RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
उपर लेटे लेटे ही, उसने लाला जी के खुरदुरे गाल से अपना मक्खन जैसा मुलायम गाल रगड़ दिया फिर अपने होंठ उनके होंठों पर रख कर बुद बुदाई, बहू थी कोई…?
लाला ये बात चलाकर फँस गये थे, लेकिन बंदूक से निकली गोली, और ज़ुबान से निकला शब्द कभी वापस नही आ सकते, इसलिए वो उसकी गान्ड सहलाते हुए बोले-
किसी से भूल कर भी इस बात का जिकर मत करना, कि हमारी छोटी बहू खुद ही अपनी चूत में उंगली डालकर अपनी गर्मी शांत कर रही थी…!
रंगीली – मुझ पर विश्वास रखिए आप, ये समझिए ये शब्द अब ताले में बंद हो गये हैं, अब तभी निकलेंगे जब आप खुद निकलवाना चाहेंगे…!
फिर हँसते हुए बोली – पर आपकी नज़र कैसे पड़ गयी उसपर…?
लाला – अरे कल्लू को देखने गये थे, आते में उसके कमरे से सिसकने की आवाज़ सुनाई दी, इतनी बेसहूर औरत गेट भी बंद नही किया और लगी थी टाँगें चौड़ी करके दो-दो उंगली करने…
रंगीली – धरमजी एक बात बोलूं..? कल्लू की दूसरी शादी करने में शायद आपने जल्दबाज़ी करदी, अब बेचारी जवान लड़की, लंड तो उसे भी चाहिए ना, आप अपने उपर से ही देखलो…!
लाला जी – हमें लगता है, कल्लू उसे ठीक से चोद नही पाता है, या शायद बड़ी बहू ज़्यादा सुंदर है, इसलिए वो उसी को ज़्यादा तबज्जो देता होगा…!
रंगीली मन ही मन मुस्कराते हुए सोच रही थी, कि वो नामर्द किसी को भी संतुष्ट नही कर पाता लाला, वे दोनो ही प्यासी हैं, कहीं ऐसा ना हो, किसी दिन बीच रास्ते पर बैठकर गाओं के लोगों से चुदवाने लगें…!
लाला ने उसे मौन देख कर कहा – क्या सोच रही हो, हमारी बात का कोई जबाब नही दिया तुमने..?
रंगीली अपनी सोचों को विराम देते हुए बोली – अब मे क्या जबाब दूं, आप खुद ही समझ दार हो, दोनो ही जवान हैं, एक को तबज्ज़ो दें तो दूसरी प्यासी रह ही जाएगी…!
लाला – शायद तुमने सही कहा – हमें कल्लू की दूसरी शादी नही करनी चाहिए थी, अब देखो ना इस बहू को भी आए 6 महीने से उपर हो गये, अभी तक तो कोई खुश खबरी नही है…
कहीं ऐसा तो नही कि कल्लू में ही कोई कमी हो…?
रंगीली – ऐसा क्यों सोचते हैं, कल्लू में कमी होती तो बड़ी बहू के एक बेटी कैसे हो गयी…?
लाला – तो फिर और क्या वजह है, जो अभी तक किसी को कोई बच्चा नही हो पाया…?
रंगीली – कभी कभी बच्चे दानी अपनी जगह छोड़ कर और गहरी चली जाती है, शायद कल्लू का हथियार छोटा पड़ जाता हो, और वो वहाँ तक नही पहुँच पाता हो…!
लाला – तो फिर इसका उपाय क्या है…?
रंगीली थोड़ा झिझकते हुए बोली – जाने दीजिए लाला जी… अब मे कुछ कहूँगी तो शायद आपको बुरा लग जाए, आख़िर में हूँ तो एक नौकर ही इस हवेली की…!
लाला जी ने उसके चेहरे को अपने हाथों के बीच लिया, और उसकी आँखों में देखते हुए बोले – तुम अपने आपको इस हवेली की सिर्फ़ नौकर ही समझती हो..?
तुम्हें पता है, जो बातें हम तुम्हारे साथ कर लेते हैं, वैसी बातें कभी हम सेठानी से भी नही करते.., अगर तुम्हारे पास कोई उपाय है तो निसंकोच कहो..
रंगीली ने उनके होंठों को चूम लिया, और बड़ी सोखि से लाला के हथियार को अपने पंजे में कसते हुए बोली –
ऐसा हथियार अगर किसी चूत में जाए, तो साली बच्चे दानी भले ही पटल में क्यों ना छुपि हो, खोज ही लेगा, और वहीं जाकर अपना बीज़ उडेल देगा…!
लाला जी उसकी बात का मतलब समझते हुए बोले – तुम कहना क्या चाहती हो..? क्या हम अपने बेटे की जगह… नही नही…ये कदापि नही हो सकता…!
रंगीली – अपने वंश की खातिर भी नही…!
रंगीली ने सही जगह चोट करदी थी…, लाला सोच में पड़ गये, धर्म संकट में फँसे लाला धरम दास को और कोई रास्ता दिखाई भी नही दे रहा था…तभी रंगीली ने फिर एक हथौड़ा मार दिया…
इसमें कुछ ग़लत भी तो नही, अपने घर की ही तो बात है, घर में ही रहेगी… और फिर आप पहले ऐसे ससुर तो नही हो जो अपने वंश के लिए अपनी बहू को वीर्यादान दे रहे हो,
भूतकाल में बहुत सी ऐसी कथायें हैं जहाँ संतान प्राप्ति के लिए बड़ी बड़ी महारानियों ने पर पुरुष से गर्भ धारण किया है…
इसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण तो महाभारत में ही है, महारानी शत्यवति ने अपनी बहुओं का अपने ही बड़े बेटे वेद व्यास से गर्भाधान कराया था…
लाला – लेकिन वो तो उन्होने अपने तप के तेज से नज़रों द्वारा ही गर्भाधान कर दिया था…!
रंगीली – आपने देखा था कि उन्होने नज़रों से किया था या अपने लंड से ? जो चीज़ जिस काम के लिए ईश्वर ने बनाई है, वो उसी के द्वारा संभव होता है…!
ये सब कहने की बातें हैं लाला जी, इतिहास में उनका नाम बदनाम ना हो इसलिए ये सब कथायें गढ़ दी गयी हैं…!
रंगीली के तर्क ने लाला को सोचने पर विवश कर दिया…, अब उन्हें भी यही एक मात्र रास्ता दिखाई दे रहा था अपनी वंशबेल को आगे बढ़ाने का…!
लाला ने रंगीली की बात से सहमत होते हुए कहा – लेकिन क्या कोई बहू इस बात के लिए सहमत होगी, हमारा मतलब है, कैसे हम उनको कहेंगे कि तुम हमसे संबंध बना लो…!
रंगीली – बड़ी बहू तो शायद इस बात के लिए कभी राज़ी होगी भी नही, हां छोटी बहू को पटाया जा सकता है, अगर आप कहें तो इसके लिए मे कुछ कोशिश कर सकती हूँ…
सीधे तौर पर तो उसको नही बोल सकते, लेकिन मौका देखकर उसे अपने इस हथियार के दर्शन कराते रहे तो शायद वो जल्दी ही आपके नीचे होगी…!
लाला को भी बात जमने लगी थी, और कहीं ना कहीं वो भी अब नयी चुत की चाहत में बोले – ठीक है, तुम कोशिश शुरू करो, हम तैयार हैं.., ये कहकर उन्होने उसकी मस्त मदमाती गान्ड को मसल दिया…!
नयी चूत मिलने की कल्पना मात्र से ही लाला का सोया हुआ सिपाही फिर से जंग लड़ने को उठ खड़ा हुआ…!
रंगीली ने कामुक कराह भरते हुए कहा – आआहह…लाला जी, देखा, बहू की चूत के नाम से ही आपका शेर गुर्राने लगा…!
लाला अपनी खीँसें निपोर्ते हुए बोले – हहहे..ऐसा नही है, वो तो तुम्हारी मुनिया की गर्मी पाकर खड़ा हो गया है…!
फिर उन्होने उसे नीचे पलट दिया, उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर उसकी चूत को उपर उठा लिया, और एक जोश से भरा धक्का रंगीली की चूत में जड़ दिया…
लाला का लंड एक ही झटके में सरसराता हुआ जड़ तक उसकी चूत में खो गया…!
उनके इस जोश को देख कर रंगीली मन ही मन मुस्करा उठी…, और कराह कर बोली –
आअहह…. राजाजी, लगता है बहू की चूत समझकर एक ही झटके में पूरा पेल दिए हो…,
आहह….सस्सिईईई….उउफ़फ्फ़ ….जो भी हो पर मज़ा आ गया.., अब पेलो मेरे राजाजीी… ज़ोर-ज़ोर से, फाड़ दो मेरी चूत.
दिखा दो अपने लंड की ताक़त निगोडी इस चूत को, कि आज भी इसमें दस बच्चे पैदा करने की ताक़त है…
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