Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:31 AM,
#11
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 14

उधर जापान में राकेश और शालिनी घूमने गए हुए थे ।

पहले दिन राकेश ने अपना काम खत्म किया ।

दूसरे दिन राकेश एक लास्ट मीटिंग करना चाहता था अपने कैंडिडेट्स के साथ में तो उसने शालिनी से कहा - आप वेट करना मेरा मैं 3:00 बजे तक आ जाऊंगा और फिर घूमने चलेंगे।

ऐसा कहकर राकेश सुबह ही मीटिंग के लिए निकल गया।

अब होटल में अकेली शालनी थी ।

तभी उसकी एक सहेली का फोन आया जिसका नाम साक्षी था ।

साक्षी -हेलो ।

शालिनी- हेलो कैसी है तू , बड़े दिनों के बाद याद किया।

साक्षी - क्या याद किया यार अकेली थी तो तेरी याद आ रही थी । सोचा फोन ही कर लूं और बता क्या चल रहा है लाइफ में।

शालीनी- मैं जापान घूमने के लिए आई हुई हूं भाई के साथ।

साक्षी- चलो करो मजे फिर जापान में।

शालिनी - तुम अकेली क्यों हो तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं है क्या साथ में ।

ऐसा इसलिए पूछा शालिनी ने क्योंकि साक्षी अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही रहती थी।

साक्षी कहने लगी कि मेरे भैया आए हुए हैं तीन-चार दिन के लिए तो अभी उन्हीं के साथ हूं।

शालिनी शरारती अंदाज में बोली - फिर तो तुझे रात में नींद भी नहीं आती होगी क्योंकि बिना चुदे सोना तेरी आदत नहीं है ।

साक्षी बोली कि मैंने आज तक तुमसे कुछ नहीं छुपाया है शालिनी , बात दरअसल यह है कि मेरे भैया रात मुझे चोद चुके हैं । और उन्होंने मुझे बड़े ही ताबड़तोड़ तरीके से चोदा है ।

इतना सुनकर शालीनी के मुंह से निकला क्या तूने अपने भाई के साथ ??

तो साक्षी हंसकर कहने लगी -इसमें मेरी गलती नहीं थी मैं सोई हुई थी और भाई ने मुझे सोते हुए चोदना स्टार्ट कर दिया ।

शालिनी कहने लगी कि तुझे शर्म नहीं आई अपने भाई के साथ यह सब करते हुए ।

साक्षी - इसमें शर्म कैसी जब चूत को लंड चाहिए होता है तो वह चाहे फिर किसी का भी हो ,वह उस लंड का स्वागत कर लेती है ।

यह सुनकर शालिनी गर्म होने लगी और उसने अपनी चूत पर हाथ रख दिया।

म साक्षी से पूछने लगी कि क्या तुझे मजा आया अपने भाई के साथ

साक्षी बोली - पूछ मत यार मेरे भाई ने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया इतना जम के चोदा है ।

तभी अचानक साक्षी बोली कि भैया आ गए हैं मैं बाद में बात करती हूं ऐसा कह कर उसने फोन रख दिया।

उधर शालीनी भी गरम हो चुकी थी और उसने अपनी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया । उसके दिमाग में पता नहीं क्या आया वह पूरी नंगी होकर बेड पर लेट गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी ।

उधर दूसरी तरफ जैसे ही राकेश होटल से बाहर निकला अचानक उसे कॉल आया की मीटिंग अटेंड करने की कोई जरूरत नहीं है सर काम हो चुका है । बाकी सब मैं संभाल लूंगा ।

राकेश तुरंत सोचने लगा कि चलो काम भी खत्म हुआ।

वापस होटल की तरफ मुड़ गया ।

जैसे ही अपने रूम पर पहुंचा अचानक उसने देखने का फैसला किया शालीनी क्या कर रही है उसने खिड़की के होल से झांक कर कर देखा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ।

उसकी बहन बेड पर नंगी पड़ी हुई थी हुई थी उसकी चूत दिख नहीं रही थी क्योंकि चूत पर घने बाल थे। उन काले काले बालों में ढकी हुई अपनी चूत में शालिनी उंगली किए जा रही थी।

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तभी राकेश के दिमाग में एक प्लान आया और उसने उस होल से अपने मोबाइल का कैमरा लगाकर फोटो क्लिक कर लिया ।

और फिर कॉल किया शालिनी को जैसे ही राकेश का कॉल दिखा शालिनी ने फोन उठाया ।

राकेश बोला की शालीनी काम हो गया है चलो कहीं घूमने चलते हैं मीटिंग कैंसिल हो गई है, मैं आ रहा हूं ।

ऐसा कहकर राकेश ने फोन रख दिया जैसे शालिनी ने यह सुना वह हड़बड़ाती हुई जल्दी से खड़ी हुई और अपने कपड़े पहनने लगी ।

उसने एक जींस और टॉप पहन लिया।

जैसा कि दोस्तों आप जानते ही हैं कि शालीनी जैसे भी कपड़े पहनती थी उसकी जांघों में फस जाते थे , वह जींस भी टाइट ही थी जो उसकी गांड को निकाल कर बाहर शेप में दिखा रही थी ।

राकेश ने दरवाजे पर नोक किया और शालिनी ने दरवाजा खोला ।

अंदर आकर राकेश बेड पर बैठ गया जिस बेड पर उसकी बहन नंगी होकर चूत में उंगली डाल रही थी ।

राकेश ने घूमने का प्लान बनाया और दोनों घूमने के लिए निकल गए ।

राकेश गाड़ी ड्राइव कर रहा था और शालिनी उसके बराबर में बैठी हुई थी ।

तभी अचानक राकेश ने कहा - शालिनी तुम्हारी शादी कर देनी चाहिए ।

राकेश के मुंह से ऐसी बात सुनकर शालिनी झेंपती हुई बोली नहीं भैया अभी मैं शादी नहीं करूंगी ।

राकेश ने कहा चलो जैसी तुम्हारी मर्जी मैं इसलिए कह रहा था क्योंकि तुम्हारी उम्र भी अब 30-31 साल हो गई है और इस उम्र में शादी कर लेनी चाहिए ।

अपने भाई के मुंह से ऐसी बातें सुनकर शालिनी शर्मा गई और सीधी देखने लगी रोड की तरफ ।

कुछ देर दोनों खामोश रहे फिर शालीनी ने कहा चलो भैया कुछ खा लेते हैं।

फिर दोनों एक रेस्टोरेंट में गए रेस्टोरेंट में जाकर दोनों ने अपने लिए खाना ऑर्डर किया ।

और फिर आपस में बातें करने लगे ।

राकेश - शालिनी मेरे जाने के बाद आज तुमने क्या किया।

राकेश के मुंह से ऐसा सवाल सुनते ही शालिनी के माथे पर पसीना आ गया । वह हकलाते हुए बोली - कुछ नहीं भैया आपके जाने के बाद मैं अपनी फ्रेंड से बात कर रही थी।

शालिनी नहीं ये तो बोल दिया लेकिन उसके दिमाग में सवालों का समंदर हिलोरे लेने लगा कि भैया ने ऐसा क्यों पूछा ।कहीं भैया को पता तो नहीं चल गया वह ऐसा सोच ही रही थी कि तभी राकेश ने दूसरा तीर मारा।

राकेश - तभी मैं तुमसे कह रहा था कि तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए ।

अब तो शालिनी की हालत ऐसी हो चली थी कि काटो तो खून नहीं ।

शालिनी समझ चुकी थी कि दाल में कुछ काला जरूर है। लेकिन शालीनी ने खामोश रहना ही उचित समझा।

फिर उन्होंने मूवी देखने का प्लान बनाया और शाम को 8:00 बजे घूम कर वापस आ गए ।

होटल में आते ही राकेश नहाने चला गया लेकिन शालिनी की हालत आज पूरे दिन खराब रही। वह यही सोचती रही कि भैया को कैसे पता चला ।

तभी अचानक उसकी नजर राकेश के मोबाइल पर पड़ी उसने सोचा कि दिन में राकेश ने जो उसकी फोटो खींची है वह ले लेती हूँ । ऐसा सोचकर उसने मोबाइल का लॉक खोला और गैलरी ओपन की जो उसकी पिक्स थी फोटोस थी वह उन्हें सेलेक्ट करने लगी ।

जैसे ही सेलेक्ट करते करते करते नीचे आई तो उसके होश ही उड़ गए क्योंकि नीचे वाली फोटो में वह नंगी बेड पर लेटी हुई थी और अपनी झांटो से भरी हुई चूत में उंगली कर रही थी ।

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राकेश के मोबाइल में यह फोटोस देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि राकेश ने सब कुछ देख लिया है ।

उसने अपनी फोटोस भी नहीं ली और चुपचाप मोबाइल वहीं पर रख दिया ।

अब शालिनी सोचने लगी यदि भैया गुस्सा होते हैं तो उससे इस तरह हंसकर बात नहीं करते ,जिस तरह दिनभर उन्होंने की है ।

इससे यह तो साफ होता है कि भैया मुझ पर गुस्सा नहीं है। तो फिर मेरी फोटो खींचने का क्या मतलब है सोचने लगी कि देखते हैं क्या होता है तभी राकेश निकल कर आ गया।

उसे बैठी देखकर राकेश कहने लगा - शालिनी तुम भी नहा लो फिर डिनर करेंगे ।

शालिनी एक साथ जैसे नींद से जागी हो ।

शालिनी इतना ही बोल पाई - ज-जी भइया ।

शालिनी नहाने के लिए चली गई करीब आधे घंटे बाद जैसे ही शालिनी निकली राकेश को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कि वह जो देख रहा है सच है या कोई सपना।

क्योंकि शालिनी पूरी तैयार हो कर निकली थी ।

शालिनी ने एक हाफ निकर और ऊपर एक वाइट कलर का टॉप पहना हुआ था ।

टॉप इतना कसा हुआ था कि उसके दोनों बूब्स उसे फाड़ने को उतारू थे । नीचे निकर भी कसा हुआ था जो कि उसकी चूत का शेप साफ-साफ देखा जा सकता था ।

इतने कसे हुए और छोटे कपड़े पहन कर लग रहा था कि शालीनी ने राकेश से चुदने का प्लान बना लिया है ।

उसके होठों पर डार्क लिपस्टिक लगी हुई थी जो कह रही थी कि चूस चूस कर मेरे लिपस्टिक हटा दो ।

राकेश ने अपनी नजर हटाते हुए शालिनी से कहा - बड़ी हॉट लग रही हो ।

शालिनी - यह सुनकर शरमाते हुए बोली भैया आप भी कुछ भी बोलते हो। और ऐसा कह कर वह डाइनिंग टेबल पर दोनों आमने सामने बैठ गए।

दोनों ने खाना खाया और फिर थोड़ा पार्क में टहलने के लिए निकल गए ।

पार्क में और भी कई शादीशुदा जोड़ा थे जो टहल रहे थे। कुछ लफंगे लड़के भी थे ।

राकेश का सिगरेट पीने का मन था और वह शालिनी के सामने सिगरेट नहीं पीता था । तो उसने शालीनी से कहा

राकेश - शालीनी तुम थोड़ा सा घूमो मैं तब तक इधर बैठ कर एक सिगरेट पीता हूं ।

ऐसा कहकर राकेश बैठ गया और शालिनी आगे की तरफ चल दी। तकरीबन 50 मीटर आगे ही जैसे वह गयी वहां कुछ लफंगे लड़के खड़े थे जो सिगरेट पी रहे थे।

उनमें से एक लड़का शालीनी को देखकर बोला - what a bitch .

(वो english में बोल रहे थे पर मैं हिंदी में लिखूंगा ताकि पाठकों को पूरी फीलिंग आ सके)

दूसरा बोला - निकर तो देख साली का अगर थोड़ा सा और टाइट होता तो फट जाता ।

तीसरा बोला - अबे ये कोई चुदक्कड़ रंडी होगी । ये हम चारो का लंड एक साथ खा जाएगी ।

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ये सब सुनकर शालीनी शरम से पानी पानी हो गयी । लेकिन तभी उसकी नजर उन लड़कों की तरफ गयी जिनमे से एक के मुह से जोरदार चीख निकली थी।

दरअसल राकेश ने उसके मुँह पर एक जोरदार रहपटा जड़ दिया था। तभी दूसरा राकेश को पीछे से पकड़ने लगा लेकिन राकेश ने अपना सर उसके मुँह पर मारकर उसकी नाक ही तोड़ दी।

वो चारो एक साथ राकेश से लड़ने आये राकेश ने चीता जैसी फुर्ती दिखाते हुए उछलकर एक लड़के के कंधे पर पैर रखा और बाकी दो लड़कों के मुह पर जोरदार लात मारी जिससे वो गिर गए और जिसके कंधे पर राकेश खड़ा था उसके मुह पर भी अपने जूते की जोरदार हील मारी ।

चारो लड़के लहूलुहान हो चुके थे तभी पुलिस आगयी ।

पुलिस ने तुरंत राकेश और उन चारों लड़को को पकड़ लिया।

राकेश ने पुलिस को सकरी घटना बताई और अपना ID card दिखाया ।

आइडेंटिटी कार्ड देखते ही पुलिस वालों ने राकेश से मांफी मांगी और कहा हम आशा करते है कि आगे से किसी भी भारतीय के साथ ऐसा नही होगा ।

पुलिस उन लड़कों को पकड़कर थप्पड़ बजाती हुई ले गयी ।

अब राकेश और शालीनी वापस hotel में आगये ।

कुछ देर तक खामोशियों का सन्नाटा रहा फिर शालीनी ने चुप्पी तोड़ी ।

शालीनी - भईया अपने तो आज किसी साउथ मूवी के एक्टर की तरह उनका बैंड बजा दिया ।

राकेश - मेरी बहन को कोई इस तरह बोलेगा तो क्या मैं चुपचाप देखता रहू ।

शालीनी - आखिर भाई भी तो मेरा है मेरा है ।

राकेश- कोई तुम्हारे body parts के बारे में ऐसे बोलेगा तो मैं खामोश क्यों रहूंगा ।

शालीनी ये सुनकर शर्मा गयी वक जानती थी राकेश किस body parts की बात कर रहा है ।

राकेश ने अपना पासा फेंकते हुए कहा - उन सालों की खिड की बहन ऐसी नही होगी तब ही साले बोलते है ।

शालीनी - उनकी बहन ऐसी नही होगी मतलब भइया।

राकेश - अरे मतलब तुम्हारे जैसी नही होगी जैसी तुम हो गदरायी हुई ।

शालीनी इस सीधे वार से सुर्ख लाल हो गयी उसके पास बोलने के लिये कुछ नही था।

राकेश - क्या हुआ शालीनी तुम चुप क्यों हो गयी ।

शालीनी - कुछ नही भइया । जाने दो उनको , मैं सोने जा रही हूं ऐसा कहकर शालीनी बैडरूम में चली गयी।

उसके दिमाग मे कई सवाल घूम रहे थे जैसे कि राकेश के मोबाइल में उसकी नंगी फ़ोटो और फिर राकेश का इस तरह से बात करना।

अचानक शालीनी के मुह से निकला - नही ऐसा नही हो सकता ।

मेरा भाई मुझे ही चोदने के बारे में कैसे सोच सकता है ।

उसके दिमाग मे एक आईडिया आया ये पता करने का।

उसने तुरंत वो कसे हुए निक्कर और टोप उतारे। ब्रा और पैंटी भी उतार दी। फिर उसने एक ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी जो बिल्कुल पारदर्शी थी । उसके चुचों के निप्पल उसमे साफ नजर आरहे थे। गांड पर से हल्का सा टाइट हो गयी थी जिससे कि दोनों चूतड़ बिल्कुल साफ साफ दिख रहे थे।

वो एक शार्ट नाइटी थी जिसमे ऊपर से मोटी मोटी आधी चुचियाँ दिख रही थी और नीचे जांघो पर ही खत्म हो जाती थी ।

उसे पहनकर शालीनी बैड पर कंबल ओढ़कर लेट गयी ।

आधे घंटे बाद राकेश आया सोने के लिए तो उसने शालीनी को आवाज लगाई ।

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लेकिन शालीनी तो नींद का बहाना करकर लेटी थी । शालीनी कि तरफ से कोई आवाज नही आई ।

राकेश - लगता है बहनजी बिना gud night बोले ही सो गई ।

ऐसा कहकर राकेश बैड पर लेट गया अपनी शर्ट उतारकर ।

दोनों एक ही कंबल में लेटे थे।

शालीनी सोच रही थी कि राकेश अब कुछ करेगा और वो इंतजार कर रही थी।

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इससे आगे की कहानी next update में।

कहानी जारी रहेगी दोस्तो। और साथ मे सुझाव भी साझा कर सकते है।

मुझे सपोर्ट करने के लिए आपको दिल से धन्यवाद ।

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Reply
05-01-2021, 11:31 AM,
#12
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 15

दोस्तों एक छोटी सी अपडेट लेकिन यहाँ से कहानी एक नया मोड़ लेगी । तो मजा लेते रहें।

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राकेश बेड पर शालिनी के बगल में लेट गया और उसने कंबल ओढ़ लिया।

तकरीबन 10 मिनट बाद शालिनी ने राकेश की तरफ पीट कर ली और और करवट लेकर लेट गई ।

राकेश को भी नींद आने लगी थी उसने भी शालिनी की तरफ करवट ली और जैसे ही उसका हाथ शालिनी की छाती पर लगा तो उसकी नींद गायब ही हो गई।

शालिनी के ढीली सी नाइटी में बिना ब्रा के बूब्स गुलाब के फूलों की तरह खिले हुए महसूस हो रहे थे।

राकेश ने धीरे से अपना हाथ बूब्स पर रखा उधर शालिनी की सिसकारी निकलने ही वाली थी कि उसने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए चुपचाप सोने का नाटक किया।

राकेश सोचने लगा कि उसकी बहन शालीनी तो भरीपूरी औरत को भी मात दे सकती है । इतना गदराया हुआ बदन । और उस बदन में लौड़ो की चाहत साफ देखी जा सकती थी।

राकेश सोचने लगा कि शालीनी के ऊपर एक साथ दो को भी चढ़ाया जाए तो ये कुतिया उन्हें आराम से निचोड़ सकती है।

शालिनी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था जिसका राकेश को अंदाजा भी नहीं था ।

राकेश ने अपना एक हाथ शालिनी के चूतड़ों पर रखा रखा तो उसका लंड औकात में आ गया क्योंकि उसकी वह फैली हुई गांड गांड ,अपनी भारी-भरकम गांड को को को लेकर बेड पर पड़ी थी थी शालीनी।

उसने अपना हाथ चूतड़ों से नीचे जांघों पर रखा तो उसकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने से ही ही राकेश मदहोश हो गया।

जैसे ही शालिनी ने सीधी करवट ली राकेश ने एक साथ डर कर कर डर कर कर साथ डर कर कर डर कर कर हाथ हटा लिया ।

कुछ समय बाद राकेश ने फिर अपना हाथ शालिनी के मुलायम मुलायम पेट पर रखा और नीचे की तरफ हाथ बढ़ाया।

शालीनी ने बहुत ही छोटी नाइटी पहनी हुई थी और उसका हाथ शालिनी की झांटो में आकर रुक गया।

पहले तो राकेश को को विश्वास ही नहीं हुआ कि उसकी बहन शालीनी की झांटे इतनी बड़ी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी बड़ी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी है।

उस घने जंगल को देखकर राकेश पागल सा हो गया और उसने अपना पूरा हाथ शालीनी की चूत पर रख दिया ।

राकेश को महसूस हुआ किसी शालीनी की चूत उसकी उम्र के मुकाबले थोड़ा बड़ी है क्योंकि उसके पूरे हाथ में उसकी चूत भरकर आ रही थी थी ।

उधर शालिनी ने ने राकेश का हाथ पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया जिसका राकेश को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था।

और शालीनी ने धीरे से राकेश से कहा- भईया पीले मेरी चूत।

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अब तो राकेश पागल ही हो गया।

राकेश ने तुरंत कंबल को हटा कर फेंक दिया फेंक दिया दिया अब बेड पर शालिनी उस नाइटी में में मदरजात नंगी पड़ी हुई थी।

राकेश ने उसकी नाइटी को फाड़ दिया दिया।

शालिनी की मोटी मोटी जांघों के बीच उगा हुआ घना जंगल ऐसा लग रहा था जिसे चांद में कोई काला तिल हो ।

उसके काली काली काली झांटो में छुपी हुई उसकी चूत कह रही थी कि मुझे कोई तगड़ा लंड चाहिए ।

तभी शालीनी के दिमाग ने अपने प्लान पर काम करना शुरू किया ।

शालिनी ने कहा- भैया मुझे शर्म आ रही है। पहली चुदाई मैं आपकी आंखों पर पट्टी बांध के करूंगी करूंगी के करूंगी करूंगी।

राकेश उसकी बात मान गया और उसने अपनी आंखों पर एक काली पट्टी बांध ली और बेड पर लेट गया ।

शालीनी ने अपने बैग में से कुछ निकाला और बैड पर आकर वह पूरा चाकू राकेश की छाती में घोंप दिया ।

राकेश के मुंह से एक चीख निकली और शालिनी ने लगातार चार पांच बार बार चाकू राकेश की छाती में घोंपा।

राकेश ठंडा पड़ गया राकेश की सांसे बंद हो गई ।

शालीनी जल्दी से उठी अपने कपड़े पहने और उसने राकेश को पॉलिथीन में पैक किया चारों चारों तरफ से और अपनी गाड़ी की डिग्गी में डालकर में डालकर उसने उसे एक नदी में फेंक दिया और आकर सो गई ।

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अब सब लोग ये मत पूछने लग जाना कि शालीनी ने राकेश को क्यों मारा ?

समय आने पर पता चल जायेगा।

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05-01-2021, 11:32 AM,
#13
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 11 .

Hi दोस्तों जैसा कि आपको पता है पहली अपडेट में उपासना ने पूरी तैयारियां की हुई हैं ।उपासना पूरा सजने के मूड में है। चलो बढ़ाते हैं इस स्टोरी को आगे ,

और दोस्तों मुझे आपसे एक चीज चाहिए और वह है आपका सपोर्ट , धन्यवाद ।।

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राकेश और शालिनी जापान पहुंचकर सोचने लगे कि कहां पर रुका जाए ।

ऐसा सोचते हुए राकेश अपने मोबाइल से कोई होटल सर्च करने लगा । थोड़ी देर सर्च करने के बाद उसे एक फाइव स्टार होटल मिला जिसके रिव्यू अच्छे थे ।

उसने उसे बुक किया 3:00 दिन के लिए , क्योंकि 3 , 4 दिन ही उनको जापान में लगने वाले थे ।

बुक करके दोनों होटल पहुंचे । होटल पहुंचने के बाद राकेश चैक इन फॉर्म परेशान करके जैसे ही राकेश मुड़ा तभी उसे होटल का मैनेजर उसकी तरफ आता हुआ दिखाई दिया,

मैनेजर दूर से ही बोलता हूं वह आने लगा - अरे राकेश जी आइए आपका वेलकम है हमारे होटल में जो आपने हम जैसे नाथ जी को को जी को नाथ जी को को हम जैसी नाचीज के होटल में अपने कदमों में अपने कदमों से इस होटल की रौनक को और भी बढ़ा दिया ।

आपके बारे में बहुत सुना है आज देख भी लिया।

राकेश ने मैनेजर से हाथ मिलाया और मैनेजर उनके रूम तक खुद उन्हें छोड़ने गया ।

रूम पर पहुंचने के बाद में राकेश ने सोचा कि नहा लेता हूं।

राकेश नहाने चला गया उधर बैग में से कपड़े निकालने लगी शालीनी ।

राकेश नहाकर सोचने लगा कि पहले काम कर लिया जाए उसके बाद शालीनी को घुमाएंगे , तो पहले 2 दिन में काम पूरा कर लेता हूं, और उसके बाद एक या 2 दिन में शालिनी को घुमाऊंगा जापान में ।

राकेश ऐसा सोच ही रहा था कि शालिनी नहा कर निकली।

शालिनी ने ब्लैक कलर की टाइट जीन्स पहनी हुई थी और उसके ऊपर उसने एक लूज टॉप पहन रखा था ।

शालिनी इन कपड़ों में में बहुत ही ज्यादा क्यूट और मस्त लग रही थी ।

इन कपड़ों में वह इतनी में वह इतनी ज्यादा सुंदर लग रही थी जैसे उसे कोई भी देख ले तो उसका दिल उस पर इस कदर फिदा हो जाए कि बस उसे सामने बिठा कर वह देखता ही रहे तो । राकेश कैसे नजर हटा पाता ।

राकेश के मुंह से अपनी बहन को देखकर शायरी निकली -

Brown brown हेयर तेरे white white स्किन

चुस्त तेरी यह जीन्स और तेरी चेहरे पर प्यारी सी चिन ।

कमाल है फिगर तेरा जाती है जिम ।

मां कसम जानलेवा है तेरा ये सीन ।

कितने जलवे हवाओं में बिखरे मगर मैंने अब तक किसी को पुकारा नहीं ,

तुमको देखा तो यह नजरें कहने लगी चेहरे से हटना हमको गवारा नहीं ।।

अपने भाई के मुंह से ऐसी शायरी सुनकर शरमा गई शालिनी । क्योंकि वह अपने भाई की बहुत इज्जत करती थी और अपने भाई से डरती भी थी और डरे भी क्यों ना उसका बड़ा भाई था, शालीनी के अंदर उसकी आंखों की शर्म इतनी ज्यादा थी कि वह अपने भाई के सामने ज्यादा बोलती तक नहीं थी ।

शायरी सुनकर शालिनी हिम्मत जुटाते हुए बोली - क्या भैया आप भी आजकल शायरी करने लगे ।

राकेश - मेरी गुड़िया बहुत प्यारी लग रही है इस ड्रेस में ।

मैंने तो तुम्हें देखा ही आज है ।

शालीनी - क्यों घर पर नहीं देखते थे क्या ।

राकेश हंसते हुए - घर पर नहाने के तुरंत बाद तो मेरे सामने तुम कभी नहीं आती हो ना इसलिए आज थोड़ा अलग लग रही हो क्योंकि नहाने के तुरंत बाद मेरे सामने आई हो।

इस तरह बात को बदलते हुए राकेश हंसने लगा।

शालिनी कहने लगी भैया थोड़ा कुछ खा लिया जाए भूख लग रही है।

राकेश ने इतना सुनते ही फोन उठाया और होटल में ऑर्डर बुक कराने लगा।

राकेश ने अपने लिए एक ग्रिल्ड सैंडविच और शालिनी के लिए पिज़्ज़ा ऑर्डर किया , और साथ मे एक आधे लीटर में कोक भी ।

कुछ ही मिनट बाद दोनों बहन भाई खाने में लगे हुए थे अब चलते हैं हैं आरती की ओर ।

आरती अपनी फ्रेंड के साथ घूम कर वापस घर की तरफ आने लगी ।

दोनों फ्रेंड आपस में बैठकर बातें ही करती हुई आ रही थी।

आरती की फ्रेंड गाड़ी चला रही थी और आरती बैठी हुई थी उसके बराबर वाली सीट पर ।

तभी आरती के मोबाइल पर नोटिफिकेशन रिंग होती है। तो आरती देखने लगती है किसका नोटिफिकेशन है।

जैसे ही आरती ओपन करती है उसमें धर्मवीर का मैसेज मिलता है यानी कि सलमान के नाम से उसे अपने मोबाइल में मैसेज मिलता है ।

जिसमें पूछ रहा था धर्मवीर यानी कि सलमान के नाम से मैसेज रिसीव होता है सलमान पूछ रहा था कि कब तक तुम लौटोगी , क्योंकि जानू मुझे तुमसे बात करनी है।

आरती रिप्लाई करती है मुस्कुराते हुए- क्या बात है आज बड़ी याद आ रही है तुमको हमारी ।

धर्मवीर कहने लगा कहने लगा कहने लगा कि हां शायद मुझे ऐसा लगने लगा है कि हम दोनों को और थोड़ा करीब आना चाहिए । एक दूसरे को अच्छे से समझ लेना चाहिए, जान लेना चाहिए धर्मवीर ने खुलकर ना बोलते हुए बात को इस तरह घुमा कर बोला ।

इसे पढ़कर आरती फिर से मुस्कुरा कर अपनी फ्रेंड से कहने लगी कि - देख ले कुत्ते को इस पर बोला नहीं जा रहा है मुझे।

लेकिन मैं भी नहीं बोलूंगी देखती हूं कब तक नहीं बोलता है।

आरती की फ्रेंड पूछने लगी क्या नहीं बोला जा रहा है ?

आरती कहने लगी कि हम दोनों एक दूसरे को दिल ही दिल में प्यार करने लगे हैं लेकिन सलमान है कि मुझसे आई लव यू प्रपोज कर ही नहीं रहा है । और अभी भी इनडायरेक्टली way में उसने मुझे बोला है ।

आरती की फ्रेंड कहने लगी कि - कोई नहीं मेरी जान उसको इतना तड़पा कि वह बोल दे।

आरती ने सोचते हुए रिप्लाई किया - आप शायद ठीक कह रहे हैं मुझे भी ऐसा ही लगने लगा था। अच्छा वह आपने मुझसे कहा , मुझे कोई एतराज नहीं है।

इस मैसेज को पढ़कर धर्मवीर खुशी का ठिकाना ना रहा धर्मवीर ने रिप्लाई किया - आप बहुत प्यारी हो आरती जी । आपको दुनिया की हर खुशी में देना चाहता हूं ।

यह मैसेज पढ़कर आरती रिप्लाई करने लगी - ऐसा ना हो 2 दिन बाद ही मुझे भूल जाओ तुम। 2 दिन तक ही मुझे खुशी दे पाओ।

उसके बाद धर्मवीर ने एक शायरी के जरिए अपनी बात उसे कही जो कुछ इस तरह थी -

जन्म जन्म तक प्यार निभाउंगा ।

छोड़कर तुझको कभी ना जाऊंगा ।

खुद रो लूंगा आरती जी लेकिन ,

आपके आंसू आरती कभी देख नही पाऊंगा ।

तोड़ू न मैं वादे सारे आप ही लगोगे उम्र भर प्यारे ।

यह मैसेज पढ़कर आरती मुस्कुराती हुई अपनी फ्रेंड से बोली- क्या बंदा है यार 2 मिनट बात कर ले तो दिल में बस जाता है।

फिर दोनों आपस में बातें करने लगी धर्मवीर ने भी सोचा कि आरती शाम तक तो आ ही जाएगी एक-दो घंटे बाद ।

तब तक मैं भी आराम कर लेता हूं ऐसा सोचकर धर्मवीर अपने कमरे में लेट गया ।

अब चलते हैं दोस्तों उपासना की तरफ ।

उपासना अपने कमरे में बैठी हुई थी अचानक उसने इवेंट डेकोरेशन वाले को कॉल किया और उनसे कहा कि मुझे एक कमरे की सजावट करवानी है तो आप अपने वर्कर्स को भेज दीजिए ।

उधर से इवेंट डेकोरेशन वाले ने कहा कि मैम आपको किस तरह का इवेंट डेकोरेशन आपको कराना है यानी कि किस पर्पज से कराना है।

कोई बर्थडे पार्टी या कोई फंक्शन आप मुझे बता दीजिए, ताकि मैं उसी के अकॉर्डिंग उनके साथ सजावट का सामान भेज सकूं ।

उपासना ने कहा कि मेरे भाई की शादी हुई है तो वह हनीमून पर आज की जगह कल जाएंगे । तो वह आज घर पर ही रहेंगे तो उनके लिए डेकोरेशन करवाना था भैया ।

बाकी तो आप समझते ही हो भैया , आपका तो यही काम है ।

डबल मीनिंग में उपासना ने ऐसा कहा जिससे कि डेकोरेशन वाला समझ गया कि चोदने के लिए किसी रंडी का बिस्तर सजाना है ।

उसने कहा जी मैम आप चिंता मत कीजिए 10 मिनट में आपके एड्रेस पर मेरे पहुंच जाएंगे ।

इतना सुनने के बाद उपासना ने कॉल रख दिया और अपने ही ख्यालों में गुम हो गई ।

10 मिनट के बाद लगभग वर्कर्स आगये।

तो दोस्तों जैसा कि आपको पता है धर्मवीर सिंह जी का बंगला 3 फ्लोर का है तीन मंजिल का बंगला है।

जिसमें बेसमेंट में गाड़ियां पार्क होती हैं,

ग्राउंड फ्लोर पर कोई नहीं रहता है खाली पड़ा रहता है ।

और फर्स्ट फ्लोर पर आरती ,उपासना राकेश और शालिनी रहते हैं ।

और सबसे ऊपर तीसरे मंजिल पर अकेले धर्मवीर सिंह जी। क्योंकि उनके पास कोई ना कोई अक्सर आता रहता है मीटिंग वगैरह के लिए तो वह गेस्ट रूम में ना मिलकर डायरेक्ट अपने ही फ्लोर पर मिल लेते हैं ।

तो यह तो था धर्मवीर जी के बंगले का हुलिया ।

अब आगे कहानी की तरफ चलते हैं उपासना ने वर्कर से कहा नीचे वाला फ्लोर है , उसकी दीवारों पर कलर भी करा दिया है ।

बस आपको यह सजाना है । जो फोर्थ नंबर का रूम है वह आप को सजाना है ।

इतना सुनकर वर्कर्स रूम सजाने लगे और उपासना वहीं खड़ी होकर देखने लगी कि किस तरह सजाया जा रहा है उसकी चुदाई का आशियाना ।

दीवारों पर चारों तरफ फूलों की लड़ियां टांग दी गई।

बैड पर नई बेडशीट बिछाई गई ।

बैड के सिरहाने पर दोनों तरफ गुलाब के गुलदस्ते लगाए गए । बेड की बैडशीट शीट इतनी बड़ी थी दोस्तों जैसा कि आपने देखा होगा जो क्वीन साइज बैड आते हैं । इस तरह का बैड था, जिससे कि उसकी बेडशीट उसके ऊपर डालने के बाद में बेड दिखाई नहीं देता था , यानी कि वह बेडशीट नीचे फर्श तक मिल जाती थी। इस तरह से बेड को सजाया गया ।

चारों तरफ डेकोरेशन लाइट उपासना ने लगवाई जो रंग बिरंगी लाइट जलती थी । साथ में कमरे की ऊपर छत में सीलिंग लाइट भी चारों तरफ लगवा दी , कहने का मतलब यह था दोस्तों कि अगर उस रूम की सारी लाइट्स ऑन कर दी जाए तो दिन की रोशनी से भी 100 गुना ज्यादा उसमें रोशनी हो जाएगी।

उसके बाद बेड पर गुलाब और चमेली के फूलों से डिजाइन बनाया गया और बीच में एक दिल का डिजाइन बनाया गया ।

उपासना ने कहा - इस दिल के डिजाइन के बीच में फूलों से ही (आपकी रंडी) लिख दो ।

वर्कर्स यह सुनकर उपासना की तरफ खुला हुआ मुंह से देखने लगा। उपासना भी उस बंगले की मालकिन थी ।

उपासना ने कहा - जो कहा है वह काम करिए इस तरह पागलों की तरह मुझे मत घुरिये ।

वर्कर को अपनी गलती का एहसास हुआ उसने तुरंत बिजली की फुर्ती से अपना काम करना स्टार्ट किया।

कमरा सज चुका था दोस्तों उसमे एक तरफ दो अगरबत्ती भी लगाई गई जो कि रोज फ्रेगरेंस की थी । जिनसे भीनी भीनी खुशबू उस रूम आ रही थी , रूम फ्रेशनर छिड़का गया बेड पर और पूरे रूम में ।

यानी कि कमरा पूरी तरह से तैयार हो चुका था एक चुदाई का मैदान नजर आने लगा था जिस पर दो योद्धा अपनी ताकत लगाकर युद्ध करने वाले थे । जिस कमरे में आज चुदाई का महा संग्राम होने वाला था ।

उपासना नेम वर्कर्स को पचास हजार का एक नोट देते हुए उन्हें विदा किया ।

वर्कर्स के जाने के बाद उपासना अपने फर्स्ट पर गई और वहां से उसने एक कटोरी में सरसों का तेल और वैसलीन लेकर नीचे ग्राउंड फ्लोर पर आई और बेड की रैक में उस कटोरी को उसने रख दिया।

फिर उपासना को याद आया कि वह फिर से भूल गई है कुछ जल्दी से दोबारा वह फिर ग्राउंड फ्लोर पर गई ग्राउंड फ्लोर वहां से जो उसका आज ऑनलाइन ऑर्डर आया था वह डब्बा उसने उठाया ।

और नीचे आई उस डब्बे में एक Liquid चोकलेट का डब्बा था । जिसे खाया नहीं चाटा जाता है ।

उसने उस डब्बे को भी रैक में रख दिया और एक लंबी सांस लेते हुए अपने ही आपसे कहने लगी - your room is ready my bitch .

अपने ही ख्यालों में गुम उपासना लिफ्ट से अपने फर्स्ट फ्लोर पर आई और अपने रूम में शीशे के सामने खड़ी हो गई ।

शीशे के सामने खड़ी होकर उसने अपने आप को निहारा जिसमें बिल्कुल ढकी हुई लग रही थी। ऐसी ढकी हुई स्त्री को देखकर उसे यकीन नहीं हुआ कि वह उपासना ही है ।

उसने शीशे से कहा - मेरी जान आज तो बड़ी ही संस्कारी बहु लग रही हो ।

फिर अपने आप से ही जवाब देकर बात करने लगी ।

उपासना शीशे से बोली - संस्कारी तो मैं हूं ही मेरे जैसी संस्कारी बहु किसको मिलेगी ।

शीशे से आवाज आई - मेरी जान अभी ढकी हुई है तू इन कपड़ों में तो इतनी लाजवाब लग रही है ।इतनी संस्कारी लग रही है , इतनी आदरणीय लग रही है अगर तेरे ऊपर ये पूरी साड़ी ना हो ये जो शॉल तूने उड़ा हुआ है अगर यह उतार दिया जाए तो तेरे जिस्म का रंडीपना छलकना अभी स्टार्ट हो जाएगा , तेरे चूतड़ों का उठान बाहर को ऐसे निकल आएगा फिर तुझे कोई देखकर संस्कारी बहु नहीं एक गर्म कुतीया कहेगा

उपासना शीशे से ही कहने लगी अच्छा ऐसा है तो लीजिए उतार देते हैं अपना ये शॉल भी । देखते हैं क्या आप सही हो।

ऐसा कह कर उसने अपने शॉल को उतार दिया और अपने आप को देखने लगी ।

उपासना शीशे से कहने लगी - हां बात तो तुम्हारी ठीक है मेरी जान , छातियां थोड़ा ज्यादा भार को निकल आई है ऐज के हिसाब से।

मैं भी क्या करूं इन को मसलने के लिए हर वक्त कोई ना कोई तैयार रहता है। लेकिन कमर तो मेरी पतली है ना देखो कितनी पतली है । मुंह बनाकर अपने आप से कहने लगी।

तभी शीशे में से आवाज आई - मेरी जान अपनी कमर से नीचे भी अपनी नजर को डालें।

उपासना ने कहा लो कमर से नीचे भी डालली नजर ऐसा तो कुछ भी नहीं है। बस मेरे कूल्हे पर थोड़ा सा मांस चढ़ रहा है जिस वजह से कमर ज्यादा पतली लगती है ।

शीशे में से आवाज आई - इन्हें कूल्हों पर मांस नहीं बोलते मेरी जान इसे लंड मांगती हुई गांड बोलते हैं । कि तू अब लंड मांग रही है ।

यह सुनकर और अपने आप से ही कहकर उपासना शर्मा गई और मुँह बनाते हुए शीशे से कहने लगी - हां मांग रही हूं लंड, दिला दो तो लंड । मैं भी देख लूं किस लंड में कितना पानी है ।

यह कहकर उपासना शर्माती हुई शीशे की तरफ देखने लगी ।

शीशे में से आवाज आई - तू तो अभी बड़ी संस्कारी बहू बन रही थी । और अभी 1 मिनट में ही इतनी आग तेरे अंदर भर गई ।

Reply
05-01-2021, 11:32 AM,
#14
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
1 मिनट में ही तू बहू से रंडी में कन्वर्ट हो गई ।

1 मिनट में ही तेरी सूखी हुई चूत से समंदर बहने लग गया।

ऐसा सुनकर उपासना फिर लजा गई और कहने लगी शीशे में से अपने आप से ही ही कहने लगी कि मेरे बारे में इतना गंदा बोलने की जरूरत नहीं है ।

फिर अपने आप से ही कहने लगी कि यह तो बता दे आज ज्वेलरी कौन सी ब्रांड की पहनेगी।

शीशे से ऐसा सुनकर उपासना शीशे से कहने लगी कि किस ब्रांड कि मैं ज्वैलरी पहनूंगी । ब्रांड की जरूरत नहीं मुझे ।

Brand की जरूरत नही मुझे मैं खुद में ही हूं एक ब्रान्ड।

हर किसी की मैं ही हूं पहली और आखरी डिमांड ।।

ऐसा कह कर अपने ही मन में अपनी शायरी की तारीफ करती हुई उपासना अपने आप से बोली - चल अब शेरो शायरी ही करती रहेगी या अपनी चूत को भी चोदने के लिए सजाएगी ।

ऐसा कहकर शालिनी ने अपने कपड़े उतारे और वॉशरूम में नहाने चली गई ।अच्छे से गर्म और ठंडे दोनों तरह के पानी से उपासना खूब नहाने के बाद में निकली । अपने सारे बदन को तौलिए से पोंछ लिया ।

उसके बाद उसने अपने कमरे का गेट लॉक किया और करने लगी सजने की तैयारी।

अचानक उसके मन में पता नहीं क्या आया उसने पार्लर वाली को कॉल किया और पार्लर वाली से बोली ।

उपासना- मुझे आधे घंटे के लिए कोई पार्लर वाली बुक करना है ।

पार्लर वाली - जी आपके एड्रेस पर अभी 10 मिनट में पार्लर वाली पहुंच जाएगी ।

दोस्तों दरअसल बात यह थी कि उपासना आज खुद नहीं सजना चाहती थी। उपासना चाहती थी कि कोई उसे पूरी तरह से सजाए जिसे पूरी तरह से जानकारी हो। जिसे हर एक बारीक से बारीक चीज पता हो कि किस तरह से कहां पर क्या मेकअप करना है।

ऐसा सोचकर वह वेट करने लगी।

दोस्तों पार्लर वाली आ चुकी थी 10 मिनट बाद ।

पार्लर वाली - जी मैम बोलिये क्या मेकअप कराना है आपको है ।

उपासना बोली- मुझे अपना सीक्रेट मेकअप कराना है।

ऐसा सुनकर पार्लर वाली मुस्कुरा पड़ी और बोली ।

पार्लर वाली - जी मैम बिल्कुल बताइए ।

उपासना कहने लगी - मुझे ऊपर से नीचे तक पूरी सजना है। और उतना सजना है जितना कोई दुल्हन सजती हो ।

ऐसा कहकर उपासना दूसरी तरफ मुंह करके शर्माने लगी।

पार्लर वाली कोल्ड ड्रिंक पीते हुए कहने लगी जी मैम इस तरह सजा दूंगी कि आप खुद पर यकीन नहीं कर पाएंगे ।

दोनों ने अपनी जल्दी से कोल्ड ड्रिंक खत्म की और उपासना उसे नीचे वाले ग्राउंड फ्लोर पर लेकर गई। और जो कमरा सजा हुआ था उसको lock किया बाहर से। और दूसरे वाले कमरे में बैठकर सजने लगी।

दूसरे वाले कमरे में भी बेड और सोफे थे ।

पार्लर वाली लड़की ने सबसे पहले उपासना के पैरों की उंगलियों से लेकर उसके माथे तक नींबू रगड़ा कम से कम 10 निम्बू रगड़ने के बाद उसने उपासना से दोबारा नहाने को बोला ग्राउंड फ्लोर पर ही उपासना बाथरूम में जाकर पानी से नहा कर आ गई ।

उसने अपने शरीर को पोंछा और आकर फिर दोबारा वही बैठ गई ।

दोस्तों उपासना के शरीर से शरीर से हल्की-हल्की , भीनी भीनी बहुत ही खुशबूदार खुशबू आने लगी थी ।

(अब यह मत सोचना कि खुशबूदार खुशबू कैसी होती है ? दिमाग में कोई दूसरा वर्ड नहीं था तो मैंने यही लिख दिया ।)

उपासना अब बैठी हुई थी और पार्लर वाली उसके पीछे खड़ी हुई थी पार्लर वाली ने झुक कर उसके बालों को हेयर ड्रायर से सुखाया और सुखाने के बाद बालों को प्लेन किया और प्लेन करने के बाद उनका हल्का सा उनका जुड़ा बनाकर उसके सर पर रख दिया ।

उसके बाद उसने नेल पॉलिश निकाली और उपासना से पूछा कि किस तरह की नेल पॉलिश आप लगाना चाहेंगे ।

उपासना ने सोचा कि उसका जो सलवार है वह डार्क ब्लू कलर की सलवार है और पिंक कलर की कुर्ती है । तो उसने पिंक कलर प्रेफर किया ।

पार्लर वाली पिंक कलर से पैरों के नेल्स को नेल पॉलिश करने लगी ।

उसके बाद हाथों के नाखूनों पर भी पिंक कलर की नेल पॉलिश लगाई ।

उपासना ने अंगूठे वाले नाखून पर नेल पॉलिश नहीं कराई और उसने पार्लर वाली से कहा - एक हाथ के अंगूठे वाले नाखून पर रैड कलर से सेक्सी और दूसरे के नाखून पर कुतिया लिख दीजिये ।

यह सुनकर पार्लर वाली मुस्कुराते हुए बोली जी मैम आप चिंता ना करिए ।

मैं आपको इस तरह से सजा दूंगी कि अगर औरत इस तरह से सजेगी तो अपनी सजावट को पूरी रात उतरवायेगी।

यह सुनकर उपासना कहने लगी- मतलब क्या है तुम्हारा ?

पार्लर वाली मुस्कुराती हुई - छोड़िए ना मैडम हम आप को सजाने की ही बात कर रहे हैं ।और वैसे हमारी औकात ही क्या है , आप जैसे लोगों के सामने बोलने की।

यह सुनकर उपासना थोड़ा रिलैक्स हुई ।

अब पार्लर वाली ने घुंगरू निकाले और घुंघरू वाली पायल उसके दोनों पैरों में बांधे । घुंघरू वाली पायल इस तरह की थी कि जरा सब पैर हिलाने पर ही छन छन की आवाज होती थी ।

उसके बाद पार्लर वाली ने पैरों की उंगलियों पर दोनों पैरों में दो दो अंगूठियां पहना दी।

हाथ वाली उंगलियों में भी तो दो रिंग पहना दी जोकि प्योर डायमंड की थी।

उसके बाद उसने उसकी कलाइयों में सबसे पहले तीन सोने की चूड़ियां चढ़ाई दोनों हाथों में तीन-तीन सोने की चूड़ियां चढ़ा कर उसने फिर डिजाइन वाली डिजाइनर चूड़ियों को पहनाया। उसके बाद उसने डायमंड की दो चूड़ियां पहनाई और सबसे लास्ट में उसने तीन तीन रैड चूड़ियां पहनाई ।

इस तरह से उपासना की दोनों बांहों को कोहनी तक चूड़ियों से भर दिया गया ।

उसके बाद उसने उपासना के पैरों पर जहां घुंगरू बंधे हुए थे वहां पर एक काला धागा भी बांधा ।

उसके बाद उसने कानों में लंबे-लंबे कुंडल पहनाए जो की चूड़ियों के आकार की ही थे।

उसकी नाक की नथनी में भी बड़ी सी बाली पहनाई गई , वह नथनी चूड़ियों के आकार की तो नहीं थी लेकिन उनसे थोड़ी ही छोटी थी ।

उसके बाद उसने उसकी नाभि पर एक क्लिप लगाई उस में एक बाली थी। जो रिंग के आकार की थी ।

फिर उसने उपासना से कहा - मैडम जी आप अपने पैर फैला कर बैड पर लेट जाइए ।

यह सुनकर उपासना गुस्से में आकर बोली तुम्हारे कहने का मतलब क्या है ?

पार्लर वाली सुनकर मुस्कुराई और बोली कि चिंता मत कीजिए मार्केट में एक नया फैशन आया है तो मुझे आपकी सीक्रेट सजावट भी करनी पड़ेगी .

उसके लिए आपको ब्रा और पैंटी उतारने होंगे ।

उपासना शर्म तो कर रही थी उसके सामने नंगी होने में लेकिन उसने सोचा कि यह भी तो लड़की ही है क्या फर्क पड़ता है और सजना तो मुझे है ही फिर उसने ब्रा और पेंटी उतार कर एक तरफ रख दी और बेड पर टांगे फैला कर लेट गई ।

पार्लर वाली ने जैसे ही उसके निपल्स को देखा बूब्स को देखा तो हैरान रह गई कहने लगी मैडम आपके बूब्स तो बहुत ही ज्यादा खड़े हैं बिल्कुल भी लटकाव नजर नहीं आता , मानो अपने ऊपर गुरुर कर रहे हो।

फिर उसकी नजर जैसे ही उसकी चूत पर गई तो उसने मुंह पर ही हाथ रख लिया और कहने लगी हाय मैडम मैं अपनी जिंदगी में ऐसी रसीली चूत आज पहली बार देख रही हूं।

चूत तो मैंने बहुत देखी हैं लेकिन इतनी juicy चूत आज मैं पहली बार देख रही हूं ।

चूत की दोनों फांके बिल्कुल सटी हुई थी और नीचे छेद की तरफ हल्का सा खुली हुई दिख रही थी । जहां से देखकर लग रहा था कि यह रंडी बहुत सारा पानी छोड़ती है ।

उसके बाद उसने उसकी दोनों घुटनों को मोड़कर छाती से लगा दिया तो यह नजारा देखकर पार्लर वाली भी सोचने लगी कि काश मैं भी कोई लड़का होती ।

उसकी चूत इस तरह से फैलकर सामने आई कि जो चूत की फांके अभी तक सटी हुई थी वह थोड़ा खुल गई।

चूत के दाने को हल्का सा सहलाया पार्लर वाली ने तो उपासना सिसक उठी।

पार्लर वाली - मैडम जी थोड़ा दर्द होगा उपासना कहने लगी- पहले तू मुझे यह बता तू चूत के अंदर सजावट करेगी या बाहर ।

यह सुनकर हंस पड़ी पार्लर वाली और कहने लगी कि - मैडम जी मैं सजावट तो बाहर ही करूंगी लेकिन मुझे आपकी चूत पर बाली पहनानी होगी ।

यह सुनकर उपासना बड़ी खुश हुई और उसने कहा कि हां मैं थोड़ा सा दर्द सह लूंगी ।

पार्लर वाली ने कहा हमारे पास ऐसा जैल होता है जिससे दर्द तुरंत खत्म हो जाता है । जब कहीं पर किसी की नाक की नथनी में छेद किया जाए ,उसको छेदा जाए तो उस जैल को वहाँ लगाने से तुरंत दर्द खत्म हो जाता है ।

तीन-चार दिन का समय नहीं लगता है तुरंत की तुरंत ही दर्द खत्म हो जाता है। ऐसा लगता है जैसे कि बहुत दिनों पहले छिदवाए गए हो ।

आप चिंता ना कीजिए मैं तुम्हारे चुत के दाने को छेद कर उसमें वह जैल लगा दूंगी ।

उपासना खुश हुई और कहने लगी जो करना है जल्दी कीजिए ।

पार्लर वाली ने एक मशीन ली और उस मशीन से उसके चूत के दाने पर रखकर कटाक की आवाज से दाने को छेद दिया ।

यह सब इतना जल्दी हुआ जिसके लिए उपासना तैयार भी नहीं थी । और उपासना को इस तरीके का दर्द हुआ कि वह चीख भी ना सकी , चिल्ला भी ना सकी।

बस उसकी आंखों से आंसू गिर के बहने बहने लगे।

छेद होने के बाद में उसने जल्दी से मशीन को बाहर किया और फिर उस पर जैल लगा दिया ।

जैल लगने की दो-तीन मिनट बाद ही उपासना का दर्द बिल्कुल जड़ से खत्म हो गया । और उसे ऐसा कुछ महसूस ही नहीं हुआ कि जैसे भी 1 मिनट पहले उसके साथ ऐसा कुछ हुआ है ।

उपासना कहने लगी तूने तो मेरी जान ही निकाल दी और क्या-क्या करना पड़ेगा मुझे।

पार्लर वाले कहने लगी नहीं मैडम जी आप बेफिक्र रहिए हो गया बस । उसने चूत पर दोस्तों इस तरीके से बाली पहनाई कि वह वाली बाली चूड़ियों के आकार की थी। लेकिन वह इस तरह से डिजाइन की गई थी कि यदि उस बाली को पहनकर कोई चुदवाये तो लैंड उस बाली के अंदर होकर चूत में जाए यानी की चूत और लंड के बीच में बाली रहने वाली थी ।

लेकिन उपासना को कहां पता था कि यह सजावट उसकी किसी काम नहीं आएगी क्योंकि जिसका लंड वो लेने वाली है उसका लंड तो चूड़ी में आएगा ही नही लंड तो उससे भी मोटा है ।

खैर बाली पहना दी गई चूत पर उसके बाद पार्लर वाले ने जहां पर उसकी कमर में एक तागड़ी बांधी जो कि काले डोरे की ना होकर सोने की चैन की थी , और उस पर एक ताबीज था जो चूत के हल्का सा ऊपर तक लटकता था यानी कि जहां पर उपासना की झांट शुरू होती थी वहां पर वह ताबीज लटकता था ।

फिर उसने नैकलेस पहना दिया गले मे । जो बूब्स तक लटकता था । इसपर दिल का डिजाइन बना हुआ था और डिजाइन के बीच मे वाइट कलर से रंडी लिखा हुआ था ।

फिर उसने डार्क रैड कलर की liquid मैट लिपस्टिक लगाई जो दिखने में सूखी हुई नजर नही आती है ।

फिर पार्लर वाली ने आंखों के पलको पर हल्के हरे रंग से पलको को सजाया ।

पुरी तैयार हो चुकी थी उपासना की । सोलह श्रृंगार कर चुकी थी । अपने भोसड़े को पूरी तरह सजाकर तैयार हो चुकी थी।

काम खातन होंने के बाद उपासना पार्लर वाली से बिल कितना हो गया ये पूछने लगी ।

पार्लर वाली - मैम आप जैसे लोगो की सेवा करने का मौका मिला वही काफी है ।

उपासना ने फिर भी उसे पचास हजार का एक नोट देकर किया ।

दोस्तों वाली के जाने के बाद उपासना ने अपने कपड़े निकालें। जो उसने चुन्नी वाले कपड़े के बनवाए थे।

उसने वह सलवार निकाली और उसे पहनने लगी घुंगरू से उलझते उलझते सलवार को उसने ऊपर किया और फिर जैसे ही उसने सलवार ऊपर जांघों से ऊपर करने की कोशिश की तो वह सलवार जांघों पर नहीं चढ़ी ।

उपासना ने सोचा लगता है ज्यादा टाइट रह गई है और ऊपर से इसका कपड़ा भी इतना पतला है कि अगर जोर लगाया तो फट जाएगी, उपासना ने जैसे तैसे करके बैठकर एक एक सेंटीमीटर उस सलवार को ऊपर चढाया और तकरीबन आधे घंटे बाद में उस सलवार को ऊपर तक पहुंचाने में कामयाब हुई ।

अब आप समझ ही गए होंगे दोस्तों की सलवार उसके जिस्म पर किस तरह से फंसी पड़ी थी।

सलवार का नाडा कुछ इस तरह था कि दिखने में किसी गोल्डन चैन की तरह लग रहा था ।

उसने उस में हल्की सी गांठ लगाई और उसको बांध दिया।

नाड़ा बाहर की तरफ थोड़ा लटका हुआ छोड़ दिया ताकि कोई एक झटके से खिंचे तो खुल जाए ।

सलवार नाभि के इतने नीचे बांधी गयी कि झांटो के दो चार बाल दिख रहे थे गांठ के पास ।

उसके बाद उसने उसने कुर्ती को पहना लेकिन कुर्ती भी नहीं आ रही थी ।

तो उसने अचानक मन ही मन मुस्कुराते हुए कुर्ती को पहनने का डिसीजन बदल दिया ।

उसने उसके ऊपर एक शालिनी का टॉप पहना।

दोस्तों शालिनी और उपासना में बहुत फर्क था क्योंकि उपासना की शादी हो चुकी थी। उसकी चुचियों का फैलाव और उठान दोनों ही ज्यादा था शालीनी से ।

जिस वजह से शालिनी के कपड़े उपासना को आते ही नहीं थे लेकिन जैसे तैसे उसने एक पिंक कलर का टॉप सिलेक्ट किया और उसको फसाने लगी। बड़ी ही मशक्कत करने के बाद उसने पहना तो देखकर कि वह पहना ही नहीं है बल्कि फसाया गया है ।टॉप इस कदर टाइट था कि निप्पल भी साफ देखे जा सकते थे ।

नीचे उपासना ने कोई ब्रा नहीं पहनी थी और ना ही सलवार के नीचे कोई पेंटी पहनी थी ।

वह टॉप उसकी नाभि के ऊपर ही खत्म हो जाता था यानी कि पेट बिल्कुल नंगा देखा जा सकता था।

उसके बाद उसने अपने आप को शीशे में देखा तो देखकर शरमा गई। इतनी चुस्त सलवार और टॉप में फंसी हुई वह रंडी अपने आप से कहने लगी - कि जिस रंडी को अपने ऊपर फक्र हो एक बार आकर मुझे देखे और बताए कि रंडियां कैसी होती हैं ।

मैं हूं एक संस्कारी रंडी ऐसा कहकर उसने अपनी सलवार को देखा तो दोस्तों एक तो सलवार चुस्ती इतनी ज्यादा थी कि उसकी जांघों से चिपकी हुई थी बिल्कुल ऊपर से टाइट भी इतनी ज्यादा थी कि उसकी चूत का शेप बिल्कुल साफ देखा जा सकता था।

उनकी चूत की फांकों के बीच कि वह दरार आसानी से देखी जा सकती थी ।

यह देखकर शरमा गई उपासना ।

और उसके बाद उपासना ने दुपट्टा ले लिया दोस्तों सलवार और उस शॉर्ट टॉप में फंसी हुई वह घोड़ी ऐसी लग रही थी जैसे उसके छातियों के वजन से वह गिर ना जाए।

उसके छातियों पर उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कह रहे हो की है कोई इतना चौड़ा मुँह खोलने वाला जो हमें भर सके अपने मुंह में ।

ऊपर से उसने दुपट्टा ओढ़ा हुआ था तो बिल्कुल ही मादक और सस्ती रंडी को भी पीछे छोड़ने वाली रंडी नजर आ रही थी ।

अब चलते हैं दोस्तों दूसरी तरफ धर्मवीर जी अपने कमरे में बैठे हुए थे । 2 घंटे हो गए थे उन्हें अपने एक ही यार से बात करते हुए फोन पर । बहुत दिनों के बाद होशियार का फोन आया था ।

रात के 10:00 बज चुके थे धर्मवीर जी ने सोचा की दूध पीने का टाइम भी हो गया है और आरती अभी तक भी नहीं आई है ।

अपनी बहन की उन्हें चिंता होने लगी और ऐसा सोचते हुए उन्होंने आरती को कॉल लगाया ।

धर्मवेर - आरती तुम कहां हो ?

उधरआरती बड़े भैया का कॉल आते देख तेज धड़कनों से फोन उठाया ।

आरती - जी भैया ।

उधर से धर्मवीर बोला - आरती वो मैं इसलिए कॉल कर रहा था कि आप शाम को आने के लिए कह रही थी।

और अभी तक नहीं आई हो तो मैंने सोचा पूछ लेता हूं कि आप आओगे या नही ।

आरती - जी भैया मैं घर पर आने ही वाली थी लेकिन मेरी फ्रेंड मुझसे काफी जिद कर रही है रुकने को ।

और वह कह रही है कि सुबह चले जाना बहुत दिनों के बाद तो हम मिले हैं । तो मैं सोच रही थी कि मैं यहीं पर रुक जाऊं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर जी बोले- हां जैसा तुम चाहो , जैसा तुम्हें अच्छा लगे । आप कल आ जाना कोई बात नहीं। जब तुम्हारी फ्रेंड जिद कर कर ही रही है तो रुक जाओ एक दिन ।

ऐसा कहकर धर्मवीर ने कॉल रख दिया।

दोस्तों आरती आज घर नहीं आने वाली थी उसका आना कैंसिल हो चुका था और यह कैंसिल तब हुआ जब उपासना ने उसकी सहेली को मैसेज किया कि आरती आज घर नहीं आनी चाहिए ।

हां दोस्तों आप सही सोच रहे हैं उपासना ने ही आरती को आज घर से बाहर भेजा था अपनी सहेली के जरिये । और आरती या किसी और को इसकी भनक तक नही थी । उपासना का ही यह सारा प्लान था । आरती को घर से बाहर भेजना और उसे आज घर से बाहर ही रुकवाना ।

उपासना को तो यह पहले से ही पता था कि आज आरती नहीं आने वाली है अब धर्मवीर को भी पता चल चुका था कि आज आरती नहीं आने वाली है घर पर ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर नहीं सोचा कि दूध लाने के लिए बहू को फोन कर देता हूं लेकिन तभी अचानक उसने सोचा कि मैं भी बहुत देर से बैठा हुआ हूं इसी बहाने थोड़ा सा घूम भी लूंगा। मैं ही नीचे जाकर दूध पी लेता हूं ऐसा सोचते धर्मवीर लिफ्ट से नीचे की तरफ आने लगा ।

दोस्तों समय रात के 10:15 हो चुके थे और धर्मवीर नीचे किचन में गया और उसने दूध निकालकर वहीं खड़े-खड़े दो गिलास दूध पी लिया।

फिर वह गिलास को बर्तन साफ धोने वाली सिंक में डालकर ऊपर की तरफ जाने लगा अचानक उसने सोचा की उपासना बहू को भी देख लेते हैं क्या कर रही है ।

बहु बोर तो नहीं हो रही है अकेली ।

वह जैसे ही आरती के में जाने के लिए मुड़ा उसने देखा कि आरती का डोर बाहर से लॉक है।

एक शिकन उसके माथे पर आ गई । उसने सोचा इस टाइम बहू कहां जा सकती है। और वह भी बिना मुझे बताए । क्योंकि घर पर मैं अकेला था तो कम से कम मुझे तो बताना ही चाहिए था ।

यह सोचते हुए वह बेसमेंट में गया यह देखने के लिए की उपासना की गाड़ी है या गाड़ी लेकर वह कहीं गई है।

लेकिन बेसमेंट में आकर देखा तो उपासना की गाड़ी वहीं

पर खड़ी हुई थी ।

फिर वह वापस ऊपर की तरफ आने लगा अचानक उसने सोचा कि हो सकता है ग्राउंड फ्लोर पर कोई काम हो जिस वजह से वह ग्राउंड फ्लोर पर आई हो ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर ग्राउंड फ्लोर पर आ गया जैसे ही बैक ग्राउंड फ्लोर पर आया तो अचानक उसे एक कमरे से बहुत सारी रोशनी बाहर आती हुई दिखाई दी ।

वह सोचने लगा कितनी तेज रोशनी तो हमारे किसी भी कमरे में नहीं होती है आखिर यहां पर यह क्या चीज है ।

ऐसा सोचते हुए वह कमरे की तरफ जाने लगा कमरे की तरफ जैसे ही बह गया तो गेट पर सामने जाने से पहले उसने सोचा कि खिड़की में से ही देखा जाए ।

दोस्तों धर्मवीर ने जैसे ही खिड़की से अंदर की तरफ देखा तो अंदर का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

धर्मवीर को काटो तो खून नहीं इस तरह वाली हालत हो गई।

धर्मवीर का गुस्सा आठवें आसमान पर पहुंच गया , आठवें पर नहीं दसवें आसमान पर पहुंच गया।

और धर्मवीर की आंखें लाल पड़ गई सामने वाला मंजर देखकर।

धर्मवीर उस स्थिति में पहुंच गया जिस स्थिति में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है ।

जिस स्थिति में इंसान कोई भी एक्टिविटी नहीं कर पाता, ना वह हंस सकता है ना रो सकता है , ना बोल सकता है , ना पलक झपका सकता है ।

इस तरह की हालत धर्मवीर की हो चुकी थी क्योंकि सामने मंजर ही कुछ ऐसा था ।

अब सामने मंजर ऐसा था की उपासना कमरे में खड़ी हुई थी हल्का सा उसने घूंघट डाल रखा था । यानी कि उसके होंठ साफ दिखाई दे सकते थे । इस तरह से उसने घूंघट डाला हुआ था । और साइड से धर्मवीर को दिखाई पड़ रहा था। यानी कि साइड से उसकी ना ही गांड दिख रही थी और ना ही चूत । लेकिन साइड से ही देखकर गांड का पीछे की तरफ इतना निकलना उसे पागल कर गया।

धर्मवीर ने देखा कि चूतड़ों और जांघों के बीच में जो कट होता है , उसमें सलवार इतने अंदर तक घुसी हुई थी कि मानो जबरदस्ती करके पहनाई गई हो। ऊपर छोटा सा वो टॉप जिसमें से उसके बूब्स फ़टने को बाहर हो रहे थे । उसकी नाभि पर रिंग टाइप में बाली उसकी नाक पर एक बड़ी सी बाली लटक रही थी ।

चूड़ियों से भरे हुए दोनों हाथ और हाथों में एक थाली लेकर उपासना खड़ी थी । उस थाली में एक दिया जल रहा था।

और हल्दी और चावल टीका लगाने के लिए रखे हुए थे थाली में ।

नीचे घुटनों के नीचे ही वह सलवार खत्म हो जाती थी । क्योंकि शॉर्ट सलवार थी तो उसकी मेहंदी लगे हुए टांग देखकर शौक हो गया । धर्मवीर उसके पैरों में घुंघरू देखकर धर्मवीर को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था । उसके पैरों की सजावट इतनी ज्यादा सुंदर थी कि जैसे आजकल किसी दुल्हन का चेहरा । इस तरह से सजी हुई उपासना को देखा धर्मवीर ने । लेकिन दोस्तों आप सोच रहे होगे कि धर्मवीर की आंखें लाल क्यों पड़ी हुई थी गुस्से में ।धर्मवीर अपनी बहू को इस तरह देखकर गुस्से में क्यों हुआ ।

तो दोस्तों धर्मवीर का गुस्से में होना जायज था क्योंकि वह उसके परिवार की एकलौती बहू थी ।

घर की सारी संस्कृति, घर के सारे संस्कार ,घर की सारी मर्यादा , घर की सारी आदरणीय भावनाएं उस बहू से ही तो थी ।।

धर्मवीर का गुस्सा होना जायज था कि घर की इकलौती बहू इस तरह से सजधजकर दो कौड़ी के नौकर अनवर के सामने खड़ी थी । हां दोस्तो अनवर नौकर चार दिन के बाद आज आ चुका था ।

यह सब देखकर धर्मवीर के मुह से निकला -

मैं तो समझत था मेरी संस्कारी बहु लजीज है ,

मैं तो समझत था मेरी संस्कारी बहु लजीज है ,

पर भोसड़ी वाली तू तो बड़ी कुत्ती चीज है ।

********

प्रिय पाठकों कर दिया ना सस्पेंस create कहानी में ।

बोलो twist आया ना।

चुदाई होगी नेक्स्ट अपडेट में । दोस्तों क्योंकि मुझे दो-तीन घंटे लग जाएंगे और अब इतना मेरे पास टाइम नहीं है सो अगली अपडेट में धमाकेदार चुदाई होगी क्योकि स्टोरी की पहली चुदाई होगी । और वैसे भी सजने धजने में इतना टाइम लिया है उपासना ने तो चूत किस कदर हाल बेहाल होगी उसकी बस अब ये सोचिये ।

अपडेट कैसी लगी बताना जरूर और अपने छोटे भाई पर अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखना ।।
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05-01-2021, 11:33 AM, (This post was last modified: 05-01-2021, 11:34 AM by desiaks.)
#15
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 12

Hi dosto.

दोस्तों इस कहानी को पढ़ने के लिए और स्पोर्ट करने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।

और आप विश्वाश रखिये आपको इस कहानी में मजा आएगा

क्योकि -
आंखों में रखता हूँ मैं चूतों का नक्शा ,
मैं चलते फिरते टैलेंट का बक्सा ।
वादा करूं यारो जब उपासना की चूत में लंड जायेगा ,
तो आपका पढ़ने का मजा दोगुना हो जायेगा ।

चलिए कहानी को आगे बढ़ाते है ।

********

धर्मवीर गुस्से से पागल होकर देखे जा रहा था उपासना को।

उपासना चुप खड़ी हुई अपने नौकर अनवर के सामने ।

धर्मवीर आग लगा देना चाहता था अपने बंगले और अपनी इस शानोशौकत में जो उसने इतनी मेहनत के बाद हासिल की थी ।

तभी उपासना और अनवर के बीच बात शुरू हुई ।

अनवर अपनी कहानी बताने लगा ।

अनवर - भाभी जी जैसा आपने बताया कि डॉक्टर्स की रिपोर्ट में आया था कि राकेश कभी आपको माँ नही बना सकता और ये मैं भी देख रहा हूँ कि 3 साल हो गए आपकी शादी को ।

( प्रिय पाठकों ये राज की बात आज धर्मवीर चुपके चुपके सुन रहा था की उसका बेटा किसी लड़की को माँ नही बना सकता है ।)

अनवर कहने लगा इस घर की सेवा मेरे पिताजी ने बड़े ही तन मन से की थी और मैंने भी आपका नमक खाया है ।

मुझे मालकिन से भाभी जी कहने का हक दिया है अपने ।

आपके कहेअनुसार मैं गांव जाने का बहाना करके गया था उस बाबा के पास जिसका आपने address दिया था मुझे ।

अनवर आगे कहने लगा कि भाभी बाबा ने बताया है कि राकेश पर कोई भूत या प्रेत का साया नही है, राकेश के वीर्य में ही कमी है । ये कहता हुआ राकेश मुह फेरकर बात करने लगा । क्योकि उसकी हिम्मत नही हो रही थी क्योंकि उपासना उसकी मालकिन थी ।

उपासना कहने लगी - हां अनवर तुमने मुझे फोन पर यह सब बताया था ।

उपासना ने राकेश की रिपोर्ट चैक की थी जिसमे मेंशन था कि राकेश कभी बाप नही बन सकता । उपासना ने सोचा किसी पहुंचे हुए साधु बाबा से ही मदद ली जाए ।

टैब उसने अनवर को उस साधु बाबा के पास भेजा था ।

अनवर जब से मैने सुना है कि राकेश मुझे माँ नही बना सकता टैब से मैं परेशान हूं । सोचा कि अब यह वंश कैसे आगे बढ़ेगा ।

लेकिन तुमने मुझे फिर आगे बताया कि बाबा कह रहे हैं यदि मैं 2 साल के अंदर इस खानदान को वारिश नहीं दे पाई तो फिर दुनिया की कोई ताकत नहीं है जो इस वंश को आगे बढ़ा पाए ।

और यह वंश यहीं पर समाप्त हो जाएगा

जब से तुम्हारे मुंह से मैंने ऐसा सुना है मुझे खाना तक भी अच्छा नहीं लगा।

फिर मैंने फैसला किया कि यदि राकेश मुझे मां नहीं बना सकते और 2 साल मैं इस खानदान को वारिश नहीं दे पाई तो फिर मेरे इस घर में होने पर कलंक है । मुझे ऐसी बहू होने पर कलंक है । उसके बाद मैंने फैसला किया कि मैं वारिश दूंगी इस घर को । मैं एक प्यारा सा बच्चा दूंगी इस घर को ।

और मैंने फैसला किया कि मैं राकेश के साथ सोने की जगह किसी और के साथ सो जाऊंगी ।

लेकिन मेरी भी कोई मान मर्यादा है । मेरी भी कोई इज्जत है।

मेरी नजरों में इस खानदान की इज्जत है जो कि मेरी इज्जत से भी बढ़कर है । तो मैं इस तरह से किसी के सामने कैसे यह बात रख सकती हूं ।

इससे तो हमारे खानदान की नाक कटेगी ।

मैंने फैसला किया कि मैं यह इज्जत अपने घर में ही रखूंगी और मैं पापाजी से इस बारे में सहायता लूंगी।

लेकिन तुमने मुझे बोला कि भाभी आप पापाजी से बात से बात मत करना क्योंकि वह यह बात कभी सहन नहीं कर पाएंगे।

वह ऐसा सपने में भी नहीं सोच सकते हैं कि वह आपको मां बनाएंगे। यदि आप उनसे बात करोगी तो वह आप को घर से निकाल देंगे । वह आपकी बात पर विश्वास नहीं करेंगे।

तब मैंने फैसला किया यह बात अनवर तुम खुद करोगे पापाजी से।

तुम खुद उन्हें इस कमरे में भेजोगे ।तुम हमारे नौकर ही नहीं हमारे परिवार का एक सदस्य हो । वह सदस्य जिसे हमारे राज पता है। हमें तुम पर पूरा विश्वास है जाओ और पापाजी को भेज दो । पापाजी से कैसे तुम बात करोगे तुम जानो ।

मैं आज बाबूजी का इंतजार इस बेड पर बैठकर करूंगी ।

ऐसा कहकर उपासना की आंखों से आंसू आ गए और वह अपने आंसू पोंछते हुए एक तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

और अपने गुस्से से कहने लगी अनवर से कि जाओ अब तुम अपना काम करो । तुम्हें जिस तरह से पापाजी को बोलना है , जाओ और जाकर के बोलो। ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई ।

अनवर यह सुनकर रोने लगा और कहने लगा की भाभी बाबू जी क्या करेंगे ज्यादा से ज्यादा मुझे घर से निकाल देंगे, ज्यादा से ज्यादा मुझे पीट लेंगे , लेकिन मैं इस घर को बचाने के लिए पिट लूंगा , बेघर हो जाऊंगा लेकिन इस घर पर आंच नही आने दूंगा । ।

मैं जा रहा हूं बाबू जी से मिलने जैसे ही धर्मवीर ने यह सुना उसका सारा गुस्सा शांत हो गया। मानो उसे गुस्सा तो 3 साल से आया ही नहीं है ।

उसके चेहरे पर अब कोई शिकन नहीं थी वह बस मौन था।

बिल्कुल शांत था ।

ऐसा सुनते ही धर्मवीर जल्दी से अपने कदम सीढ़ियों की तरफ बढ़ाता हुआ अपने कमरे में जाकर बैठ गया । क्योंकि उसे पता था अब अनवर उसके पास आने वाला है उसे क्या रिएक्ट करना है कैसे रिएक्ट करना है यही मैं सोच रहा था।

5 मिनट के बाद अनवर लिफ्ट से तीसरे फ्लोर पर पहुंच चुका था ।

उसके हाथों में दूध का गिलास था वह धर्मवीर जी के कमरे में जाकर सर झुका कर कहने लगा - बाबू जी नमस्ते उसने आगे बढ़कर धर्मवीर के पैर छुए ।

धर्मवीर को पता नहीं कैसे उस पर इतना अपनापन लगा कि धर्मवीर ने अपना हाथ बड़े प्यार से उसके सर पर रखा और उसे आशीर्वाद दिया।

उसके बाद धर्मवीर कहने लगा रहे हैं अनवर तुम कब आए धर्मवीर ऐसा कहते हुए चौक गया जैसे उसे कुछ पता ही ना हो ।

अनवर कहने लगा - बाबूजी मैं अभी 1 घंटे पहले ही आया हूं।

मैं नीचे था माँ ने कुछ सामान दिया था वह सामान निकाल रहा था। मैंने सोचा कि बाबूजी के दूध पीने का टाइम हो गया है तो मैं दूध देकर आ जाता हूं ।

धर्मवीर बोले हां दूध रख दो वैसे मैं दूध पी चुका हूं।

फिर अनवर कहने लगा बाबूजी आप से मुझे कुछ बात करनी थी ।

धर्मवीर ,- हां बोलो अनवर कहने लगा.।

अनवर - बाबूजी बात कुछ इस तरह है -------

(प्रिय पाठकों अनवर ने अपने और उपासना के बीच हुई सारी बातें धर्मवीर को बता दी )

धर्मवीर ने यह सुनकर मन ही मन सोचा इतना वफादार नौकर भगवान सबको दे ।

धर्मवीर कहने लगा की अनवर - हमें तो यकीन ही नहीं होता कि पता नहीं किस बात की सजा हमें मिली है , यह क्या संकट, क्या मुसीबतों का पहाड़ हमारे घर पर टूट गया है ।सुनो तुम इस बारे में राकेश को कुछ भनक नहीं लगने देना । रही बात मेरे बहू के पास सोने की की तो मैं जाऊंगा तुम चिंता ना करो । मैं इस खानदान को वारिश दूंगा।

ऐसा कहकर धर्मवीर ने एक बार कड़क आवाज में कहा कि यह राज ही रहना चाहिए जाओ और जाकर सो जाओ।

और तुम आज तीसरे फ्लोर पर ही गेस्ट रूम में सो जाना यह सुनकर अनवर धर्मवीर की तरफ देखने लगा। लेकिन धर्मवीर की लाल आंखों को देखकर वह डर गया और सर झुका कर जी बाबू जी बोलते हुए चला गया ।

धर्मवीर सोचने लगा हे भगवान मैं तो अपनी बहन के ही सपने देख रहा था मैने तो सोचा भी नही था कि यह कोहिनूर का खजाना भी मेरी राह देख रहा होगा।

लेकिन भगवान को कोसने लगा और कहने लगा कि यदि ऐसा कोई प्रोग्राम था तो पहले से बताया होता क्योंकि मुझे भी तो तैयार होने में थोड़ा समय लगता है ।

दोस्तों जल्दी से धर्मवीर अपने बाथरूम में गया उसने वहां जाकर अपने लंड को देखा उसका लंड राकेश से बड़ा था।

वह सोया हुआ लंड ही कम से कम 7 इंच का नजर आता था । और खड़ा होने के बाद वह 12 से 13 इंच का हो जाता था । और उसकी मोटाई हाथ की कलाई के बराबर मोटा था

यह देखकर अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा धर्मवीर उसने अपनी ज्यादा लंबी बढ़ी हुई झांटों को छोटा किया।

और गर्म पानी से नहाया , नहाने के बाद वह निकला और उसने अपने शरीर पर इत्र लगाया । इत्र लगाने के बाद हल्की-हल्की खुशबू धर्मवीर के जिस्म से आने लगी थी।

लेकिन उसने सोचा कि वह बहू को कैसे फेस कर पाएगा और कैसे बहू उसको फेस कर पायेगी ।

यह सोचते ही उसने सोचा कि क्यों ना बहू को पहले कॉल कर लिया जाए ऐसा सोचते हुए उसने उपासना को फोन लगाया उपासना ने जैसे ही अपने मोबाइल पर धर्मवीर जी का कॉल आते हुए देखा तो उसकी धड़कन तेज हो गई।

उसने सोचा कि हे भगवान पता नहीं क्या हो गया क्योंकि ससुर जी आने की जगह मुझे फोन क्यों कर रहे हैं ।

पापा जरूर गुस्सा होंगे ऐसे सोचते हुए उसने फोन उठाया और कुछ बोली नहीं । बस फोन उठाकर अपने कान पर लगा लिया ।

उधर से धर्मवीर धीमी आवाज में बोला । उपासना ने यह धीमी आवाज सुनकर थोड़ा दिल को तसल्ली दी और कहने लगी - जी पापा जी ।

धर्मवीर - उपासना बेटा मुझे दूध पीना था ।

धर्मवीर के इस अटपटे सवाल से चौक पर हैरान रह गई उपासना । वह समझ नहीं पाई कि अनवर ने उसे कुछ बताया है या नहीं ।

ऐसा सोचते हुए उपासना कहने लगी -जी पापा जी अनवर आ गया है मैं बोल देती हूं उसको ।

यह बात तो धर्मवीर को उल्टा ही पड़ी।

धर्मवीर- मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी है बहू तुम ऊपर आ जाओ ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी पापा जी मैं ऊपर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं है माफी चाहती हूं।

मना करने की हिम्मत बड़ी ही मुश्किल से जुटा पाई । { उपासना अब धर्मवीर को कैसे बताती कि वह सजी सजाई नीचे फर्स्ट फ्लोर पर बैठी हुई है। और ऊपर आने के लिए उसे चलकर आना पड़ेगा और उसके कपड़े ऐसे नहीं है कि वह चल कर आ सके क्योंकि सलवार उसे चलने ही नहीं देगी ।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से धर्मवीर बोला की बहू ठीक है तुम आराम करो मैं तुम्हारे पास आ जाता हूं ।

ऐसा सुनकर उपासना नहीं फोन पर ही एक गहरी सांस ली जो कि साफ-साफ सुनाई दी धर्मवीर को ।
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05-01-2021, 11:34 AM,
#16
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
धर्मवीर बोला क्या हुआ उपासना कहने लगी कुछ नहीं पापा जी आप आ सकते हैं ।

नीचे फ्लोर पर आकर धर्मवीर ने उपासना को फिर से कॉल किया ।

उपासना ने फोन उठाया - जी पापा जी।

इतना ही बोल पाई उपासना ।

धर्मवीर - उपासना बेटा तुम तो हो ही नहीं अपने कमरे में । तुम्हारा कमरा तो बाहर से लॉक है फिर तुम कहां पर हो।

यह सुनकर उपासना मन ही मन में अनवर पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी कि कुत्ते मरवाएगा मुझे आज ।

बता नहीं सकता था पापाजी को जाकर। पापाजी को तो कुछ पता ही नहीं है ,और अगर उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया , बिना यह जाने कि मैं आज क्यों सजी हूं , तो अनर्थ ही हो जाएगा ।

उपासना ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक उसके मुंह से निकला पापाजी- आप अनवर से पूछ लीजिये ।

अचानक उसके मुंह से इतना जल्दी निकला कि वह बिना सोचे समझे बोल गई

ऐसा सुनकर धर्मवीर धर्मवीर कहने लगा कि बहू - इसमे अनवर का क्या सीन है , तुम मुझे भी तो बता सकती हो, बताओ तुम कहां हो ।

यह सुनकर उपासना की हिम्मत नहीं हुई बताने की।

उपासना फोन पर हल्की सी मायूस और रोने जैसी आवाज से बोली - पापाजी आप प्लीज एक बार अनवर से मिल लीजिए ।

ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई तो धर्मवीर कहने लगा कि बेटा अनवर से तो मैं मिल हूं ।

और उसने मुझे बताया भी है लेकिन मैं तुमसे भी तो कुछ सुनना चाहता हूं ।

यह सुनकर उपासना का दिल धड़कने लगा और छाती ऊपर नीचे होने लगी सांसो से, मन में सोचने लगी कि हे भगवान यह बुड्ढा चाहता है कि मैं खुद इसे बोलूं कि आकर अपनी बहू को चोद दे । कोई बहू ऐसे कैसे बोल सकती है।

उपासना - पापाजी मैं नहीं बोल पाऊंगी ।

धर्मवीर - जब तुम बोल ही नहीं पाओगी तो मैं यकीनन कह सकता हूं कि तुम कर भी नहीं पाओगी।

और जब तुम कर ही नहीं पाओगी तो मेरे आने से क्या फायदा। इस कलंक को मैं क्यों लगाऊ जब तुम ही इसमें रजामंद नहीं हो ।

यह सुनकर उपासना बोली - पापा जी ऐसा नहीं है, मैं उसी की तैयारियां करके बैठी हूं । अब आपको जो करना है आप कीजिए ।

धर्मवीर - बहू वह तो हमें करना ही पड़ेगा। लेकिन मैं सुनना चाहता हूं कि तुम कहां हो ।

उपासना - पापाजी मैं नीचे वाले फ्लोर पर कमरे में हूं।

धर्मवीर - तुमने नीचे वाला फ्लोर इसलिए चुना ताकि तुम्हारी चीखने की आवाजें किसी को ना सुनाई दे सकें ना सुनाई दे सकें ।

दरअसल पाठकों धर्मवीर उपासना को थोड़ा खोल लेना चाहता था ,, ताकि वह खुल कर बोल सके ।

उपासना - पापा जी आप आ जाइए।

धर्मवीर बोला मैं क्यों आ जाऊं ।

उपासना -0यदि आप सुनना ही चाहते हैं मेरे मुंह से तो लीजिए मैं कह देती हूं आ जाइए आपकी बहू सजधजकर आपका इंतजार कर रही है।

ऐसा कहकर उपासना नहीं फोन रख दिया । धर्मवीर का तो मानो लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को हो गया।

और धर्मवीर ने फोन को चूमते हुए नीचे की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये ।

जैसे ही धर्मवीर नीचे फ्लोर पर आकर कमरे में घुसने लगा ।

उपासना कमरे में दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।

उपासना का पिछवाड़ा धर्मवीर की ओर था ।

धर्मवीर वहीं खड़ा होकर उपासना को निहारने लगा और सोचने लगा कि इस सलवार में बहू की जवानी चुप ही नहीं रही है ।। क्या किस्मत है मेरे बेटे राकेश की जो उसे इतनी गदरायी हुई जवानी मिली है ।

मुझे तो लगता है कि राकेश संभाल भी नहीं पाता होगा उपासना को ।

ऐसा सोचते हुए उसकी नजर उसकी जांघो पर पड़ी जो सलवार में बुरी तरह फंसी हुई थी ।

और सलवार भी कुछ अजीब सी लगी धर्मवीर को क्योंकि वह दुपट्टे वाले कपड़े की थी ।

उसके बाल जुड़े में बंधे हुए उसके सर पर थे ,

कमर साफ दिख रही थी क्योंकि टॉप भी छोटा था इस रूप को देखकर धर्मवीर अपनी आंखें जब झपकाना ही भूल गया था ।

धर्मवीर ने अपने लंड पर हाथ ले जाकर उसे एडजस्ट किया पैंट में और आगे बढ़ने लगा जैसे ही धर्मवीर उपासना के पीछे पहुंचा ,उपासना की जिस्म की खुशबू धर्मवीर की नाक के नथुनों में भर गई । उसकी खुशबू उसे पागल कर गई।

उधर जैसे ही उपासना ने मैंने महसूस किया उसका ससुर उसके पीछे खड़ा है, इस हालत में तो वह शर्म से गढ़ी मरी जा रही थी।

धर्मवीर ने अपना चेहरा उपासना की पीछे गर्दन पर रखा, और एक लंबी सांस खींची ऐसा करते ही उपासना की छातियां ऊपर नीचे की तरफ उठान मारने लगी।

उसकी सांसें तेज हो चली थी क्योंकि उसे शर्म ही इतनी ज्यादा आ रही थी।

अपने पिछवाड़े को ससुर की तरफ निकाले हुए वह किसी मादरजात रंडी से कम नहीं लग रही थी ।

धर्मवीर ने उसकी गर्दन को सूंघा और लंबी सांस खींचकर अपनी सांस छोड़ी ।

फिर धर्मवीर अपना हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रखा ।

कंधे पर धर्मवीर के हाथ का स्पर्श पाते ही उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी।

धर्मवीर ने कहा बहू आपका यह रूप देखकर हमें यकीन नहीं हो रहा है कि आपने इतना सब कुछ हमारे लिए किया।

पहली बार बोला था धरम वीर जब से कमरे में आया था।

ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से कोई बोल ही नहीं निकल रहा था ।

वह बस इतना ही बोल पाई - जी पापा जी ।

धर्मवीर ने ऐसा सुन तो सोचने लगा कि बहू खुलने में बहुत टाइम लेगी ।

वह आगे बढ़ा और जैसा ही हल्का आगे बढ़ा ।उपासना की भारी-भरकम गांड उसके लंड से टच हो गयी।

स्पर्श को पाते ही उपासना थोड़ी आगे हो गयी।

उपासना के इस तरह के नखरीले स्वभाव को देखकर धर्मवीर सोचने लगा। कि आज तेरे अंदर की रंडी ना जगाई तो मैं भी धर्मवीर नहीं ।

धर्मवीर ने अपने दोनों हाथ आगे की तरफ लंबे किए ।

उपासना की दोनों बाजुओं को पकड़कर धर्मवीर ने अपनी तरफ इतनी तेज खींचा । इस तरह झटका मारा कि जिसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी ।

उपासना की गांड एकदम धर्मवीर के लंड से टकरा गई और धर्मवीर ने अपना चेहरा उसकी गर्दन के साइड में कंधे पर रख दिया ।।

उपासना जब एक साथ झटके सो पीछे को धर्मवीर से जाकर टकराई तो कमरे में एक साथ छन छन की आवाज हुई ।

उपासना की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की आवाज से धर्मवीर को पागलपन छा गया ।

उसने अपने हाथ आगे ले जाकर उसके पेट पर रखें। जैसे ही पेट पर हाथ रखे तो उसकी नाभि में लगी हुई बाली धर्मवीर की उंगलियों से टकरा गई ।

धर्मवीर ने धीरे से कहा कि आज तो मेरी बहू लगता है पैरों से लेकर सिर तक सजी है ।

उपासना सुनकर शरमा गई और कहने लगी यह क्या कर रहे हैं पापाजी आप ।

धर्मवीर को उपासना का यह नाटक बिल्कुल भी पसंद नहीं आया धर्मवीर बोल उठा कि मैं क्या कर रहा हूं तुम मुझसे पूछ रही हो। मुझे अभी 20 मिनट पहले पता चला है और तुम इस बैड पर अपनी जवानी को पूरी रात जी भर के पिलवाने के लिए सुबह से तैयारियां कर रही हो, और तुम मुझसे पूछ रही हो कि मैं क्या कर रहा हूं ।

उपासना ऐसा सुनकर एक एक गहरी सांस ली और चुप रही।

धर्मवीर ने उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उपासना से पूछा कि तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ।

उपासना कहने लगी आज सुबह ही मुझे पता चला इस बारे में फिर कभी बताऊंगी । ऐसा कहकर उपासना अपने आप को छुड़ाकर रूम से बाहर जाने लगी दोस्तों कपड़ों की वजह से उपासना चल भी नहीं पा रही थी । और चलते हुए उसके हाथों की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की छन छन छन छन की आवाज आ रही थी। सलवार की वजह से उपासना बहुत ही धीरे धीरे चल पा रही थी और उपासना ने चूत पर भी एक बाली लगाई हुई थी जिस वजह से उसे चलने में परेशानी हो रही थी ।

वह धीरे-धीरे कि आगे कदम बढ़ा पा रही थी ।उपासना निकल गई रूम से ।

उधर उपासना की गांड की थिरकन देख कर धर्मवीर को आज पता चला कि किसी की गांड इतनी भी मटक सकती है । क्योंकि उपासना की दोनों चूतड़ बारी-बारी से ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ समय बाद उपासना कमरे में आई और इस बार उसके हाथ में बड़ी सी थाली थी उसमें चारों तरफ दिए लगे हुए थे । उपासना धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी दोस्तों चेहरे पर घूंघट लेकिन नीचे उसके पेट पर लगी वह बाली , उसकी टॉप फाड़ कर बाहर आने वाली छातियां देखकर धर्मवीर से सबर नहीं हो रहा था ।

धर्मवीर की नजर उसकी जांघों पर पड़ी तो उसकी सांसे रुक गयीं क्योंकि उपासना की चूत का शेप उस सलवार से साफ पता लग रहा था। देख कर ही धर्मवीर समझ गया था की उपासना की चूत कितनी भरी हुई और रसीली होगी । वह उसकी चूत को छूने की कल्पना करके ही सिहर उठा।

उपासना धीरे धीरे चल कर उसके पास आई और आकर उसके पैर छुए और बस इतना ही बोल पाई कि आज मैं आपको आज की रात में अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं ।

धर्मवीर ने उपासना के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर उठाया और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मेट लिपस्टिक को देखकर अपनो जीभ होंठो पर फेरता हुआ कहने लगा कि मैं आज तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं।

लेकिन केवल इसी पल क्योंकि इसके आगे आने वाले पल में तुम मेरे बिस्तर पर मेरी बहू रंडी बन जाओगी।

ऐसा सुनकर उपासना बुरी तरह से शरमा गई और चेहरा तो धर्मवीर को दिखाई नहीं दिया लेकिन उपासना की होठों पर आई मुस्कुराहट यह सब बयान कर गई ।

धर्मवीर ने सोफे पर बैठते हुए कहा कि मैं चाहता हूं मेरी पत्नी मेरी गोद में आकर बैठे ।

ऐसा सुनते ही उपासना ने ने धीरे-धीरे धर्मवीर की तरफ चलना शुरू किया और उसके सामने जाकर उसकी तरफ पिछवाड़ा करके धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी ।

दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने इतना नजदीक से जब उपासना का पिछवाड़ा देखा तो उसकी आंखें फैल गई। क्योंकि उन कूल्हों पर जो चर्बी चढ़ी हुई थी वह बयान कर रही थी कि उन्हें बेरहमी से कोई ठोकने वाला मिले । उसकी गांड के छेद को उसकी गांड के अनुसार ही चौड़ा करने वाला उसे आज मिल चुका था ।

और जैसे ही उपासना धर्मवीर की गोद में बैठी उसके भारी-भरकम चूतड़ों की गर्माहट उसके लंड तक चली गई।

उपासना ने भी भी यह महसूस किया की धर्मवीर का लंड खड़ा है और उपासना चुपचाप बैठी रही ।

धर्मवीर मन में सोचा की बहू को थोड़ा खुल कर बोलना चाहिए इसे थोड़ी सी बेशर्म होना चाहिए ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर कहने लगा मैंने सोचा भी नहीं

था कि कोई बहू अपने ससुर के लोड़े पर इस तरह बैठेगी।

यह सुनकर उपासना शरमाते हुए धीरे से कहने लगी कि मैं केवल अपने ससुर की गोद में बैठी हूं और कहीं नहीं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर बोला तो जल्दी किस बात की है लोड़े पर भी बिठा ही लेंगे ।

उपासना ऐसा सुनकर बोली- पापा जी ऐसा मत बोलिए ।

धर्मवीर बोला क्यों तुम पूरी तैयारी कर चुकी हो और अब मेरे लंड पर भी अपनी गांड रख कर बैठी हो और तुम कह रही हो मैं बोलूं ना ।

मैं तो आज तुम्हारी इस जवानी को चमेली के फूल की तरह खिला दूंगा मेरी जान ।

ऐसा सुनकर उपासना शर्मा उठी ।

फिर धर्मवीर ने उसके कंधों को पकड़कर उसे अपनी एक बाजू पर लिटाया और कहने लगा कि अपनी बहू का चेहरा तो देख लूं। बहू के चेहरे को देखने के लिए घूंघट को उठाने लगा ।

जैसे ही उसने घूंघट उठाया उपासना ने अपनी आंखें बंद कर ले दोस्तों नजारा कुछ ऐसा था की उपासना उसकी गोद में लेटी हुई थी अपनी आंखें बंद किए हुए।

और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मैट लिपस्टिक जैसे ही देखी धर्मवीर पागल हो उठा ।

उसके चेहरे की सजावट देखकर धर्मवीर से रहा ना गया।

उसके गालों की लाली देखकर धर्मवीर कहने लगा कि तुझे असली लंडधारी मर्द आज मिला है ।

ऐसा सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेज मींच लीं ।

फिर धर्मवीर ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चेहरे की चेहरे की तरफ बढ़ाया और जैसे ही धर्मवीर की सांसें उपासना के चेहरे पर महसूस हुई उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी । शर्म से उसकी आंखें बंद थी और हाथों की मुट्ठियाँ पूरी जान लगाकर उसने भींची हुई थी ।

फिर धर्मवीर उसकी नाक से अपनी नाक को टच करता हुआ बोला कि जब तक तुम आंखें नहीं खोलोगी मैं तुम्हारे इन लबों पर अपने होठों को नहीं रख सकता।

उपासना को इसकी उम्मीद नहीं थी वह सोच रही थी कैसे अपने ससुर के होठों को चूसते हुए वह देखेगी ।

वह नजर किस तरह मिला पाएगी उपासना ने धीरे से बोला पापाजी मुझ में हिम्मत नहीं है ।

जब इतनी पास से उपासना बोली तो धर्मवीर को उसके मुंह की सुगंध और उसकी सांसे धर्मवीर के मुंह में भर गई ।

धर्मवीर ने बोला यदि आज तुम्हें चुदना है तो आंखें तो खोलनी पड़ेगी ।

ऐसा सुनकर उपासना ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली

अपनी आंखें जैसे ही उसने खोली उसकी नजर धर्मवीर की निगाहों से टकरा गई । दोनों एक दूसरे दूसरे की आंखों में देख रहे थे ।

उपासना की आंखों में देखते हुए धर्मवीर को ऐसा लगा जैसे बहू कह रही है कि उसे जी भर के प्यार करो ।

धर्मवीर ने कहा कि तुम्हारी नजरें कह रही है कि मेरे होठों को जी भर के चूसो।

उपासना बहुत ही धीरे से कह पायी- रोका किसने है बस इतना कह कर वह उसकी नजरों में देखने लगी।

फिर धर्मवीर ने अपने होठों को उसके होठों से लगा दिया जैसे ही दोनों के होठों का मिलन हुआ उपासना के अंदर सुरसुरी दौड़ गई ।

धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोल कर उसके दोनों होठों को मुंह में भर लिया ।

उपासना तो मानो पूरी गरमा गई । और उसके मुह से सिसकारी निकल गई sseeeeeesss.

फिर धर्मवीर ने इंतजार किया उसके होंठ थोड़े खुलने का और जैसे ही उपासना ने अपने होठों को थोड़ा सा खोला धर्मवीर ने उसके ऊपर वाले हॉट को मुंह में भर लिया और चूसने लगा अब धर्मवीर का नीचे वाला हॉट उपासना के मुंह में था ।

उपासना ने सोचा की शुरुआत तो ससुर जी ने कर ही दी है तो मुझे भी थोड़ा उनका साथ देना चाहिए । ऐसा सोचते हुए उसने अपने मुंह के अंदर से अपनी जीएफ को ससुर के नीचे वाले हॉट पर चलाने लगी ।धर्मवीर को यह बहुत ही मादक लगा ।

उसने बारी-बारी से उसके दोनों दोनों होठों को चूसना स्टार्ट कर दिया ।होठों की चुसाई के बाद जैसे ही धर्मवीर ने अपना चेहरा हटाया तो उपासना कहने लगी कि तुम्हारे होठों पर लिपस्टिक लग गई है ।

धर्मवीर ने देखा उपासना की लिपस्टिक उपासना होठों के चारों तरफ भी फैल गई है ।

फिर उसने उसके गालों को मुंह में भरकर चूसा और उपासना से कहा कि मेरी जान बिस्तर पर चलें ।

उपासना धीरे से खड़े होने लगी तो धर्मवीर ने उसकी बाजू को पकड़ लिया और बैठे-बैठे ही उपासना के चूतड़ों पर ग्रेट जोरदार थप्पड़ मारा ।

इसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी।

और उपासना के मुंह आउच की तेज आवाज निकल गई।

जैसे ही उपासना की गदरायी हुई गांड पर थप्पड़ पड़ा तो उपासना की गांड पूरी हिल गई ।

और धर्मवीर उपासना की गांड के हिलता देखकर कहने लगा आज मेरी जान के भारी भरकम चूतड़ों को अपने गालों से जी भर कर सहलाऊंगा।

उपासना यह सुनकर गर्म होती जा रही थी ।

धर्मवीर खड़ा हो गया उपासना जैसे ही हल्की सी आगे को चलने लगी एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर फिर पड़ा।

फिर से उसके मुंह से आउच की आवाज निकली ।

इस बार उपासना ने धीरे से कहा पापाजी आप मुझे पीटने आए हैं या प्यार करने ।

यह सुनकर हल्का सा मुस्कुराते हुए धर्मवीर बोला- तू कभी पिटते हुए नहीं चुदी है आज मेरी जान तुझे पीटते हुए चोदूंगा और इतनी गहराई तक चोदूंगा कि एक साथ दो दो बच्चे पैदा होंगे ।

यह सुनकर शर्मा गई उपासना और उपासना ने जैसे ही अपना घुटना बेड पर रखना चाहा धर्मवीर ने उसे रोक दिया और कहा कि यह कपड़े पहन कर बिस्तर पर जाओगी क्या।

उपासना कहने लगी बाबूजी लाइट्स ऑफ कर दीजिए।

धर्मवीर यह सुनकर गुस्सा करते हुए बोला की तुम मुझे ऊपर से ही प्यार जता रही हो दिल से तुम मुझे नहीं चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ यह सब करूं ।

उपासना यह सुनकर कहने लगी पापाजी ऐसा नहीं है यदि आप नहीं ऑफ करना चाहते हैं तो कोई बात नहीं।

मैं समझ रही हूं कि आप मुझे नंगी देखना चाहते हैं ।

लीजिये कर लीजिए अपनी दिल की पूरी।

उपासना ऐसा कहकर उसके सामने खड़ी हो गई दुपट्टे को पहले ही फेंक चुका था धर्मवीर उसके सर से निकालकर। अब उपासना टॉप और सलवार में फंसी हुई उसके आगे खड़ी थी ।

उपासना को अपनी तरफ घुमा कर धर्मवीर ने गले से लगाया और उसकी कमर पर अपने हाथ फेरने लगा ।

उपासना ने भी बड़े प्यार से अपने ससुर की छाती पर अपना चेहरा रखा और खड़ी हो गई उसकी बाहों में ।

धर्मवीर पीछे कमर से हाथ नीचे गांड पर ले गया और उसके चूतड़ों को अपने हाथों से हल्का सा दबाया ।

उपासना उसकी छाती से लगी हुई सिसकारी ले गई ।

फिर धर्मवीर ने उपासना की चूतड़ों पर दोनों हाथों से बारी-बारी 4, 5 थप्पड़ मारे और यह थप्पड़ इतनी तेज थी कि पटपट की आवाज पूरे कमरे में गूंज गई।

आउच आउच करती रही वह चुदक्कड़ घोड़ी ।

फिर धर्मवीर ने उसको घुमाया और उसकी गांड के पीछे खड़ा होकर उसकी छातियों पर अपने हाथ ले गया।

धर्मवीर ने जैसे ही उपासना की चुचियों को अपने हाथों में भरा तो वह हैरान रह गया क्योंकि उसकी चूचियां उसके हाथों में आ ही नहीं रही थी ।

धर्मवीर कहने लगा की उपासना बहू, मेरी संस्कारी बहु तुझे तो मेरे जैसे लंड की ही जरूरत है ।

उपासना के मुंह से आह निकल गई और धर्मवीर ने उसकी चुचियों को अपनी पूरी ताकत लगा कर भींचा । उपासना के मुंह से जोरदार चीख निकली।

फिर धर्मवीर ने उपासना के टॉप को आगे से पकड़ा और इतना जोरदार झटका मारा कि पूरा का पूरा टॉप फाड़ कर अलग कर दिया और उपासना की चूचियां आजाद होकर ऐसे खुल गई जैसे दो बड़े-बड़े पपीते हो ।

उन पपीतों को अपने हाथ से मसला धर्मवीर ने जी भरकर।

और फिर उसने उसको घुमा कर अपनी तरफ घुमाया तो वह देखता ही रह गया चूचियां तन कर खड़ी थी।

और उन चूचियों के निप्पल की चारों तरफ मेहंदी से बना हुआ वह सर्कल ।

धर्मवीर ने दोनों चूचियों को अपने हाथों में भर लिया फिर उपासना की गर्दन पर चुंबन करते हुए अपने हाथ उपासना की भारी भरकम गांड पर ले गया और उसने उसकी सलवार में एक छेद करते हुए चर्र चर्र की आवाज से वह सलवार फाड़ दी जैसे ही सलवार फ़टी उसके चूतड़ बाहर निकलकर अपने पूरे फैलाव में आ गए ।

ऐसी चौड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए अपनी किस्मत पर नाज करने लगा धर्मवीर ।

और उन चूतड़ों पर जोरदार थप्पड़ों की बरसात कर दी ।

उपासना की सांसे चलने लगी लगी थी उधर धर्मवीर की सांसे भी तेज हो गई थी । और उसने उपासना की गांड के पीछे बैठकर उसकी सलवार को पूरी फाड़ दिया अब उपासना मादरजात नंगी खड़ी थी धर्मवीर के आगे।

उसने उपासना की के दोनों चूतड़ों को हाथों से चौड़ा किया और उसमें अपना मुंह रखकर एक लंबी सांस खींची ।

यह बर्दाश्त ना कर सकी उपासना और उपासना ने ने अपने हाथ पीछे ले जाकर धर्मवीर के सर को अपनी गांड पर दबा लिया।

उसकी गांड की मादक महक लेते हुए धर्मवीर गांड को चूमने लगा ।

उसके चूतड़ों को अपने गालों से अपने होठों से सहलाने लगा ।

फिर धर्म भी खड़ा हुआ और अपनी शर्ट उतार उतार कर बेड पर लेट गया ।

उपासना खड़ी-खड़ी यह देखने लगी उसकी चौड़ी छाती नंगी आज उसने पहली बार देखी थी .

छाती पर हल्के हल्के काले बाल थे

धर्मवीर की बाजू पर कसरत करने की वजह से कट पड़े हुए थे ।

एक मजबूत सांड को बिस्तर पर इंतजार करते देख किसी घोड़े की तरह उपासना बेड पर चढ़ी ।

धर्मवीर कहने लगा कि तुम्हारा खजाना भी मेरी पैंट में है निकाल लो ।

यह सुनकर उपासना शर्मा गई और बोली मुझे शर्म आती है।

आप ही उतार दो धर्मवीर कहने लगा अभी मेरे सर को पकड़ कर अपनी अपनी अपनी गांड में घुसाते हुए तुझे शर्म नहीं आई और अब तो शर्म आ रही है।

उपासना बोली पापा जी यह किस बदतमीजी से आप बात कर रहे हैं ।

धर्मवीर बोला कि अब नाटक बहुत हो गया है और तुम भी जानती हो कि तुम पूरी रात लंड खाने के लिए इस बिस्तर पर आई हो । तो फिर क्यों शर्म कर रही हो थोड़ी सी बेशर्म बनना , जिससे तुम्हें भी मजा आए, तुम भी इंजॉय कर सको खुलकर ।

ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी अगर मैंने शर्म छोड़ दी तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे पापा जी ।

यह सुनकर धर्मवीर बोला कि दिखा तो अपना बेशर्म पना ।

मैं भी तो देखूं कि मैंने अपने घर में किस तरह की रंडी रखी हुई है ।

यह कहकर धर्मवीर लेट गया

उपासना यह सुनकर धर्मवीर के पास आई उसकी पेंट को खोलने लगी ।

जैसे ही उसने उसके पेंट को नीचे किया उपासना डर गई और डरकर बैड से दूर जाकर खड़ी हो गई भागती हुई ।

धर्मवीर बोला क्या हुआ ।

उपासना बोले नहीं ऐसा नहीं हो सकता पापा जी ऐसा तो किसी का भी नहीं हो सकता ।

इतना बड़ा और इतना मोटा । मैंने अपने पैर पर ही कुल्हाड़ी मार ली है ।

धर्मवीर कहने लगा कि मुझ पर विश्वास रखो मैं बहुत प्यार से करूंगा और धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ आने को कहा।

उपासना धीरे-धीरे हिम्मत जुटाते हुए धर्मवीर के करीब आने लगी और आकर बैठ गयी।

धर्मवीर ने उपासना से कहा अपना लंड पकड़ाते हुए कि क्या हुआ पसंद नहीं आया क्या तुमको ।

उपासना डरते हुए कहने लगी कि आपका यह बहुत बड़ा है।

मैं तो कल्पना भी नहीं कर सकती फिर धर्मवीर ने उसका हाथ पकड़कर लंड पर रखा ,जैसे ही इतने मोटे लंड को हाथ में भरा उपासना की चूत में बिजली की तरह चीटियां चलने लगीं ।

धर्मवीर ने उपासना को बेड पर खड़े होने को बोला उपासना जैसे ही बेड पर सामने से खड़ी हुई धर्मवीर यह नजारा देखकर अपनी किस्मत पर फक्र करने लगा ।

उसकी चूत पर लटकता हुआ छल्ला उसकी चूत पर चार चांद लगा रहा था ।

भरी हुई जांघों के बीच चूत ऐसी लग रही थी जैसे ये मोटी जांघे उसकी चूत की रक्षा करती हो ।

उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच रसीली चूत इस तरह शोभा दे रही थी जैसे कि गुलदस्ते में कोई फूल ।

उसकी गांड पर हाथ ले जाकर धर्मवीर ने उसे अपनी तरफ दबाया अपना चेहरा उसकी चूत के करीब ले गया।

उपासना को उसकी सांसे अपनी चूत पर महसूस हुई तो उसकी चूत और गर्म हो गई ।

धर्मवीर ने उसकी सजी हुई चूत को गौर से देखा ।चूत के दाने पर लटकी हुई वह बाली चूत को और भी ज्यादा शानदार बना रही थी।

उसने अपनी नाक की चूत पर लगाई और एक तेज सांस खींची उपासना के मुंह से सिसकारी निकल गई aaaaahhhhh ।

और धर्मवीर तो मानो दूसरी दुनिया में चला गया हो ।

उसकी चूत से उसके मूत की भीनी भीनी खुशबू उसे पागल कर गई ।

धर्मवीर ने अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत पर जैसे ही लगाई उपासना की जान ही निकल गई ।

फिर धर्मवीर ने अपना पूरा मुंह खोला पूरी चूत को मुंह में भर कर अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा ।

इसे बर्दाश्त नहीं कर पायी उपासना और एक ग़दरायी हुए जिस्म की रंडी की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी ।

जैसे ही वह बिस्तर पर गिरी धर्मवीर ने उसकी चेहरे के पास आकर उसके गालों को चूमा उसके होठों को चूसने लगा।

और हाथ उसकी चूत पर ले जाकर उसकी चूत की दरार के बीच में उंगली से सहलाने लगा ।

यह उपासना के लिए हाल बेहाल वाली हालत थी ।

उसने अपनी दोनों जांघों को आपस में भींच लिया अब धर्मवीर के लिए हाथ को चलाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था।

लेकिन उसने मशक्कत करके अपनी एक ऊंगली उपासना की उपासना की चूत के छेद पर रख कर अंदर की तरफ दबाई ।

जैसे ही आधी उंगली चूत में गई उपासना एक साथ सिसक उठी आआआआआआईईईईईईई ।

धर्मवीर को उसकी चूत में बहुत ही गीला गीला पानी महसूस हुआ , पानी छोड़ता देख धर्मवीर उपासना से बोला चुदने के लिए तैयार हो रही है तुम्हारी ये चूत ।

उपासना भी अब शर्म छोड़ देना चाहती थी।

उपासना बोली आज आपकी ये रांड आपके बिस्तर पर आपसे चुदने के लिए फैली पड़ी है ।

अपनी इन मजबूत बाजू में जकड़ कर इस रांड की चूत को चोदिये पापा जी ।आपकी संस्कारी बहु की चूत आपके सामने है।

जब धर्मवीर ने ऐसा सुना तो उसके लंड में इतना कड़कपन आगया कि उसने अपनी पूरी उंगली उपासना की चूत में उतार दी ।

उपासना इसके लिए तैयार नहीं थी और उपासना उंगली चूत में घुसते ही ऊपर की तरफ सरकने लगी ।

धर्मवीर बोला कि मेरी जान अभी तो उंगली ही गई है लोड़ा भी ऐसी चूत में उतरेगा आज ।

यह सुनकर उपासना से बर्दाश्त नहीं हुआ और उपासना बोली - पापा जी देखिए आपकी बहू कितनी बड़ी चुडक्कड़ रंडी है , आज यह आपको मैं दिखा ही देती हूं ।

ऐसा कह कर उपासना ने उसके सीने पर धक्का मारा और उसको लिटा कर उसके लोड़े के पास अपना चेहरा ले गई।

दोस्तों उपासना ने अपने चेहरे से लंड को नापा तो धर्मवीर का लंड उपासना के माथे से भी ऊपर जा रहा था ।

उपासना धर्मवीर के देखकर हैरान होते हुए सोचने लगी कि इस मर्द इन अंडों में कितना रस होगा।

कैसा होगा वह पल जब इनका रस निकल कर मेरी चूत में भर जाएगा ।

यह सोचते ही उसने अपनी जीभ निकाली और लंड को चाटने लगी।

लंड को चाटते हुए उपासना अब इतनी बेशर्मी पर उतर आई थी कि उसने अपनी आंखें धर्मवीर की निगाहों से मिला दीं ।

उसकी नजरों में झांकते हुए उसके लंड को चाटने लगी।

यह नजारा देखने लायक था। और धर्मवीर का लंड भनभना गया ।

उपासना ने उसके लंड को चाटने के बाद उसे मुंह में लेना चाहा लेकिन उसका लैंड का आगे का नुकीला हिस्सा ही उसके मुंह में जा सका । क्योंकि धर्मवीर का लंड मोटा होने की वजह से उसके मुंह में फस रहा था ।

यानी कि अंदर नहीं घुस पाया था। यह देखकर धर्मवीर ने उसका सर पकड़ कर अपने लंड पर दबाया लेकिन फिर भी उसके मुंह में जाने से नाकाम रहा ।

धर्मवीर को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने उपासना को बड़ी फुर्ती से बेड पर सीधा चित्त लिटाया और उसके ऊपर चढ़कर उसके सर के नीचे एक तकिया लगाया

धर्मवीर ने कहा कि खोल मेरी जान अपना मुंह ।

उपासना ने जैसे ही मुंह चौड़ा किया धर्मवीर ने पूरा झुक कर उसके मुंह में ऐसा झटका मारा कि लंड आधा उपासना के मुंह में चला गया । अब आधा लंड उपासना के मुंह में फसाकर धर्मवीर जैसे ही ऊपर की तरफ हुआ तो उपासना का चेहरा भी लंड के साथ ऊपर की तरफ खींचने लगा।

क्योंकि उसके मुंह में लंड फसा पड़ा था ।उपासना की आंखें बाहर निकलने को तैयार थी और आंखों से हल्के हल्के आंसू निकलने लगे थे ।

यह देखकर धर्मवीर भी सोचने लगा कि यदि मैंने अब लंड निकाल लिया तो यह दोबारा लेने के लिए राजी नहीं होगी ऐसा सोचते ही उसने अपनी कमर का दबाव बनाते हुए एक और झटका मारा और लंड उपासना के हलक तक उतार दिया। इतना मोटा लौड़ा अपने मुंह में फंसा कर पछता रही थी आज उपासना । वह बस गूंगूंगूंघोंघों के अलावा कुछ नहीं कर पाई। 1, 2 झटके के बाद जब धर्मवीर को लगा की उपासना की हालत बर्दाश्त से बाहर है तो उसने माथे पर हाथ रखकर अपने लंड को बाहर खींचा और लंड बाहर खींचते ही उपासना के मुंह से ढेर सारा थूक उसके लंड के साथ बाहर तक निकल गया उसके थूक से पूरी उसकी चूचियां गीली हो गयी ।

उपासना - अपनी बहू को इस तरह भी क्या कोई लंड डालता है मुंह में कि मेरे हलक तक ही उतार दिया ।

और वह भी इतना मोटा लौड़ा मुझे नहीं लगता मैं इसे चूत में ले पाऊंगी ।

धर्मवीर- मुस्कुराते हुए कहने लगा कि मेरी जान इस लंड से चुदने के बाद निखर जाएगी ।तेरी गांड और भी ज्यादा चौड़ी हो जाएगी । तेरी सुंदरता और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।

ऐसा कहते हुए उपासना को उसने दोबारा से लिटाया और अपने लंड को उसके गालों पर ऐसे मारने मारने लगा जैसे हल्के हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो। अपने लंड से उसके मुंह को सहलाने के बाद धर्मवीर उसकी चुचियों पर आया।

धर्मवीर ने अपना मुंह खोला और उसकी चुचियों को मुंह में भरा । फिर धर्मवीर ने उपासना की कमर के नीचे अपने हाथ लगाए और उसकी छाती को अपने मुंह पर और ज्यादा दबाया जिससे कि उसकी चूचियां उसके मुंह में ज्यादा से ज्यादा आजाये । उसके बाद उसकी चुचियों को चाटने लगा।

दोनों चुचियों से खेलने और चाटने के बाद धर्मवीर ने अपना चेहरा उठाया तो देखा उसके थूक से उसकी दोनों चूचियां गीली हो गई है ।

धर्मवीर ने अपना भयंकर लंड उसकी चुचियों के बीच में रखा और उसकी चूची में घिसने लगा और एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा ।

अब उपासना चुदने के लिए पूरी तैयार हो चुकी थी ।

लेकिन और भी उसे तड़पाना चाहता था धर्मवीर ।

उपासना से कहने लगा कि मेरी बहू मुझे पता होता कि तेरी जवानी इतनी लंड की भूकी है तो कब का मैं तुझे चोद चोद कर निहाल कर देता । ऐसा कहकर धर्मवीर नीचे की तरफ आया और उसके पेट को चाटने लगा उसके पेट को चाटने के बाद धर्मवीर उसके चूत पर ना जाकर सीधा उसके पैरों पर गया ।

पैरों को चूमने चाटने लगा फिर उसने उपासना के पैरों को पकड़कर उपासना को उल्टा लेटने का इशारा किया।

उपासना उल्टी होकर लेट गई जैसे ही उसकी गांड ऊपर को उठी धर्मवीर ने उसकी गांड पर अपने दोनों हाथो से थप्पड़ों की बरसात करदी ।उसकी गांड हल्की-हल्की लाल हो गई थी ।

उसकी कमर पर चुंबन करने लगा ।
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05-01-2021, 11:34 AM,
#17
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां




फिर धर्मवीर उसके चूतड़ों को अपने गालों से सहलाने लगा।

अपने होठों से उन चूतड़ों पर चुंबन देने लगा फिर उसने उन चूतड़ों को अपनी जीभ निकालकर चांटा और उन्हें फैला कर चूतड़ों के बीच मुह घुसा दिया ।

फिर धर्मवीर ने उपासना को सीधी लिटाया और उसकी जांघों को उसके घुटनों तक मुड़कर छातियों से मिला दिया।

धर्मवीर उपासना के इस रूप को देखकर पागल हो उठा क्योंकि उसकी चूत खुलकर सामने आ गई थी और उसकी चूत के एकदूसरे से सटे हुए होंठ अब छेद के पास से हल्का सा खुल गए थे और एक छोटा सा छेद धर्मवीर को नजर आने लगा ।

धर्मवीर उसे निहारते हुए उसकी चूत पर ऐसे टूट पड़ा कि जैसे कुत्ता ।

धर्मवीर ने अपना थूक निकाल निकाल कर उसकी चूत के पानी के साथ मिलाया और उसकी चूत को लप-लप चाटने लगा ।

उसके दाने को चूसने लगा। उपासना की बर्दाश्त से बाहर हुआ तो उपासना उसके सर को अपनी चूत पर दबाने लगी।

उपासना के मुंह से निकला चाट लो पापाजी मीठा पानी। इस पानी को चाटने के लिए तो कितने लोग पागल हुए फिरते हैं। और आपकी बहू अपनी चूत फैलाकर आपसे भीख मांग रही है कि इसे चाटो, इसे इतना प्यार करो कि निगोड़ी चूत इतनी निखर जाए कि हर लंड को इससे प्यार हो जाये ।

धर्मवीर का पूरा चेहरा उपासना की चूत के पानी से और थूक से सन गया था ।

धर्मवीर बोला इस चूत को आज इतना प्यार करूंगा की ये चूत, चूत ना रहकर भोसड़ा बन जाएगी ।

उपासना की आंखों में धर्मवीर ने देखा तो उपासना की आंखें कह रही थी कि मैं लंड मांग रही हूं मैं मुझे दे दो अपना तगड़ा हल्ल्बी लोड़ा।

धर्मवीर ने जब देखा कि उपासना हद से ज्यादा पानी छोड़ने लगी है तो ऊपर आया और उसके ऊपर लेट कर अपने लंड को उपासना की चूत से रगड़ दिया।

जैसे ही लंड का स्पर्श चूत पर हुआ उपासना पागल हो गयी । उस गरम लंड के के स्पर्श से ।

फिर उसकी टांगों को उसकी छातियों से लगाकर धर्मवीर उसकी चूत के आगे बैठा और अपना लंड उसकी चूत पर ऐसे मरने लगा जैसे हल्के हल्के थप्पड़ मार रहा हो ।

उसके बाद धर्मवीर भी सोचने लगा कि अब समय आ गया है बहू की चूत में लंड डालने का फिर धर्मवीर ने अपने लंड पर थूक लगाया और उसे उपासना के छेद पर लगा कर जैसे ही हल्का सा धक्का दिया है लंड फिसल गया ।

उपासना आंखें बंद किए हुए इंतजार कर रही थी और आह आह सिसकारी ले रही थी ।कि अब उसकी चूत में लंड उतरेगा ।धर्मवीर ने दोबारा उसके ऊपर लंड को चूत पर लगाकर झटका दिया हल्का सा छेद में जाने के लिए घुसा ही लेकिन फिर फिसल गया ।

और जैसे ही लंड चूत के छेद पर लगा रहा था उपासना को ऐसा लगा जैसे कोई क्रिकेट वाली बॉल को उसकी चूत में घुसा रहा हो ।

उपासना जानती थी कि उसे असहनीय दर्द होगा लेकिन वह अपने आप को तैयार कर रही थी।

फिर भी बड़ी मशक्कत करने के बाद जब लंड उसकी चूत में नहीं गया तो उपासना को याद आया कि उसने रैक में चॉकलेट का डब्बा भी रखा था ।

उसने लिक्विड चॉकलेट का डब्बा निकालकर धर्मवीर की तरफ बढ़ा दिया धर्मवीर ने देखा तो उसका मजा दोगुना हो गया ।

उसने जल्दी से डब्बा खोला और उसकी टांगों को छाती से लगाकर वह लिक्विड चॉकलेट उसकी चूत पर डालने लगा जब चॉकलेट से पूरी चूत ढक गई धर्मवीर उसे चाटने लगा।

पूरा डब्बा उसकी चूत पर डाल डाल कर चाटा।

उपासना तो मजे से दोहरी हो गई ।

चूत की ऐसी चटाई उसने आज तक नहीं देखी थी ।

उसके बाद धर्मवीर ने सोचा कि इतनी आसानी से बहू की चूत में नहीं जाएगा और उसने उपासना को घोड़ी बनने को बोला ।

उपासना घोड़ी बन गई और उसकी जांघों का और गांड का फैलाव देखकर धर्मवीर का लंड बिल्कुल उसकी चूत फाड़ने के लिए तैयार हो गया था।

धर्मवीर ने उपासना की कोहनी को भी मोड़ कर उसके चेहरे को बिस्तर से लगा दिया।

फिर धर्मवीर ने उपासना से मुंह खोलने को बोला।

उपासना ने अपना मुंह खोला तो धर्मवीर ने उसमें अपना दो उंगलियां डाल दीं ।

उपासना उन्हें चूसने लगी लेकिन धर्मवीर के दिमाग में क्या आया कि उसने ढेर सारा थूक अपने लंड पर लगाया।

लंड को थूक से पूरा सानने के बाद उसकी चूत में भी उसने ढेर सारा थूक भरा ।

और फिर चारों उंगलियां उपासना के मुंह में डाल दी।

धर्मवीर ने अपनी उंगलियां , अपना आधा हाथ उपासना के मुंह में हलक तक उतारा

उसने अपना लंड उपासना की चूत पर रख कर एक हाथ से उसकी भारी-भरकम गांड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ कर उसकी चूत के छेद पर रख कर जितनी उसमें ताकत थी पूरी ताकत से धर्मवीर ने झटका मारा तो धर्मवीर का लंड कम से कम 4 इंच उपासना की चूत में घुस गया।

जैसे ही उपासना की चूत में लंड घुसा उसकी चूत इस तरह चौड़ी होकर लंड पर फैल गई जैसे कोई रबड़ चढ़ाई गई हो।

दोस्तों जैसे ही झटका लगा तो उपासना की आंखें बाहर आ गई ,चिल्ला तो नहीं सकी क्योंकि धर्मवीर का हाथ उसके मुंह में फंसा हुआ था और जैसे ही धर्म भी ने झटका मारा था तो अपना हाथ और भी उसके गले लग तक उतार दिया था।

उपासना बस गूंगूंगूंघोंघों गूंगूंगूंघोंघों ही कर सकी ।

उपासना की आंखों से आंसुओं की झड़ी लग गई ।

उपासना अगले पल का इंतजार करने लगी।

धर्मवीर ने इस अवस्था में 1 मिनट तक रुकने के बाद अपनी पूरी ताकत से दूसरा झटका मारा और इस बार लंड का एक तिहाई हिस्सा उपासना की चूत में उतर गया था।

उपासना का दर्द और भी बढ़ता गया और वह गूंगूंगूंघोंघों करती रही जैसे कोई रंडी गलत जगह फंस गई हो।

फिर धर्मवीर ने लंड को हल्का सा बाहर खींचकर एक और तगड़ा झटका मारा और इस बार धर्मवीर की झांटे मिल गई थी उपासना की चूत से ।

पूरा लंड उसकी चूत में उतर चुका था।

नजारा यह था कि इतना तगड़ा लंड अपनी चूत में फंसाकर उपासना ना रो पा रही थी और ना ही चिल्ला पा रही थी। उपासना की गांड का छेद बार-बार बंद हो रहा था बार-बार खुल रहा था ।

धर्मवीर ने अपना हाथ उपासना के मुंह से निकाला

उपासना चिल्लाते हुए - पापाजी मर गई ।

यह मेरी चूत का हाल क्या कर दिया आपने मेरी चूत तो ऐसे लग रही है जैसे पूरी भर गई हो आई आई हुई करती हुई उपासना ने कहा हल्का सा बाहर कर लीजिए मुझसे सहन नहीं हो रहा ।

धर्मवीर ने सोचा कि अब उपासना की चूत में लंड चला गया है तो जगह बन गई और धीरे-धीरे धर्मवीर ने अपना लंड बाहर निकाल लिया।

दोस्तों जैसे ही लंड बाहर निकला उपासना चूत की कुछ खाल धर्मवीर के लंड के साथ बाहर को खींच रही थी।

उपासना का छेद इतना चौड़ा हो गया था तो उसमें काफी अंदर तक देखा जा सकता था।

चूत खुलकर बिल्कुल चौड़ गई थी ।

धर्मवीर ने उपासना को सीधा लिटाया और अपनी बहू के ऊपर लेट कर उसकी टांगों को मोड़कर छाती से लगा दिया।

धर्मवीर उसके ऊपर झुका और झुक कर उसके चेहरे को चाटते हुए लंड रगड़ने लगा चूत से।

लंड की रगड़ से उसकी चूत दोबारा से पानी पानी हो गई।

और उपासना ने अपनी हाथों से उस लंड को पकड़ कर अपने छेद पर सेट किया और बोली ससुर जी जरा धीरे से इतना सुनते ही धर्मवीर ने उसके होठों को चूसते हुए उसके जोरदार धक्का मारा।

उपासना - आआईईईईई जी मर गई बचा लो मुझे।

इतनी जोर से चिल्लाने लगी जैसे कोई गाय रेंक रही हो ।

धर्मवीर ने दोबारा से एक और झटका मारा इस बार उसका पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया ।

और उसकी चूत को अपने लंड से भर कर चुचों से खेलने लगा धर्मवीर । उसके गालों को अपने गालों से सहलाने लगा। उसके माथे को चूमने लगा उसके होठों को चूसने लगा।

जब कुछ नॉर्मल हुई उपासना तो उवासन उसकी आंखों में झांककर अनुमति दी कि अब झटके मार सकते हो।

दोबारा से 2, 3 झटके पूरी जान से मारे धर्मबीर ने।

दोस्तों इन झटकों से उपासना की चूत पूरी तरह से चौड़ गई थी ।

उपासना की चूत का दाना बिल्कुल लंड पर रगड़ खा रहा था इतना चौड़ा हो गया था उपासना की चूत का छेद

फिर धीरे-धीरे नॉर्मल हुई उपासना नीचे से गांड हिलाने लगी।

जब धर्मवीर ने देखा तो उसने सोचा कि अभी उसने मेरे लंड की ताकत देखी कहाँ है । उसने पूरा झुक कर अपनी पूरी स्पीड में 10 , 15 झटके मारे।

दोस्तों जैसे ही धर्मवीर के लंड के झटके उपासना की चूत पर पड़ते हैं तो उसकी चूड़ियों की खनखन पूरे कमरे में गूंज जाती हर झटके पर उसके पैरों में बंधे घुंघरू छन छन छन की आवाज कर रहे थे ।

इतना मधुर संगीत पहली बार उपासना ने सुना था कि चूत की चुदाई का संगीत साथ में उसकी चूड़ियां और घुंघरुओं की खनखन उसे डबल मजा दे रही थी।

झटके इतने ताबड़तोड़ तरीके से मारे गए थे कि उपासना की गांड धर्मवीर के लंड के साथ ही उठ जाती और धर्मवीर के पूरे वजन के साथ उसकी गांड बैड के गद्दे में धंस जाती ।

उपासना की इतने बुरे तरीके से चूत फाड़ी जाएगी उपासना ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था ।

उसकी चूत पर वह तगड़ा लंड बार-बार झटके दे रहा था।

और उपासना की चूत का पानी उस लंड पर ऐसे चमक रहा था कि मानो कोई चुडक्कड़ रांड की चूत में अंदर बाहर हो रहा हो।

फिर धर्मवीर कहने लगा कि मानता हूं मेरी रानी तेरी भी दाद देनी पड़ेगी । मेरे लंड को पूरा ले गई चूत में वरना इतना आसान नहीं होता हर किसी के लिए अपनी चूत में मेरा यह लंड लेना ।

उपासना कहने लगी कि बहू भी तो आपकी ही हूं कर लीजिए अपने मन की पूरी । यह पड़ी आपके रंडी आपके नीचे अपनी टांगों को फैलाकर ।

धर्मवीर ने उसके कंधे को पकड़कर उसकी चूत में इतने तगड़े तगड़े झटके मारे की उपासना तो दोहरी हो गई ।और मजे से सातवें आसमान में पहुंच गई ।

चूत का बाजा तो इस तरह बज चुका था कि कोई कह नहीं सकता था वह चूत है अब तो वह भोसड़ा बनने की कगार पर थी ।

चुदते वक्त जब उपासना के पैरों में बंधे घुंगरू इतनी तेज आवाज कर रहे थे छनछन की लग रहा था कोई ढोल बैंड वाले मजीरा बजा रहे हैं।

उसकी चूड़ियों की खनखन धर्मवीर के पीठ पर खनक रही थी ।

उपासना की चूत में इस तरह गदर मचाता हुआ लंड जब अंदर बाहर होने लगा तो उपासना की चूत से पानी रिसने लगा । और वह पानी उसकी गांड तक पहुंच गया।

उपासना की चुदाई इस तरीके से हो रही थी जैसे कोई किसान हल से अपना खेत जोत रहा हो ।

भयंकर और धमाकेदार चुदाई से उपासना निहाल होती जा रही थी।

उसे चोदते चोदते धर्मवीर ने उसके मुंह पर थूक दिया। उपासना के गालों पर पड़ा हुआ धर्मवीर थूक इस बात की गवाही था कि वह एक संस्कारी बहु से बेशर्म रंडी बन गई है।

और उपासना ने उस थूक को अपने गाल पर मल लिया।

जिसे कि उसका सारा मेकअप उसकी आंखों का काजल उसके चेहरे पर ऐसे फैल गया जैसे कोई रंडी रात भर चुद कर सुबह को उठी हो।

इस रूप को देखकर और झुककर धर्मवीर ने अपने मुंह से जैसे ही तो अपने मुह से थूक निकालना चाहा यह देखकर उपासना ने अपना मुंह खोल दिया और उसका सारा थूक अपने मुंह में ले लिया ।

और फिर धर्मवीर ने उसके होठों को चूसते हुए उसकी चूत पर लंड के प्रहार जारी रखे।

इस तरह से चुदने के बाद उपासना का रोम रोम खिल उठा।

धर्मवीर ने ने उसकी एक टांग को नीचे कर दिया और एक टांग को कंधे पर ही रहने दिया और उसकी चूत में ताबड़तोड़ झटके मारता चला गया ।

कम से कम 40 45 मिनट इसी पोजीशन में चोदने के बाद उपासना की टांगे भी दुखने लगी और उपासना थक गई थी।

धर्मवीर ने उसकी चूत से लंड निकाला और चूत को देखकर कोई नहीं कह सकता था कि यह वही उपासना की चूत है ।

उपासना अपना हाथ चूत पर लेकर गई तो जैसे ही उसकी चूत के छेद पर उसकी उंगलियां गई उसे पता ही नहीं चला कि उसका छेद है उसकी तीन उंगलियां एक साथ उसकी चूत में घुस गई ।।

उपासना मुंह से निकला हे भगवान पापा जी आप ने क्या कर दिया अब मैं आपके बेटे के सामने इस चूत को कैसे लेकर जाऊंगी ।

धर्मवीर कहने लगा कि आज की चुदाई अभी तक पूरी नहीं हुई है ।उसके बारे में बाद में सोचेंगे और ऐसा कहते हुए धर्मवीर लेट गया और उपासना उसके ऊपर आकर अपनी थोड़ी सी गांड को फैला कर अपनी चूत के छेद पर उसका लंड सेट करके और एक साथ चीखती हुई बैठी आआआआआआईईईईईईई बचाओ कोई मुझे हाय ।

पापा जी आपकी रंडी आपका सारा लौड़ा ले गयी मैं।

धर्मवीर के हाथ उसके चूतड़ों पर चले गए और धर्मवीर उसके चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए नीचे से झटके देने लगा।

और उपासना झुक कर अपने ससुर के होठों को चूसने लगी ।

धर्मवीर ने जैसे ही झटकों की रफ्तार बढ़ाई उपासना किसी रंडी की तरह चिल्लाने लगी कमरे में ।

उपासना की चुदाई का शोर कुछ इस कदर था जैसे कोई तीन चार रंडियां एक साथ मिलकर चुद रही हों।

उपासना सस्ती रांड की तरह गुर्राते हुए कहने लगी और तेज और तेज ससुर जी ।

अपनी बहू की चूत को आपने ही मुझे पसंद किया था ना अपने बेटे के लिए तो लीजिये आज संभालिये इस चूत की गर्मी ।

डाल दीजिए मेरी चूत में अपना बच्चा ।

धर्मवीर कहने लगा कि मेरी जान तुझे तो अपने लंड पर इस तरह नचाऊंगा कि दीवानी हो उठेगी ।

दिन में भी खुली आंखों से सपने देखेगी मेरे लंड के ।

उपासना - आपकी कुत्तिया देखो तो आपके ऊपर किस तरह से आपके लंड को निगले हुए बैठी है। देख क्या रहे हो पापाजी दिखाओ इसे अपने लंड का दम।

इस निगोड़ी चूत में अपना लंड उतारो उपासना की चूत मारते हुए धर्मवीर उसे चोदता रहा और कहने लगा कि मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी बहू इतनी गरम कुतिया होगी।

उपासना कहने लगी आपके जैसा लंड अगर चूत में उतरेगा तो संस्कारी बहु भी कुतिया बनेगी पापाजी।

जिससे कहोगे आप उससे चुद जाऊंगी इस लंड के लिए।

आपके मुंह पर अपनी चूत रख कर बैठा करूंगी सुबह को और तब आपको गुड मॉर्निंग बोला करूंगी।

आपकी रंडी इस घर में अब सिर्फ चुदने के लिए रहेगी।

धर्मवीर यह सुनकर कहने लगा हां मेरी रानी बहू अब तुझे कहीं जाने की जरूरत नहीं है बस तू अपनी गांड और चूत को सजाकर मेरे लोड़े के लिए मेरे बिस्तर पर इंतजार किया करना इस तरह झटके मारते हुए उसकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई चालू थी ।

फिर धर्मवीर ने उपासना को दोबारा से नीचे लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया और ऊपर आकर उसकी चूत का हाल देखा ।

धर्मवीर मन ही मन अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा क्योंकि उपासना की चूत ऐसी हो गई थी जैसे कोई दो तीन अफ्रीकन नीग्रो से उसका गैंगबैंग हुआ हो।

फिर पूरी ताकत से झटका मारा धर्मवीर ने।

दोस्तों गांड के नीचे तकिया रखा होने की वजह से धर्मवीर का लंड जड़ तक उसकी चूत में उतर गया।

और उसकी बच्चेदानी से जा टकराया उपासना मजे से दोहरी होकर गुर्रा पड़ी पापाजी फाड़ दीजिए प्लीज रंडी की चूत । मत कीजिए कोई रहम।

इस कदर मेरी चूत का मंथन कीजिए जैसे देवताओं ने मिलकर समंदर का मंथन किया था। लाज और शर्म में बहुत दिन रहली अब यह तुम्हारे लंड की दीवानी बन के अपनी चूत को दिन-रात आपके लंड से सजाएगी ।

धर्मवीर ने कसकस के उसकी चूत में घस्से मारे जिस वजह से उपासना का पानी निकलने को तैयार हो गया ।

और उपासना रंडियों की तरह चिल्लाते हुए कहने लगी पापाजी आपकी कुतिया गयी ।

धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना झड़ने वाली है तो उसे भी झड़ना होगा उसने अपने धक्कों की रफ़्तार और तेज कर दी पिस्टन की तरह अंदर बाहर करना स्टार्ट कर दिया लंड।

किसी मशीन की तरह धर्मवीर की कमर ऊपर नीचे इतनी स्पीड से हो रही थी कि बिल्कुल उपासना की चूत के छेद में उसका लंड पूरा बाहर आता उतनी ही स्पीड से अंदर जाता ।

उपासना चिल्लाते हुए झड़ गयी पापाजी डाल दीजिए अपना बच्चा मेरी चूत में ।आपके बच्चे को जन्म देना चाहती हूं मैं ।

आपका पानी मेरी चूत में छोड़ दीजिए बना दीजिए मुझे मां एक नहीं दो दो बच्चों की मां बना दीजिए इस घोड़ी को ।

यह घोड़ी अभी तक कुंवारी थी आज मैंने जाना है चूत फाड़ना किसे कहते हैं ।

सच में आपने वह कर दिखाया जो आपने कहा था।

बना दिया पापाजी आपने आपने मेरी चूत का भोसड़ा।

अभी फटी हुई चूत को लेकर मैं घर में घुमा करूंगी ।

और धर्मवीर इन बातों से इतना गरम हुआ कि उसने अपनी सांसो को खींचकर झटके इतने तेज मारे की फिर चीख पड़ी उपासना और लास्ट वाले झटके में अपनी पूरी ताकत लगाकर अपने लंड को चूत में उतार कर अपना पानी भरने लग गया ।

धर्मवीर के लंड से गरम गरम ढेर सारा वीर्य उसकी चूत में भर गया ।

धर्मवीर कुछ देर तक उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा ।

फिर लंड उसकी चूत से जैसे ही बाहर निकाला तो चूत का छेद उसके लंड की आकार का हो गया और उसकी चूत के छेद में से वीर्य बाहर निकलने लगा ।

क्योंकि चुदायी इस कदर हुई थी।

वीर्य बहकर उसकी गांड तक जाने लगा।

इस हालत को देखकर धर्मवीर हल्का सा मुस्कुराया और उसके होंठों को चूमने लगा।

इस भयंकर चुदाई के बाद जैसे ही उपासना की आंखे खुली तो उसकी नजर डायरेक्ट सामने वाली खिड़की पर गयी ।

उसकी मुह से तुरंत चीख निकली क्योंकि खिड़की पर दो साये खड़े यह देख रहे थे । उसमे एक साया लड़के का था और दूसरा साया किसी लड़की का।

यह तो पक्का था कि वो शालीनी और राकेश तो थे ही नही कौन थे और उसके बाद क्या होता है जानते है next update में।

।।।।।।।।।।

कैसा लगा दोस्तो आपको आज का ये चुदाई समारोह ।

आपके सपोर्ट की उम्मीद रखने वाला आपका प्यारा सा राइटर - रचित चौधरी ।

आगे आने वाली updates में थोड़ा स्टोरी को तेज करना होगा मेरे कुछ भाइयो का ऐसा कहना है तो अब तक ये कहानी स्लो मोशन में चली उसके लिए माफ करियेगा इस नादान को।

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05-01-2021, 11:35 AM,
#18
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 16

पीछे अपने पढ़ा --:

धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।

धर्मवीर - हां पूजा को देखकर ही लगता है कि बेटी की नथ उतार चुका है कोई ।

सोमनाथ - हम्म मुझे भी लगता है ।

अब आगे _________

सुबह के 7 बीज चुके थे । पूजा की आंखे खुलीं जो अपनी उपासना दीदी के बराबर में सो रही थी । बाकी घर मे सब सोये हुए थे।

पूजा ने एक नजर उपासना पर डाली तो उपासना पहले दिन जो धर्मवीर से जमकर चुदी थी उस वजह से ज्यादा थकी हुई होने के कारण अभी सोई हुई थी ।

पूजा उठकर फ्रेश होने के बाद टूथपेस्ट करके सोचने लगी कि सब तो सोये हुए है क्या किया जाए ।

उसने सोचा कि पापा को जगा देती हूं ये सोचकर पूजा उनके फ्लोर की तरफ जाने लगी ।

जैसे ही पूजा धर्मवीर के रूम के पास जाकर दरवाजा खटखटाने को हुई तभी अचानक अंदर से उसे कुछ आवाज सुनाई दी । पूजा ठिठक गयी और चुपचाप गेट से कान लगाकर सुनने लगी ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी प्लान तो हमने बना लिया लेकिन तय प्लान के आधार पर दोनों बहु और बेटियों को ये महसूस नही होना चाहिए कि हमारे खुरापाती दिमाग मे ऐसा कुछ चल रहा है ।

सोमनाथ - समधी जी आप चिंता न करे । हम उनके सामने ऐसा कोई रियेक्ट नही करेंगे जिससे हमारे प्लान पर पानी फिर जाए।

धर्मवीर - वैसे सोमनाथ जी बहु पर तो मुझे पूरा भरोसा है कि वो इस महासमारोह में पीछे हटने वाली चीज नही है । बस पूजा की तरफ से थोड़ा परेशानी है कि वो अभी बच्ची है कहीं हार ना मान जाए । ऐसा ना हो पूजा हम दोनों अधेड़ों को देखकर डर जाए ।

सोमनाथ - मुझे भी ऐसा ही लगता है समधी जी क्योंकि उपासना की तो शादी हो चुकी है उसे तो झेलने की आदत पड़ गयी है । लेकिन देखा जाए तो पूजा के पिछवाड़े की चौड़ाई भी कम नही है उपासना से । और इतने भरे शरीर की लड़की औरत बनने की कगार पर ही होती है ।

धर्मवीर - तो क्या सोच रहे हो सोमनाथ जी उसे औरत आप बनाएंगे या ये काम हमे सोपेंगे ।

सोमनाथ - समधी जी अपनी बहू के परखच्चे तो आप कल ही उड़ा चुके हैं । अब हमें भी मौका दीजियेगा और पूजा को औरत आप ही बनाएगा ।

धर्मवीर - लगता है सोमनाथ जी का मन हमारे घर की बहू पर खराब हो गया है ।

सोमनाथ - क्यों शर्मिंदा कर रहे है धर्मवीर जी । कल जब आपके साथ उसे देखा तो उसका पिछवाड़ा नजरो से हट नही रह है।

धर्मवीर - मेरी नजरो से भी पूजा का पिछवाड़ा नही हट रहा है । कल जब सीढ़ियों पर वो मेरे आगे चल रही थी तो उसके कूल्हे मैंने देखे थे । लंड खाने को बेताब नजर आरही थी पूजा की गांड ।

ये बाते सुनकर पूजा सोचने लगी कि धर्मवीर साला ठरकी है पूरा अपनी बेटी जैसी लड़की कल ही नजर डाल दी थी कुत्ते ने । अब दिखाती हूँ मेरा पिछवाड़ा बेताब है कि नही लंड खाने को । ऐसा सोचकर पूजा ने थोड़ा पीछे हटकर आवाज लगाई । पूजा ने इस वक्त सूटसलवार ही पहन रखे थे ।

IMG_20200330_220223.md.jpg

पूजा बिल्कुल अनजान बनते हुए - पापा जी पापाजी गेट खोलिये सुबह हो गयी ।

पूजा की आवाज सुनकर दोनों चुप हो गए और सोमनाथ जी गेट खोलने के लिए उठे और गेट खोल दिया।

पूजा अंदर आते हुए - पापाजी सुबह हो गयी चलना नही है क्या घर ।

सोमनाथ - बेटी चलना तो था घर लेकिन अभी देखो tv पर क्या न्यूज़ आरही है ।

पूजा ने जैसे ही tv की तरफ देखा एकदम हैरान रह गयी । क्योंकि tv पर बताया जा रहा था कि पूरा देश 21 दिन के लिए लौकडाउन हो गया है । कोई घर से बाहर नही जा सकता ।

पूजा - oh my god पापाजी अब हमें 21 दिन तक यही रहना पड़ेगा ।

धर्मवीर - क्यो बेटी ये तुम्हारा घर नही है क्या ।

पूजा - नही मौसा जी ऐसी बात नही है । लेकिन ये अचानक ही -----

ऐसा कहकर पूजा चुप हो गयी ।

तभी धर्मवीर के मोबाइल पर रिंग हुई धर्मवीर ने देखा अनवर का फोन था ।

धर्मवीर - hello अनवर बोलो क्या बात हुई और तुमने आज चाय भी नही बनाई अभी तक ।

अनवर - बाबूजी माफ कीजियेगा । रात 3 बजे मेरी आंखें खुली तो मैंने tv चलाकर देखा जिसमे लौकडाउन की खबर थी । मैने सोचा गांव में माँ अकेली है और बीमार है तो सोचा कि अब तो उनकी कोई देखभाल नही करेगा ऐसी स्थिति में । इसलिए मैं तभी आपकी गाड़ी लेकर गांव के लिए निकल गया। बाबूजी मांफ कीजियेगा आपकी गाड़ी लेकर जाने के अलावा कोई दूसरा चारा नही था ।

धर्मवीर बात को समझते हुए - ohh चलो कोई बात नही अनवर तुम अपनी मां का खयाल रखना वैसे भी मैं भी office या बाहर नही जा पाऊंगा , तुमने गाड़ी लेजाकर ठीक किया। कम से कम तुम्हे तो परेशानी नही होगी । और तुमने पैसे भी नही लिए मुझसे ।

अनवर - बाबूजी मैं आपकी नींद खराब नही करना चाहता था । कोई बात नही ।

धर्मवीर - चलो मैं तुम्हारे बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता हूँ अगर कोई ATM खुला मिले तो निकाल लेना ।

इतनी बात करके धर्मवीर ने फ़ोन रख दिया । और अपने मोबाइल से तुरंत पैसे ट्रांसफर करने लगा । उसने तीन लाख रुपये अनवर को ट्रांसफर कर दिए ।

धर्मवीर - लीजिये अब खाना कौन बनाएगा हमारा नोकर फिर चला गया ।

पूजा - कोई बात नही मौसा जी मैं और दीदी बना देंगे ऐसा कहकर पूजा जाने के लिए मुड़ने लगी ।

पूजा जैसे ही मुड़ी उसका पैर फिसल गया और वो फर्श पर इस तरीके से गिरी । पूजा के दोनों हाथ पीछे फर्श पर टिके हुए थे और घुटने मुड़ गए थे । पूजा सीधी गिरी थी जिस वजह से सलवार में फसी उसकी मोटी मोटी जांघे जब धर्मवीर और सोमनाथ को दिखीं तो उन दोनों की आंखे चौन्धिया गयी । पूजा की जांघो का गदरायापन उसकी गांड के फैलाव को बयान कर रहा था ।

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पूजा शर्माते हुए उठी । और जैसे ही दोबारा जाने के लिए मुड़ी तो उसके चूतड़ों में उसकी कुर्ती फस गयी ।

दोनों चूतड़ों के बीच मे सलवार फसी होने के कारण अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसके गोल गोल बड़े बड़े चूतड़ों वाली गांड तगड़े से तगड़ा लंड खाने लायक हो गयी है ।

धरमवीर - बेटा लगी तो नही ।

पूजा - नही मौसा जी । बस फिसल गई लगी नही है ।

ऐसा कहकर पूजा ने एक हाथ पिछवाड़े पर लेजाकर चूतड़ों के बीच फसी सलवार निकाली और चली गयी ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी सही कहा था अपने पूजा भी अब एक मस्त घोड़ी हो गयी है जो बिस्तर में बिल्कुल आग लगा देगी ।

सोमनाथ - हां समधी जी आप ही देख लीजिए कैसे संभालेंगे अपनी मस्त घोड़ी को ।

धर्मवीर - हम तो इसे तड़पाएँगे । और इतनी तड़पाएँगे की इसकी चूत का पानी रिसकर घुटनो तक आजायेगा ।


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05-01-2021, 11:35 AM,
#19
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
दोनों फिर tv पर न्यूज़ देखने लगे गए ।

उधर पूजा जैसे ही वापस आयी तो उसने देखा उपासना भी जाग गयी है ।

पूजा ने अनवर से लेकर उसके फिसलने तक कि सारी बात उपासना को बता दी । जो उसने छुपकर सुना था दोनों के मुह से ।

पूजा - देखा दीदी पहले ससुर जी फिर आज पापाजी चढ़ने वाले है तुमपर ।

उपासना - अच्छा पूजा देखते है क्या होता है तूने तो अपना पिछवाड़ा दिखाकर सुबह सुबह ही पागल कर दिया होगा दोनों को ।

पूजा - हां दीदी दोनों मुह फाड़कर ऐसे देख रहे थे जैसे नजरो से ही चोद रहे हों ।

उपासना - अच्छा । पूजा ध्यान रखना हमे ये जाहिर नही होने देना है कि हमे सबकुछ पता है । इस खेल में तभी मजा आएगा ।

पूजा - आप फिक्र ना करे दीदी । हम दोनों इतनी संस्कारी बनकर रहेंगे की हमे नंगी देखकर भी उनकी चोदने की हिम्मत नही होगी ।

IMG_20200330_220127.md.jpg

उपासना - चल चाय नाश्ता बना लेते है फिर कपड़े बदलेंगे नहाकर ।

दोनों ने जल्दी से नाश्ता तैयार किया और दोनों नहाने चली गयी ।

दोनों नहाकर उपासना के रूम में आईं तौलिया लपेटकर ।

उपासना कपड़ो का चयन करने लगी ।

पूजा - दीदी दिन के लिए तो कोई लूज कपड़े पहन लेते है ।

उपासना - क्या पहनने का मन है तेरा । मैं तो सोच रही थी कि रात कक तो वो लोग हमें वैसे भी नंगी ही रखेंगे । दिन में टाइट कपड़े पहन लेते है ।

पूजा - ये भी ठीक है दीदी क्या पहनोगी तो ।

उपासना - एक काम करते है दोनों लैगिंग और टॉप पहन लेते है।

पूजा - नही दीदी ये तो कुछ ज्यादा हो जायेगा । वो दोनों तो हमारा रेप ही करदेंगे इन कपड़ो में देखकर ।

उपासना - पगली तभी मजा आता है जब मर्द का लंड खड़ा रहे और वो कुछ कर भी ना पाए ।

पूजा - ओके दीदी । ऐसा ही करते है ।

दोनों ने सेम pink कलर की लैगिंग पहनी और उसके ऊपर नीले रंग का शॉर्ट टॉप पहना।

टॉप इतना ज्यादा छोटा था की नाभि से 4 इंच ऊपर ऊपर इंच ऊपर ऊपर ही वह खत्म हो जाता था उसका गला भी भी बहुत ज्यादा डीप था। कहने का मतलब है कि मोटे मोटे मोटे चूचे उसमें जैसे तैसे तैसे ही रुक पा रही थी और नीचे लैगिंग भी घुटनों से थोड़ा सा नीचे ही खत्म हो जाती थी ।दोनों की 40 साइज की फैली हुई गांड को संभालने में नाकामयाब सी प्रतीत होती थी।

उपासना बोली पूजा से - पूजा तुझे तो मेरी लैगिंग बिल्कुल फिट आगयी ।

पूजा - हां दीदी कपड़े तो बिल्कुल एक साइज के आते है दोनों को ।

उपासना - अरे ऐसे कैसे । मैं तो शादी के बाद ऐसी हुई हूं पर तेरी गांड और चुचियां इतनी कैसे गदरा गयी ।

पूजा - दीदी लड़की के शरीर की भी बात होती है । मेरी बॉडी ही कुछ आपसे बड़ी लगती है ।

उपासना - फिर तो तेरे जैसी भैंस को एक सांड की जरूरत होगी ।

पूजा - ये तो मैं भी बोल सकती हूं कि तुम भी किसी सांड के ही काबू में आ सकती हो दीदी ।

उपासना - घर मे दो सांडो ने प्लान बनाया तो है हम दोनों की चूतों का बाजा बजाने का।

पूजा - बाजा नही दीदी DJ बजेगा हमारी चूतों का तो ।

बात करती करती दोनों ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया ।

लगभग 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नाश्ता करने नीचे आगये । उस वक्त दोनों बहन किचन में थीं ।

धर्मवीर - अरे नाश्ता तो तैयार है पर सोमनाथ जी लगता है हमे अकेले ही करना पड़ेगा आज नाश्ता ।

तभी अंदर से उपासना की धीमी सी आवाज आई - हम भी आरहे है पापाजी ।

ऐसा कहकर दोनों बहन किचन से टेबल की तरफ आने लगी । जैसे ही धर्मवीर और सोमनाथ की नजर दोनों पर पड़ी दोनों का कलेजा थम गया । सांसे लेना ही भूल गए ।

क्योंकि शरीर से दोनों बहन सेम ही लग रही थी सेम कपड़ो में । धीरे धीरे किसी मस्तानी हथिनी की तरह चलकर दोनों करीब आरही थी। दोनों की जांघो को देखकर ही पता चल रहा था कि पीछे पिछवाड़ा कितना मटक रहा होगा।

धर्मवीर मन मे अपने आपसे कह रहा था कि इन दोनों को अभी बैड पर पटककर इनका मूत पी जाऊं और फिर ई दोनों घोड़ियों को अपने लंड पर कुदाऊं । मैं तो सोचता था उपासना ही चूत की रानी है पर मुझे लग रहा है पूजा की चूत के मूत की खुशबू भी नशीली होगी । दिखने में कुंवारी लगने वाली ये पूजा लंड पर उछल उछलकर चुदेगी ।

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दोनों को अपनी तरफ देखते हुए उपासना बोली - क्या हुआ पापाजी ऐसे क्या देख रहे हो।

याब तक दोनों आकर बैठ चुकी थी टेबल पर ।

सोमनाथ सपकपाते हुए - कु-कुछ नही बेटी देख रहा था कि दोनों बेटियां कितनी खूबसूरत है ।

उपासना - बेटियां भी तो आपकी ही है पापा।

धर्मवीर - मैं तो दोनों बेटियों में अंतर ही पता करने में असमर्थ हूँ ।

पूजा - कोई अंतर नही है मौसा जी । मैं और दीदी एक जैसे है।

पूजा की इस बात का मतलब समझ रहा था धर्मवीर ।

धर्मवीर - नही पूजा बिटिया कुछ तो अंतर होगा ही ।

पूजा - नही कोई अंतर नही है । चलो दीदी जरा मेरे बराबर में खड़े होकर दिखाओ पापा को । ऐसा कहकर दोनों चेयर से उठकर सामने खड़ी हो गयी ।

सोमनाथ - दोनों रंडियों को देखते हुए - नही बेटी आगे से तो दोनों में कोई अंतर नही है ।

इसबार उपासना बोली - अच्छा तो आगे से पापा को कोई अंतर नही लगा मतलब अब पापा पीछे से देखना चाहते हैं ।

पूजा - चलो दीदी तो पापा की तरफ पीठ करलो ।

दोनों अब अपना पिछवाड़ा करके खड़ी हो गयी धर्मवीर और सोमनाथ के सामने । दोनों की गांड अब धर्मवीर और सोमनाथ के सामने लैगिंग में फसी हुई थीं ।

धर्मवीर का मन कर रहा था कि लैगिंग फाड़कर अभी पूजा की गांड पर ढेर सारा थूक दू ।

सोमनाथ का मन कफ रहा था कि उपासना की लैगिंग फाड़कर अभी उसकी गांड में लंड जड़ तक घुसेड़ दू ।

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सोमनाथ - नही बेटियों पीछे से भी कोई खास अंतर नही है बस इतना ही अंतर है कि पूजा थोड़ी कसी हुई है उपासना बेटी थोड़ी ढीली हो गयी है ।

ये सुनकर उपासना और पूजा दोनों शर्माते हुए घूमकर बैठ गयी वापस चेयर पर ।

पूजा - नही पापाजी ऐसा नही है हम दोनों ने आज सेम साइज के कपड़े पहने है । दीदी की ही लैगिंग है ये और दोनों लैगिंग का साइज 40 है ।

धर्मवीर - अच्छा तो तुम्हारा पिछवाड़ा भी अब उपासना की तरह 40 का हो गया है ।

ये सुनकर फिर दोनों शर्माकर लाल हो गयी ।

पूजा - मौसा जी आज क्या करना है आज तो हम बोर हो जाएंगे ।

धर्मवीर - बोर तब हो जाओगे जब हम होने देंगे । आज हम पूजा करेंगे ।

पूजा ये सुनकर धर्मवीर की आंखों में देखते हुए - मौसा जी आप भी ना मतलब कुछ भी बोलते हो । याब साधु बाबा बनोगे क्या आज ।

धर्मवीर - हां आज मैं साधु बाबा बनुगा पुजारी बाबा ये ही समझ लो ।

पूजा - फिर हमे क्या करना चाहिए साधु बाबा जी ।

धर्मवीर बोला -

तुम आज गंगा में स्नान करो ,

तुम आज गंगा में स्नान करो ,

अपना सब कुछ दान करो ,

ये साधु बाबा तुम्हारा भला करेगा ,

तुम्हारे छोटे छेद को बड़ा करेगा ।

ये शायरी सुनते ही पूजा शर्म से गढ़ गयी अब उससे सामना नही हो रहा था धर्मवीर का वो चुपचाप उठी और जाने लगी । थोड़ा आगे चलकर पूजा इस तरह झुकी जैसे लोग झुककर जूते के फीते बांधते है ।

अब तो पूजा की गांड बिल्कुल ऐसे चौड़ी हो गयी फैलकर जैसे चाखी के पाट हो ।

एकबार तो धर्मवीर का मन हुआ कि पूजा की गांड में मुँह घुसा दे पर अपने आपपर नियंत्रण रखते हुए देखता रहा उस झुकी हुई चुदासी कुतिया को ।

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फिर पूजा ने सीधी होकर एकबार धर्मवीर को देखा और सीधे उपासना के रूम में चली गयी ।

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********

दोस्तों अब आगे की कहानी next update में ।

Comments करके अपना सुझाव जरूर देना ।

आपका प्यारा से दोस्त - रचित ।
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05-01-2021, 11:36 AM,
#20
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update : 17

दोस्तों आपको बहुत wait करना पड़ा update के लिए उसके लिए दिल से माफी चाहता हूं । आपके लिए जितना लिख पाया हूँ आज वो post कर रहा हूँ ।

*********

दोपहर का समय था , धर्मवीर और सोमनाथ tv देख रहे थे तभी उपासना और पूजा दोनो ने आकर एकसाथ कहा - पापाजी हम जरा कुछ शोपिंग करने जा रहे हैं ।

ऐसा कहकर दोनों मेन गेट की तरफ चलदी ।

दोनों ने वन पीस पहना हुआ था जिसमें उनकी गदरायी हुई जांघे और चौड़े कूल्हे धीरे धीरे हिल रहे थे।

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सोमनाथ और धर्मवीर ने एक दूसरे की तरफ देखा और धर्मवीर बोला - आज तो बाजार बंद है फिर यह कहां जा रही हैं दोंनो ।

सोमनाथ ने कहा - हो सकता है दोनों को घूमने का मन हो या कोई जरूरी काम हो ।

उपासना और पूजा सबसे पहले ब्यूटी पार्लर गई जहां पर उन्होंने अपने बालों की कटिंग कराई और दोनों के बालों की लंबाई एक जैसी ही हो गई , फिर दोनों ने घर आकर गर्म पानी में स्नान किया ।

शाम के 5:00 बजने को आए थे और अभी उपासना और पूजा एक 1 घंटे सो कर उठी थी उपासना ने अपने और पूजा के लिए एक बहुत ही टाइट ड्रेस निकाली और पूजा की तरफ मुस्कुरा कर बोली- ले पहन ले मेरी घोड़ी ।

अब उन दोनों को थोड़ा तड़पा दें ताकि रात को हम दोनों की चूतों की धज्जियां बिखेरने में कोई कसर बाकी ना रहे।

उन दोनों के लंडों में ऐसी आग लगा दे कि रात भर भर इतनी कसकर , इतनी टीका कर गांड मारी गांड मारी कर गांड मारी जाए हम दोनों की कि हमारे बस की चलना ना रहे ना रहे , और पूजा तुझे तो वैसे भी दोनों को एक साथ अपने ऊपर एक बार चढ़वाना ही पड़ेगा तभी तेरा यह चुदा हुआ भोसड़ा गेंदा के फूल की तरह खिलेगा ।

पूजा ड्रेस को हाथ में पकड़ते हुए बोली हुए बोली - दीदी यह कहां का इंसाफ है छोटी बहन की चूत में लोड़े भरकर आप तड़पते रहो। चुदना दो आपको भी है । आपकी भी यह मोटी मोटी जांघे किसी का भी मुंह छुपाने के लिए, किसी के भी लोड़े को छुपाने के लिए काफी है।

दोनों ने टाइट योगा पैंट पहनी उसमें तो वास्तव में ही ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात चुदाई की रानियां हो ।

देखकर कोई भी कह सकता था इनकी चूतों में भरा हुआ रस पीने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं तो बेचारे धर्मवीर और सोमनाथ की क्या औकात ।

ऊपर से ड्रेस ऐसी थी कि अगर एक कदम भी आगे रखें तो पूरी गांड हिलने लगे आगे से चूत का शेप बिल्कुल साफ दिखाई दिखाई दे रहा था ।

ऐसा लग रहा था कि यह ड्रेस बदन छुपाने के लिए नहीं बल्कि दोनों घोड़ियां अपनी चूत और चुचों का प्रदर्शन करना चाहती थी ।

नीचे हाई हील की सैंडल पहन कर कर दोनों अपने एक्सरसाइज रूम में गई जहां पर उपासना व्यायाम करती थी ।

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उपासना ने जानबूझकर धर्मवीर को कॉल किया और कहा - पापा जी हमें भी योगा सिखा दीजिए अगर आपके पास समय है तो हम व्यायाम कक्ष में दोनों बहन व्यायाम कर रही हैं।

धर्मवीर फोन सुनकर कहने लगा सोमनाथ से - दोनों बेटियां एक्सरसाइज कर रही है चलो दोनों को योगा के कुछ स्टेप्स बता दिए जाएं दिए जाएं ।

सोमनाथ कहने लगा कि वह सब तो ठीक है लेकिन योगा ड्रैस तो पहनने को बोलो उनको ।

धर्मवीर कहने लगा - आप मेरी बहू को कम मत समझना मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसने अपने बाप के लिए वैसे ही कपड़े पहने होंगे जैसे कपड़ों में देखने की इच्छा सोमनाथ जी कर रहे हैं ।

ऐसा सुनकर सोमनाथ हंस दिया और दोनों चलने लगे।

जैसे ही दोनों ने कक्ष में कदम रखा दोनों के मुंह खुले के खुले रह गए क्योंकि उपासना और पूजा गेट की तरफ अपना पिछवाड़ा करके नीचे झुकी हुई थी और अपने हाथ को पैरों पर लगाने की कोशिश कर रही थी ।

हाथ पैरों तक नहीं पहुंच रहा था । इस तरह झुकी हुई कोई गदरायी लड़की देखकर इंसान वैसे ही अपना आपा खो देता है और यहां तो दो दो रंडियां अपने बाप और ससुर ससुर के सामने अपना पिछवाड़ा इस तरह फैला कर झुकी हुई थी जैसे कह रही हूं कि अब अपना तगड़ा लोड़ा हमारी चूतों में फंसा कर हमारी बच्चादानी में अपना बीज डाल डाल दीजिए।

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सोमनाथ और धर्मवीर दोनों एक दूसरे के मुंह को देखने लगे।

सोमनाथ को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सामने झुकी झुकी दो घोड़ियों उसी की बेटी हैं। आज तक उनका बदन उसे क्यों नहीं दिखा इस बात का मलाल करते हुए सोमनाथ ने हंसते हुए कहा की दोनों बेटियां व्यायाम कर रही हैं ।

इतना सुनकर झुकी हुई उपासना और पूजा ने एक दूसरे की तरफ की तरफ देखा और दोनों अपने होठों पर मुस्कुराहट लाते हुए खड़ी हुई और सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ मुड़ी तरफ मुड़ी अपने ससुर और पापा के सामने खड़ी दोनों बेटियां जब घूमी तो धर्मवीर और सोमनाथ की सोमनाथ की सांसे ही रुक गई गई गई ।

उनकी जांघों के बीच में चूत की बनावट उसके ऊपर पतली कमर और फिर पपीते जैसे मोटे मोटे चुचों को देखकर दोनों का लंड पैंट में इस हालत में था जैसे पागल खाने में कोई पागल कैद हो ।

धर्मवीर बोला - उपासना बेटा तुम्हें व्यायाम की क्या जरूरत है तुम्हारी बॉडी तो ठीक है, मेंटेन है ।

धर्मवीर की बात काटते हुए पूजा बोली - कहां मेंटेन है मौसा जी जी जी मौसा जी जी देखिए तो दीदी मोटी होती जा रही है ।

उपासना शर्मा गई और पूजा की तरफ देख कर बोली कह तो ऐसे रही है जैसे खुद मोटी ना हो हो तू भी तो मोटी ही है ही है तो मोटी ही है ही है।

धर्मवीर और सोमनाथ हंसते हुए कहने लगे किसने कहा तुम दोनों मोटी हो तुम मोटी नहीं हो।

उपासना बोली धर्मवीर से- कि पापा जी जी आप मुझे एक दिन योगा की स्टेप स्टेप सिखाने की बात कर रहे थे मैंने सोचा कि आज पूजा भी आई हुई है तो क्यों ना हम दोनों ही आपसे स्टेप सीख ले सीख ले ले ।

सोमनाथ बोला - हां यह सही रहेगा ।

तभी पूजा बोली सोमनाथ से- अच्छा पापा बताओ मैं और दीदी इस ड्रेस में कैसे लग रहे हैं।

सोमनाथ बोला मेरी तो तुम दोनों ही बेटियां हो और अपने बच्चे हर मां बाप के लिए सबसे प्यारे होते हैं । तुम्हें यह पूछना ही है तो अपने मौसा जी जी से पूछो मौसा जी से पूछो , धर्मवीर ही बताएंगे कि तुम कैसी लग रही हो ।

फिर पूजा ने बड़ी ही अदा से अपना एक हाथ अपने ढूंगे पर रखा और कूल्हे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई खड़ी हो गई और बोली धर्मवीर से- बताइए मौसा जी जी हम दोनों आज कैसी लग रही है ?

धर्मवीर बोला --

दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,

दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,

ऐसे चमके रूप तुम्हारा, जैसे पानी में किरन ।

शहरों की इन गलियों में है चर्चे तुम्हारे नाम के ,

इतने सारे हुस्न के जलवे प्यार बिना किस काम के ।।

पूजा ये सुनकर शर्मा गयी क्योंकि वो जानती थी कि किस प्यार की बात धर्मवीर कर रहा है, वो समझ गयी थी कि इतनी रसीली चूतों का बिना लंड के क्या फायदा यही धर्मवीर का मतलब है ।

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शायरी सुनकर उपासना बोली शरमाते हुए - आपके शब्दों का भी कोई जवाब नहीं । अब हमें कोई स्टेप सिखाइए ।

धर्मवीर बोला - नहीं बेटी पहले तुम दोनों थोड़ा व्यायाम करो अपना पसीना निकालो जिससे कि तुम्हें हाथ और पैरों को मोड़ने में ज्यादा तकलीफ ना हो, और तुम योगा के स्टेप सीख सको ।

इतना सुनते ही उपासना बोली - लीजिये हम दोनों अपना पसीना निकालते हैं हम दोनों ट्रेडमिल पर दौड़ लेते है ।

इतना कहकर उपासना ने पूजा से कहा- चल मेरी बहन निकाल ले पसीना । यह बात उसने बड़े ही कामुक अंदाज में कही ।

दोनों अलग अलग ट्रेडमिल पर खड़ी हो गई और मशीन स्टार्ट कर दी ।

दोनों धीरे धीरे चलने लगी उनका चलना देख कर तो धर्मवीर से रहा नहीं जा रहा था दोनों के चूतड़ और चूची हिल रही थी । दोनों का पिछवाड़ा बराबर हिल रहा था अब धीरे-धीरे उपासना ने ट्रेडमिल की स्पीड बढ़ा दे स्पीड बढ़ा दे और उछल उछल कर उस पर दौड़ने लगी जितनी वह उछलती उतनी ही उनकी गांड हिलती उनके चूतड़ ऊपर नीचे हो जाते और चुचे तो मानो आगे दो पपीते उछल कूद कर रहे हो ।

ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से दो कामदेवी उतारकर दौड़ने लगी हों ।

दोनों का भारी कूल्हों वाला शरीर दौड़ते दौड़ते 10 मिनट में ही थक गया । पसीने में लथपथ हो गयी थी दोनों ही ।

दोनों उतारकर धर्मवीर और सोमनाथ के सामने आई तो उनकी सांसे इतनी तेज चल रही थी कि दोनों के सीने पर पके पपीते ऊपर नीचे हो रहे थे ।

उपासना - हांफते हुए - पापाजी इससे ज्यादा याब मेरे बसकी नही है दौड़ना ।

धर्मवीर - चलो तो अब योगा शुरू करते हैं । तुम दोनों इस लाइन पर खड़े हो जाओ (धर्मवीर ने एक लाइन खींचते हुए कहा )।

दोनों लाइन पर खड़ी हो गयी ।

फिर धर्मवीर ने कहा याब तुम दोनों अपने हाथ ऊपर करो ।

दोनों ने शर्माते हुए अपने हाथ ऊपर कर लिए ।

धर्मवीर और सोमनाथ उनके सामने खड़े होकर देखने लगे । दोनों की गहरी नाभि के दर्शन हो रहे थे । चूचे बिल्कुल तनकर पर्वत की तरह खड़े थे ।

धर्मवीर - याब तुम दोनों बिना अपने पैर मोड़े अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करो ।

ऐसा सुनकर दोनों फिर फर्श पर खड़ी खड़ी ही झुक गयी ।

धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया और फिर दोनों सोमनाथ और धर्मवीर , पूजा और उपासना के पीछे आकर खड़े हो गए ।

दोनों की लैगिंग में से पैंटी की लाइन साफ दिख रही थी ।

धर्मवीर हैरान था कि पूजा की टांगे उसके कूल्हों का भार कैसे संभालती होंगी ।

दोनों की गांड फैलकर चौड़ी हो गयी थी लग रहा था अब लैगिंग को फाड़कर चूतड़ बाहर निकल जाएंगे ।

दोनों के लंड खड़े थे अपनी औकात में ।

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उपासना के हाथ पैर के अंगूठे तक नही पहुंच पा रहे थे । यही तो धर्मवीर चाहता था ।

धर्मवीर - अरे उपासना बहु तुम्हारे हाथ अभी पैरो तक नही पहुंचे है थोड़ा और झुको ।

और ऐसा कहकर धर्मवीर उपासना के पीछे आकर उसकी कमर पर दबाब डालने लगा। और ऐसा करते हुए धर्मवीर उसकी गांड से सटकर खड़ा हो गया।

अब तो हालात कंट्रोल से बाहर थी धर्मवीर के लिए उसकी बहु की चौड़ी गांड उसके लंड के आगे ऐसे खुली हुई प्रतीत हो रही थी जैसे धर्मवीर का तगड़ा लंड एक बार मे ही कहा जाएगी ।

सोमनाथ धर्मवीर को ऐसा करते देखकर पूजा के पीछे उसके पिछवाड़े से सटकर खड़ा हो गया और पूजा की मदद करने लगा ।

नीचे झुकी दोनों कुतियाओं ने एकदूसरे की तरफ देखा उपासना ने पूजा की तरफ आंख मारी । और पूजा समझ गयी ।

पूजा और उपासना ने अपनी गांड के दवाब थोड़ा और बढ़ाया सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर।

सोमनाथ और धर्मवीर तो झड़ने की हालत में आगये ।

पूजा और उपासना जो भी कर रही थी बड़ी सावधानी से कर रही थी ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को उनपर शक न हो ।

कुछ देर झुके रहने के बाद उपासना खड़ी होने लगी ये कहते हुए - पापाजी पैरो में दर्द होने लगा है ऐसे तो ।

पूजा भी खड़ी हो गयी ।

धर्मवीर - चली अब तुम दोनों घुटने मोड़कर कोहनी के बल फर्श पर बैठ जाओ ।

पूजा और उपासना दोनों फर्श पर कुतिया वाली पोजीशन में आगयी ।

अब तो भारी भारी जांघो पर रखे मोटे मोटे चूतड़ दिखाकर पूजा और उपासना दोनों को तड़पा रही थी ।

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सोमनाथ ने सोचा कुछ बात ही कर ली जाए जिससे कि पूजा और उपासना से थोड़ा खुल पाएं ।

सोमनाथ कहने लगा धर्मवीर से - वैसे समधी जी देखो आपने हमारी बड़ी बेटी उपासना को ठीक से खिलाया पिलाया नही है ।देखो हमारी पूजा भी उपासना से मोटी लगती है ।

धर्मवीर - कहाँ मोटी लगती है मुझे तो दोनों ही एक जैसी लग रहीं है सोमनाथ जी ।

उपासना अपनी कमर को और मोड़कर गांड को बाहर निकालते हुए - पापाजी आपको मैं पतली लगती हूँ क्या ?

सोमनाथ को अब उपासना की गांड ही दिखाई दे रही थी केवल उसके आगे कमर से मुह तक का शरीर तो उसके कूल्हे दिखने ही नही दे रहे थे ।

सोमनाथ - नही दुबली पतली तो नही हो उपासना तुम पर मुझे ऐसा लग रहा है कि पूजा तुमसे ज्यादा दमदार है ।

तभी बीच मे पूजा बोली - नही पापाजी दीदी की तरह मैं दमदार नही हूं । दीदी ज्यादा तगड़ी है मुझसे तो ।

अब पूजा और उपासना फर्श पर धीरे धीरे कुतियाओ की तरह फर्श पर चलने लगी। ऐसे चलने से जैसे ही दोनों रंडियां अपना एक घुटना आगे करती फिर दूसरा उठाकर आगे रखती दोनों की गांड का मटकाना और कमर के लचकना

सोमनाथ और धर्मवीर को पागल कर गया ।

धर्मवीर - जहाँ तक मेरा मानना है तुम दोनों ही तगड़ी और टिकने वाली चीज हो ।

उपासना यह सुनकर शरमा गयी ।

पूजा - टिकने वाली चीज हो मतलब मैं समझी नही मौसा जी ।

सोमनाथ - अरे बेटा समधी जी का ये मतलब है कि तुम दोनों ही हार मानने वाली नही हो किसी काम से ।

उपासना - ओह अच्छा पापाजी , हारना तो आपकी बेटियों ने सीखा ही नही है ।

धर्मवीर अब पूजा के आगे आकर खड़ा हो गया और सोमनाथ उपासना के आगे । दोनों कुतिया बनी हुईं थीं ।

धर्मवीर - पूजा बेटी अपनी कमर को थोड़ा नीचे की तरफ दबाओ । और उसकी मदद के बहाने पूजा की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया । जब धर्मवीर ने ऐसा किया तो उसे झुकना पड़ा जिस वजह से पूजा का मुँह बिल्कुल धर्मवीर के लंड के पास आगया । पैंट में तंबू बना वह लंड ऐसा लग रहा था जैसे धर्मवीर ने पैंट में कोई खीरा छुपा रखा हो।

धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया सोमनाथ भी वैसा ही करने लगा ।

दोनों रंडियां अपना मुह जान पूछकर पैंट की चैन वाली जगह पर लगा देतीं और फिर पीछे हटा लेतीं ।

धर्मवीर और सोमनाथ की तो हालत ही खराब थी अब धर्मवीर और सोमनाथ अपने हाथ पूजा और उपासना के चौड़े चौड़े कूल्हों पर ले गए ।

उपासना अपने सगे बाप सोमनाथ के हाथों का स्पर्श अपने मस्ताने नितंबों पर पाकर शर्म से लाल सुर्ख हो गयी ।

सोमनाथ ने फिर बात जारी रखते हुए कहा - हां उपासना बेटी ये तो तुमने ठीक कहा हारने वाली चीज तो नही हो तुम ।

पूजा - पापाजी सिर्फ दीदी की ही तारीफ करोगे मैं भी किसी काम मे हारने वाली नही हूँ ।

धर्मवीर - तुम दोनों में औरतों वाली नही बल्कि घोड़ियों वाली ताकत है ।

इस बात का मतलब दोनों चुद्दकड़ बेटियां समझ रही थीं पर अनजान बनते हुए बोली ।

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उपासना - क्या सभी औरतों से ज्यादा ताकत है मुझमे पापाजी जो आप हम दोनों बहनों को घोड़ी बोल रहे है ।

सोमनाथ - हां बेटी तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है जैसे तुममें घोड़ियों जैसी ताकत है ।

पूजा - तो पापाजी फिर आप हमें घोड़ी ही बोलिये ।

धर्मवीर बोला - चलो अब तुम दोनों इसी लाइन पर सीधी लेट जाओ ।

उपासना और पूजा सीधी लेट गयीं ।

धर्मवीर बोला - अब तुम दोनों अपने हाथ पीछे लेजाकर फर्श पर सीधे कर लो योगा steps के लिए।

********

भाइयों और बहनों जल्दी जल्दी में ये आधी अधूरी update कर पाया हूँ । आगे से निराश नही करूँगा।

कहानी कैसी चल रही है अपना प्यार comments के जरिये बनाये रखना इस नाचीज पर ।
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