Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:07 PM,
#41
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )


इधर,मनु का दिल भारी सा हो गया था, दिल बोझिल और आखों मे बूँद-बूँद नम आँसू थे..... वो शराब के घूँट पर घूँट पिए जा रहा था.... श्रमण से मनु की हालत देखी नही गयी, और उसने स्नेहा को कॉल लगा दिया....

स्नेहा.... बोलिए छोटे सर, क्या खबर हैं...

श्रमण.... पता नही मनु भाई को क्या हुआ है.... जब से आए हैं बस रोए जा रहे हैं, और शराब पिए जा रहे हैं....

स्नेहा.... क्या हुआ मनु को, अच्छा तुम उसे शराब पीने से रोको, मैं अभी आई.

स्नेहा, जल्दी से तैयार हो कर निकली. इधर तब तक श्रमण, मनु के पास बैठ कर उसे और पीने से रोकने लगा...... जैसे ही श्रमण ने पॅक डालने से रोका, मनु उसे घूरते हुए....

मनु.... श्रमण, तू बता ... तू बता मेरे भाई.... ये शराब पीने से दिल जलता है या लोगों की बातों से.....

श्रमण..... मनु भाई आप ने बहुत पी ली है, अब बस भी करो...

मनु.... पगले, अभी तो ठीक से पीना शुरू भी नही किया, और अभी से तू रोकने लग गया.... तू पहले मेरे सवालों का जबाव दे.... (मनु इतना कह कर फिर एक पॅक गटक गया)

श्रमण...... भाई, लोगों की बातें सुन कर जो दिल जलता है, उसे शराब क्या जलाएगी. लेकिन भाई, अब बस भी करो ना प्लीज़... अब क्या आप यूँ ही शराब पी कर मेरा दिल जलाओगे....

मनु.... पगले एमोशनल ब्लॅकमेल करता है.... अभी दिल दुखा है रे, अंदर बहुत दर्द हो रहा है तू नही समझेगा.... छोड़ ये, और तू ये बता... जिया तुझे कैसी लगी....

श्रमण.... अच्छी हैं, और बहुत पैसे वाली भी...

मनु.... ढत्त्त्त... साला तू जवान भी हुआ है, या जवानी के नाम पर कलंक हो गया... अब ठीक-ठीक बता.... जिया तुझे कैसी लगती है.... और इस बार झूठ बोला ना तो तू देख लेना... ये शराब की बॉटल तेरे सिर पर फोड़ दूँगा.....

श्रमण.... भाई वो तो बिल्कुल मस्त माल है. क्या बताऊ जब से मेरा नंबर ले कर गयी है, मैं बस फोन हाथों मे लिए उनके कॉल का इंतज़ार करता हूँ. कब तकदीर की घंटी बजे...

मनु.... वूऊ, ऊऊओ, ऊऊऊ चियर्स मेरे भाई.... पर क्या तेरे मे इतना दम है कि तू दो लड़कियों की एक साथ ले सके, या तीन, या चार या फिर कितनी ठीक से पता नही...

श्रमण..... क्या बात कर रहे हो मनु भाई, आप डरा तो नही रहे....

मनु.... रुक्क... रुक्क देख तो किसका कॉल आ रहा है...

श्रमण.... कोई अननोन कॉल है भाई...

मनु.... काट दे फोन... हां तो तू क्या कह रहा था, मैं डरा रहा हूँ.... पगले इन की तूने फिर सेक्स पार्टी नही देखी ना, इसलिए कह रहा है...

श्रमण.... हूओ, सेक्स पार्टी, वो वीडियो मे जैसा होता है वैसा वाला क्या...

मनु..... हां बेटा, वैसे ही वाला..... अर्रे यार ये फिर कौन फोन करने लगा...

श्रमण.... मनु भाई वही कॉलर है...

मनु.... काट दे फोन...

श्रमण.... भाई, प्राइवेट लाइन पर कॉल आ रहा है...

मनु... कोई भी हो कट कर फोन...

श्रमण ने फिर भी कॉल उठा लिया... उधर से मानस था लाइन पर...

श्रमण.... हेलो कौन...

मानस.... मानस बोल रहा हूँ, फोन मनु को दे...

श्रमण धीमे से.... भाई, मानस भैया हैं .....
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11-17-2020, 12:07 PM,
#42
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )


मानस का नाम सुनते ही, मनु हड़बड़ा कर उठा, इसी बीच स्नेहा भी कमरे मे आ गयी... स्नेहा को देख कर मनु अभी ठीक से झटका भी नही खाया था, कि पिछे से गेट कीपर भी दौड़ता हुआ आया और कहने लगा..... "सर, बाहर पोलीस आई है वॉरेंट ले कर"

मनु ने "श्िीीईईईई" का इशारा किया, सब शांत हो गये. मनु ने फोन लिया, और श्रमण को इशारा किया... श्रमण समझ गया, जब तक मानस से बात चल रही है, तब तक उन पोलीस वालों को आराम से बिठाना है.

मनु.... कैसे हो भाई, आप की बहुत याद आ रही है.

मानस.... मुझे भी मनु. जल्द ही हम साथ होंगे, समझ लो बिल्कुल करीब आ गया हूँ. सोकत आवाँ मिल गया है, अब बस दीवान और पूर्वी मिलने बाकी है.

मनु.... अपना ख्याल रखना भाई....

मानस.... अजीब ही उलझन है मनु, पता नही इतने साल बर्बाद किए हैं, मिलने के बाद भी कुछ हासिल होता है कि नही.

मनु.... ऐसे मायूस क्यों होते हो. कुछ ना भी हाँसिल हो तो भी आप ने कोसिस तो की ना. ये तो नही रहेगा.... "काश हम ने वो कदम उठाया होता"

मानस.... हां सही कहे मनु. जानता है आज अजीब बात हो गयी. जब मैं नवाब के घर पहुँचा तो उसने दरवाजे से ही मुझे भगा दिया...

मनु.... कमीना कहीं का, उससे कुछ कहा कि नही...

मानस.... मैं क्या कहता मनु, कौन सा वो मेरा क़र्ज़ खाए है जो मैं उसे कुछ सुना देता. उसकी मर्ज़ी थी, नही आया मिलने. मिलना तो छोड़, उसने तो दीवान को जान'ने से भी इनकार कर दिया.

मनु.... तो अब आप क्या करोगे...

मानस.... देखते हैं मनु. वैसे जब मैं लौट रहा था उसके घर से खाली हाथ, तब एक प्यारी सी घटना हो गयी...

मनु.... प्यारी सी घटना या, दुर्घटना...

मानस.... नही रे पगले, तू तो सब जानता है फिर भी मुझे छेड़ रहा. खैर, मैं जब नवाब के यहाँ से खाली हाथ मायूस लौट रहा था तभी एक लड़की ने पिछे से आवाज़ लगाई. मैं इस से पहले की कुछ समझता, वो मुझ पर लगी चिल्लाने...

मनु..... आप पर चिल्लाने. क्यों भाई उसे छेड़ तो नही दिया था...

मानस..... चुप कर. वो चिल्ला कर कह रही थी, "आएन्दा यदि पूर्वी या दीवान अंकल की तलाश किए तो पोलीस कंप्लेन कर दूँगी, समझ क्या रखा है. लड़की के पिछे-पिछे उसके घर तक जाते हो, तुम्हारी वजह से कितनी परेशानी होती है हमे, ज़रा भी अंदाज़ा है इस बात का.... बाल-ब्ला-ब्ला".

मनु.... हा हा हा, इसका मतलब उपर वाले ने खाली हाथ नही लौटाया, आप को एक ज़रिया दे ही दिया. थॅंक गॉड. बस भाई आप अपनी तलाश पूरी कर के जल्दी लौट आओ, अब यहाँ ज़रा भी मंन नही लगता. हम ये सब उनको दे कर इन सब से कहीं दूर चले जाएँगे...

मानस.... ह्म ! सही कहा मनु, तू अपना ख्याल रखना, और किसी बात की टेन्षन नही लेना. मैं जल्द से जल्द काम पूरा कर के वापस लौट'ता हूँ. फिर दोनो भाई साथ रहेंगे.

मनु.... ठीक है भाई, मैं अब फोन रखता हूँ... आप भी अपना ख्याल रखना...

मनु ने कॉल डिसकनेक्ट किया, ठीक सामने उसके स्नेहा बैठी थी जो गुस्से मे उसे घूर रही थी.

मनु.... तुम कब आई स्नेहा, और यूँ गुस्से मे...

स्नेहा.... आप तो बॉस हो ना, जो मर्ज़ी वो करोगे... शराब पियोगे, नशे मे रहोगे, हम तो छोटे एम्पलोई हैं, हमे तो बोलने का भी हक़ नही....

"कोई बात नही मिस, हम किस लिए हैं, यहाँ सल्यूशन के लिए ही ना. अभी आप के बॉस को ससुराल लिए चलते हैं"..... एक पोलीसवाला उस कमरे मे घुस कर कहने लगा.
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11-17-2020, 12:07 PM,
#43
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )


स्नेहा, पोलीस को देख कर थोड़ी डर गयी, पर मनु उससे आँख दिखाता कहने लगा.... "चल ले चल, कहाँ ले चल रहा है.... मैं भी तो तेरी औकात देखूं थुल्ले"

पोलीस वाला.... आए लड़की ये साइको है क्या, एसपी और थुल्ले मे इसे कोई फ़र्क नही पता...

स्नेहा.... सर मैं इनके तरफ से माफी मांगती हूँ. शराब ज़्यादा पीने से इनका मानसिक संतुलन लगता है बिगड़ गया है, अनाप-शनाप बक रहे हैं. सर, मैं इन्हे अच्छे से जानती हूँ, इन्होने कुछ नही किया, आप को किसी ने कोई रॉंग इन्फर्मेशन दी है.

पोलीस वाला.... तू बड़ी वकालत कर रही है इसकी, इसके बदले क्या तू जाएगी जैल बोल.

मनु.... जा बे, इसे यहाँ से ले जा कर तो बता, एक रेपटा दूँगा कि सारे होश ठिकाने आ जाएँगे. थाने मे क्या सारे इनस्पेक्टर और थुल्ले मार गये, जो एसपी हो कर खुद आया है मुझे आरेस्ट करने...

स्नेहा.... सर, एक्सट्रीमली सॉरी.... मनु पागल हो गये हो क्या, कोई ऐसे पोलीस वाले से बात करता है...

पोलीस वाला.... इसकी तो, मुझे चॅलेंज करता है.... (इतना कह कर एसपी ने स्नेहा के हाथ मे हथकड़ी लगा दिया) ... अब तो यही लड़की जैल जाएगी. सेक्स रॅकेट का ऐसा केस लगाउन्गा कि थाने और कोर्ट के बीच सारी जिंदगी पिस जाएगी.

स्नेहा.... सर मुझे क्यों आरेस्ट कर रहे हो.... मनु... देखो ये मुझे ले जा रहे हैं.....

मनु.... हां तो जाओ, थोड़ा जैल भी घूम कर आओ. ठीक है एसपी साहब ईगो की लड़ाई मे आप जीते. ले जाओ इसे, पर जाओ जल्दी यहाँ से मुझे बैठ कर शराब पीना है.

स्नेहा, मनु की बात सुन कर उस पर गुस्से से बरस पड़ी. दो लाइन मनु को सुनाती, और एक बार एसपी से मिन्नते करती कि वो उसे छोड़ दे. स्नेहा नोन-स्टॉप 5मिनट तक लगातार दोनो से कहती ही रह गयी... दोनो के तो कान बजने लगे....

मनु..... स्टॉप्प्प्प... ओये नौटंकी छोड़ उसे, वरना तेरे ड्रामे के चक्कर मे ये हम दोनो को बहरा कर देगी.

पोलीस वाला ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा. उसके साथ मनु भी हँसने लगा. स्नेहा को सारा खेल समझ मे आ गया. वो चिढ़ गयी, और चिल्ला-चिल्ला कर पूरा घर आसमान पर उठा ली. मनु उसे शांत करते हुए कहने लगा....

"इस कामीने से मिलो स्नेहा, ये है अपना दोस्त अखिल. लगता है ताज़ा-ताज़ा एसपी बना है. और अखिल ये हैं मेरी दोस्त, मेरी बॉस, और मेरे बिज़्नेस को देखने वाली, दा स्ट्रॉंग लेडी स्नेहा".

अखिल.... स्नेहा, ज़रा सा स्नेह हम पर भी कर दो. तुम्हारी जैसी खूबसूरत लड़की का स्नेह मिल जाए तो ज़िंदगी बन जाए.

मनु..... कर दिया फ्लर्टिंग शुरू... और बता कब आया, और ऐसे सब को डरा कर आने की क्या ज़रूरत थी....

अखिल..... थोड़ी सी शरारत समझ ले. वैसे भी ऐसे रेस्पॉन्सिबल पोस्ट पर आया हूँ कि यार इस वर्दी के साथ हमारा हसना भी एक इश्यू बन जाता है.... खैर मिलने आया था मिल लिया अब मैं चलता हूँ.

मनु.... बैठ ना तू भी कहाँ जा रहा है, दो चार पॅक मार कर जाना.

दो चार पॅक के नाम सुनते ही, स्नेहा की आँखें बड़ी हो गयी...... "लो जी आप की बॉस आखें दिखाने लगी, सूभ रात्रि... मैं तो चला, आते जाते रहूँगा"

अखिल के जाते ही स्नेहा, मनु को आखें दिखाती पुच्छने लगी..... "मनु, ये सब क्या हो रहा था"

मनु.... कुछ नही स्नेहा, कुछ बातें नासूर हो कर चुभती है. उसी का दर्द मिटा रहा था.

स्नेहा.... तो उन्हे सुना कर आओ ना मनु जिन्होने तुम से कहा, यूँ खुद को सज़ा क्यों देते हो.

मनु.... क्या करूँ फिर दर्द-ए-गुम भुलाने के लिए....

स्नेहा...... दर्द भुलाने के लिए मस्ती करो मनु.... हसीन शाम है, और तुम हो की सुस्त पड़े हो...

मनु.... अच्छा जी, तो मेडम मूड से आई हैं....

स्नेहा..... उफफफ्फ़ जालिम मूड तो हमेशा बना रहता है, पर कोई ध्यान दे तो ना....

मनु.... श्रमण को बोल दूं ध्यान देने के लिए...

स्नेहा.... मार डालूंगी जो दोबारा ऐसा कहा तो, तुम ने समझ क्या लिया है मुझे... हुहह ! गो टू हेल... मैं जा रही हूँ, आज के बाद अपनी शकल तक नही दिखाउंगी....

मनु.... आररीए ... आररीए ... आररीईए तुम तो खफा हो गयी.... सूओ सॉरी बाबा ... मज़ाक कर रहा था...

स्नेहा.... ऐसा भी कोई मज़ाक करता है क्या मनु, मुझे बहुत बुरा लगा.....

"बुरा लगा तो अभी अच्छा कर देते हैं मेडम का मूड" .... इतना कहते हुए मनु ने स्नेहा को पिछे से पकड़ लिया और उसे गर्दन पर किस करने लगा.....

स्नेहा.... ह्म ! ऐसे ही तो मेरा मूड अच्छा हो जाएगा....

मनु.... नही स्नेहा, मैं क्या जानता नही तुम मेरे लिए आई हो. आज मुझे सेक्स पार्ट्नर की नही एक दोस्त की ज़रूरत है....

स्नेहा.... हा हा हा.... मतलब तुम्हे पता था, कि मैं तुम्हारे अपसेट होने की वजह से आई हूँ. वैसे सोच लो, यहाँ आना तो सिर्फ़ एक बहाना भी हो सकता है.

मनु.... हा हा हा, अच्छा है. लेकिन आज नही कुछ भी. आज तुम यदि मेरे लिए आई हो तो मुझे बातें करो ना प्लीज़. मेरा मन ज़रा भी नही लग रहा...

स्नेहा.... ठीक है मनु सर जैसा आप कहें. उस श्रमण को भी बुला लीजिए, उसे भी आप की बहुत चिंता थी. वैसे भी, खूब जमेगा रंग जब मिल बैठेंगे तीन यार.

फिर क्या था तीनो की महफ़िल जमने लगी, हाइ टारगेट श्रमण ही था, जिसे जिया के नाम पर स्नेहा और मनु दोनो छेड़ रहे थे.
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11-17-2020, 12:07 PM,
#44
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
इधर काया, भी अपने दोस्त केशव के घर थी. केशव लगातार उसके कंधे की मसाज करते उसकी तारीफों मे लगा हुआ था....

काया.... चल जा रही हूँ अब केशव, थॅंक्स यार... बहुत अपसेट थी, पर अब काफ़ी रेलेक्ष फील कर रही हूँ.

केशव, काया के ठीक सामने बैठ कर, एक और पॅक बनाया और उसे काया की ओर बढ़ाते कहने लगा..... "इतते दिनो बाद तो आई है तू, याद भी है हमे मिले कितना समय हो गया"

काया, उसके हाथ से पॅक लेती.... "हां यार लगभग 4 साल हो गये. मिस्सिंग दा डेज़ यार"

केशव.... हां काया, 12थ के बाद तो सब अचानक जैसे बिछड़ ही गये. तू भी तो देल्ही छोड़ कर चली गयी, मैं ही एक अभागा यहीं पड़ा रह गया...

काया.... क्या मस्त ग्रूप था उस समय का. कितने सारे दोस्त, और कितनी सारी बातें. दिन कब शुरू हुआ कब ख़तम, पता ही नही चलता था....

केशव.... हां यार, हमारा ग्रूप बिल्कुल अवेसम था, और हर एक बंदा यूनीक.

काया.... ओये तू ना रहने दे, तू कब रहता था ग्रूप मे ये बता. वो तो मैं थी जिसकी वजह से लोग तुम्हे जानते थे.

केशव..... झूठी कहीं की, कितना फेक्ति है. कब नही था मैं, तुम सब के साथ ही तो रहता था... झूठी काया...

काया..... तू झूठा, मुझे सफाई ना दे इस पर. हर एक बंदा जानता है तेरे बारे मे, जब से वो जस्सी तेरे साथ हुई, तू किसी को दिखा भी नही. वैसे अच्छी लव स्टोरी थी तेरी भी, कहाँ है वो आज कल...

केशव.... मत बात कर उसकी. उसे ना कुछ ज़्यादा ही अकल आ गयी थी. नया बाय्फ्रेंड ढूंड ली ना. मुझ से ब्रेक-अप के बाद तो उस ने 3-4 और बाय्फ्रेंड बनाए...

काया.... हहे... पर वो तुझे गयी क्यों छोड़ कर. तुम दोनो का तो डीडीएलजी वाला प्यार था ना.

केशव..... पता नही काया, क्यों गयी छोड़ कर...

काया..... ना बताएगा तो क्या मुझे मालूम नही होगा. तू इंपोटेंट है इसलिए तो वो लात मार कर भाग गयी... हहेहहे..

केशव.... वेरी फन्नी हां, ऐसा कुछ भी नही था, समझी... बड़ी आई. कुछ भी बकवास की तो अच्छा नही होगा काया.

काया.... तू इतना चिढ़ता क्यों है, अच्छा ठीक है सॉरी, ले अब कान पकड़े. वैसे ठीक ही कहा है किसी ने.... "किसी भी अपंग के सामने उसको अपंग नही बोलना चाहिए"... हहहे...

"तेरी तो, रुक अभी बताता हूँ" ... केशव लपका काया की ओर, काया भी उठ कर भागी... वो चिढ़ता हुआ उसके पिछे-पिछे दौड़ रहा था और काया "खीी-खीी" करती उसे भगा रही थी....

जब केशव उसे पकड़ नही पाया, तो गिरने का नाटक करने लगा, और कराहते हुए बेड पर जा कर बैठ गया....

"क्या हुआ ज़्यादा चोट तो नही लगी"... काया जैसे ही उसके पास पहुँची, केशव ने उससे कमर से पकड़ा और बिस्तर पर पटक दिया, और उसके उपर चढ़ कर... हान्फता हुए कहने लगा.... "अब बोल क्या कह रही थी"
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11-17-2020, 12:07 PM,
#45
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
जब केशव उसे पकड़ नही पाया, तो गिरने का नाटक करने लगा, और कराहते हुए बेड पर जा कर बैठ गया....

"क्या हुआ ज़्यादा चोट तो नही लगी"... काया जैसे ही उसके पास पहुँची, केशव ने उससे कमर से पकड़ा और बिस्तर पर पटक दिया, और उसके उपर चढ़ कर... हान्फता हुए कहने लगा.... "अब बोल क्या कह रही थी"

"नालयक, हाथ छोड़ ना, दुख़्ता है, मज़ाक ही तो कर रही थी"....

केशव उसके हाथ छोड़ते हुए... "अब दोबारा ये मज़ाक की ना तो बताता हूँ"

केशव ने जैसे ही हाथ छोड़ा, काया ने अपने पाँव केशव की कमर मे फसाए, और झटके मे घूम गयी, अब केशव नीचे काया उपर.... "एक बार नही, 10 बार कहूँगी... इम्पोर्टेंट, इम्पोर्टेंट, इम्पोर्टेंट"

"ऐसे नही सुधरेगी, तुझ मे दम ही कितना है, जो मुझे रोक रखेगी"... इतना कह कर केशव ने ज़ोर लगा कर अपने हाथ छुड़ाए और फिर से काया को नीचे कर दिया, और खुद उपर आ गया...

"अब बोल के दिखा" ......

"इम्पोर्टेंट, इम्पोर्टेंट.. ले बोल दी"... काया उसे फिर से चिढ़ा कर हँसने लगी. केशव से वो हसी बर्दास्त ना हुई, और अपने होंठ ले जा कर काया के होंठो पर रख दिया, और उसके होंठों तो बड़ी तेज़ी से चबाने लगा.

काया को भी झटका सा लगा. केशव से उसे ज़रा भी उम्मीद नही थी इस बात की, वो "उन्न्ञनणणन्, उन्न्ञननणणन्" करती हाथ पाँव पटकने लगी.... केशव को थोड़ा होश आया की वो क्या कर रहा है, और वो काया के उपर से हट गया... और बिस्तर के किनारे बैठ गया...

काया चिढ़'ती हुई उसका शर्ट पिछे से खींची, और उसका चेहरा घुमा कर एक झन्नाटे दर थप्पड़ मारती कहने लगी..... "जंगली कहीं के, जाहिल गँवार.... तू छक्का है... है, है, है"

एक तो थप्पड़ उपर से ऐसी जली कटी बातें... केशव का गुस्सा सातवे आसमान पर चला गया.... उसने फिर से काया को बिस्तर पर पटक दिया, उसके दोनो हाथ को घुटनो से दबाया, और अपने पैंट का ज़िप खोल कर लिंग बाहर निकाल लिया....

"तुझे चढ़ गयी है केशव. गधे ये क्या कर रहा है... छोड़, छोड़ मुझे"......

"ले देख, देख ना, इम्पोर्टेंट हूँ मैं... इम्पोर्टेंट हूँ... ले देख अब"

केशव पूरे गुस्से मे आ गया था. लिंग के बाहर आते ही काया ने अपनी आँख मुद ली और केशव को अपने उपर से हटने के लिए कहती रही. लेकिन केशव अपने लिंग को उसके चेहरे पर फिराना शुरू कर दिया और बार-बार कहने लगा.... "नही, अब बोल, इम्पोर्टेंट हूँ मैं, बोलती क्यों नही"

जैसे ही लिंग को केशव ने काया के चेहरे पर फिराया, वो शांत हो गयी, वो कुछ कह नही पा रही थी, बस पाँव पटकती, ज़ोर लगा कर उसे किसी तरह हटाना चाहती थी..... तभी केशव ने उसके गालों को जोरों से पकड़ लिया.... काया का जबड़ा दर्द करने लगा और उसका मुँह खुल गया....

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11-17-2020, 12:08 PM,
#46
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )


जैसे ही काया का मुँह खुला, केशव उसके मुँह मे अपना लिंग डाल दिया...... "ले मज़े कर अब मेरे लिंग से और खुद तय कर ले कि ये इम्पोर्टेंट का लिंग है या किसी मर्द का.... ले, ले, ले.... चूस इसे अब कामिनी"

काया, छटपटा कर भागना चाहती थी, पर केशव के दोनो घुटने मे फसे थे उसके हाथ, और पिछे से पाँव चलाने का कोई मतलब नही था.... लिंग के मुँह मे जाते ही काया का दिमाग़ सटक गया, उसने ज़ोर से पूरी ताक़त से दाँत काटना शुरू कर दी.....

केशव छटपटा गया, दो थप्पड़... मारा और उसके उपर से हट कर अपना लिंग पकड़ कर बैठ गया..... काया अब भी बिस्तर मे लेटी थी थप्पड़ पड़ने से उसके भी कान झन्ना गये थे....

थोड़ी देर बाद काया अपने होश मे आई, और वो उठ कर जाने लगी.... एक बार पिछे मूड कर देखी, केशव अब भी लिंग पकड़े सिकुड कर बैठा था..... "मुझ पर ज़ोर आज़माइश कर के तू मर्द नही हो जाएगा छक्के, बाकी की तेरी गर्मी पोलीस निकालेगी"

काया की बात सुन कर तो केशव की आँखों मे खून उतर आया, तब तक काया अपनी बात कह कर मूड चुकी थी और दरवाजे की ओर बढ़ रही थी.... केशव बड़े गुस्से से उसे जाते देख रहा था, और तभी जैसे उसके सिर पर शैतान सवार हुआ हो.......

वो दौड़ कर लपका काया की तरफ, काया इस से पहले कि दरवाजे से बाहर निकलती, केशव ने उसे पकड़ लिया.... गुस्सा उस पर पूरा हावी हो चला था.... उसने काया के हाथ पाँव और मुँह टाइट्ली बाँध दिया...

केशव अपने हाथों मे कैंची लिए, पूरे पागलपन से आगे ही बढ़ रहा था कि उस का मोबाइल की रिंग बजने लगी. कॉलर देखा और खुद पर काबू कर वो बात करने लगा..... बात ख़तम होने के बाद वो वापस मुड़ा और, थोड़ा शांत दिख रहा था....

उम्म्म्म-उम्म्म्म की दबी सी आवाज़ आ रही थी. गर्दन हिल रही थी और नज़रें बस केशव पर टिकी थी. केशव उठ कर खड़ा हुआ, अपने दोनो पाँव काया के बदन के दोनो ओर किया, और उसके बदन को घूरते हुए अपना पैंट खोलने लगा.

नीचे से पूरा नंगा हो गया, और अपने लिंग को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से पागलों की तरह हिलाने लगा, चीखने लगा, चिंघाड़ने लगा.... कुछ देर बाद उसका कम निकलना शुरू हो गया, और कम निकालने के बाद वो बिस्तर बड़े आराम से बैठ गया.

थोड़ी देर बैठा रहा, फिर काया का मुँह खोल दिया.... काया जो पहले छट-पटा रही थी वो केशव की हरकत देखने के बाद अवाक सी थी. उसके दिमाग़ बंद सा पड़ गया था....

केशव.... तुम सोच रही हो, मैं शायद पागल हूँ... क्यों काया...

काया.... हाथ खोलो मेरा केशव, मैं तुम्हे अभी जान से मार दूँगी....

केशव उसका हाथ भी खोल दिया, और जिस कैंची से उसके कपड़े काटने वाला था, वो बढ़ते हुए कहने लगा..... "ये लो कैंची और सीने मे उतार कर अपनी ये हसरत भी पूरी कर लो"

काया को समझ मे ही नही आ रहा था वो रिक्ट कैसे करे, और क्या जबाव दे केशव की बातों का. कुछ पल बिल्कुल खामोशी सी छाई रही....

केशव.... "जानती हो मैं वाकई तुम्हारा रेप करने वाला था, और शायद कर भी दिया होता यदि वो फोन ना आता. उस कॉल को पिक-अप करने के लिए जब मैने अपने गुस्से को शांत किया, तब मुझे ये अहसास हुआ कि मैं क्या करने जा रहा हूँ. हम दोस्त हैं, और दोस्तों के साथ ऐसा करना"...

"मेरे इरादे बदल गये.... पर मेरी कंडीशन भी वैसी ही थी, जैसे कि तुम्हारे मनु भैया की थी. बार-बार एक ही बात सुनते-सुनते मेरा खून खौल गया, और मैं पागल हो गया. आगे जो हुआ वो बस ये साबित करने के लिए था कि मैं इम्पोर्टेंट नही".....
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11-17-2020, 12:08 PM,
#47
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )


काया..... टाइम क्या हुआ है केशव....

केशव..... 12:30आम बज रहे हैं....

काया..... मैं तुम्हारे रेप टाइम को 12:35 तक ले कर जाती, जानते हो क्यों.... क्योंकि इस टाइम मे ठीक तुम्हारे दरवाजे की बेल बजेगी, और अंदर मेरे मनु भाई होंगे. हम दोस्त थे, इसलिए तुम्हारे पास आई, तुम पर भरोसा था.... चिढ़ाना दोस्तों मे आम होता है... लोग चिढ़ कर गुस्सा भी होते हैं, पर ऐसा कुछ नही करते....

रही बात तुम्हे साबित करने की, तो चाहते तो बड़े आराम से साबित कर सकते थे, होप की हम एंजाय भी करते, लेकिन तुम्हारी सोच ही घटिया है... और हां कभी खुद को मेरे भाई से कंपेर मत करना.... क्योंकि वो क्लास ही अलग है... तुम्हारे साथ तो मज़ाक हुआ था और तुम कंट्रोल नही कर पाए, लेकिन जितना सीरियस्ली उन्हे कहा गया, शायद तुम उस मुक़ाबले आधे शब्द सुन'ने के लिए भी तैयार नही हो...

अब कभी दोबारा अपनी शकल मुझे मत दिखाना... और हां, यदि दिल मे ऐसा लग रहा हो कि मौका था और छोड़ दिया तो अभी बोल दो, मैं अपने कपड़े खुद उतार लेती हूँ... पर कभी इस ख्याल को भी दिल मे मत लाना कि तुम क्या कर सकते थे और क्या नही किया.... क्योंकि यदि मैं करने पर उतर आई तो, तुम्हे भागने के लिए ज़मीन कम पड़ जाएगी.

केशव बारे ध्यान से काया की बात सुन रहा था, तभी दरवाजे की बेल बजने लगी.... काया अपनी ललाट उपर-नीचे करती घड़ी की ओर इशारा की, और दरवाजा खोलने के लिए कहने लगी.... वाकई काया के कहे समय पर, मनु ठीक उसके दरवाजे के सामने खड़ा था, और उसके साथ श्रमण और स्नेहा भी थे....

मनु.... ओह्ह्ह्ह तो तुम हो काया के दोस्त... काया किधर है....

केशव के तो पसीने छूटने लगे, काया को डर था कि कहीं मनु अंदर आ कर यहाँ की हालत ना देख ले इसलिए काया खुद को ठीक कर के बाहर चली आई....

काया.... भाई ऐज आल्वेज इन टाइम हां....

स्नेहा.... इन टाइम नही काया मैं, ये तो वक़्त से पहले आ गये थे... हम पिच्छले आधे घंटे से 12:35 बजने का इंतज़ार कर रहे हैं....

स्नेहा की बात सुन कर, काया, केशव को इशारा करने लगी.... ऐसा लग रहा था जैसे कह रही हो... "देख लो ये है मेरा भाई"....

काया फिर वहाँ रुकी नही और मनु के साथ वापस आ गयी.... रास्ते मे स्नेहा ने काया से हर बात बता दी, घर पहुँचते ही....

काया.... भाई आप ने ओवर ड्रिंक किया....

मनु.... तू भी क्या बात कर रही है पागल... अच्छा वो सब छोड़, तूने घर पर बता तो दिया है ना कि तू यहाँ आई है....

काया.... बात घूमाओ नही, और जो मैं पूछ रही हूँ उसका जबाव दो...

मनु.... श्रमण, जा बेटा ज़रा इसके घर फोन कर के बोल दे काया और मैं यहाँ मनु भाई के साथ है, और सुबह आएगे.... हां अब बोल क्या कह रही थी...

काया.... हुहह ! मुझे तो आप से कुछ कहना हे नही है... आज से मैं आप से बात नही करूँगी...

मनु.... अच्छा ले बाबा कान पकड़े...

काया.... कान पकड़ने से क्या होता है, हां बताओ मुझे. जहाँ बोलना चाहिए वहाँ तो बोले नही और यहाँ बेवडे की तरह सराब पी रहे हो...

मनु.... तेरा और स्नेहा के दिमाग़ का कॉनफिगरेशन एक जैसा है क्या, जो दोनो एक जैसी बातें कर रही हो... एक दिन पीने से मैं मर थोड़े ना जाउन्गा...
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11-17-2020, 12:08 PM,
#48
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

स्नेहा.... लो अब प्रवचन भी सुनो मनु के.... इनसे तो पूरे तंग आ गयी हूँ मैं ...

काया ने एक बार बड़े गौर से स्नेहा को देखा .... फिर बारे गुस्से मे कहने लगी.... "तुम पी.ए हो तो पी.ए की तरह रहो ना, हमारे मामले मे बोलने के लिए किसने कहा"....

काया की बात सुन कर स्नेहा का दिल रोने-रोने जैसा करने लगा... मनु के साथ काम करते उसे कभी इस बात का एहसास भी नही हुआ कि वो मनु की पी.ए है... पर काया ने उसे इस बात का एहसास करा दिया, और वो डब-डबाइ आँखें छिपाती चुप-चाप कोने मे खड़ी हो गयी...

मनु.... काया बॅड मॅनर, तुम्हे ऐसा नही कहना चाहिए स्नेहा को... से सॉरी...

काया.... सॉरी माइ फुट... मैं किसी को सॉरी नही बोलने वाली...

श्रमण.... मनु भाई उन्हे बता दिया है, उन्होने कहा ठीक है...

मनु.... ह्म ! ठीक है बैठ जाओ... काया ये क्या बचपना है ... तुम्हे मैने सिखाया है कि काया, बदतमीज़ी करो.... मैं हर्ट हुआ तुम्हारी बातों से...

काया.... एक स्टाफ के लिए आप मेरे बातों से हर्ट हो गये...

मनु.... तुम नही समझेगी इस बात को, लगता है पैसों ने तुम्हे भी एमोशन्स की कदर भूलने पर मजबूर कर दिया....

काया हँसती हुई उठी... और अपने दोनो कान पकड़ कर... "ये सॉरी मेरी स्नेहा भाभी के लिए... अब माफ़ भी कर दो भाभी"..

"भाभी" ..... "भाभी"..... "भाभी".... मनु, स्नेहा और शरमन तीनो के मुँह से ऐसे ही शॉकिंग एक्सप्रेशन निकले....

मनु.... काया, आज तू पी कर आई है क्या, कभी इन्सल्ट करती है, तो कभी यूँ भाभी बुला रही है.... मुझे लगता है तुम्हे सो जाना चाहिए.....

काया..... हुहह ! मैं पूरे होश मे हूँ... चढ़ि तो आप को है भाई. रूको अभी मैं सब के डाउट क्लियर कर देती हूँ.... श्रमण ज़रा फोन लेकर आ इधर प्राइवेट लाइन वाली... आज कुछ अमीरों की नींद हराम मैं मनु सर की प्राइवेट लाइन से करूँगी....

श्रमण हँसते हुए फोन ले आया, मनु बस टुकूर-टुकूर देख रहा था कि ये लड़की आख़िर साबित क्या चाहती है... और इधर काया की हरकतें स्नेहा को भी कुछ समझ मे नही आ रही थी....

काया, सब से पहले स्नेहा से सवाल करती... "सो, अभी मेरे भाई का कहना है कि मैं होश मे नही और कुछ भी बक रही हूँ.... तो आप बताइए मिस स्नेहा... क्या ऑफीस का हर स्टाफ मनु भाई से ऐसे ही बात करता हैं जैसे कि आप, या कुछ अलग होता है....

मनु.... अब ये कैसा सवाल हुआ काया....

काया.... सीईईईईईईईई, जिस से पूछा जाए वही जबाव दे वरना मुझ से बुरा कोई नही होगा.... हां आप कहिए मिस स्नेहा...

स्नेहा.... वैसे तो मनु का सब के साथ फ्रेंड्ली नेचर ही रहा है. बात भी सब से कॅषुयल ही करते हैं... पर मेरे ख्याल से ऑफीस स्टाफ को इन्होने अपनी हद समझा रखी है...

काया.... ओफफ्फ़ ओ' ये तो हुई ऑफीस स्टाफ की बात ना, अपनी बात कीजिए मिस... क्या आप को भी कोई हद का दायरा मिला है, या आप उस दायरे से फ्री हैं...

स्नेहा.... नही, मुझे कुछ बोलने के लिए सोचना नही पड़ता. लेकिन आज तक मैं कभी ऑफीस मे कॅषुयल नही हुई...

काया..... श्रमण, क्या स्नेहा मेम यहाँ रोज आती है रात को या फिर आज कोई खास बात है...

श्रमण.... नही जैसे आज आई हैं, वैसे पहली कभी नही आई... बस जब काम रहा तभी आती हैं, काम करती हैं और चली जाती हैं. आज तो मैने ही इन्हे यहाँ बुलाया था... मनु भाई रो रहे थे और शराब पर शराब पिए जा रहे थे इसलिए.

काया.... तुम्हे ऐसा क्यों लगा कि स्नेहा को कॉल करना चाहिए....

श्रमण..... बस मुझे लगा कि एक यही हैं जो इन्हे संभाल सकती है...

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11-17-2020, 12:08 PM,
#49
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
काया.... भाई, श्रमण की बात को आप काउंटर करना चाहोगे....

मनु.... मुझे कुछ काउंटर नही करना. तुम कहना क्या चाहती हो, पॉइंट पर आओ ना.

काया... ज़्यादा बेसबरे नही बनो... अब तुम बताओ भाई.... तुम्हे मेरी कसम जो झूठ बोला... क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है जिस से तुम शादी करना चाहते हो... या पहले का कोई प्यार प्यार है, जिसकी यादों मे शादी कभी करना ही नही चाहते....

मनु.... नही, दोनो मे से कोई भी केस नही...

काया.... मिस स्नेहा, अब ये सेम सवाल आप से .... क्या आप का कोई बाय्फ्रेंड है या पहले कभी था...

स्नेहा.... हां पहले एक था, पर उसके लिए मेरे दिल मे अब कोई एमोशन नही... उसके बाद कोई नही हुआ.... और शायद होगा भी नही...

काया फिर अपनी फाइनल डिसीजन देती कहने लगी....

यहाँ सारी दलीलें, और मिस स्नेहा और मिस्टर मनु के सारे एमोशन्स को भाँपते हुए मेरी अदालत इस नतीजे पर पहुँची है कि, मिस स्नेहा और मिस्टर मनु एमोशनली काफ़ी अटॅच हैं. शायद इनको एक दूसरे से प्यार का एहसास नही, पर दोनो मे काफ़ी गहरे संबंध है.... सो मैं, काया, ये एलान करती हूँ कि स्नेहा ही मेरी भाभी बनेगी.... और इस फ़ैसले से यदि किसी को इनकार हुआ तो मैं फिर वापस देल्ही कभी नही आउन्गि, मनु भाई की कसम....

अपनी बात कह कर काया खुद मे नाचने लगी, और मनु की प्राइवेट लाइन से सारे ऑफीस स्टाफ, कंपनी पार्ट्नर्स और अपने घर पर सूचना दे दी. मनु तो बस आँखें फाडे देख रहा था, पल मे ही ये क्या हो गया.... और स्नेहा... उसे तो अब भी अपने कानो पर यकीन नही था, कि ये सब सच है.....
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11-17-2020, 12:08 PM,
#50
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अगली सुबह 5:30 बजे

"खिली सी सुबह, गुड मॉर्निंग" मानस ट्रॅक-सूट पहना, एअर-फोन लगाया, और जॉगिंग के लिए निकल गया. जॉगिंग भी मानस की ठीक उसी ग्राउंड मे हो रही थी, जहाँ कल वाली लड़की रोज सुबह जॉगिंग करती थी.

मानस एअर-फोन लगाए अपनी ही धुन मे जॉगिंग कर रहा था. जॉगिंग करते-करते वो भी आ कर उसी बेंच पर बैठ गया जहाँ वो कल वाली लड़की बैठी थी. मानस के वहाँ बैठ'ते ही वो लड़की उठ कर चली गयी... मानस उसे जाते देख हँसने लगा.... "ड्रस्टी के दृष्टि मे मैं आ ही गया"

जॉगिंग के बाद, कॉलेज के लिए ली गयी शेयर ऑटो, मार्केट.... जहाँ भी ड्रस्टी गयी, हर जगह उसे मानस ही मिला. फ़र्क सिर्फ़ इतना था, जॉगिंग के वक़्त वो बिना बुरखे मे थी, और बाकी सब जगहों पर वो बुरखे मे. पूरा दिन ड्रस्टी के दिमाग़ मे बस यही घूमता रहा..... "ये मेरा पिच्छा कर रहा है, या महज इतफ़ाक़ है"

,,,,,,,,,,,,,,

इधर स.स ग्रूप मे पूरा का पूरा विस्फोट जैसा महॉल बना हुआ था, रात से ले कर सुबह तक मे मूलचंदानी हाउस से दो बड़े अनाउन्स्मेंट्स हो चुके थे, पहला ये कि अब मूलचंदानी हाउस से केवल एक केर टेकर था कंपनी का.

यानी कि हर्षवर्धन और सुकन्या का कंपनी का भी चार्ज अब मनु के हाथ मे था, और दूसरा ये कि मनु शादी कर रहा है.... हालाँकि मनु की शादी की बात को ले कर तो मूलचंदानी हाउस मे भी विस्फोट हुआ, लेकिन बाहर इस खबर का असर दुगना था.

राजीव और वंश के घर मे मातम सा छाया हुआ था, और सुकन्या से संपर्क करने से पहले ही सुकन्या अपने सारे शेयर मनु के नाम कर गयी, ये एक और बड़ा झटका था राजीव और वंश के लिए....

तनु.... देख लिया तुम दोनो ने, जैसा मैने कहा था वैसा ही हुआ ना... बिठा दिया उस कल के लड़के को तुम्हारे सिर पर. अब जाना नागिन डॅन्स करने उस की शादी मे....

राजीव.... पर ये एक ही रात मे सारे शेयर मनु के नाम पर और उसके साथ-साथ शादी का अनाउन्स्मेंट... बात कुछ समझ मे नही आ रही. आख़िर इतना जल्दी, इतना सब कुछ हो कैसे गया.

वंश.... अर्रे अब भी नही समझे, मैं तो इन लोगों की सारी रण'नीति समझ गया हूँ....

टानू और राजीव दोनो एक साथ ... क्या ????

वंश.... ये सब उस शम्षेर का किया धरा है... कल इन लोगों की फॅमिली मीटिंग थी, और उस मीटिंग मे ही शम्षेर ने पहले इस मनु को पूरा मालिक बनाया, और फिर तुरंत उसकी शादी का अनाउन्स करवा दिया, ताकि कल को किसी पार्ट्नर की लड़की का रिस्ता ना आ जाए....
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