Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:24 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
इतने मे अमृता फिर बोल पड़ी.... अर्रे, अब क्या वहीं खड़ा रहेगा, आ ना अंदर. लो जी आप का बेटा आज अंदर नही आएगा, आप ही बुलाओ
तो ही आएगा....

हर्ष.... मानस, आओ बेटा, बाहर खड़ा क्या सोच रहा है....

पता नही क्यों पर आज एक अजीब सा अपनापन मानस को महसूस हो रहा था. कुछ जो आज से पहले कभी महसूस नही हुआ हो. मानस
धीमे अपने कदम बढ़ाता अंदर तक आया....

अमृता..... मानस क्या हुआ बेटा, कोई परेशानी है क्या. इतनी सोच मे क्यों डूबे हो...

मानस.... आमम्म्म ... कुछ नही मोम... आप दोनो बताओ कैसे हो....

हर्ष..... मैं तो ठीक हूँ, पर तेरी माँ ज़िद पकड़े है कि अब उसे अपने पोते का मुँह देखना है...

मानस.... क्या ????

अमृता..... हां सच ही कहा हर्ष ने. अच्छा सुन ना, वो बच्ची कहाँ है जो उस दिन तेरे ऑफीस मे मिली थी... मुझे बहुत ही प्यारी लगी...

मानस.... कौन मोम...

अमृता.... अर्रे वही जिसे तुम ने नीचे गिरा दिया था....

मानस, तो बिल्कुल भूल ही चुका था कि वो क्या बात करने यहाँ आया था. अमृता की बात का जबाव देते हुए मानस कहने लगा..... "अच्छा वो, आप ड्रस्टी की बात कर रही हैं. वो तो नताली के घर पर है".

अमृता..... चल ना अभी, मुझे उस से मिलना है...

अमृता की बात मे छोटे बच्चों जैसी ज़िद थी, जिसका समर्थन हर्ष भी कर रहा था...

मानस..... क्या ????

अमृता.... तू हर बात पर ऐसे चौंक क्यों रहा है, कहा ना हमे अभी उस से मिलना. चल ले चल चुप चाप.

मानस को ना चाहते हुए भी उन दोनो को अपने साथ ड्रस्टी से मिलवाने ले जाना पड़ा. रास्ते मे जब वो चल रहा था, बहुत ही गहरी सोच मे
डूब गया..... "आख़िर इनके हृदय परिवार्तन हुए कैसे"......

मानस को ना चाहते हुए भी उन दोनो को अपने साथ ड्रस्टी से मिलवाने ले जाना पड़ा. रास्ते मे जब वो चल रहा था, बहुत ही गहरी सोच मे
डूब गया..... "आख़िर इनके हृदय परिवार्तन हुए कैसे"......
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11-17-2020, 12:24 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

बहुत ही कस-म-कस का वक़्त था. चलते हुए अचनाक ही अमृता चिल्लाई..... "गाड़ी रोको, गाड़ी रोको"....

मानस..... क्या हुआ मोम गाड़ी क्यों रोकनी है...

अमृता.... पहली बार बहू से मिलने जा रहे हैं, खाली हाथ थोड़े ना जाएँगे. रोड के दूसरी ओर की जेवल्लरी शॉप पर गाड़ी ले ले.

मानस.... बहू ??? पर वो तो अभी....

अमृता..... चुप कर, पता नही तुझे क्या हुआ है, हर बात पर ऐसे रिक्ट कर रहा जैसे मैने कोई बॉम्ब फोड़ा हो. गाड़ी दूसरी ओर ले.

मानस, चुप-चाप गाड़ी जेवल्लरी शॉप की ओर ले लिया. जल्दी-जल्दी जेवल्लारी का एक सेट खरीदने के बाद गाड़ी एक बार फिर साड़ी शॉप
मे रुकी जहाँ से अमृता ने ड्रस्टी के लिए साड़ी की शॉप्पिग किया. तकरीबन 12पीयेम बजे तक सब नताली के घर पहुचे.

घर मे ड्रस्टी अकेली थी, और वंश लंबी छुट्टी पर यानी की तीर्थ पर गया हुआ था. दरवाजे पर दस्तक हुई और ड्रस्टी ने दरवाजा खोला. सामने
मानस के साथ अमृता और हर्षवर्धन को देख कर वो थोड़ी हैरान रह गयी. फिर से अपने माथे पर चुन्नी लेती, हाथ उठा कर सलाम की.

उसकी तहज़ीब देख कर अमृता, हर्ष का चेहरा देखने लगी. खैर सब अंदर आए, तब तक ड्रस्टी किचन मे घुस चुकी थी और सब के लिए चाय बना कर लेती आई. ड्रस्टी झुक कर जब अमृता को चाय दे रही थी, अमृता उस के सिर पर हाथ फेरती.... "तू बैठ मेरे पास"

अजीब सी उलझन के साथ ड्रस्टी, अमृता के पास बैठी. अमृता उसे सगुन देती हुई कहने लगे..... "मुझे बहुत प्यारी लगी तुम, पर क्या तुम्हारे
घर वालों को इसका पता है"

ड्रस्टी, अमृता की बात पर कुछ नही बोल पाई, बस मानस की ओर देखती रह गयी....... मानस, ड्रस्टी की ओर से जबाव देते हुए कहा.....
"नही ड्रस्टी के घर वालों को नही पता. इस रिश्ते की सब से बड़ी उलझन मे हम फसे हैं"

अमृता.... कमाल है, दोनो की इतनी प्यारी जोड़ी है और दोनो इतने मायूस. कोई चिंता करने की ज़रूरत नही, मैं वादा करती हूँ मैं तुम दोनो
की शादी करवाउन्गी... अब चलो जाओ दोनो घूमो-फ़िरो और सारी चिंता हम पर छोड़ दो. क्यों हर्ष, तुम भी तो कुछ बोलो...

हर्ष... हन-हन दोनो जाओ घूमो-फ़िरो, बाकी सारी चिंताएँ हम पर छोड़ दो.

मानस.... पर मोम-डॅड, मुझे अभी ऑफीस जाना है. अभी ही टेंडर खुला है, बहुत सारे काम है ऑफीस मे. उपर से मैं पहले से लेट हूँ.....

हर्ष, आखें दिखाते..... नताली है ना वो संभाल लेगी सब. जितना कहा उतना करो और कोई ज़िद नही.

मानस.... पर आप लोग कैसे जाएँगे... चलो मैं ड्रॉप तो कर दूं आप को.

अमृता.... उस की कोई ज़रूरत नही. घर से हम कार बुलवा लेंगे. अब जाओ भी....

ना माने दोनो, और उन दोनो को बाहर भेज कर ही दम लिए....... जाते जाते ड्रस्टी हँसती हुई अमृता के गले लग गयी.......

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11-17-2020, 12:24 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
नताली इन ऑफीस.....

नताली के पास इन्फर्मेशन पहुँच गयी थी मानस और ड्रस्टी की. वो हँसती हुई खुद से कहने लगी.... "वाह रे नया-नया प्यार, लगता है अब
पार्क मे घूम-घूम कर प्यार के गीत गाएँगे".

खैर तकरीबन 12:30 बजे नताली पूरे ऑफीस स्टाफ को जमा करती मीटिंग लेने लगी, और आगे कैसे काम करना है उस पर चर्चा करने लगी. तभी रिसेप्षन से कॉल आया राजीव और रौनक उनका वेट कर रहे हैं.

नताली उन्हे ऑफीस मे बिठा कर 10 मिनट वेट करने के लिए बोली. कान्फरेन्स हॉल की मीटिंग जल्द ही ख़तम कर के नताली अपने कॅबिन मे पहुँची..... "सॉरी आप लोगों को इंतज़ार करना पड़ा, मैं मीटिंग मे थी"

राजीव पेपर्स दिखाते..... "अग्रीमेंट सिग्नेचर हो चुका है, क्या हम अपना अग्रीमेंट साइन कर ले".

नताली.... यस ओफ़कौर्स.... तो आप दोनो को कितने पर्सेंट की पार्ट्नरशिप चाहिए.

राजीव..... तुम कितने पर्सेंट की पार्ट्नरशिप ऑफर कर रही हो.

नताली...... 50-50...

रौनक खुश होते हुए..... "हां हमे मंजूर है".....

नताली..... हां पर एक और अग्रीमेंट आप दोनो साइन करोगे...

रौनक और राजीव दोनो एक साथ.... "कैसा अग्रीमेंट"

नताली..... मैं 50% पर्सेंट फ्री मे आप दोनो की झोली मे नही डाल रही हूँ.... बदले मे मुझे भी कुछ चाहिए......

राजीव और रौनक दोनो एक साथ..... "बदले मे क्या चाहिए"

नताली..... दोनो मिल कर जो भी शेयर खरीदोगे, उसका 50% शेयर मेरी अग्रॉ-केमिकल कंपनी के नाम होना चाहिए....

रौनक.... क्या तुम ने अपनी अग्रॉ-केमिकल यूनिट भी रेजिस्टर्ड कर रखी है.

नताली..... हम ने पूरी जंग की तैयारी कर रखी है. हमारा टारगेट एस.एस ग्रूप को नीचे गिराना है. अब आप सोच लो हमारा साथ देना है या नही.

राजीव.... पर हमे तो एस.एस ग्रूप चाहिए.

नताली.... तो क्या हुआ जो उसका नाम आर.आर ग्रूप कर के पूरी कंपनी आप की झोली मे डाल दूं. बदले मे मेरे ग्रूप को आप अपने टर्न
ओवर के पेरलल खड़ा कर देना. फिर आप अपना बिज़्नेस सम्भालो और हम अपना.

रौनक..... मैं सहमत हूँ..

राजीव..... मुझे भी इस प्रपोज़ल से कोई आपत्ति नही.

नताली..... हां पर एक छोटी सी बात, अभी क्लियर कर ले तो ज़्यादा अच्छा रहेगा.

रौनक..... कौन सी बात.

नताली.... एस.एस ग्रूप के कौन से यूनिट का शेयर मुझे दे रहे हो. क्योंकि मिक्स्ड शेयर देने से ना तो मेरा भला होगा और ना आप लोगों का.

राजीव.... हां ये सही है......

नताली..... तो ठीक है मुझे एस.एस ग्रूप के केमिकल मॅन्यूफॅक्चरिंग यूनिट के शेयर चाहिए.

दोनो को आज तो नताली की हर बात अच्छी लग रही थी. दोनो ने इस पर भी सहमति होते हुए फाइनली पार्ट्नरशिप का हाथ मिला लिया.

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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

ईव्निंग.... इन मनु ऑफीस....

मनु..... स्नेहा ऐसा लग रहा है हम जीत की ओर आगे बढ़ रहे हैं.

स्नेहा...... एसस्स, लव यू आर माइ हीरो. सुनो मनु...

मनु.... सुनाइये जी, उम्र भर तो अब आप को ही सुन'ना है...

स्नेहा..... वॉववव !!! उम्र भर प्लीज़ ऐसे ही रोमटिक रहना. बाइ दा वे मैं ये कह रही थी कि चलो ना आज मूवी देख कर आते हैं.

मनु.... कौन सी मूवी चलनी है...

स्नेहा..... 50 शेड्स ऑफ डार्कर...

मनु.... तो चलो चलते हैं....

स्नेहा.... हद करते हो मनु, इन ऑफीस के कपड़ो मे जाएँगे....

मनु..... तो कैसे जाना है...

स्नेहा.... मेरा आज साड़ी मे आप के साथ बाहर जाने का मूड है...

"ठीक है जैसा तुम चाहो".... कहते हुए दोनो ऑफीस से निकल गये. जल्द ही दोनो तैयार हो कर मल्टिपलेक्स पहुँच चुके थे. पर लगता है यहाँ भी कमाल होना था. जिस जगह पर मनु और स्नेहा बैठे थे, ठीक मनु के पास मे राम्या बैठी थी.

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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

स्नेहा को राम्या से इंट्रोड्यूस करवाते हुए सब पिक्चर देखने बैठ गये. जिस तरह से राम्या, मनु से हंस कर बात कर रही थी, और उस से चिपकी जा रही थी स्नेहा को वो फूटी आख नही भा रही थी. हद तो तब हो गयी, जब लव मेकिंग सीन्स पर राम्या अपने हाथ मनु की जांघों पर डाल देती.

स्नेहा ये देख कर अंदर से जल जाती. हालाँकि एक खुशी ये भी होती कि मनु हर बार उस के हाथ को अपने बदन से हटा देता, पर ये केवल छनिक खुशी होती, बाकी राम्या तो फिर से वही हरकत करने मे लग जाती....

शो जब ख़तम हुआ, तब स्नेहा, मनु को जल्दी से ले कर वहाँ से निकली और थोड़ी धीमे बड़बड़ाती हुई कहने लगी....... "चुड़ैल, कलमुंही कहीं की. सब को मेरा पति ही मिला था"

मनु.... क्या हुआ कुछ कही क्या....

स्नेहा.... कुछ नही चलो....

मनु.... तुम्हारे मूड को क्या हुआ, इतनी चिढ़ि हुई क्यों हो. चलो बाहर खा कर घर चलते हैं.

स्नेहा.... हां क्यों नही, तुम्हे तो बाहर की हर चीज़ कुछ ज़्यादा ही पसंद आती है ना....

मनु, स्नेहा के टॉंट को समझ चुका था. लेकिन अंदर ही अंदर मुस्कुराते हुए वो रह गया. स्नेहा की बातों पर बिना कोई रिक्ट किए वो घर की ओर लौट गया.

स्नेहा काफ़ी गुस्से मे घर लौटी, और बड़बड़ाती हुई घुस गयी किचन मे. वहीं मनु, मानस को फोन लगाते हुए एक आखरी कामयाबी के बारे मे पूछने लगा....

मानस, मनु के सवाल पर थोड़ा चुप्पी साध'ते हुए कहने लगा..... "यार मुझ से नही हो पाया. मैं मोम-डॅड को कॉन्वियेन्स नही कर पाया."

मनु... भाई क्या मतलब नही हो पाया. भाई बस वो ही आखरी बचे हैं, बाकी सब फस चुके हैं. तुम जानते भी हो यदि अब हम ने देर की तो हम से हमारा सब कुछ छिन जाएगा.

मानस.... सॉरी यार उन लोगों ने ऐसे प्यार से मुझे ट्रीट किया कि मैं कुछ कह ही नही पाया.

फिर मानस ने सुबह हुई पूरी घटना मनु को बता दिया. पूरी बात सुन'ने के बाद एक लंबी सांस खींचता कहने लगा......

"भाई सुनो मेरी बात, तुम छलावे मे नही फसो. ज़रा सोचो आज अचानक से हमारे लिए ये प्यार क्यों उमड़ गया. तुम भूल गये क्या बीती सभी बातों को. भूल गये वो दिन जब हमे ठोकर मार कर उस घर से निकाल दिया था. कहने को तो करोड़ो के मालिक, पर खाने तक का पैसे नही था हमारे पास. भाई अब हमारे पिछे हटने का तो कोई सवाल ही नही होता"

मानस..... सॉरी यार, क्या करूँ भावनाओ मे बह गया था ये दिल. पर तू चिंता मत कर, कल ही फाइनली हर्षवर्धन और अमृता ट्रॅप होंगे. सॉरी मैं ही थोड़ा कमजोर पड़ गया.....

दोनो भाइयो मे फिर से सहमति होने के बाद, मानस दृढ़ संकल्प होता सोच चुका था कि अब सारी भावनाओ को दरकिनार करते हुए वो बस अपने आखरी टारगेट पर फोकस करेगा.,

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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अगली सुबह ..... मूलचंदानी हाउस.....

मानस अपने प्लान को फाइनल टच देने के इरादे से मूलचंदानी हाउस पहुँच चुका था. अमृता और हर्षवर्धन दोनो हॉल मे बैठ कर चाय पी रहे थे...... मानस भी उनके पास जा कर बैठ गया....

अमृता..... कैसे हो मानस, और मेरी बहू कैसी है....

मानस..... दोनो हे मस्त हैं मोम. डॅड मुझे आप से कुछ काम है...

हर्ष.... हां बोलो ना...

मानस.... डॅड मैं अपनी शिप्पिंग कंपनी के लिए एक बिज़्नेस प्रपोज़ल ले कर आया हूँ....

हर्ष..... हां बताओ ना...

मानस...... सरकारी. कांट्रॅक्ट पूरा करने के लिए मुझे 3/4 और शिप की ज़रूरत है. मैने सोचा बाहर किसी और से टाइ-अप करने से पहले क्यों ना एक बार आप से पूछ लूँ....

हर्ष...... हां मैं भी इस बारे अभी अमृता से कह रहा था.... हम भी इसी बात पर चर्चा कर रहे थे..... तुम्हे और कितने शिप चाहिए होंगे....

मानस..... पापा 4 कंटेनर शिप मे, अच्छे से काम हो जाएगा.... इसके लिए मैं 50% का पार्ट्नरशिप भी ऑफर करता हूँ.....

हर्ष..... पागल कहीं के.... वो भी तो मेरी अपनी ही कंपनी है... मेरे बेटे की कंपनी है, पार्ट्नरशिप भला कैसे.....

मानस..... लेकिन पापा, कंपनी के रूल के हिसाब से तो पहले आप को कंपनी का अप्रूवल लेना होगा ना... जिस मे आप को प्रॉफिट का शेयर कंपनी मे देना होगा...

शम्शेर मूलचंदानी..... नही उसकी ज़रूरत नही होगी.... आख़िर ये मेरी कंपनी है...मेरा भी कुछ हक़ है....

मानस..... दादू, नही रहने दो ना.... वैसे भी मैं प्रॉफिट दे किसे रहा हूँ... अपने ही घर मे ना...

हर्ष.... पापा ठीक कह रहे हैं मानस... अब इस पर कोई बात नही होगी .... कल तक तुम्हे पूरे पेपर्स के साथ शिप मिल जाएगा....

शम्शेर..... कल तक क्यों, आज ही मिल जाएगा.... मनु को बुलाओ....

मानस..... मैं चलता हूँ, बाद मे मिलूँगा....

शम्शेर..... क्यों क्या हो गया.... तुम अभी कहीं नही जाने वाले हो..... और क्या परेशानी है तुम दोनो भाइयों के बीच....

मानस..... जाने दो दादू, वो बीती कहानी हो गयी.... मैं उस बारे मे कोई चर्चा नही करना चाहता....

शम्शेर.... हां तो ठीक है, चुप-चाप बैठो... यहाँ से सारे पेपर्स ले कर ही जाना....

मनु को बुलाया गया... जब तक मनु पहुँचता, तब तक एस.एस ग्रूप के अफीशियल लॉयर भी पहुँच चुके थे..... मनु ने जैसे ही हॉल मे कदम रखा, सामने मानस.....

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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मनु..... यदि मुझे इस से बात करने के लिए बुलाया गया है तो मैं जा रहा हूँ...

शम्शेर..... चुप-चाप बैठ जाओ मनु.... और हां याद रहे मुझे ज़रा भी बदतमीज़ी पसंद नही....

मनु, शम्शेर की बात सुन कर चुप-चाप हॉल मे बैठ गया..... कुछ कमी थी शायद उस महॉल मे इसलिए मूलचंदानी के दोनो वरिसों के बीच तीसरा वारिस यानी की रजत भी आ कर बैठ गया.....

"किस बात की यहाँ पंचायत हो रही है, लगता है कुछ गुल खिलाए जा रहे हैं"....

हर्ष.... जब बात कुछ समझ मे ना आए तो चुप चाप बैठ जाओ....

रजत.... हां दो नाजायज़ जो आज कल आप के वारिस बने हैं तो मुझे क्यों ना चुप करवाओगे....

"चटककककक".... जोरदार तमाचा पड़ा रजत के गाल पर और वो अपना गाल पकड़ कर अमृता को घूर्ने लगा.... गुस्से मे आग बाबूला हो कर चिल्लाते हुए ज़ोर से कहा...... "तुम्हारी इतनी हिम्मत कि इन नाजायज़ के लिए मुझे मारी"....

इतना सुनते ही अब हर्ष का तमाचा पड़ा...... "नाजायज़ किसे बोल रहा है, जैसे तुम मेरे बेटे हो वैसे ही ये भी मेरे बेटे हैं.... अब या तो चुप हो जाओ या यहाँ से चले जाओ"....

बेचारा, बेगाने शादी मे अब्दुल्लाह दीवाना जैसे अपनी फटी हालत पर बड़े गुसे मे वहाँ से निकला. ऐसा लग रहा था जैसे मन मे कुछ थाने निकला हो वो.... अमृता और हर्ष दोनो अपने बेटे की बदतमीज़ी पर शर्मिंदा होते हुए मनु और मानस से माफी माँगने लगे.....

मानस.... इट'स ओके मोम... बच्चा है और हमसे नफ़रत भी करता है... मैं उसे समझा दूँगा....

शम्शेर..... समझाना क्या है... ये सब इन्ही दोनो के लड़ प्यार का नतीजा है. खैर मनु मैने तुम्हे यहाँ अपने नये बिज़्नेस प्रपोज़ल के लिए बुलाया है....

मनु... जी दादा जी कहिए....

शम्शेर.... शिप्पिंग कॉर्पोरेशन के चार शिप मैं मानस को देने वाला हूँ...

मनु.... आप ने सब पहले से तय कर रखा है तो इसमे मैं कुछ नही बोलूँगा.... जहाँ कहिए वहाँ सिग्नेचर कर दूँगा.... पर एक बात मैं अभी कह दूं, आप डूबते जहाज़ पर दाव खेल रहे हैं... ये एस.एस ग्रूप के शिप्पिंग कॉर्पोरेशन को भी डूबा देगा....

शम्शेर..... तुम्हारी राय नही पूछी है... मुझे पता है मैं क्या कर रहा हूँ.... वकील साहब आप लीगल फॉरमॅलिटीस पूरी कीजिए....

लॉयर.... सर कौन सा पेपर तैयार करना है .... ओन रिस्क ग्रूप कांट्रॅक्ट या लोन कांट्रॅक्ट ....

शम्शेर.... पूरी कंपनी ही मेरी है ... तो ओन रिस्क का पैसा भी तो मेरी ही कंपनी को जाएगा ना... तुम ओन रिस्क पेपर तैयार करो....

आधे घंटे मे सारे पेपर्स रेडी थे... शम्शेर ने अपने सिग्नेचर किए... मनु ने अपने और पूरे लीगल डॉक्युमेंट के साथ चारो शिप अब मानस के अधिकार मे था.....

दोनो भाई बाहर से दुश्मनी दिखाते, अंदर ही अंदर मुस्कुराते हुए बाहर निकले.....
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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम के वक़्त.... नताली और पार्थ.....

पार्थ...... मिस ब्यूटिफुल, हैं कहाँ आज कल आप....

नताली.... बिज़ी इन न्यू प्रॉजेक्ट.... पर तुम्हे इस से क्या.... तुम्हे तो मेरे बारे मे कुछ ख्याल भी नही होगा....

पार्थ.... अजी दिन रात तो बस आप के ही ख्यालों मे डूबा रहता हूँ... और रात को सपने मे तो ना जाने कैसे-कैसे तुम मुझे परेशान करती हो....

नताली.... हां तुम बस सपने मे ही सुहागरात मनाते रहना.... वैसे तो सामने से कुछ होता नही ... फटतू कहीं के...

पार्थ.... तुम मुझे चॅलेंज कर रही हो क्या...

नताली..... अब रहने भी दो.... ज़्यादा बढ़ चढ़ कर बोलने से अच्छा है कुछ कर के दिखाओ...

पार्थ.... अच्छा जी.... आज रात ही देखते हैं कौन कितने पानी मे है.... वैसे रात की बातें मैं रात मे करूँगा... अभी फिलहाल मेरी बात ध्यान से सुनो....

नताली..... जी वकील साहब फरमाएए.....

पार्थ....... रिसेप्षन पर एक आदमी एक फाइल ले कर पहुँचा है.... फाइल चेक कर लेना बाकी बातें रात को करेंगे...

नताली.... ठीक है मैं इंतज़ार करूँगी.....

पार्थ.... "बयीई"

नताली.... "बयीई"

नताली ने रिसेप्षन से फाइल मँगवाई.... उपर लिखा था टॉप सीक्रेट... और नताली ने उसे बड़ी ही कॅष्यूयली तरीके से खोला ... पहला पन्ना पढ़ते ही वो चौकन्ना हो गयी.... दूसरा पन्ना पढ़ते-पढ़ते वो पूरी तरह से ध्यान-मगन हो गयी....

और आखरी पन्ने ने उसे टोटल कंट्रोल दे दिया.... मानस की ये नयी कंपनी और पूरा एस.एस ग्रूप पर टोटल कंट्रोल का ज़रिया.... उस फाइल मे पार्थ का पासा पड़ चुका था.... जिस पर अब नताली दाव खेलने के लिए तैयार थी.... एक दाव टोटल कंट्रोल का.....
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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
रात के वक़्त ... नताली हाउस....

जीत की ओर कदम बढ़ चुके थे, मनु अपने सारे दाव खेल चुका था.... जीत की एक मीटिंग जो नताली के घर चल रही थी...

मनु, स्नेहा, मानस, ड्रस्टी, नताली और पार्थ सब इस जीत पर खुशी मनाने पहुँच चुके थे... पीने वालों के लिए सॉफ्ट ड्रिंक और हार्ड ड्रिंक सब खुल चुके ... सभी हाथों मे ग्लास लिए टोस्ट करते चियर्स करने लगे.....

मनु.... आप सब के बिना ये जीत संभव नही थी.... मैं आप सब का हमेशा एहसानमंद रहूँगा....

नताली.... कम ऑन मनु.... तुम तो एमोशनल हो गये.... इतने एमोशन्स की ज़रूरत नही, अब ये बताओ आगे क्या करना है....

मनु.... जस्ट वेट आंड वाच फॉर रिघ्त टाइम..... फिलहाल तो 2 महीने लाइफ एंजाय करो... और भूल जाओ इन सारी बातों को....

पार्थ....... कैसे करूँ लाइफ एंजाय...... मेरी गर्लफ्रेंड को तो तुम सब हमेशा घेरे रहते हो. कभी अकेला ही नही छोड़ते...

मानस.... कौन गर्लफ्रेंड

पार्थ.... अर्रे नताली और कौन....

स्नेहा..... अच्छा जी तो नताली से पॅच-अप हो गया और हमे पता भी नही चला ....

मनु..... बात जो भी हो, अब पार्थ ने कह दिया है, हूँ सब उसकी गर्लफ्रेंड को घेरे रहते हैं तो मैं अभी जा रहा हूँ.... जाओ तुम दोनो मस्ती करो ....

नताली.... ये क्यों नही कहते कि तुम्हे भी स्नेहा के साथ मस्ती का मूड हो रहा है....

स्नेहा.... हहे, निशाना सीधा हम पर हे..... वैसे भी बुरा क्या है. आख़िर मेरे हब्बी मेरे साथ नही टाइम स्पेंड करेंगे तो और किस के साथ करेंगे....

"चलो स्नेहा... वरना दोनो ये ना कहने लगे हमारी वजह से लेट हो गये"... इतना कह कर मनु और स्नेहा दोनो चले गये... पार्थ और नताली भी उनके पीछे-पीछे निकले... जाते-जाते नताली ने धीमे से ड्रस्टी के कानो मे कहा..... "आज की रात तुम्हारी है, इसे एक खूबसूरत रात बनाना".....

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11-17-2020, 12:28 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
पार्थ & नताली..... ऑन दा वे...

नताली.... पार्थ हम कहाँ जा रहे हैं...

पार्थ.... मेरे फार्म हाउस पर...

नताली..... फार्म हाउस क्या खेती करने जा रहे हैं....

पार्थ.... हां खेती ही समझ लो...

नताली..... समझ लो से तुम्हारा मतलब.....

पार्थ..... समझ लो से यही मतलब है कि खेती करना है..

नताली.... और वो किस चीज़ की खेती करनी है.....

पार्थ ने नताली के कानो मे फूस-फुसाया, और नताली उसको मारती हुई कहने लगी..... "कितना गंदा बोलते हो पार्थ... छि"

पार्थ..... अभी करने मे सब मज़ा आएगा, और बोलने मे गंदा....

नताली..... बस... वो जब होगा तब, पहले मुझे उस फाइल के बारे मे बताओ....

पार्थ.... ओह्ह्ह हो फाइल पर चर्चा.... तो क्या मैं इसका मतलब ये समझुँ कि तुम ने सारा प्लान कर लिया है.....

नताली अपनी बाहें पार्थ के गले मे डालती उसको चूमती हुई कहने लगी..... "अजी कभी-कभी ही तो अरबपति बन'ने का मौका मिलता है, उसे छोड़ कैसे दूं.....

दोनो आगे की सारी प्लॅनिंग करते फार्म हाउस पर पहुँचे.... फार्म हाउस के गेट से अंदर घुसते ही पार्थ, नताली को स्मूच करता उस के होंठो को चूमने लगा.....

नताली उसे धक्के देती..... "क्यों इतने बेसबरे हो... अंदर चलो, बाहर मेरा क्या तमाशा बनाना चाहते हो"....

पार्थ.... बाहर हो या अंदर... इस पूरे कॅंपस मे हमारे सिवा कोई नही..... लेकिन फिर भी जैसा आप चाहो ... चलो अंदर ही....

पार्थ अपनी बात कह कर आगे बढ़ गया.... नताली ने उसकी कलाईयों को थामा और अपनी ओर मोड़ दी. अपनी एडियो को उपर करती, अपनी बाहें उसके गले मे डाल दी. बड़ी अदा से वो अपने होंठो को खोलती अपनी जीभ बाहर निकाली और धीमे से पार्थ के होंठो पर फिराती उसके होंठो को चूमने लगी.....

पार्थ ने बाहों की पकड़ मजबूत कर के खुद मे समेट लिया... उसके पंजे नताली की कमर को जकड़े थे और होंठ, होंठो से जकड़े थे.... दोनो एक दूसरे के होंठो को लगातार चूम रहे थे.

चूमते हुए पीठ की साइड लाइन से पार्थ धीरे-धीरे हाथ उपर लाया.... नताली के स्तनों के पास हाथ को रोका और उसपर अपना हाथ रख कर पंजों मे स्तनों भर लिया..... किस को तोड़ती नताली ने अपने होंठो से "इसस्शह" की मधुर ध्वनि निकाली और फिर से पार्थ के होंठो को चूमने लगी....

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