RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
आअहह .... जोरदार अंगड़ाई के साथ सुबह ड्रस्टी की नींद खुली..... और जब आखें खुली तो बिस्तर का नज़ारा देख कर शर्मा गयी..... ब्रा मानस की पीठ से चिपका हुआ था... सलवार कहीं, कमीज़ कहीं... और पैंटी नीचे फर्श पर पड़ी थी....
ठीक वहीं पर मानस का अंडरवेअर ... और बाकी के कपड़े इधर उधर.... ड्रस्टी चोर नज़र से अब मानस के बदन को देखने लगी.... कितना आकर्षित कर रहा था मानस का बदन.... ड्रस्टी के मन मे थोड़ी जिग्यासा पैदा हुई और अपनी नज़रें नीचे ले जाती मानस के पाँव के बीच देखने लगी...
तभी मानस की भी नींद खुल गयी, और दबी आखों से वो ड्रस्टी को देखने लगा.... शायद पाँव के बीच से लिंग का वो ठीक से नज़ारा नही ले पा रही थी इसलिए वो अपना सिर इधर उधर कर के देखने की कोसिस कर रही थी....
अचानक ही मानस सीधा लेट गया...... "लो आराम से जी भर कर देख लो... अब से ये तुम्हारा ही तो है"
मारे शर्म के जो ड्रस्टी भागी, मानस के जाने के बाद ही वो बाहर आई.......
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मोह, लालच और दूसरे की संपत्ति को अपना बनाने की चाह. हर किसी की गिद्ध जैसी नज़र एक दूसरे की संपाति पर थी, और होंठो पर दिखावटी मुस्कान. शुक्र है लालच की, जो सब को एक दूसरे के करीब खींच लाई थी.
आज कल फंक्षन्स भी होते तो सारे पार्ट्नर्स एक साथ हँसी मज़ाक करते हुए नज़र आते. सब अपनी चाल कामयाब होता देख बहुत खुश थे, और अपने साथी पार्ट्नर्स को देख कर बस यही सोचते ..... "चूतिए, बस थोड़े दिन और रुक जा"
एस.एस ग्रूप की कमान मनु के हाथ मे, और वो बड़ी तेज़ी से फल-फूल रहा था.... आश्चर्य तो तब सब को लगा जब हर्षवर्धन की शिप्पिंग यूनिट के शेर्स मार्केट मे अनमने दम पर बिक रहे थे.... ऐसा कोई दिन नही था जिस दिन शेर के रेट मे 10% इज़ाफ़ा नही हुआ हो.... वहीं पूरे ग्रूप के शेयर के रेट भी काफ़ी अच्छे थे मृाकेट मे, लेकिन थोड़ा स्थिर थे.
6 मंत बाद मानस के शिप्पिंग क्रोपरेशन की पहली पेमेंट भी गूव्ट. से निकल चुकी थी. और इस पेमेंट का जब 50% वंश और रौनक को मिला तो उन्हे अपनी योजना पर काफ़ी गर्व हुआ. अब तो दोनो को जीत सामने से नज़र आ रही थी....
पहले तो रौनक और वंश ने अपना लिमिटेड पैसा एस.एस ग्रूप मे लगाया था... पर शिप्पिंग के प्रॉफिट का पैसा भी वहाँ लगाने से धीरे-धीरे उनके शेर की पर्सेंटेज बढ़ रही थी और मूलचंदानी के शेर्स घट रहे थे.....
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