Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:51 PM,
#51
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
रेहान कल वाली बात कर रहा था. उसे विशवास ही नहीं हो रहा था की कल मैंने और ऋतू ने सोनी और मोनी के मोम डैड के साथ चुदाई करी, कल की चुदाई देखकर वो हमसे आज खुल कर लंड-चूत की बातें कर रहा था.
रेहान : "अरे ऋतू, कल तो मजा आ गया, मुझे लगता तो था की तुम लंड चूसने में माहिर हो पर कल देख भी लिया, तुम्हारी ब्रेस्ट बड़ी सुन्दर हैं और पीछे की गोलाइयाँ तो ग़जब की हैं, मैं तो कल से बैचैन हूं तुम्हे नंगा देखकर! "
ऋतू अपनी तारीफ़ सुनकर मुस्कुरा दी, उसके दिल में भी अब थोड़ी बहुत हलचल होने लगी थी.
नेहा जो पिछले दो दिनों से रेहान को देखकर मचल उठती थी वो बीच में बोल पड़ी "अरे तुमने अभी देखा ही क्या है, आगे -२ देखो हम क्या-२ करते हैं"
रेहान, नेहा की तरफ़ा देखते हुए : "अच्छा तो आप भी इस खेल में शामिल है, हमें भी तो बताओ की आप और क्या-२ कर सकती हैं"
"तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेकर सुबह से शाम तक तुमसे मरवा सकती हूँ" नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए मादक स्वर में कहा.
रेहान का मुंह खुला का खुला रह गया. ऋतू और नेहा जोर-२ से हंसने लगी.
"क्यों क्या हुआ, अब कहाँ गयी तुम्हारी बेचैनी" ऋतू ने उससे पुछा, अब वो भी नेहा के साथ-२ मजे ले रही थी.
"हंस लो, हंस लो..जब सही में मेरा लंड लोगी तो पता चलेगा की क्या मुसीबत मोल ले ली तुमने..." और रेहान भी हंसने लगा.
मुझे उनकी बातों से बड़ी जलन सी हो रही थी, मुझे वो शुरू से ही पसंद नहीं था और आज वो साला मेरे सामने बैठा मेरी बहनों से चुदाई की बातें कर रहा था.
मैंने ऋतू के कान में कहा "ऋतू, इस मादरचोद को ज्यादा भाव न दो, तुम दोनों इससे दूर ही रहो.."
ऋतू भी मेरे कान में बोली "भाई...तुम क्यों जल रहे हो..मैं तो बस मजे ले रही हूँ, तुम्हे क्या मैंने कभी रोका है किसी और से मजे लेने के लिए.." उसके लहजे में थोडा गुस्सा भी था.
मैं समझ गया की उनको समझाना बेकार है, नेहा तो पहले से ही रेहान पर लट्टू थी.
मैंने जल्दी से नाश्ता किया और वहां से उठ खड़ा हुआ, मैंने नेहा से कहा "तो ठीक है तुम मजे लो, मैं तो चला"
मैं उठ कर वहां से आगे चल दिया, थोड़ी दूर चलने पर मैंने देखा की एक पेड़ के नीचे एक लड़की बैठी हुई एक किताब पड़ रही थी, मैंने सोचा चलो इसपर ट्राई मारते हैं.
मैं उसके सामने पहुंचा तो उसकी खूबसूरती को देखकर मैं दंग रह गया, बला की खुबसूरत थी वो लड़की, लम्बी, गोरी, पतली कमर, छोटे-२ टेनिस बोल जितने चुचे, लम्बे बाल, काले सलवार सूट में उसका हुस्न कहर ढा रहा था.
"हाय ...मेरा नाम अशोक है..क्या मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ सकता हूँ" मैंने उसके पास पहुंचकर कहा
उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और मुस्कुरा कर बोली "हाँ हाँ क्यों नहीं, आईये.."
मैं वहीँ जमीन पर उसके पास बैठ गया और बोला "आप यहाँ अकेली बैठी है...कोई साथ नहीं है आपके"
"दरअसल मैं यहाँ किसी को भी नहीं जानती, मैं अपनी फॅमिली के साथ यहाँ आई हूँ, मेरा नाम हिना है" उसने कहा.
"तो क्या हुआ हिना, हमें भी यहाँ कोई नहीं जानता, पर हमने भी यहाँ कई दोस्त बनाये है, जब तक तुम ऐसे कोने में बैठी रहोगी तो दोस्त कैसे मिलेंगे.." मैंने उसे समझाया.
"हाँ वो तो है...पर ..मेरा सवभाव ऐसा ही है..मुझे इन सबमे बड़ी शर्म आती है..u know .." कहते -२ वो रुक गयी.
"चलो कोई बात नहीं, अब मैं यहाँ आ गया हूँ, तो क्या तुम मेरी दोस्त बनना पसंद करोगी" मैंने उसकी नशीली आँखों में देखते हुए अपना हाथ उसकी तरफ बड़ा दिया.
वो मेरी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मेरे हाथ को थाम लिया, उसके नाजुक हाथों के ठन्डे स्पर्श से मेरा पप्पू अपनी औकात पर उतर आया. बड़ी मुश्किल से मैंने बैठे -२ उसका एंगल सही किया.
"और कोन-२ है तुम्हारी फॅमिली में..." मैंने उससे पुछा .
"मेरे मोम डैड और मेरा बड़ा भाई..रेहान" उसने कहा
रेहान का नाम सुनकर मैं चोंक गया..अच्छा तो ये उस रेहान की बहन है, अब मजा आएगा. वो साला मेरी बहनों को चोदने की सोच रहा है, अब तो मैं भी उसकी बहन की चूत मार कर ही रहूँगा..वैसे ये हिना उसकी बहन ना भी होती तो भी मैं इसे छोड़ता नहीं..इतनी खुबसूरत थी वो.
मैंने वापिस घूम कर दूसरी तरफ देखा तो दूर टेबल पर बैठे ऋतू, नेहा और रेहान उठ कर ऊपर पहाड़ी की तरफ जा रहे थे, मैं समझ गया की नेहा और ऋतू अब रेहान से चुदे बिना नहीं मानेगी, और वो उसे उसी पहाड़ी वाली चट्टान पर ले जा रहे थे..चुदने के लिए.
मैंने अपने मन में उसकी चुदाई की योजना बनानी शुरू कर दी.
"चलो हिना मैं तुम्हे यहाँ पर एक खुबसूरत जगह दिखाकर लाता हूं"
"कौन सी जगह ?" उसने पुछा.
"इस पहाड़ी इलाके की सुन्दरता वाली जगह...तुम चलो तो सही, बड़ा मजा आएगा..." मैंने उसके हाथों को पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया.
वो मेरे साथ चल पड़ी.
मैं उससे बातें करते हुए उसी पहाड़ी की तरफ चल पड़ा.
धीरे -२ चलते हुए मैंने उन लोगो से काफी फासला बना कर रखा हुआ था, थोड़ी ही देर में मैं उस जगह पर पहुँच गया, मैं उसे चट्टान वाली जगह के बिलकुल पीछे ले गया जहाँ से दूसरी तरफ का नजारा दिखाई दे रहा था, उस जगह पर पहुँच कर वो सही में काफी खुश हो गयी थी, वहां की ऊँचाई से पूरी घाटी नजर आ रही थी, इस नज़ारे को देखकर उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया और मुझसे बोली "अरे वाह..क्या नजारा है, ऐसा लगता है अल्लाह ने खूबसूरती की पूरी कायनात यहाँ पर सजा कर रख दी है..." उसका शरीर मुझसे रगड़ खा रहा था और मेरा बुरा हाल हो रहा था.
तभी दूसरी तरफ से एक सिसकारी की आवाज आई....आआआआआआआआआह्ह्ह
वो रेहान की आवाज थी. हिना का ध्यान भी उस तरफ चला गया..मैंने उससे धीरे से कहा "लगता है वहां कोई है..चलो देखते है..." मैंने उसे चुप करने का इशारा किया और उसे अपने साथ चिपका कर उसी चट्टान की तरफ चल पड़ा.
वहां एक कोने में पेड़ के पीछे छिपकर हम दोनों खड़े हो गए, घनी झाड़ियों और पेड़ की आड़ में वो लोग हमें नहीं देख सकते थे.
वहां का नजारा देखकर हिना का मुंह खुला का खुला रह गया. रेहान वहां ऋतू और नेहा के बीच अपनी जींस उतार कर खड़ा हुआ था और उसका मोटा और लम्बा लंड वो दोनों नीचे बैठी हुई बारी-२ से चूस रही थी. मैंने इतना मोटा लंड आज तक नहीं देखा था, मेरा लंड जो की सात इंच का था पापा और चाचू का भी लगभग बराबर ही था, पर इस साले रेहान का लगभग साड़े आठ इंच का तो होगा ही और मोटाई भी उसी के अनुसार थी, काफी मोटा था, ऋतू की आँखों की चमक बता रही थी की उसे लोडा पसंद आया था, इसलिए वो कुतिया उसे बड़े मजे से अपने मुंह में ले-लेकर चूस रही थी.
"अरे ये तो मेरा भाई रेहान है...या अल्लाह ये क्या कर रहा है यहाँ पर, और ये लड़कियां कौन है.....तौबा-२ ..मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए.." ये कहकर वो पीछे मूढ़ कर जाने लगी.
"अरे हिना रुको तो सही....ये तुम्हारा भाई है तो क्या हुआ...वो जिन लड़कियों से ये सब कर रहा है वो दोनों मेरी बहने हैं..." मैंने उसे शांत लहजे में कहा.
वो मेरी बात सुनकर हक्की-बक्की रह गयी.
मैंने आगे कहा "देखो..हर लड़का और लड़की सेक्स करता है...हम सभी के आस पास वाले यानि हमारे मम्मी पापा, भाई बहन , दोस्त और सभी रिश्तेदार भी...लेकिन उनको सेक्स करते हुए देखने का अवसर तुम्हे कभी नहीं मिलता..कई बार हमारे मन में अपने ही रिश्तेदारों के लिए कई बुरे विचार आते हैं..पर उन्हें हम साकार नहीं कर सकते, क्योंकि ये सब समाज में बुरी नजर से देखा जाता है..और आज हमें जब मौका मिला है की हम अपने भाई बहन को सेक्स करते हुए देखे तो इसे तुम मत गवाओं..देखो और मजे लो" मेरे मुंह में जो निकला मैं बोलता चला गया उसका कोई मतलब निकला के नहीं, मुझे नहीं मालुम, पर मेरी बात सुनकर वो वहीँ खड़ी हो गयी, और उधर उसके भाई का लंड मेरी बहनों के चूसने से खड़ा हो गया.
"पर तुम ये बात किसी से न कहना...की मैंने ये सब देखा.." उसने सकुचाते हुए मुझसे कहा.
"ठीक है.." मैंने उससे कहा और उसकी पतली कमर पर हाथ रखकर उसे अपने से चिपका लिया..
रेहान ने खड़े-२ अपनी टी शर्ट भी उतार दी.थोडा थुलथुला शरीर था उसका..
रेहान का लंड खड़ा होकर उसकी नाभि को टच कर रहा था...इतना लम्बा था उसका. नेहा और ऋतू ने भी बैठे हुए अपनी टी शर्ट उतर दी , अब वो दोनों सिर्फ ब्रा और जींस में बैठी उस मुसल्ले का लंड चूस रहीं थी.
नेहा ने काले रंग की ब्रा और ऋतू ने जामनी रंग की ब्रा पहनी हुई थी. बड़ी सेक्सी लग रही थी दोनों उस ड्रेस में. रेहान ने अपने हाथ उन दोनों के पीछे रखे और अपनी कुशलता दिखाते हुए अपनी उँगलियों से एक ही झटके से दोनों की ब्रा खोल दी..उन दोनों की ब्रा उछल कर उनकी छातियों से अलग हो कर छिटक कर नीचे गिर गयी.
नेहा अपनी लम्बी जीभ का इस्तेमाल करके रेहान के लंड को नीचे से ऊपर तक ऐसे चाट रही थी जैसे कोई आइसक्रीम हो...बीच-२ में ऋतू और नेहा एक दुसरे को फ्रेंच किस भी कर रही थी.
हिना की साँसे उस नज़ारे को देखकर तेज होने लगी, वो खड़ी हुई अपनी टांगो को एक दुसरे से रगड़ रही थी, मैं समझ गया की लौंडिया गर्म हो रही है.
मैंने उसे अपने आगे खड़ा कर लिया और इस तरह उसके गुदाज चुतड मेरे खड़े हुए लंड को ठोकर मार रहे थे.
मैं उसके साथ चिपक कर खड़ा हो गया, उसने इस बात का कोई विरोध नहीं किया. मैंने अपना लंड सीधा किया और उसके मोटे-२ चूतडो से चिपक कर खड़ा हो गया. रेहान का लंड कभी ऋतू और कभी नेहा अपने मुंह में भरकर चूस रही थी, उसकी हुंकार से पता चल रहा था की उस कमीने को कितना मजा आ रहा था.
नेहा खड़ी हो गयी और उसने झट से अपनी जींस नीचे उतारी और अपनी पेंटी को भी उतार कर मादर्जात नंगी हो गयी और उसने रेहान के होंठो पर अपने होंठ टिका दिए..
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रेहान ने नेहा के चूतड़ों को जोर से पकड़ा और उसे चुसना शुरू कर दिया, फिर उसने अपने दोनों हाथों से उसके मोटे ताजे कबूतर पकडे और उनपर अपने दांत गड़ा दिए, नेहा की चीख निकल गयी उसके इस वेहशिपन से..आआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह धीएरीईईईईई रेहाआआआआआआआआअन आआआआआआआह
नेहा ने अपना दूसरा स्तन अपने हाथ में पकड़ा और रेहान के मुंह में परोस दिया...उसे भी रेहान ने काट कर नेहा के निप्प्ल्स के चारों तरफ एक गहरा निशाँ बना दिया..
हिना की साँसे मानो अटक कर रह गयी अपने भाई के इस रूप को देखकर..
रेहान बड़ी बेरहमी से नेहा और ऋतू की छातियाँ मसल रहा था, उन दोनों की मस्ती से भरी चीखे पूरी वादियों में गूंज रही थी.. हिना ने मेरी तरफ देखते हुए कहा " ये ऐसा क्यों कर रहा है...कितनी तकलीफ हो रही होगी तुम्हारी बहन को...तुम कुछ करते क्यों नहीं...."
मैंने पीछे से उसके उरोजों पर हाथ रख कर दबा दिया...और बोला "क्या करूँ , तुम ही बोलो"
वो मेरे हाथों के कसाव से और मेरे जवाब से सहम सी गयी, पर उसने मेरे हाथों को अपनी छाती से नहीं हटाया, और फिर से आगे की तरफ देखने लगी.
मैंने उसके छोटे-२ सेबों को दबाना शुरू कर दिया, बड़े कड़क थे उसके कश्मीरी सेब, मीठे भी होंगे, ये सोचकर ही मेरे मुंह में पानी आ गया, मैंने हाथ नीचे से घुमाकर उसके सूट के अन्दर डाल दिया और ब्रा के ऊपर से ही उन्हें दबाने और सहलाने लगा, उसपर मस्ती सी छाती जा रही थी, अपने सामने अपने ही भाई का लम्बा लंड देखकर और अपने चूतड़ों पर मेरे मोटे लंड का दबाव पाकर. मैंने दूसरा हाथ उसकी पानी टपकती चूत पर रख दिया और अपने दोनों हाथों से उसे ऊपर और नीचे एक साथ सहलाने लगा.
हिना ने अपनी आँखें बंद करली और अपना सर पीछे करके मेरे कंधे पर टिका दिया, और अपने दोनों हाथ मेरे दोनों हाथों पर रख कर मुझे और तेजी से दबाने के लिए उकसाने लगी. उसकी चूत से किसी भट्टी जैसी गर्मी बाहर आ रही थी. रेहान ने नेहा को काफी देर तक चूसने के बाद उसे चट्टान पर लिटा दिया और ऋतू को उठाकर अपने सीने से लगा लिया, अब वो ऋतू के शरीर से खेल रहा था, ऋतू जो रेहान का लंड देखकर दंग रह गयी थी, वो बार-२ उसके लम्बे लंड को अपनी चूत वाली जगह से घिस रही थी, वो जल्दी से इस मोटे डंडे को अपनी चूत में उतारना चाहती थी, ऋतू ने रेहान के होंठ चूसते हुए अपनी जींस के बटन खोने और उसे उतार दिया, हमेशा की तरह उस कुतिया ने आज भी नीचे कच्छी नहीं पहनी थी.
रेहान ने उसे भी चट्टान पर लिटा दिया और अब दोनों नंगी रंडियां अपनी टाँगे आसमान की तरफ उठाय लेटी थी, रेहान ने बारी -२ से उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया, पहले उसने नेहा की चूत को चखा और फिर ऋतू की चूत में अपनी जीभ डाली, वो खुरदुरी चट्टान पर अपनी चूत एक खुरदुरी जीभ से चट्वाकर मचल रही थी.
फिर ऋतू से सहन नहीं हुआ और उसने रेहान के बाल पकड़कर उसे उठाया और चिल्ला कर बोली "भोंसडीके ..डाल अपना लंड मेरी चूत में...अब सहा नहीं जाता, फाड़ दे अपने लंड से मेरी चूत को...."
पर रेहान सिर्फ मुस्कुराता रहा उसने अपना लंड उसकी चूत में नहीं डाला, बल्कि अपने रस टपकाते लंड से उसकी जांघो पर ठोकरें मारने लगा, वो उसे तडपा रहा था, वो बोला "साली कुतिया...नीचे तो बड़ा बोल रही थी..अब देख, मेरा लम्बा लंड देखकर कैसे चुदने की भीख मांग रही है...साली रंडी कहीं की...तेरी चूत को तो मैं अपने कुत्ते से चुदवाऊंगा, मेरा कुत्ता रेम्बो तेरी चूत को काट काटकर पूरी रात तेरी पिलाई करेगा, तब तुझे पता चलेगा की चुदाई क्या होती है..."
"हाँ हाँ चुदवा लेना मुझे अपने कुत्ते से भी पर अभी तो ये मुसल मेरी चूत में डाल न रेहान,....इतना मत तरसा....प्लीस ...." रितु उसके सामने भीख मांग रही थी.
"चल एक शर्त पर, तुझे मेरा पेशाब पीना होगा पहले" रेहान ने ऋतू से कहा.
उसकी बात सुनकर ऋतू और नेहा के साथ-२ मैं और हिना भी सकते में आ गए.. पर ऋतू ने अगले ही पल उठ कर उसके मोटे लंड को अपने हाथ में लेकर अपने मुंह का निशाना बनाया और बोली..."जल्दी निकाल अपना पेशाब..."
रेहान मुस्कुराया और थोड़ी कोशिश करने के बाद उसके पीले रंग की एक मोटी धार ऋतू के मुंह की तरफ चल दी, ऋतू के खुले मुंह ने उसे केच कर लिया और पीने लगी, पर बहाव तेज था, इसलिए जल्दी ही उसका मुंह भर गया और गोल्डन पानी उसकी छातियों से होता हुआ, चूत को भिगोता हुआ, नीचे जमीन पर गिरने लगा. ऋतू जल्दी-२ उसके पेशाब को पी रही थी, अंत में रेहान ने मूतना बंद कर दिया, ऋतू उठी और वापिस अपनी जगह जाकर लेट गयी.
मेरे मन में ऋतू के लिए घिन्न सी आ गयी पर फिर मैंने सोचा, मैंने भी तो उसे अपना पेशाब पिलाया था, शायद लड़कियों को इसका स्वाद अच्छा लगता है.
रेहान ने आगे बढकर अपने मोटे लंड को ऋतू की छोटी सी चूत पर रखा और एक करार झटका दिया...
आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मर्र्र्रर गयीईईईईईईई ......अभी तो रेहान का सुपाडा ही अन्दर गया था. मैंने हिना की तरफ देखा वो बड़े ध्यान से अपने भाई को मेरी बहन को चोदते हुए देख रही थी.
मैंने हिना की सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसकी सलवार और पेंटी को एक साथ नीचे उतार दिया. पहले तो उसने थोडा विरोध किया पर जब मैंने अपने होंठो से उसके नर्म होंठ चूसने शुरू किये तो उसने भी अपनी रजामंदी दे डाली..
"मैंने ये सब कभी नहीं किया...प्लीस ध्यान रखना" उसने मेरे कानो में धीरे से कहा. मैं समझ गया की वो कुंवारी है. उधर रेहान ने अपना लंड थोडा बाहर निकाला और एक और तेज झटका दिया , ऋतू की तो बुरी हालत हो गयी, उसकी चूत थोड़ी सी साइड से फट गयी, और रेहान का पूरा लंड दनदनाता हुआ उसके गर्भाशय से जा टकराया..ऋतू की आँखें बाहर उबल कर आ गयी, उसने थोडा सीधा होकर रेहान की कमर को थाम लिया और उसे और झटके मारने से रोक दिया, पर रेहान ने उसकी एक न सुनी और उसे वापिस उसी अवस्था में लिटाकर और तेजी से धक्के मारने लगा...ऋतू ने अपना मुंह पीछे कर लिया..
नेहा जो ऋतू की बगल में लेती हुई थी उससे अपनी बहन का दर्द देखा न गया और वो उछल कर उसके ऊपर आ कर लेट गयी, नेहा ने ऋतू के दोनों हाथों के पकड़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर टिका दिए और उन्हें चूसने लगी दोनों के मोटे-२ चुचे एक दुसरे से रगड़ खा रहे थे , ऋतू की चूत में रेहान का लंड था और उसकी चूत के थोडा ऊपर ही नेहा की चूत थी.
नेहा के चूसने से ऋतू का दर्द थोडा कम हुआ, अब रेहान के झटकों से भी उसे मजा आ रहा था, उसने किस को तोडा और चिल्लाना शुरू कर दिया..."आआआआआआआह्ह रेहाआआआआआन ..चोदो मुझे...चोदो मेरी चूत को अपने लम्बे लंड से...और तेज...और तेज.....आआआह अह अह अह अह अ हा हहा अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...." ऋतू को काफी मजा आ रहा था और तभी रेहान ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकल लिया ...और लंड निकालकर उसने उसे ऊपर वाली नेहा की चूत पर टिकाया और एक जोरदार झटका मारा....अब चिल्लाने की बारी नेहा की थी.."अयीईईईईईईईईईइ मर गयीईईईइ कुत्ते....कमीने....हरामजादे......कटुए....निकाल इसे मेरी चूत से बाहर.....है राम फाड़ डाली मेरी चूत...."
अब ऋतू ने उसके होंठो को पकड़ा और चूसने लगी, पीछे से रेहान ने उसकी चूत का बैंड बजाना चालू रखा....और फिर उसे भी मजा आने लगा लम्बे लंड से...
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12-13-2020, 02:51 PM,
#53
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ऋतू नीचे मचल रही थी वापिस लंड निगलने के लिए, रेहान ने फिर से अपना लंड निकाला और ऋतू की चूत भर दी, और इस तरह वो लगभग 10 -12 झटके ऋतू की चूत में मारता और उतने ही नेहा की चूत में...
दोनों फफक फफक कर चुदवा रही थी....उनकी सिस्कारियों से पता चल रहा था की उन दोनों रंडियों को कितना मजा आ रहा था उस मुसलमानी लंड से...
मैंने हिना के कुरते को ऊपर करके निकाल दिया, और पीछे से उसकी ब्रा भी खोल दी...अब वो भी पूरी नंगी थी, वो शर्मा कर पीछे मुड़ी और मेरे सीने में सर छुपा कर मुझसे लिपट गयी, उसका नर्म और मुलायम शरीर मुझसे किसी बेल की भाँती लिपटा हुआ था, मैंने जल्दी से अपने कपडे उतारे और उसके हाथों में अपना लंड थमा दिया, मेरे लंड को देखते ही उसके पसीने छूट गए, वो घबरा कर पीछे हट गयी और बोली "बाप रे बाप, इतना मोटा, मेरा भी वो ही हाल होगा जो तुम्हारी बहनों का हुआ है...मेरे छोटे से छेद में तो ये नहीं जाएगा.."
"अरे हिना डरो मत, देखो ये तो हर लड़की के साथ एक न एक दिन होता ही है, और ये तो तुम्हारे भाई से थोडा छोटा ही है, आगे चलकर तुम्हे अपने भाई का लंड भी तो लेना है.." मैंने कहा.
अपने भाई के लंड को लेने के नाम से ही उसके शारीर में एक झुरझुरी से फ़ैल गयी, वो किस ख्यालों में खो गयी..और धीरे से बोली "अपने भाई का...पर ये तो गलत होगा न..."
"अरे कोई गलत नहीं है, मैं जानता हूँ तुम ये सब अपने भाई के साथ भी करना चाहोगी.. क्या तुम्हे पता है, ये दोनों मेरी बहने जो तुम्हारे भाई से चुदवा रही हैं, उन दोनों को पहली बार मैंने चोदा था.." मेरे ऐसा कहने से वो मेरी तरफ हेरत भरी नजरों से देखने लगी.
फिर मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी निप्पल पर टिका दिए... स्स्सस्स्स्सस्स्स अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म.....
उसने आनंद से अपनी ऑंखें बंद कर ली, और मैंने उसकी गोरी छाती को चुसना शुरू कर दिया..
उसने मेरा सर अपनी छाती से बड़ी बेदर्दी से दबा रखा था, लगता था उस मुसलमानी लड़की के चुचे आज तक किसी ने नहीं चुसे थे, मैंने एक हाथ उसकी कसी हुई गांड पर टिकाया और उसके गुदाज पुट्ठे को मसलने लगा.
रेहान किसी जंगली की तरह बारी-२ से बड़ी तेजी से उन दोनों की चूत मार रहा था, ऋतू और नेहा ने अपने होंठ एक दुसरे से चिपका रखे थे और मजे ले लेकर वो मोटे लंड का मजा ले रही थी..रेहान ने नेहा की चूत में अपना लंड डालकर काफी तेजी से झटके दिए, जल्दी ही नेहा ने झड़ना शुरू कर दिया और उसका रस टपक कर ऋतू की चूत को और गीला करने लगा, अब ऋतू की बारी थी, उसकी चूत पर भी रेहान ने तेज प्रहार किये और उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया..रेहान का मुसल्ला लंड अभी भी तना हुआ खड़ा था..
ऋतू और नेहा उठ कर नीचे जमीन पर बैठ गयी और रेहान ने अपना लंड हाथ में लेकर मसलना शुरू कर दिया, दोनों रंडियों ने अपने चुचे अपने हाथ में पकडे और रेहान के लंड की तरफ देखकर अपना मुंह खोलकर बारिश का इन्तजार करने लगी..उन्हें ज्यादा इन्तेजार नहीं करना पड़ा, जल्दी ही रेहान ने एक तेज हुंकार के साथ झाड़ना शुरू कर दिया, उसने अपने लंड को ऋतू के मुंह की तरफ और फिर नेहा की तरफ घुमा घुमाकर पानी की बोछारों से उनका मुंह और चुचे भिगो डाले..
उन दोनों ने काफी माल अपने मुंह में कैच किया और बाकी अपनी छातियों पर लोशन की तरह मल लिया.
वो तीनो वहीँ जमीन पर निढाल होकर सुस्ताने लगे..
अब मैंने अपना पूरा ध्यान हिना की तरफ कर दिया. हिना अपने पुरे शरीर को मुझसे घिस रही थी, उसकी चूत से काफी रस टपक रहा था, मैंने ज्यादा देरी करना सही नहीं समझा और उसे नीचे घांस पर लिटा दिया और उसकी दोनों टांगो को चोडा करके अपने लंड को उसकी चूत पर टिकाया, और एक जोर का झटका मारा.. आआआआआआआआआआआह्ह माआआआआआआर दाआआआआआआलाआआआआअ
वो बड़ी तेज चिल्लाई....
मैंने उसपर रहम नहीं खाया और एक और तेज झटका मारकर अपना पूरा साड़े सात इंच लम्बा लंड उसकी कुंवारी चूत में उतार दिया..
आआआआआआआआआआआआआआआआह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊह वो दर्द से बिलबिला उठी, उसकी चूत की झिल्ली फट गयी और खून का गर्म रसाव मैंने अपने लंड पर महसूस किया...
इस बार उसकी चीख सुनकर वो तीनो का ध्यान हमारी तरफ गया और सब भागते हुए वहां पहुँच गए.
वहां का नजारा देखते ही रेहान चिल्लाया "......अरे...आपा .....आप यहाँ.....अरे छोड़ो ये क्या कर रहे हो मेरी बहन के साथ...."
"नहीईईईईईइ....रेहान.....तुम पीछे हट जाओ......." हिना दर्द में चिल्लाई "....तुम भी तो वहां येही मजा ले रहे थे इसकी बहनों के साथ.... अब वो मजा जब मैं ले रही हूँ तो तुम मुझे रोक रहे हो... आआआआआआह...."
मेरे झटको से उसके चुचे बुरी तरह हिल रहे थे, रेहान समझ गया की उसकी बहन ने सब कुछ देख लिया है उसका गुस्सा अब धीरे-२ गायब होने लगा और उसका ध्यान अपनी बहन के हिलते हुए चूचो पर केन्द्रित हो गया. ऋतू और नेहा भी समझ गयी की मैं रेहान की बहन के साथ छुपकर उनका प्रोग्राम देख रहा था और अब रेहान की बहन को चोद भी रहा था, रेहान की बहन की चूत में मेरा लंड जाते देखकर उनकी चूत में फिर से चींटियाँ रेंगने लगी..और वो नंगे खड़े रेहान से अपना शरीर घिसने लगी.
रेहान ने भी अपनी बला की सुंदर बहन के बारे में कई बार सोचकर मुठ मारी थी और आज जब वो मुझसे नंगी और बेशर्म होकर चुद रही थी तो उसके लंड ने अपनी बहन के बारे में सोचते हुए फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी..अपने दोनों तरफ से दो गर्म लड़कियों के शरीर की गर्मी ने उसके लंड को खड़ा करने में मदद की. जल्दी ही उसके घोड़े जैसा लंड फिर से खड़ा हो कर फुफकारने लगा..
मैंने भी अपने धक्के हिना की चूत में तेज कर दिए...हिना अब सिस्कारियां ले-लेकर अपनी चूत मरवा रही थी.
वो हर झटके के साथ अपनी गांड भी उठा देती थी और मेरे लंड को नीचे की तरफ से टक्कर देती हुई और अन्दर तक घुसा लेती थी...अपनी पहली चुदाई को वो काफी एन्जॉय कर रही थी...उसकी नजरें अपने भाई की तरफ ही थी, रेहान भी अपनी बहन को चुदते हुए देखकर अपने लंड को हिलाने लगा...मैं जल्द ही अपने आखिरी पड़ाव पर पहुँच गया और उसकी टांगो को उठा कर एक साथ 8 -10 झटके मारे, मेरे तेज झटके हिना से भी बर्दाश्त नहीं हुए और वो एक तेज चीख मारती हुई...अपने भाई की आँखों में देखती हुई...झड़ने लगी
.....आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह आआआआआआआह अह अ हः अ हः अ ह्ह्ह्हह्ह्ह ...
मैंने भी अपना रस उसकी चूत के अन्दर तक भर दिया...सच में मुसलमानी चूत को मारने में काफी मजा आया, बड़ी गर्म होती है ये मुसल्मानियाँ....
हिना की छातियाँ तेज सांस लेती हुई ऊपर नीचे हो रही थी....रेहान की नजर अभी तक उनपर टिकी हुई थी...मैं समझ गया की रेहान भी अपनी बहन को चोदना चाहता है..मैंने ऋतू और नेहा को इशारा किया की उसके पास से हट जाए..वो दोनों भी समझ गयी और पीछे हट कर रेहान को अपनी बहन की तरफ धकेल दिया..
मैं भी हिना की चूत से अपना लंड निकाल कर खड़ा हुआ और ऋतू और नेहा के साथ जाकर खड़ा हो गया..
रेहान आगे बड़ा और नीचे लेटी अपनी नंगी बहन को ऊपर से नीचे तक देखा, हिना की आँखें अपने भाई को सामने नंगा देखकर मदहोश सी होने लगी...रेहान नीचे झुका और हिना की टांगो के बीच जाकर अपना मुंह उसकी रसीली चूत पर टिका दिया... आआआआह्ह .. स्स्स्सस्स्स्स.... म्मम्मम्मम्म ... हिना ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपनी टाँगे हवा में उठा दी...
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12-13-2020, 02:51 PM,
#54
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
वो अभी-२ झड़ी थी पर अपने भाई को अपनी चूत चाटते देखकर वो फिर से गरम होने लगी, रेहान ने अपनी जीभ अपनी बहन हिना की चूत के अन्दर डाल दी, वहां पर पड़ा मेरा माल उसके मुंह से टकराया और वो उसे हिना के रस के साथ-२ चाटने लगा...मेरे मन को बड़ा सुकून मिला, पहले तो मैंने उसकी कुंवारी बहन को चोदा और अब वो साला मेरा माल अपनी बहन की चूत से चाट रहा है...मैं होले से मुस्कुरा दिया.
रेहान ने अपनी जीभ और होंठो से उसकी सूजी हुई रसीली चूत को चाट चाटकर साफ़ कर दिया..हिना मछली की तरह जमीन पर पड़ी हुई मचल रही थी...
आआआआअह्ह्ह्ह रेहाआआआआआआन्न्न हाआआआअन्न्न ऐसे ही चुसो....... आआआआआअह्ह्ह .....भाई ऐसे ही चुसो ..........अह अ हा हा हा अह अ........अम्म्म्मम्म्म्मम्म ..... म्म्म्मम्म्म्मम्म हिना को बड़ा मजा आ रहा था..
ऋतू ने मुझे नीचे धक्का दिया और नीचे लिटा दिया और मेरे आधे खड़े लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी, नेहा भी हरकत में आई और मेरे मुंह पर आकर बैठ गयी और मैं उसकी चूत को चाटने लगा...नीचे मेरे लंड के खड़े होते ही ऋतू ने मोर्चा संभाला और कूद कर अपनी चूत को लंड पर टिका दिया...
आआआआआआआआअ .........आआआआआआह्ह्ह .....और उछल-२ कर लंड के मजे लेने लगी.
रेहान भी उठा और उसने अपनी आपा की चूत पर लंड टिकाया और उसकी आँखों में देखकर एक धक्का मारा...आआआआआआअह्ह्ह , उसकी चूत का छेद मैंने खोल तो दिया था पर रेहान के मोटे लंड को अन्दर जाने के लिए और जगह चाहिए थी...वो जोर से दर्द में चिल्ला उठी और अपने भाई के चेहरे को नीचे करके चूसने लगी...रेहान भी अपनी बहन के गुलाबी होंठो को बड़े मजे से चूस रहा था और अपना लंड भी उसकी चूत में पेल रहा था..
मैंने अपनी बगल में लेती नंगी हिना के चूचो पर अपने हाथ रख दिए और रेहान की तरफ देखा...वो भी मुझे देखकर मुस्कुरा दिया..और thank you बोला...क्योंकि मेरी वजह से ही उसे अपनी खुबसूरत बहन की चूत मारने को जो मिल रही थी...
मैंने अपने ध्यान वापिस नेहा की चूत पर लगाया और उसको कुरेदने लग गया.
जल्दी ही नेहा के साथ साथ ऋतू और हिना एक - एक करके झड़ने लगी....रेहान ने भी अपना सारा रस अपनी बहन हिना की चूत में डाल दिया...मेरे लंड ने भी झड़ना शुरू कर दिया और मैंने भी अपनी बहन ऋतू के अन्दर अपना लंड खाली कर दिया...ऋतू हांफती हुई मेरे ऊपर गिर गयी...और रेहान अपनी बहन के ऊपर..
नेहा भी झड़ने के बाद नीचे जमीन पर पड़ी गहरी साँसे ले रही थी.
सबसे पहले ऋतू उठी और अपने कपडे उठा कर लायी और पहनने लगी, और फिर नेहा और रेहान भी अपने कपडे उठाने उधर ही चल दिए, मैंने हिना की तरफ मुस्कुरा कर देखा और उसकी आँखों में उमड़ता प्यार देखकर मैं समझ गया की वो आज काफी खुश है, हो भी क्यों न, अपनी पहली चुदाई वाले दिन ही दो-२ मोटे लंड जो खाने को मिले थे, जिसमे एक उसके भाई का भी था..
मैं सरककर उसकी बगल में आया और उसे अपनी बाँहों में भरकर भींच लिया, उसकी छातियाँ चरमरा गयी..तभी पीछे से ऋतू की आवाज आई..."अरे भाई..अब तो छोड़ दो बेचारी को...दो बार तो चुद चुकी है..अभी भी कसर है क्या..अब भी मन कर रहा है तो मैं आऊं क्या.." और वो हंसने लगी.
मैंने उसे छोड़ा और अपने कपडे पहनकर खड़ा हो गया, हिना भी अपनी लाली छुपाते हुए अपना सलवार कमीज पहन कर तैयार हो गयी..
नीचे उतरते हुए हम सभी इकट्ठे होकर काफी हंसी मजाक कर रहे थे , अभी भी हमारे पास पांच दिन थे, मैं सोच रहा था की इन आने वाले पांच दिनों में मैं और क्या कर सकता हूँ...सच पूछिए तो अपने पिछले अनुभवों के आधार पर मैं ये तो समझ गया था की यहाँ पर आये हर कपल के साथ चुदाई करना तो बहुत आसान है, मैं तो बस अपने तरीको को और ज्यादा कारगार बनाने के बारे में सोच रहा था.
रेहान का स्वाभाव भी मेरी तरफ काफी बदल सा गया था, वो मुझे एक तरह से अब गुरु की तरह देख रहा था, क्योंकि मेरी वजह से उसे अपने इस ट्रिप में इतना मजा जो आ रहा था और चुदाई भी करने को मिल रही थी, ऋतू और नेहा भी रेहान का लंड पाकर मानो हवा में उढ़ रही थी, उनके मन में भी अब तरह-२ के लोगो से चुदवाने के विचार आ रहे थे. और हिना की तो बात ही ना पूछो, उसकी कमसिन चूत जो कली से फूल बन चुकी थी, वहां की खुजली को रोक पाना अब संभव नहीं लग रहा था.
नीचे पहुंचकर मैंने देखा की सोनी और मोनी अपने मम्मी और पापा के साथ खड़ी बातें कर रही हैं, मैंने ऋतू की तरफ देखा और उसे अपने साथ चलने को कहा, बाकी लोगो को दूर किसी टेबल पर बैठने के लिए बोला.
मैं और ऋतू वहां पहुंचे और सभी को विश किया "हाई..गुड मोर्निंग...सोनी .मोनी..कैसी हो" ऋतू ने जाते ही कहा.
"हम ठीक हैं." सोनी ने मुझे देखते हुए गहरी सांस में कहा.
"ये तुम्हारे मम्मी पापा हैं क्या ?" मैंने अनजान बनते हुए कहा
"हाँ ये हैं मेरे पापा पंकज और ये हैं मेरी मम्मी मंजू" सोनी ने कहा
उसके मम्मी पापा हम दोनों को अपने सामने देखकर अवाक से रह गए.
"क्या तुम चारों एक दुसरे को जानते हो" सोनी के पापा पंकज ने हमसे पूछा ?
"हाँ...हम बस यहीं घूमते हुए मिले थे...हमारी तरह के बच्चे यहाँ काफी हैं.." मैंने उनके सवाल का जवाब दिया और अपने बाकी साथियों की तरफ ,जो दूर टेबल पर बैठे थे, इशारा किया.
"चलो फिर उनके पास चलते हैं.." मोनी ने गहरी हंसी हँसते हुए कहा..
हमारे जाते ही पंकज और मंजू ने एक दुसरे की तरफ देखा और मंजू बोली "हे भगवान्..अब क्या होगा..ये दोनों तो हमारी लड़कियों को भी जानते हैं..कहीं वो हमारे बारे में उन्हें तो नहीं बता देंगे"
पंकज : "अरे नहीं डार्लिंग...तुम घबराती क्यों हो..ऐसा कुछ नहीं होगा..हमने जो मजे उन दोनों भाई बहन को कल दिए हैं वो दोबारा लेने के लिए उन्हें मालुम है की ये बाते छुपा कर ही रखनी पड़ेगी.."
"हाँ तुम ठीक कहते हो...वैसे भी उस चुलबुली लड़की की चूत जब से तुमने मारी है,उसे दोबारा लाने की बातें बार -२ कर रहे हो.." मंजू ने अपने पति को सताते हुए कहा.
"वो तो सच है...तुम भी तो उस जवान लड़के से अपनी चूत मरवाने के बाद बड़ी खुश लग रही हो...लगता है दोनों को जल्दी ही दोबारा बुलाना पड़ेगा अपने काटेज में.." पंकज ने भी हँसते हुए कहा, और वो दोनों वापिस अपने कमरे की तरफ चल पड़े...चुदाई करने के लिए.
हमारे साथ काफी दूर चलने के बाद मैंने सोनी से कहा "तो क्या ख्याल है कल के बारे में...मैंने जो कहा था वो कर दिखाया के नहीं."
"हाँ यार...तुमने तो सही में कमाल ही कर दिया, इतनी सफाई से तुम उनकी पार्टी में शामिल हो गए और चुदाई भी करी..मजा आ गया देखकर.." मोनी ने अपनी ख़ुशी को उभारते हुए मुझसे कहा.
"हाँ....हहमम.जो तुमने कहा वो कर भी दिखाया..पर मेरे ख्याल से वो सही नहीं था...काफी गन्दा काम किया तुम दोनों ने " सोनी बोली.
"अच्छा दीदी...तो फिर तुम क्यों अपनी चूत को रगड़ रही थी कल वो सब देखकर...मेरी चूत तो अभी तक सूजी हुई है कल की वजह से...तुम लोगो के जाने के बाद हम दोनों ने काफी देर तक उनको फिर से शर्मा अंकल और आंटी के साथ वो दोबारा करते हुए देखा..सही में काफी मजा आया था." मोनी ने फिर से कहा.
"तो क्या तुम दोनों को अपना वादा याद है..."मैंने उन दोनों से कहा.
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12-13-2020, 02:51 PM,
#55
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
"अरे बिलकुल याद है...मेरी तो चूत में खुजली हो रही है कल से.." मोनी ने उत्सुक्ता से कहा
"और तुम क्या बोलती हो सोनी.." मैंने सोनी की तरफ देखकर कहा.
"ह्म्म्म ठीक है..मुझे पता है की मैं शर्त हार चुकी हूँ...बताओ क्या करना है" आखिर सोनी ने भी अपनी हार मानते हुए मुझसे कहा.
"जो भी करेंगे तुम्हे मजा आएगा...फिकर मत करो" मैंने उसे आश्वासन दिया.
"तो ठीक है, तय रहा, हम आज शाम वाले प्रोग्राम के दोरान ही मिलेंगे तुम्हारे कमरे में, कितना मजा आएगा हम सारे तुम्हारे कमरे में होंगे और तुम्हारे मम्मी पापा साथ वाले कमरे में अपने दुसरे साथियों के साथ.." ऋतू ने सुझाव दिया.
"अरे ये तो बहुत बढ़िया आईडिया है.." मोनी ने उछलते हुए कहा.
"लेकिन अगर उन्होंने हमें पकड़ लिया तो" सोनी ने अपनी शंका जताई.
"वो कुछ नहीं कर सकेंगे...मेरा विशवास रखो" मैंने सोनी को फिर से अश्वस्त किया, और फिर वो दोनों वापिस चले गए.
वापिस टेबल पर पहुँच कर मैंने नेहा और रेहान को भी शाम का प्रोग्राम बताया, हिना पहले ही जा चुकी थी, उसकी टांगो में दर्द हो रहा था चुदाई के बाद से , वो अब आराम करना चाहती थी, वो दोनों भी शाम का प्रोग्राम सुनकर काफी खुश हुए, और फिर नेहा ने कहा की वो रेहान को लेकर अपने कमरे में जा रही है...अकेले. ऋतू और मैं समझ गए की वो और चुदना चाहती है रेहान से..इसलिए मुस्कुराते हुए हमने उसे जाने दिया. और हम दोनों दूसरी तरफ चल पड़े.
जाते हुए ऋतू ने मुझसे पूछा.."अब क्या इरादा है"
"मेरे ख्याल से हमें ये सब मम्मी-पापा को बता देना चाहिए की हम क्या कर रहे हैं...और उन दोनों को पंकज और मंजू के काटेज में भेजना चाहिए..ताकि कोई गड़बड़ हो तो वो संभाल ले." मैंने ऋतू से कहा.
"वाह क्या आईडिया है.." ऋतू ने उछलते हुए कहा और अपने मोटे आम मेरे सीने से दबाकर मुझे वहीँ खड़े-२ चूमने लगी..
"अरे संभल कर..." पास से जाती एक लम्बी और खुबसूरत सी लड़की ने हम दोनों को चुमते हुए देखा और कहा..
हमने उसपर कोई ध्यान नहीं दिया और मैं एक पेड़ की आड़ में खड़ा होकर ऋतू के चुचे दबाने लगा, यहाँ सभी लोग अपिरिचित थे, अब तो ये नौबत आ गयी थी की अगर हमारे मम्मी-पापा भी अगर हमें ये सब खुले में करते हुए देख ले तो वो भी हमें कुछ नहीं कह सकते थे...इसलिए इस आजादी को हम दोनों काफी एन्जॉय कर रहे थे.
उस लड़की ने जब देखा की हम दोनों एक दुसरे को चुमते जा रहे हैं तो वो भी वोहीं खड़े होकर बड़ी ही बेशर्मी से हमें देखने लगी..
मैं अपनी अधखुली आँखों से उस लड़की को भी देख रहा था, वो अपनी चूत को अपने दायें हाथ से रगड़ रही थी.
मैंने ऋतू को चुमते हुए उस लड़की को इशारे से अपनी तरफ बुलाया, वो लगभग भागती हुई हमारे पास आई तब मैंने उसको ऊपर से नीचे तक देखा, उसने जींस और जेकेट पहनी हुई थी, लम्बी हील और बाल खुले, उसकी छाती को देखकर अंदाजा लगा सकते थे की काफी बार दबवा चुकी है, और उसकी चोडी गांड भी इस बात की गवाही दे रही थी की काफी लंड भी ले चुकी है..उसका गोल चेहरा और मोटे होंठ देखकर मेरे मुंह में भी पानी आ गया " मैंने ऋतू के चुचे दबाते हुए उससे पूछा "क्या नाम है तेरा.."
"हम्म...मेरा नाम गरिमा है..और मैं अपने मम्मी पापा के साथ यहाँ आई हूँ" उसने अपनी चूत खुजलानी नहीं छोडी और आगे बोली "मैं तो यहाँ बोर ही हो गयी हूँ...शहर में तो मेरा बॉय फ्रेंड भी था, आशुतोष, जो मुझे रोज चोदता था, पर पिछले तीन दिनों से मेरा बुरा हाल है, तुम दोनों को देखकर मुझे अपना यार याद आ गया, मैंने गलती करी, उसे भी अपने साथ ले कर आना चाहिए था.."
"जैसा तुम सोच रही हो ऐसा कुछ नहीं है...ये मेरा बॉय फ्रेंड नहीं बल्कि मेरा भाई है.." ऋतू ने उसकी तरफ देखते हुए कहा.
"क्याआआआआआआ...." उसकी आँखें बाहर की तरफ आने लगी ये सुनकर.
"हाँ मैं इसका भाई हूँ और हम ये मजे रोज लेते हैं..तुम्हे भी लेने है तो बोलो" मैं उसका उत्तर तो जानता था फिर भी पूछा.
"वाह तुम दोनों भाई बहन होकर ये सब कर रहे हो...मेरा कोई भाई नहीं है..और न ही कोई बहन...पर अगर होता तो मैं भी उससे चुदे बिना नहीं रह पाती.." गरिमा ने कहा और आगे आकर सीधा मेरे लंड पर अपना हाथ रख दिया.
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12-13-2020, 02:51 PM,
#56
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने अपने चारों तरफ नजर दौड़ाई, इतनी खुली जगह पर चुदाई करनी सही नहीं थी ..मैंने उन्हें इशारे से एक काटेज की ओढ़ में आने को कहा जहाँ पर किसी की नजर हम पर नहीं पड़ सकती थी, वहां पीछे की तरफ नदी बह रही थी,..वहां पहुँचते ही गरिमा किसी भूखी शेरनी की तरह मुझपर टूट पड़ी..ऋतू उसकी उत्सुक्ताता देखकर दंग रह गयी...गरिमा ने मेरे गले में अपनी बाहें डाली और मुझे चूमने लगी, और अपनी चूत को मेरे लंड वाली जगह से रगड़ने लगी, उसके होंठ बड़े नर्म थे, मैंने उसके उभारों पर हाथ रखा तो दंग रह गया उसकी मोटाई देखकर, उसकी उम्र की लड़की के इतने बड़े तरबूज मैंने आज तक नहीं देखे थे , मैंने उसके जेकेट की जिप खोल दी, अन्दर उसने सिर्फ एक ब्रा पहनी हुई थी, जो उन तरबूजों को संभालने के लिए छोटी पड़ रही थी, वो फ्रंट से खुलने वाली ब्रा थी, मैंने उसके हुक खोल दिए, उसके तरबूज किसी पानी भरे गुब्बारे की तरह उछल कर बाकर आकर लटक गए, मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, वो पूरी तरह वासना में डूबी हुई थी, ऋतू जो पीछे खड़ी हुई थी, उसने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए, मैंने गरिमा की जींस के बटन खोले और उसे खींच कर नीचे कर दिया, जेकेट और ब्रा भी उतार कर नीचे पटक दी, अब वो पूरी तरह से नंगी हमारे सामने खड़ी हुई थी, वो एक भरे हुए शरीर की मालकिन थी, उसकी फूली हुई चूत देखकर कोई भी बता सकता था की हरामजादी काफी लंड निगल चुकी है, उसका पेट बिलकुल सपाट था और गांड काफी उभरी हुई और मोटी थी.
वो झट से जमीन पर बैठ गयी और मेरी जींस के बटन खोलकर एक झटके से उसे नीचे उतार दिया, मेरा खड़ा हुआ लंड उसके चेहरे से जा टकराया, उसकी सांप जैसी जीभ बाहर निकली और उसने मेरा नाग अपने मुंह में भर लिया और उसे बड़ी तेजी से चूसने लगी, एक हाथ से वो मेरे टट्टे सहला रही थी, फिर उसने अपना बड़ा सा मुंह पूरा खोला और मेरी दोनों गोलियां भी अपने मुंह में भरकर चूसने लगी, बड़ा मजा आ रहा था, ऋतू भी आगे आई और हम दोनों के बीच से होती हुई गरिमा की चूत की तरफ मुंह किया और उसे चाटने लगी, गरिमा की लम्बी सिसकारी निकल गयी..आआआआआआआआआआह्ह्ह ... पर उसने मेरा लंड चुसना नहीं छोड़ा..गरिमा अब लगभग ऋतू के चेहरे पर अपनी चूत का पिटारा खोले बैठी थी और मेरा लंड और टट्टे चूस रही थी, मैं अपनी आँखें बंद किये इस चुस्वाई के मजे ले रहा था..
गरिमा काफी गरम थी इसलिए ऋतू ने जब उसे चुसना शुरू किया तो उसकी चूत का बाँध टूट गया और उसका रस पर्वाह तेजी से बाहर आकर उसके चेहरे पर पड़ा..आआआआआआआआअह आआआआआअह आहा हा आहा अ हः.....उसकी साँसे मानो अटक ही गयी....वो मेरा लंड पकडे हुए नीचे लेट गयी...उसकी टांगो ने जवाब दे दिया था...ऋतू बड़ी तेजी से उसकी चूत का पानी चाट रही थी, मैंने भी झुक कर अपनी दोनों टाँगे उसके दोनों तरफ करके उसके मोटे चुचे पर बैठ गया, क्या मुलायम एहसास था, मैंने अपना पूरा भार उसपर नहीं डाला, उसने मेरा लंड चुसना चालू रखा, उसकी चूत चाटने के बाद ऋतू आगे आई और मेरे सामने आकर खड़ी हो गयी.
उसने आते ही मेरे सर को बड़ी बेदर्दी से पकड़ा और अपनी चूत पर दे मारा, मैंने उसकी चूत का पानी पीना शुरू कर दिया, नीचे लेती गरिमा अपने एक हाथ से अपनी चूत को भी सहला रही थी और फिर से गर्म होने लगी थी...ऋतू ने एकदम से मेरा मुंह पीछे किया और मैं समझ गया की वो झड़ने वाली है...पर मेरा अंदाजा गलत निकला, अगले ही पल उसकी चूत में से एक लम्बी पेशाब की धार मेरे मुंह से आकर टकराई, मैं सकते में आ गया, आजतक ऋतू ने ऐसा नहीं किया था, पर शायद काफी देर से उसने रोक रखा था और अब उससे सेहन नहीं हुआ और उसके पेशाब की धार सीधे मेरे मुंह से टकराती हुई नीचे लेटी हुई गरिमा के ऊपर जा गिरी, उसने मेरा लंड अपने मुंह से निकाल दिया और ऊपर से आती बारिश को अपने मुंह में समेटने में लग गयी, उसे शायद ऋतू का पेशाब मेरे लंड से भी ज्यादा टेस्टी लगा था, इसलिए उसने अपने हाथ ऊपर करके ऋतू को नीचे खींचा और अपने मुंह पर बिठा लिया और बाकी का बचा हुआ ड्रिंक सीधे वहीँ से पीने लगी, मैं पीछे हुआ और अपना लंड हाथ में पकड़कर गरिमा की चूत पर जा टिकाया.
उसने अपने दोनों चुतड ऊपर उठा दिए और बोली...दाआआआआआआआआल्लो प्लीईईईईईईईईस .......मैंने देरी करना उचित नहीं समझा और मैंने एक झटका दिया और मेरा लंड उसकी वेलवेट जैसी चूत के अन्दर तक समाता चला गया....
आआआआआआआआआआआआह्ह अह आआआआआआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ...
वो हम दोनों भाई बहन के नीचे पड़ी मचल उठी...उसकी गांड बड़ी गद्देदार थी...मैंने नीचे हाथ करके उसकी गांड के छेद को टटोला..गरिमा की गांड का छेद भी काफी गरम था, मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया....उसने ऋतू की चूत को चुसना छोड़ दोय और बोली "ये क्याआअ......." पर अगले ही पल मैंने उसकी गांड के छेद पर लंड टिकाया और धक्का देकर उसे अन्दर कर दिया....अयीईईईईईईईईईईई ..... मर्र्र्रर्र्र्रर गयीईईईईईईईईईईई........वो लगभग चिल्ला उठी, उसकी गांड का छेद काफी टाईट था, मैंने उसे धक्के देने शुरू किये,,वो अब घांस पर अपनी कोहनियों के बल आधी लेटी हुई थी, उसके मोटे-२ चुचे बुरी तरह हिल रहे थे....हर झटके से उसके मुंह से एक आह निकल रही थी...ऋतू साइड में लेटी हुई अपनी चूत रगड़ रही थी...मैंने उसका अकेलापन देखा तो मैंने गरिमा को कुतिया वाले स्टाइल में आने को कहा. वो झट से उलट कर अपनी गांड हवा में उठा कर लेट गयी और इस तरह से उसका मुंह अब नीचे लेटी हुई ऋतू की चूत पर था...उसने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरे लंड को पकड़कर अपनी गांड के छेद पर टिका दिया और पीछे की तरफ झटका मारकर फिर से मेरा लंड अपनी गांड में फंसा लिया..मैं उसकी कुशलता देखकर हैरान रह गया..
मैं उसकी कमर पर आधा लेट गया और आगे झूलते हुए उसके तरबूजों को दबा दबाकर पीछे से झटके मारने लगा....
नीचे से ऋतू की चूत चुस्वाई हो रही थी और पीछे से गरिमा की गांड मरवाई..
दोनों की सिस्कारियां गूंज रही थी..आआआआआआअह अह अ हा हा हा हा हा हा......आआआआआआअह म्म्म्मम्म्म्मम्म अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......ऋतू बड़े जोर से अपनी चूत उठा उठा कर गरिमा के मुंह में ठूस रही थी...
गरिमा के निप्पल काफी बड़े थे, उसके चूचो की तरह ही,,,मैंने पीछे से उन्हें अपनी उँगलियों में भरा और जोर से मसल डाला....
आआआआआआआआआआआआआआआह्ह कुत्ते ..............मार डाला.......आआआआआआअह्ह मेरे टट्टे उसकी चूत को ठोकर मार रहे थे, जिसकी वजह से उसकी चूत की गर्मी भी बाहर निकल रही थी....जल्दी ही ऋतू ने झड़ना शुरू कर दिया....उसकी मलाई को गरिमा ने अपनी लम्बी जीभ से चाट चाटकर साफ़ कर दिया...मैंने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी और जल्दी ही गरिमा के साथ-साथ मेरी सिस्कारियां भी गूंजने लगी...और हम दोनों ने एक साथ झड़ना शुरू कर दिया..
आआआआआआआआआआआअह्ह आआआआआआआ ह्ह्ह अ हाहा अ हा ह .....म्म्मम्म्म्मम्म ....मैं तो गया...और मैंने अपना गाड़ा रस उसकी मोटी गांड में उडेलना शुरू कर दिया...अपनी गांड में मेरे वीर्य की गर्मी पाकर उसका भी ओर्गास्म हो गया और वो भी हांफती हुई झड़ने लगी..आआआआआआअह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म मैं भी गयी......
मैंने अपना लंड उसकी गांड से बाहर निकाला तो वो झट से आगे होकर ऋतू के मुंह के ऊपर गयी और अपनी गांड से टपकते हुए मेरे रस को उसके मुंह में भरने लगी...मैं भी खड़ा हुआ और अपना लंड ले कर उसके मुंह के पास जाकर खड़ा हो गया साफ़ करवाने के लिए...
थोड़ी देर लेटने के बाद हम तीनो ने पीछे बहती हुई नदी में जाकर ठन्डे पानी से नहाया और अपने कपडे पहन कर वापिस चल पड़े.
गरिमा को दोबारा मिलने का वादा किया और उसने भी दुगने जोश से फिर से चुदने की इच्छा जताई और वो भी वापिस अपने कॉटेज में चली गयी..
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12-13-2020, 02:52 PM,
#57
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
वापिस पहुंचकर हम सीधा मम्मी पापा के कमरे में गए, और उन्हें रात को पंकज और मंजू के काटेज में जाने को कहा, ज्यादा बात न बताते हुए सिर्फ ये कहा की वो एन्जॉय करेंगे...उनकी उत्सुकतता बड़ गयी, और उन्होंने शाम को वहां जाने का वादा किया.
शाम को जब प्रोग्राम के दोरान हम सभी लोग मिले और जल्दी से बाहर निकल कर एक जगह इकठ्ठा हो गए.
मैं, नेहा, ऋतू एक तरफ थे और सोनी और मोनी दूसरी तरफ. सोनी ने जींस के ऊपर स्वेटर पहना हुआ था और मोनी आज बड़ी ही सेक्सी शोर्ट स्कर्ट पहन कर आई थी, मेरा लंड तो उसको देखते ही खड़ा हो गया था.
रेहान और हिना आज नहीं आये थे, सुबह की चुदाई से हिना का बुरा हाल हो गया था, इसलिए रेहान भी उसके साथ अपने कॉटेज में ही रुका हुआ था.
हम सभी ने एक दुसरे को पूरा प्लान समझाया और सोनी-मोनी के काटेज की तरफ चल पड़े, वहां जाकर देखा की आज फिर सिर्फ एक ही कमरे की बत्ती जल रही है, बीच वाले की, हम सभी चुपचाप उसके साथ वाले कमरे में, जो की सोनी-मोनी का कमरा था, में घुस गए.
मैंने जाते ही कमरे में लटका हुआ शीशा हटाया और अन्दर झाँका, पंकज और मंजू के साथ अपने मम्मी और पापा को देखकर मैं मुस्कुरा दिया, उनके साथ एक और जोड़ा भी था, टोटल 6 लोग थे कमरे में, सभी नंगे होकर एक दुसरे के लंड और चूत चूसने में लगे हुए थे, मैंने जगह बनाकर सोनी-मोनी को भी अन्दर झाँकने को कहा.
थोड़ी देर देखने के बाद सोनी मेरी तरफ घूमी और बोली "तुम सही कह रहे थे, यहाँ सभी बड़े लोग ग्रुप सेक्स और वाईफ स्वेपिंग के लिए आते हैं, आज फिर यहाँ पर नयी पार्टी चल रही है.." उसने कबूल करते हुए कहा.
"हाँ और इसी में ही मजा है.." ऋतू ने आगे आकर उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा. "तुम्हे इसका बुरा नहीं लगना चाहिए"
"लेकिन ये बुरा है.." सोनी ने जोर देते हुए कहा "इनको सिर्फ एक दुसरे के साथ ही ये सब करना चाहिए"
"ये तो अपने-२ देखने का नजरिया है" मैंने सोनी से कहा "और दूसरा नजरिया यहाँ है" मैंने अन्दर इशारा करते हुए कहा. "ये लोग एक दुसरे को धोखा नहीं दे रहे है और ना ही कोई एक्स्ट्रा मेरिटल अफेयर चला रहे हैं, वो सिर्फ सेक्स कर रहे है और मजे ले रहे हैं...बस."
"लेकिन हमारे बारे में क्या...मुझे तो इन सभी बातों से आघात लगा है" उसने धीमी आवाज में कहा.
"लेकिन क्यों????" मैंने थोडा तेज आवाज में कहा "क्या उन्होंने तुम्हारे साथ कोई बुरा बर्ताव किया, तुम्हारा ख्याल नहीं रखा, या उन्होंने तुम्हे अपने साथ मिलाने की कोशिश की..बोलो .."
"नहीं..ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.." उसने कहा
"तो फिर क्या प्रॉब्लम है...just relax ...अब हमारा टर्न है मौज लेने का" मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा.
"ठीक है..." उसने एक गहरी सांस ली और दिवार से घूम कर दूसरी तरफ सर कर लिया. "अब हमें क्या करना है"
"वेल ...सबसे पहले तो हम सभी को अपने कपडे उतार देने चाहिए.." ऋतू ने गहरी मुस्कान के साथ कहा.
ये सुनते ही मोनी ने एक झटके से अपनी शोर्ट स्कर्ट उतार दी, अन्दर उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी, और अपनी शर्ट भी उतार कर नंगी हो गयी, उसके छोटे-२ संतरे जैसे चुचे तन कर खड़े हुए थे और उनपर भूरे रंग के छोटे-२ निप्प्ल्स.. और उसकी चूत पर अभी बाल आने शुरू ही हुए थे, गोल्डेन कलर के बाल उसकी चूत को छिपाने में असमर्थ थे, उसकी चूत अपने रस में सनी हुई लसलसा कर चमक रही थी.
"क्या तुम लोग अपने कपडे नहीं उतारोगे..." उसने मुझे अपनी तरफ घूरते हुए देखकर कहा..
"हाँ हाँ...क्यों नहीं.." और मैंने, नेहा और ऋतू ने भी जल्दी से अपने कपडे उतार डाले और नंगे हो गए.
"अरे वाह ...तुम्हारा लंड तो काफी बड़ा और सुन्दर है....क्या मैं भी इसको अपने मुंह में लेकर चूस सकती हूँ जैसे मेरी माँ तुम्हारे पापा का चूस रही है.." उसने लार टपकाते हुए कहा.
"हाँ क्यों नहीं...चूस लो..जैसा तुम चाहो " ऋतू ने मोनी के कंधे पर हाथ रखकर उसे नीचे मेरे लंड के सामने बिठाया..."और तुम क्या अपने कपडे नहीं उतरोगी सोनी ?" उसने सोनी से पूछा जो कोने में खड़ी हुई सारा नजारा देख रही थी.
"ह्म्म्म ...मुझे थोडा समय दो..तुम लोग करो...मैं थोड़ी देर मैं उतार दूंगी..." उसने धीरे से कहा.
"ठीक है...जैसा तुम चाहो..." ऋतू ने उससे कहा और फिर मेरा खड़ा हुआ लंड पकड़कर नीचे बैठी मोनी के मुंह के पास लेजाकर बोली "ये लो मोनी...चुसे इसे.."
मोनी ने मेरे लंड पर अपने नन्हे हाथ रखकर उसे जोर से पकड़ा...उसके हाथों का सपर्श पाकर मैं सिहर उठा..वो बड़े प्यार से उसे देख रही थी, थोड़ी देर मसलने और सहलाने के बाद वो बोली "वाह ये कितना मुलायम और गर्म है..."
"हाँ...चलो अब चुसो इसे.." ऋतू भी नीचे अपने पंजो के बल बैठ गयी और अपनी चूत में उंगलियाँ डालकर मसलती हुई मोनी से बोली.
सोनी भी थोडा और नजदीक आकर खड़ी हो गयी जहाँ से उसे लंड चूसती उसकी छोटी बहन साफ़ दिखाई दे...मोनी ने अपना छोटा सा मुंह खोला और अपनी जीभ बाहर निकाल कर मेरे लंड को उसपर विराजमान कराया और फिर जीभ के साथ-२ मेरे लंड को भी अपने मुंह में डाल लिया और चूसने लगी..उसके गर्म मुंह में जाते ही मेरे मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी, मेरी टाँगे अपने आप मूढ़ गयी आआआआआआआआआआआअह्ह sssssssssssssssss .... म्म्मम्म्म्मम्म .
मेरे लंड के चारों तरफ उसके गुलाबी होंठ कस गए और वो उसे बड़े मजे से चूसने लगी...थोड़ी देर चूसने के बाद उसने लंड बाहर निकाला और अपनी बड़ी बहन सोनी की तरफ देखते हुए बोली "दीदी...ये तो बड़ा ही टेस्टी है..तुम भी ट्राई करो.."
सोनी का चेहरा लाल हो गया अपनी बहन को मेरा लंड चूसते हुए देखकर...वो अन्दर से तो चाहती थी पर अपने आप को रोक के खड़ी थी..सोनी फिर से मेरे लंड को बड़ी तेजी से चूसने लगी...नेहा अब मोनी के पीछे जाकर बैठ गयी और उसके स्तन दबाने लगी, उसके निप्प्ल्स को अपनी उँगलियों में दबाकर उन्हें और फुलाने लगी..ऋतू उठकर सोनी के पास गयी और उसकी पीठ से चिपककर अपना सर उसके कंधे पर रख दिया और अपने हाथ उसके पेट पर..."मैं जानती हूँ की तुम भी ये सब करना चाहती हो..शरमाओ मत.. मैं तुम्हारी मदद करती हूँ..." और उसने उसके स्वेटर को नीचे से पकड़कर ऊपर उठाना शुरू कर दिया..
सोनी ने शर्माते हुए अपनी स्वीकृति दे दी और ऋतू उसके कपडे एक-२ करके उतारती चली गयी और थोड़ी ही देर में सोनी भी हमारे सामने नंगी खड़ी थी.
मैंने अपनी आँखें खोलकर देखा और उसके सोंदर्य को देखता ही रह गया, उसकी कमर जितनी पतली थी उसके चुचे और कुल्हे उतने ही मोटे...उसके गुदाज जिस्म को देखकर मेरे मुंह में पानी आ गया...वो अपने हाथों से अपनी चूत और चुचे को छिपाने की कोशिश कर रही थी..ऋतू उसके हाथ बार-२ हटा कर उसके अंग उजागर कर रही थी...वो बड़ी ही शर्मीली थी जबकि उसकी छोटी बहन उतनी ही खुले विचारों वाली..तभी तो वो बड़े मजे से मेरा लंड चूसने में लगी हुई थी.
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12-13-2020, 02:52 PM,
#58
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
नेहा भी अब मेरे सामने बैठ गयी थी और बारी-२ से मोनी और नेहा मेरा लंड चूसने लगी.
"तुम बहुत सुंदर हो सोनी...तुम्हारी ब्रेस्ट काफी सुन्दर हैं.." ऋतू ने उसके चूचो को अपने हाथों में लेकर हलके से दबाते हुए कहा.
ऋतू के द्वारा उसके निप्प्ल्स पर हाथ लगते ही उसका शरीर कांपने लगा, उसने आनंद के मारे अपनी आँखें बंद कर ली, ऋतू उसके सामने आई और उसके गले लग कर अपना एक हाथ उसकी गांड पर लेजाकर दबा दिया, दुसरे हाथ से वो उसके निप्पल को मसलती रही. सोनी ने अपने शरीर को ऋतू के सामने ढीला छोड़ दिया.
पर थोड़ी ही देर में उसका शरीर अकड़ गया क्योंकि ऋतू ने अपना सर नीचे करके उसके निप्पल को अपने मुंह में लेकर चुसना शुरू कर दिया, उसके पुरे शरीर में करंट दौड़ गया, वो अपने हाथों से ऋतू के सर को नीचे की तरफ दबा रही थी, ऋतू तो निप्पल चूसने में माहिर थी, वो अपने दांतों और जीभ का उपयोग कर रही थी और सोनी खड़े हुए तड़प रही थी. जल्दी ही उसकी तड़प एक चीख में बदल गयी जब ऋतू ने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रख दिया और जोर से दबा दिया...आआआआआआआआआआआआआआअह्ह्ह और उसकी चीख भी पूरी ना होने पायी थी की ऋतू ने अपनी एक ऊँगली उसकी गीली चूत के अन्दर डाल दी..सोनी की आवाज गले में ही घुट कर रह गयी..
फिर ऋतू ने उसके निप्पल को चुसना छोड़ दिया और अपना हाथ भी उसकी चूत से हटा लिया और उससे बोली "तुम्हारा शरीर सच में काफी सुंदर है और टेस्टी भी.." और उसने सोनी की चूत में डूबी वो ऊँगली अपने मुंह में डाल ली.
"ये तो सही में मुझे अच्छा लगा..." सोनी ने शर्माते हुए कहा.
"तुम अब मेरे साथ ये सब क्यों नहीं करती..." ऋतू ने सोनी से कहा.
सोनी की आँखें चोडी हो गयी ये सुनकर...पर फिर उसने आगे बढकर ऋतू के दांये स्तन को अपने हाथ में पकड़ा और उसे उठाकर और दबाकर उसे गौर से देखने लगी, वो उसके स्तन से थोडा अलग था, उसने अपने दोनों हाथों से ऋतू के चूचो को दबाना शुरू कर दिया, और उसके निप्प्ल्स को भी बीच -२ में उमेठने लगी, और फिर उसने अपना सर नीचे करके उसके एक निप्पल को अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगी किसी प्यासी बच्ची की तरह..ऋतू ने अपनी आँखें बंद करके अपना सर ऊपर उठा लिया, उसे बड़ा मजा आ रहा था, उसकी एक लम्बी सिसकारी निकल गयी.
म्म्मम्म्म्मम्म स्स्सस्स्स्सस्स्स.........sssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssssss
ऋतू ने उसके सर को पकड़कर उसे अपने चुचे पर घुमाना शुरू कर दिया, सोनी ने अपनी बाहें ऋतू की कमर के चारों तरफ बाँध दी और चप -२ की आवाजों के साथ उसका दूध पीने लगी..धीरे-२ सोनी ने अपना हाथ नीचे ले जाकर ऋतू की चूत के ऊपर फिराना शुरू कर दिया, उसके ठन्डे हाथों के स्पर्श से उसका शरीर झटके मार रहा था, सोनी ने ऋतू की चूत के ऊपर हाथ रखकर थोड़ी देर उसे दबाया और फिर अपनी बीच वाली ऊँगली उसकी चूत के अन्दर डाल दी..और फिर एक और ऊँगली अन्दर डाल कर उसकी क्लिट पकड़कर उसे धीरे २ मसलने लगी.... आआआआआआआआआह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म......
"बड़ा अच्छा लग रहा है सोनी...बस ऐसे ही करती रहोऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओ." ऋतू ने आँखें बंद रखते हुए सोनी से कहा.
अपनी तारीफ़ सुनकर सोनी थोडा रिलेक्स हुई और मजे ले लेकर उसके निप्प्ल्स को चुस्ती हुई उसकी चूत को अपनी उँगलियों से चोदने लगी.
मेरे लंड का भी बुरा हाल था, दो-२ गर्म लड़कियां मेरा लंड चूस रही थी, मैंने मोनी के मुंह से अपना लंड बाहर निकाला और उसे खड़ा कर दिया और कहा "तुम तो सच में काफी अच्छे से चुस्ती हो..मजा आ गया... क्या तुम्हे मजा आया ?" ये कहकर मैंने उसके होंठो को चूम लिया..
"हाँ बड़ा मजा आया...मन कर रहा है की तुम्हारा लंड मेरे मुंह में ही पड़ा रहे और मैं इसे चुस्ती रहूँ ...क्या तुम भी मेरी चूत को चूस सकते हो...जैसे तुम्हारी मम्मी की मेरे पापा चूस रहे हैं..." उसने मुझे वापिस चुमते हुए कहा.
"बिलकुल चूस सकता हूँ...क्या तुम वहां देखते हुए अपनी चूत चुस्वाना चाहती हो..." मैंने शीशे वाली जगह की तरफ इशारा किया.
"हाँ हाँ बिल्कुल..." उसने लगभग उछलते हुए कहा..
चलो फिर....और मैं मोनी को उस शीशे वाली जगह के पास ले गया.
मैं मोनी को लेकर दीवार के पास गया और अपनी पीठ दीवार पर लगाकर ऊपर मुंह करके बैठ गया, मोनी मेरे दोनों तरफ टाँगे करके खड़े हो गयी और दुसरे कमरे में देखने लगी, मेरी नजरों के सामने अब दुनिया की सबसे छोटी चूत थी, अनखुली, गुलाबी पंखड़ियों वाली, हलके गोल्डन कलर के बाल, और अपने ही रस में नहाकर चमकती हुई चूत..मोनी ने अपनी वासना भरी नजरों से मुझे देखा और मैंने अपनी जीभ निकल कर उसकी पंखुड़ियों को सहलाया..वो सिहर उठी.... स्स्सस्स्स्सस्स्स......बड़ी मुश्किल से उसने अपनी चीख रोकी, अपने होंठो को दांतों तले दबाया और मेरे सर पर हाथ फेरने लगी.
मैंने उसकी चूत को अपनी उँगलियों से फेलाया और अन्दर से आती भीनी खुशबु को सूंघता हुआ अपना मुंह उसपर टिका दिया...उसका बैलेंस बिगड़ गया और वो मेरे मुंह पर बैठ सी गयी, उसकी टाँगे कांप रही थी, उसका वजन ज्यादा नहीं था, इसलिए मैंने उसकी जांघो को पकड़ कर लगभग हवा में उठा रखा था और उसकी चूत को अपने मुंह से चोद रहा था, उसकी हालत देखकर लगता था जैसे वो मरने वाली है..बड़े अजीब से मुंह बना रही थी वो, शायद अपनी सिस्कारियों को रोकने के चक्कर में और अन्दर से आ रही मजे की लहरों को रोकने में असमर्थ हो रही थी, मैंने उसकी मीठी चूत को लप लपाकर चुसना और पीना शुरू कर दिया, वो अपने कूल्हों को बड़ी तेजी से आगे पीछे करके मेरे मुंह पर रगड़ रही थी, उसके हलके बाल मेरे उपरी होंठो पर चुभ से रहे थे, उसके दोनों हाथों ने मेरे बालों को बड़ी जोर से पकड़ा हुआ था.
मेरे मुंह की तरफ ध्यान रखने से वो दुसरे कमरे में नहीं देख पा रही थी, पर जब उसकी नजर वहां गयी वो वहां का नजारा देख कर दंग रह गयी, उसकी माँ मंजू कुतिया वाले पोस में बेड पर थी, उसके पीछे से मेरे पापा उसकी गांड मार रहे थे, और नीचे से उसकी चूत को वो नए वाले अंकल ...और आगे से उसके पापा का लंड था उसकी माँ के मुंह में, अपनी माँ के सभी छेदों को चुदते हुए देखकर थोड़ी देर के लिए वो अपनी चूत पर मेरे हमले को लगभग भूल सी गयी, अपनी माँ की कुशलता देखकर उसकी छाती गर्व से और मोटी हो गयी...
इसी बीच, ऋतू जो खड़े होकर अपनी चूत नीचे बैठी हुई सोनी से चटवा रही थी, उसने पीछे हटना शुरू किया और बेड के किनारे पर जाकर उसपर लेट गयी, सोनी उसकी चूत को चूमती हुई ऊपर तक आई और ऋतू ने उसके होंठो को जकड कर अपनी चूत का रस उसके मुंह से वापिस पीना शुरू कर दिया, और फिर उसने सोनी को नीचे किया और खुद उसके पेट पर चढ़ बैठी..ऋतू ने अपना मुंह नीचे करके उसके निप्पल को अपने मुंह में दबाकर काट लिया...वो चीख पड़ी.. उयीईईईईइ धेरीईईईईईई ... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह पर फिर वोही चीख धीरे-२ उसकी सिस्कारियों में बदल गयी,....वो आँखें बंद किये ऋतू के सर को पकडे हलके से मुस्कुराते हुए बेड पर लेटी मचल सी रही थी..
थोड़ी देर उसके तने हुए निप्पल को चुबलाने के बाद ऋतू ने दक्षिण की तरफ जाना शुरू किया, उसके गुदाज पेट को चुमते हुए उसकी चूत के ऊपर जाकर वो उसकी चूत को निहारने लगी, फूली हुई चूत को देखते ही ऋतू के मुंह में पानी सा आ गया और उसने अपनी लम्बी जीभ निकाली और टूट पड़ी सोनी की चूत पर.. आआआआआआआआआआआआअह्ह्ह एक लम्बी सिसकारी फिर से सोनी के मुंह से निकल गयी, ऋतू बड़े मजे ले लेकर उसकी चूत का रस पी रही थी, थोड़ी देर बाद वो ऊपर उठी और बोली " सोनी...तुम्हारी चूत तो बड़ी टेस्टी और मीठी है...मजा आ गया सच में..."
"मुझे भी ऐसा एहसास आज तक नहीं हुआ..." सोनी ने लम्बी साँसे लेते हुए कहा.
"उम्म्म्मम्म..." और ऋतू ने फिर से अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.
मेरी जीभ भी अब काफी अन्दर तक जा रही थी मोनी की चूत में..मैंने अपने हाथों को धीरे-२ नीचे करना शुरू किया और मोनी का पेट और छोटे स्तन मेरे मुंह के आगे से होते हुए नीचे की तरफ जाने लगे, अंत में उसकी चूत मेरे खड़े हुए लंड के बिलकुल ऊपर थी...उसकी छाती ऊपर नीचे हो रही थी आने वाले पलों के बारे में सोचकर...उसने अपने पंजो के बल अपना आधे से ज्यादा वजन रोका हुआ था, बाकी मैंने उसकी जांघो को पकड़कर....मेरा लंड उसकी चूत के लिप्स के बीच में था, अचानक मैंने अपने हाथों को उसकी जांघो से हटा लिया...उसे इसकी जरा भी उम्मीद नहीं थी... "ओह्ह्हह्ह ये क्याआआआअ ......" और वो अपनी चूत समेत मेरे लंड के ऊपर बैठती चली गयी...मेरा लंड उसकी गर्म चूत में किसी लोहे के सरिये की तरह जा धंसा.....उसके गले से एक घुटी हुई सी चीख निकली. .. आआआयीईईईईईईईइ ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह , वो झ्यादा न चिल्लाये इसलिए मैंने आगे बढकर उसके होंठो को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा....उसकी सील टूट चुकी थी, गर्म खून बहकर मेरे लंड को गिला कर रहा था....उसकी अंकों से आंसू बह निकले मेरा मोटा लंड लेकर..वो थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठी रही और जब उसका शरीर कांपना बंद हुआ तो उसने अपनी आँखें खोली और बोली "अरे....तुमने तो मुझे मार ही डाला....ऐसा भी कोई करता है क्या..." और उसने प्यार से मेरे सीने पर मुक्का मारा...
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12-13-2020, 02:52 PM,
#59
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैं हंस दिया और उसके गोल कुल्हे उठाकर थोडा ऊपर किया और फिर नीचे....ऐसा 7 -8 बार करने के बाद उसे भी मजा आने लगा और वो फिर से अपने पंजो के बल बैठकर अपनी चूत को मेरे लंड के उपर कूटने लगी, उसकी चूचियां मेरे मुंह के आगे उछल रही थी, मैंने उन्हें मुंह में लेकर चुसना शुरू किया, मेरे मुंह लगाने से उसका उछलना बंद हो गया इसलिए वो अपनी चूत को मेरे लंड पर गोल चक्की की तरह घुमाने लगी, उसकी चूत की गर्मी से मेरा बुरा हाल हो रहा था, मेरा लंड इतनी गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपने वीर्य की पिचकारियाँ छोडनी शुरू कर दी...वो भी अपने अन्दर गर्मी पाकर झटके खाने लगी और झड़ते हुए मेरे होंठो को बुरी तरह से चूसने और काटने लगी..
आआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मम्म्म्मम्म .... मजा आ गयाआआआआआआआअ.........वाउ ...........................वो बड़ी खुश लग रही थी.
उधर सोनी भी अपने अंतिम पड़ाव पर थी, ऋतू ने उसकी गांड में एक ऊँगली क्या डाली उसकी चूत से गर्म पानी का फव्वारा फुट पड़ा..आआआआआआआआआआअह्ह्ह्ह मर्र्र्रर्र्र्रर गयीईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मम्म्म्मम्म .....
ऋतू ने सारा गर्म पानी पी लिया..
मैंने छोटी की चूत फाड़कर उसे झाड दिया और ऋतू ने बड़ी की चूत चाटकर...
मेरी गोद में थोड़ी देर तक बैठने के बाद मोनी उठी और उसकी चूत से सारा खून मिला रस मेरे पेट पर गिरने लगा, उसने कपडे से सारा खून और माल साफ़ किया और पलंग पर जाकर लेट गयी... मैं भी उसकी बगल में जाकर लेट गया.
हम दोनों अब सोनी को ऋतू की चूत चाटते हुए देख रहे थे..मोनी मेरे कंधे पर सर रखे अपनी बहन को ऋतू की चूत चाटते हुए देख रही थी...उसका एक हाथ मेरे लंड को सहला रहा था...ऋतू भी काफी देर से गरम हो कर तड़प रही थी इसलिए उसने झड़ने में ज्यादा टाइम नहीं लिया और उसका भी रस बाहर आने लगा, सोनी किसी कुशल चूत चाटने वाली की तरह उसका सारा रस पी गयी...मैंने गौर किया की ऋतू का रस चाटते हुए उसका एक हाथ अपनी चूत को रगड़ रहा था...यानी वो फिर से गरम हो रही थी...उसकी कसी हुई चूत देखकर मेरे लंड ने फिर से अंगडाई लेनी शुरू कर दी..मेरी बगल में लेटी हुई मोनी समझ गयी की अब उसकी बहन की चुदने की बारी है..
नेहा जो बड़ी देर से अपनी चूत में ऊँगली डाले और दुसरो की चूत चाटकर काम चला रही थी, उठकर मेरे पास आई और मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी..मैंने उसके सर पर हाथ फेरा जैसे मेरी पालतू कुतिया हो...वो अपनी मोटे-२ आँखों से मुझे देखते हुए मेरा लंड मुंह में डाले मुस्कुराती हुई लंड चूसने लगी, वो भी अब मेरी पालतू जैसी बर्ताव कर रही थी और उसने अपनी मोती गांड हवा में उठाकर हिलाना शुरू कर दिया, मेरे मन में एक विचार आया और मैंने कमरे में चरों तरफ देखा और कोने में पड़े एक दुपट्टे को उठा लिया उसे लपेट कर लम्बा कर दिया और उसका एक सिरा नेहा की गांड के छेद में डाल दिया..अब ऐसा लग रहा था की वो दुपट्टा उसकी दुम है..उसे कपडा अपनी गांड में लेने में थोड़ी तकलीफ हुई पर फिर एडजस्ट करने के बाद उसे भी मजे आने लगे.
मेरा लंड अब उसके मुंह में फूलकर फिर से अपनी औकात पर आ गया था.
मेरे पास लेटी मोनी उठ कर अपनी बहन सोनी के पास गयी जो ऋतू की चूत चाटने में व्यस्त थी और उसके पीछे पहुँच कर उसकी गांड में अपना मुंह लगा कर पीछे से उसकी चूत चूसने लगी, पीछे मुड़कर जब सोनी ने देखा की उसकी सगी बहन ही उसकी चूत चूस रही है तो उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी...आआआआआआआआआआआआअह
अब वो अपनी मोटी गांड मटकाते हुए मोनी से अपनी चूत चटवा रही थी और आगे से अपनी जीभ निकाल कर मेरी बहन की चूत भी चाट रही थी.
मेरा लंड अभी-२ झाडा था इसलिए मैं जानता था की अगली बार मैं ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता हूँ, इसलिए मैंने बेचारी नेहा की चूत का भी उद्धार करने की सोची और उसके मुंह से लंड निकाल कर उसे कुतिया वाले पोसे में आने को कहा...वो ख़ुशी-२ अपने पैर और टांगो के बल खड़ी हो कर अपनी दुम हिलाने लगी.
मैंने उसकी मोटी गांड को एक जोरदार चांटा लगाया..उसके सफ़ेद कुल्हे पर मेरे पंजे का निशान जम सा गया. वो तड़प उठी..अयीईईईईईईईईईईईईईइ ये क्याआआआआआआअ भैईईईईईईई याआआआआआ.... फिर मैंने वो दुपट्टा उसकी गांड में और अन्दर तक ठूस दिया, थोडा खींचा, वो थोडा कुनमुनाई, फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और उस दुपट्टे को अपने हाथों से पकड़ा और एक तेज धक्का उसकी चूत में लगाया... अपनी गांड में फंसे कपडे के खिंचाव से और अपनी चूत में आते मेरे लंड के दबाव से उसकी चीख निकल गयी. आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ऊऊऊऊऊऊऊऊओह ..... धीईईईरे ....... अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह...
अपना लंड उसकी चूत के अन्दर तक डालने के बाद मैंने धीरे-२ धक्के लगाने शुरू किये... मेरे हर धक्के से दुपट्टा थोडा-२ करके बाहर आ रहा था...मेरे धक्को की स्पीड बदती जा रही थी... अह अह अ हः अह अ ह की आवाजें गूंज रही थी कमरे में, नेहा को एक साथ अपनी चूत और गांड से आती झनझनाहट अजीब सा मजा दे रही थी, तभी एक झटके से वो दुपट्टा बाहर निकल गया...वो चिल्लाई....डालो फिर से उसे अन्दर......प्लीस ......मैंने अगला हिस्सा थोडा और मोटा किया और उसकी गांड के अन्दर धकेल दिया..मोटाई अधिक होने की वजह से अब उसे तकलीफ हुई आआआआआआआआयीईईईईईईईईईईइ थोडा धीरे................भैयाआआआआआआ .......मैंने उस पूंछ वाली कुतिया को फिर से चोदना शुरू कर दिया....मैं बोला....तू मेरी कुतिया है.....साली रंडी....तेरी माँ की चूत....कुतिया कहीं की....मेरे लंड को रोज अपनी चूत में और गांड में लिया कर..समझी रांड..... ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
वो भी चिल्लाई....हाँ भैयाआआआआआआ मैं आपकी पालतू कुतिया हूँ....मेरी चूत और गांड आपकी है...जब मर्जी मार लिया करो.....आआआआआआअह्ह्ह्ह मरो अपनी रांड बहन की चूत.....मारो प्लीस.....मेरा लंड अभी काफी दूर तक जा सकता था...पर नेहा काफी देर से अपनी चूत में रस का सेलाब लिए घूम रही थी इसलिए उससे ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ और वो मेरे लंड पर झड़ने लगी..आआआआआआआआआआआआअह्ह भैयाआआआआआअ मैं तो गयीईईईईईईईईईई ........
मैंने उसकी चूत में से रस से भीगा लंड बाहर निकाल लिया, वो दुपट्टा अभी भी उसकी गांड में फंसा हुआ था.
फिर मैंने इशारे से मोनी को पीछे हटने को कहा..वो समझ गयी की अब उसकी बहन चुदेगी..मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड लगाया वो कुछ समझ पाती इससे पहले ही मैंने एक तेज धक्का मारकर अपना आधे से ज्यादा लंड उतार दिया सोनी की चूत में....
वो चीख पड़ी. आआआआआआआआआअयीईईईईईईईईई पर तभी आगे लेती ऋतू ने उसका मुंह अपनी चूत पर दबाकर उसकी चीख को शांत कर दिया...वो हांफ रही थी ...वो निढाल होकर नीचे लेट गयी जिसके कारण मेरा लंड भी बाहर निकल आया..उसके सिरे पर खून लगा हुआ था...यानी उसकी झीली भी फट चुकी थी..
मैं नीचे लेता और उसको अपने ऊपर खींच लिया और उसके गुलाबी और लरजते हुए होंठो को चूसने लगा..
बड़े मीठे थे उसके होंठ, मैंने नीचे हाथ करके उसके गोल चुचे थाम लिए, बड़े दिलकश थे उसके अमृत कलश, मैं उन्हें पीने लगा, वो मचलती हुई मेरा लंड के ऊपर अपनी टाँगे मसल रही थी, उसे अब मेरा लंड फिर से अपनी चूत में चाहिए था और जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने अपने आप ही मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और अन्दर ले कर दबाती चली गयी आआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह ....म म्म्म्मम्म्म्मम्म वोव्वव्व्व्वव्व्व.......आआआआआआआअह्ह्ह मेरा पूरा लंड अब उसकी कुंवारी चूत में था...मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू किये, उसके मोटे चुचे मेरे मुंह पर थपेड़े मार रहे थे,
नेहा ने अब सोनी की जगह ले ली थी और ऋतू की चूत चाट रही थी.
पुरे कमरे में ऋतू , मेरी और सोनी की सिस्कारियां गूंज रही थी, सोनी की चूत से निकलता रस मेरे लंड को भिगो रहा था.
जल्दी ही हम तीनो की सिस्कारियां चीखों में बदलती चली गयी और सभी ने एक साथ झड़ना शुरू कर दिया..
आआआआआआआआआआआआह्ह्ह्ह मैं तो गयीईईईईईईईईईइ और सोनी ने अपना रस मेरे लिंग पर छोड़ दिया...मेरा लंड भी बारिश में नहाकर रस छोड़ने लगा और मैंने उसकी चूत के अन्दर एक के बाद एक कई पिचकारियाँ छोड़ दी.... आआआआआआआह्ह्ह म्मम्मम्मम्म ऊऊऊऊऊऊऊओह मजा आ गयाआआआआआआअ ......
ऋतू भी मचलती हुई झड़ने लगी..आआआआआआआयीईईईईईईईई म्म्मम्म्म्मम्म ओह्ह ओह होह ओह्ह्हह्ह ....
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12-13-2020, 02:52 PM,
#60
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
हम सभी इतनी चीखे मार रहे थे की हमें दुसरे कमरे का ध्यान ही नहीं रहा, वहां दुसरे कमरे में सभी एक दुसरे की बीबियों की चूत मार रहे थे, जब मंजू ने दुसरे कमरे से आती आवाज सुनी तो अपनी चूत से मेरे पापा का लंड बाहर निकाल कर वो शीशे वाली जगह के पास गयी जहाँ से उसे आवाजें आ रही थी, उसने जब शीशा हटाया तो दुसरे कमरे का नजारा देखकर उसके होश उढ़ गए, वहां हम सभी को नंगा लेते देखकर और अपनी दोनों बेटियों को भी हमारे साथ देखकर वो चकरा सी गयी, सोनी मेरे लंड को अन्दर लिए अभी भी मेरी छाती पर लेटी हुई हांफ रही थी..
मंजू ने अपनी बड़ी बेटी को नंगे मेरे ऊपर लेटे हुए देखा और वो समझ गयी की उसकी बेटी तो चुद चुकी है, ये सोचते ही उसके मुंह से एक हांफने जैसी आवाज निकल गयी, जिसे सुनकर मैंने शीशे वाली जगह पर देखा और मंजू आंटी को अपनी तरफ देखते हुए पाकर मैं समझ गया की उन्होंने सभी कुछ देख लिया है. ऋतू ने भी देखा की मैं शीशे वाली जगह देख रहा हूँ तो उसने भी वहां मंजू आंटी को खड़ा हुआ देखकर अपनी चूत चाटती मोनी को और जोर से अपनी चूत पर दबा दिया, मंजू आंटी की आँखें फैलती जा रही थी अपनी बेटियों की करतूते देखकर..
सोनी ने अपनी साँसे सँभालते हुए जब देखा की मेरी नजर कहाँ है तो वहां अपनी माँ को अपनी तरफ घूरते पाकर वो भी सहम सी गयी, मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में पड़ा हुआ उसके अन्दर अजीब तरह की तरंगे छोड़ रहा था जिससे उसे बड़ा मजा आ रहा था पर एकाएक अपनी माँ को देखकर उसने मेरा लंड अपनी चूत में मसलना बंद कर दिया जिसकी वजह से वो बाहर आ गया और वो मेरे मुरझाये हुए लंड के ऊपर से हट कर बैठ गयी.
मोनी ने जब चूत चाटना बंद किया तो उसने अपना मुंह ऊपर किया, उसका पूरा मुंह ऋतू के रस से नहाया हुआ चमक रहा था, ऋतू उसकी माँ को पहले ही देख चुकी थी इसलिए उन्हें और किलसाने के लिए उसने मोनी को ऊपर खींचा और अपने होंठो से उसके रसीले होंठ चाटते हुए अपने ही रस का स्वाद लेने लगी और बोली "क्यों मोनी...मजा आया के नहीं.."
मोनी : "अरे ऋतू दीदी, सही में आपकी चूत का स्वाद बड़ा ही नशीला है, मेरा मन कर रहा था की आपका रस निकलता रहे और मैं पीती रहूँ.." और उसने अपनी बड़ी बहन सोनी की तरफ देखा जो शीशे वाली जगह पर अपनी माँ को देखकर सहमी बैठी थी, मोनी ने भी जब देखा की उनकी माँ उन्हें चुदते हुए देख रही है तो वो भी डर गयी और सोचने लगी की अब क्या होगा.
वो ऋतू से बोली : "अरे ये तो मोम है ....हे भगवान्, उन्होंने सब कुछ देख लिया है...अब क्या होगा.."
मैं : " अरे डरो मत, कुछ नहीं होगा"
तभी बाहर का दरवाजा खुला और मंजू आंटी और पंकज अंकल नंगे ही हमारे कमरे मैं दाखिल हुए और आते ही चिल्ला कर बोले : "ये क्या हो रहा है, क्या कर रहे हो तुम लोग ..."
मैंने कहा : "यहाँ वो ही हो रहा है जो आपके कमरे में हो रहा है, और हम वो ही कर रहे हैं जो हमने कल आप लोगो के साथ किया था...यानी सेक्स."
मंजू : "पर ये हमारे बच्चे हैं, तुम ऐसे कैसे कर सकते हो"
मैंने कहा "क्या आपने हमारी मम्मी, जिनकी चूत और गांड अभी पंकज अंकल मार कर आ रहे हैं, और पापा, जिनका लंड मंजू आंटी अपनी चूत, गांड और मुंह में लेकर आ रही है, को बताया की कल आप लोगो ने हम दोनों भाई बहन की भी चुदाई की थी...नहीं ना..हमने आज रात आप लोगो को अपने दुसरे फ्रेंड्स के साथ और हमारे पेरेंट्स के साथ भी ग्रुप सेक्स करते हुए देखा, कल कोई और था आपके साथ जब आपने हमारे साथ सेक्स किया था, जब आप ये सब कर सकते हो तो सोनी और मोनी क्यों नहीं कर सकती"
"ये तो पागलपन है" मंजू आंटी चिल्लाई "तुम जानते भी हो की तुम क्या कह रहे हो"
"हाँ मैं जानता हूँ की मैं क्या कह रहा हूँ" मैंने कहा "सेक्स एक बड़ी ही मजेदार चीज है, अगर आपका कोई इमोशन इसके साथ जुड़ा ना हो तो इसमें सबसे ज्यादा मजा आता है, बहुत बढ़िया है ये, एक अच्छी एक्सर्साईज़ है ये तो"
"लेकिन हमारे बच्चे ..." मंजू ने फिर से कुछ कहना चाहा..
"ये अब बड़े हो रहे हैं...हैं ना..आपको तो इनपर नाज होना चाहिए की आपको देखकर ये सीख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं..क्या आपको लगता है की जो आप कर रहे हैं वो सही है..?" मैंने कहा
"हम यहाँ अपने आप को डिस्कस नहीं कर रहे हैं" पंकज ने कहा.
पीछे से आवाज आई "क्यों नहीं कर रहे हैं...जबकि ये सब कुछ आप लोगो से जुड़ा हुआ है" उन्होंने पीछे मूढ़ कर देखा तो हमारे मम्मी पापा खड़े थे, वो भी बिलकुल नंगे.
"नहीं पूर्णिमा...आप समझ नहीं रहे हैं, ये इतना आसान नहीं है हमारे लिए.." मंजू ने मेरी माँ से कहा.
"ये हमारे लिए भी आसान नहीं था, लेकिन फिर हमने भी ये कबूल कर लिया की हमारे बच्चे भी हम लोगो की तरह खुले विचारों वाले हैं..
इसलिए हमने ये डिसाईड किया की इन बच्चो को हमसे ही सीखना चाहिए..ना की किसी बाहर वाले से, जहाँ से कुछ और गड़बड़ की आशंका हो.." मम्मी ने उन्हें समझाते हुए कहा.
"थेंक यू मोम..." मैंने मम्मी को कहा और उठकर उनके पास जाकर खड़ा हो गया,
"क्या आप लोगो को हमारे बच्चो के साथ कल रात मजा आया था ?" मम्मी ने मंजू से पूछा
वो शर्मा सी गयी और बोली "मैं क्या कहूँ..ये दोनों कल जब नंगे हमारे पास आये तो हमसे ना कहा ही नहीं गया.."
"आप लोग इन्हें ना भी कर सकते थे, अगर आपके मन में अपने बच्चो के लिए अच्छे विचार हैं तो दुसरो के बच्चो के लिए भी वोही विचार होने चाहिए..." मम्मी ने कहा.
"मैं आपके कहने का मतलब समझ गयी..." मंजू ने गहरी सांस लेते हुए कहा "हमें तो बस अपनी बच्चियों को एकदम से सेक्स करते देखकर यकीन ही नहीं हुआ की वो इस उम्र में ये सब कर सकती हैं...मुझे इनकी चिता हो रही थी पर लगता है ये सच में बड़ी हो गयी हैं..."
"ओह मोम....हम ठीक हैं..हमें भी ये सब करने में बड़ा मजा आया" मोनी ने आगे बढ़कर अपनी माँ से कहा.
"आशु..ऋतू..नेहा..तुम सभी चलो यहाँ से, इन्हें आपस में बातें करके अब सब कुछ निपटाने दो.." पापा ने हमसे कहा.
"ठीक है..." ऋतू बोली और हम सभी अपने कपड़े पहनने लगे, ऋतू ने मोनी से कहा "तुम लोग हमारे कमरे में आ सकते हो...अगर तुम चाहो तो.."
मोनी बोली "बिलकुल...मुझे भी काफी मजा आया आज, हम जरूर आयेंगे"
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