Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
05-01-2021, 11:36 AM,
#21
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 18

धर्मवीर - इस तरह लेटकर अब अपने दोनों घुटनों को अपने पेट से लगाओ ।

यह सुनकर उपासना बोली - पापाजी पेट से कैसे लगाए घुटने तो छातियों पर आरहे है ।

सोमनाथ - हां बेटी यही मतलब है समधीजी का ।

उपासना और पूजा ने अपने दोनों घुटने अपनी छातियों से लगा लिए मोड़कर ।

अब तो उन दोनों के कूल्हों ने फैलकर अपना पूरा आ

कार ले लिया । पतली कमर के नीचे फैली हुई गांड आमंत्रित कर रही थी एक ताबड़तोड़ चुदाई को ।

सोमनाथ और धर्मवीर का कलेजा मुह को आगया ।

Screenshot-2020-04-21-14-24-45-542-com-miui-gallery

html text over image

अब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों उनके मुंह को अपने गोद में लेकर बैठ गए फर्श पर और उनके पैरों को पकड़कर अपनी तरफ खींचकर बिल्कुल सीधा कर दिया ।

ऐसा करने से उपासना और पूजा के नितम्बो का उठान किसी को भी पागल करने के लिए काफी था ।

ऐसे बैठने से सोमनाथ और धर्मवीर का लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया और पूजा और उपासना के माथे से टकराने लगा ।

धर्मवीर - पूजा की जांघों पर हाथ फेरते हुए बोला - सही कहा था सोमनाथ जी हमारी बेटियों ने की ये हार मानने वाली घोड़ियां नही है ।

सोमनाथ - समधीजी घोड़ी वही अच्छी होती है जो कभी हारे ना।

दोनों की ये वार्तालाप सुनकर पूजा और उपासना शरमा गयीं ।क्योंकि वो जानती थी इस बात का मतलब । लेकिन उपासना बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से बोली।

उपासना - पापाजी ऐसी घोड़ियों के लिए घुड़सवार भी दमदार होना चाहिए ।

सोमनाथ - घुड़सवार की तुम चिंता ना करो बेटी घुड़सवार तो ऐसे ही कि घोड़ियों के मुह से हिनहिनाने की आवाज तक ना निकले ।

Screenshot-2020-04-21-14-24-58-243-com-miui-gallery

Screenshot-2020-04-20-03-52-35-040-com-android-chrome

ऐसा बोलकर सोमनाथ ने अपने पैंट की चैन खोलकर अपना विशालकाय लंड उपासना के माथे पर रख दिया ।

जब उपासना ने अपने सगे बाप का लंबा लंड देखा तो उसके माथे से लेकर उसके होंठ सोमनाथ के आधे लंड पर ही आरहे थे। इतना लंबा लंड देखकर उपासना ने आंखे बंद करली।

धर्मवीर ने भी ऐसा ही किया तो धर्मवीर का लंड तो सोमनाथ से मोटा था पूजा को दोनों होंठ ढक गए उसके लंड से ।

IMG-20200421-145227

शाम हो चली थी तो धर्मवीर बोला - कि चलो सोमनाथ जी हम नहा लेते है ।

ऐसा बोलकर दोनों खड़े हो गए पूजा और उपासना को फर्श पर पड़ी छोड़कर बाहर निकल गए ।

पूजा और उपासना भी नहाकर निकल चुकी थी ।

दोनों ने अपने लिए ट्रांसपेरेंट साड़ी निकाली लेकिन कुछ सोचकर दोनों ने सूट सलवार पहन लिए और फैसला किया कि पहले पापाजी को चाय देकर आजाये फिर साड़ी पहनेंगे ।

ऐसा फैसला करके दोनों उपासना ने अपने हाथ मे चाय की ट्रे ली और पूजा ने कुछ स्नैक्स लिए और चल दिये धर्मवीर और सोमनाथ वाले रूम की तरफ ।

जैसे ही गेट पर पहुंचीं दोनों तो अचानक ठिठक गयीं क्योंकि अंदर से कुछ बात करने की आवाजें आरही थी ।

गेट खुला हुआ था । सोमनाथ जी सोफे पर बैठे थे और धर्मवीर जी बैड पर बैठे दोनों बातें कर रहे थे ।

पूजा ने इशारा किया उपासना को कि दीदी दोनों की बातें सुनते है ।

धर्मवीर - तो सोमनाथ जी आखिर करा ही दिए अपने अपनी बड़ी घोड़ी को अपने लंड के दर्शन ।

सोमनाथ - समधीजी अपने भी तो अपनी घोड़ी चुन ही ली है ।

धर्मवीर - तो देर कैसी फिर चलो उन दोनों की चूतों के छेदों को और चौड़ा कर दिया जाए ।

सोमनाथ - जल्दबाजी ठीक नही समधीजी । चूतों को तो हम आज फाड़ेंगे ही लेकिन तब जब वो दोनों अपनी चूतों को हमारे सामने हाथो से फैलाकर ये ना कहे कि पापाजी चोद दीजिये हमे और भर दीजिये हमारी चूतों को अपने मूसल जैसे लौड़ो से ।

धर्मवीर - तो फिर एक काम करते है दोनों को बुलाते है चाय के बहाने से और एक खेल खेलते है पत्तों से जो हारा उसे सजा देंगे और जाहिर सी बात है कि हम तो हारेंगे नही ।

सोमनाथ - समधीजी बात में तो दम है । फिर बुलाइये दोनों रंडियों को।

IMG-20200421-145600

धर्मवीर ने फोन मिलाया उपासना को।

उधर जैसे ही फोन लगाया उपासना ने तुरंत मोबाइल साइलेंट कर लिया । और पीछे जाकर कॉल उठायी ।

उपासना - जी पापाजी।

धर्मवीर - बेटा चाय लेकर आजाओ तुम्हारे पापाजी चाय के लिए बोल रहे है ।

उपासना - जी पापाजी हम तो चाय लेकर ही आरहे है लिफ्ट में है बस दो मिनट में आपके पास पहुंच जाएंगे।

फोन रखकर उपासना ने इशारा किया और दोनों एक मिनट गेट पर वेट करके चाय लेकर चली गयी अंदर ।

धर्मवीर और सोमनाथ जी ने जल्दी से चाय खत्म की और कहने लगे।

धर्मवीर - बेटी अगर तुम बोर हो रही हो तो क्यों ना कोई खेल खेला जाए तुम्हारे पापाजी का भी मन लग जायेगा।

पूजा - हां हां क्यों नही पर गेम क्या खेले ।

सोमनाथ - ताश खेल लेते है अगर सबकी रजामंदी हो तो ।

उपासना - हम तो हर खेल के लिए तैयार है पापाजी आप खेलिए तो सही ।

यह सुनकर दोनों समझ गए कि उपासना किस खेल की बात कर रही है ।

धर्मवीर - लेकिन पत्ते तो हैं नही और अनवर भी छुट्टियों पर है पत्ते तो खरीदकर लेन पड़ेंगे।

सोमनाथ - 5 मिनट लगेंगे लाने में चलो दोनों चलते है ।

धर्मवीर - ठीक है हम दोनों पत्ते लेकर आते है तब तक तुम यहीं इंतजार करो ।

यह कहकर धर्मवीर और सोमनाथ पत्ते लेने चले गए और उपासना और पूजा एकदूसरे को देखकर मुस्कुराने लगीं ।

कुछ मिनट बाद ही धर्मवीर और सोमनाथ पत्ते लेकर आगये और जैसे ही कमरे की तरफ बढ़े तो उनके कदमो की आहट सुनकर पूजा और उपासना दोनों एकदूसरे को इशारा करके जोर जोर से तेज आवाज में बातें करने लगी ताकि उनकी बातों को उनके पापा सुन सके।

और उधर धर्मवीर और सोमनाथ भी गेट पर खड़े होकर सुनने लगे ।

पूजा - दीदी जिस तरह से दोनों बात कर रहे थे मुझे तो लग रहा है कि हमारी चूतों का आज ही सत्यानाश होने वाला है ।

उपासना - हां तभी तो देखो कितने चालाक है दोनों ने पत्ते खेलने का फैसला किया है ताकि हम हार जाए और बदले में उनकी टांगो के नीचे आजाये ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ का मुह खुला का खुला रह गया कि दोनों की पोल तो पहले ही खुल गयी।

तब सोमनाथ ने धीरे से धर्मवीर के कान में कहा - लो समधीजी इन्होंने ने तो सारी बातें सुन ली और ये तो खुद ही दोनों चुदने को बेताब हैं। तो क्या पत्ते खेलना जाकर सीधे ही इनकी चुदाई कर देते है।

धर्मवीर - नही इसमे हमे ही शर्मिंदा होना पड़ेगा । अच्छा रहेगा कि ये खुद ही चुदने को बोले । तुम चुपचाप चलने दो ।

पूजा - मुझे तो दीदी तुम्हारे ससुर जी का लौड़ा बड़ा मोटा लगा । हाय मेरी तो चूत का बाजा बजा देगा ।

उपासना - मुझे भी अपने पापा का लंड बहुत लंबा लगा था जी चाह रहा था कि चुत को उनके लंड से सहला लूं ।

पूजा - लगता है दीदी आज तुम पापाजी के फनफनाते लंड से अपनी चूत की धज्जियां उड़वाने के लिए बेताब हो रही हो ।

उपासना - मेरी कुतिया बहन चूत तो आज तेरी भी फटेगी ।

पूजा - ना दीदी कुतिया ना बोलो मुझ जैसी संस्कारी लड़की को।

उपासना - हंसते हुए - संस्कारी , आज तेरे संस्कार तब देखूंगी जब तू अपनी चूत को मेरे ससुर के मुंह पर उठा उठाकर मारेगी ।

पूजा - दीदी आप वो दोनों आने वाले होंगे तो चुपचाप उनकी संस्कारी बहु बेटियों की तरह बैठो ।

ऐसा कहकर दोनों TV की स्क्रीन की तरफ देखने लगी ।

जैसे ही धर्मवीर और सोमनाथ ने ये सुना अपने लौडों को सैट करते हुए कमरे में घुसे।

धर्मवीर - लो बेटा हम ले आये पत्ते ।

उपासना - आइए पापाजी काफी देर लगा दी।

फिर चारो बैड पर बैठ जाते है। सोमनाथ जी पत्ते बांटते है और खेल शुरू होता है।

खेल का नियम रखा गया कि जिसका पत्ता बड़ा होगा वो जीता माना जायेगा और जितने वाला हारने वालो को यानी बाकी तीनो को कोई भी पनिशमेंट दे सकता है ।

पहली बाजी उपासना की थी । उसके पास सबसे बड़ा पत्ता हुकुम का बादशाह था उसने उसी की चाल की ।

तीनो ने पत्ते चले धर्मवीर ने हुकुम का इक्का मार दिया ।

धर्मवीर जीता अब पनिशमेंट देनी थी।

धर्मवीर ने कहा - मैं अपनी बहू को कोई कड़ी सजा तो दे नही सकता । चलो एक काम करो उपासना तुम और पूजा नाचकर दिखाओ । और सोमनाथ जी फैसला करेंगे कि किसने अच्छा डांस किया ।

उपासना मुस्कुराते हुए बोली मुझे तो नाचना आता भी नही पर सजा दी है तो नाचना ही पड़ेगा चलो पूजा ऐसा कहते हुए दोंनो मुस्कुराते हुए खड़ी हो गयी ।

असल मे दोनों समझ गयी कि नाचना तो बहाना है असलियत में तो इन दोनों ठरकियों को अपनी गांड और चूचे दिखाने हैं ।

दोनों कमरे में नाचने लगी अपनी ढूंगे पर हाथ रखकर ।

दोनों के मटकते कूल्हे लचकती कमर गजब ढा रही थी ।

दोनों के भारी भारी चूतड़ और चूचे हिल रहे थे ।

पांच मिनट नाचने के बाद दोनों रुक गयी । सोमनाथ जी ने कहा कि धर्मवीर जी मेरी दोनों ही बेटियों ने गजब का डांस किया है ।

*********

आगे की कहानी next update में ।

मेरे उन प्रिय पाठकों को दिल से धन्यवाद जो मुझे message करके इस स्टोरी के लिए सुझाव देते है ।

*********
Reply
05-01-2021, 11:36 AM,
#22
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update : 19

********

मेरे प्यारे प्यारे दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में है आपका ये दोस्त तो आज की update एक शायरी के साथ शुरू करते है ।

कुछ बात है तेरी बातों में जो ये बात यहां तक आ पहुंची ।

कुछ बात है तेरी बातों में जो ये बात यहां तक आ पहुंची ।

हम दिल से गये दिल हमसे गया, ये बात कहां तक आ पहुंची।

*********

इस बार सोमनाथ जी जीत गए उन्होंने उपासना की तरफ देखते हुए कहा कि इस बार मैं चाहता हूं की उपासना धर्मवीर जी को सवारी कराए ।

ऐसा सुनते ही उपासना शर्म से लाल होते हुए बोली ।

उपासना - पापा जी भला मैं कैसे सवारी करा सकती हूं ।

सोमनाथ जी ने कहा - तुमने ही तो कहा था कि तुम हारने वाली घोड़ी नहीं हो। तो बेटी अब धर्मवीर जी को अपने ऊपर बिठा कर थोड़ी दूर उन्हें घुमाओ।

ऐसी खुल्लम-खुल्ला बातें सुनकर बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से दोहरी हो गई ।

उपासना ने बेड से उतरते हुए कहा कि जब हारी हूं तो सजा तो माननी ही पड़ेगी और ऐसा कहकर वह नीचे फर्श पर घोड़ी बन गई ।

उसके घोड़ी बनते ही उसके चौड़े चौड़े नितंब ऊपर को उठ गए ।

यह देख कर सोमनाथ और धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया।

Screenshot-2020-05-10-22-35-42-294-com-miui-gallery

धर्मवीर जी ने कहा - सोमनाथ जी आप भी नाजुक सी बहू को कैसी सजा दे रहे हैं ।

इस पर उपासना ने पलटवार करते हुए कहा - पापा जी इस तरह बोल कर आप मेरी बेइज्जती कर रहे हैं ।आप चिंता ना करिए मैं आपका वजन आराम से झेल सकती हूं ।

मौके का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- हां बहू यह तो तुम्हें देखकर कोई भी कह सकता है कि तुम आराम से झेल सकती हो।

यह सुनकर उपासना नजरें झुका कर शर्म से नीचे फर्श की तरफ देखने लगी ।

धर्मवीर उपासना की ऊपर बैठा जैसे ही उपासना चलने को हुई तो उसके दोनों चूतड़ ऊपर नीचे होने लगे ।

इतनी कामुक औरत को घोड़ी बना देखकर सोमनाथ जी अपने आप को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल कर पा रहे थे ।

Screenshot-2020-05-10-22-41-11-734-com-miui-gallery

कुछ दूर चलने पर धर्मवीर ने गिरने का बहाना करते हुए अपने दोनों हाथ पीछे उपासना के कूल्हों पर रख दिए।

इतनी चौड़ी गांड पर हाथ रख कर धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया ।

अब सजा पूरी हो चुकी थी दोबारा पत्ते बांटे गए और इस बार पूजा जीत गई।

जैसा कि पूजा और उपासना को भलीभांति पता था कि यह कोई गेम नहीं बल्कि एक जोरदार ताबड़तोड़ चुदाई की आधारशिला रखी जा रही है और इसी को समझते हुए पूजा ने अपने पापा सोमनाथ को सजा दी ।

पूजा - पापा जी आप दीदी को गोद में उठाकर नीचे पटक दीजिए।

यह सुनकर उपासना बोली कैसी बहन है अपनी ही बहन को पटकवाना चाहती है । मेरी तो कमर ही टूट जाएगी ।

पूजा - ठीक है तो बेड पर पटक सकते हैं ।

यह सुनकर सोमनाथ जी खड़े हुए और उपासना भी खड़ी हो गई ।

सोमनाथ जी ने अपना एक हाथ उपासना की भारी भारी जागो जागो पर रखा और एक हाथ उसकी कमर में डाला और उसको गोद में उठा लिया।

इस दृश्य को देखकर कोई नहीं कह सकता था एक बाप ने अपनी बेटी को गोद में उठा रखा है , बल्कि इस दृश्य को देखकर यही कहा जा सकता था की एक चोदने लायक चुदासी औरत को एक तगड़े तंदुरुस्त ने मर्द ने अपनी बाहों में उठा रखा है ।

सोमनाथ जी ने उपासना को बैड पर पटका।

बैड के मोटे मोटे गद्दे पर जब उपासना गिरी तो हल्की सी उछलकर दोबारा से उसकी गांड गद्दों में धस गई ।

Screenshot-2020-05-10-22-35-54-252-com-miui-gallery

upload and share image

दोबारा पत्ते बांटे गए इस बार धर्मवीर जी ही जीते ।

धर्मवीर हंसते हुए कहने लगा कि अब आया है ऊंट पहाड़ के नीचे । मैं सोच रहा हूं कि इनको क्या सजा दूं तो सोमनाथ जी कहने लगे कि इनसे पोछा लगवा लिया जाए ।

धर्मवीर जी बोले - अपनी बेटियों की हम इतनी भी बेइज्जती नहीं कर सकते ।

सोचते सोचते धर्मवीर जी बोले कि तुम दोनों की यह सजा है कि तुम यह कपड़े बदलकर स्कूल ड्रेस पहनो ।

यह सुनकर उपासना बोली पापा जी हमारी तो यहां स्कूल ड्रेस है ही नहीं।

धर्मवीर जी बोले मेरी शालीनी बेटी की कोई ड्रेस होगी चेक करो ।

उपासना बोली कि उसकी ड्रेस हमें कैसे फिट आ सकती है, वह तो हमसे छोटी है ।

यह सुनकर सोमनाथ जी बोले की सजा तो सजा है माननी तो पड़ेगी, वह सजा ही क्या जिसमें परेशानी ना हो।

ऐसा सुनकर उपासना ठुनकते हुए और शालिनी की ड्रेस चेक करने लगी । लेकिन उसे कोई भी ड्रैस नहीं मिली।

फिर उपासना बोली कि शालिनी दीदी की तो इसमें स्कूल की कोई ड्रेस नहीं है ।

धर्मवीर जी भी उठकर उपासना के साथ शालिनी के स्कूल की ड्रेस ढूंढने लगे तभी उन्हें शालिनी के सूट और सलवार दिखाई पड़े जो कि कि शालिनी के दसवीं क्लास के थे ।

धर्मवीर जी ने वह कपड़े निकाले और उपासना की तरफ बढ़ाते हुए कहा - कि यह लो ।

यह कपड़े देखकर उपासना हैरानी से अपनी आंखें फैलाती हुई बोली कि यह सूट तो किसी भी कीमत पर नहीं आने वाला क्योंकि यह शालिनी के दसवीं क्लास की ड्रेस है।

इस पर सोमनाथ जी बोले चलो इस सजा में तुम्हें थोड़ी ढील दी जा सकती है ऊपर सूट की जगह तुम शालनी का ही ही कोई टॉप पहन सकते हो , लेकिन सलवार यही पहननी पड़ेगी ।

उपासना बोली कि वह तो ठीक है लेकिन यह तो एक ही ड्रेस है पूजा फिर कैसे बदलेगी ।

यह सुनकर धर्मवीर जी बोले बोले तुम दोनों एक एक करके यह ड्रेस पहन सकती हो ।

ऐसा सुनकर उपासना ने पूजा की तरफ देखा जैसे पूछ रही हो कि पहले तुम पहनोगी या मैं ।

उस वाइट कलर की सलवार को और ब्लैक कलर का एक टॉप लेकर उपासना दूसरे रूम में चली गई ।

जैसे ही वह शीशे के सामने खड़ी होकर उस ड्रेस को पहनने लगी तो उसे हैरानी हुई क्योंकि वह सलवार उसकी जांघों पर फस गई थी ।

उपासना ने जैसे तैसे करके उस सलवार को अपनी चूतड़ों पर चढ़ाया अब तो नाड़ा बांधने की कोई जरूरत ही नहीं बची थी ,क्योंकि वह सलवार उसकी भारी-भरकम गांड पर चिपक गई थी ।

उसके ऊपर उसने टॉप पहना जिसमें उसके चूचे टॉप को फाड़ने को तैयार थे। अपने आप को शीशे में देखकर शर्मा के सोचने लगी यह दोनों ठरकी पता नहीं क्या करवा कर मानेंगे ।

Screenshot-2020-04-21-14-39-27-155-com-miui-gallery

धीरे धीरे चलती हुई वह रूम में आई ।

धर्मवीर और सोमनाथ उपासना को इस रूप में देखकर अपनी आंखें झपकाना ही भूल गए ।

उसके भारी-भरकम चूतड़ हिलते हुए साफ देखे जा सकते थे ।

सोमनाथ - बेटी तुम तो वास्तव में अप्सरा लगती हो ।

उपासना - क्यों मजाक कर रहे हो पापाजी मैं अब मोटी हो गयी हूं ।

सोमनाथ - इसे मोटी होना नही गदराना बोलते है बेटी । ये तो तुम्हारी चढ़ती जवानी है जिसे तुम मोटा होना बोल रही हो ।

शर्म के कारण उपासना के पास बोलने को कोई शब्द नही थे । वह जल्दी जल्दी में इतना ही बोल पाई ।

उपासना - अब पूजा की बारी है और कमरे में चेंज करके आगयी । और पूजा पहनने के लिए चली गयी ।

जब पूजा ने वह ड्रैस पहनी तो उसे भी उतनी ही टाइट आयी क्योंकि उपासना की गांड फैली हुई थी तो पूजा के नितम्ब उठे हुए थे ।

उसकी भी गांड को संभाल पाने में वह सलवार असमर्थ थी।

Screenshot-2020-05-10-22-33-01-802-com-miui-gallery

पूजा रूम में आई उसे देखकर भी सोमनाथ और धर्मवीर के मुह से लार बहने लगी ।

धर्मवीर - देखा उपासना हमारी पूजा बेटी भी तुमसे काम नही है ।

उपासना - पापाजी मैं तो शादी के बाद ऐसी दिखती हूं लेकिन पूजा की तो शादी भी नही हुई है फिर ये कैसे ???

इस सवाल पर सोमनाथ और पूजा दोनों निरुत्तर हो गए ।

धर्मवीर जी ने मोर्चा संभाला यही मौका था उपासना को अपने बाप सोमनाथ के सामने थोड़ा खुलकर बोलने के लिए बेशर्म बनाने के लिए।

धर्मवीर अनजान बनते हुए - मैं कुछ समझा नही उपासना बहु ।

उपासना - शर्माते हुए - पूजा कैसे गदरा गयी अभी से मेरा ये मतलब था इसका पिछवाड़ा तो देखो ।

पूजा अपने बारे में ऐसे अश्लील शब्दो को सुनकर पानी पानी हो गयी ।

सोमनाथ - उपासना ये तो तुम ठीक कह रही हो पूजा का पिछवाड़ा तो बिल्कुल औरतों जैसा हो गया है ।

पूजा - पापाजी मैं जा रही हूं ऐसा कहकर पूजा कमरे से निकल गयी ।

उन दोनों को देखकर यकीन हो गया था सोमनाथ को उसकी बेटी बिस्तर में पूरा मजा देगी।

Screenshot-2020-05-10-22-39-42-586-com-miui-gallery

खेल चलता रहा अब इस खेल को उपासना जल्द ही खत्म करना चाहती थी तो आने वाली बाजी में वह जीत गई।

उपासना सोचने लगी सोमनाथ जी बोले बेटी क्या सोच रही हो ।

उपासना - मैं सोच रही हूं कि आपको अपनी दोनों बेटियों में क्या अंतर लगता है ।

सोमनाथ जी ने कहा कि मेरी दोनों बेटियां करोड़ों में एक है।

मैं लाखों में भी अपनी दोनों बेटियों को पहचान सकता हूं।

यह सुनकर उपासना कहने लगी कि यदि नहीं पहचाना गया तो ।

सोमनाथ जी बोले यदि नहीं पहचाना गया तो जो सजा तुम दो मुझे मंजूर होगी ।

उपासना कहने लगी कि आप की यही सजा है कि आप अपनी दोनों बेटियों को आज पहचान कर दिखाओगे।

हम दोनों बहने एक जैसे कपड़े पहनेंगे और तुम ही नहीं मेरे ससुर जी के लिए भी यही सजा है ।

तुम दोनों हमें पहचान कर दिखाना ऐसा कहकर खेल खत्म हुआ और दोनों नीचे अपने कमरे में आ गई ।

पूजा कहने लगी दीदी यह क्या अब नया नाटक किया आपने मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा ।

उपासना - अब तो मजा ही आएगा हम दोनों एक जैसे कपड़े पहनेंगी और अपना चेहरा ढक लेंगी और फिर उन दोनों को पहचानना होगा , देखते हैं कैसे पहचानते हैं।

पहचाने या ना पहचाने लेकिन यह तो पक्का है कि हमारी चूतों को आज जरूर भर देंगे ।

पूजा शर्मा गयी फिर दोनों ने स्नान किया और कमरे में आकर सोचने लगी कि क्या पहना जाए।

पूजा ने कहा कि दीदी हम अरबी लोगों की ड्रेस पहन लेते हैं। वही ड्रेस ऐसी ऐसी है जिसमें हमें पहचान नहीं पाएंगे।

उपासना कहने लगी ऐसी तो कोई ड्रेस नहीं है घर में । चलो देखती हूं तभी उसे एक ड्रेस मिली जो राकेश ने उसे दिलाई थी। एक साथ दो पीस खरीदे थे उपासना ने उस ड्रैस के ।

ड्रैस फुल थी लेकिन साइड में पतली पतली डोरियां थी जिनमें से साफ-साफ दिखाई पड़ता था । वह बस बीच में ही ढक कर रखती थी बाकी साइड से जांघे बिल्कुल नंगी ही लगती थी ।

IMG-20200510-224325

दोनों ने होंठो पर डार्क red लिक्विड मैट लिपस्टिक लगाई , आंखों पर काजल और eyeliner किया , बालों का जूड़ा बनाकर सर पर रख लिया । दोनों ने सेम मैकप किया ।

दोनों ने ड्रैस पहन ली उस ड्रेस में उनकी गांड भी पूरी तरीके से नहीं कवर हो पा रही थी। साइड में से उनकी गदरायी जांघो को साफ देखा जा सकता था ।

उसे पहनने के बाद उन्होंने अपने मुंह पर एक ब्लैक कलर का दुपट्टे जैसा कपड़ा बांध लिया और दोनों ने एक दूसरे को देखा ।

फिर उपासना पूजा से कहने लगी यह ड्रेस पहन तो ली है लेकिन अब आगे देखो होता है क्या ?

IMG-20200510-224255

पूजा मुस्कुराते हुए कहने लगी - मैं समझ गई दीदी यह उतारी नहीं जाएगी बल्कि फाड़ दी जाएगी।

उपासना कहने लगी बड़ी समझदार हो गई है मेरी बहन तो।

पूजा बोली आपने ही समझदार बनाया है ।

उपासना - बोल तो ऐसे रही है जैसे अपनी चूत किसी के सामने ना फैलाई हो और बात भी सही है असली लंड तो तुझे आज मिलेंगे ।

यह सुनकर पूजा शर्माकर उपासना के कंधे पर मुक्का मारते हुए बोली कि दीदी आप भी ना हद करती हो ।

दोनों रंडियों तैयार हो चुकी थी उपासना ने धर्मवीर को फोन किया ।

Screenshot-2020-05-10-22-42-16-390-com-miui-gallery

उपासना - hello ।

धर्मवीर - हां बहु बोलो ।

उपासना - dinner तैयार हैं पापाजी । आप दोनों आजाओ खाना खाने के लिए।

धर्मवीर - ओके बहु आरहे हैं हम दोनों बस 5 मिनट में।

उपासना - पर व- वो पापाजी ।

धर्मवीर - हां बहु बोलो क्या बात है , रुक क्यों गयीं ।

उपासना को समझ नहीं आरहा था कि कैसे वो अपने ससुर से कहे कि उसकी बहु तैयार हो चुकी है फटी हुई चूत को और ज्यादा फड़वाने के लिए ।

उपासना - पापाजी वो पनिशमेंट जो थी आप दोनों के लिए तो हम दोनों ने एक जैसे कपड़े पहन लिए है ।

धर्मवीर - ओह अच्छा हां तो क्या बात है पहचान लेंगे हम तुमको ।

उपासना ने फोन रख दिया और दोनों बहनें किचन में खड़ी होकर वेट करने लगीं ।

करीब 5 मिनट बाद ही उन दोनों के आने की आवाज आई ।

धर्मवीर और सोमनाथ डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गए । धर्मवीर ने आवाज लगाई बहु खाना ले आओ ।

उपासना और पूजा अपने हाथ में एक एक थाली लेकर डाइनिंग टेबल की तरफ आने लगी ।

उनके इस रूप को देखकर दोनों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ ।

काले कपड़े से ढका हुआ उनका चेहरा और इतनी हॉट सेक्सी कपड़े पहने हुए अपनी बहू और उसकी बहन को देखकर धर्मवीर का लंड खड़ा हो गया लेकिन अचंभे वाली बात यह थी कि दोनों एक ही जैसी लग रही थी । दोनों ने आकर थालियों को टेबल पर रखा और बाकी का खाना लेने के लिए मुड़कर जाने लगी ।

जैसे ही उनका पिछवाड़ा धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ हुआ उनका कलेजा मुंह को आ गया क्योंकि दोनों कूल्हों का मटकना और साइड में से दोनों की मोटी और गदरायी नंगी जांघे नजर आ रही थी ।

बाकी का बचा हुआ खाना लेकर दोनों साइड में खड़ी हो गई।

IMG-20200510-224310

धर्मवीर कहने लगा तुम भी बैठो खाना साथ में खाओ।

इस पर उपासना ने अपना मोबाइल निकाला और मैसेज टाइप करने लगी उसने मैसेज में लिखा -

कि ये उपासना का मोबाइल है और ये मोबाइल जरूरी नही है कि उपासना के पास ही हो , हो सकता है पूजा के पास हो या हो सकता है उपासना के पास हो , और हम खाना खा चुके हैं , और हम दोनों चुप ही रहेंगे बोलेंगे नहीं यदि बोलेंगे तो आप पहचान लोगे । आप खाना खा लीजिए उसके बाद पहचान कर बताइए कौन सी आपकी बहू है और कौन सी आपकी बेटी ।

यह मैसेज धर्मवीर ने पढ़ा तो उसके जेहन में एक प्यारी सी लहर दौड़ गई उसने वह मैसेज पढ़कर सोमनाथ जी को सुनाया और दोनों अपना खाना खाने लगे ।

जब वह खाना खा रहे थे तो पूजा और उपासना वहीं पर चहलकदमी करने लगी जब वह चलती तो दोनों के चूतड़ों का मटकना तिरछी नजरों से देख ही लेते सोमनाथ और धर्मवीर ।

दोनों खाना खा चुके थे अब पूजा और उपासना ने अपने हाथ की उंगलियों से इशारा किया कि हमारे पीछे आजाओ।

धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना की पीछे पीछे चलने लगे । दोनों ही बिल्कुल एक जैसी लग रही थीं चारों चलकर हॉल में आ गए ।

उपासना ने फिर मैसेज टाइप किया की पहचान कीजिये अब ।

धर्मवीर ने बड़ी गौर से दोनों को देखा लेकिन उनकी आंखें ही दिखाई दे रही थी । सोमनाथ जी ने भी देखा लेकिन नहीं पहचान पाए ।

धर्मवीर जी बोले सोमनाथ जी आप पहचानिए कि आपकी कौन सी बेटी छोटी है कौन सी बड़ी ।

सोमनाथ - समधीजी मैं तो समझ ही नहीं पा रहा हूं क्योंकि एक जैसे कपड़े दोनों ने पहने है ।दोनों की कमर भी बिल्कुल एक जैसी ही है ।

IMG-20200510-224341

धर्मवीर कहने लगाओ की कमर ही नहीं मुझे तो सारी की सारी एक जैसी ही लग रही है ।

दोनों चलकर उनके पीछे खड़े हो गए फिर सोमनाथ जी बोले समधी जी मुझे तो दोनों का पिछवाड़ा भी एक जैसा ही लग रहा है ।

उपासना और पूजा खड़ी खड़ी शर्मा रही थी लेकिन मुंह ढका होने की वजह से वह ज्यादा परेशान नहीं थी ।

धर्मवीर कहने लगा ऐसे तो नहीं पहचाने जाएंगी ।

फिर धर्मवीर ने पूछा - क्या हम तुम्हें छू कर देख सकते हैं, शायद छूकर पहचान लें।

उपासना ने मोबाइल से मैसेज किया कि आप हमें छू सकते हो ।

धर्मवीर ने उपासना की कमर पर हाथ रखा उपासना सिहर उठी । वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन पता नहीं चल पा रहा था नाही धर्मवीर को और ना ही सोमनाथ को कि उनका हाथ उपासना की कमर पर है यह पूजा की ।

धर्मवीर ने सोमनाथ जी से कहा - सोमनाथ जी आप यहां आइए ।

सोमनाथ उपासना के पीछे धर्मवीर के साथ खड़ा हो गया। और धर्मवीर वहां से पूजा की पीछे खड़ा हो गया और दोनों ने उनकी कमर पर सहलाना शुरू कर दिया

जब कुछ देर हो गई तब सोमनाथ जी ने कहा कि ऐसे तो नहीं पता चल रहा है कौन सी पूजा है और कौन सी उपासना।

सोमनाथ जी ने - पूछा कि क्या हम और कहीं भी छू कर देख सकते हैं ?

यह सुनकर उपासना ने मैसेज टाइप किया

आपको पहचानना है कैसे भी पहचानिए ।

यह मैसेज धर्मवीर ने जोर से पढ़ा ताकि सोमनाथ भी सुन सकें ।

दोनों ने अपने हाथ को कमर पर से आगे की तरफ करते हुए नाभि में उंगली डालकर घुमाने लगे ।

ऐसा करने से उपासना और पूजा मस्ती से भर गयीं ।

Screenshot-2020-05-10-22-41-00-753-com-miui-gallery

फिर भी नहीं पहचान पाए तब सोमनाथ ने पूछा - क्या हम सूंघकर देख सकते हैं क्या पता ऐसे पहचान ले।

उपासना ने लिखा - कि आप बार-बार मत पूछिए, आपको पहचानना है अब जैसे आप अपनी बहू और बेटी को पहचान सकते हो वैसे पहचानिए।

यह मैसेज धर्मवीर ने सोमनाथ जी को पढ़कर सुनाया।

सोमनाथ जी बोले ठीक है अब हम तुमसे नहीं पूछेंगे जैसे भी पहचानना है पहचानेंगे ।

धर्मवीर बोला कि चलो दोनों को सूंघकर देखते हैं क्या पता महक से पता चल जाए ।

धर्मवीर और सोमनाथ जी ने उपासना और पूजा की बाजू को अपनी नाक से सूंघने लगे लेकिन दोनों में से एक ही जैसी महक आ रही थी । इसी बहाने से सोमनाथ और धर्मवीर ने अपने होठों से उनकी बाहों को चूम लिया ।

जैसे ही उन्होंने चूमा पूजा और उपासना मस्ताने लगी ।

श्री सोमनाथ जी ने पीछे खड़े होकर उपासना की कंधों को सूंघा और साथ ही साथ दोनों कंधों पर हाथ रख कर सहलाने लगे ।

लेकिन दोनों को पहचान नहीं पाए ।

फिर धर्मवीर ने कहा कि सोमनाथ जी से कहा कि इनसे पूछो कि क्या हम किसी भी अंग को छू सकते हैं।

ऐसा सुनकर सोमनाथ जी ने कहा- समधीजी अभी तो बेटी ने बताया है मैसेज करके कि बार-बार मत पूछो ।आप दोबारा पूछोगे तो नाराज हो जाएगी ।अब तो जैसे भी पहचानना है पहचानना तो पड़ेगा ही । इसमें पूछना क्या वैसे भी बेटी ने कह दिया है कि कैसे भी पहचानो पर पहचानो ।

यही सुनना चाहता था धर्मवीर ।

धर्मवीर ने अपना हाथ कमर से नीचे करते हुए पूजा के कूल्हों पर रख दिया ।

सोमनाथ ने धर्मवीर को ऐसा करते देखा तो उसने भी उपासना के चूतड़ों पर अपने हाथ रख दिया ।

Screenshot-2020-05-10-22-35-07-403-com-miui-gallery

अपने चौड़े चौड़े मतवाले नितंबों पर उनके हाथ पाकर दोनों की चूत पानी छोड़ने लगी ।

धर्मवीर पूजा के चूतड़ों को सहलाता हुआ बोला- सोमनाथ जी यह तो पता नहीं कि यह पिछवाड़ा बहु का है या पूजा का लेकिन जिसका भी है बड़ा ही गद्देदार है।

सोमनाथ - समधीजी जी यहां पर भी ऐसा ही है मेरे तो हाथों में ये कूल्हे आ ही नहीं रहे।

दोनों के मुंह से ऐसी बातें सुनकर शर्म से पानी पानी हो गई उपासना और पूजा लेकिन मजबूरी थी कि कुछ बोल भी नहीं सकती थी और चुप खड़ी रही ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड को खूब देर मसला लेकिन पहचान नहीं पाए ।

दोनों के हाथ पूजा और उपासना की जांघों पर आ गए।

धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी मुझे तो यह उपासना की जांघे लगती हैं देखो तो कितनी भारी और गदरायी हुई है।

Screenshot-2020-05-10-22-39-29-860-com-miui-gallery

सोमनाथ - समधी जी और अगर यही बात मैं बोलूं तो देखो जरा ये जांघे भी इतनी मोटी और गदरायी हुई है ।

धर्मवीर ने अपने हाथ जांघो से ऊपर करते हुए पूजा के सीने पर पहाड़ की तरह तने हुए चूचों पर जब हाथ रखा तो पूजा के मुंह से sssssssshhhhhiiiii की आवाज निकली लेकिन यह आवाज तो सबकी एक ही जैसी होती है ।

इस वजह से धर्मवीर पहचान नहीं पाया ।

वैसा ही सोमनाथ ने किया लेकिन सोमनाथ भी नहीं पहचान पाया और दोनों घोड़ियां सिसकारी भर उठीं।

धर्मवीर ने कहा कि एक आईडिया है सोमनाथ जी उनके मुंह से आवाज निकलवाने का कि इनको थप्पड़ मारा जाए।

फिर यह चिल्लाएगी और हम पहचान लेंगे ।

सोमनाथ कहने लगा नहीं समधीजी जी हम अपनी बेटियों के साथ मारपीट नहीं कर सकते ।

यह सुनकर धर्मवीर बोला मैं कौन सा गाल पर मारने के लिए बोल रहा हूं इनके पिछवाड़े पर मार कर देख लेते हैं ।

ऐसी बातें सुनकर उपासना और पूजा शर्म से मरी जा रही थी लेकिन उन्हें मजा भी आ रहा था ।

सोमनाथ ने कहा कि हां यह ठीक रहेगा, पहले मैं ही मार कर देखता हूं और सोमनाथ ने उपासना की भारी भरकम गांड वपर एक चपत लगाई ।

नितंबों पर थप्पड़ लगते हैं हैं उपासना के मुंह से आउच निकलते निकलते रह गया क्योंकि उसने अपने दांतो से होठों को भींच लिया था ।

वह बस sssssssshhhhhiiiii की आवाज ही निकाल पाई ।

फिर धर्मवीर ने अपने ढाई किलो के हाथ से पूजा के चूतड़ों पर थप्पड़ मारा लेकिन वह भी sssssssshhhhhiiiii कर पाई ।

जब दोनों के कूल्हों पर थप्पड़ लगे तो दोनों की गांड हिलने लगी धर्मवीर और सोमनाथ ने दोबारा से थप्पड़ मारा लेकिन दोनों के मुंह से sssssssshhhhhiiiii ही निकल पाती। और उनके चूतड़ थप्पड़ खा कर कुछ देर तक हिलते रहते।

लगातार आठ दस थप्पड़ उनकी गांड पर जमाने के बाद दोनों अलग हो गए ।

धर्मवीर कहने लगा सोमनाथ जी यह तो आज पक्का इरादा करके आई हैं कि चाहे हम कुछ भी कर ले लेकिन ये बोलेंगीं नहीं तो कैसे पहचाने ।

सोमनाथ जी - समधी जी यह तो आपने ठीक कहा क्योंकि जितने थप्पड़ हमने उनके पिछवाड़े पर लगाए हैं इतने में तो ये चिल्ला पड़ती लेकिन दोनों घोड़ियों को देखो तो बस सिसकारी भरती हैं ।

Screenshot-2020-05-10-22-41-25-472-com-miui-gallery

अपने बारे में ऐसा सुनकर उपासना पूजा शर्म से दोहरी होती जा रही थी , लेकिन उनको अब मजा भी आने लगा था और इसी मजे के लिए वह अपने मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी ।

श्री धर्मवीर और सोमनाथ जी ने पूजा और उपासना को गोद में उठाया और लंबे चौड़े बड़े बैड पर पटक दिया ।

धर्मवीर बोला कि अब तुम दोनों बेड पर उल्टी लेट कर दिखाओ ।

यह सुनते ही उपासना और पूजा बेड पर उल्टी लेट गई अब तो उनकी मोटे चूतड़ों वाली गांड ऊपर की तरफ उभरकर आ गई ।

यह देख कर सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो ऐसी भी पहचान नहीं हो पा रही देखो तो दोनों का पिछवाड़ा बराबर उठा हुआ है ।

यह सुनकर धर्मवीर बोला कि हमें पहचानना है सोमनाथ जी और हम हारना नहीं चाहते।

सोमनाथ और धर्मवीर उल्टी लेटी दोनों घोड़ियों के कंधों को सूंघने लगे और सूंघते सूंघते कमर तक आ गए लेकिन फिर भी नहीं पहचान पाए । फिर दोनों ने उनके चूतड़ों पर हाथ फेरा और दोनों के चूतड़ों को पूरा खोल दिया और खुली हुई गांड में अपना मुंह घुसा दिया ।

इसकी उम्मीद पूजा और उपासना को नहीं थी जैसे ही अपने चूतड़ों में दोनों का मुंह घुसा होना महसूस हुआ दोनों ने अपने हाथ की मुट्ठियों में बेड की चादर को भींच लिया और sssssssshhhhhiiiii करने लगी ।

दोनों की चूत पानी बहाने लगी कुछ देर तक उनकी गांड में मुँह घुसा कर सूंघने के बाद भी पता नहीं चला फिर दोनों ने उनकी गांड पर चार चार थप्पड़ लगाए और उन्हें सीधी लेटने को बोला ।

यह सुनते ही दोनों सीधी लेट गई बैड पर ।

लेटी हुई दोनों की मोटी मोटी जांघे और फैल गई चूत का उभार साफ दिख रहा था और दोनों की सांसें बहुत तेज गति से चल रही थी ।

सांसे तेज चलने के कारण दोनों के चूचे ऊपर नीचे हो रहे थे।

फिर धर्मवीर और सोमनाथ उनके गले को सूंघने लगे लेकिन दोनों की पहचान नहीं हो पा रही थी तब सोमनाथ ने कहा कि अब तो लगता है हम पहचान ही नहीं पाएंगे ।

यह सुनकर धर्मवीर ने कहा कि आप चिंता ना करो मैं कोई रास्ता निकालता हूं ऐसा कहकर धर्मवीर ने कहा कि तुम दोनों अपनी टांग मोड़ कर अपने सीने से लगा लो।

यह सुनकर दोनों ने अपनी टांगों को अपनी छाती से लगा लिया पूजा और उपासना इतनी मस्ता गई थी कि वह कुछ भी करने के लिए तैयार थी और उन्हें इस खेल में अलग ही आनंद मिल रहा था ।

जितना हो सकता था दोनों ने उतना अपने घुटनों को मोड़कर छाती से लगा लिया ।

इस अंदाज में उनकी गांड ने फेल कर पूरा आकार ले लिया और मोटी मोटी जांघे एक जगह मिली होने के कारण सोमनाथ और धर्मवीर के लिए कंट्रोल से बाहर होता जा रहा था ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने चूतड़ों के नीचे हाथ रखा और हल्का सा ऊपर उठा कर अपना मुंह उनकी जांघों के बीच में चूत वाले हिस्से पर रख दिया।

उपासना और पूजा की हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि चूतों से बहता पानी उनकी ड्रेस को गीला कर रहा था । और उस पानी को सोमनाथ और धर्मवीर चाटने लगे ।

धर्मवीर बोला सोमनाथ जी मुझे तो लगता है की उपासना और पूजा दोनों ने गीली ड्रेस पहन ली है।

सोमनाथ बोला- समधीजी मुझे भी यही लगता है देखिए तो यह भी पानी छोड़ रही है ।

दोनों की चूतों से उनके मूत की हल्की-हल्की महक सोमनाथ और धर्मवीर के नथुनों में आ रही थी ।

धर्मवीर बोला मैं तो ऐसे पहचान नहीं पा रहा हूं।

सोमनाथ - मेरे पास एक आईडिया है तुम दोनों बेड पर घोड़ी बन जाओ ।

यह सुनकर पूजा और उपासना घोड़ी बन गई ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने उनकी गांड पर तीन चार थप्पड़ लगाए और अपने हाथ से चूतों को सहलाने लगे।

चूत पर हाथ लगते हैं दोनों मस्ती से भर उठी। दोनों की चूतों को खूब सहलाने के बाद सोमनाथ ना दोनों चूतड़ों के बीच में अपनी उंगली घुसा दी । जिससे उनकी ड्रैस में एक छेद हो गया ।

और उसी छेद में अपनी दो उंगली घुसाकर सोमनाथ ने उपासना के ड्रेस को फाड़ दिया ।

कपड़े को फटते ही दोनों चूतड़ आजाद होकर बाहर आ गए।

वैसा ही धर्मवीर ने किया और जैसे ही धर्मवीर में पूजा की ड्रेस फाड़ी तो उसकी झांटों से भरी हुई चूत उसके सामने आ गई । चूत पर इतने घने बाल पहली बार देख रहा था धर्मवीर। ।

यह देखकर धर्मवीर समझ चुका था कि यह पूजा ही है क्योंकि उपासना को तो पहली रात ही चोदा था उसने लेकिन उसने बताया नहीं ।

और उस झांटों से भरी चूत पर अपना हाथ रख दिया।

वैसा ही सोमनाथ ने किया फिर दोनों ने अपना मुंह उनकी चूत के पास लाकर अपनी नाक को उनकी चूत पर रखा और एक गहरी सांस ली जैसे ही सांस लेकर सूंघा तो उपासना और पूजा सहन ना कर सकीं और झड़ गई ।

Screenshot-2020-05-10-22-40-49-602-com-miui-gallery

झड़ते ही उपासना के दिमाग मे पता नही क्या आया उसने फुर्ती से बैड पर सीधी होकर सोमनाथ की छाती में लात मारी जिससे सोमनाथ उसका सगा बाप बैड से नीचे जा गिरा ।

ये देखकर धर्मवीर तुरंत हट गया पूजा की चूत से और मुह और आंखे फाड़कर उपासना के इस रूप को देखने लगा । बिल्कुल चंडी का रूप लग रही थी उपासना ।

उपासना ने अपने मुह पर से पर्दा हटाकर कपड़ा फेंक दिया और पूजा का मुह भी बेपर्दा कर दिया ।

उपासना लगभग चीखती हुई - ये कौन सा खेल और कौन सी सजा है जिसमे एक सगा बाप अपनी बेटी की टांगो के बीच अपना मुह तक घुसा बैठा ।

उपासना चिल्लाते हुए बोलने लगी - मैं मजबूर थी कल रात अपने ससुर के साथ सोने के लिए इनके वंश की वजह से । लेकिन ये कैसा ढोंग है कि आज एक सगा बाप अपनी मान मर्यादा भूल गया । ये तक भूल गया कि मैं उसकी बेटी हूं ।

मुझे शर्म आती है सोमनाथ तुझे अपना बाप कहते हुए ।

ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ पकड़कर लगभग पूजा को खींचती हुई अपने साथ कमरे से निकल गयी ।

सोमनाथ की आंखों के सामने अंधेरा छा गया उसे समझ नही आया कि हुआ क्या । बिल्कुल मौन होकर फर्श पर पड़ गया सोमनाथ ।

धर्मवीर अभी भी समझने की कोशिश कर रहा था कि आखिर यह सब क्या था जो आंधी की तरह आया और तूफान की तरह सबकुछ उजाड़कर चला गया ।

खैर दोस्तों मेरे प्रिय पाठकों आप तो धर्मवीर को अच्छी तरह से जानते हो कि वो कितना बिंदास और चालाक इंसान है सो अपने स्वभाव अनुसार धर्मवीर ने इतना ही कहा - मार गयी बहन-की-लौड़ी खड़े लंड पर लात ।

*********

मेरे प्यारे दोस्तों आगे की कहानी next update में ।

Comments करके हौसला जरूर देना और कहानी के बारे में अपनी अपनी राय जरूर देना । पूरे 3 घंटे की मेहनत लगी है इस update को लिखने में ।

आपका अपना प्यारा सा दोस्त - रचित ।

*********
Reply
05-01-2021, 11:36 AM,
#23
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 20

चलो दोस्तो आगे की कहानी की शुरुआत फिर एक शायरी के साथ करते हैं

खुदा जाने हमारे इश्क की दुनिया कहाँ तक है,

खुदा जाने हमारे इश्क की दुनिया कहाँ तक है

वो वही तक देख सकता है नजर जिसकी जहां तक है ।

******

सोमनाथ जी फर्श पर से उठकर सर झुकाए हुए बैड पर बैठ गए ।

धर्मवीर जोर से हसने लगा । यह देखकर सोमनाथ हैरान होते हुए धर्मवीर का मुह ताकते हुए कहने लगा ।

सोमनाथ- समधीजी जी , आपको अभी भी हँसी आरही है ।

धर्मवीर - अरे मैं हालातों पर नही बल्कि तुम्हारे खड़े लंड पर हसा हूं , तुम्हारी बेटी तो खड़े लंड पर लात मार गयी भईया । hahahaha।

सोमनाथ - उड़ा लीजिये आप भी मेरी हंसी । क्योंकि आप तो पहले ही उपासना से मजे ले चुके है । अगर उसने आपके साथ ऐसा किया होता तो पता चलता ।

धर्मवीर - हंसी तुम्हारी नही उड़ा रहा हूँ मेरे दोस्त । और मैं यही समझने की कोशिस कर रहा हूँ कि जब हमने उनकी बातें सुनी थी तब तो वो चुदवाने के लिए मरी जा रही थीं दोनों फिर अचानक ये क्या हुआ ।

उधर उपासना जैसे ही अपने रूम में पहुंची तो रोने लगी । अभी तक पूजा को भी कुछ समझ नही आरहा था कि दीदी को अचानक क्या हुआ ।

पूजा - दीदी आप अचानक इस तरह रोने क्यों लग गयी । मैं कुछ समझी नही ।

उपासना ने अपना मोबाइल पूजा को दिया पूजा ने देखा तो उसमें शालीनी का मैसेज था - Daddy Rakesh bhaiya ne atmahatya kar li hai . Or ek note likhkar gye h vo .

यह पढ़कर पूजा के सर का आसमान घूम गया । नही जीजू कहते हुए वो भी रोने लगी ।

तभी 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नीचे आये तो दोनों को रोता देखकर वो भागकर दोनों के पास आये ।

धर्मवीर सर झुकाकर - बेटा यदि हमसे और तुम्हारे पापा से इतनी बड़ी गलती हो गयी है तो हमे मांफ कर दो ।

तभी पूजा ने धर्मवीर को मोबाइल पकड़ाया ।

और जैसे ही धर्मवीर ने मैसेज पढ़ा धर्मवीर को सदमा आगया ।

घर मे बिल्कुल शांति हो गयी जहाँ अभी तक मादक सिसकारियों की आवाज आरही थी याब वहां सिर्फ रोने पीटने की आवाजें आने लगी ।

धर्मवीर को हॉस्पिटल ले जाया गया ।

सुबह के 7 बज रहे थे । धर्मवीर जी को होश आ चुका था । धर्मवीर जी के पास इस वक्त उपासना पूजा बैठे हुए थे ।

तभी रूम में डॉक्टर की एंट्री हुई ।

डॉक्टर - सर आप इस वक्त बिल्कुल स्वस्थ हो । बस आपको किसी बात की चिंता या कोई भी ऐसी बात नही सोचनी है जिससे आपके दिमाग पर जोर पड़े ।

धर्मवीर - रा-राकेश मेरा बेटा कहाँ है ?

उपासना डॉक्टर के साथ बाहर जाकर बात करने लगी ।

और 1 घंटे बाद जब धर्मवीर की आंखे खुली तो इस वक्त वो अपने घर मे था ।

तभी शालीनी की एंट्री होती है । शालीनी आते ही उपासना के गले लगकर रोने लगी ।

शालीनी रोते हुए - भाभी ये क्या हुआ ये क्या किया भैया ने ।

उपासना की आंखों से सिर्फ आंसू बह रहे थे ।

तभी रूम में एक नए किरदार की एंट्री होती है जिनका नाम बलवीर है । ये बलवीर भाई है धर्मवीर जी के जो अमेरिका में सेटल है अपने परिवार के साथ।

इनकी उम्र अभी 45 साल है । अमेरिका में रहते है लेकिन फिर भी दिल है इनका हिंदुस्तानी ।

पूरे सात फीट इनकी हाइट है । तगड़े तंदरुस्त है पर रंग से काले है । कोई भी देखकर इन्हें इंडियन नही अफ्रीकन ही कहेगा । इनकी कद काठी अनुसार ही इनके लंड का साइज भी 14 इंच है जिनकी मोटाई लगभग हाथ की कलाई के बराबर होगी । इनकी एक ही खासियत है कि जिसे भी आजतक इन्होंने चोदा है फिर उसे किसी और के चोदने लायक नही छोड़ा , मतलब सीधा और साफ है जिसे भी ये एकबार चोद लेते है उसकी चूत को भोसड़ा बना देते है । रहम नाम की चीज इनके अंदर है ही नही । अब आगे पढ़िए ।

IMG-20200516-224402

उपासना ने तुरंत पर्दा किया । शालीनी चाचाजी के गले लगकर रोने लगी।

बलवीर - नही बेटा शायद हमारी किस्मत में ये ही लिखा था । कोई ऐसी बात जरूर थी जिसने हमारे बेटे को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया ।

तभी पूजा पानी लेकर आ चुकी थी पानी की प्यास किसको थी कुछ देर बैठने के बाद बलवीर जी अपने भाई धर्मवीर के पास गए और गले से लिपट कर रो पड़े।

बलबीर ने मन ही मन सोचा यदि मैं ही भैया को नहीं संभालूंगा तो भैया को कौन संभालेगा ऐसा सोचकर उन्होंने अपने आपको हिम्मत दी और अपने भाई धर्मवीर का हाथ अपने हाथों में लेकर उन्हें ढांढस बंधाया ।

तभी घर में आरती की एंट्री होती है आरती की आंखों से बहते आंसू को देखकर बलबीर ने अपनी बहन को गले से लगाया और तीनों बहन भाई कुछ देर की खामोशी के बाद एक दूसरे की आंखों में देखकर एक दूसरे को हिम्मत देने लगे ।

14 दिन बीत चुके थे घर में शांति का माहौल था

राकेश की तेहरवीं भी हो चुकी थी ।

उधर जापान में पुलिस वालों को नदी में एक बॉडी तैरती हुई दिखाई दी ।उन्होंने जल्दी से उस बॉडी को पानी से निकाला बॉडी के पेट से खून निकल रहा था ।

उसे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया जहां जाकर पता चला कि इंसान के शरीर में चाकू से हमला हुआ है लेकिन दिल या फेफड़ों में कोई घाव नहीं है।

और अभी कोई कोई सांस ले रहा है।

पुलिस को उसकी जेब से उसका बटुआ मिला तो पता लगा कि वह राकेश नाम का कोई इंडियन है ।

राकेश को हॉस्पिटलाइज कर दिया गया जहां उसे अभी तक कोई होश नहीं था ।

ब्लड चढ़ाया गया शाम के वक्त राकेश को होश आया उसमें अब इतनी जान नहीं बची थी कि वह खड़ा हो सके।

उसके मुंह से बस इतना ही निकला - नहीं नहीं नहीं । बस ऐसा ही वह कह सका ।

दो-तीन दिन बीत गए जैसे-जैसे दिन बीत रहे थे राकेश की हालत में सुधार हो रहा था 4 दिन में राकेश अपना खाना खुद खाने लगा और आराम से उठने बैठने लगा इन 4 दिनों में राकेश के दिमाग में कोहराम मचा रहा।

कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ? क्यों उसकी ही बहन ने उसकी यह हालत करदी ।

5 दिन बीत चुके थे । हॉस्पिटल से राकेश को की छुट्टी कर दी गई लेकिन राकेश ने अभी तक अपने किसी भी मिलने वाले से संपर्क नहीं किया था।

उसने हॉस्पिटल में भुगतान किया और कुछ दिन जापान में ही रहने की ठानी उसने एक होटल में रूम लिया और वहीं पर सेटल होकर अपनी हालत सुधारने लगा ।

उधर 20 25 दिन के बाद अब धर्मवीर की हालत में काफी सुधार हो चुका था ।

धीरे-धीरे एक सपना समझकर अपने बेटे को भुलाने की कोशिश करने लगा था धर्मवीर ।

उपासना भी अपने आप को समझा रही थी और अपनी जिंदगी से समझौता कर रही थी।

बलवीर और आरती दिनभर धर्मवीर और उपासना को बिजी रखते जिससे की उन्हें याद ही ना आ सके ।

अब सब कुछ सामान्य होने लगा था।

अब उस घर में 7 लोग रहते थे धर्मवीर बलवीर सोमनाथ उपासना आरती शालिनी और पूजा ।

रात के 10:00 बज चुके थे सब डिनर कर चुके थे ।

धर्मवीर , बलवीर , सोमनाथ और आरती बैठे गपशप कर रहे थे ।

बलवीर अपने भाई धर्मवीर की बहुत ही ज्यादा शर्म करता था बहुत ज्यादा इज्जत करता था ।

बलबीर बोला - भैया जी मैं सोच रहा हूं कि काफी दिन हो गए हैं आपको कहीं घूम कर आना चाहिए ।

धर्मवीर - मैं तो यहां पर घूमता ही रहता हूं बलबीर एक काम करो तुम काफी सालों बाद इंडिया आए हो तुम घूम कर आओ ।

बलवीर - जी भैया जैसा आप कहें लेकिन मैं जानना चाहता हूं कि आप मुझे अकेले ही घूमने भेज रहे हैं या कोई मुझे गाइड करने वाला भी साथ है।

यह सुनकर धर्मवीर हंस पड़ा धर्मवीर बोला जिसे तुम ले जाना चाहो उन्हें अपने साथ ले जाओ ।

बलवीर पूछने लगा कि कोई है जो घूमना चाहता हो । वर्ल्ड टूर नहीं लेकिन इंडिया टूर तो जरूर ही घूम लेंगे ।

यह सुनते ही आरती खुश हो गई और एक साथ चहकते हुए बोली भैया आप चिंता क्यों करते हो मैं हूं ना । हम दोनों भाई बहन चलते हैं घूमने ।

तभी बलवीर ने शालीनी से भी पूछा शालीनी ने पता नही क्या सोचकर हां करदी ।

आरती , शालीनी और बलवीर का प्लान फिक्स हो चुका था । अगले दिन सुबह को बलवीर, शालीनी और आरती अपने 6 दिन के टूर के लिए रवाना हो चुके थे । ड्राइवर उनको सुबह 7 बजे एयरपोर्ट लेकर पहुंच चुका था ।

अब घर में बचे थे धर्मवीर , सोमनाथ, उपासना और पूजा ।

सोमनाथ और धर्मवीर बिल्कुल शांत बैठे हुए थे तभी रूम में पूजा चाय लेकर आती है ।

पूजा चाय रखकर चली गयी । सोमनाथ और धर्मवीर चाय की चुस्की लेने लगे ।

सोमनाथ जी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा - समधीजी , जो हुआ वो होना ही था । अब कितना भी हम सोच ले लेकिन अपने भूतकाल को नही बदल सकते । मैं समझता हूं लेकिन राकेश आपका ही बेटा नहीं हमारा भी दामाद था । और मैने तो कभी दामाद समझा ही नही बेटा ही समझा था । पर होनी को कौन टाल सकता है ।

धर्मवीर - हम्म शायद किस्मत को यही मंजूर था ।

सोमनाथ - अब आगे की जिंदगी बच्चो के सहारे खुशियों के साथ गुजारिये और गम को भुलाने में ही हम सबकी भलाई है ।

उधर उपासना ने भी जिंदगी से संधि कर ली थी । अब वो भी सामान्य होने लगी थी । पूजा उसको दिन भर हसाती रहती । उनके कमरे में से भी अब चहकती आवाज और हँसने की आवाजें आने लगी थी ।

पूजा - दीदी तुम चलते में इतनी मत मटका करो ।

उपासना - अच्छा मतलब अब तुम हमे बताओगी की मैं ज्यादा मटक रही हूं ।

पूजा हंसते हुए - ओह दीदी तो चिढ़ती भी है ।

उपासना - चल पूजा एक काम करो जरा ।

पूजा - क्या दीदी ?

उपासना - गेट तक जाकर वापस आओ ।

पूजा ने वैसा ही किया । पूजा गेट के पास तक गयी और वापस आगयी ।

उपासना - अब तू बता पूजा की चलते में तू नही मटक रही थी क्या जो मुझे बोल रही थी । पिछवाड़ा तो तेरा भी ऊपर नीचे हिल रहा था ।

पूजा शर्माती हुई - दीदी जब है ही भारी तो हिलेगा ही ये तो ।

उपासना - अच्छा एक बात बता ।

पूजा - हां दीदी पूछो ।

उपासना - नीचे जो जंगल था वो साफ किया तूने या नही । जब तू आयी थी तब तो तेरी झांटों से ढका हुआ था सबकुछ ।

पूजा यह सुनकर शर्माकर झेंप गयी ।

पूजा - क्या दीदी आप भी ना । बताया तो था कि वहां के बाल सेव नही करती और तबसे तो टाइम भी नही मिला है करने का।

उपासना - अच्छा दिखा तो जरा देखूं तो की तू अंदर से दिखती कैसी है ।

पूजा के गाल लाल हो गये ।

उपासना - मैं तो एक लड़की हूँ और तेरी बहन भी हूँ , मुझसे तो तू बड़ी शर्मा रही है और बेशक किसी दुसरे के सामने टांग फैलाकर लेट जाएगी ।

पूजा - ऐसी बात नही है दीदी ।

उपासना ने पूजा की कोई बात ना सुनते हुए पूजा की सलवार का नाड़ा एक झटके में खोल दिया । नाड़ा खुलते ही सलवार नीचे गिर गयी ।

उपासना ने देखा कि पूजा की मोटी जांघो के बीच मे उसकी चूत पैंटी से ढकी हुई है लेकिन चूत के साइड में से काले काले बाल निकलते दिखाई पड़ रहे थे ।

पूजा ने शर्म से अपने मुंह पर हाथ रखा हुआ था ।

फिर उपासना ने पूजा की पैंटी में अपनी उंगलिया फसाई और पैंटी घुटनों तक सरका दी ।

उपासना के मुह से देखकर इतना ही निकला - हाय रब्बा । और पूजा ने ऐसा कहते हुए अपने मुह पर हाथ रख लिया ।

उपासना ने देखा कि पूजा की चुत घनी काली काली झांटों से ढकी हुई है । झांटों के बाल उंगली से भी ज्यादा लंबे है ।

उपासना - पूजा एक बात बोलू ।

पूजा - याब बोलने को रह ही क्या गया है दीदी । अब तो जो बोलना है बोलिये ।

उपासना - तेरी चूत तो मुझे झांटों की वजह से दिख नही रही पर चूत के ऊपर फैले इस घने जंगल को देखकर ही मैं कह सकती हूं कि तेरी चूत तो लुगाइयों की चूतों को भी मात देती है ।

पूजा - दीदी अब ये तो सभी की ऐसी ही होती है ।

उपासना - नही पूजा तेरी चुत को देखकर यही कहा जा सकता है कि इस चूत का पानी निकालना हर किसी के बस की बात नही ।

पूजा - अच्छा अब जरा आप खड़ी होना एक मिनट के लिए ।

उपासना खड़ी हो गयी । पूजा से उसकी सलवार भी नीचे खिसकाकर घुटनो पर कर दी ।

दोस्तो एक महीने से उपासना ने भी झांटों को साफ नही किया था । लेकिन उपासना की चूत पर पूजा की चूत के बराबर बाल नही थे ।

पूजा की चूत पर बालों का जमावड़ा था जबकि उपासना की चूत पर बाल नाखून से थोड़े ही ज्यादा बड़े थे ।

यह देखकर पूजा कहने लगी- मैं मानती हूं कि मेरी चूत पूरी ढकी हुई है लेकिन कम तो आप भी नहीं हो दीदी , देखो तो आपकी चूत को देखकर ऐसा लगता है जैसे यह चूत निगलना चाहती हो कुछ और निगलना ही क्या पूरा मोटा लंड खाना चाहती है । तुम्हारी चूत को रौंदना भी कौन सा बच्चों का खेल है जो आप मुझे कह रही हो ।

यह सुनकर उपासना भी शर्मा दी । दोनों बहने एक दूसरे की चूतों को हाथ से सहलाने लगी और गर्म होने लगी ।

हाथ से सहलाते हुए उपासना बोली- पूजा तेरी चूत पर बाल ही लंबे नही बल्कि तेरी तो चूत भी मेरे पूरे हाथ में मुश्किल से आ रही है । तेरी चूत के होंठ काफी मोटे मोटे हैं ।

पूजा भी सिसकारी भरते हुए बोली- दीदी चूत तो आपकी भी मेरे पूरे हाथ में नहीं आ रही है ।आपकी भी कचोरी जैसी चूत है और इसके लिए कोई मोटा लंबा लौड़ा ही होना चाहिए ।आपकी चूत पर झंडा गाड़ना कोई बच्चों का खेल नहीं है

दोनों बहने काफी गर्म हो चुकी हो चुकी गर्म हो चुकी हो चुकी थी अब तो उनकी आंखों में लंड नाचने लगे थे

पूजा बोली - मैं एक बात पूछूं दीदी ।

उपासना- हां पूछो ।

पूजा - दीदी अब दिल नहीं करता क्या आपका । कैसे संभाल पाती हो अपने आप को । जिस औरत के पास तुम्हारे जैसी चूत हो उसको तो सुबह-शाम लंड से खेलते रहना चाहिए ।

पूजा इतना कह कर चुप हो गई। बड़ी ही तपाक से वह बोल गई थी ये बात ।

उपासना ने एक नजर उसको देखा और बोली - बहुत बोलना सीख गई है तू चल जब तू ने पूछा है तो बता ही देती हूं । किस का मन नहीं करता लंड लेने को । सबका करता है और जैसा तूने कहा कि अगर औरत मेरे जैसी हो तो। हां पूजा यह बात सही है मेरी जैसी औरत को दिनभर लंड पर चढ़े रहना चाहिए । लेकिन फिर भी मैं अपने आप को संभाल लेती हूं ।कोई चारा भी तो नहीं क्या करूं ।

पूजा बोली- दीदी चारा तो है और आप जानती भी हैं , लेकिन पता नहीं क्यों आप इस तरह से बदली बदली रहने लगी है ।

उपासना बोली - पहले बात अलग थी अब मुझे नहीं लगता कि धर्मवीर मेरे ससुर या मेरे पापा सोमनाथ इस रिश्ते को कबूल करेंगे ।

पूजा बोली - लेकिन फिर भी एक बार पता तो करना चाहिए कि उनके दिल में क्या है?

उपासना को यह बात थोड़ा जंची और उसने हामी भर दी ।

दोनों ने अपने बंगले के बगीचे में नहाने का प्लान बनाया और स्विमिंग पूल में चले गए।

दोस्तों धर्मवीर के बंगले में स्विमिंग पूल पार्किंग वाली जगह के साइड में बना हुआ था ।जहां से वह धर्मवीर के रूम से बिल्कुल साफ दिखाई देता था ।

पूजा ने दो बिकनी निकाली लेकिन उपासना ने बिकनी पहनने को मना कर दिया और उसने एक सलवार उसके ऊपर ब्रा पहनने के लिए बोला ।

दोनों ने सलवार पहनी और ऊपर ब्रा पहनी ।

सलवार जो पहनी थी दोस्तों शालिनी की सलवार दोनों घोड़ियों ने पहन ली। जो कि चूतड़ों पर वैसे ही टाइट हो गई थी दोनों ने अपने बालों का जुड़ा बनाकर सर पर रख लिया।

पीछे से कमर बिल्कुल नंगी हो गई दोनों की और उस पतली कमर के नीचे तबले जैसे चूतड़ों पर पहनी हुई सलवार ।

गजब का रूप बना लिया था दोनों ने ।

किसी काम देवी की तरह दोनों स्विमिंग पूल की तरफ धीरे-धीरे बढ़ने लगी ।

*******

दोस्तों कहानी कैसी चल रही है मुझे कमैंट्स करके जरूर बताएं क्योंकि मुझे लिखने का कोई ज्यादा तजुर्बा नही है । इस 24 साल के नवयुवक से यदि कोई गलती हो लिखने में तो माफ कीजियेगा । यह शब्दो से खेलने की एक छोटी सी कोशिश है मेरी ।

********
Reply
05-01-2021, 11:36 AM,
#24
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 21

*******

दोस्तों जैसे ही समय मिलता है मैं update कर देता हूँ plz अपना साथ बनाये रखें । ये बात पक्की है कि इस कहानी को पूरी लिखूंगा तब तक कोई नई कहानी नही शुरू करूँगा और इसे मैं XForum की सबसे longest story बना दूंगा । दोस्तों मैं मोबाइल से type करता हूं तो मुझे एक update पूरा करने में 4 से 5 घंटे तक का समय लग जाता है और इस lockdown में मैं फैमिली के साथ हूं तो आप समझ सकते है । आशा करता हूं आप मेरे हालातों को समझते हुए इस कहानी का मजा लेंगे । तो चलिये बिना समय गंवाए खोल लीजिये अपनी जीन्स का हुक और ले जाइए अपना हाथ .... hahaha it's part of a joke plz don't mind . Let's begin

*********

वैसे ही धर्मवीर की नजर उन पर पड़ी तो मैं देखता ही रह गया वह बस इतना ही बोल सका सोमनाथ जी देखिए जरा जरा

जैसे ही सोमनाथ ने देखा मानो स्वर्ग में विचरण करती दो अप्सराओं को उसने देख लिया हो ।

सोमनाथ और धर्मवीर अपनी आंखों को सेंकते हुए उनको खिड़की पर खड़े होकर देखने लगे ।

उधर उपासना और पूजा स्विमिंग पूल के पास पहुंचकर धीरे धीरे पानी मे उतर गयीं ।

धर्मवीर और सोमनाथ तक उनकी आवाज तो नही पहुंच पा रही थी लेकिन देखकर वो अंदाजा लगा सेकते थे कि दोनों बहनें कितनी खुस नजर आरही है। दोनों हंसते हुए एकदूसरे को चिकोटी भी काट रहीं थीं ।

कुछ देर नहाने के बाद दोनों बाहर निकली । उनका ये रूप यदि कोई ऋषि मुनि भी देख लेते तो भी खड़े खड़े अपने आपको झड़ने से नही रोक पाते ।

क्योंकि दोनों की जांघो पर सलवार चिपक चुकी थी पानी से । चोली में उनके मोटे मोटे चूचे नजर आरहे थे और उन चुचों से टपकती पानी की बूंदे । बहुत ही ज्यादा मनमोहक और मादक दृश्य था जो धर्मवीर और सोमनाथ की आंखे देख रही थी ।

तभी उपासना ने तिरछी नजर से धर्मवीर के रूम की तरफ देखा (कुछ इस तरह कि धर्मवीर और सोमनाथ को पता ना चल सके ) तो उसका ससुर और उसका सगा बाप उन्हें ही ताड़ रहे थे ।

उपासना - उधर मुह करके मत देखना पुजा पर वो दोनों हमे ही देख रहे है ।

पूजा - देखने दो तो दीदी बताओ क्या करना है ।

तभी उपासना ने पूजा के पेट पर चिकोटी काटी और भाग ली। पीछे पीछे उपासना को पकड़ने के लिए पूजा भी भागी ।

भागते हुए उन दोनों के चूतड़ों ने तो धर्मवीर और सोमनाथ के दिल और लंड मे तूफान मचा दिया ।

सोमनाथ आह कर गया देखते हए ।

धर्मवीर - लगता है सोमनाथ जी आप आउट ऑफ कंट्रोल हो रहे है ।

सोमनाथ - एक बात पुछु । आपका दिल क्या कह रहा है ।

धर्मवीर - सच बोलू तो मेरा दिल कह रहा है तुमने चूतों की रानियां पैदा की है सोमनाथ जी ।

सोमनाथ - तो आप लंड के राजाओं में अपना नाम शुमार कीजिये समधीजी ।

धर्मवीर - मेरा तो मन कर रहा है कि दोनों को यहीं पटक कर चोद दूं बिना कोई रहम किये ।

सोमनाथ - इनपर रहम करना तो मूर्खता होगी समधीजी । ये तो हार्डकोर रंडियां लगतीं है मुझे ।

उधर पूजा ने भागते भागते जैसे ही उपासना को पकड़ा तो पूजा ने उपासना को खड़ी करके उसके चूतड़ों पर 8, 10 थप्पड़ खींच दिए ।

उसके थप्पड़ों से हिलते उपासना के कूल्हों ने आग में घी का काम किया ।

धर्मवीर बोला कुछ भी कहिए सोमनाथ जी इन दोनों को लंड की सख्त जरूरत है ।

सोमनाथ बोला - इन दोनों का मटकना यह साबित करता है कि इन्हें एक ताबड़तोड़ चुदाई की जरूरत है ।

धर्मवीर बोला- तो क्यों ना आज इनकी चूतों में अपना सोमरस भर दिया जाए।

सोमनाथ यह सुनकर excited हो गया ।

धर्मवीर - तो चलिए फिर से शुरू करते हैं अपना खेल और चोद देते हैं दोनों घोड़ियों को।

सोमनाथ - लेकिन समधी जी मैं सोच रहा हूं कि पहले हमें पता कर लेना चाहिए की उपासना चुदने के लिए रेडी है भी या नहीं।

धर्मवीर- बात तो तुमने ठीक की चलो देखते हैं ।

ऐसा कहते हुए दोनों नीचे की तरफ चलने लगे ।

उधर उपासना और पूजा भी नहा कर वापस आ चुकी थी और आज कई दिनों के बाद उपासना और पूजा ने टाइट जींस पहनी थी ।

ऊपर दोनों ने स्लीवलैस टॉप पहना हुआ था जो नाभि के काफी ऊपर था। पूजा ने अपने बालों को जुड़ा बनाकर सर पर रखा हुआ था और उपासना ने अपने बाल खुले छोड़े हुए थे और उसके रेशमी बाल कमर पर लहरा रहे थे। और उसके नीचे जींस में फंसे हुए उसके चूतड़ जानलेवा लग रहे थे

धर्मवीर और सोमनाथ हॉल में आकर बैठ गए तभी उपासना और पूजा हॉल में आई ।

उपासना - पापा जी यदि आपका चाय पीने का मन कर रहा है तो आपके लिए चाय ले आयें।

सोमनाथ - बेटी चाय तो अभी पी थी थोड़ी देर पहले यदि कुछ और हो खाने के लिए हल्का-फुल्का तो वह ले आओ ।

तभी पूजा बोली - दीदी किचन में केले रखे हैं केले ले आओ।

उपासना यह सुनकर केले लेने के लिए लेने चली गई ।

केले लाकर उपासना टेबल पर रखती है।

धर्मवीर और सोमनाथ केले का छिलका उतारकर खाने लगे ।

सोमनाथ ने पूजा और उपासना को भी केले देते हुए कहा - तुम भी खाओ ।

उपासना ने केले पकड़ते हुए चाकू भी मांगा और चाकू से छोटे छोटे पीस करके उपासना केले खाने लगी ।

इस तरह से केले खाते हुए देखकर सोमनाथ बोला - बेटी केले हमारी तरह छीलकर खाओ , क्या यह छोटे छोटे केले काट कर खा रही हो ।

यह सुनकर उपासना की नजरें सोमनाथ की नजरों से टकरा गई अपने बाप की नजरों में झांककर उपासना ने इस्माइल देते हुए अपना चेहरा झुका लिया।

धर्मवीर - उपासना क्या हुआ बहू, खाओ ना केले तुम्हारे पापा कितने प्यार से तुम्हें केले खिला रहे हैं।

उपासना बोली धीमी आवाज में - बिना काटे नहीं खा सकती मैं केले।

इतना ही सुनना था की पूजा बोली कैसे नहीं खा सकती हो दीदी मैं खिलाती हूं तुम्हें केले।

पूजा ने उपासना की गर्दन में हाथ डाला और एक हाथ में केला पकड़ा। यह केला सबसे मोटा था लेकिन गर्दन में एक हाथ होने की वजह से एक हाथ से छीन वह छील नहीं सकती थी तो उसने सोमनाथ जी से कहा पापा जी केला छीलिये दीदी को मैं खिलाती हूं ।

सोमनाथ ने उठकर केले को आधे से ज्यादा छील दिया ।

उपासना और पूजा की मोटी मोटी जांघे जींस में फंसी हुई थी और बड़ा ही मनमोहक दृश्य था जब पूजा उपासना को केला खिलाने वाली थी ।

पूजा बोली दीदी- मुंह खोलिए ।

उपासना बोली - मुझसे नहीं खाया जाएगा।

पूजा बोली- दीदी मुंह तो खोलिए आप ।

उपासना ने हल्का सा मुंह खोला लेकिन केला मोटा था और पूजा इस बात का फायदा उठाना चाहती थी।

पूजा बोली- दीदी मुंह पूरा खोलिए केला मोटा है ।

उपासना यह सुनकर शर्म से लाल हो गई और उसने अपनी आंखें बंद कर ली। अब वह पूजा की बाहों में लेटी हुई प्रतीत हो रही थी ।

उपासना ने शर्म से अपनी आंखें बंद किये हुए अपना मुंह और थोड़ा सा खोल दिया ।

पूजा ने 2 इंच केला उपासना के मुंह में डाल दिया।

उपासना ने केला दांतो से काट कर खा लिया तब पूजा बोली ऐसे नहीं खाते हैं दीदी केला । रहने दीजिए दीदी आप ने केला खराब कर दिया अब मैं दूसरा केला लाती हूं क्योंकि यहां तो सारे केले छोटे हैं ।

पूजा किचन में गई और केला छांटने लगी तभी उसकी नजर एक केले पर पड़ी जो सबसे ज्यादा मोटा था और लंबा भी हंसते हुए पूजा ने वह अकेला उठाया और भाग कर वापस आई ।

लेकिन पूजा जब भागकर किचन में गई थी और जब भाग कर आई तो उसकी गदरायी जवानी छुपी ना रह सकी धर्मवीर और सोमनाथ की नजरों से।

पूजा ने दोबारा से उपासना की गले में अपनी बाजू डाली और उसे मुंह खोलने को बोला ।उपासना सब समझ रही थी कि यह क्या चल रहा चल रहा है और साथ में मजा भी ले रही थी ।उसने मजे लेने के लिए मुंह पर हाथ रख कर कहा - हाय रब्बा इतना मोटा केला में कैसे खाऊंगी ।

पूजा बोली- दीदी खाना तो पड़ेगा ।

उपासना ने आंखें बंद करते हुए अपना मुँह खोला ।

पूजा ने थोड़ा सा केला उपासना के मुंह में डाला ।

पूजा बोली दीदी और मुंह खोलिए ।

उपासना ने थोड़ा सा और मुंह खोला पूजा ने आधा केला उपासना के मुंह में डाल दिया।

इस बात का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने कहा- बहू पूरा लो लो ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेजी से मीच ली शर्म से वह गढ़ी जा रही थी।

पूजा बोली सोमनाथ से - देखो पापा दीदी अपने मुंह में केला ले रही है ।

सोमनाथ बोला केला तो सेहत के लिए अच्छा होता है , केला तुम भी खाओ।

धर्मवीर बोला- सोमनाथ जी आपको क्या लग रहा है उपासना ले पाएगी मुंह में या नहीं ।

सोमनाथ बोला- समधी जी देखो बेटी ले तो रही है मुंह में और कोई भी नहीं कह सकता की उपासना नहीं ले पाएगी यह तो पूरा ले लेगी।

उधर उपासना और पूजा भी मस्ताने लगी थी।

पूजा बोली - हां देखो पापा दीदी तो सच में पूरा ले गयी।

फिर पूजा ने उपासना के मुंह से केला निकाला दोबारा से अंदर डाल दिया, जैसे लंड से मुंह को चोदा जाता है वैसे ही पूजा ने चार पांच बार ऐसा किया।

तब उपासना का केले से मुंह चोदन होने लगा तो उपासना ने पूजा को एक साथ धक्का दिया और मुंह से केला निकल गया साथ में उपासना का लारदार थूक केले से होता हुआ नीचे टपकने लगा । उपासना को बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी उसने अपने मुंह पर दोनो हाथ और वहां से भाग खड़ी हुई ।

भागते हुए उसके चूतड़ों को देखकर अपने लंड पर हाथ रख लिया सोमनाथ में और धर्मवीर ने।

उपासना तो जा चुकी थी सोमनाथ बोलो पूजा बेटा तुम भी खा लो केला।

केला पूजा भी काटकर खाने लगी धर्मवीर बोला नहीं जैसे तुमने उपासना को खिलाया है वैसे ही खाओ ।

पूजा बोली नहीं मैं ऐसे नहीं खा सकती।

धर्मवीर उठा और पूजा के पीछे खड़ा हो गया उसने पूजा की गले में हाथ डाला और वही केला टेबल से उठा लिया जिसे उपासना को खिलाया जा रहा था।

यह देखकर पूजा बोली यह अकेला तो दीदी का झूठा है ऐसे कैसे खा सकती हूं मैं ।

सुनकर सोमनाथ बोला - ऐसी क्या बात हुई तुम्हारी दीदी ही तो है ।

यह सुनकर पूजा चुप हो गई और धर्मवीर ने वह केला पूजा के होठों से लगा दिया।

धर्मवीर बोला- मुँह खोलो पूजा लेकिन पूजा ने मुंह नहीं खोला।

धर्मवीर उस केले को पूजा के होठों पर रगड़ने लगा।

धर्मवीर दोबारा बोला - मुंह खोलो ।

पूजा ने भी शर्म से अपनी आंखें बंद कर ली और हल्का सा मुंह खोल दिया लेकिन केला मोटा था जिस वजह से उसके होठों में ही फस गया ।

धर्मवीर बोला बेटा पूजा और थोड़ा मुंह खोलो तभी तुम ले पाओगे अंदर। पूजा ने अपना मुंह खोल दिया और धर्मवीर ने आधा अकेला पूजा के मुंह में डाल दिया।

केले के चारों तरफ पूजा के होंठ बड़े ही कामुक लग रहे थे क्योंकि उपासना से मोटे थे पूजा के होट।

धर्मवीर का लंड भी पैंट में टाइट हो चुका था।

धर्मवीर का लंड पूजा की भारी भरकम पिछवाड़े से टच हो गया ।

पूजा के लिए यह बहुत शर्म वाली बात थी। पूजा थोड़ा आगे को हुई लेकिन इस बार धर्मवीर ने अपना पूरा जोर लगाकर पूजा के पिछवाड़े से चिपका दिया अपना लौड़ा और रहा-सहा केला भी पूजा के मुंह में डाल दिया।

धर्मवीर बोला- देखिए सोमनाथ जी आपकी छोटी बेटी भी कम नहीं है उपासना से । यह भी पूरा केला ले गई ।

सोमनाथ बोला हां समधी जी मेरी तो दोनों बेटियां ही एक समान है मेरे लिए।

पूजा शर्म से लाल पीली हो रही हो रही थी ।

धर्मवीर बोला- हां सोमनाथ जी यह तो आपने ठीक कहा कोई भी बेटी कम नहीं है । देखो तो इतना मोटा केला इतने प्यार से ले लिया मुंह मे ।

फिर धर्मवीर ने केले को मुंह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया बड़ी ही कामुक अंदाज में पूजा केला चूसने लगी ।

केले को अंदर बाहर बाहर करते हुए धर्मवीर ने पूजा के पिछवाड़े से अपना लंड रगड़ना शुरु कर दिया।

पूजा भी कहां कम थी उसने भी अपनी गांड पीछे की तरफ धकेल कर चूतड़ों को धर्मवीर के लंड पर रगड़ना जारी रखा।

5 मिनट तक यही सीन सीन चलता रहा फिर अचानक पूजा ने पूरा केला दांतों से काट कर खा लिया ।

धर्मवीर- भला यह क्या किया बेटी।

पूजा बोली आपने ही तो कहा था की पूजा केला खालो , लो खा लिया।

धर्मवीर उसकी चालाकी पर कुछ ना कह सका ।

फिर पूजा चाय के कप उठाकर किचन में जाने लगी लेकिन जैसे ही उसने कप उठाया उसके हाथ से कप छूट गया और नीचे गिर गया कप नीचे गिर के टूट चुका था , पूजा उसे उठाने के लिए नीचे झुकी तो टाइट जींस में उसके चूतड़ सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर कहर बरपाने लगे ।

धर्मवीर बोला- बेटी तुमने कप तोड़ा है इसकी पनिशमेंट तो तुम्हें मिलनी ही चाहिए ।

पूजा समझ गई उसने बड़े ही नशीली अंदाज में कि मैं हर पनिशमेंट के लिए रेडी हूं , मुझे जो सजा दोगे मंजूर है ।

धर्मवीर बोला कि तुमने दो कप तोड़े हैं तो तुम्हें दो थप्पड़ खाने होंगे।

पूजा बोली क्या आप मेरी पिटाई करेंगे क्या ।

धर्मवीर बोला नहीं पूजा तुम्हारे लिए दो ऑप्शन है या तो अब दो थप्पड़ एक एक गाल पर खाओ या अपने पिछवाड़े पर खाओ ।

यह सुनते ही पूजा शर्मा गई और शर्मा कर अपना पिछवाड़ा धर्मवीर की तरफ करके खड़ी हो गई ।

धरमवीर समझ गया पूजा भी अपने पिछवाड़े पर ही स्लैपिंग चाहती है ।

धर्मवीर ने उसके कूल्हों पर एक करारा थप्पड़ लगाया ।

पूजा के मुंह से बड़ी ही मादक आह निकली आउच।

पूजा का पिछवाड़ा एक थप्पड़ से पूरी तरह हिल गया ।

धर्मवीर ने दूसरा थप्पड़ लगाया दोनों चूतड़ों पर एक थप्पड़ खाकर पूजा भागती हुई कमरे से निकल गई।

सोमनाथ जी भी बहुत गौर से देख रहे थे जब धर्मवीर पूजा के मतवाले नितंबो पर थप्पड़ मार रहे थे।

धर्मवीर सोमनाथ की तरफ चलते हुए बोला कुछ भी हो दोनों पूजा और उपासना का खाना पीना उनके पिछवाड़े पर ही लग रहा है देखो तो ऐसी मादक घोड़ियों की तरह घूमती फिरती है ।

तभी सोमनाथ बोला - पूजा अभी भागकर उपासना के पास ही गई होगी चलो देखते हैं दोनों में क्या बातें चल रही है।

ऐसा कहकर उपासना और पूजा के रूम की तरफ चल दिए सोमनाथ और धर्मवीरजी । गेट के पास जाकर दोनों ने कान लगाकर सुनना शुरू किया ।

दोस्तों यह बात हकीकत भी थी की पूजा सीधे उपासना के रूम में ही गई थी।

उपासना ने देखा कि पूजा का चेहरा लाल हुआ पड़ा है ।

वह समझ गई कि कुछ ना कुछ जरूर हुआ है ।

उपासना बोली- क्या हुआ पूजा ऐसे कैसे लाल होकर आ रही हो ।

पूजा बोली - होना क्या था आपके ससुर जी और हमारे पापा जी कम ठरकी थोड़ी ना है ,जो ऐसे ही आ जाने देते।

जैसा उन्होंने आपके साथ किया वैसा ही मेरे साथ किया ।

उपासना बोली - तो मतलब छोटी घोड़ी केला चूसकर आरही है ।

पूजा बोली - बड़ी घोड़ी तो बीच में ही भाग कर आ गई थी ।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए बोली- बड़ी घोड़ी का भागकर आना ही ठीक था वरना वह दोनों पैंट में ही झड़ जाते पर मुझे तो लगता है वह अधूरा काम तुम पूरा करके आई हो ।

पूजा ने उपासना को बताया कि कैसे उसके हाथ से कप गिर गया था और कैसे धर्मवीर ने उसके पिछवाड़े को लाल किया है ।

उधर धर्मवीर और सोमनाथ कान लगाकर सारी बातें सुन रहे थे और साथ ही साथ अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहे थे ।

उपासना बोली - तभी मैं कहूं छोटी घोड़ी इतनी लाल क्यों हो रही है वह इसलिए हो रही है क्योंकि मेरे ससुर जी ने उसकी गांड पर थप्पड़ लगाये हैं।

यह सुनकर पूजा शर्माकर बोली - अपनी गांड को बचा कर रखिएगा कहीं ऐसा ना हो की बड़ी घोड़ी की गांड पर थप्पड़ की जगह कुछ और ही लग जाए।

उपासना बोली- पूजा सीधे-सीधे बोलो जो बोलना चाहती हो ।

पूजा बोली- दीदी मैं तो यह कहना चाहती थी कहीं ऐसा ना हो कि आपकी गांड को फाड़कर ही रख दे ससुर जी ।

उपासना बोली- हाय अब बचा ही क्या है ससुर जी ने तो फाड़ कर रख दी थी मेरी अब तो अपने बाप से फड़वानी है ।अब मेरे ससुर जी तो तेरी गांड फाड़कर रखेंगे ।

यह सुनकर पूजा लजा गई ।

पूजा बोली- दीदी यह तो आगे बढ़ ही नहीं रहे हैं हमें ही कुछ करना होगा।

उपासना बोली- इसमें चिंता वाली क्या बात है, आज रात को उनका लंड तुम्हारी चूत में होगा अगर तुम कहो तो।

पूजा बोली- क्यों दीदी आप भी तो भरना चाहते हैं पापा का लंड अपनी चूत में । और मुझे डर लग रहा है कहीं ऐसा ना हो मैं आपके ससुर जी का लंड ना ले पाऊं ।

उपासना मुस्कुराती हुई बोली - इसमे डरने वाली क्या बात है । आजकल की लड़कियां बड़े से बड़ा लौड़ा आसानी से खा जाती है जाती है और तू तो फिर भी घोड़ी है ।अपने पिछवाड़े को देख ,अपनी जांघों को देख , लटकते इन पपीते जैसे चुचियों को देख फिर तेरी यही फूली चूत कहेगी कि ये लोड़ा हमारे लिए ही बना है। तेरे जैसी चुड़कड़ घोड़ी धर्मवीर जैसे लोड़े के ही काबू में आ सकती हैं । वरना तू तो बेलगाम हो जाएगी।

पूजा हंसते हुए बोली - बड़ा तजुर्बा है दीदी आपको तभी आप बेलगाम नहीं हुई हो ।

उपासना बोली - क्या बताऊं मेरी तो ससुर जी ने टिकाकर मारी है । जब चोदते हैं तो हिलने भी नहीं देते ।

इन बातों से दोनों गर्म हो गई।

उपासना बोली - मुझे तो इंतजार है जब मेरे पापा अपने लंबा सा लोड़ा इस घोड़ी की चूत में उतारेंगे। पूरी तरह से नीच से गांड उठाकर लूंगी अपने पापा का लंड । अपने पापा का लंड चाट चाट कर निहाल हो जाऊंगी । अपनी चूत को अपने पापा के मुंह पर मारूंगी और कहूंगी पीलो पापा अपनी बेटी की चूत को ।

उधर धर्मवीर और सोमनाथ भी बातों को सुन सुनकर झड़ गए थे और एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा रहे थे ।

पूजा बोली- चलो मार्केट चलते हैं और कुछ खरीद कर ले आते हैं शाम और रात के लिए ।

जैसे ही ये बात कही पूजा ने तो धर्मवीर और सोमनाथ दबे पांव अपने कमरे में चले गए और जाकर बात करने लगे जैसे उन्हें कुछ पता ही ना हो ।

पूजा और उपासना ने अपने होठों पर लिपस्टिक लगाई और जल्दी सोमनाथ और धर्मवीर के रूम की तरफ चल दीं ।

जीन्स में कसी हुई घोड़ियां जाकर धर्मवीर और सोमनाथ से बोलीं - पापा जी हमें मार्केट जाना है यदि आप साथ चलेंगे तो अच्छा रहेगा ।

धर्मवीर और सोमनाथ भी उनके साथ चल दिए चारों एक ही गाड़ी में मार्केट की तरफ निकल पड़े । मार्केट पहुंचकर गाड़ी को पार्क किया धर्मवीर ने और एक कपड़े के शोरूम की तरफ चलने लगे।

चारों शोरूम में काउंटर पर पहुंचे तब काउंटर पर बैठे लड़के ने बताया कि लेडीस गारमेंट ऊपर है और जेंट्स गारमेंट नीचे । और जेंट्स को उपर जाने की अनुमति नहीं है ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ का मुंह लटक गया ।

वह नीचे ही बैठ गए और उपासना पूजा ऊपर की तरफ पड़े ।

जब वह चलती हुई जा रही थी तभी शोरूम में चार पांच लोग और घुसे।

वह उनकी तरफ ही देखे जा रहे थे । एकदो ने अपने लंड पर हाथ रख रखा था ।

उपासना और पूजा ऊपर चली गई । और वह चार पांच लोग धर्मवीर और सोमनाथ जहां बैठे थे वहीं पर आकर बैठ गए ।

उनमे से एक बोला - अभी अभी ऊपर दो लड़कियां गयीं हैं इतनी मस्त लड़कियां आजतक तक नहीं देखीं ।

दूसरा बोला- अबे सीधा सीधा बोल ना कि ऐसी गांड आज तक नहीं देखी, क्या पिछवाड़ा था यार ।

अपनी बेटी और बहू के बारे में ऐसी बातें सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ गर्दन नीचे करके बैठे रहे ।

वह चार पांच लोग पूजा और उपासना के बारे में अश्लील बातें करते रहे।

कोई कह रहा था एक रात के लिए मिल जाए तो इन्हें चलने के लायक नहीं छोडूंगा । कोई कह रहा था कि मैं तो पूरी रात अपना लंड फसा कर लेटा रहूंगा ।

तभी पूजा और उपासना नीचे की तरफ आती हुई दिखाई दीं।

पूजा के हाथ में एक बैग था और दोनों धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी ।

जींस में कसी हुई उनकी जांघें और टॉप में मोटे मोटे चूचे कहर बरपा रहे थे।

जैसे ही वह पेमेंट करके धर्मवीर और सोमनाथ की तरफ आईं तभी उन चार पांच लोगों में से बैठे हुए एक लफंगे ने कहा - देखो तो कितनी भारी भारी गांड है दोनों की ।

यह सुनकर पूजा और उपासना बुरी तरह से शर्मा गयीं ।

तभी दूसरा बोला पक्का पूरी रात लंड से खेलती होंगी यह दोनों ।

एक साथ दस दस लंड से खेलने लायक हैं ये दोनों तो ।

तभी तीसरा बोला मेरा तो मन करता है इनकी गांड पर थप्पड़ लगाता रहूं।

चौथा बोला मेरा मन करता है इनके पिछवाड़े में अपना मुंह घुसा दूं ।

पांचवा बोला मेरा तो मन करता है कि इनके गले में कुतिया वाला पट्टा डालकर अपनी रंडी बना लो और बारी बारी से दोनों को पूरी रात अपने वीर्य से नहलाते रहो । देखने से ही सस्ती रंडियां लगतीं हैं ये घोड़ियां ।

अब तो बेशर्मी की हद हो चुकी थी धरमवीर गुस्से से खड़ा हुआ और उसने उन में से एक के गाल पर एक तमाचा जड़ दिया ।

तमाचा लगते ही चारों लोग इकट्ठे होकर धर्मवीर की तरफ लपके ।

धर्मवीर ने किसी फिल्म की तरह एक के घुटने में लात मारी और दूसरे के मुंह पर लात मारी ।

और तीसरे के पेट मे अपनी पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया ।

बाकी बचे दो जैसे ही वो धर्मवीर की तरफ लपके धर्मवीर ने एक के मुंह पर पूरी जान लगाकर एक मुक्का जड़ दिया और दूसरे का पैर पकड़कर उसे ऊपर की तरफ उछाल दिया ।

यह फाइट चल ही रही थी कि तभी पुलिस आगयी ।

पुलिस ने आकर देखा तो इंस्पेक्टर ने धर्मवीर के सामने हाथ जोड़ते हुए कहा- सर हमें माफ कीजिए हमारे होते हुए आप जैसे शरीफ इंसानों के साथ ऐसा व्यवहार हुआ । हमें जैसे ही फोन पर सूचना मिली तुरंत ही हम पुलिस स्टेशन से दौड़ते दौड़ते सीधे यहीं पर आए ।

वह चारों-पांचों लोग हैरानी से मुंह फाड़ कर कर पुलिस वालों की तरफ और धर्मवीर सोमनाथ की तरफ देखने लगे कि आखिर यह हो क्या रहा है ।

तभी पुलिस वालों ने उन्हें पकड़ते हुए कहा कि तुम्हें अब पता चलेगा की शरीफ लोगों की घर की बहन और बेटी को छेड़ने का अंजाम क्या होता है।

क्योंकि तुम जानते नहीं जिसे तुम ने छेड़ा है वह दिशा इंडस्ट्रीज की मालिक है । और ये हैं धर्मवीर जी फाउंडर ऑफ दिशा इंडस्ट्रीज।

यह सुनकर चारों के पैरों से जमीन निकल गई और गिड़गिड़ा कर धर्मवीर के पैरों में माफी मांगने लगे । हमें माफ कर दीजिए सर हमें पता नहीं था कि ये आपके साथ हैं वरना हम ऐसी गलती भूल कर भी नहीं करते

धरमवीर ने कहा- मेरे ही साथ में नहीं यदि कोई भी लड़कियां या औरत मिले तो उसकी इज्जत करना सीखो ।

धर्मवीर ने इंस्पेक्टर से कहा कि इनको माफ कर दीजिए उन्हें जेल मत भेजिएगा, लेकिन इनके घर वालों को बुलाकर उन्हें बताइएगा और तभी इन्हें घर जाने दीजिएगा ।

यह सुनकर चारों खुश हो गये और धर्मवीर से कहने लगे सर हम आपका एहसान कभी नहीं भूलेंगे लेकिन आप हमारी गलती भूल जाइएगा , हम माफी चाहते हैं और साथ ही वादा करते हैं कि दोबारा ऐसा किसी लड़की या औरत के साथ यह व्यवहार नहीं करेंगे ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने एक बार आखिरी निगाह उनकी तरफ डाली और बाहर की तरफ निकल गए ।

पूजा और उपासना शर्म से दोनों के चेहरे लाल हो गए थे ।

चारों गाड़ी में बैठकर घर वापस आगये थे कोई अभी तक कुछ नही बोला था । पूजा और उपासना के मन मे आज रात को होने वाली चुदाई की कल्पना थी तो धर्मवीर के मन मे उस पांचवे गुंडे का चेहरा था क्योंकि उसे लग रहा था कि उसने उस गुंडे को पहले भी कही देखा है ।

********

दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताते रहिएगा जिससे कि मुझे भी लिखने की excitement बनी रहे ।

आपका प्यारा सा भाई और दोस्त- रचित चौधरी ।

********
Reply
05-01-2021, 11:37 AM,
#25
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update : 22

*****

दोस्तों माफी चाहता हूं बहुत प्रतीक्षा कराई update के लिए ।

पर याब एक वीक में 2 या 3 update जरूर आएंगे ।

तो चलिए बढ़ते हैं कहानी की तरफ ।

*****

शाम के 4:00 बज रहे थे आधा घंटा हो चुका था मार्केट से आए हुए ।
पूजा उपासना से बोली दीदी आप जो तैयारियां कर रही हो पापा जी को कम से कम पता तो होना चाहिए कि जिनकी किस्मत खुलने वाली है।

उपासना बोली - वह इतने भोले नहीं है वह समझ गए होंगे कि दोनों रंडियां चुदने को बेताब है ।

पूजा बोली फिर भी दीदी कोई इशारा तो कर ही देना चाहिए ।
तभी गेट पर किसी की आवाज सुनाई दी वह आवाज धर्मवीर की थी ।

धर्मवीर - लो बेटा कोल्ड ड्रिंक पी लो ।

उपासना ने रिप्लाई किया - पापा जी हम आ रहे हैं आप चलिए डाइनिंग हॉल में ।

इंतजार कर रहे थे धर्मवीर और सोमनाथ पूजा और उपासना का।

मार्केट से आ कर उपासना और पूजा ने कपड़े चेंज कर लिए थे उन्होंने एक शॉर्ट कुर्ता पहना था और नीचे कसी हुई लेकिन पहनी हुई थी । कुर्ता उनके चूतड़ों पर आकर खत्म हो जाता था कहने का मतलब सीधा और साफ है कि कुर्ता उनकी चौड़ी चौड़ी गांड को छुपाने में नाकामयाब था और उनकी भरी हुई मोटी मोटी जांघे उस लेगिंग में लंड पर जलवे बिखेरने के लिए काफी थी।

तभी दोनों डाइनिंग हॉल में आ गई और आकर खड़ी हो गई ।

सोमनाथ ने चार गिलास में कोल्ड ड्रिंक डाली ।

धर्मवीर के हाथ में बियर की बॉटल देखकर पूजा ने चौक ते हुए कहा- पापा जी आप ड्रिंक करेंगे क्या ?

धर्मवीर धीमी आवाज में बोला- यही एक रास्ता है तुम जैसी रंडियों को बेशर्म बनाने का ।

पूजा - क्या कहा पापा जी ?

पूजा ने यह बात कुछ इस तरह कही जैसे उसे कुछ सुनाई ना दिया हो जबकि सच यह था की पूजा और उपासना दोनों यह सुन लिया था और उन्हें साफ-साफ सुनाई दिया था ।

धर्मवीर एक साथ बोला- मैं यह कह रहा था की हल्की हल्की बीयर पी लेते हैं यदि तुम दोनों को कोई एतराज ना हो तो ।

पूजा और उपासना सुन चुकी थी और वह भी समझ रही थी कि सही ही तो कहा है वरना हमारी तो शर्म खत्म ही नहीं होगी ।

यह सोचते हुए उपासना बोली पापा जी हमें क्या एतराज हो सकता है यदि आप चाहते हैं तो ड्रिंक कर सकते हैं , और वैसे भी तो एक ही बोतल है एक बोतल में तुम दो दो लोग हो आप कर लीजिए ड्रिंक ।

तभी सोमनाथ बोला नहीं बेटा हम ऐसे अपनी शरीफ बेटियों के सामने ड्रिंक नहीं कर सकते सिर्फ एक शर्त पर कर सकते हैं कि यदि तुम भी इसमें से थोड़ा-थोड़ा पियो तो ।

पूजा बोली - इसमें ड्रिंक वाली क्या बात है पापा जी एक ही बीयर तो है आप पी लीजिए ।

धर्मवीर बोला- तभी तो हम कह रहे हैं पूजा की एक ही तो बीयर है चारों लोग पी लेते हैं ।

पूजा बोली- जैसा आप ठीक समझें पापा जी ।

ग्रीन सिग्नल मिल चुका था धर्मवीर और सोमनाथ को।
सोमनाथ ने एक बीयर को चार गिलास में किया। चार गिलास में दोस्तों आधा आधा गिलास ही भर पाया पाया था उस एक बोतल में ।
और चारों ने चियर्स करके आधा आधा गिलास पी लिया ।
आधे आधे गिलास बीयर में किसी को कुछ भी नहीं होने वाला था आप भी समझ सकते हैं दोस्तों कि आधे गिलास बीयर में नशा नाम की कोई चीज ही नहीं हो सकती लेकिन यह बात वह चारों भी अच्छी तरह समझ रहे थे ।

पूरे होशो हवास में चारों लोग बैठे थे लेकिन बहाना बनाते हुए धर्मवीर ने कहा- क्या बात है सोमनाथ जी इतने दिन हो गए मैंने कोई नशा नहीं किया है आज तो पता नहीं मुझे यह पियर चढ़ने लगी है । मुझे कोई होश नहीं है कि मैं कहां हूं और क्या बोल रहा हूं ।

सोमनाथ बोला ऐसी ही कुछ हालत मेरी भी है समधी जी ।

जबकि सच्चाई ये थी दोस्तों दोनों को कुछ भी नहीं था उनको सिर्फ बहाना चाहिए था नशे का जो कि उन्हें मिल चुका था। अपने पूरे होश हवास हवास में धर्मवीर और सोमनाथ बैठे हुए थे लेकिन बहाना नशे का बनाए हुए थे ।

पूजा और उपासना भी पूरे होशो हवास में सामने बैठी थी लेकिन लेकिन तभी पूजा बोली - दीदी मेरी आंखों में में नशा चढ़ने लगा है मुझे भी नहीं पता मैं कहां हूं अगर मेरे मुंह से कुछ गलत निकल जाए तो मुझे माफ करना यह सोच कर कि मैं नशे में हूँ ।

पूजा अच्छी तरह समझ रही थी और उपासना भी कि यह सब नशा एक बहाना है ।

धर्मवीर ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा - सोमनाथ जी आज वह गुंडे मार्केट में हमारी बेटियों को क्या कह रहे थे ।

पूजा और उपासना समझ चुकी थी कि बात किस तरफ टर्न हो रही है लेकिन दोनों चुप बैठी रही ।

सोमनाथ बोला- समधी जी मुझे तो नशे में कुछ भी याद नहीं है बस इतना ही याद है कि वह हमारी बेटियों को कोई अश्लील शब्द बोल रहे थे ।

धर्मवीर बोला - हां मैंने सुना था हमारी बेटियों को रंडियां बोल रहे थे ।

अब तो पूजा और उपासना के लिए बड़ी शर्मिंदगी की बात थी लेकिन उन्होंने भी नशे का बहाना करते हुए कहा उपासना बोली - कौन कह रहा था पापा जी हमें तो कुछ याद नहीं है ।

सोमनाथ बोला - धर्मवीर जी क्या आपको लगता है कि हमारी बेटियां रंडियों की तरह दिखती है ।

यह सुनकर उपासना और पूजा शर्म से लाल हो गई लेकिन अपनी शर्म को छुपाते हुए और नशे का बहाना करते हुए बोली- ऐसा कैसे हो सकता है पापा जी हम तो बड़ी शरीफ है ।

धर्मवीर बोला - यही तो मैं सोच रहा हूं ऐसा कैसे हो सकता है चलो तुम दोनों एक काम करो खड़ी होकर दिखाओ ।

उपासना पूजा खड़ी हो गई लेकिन नशे का बहाना करते हुए पूजा अपने पैर लड़खड़ा कर रखने लगी ।

यह मौका अच्छा था धर्मवीर के लिए धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी हमारे घोड़ी तो तो लंगड़ाने लगी ।

सुनकर पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - यह घोड़ी लंगड़ाने वाली चीज नहीं है ।

सोमनाथ बोला - हमारी शरीफ बेटियां तो मुझे कहीं से भी रंडियों जैसी नहीं दिखी । आपको कुछ दिखा क्या संधीजी ।

धर्मवीर बोला मुझे भी कुछ ऐसा खास नहीं दिखा बस इनकी छातियां थोड़ा बाहर को निकली हुई है ।

सोमनाथ पूजा और उपासना से बोला- अपना पिछवाड़ा हमारी तरफ करो।

यह सुनकर तो लजा गयी दोनों शर्मोहया कूट कूटकर भरी हुई थी दोने में ।
फिर पूजा और उपासना अपना पिछवाड़ा सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ घुमा दिया ।

दोनों के मोटे-मोटे फैले फैले कूल्हों को देख कर धर्मवीर बोला - सोमनाथ जी मुझे तो लग रहा है कि उन गुंडों ने इनका पिछवाड़ा देख कर ही रंडियां कहा होगा ।

उपासना अपनी गांड को बाहर की तरफ निकालती हुई बोली - पापा जी हमारा पिछवाड़ा रंडियों जैसा है क्या ?

दोनों का कलेजा मुंह को आ गया जब उपासना की गदरायी हुई जांघे और गांड मुंह खोल कर कर उनका स्वागत कर रही थी।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटा रंडियों जैसा क्यों होगा तुम्हारा तो रंडियों से भी अच्छा है ।

पूजा भोलेपन का नाटक करते हुए करते हुए बोली- रंडियों का पिछवाड़ा कैसा होता है पापा जी ।

धर्मवीर बोला - बेटा कूल्हे थोड़ा बाहर की तरफ निकले हुए होते हैं उनका पिछवाड़ा चलते वक्त मटकता है ऐसा होता है रंडियों का पिछवाड़ा।

यह सुनकर उपासना बड़े कामुक अंदाज में बोली - तो फिर हमारा पिछवाड़ा रंडियों से भी अच्छा कैसे हैं पापा जी ।

यह सुनकर सोमनाथ ने जवाब दिया - बेटी तुम्हारा पिछवाड़ा तो रंडियों से भी ज्यादा निकला हुआ है तुम्हारे कूल्हों का फैलाव गजब है और उसके नीचे नीचे मोटी मोटी जांघे तो रंडियों को पीछे छोड़ देती है।

पूजा - तो इसका मतलब हम रंडियों से भी अच्छी है पापाजी ।

धर्मवीर - तुमसे कोई अच्छा कैसे हो सकता है फिर वो चाहे रंडियां हों या कोई और ।

उपासना भोली बनते हुए - पापाजी ये रंडियां क्या करती हैं वैसे ?
उपासना ने यह बात अपनी आंखें नचाते हुए कही ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को ये लगे कि उपासना नशे में है ।

यह सवाल सुनकर तो धर्मवीर और सोमनाथ दोनों चुप हो गए उन्हें इस सवाल का कोई जवाब नही सूझ रहा था ।
फिर कुछ देर सोचने के बाद सोमनाथ बोला ।

सोमनाथ - बेटी रंडियां बैड पर लेटती है ।

पूजा - बैड पर लेटती है ये कैसा काम हुआ पापाजी ।

धर्मवीर - अरे पूजा जी सोमनाथ का कहने का मतलब है कि रंडियां मर्दों के नीचे लेटती हैं बदले में लोग उन्हें पैसे देते है।

उपासना भोलेपन का नाटक करते हुए - अच्छा पापाजी सिर्फ लेटने के पैसे । ऐसे तो हम भी लेट जाती है लो बैड पर हमें भी पैसे दो।

ऐसा कहकर उपासना पूजा का हाथ खींचते हुए बैड पर चढ़ गई । बैड पर दोनों लेट गयी । उनकी मोटी मोटी चुचियाँ बड़ी ही कयामत लग रही थी ।

उपासना - लेटिये पापाजी हमारे ऊपर और फिर हमें ढेर सारे पैसे दीजिये ।

धर्मवीर ओर सोमनाथ के लिए ये एक सुनहरा मौका था । लेकिन सोमनाथ की फट भी रही थी क्योंकि उसे याद था जब उपासना ने उसकी छाती में लात मारकर उसके चंगुल से निकल गयी थी ।दोनों को कदम फूंक फूंककर रखने थे ।

सोमनाथ - बेटी हम कैसे लेट सकते है तूम्हारे ऊपर ?

पूजा नशे का बहाना करते हुए बोली - अब तुझे ये भी हम सिखाएंगी की लेटा कैसे जाता है ।

अपनी छोटी बेटी के मुह से ऐसी भाषा सुनकर सोमनाथ को यकीन ही नही हुआ पर धर्मवीर ने बात संभालते हुए कहा - सोमनाथ जी इन दोनों को नशा हो गया है बियर पीने से , शायद पहली बार पी है इसलिए ।

सोमनाथ - चलो तो समधी जी लेटते है इन घोड़ियों के ऊपर ।

पूजा - घोड़ियों के ऊपर नही रंडियों के ऊपर बोलो ।

सोमनाथ और धर्मवीर जैसे ही बैड के पास आये तो उनके होश उड़ गए । और होश उड़ने लाजमी भी थे जब ऐसी गदरायी घोड़ियां बैड पर सामने पड़ी हो और अपनी चुदाई का निमंत्रण दे रही हो तो अच्छे अच्छो के होश उड़ जाते है ।

सोमनाथ उपासना के ऊपर लेटने लगा और धर्मवीर पूजा के ऊपर ।

उपासना ने अपनी आंखें बंद करली । सोमनाथ और धर्मवीर इस वक्त स्वर्ग जैसा आनंद अनुभव कर रहे थे । सोमनाथ ने उपासना के कंधों को अपने हाथों से पकड़ लिया और धीरे धीरे अपना चेहरा उपासना के चेहरे के पास लाने लगा ।

उपासना की आंखे बंद हो चली थी थी थी सोमनाथ का चेहरा धीरे-धीरे उपासना के चेहरे की तरफ की तरफ बढ़ चुका था ।
उधर उपासना की दिल की धड़कन तेज हो चली थी ।

उपासना ने मन ही मन सोचा - क्या मैं भी इतनी गिरी हुई हूं कि अपनी हवस मिटाने के लिए अपने बाप के नीचे लेटी हुई हूं और अपने आप को रंडी कह रही हूं जबकि मेरे ससुर भी इसी कमरे में है । ऐसा कैसे हो सकता है क्या मैं अपनी मर्यादा भूल चुकी हूं ।
इसी उधेड़बुन में लेटी हुई की उपासना ने जैसे ही सोमनाथ की सांसे अपने होठों पर महसूस हुई उसकी छातियों ऊपर नीचे होना शुरू हो गए।

वही हाल पूजा का भी था पूजा भी धर्मवीर की सांसो को अपने होंटो पर महसूस कर रही थी ।

कमरे का दृश्य बड़ा ही लुभावना और मनमोहक का का देखकर ऐसा लग रहा था जैसे दो गदरायी हुई घोड़ियां बेड पर पड़ी हुई है उनकी भारी गांड बेड के गद्दे में धंसी हुई है ।दोनों रांडो के ऊपर हट्टे कट्टे तगड़े तंदुरुस्त मर्द चढ़े हुए हैं ।

तभी अचानक उपासना को अपनी चूत पर कुछ चुभता सा महसूस हुआ इतनी अनजान नहीं थी उपासना वह समझ चुकी थी कि है उसके बाप का लोड़ा है जो उसकी चुडक्कड़ बेटी के भोसड़ी पर टिका हुआ सोमनाथ ने देर ना करते हुए उपासना के होठों पर अपने होंठ रख दिए।
जैसे ही सोमनाथ के उपासना के होठों से मिले वैसे ही उपासना ने अपनी आंखें खोल दी और आंखें कुछ इस तरह खुली जैसे सोमनाथ की आंखों को घूर रही हो।
अपने होठों को अपनी बेटी के होठों से मिलाकर सोमनाथ उन आंखों में झांकने लगा ।

उपासना के होंठ किसी शरबत के प्याले से कम नहीं लग रहे थे सोमनाथ को। सोमनाथ आउट ऑफ कंट्रोल होता चला गया और धीरे-धीरे उसके होंठ को अपने होंठों के बीच में लेकर चूसने लगा , चूसने क्या लगा था था चबाने लगा था ।

दूसरी तरफ धर्मवीर पूजा को तड़पाना चाहता था वह अपने होठों को पूजा के होंठो के पास नहीं ला रहा था और पूजा से यह देखा नहीं गया उसने धर्मवीर का सर पकड़ा और खुद उसके होठों को पीने लगी ।

तकरीबन 5 मिनट तक चले इस सीन में में दोनों बहनों के हैं बहनों के होंठ इतनी बुरी तरह से चूसे गए थे की हल्के हल्के लाल भी पड़ चुके थे उन शरबत के प्यालो को जी भर कर चूसने के बाद धर्मवीर और सोमनाथ ने अपना चेहरा हटाया और दोनों ने उनके गालों को अपने मुंह में भर लिया।

उपासना और पूजा की चूत भी पानी छोड़ने लगेगी चूतों से बहता पानी और तनी हुए चूचियां एक चुदाई की गुहार लगा रही थी लेकिन उपासना के मन में कुछ और ही था ।

सोमनाथ के हाथ उपासना की मोटी मोटी जांघों को सहलाने लगा और जांघो पर चलाते चलाते चलाते हाथ उपासना की चुचियों पर आ गए दूसरी तरफ धर्मवीर के हाथ भी पूजा के पेट से होते हुए बिल्कुल उसकी चूत पर पहुंचे। उसकी चूत पर हाथ रखते ही धर्मवीर समझ गया की पूजा की चूत पर घने बाल हैं यह महसूस करते ही वह रोमांचित हो उठा उत्तेजित हो उठा और उत्तेजना के इस सफर पर चलते हुए उसने पूजा की चूत को मुट्ठी में भर लिया।

अपनी चूत को इस तरह सहलाते देखकर पूजा सिसक उठी दोनों ही बहने मादक रंडियों की तरह सिसियाने लगी थी ।

तभी उपासना बोली - पापा जी रंडियां ऐसा काम करती हैं क्या ।

यह सुनकर सोमनाथ चुप हो गया लेकिन धर्मवीर बोला - हां बहू रंडियां यही काम करती हैं ।

उपासना बोली यह काम तो गलत है पापा जी और यह कहते हुए उसने सोमनाथ को अपने ऊपर से उठा दिया और खुद भी बैड से खड़ी हो गई।

सोमनाथ का मन हुआ कि उपासना को बेड पर पटक कर चोद ही दें लेकिन उसने सोचा कि बना बनाया खेल कहीं बिगड़ ना जाए इसी डर से वह चुप खड़ा हो गया ।

धर्मवीर ने कहा जैसा तुम ठीक समझो बेटी वह तो तुम पूछ रही थी इसलिए हम तुमको बता रहे थे लगता है । तुम्हारा नशा ढीला हो गया है ऐसा कहकर सोमनाथ और धर्मवीर कमरे से निकलकर अपने कमरे में चले गए।
Reply
05-01-2021, 11:37 AM,
#26
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
पूजा पूरी मस्ती में थी और अचानक उपासना के इस बर्ताव से वह झल्लाप पड़ी ।

पूजा - अब क्या हुआ दीदी , आप पहले शुरुआत करती ही क्यों हो । मुझे तो कुछ समझ नही आता ।

उपासना मुस्कुराती हुई - देखो तो कितनी जल्दी है लंड लेने की मेरी शरीफ बहन को । अरे ऐसा मैने इसलिए किया क्योंकि चुदने का प्रोग्राम तो आज रात का है ।

फिर दोनों नहाने के लिए चली गयी जाते जाते उपासना ने पूजा से कहा - अपने जंगल को काटना मत । बड़ा मस्त लग रहा है तेरा फैला हुआ जंगल ।

यह सुनकर पूजा शर्म से लजा गयी ।

उधर कुछ मिनट बीत जाने के बाद धर्मवीर को अपने मोबाइल पर एक संदेश रिसीव हुआ ।
धर्मवीर ने अपना मोबाइल उठाया देखा तो मैसेज उपासना का था।
उपासना ने लिखा था - पापा जी क्या यह ठीक रहेगा जिस लाइन पर हम लोग चल रहे हैं क्या यह लाइन ठीक है, आखिर आप चाहते क्या हैं।

इस पर कुछ देर सोचने के बाद धर्मवीर ने रिप्लाई दिया - इसमें जब दोनों तरफ से रजामंदी है तो फिर हर्ज ही क्या है ।
दोनों तरफ से रजामंदी का मतलब उपासना साफ-साफ समझ रही थी वह जान गई थी कि यह सोमनाथ और उसको लेकर कही गई बात है फिर उपासना ने रिप्लाई किया ।

उपासना - तो फिर आगे का क्या सोचा है ।

धर्मवीर ने मैसेज का रिप्लाई करते हुए कहा - बहु जब भी तुम्हारे पापा तुम्हारे नजदीक आते हैं तुम कोई ना कोई बहाना करके निकल जाती हो ।
मैं समझ रहा हूं कि तुम्हारी मर्यादा तुम्हें खींच कर ले जाती है और रही बात आगे की तो इसका फैसला तुम ही कर सकती हो क्योंकि यह सब तुम्हारे ही हाथ में है ।

इस पर उपासना ने रिप्लाई किया- ठीक है तो आज रात को 10:00 बजे हॉल में आ जाइएगा, लेकिन पापा जी को इस बारे में कुछ मत बताना उनके लिए यह सरप्राइस ही रहने देना ।

यह मैसेज पढ़कर धर्मवीर खुशी से झूम उठा क्योंकि वह समझ गया था कि पूजा आज उसकी टांगों के नीचे आने से नहीं बच सकती ।
उधर उपासना भी एक्साइटमेंट में कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रही थी पूजा और उपासना दोनों नहा कर निकली नहाने के बाद उन्होंने दोनों हाथों में चूड़ियां पहनी , पैरों में झनकारो वाली पायल पहनी जिससे कि चलते वक्त छन छन की आवाज आये।

फिर कुछ समय बाद उपासना ने दो लॉन्ग स्कर्ट यानी घागरी टाइप में पहनने के लिए ड्रेस निकाली लेकिन यह चुन्नी के कपड़े की बनी हुई ट्रांसपेरेंट घघरी थी, जिसमें से उनकी टांगे साफ साफ दिखाई दे रही थी, अंदर ब्लैक कलर का निक्कर निकाला उपासना ने ।
निक्कर इसलिए निकाला क्योंकि घघरी ज्यादा पारदर्शी थी और उसमें से साफ साफ दिखाई देता था। ऊपर के लिए उसने एक डिजाइनर ब्लैक कलर की चोली निकाली जो कि उनकी मोटी मोटी चुचियों को ढकने के लिए काफी छोटी थी।

दोनों ने चेहरे पर मेकअप किया और पैरों में हाई हील की सैंडल पहनली।

रात के 9:30 बज चुके थे आधा घंटा रह चुका था एक चुदाई समारोह होने में , चुदाई समारोह नहीं दोस्तों इसे नंगा नाच कहें तो बेहतर होगा क्योंकि दोनों रंडियां धर्मवीर और सोमनाथ के लौड़ो पर नाचने वाली थी ।

10:00 बजने में अब में अब केवल 15 मिनट बाकी है अब तक सारी तैयारी हो चुकी थी ।
उपासना और पूजा ने बेड शीट चेंज कर दी थी और मोटे मोटे दो तकिए बेड पर रख दिए थे और बेडशीट पर कुछ गुलाब के फूल भी चारों तरफ फैला दिए थे।

और बाहर कॉल में आकर दोनों इंतजार करने लगी आपस में बात करते हुए टाइम निकल गया और अब केवल 5 मिनट बचे थे ।

दूसरी तरफ तो धर्मवीर ने सोमनाथ को कुछ नहीं बताया ।
जब 9:55 बजे तब धर्मवीर कमबख्त बोला - चलो थोड़ी देर बच्चों के साथ बात कर ली जाए ।

फिर सोते हैं ऐसा कहकर धर्मवीर सोमनाथ के साथ नीचे हॉल की तरफ आने लगा ।

उधर उपासना और पूजा भी अपनी बातों में मस्त थीं ।

पूजा उपासना से कह रही थी- दीदी आपने यह ड्रेस कोड कहां से चुना है मुझे तो लगता है इस ड्रेस कोड में कुछ छुपा ही नहीं है देखो तो हमारी टांगे बिल्कुल साफ दिख रहे हैं ।

उपासना - इसीलिए तो यह ड्रेस चुना है ताकि देख कर तुझे कोई भी कह सकें यह लड़की लंड मांग रही है देख तो तेरी गांड कितनी बेपर्दा दिख रही है।

पूजा - दीदी पहना तो आपने भी यही ड्रेस है और गांड तो आपकी भी बेपर्दा है और रही बात लंड मांगने की तो आपको देख कर हर कोई यही कहेगा की मुह से लेकर गांड तक हर छेद में लंड चाहिए इस कुतिया को।

उपासना पूजा के कंधे पर हाथ मारते हुए हंसते हुए बोली- देख तो अपनी बड़ी बहन को कुत्तिया बोल रही है तुझे पता है जब तू चलती है तो किसी मस्तानी हथिनी की तरह तेरी भारी गांड गांड ऐसे हिचकोले लेती है जैसे रात भर लंड खाकर उठी हो।

तभी दरवाजे पर आहट हुई उपासना समझ गई कि वह दोनों आ चुके हैं उपासना ने जल्दी से पूजा को उठाया और किचन की तरफ भागी ।
दोनों किचन में जाकर खड़ी हो गई ।

धर्मवीर और सोमनाथ आकर कुर्सियों पर बैठ गए ।

धर्मवीर ने आवाज लगाई- उपासना बहू कहां पर हो तुम दोनों ।

लेकिन अंदर उपासना को जब याद आया कि उसने चुन्नी तो ली नहीं है सर ढकने के लिए तो उसने धर्मवीर को मैसेज किया कि हमारे कमरे से दुपट्टा लाकर दे दीजिए ।

धर्मवीर ने दुपट्टा ले जाकर किचन के खिड़की से अंदर फेंक दिया और सोमनाथ की तरफ आते हुए बोले - हमारी बहू भी कितना पर्दा करती है ऐसी संस्कारी बहु भगवान सबको दे ।

सोमनाथ की समझ में यह कुछ नहीं आ रहा था ।
सोमनाथ जानता था कि कितना पर्दा करती है उपासना अपने ससुर से।

तभी दोनों की नजर किचन की तरफ से आती हुई उपासना और पूजा पर गई।
दोनों की आंखें फटी की फटी रह गई क्योंकि दृश्य ही कुछ ऐसा था उपासना और पूजा के हाथ में एक गिलास दूध था दोनों ने अपना मुंह ढक रखा था दुपट्टे से लेकिन उनकी पारदर्शी ड्रेस में से उनकी टांगे साफ दिख रही थी अपनी मोटी मोटी जांघो का प्रदर्शन करते हुए दोनों बड़ी की मादक चाल चलते हुए सोमनाथ की तरफ बढ़ रही थी ।

धर्मवीर को सब पता था लेकिन सोमनाथ इस सबसे बेखबर बस मुंह फाड़े उनकी तरफ देखा जा रहा था ।

उपासना ने सोमनाथ की तरफ और पूजा धर्मवीर की तरफ़ जाकर दोनों ने दूध का गिलास धर्मवीर और सोमनाथ को पकड़ा दिया।

चुपचाप सारा दूध पीने के बाद सोमनाथ बोला - बेटी इसकी क्या जरूरत थी। अभी अभी तो हमने खाना खाया था ।

तभी पूजा बोली- पापा जी दूध पीने से ताकत आती है ।

इस पर धर्मवीर बोला - ताकत तो हममें पहले से ही बहुत है ।

उपासना बोली - ताकत तो हमारे अंदर भी है पापा जी और आपसे दो कदम कदम आगे हैं आप की बहु बेटियां ।

इस बात का का मतलब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों समझ चुके लेकिन फिर भी धर्मवीर बोला- हमसे ज्यादा कैसे हो सकती है बहू।

पूजा बोली अभी फैसला हो जाएगा किस में ज्यादा ताकत है यदि आपमें ज्यादा ताकत है तो हमें उठा कर दिखाओ ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ की बांछें खिल गई और दोनों कुर्सी से खड़े होते हुए बोले इसमें क्या बड़ी बात है लो अभी उठा लेते हैं ।

धर्मवीर पूजा को अपनी गोद में उठाने के लिए आगे बढ़ा और सोमनाथ उपासना को अपनी गोद में उठाने के लिए ।

उपासना और पूजा दोनों की मोटी मोटी जांघो और कमर में हाथ डालते हुए दोनों को किसी फूल की तरह अपनी गोद में उठा लिया । वैसे भी दोनों देखने में ही सांड जैसे लगते थे।

दोनों की भारी भारी गांड उनकी बाजुओं में थी और पूजा और उपासना अपने चेहरे को ढके हुए उन दोनों को देख नहीं पा रही थी लेकिन अंदर ही अंदर दोनों मुस्कुरा पड़ीं ।

जब दोनों ने दोनों घोड़ियों को गोद में उठा लिया तो शरमाते हुए पूजा ने कहा- पापा जी हमें बेडरूम में छोड़ आइए अगर आपने उठा ही लिया है तो।

इतना सुनकर धर्मवीर बोला- हां हां क्यों नहीं हम तुम्हें तुम्हारे बेड पर छोड़ आते हैं ,
और दोनों उनके कमरों की तरफ बढ़ने लगे कमरे में बेड पर फैले हुए गुलाब के फूल देखकर सोमनाथ बोला - बेटी यह गुलाब के फूल क्यों बिछाए हैं तुमने ।

गोद में बैठी हुई उपासना बोली - पापा जी ऐसे ही बस कोई खास वजह नहीं थी।

दोनों को बेड पर पटक दिया धर्मवीर और सोमनाथ ने।

अब धर्मवीर और सोमनाथ भी बेड पर ही बैठ गए अपने पैर नीचे करके।

******
******

आज के लिए इतना ही लिख पाया दोस्तो ।

और हां एक दो लोगों ने कहा था कि ये कहानी चुराई हुई है तो दोस्तों अगर ऐसा है तो प्लीज ओरिजनल लेखक से मुझे मिलवाये । अगर ये कहानी आप लोगो को कही और दिखे और उसके लेखक का नाम रचित नही है तो प्लीज मुझे लिंक जरूर send करें । क्योकि अच्छा नही लगता जब कोई मेहनत पर पानी फेर दे क्योंकि बहुत मेहनत और टाइम खर्च कर रहा हूँ मैं इस कहानी को लिखने में ।

साथ बने रहने के लिए दिल से धन्यवाद ।

******
Reply
05-01-2021, 11:37 AM,
#27
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
UPDATE 23

चारों लोग कमरे में थे उपासना और पूजा बेड पर लेटी हुई थी।
चारों लोग मन ही मन सोच रहे थे की बात को आगे कैसे बढ़ाया जाए , कैसे पहल की जाए । यही उधेड़बुन चारों के दिमाग में चल रही थी तभी सोमनाथ की नजर कमरे की दीवार पर लगे एक फोटो पर गई जिसमें उपासना ने एक पेटीकोट पहना हुआ था और ऊपर एक चोली पहन रखी थी ।

यह देख कर सोमनाथ बोला- बेटी इस फोटो में तो तुम बहुत ही सुंदर दिख रही हो ।
यह सुनकर उपासना शर्मा गई सोमनाथ बोला बेटी जो तुमने यह पहनावा पहना हुआ है फोटो में । मैं इस पहनावे में तुम्हें देखना चाहता हूँ।

उधर धर्मवीर मन ही मन सोचने लगा कि सोमनाथ को क्या हो गया है इतनी सेक्सी ड्रेस पहनकर दोनों लेटी हैं और यह इन्हें दोबारा कपड़े पहनाने में लगा हुआ है ।

उधर उपासना बोली - पापा जी यदि आप चाहते हैं तो मैं आपको पहन कर कर दिखाती हूं ।
उधर धर्मवीर बोला पूजा से - तुम भी अपनी दीदी के साथ यही ड्रेस पहनो तुम भी सुंदर लगोगी।

यह सुनकर दोनों शर्माती हुई बेड से उतर गई और कमरे से बाहर जाने लगी।

दोस्तों उस पारदर्शी गगरी में उनके चूतड़ों की थिरकन कहर बरपा रही थी सोमनाथ और धर्मवीर पर और दूसरी तरफ पूजा और उपासना अपने कूल्हों को और भी ज्यादा मटका कर चल रही थी ।
अपनी गांड को हिलाते हुए दोनों कमरे से बाहर चली गई।

कमरे में जाकर दोनों ने कपड़े चेंज करने लगी उपासना ने पूजा को एक हरे रंग का पेटिकोट दिया और एक छोटा सा ब्लाउज ।
खुद के लिए उपासना ने एक नीले रंग का पेटिकोट निकाला और लाल रंग का छोटा सा ब्लाउज।
यह पेटिकोट और ब्लाउज दोनों ही उनके साइज के हिसाब से काफी छोटे थे जिस वजह से उनकी गांड पर पेटिकोट बिल्कुल फस गया ।
उनकी भारी-भारी कांड कांड उस पेटीकोट में निकल कर पीछे की तरफ उभर गई ।
ब्लाउज की बात करें तो ब्लाउज भी स्लीवलैस था , ब्लाउज की जगह चोली कहें तो बेहतर होगा क्योंकि कमर पर सिर्फ एक डोरी थी जिसने इस ब्लाउज को संभाला हुआ था और आगे मोटे मोटे दो पपीते जिनको ब्लाउज ने कसकर जकड़ रखा था ।

दोनों ने अपने आप को शीशे में देखा तो शर्मा गयीं पर मस्तानी चाल चलती हुई उन दोनों के कमरे की तरफ बढ़ने लगी ।

कमरे के गेट पर जाकर दोनों ने देखा के अंदर सोमनाथ और धर्मवीर बैठे हुए हैं ।

उपासना ने पूजा को अंदर धक्का दिया, धक्का इतना तेज लगाया गया था की पूजा सीधा बीच रूम में जाकर रुकी ।

पूजा ने शर्म से अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया ।

धर्मवीर और सोमनाथ ने जब पूजा की तरफ देखा तो अपने होश खो बैठे।
ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउज और पेटीकोट में कोई कसी हुई जवानी आजाद होना चाहती हो।
पूजा की जवानी उसके कपड़ों को फाड़कर बाहर आने को उतावली हो रही थी ।

सोमनाथ ने कहा- उपासना बेटी कहां है ?

पूजा ने कहा- दीदी बाहर गेट पर खड़ी है ।

सोमनाथ ने उपासना को आवाज लगाई - उपासना अंदर आओ ।

उपासना धीरे धीरे अंदर की तरफ आने लगी तो उसकी जवानी तो पूजा से भी ज्यादा गदरायी हुई थी।
दोनों कमरे में खड़ी हो गई।

सोमनाथ ने कहा - देखा समधी जी मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।

धर्मवीर ऐसा सुनकर खड़ा हुआ और दोनों को निहारने लगा फिर धर्मवीर और सोमनाथ पीछे की तरफ घूम कर आए तो उनकी आंखें चौड़ी हो गई।
क्योंकि उपासना और पूजा के कूल्हे ऐसे लग रहे थे जैसे पीछे दो मोटे मोटे तबले हो और उनके नितंब उस पेटीकोट में कसे हुए थे जिससे कि उनकी गांड और भी बाहर को उभरकर दिख रही थी ।

धर्मवीर बोला- मानना तो पड़ेगा सोमनाथ जी कि आप की बेटियां करोड़ों में एक है।

यह सुनकर पूजा बोली- रहने दीजिए क्यों झूठी तारीफ करने में लगे हो तुम दोनों ।

तभी धर्मवीर के दिमाग में एक शैतानी आईडिया आया और उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान फैल गयी।

उसने सोमनाथ से कहा - चलो सोमनाथ जी नींद आ रही है , चलो सोने चलते हैं ।
ऐसा उसने सोमनाथ को आंख मारते हुए कहा था।
सोमनाथ उसका इशारा समझ गया और धर्मवीर के साथ ऊपर चला गया ।

पूजा और उपासना एक दूसरे का चेहरा ताकती हुई हैरानी से एक दूसरे को देखने लगीं ।

पूजा ने कहा - ऐसा कैसे हो सकता है दीदी। तुमने तो कहा था कि ये दोनों हमें बिना चोदे नहीं छोड़ेंगे आज , लेकिन यहां तो उल्टा ही हो रहा है ।

उपासना बोली- जहां तक मैं जानती हूं हम जैसी घोड़ियों को देखकर बिना चोदे तो यह मर्द रह नहीं पाएंगे । इसमें जरूर कोई राज की बात है चलो चल कर देखते हैं ।

दोनों धर्मवीर और सोमनाथ के रूम की तरफ जाने लगीं।
जैसे ही वह रूम के पास पहंची उन्हें धर्मवीर और सोमनाथ की आवाज सुनाई देने लगी ।

सोमनाथ धर्मवीर से कह रहा था - समधी जी आपने यह है क्या किया?

धर्मवीर बोला - सोमनाथ मैंने नोट किया था कि पूजा और उपासना हम दोनों के सामने शर्मा रही थी । इसका सीधा सा मतलब है कि हमें अलग-अलग कमरे चुनने होंगे, अगर हम अलग अलग होकर उनकी चूतों को फाड़ेंगे तो वह चोदने में पूरा मजा देंगी और खुलकर चुदवायेगी। इसलिए मैंने ऐसा किया । अब तुम मेरा प्लान सुनो।
तुम नीचे उपासना और पूजा के पास जाना और जाकर कहना की समधी जी का टीवी चल नहीं रहा है और मुझे टीवी देखना है इसलिए मैं तो नीचे आ गया और समधी जी दूध मंगा रहे थे पीने के लिए, जब तुम जाकर ऐसा बोलोगे तो उपासना जरूर पूजा को भेजेगी दूध लेकर और अपना काम बन जाएगा । तुम पूरी रात उपासना को रगड़ना और मैं यहां पूजा की चूत को खोलकर उसे भोसड़ा बना दूंगा ।

यह सुनकर सोमनाथ बोला- तुम्हारे दिमाग की भी दाद देनी पड़ेगी समधी जी।

इतना सुनकर उपासना और पूजा की धड़कन तेज हो गई वह आने वाले वक्त के बारे में सोचने लगीं और उत्तेजित होने लगी ।

जल्दी से वह दोनों अपने कमरे में आकर बैठ गई और सोमनाथ का इंतजार करने लगी ।

सोमनाथ को पता नहीं था कि वह दोनों उनका प्लान सुन चुकी है ।

सोमनाथ 10 मिनट बाद पूजा और उपासना के कमरे में गया तो यह देख कर उपासना और पूजा एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा पड़ी। लेकिन यह सब सोमनाथ की समझ में कुछ नहीं आया।

सोमनाथ में अपने प्लान के मुताबिक कहा- कि समधी जी का टीवी तो चल नहीं रहा है और मेरा मन आज टीवी देखने का था।

उपासना बोली - हां हां पापा जी क्यों नहीं आप हमारे पास टीवी देख लीजिए।

सोमनाथ सोफे पर बैठ गया तभी सोमनाथ ने कहा - उपासना धर्मवीर जी दूध मंगा रहे हैं उनको दूध देकर आओ।

उपासना किचन की तरफ जाने लगी लेकिन तभी पूजा ने उसे रोका- दीदी आप पापा जी से बात कीजिए उनको दूध मैं देकर आती हूँ ।

उपासना मुस्कुरा पड़ी और बदले में पूजा ने भी मुस्कान के साथ उसका साथ दिया ।

उधर सोमनाथ की हालत खराब हो चुकी थी क्योंकि जब उपासना और पूजा चहलकदमी कर रही थी तो पेटीकोट में फंसी उनकी गांड इस तरह हिल रही थी जिसे देखकर सोमनाथ का कलेजा मुंह को आ गया ।

उधर पूजा दूध लेकर धर्मवीर के कमरे की तरफ चली गई ।

उपासना आकर सोमनाथ से पूछने लगी - पापा जी आपके लिए भी दूध कर दूं क्या ।

सोमनाथ बोला- नहीं बेटी अभी नहीं , अभी तो मुझे टीवी देखना है अपनी बेटी से ढेर सारी बातें करनी है फिर दूध पीना है ।

यह सुनकर उपासना बड़ी ही एक्टिंग के साथ बोली - ओके डैडी एस यू विश विश ।

उपासना ने पूछा - पापा जी यदि आप कहें तो आपका बिस्तर भी यहीं पर लगा दूं , आप भी यही सो जाना।

सोमनाथ बोला बेटी एक ही बेड है रूम में तो।

उपासना बोली- तो क्या हुआ पापा जी आप इसी पर सो जाना मैं दूसरी साइड सो जाऊंगी ।

तब सोमनाथ धीरे से बोला - यह बेड तो तुम्हारा ही वजन मुश्किल से संभाल पाता होगा ।
(यह वाक्य धीरे से बोला गया था लेकिन इतना भी धीरे नहीं था की उपासना सुन ना सके, उपासना ने सुन लिया और एक साथ हैरानी से आंखे फैलाकर बोली ।

उपासना- पापा जी आपको मैं इतनी भारी लगती हूं क्या?
अंदर तो आप बड़ी तारीफ कर रहे थे कि मेरी बेटियां करोड़ों में एक है ।
यहां पर आप मेरी बुराई कर रहे हैं ।

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी बुराई कहां की मैंने , यदि तुमने सुन ही लिया है तो मैं तो यही कह रहा था कि यह बेड तो तुम्हारे वजह से ही टूटने को हो जाता होगा।

उपासना - आपको मैं इतनी मोटी लगती हूं क्या ?

सोमनाथ बोला - नहीं बेटी मैंने कब कहा तुम मोटी हो लेकिन तुम भारी हो ।

उपासना ने बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से कहा- फिर तो पापा जी आप भी टूट जाने चाहिए थे लेकिन आपने तो मुझे शाम गोद में उठा लिया था । आप क्यों नहीं टूटे?

सोमनाथ के पास अब इस बात का कोई जवाब नहीं था इसलिए उसके मुंह से उत्तेजना में निकल गया - तुम जैसी को सिर्फ हम ही संभाल सकते हैं ।

यह सुनकर उपासना की नजरें शर्म से जमीन में गढ़ गयीं लेकिन फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली - तुम जैसी का क्या मतलब है पापा जी, और इसका क्या मतलब है की हम ही संभाल सकते हैं केवल । क्यों और कोई नहीं संभाल सकता क्या ?

सोमनाथ यह सुनकर सपकपा गया क्योंकि दो बार उपासना उसकी टांगों के नीचे आकर निकल चुकी थी अबबयह मौका जाने नहीं देना चाहता था वह कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहता था ।
लेकिन सोमनाथ यह भी जानता था की उपासना के अंदर जो आग भरी हुई है अगर उसे एक बार भड़का दिया जाए तो उसका लंड उसकी चूत में गोते लगाने से कोई नहीं रोक सकता ।
और उसे यही काम करना था उसे उसके अंदर भरी हुई आग को भड़काना था ,

सोमनाथ- उपासना मेरे कहने का मतलब था कि तुम्हें संभालने के लिए किसी हल्के मोटे इंसान की बस की बात नहीं है तुम ।
जैसी का मतलब है कि बेटी तुम भारी-भरकम हो और तुम्हें संभालने के लिए किसी भारी भरकम आदमी की ही जरूरत पड़ेगी अगर मैं आदमी ना कहकर सांड कहूं तो ज्यादा अच्छा होगा ।

यह सुनकर उपासना और ज्यादा शर्माकर बोली - पापा जी इतनी भी भारी नहीं हूं मैं ।

सोमनाथ बोला - मैं कैसे मानूं , देखने में तो तुम कितनी ____ ।
ऐसा कहकर सोमनाथ चुप हो गया ।

उपासना बोली - कितनी ______ आगे बोलिए ।

सोमनाथ - रहने दो बेटी मुझे शर्म आती है।

उपासना - पापा जी बेटी से क्या शर्माना बोलिए ना कितनी_______ ।

सोमनाथ - मेरे कहने का मतलब था सभी औरतों से तुम कितनी ज्यादा चौड़ी हो ।

यह सुनकर उपासना होंठ अपने दांतो से काटते हुए बोली - कहां से चौड़ी हो पापा जी मैं।

सोमनाथ बोला - बेटी कमर को छोड़कर सब जगह से चौड़ी गई हो ।

यह सुनकर उपासना शर्मा गयी लेकिन अनजान बनते हुए सोमनाथ से खुलते हुए बोली - मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा पापा जी। बताइए ना कहां से चौड़ी हो गई है आपकी बेटी ।
उपासना ने यह कहते हुए आपकी बेटी पर ज्यादा जोर लगाया था।

जब सोमनाथ नहीं देखा की उपासना खुलने लगी है तो उसने कहा - बेटी तुम्हारी जांघे हैं पहले से काफी मोटी हो गई है ।

उपासना बोली- और पापा जी ।

सोमनाथ बोला- और तुम्हारी छातियां भी भारी हो गई हैं।

यह सुनकर उपासना शर्माते हुए अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाते हुए बोली- और कहां से चौड़ी हो गई हूँ मैं पापा जी।

सोमनाथ उपासना को तरसाने की सोच रहा था इसलिए उसने कहा - और कहीं से नहीं बेटी।

उपासना यह सुनकर सोमनाथ की तरफ पीठ करके खड़े हो गई उसकी कसी हुई गांड सोमनाथ के सामने थी फिर उपासना ने पूछा - और पापा जी कहां से चौड़ी हो गयी हूं।

लेकिन सोमनाथ में फिर भी वही कहा- और कहीं से नहीं बेटी।

इस पर उपासना को अपनी आशाओं पर पानी पीता हुआ दिखाई देने लगा तो उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ निकालते हुए बहुत ही कामुक आवाज में पूछा- ध्यान से देखिए ना पापा जी आपकी बेटी और कहीं से भी जरूर चौड़ी हो गयी होगी ।

सोमनाथ को अब लगने लगा था कि उसकी उपासना बेटी की आग भड़कने लगी है ,वह खुलने लगी है और धीरे-धीरे बेशर्म भी पड़ने लगी है ।

और उसने उसे इस बात का फायदा उठाते हुए कहां - हां बेटी तुम्हारे नितंब दिख रहे हैं इन्होंने तो चौड़ाई की हद ही पार कर दी हैं देखो तो बिल्कुल फैल गए हैं ।

उपासना ने जब यह सुना तो उसके जेहन में एक तेज लहर दौड़ गयी , उसका सीना जोरो से धड़कने लगा । वह समझ गई थी अब रेल पटरी पर है।

अपना अगला वार करते हुए बोली - पापा जी कूल्हे तो सभी औरतों के चौड़े ही होते हैं ।

सोमनाथ बोला- हां बेटी औरत के नितंब उम्र के हिसाब से चौड़े होते हैं लेकिन तुम्हारे कूल्हे है तुम्हारी उम्र के हिसाब से बहुत ज्यादा मोटे और चौड़े हैं। और सबसे खास बात कि तुम्हारे कूल्हे बिल्कुल कसे हुए हुए हैं ।

उपासना शरमाते हुए बोली हुए - पापा जी आपको शर्म नहीं आती अपनी बेटी के नितंबों को घूरते हुए ।

यह सुनकर सोमनाथ सपकपा गया और बोला- नहीं बेटे मैं तो तुम्हारी तारीफ कर रहा था ।

उपासना बोलो चलिए पापा जी मुझे नींद आ रही है यदि आपको टीवी देखना है टीवी देख लीजिए और मैं सो रही हूं ।

उपासना ने टीवी चला दिया।

सोमनाथ समझ गया की उपासना शर्मआ रही है अभी। अभी उसे बेशर्म बनाना पड़ेगा इसलिए वह सोने का नाटक करने जा रही है।

उपासना टीवी की तरफ पीठ करके करवट लेकर लेटी थी और सोमनाथ सोफे पर बैठ कर ही टीवी देख रहा था ।

आधा घंटा हो चुका था सोमनाथ को टीवी देखते देखते हैं लेकिन उसका ध्यान टीवी पर कम उपासना की गांड पर ज्यादा था ।
मन ही मन कह रहा था आज इस गांड को गोदाम ना बना दिया तो मेरा नाम भी सोमनाथ नहीं, इस कमरे में तुम्हारी चीखें नहीं गूंजी तुम मेरा नाम सोमनाथ ।

उधर उपासना बेसब्री से इंतजार कर रही थी कि अब कुछ होगा अब कुछ कुछ होगा ।
तभी उसके कान के बिल्कुल पास तेज चुटकी बजी उसका दिल एकदम से धक्क कर गया , दरअसल यह तेज चुटकी सोमनाथ ने चेक करने के लिए बजाई थी की उपासना जाग तो नहीं ।

उपासना सोने का नाटक करते हुए जरा भी नहीं मिली और चुपचाप ऐसे ही लेटे रही फिर सोमनाथ ने टीवी को बंद किया, गेट को लॉक किया और कमरे की लाइट ऑन करदी ।

उपासना की धड़कन तेज हो गई फिर सोमनाथ घूम कर बेड की तरफ आकर खड़ा हो गया ।
अब उपासना के चेहरे के बिल्कुल सामने खड़ा था सोमनाथ ।
उपासना को समझ नहीं आया कि वह क्यों खड़े हैं लेकिन तभी सोमनाथ ने अपनी शर्ट के बटन खोलने स्टार्ट कर दिए ।
अपनी शर्ट और बनियान को उतार कर उसने सोफे पर फेंक दिया ।

अब तो उपासना का दिल किसी इंजन की तरह धुक्क धुक्क करके धड़क रहा था। फिर सोमनाथ ने अपनी पेंट का हुक खोला और पेंट को उतार कर कर फेंक दिया।
अब सोमनाथ उसके सामने केवल एक अंडरवियर में खड़ा था अपनी आंखों को बहुत ही हल्का सा खोलकर उपासना यह नजारा देख रही थी तभी सोमनाथ ने अपना अंडर वियर भी उतार दिया ।
सामने का नजारा देखकर उपासना की आंखें फैलने लगी लेकिन उसने अपनी आंखें बिल्कुल मीच ली जिससे सोमनाथ को लगे उपासना सो रही है।

उपासना ने फिर अपनी हल्की सी आंखें खोली देखा सामने तो उसके पापा अपने हाथ से लंड को सहला रहे थे ।
वह सोया हुआ लंड भी कम से कम 7 इंच का था। काले नाग की तरह लटका हुआ वह लौड़ा उपासना को उत्तेजित कर रहा था।

फिर सोमनाथ ने घूमकर बेड की दूसरी तरफ चले गए अब उपासना को सोमनाथ दिखाई नहीं दे रहा था।
लेकिन तभी उसे एहसास एहसास हुआ जैसे उसके बेड पर कोई लेट रहा हो क्योंकि दोस्तों सोमनाथ बेड पर लेट चुका था ।

5 मिनट हो चुके थे दोनों तरफ से कोई हलचल नहीं हुई तभी उपासना के कान के पास फिर एक तेज चुटकी बजी उपासना फिर चुपचाप लेटी रही और गहरी नींद का नाटक करती रही।

फिर उपासना को को पीछे से कोई साया अपने शरीर से लगता हुआ महसूस हुआ । उपासना के तन बदन में एक झुर्झुरी सी महसूस हुई जब उसने यह सोचा कि उसका पापा नंगे होकर उससे सट रहे रहे हैं तभी उसे सोमनाथ का हाथ आगे अपने पेट पर महसूस हुआ ।उसकी सांसे भी तेज चलने लगी लेकिन वह अपनी सांसो पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रही थी वो यह नहीं जताना चाहती थी कि वह जाग रही है।
वह तो सोने का नाटक कर रही थी सोमनाथ ने उसके पेट पर कहलाते हुए उसकी नाभि में उंगली डालकर घुमाना चालू कर दिया ।
उपासना का पिछवाड़ा अब सोमनाथ से बिल्कुल सटा हुआ था
तभी सोमनाथ ने अपना हाथ धीरे से उपासना के मोटे मोटे चुचों पर रख दिया।
सोमनाथ ने इतने कसे हुए और गोल गोल चूचे पहली बार देखे थे।
सोमनाथ आराम आराम से उपासना की चुचियों को सहलाने लगा।
फिर धीरे से अपना हाथ नीचे की तरफ ले गया और उपासना के कूल्हे पर पर अपना हाथ रख दीया । अपना हाथ पूरा फैला कर कर इस तरह से उपासना के नितंबों को सहलाया जैसे उनका नाप ले रहा हो अब उपासना भी भी गरम हो गई थी और उसकी चूत पानी पानी होकर एक चिकना द्रव्य रिसाने लगी थी।
उपासना के पीछे से हट गया अब सोमनाथ ।
Reply
05-01-2021, 11:37 AM,
#28
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
उपासना के मन में एक साथ कई सारे सवाल उठे कि उसका नंगा बाप उसके बदन से अभी तक चिपका हुआ था और अचानक हट गया।

तभी जो हुआ उसने उपासना को मदहोश कर दिया क्योंकि तभी उसे अपनी गांड पर अपने बाप की गरम गरम सांसे महसूस हुईं हालांकि उसने पेटीकोट पहना हुआ था लेकिन सोमनाथ की तेज सांसें उसे महसूस हो गई।

उसे महसूस हुआ कि जैसे धीरे धीरे उसके पिछवाड़े में जांघों के बीच कोई अपना मुंह घुसा राह है । उपासना को ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसके पिछवाड़े से उसका बाप खेल रहा हो अपने गालों से उसके कूल्हों को सहला रहा हो अपनी नाक को उसके चूतड़ों के बीच में रखकर जैसे कोई उसका नंगा बाप कुछ गहरी सांस लेकर सूंघ रहा हो।

सोमनाथ ने अब अपने दोनों हाथों से उपासना के चूतड़ों को फैलाया लेकिन पेटीकोट की वजह से ज्यादा नहीं फैला सका और अपने मुंह को गांड की दरार में घुसाकर गहरी गहरी सांसे लेने लगा।
उसकी चूत की भीनी भीनी खुशबू लेने के बाद सोमनाथ ने उपासना का कंधा पकड़ कर हल्का सा दबाव देकर उसे सीधा लिटाने की कोशिश करने लगा।

उधर उपासना समझ गई और उसने कोई विरोध नहीं किया अपना शरीर ढीला छोड़ दिया और सीधी लेट गई । उसने अपनी आंखें मींचे रखी थी

अपनी बेटी की जवानी को इस तरह एक पेटीकोट ब्लाउज में फंसी हुई देखकर सोमनाथ का लंड करंट पकड़ने लगा ।
उपासना के चूचे उस ब्लाउज से आजाद होने की गुहार लगा रहे थे ।

तभी उपासना ने देखा की उसका बाप बेड से उतर गया है ।
वह समझ नहीं पाई कि सोमनाथ क्यों उतरा है ।
लेकिन उसने तभी अपनी आंखें कॉल कर देखा तो सोमनाथ कुछ ढूंढ रहा था।
तभी उसे बेड की तरफ आता हुआ दिखाई दिया और उसके हाथ में कैंची थी ।

उपासना समझ गई और उसकी धड़कनें तेज हो गई ।

उपासना बेड पर सीधी पड़ी हुई थी सोमनाथ ने उसकी चुचियों के बीच में कैंची रखी और उसके ब्लाउज को काट दिया ।
ब्लाउज के कटते ही उसके मोटे मोटे चूचे जिनकी निप्पल अब तक खड़ी हो चुकी थी, खुलकर सामने आ गए ।

अपनी बेटी की मोटी मोटी छातियों को देखकर सोमनाथ का लंड अब अपनी औकात में आना शुरू हो गया ।

फिर सोमनाथ ने उसके पेटीकोट को बीच में से काटना स्टार्ट किया और उसके पूरे पेटीकोट को काटकर जैसे ही दोनों पल्लों को अलग अलग खोलकर फैलाया तो उसकी बेटी की नंगी जवानी उसकी आंखों के सामने थी।

उसका कलेजा मुंह को आ गया आंखें फैल गई क्योंकि उपासना चीज ही कुछ ऐसी थी ।
उपासना की चूत तो उसे दिखाई नहीं दी क्योंकि उसकी चूत पर झांटे नहीं पूरा जंगल था। काली काली झांटों में ढकी, उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच उसकी जवानी में चार चांद लगा रही थी उसकी चूत।

सोमनाथ ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चूत की तरफ ले जाना शुरू किया तो उसकी चूत से उसे मादक खुशबू आई और उपासना को भी अपनी झांटों भरी चूत पर गर्म गर्म सांसे महसूस हुई लेकिन तभी अचानक सोमनाथ का फोन पर वाइब्रेशन शुरू हो गया।
सोमनाथ ने देखा कि उसके फोन पर धर्मवीर का कॉल आ रहा है।

सोमनाथ फोन उठाते हुए बोला- कैसे फोन किया समधी जी।

दूसरी तरफ से धर्मवीर कुछ बोला ___________ जो कि उपासना को सुनाई नहीं दे रहा था ।

फिर सोमनाथ ने रिप्लाई किया - पूजा नखरे कर रही है यह उसकी आदत है जब वह खुल जाएगी तो बेशर्मी पर उतर आएगी ।

यह सुनकर उपासना समझ गई कि धर्मवीर के रूम में पूजा नखरे कर रही है और धर्मवीर भी उसे चोदने की कोशिश कर रहा है और एक मैं हूं कि बिल्कुल भी नखरे नहीं कर रही हूं फिर भी अभी तक लंड नसीब नहीं हुआ।

तभी सोमनाथ ने फोन पर कहा - हां समधी जी जैसा आपने बताया था उपासना का जिस्म बिल्कुल वैसा ही है।

धरवीर- ____________।

सोमनाथ - नहीं मैंने नंगी कर दिया है मेरे सामने बेड पर नंगी पड़ी है ।

धर्मवीर_____________।

सोमनाथ - आज तो उसकी चूत को पी जाऊंगा मैं। इस घोड़ी को चुदाई का असली रूप दिखा दूंगा आप चिंता ना करें।

धर्मवीर - ____________ ।

सोमनाथ - नहीं अभी तो नींद में है लेकिन कुत्तिया की जब नींद खुलेगी तब तक इस की चूत में लंड जा चुका होगा ।

धर्मवीर __________

सोमनाथ - क्या समधी जी 10:00 बजे तक चोदना है क्या पूजा को ओके। कोई बात नहीं उपासना की चूत को भी मैं सुबह 10:00 बजे तक ही बजाऊंगा ।

ऐसा कहकर सोमनाथ ने फोन रख दिया ।

उपासना को यकीन नहीं हो रहा था कितनी बेशर्मी भरी बातें उसका बाप अपनी बेटियों के बारे में कर रहा है। अपने बाप और ससुर के बीच हुई इस वार्तालाप का गहरा असर उसकी वासना पर हुआ ।

सोमनाथ ने झुक कर उपासना के पैरों को चूमना शुरू किया।
उपासना का दिल धक-धक करने लगा अब तो वह अपने बाप के आगे बिल्कुल नंगी पड़ी थी और। उसके पैरों को उसका बाप चाट रहा था।
फिर चाटते चाटते सोमनाथ घुटनों तक आया और दोनों हाथों से उसके बूब्स को आराम से सहलाता हुआ उसकी जांघों को चाटने लगा ।

उसकी जांघों पर चुम्मा की बरसात करते हुए अब उसकी सांसे उपासना की चूत से टकराने लगी ।
सोमनाथ ने उपासना की जांघों को थोड़ा सा चौड़ा किया और उसकी चूत पर अपना मुंह लगाया।
जैसे ही सोमनाथ की नाक पूजा की चूत से टच हुई पूजा के मुंह से सिसकारी निकलते निकलते बची ।

उधर सोमनाथ को भी अपनी नाक पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ
सोमनाथ ने अपने हाथ की उंगली को उसकी चूत पर झांटों को हटाकर फेरना शुरू किया तो उसकी उंगली पर लसलसा सा पानी आ गया।

सोमनाथ का माथा ठनका।
सोमनाथ ने मन ही मन कहा यह क्या? मतलब उपासना जाग रही है, मतलब उपासना गर्म हो रही है , मतलब उपासना की चूत पानी छोड़ रही है।
और ऐसा सोचते हुए कुटिल मुस्कान उसके चेहरे पर फैल गयी फिर सोमनाथ ने इस बात का फायदा उठाते हुए उसकी चूत को अपनी जीभ की नोक से कुरेदना शुरू किया।
यह सब उपासना के लिए बर्दाश्त से बाहर था लेकिन फिर भी वह अपनी आंखें मींचकर लेटी रही ।
उपासना की मोटी मोटी जांघो में सोमनाथ का चेहरा बहुत ही छोटा सा दिख रहा था । उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच फूली हुई झांटों से ढकी हुई चूत पर मुह लगाना सोमनाथ को जन्नत की सैर करा रहा था।

उसकी चूत के बालों को हटाकर व उसके चूत के दाने को चूसने लगा ।

चूत के दाने पर हुआ यह हमला उपासना के लिए कम नहीं था उसके हाथों ने बेडशीट को मुट्ठी में भर लिया और वह नियंत्रण में रहने की कोशिश करने लगी।
उपासना की चूत को चाटते हुए जब सोमनाथ को 10 मिनट हो गए ।
जब जी भर के चूत को चाट लिया तब अपना मुह हटाया ।
उपासना की चूत के पानी से सना हुआ अपना चेहरा उसने उपासना की जांघो से पोंछकर साफ किया और बेड पर खड़ा हो गया ।

फिर धीरे से सोमनाथ उपासना के चेहरे की तरफ अपना चेहरा लाया और उसके कान के पास अपने होठों को रखकर बहुत ही धीरे से बोलने लगा उपासना के कान में बोल रहा था कि आज तो इस बैड पर मेरे लंड पर नाचेगी तू ।

उपासना की हालत आप समझ सकते हो दोस्तो जो सब सुनते हुए भी नींद का नाटक करते हुए अनसुना कर रही थी ।

सोमनाथ में फिर बोलना शुरू किया तेरी चूत का आज वह बढ़ता बनाऊंगा बनाऊंगा कि इस चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम चुदाई की तो गुलाम तो गुलाम की तो गुलाम तो गुलाम हो जाएगी फिर तुझे हर वक्त लौड़ा ही दिखेगा ही दिखेगा ही दिखेगा उपासना के शर्म से चेहरा लाल पड़ गया लेकिन उसने अपनी आंखें फिर भी बंद ही रखना उचित समझा।

सोमनाथ ने फिर बोलना शुरू किया- आज देखता हूं कितनी गर्मी है तुझ में।
पूरा दिन अपनी गांड को मेरे आंखों के आगे मटकाकर घूमती है ना तू । आज निकालता हूं तेरी गांड की मस्ती। तुझे देख कर ही मेरा लंड ही मेरा लंड अपना सर उठाने लगता है और आज तेरी चूत ने भी मेरे लंड की भी मेरे लंड की सुन ही ली ।
आज तो इस भोसड़े को बड़े इत्मीनान से फाड़कर तेरे अंदर अपना बीज डालूंगा।
आज तेरी वह हालत करूंगा कि तुझे देख कर कर एक रंडी भी शर्मा जाएगी और वैसे मैं जानता हूं ,मैं उसी दिन समझ गया था जिस दिन तू धर्मवीर के लोड़े पर उछल उछल रही थी कि तू कितनी कितनी चुदक्कड़ कुतिया है ।
अपना ये कुतियापना दिखाना आज ।
रात भर मैं तेरी चूत चूत कूटने वाला हूं उपासना । आज पूरी रात मैं तेरे ऊपर चढ़ा रहूंगा और तू अपने बाप को अपनी टांगे फैला कर अपने ऊपर चढ़ाएगी । तेरी तो चूत में लौड़ा घुसा चूत में लौड़ा घुसा कर फिर तेरी गांड में अपनी उंगली घुसाउंगा ।
तुझे ऐसा चोदूंगा एक दम एक्सपर्ट रंडी बन जाएगी और रंडी तो तू है ही साली , बहन की लौड़ी, छिनाल कुतिया ।

उपासना यह सब सुनकर सहम गई । लेकिन उसे इसमे कुछ आनंद का अनुभव भी हो रहा था । तभी सोमनाथ हट गया वहाँ से ।

उपासना को समझ नहीं आया उसका बाप क्यों हट गया।
उसने हल्की सी आंखें खोली और देखा जैसे ही दोस्तों उपासना ने हल्की सी आंखें खोली तभी अचानक से उसने अपनी आंखें वापस बैंड कर ली ।
क्योंकि उसने नजारा ही कुछ ऐसा देखा था उसने देखा था कि उसका बाप बेड पर खड़ा होकर उसके दोनों तरफ पैर रखकर धीरे-धीरे नीचे की तरफ बैठ रहा है और उसका काला लटकता हुआ लंड धीरे-धीरे उपासना को अपने चेहरे की तरफ आता हुआ दिखाई दिया था ।
जिस वजह से उसने तुरंत आंखें वापस बंद कर ली थी और वह समझ गई सोमनाथ का लंड अब उसके मुंह पर आएगा।

इसलिए उसके होंठ धीरे-धीरे कांपने लगे उन थरथराते हुए होठों को देखकर अचानक सोमनाथ रुक गया, और उसके सीने पर झुक कर उसके होंठो को ध्यान से देखने लगा।
अपनी शादीशुदा बेटी के लाल लिपस्टिक से रचे होंठ धीरे-धीरे कांप रहे थे । उपासना के होंठ सोमनाथ को बहुत ही प्यारे लगे लेकिन उन होठों को चूसने से पहले उन होंठो पर अपना लंड रखना चाहता था सोमनाथ इसलिए उसने अपने लंड को उपासना की चीन पर रखा।

उपासना अपने आप को नियंत्रण में रखने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
फिर अचानक अपने बाप के लंबे लौड़े की गंध उपासना को अपने नथुनों में महसूस हुई वह मदहोश हो गई उस लैंड की गंद लेकर।

तभी उपासना के होठों पर सोमनाथ ने अपने लंड का सूपाड़ा रख दिया।
सोमनाथ का लंड पूरी औकात में खड़ा था उसकी बेटी के होंठ लंड के नीचे दब गए ।
सोमनाथ में अपना लंड थोड़ा दबाया और लंड का सुपाड़ा होंठो के बीचो बीच जगह बनाने लगा ।

उपासना समझ गई कि बिना मुंह में लंड डाले उसका बाप नहीं मानेगा।
और सोने का नाटक वह करे भी तो कब तक लेकिन उसने सोचा जब तक चलता है इस नाटक को चलने दो।

इस तरह दबने से उसके होंठ धीरे-धीरे खुल गए अब तो उपासना के दोनों होंठ लंड के सुपाड़े पर चढ़ चुके थे।
सोमनाथ में हल्का सा दबाव दबाव और बनाया तो उपासना का मुंह चौड़ा होता चला गया क्योंकि सोमनाथ के लोड़े सुपाड़ा उपासना के मुंह में था।
यह बात सोमनाथ भी जानता था कि उपासना जगी हुई है लेकिन वह सोने का नाटक कर रही है इसलिए अब उसे कोई डर नहीं था ।

उसने अपना लंड पर और दबाव बनाया तो आधा लंड उपासना के मुंह में चला गया और आधे लंड से ही उसका मुंह पूरा भर गया था ।

अपने लंड को आधा ही उसके मुंह में अंदर-बाहर करने लगा और एक हाथ उपासना की चूत पर ले जाकर उसे सहलाने लगा।
सोमनाथ में देखा की उपासना की चूत का पानी जांघों से होते हुए उसके गांड के छेद तक गीला करता हुआ बेडशीट पर गिर रहा है ।

सोमनाथ समझ गया कि अब चोट करने का सही समय है ।
उसने लंड पर और दबाव बनाया और ध्यान से उपासना की चेहरे की तरफ देखने लगा ।

सोमनाथ लगातार उपासना के चेहरे की देख रहा था इसलिए उपासना आंखें तो नहीं खोल सकती थी ।
उपासना ने अपनी आंखें बंद किए हुए ही हल्की सी गों-गों की आवाज की जिससे सोमनाथ समझ गया की लंड हलक तक चला गया है लेकिन अभी भी आधे से थोड़ा कम लंड बाहर था।

सोमनाथ ने उपासना के गालों को सहलाया और आखिरकार लंड का एक झटका उसके मुंह में मार ही दिया।
पूरा लौड़ा उपासना के मुंह में चला गया लेकिन क्या कहने दोस्तों उपासना ने भी हद ही कर दी अपने बाप का लौड़ा हलक तक मुंह में लेकर भी बंदी सोने का नाटक कर रही थी ।
उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे लेकिन आंखें कुतिया की तब भी बंद थी।
सोमनाथ ने 8-10 झटके उसके मुंह में मारे और उसके मुंह को चोद कर झटके से लंड बाहर कर दिया ।
उपासना के मुंह से थूक की लार लंड के साथ खींचती हुई चली गई।
अब सोमनाथ उपासना की दोनों जांघों के बीच आकर बैठा और उसकी जांघों को मोड़ कर उसकी छातियों से लगा दिया ।

क्या नजारा था दोस्तों चौड़ी चौड़ी गांड और मोटी मोटी जांघों के बीच खिला हुआ वह चूत का जंगल मानो पुकार रहा था सोमनाथ के हल्लाबी लौड़े को।
सोमनाथ में जांघो को मोड़ कर चुचों से लगाया और अपने लंड का टोपा उपासना की चूत पर रखा ।
उपासना तो इस हमले के लिए तैयार थी लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि हमला कितना घातक होगा।
उपासना ने सोचा था कि सोमनाथ धीरे-धीरे लौड़ा लौड़ा उसकी चूत में सरकायेगा लेकिन हद तो तब हो गई दोस्तों जब सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर लंड को एक ही झटके में आधे से ज्यादा लौड़ा उपासना की चूत में उतार दिया ।
चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में, गर्म भट्टी भट्टी में फंसा हुआ सोमनाथ का लंड और भी ज्यादा फूल गया।
और जैसे ही यह झटका उपासना की चूत पर पड़ा उपासना के मुंह से बहुत ही जोर से चीख निकली , जिससे पूरा कमरा गूंज गया । उसके मुंह से iiiiiiiiieeeeeeeeee mar gyi बहुत तेज चीख निकली थी दोस्तों जिसे सुनकर एक बार के लिए सोमनाथ भी घबरा गया ।

लेकिन वह जानता था इस घोड़ी को काबू इसी तरह किया जा सकता है।
उपासना अपनी आंखें धीरे-धीरे खोलने लगी लेकिन यह क्या तभी सोमनाथ में दूसरा झटका उसकी चूत में पूरी जान लगा कर मारा अब तो पूरा लौड़ा उपासना की चूत में फंस गया ।
यह दर्द उपासना के लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया उसने एक साथ चीख कर कहा - बेटी की चूत को फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।
************
दोस्तों कहानी कैसी चल रही है बताना जरूर ।
आपके सुझाव की मैं प्रतीक्षा करूँगा ।
************
Reply
05-01-2021, 11:38 AM,
#29
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
Update 24

अपनी बेटी के मुंह से इतनी गंदी जुबान से यह शब्द सुनकर सोमनाथ को कानों पर विश्वास नहीं हुआ और उसके जोश की सीमा ना रही ।

फिर अपना चेहरा उपासना के कान के पास ले जाकर बोला - उपासना बेटी मैंने भी रंडियां तो बहुत देखी पर तेरे से नीचे नीचे ।

सोमनाथ ने जब यह कहा तो उसने सोचा था कि उपासना मेरे इन शब्दों से और ज्यादा गरम हो जाएगी, लेकिन दोस्तों हुआ उसका उल्टा ही ।

जैसे ही सोमनाथ ने उसके कान में ऐसा कहा तो उपासना ने फिर से उसकी छाती में तुरंत एक जोरदार लात मारी। सोमनाथ बेड से नीचे जा गिरा।
उस भारी-भरकम घोड़ी की लात खा कर सोमनाथ की आज फिर से सदमे जैसी हालत हो गई थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था की उपासना ने आज क्यों लात मारी। आज तो वह खुद भी गरम हो रही थी। और शाम से ही चुदने के लिए तड़प रही थी।
लेकिन उसने आज फिर से मुझ में लात मारी जरूर उसे मैंने गुस्सा दिला दिया या कोई और बात है ।
सोमनाथ ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने बेड पर बैठी उपासना पर पड़ी। जो बेड पर अपने पैर नीचे लटका कर बैठी थी, और धीरे-धीरे कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुरा रही थी ।

मुस्कुराते हुए बोली - मुझे तू रंडी बोलता है जबकि सच तो यह है कि तु मुझे देखता ही रंडियों की तरह है, इन रंडियों वाली वाली नजर से किसी भी शरीफ औरत को देखेगा तो वह तुझे रंडी ही नजर आएगी , और इन्हीं रंडियों वाली नजर से तूने अपनी बेटी को देखा था और आज तूने अपनी जबान से उगल भी दिया मुझे रंडी कहकर । मुझे अफसोस है तुझे अपना बाप कहते हुए ।आखिर तू राजी ही कैसे हो गया अपनी बेटी के बारे में ऐसा सोचने के लिए ।

दोस्तों धर्मवीर का दिमाग एकदम सुन पड़ गया था उसे इन बातों का जवाब तो दूर उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि गलती मेरी है या उपासना की या हम दोनों की। आखिर माजरा क्या है इतना ज्यादा परेशान और शर्म से अपने बारे में सोचते हुए मुंह छुपा कर सोमनाथ बैठा हुआ था।
उसे आने वाले पलों का अहसास नहीं था कि आगे क्या होने वाला है तभी उसके कानों में फिर से उपासना की आवाज पड़ी ।

उपासना - अपनी गर्दन नीचे झुकाकर क्यों बैठा है कुत्ते । तुझे अपनी बेटी को चोदना था ना ,
यही ख्वाहिश थी ना तेरी कि तेरी बेटी तुझ से चुदवाये,
यही चाहता था ना कि तेरी बेटी तेरी टांगों के नीचे आ जाये,
सिसकारियां लेकर बोली उपासना
बोल जो मैं पूछ रही हूं यही चाहता ना तू कि तेरी बेटी नंगी तेरे लोड़े के नीचे आ जाए और तू अपनी बेटी की चूत में अपना लंड भर सके ।

यह सुनकर सोमनाथ थोड़ा गर्म होने लगा । अपनी बेटी से खुलेआम इस तरीके से पेश आने की उसकी उम्मीद थी। लेकिन फिर भी उपासना सब कुछ खुलेआम उसके सामने कह रही है तो इसे मैं एक न्योता समझूं या गुस्सा।
अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा था सोमनाथ ।

उपासना ने फिर से बोलना शुरू किया- अभी शाम को इतनी बातें बना रहा था अब तेरी मुंह में जबान नहीं रही क्या ,
तू यही तो चाहता था कि मैं थोड़ा खुल सकूं मैं थोड़ा खुल कर तुझ से बात कर सकूं, तो कर तो रही हूं अब देखना बिल्कुल खुल कर बात कर रही हूँ।
तेरे मुंह पर टेप किसने लगा दी जो तू बोलता नहीं , मैं तो तेरी उम्मीदों से दो कदम आगे निकली हूं अब तू क्यों चुप है। तुझे क्यों सांप सूंघ गया है मैंने तो कोई कसर नहीं छोड़ी तेरी उम्मीदों पर खरी उतरने में।
देख ले तू चाहता था कि मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊं तो तूने आज मुझे कर दिया नंगी, मैं इस बेड पर मादरजात नंगी बैठी हूं
तू चाहता था कि मैं तुझे प्यार करूं सॉरी मैं गलत बोल गई तू तो यह चाहता ही नहीं था कि मैं तुझे प्यार करूं बल्कि तू यह चाहता था कि मैं तुझ से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा लूं , तो ले बैठी तो हूं बेड पर अपनी चूत खोले।
तू चाहता था कि मैं तेरा लोड़ा अपने मुंह में लूं तो देख बैठी तो है तेरी बेटी तेरा लंड मुंह में लेने के लिए ।
तू चाहता था कि मैं तेरे नीचे आकर चुदूं अपनी गांड उठा उठा कर तो चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं ।अपनी गांड उठा उठा कर ही चुदूंगी तुझसे ।
तू चाहता था कि मैं तेरे लंड से निकला वीर्य अपनी चूत में भर लूं तो चल वो भी भर लूंगी।
तू चाहता था कि तू अपना मुंह मेरी गांड में घुसा कर मेरी गांड से खेले चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं।
और सबसे लास्ट में यह कहूंगी कि तू चाहता था कि तू मुझे रंडी की तरह रगड़ दे ,तू मुझे अपनी कुतिया बनाकर चोदे तो मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूँ............................................. क्योंकि तुझे भी तेरे किए की सजा मिलनी चाहिए । तुझे भी पता चलना चाहिए कि जब एक औरत अपनी पर आती है तो मर्द को कुत्ता बना देती है , और आज मैं तुझे अपना कुत्ता बनाऊंगी और तू किसी कुत्ते की तरह अपनी मालकिन की सेवा करेगा ।
तुझे आज मैं दिखाऊंगी कि जब औरत अपनी पर आती है तो वह किसी की रंडी और रखैल नहीं बनती बल्कि अपने बाप को भी गुलाम बनाकर उसकी मालकिन बन जाती है ।

चल बहन के लोड़े खड़ा हो और इधर आ मेरे पैरों में यह सुनकर सोमनाथ के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

उसे उम्मीद ही नहीं थी ऐसा भी कुछ हो सकता है।
उसे उम्मीद नहीं थी उसकी बेटी ही उसकी आंखें खोल देगी ।
लेकिन जहां अब वह खड़ा था वहां से लौटना मुश्किल था।
उसने उपासना के इस रूप की उम्मीद तो दूर सोच तक भी नहीं की थी ।
अब तो सोमनाथ चुपचाप खड़ा हुआ और गर्दन झुका कर उपासना के सामने जाकर खड़ा हो गया ।

उपासना की आवाज कमरे में गूंजी - नीचे बैठ भोसड़ी के ।

सोमनाथ चुपचाप नीचे बैठ गया उपासना ने अपना पैर उसके मुंह के सामने कर दिया । सोमनाथ ने देखा की पैरों पर मेहंदी लगी हुई थी और बिल्कुल चिकने गोरे पैरों पर लाल मेहंदी ऐसे शोभा दे रही थी जैसे वृक्षों पर फल।
उपासना के पैरों में से निकलती हुई भीनी भीनी परफ्यूम की खुशबू सोमनाथ के नथुनों में भर रही थी ।

(( दोस्तों अब आप यह सोच रहे होगे कि यह राइटर तो भाई पैरों में भी परफ्यूम की खुशबू लिख देता है । तो दोस्तों यह सब मैं बस लिखता ही जा रहा हूं उसी तरह आप बिना सोचे पढ़ते जाओ ))

सोमनाथ उपासना के पैरों को देख ही रहा था अपने ख्यालों में डूबा हुआ कि तभी उसके कानों में उपासना की आवाज पड़ी जिसमें रौब और गुरूर दोनों थे ।

उपासना- तेरे जैसा गांडू मैंने भी आज तक नहीं देखा अगर मैं यह बोलूं तो तुझे कैसा लगेगा जलील लगेगा ना तुझे ।जलालत फील करेगा ना तू तो अपनी बेटी के कानों में जब तूने यह बोला कि सारी रंडियां तेरे से नीचे नीचे है तो सोच मुझे कैसा फील हुआ होगा । जलालत फील हुई होगी ना मुझे। लगा होगा ना बुरा। अब मैं तुझे बताती हूं की जलालत कैसे फील होती है।
असली जलालत मैं तुझे फील कराउंगी। तुझे पता चलेगा एक औरत का बदला ।

सोमनाथ को फिर से झटका लगा आज तो उसे झटके ही झटके लगते जा रहे थे और अपने मन में सोमनाथ सोचने लगा - उधर धर्मवीर साला मस्ती से पूजा की चूत को कूट रहा होगा और मेरी यहां मा चुदी पड़ी है, यहां मेरी गांड फाड़ के रख दी उपासना ने । यह सोमनाथ सोच रहा था की उपासना की आवाज से वह ख्यालों से बाहर आया।

उपासना - ओ गंडवे क्या सोच रहा है दिखता नहीं है मालकिन सामने बैठी है। चल मेरे पैरों को साफ कर आज गंदे गंदे से लग रहे हैं ।

सोमनाथ ने अपनी जीभ उपासना के पैरों पर फेरी और उसके पैरों को चाट कर साफ कर दिया।

फिर उपासना बेड से उतरी और गेट के पास जाकर खड़ी हो गई ।
उपासना जब खड़ी थी तब उसकी पीठ सोमनाथ की तरफ थी
जिससे कि उसके मोटे मोटे कूल्हे बिल्कुल नंगे सोमनाथ की तरफ थे ।
ऊपर से उसका शरीर बिल्कुल ऐसा लगता था जैसे लोड़े की भूखी कोई प्यासी औरत खड़ी हो ।।

उपासना ने कहा - भोंसड़ी के आंखें फाड़ फाड़ के क्या देख रहा है आकर मेरी गांड चाट दे थोड़ी सी ।

यह सुनकर सोमनाथ खड़ा होकर उपासना के पास आने लगा कि तभी एक रौबदार आवाज मैं उपासना ने गरज कर कहा - तू कुत्ता है गांडू है और तेरे जैसे कुत्ते और गांडू मेरे जैसी संस्कारी बेटी के पास खड़े होकर आएंगे क्या।
इतनी हिम्मत कैसे आ गई तुझ में , अपनी औकात में आ नीचे फर्श पर कुत्ता बनकर ।

अब तो दोस्तों सोमनाथ के लोड़े लग गए थे अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां मैं चूत का इंतजाम समझ कर चूत बजाने के लिए आया था लेकिन यहां तो मेरी ही गांड उल्टी फट रही है । मैंने सोचा था कि जब उसकी चूत में लौड़ा भरूंगा तो यह कुत्तिया ओह आह की तरह सिसकारियां भरेगी । लेकिन यहां तो मेरी सिसकारियां निकलने को तैयार हैं । भोसड़ी का इतना इंसल्ट अपना कभी नहीं हुआ । इससे तो अच्छा था मैं इस के चक्कर में आता ही नहीं पर मेरी भी क्या गलती मुझे तो धर्मवीर ने गुमराह किया था।
और जिसमें की यह साली मेरी बेटी उसकी बहू होकर उसके लोड़े पर नाची थी तो मैं क्या कोई भी गुमराह हो सकता है। मुझे क्या पता थी कि मेरे साथ ऐसा होगा। मैंने तो यही सोचा था कि मेरे भी लोड़े पर नाच लेगी पर यहां तो उल्टा हो रहा है ।

दोस्तों अब तक उपासना उसके पास आ चुकी थी और उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा मार कर बोली - रंडी के क्या सोच रहा है मैंने बोला था ना आकर मेरी गांड चाट दे। इतनी देर हो गई मुझे कहे हुए और तेरे कान पर अब तक जो जूं भी नहीं रेंगी । और ऐसा कहकर उपासना उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी।

सोमनाथ की आंखों के सामने उसके भारी-भारी चूतड़ ऐसे थे जैसे कह रहे हो कि हमें लोड़े की जरूरत है । हमारे चौड़े होने का राज सिर्फ और सिर्फ लंड है ।

सोमनाथ में अपना मुंह उपासना के कूल्हों की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच में सोमनाथ को अपना मुंह छोटा महसूस हो रहा था ।उपासना के फैले हुए चूतड़ उसके चेहरे को छुपाने के लिए बेताब थे।

सोमनाथ ने अपनी जीभ निकालकर उपासना की गांड की दरार में रखी तो उधर उपासना की भी हालत खराब हो गई क्योंकि चुदने का तो मन आज वह बना चुकी थी ।
अपने बाप की जबान पहली बार अपनी चूत और गांड के इतना करीब महसूस करके उसकी हालत अब खराब होने लगी थी।

उधर सोमनाथ ने भी महसूस किया की उपासना की चूत से उसके मूत की मादक खुशबू उसके नथुनी में आ रही है ।
उसे नशा सा होने लगा उपासना के कौमार्य का।
उसे नशा सा होने लगा होने लगा अपनी जवान बेटी के भरे हुए जिस्म का।
उसे नशा सा होने लगा उपासना की लंड मांगती चूत का और इसी नशे में सोमनाथ ने उपासना के दोनों साइड में हाथ रखकर उपासना की गांड में अपना मुंह घुसा दिया और उसकी नाक उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत से जा टकराई। तभी उपासना ने अपनी गांड से ही सोमनाथ की मुंह पर धक्का मारा जिस से सोमनाथ फिर पीछे की तरफ गिर गया क्योंकि धक्का जोरदार था।

तभी उपासना की तेज आवाज कमरे में फिर से गूंजी अपनी औकात भूल गया क्या मेरे कुत्ते। मैंने तुझे गांड चाटने को बोला था अपने जिस्म से खेलने को नहीं । तूने कैसे हिम्मत कि अपने हाथों से मुझे छूने की।
सालों को गांड चाटनी भी नहीं आती चल दोबारा से आकर चाट ऐसा कहकर उपासना बेड पर चढ़ी और कुत्तिया बन गई और अपनी गांड उपासना ने सोमनाथ की तरफ की हुई थी ।

सोमनाथ के जोश की सीमा नहीं थी लेकिन सोमनाथ की गांड बराबर फट रही थी उसे पता नहीं होता था कि उसके साथ क्या होने वाला है।
उसे आज इतने झटके लगे थे कि अब उसने उसके दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था ।

अपने आप को कठपुतली सा महसूस करने लगा था सोमनाथ क्योंकि उसे समझ में नहीं आता था की उपासना कब और किस बात पर गुस्सा हो जाती है । उसने फिर से उपासना की तरफ देखा तो उपासना बेड पर कोहनी के बल झुकी हुई थी और उसके गांड पीछे को उभरकर बिल्कुल साफ दिख रही थी । उसकी भारी भारी जांघों के बीच हल्का सा अंधेरा सा दिख रहा था सोमनाथ को। जो कि दूर से देखने पर उसकी बेटी उपासना की चूत पर झांटें थी ।

सोमनाथ धीरे-धीरे कुत्ते की तरह बैठ के पास आया और फिर बेड पर उपासना के पीछे बैठ गया ।

वह अपने आप को एक तरह से धन्य भी महसूस कर रहा था उसे यकीन नहीं था कि उसकी बेटी अपनी गांड को इस तरह खोलकर दिखाएगी ।

सोमनाथ ने उपासना को बिना छुए ही उसकी गांड से अपना मुंह लगा दिया और उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत ने उसकी नाक और होठों को गिला कर दिया ।
उपासना की चूत की खुशबू सोमनाथ को इतनी मादक लगी कि उसने जीभ की जगह अपनी नाक ही उपासना की चूत के छेद से रगड़ दी ।

उधर उपासना भी सिसकारी ले उठी अपने बाप की हरकत से । इतनी गरम तो वह धर्मवीर से चुदवाते वक्त भी नहीं हुई थी जितनी गर्म आज गई थी।
उसकी आंखों में उसे बस लंड ही दिख रहा था इतनी चुदासी हो गई थी उपासना ।

सोमनाथ ने इस तरह चूत को चाटने के बाद उसके चूतड़ों को चाटने लगा उपासना के नितंबों को अपने थूक से अब गीला करके जांघो की तरफ आया और उन मोटी मोटी जांघों को चाटने लगा ।

तभी उपासना बेड पर सीधी बैठी तो उसकी चूचियां भी उछल रही थी ।
बैठकर उपासना बोली - चल रंडी की औलाद अपनी पैंट उतार

सोमनाथ ने बिना देर किए हुए अपनी पेंट निकाल दी नीचे उसने अंडरवियर नहीं पहना हुआ था । उसका खड़ा लोड़ा उछल कर बाहर आ गया।

उपासना ने जब उसका लंड देखा तो उपासना की आंखों में चमक आ गई क्योंकि उसने यह तो देखा था कि उसके बाप का लोड़ा धर्मवीर के लंड से लंबा है लेकिन इतना अंतर होगा और पास से देखने पर इतना प्यारा लगेगा यह उसने नहीं सोचा था ।

सोमनाथ लोड़े की चमक उपासना की आंखों में साफ देख सकता था लेकिन कुछ बोलने की हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि उपासना ने उसकी गांड फाड़ कर रखी थी आज।

उपासना ने पास आकर लंड पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोली अपनी बेटी को देख कर भी तेरा यह लंड खड़ा हो रहा है।
चल इसे अपने हाथों से मुट्ठ मार कर दिखा।

सोमनाथ ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगा।

इस नजारे ने उपासना को इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने जोश से अपनी आंखें कुछ सेकंड के लिए बंद कर ली और सोचने लगी - कि क्या लंड उसके बाप का और धन्यवाद कर रही थी भगवान का कि राकेश के बाद उसने इतने लंबे और मोटे लौड़ों का इंतजाम किया है मेरे लिए ।
आज तो मुझे महसूस हो रहा है कि मैं विधवा ही अच्छी हूं कम से कम मेरी जवानी को कूटने वाले लंड तो मिलेंगे ।
मुझे महसूस हो रहा है मेरे पति राकेश तुम्हारा तो लंड नहीं लुल्ली था मुझे तो विधवा होकर देखने को मिल रहे हैं लंड । हां मेरे पति राकेश आज तुम्हारी विधवा पत्नी असली लंड के सामने नंगी बैठी है क्योंकि तुम तो उसे लंड दे नहीं पाते थे तुम तो लुल्ली देते थे । लंड तो मैं आज लूंगी । लंड लंड लंड आज लूंगी मैं लंड । लंड अपने मुंह में , अपनी चूत में अपनी गांड में अपने सारे छेदों में मैं आज लंड लूंगी ।
अपने मन ही मन में लंड के लिए इतनी पागल होकर उपासना ने आंखें खोली तो उसके बाप का लोड़ा उसकी आंखों के सामने लहरा रहा था, जिसमें से पानी की कुछ बूंदें उसके सुपाड़े को गीला कर रही थी ।
उपासना कल्पना कर रही थी कि यह लंड बिल्कुल सही है एक औरत को चोदने के लिए । ऐसे लंड से हर वह घोड़ी संतुष्ट हो सकती है जिसे लंड ही लंड दिखता हो । ऐसा लोड़ा तो अगर कोई रंडी भी ले ले तो उसकी भी चाल में फर्क डाल सकता है । शायद इसे ही हल्लबी लंड कहते हैं ।

अब उपासना सोमनाथ को उंगली का इशारा करते हुए अपने पास आने को बोली ।

उपासना की तरफ सोमनाथ आया और घुटने के बल खड़ा हो गया ।

उपासना ने अपना चेहरा नीचे की तरफ किया सोमनाथ के लंड का टमाटर के जैसा सुपाड़ा उपासना के चेहरे के पास आ गया ।

उपासना ने अपनी नाक और सुपाड़े के नजदीक कर दी जिससे कि सोमनाथ को अपने लंड पर उपासना की गर्म सांसे महसूस होने लगी ।

उपासना ने पूरे लंड को पहले अपनी नाक से सूंघा लंबी लंबी सांसे लेकर और फिर लंड से अपना चेहरा दूर खींच लिया ।

सोमनाथ के लंड की बिल्कुल सीध में अपना मुंह करके उपासना ने हल्का सा मुंह खोल दिया और अपनी उंगली से सोमनाथ को आगे की तरफ बढ़ने का इशारा किया।

सोमनाथ के लिए यह बिल्कुल नया था उसकी बेटी जो आज उसे चुदाई की मालकिन नजर आ रही थी, चुदाई की देवी नजर आ रही थी ।।

सोमनाथ उपासना के मुंह की तरफ बेड पर बढ़ने लगा और आगे की तरफ बढ़ कर उसने होठों के पास लंड ले जाकर रोक दिया क्योंकि सोमनाथ को अब हर बात पर डर लगने लगा था।
सोमनाथ ने सोचा कि ऐसा ना हो मुंह में लंड डाला और कहीं उपासना फिर से नाराज हो गई तो।
इस वजह से उसकी फट भी रही थी जिस वजह से उसने लंड को मुंह के बिल्कुल पास लाकर रोक दिया ।

अब उपासना ने अपनी उंगली से फिर और पास आने का इशारा किया सोमनाथ का लंड अब उपासना के होंठो से छू गया था जिस वजह से सोमनाथ के जेहन में एक लहर सी दौड़ गई ।

उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले कपड़े को सुंधा और फिर सोमनाथ से इसी पोजीशन में बोली- मेरे गांडू पापा , मेरे गुलाम , भड़वे, रंडी की औलाद तेरे लंड की खुशबू तेरी मालकिन को भा गई है। तेरी मालकिन तुझसे बहुत खुश है चल मैं तुझे खुश होकर एक वरदान देती हूं।
मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ को अभी भी डर ही लग रहा था उसने सोचा यह तो बिल्कुल देवी की तरह मेरे साथ व्यवहार कर रही है । मैं क्या मांगू इससे--- मैं इससे बोलता हूं कि तुम मुझे लात नहीं मारोगी । फिर उसने सोचा अरे नहीं नहीं मैं इस से वरदान मांगता हूं कि तुम मुझे किसी भी तरह का धक्का नहीं दोगी और मेरी बेइज्जती नहीं करोगी । लेकिन तभी अचानक सोमनाथ के सर ने एक झटका खाया और उसकी आंखों में चमक आ गई । उसने सोचा हां मैं यही मांगता हूं लेकिन पहले कंफर्म कर लूं कि पक्का मिलेगा या नहीं ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - मालकिन ऐसा तो नहीं कि जो मन में आए मैं मांगू और आप मना कर दो।

तभी उपासना बोली - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी क्योंकि तो गांडू है, तू दल्ला है , तू भड़वा है, तू एक नंबर का मादरचोद है क्योंकि तुझे मैंने अभी असली औरत की ताकत का एहसास कराया था और तू फिर भूल गया कि औरत क्या चीज होती है । जब औरत कहती है तो पीछे नहीं हटती इसलिए ज्यादा सोच मत और मांग तू क्या चाहता है कोई भी एक वरदान मांग ले।
अगर वह वरदान मेरी जान भी हुआ तो भी मैं आज तुझे अपनी जान देकर वह वरदान पूरा करूंगी । मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ- बोला तो ठीक है मालकिन अगर बुरा लगे तो माफ कर देना क्योंकि मैं आपका गुलाम हूं, अपने इस गुलाम को माफ कर देना अगर मैं कुछ गलत मांग बैठूं तो । या ऐसा वरदान मांग बैठूं जिसे आप पूरा ना कर सको तो इस गुलाम को माफ कर देना।
मैं मांगता हूं मेरा वरदान है कि - मैं कुछ भी करूं तुम उसमें मेरा साथ दोगी मैं जैसे चाहूं वैसे तुम्हें चोद सकूं
अगर मैं रंडी या अपनी कुतिया भी बनाना चाहूं तो बना सकूं ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले सुपाड़े को रगड़ते हुए शायराना अंदाज में कहा- ठीक है दीया यह भी वरदान। तथास्तु मेरे गुलाम ।
Reply
05-01-2021, 11:38 AM,
#30
RE: Free Sex Kahani लंसंस्कारी परिवार की बेशर्म रंडियां
ऐसा कहकर उपासना अपना मुंह खोले हुए उसी झुकी हुई पोजीशन में उसके लंड के सामने ऐसे ही रही ।

सोमनाथ ने कहा ठीक है मतलब तूने मुझे यह वरदान दिया है । तुमने की जगह तू का यूज़ किया सोमनाथ ने और ऐसा कहकर सोमनाथ ने उपासना की सर को पकड़कर उसकी खुले मुंह में अपना लंड घुसेड़ दिया ।

आधा लंड मुंह में जाते ही उपासना की आंखें बाहर आ गई ।
कमरे का माहौल बिल्कुल बदल गया सब कुछ सोमनाथ के लिए एक पल में बदल गया और उपासना के लिए भी ।

अब सोमनाथ ने उसके मुंह में आधा लंड चूस कर उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए बोला - ले ले इसे अपने हलक में ।
जिस तरह तू अपनी चूत और गांड की मालकिन है । मैं भी लोड़े का मालिक हूं । अभी नीचे आकर छूट जाएगी तेरी मस्ती । तेरी सारी मस्ती झड़ जाएगी। जितनी मस्ती तेरी गांड में चढ़ी है सारी उतर जाएगी । वैसे भी तेरे जैसी घोड़ी को लंड ना मिले तो क्या जवाब देगी तू अपनी इस गदरायी जवानी को।
ऐसा कहकर सोमनाथ ने पूरा लंड उपासना के मुंह में घुस आने के लिए उसके सर को पकड़कर झटका मारा ।

उपासना की आंखें अब सोमनाथ की झांटों पर आ गई ।सोमनाथ के लंड की जड़ में उगे हुए बाल उपासना की बिल्कुल आंखों पर थे, मतलब लौड़ा उसके हलक तक पहुंच गया था और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी इसी तकलीफ के कारण उपासना के मुंह से केवल घोंघोंघोंघों की आवाज आ रही थी ।
सोमनाथ समझ गया कि मुंह में पूरा लंड ले गई मतलब प्यासी तो है कुतिया।
और गर्म भी है सही से ठोकने लायक माल है बिल्कुल मेरी बेटी ।

ऐसा सोचकर सोमनाथ ने एक झटके से बाहर खींच लिया पूरा लंड
सेकंड के कुछ हिस्से में ही उपासना के मुंह से गोली की तरह बाहर हो गया उसके बाप का लौड़ा। उपासना का मुंह खुला का खुला रह गया जिसमें से उसकी थूक की लार नीचे लटक रही थी।
अब सोमनाथ ने उसके बालों को खींच कर बेड पर घुटने के बल खड़े करते हुए खुद उसके सामने खड़ा हो गया और और उसके खुले चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर ऊपर की तरफ मोड़ा और झुक कर उसके मुंह में थूक दिया ।

यह सब उपासना के लिए इतना जल्दी हुआ कि उसे सोचने और समझने का भी वक्त नहीं मिला । जब उसके मुंह में उसके बाप ने थूका तो उसे एहसास हुआ कि ऐसा प्यार तो धर्मवीर ने भी नहीं किया था जितना मजा मुझे प्यार में आ रहा है और अपने बाप का थूक अपने मुंह में उसने अपने थूक से मिला दिया ।

सोमनाथ ने उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए उसके मुंह में दोबारा से थूका और फिर खड़ा होकर अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया ।

उपासना का सर पकड़ कर उसके मुंह में लंड के घस्से मारता हुआ बोला - बेटी ऐसे लंड भगवान तेरे जैसी गरम रंडियों के लिए ही बनाता है मैं तो अपने लंड को देखकर सोचता था कि मेरा लंड सबसे इतना अलग अलग क्यों है लेकिन मुझे आज पता चला ऐसे लंड तो तेरे जैसी गदरआई हुई घोड़ियों के लिए बने होते हैं जो तुम्हारा सही से बाजा बजा सकें ।

उपासना भी गर्म होते हुए उसके लंड के झटकों से अपने मुंह की ताल से ताल मिला रही थी। फिर कुछ झटके मारने के बाद सोमनाथ उसके मुंह से अपना लौड़ा निकाल कर बेड पर बैठ गया।

उपासना के मुंह से सोमनाथ के लंड की लार से मिली हुई लार उसके मुंह से टपक रही थी । अपनी बेटी के मोटे मोटे चूचे और उसका चेहरा इस तरह से सना हुआ देखकर सोमनाथ का सर भनभना गया।

सोमनाथ ने उपासना का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचते हुए बेड पर उसे अपनी गोद में उल्टी लिटा लिया ।
अब उपासना की गांड बैठे हुए सोमनाथ की गोद में थी और उस चौड़ी और भारी सी गांड को देखकर सोमनाथ के मुंह में भी पानी आ गया ।
उसने जोश में आते हुए एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।

अपने बाप के भारी हाथों से अपनी भारी गांड पर पड़ा थप्पड़ महसूस करके उपासना के मुंह से आउच निकला।

अब सोमनाथ ने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाया और देखा तो उसकी चूत के छेद से पानी रिस रहा था। सोमनाथ में उपासना की चूत जिसे अभी अभी कुत्तों की तरह चाटा था उसमें अपनी एक उंगली डाल दी ।

उपासना ने जब अपनी पानी छोड़ती चूत में अपने बाप की उंगली महसूस की तो उसकी सिसकारी निकल पड़ी ।

बेटी को सिसियाती हुई देख सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर तेजी से उंगली चूत के अंदर बाहर करने शुरू कर दी । उंगली से हो रही इस चूत चुदाई के सामने उपासना 1 मिनट भी नहीं टिक सकी और उसने पानी छोड़ दिया। यह देखकर तो सोमनाथ बिल्कुल हैरान ही रह गया क्योंकि वह भी अपना हाथ गीला होने की वजह से समझ गया था कि उपासना झड़ गई और हैरान होते हुए सोचने लगा कि उसकी बेटी कितनी गरम है । उसकी उंगली पर ही इतनी जल्दी झड़ गई इसे तो ठोकने के लिए सच में ही एक दमदार लंड की जरूरत है जो इसकी चूत के पानी को सुखा सके ।
सच में बहुत गर्म और चुदक्कड़ है मेरी बेटी ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - क्या हुआ उपासना बेटी इतनी गरम है तू तो कि मेरी उंगली पर ही पानी छोड़ गई। अभी तो लौड़ा चूत में गया भी नहीं अब तू ही बता मैंने सच ही तो कहा था कि रंडियां तो देखी पर तेरे जैसी रंडी से सब नीचे हैं जो इतनी गरम है । ऐसे ही तेरी गांड बखान नहीं करती तेरे गर्म होने का। ऐसे ही तेरे मटकते चूतड़ बखान नहीं करते तेरी लंड की प्यास का कुछ तो बात होती है जब ये बखान करते हैं । वह सच ही कहते हैं उनकी क्या गलती ।

अब उपासना भी गरम होकर झड़ चुकी थी और बुरी तरह से सिसिया रही थी लंड के लिए और लंड की उसी भूख की में बोली बड़ी ही कामुक आवाज में - क्या कहते हैं आपकी बेटी के मटकते चूतड़ और गांड ।

सोमनाथ बोला - ये कहते हैं कि हमें अच्छे से रगड़ कर चोदो। हमें दौड़ा-दौड़ा कर चोदो । तेरी भारी भरकम गांड जब हिलती है बेटी तो ऐसा लगता है कि तुझे मुता मुताकर चोदू ।

उपासना भी कामुक आवाज में साथ देती हुई बोली- हां पापा यह बात तो माननी पड़ेगी। मेरी चूत अब लोड़े मांगने लगी है । आपकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो गई है तो इसमें मेरी क्या गलती है पापा ।
मेरी उम्र भी तो हो गई है अब लौड़ों से खेलने की , लौड़ों के नीचे रहने की।

सोमनाथ के जोश में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उसने उपासना को बेड पर सीधी लिटा कर और जल्दी से उसके घुटने उसकी छाती से मिला दिए ।
यह सीन कुछ ऐसा था की पहली बार उपासना के चेहरे पर शर्म की लाली छा गई और उसके चेहरे पर शर्म और शरारत से मिली जुली मुस्कान फैल गई।

सीन कुछ ऐसा था दोस्तों की उपासना तकिए पर सर रखकर लेटी थी और सोमनाथ ने उसके घुटने मोड़कर बिल्कुल इसकी छातियों से लगा दिए थे जिससे की उपासना की चूत के सामने बिल्कुल सोमनाथ का चेहरा दिख रहा था ।

उपासना अपनी बालों से ढकी हुई चूत से होते हुए सीधा अपने बाप की आंखों में झांक रही थी।
जो उपासना अभी कुछ सेकंड पहले ही झड़ी थी उसकी चूत से उसकी गांड की दरार में जाता हुआ पानी देख रहा था अब सोमनाथ ।

सोमनाथ ने एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया और उपासना की आंखों में झांकते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ कर दिए।

दृश्य कुछ ऐसा था की उपासना और सोमनाथ दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे बिना कुछ बोले । जैसे कुछ पढ़ रहे हो ।

उपासना की आंखों में झांकते हुए सोमनाथ ने अपना मुंह उपासना की गीली चूत पर रख दिया।

गीली चूत पर मुंह जाते ही उपासना ने सिसकारी भरनी चाही लेकिन वह रुक गई क्योंकि उसकी आंखों में झांकता हुआ सोमनाथ उसकी चूत पर मुह लगाए उसे बड़ा अच्छा लग रहा था । और वह नहीं चाहती थी कि उसकी आंखों का यह कनेक्शन टूटे । जिसकी वजह से उपासना ने अपनी सिसकारी को रोककर सोमनाथ की आंखों में आंखें ही डाले रखीं ।

अब सोमनाथ ने अपनी बेटी की आंखों में झांकते हुए अपनी जीभ निकालकर कुटिल मुस्कान के साथ उसकी चूत के छेद पर रख दिया।

उपासना के लिए यह बर्दाश्त से बाहर हो गया था अपनी सिसकारी को रोकना लेकिन फिर भी उपासना सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अब सोमनाथ भी उपासना को उसकी चूत चाटते हुए घूरने लगा था।
यह आंखें प्यार वाली नहीं थी दोस्तों यह आंखें तो एक दूसरे को खोल रही थी । सोमनाथ को उपासना की आंखों में प्यार नहीं बल्कि लंड की भूखी एक औरत की प्यास दिख रही थी ।
उपासना की आंखों में प्यार नहीं गुस्सा सा महसूस हो रहा था सोमनाथ को।

और इसी तरह कुछ सोमनाथ भी उपासना को घूर रहा था ।

उपासना को सोमनाथ की आंखों में प्यार नहीं बल्कि उसकी गदरायी चूत और गांड की बखिया उधेड़ कर रखने वाला लंड दिख रहा था ।

इसी तरह 1 मिनट तक उपासना की आंखों को घूरते हुए चूत चाटकर सोमनाथ बेड पर खड़ा होकर अपने लोड़े को हिलाने लगा , लेकिन आंखों का कनेक्शन नही टूटने दिया।

अभी भी दोनों एक दूसरे को घूर रहे थे ।

उपासना को घूरते हुए सोमनाथ ने थोड़ा सा झुकते हुए अपना लौड़ा उपासना की चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया ।

अब यह सोमनाथ के लिए भी बर्दाश्त से बाहर था कि चेहरे पर कोई बदलाव ना आए , उसकी आह ना निकले क्योंकि वह उपासना की घूरती नजरों में उतनी ही गहराई से झांक रहा था ।

उधर उपासना भी सोमनाथ का लंड अपनी चूत पर रगड़ता महसूस करके बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी रोकने की कोशिश करते हुए सोमनाथ को घूरती रही ।

दोस्तों नजारा ही कुछ ऐसा था कमरे का की एक जवान कुतिया लोड़े की चाह में बेड पर उस लंड के नीचे अपने बाप को नहीं बल्कि अपने यार को घूर रही थी। उपासना उसके लंड की रगड़ से मूतने को तैयार थी उसका उत्तेजना के मारे मूत निकलने को तैयार था ।

सोमनाथ ने उपासना की आंखों में लंड कितनी भूख देखकर लंड उसके छेद पर रख कर दबाव देना शुरू किया ।

दोस्तों उपासना ने अपनी मुट्ठी से बेडशीट को कस कर पकड़ लिया ताकि उसके मुंह से कोई चीख या कोई आह ना निकले, और अपने चेहरे पर बिना कोई एक्सप्रेशन लाए सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अपनी चूत में अपने बाप के लंड का सुपाड़ा फंसाकर कर (जिस सुपाड़े को अभी कुछ देर पहले अपनी नाक से रगड़ रगड़कर सूंघ रही थी) उपासना जरा भी नहीं सिसकी।

बस वह अपने बाप की आंखों में घूरती रही ।

सोमनाथ ने उपासना की आंखों में घूरते हुए अपने लंड पर और दबाव बनाया तो सोमनाथ को महसूस हुआ कि इसके आगे उपासना अपनी चीख नहीं रोक पाएगी या उसके मुंह से सिसकारी निकल जाएगी तो सोमनाथ रुक गया और उसकी आंखों में घूरता ही रहा जैसे कि पूछ रहा हो कि डाल दूं तेरी चूत में यह लंड, कर दूं तेरी चुदाई, भर दूं तेरी चूत को अपने लोड़े से।

सोमनाथ को उपासना की तरफ से कोई इशारा आने की उम्मीद थी लेकिन यह उम्मीद टूट गई जब 2 मिनट तक चूत में लंड का सुपाड़ा फसाकर उपासना उसकी आंखों में ऐसे ही घूरती रही बिना कोई इशारा किये।

अब सोमनाथ भी उसकी आंखों में घूरते हुए सोचने लगा की चीख तो दबाव देने से निकलेगी और वैसे भी निकलेगी और ऐसा सोच कर उपासना की आंखों में खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए , उपासना की चूत पर अपना हाथ ले गया और उपासना की चूत के पानी में अपना हाथ गीला करके अपने बाकी बचे लंड पर लगाने लगा।

सुपाड़ा उपासना की चूत में फंसा हुआ था पूरा लंड भी गीला कर लिया था सोमनाथ ने ।

उपासना की आंखों में बिल्कुल ऐसे ही घूरते हुए कुछ सेकंड तक देखा जैसे अभी भी उसके आखिरी इशारे की प्रतीक्षा कर रहा हो लेकिन उपासना की तरफ से कोई इशारा नहीं बस उपासना की भूखी आंखें उसे घूरे जा रही थी।

सोमनाथ अपने दोनों हाथों से उपासना के घुटने उसकी छाती से मिला दिए।

अपने हाथों से उपासना की जांघों पर वजन रखते हुए उसके ऊपर झुक कर उपासना की आंखों में घूरते हुए अपनी पूरी जान से सोमनाथ में झटका मारा।
झटका इतनी जान से मारा गया था एक बार में ही आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में जा फंसा और अपनी चूत में फंसा हुआ आधे से ज्यादा लोड़ा महसूस करते ही उपासना की चीख उस कमरे में गूंज गई ।

दोस्तों ठीक ऐसा लगा था जैसे कोई गरम कुतिया गला फाड़ कर चीखी हो aaaaaaahhhhhhhh......margayiiiiiiiiiiiaaaaaahhhhhhssshh.....
और यहां पर इस तरह से उपासना और सोमनाथ की आंखों का कनेक्शन टूट गया ।
और उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।
*******
इतनी देर लिखने के बाद भी इनका उपासना और सोमनाथ का प्रोग्राम पूरा नहीं हो सका । माफी चाहता हूं चिंता मुझे इस बात की है कि मैं इस कहानी को पूरा कैसे करूंगा क्योंकि अभी तो इसकी शुरुआत ही हुई है । कहीं हद से ज्यादा लंबी ना हो जाये यह कहानी । चलो देखते हैं क्या होता है वैसे अपनी राय और सुझाव जरूर दीजिएगा यार बहुत ज्यादा समय खर्च करता हूँ एक update लिखने में ।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,296,940 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 521,952 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,149,871 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 871,173 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,540,808 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,985,605 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,794,575 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,507,531 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,822,889 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 265,894 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 7 Guest(s)