Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:33 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सुबह के वक़्त......

शम्शेर की जब आखें खुली तो वो खुद को देख कर हैरान रह गया... दिमाग़ पर ज़ोर डाल कर वो रात के बारे मे सोचने लगा... रात की बातें उसे याद आने लगी.... तभी बिस्तर पर नज़र गयी... जहाँ पर काव्या के फटे कपड़े और बिस्तर पर खून था....

शम्शेर की साँसे अटक गयी.... माथे पर हाथ रख कर सोचने लगा..... "ये क्या हो गया"

तभी कोने से काव्या के सिसकने की आवाज़ सुनाई दी... अकड़ू बैठी वो बस रोए ही जा रही थी.... उसके आँसू रुक ही नही रहे थे......

शम्शेर कपड़े पहन कर चुप-चाप वहाँ से निकल गया. जल्दी से तैयार हो कर वो अकेला ही मीटिंग के लिए निकल गया. वापस जब लौट कर आया तो होटेल का महॉल ही कुछ अलग था. शम्शेर को पता चला कि काव्या ने अपनी नब्ज़ काट ली है और वो हॉस्पिटल मे है....

शम्शेर जल्दी से हॉस्पिटल पहुँचा, सब से पहले काव्या की हालत के बारे मे पता किया..... कोई ख़तरा नही था उसे, राहत की सांस जैसे मिली हो. शम्शेर वहाँ की पूरी व्यवस्था कर के लौट आया. शम्शेर जब से घर पहुँचा, तब से ही उसे रह-रह कर ये ख्याल आ रहा था कि उसने एक कुवारि लड़की के साथ ग़लत किया.

गहरी चिंता, और आगे क्या करेगा उसे पता नही. टेन्षन मे उसने 2 पॅक लगाया और नींद की गोली खा कर सो गया. अगली सुबह और भी ज़्यादा टेन्षन का महॉल ले कर आया. अख़बार की खबरों मे शम्शेर और काव्या ही सुर्ख़ियों मे थे. काव्या के सुसाइड की कहानी को अख़बार वाले मिर्च मसाला के साथ छाप कर शम्शेर का नाम उस से ज़ोर दिया था.

सुबह से ही उसके घर के फोन की घंटी बजनी शुरू हो गयी. तरह-तरह के गॉसिप चारो ओर थे, और शम्शेर किसी को कुछ जबाव नही दे पा रहा था..... इसी बीच ये खबरें हर्षरधन के पास पहुँची, वो भी अपना सारा काम समेट कर फ़ौरन वापस आ गया.

क्या करे क्या ना करे घर के किसी सद्स्य को समझ मे नही आ रहा था, उपर से इस खबर के छपने के बाद शम्शेर ना तो किसी से मिलता था, और ना ही किसी से बात करता था. सब को यही लगा कि बदनामी के कारण शन्शेर को गहरा सदमा लगा है.

सच ही है, किसी औरत का त्रिया चरित्र क्या से क्या करवा सकता है.... मनु और मानस, पूरा एस.एस ग्रूप और उसके सारे पार्ट्नर्स.... सब की ज़िंदगी उलझी, और इसकी सिर्फ़ एक ही वजह थी वो था किसी लड़की का त्रिया चरित्र और " सेक्स गेम"

हर्षवर्धन सब से पहले काव्या से मिलने गया. काव्या अब भी हॉस्पिटल मे थी और अब तक उसकी ओर से कोई बयान नही आया था. हर्षवर्धन और काव्या की लगभग 1 घंटे तक बात होती रही, अंत मे दोनो गले मिले और हर्षवर्धन वापस लौट आया.

वापस जब वो लौट कर आया तो उसने अपने और काव्या के बीच की सारी बात पूरे घर को बताया. उस वक़्त शम्शेर भी सब सुन रहा था. काफ़ी मंथन और अमृता को काफ़ी कॉन्वियेन्स किया गया... और अंत मे सब ने हर्षवर्धन के फ़ैसले पर सहमति जता दिया.....

सारी उलझने सुलझने के बाद हर्षवर्धन ने अगले दिन का एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखा. प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही अख़बार की एक खबर ने फिर से सब को शॉक कर दिया..... जिसमे हर्षवर्धन और काव्या के गले मिलने की तस्वीर थी, और नीचे लिखा था..... "शम्शेर के गुनाह को साबित करती ये तस्वीर, जिसमे एक लड़की को खरीद लिया गया और उसे अपने फेवर मे ले लिया गया"

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11-17-2020, 12:34 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
नेक्स्ट डे..... ईव्निंग टाइम ... प्रेस कॉन्फ्रेंस.....

उद्योगपति के घर की खबर, वो भी इतने मसालेदार खबर.... कोई कैसे मिस कर सकता था... पूरी मीडीया जमा हो चुकी थी. 5:00 पीयेम का टाइम था प्रेस कॉन्फ्रेंसे का. मीडीया वाले 4:30 से ही आना शुरू हो चुके थे. अब बस इंतज़ार हो रहा था शम्शेर का.

सारे मीडीया वाले अचानक ही खड़े हो गये, क्योंकि मूलचंदानी के किसी सदस्य से पहले हाइ कोर्ट के चीफ जस्टीस और साथ मे एक आड्वोकेट भी पहुँचे थे. सारे मीडीया वाले खड़े हो कर बस एक ही सवाल .... "सर.. सर.... आप का क्या कहना हैं इस पूरे मुद्दे पर ? आप किस की ओर से यहाँ आए हैं ?

चीफ जस्टीस.... हम दोनो यहाँ बस फ़ैसला सुनाने आए हैं. मीडीया का धन्यवाद जिन्होने ये केस हमारे सामने रखा. मैं यहाँ दोनो पक्ष को सुन'ने के बाद अपना फ़ैसला सुनाउन्गा... और किसी को यदि ऐतराज होगा मेरे फ़ैसले से तो यहीं क्रॉस क्वेस्चन कर सकते हैं. आज हम यहाँ इंसाफ़ करने आए हैं...

इतने मे पिछे से काव्या भी चली आ रही थी... काव्या धीमे कदमों से चलती, आ कर बैठ गयी....

काव्या को देखते ही, मीडीया वालों ने अपने सवालों की बारिश कर दी. हां पर सारे सवालों का इशारा एक ही ओर था.... "उस रात होटेल के कमरे मे क्या हुआ था... वहाँ बिस्तर पर क्या उसके कुवरापन लूटने का खून था... और क्या यही वजह थी कि उसने सुसाइड करने की कोसिस की"

"कैईयन्णनन्... कयैईंन्नणणन्" कर के सवालों की बारिश हो रही थी... तभी काव्या ज़ोर से चिल्लाई......

"तुम सब क्या जज हो.... तुम सब क्या खुद को खुदा समझते हो.... जो जी मे आए बक रहे हो. तुम लोगों ने तो एक बाप-बेटी जैसे रिश्ते को ही कलंकित कर दिया. आज मैं खुद की शकल भी आएने मे नही देख पा रही. क्या किसी ने मेरे पास आ कर पूछा कुछ भी.... किसी ने कुछ नही पूछा बस जो जी मे आया छाप दिए. जज साहब मैं अपील करती हूँ कि हमारे सर को झूठा बदनाम करने के लिए, और एक लड़की के चरित्र पर कीचड़ उछालने के लिए इन सब को जैल मे बंद करवा दो"

कहानी मे पलटी.... सारी मीडीया शॉक्ड. मीडीया को समझ मे आ गया कि पैसों ने मामला को दबा दिया है इसलिए ये लड़की पलटी मार रही है और मीडीया को ही बदनाम कर रही है... एक वरिष्ठ पत्रकार ने सारे लोगों को शांत कर के अपना सवाल रखा.....

"हो सकता है आप सही कह रही हो मेडम.... पर ये भी तो हो सकता है की पैसे और पॉवेर ने आप को अपना बयान बदलने पर मजबूर कर दिया हो. आख़िर वो कौन सी वजह थी कि शम्शेर मूलचंदानी जी का बेटा आप से हॉस्पिटल मे मिला, और क्या वजह थी कि आप ने अपने हाथों की नब्ज़ काट ली ? हम मीडीया वाले हैं मेडम, जो खबर हमे जैसी लगती है हम वैसे ही छापते हैं. लोगों के हक़ की आवाज़ उठाना हमारा काम है, और शायद इसलिए हमारे देश मे मीडीया को स्वतंत्र रखा है"

काव्या......

"अधिकार मिलने का ये मतलब नही है ना सर की आप हर किसी पर कीचड़ उछालते रहें. माना कि मीडीया आवाज़ है, पर उस आवाज़ का क्या फ़ायदा जो सही-ग़लत को जाने बिना उठे.... ऐसे तो आप पर से हम सब का भरोसा उठ जाएगा. और हां इज़्ज़त, जान और पैसों से कहीं ज़्यादा कीमती होती है, इसलिए आप ने मुझे तो बदनाम किया ही साथ मे पिता समान मेरे सर पर भी इल्ज़ाम लगा दिया. अब भले यहाँ ये फ़ैसला हो जाए कि हम बेगुनाह्ं है, पर बाहर लोगों को अब यकीन थोड़े ना होगा"......
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11-17-2020, 12:34 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
फिर से एक पत्रकार...... मेडम आप अब भी अपने पहले स्टेट्मेंट को ही मॉडिफाइ कर रही है, हमारे सवालों का जबाव नही दे रही.....

"मैं देता हूँ जबाव"....... हर्षवर्धन और अमृता दोनो सामने से आते हुए नज़र आए.... अमृता जा कर काव्या के पास बैठ गयी और उसे सांत्वना देने लगी.....

हर्षवर्धन.......

"आप सब को यही जान'ना है ना कि क्यों काव्या केवल एक ही जबाव को गोल-गोल घुमा रही है. वो पूरी बात नही बता रही तो उसकी वजह मैं हूँ..... चार दिन पहले मैं इंडिया किसी काम से आया था... मैने काम के सिलसिले मे काव्या को भी बुलाया था"....

"उसी दौरान हम दोनो की नज़दीकियाँ बढ़ गयी, और किसी खुमारी मे हम दोनो से एक ग़लती हो गयी. हम दोनो ही उस वक़्त बहक गये थे. बाद मे मैं भी चैन से सो नही पाया कि मैने शादी-सुदा हो कर भी ऐसा काम किया.... दिल पर बोझ सा लग रहा था कि ये मैने क्या कर दिया... और तब मैने ये बात अपनी पत्नी अमृता से बताई"......

"मुझे लगा अब हमारे जीवन मे कई सारी मुसीबतें एक साथ आ जाएँगी. पर अमृता ने अपनी सूझ-बुझ का परिचय देते हुए मुझ से ये कहा कि...... "जो भी हुआ उसमे एक बहके महॉल का पूरा असर था, लेकिन इन सब मे एक लड़की की जिंदगी क्यों बर्बाद हो, इसलिए मुझे उस से भी शादी कर लेनी चाहिए, ताकि समाज मे वो सिर उठा कर जी सके".....

"हम दोनो जब तक ये फ़ैसला कर के काव्या को बताते, तब तक काव्या मारे ज़िल्लत के एक भयंकर कदम उठा चुकी थी. यदि काव्या को कुछ भी हो जाता तो मैं अपने आप को कभी माफ़ नही कर सकता था"

चीफ जस्टीस..... काव्या क्या हर्षवर्धन सही कह रहा है... और अमृता क्या तुम अपने पति की दूसरी शादी के लिए तैयार हो ?

काव्या..... हां ये सही कह रहे हैं. हम दोनो ही बहक गये थे. पर एक बात इन्होने ग़लत कही... मैं अपने संबंध की वजह से हतास हो कर सुसाइड नही कर रही थी.... जैसे मीरा दीवानी थी श्याम की ठीक मैं भी दीवानी हूँ इनकी.... बस मुझे ये दर्द दे रहा था कि मैं किसी लड़की के शादी-शुदा ज़िंदगी के बीच आ गयी.....

अमृता..... तू तो मेरी बहन की तरह है.... और मुझे इस से ज़्यादा खुशी क्या होगी कि तू भी हर्ष से बहुत प्यार करती है.... हां जज साब मैं तैयार हूँ अपने पति की दूसरी शादी के लिए... और मैं तो नाचूंगी भी इन दोनो की शादी मे...

काव्या के बिच्छाए जाल मे सब फस चुके थे. शम्शेर के लिए काव्या कोई देवी हो गयी थी, तो बाकी घर वालों के लिए एक ऐसी लड़की, जिसने सब के सामने अपनी मर्यादा लाँघने को काबूला, और मूलचंदानी की इज़्ज़त बचाई.... हां लेकिन शम्शेर और काव्या के अलावा किसी को भी पता नही था कि उस रात हुआ क्या इन दोनो के बीच....

मोहरे बिच्छ जाने के बाद तो बस अब चाल और मात देने की ही बारी थी. ठीक शादी वाले दिन ही, एक हादसे मे हर्ष और अमृता का नवजात मर गया... जब कि किसी को ये पता नही था कि ये काम भी काव्या का ही किया हुआ है. उसे इस घर मे पहला बच्चा खुद का चाहिए था.....

सुहागरात की सेज़ पर, काव्या ने हर्षवर्धन को खुद से ये कह कर दूर कर दिया कि "अमृता दी महान हैं, और मेरी वजह से उन्हे ये दुख झेलना पड़ेगा की मैने उसके प्यार का बटवारा कर दिया, इसलिए आप एक महीने तक अमृता दी के पास रहेंगे... जिसस से मुझे ये एहस्सास होता रहे, कि मेरे पति पर मेरा आंशिक हक़ है".

कितने भोलेपन से काव्या खुद को अच्छी साबित कर रही थी, पर किसी को पता नही था कि वो इन 1 मंत मे केवल ये कन्फर्म करना चाहती थी कि संशेर का बच्चा उसके पेट मे ठहरा या नही. काव्या ने जो चाहा वही हुआ. शम्शेर का बच्चा उसकी पेट मे पल रहा था.

काव्या एक ज़हर की तरह प्यार से सब पर चढ़ि. पहले तो सब को जीत लिया प्यार से, और हर किसी के बारे मे जानकारी निकाली. और बाद मे जब उसने अपना रंग दिखाना शुरू किया तो सब के होश ही उड़ गये. घर से ले कर ऑफीस तक, हर जगह बस एक ही नाम का सिक्का चलता था, काव्या.

शम्शेर हमेशा अपने तीनो पार्ट्नर्स को मिला कर चला करता था. कंपनी के शेर्स को ले कर कभी भी किसी के मन मे कोई शंका नही थी. पर ये काव्या ही थी जिसने सारे पार्ट्नर्स के बच्चो मे फुट डाल कर एकाधिकार का ज़हर घोल दिया.
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11-17-2020, 12:34 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अपनी हर प्लॅनिंग मे ससक्त, और ज़ुबान की कड़वी. शम्शेर को ना चाहते हुए भी काव्या के हर फ़ैसले मे उसका साथ देना पड़ता था, क्योंकि काव्या, शम्शेर को बता चुकी थी, उसका पहला बच्चा मानस, शम्शेर की ही नाजायज़ औलाद है.

साल दर साल काव्या के आतंक का साया बढ़ता ही चला गया. वो इस कदर सब पर हावी थी कि कोई भी उसका सामना नही करना चाहता था. अंत मे हार कर शम्शेर ने ही फ़ैसला किया कि अब पानी सिर से उपर हो गया है और अब चाहे जो हो जाए वो काव्या को हटा कर ही रहेगा.....

काव्या को हटाने के लिए उत्तराखंड मे फॅक्टरी सेट-अप के बहाने भेजा गया. लेकिन इस से पहले कि शम्शेर, काव्या और मानस को मार कर अपने रास्ते का कटान सॉफ कर देता. काव्या, दीवान के साथ मिल कर मानस पर रेप का इल्ज़ाम लगा दी.

रेप का केस होने से पोलीस पहले ही मानस को पकड़ कर ले गयी, और इधर काव्या ने मजबूरी मे आ कर सुसाइड की साज़िश रच डाली.

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11-17-2020, 12:34 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मनु और मानस बड़े ही ध्यान से काव्या की कहानी सुन रहे थे. दोनो को आज ये एहस्सास हो रहा था कि आख़िर किस वजह से अमृता और हर्ष उन दोनो से इतनी नफ़रत करते थे. दोनो पूरी कहानी समझ चुके थे कि क्यों आख़िर सभी लोग काव्या का नाम सुनते ही सिवाय नफ़रत के और कुछ नही उगलते.

फिर भी काव्या की इस कहानी मे कुछ तो अब भी था जो सन्देह्पुर्न था... मनु सारी बात सुन'ने के बाद काव्या से पूछने लगा.......

"आप ने जो सुनाया उसमे कुछ बातें समझ से परे हैं. जैसे कि आप ने ही जन्म दिया हमे, तो फिर हम आप के बच्चे कैसे नही ? और आप के पिछे का एक और मास्टर प्लॅनर कौन है. क्योंकि जिस तरह से आप ने दादू को फसाया, उस के लिए कम से कम 2 लोग चाहिए"

काव्या..... "मुझे टोटल कंट्रोल चाहिए था, और शम्शेर एक मंझा हुआ शातिर खिलाड़ी ठहरा. कहीं मेरे बच्चो को कुछ कर ना दे शम्शेर, इसलिए पैदा होते ही मैने बच्चो को उस दूसरे पार्ट्नर के हवाले कर दिया था, जिसका नाम मैने नही लिया और जिसका ज़िक्र तुम अभी कर रहे थे.

बच्चो के नाम पर मूलचंदानी हाउस मे मैं 2 अनाथ ले कर गयी थी, ताकि वक़्त आने पर मैं उन दोनो की बलि चढ़ाकर भी अपना काम पूरा कर सकूँ. और रही बात मेरे पार्ट्नर की, तो वो ना ही जानो तो अच्छा है. अब तुम दोनो जा सकते हो. और हां फिर कभी दोबारा अपनी शकल मत दिखाना.

मनु जाते-जाते...... "प्लान अच्छा बनाया और कामयाब भी हो गये. पर इतना लंबा इंतज़ार किया अपनी जवानी और अपने बच्चों का बचपन बिगाड़ दिया. गॉड ब्लेस्स यू... हमे खुशी हैं, कि हम अनाथ हैं. शायद इसलिए कभी भी इस धन-दौलत की इक्षा नही रही हमे. हां ! पर अफ़सोस एक बात का ज़रूर रहेगा.... पर जाने दो उस अफ़सोस को जान कर आप क्या करोगी.... चलो भाई....
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11-17-2020, 12:34 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम के वक़्त.... नताली के घर.....

नताली के घर मे सभी पार्ट्नर्स इकट्ठा हुए थे. साथ मे मनु और मानस को भी बुलाया गया....... सब लोग आज मीटिंग कर रहे थे कि कैसे अपनी संपत्ति को उस काव्या से वापस लिया जाए.....

मनु और मानस जैसे ही नताली के घर पहुँचे, सभी पार्ट्नर्स उसका कॉलर पकड़ कर..... "आज हमारे साथ जो हो रहा है उसका ज़िम्मेदार यही है. यही है मास्टरमाइंड.... इन्हे ही ख़तम कर दो. कमीना जिस माँ के लिए लड़ रहा था, वो तो इसकी माँ भी नही है"....

अखिल वहाँ सब को धक्के दे कर हटाने लगा और हाथापाई करने से रोकने लगा.... लेकिन फिर भी सब के सब मनु को छोड़ने का नाम नही ले रहे थे.... तभी मनु इतना तेज चिल्लाया कि सब लोगों का कयंन्न कायँन्न् बिल्कुल शांत हो गया.....

मनु..... "मुझे कोई फ़र्क नही पड़ता कि मेरे पास पैसे है या नही है. जो चला गया उसका लालच नही करता मैं. अपनी मेहनत और दिमाग़ के दम पर फिर खड़ा हो जाउन्गा... लेकिन तुम सब का क्या, जो दादू के दिमाग़ का अब तक खाते आ रहे हो. जिस पोज़ीशन मे अभी तुम लोग हो, उस पोज़ीशन से तुम्हे अपनी पोज़िशन तक पहुँचने के लिए 3 जन्म भी कम पड़ जाएँगे"...

"क्या कह रहे थे, तुम्हारी प्रॉपर्टी जाने के पिछे का मास्टरमाइंड मैं हूँ. चुप करो तुम सब और ज़रा अपने अंदर झाँको. किस के मन मे धोखा नही था, और किसे पूरा एस.एस ग्रूप का मालिक नही बन'ना था. कोई बीच मे सुधरा, कोई अंत मे सुधरा तो कोई सुधरा ही नही.ये तुम सब के लालच का नतीजा है जो तुम सब ऐसे दिन देख रहे हो. मुझे दोष देने से कुछ नही होगा"....

शम्शेर..... शांत हो जाओ सब.... मनु बेटा तू काव्या से मिलने गया था, क्या बात हुई तेरी....

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11-17-2020, 12:34 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
मनु.... दादू, मुझे पूरी कहानी पता चल गया. कैसे उस ने आप को फसाया, और सारी साजिशे रची. साज़िश एक सेक्स गेम की, और उसके बाद सब की ज़िंदगी उलझ सी गयी.

मनु की बात सुन कर सभी लोग उसे हैरानी से देखने लगे, और शम्शेर ने अपना सिर नीचे झुका लिया. तब अतीत के उस गहरे राज को मनु ने खोला, जिस के बारे मे अब तक किसी को पता भी था. सब लोगों के लिए ये बड़ा हे हैरानी का विषय था.

इस शॉकिंग भरे राज के खुलासे से सब का ध्यान हटाते हुए, शम्शेर ने एक बार फिर मनु से पूछा....... "मनु ये सारा प्लान तुम ने ही बनाया था, क्या किसी लूप से हम अपनी प्रॉपर्टी वापस ले सकते हैं"....

मनु.... दादू मैं तो केवल पिच्छले 6 मंत से प्लान कर रहा हूँ, और उसकी प्लॅनिंग तो 25 साल से भी पुरानी है. आप को क्या लगता है कोई लूप होगा भी तो वो क्या सारी प्रॉपर्टी जाने देगी.... हां पर आप सब कोर्ट मे एक केस फाइल कर सकते हैं, जिसमे पजेशन ये होगा कि, यदि एमडी मनु फ्रॉड था तो उसका सारा लिया डिसीजन भी फ्रॉड माना जाएगा......

मनु की ये बात तो जैसे अंधेरे मे किरण फैलने जैसा था..... मनु अपनी बात कह कर मानस के साथ वहाँ से चला गया. इधर सभी लोगों ने एक अच्छा सा आड्वोकेट हायर करते हुए कोर्ट मे केस फाइल किया. लेकिन सुनवाई के वक़्त जब आया तो सब के सब हैरान रह गये.

काव्या के वॅकिल ने दलील पेश किया कि, "यदि सारे डिसीजन उस फ्रॉड मनु के होते तो बेसक सारे फ़ैसले को निरस्त किया जाए. पर सारे अतॉरिटी सिग्नेचर ओरजिनल मनु ने किया था.... जिस पर कंपनी के चेर्मन मिस्टर. शमशेर के फाइनल सिग्नेचर हैं. इसलिए ये पूरी कंपनी क़ानूनन काव्या मूलचंदानी की है"

काव्या तो पहली ही सुनवाई मे केस जीत गयी.... केस हारने के बाद सब लोग एक बार फिर नताली के घर मे इकट्ठा हुए. शम्शेर सब के सामने हाथ जोड़ कर कहने लगा.....

"मैने बिज़्नेस मे हमेशा दिमाग़ लगाया. कॉंपिटिटर की हर चाल का बखूबी जबाव दिया, लेकिन एक फ्रॉड के दिमाग़ को पढ़ नही पाया, जिस की वजह से आज आप सब को ये दिन देखना पड़ रहा है. पैसा और पॉवेर अब उनके हाथ मे है... इसलिए मेरी एक राई है कि पुरानी बातों को एक ख़तम कहानी मान कर भूल जएए और आप सब एक नयी शुरुआत कीजिए".
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11-17-2020, 12:35 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
3 दिन बाद .... मूलचंदानी हाउस.....

"भंवरे ने खिलाया फूल, फूल तो ले गया राज कुंवर
भंवरे तू कहना ना भूल, फूल तेरा हो गया इधर उधर"

"व्हाट रब्बिश यू आर सिंगिंग, गार्ड, वॉचमन... सब कहाँ मर गये. धक्के मार कर बाहर निकालो कोई इस कमीने को. हरामजादे तुझ से कही थी ना, दोबारा यहाँ नही दिखना"..... मनु को हॉल मे ज़ोर-ज़ोर से गाते सुन काव्या बाहर आई, और गुस्से मे तमतमाते हुए कहने लगी......

मनु.... सॉरी काव्या जी, यहाँ कोई नही आने वाला. वो क्या है ना सब को मार कर लिटा दिया हूँ बाहर ही...

"क्या, सब को मार कर ज़बरदस्ती घुस आए"..... काव्या गुस्से मे तमतमाती अपने कमरे मे गयी, और गन निकल कर बाहर आई..... "तुझे क्या लगता है, तू यहाँ आएगा, गाना गा कर डराएगा तो मैं डर जाउन्गी. काव्या नाम है मेरा, यहाँ तक पहुँचने के लिए मैने बहुत से पापड बेले हैं. कुत्ते के पिल्ले अब भाग यहाँ से वरना लाश नही मिलेगी तेरी"

मनु.... क्या कह रही हो काव्या, तुम्हे नोटीस नही मिला क्या... ये सारी प्रॉपर्टी वापस मेरे पास चली आई है.

काव्या.... व्हाट, कुत्ते के बच्चे, अपनी गंदी नज़र भी ना डालना मेरी प्रॉपर्टी पर...

मनु..... तेरी बीप की बीप.... वैसे गाली देने का ये स्टाइल कितना प्यारा है ना, थॅंक्स बच्चन सर. अब कान खोल कर सुन ले, जिस जगह पर तू खड़ी है वो अब मेरी जगह है. हां !! लेकिन मैं तुम्हे यहाँ से निकलने को नही कहूँगा. जानती है क्यों, क्योंकि इस घर मे बहुत सी काम वाली बाई की ज़रूरत है.

इतने मे काव्या का बड़ा बेटा उपर से चिल्लाने लगा.... "मोम खड़ी बकवास क्या सुन रही हो, गोली मारो साले को, बाकी हम देख लेंगे".......

"धीचक्योंन्नननननननननननननणणन्" गोली की एक राउंड फाइयर, लेकिन अखिल तब तक काव्या का हाथ उपर हवा मे कर चुका था....

अखिल.... मनु ये सीन फिल्मी हो गया ना, ऐन मौके पर मैने अपने दोस्त की जान बचाई......

मनु.... लव यू..... तू तो मेरा भाई है....

काव्या..... एस.पी, ये तुम्हारा दोस्त है इसका ये मतलब नही कि ये कुछ भी करे और तुम इसका सपोर्ट करो... अरेस्ट दिस बास्टर्ड राइट नाउ.

अखिल.... वाह-वा, वाह-वा, वाह-वा.... मेडम आप की तीखी ज़ुबान कितनी प्यारी है. बड़े शौक से इसे अरेस्ट करूँगा मेडम आप तो जल्दी से एफआइआर लिखवाओ. ना जाने कब से मैं इसे अरेस्ट करने को बेताब हूँ.....

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11-17-2020, 12:35 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
काव्या.... हां तो लिखो फिर....

अखिल.... वर्मा जी, एफआइ आर की एक रेजिस्टर दो... हां आप बोलिए मेडम....

काव्या.... ये कमीना फ़ारूद नकली मनु, मेरे घर मे ज़बरदस्ती घुस आया, और मुझ पर जानलेवा हमला किया.... साले पर हाफ मर्डर लगा कर सड़ा दो जैल मे.....

अखिल...... रुकिये, रुकिये... एक मिनट, यहाँ एक छोटा सा क्लरिफिकेशन है....

काव्या.... क्या, बोलो...

अखिल...... आप जो कंप्लेंट लिखा रही हैं, वो तो मनु ने पहले ही आप के खिलाफ लिखवा दिया. हमला के गवाह हम हैं, और आप इसकी प्रॉपर्टी पर खड़ी हैं....

काव्या..... स्टॉप ट्राइ टू मनिपुलेट, कोई भी फ्रॉड इतनी आसानी से मेरी प्रॉपर्टी पर कब्जा नही जमा सकता. और ये बताओ एस.पी कि जब इस फ्रॉड ने कुछ बोला ही नही तो फिर क्या भगवान लिख कर गये, स्टॉप फेव्रिंग हिम.

अखिल..... आप के दूसरे सवाल का जबाव ये है मेडम, कि जब आप ने मनु पर गन तान दी, मैने तभी एफआइआर लिख दिया, अब दोस्त है तो इतना फेवर तो करना ही पड़ेगा. और रहा सवाल कि ये प्रॉपर्टी किस की है तो.... वर्मा जी पेपर दो मेडम जी को....

वर्मा ने उसे पेपर दे दिया. काव्या उस पेपर को देख कर..... "व्हाट, ये मेरा अरेस्ट वार्रेंट क्यों लाए हो".

अखिल.... वर्मा जी, क्या काव्या मेडम का आरेस्ट वार्रेंट भी था हमारे पास....

वर्मा .... हां सर.....

अखिल..... तो पहले बताना था ना. कब से इसे खुला छोड़ रखा है, आरेस्ट करो....

काव्या.... अरेस्ट और मुझे. तुम सब जानते भी हो कि मेरी पहुँच कहाँ तक है. 2 मिनट और तुम सब की वर्दी उतर जाएगी.

अखिल..... अब आप की पहुँच जहाँ तक भी हो, रुकवा सकती हैं तो अपना अरेस्ट रुकवा लीजिए. फिलहाल तो इस वार्रेंट के हिसाब से आप को और आप के बेटों को थाने चलना ही होगा.

मनु..... रुक जा अखिल अभी नही, अभी मेडम का चेहरा नही देख रहा, कितना कन्फ्यूज़ हैं. ज़रा इनके कन्फ्यूषन को भी दूर कर दिया जाए. पार्थ भाई, अब क्या आप बुलाने पर एंट्री मारोगे. आ भी जाओ...

पार्थ अपने साथ परिवहन मंत्री और अग्रॉ शिप्पिंग के ओनर को ले कर हॉल मे पहुँचा. काव्या और उसके बेटे उन सब को देख कर हैरान रह गये. उनके पाँव तले से जैसे ज़मीन ही खिसक गयी हो.... फिर भी काव्या खुद हिम्मत से काम लेती हुई कहने लगी..... "इन सब को मेरे सामने ला कर भी कुछ साबित नही कर पाओगे. ये घर, ऑफीस सारी प्रॉपर्टी मेरी है और मेरी ही रहेगी"

मनु.... अखिल सब को हड़कड़ी पहना कर बिठाओ. इन मेडम ने 3 दिन पहले मेरे कुछ डाउट क्लियर किए थे, आज मैं इनके डाउट क्लियर कर देता हूँ. इन्हे लगता था ये अपने पार्ट्नर्स का नाम नही लेगी तो हमे पता नही चलेगा. अब ज़रा कहानी एक्सप्लेन करने दो, कहीं ससपेन्स मे मर गयी तो इसकी भटकती आत्मा भूत बन कर हमे ही परेशान करेगी.

अखिल, मनु की बात मानते हुए काव्या और उसके बेटों के हाथ मे हथकड़ी पहना कर हॉल मे बिठा दिया. मनु मुस्कुराते हुए अपनी बात रखना शुरू किया.......

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11-17-2020, 12:35 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
"काव्या जी, कभी-कभी एक पर्फेक्ट प्लान पर संयोग काफ़ी भारी पड़ता है. हमारे लिए वो संयोग था पार्थ का मिलना. ओह हां आप को तो पार्थ से इंट्रोड्यूस करवाना ही भूल गया, ये वो सीबीआइ ऑफीसर हैं जो संयोग से, अग्रॉ शिप्पिंग के आड़ मे चल रहे अवैध हथियार तस्करी का केस देख रहे थे"

"संयोग ऐसा कि अग्रॉ शिप्पिंग की छानबीन करते हुए, पार्थ और नताली मिल गये और फिर तो कमाल होता चला गया. पहले तुम लोगों का सरपरस्त वो परिवहन मंत्री गया, फिर सिकंजा कसना शुरू हुआ अग्रॉ कंपनी के ओनर के उपर".

"क्या संयोग था ये भी, अग्रॉ शिप्पिंग के ओनर, यानी कि तुम्हारा वो छिपा हुआ पार्ट्नर जब अरेस्ट हुआ तो सारे राज बाहर आ गये. क्या बात है काव्या हॅट्स ऑफ, मान'ना पड़ेगा जीत के लिए तुम किस हद तक गिरी. तुम्हे क्या लगा तुम अचानक से हमारे सामने आई तब हमे पता चला कि तुम जिंदा हो".

"हा हा हा, वो क्या है ना मेडम जी, जीतने वाला जीत की खुशी मे अपने होश खो देता है और वही ग़लती हो गयी तुम से. तुम जिंदा हुई नही करवाई गयी हो. लगता है मेडम अब भी कन्फ्यूज़ हैं, समझ नही पा रही कि आख़िर उस के साथ ये सब हो क्या रहा है".

पार्थ....... मैं अच्छे से समझा देता हूँ.....

"अग्रॉ शिप्पिंग के ओनर के पकड़े जाने के बाद मेरे लिए ये केस क्लोज़ था. अग्रॉ शिप्पिंग के ओनर को अरेस्ट करते ही, हमे लगा हम ने केस सॉल्व कर लिया. लेकिन उस बार-बोले ने अपनी होशियारी मे सिर्फ़ इतना ही कहा कि..... "तुम क्या समझते हो, केवल अग्रॉ शिप्पिंग ही स्मगल करेगी. अब तो ये सारा काम एस.एस शिप्पिंग कॉर्पोरेशन से होगा". फिर वही जो बाकी के टॉप क्रिमिनल्स का जबाव होता है....

"ज़्यादा देर इन जैल की सलाखों के पिछे नही रख पाओगे.... ब्ला-ब्ला-ब्ला"

"केस तो क्लोज़ ही था, पर उसकी बातों से मुझे लगा कि थोड़ी छानबीन और करनी चाहिए, इसलिए केस क्लोज़ नही किया. उस की बात मे दम था, संभावनाएँ थी कि शिप्पिंग की आड़ मे स्मग्ल्लिंग हो, पर एस.एस ग्रूप से. बात थोड़ी अजीब थी. जिस विस्वास से उसने एस.एस शिप्पिंग का नाम लिया मेरे शक की सुई घूम गयी. और फिर इसी संयोग से हमारे आगे का काम शुरू हुआ".

हमने हर बारीकियों पर नज़र रखी, हमने हर पहलुओं पर गौर किया, लेकिन एस.एस शिप्पिंग कंपनी मे कोई ऐसा नही था जो इस एल्लिगल काम को अंजाम दे. खैर हमे लगा वो आदमी गुमराह करने के लिए सिर्फ़ हमे बहला रहा है. मैने केस क्लोज़ कर दिया.

पर काव्या तुम्हारी किस्मत. मैं फ्री बैठा था और तभी मानस पर दीवान के खून का इल्ज़ाम लग गया. मुझे लगा चलो फ्री हूँ तो थोड़ा ये केस भी देख लूँ. जब भी नताली मुझे मनु और मानस के अतीत के बारे मे बताती, मुझे बहुत क्यूरीयासिटी होती..... "आख़िर उस रात इन सब के साथ, हुआ क्या था".

एक जिग्यासा के साथ मैं दीवान मर्डर केस मे इन्वॉल्व हुआ, आंड गेस व्हाट वहाँ मुझे क्या मिल गया. दीवान के कॉल डीटेल मे शिप्पिंग यूनिट के सीईओ नेगी और मनु के नौकर श्रमण का नंबर. हैरानी वाली बात ये थी कि आख़िर ये दोनो उस आदमी के कॉंटॅक्ट मे कैसे रह सकते हैं, जिसका कॉंटॅक्ट ढूँढने के लिए मानस दिन रात एक किए है.....

बस फिर क्या था मेडम, शक का कीड़ा तो हमारे दिमाग़ मे ट्रनिंग के पहले दिन से ही डाल दिया जाता है. दीवान उस वक़्त मरा, जिस वक़्त वो मानस को उस रात की कहानी बताने वाला था... बीती हुई एक ऐसी रात की कहानी जिस मे काव्या मरी थी, और मानस पर रेप का इल्ज़ाम लगा था.
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