06-14-2018, 12:27 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
फिर मैंने भी अपने हाथों को उसके पीछे ले जाकर उसकी गर्दन को सहारा दिया और उसकी गोरी चिकनी गर्दन को चाटने लगा जिससे उसका खुद पर से काबू टूट गया और वो भी अपने हाथ मेरे पीछे ले जाकर अह्ह्ह्ह अह्ह्ह शिइइइई… करती हुई अपने सीने से दबाने लगी जिससे उसकी गठीली चूचियाँ मेरे सीने पर रगड़ खा रही थी।
मैं इतना गर्म हो गया था कि मुझे लग रहा था कि अबकी तो मैं ऐसे ही बह जाऊँगा।
फिर मैंने सोचा कि कुछ और करके देखते हैं तो मैंने फिर से उसे दबाते हुए पूरी तरह से बेड पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेटकर उसके कान के पास किस करते हुए काट भी रहा था, जिससे उसको भरपूर जवानी का सुख मिल रहा था जो उसने मुझे बाद में बताया।
फिर मैंने धीरे से अपने पैर एडजस्ट कुछ इस तरह किया जिससे उसकी चूत का मिलान मेरे खड़े लौड़े पर होने लगा तो मैंने महसूस किया की उसकी चूत भी पूरी चूत रस से सनी थी और गजब की गर्मी फेंक रही थी।
मैंने सयंम रखा… दोस्तो, मैं चाहता तो उसकी चूत मैं अपना लौड़ा डाल सकता था पर वो कभी चुदी नहीं थी और हम लोग काफी देर से अंदर भी थे इससे माया को शक भी हो सकता था क्योंकि पहली बार चुदने के बाद कोई भी लड़की हो उसकी चाल सब बता देती है कि यह लण्ड खाकर आई है।
इसलिए मैंने ऊपर से अपने लण्ड को उसकी चूत के दाने पर सेट किया और रगड़ने लगा जिससे रूचि मदहोशी में आकर आह… अह्हह करके सीत्कार करने लगी।
फिर मैंने उसके होंठों को मुँह में भर चूसना चालू कर दिया ताकि आवाज़ कुछ काम हो सके और अपने दोनों हाथों को उसकी चूचियों की सेवा में लगा दिया जो जम के उसके चूचों की सेवा कर रहे थे।
रूचि मदहोशी कर इतना भूल चुकी थी कि वो अभी घर पर है और सब लोग बाहर ही बैठे हैं, वो पागलों की तरह अपनी कमर उठा उठा कर तेज़ी से मेरे लण्ड पर रगड़ मारते हुए ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह अह्ह्ह उउम्म्ह्ह ह्ह्ह्हह’ करते हुए अपनी गर्दन इधर उधर पटकने लगी थी।
उसकी इस हरकत को भांप कर मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है तो मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी ताकि मेरा भी पानी निकल जाये और उसकी चूत की चिकनाहट से लौड़ा आराम से रगड़ खा रहा था जिसे हम दोनों मस्ती से एन्जॉय कर रहे थे।
अचानक उसने चादर को अपने दोनों हाथों में भर कर अपने दोनों पैरों को तान कर बेड से चिपका लिया और एक भारी ‘अह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ अपना पानी छोड़ दिया जिसका साफ़ एहसास मुझे मेरे लण्ड पर हो रहा था, उसकी चूत के गर्म लावे और उसकी इस अदा को मेरा लौड़ा भी बर्दाश्त न कर सका और मेरा भी माल बह निकला जिसे उसने महसूस करते मेरे गले अपने हाथो से फंडा बनाते हुए मुझे अपने सीने से चिपका लिया और इस बार उसने खुद ही मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़ कर चूसने लगी।
कोई 5 मिनट बाद हमारी होंठ चुसाई छूटी तो उसने मुझे बोला- राहुल.. आई लव यू… यू आर अमेज़िंग… आई एम इन स्काई…I love you… You are amazing… I am in the sky…
फिर हम दोनों उठे तो मैंने बेड की चादर देखी तो बहुत आश्चर्य हुआ कि वो इतना कैसे भीग गई क्योंकि माया के साथ भी ऐसा करता था पर इतना चादर कभी न भीगी थी।
खैर कुछ भी कहो, दोनों को खूब मज़ा आया था और उसके चेहरे की चमक बता रही थी कि उसको भी बहुत मज़ा आया।
वो उठी- राहुल यार, इतना मज़ा जब ऊपर से आया है तो अंदर जा कर तो यह बवाल ही मचा देगा… कसम से मुझे इतना अच्छा कभी नहीं लगा…
तो मैंने बोला- हाँ ये तो है!
तो वो तुरंत बोली- क्यों न अभी करके दिखाओ तुम?
तो मैंने उसके गालों पर किस किया और बोला- जान थोड़ा इंतज़ार करो अभी तुम्हारी माँ को शक हो सकता है, तुम मेरे साथ बैग पैक करने आई हो, ज्यादा समय लगता है उसमें और हम वैसे ही इतना देर तक समय बिता चुके हैं, अब यह काम मेरा है, तुम फ़िक्र मत करो, जल्द ही तुम्हें वो मज़ा भी दूँगा जो हर लड़की और औरत चाहती है।
तो वो बोली- औरत क्यों चाहेगी? उसका तो हस्बेंड उसे मज़े देता ही होगा!
मैं कुछ नहीं बोला और अपने सारे कपड़े उतार कर जींस टी-शर्ट पहनने लगा और इस बीच रूचि मुझे बराबर छेड़ती रही जैसे कभी मेरी छाती में किस करे, कभी मेरे लौड़े से खेले, उसे किस करे, कभी हल्के हाथों से मेरी पीठ सहलाये…
जिससे मुझे ऐसा लग रहा था कि रूचि मेरे दोस्त की बहन नहीं बल्कि मेरी बीवी है।
मैंने कपड़े पहने और उसे भी बोला- जल्दी से तुम भी कपड़े पहन लो!
पर वो चुहलबाज़ी में पड़ी थी और बोले जा रही थी- मेरा तो अभी और करने का मन कर रहा है।
मैंने बोला- मैं कहीं शहर छोड़ कर नहीं जा रहा हूँ… पहले जल्दी से चादर बदलो।
तो वो उठी और सूंघते हुए बोली- यार क्या खुशबू है मिली जुली सरकार की!
तो हम दोनों ही हंस दिए।
फिर उसने बोला- यह तो धोनी भी पड़ेगी!
कहते हुए बाथरूम में चादर को टब में भिगो के डाल आई और दूसरी चादर बिछा कर अपने कपड़े पहनने के बजाय फिर मेरे गले में अपने हाथों को डालकर मुझे ‘आई लव यू…’ बोलते हुए चूमने लगी जिससे मुझे भी बहुत मज़ा अ रहा था और मेरे हाथ उसके नग्न शरीर पर फिसलने लगे थे।
छोड़ कर जाने का तो मन नहीं था पर प्लान के मुताबिक जाना भी था ताकि दो दिन और समय मिले उन लोगों के साथ वक्त गुजारने के लिए…
और तभी जिस बात का डर था, वही हुआ, बाहर दरवाज़े पर ठक ठक ठक होने लगी, हम दोनों ही घबरा गए कि कौन हो सकता है जो बिना रुके दरवाज़े को ठोके जा रहा है?
फिर मैंने ऊँचे स्वर में बोला- कौन है? अभी आया खोलने!
और रूचि तुरंत ही अपने कपड़े लेकर बाहर भागी, मैंने भी भूसे की तरह बैग भरकर चैन बंद की और पीठ पर टांग के दरवाज़ा खोलने चल दिया।
|
|
06-14-2018, 12:27 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
फिर मैंने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो मैं माया को देखकर एक पल के लिए घबरा सा गया था कि पता नहीं कहीं इन्होंने कुछ सुन या देख तो नहीं लिया?
पर दरवाजा खुलते ही उन्होंने जो बोला, उससे मेरा डर एक पल में ही छू हो गया क्योंकि दरवाज़ा खुलते ही माया बोली- अरे राहुल, तुम अभी तक तैयार होकर गए नहीं? क्या इरादा ही नहीं जाने का?
मैं बोला- अरे नहीं ऐसा नहीं है, मेरी कुछ चीज़ें नहीं मिल रही थी तो उन्हें खोजने में समय लग गया… खैर अब सब मिल चुका है।
तो वो बोली- यह क्या? ऐसे ही जायेगा क्या? तुम्हारी माँ देखेगी तो बोलेगी मेरा लड़का आवारा हो गया है।
तो मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से उनकी ओर देखा तो वो मेरा हाथ पकड़कर कमरे में लगे बड़े शीशे की ओर लाई और खुद कंघा उठा कर मेरे बाल सही करने लगी।
तो मैंने बोला- आप रहने दें, मैं कर लूंगा। और रूचि अभी बाथरूम से निकलेगी तो यह देखकर मुझे चिढ़ाएगी जो मुझे अच्छा नहीं लगेगा।
तो वो मेरे गालों पर चुम्बन करके कंघे को मुझे देती हुई बाथरूम की ओर चल दी, और जैसे ही दरवाज़े के पास पहुंची कि रूचि खुद ही बाहर आ गई।
और उसे देखते ही माया ने कहा- अरे मेरा बच्चा, तुम्हारी तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है… क्या डॉक्टर के पास चलें?
तो रूचि बोली- नहीं माँ, मैंने अभी दवाई ली है, देखते हैं अगर मुझे अब लगता है कि अभी सही नहीं हुआ तो मैं बता दूंगी।
फिर मैं भी बोला- अरे आंटी, बेकार की टेंशन मत लो, होता है!
और मैं रूचि की चुहुल लेते हुए बोला- अभी इसका पेट साफ़ हो रहा है, आप देखती जाओ, इन दो दिनों में इसकी सारी शिकायत दूर हो जाएगी।
तो आंटी बोली- ऐसे कैसे?
तो मैं बोला- अरे मैं हूँ ना… इसे इतना खुश रखूँगा कि इसकी बिमारी दूर हो जायेगी। डॉक्टर भी बोलते है कि हंसने से कई बिमारियों का इलाज़ अपने आप हो जाता है। तो वो भी मेरी बात से सहमत होते हुए हम्म बोली।
फिर मैंने कंघा रखा और प्लान के मुताबिक मैंने आंटी से कहा- अच्छा, मैं अब चल रहा हूँ। और रूचि तुम ठीक समय पर फ़ोन कर देना।
‘ठीक है…’
पर यह साला क्या? बोल तो मैं रूचि से रहा था, पर मेरी नज़रें रूचि के चेहरे की ओर न होकर उसके चूचों पर ही टिकी थी, क्या मस्त लग रही थी यार… शायद क्या बिल्कुल यक़ीनन… उसने टॉप के नीचे कुछ न पहना था जिससे उसके संतरे संतरी रंग के ऊपर से ही नज़र आ रहे थे जिसे माया और रूचि दोनों ही जान गई थी कि मेरी निगाह किधर है।
माया ने मेरा ध्यान तोड़ने के लिए ‘अच्छा अब जल्दी जा, नहीं तो आएगा भी देर में…’ और रूचि इतना झेंप गई थी कि पूछो ही मत!
इतना सुनते ही वो चुपचाप वहाँ से अपने बेड पर आराम करने का बोल कर लेट गई और मैं वहाँ से बाहर आने के लिए चल दिया।
साथ ही साथ माया भी मुझे छोड़ने के लिए बाहर आते समय पहले रूचि के दरवाज़े को बाहर से बंद करते हुए बोली- बेटा, तू आराम कर ले थोड़ी देर, अभी तुमने दवाई ली है, मैं दरवाज़ा बाहर से बंद कर लेती हूँ।
बोलते हुए दरवाज़ा बंद किया और इधर मैं भी मन ही मन खुश था कि आंटी को तो पता ही नहीं चल पाया कि रूचि ने आज मेरी ही टॉनिक पी है जिसके बाद अच्छा आराम मिलता है।
तभी आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा और किचेन की ओर चल दी, जब तक मैं कुछ समझ पाता, उसके पहले ही उन्होंने फ़्रिज़ से बोतल निकाली और मेरे हाथों में देते हुए बोली- अब विनोद अगर बीच में उठता है तो तुम बोलना कि मैं पानी पीने आया था।
तो मैं बोला- फिर आप?
तो उन्होंने कुछ बर्तन उठाये और सिंक में डाल दिए और धीमा सा नल का पानी चालू कर दिया।
मैं उनसे बोला- जान क्या इरादा है? जाने का मन तो मेरा भी नहीं है, पर जाना पड़ेगा और वैसे भी अभी थोड़ी देर में ही फिर आता हूँ।
|
|
06-14-2018, 12:27 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
वो बोली- वो मुझे पता है, पर कितनी देर हो गई कम से कम एक पप्पी ही ले ले !
कहते हुए उन्होंने मेरे होठों को अपने होठों में भर लिया और किसी प्यासे पथिक की तरह मेरे होठों के रस से अपनी प्यास बुझाने लगी।
और मैंने भी प्रतिउत्तर मैं अपने एक हाथ से उनकी पीठ सहलाना और दूसरे हाथ से उनके एक चुच्चे की सेवा चालू कर दी और मन में विचार करने लगा कि माँ और बेटी दोनों मिलकर मेरे लिए इस घर को तो स्वर्ग ही बना देंगी आने वाले दिनों में।
इतना सोचना था कि नहीं मेरे लौड़े ने भी मेरे विचार को समर्थन देते हुए खुद खड़ा होकर माया की नाभि में हलचल मचा दी जिसे माया ने महसूस करते ही मेरे जींस के ऊपर से मेरे लौड़े को अपनी मुट्ठी में भर लिया और उसे दबाते हुए बोलने लगी- क्यों राहुल, अभी रूम में तुम्हारी नज़र किधर थी?
मैं बोला- किधर?
वो बोली- मैंने देखा था जब तुम रूचि के स्तनों को देख रहे थे।
तो मैं बोला- अरे ऐसा नहीं है…
तो बोली- अच्छा ही है अगर ऐसा न हो तो !
मैंने उनके विचारों को समझते हुए उन्हें कसके बाँहों में जकड़ लिया मानो उन्हें तो मन में गरिया ही रहा था पर फिर भी मैंने उनके होठों को चूसते हुए बोला- जब इतनी हॉट माशूका हो तो इधर उधर क्या ताड़ना, और वैसे भी तुमने मेरे लिए अनछुई कली का इंतज़ाम करने का वादा किया है, तो मुझे और क्या चाहिए।
तो वो बोली- उसकी फ़िक्र मत करो पर मेरी बेटी का दिल मत तोड़ना अगर पसंद हो तो जिंदगी भर के लिए ही पसंद करना।
मैंने उनके माथे को चूमा और स्तनों को भींचते हुए बोला- अच्छा, अब मैं चल रहा हूँ, वरना मैं शाम को जल्दी नहीं आ पाऊँगा।
कहते हुए मैं उनके घर से चल दिया और आंटी भी मुस्कुराते हुए बोली- चल अब जल्दी जा, और आराम से जाना और तेरी माँ को बिल्कुल भी अहसास न होने देना।
मैं उनके घर से जैसे तैसे निकला और रास्ते भर अपने खड़े लण्ड को दिलासा देता रहा कि ‘प्यारे अभी परेशान न कर, दुःख रहा है, तू बैठ जा, तेरा जुगाड़ जल्दी ही होगा…’ क्योंकि माया की हरकत ने मेरे लौड़े को तन्ना कर रख दिया था, उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लौड़ा इतना झन्ना गया था कि बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था।
जैसे तैसे मैं घर पहुँचा, दरवाज़ा खटखटाया तो माँ ने ही दरवाज़ा खोला और मुझे देखते ही बोली- अरे राहुल बेटा, तुम आ गए।
मैंने बोला- हाँ माँ!
तो वो बोली- तुम इतनी देर से क्यों आये?
तो मैं बोला- आ तो जल्दी ही रहा था पर वो लोग अभी तक नहीं आये और फ़ोन भी नहीं लग रहा था तो आंटी बोली शाम तक चले जाना। तो मैं अब आ गया।
फिर माँ बोली- वो लोग आ गए?
मैं बोला- नहीं, अभी तक तो नहीं आये थे, आ ही जायेंगे।
वो बोली- अच्छा जाओ मुँह हाथ धो लो, मैं चाय बनाती हूँ।
बस फिर क्या था, मैं तुरंत ही गया और सबसे पहले जींस को उतार कर फेंका और रूम अंदर से लॉक करके अपने लौड़े को हाथ से हिलाते हुए बाथरूम की ओर चल दिया, इतना भी सब्र नहीं रह गया था कि मैं अपने आप पर काबू रख पाता और बहुत तेज़ी के साथ सड़का मारने लगा।
आँखें बंद होते ही मेरे सामने रूचि का बदन तैरने लगा और कानो में उसकी ‘अह्ह ह्ह्ह शिइई इइह…’ की मंद ध्वनि गूंजने लगी।
मैं इतना बदहवास सा हो गया था कि मुझे होश ही नहीं था की मैं सड़का लगा रहा हूँ या उसकी चूत पेल रहा हूँ।
खैर जो भी हो, आखिर मज़ा तो मिल ही रहा था और देखते ही देखते बहुत तेज़ी के साथ मेरे हाथों की रफ़्तार स्वतः ही धीमी पड़ने लगी और मेरा वीर्य गिरने लगा।
|
|
06-14-2018, 12:27 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
मैं सोचने लगा ‘जब इन दो पलों में इतना मज़ा आया है, तो मैं उसे जब चोदूंगा तो कितना मज़ा आएगा!’
‘पर कैसे चोदूँ’ उसे यही उधेड़बुन मेरे अंतर्मन को और मेरी कामवासना धधकाये जा रही थी कि कैसे करूँगा मैं रूचि के साथ… अब तो घर में माया के साथ साथ विनोद भी है।
‘क्या करूँ जो मुझे रूचि के साथ हसीं पल बिताने का मौका मिल जाये!’
इसी के साथ मैंने मुँह पर पानी की ठंडी छींटे मारे और लोअर पहनकर बाहर आ गया, पर मन मेरा रूचि की ओर ही लगा था, इन दो दिनों में मुझे हर हाल में उसे पाना ही होगा कैसे भी करके!
तब तक माँ ने आकर चाय सोफे के पास पड़ी मेज़ पर रख दी थी जिसे मैं नहीं जान पाया था, मेरी इस उलझन की अवस्था को देखते हुए माँ ने कहा- क्या हुआ राहुल, तुमने चाय पी नहीं?
मैं बोला- कुछ नहीं माँ, बस यही सोच रहा हूँ कि मेरा दोस्त घर पहुँचा या नहीं क्योंकि आंटी को बच्चों की तरह डर लगता है।
माँ बोली- होता है किसी किसी के साथ ऐसा…
मैं बोला- माँ, बस उन्हें होरर फिल्म की आवाज़ सुना दो, फिर देखो !
माँ बोली- अच्छा ऐसा क्या हुआ?
तो मैं बोला- माँ, अभी कल ही मैं टीवी देख रहा था कि अचानक सोनी चैनल लग गया और उस वक़्त उसमें ‘आहट’ आ रहा था तो उसमे डरावनी आवाज़ सुनते ही आंटी पागल हो उठी उन्होंने झट से टीवी बंद कर दिया और मुझसे बोली- अब रात को मेरे कमरे में ही सोना, नहीं तो मुझे डर लगेगा तो पता नहीं क्या होगा।
उस पर मैं बोला- अच्छा आंटी कोई बात नहीं!
और फिर सोते समय जान बूझकर वही सीन उन्हें दिलाने लगा मस्ती लेने के लिए… आंटी बाथरूम जा ही रही थी कि फिर से मारे डर के दौड़ के मेरे पास आने लगी और उनका कपड़ा पता नहीं कैसे और कहाँ फंसा तो वो गिर पड़ी।
तो माँ ने मुझे डांटा कि ऐसा नहीं करते हैं।
हम चाय पीने लगे और चाय ख़त्म होते ही माँ कप लेकर किचन की ओर जाने लगी, तभी उनका फ़ोन बजा और मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई।
माँ ने फ़ोन उठाया और चहक कर बोली- अरे रूचि, अभी राहुल तुम्हारे ही घर की बात कर रहा था।
फिर दूसरी तरफ की बात सुनने लगी और कुछ देर बाद फिर बोली- हाँ, वो यहीं है, अभी आया है कुछ देर पहले…
‘क्यों क्या हुआ?’ कहकर फिर शांत हो गई, उधर की बात सुनने लगी और क्या बताऊँ यारो, मेरी फटी पड़ी थी क्योंकि अबकी बार सब नाटक हो रहा था फिर तभी मैंने सुना, माँ बोली- अरे कैसे?
फिर शांत हो कर कुछ देर बाद बोली- अब कैसे और कब तक आओगी?
तो वो जो भी बोली हो फिर माँ बोली- अरे कोई नहीं, परेशान मत हो, मैं राहुल को भेज दूंगी, तुम लोग अपना ध्यान रखना।
मैं तो इतना सुनते ही मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो अब तो ऐश ही ऐश होने वाली है।
तभी माँ फ़ोन रखकर किचन में गई, मैं उनके पीछे पीछे गया, पूछने लगा- माँ क्या हुआ? रूचि घर क्यों बुला रही थी?
तो माँ ने जो बोला उसे सुनकर मैं तो हक्का बक्का सा हो गया, ‘साली बहुत ही चालू लौंडिया थी क्योंकि प्लान दो दिन का था पर अब 5 दिन का हो चुका था!
वो कैसे?
तो अब सुनें, माँ ने बोला कि उसकी तबीयत कुछ खराब हो गई थी जिसकी वजह से उनकी ट्रेन छूट गई थी और वापसी के लिए उन्हें रिजर्वेशन भी नहीं मिल पा रहा है। जैसे तैसे उनका रिजर्वेशन तो हो गया पर पांच दिन के बाद का मिला है। और हाँ, वो बोली है कि माँ से पैसे लेकर विनोद के अकाउंट में ट्रांसफर कर दें कल, क्योंकि उनके पास पैसे भी कम हो गए हैं।
तो मैं बोला- ठीक है, पर अब मैं क्या करूँ?
तो वो बोली- करना क्या है, अपना बैग उठा और आंटी के पास जा और हाँ अब उन्हें डराना नहीं, नहीं तो मैं तुझे मारूँगी और उनसे पूछूँगी कि कोई शरारत तो नहीं
|
|
06-14-2018, 12:27 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
तो मैं बोला- ठीक है माँ!
और मैं ख़ुशी में झूमता हुआ अपने दूसरे कपड़ों को निकाल कर रखने लगा और अपनी उस चड्डी को जो की रूचि की चूत रस भीगी हुई थी, उसे बतौर निशानी मैंने अपनी ड्रॉर में रख दी जिसकी चाभी सिर्फ मेरे ही पास थी, उसे मेरे सिवा कोई और इस्तेमाल नहीं करता था।
फिर बैग पैक करके मैं उनके घर की ओर चल दिया पर मैं रूचि को चोदना चाहता था इसलिए मैं प्लान बना रहा था कि कैसे हमें मौका मिल सकता है।
तभी मेरे दिमाग में विचार आया कि क्यों न माया से इस विषय पर बात की जाये।
फिर मैं यही विचार मन में लिए उनके घर की बजाये, पास में ही एक पार्क था, तो मैं वहाँ चल दिया, और दिमाग लगाने लगा कि कैसे स्थिति को अनुरूप किया जा सके। फिर यही सोचते सोचते पार्क में बैठा ही था कि माया का फोन आया- क्यों राजा बाबू, माँ ने अभी परमिशन नहीं दी क्या?
मैं- नहीं, उन्होंने तो भेज दिया है।
‘फिर तू अभी तक आया क्यों नहीं?’
तो मैं बोला- अरे, ऐसा नहीं है, मैं थोड़ा परेशान हूँ, इसी लिए पार्क में बैठा हूँ।
उन्होंने मुझसे मेरी परेशानी के बारे में पूछा तो मैंने उन्हें कहा- आप मदद तो कर सकती हो, पर कैसे… यह सोच रहा हूँ।
तो वो बोली- अरे बात तो बता पहले, ये क्या पहेलियाँ बुझा रहा है?
तो मैंने उन्हें अपने मन की अन्तर्पीड़ा बताई तो वो बोली- पागल, पहले क्यों नहीं बताया? यह तो मैं भी चाहती थी।
मैं बोला- फिर आपके पास कोई प्लान है?
वो बोली- नहीं, पर तुम कोई जुगाड़ सोचो!
मैं बोला- अच्छा, फिर मैं ही कुछ सोचता हूँ, बस आप मेरा साथ देना, बाकी का मैं खुद ही देख लूंगा।
तो वो बोली- बिल्कुल मेरे राजा, पर थोड़ा जल्दी से सोच और घर आ जा!
मैं पुनः सोच ही रहा था कि पास बैठे कुछ बच्चों के गानों की आवाज़ आई, मैंने देखा लो वहाँ कुछ बच्चे ग्रुप में बट कर अन्ताक्षरी खेल रहे हैं और हारने पर एक दूसरे को कुछ न कुछ दे रहे थे जैसे कि कभी कोई टॉफी तो कभी चॉकलेट, कभी लोलीपोप!
तो मेरे दिमाग में तुरंत यह बात बैठ गई और मैंने सोचा कि क्यों न इस खेल को बड़े स्तर पर खेला जाये?
और प्लान बनाते ही बनाते मैं मन ही मन चहक सा उठा क्योंकि इस प्लान से मुझे ऐसी आशा की किरण दिखने लगी थी जिसकी परिकल्पना करना हर किसी के बस की बात नहीं थी, यहाँ तक मैंने भी कुछ देर पहले ऐसा कुछ भी नहीं सोचा था पर मुझे प्रतीत हो गया था कि अब मेरे कार्य में किसी भी प्रकार की कोई बाधा नहीं आएगी।
बस अब रूचि को तैयार करना था साथ देने के लिए तो मैंने तुरंत ही अपना फ़ोन निकाला और रूचि को कॉल किया। जैसे जैसे उधर फोन पर घंटी बज रही थी, ठीक वैसे ही वैसे मेरे दिल की घंटी यानि धड़कन…
खैर कुछ देर बाद फ़ोन उठा पर मैं निराश हो गया क्योंकि उधर से फ़ोन रूचि ने नहीं बल्कि मेरे दोस्त विनोद ने उठाया था। जैसे उसकी आवाज़ मेरे कान में पड़ी, मैं तो इतना हड़बड़ा गया था, जैसे मेरे तोते ही उड़ गए हों। फिर उधर से तीन चार बार ‘हेलो हेलो’ सुनने के बाद मैं ऐसे बोला जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे… मैं बोला- क्यों बे, फोन की जब बेटरी चार्ज नहीं कर सकते तो रखता क्यों है, कब से तेरा फोन मिला रहा हूँ!
अब आप सोच रहे होंगे ऐसा मैंने क्यों कहा, तो आपको बता दूँ कि हर भाई को अपनी बहन की चिंता होती है और मेरे अचानक से उसके फोन पर फोन करने उसके मन पर कई तरह के प्रश्न उठ सकते थे क्योंकि ऐसा पहली बार था जब मैंने रूचि को अपने फोन से काल की थी।
|
|
06-14-2018, 12:27 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
खैर हम अपनी कहानी पर आते हैं।
तो वो बोला- बेवकूफ हो का बे? मेरा फोन तो ओन है।
मैंने बोला- फिर झूट बोले?
तो बोला- सच यार… अभी रुक और उसने अपने फोन से कॉल की ओर देखा मेरा नंबर वेटिंग पर आ रहा है।
मैंने बोला- हम्म आ तो रहा है पर मिल क्यों नहीं रहा था?
वो बोला- होगा नेटवर्क का कोई इशू…
मैं बोला- चल छोड़, यह बता मैं आ रहा था तो सोच रहा हूँ बाहर से कुछ ले आऊँ खाने पीने के लिए?
वो बोला- रहने दे यार, माँ खाना बना ही रही है।
तब मुझे कुछ आवाज़ सुनाई दी जो रूचि की थी पर मुझे यह तब मालूम पड़ा जब उसने खुद विनोद से फोन लेकर हेलो कहा, बोली- अरे आप हो कहाँ? आये नहीं अभी तक?
मैंने बोला- पास में विनोद हो तो थोड़ा दूर हटकर बात करो, जरूरी बात करनी है।
वो बोली- अच्छा!
और फिर कुछ रुक कर बोली- वैसे आप लाने वाले क्या थे?
मैं बोला- जो तुम कहो?
तो वो बोली- खाना तो बन ही गया है, आप थम्स-अप लेते आना, खाने के बाद पी जाएगी।
साथ बैठकर कहती हुई वो विनोद से दूर जाने लगी और उचित दूरी पर पहुँच कर मुझसे बोली- हाँ बताओ, क्या जरूरी बात थी?
मैं बोला- मेरे दिमाग में एक प्लान है जिसे सुनकर तुम झन्ना जाओगी और सबके साथ रहते हुए भी हम साथ में वक़्त गुजार पाएंगे।
तो वो बोली- लव यू राहुल, क्या ऐसा हो सकता है?
मैं बोला- क्यों नहीं, अगर तुमने साथ दिया तो!
फिर वो बोली- अरे, मैं क्यों नहीं दूंगी साथ… पर अपना प्लान तो बताओ?
मैंने उसे अपना प्लान सुना दिया तो वो बहुत खुश हुई और मारे ख़ुशी के उछलने सी लगी थी और मुझसे कहने लगी- जल्दी से आ जाओ, अब मुझे तुम्हारी जरूरत है। क्या प्लान बनाया… मास्टर माइंड निकले तुम तो!
कहते हुए बोली- अब और देर न करो, बस जल्दी से आओ।
मैंने बोला- बस अभी आया!
और फ़ोन काट दिया।
अब आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा कौन सा प्लान मैंने बनाया जिससे मेरी चूत इच्छा आसानी से पूरी हो सकती थी, वो भी सबके रहते हुए?
फिर मैं उठा और विनोद के घर की ओर चल दिया और कुछ ही देर में मैं उसके घर के पास पहुँच गया, उसके अपार्टमेंट के पास एक बेकरी की शॉप थी जहाँ से मैंने रूचि के लिए थम्स-अप की बड़ी बोतल ली और अपार्टमेंट में जाने लगा।
|
|
06-14-2018, 12:29 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Dost ki Maa ki Chudai दोस्त की नशीली माँ
जैसे ही मैंने घंटी बजाई, वैसे ही अंदर से विनोद की आवाज आई- कौन?
मैं बोला- दरवाज़ा भी खोलेगा या नहीं?
तो वो बिना बोले ही आया और दरवाज़ा खोला, मैंने अंदर जाते हुए उससे पूछा- आंटी और रूचि कहाँ हैं?
वो बोला- माँ किचन में है और रूचि शायद रूम में है तो मैंने अपना बैग वहीं सोफे पर रखा और विनोद से बोला- यार कोई बढ़िया चैनल लगाओ, तब तक मैं इसे यानि की कोल्ड्ड्रिंक को फ्रीज़ में लगा कर आता हूँ।
कहते हुए किचन की ओर दबे पाँव जाने लगा।
जैसे ही मैं किचन के पास पहुँचा तो मैं माया को देखकर मतवाला हाथी सा झूम उठा, क्या क़यामत ढा रही थी वो… मैं तो बस देखता ही रह गया, एक पल के लिए मेरे दोनों पैर स्थिर हो गए थे जैसे कि मैं धरती से चिपक गया हूँ, उसने उस वक़्त साड़ी पहन रखी थी और बालों को पोनी टेल की तरह संवार रखा था जो उसके ब्लॉउज के अंतिम छोर से थोड़ा सा नीचे लटक रहे थे और उसका ब्लाउज गहरे गले का होने के कारण उसकी पीठ पीछे से स्पष्ट दिख रही थी जिसकी वजह से मैं मंत्र-मुग्ध सा हो गया था।
जैसे तैसे अपने आप को सम्हालते हुए धीरे से मैं उनके पीछे गया और कोल्ड्ड्रिंक की बोतल को उनकी जांघों के बीच में घुसेड़ते हुए उनके पीछे से में चिपक गया जिससे माया तो पहले चौंक ही गई थी और एक हल्की सी चीख निकल गई पर मुझे देखते ही उसने अपना सर झुका कर मेरे गालों पर चुम्बन लिया और गालों की चुटकी लेते हुए बोली- राहुल, बहुत शैतान हो गए हो तुम… ऐसे कहीं करते हैं मैं अगर जल जाती तो?
मैं तपाक से बोला- ऐसे कैसे जलने देता? मैं हूँ ना… वैसे आज तुम मुझे बहुत ही खूबसूरत लग रही हो!
तो वो बोली- हर समय मक्खन मत लगाया करो!
मैं बोला- नहीं यार, मैं मक्खन नहीं लगा रहा हूँ, सच ही बोल रहा हूँ, तभी तो मैं खुद पर कंट्रोल न रख सका… क्या एक चुम्मी मिलेगी अभी?
तो बोली- नहीं, अभी रूचि कभी भी आ सकती खाना लगाने के लिए… बाद में!
मैं बोला- नहीं, मुझे अभी चाहिए!
वो बोली- अच्छा ठीक है बाबा, परेशान मत हो, बस थोड़ा रुको और देखते जाओ कैसे मैं तुम्हें आज अपने बच्चों के सामने चुम्मी दूँगी।
मैं बोला- देखते हैं क्या कर सकती हो?
और मैंने उन्हें बोतल दी फ्रीज़ में लगाने को और फिर हॉल में आ गया पर मैंने एक चीज़ नोटिस की, वो यह थी कि जो पूरे प्लान का मास्टर माइंड है, वो अभी तक यहाँ मेरे सामने क्यों नहीं आया तो मैंने सोचा खुद ही रूम में जाकर इसका जवाब ले लेता हूँ।
मैंने अपना बैग उठाया और विनोद से बोला- मैं रूम में बैग रख कर आता हूँ और कपड़े भी चेंज कर लेता हूँ।
वो बोला- अबे जा, रोका किसने है तुझे? अपना ही घर समझ!
तब क्या… मैंने बैग लिया और चल दिया रूम की तरफ और अंदर घुसते ही रूचि भूखी बिल्ली की तरह मुझ पर टूट पड़ी और मुझे अपनी बाँहों में लेकर मेरे गालों और गर्दन पर चुम्बनों की बौछार करने लगी। उसकी इस हरकत से मैं समझ गया था कि वो क्यों बाहर नहीं आई थी, शायद इस तरह से वो सबके सामने मुझे प्यार न दे पाती!
फिर मैंने भी उसकी इस हरकत के प्रतिउत्तर में अपने बैग को बेड की ओर फेंक कर उसे बाँहों में भर लिया और उसके रसीले गुलाबी होठों को अपने अधरों पर रखकर उसे चूसने लगा जिससे उसके होठों में रक्त सा जम गया था, मुझे तो कुछ होश ही न था कि कैसी अवस्था में हम दोनों का प्रेममिलाप हो रहा है। वो तो कहो, रूचि ज्यादा एक्साइटेड हो गई थी, जिसके चलते उसने मेरे होठों पर अपने दांत गड़ा दिए थे जिससे मेरा कुछ ध्यान भंग हुआ।
फिर मैंने उसे कहा- यार, तुम तो वाकयी में बहुत कमाल की हो, तुम्हारा कोई जवाब ही नहीं!
वो कुछ शर्मा सी गई और मुस्कुराते हुए मुझसे बोली- आखिर ये सब है तो तुम्हारा ही असर!
मैं बोला- वो कैसे?
तो बोली- जिसे मैंने केवल सुना था, उससे कहीं ज्यादा तुम मेरे साथ कर चुके हो और सच में मुझे नहीं मालूम था कि इसमें इतना मज़ा आएगा जो मुझे तुमसे मिला है। मैं तुमसे सचमुच बहुत प्यार करने लगी हूँ…
‘आई लव यू राहुल…’ कहते हुए उसने मुझे अपनी बाँहों में जकड़ लिया, उसका सर इस समय मेरे सीने पर था और दोनों हाथ मेरे बाजुओं के नीचे से जाकर मेरी पीठ पर कसे थे और यही कुछ मुद्रा मेरी भी थी, बस फर्क इतना था कि मेरे हाथ उसकी पीठ को सहला रहे थे।
|
|
|