RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा, पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया, ऋतू की चूत मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी, वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी चूत में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी....बिलकुल नंगी.
मैं तो ये देखकर पागल ही हो गया., मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा, मेरा मन कर रहा था की मैं अपनी जीभ छेद में डाल कर अपनी बहन की चूत में डाल दू और उसे पूरा चाट डालूं. मैं ये सोचते-२ जल्दी ही झड़ने लगा....तभी छेद में से ऋतू को अपनी तरफ देखते देखकर मैं पास गया तो उसने पुछा "क्या तुम्हारा हो गया...?"
"हाँ..."मैंने जवाब दिया "और तुम्हारा ...?"
"हाँ मेरा भी..." वो मुस्कुराई.
"मुझे तो बड़ा ही मजा आया" मैंने कहा.
"मुझे भी....चलो अब नीचे नाश्ते की टेबल पर मिलते है.." ये कहकर वो बाथरूम में चली गयी, अपनी गांड मटकाती हुई.
आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी, जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे, हांलांकि भाई बहिन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.
मैं नाश्ता करके अपनी बाईक पर ऋतू को स्कूल छोड़ने चल दिया, रास्ते भर हम अपने इस नए "बिज़नेस" के बारे में बातें करते रहे, की कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ, अगर १ हफ्ते में २ बार हम २ लोगो को या फिर ४ लोगो को, या फिर ३ से ४ बार "स्पेशल शो" दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे...और हिसाब से पैसे हमेशा बड़ते जा रहे थे, ये देखकर ऋतू काफी खुश हो रही थी.
उसी रात डिन्नर के टाइम ऋतू ने मम्मी पापा से कहा की उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनके एक्साम्स आ रहे हैं और वो उसकी तय्यारी करना चाहतें हैं. पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया, मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतू के साथ देखा है, वो एक पंजाबी लड़की है, काफी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी, पर उसके मुम्मे और हांड ग़जब की है, एकदम टाईट और फेली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मुम्मे.मैंने उनके बारे में सोच सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.
तो वो ही वो लड़की है जिसने ऋतू को वो डिल्डो दिया था, तब तो वो काफी अडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी,, मैं यह सोचकर हलके हलके मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतू भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.
अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहां तो बिलकुल अँधेरा था, ऋतू ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्टर पर सो रही थी, मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.
तक़रीबन १ घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा की ऋतू चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है. उसने वोही नाईट गाउन पहन रखा था.
"क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हे क्या चाहिए ?" मैंने पुछा.
"क्या तुम फिर से मेरी चूत चाट सकते हो, जैसे कल चाटी थी, मुझे सच में बड़ा मजा आया था.." ऋतू ने कहा.
"क्या सच मैं..." मुझे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हुआ..
"हाँ ...और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता...हे हे ." वो खिलखिलाई.
"वाउ , ठीक है मैं तैयार हूँ " मैंने कहा.
"ओके..देन " ..फिर ऋतू ने एक झटके से अपना गाउन उतार फेंका उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था,...एकदम नंगी..मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया, दुधिया रौशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा. वो आकर मेरे बेद पर अपनी टाँगे फैला कर लेट गयी, मैंने भी अपना मुंह उसकी चूत पर टिका दिया, और उसके निचले अधरों का रस पान करने लगा, आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी, उसकी गीली चूत में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था, वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी और आशु...आशु...बडबडा रही थी.
आआआआआआआआह .......आआअशु ....म्म्म्मम्म्म्मम्म . मैंने उसकी क्लिट अपने दांत में लेकर चुब्लाना शुरू कर दिया...वो तो पागल ही हो गयी. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया,उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी चूत पर टिका दिया और बोली.....बस्स्सस्स्स्सस्स्स थोडा आआआआआआऔर .......म्म्मम्म्म्मम्म ...चुसो मेरी चूत को....पी जाओ मेरा रस.......माआआआआआ ......
फिर तो जैसे एक सैलाब आया, मैं दीवानों की तरह उसकी चूत में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया....अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया...अंत में वोह बोली...बस करो आशु...मैं मर जाउंगी...बस करो.. प्लीज़ ..
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