है, और वो और लोगों के साथ वो भी अंदर जाने लगती है। फिर वहां सब खाने पीने लगते हैं।

थोड़ी देर बाद सब लोग लावा फेरे के लिए चले जाते हैं। फिर जब वो बाद में वापिस आते हैं, तब तक पैलेस में रणबीर और मलिक भी आ जाते हैं। तभी सुखजीत की नजर गगन के ऊपर पड़ी, जो उसे ही कभी का देख रहा था। गगन उसको देखते हुए हल्की-हल्की स्माइल पास भी करता है।

पर सुखजीत गगन को कोई रेस्पान्स नहीं देती है। क्योंकी अब सुखजीत को गगन में कोई इंटेरेस्ट नहीं रहा था, क्योंकी अब बिटू सुखजीत को काफी अच्छे से चोद-चोदकर उसकी तसल्ली करवा रहा था। अब सुखजीत किसी और नये मर्द की तरफ जाने की सोच भी नहीं सकती थी। इसलिए सुखजीत ने गगन से अपना मुँह फेर लिया और वो आगे की ओर निकल पड़ी।

दूसरी तरफ मलिक ने जब दूर से रीत को देखा तो उसने स्माइल करते हुए, इशारे में उसे कह दिया की आज वो बहुत अच्छी लग रही है। रीत ने भी स्माइल में उसे बैंकयू कह दिया। पिंकी भी अपने यार से पूरी इशारे में बात कर रही थी। तभी शगुन का टाइम हो गया और सारे बारी-बारी से फोटो खिंचवा रहे थे। मोका देखकर मलिक रीत को फोन करता है।

रीत- हेलो।

मलिक- जान पैलेस के बाथरूम की साइड आ जा, मैं तेरा इंतेजार कर रहा हूँ।

रीत- “मलिक मम्मी मुझे कभी भी फोटो के लिए बुला सकती हैं, प्लीज़्ज़... अभी नहीं."

मलिक- "आ जा ना जान प्लीज़्ज़... मना मत कर प्लीज़्ज़..."

रीत मान जाती है और बोली- “ठीक है आती हूँ..”

रीत देखती है की पिंकी अपनी सहेलियों के साथ बिजी है। इसलिए वो उधर से अकेली बाथरूम की तरफ निकल जाती है। रीत देखती है, की बाथरूम की साइड काफी अंधेरा है। रीत को कुछ भी दिखाई नहीं देता, तभी रीत फोन निकालती है मलिक को बुलाने के लिए। पर तभी पीछे से मलिक उसे पकड़कर अपनी ओर खींच लेता है।

रीत- “आह्ह... ओहह गंदे डरा दिया मुझे...”

मलिक कसकर रीत को बाहों में भरकर बोला- “हाए मेरा बच्चा डर गया?"

रीत- और नहीं तो क्या, चलो अब छोड़ो मुझे और बताओ क्या बात करनी है?

मलिक- “जान आज तू बहुत सुंदर लग रही है..” कहकर मलिक रीत के होंठों में होंठ डाल देता है।

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रीत भी मलिक को अपनी बाहों में भरकर उसका पूरा साथ देने लगती है। किसिंग करते हुए मलिक रीत की कमर पर हाथ फेरते हुए, उसके चूतरों पर आ जाता है, और वो उसके चूतरों को मसलता हुआ उसे किस करता है। रीत भी गरम होकर मलिक के होंठों को अच्छे से चूसने लगती है।

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01-30-2021, 12:05 PM,
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कड़ी_44
घर जाने का टाइम आ जाता है, और सारे गाँव वाले अपनी-अपनी कार में बैठ जाते हैं। अब डोली वाली कार में जगह नहीं होती। क्योंकी उस कार में लड़का और एक लड़की और बलविंदर, चरणजीत और पिंकी और रीत थे।

सुखजीत के लिए अब हरपाल की कार ही बची थी। जिसमें गाँव के सरपंच, मीता, हरपाल, और बिटू बैठे हुए थे। हरपाल आज दारू पीकर अच्छे से नशे में होता है। हरपाल के साथ उसकी अगली सीट पर सरपंच बेहोश बैठा हुआ था। मीता कार चला रहा होता है। जब वो सुखजीत को देखता है तो वो थोड़ा सा हँसने लगता है। सुखजीत भी उसको देखकर हँसने लगती है। कार में पीछे वाली सीट पर हरपाल बैठा होता है, सुखजीत भी उसके पास जाकर बैठ जाती है।

सुखजीत को कार में शराब की स्मेल आ रही होती है, इसलिए वो बोली।
सुखजीत- “थोड़ी कम पिया करो..."

हरपाल- “ओ हेलो मैं कम पी लूँ... मेरे भतीजे की शादी है और मैं कम पी लूँ, भला ऐसा कैसे हो सकता है?"

सुखजीत ये सुनकर चुप हो जाती है, क्योंकी हरपाल आज ओवर हो रखा था। इतने में बिटू आकर कार में बैठ जाता है, उसके हाथ में शराब की बोतल होती है। बिटू को देखकर सुखजीत की आँखें चमकने लगती हैं, और फिर वो अंदर आकर बैठ जाता है। बिटू के चूतड़ सुखजीत के चूतड़ से एकदम चिपके हुए थे, दोनों एक दूसरे को देखकर अपनी आँखें नीचे कर लेते हैं।

मीता बिटू की तरफ देखकर इशारा करता है। मीता कार स्टार्ट करके घर की तरफ चल पड़ता है। घर तक जाने में अभी पूरा एक घंटा लगने वाला था, इसलिए हरपाल बिटू को बोला- “बिटू यार चल एक पेग बना दे यार..."

बिटू- नहीं भाईजी, आज आप पहले ही ओवर हो चुके हो। अब और नहीं पीनी।

हरपाल- ओह्ह... तू ज्यादा ना बोल चुपचाप बना पेग, आज मेरे भतीजे की शादी है।

बिटू पेग बनाकर हरपाल को देता है, और हरपाल झट से पूरा पेग खींच लेता है। सुखजीत चुपचाप बैठ होती है।

हरपाल बार-बार मुँह बाहर निकालकर बाहर देख रहा होता है। इस मोके का फायदा उठाकर बिटू सुखजीत के चूतड़ों पर हाथ रखा देता है।

सुखजीत गुस्से में उसका हाथ पकड़कर साइड करती है, और वो इशारे में कहती है- “मेरा सरदार साथ बैठा है.."

बिटू के दिमाग में एक आइडिया आता है, और वो तभी एक मोटा सा पेग बनाकर हरपाल को दे देता है। और हरपाल वो भी पी जाता है। उस पेग को पीते ही हरपाल पूरा हिल जाता है, और वो तभी बेहोश हो जाता है। बिटू अब फिर से अपना हाथ सुखजीत के चूतड़ों पर रखता है, और सुखजीत उसका हाथ साइड में करके फिर से इशारा करती है।

बिट्ट- “भाभी अब तेरा पति सो गया है, अब ना मत कर अपने देवर को प्लीज़्ज़..” फिर बिट्ट अपना हाथ उसके पल्ले के अंदर डाल लेता है, और सीधा चूत के पास लेकर चला जाता है।
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01-30-2021, 12:05 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
सुखजीत अपनी आँखें बंद कर लेती है, और बिटू का हाथ बाहर निकालने की कोशिश करती है। सुबह की लगी आग को बिटू फिर से जला देता है, वो भी सुखजीत के पति के सामने जो बेहोश उसके साथ ही लेटा है।

बिटू दूसरा हाथ सुखजीत के चूतड़ों को फेरता हुए, उसके गाल पर किस कर लेता है। सुखजीत की अब पूरी गरम हो जाती है, और फिर वो गरम-गरम सिसकारियां भरते हुए बोलती है- “आहह... आss भाईजी प्लीज़्ज़... यहाँ ना करो, मेरा सरदार मेरे साथ ही बैठा है..”

बिटू ये सुनकर सुखजीत की कमर में हाथ डालता है, और उसे उठाकर अपनी गोद में बिठा लेता है और फिर बिटू बोलता है- “और भाभी अब बता अपने पति के सामने किसी दूसरे मर्द की गोद में अपनी गाण्ड रखकर तुझे कैसा लग रहा है?"

सुखजीत- हाए नहीं प्लीज़्ज़... मुझे नीचे उतरो, सरदार साहिब कभी भी जाग सकते है।

बिटू के मजबूत हाथों की मजबूत पकड़ सुखजीत को उसकी पकड़ से बाहर नहीं जाने देती। फिर बिटू अपने दोनों हाथ से उसकी चूचियों को पकड़ लेता है, और फिर उसकी चूचियां जोर-जोर से मसलने लगता है। साथ ही साथ बिटू सुखजीत की गर्दन पर किस भी करने लगता है। सुखजीत बिटू की आग अपने अंदर समा नहीं पाती, इसलिए वो अपना एक हाथ बिटू के मुँह पर रखकर उसे धक्का देखकर बोलती है।

सुखजीत- “आहह... ओहह... हाए भाईजी प्लीज़्ज़... ना करो..."

सुखजीत से अब और कंट्रोल नहीं होता, और वो अब खुद अपने होंठ बिटू के होंठों में डालकर उसका सिर अपने दोनों हाथों से पकड़कर जोर-जोर से उसको किस करने लगती है। साथ ही बिटू भी अपने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगता है।

मीता कार चलता हआ पीछे देखने वाले मिरर में सब कुछ देख रहा होता है। फिर बिटू अपना एक हाथ नीचे ले जाता है, और सुखजीत के पल्ले के अंदर अपना एक हाथ डालकर उसकी सलवार का नाड़ा खोलने लगता है। कुछ ही देर में बिटू सुखजीत का नाड़ा ढीला कर देता है। और फिर उसके बाद वो अपना हाथ सुखजीत की सलवार में डाल लेता है।

बिटू अपना हाथ सुखजीत की पैंटी में डाल लेता है, और फिर उसका हाथ पानी से भीगी हुई चूत पर आ जाता है। बिटू अपनी उंगलियां उसकी भीगी हुई चूत पर फेरने लगता है। जैसे ही बिटू का हाथ सुखजीत की चूत पर लगता है, तभी सुखजीत बिटू के होंठों को छोड़कर मस्त सिसकारियां भारती है। और फिर से वो उसके होंठों को चूसने लगती है। अब सुखजीत कसकर बिटू को अपनी बाहों में भर लेती है, पर उसका चेहरा हरपाल की तरफ होता है। ताकी अगर हरपाल उठ जाए, तो झट से अपनी सीट पर बिटू की गोद से उठकर आ जाए।

बिटू सुखजीत के खूबसूरत जिश्म को मसल-मसलकर नीचे से उसकी चूत में से उसकी जवानी का रस निकाल रहा था। अचानक ही हरपाल में थोड़ी सी हलचल होती है, और सुखजीत एकदम बिटू की गोद में से उठकर अपनी सीट पर आकर बैठ जाती है।
* * * * * * * * * *
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01-30-2021, 12:05 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
कड़ी_45

अगले दिन रात को रिसेप्शन होता है, और दिन में सब आराम कर रहे होते हैं। सुखजीत भी पिछले दो दिनों की थकान से टूटी आराम कर रही थी। सुखजीत बेड पर आराम से लंबी लेटी हुई होती है।

तभी रीत उसके पास आती है और उससे बोलती है- "मम्मी वो पिंकी ने शहर से एक डेस लेकर आनी है, क्या मैं उसके साथ जाऊँ?"

सुखजीत- हाँ बेटा जा।

रीत खुश होकर बोली- “ठीक है मम्मी फिर थोड़े पैसे भी दे दो। मुझे कुछ पसंद आया तो मैं भी ले लूँगी..”

सुखजीत- हाँ बेटे ले ले पैसे भी।

फिर रीत सुखजीत से पैसे लेकर बाहर निकल जाती है, और बाहर पिंकी खड़ी होती है। रीत उसे आँख मारकर कहती है- “ले पिंकी बन गया प्लान अब..."

पिंकी- तू सच में बहुत खराब है, एक मिनट में अपने घर वालों का फुदद् बना दिया तूने।

इतने में दोनों घर से बाहर निकल जाती हैं, पिंकी ने फिले कलर का सलवार सूट डाला हुआ था। उसकी बाहर निकलती चूचियां और चूतर उसके शरीर को चार चाँद लगा रहे थे। इसलिए पिंकी बहुत ही अच्छी और सुंदर लग रही थी, उसपर उसका ये सूट भी उसके जिश्म की वजह से काफी अच्छा लग रहा था।

रीत ने जीन्स और टाप डाला हुआ था, उसकी जीन्स और टाप में आज भी उसकी खड़ी चूचियां और बाहर निकलते चूतर अपनी पूरी शेप में दिख रहे थे। फिर वो दोनों गाँव की गलियों से बाहर निकालकर गाँव के मोड़ पर आ जाती हैं। इतने में रणबीर अपनी कार उन दोनों के सामने रोकता है, और वो दोनों कार में बैठ जाती हैं। कार के अंदर रणबीर और मलिक पहले से होते हैं, वो दोनों अंदर बैठकर दोनों को हेलो कहती है। फिर रीत मलिक के कंधे पर अपना सिर रखकर बैठ जाती है।

मलिक- देखा फिर आ गई ना, वैसे तू डर रही थी की मम्मी तुझे आने नहीं देगी।

रीत- मलिक आपको नहीं पता हम दोनों क्या-क्या बहाना मारकर घर से बाहर आई हाँ।

पिंकी- “हाँ इसने कहा है, की हम दोनों शहर में जा रहे हैं। नई ड्रेस लेने के लिए, हाहाहाहा...” पिंकी की ये बात सुनकर सब हँसने लगते है,

रणबीर बोला- "ओह्ह मलिक यार टाइम देख मूवी का...”

मलिक मोबाइल में टाइम देखता है और बोला- “यार टाइम तो 12:00 बजे है, पर अभी तो सुबह के 8:00 ही बजे हैं...”

पिंकी- हाए यार इतनी देर मैं कहां रहूंगी?

मलिक- मेरे दोस्त का फ्लैट है, वहीं पर चलते हैं। वो इस टाइम कालेज में गया होगा, हम चारों वहीं पर इतना टाइम पास कर लेगें।

सब फ्लैट में जाने के लिए तैयार हो जाते हैं, और मलिक अपने दोस्त से फ्लैट की चाबी माँग कर ले आता है। फिर वो सब फ्लैट की ओर निकल जाते हैं। सब अंदर चले जाते हैं और रणबीर कार से बियर की बोतल अंदर ले आता है। उसने अंदर आते ही बोतल खोल दी और पीने लगता है।

पिंकी उसे ऐसा करते देखकर बोली- “रणबीर आप ना कहीं पर भी पीनी शुरू कर देते हो..."

रणबीर- अच्छा तू भी दो बूंट मार फिर तुझे पता चलेगा।

पिंकी- नहीं जी मैंने नहीं पीनी।

रणबीर- हाँ हाँ मुझे पता था, की तू पहले ही डर जाएगी।

पिंकी- अच्छा... मैं डरती तो अपने बाप से नहीं।

रणबीर- अच्छा तो ये ले पी फिर

इतना सुनते ही पिंकी ने उसके हाथ से बोतल पकड़ी और पीने लगती है। रीत पिंकी को अपनी दोनों आँखें फाड़ फाड़कर देख रही थी। पीने के 5 मिनट बाद ही पिंकी को चढ़ जाती है, और फिर वो सेक्सी स्माइल करके रणबीर को देखने लगती है। रणबीर उसे देखकर अपने लण्ड की तरफ इशारा करता है।
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01-30-2021, 12:05 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
पिंकी रणबीर का इशारा समझ जाती है और फिर बोली- “मैं अब तक गई हूँ, मैं आराम करने के लिए दूसरे रूम में जा रही हूँ..” कहते हुये वो रणबीर की तरफ अपनी गाण्ड को कुछ ज्यादा ही मटकाकर दूसरे रूम में चली जाती है।

रणबीर उसकी मोटी गाण्ड को देखकर समझ जाता है, और फिर वो भी उसके पीछे-पीछे हो जाता है।

ये सब देखकर मलिक और रीत शरमाने लगते है। मलिक भी मोका देखकर रीत के पास चला जाता है, और उसकी कमर में हाथ डालकर अपने होंठों को उसके होंठों के पास लेजाकर बोला- “जान आज मैंने तुझे अपना बनाना है, और तेरे जिश्म पर अपने प्यार की मोहर लगानी है."

रीत का प्यार मलिक के लिए एकदम सच्चा होता है और रीत बोली- “मलिक मैं सिर्फ आपकी ही हूँ, आप मेरे साथ जो मर्जी कर सकते हो..."

मलिक ये सुनकर खुश हो जाता है, और रीत के पीछे आकर अपनी पैंट की जिप खोलकर अपना लण्ड बाहर निकलकर जीन्स के ऊपर से ही अपना लण्ड उसकी चूतरों के अंदर डालने की कोशिश करता है।

अपने चूतरों पर लण्ड महसूस होते ही रीत की आँखें बंद हो जाती हैं। रीत अपने हाथ से मलिक के हाथ को पकड़कर दबा देती है, फिर मलिक उसको गले से चूमने लगता है। आज मलिक की लाटरी लगती है, क्योंकी सील बंद सबसे खूबसूरत कुँवारी पंजाबन आज उसके हाथों में थी। जो चुदने के लिए तड़प रही थी।

मलिक से अब और ज्यादा नहीं रुका जाता। और झट से रीत को अपनी तरफ घुमाता है, और उसके होंठों में अपने होंठ फँसाकर जोर-जोर से उसके होंठों को चूसने लगता है। फिर उसके होंठों को चूसते-चूसते वो उसके टाप को उतार देता है।

रीत ने नीचे रेड कलर की ब्रा डाली हुई थी, जिसमें उसकी गोरी-गोरी चूचियां बहुत ज्यादा मस्त लग रही थीं। रीत एकदम शर्मा जाती है, और वो अपनी चूचियों को मलिक के सीने से लगाकर दबा लेती है। मलिक का हाथ अब रीत की जीन्स के बटन पर होता है। वो रीत को बेड पर लेटाकर उसकी दोनों टाँगें ऊपर उठा देता है। और फिर उसकी जीन्स को खींचकर उतार देता है। अब रीत उसके सामने रेड कलर की ब्रा पैंटी में होती है। रीत शर्मा जाती है, और वो अपने ऊपर चादर ले लेती है।

मलिक के सामने गोरी चिट्टी कुँवारी जट्टी नंगी लेटी हुई थी। मलिक ने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकले और वो चादर में आ गया। फिर उसने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। मलिक ने अपने हाथ रीत की कमर में डाले और उसकी ब्रा को उसके जिश्म से अलग कर दिया।

फिर वो उसकी गोरी-गोरी नंगी चूचियों को चूसने लगा। उसकी चूचियां चूस-चूसकर वो लाल करने लगा। रीत पागल होने लगी, उसके मुंह से आह्ह... आह्ह... से भरी सिसकारियां निकल रही थी। उसके बाद मलिक ने नीचे अपने हाथ डालकर उसकी पैंटी भी उसके जिश्म से अलग कर दी।

अब पूरी रीत पूरी नंगी मलिक से लिपटी हुई थी। मलिक ने अपना हाथ उसकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया, जिससे रीत पूरी तरह से पागल होने लगी। फिर मलिक अपने अंडरवेर से अपना 8" इंच लंबा लण्ड बाहर निकल देता है। रीत मलिक का लण्ड देखकर डर जाती है।

रीत- “हाए मलिक इतना बड़ा प्लीज़्ज़... मुझे छोड़ दो जाने दो...”

मलिक- जान जितना तुम आराम से ले सकती हो, उतना आराम से ले लेना।

रीत- “नहीं नहीं प्लीज़्ज़..."

मलिक- जान तू मुझसे प्यार नहीं करती?

रीत- जान से ज्यादा करती हूँ।

मलिक- तो क्या मेरे लिए मेरा लण्ड नहीं ले सकती।

मलिक की ये बात सुनकर रीत एकदम चुप हो जाती है। रीत मलिक को पकड़कर अपने गले से लगा लेती है। रीत को डर लग रहा था, क्योंकी आज ये सब उसके साथ पहली बार हो रहा था।

* * * * * * * * * *
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01-30-2021, 12:06 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
कड़ी_46
मलिक अब समझ जाता है की रीत तैयार है। तभी मलिक अपने लण्ड को पकड़कर रीत की चूत पर रगड़ देता है, जिससे रीत एकदम मचल उठती है और मलिक को कसकर पकड़ लेती है। अब मलिक अपने लण्ड को उसकी चूत के ऊपर रखकर धीरे से धक्का मारता है। और रीत अपनी दोनों टाँगें मलिक की कमर पर लपेटकर बोलती है।

रीत- “आहह... आहह... मलिक प्लीज़्ज़... धीरे..."

मलिक का लण्ड के आगे वाला हिस्सा रीत की चूत के अंदर होता है, दर्द के मारे अपनी टाँगें मलिक के चारों और लपेट लेती है। फिर मलिक थोड़ा सा और जोर लगाकर अंदर डालता है। तभी रीत उसके नीचे इकट्ठी हो जाती है, मलिक अब एक बार लण्ड बाहर निकालकर फिर से धक्का मारता है।

रीत- “आहह... मलिक मैं मर गई प्लीज़्ज़... धीरे से करो..."

मलिक का लण्ड रीत की नशीली चूत के नशे में कुछ और सुनने को तैयार नहीं था, अब वो एक और धक्का मारता है। रीत दर्द के मारे अपनी दो उंगलियां अपनी चूत के पास रखकर बोली- “मलिक आहह... आहह... आज मुझे मारने का इरादा है क्या? प्लीज़्ज़... अपना लण्ड बाहर निकालो प्लीज़्ज़...” और रीत आँखों से आँसू आने शुरू हो जाते हैं।

मलिक अभी भी नहीं सुनता, और वो अपने दोनों हाथ रीत के कंधों पर रखता है, और एक जोरदार धक्का मारता है। रीत जोर से चिल्ला पड़ती है। साथ वाले रूम में रणबीर और पिंकी को भी उसकी आवाज सुनाई पड़ती है, और फिर रणबीर बोला।

रणबीर- “ले आज तेरी बहन की भी सील टूट गई..”

पिंकी सेक्स के नशे में बोली- "टूटने दे और कब तक संभाल कर रखेगी वो? और वैसे भी ये बनी ही है तोड़न के लिए। तू अभी मुझे चोद ना जान..."

दूसरी तरफ जब रीत नीचे देखती है, तो वो पूरी हैरान हो जाती है। क्योंकी मलिक का 8" इंच का पूरा लण्ड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर जा चुका था। रीत दर्द से तड़पने लगती है, और अपने हाथ बेड पर मारने लगती है, और वो रोते हुए बोली- “आहह... आह्ह... प्लीज़्ज़... मलिक निकालो इसे प्लीज़्ज़... मुझे कुछ नहीं पता प्लीज़्ज़... निकालो इसे आहह...”

मलिक रीत की ऐसी हालत देखकर एकदम घबरा जाता है, और तभी अपना लण्ड बाहर निकल देता है। जैसे ही वो अपना लण्ड बाहर निकलता है, चूत में से खून निकलना शुरू हो जाता है। लण्ड बाहर आते ही रीत लंबी-लंबी सांसें लेने लगती है, और वो अपनी दोनों टाँगें खोलकर नंगी लेट जाती है। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे होते है, और रीत दर्द के मारे बेहोश हो जाती है। मलिक इस काम का पक्का खिलाड़ी होता है, उसने आज से पहले बहुत सारी लड़कियों की सील तोड़ी थी।

मलिक ने अपने रुमाल से रीत की चूत का सारा खून साफ कर दिया। फिर वो रीत के पास बैठकर उससे प्यारी प्यारी बातें करने लगा। ताकी उसका मूड थोड़ा ठीक हो जाए। फिर वो दोनों अपने-अपने कपड़े डाल लेते हैं। इतने में रणबीर और पिंकी भी चुदाई करके आ जाते हैं।

पिंकी रीत के पास आकर बैठ जाती है और बोलती है- "रीत घबरा मत... पहली बार ये सब सबके साथ होता है..."

रणबीर पिंकी की किस करते हुए बोला- "हाँ जब मैंने पिंकी के साथ किया था, तब पिंकी तो अपनी सलवार उठाकर भाग गई थी...”

रणबीर की ये बात सुनते ही सब हँसने लगते हैं।

पिंकी- मेरा बाबू आ गया था, इसलिए मैं भागी थी समझा।

फिर से सब हँसने लगते हैं।

दूसरी तरफ गाँव में सारे रात की पार्टी के लिए तैयारियां कर रहे होते हैं। चरणजीत के पास एक मिनट भी फ्री नहीं होता। सुखजीत अपने रूम में आराम से लंबी लेटी हुई थी। इतने में सुखजीत के मोबाइल पर एक फोन आता है। जब वो फोन देखती है तो उसके चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है, क्योंकी वो फोन बिटू का होता

सुखजीत- हेलो।

बिटू- “क्या बात भाभी आज तूने दर्शन नहीं दिए?"

सुखजीत ठरकी आवाज में बोली- “हाए इतनी तो मेरी मार ली है आपने, और अभी भी दर्शन की जरूरत है?"

बिटू- “एक बार और दे दो भाभी अच्छी तरह। कल तूने अपने घर शहर चली जाना है। अच्छा मैं बाहर खड़ा हूँ तेरे दर्शन के लिए..."

सुखजीत अपने रूम की खिड़की में से हल्का सा बाहर देखती है, की बिटू खड़ा होता है। उसके कान पर फोन लगा होता है। सुखजीत मिरर में देखकर अपनी चूचियां सेट करके खिड़की के सामने इस तरह खड़ी हो जाती है। ताकी कोई आसानी से उसे देख ना सके। बिटू बातें करते-करते अपने लण्ड को अपने हाथ में मसलने लगता है। ये देखकर सुखजीत बोली।

सुखजीत- “हाए भाईजी कभी तो इसे छोड़ दिया करो...”

बिटू- भाभी क्या करूँ तुझ देखकर तेरे अंदर जाने को मचलने लगता है ये।

सुखजीत बिटू के पीछे हरपाल को आते हुए देखती है और फिर बोलती है- “अच्छा मैं अब रखती हूँ, हरपाल आ रहा है आपके पीछे..."

रीत और पिंकी अब गाँव आ जाती है, तो रीत की चूत बुरी तरह से दुख रही होती है। इस चक्कर में उससे अच्छे से चला भी नहीं जा रहा था। रीत बहुत मुश्किल से चल रही थी। वो गाँव के मोड़ से पैदल आ रही होती है। उसे इस तरह देखकर पिंकी बोली।

पिंकी- रीत ठीक से चल, वर्ना सबको पता चल जाएगा।

रीत- कैसे चलूं यार? सच में मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है।

पिंकी- जरूरी था अंदर लेना, मना कर देती। अगर इतना ही दर्द हो रहा था तुझे तो।
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01-30-2021, 12:06 PM,
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
रीत- “ज्यादा बकवास ना कर तू.. खुद तो अपने यार के साथ दूसरे में रूम में चली गई थी। मुझे वहां अकेली छोड़कर। अब मलिक ने अकेली होने का फायदा तो उठना ही था ना..."

पिंकी- “चल जो गया सो हो गया। अब प्लीज़्ज़... ठीक से चल। ये गाँव की औरतें बहुत ज्यादा ही खराब हैं। ये लड़की की चाल देखकर ही बता देती है, की सील बंद है या खुली?"

रीत ये सुनकर डरते हुए बोली- “हाई पिंकी अगर किसी को पता चल गया तो?”

पिंकी- तभी तो कह रही हूँ, की सीधी होकर चल यार।

रीत ने जीन्स डाली हुई थी, इसलिए वो अपने दोनों हाथ आगे वाली पाकेट में डालकर चलने लगती है। इससे रीत को दर्द कम हो रहा था, और देखने में ऐसा लग रहा था, की वो अपनी जीभ में हाथ डालकर चल रही है। ऐसे ही वो दोनों घर आ जाती हैं।

रीत सीधी अपने रूम में जाकर बेड पर लेट जाती है। इतने में पिंकी उसके पास एक क्रीम लेकर आती है, जिसे वो रीत की चूत पर लगाकर उसे सुला देती है। रीत को भी नींद आ जाती है।

शाम हो जाती है, और सुखजीत रूम में आती है और रीत को बेड पर लंबी लेटी देखकर बोली- “रीत बेटा चल अब उठ जा, तैयार भी तो होना है पार्टी के लिए..."

रीत को अभी तक आराम नहीं आया था और वो बोली- “मम्मी मेरा सिर बहुत ज्यादा दर्द कर रहा है, प्लीज़्ज़... थोड़ी देर और सोने दो, मैं बाद में तैयार हो जाऊँगी...” कहकर रीत फिर से सो जाती है।

सुखजीत ने आज तंग पाजामी वाला काले रंगा का सूट डाला हुआ था। ऊपर से उसने अपने बाल आज खुले छोड़े होते हैं, होंठ एकदम लाल किए होते हैं। कमीज के नीचे सुखजीत ने टाइट ब्लैक कलर की ब्रा डाली हुई थी। इससे उसके मोटी-मोटी चूचियां एकदम खड़ी हुए थीं। नीचे उसका पल्ला काफी लंबा था, पर कमर से एकदम सूट टाइट था। साथ ही उसकी पाजामी भी पूरी फँसी हुई थी। इसलिए उसकी गाण्ड एकदम बाहर निकली हुई थी, ।

और कमीज का पल्ला पूरा ऊपर उठा हुआ था।

सुखजीत मिरर के आगे खड़ी होकर अपने आपको सवार रही होती है, तभी दरवाजा खुलता है और अंदर चरणजीत आती है। चरणजीत भी पूरी सजी-धजी हुई होती है। चरणजीत ने सिर पर जूड़ा करा हुआ था। उसकी कमीज का गला काफी बड़ा किया हुआ था। इसलिए उसके मोटी-मोटी चूचियां बाहर आने को हो रही थीं। उसकी ब्रा के स्ट्रैप्स उसके गोरे चिकने कंधों पर चमक रहे थे। नीचे की सलवार में से साफ-साफ मोटे-मोटे चूतर भी चमक रहे थे, जो लोगों के लण्ड खड़े कर रहे थे।

चरणजीत- बहनजी आप हो गये तैयार?

सुखजीत मिरर में देखकर अपनी चूचियां ऊपर उठाकर बोली- “हाँ बहनजी हो गई मैं तैयार..."

चरणजीत शर्मा जाती है और कहती है- "चलो फिर नीचे पार्टी में चलते हैं। वैसे ये रीत क्यों सो रही है?"

सुखजीत- उसका सिर दर्द हो रहा है।

चरणजीत- ठीक है आ जाओ फिर रीत को उठाकर।

सुखजीत रीत को जगाती हुई बोली- “रीत मेरे बच्चे अब उठ जा देख रात हो गई है, और नीचे पार्टी भी शुरू हो गई है। चल उठ और तैयार हो जा..."

रीत की हिम्मत नहीं हो रही थी खड़े होने की। इसलिए उसने अपनी मम्मी से साफ-साफ बोल दिया- “मम्मी मुझसे नहीं उठा जा रहा है, मेरा सिर बहुत दर्द कर रहा है..”

इतने में पिंकी आ जाती है तैयार होकर। पिंकी ने आज ग्रीन कलर का कमीज और येल्लो कलर की सलवार डाली हुई थी। पटियाला शाही सलवार में उसके चूतर पूरे अपनी असली शेप में पीछे से नजर आ रहे थे। और उसकी चूचियां पहले से ही सुखजीत जैसी मोटी-मोटी और हरदम खड़ी रहने वाली थीं। जिसको लड़के और बंदे हर टाइम मसलने के लिए तड़पते रहते थे।

पिंकी- “चाची आज रीत को भी दिन में चक्कर आ रहे थे। तो उसके लिए अच्छा ये ही होगा की वो आज रात ना जाए..."

सुखजीत- चल ठीक है रीत जैसे तुझे ठीक लगे, पर तेरे साथ घर में कोई रहेगा।

रीत- मम्मी मैं कोई बच्ची हूँ, रूम लाक करके मैंने सो जाना है अभी।

सुखजीत- “चल ठीक है मेरे बच्चे...” कहकर सुखजीत बाहर चली जाती है।

फिर पिंकी बोली- “क्या हाल है अब?"

रीत- कोई हाल नहीं है बहन, बहुत दर्द कर रही है।

पिंकी- दर्द भी क्यों ना होये, आज अपने यार का लण्ड जो लिया है अंदर इसने।

रीत- चुप कर, यहाँ मेरी जान निकल रही है, और तुझे मजाक सूझ रहा है।

पिंकी- “जरा मैं भी तो देखू कितनी दर्द कर रही है?" कहकर पिंकी अपने हाथ चादर में डालकर सीधा रीत के पाजामे में हाथ डाल लेती है। फिर पिंकी अपना हाथ रीत की चूत पर रख देती है। पिंकी हाथ जैसे ही उसकी चूत पर लगता है। तभी उसकी आँखें बंद हो जाती है और वो बोलती है।

रीत- “कमीनी बाहर निकल इसे अभी..."

पिंकी अपना हाथ बाहर निकालकर बोली- “रीत तेरी तो सूजी पड़ी है, ऐसा कर क्रीम लगाकर सो जा सुबह तक ठीक हो जाएगी तू..”

रीत- ठीक है।

पिंकी- चल मैं अब पार्टी में एक चक्कर लगाकर वापिस आती हूँ। अगर तुझे किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे फोन कर लियो ओके...”

रीत- ठीक है।
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