FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
06-13-2020, 01:08 PM,
#46
RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन
"म.....मगर अब.....जब वह किसी स्कीम के साथ तुम्हारे पास आएगा तो क्या करोगी?"
"इसी पर विचार-विमर्श करने के लिए तो तुम्हें बुलाया है।"
नसीम के इस जवाब पर वहां खामोशी छा गई। किसी जवाब की उम्मीद में वे एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे और अचानक विनीता ने कहा— "अगर वह कोई उतनी ही सॉलिड स्कीम लेकर आए जितनी हमारे पास जानकीनाथ के मर्डर की थी, तो उसकी मदद करने में क्या बुराई है?"
"अच्छाई क्या है?"
"हमारा उद्देश्य सुरेश को अपने रास्ते से हटाना ही तो है, जानकीनाथ की हत्या के जुर्म में फंसाकर न हटाया तो इस तरह ही सही और इससे बेहतर क्या होगा कि यदि कहीं कोई गड़बड़ हुई भी तो उसकी हत्या के जुर्म में रहटू ही फंसेगा।"
"सोच तो तुम ठीक रही हो, मगर इस तरह स्कीम बदलने से एक बहुत बड़ी गड़बड़ हो जाएगी।"
"वह क्या?"
"इंस्पेक्टर म्हात्रे की इन्वेस्टिगेशन का क्या होगा?"
"मैं समझी नहीं।"
"इतना स्पष्ट हो चुका है कि म्हात्रे एक बेहद कांइया पुलिसिया है, फिंगर प्रिन्ट्स के मामले में सुरेश ने भले ही उसे चाहे जितना बड़ा धोखा देने की कोशिश की हो, मगर वह धोखे में आने वाला नहीं है और जितने 'क्लू' हम छोड़ चुके हैं, उनके आधार पर एक दिन वह निश्चय ही इस नतीजे पर पहुंचने वाला है कि मैंने और सुरेश ने मिलकर जानकीनाथ की हत्या की थी।"
"ऐसे कौन से क्लू हैं?"
"सबसे पहला सुरेश के फिंगर प्रिन्ट्सयुक्त कील-हथौड़ी को बरामद कराया जाना—दूसरा, महुआ को दी गई मेरी चेतावनी—भले ही महुआ ने इस सम्बन्ध में अभी तक उससे कुछ न कहा हो, मगर कुछ कहा नहीं जा सकता कि म्हात्रे के दबाव में आकर वह कब सारी हकीकत उसे बता दे, जिस दिन ऐसा हो गया उस दिन म्हात्रे ठीक उसी नतीजे पर पहुंच जाएगा जिस पर हम पहुंचाना चाहते हैं।"
"मान लीजिए, पहुंच भी गया।" विमल ने कहा— "इससे हमें क्या नुकसान होने जा रहा है?"
"कल्पना करो कि हम रहटू से सुरेश को कत्ल करा देते हैं।"
"करेक्ट।"
"उसके बाद म्हात्रे इस नतीजे पर पहुंचता है कि मैंने और सुरेश ने मिलकर सेठ जानकीनाथ की हत्या की थी।"
"फिर?"
नसीम ने उल्टा सवाल किया—"इसके बाद वह क्या करेगा?"
"वही, जो हमने पहले से सोच रखा है।" विमल बोला— "महुआ के बयान के बाद सीधा तुम्हारे पास आएगा।"
"उस वक्त मेरा बयान क्या होगा?"
"वही जो पूर्वनिर्धारित है और जिसके लिए हमने तुम्हें दस लाख रुपये दिए हैं, यानी तुम स्वीकार करोगी कि हां, तुमने और सुरेश ने मिलकर जानकीनाथ की हत्या की थी।"
“ना, मैं नहीं करूंगी।”
"क.....क्या मतलब?" विमल बुरी तरह चौंका।
नसीम ने बात स्पष्ट की—"अगर यह सब सुरेश के जीते-जी होता है तो मैं वादामाफ गवाह के रूप में यह बयान इसीलिए देने के तैयार हूं, क्योंकि मुझे कानून से वादामाफ गवाह की फैसेलिटी हासिल होगी—जरा कल्पना करो, सुरेश मर चुका है और तब ये बयान देती हूं तो वादामाफ गवाह किसके विरुद्ध बनूंगी—पुलिस को दिए जाने वाले मेरे बयान के अनुसार जानकीनाथ के दो हत्यारे होंगे—सुरेश और मैं—सुरेश उस वक्त दुनिया में होगा नहीं—सो, कानून उसे कोई सजा नहीं दे सकता—बाकी रहती हूं मैं—जाहिर है कि कानून का सारा कहर मुझ पर ही टूट पड़ेगा और वह कहर फांसी की सजा से कम नहीं होगा।"
"ओह।" विमल के दिमाग के तन्तु खुल गए, बोला— "म.....मगर बदली हुई परिस्थितियों में तुम अपना बयान बदल सकती हो।"
"उस बदलाव को जरा स्पष्ट कर दो।"
कुछ देर सोचने के बाद विमल ने कहा— "तुम साफ-साफ मुकर सकती हो, कह सकती हो कि महुआ से मिलकर तुमने वह बात कभी कही नहीं जो महुआ कह रहा है यानी तुम और सुरेश ने मिलकर जानकीनाथ की हत्या नहीं की।"
"यह सबसे बड़ी बेवकूफी होगी।"
"क्यों?"
"सबसे पहले तो म्हात्रे के सामने यह झूठ चलेगा नहीं, क्योंकि महुआ के बयान के अलावा भी बहुत से सबूत होंगे जो हम खुद छोड़ चुके हैं—फिर भी यदि मान लिया जाए कि किसी तरह मैं उसे यह धोखा देने में कामयाब हो गई तो.....।"
"तो म्हात्रे इस लाइन पर चल पड़ेगा कि अगर जानकीनाथ के हत्यारे सुरेश और नसीम नहीं हैं तो कौन हैं और यदि उसकी इन्वेस्टिगेशन इस लाइन पर आ गई तो जितना खुर्राट वह है, उससे मुझे पूरा यकीन है कि एक-न-एक दिन वह मुझ अकेली तक नहीं, बल्कि हम तीनों तक पहुंच जाएगा।"
दोनों के चेहरे फक्क।
नसीम ने कहा— "आज के डिस्कशन का कम-से-कम ये फायदा जरूर हुआ है कि हमारी समझ में यह बात आ गई कि हमारी स्कीम की कामयाबी तक सुरेश का जीवित रहना बेहद जरूरी है, अगर वह नहीं रहा तो मेरे वादामाफ गवाह बनने की वजह खत्म हो जाएगी और यदि वह वजह खत्म हो गई तो मैं इतनी बेवकूफ नहीं हूं कि अकेली फांसी के फंदे पर झूल जाऊं, उस हालत में तुम दोनों के नाम के साथ पुलिस को सारी हकीकत बता देना मेरी मजबूरी होगी।"
विनीता और विमल को काटो तो खून नहीं।
एकाएक विनीता ने पूछा—"तो दस लाख तुमने यह सोचकर लिए थे कि कानून से वादामाफ की फैसेलिटी तो तुम्हें मिल ही जाएगी।"
"जाहिर है।"
"हत्यारिन के रूप में फांसी के फंदे पर झूल जाने की क्या कीमत लोगी?"
नसीम की भृकुटी तन गई, बोली— "कहना क्या चाहती हो?"
"बाजार में बैठी हो, बिकाऊ तो तुम हो ही—जब दस लाख के लिए अपने दामन पर हमेशा के लिए हत्यारिन का दाग लगाने के लिए तैयार हो गईं, भले ही वादामाफ गवाह वाली फैसेलिटी गेन करने वाली बात तुम्हारे जेहन में रही हो—तो हत्यारिन करार होकर फांसी पर झूल जाने की भी तो कोई कीमत होगी—बोलो, नए सिरे से सौदा करो.....समझ लो कि जानकीनाथ की हत्या के जुर्म में तुम्हें फांसी पर झूलना है, इस काम की तुम क्या कीमत लोगी?"
कटु मुस्कान के साथ नसीम ने कहा— "ये सौदा जाकर किसी कैंसर के मरीज से करो।"
"क्या मतलब?"
"तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं सती-सीवित्री जी कि शायद वह भी इस सौदे के लिए तैयार नहीं होगा—वह बुड्ढा भी किसी की हत्या के जुर्म में फांसी पर झूलने के लिए सहमत नहीं होगा, जिसे मालूम हो कि दो घण्टे बाद निश्चित रूप से उसके प्राण निकलने वाले हैं—अपने ही नहीं, भले ही उसके सामने तुम टाटा और बिड़ला की संयुक्त दौलत भी डाल देना।"
विनीता बौखलाकर रह गई।
"विनीता।" बात संभालने के लिए विमल ने उसे डांटा—"कहने से पहले तुम्हें सोचना चाहिए कि क्या कहने जा रही हो।"
विनीता के शब्दों ने नसीम के भीतर कहां आग-सी भड़का दी थी। वह कहती चली गई—"रही बाजार में बैठने और बिकाऊ होने की बात.....तो तुम्हें मैं ये बता दूं विनीता देवी कि इस बाजार में बैठकर मैं उससे ज्यादा कुछ नहीं करती तो तुम शानदार कोठी के बेडरूम में करती हो—मेरी तो फिर भी मजबूरी है, पैसा और इस पेट की, मगर तुम्हारी क्या मजबूरी है.....जिस्म की आग ही न.....उसी के लिए तुम पति के अलावा किसी और के साथ हमबिस्तर होती हो, इतना ही नहीं—पहले ससुर के मर्डर में हिस्सेदार थीं, अब पति को मारने में भी कोई हिचक नहीं है, यकीन मानो.....ऐसे संगीन गुनाह करके तो मैं भी इस कोठे पर नहीं पहुंची।"
विनीता का चेहरा लाल-भभूका हो गया।
एक ही झटके में नसीम ने उसे पूरी तरह नग्न कर दिया था।
उनके बीच बिगड़ती स्थिति को देखकर विमल बौखला गया। मध्यस्थता करता हुआ बोला— "बस करो, प्लीज—चुप हो जाओ नसीम.....तुम तो जानती हो कि विनीता सोच-समझकर कुछ नहीं बोलती, तुम तो बचपना मत करो।"
नसीम कुछ बोली नहीं, सिर्फ विनीता को घूरती रही।
घूर विनीता भी रही थी, किन्तु नसीम ने उसे कुछ कहने के लायक नहीं छोड़ा था और विमल अपनी पुरजोर कोशिश के बाद उनके बीच छाए तनाव को दूर करने में कामयाब हो सका—जब तनाव कुछ कम हो गया तो बोला— "हम सब इस बात पर गौर कर रहे थे कि यदि रहटू से सुरेश का कत्ल करा दें तो म्हात्रे की इन्वेस्टिगेशन हमारे लिए मौत का पैगाम बन जाएगी।"
"जाहिर है कि हम सुरेश को नहीं मरने दे सकते।"
"तो अब समस्या ये खड़ी होती है कि जब रहटू तुम्हारे पास सुरेश के मर्डर का प्लान लेकर आएगा तो तुम क्या करोगी?"
"यह हम तीनों को सोचना है।"
एक पल सोचने के बाद विमल ने कहा— "मेरे दिमाग में एक शंका है नसीम, अगर बुरा न मानने का वादा करो तो उसे व्यक्त करूं?"
"करो।"
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RE: FreeSexkahani नसीब मेरा दुश्मन - by desiaks - 06-13-2020, 01:08 PM

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