Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:08 PM,
#51
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

तनु.... ह्म्म्म्म ! मतलब बड़ी दूर की सोची है इस शम्षेर ने, उसे लगा होगा मनु के पूरा चार्ज लेने के बाद यदि कोई पार्ट्नर की लड़की से शादी हुई, तो उनके आगे होने वाली मीटिंग्स की बात लीक ना हो जाए, इसलिए दोनो अनाउन्स्मेंट साथ मे किया....

राजीव.... पूरी ज़िंदगी पड़ी है, जितनी भर चाहे उतनी समीक्षा करते रहो, पर इसका नतीजा कुछ नही निकलेगा. इसलिए बेहतर ये होगा कि जीतने का सल्यूशन ढुंढ़ो, ना की हार किस वजह से रहे हैं उसकी चर्चा करो. और यदि कोई रास्ता ना मिल रहा हो तो खुद को हारा मान'ने मे ही भलाई है....

तनु.... एक तरकीब है, लेकिन उसके लिए रौनक का हमारे साथ होना ज़रूरी है, लेकिन उस से पहले वंश भाई साब आप को भी एक काम करना होगा....

वंश.... कैसा काम...

तनु.... मनु के बारे मे मैं जहाँ तक जानती हूँ, वो यंग फ्रेशर्ज़ को काम देने मे ज़्यादा विस्वास रखता है. अभी दो कंपनीज़ के सीईओ चेंज होंगे, पहला हर्षवर्धन और दूसरा सुकन्या... तो उन कंपनी के उपर लेवल मे काफ़ी चेंज होगा... नताली, मनु की क्लास फेलो भी रह चुकी है... क्यों ना उसे वहाँ काम पर लगा दिया जाए.....

वंश... आइडिया बुरा नही है, पर मनु उसे कंपनी के अंदर इतने बड़े पोस्ट पर रखेगा क्यों....

तनु.... रखने की कोई वजह तो नही, लेकिन वजह बना दी जाएगी, आप बस नताली से पूछ कर कन्फर्म करो कि वो ऑफीस जा सकती है या नही... तब तक मैं रौनक को अपने साथ मिलाने का जुगाड़ करती हूँ...

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सब के आधे-अधूरे गणित हो गये थे मूलचंदानी हाउस के अनाउन्स्मेंट के बाद. रौनक कितनी प्लॅनिंग से जिया की शादी मनु के साथ करवाना चाहता था. एक तो उसकी सारी प्लॅनिंग भी गयी, उपर से ये नया अनाउन्स्मेंट.

रौनक, हर्षवर्धन को कॉल लगाते....

रौनक..... हर्ष ये तुम लोगों ने ठीक नही किया.... आज तक तुम जैसा कहते रहे मैं वैसा करता रहा. ये जानते हुए भी कि तुम लोग मनु को बर्बाद कर दोगे, फिर भी केवल तुम्हारे कहने पर मैं अपनी बेटी की शादी का प्रस्ताव उसके पास ले कर गया. और तुम लोगों ने इतनी बड़ी बात खुद ही तय कर ली, एक बार बताया तक नही.

रौनक की बात का कोई जबाव नही था हर्ष के पास, वो बस इल्लॉजिकल तरीके से जबाव देने लगा, और रौनक ने फोन काट दिया....

जिया... पापा, आप के साथ इतना बड़ा धोका कर दिया हर्ष अंकल ने, और आप ने मुझे बताया तक नही....

रौनक..... नही जिया धोका तो मैं दे रहा था तुम्हे. मन मे लालच लिए मनु के साथ तुम्हारी शादी तय कर रहा था, और उसी का फल मिला है मुझे.

जिया.... कैसा लालच हां पापा. मनु से मेरी शादी तो आप उसे तो बर्बाद नही ही करते ना. पर आप से काम निकलवाने के बाद आप को भूल जाने वालों को उस के किए की सज़ा ज़रूर मिलनी चाहिए. अब आप मुझे पूरी बात बताएँगे...

रौनक ने इस खेल की पूरी कहानी अपनी बेटी को बता दिया. पूरी बात ध्यान से सुन'ने के बाद जिया कहने लगी.... "आप बस देखते जाओ पापा अब मैं क्या करती हूँ, अब आप तनु आंटी के कॉल पर उन्हे जाय्न कर लेना, पर उन्हे ये फील मत होने देना कि आप इच्छा रखते हो उन्हे जाय्न करने की".

जिया भी अब इस कॉर्पोरेट के खेल मे कूद गयी थी. अपने शिकार की ओर पहला कदम बढ़ाती, उसने श्रमण को कॉल लगाया.....

श्रमण..... हेल्लूओ

जिया..... क्यों मेरे हॅंडसम कैसे हो...

श्रमण.... खोया हूँ मैं. मुझे यकीन नही हो रहा आप ने मुझे कॉल किया है...

जिया..... हहहे, ऐसा क्यों भला, अभी तो मैं बात कर ही रही हूँ ना...

श्रमण..... नही मैं, आप हमे फोन करे इसकी कोई वजह तो नही थी ना...
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11-17-2020, 12:08 PM,
#52
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

जिया..... हाई रे मेरे भोले पक्षी, उल्टा दिन रात फोन हाथ मे लिए मैं तुम्हारे कॉल का इंतज़ार कर रही थी... तुम्हे पता भी नही कि तुमने क्या कर दिया है....

श्रमण.... क्या हुआ मेडम, मैने क्या कर दिया....

जिया..... शॉक तो ऐसे हो रहे हो जैसे कुछ पता ही नही, लूट लिया रे मुझे लूट लिया....

श्रमण.... ये आप क्या कह रही हैं, मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा...

जिया.... मनु तो ऑफीस गया, और घर पर काम भी नही.... सो मैं आ रही हूँ 1 घंटे मे, तैयार रहना. मिल कर समझाती हूँ, क्या किया तुमने....

श्रमण तो हवाओं मे तैरने लगा.... फकीर की झोली मे खजाना आ गया हो जैसे.... वो भी जल्दी-जल्दी जा कर तैयार होने लगा.... और जिया कॉल डिसकनेक्ट कर हँसती हुई खुद से कही.... "ये तो खुद शिकार होने तैयार बैठा है, मैं क्या शिकार करूँगी"

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कल का दिन ही कुछ ऐसा था कि मूलचंदानी हाउस ने अपने पार्ट्नर्स की नींद तो हराम किया ही, लेकिन साथ मे अपने घर मे भी आग लगा चुका था. अमृता का सबसे छोटा बेटा रजत जहाँ इस फ़ैसले से नाराज़ हो कर गुस्से मे घर से बहुत दूर चला आया था, वहीं सूकन्या का बेटा मिनाज़ और बेटी श्रेया पूरे घर को अपने सिर पर उठा लिए थे.

मुषीबत ऐसी थी कि आख़िर हार कर सुकन्या ने अमृता को कॉल लगा ही दिया.....

सुकन्या.... अमृता, ये क्या करवाया तुम लोगों ने, ऐसा लग रहा है जैसे अपने ही बचों की दुश्मन बन गयी हूँ मैं...

अमृता.... रजत का भी यहाँ यही हाल है, पर सुकन्या तुम्हे तो पूरी बात समझाई थी ना... शांत करो उन्हे...

सुकन्या.... तो क्या इन को पूरी बात बता दूं...

अमृता... नही पूरी बात मत बताओ, पर उन्हे इस बात से ज़रूर डरा दो कि मनु पूरी कंपनी हथियाना चाहता था, इसलिए हम ने ये ज़रूरी कदम उठाया. कंपनी हाथ से जाने से तो अच्छा है, शेयर दे कर कंपनी मे हम बने रहे... उन्हे मजबूरी समझाओ, कि जब सामने से वॉर करने पर जीत नही सकते तो ऐसे ही सेफ रन'नीति बनानी पड़ती है....

सुकन्या..... हां ये बेहतरीन आइडिया है, इस से वो लोग समझ जाएँगे कि हमे मजबूरी मे फ़ैसला लेना पड़ा. वैसे कितना सुकून मिला था कल, जब बच्चे मनु को गालियाँ दे रहे थे... मुझे तो बड़ा मज़ा आया. काश उस वक़्त उसकी वो चुड़ैल माँ काव्या भी होती....
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11-17-2020, 12:09 PM,
#53
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अमृता... नही पूरी बात मत बताओ, पर उन्हे इस बात से ज़रूर डरा दो कि मनु पूरी कंपनी हथियाना चाहता था, इसलिए हम ने ये ज़रूरी कदम उठाया. कंपनी हाथ से जाने से तो अच्छा है, शेयर दे कर कंपनी मे हम बने रहे... उन्हे मजबूरी समझाओ, कि जब सामने से वॉर करने पर जीत नही सकते तो ऐसे ही सेफ रन'नीति बनानी पड़ती है....

सुकन्या..... हां ये बेहतरीन आइडिया है, इस से वो लोग समझ जाएँगे कि हमे मजबूरी मे फ़ैसला लेना पड़ा. वैसे कितना सुकून मिला था कल, जब बच्चे मनु को गालियाँ दे रहे थे... मुझे तो बड़ा मज़ा आया. काश उस वक़्त उसकी वो चुड़ैल माँ काव्या भी होती....

अमृता.... हमारे बच्चे भी हमारी तरह सोचते हैं, बस थोड़ी चिंता काया को ले कर होती है...

सूकन्या.... हन नाम का असर हो गया है... काव्या-काया... इसलिए इतने क्लोज़ है उस नाजायज़ के परिवार से... खैर जाने दे, जब वो बर्बाद होगा तो दो दिन रोएगी काया फिर हमारे साथ हो जाएगी...

अमृता.... ह्म ! मैं भी यही सोच कर उससे जो करना है करने देती हूँ.... फोन रखती हूँ, मैं भी ज़रा अपने बेटे को मना लूँ. वो तो नाराज़ हो कर कल रात से आया ही नही....

कहते हैं कच्ची उम्र मे बच्चों के दिमाग़ मे ग़लत बातें डालना का नतीजा बहुत ही भयवान होता है. कल की फॅमिली मीटिंग से तो ये सॉफ जाहिर था कि इनके घर मे मनु और उसके भाई के लिए कैसी चर्चाएँ होती हैं.

लेकिन नफ़रत इस कदर अँधा कर चुकी थी सूकन्या और अमृता को, कि वो ये भी नही समझ पाए की अपने-अपने बच्चों के दिमाग़ मे कौन सी बात डाल रहे हैं. दोनो ने ही कल की हुई घटना मे अपने बच्चों को सफाई देती कहने लगी.....

"शम्षेर मनु को एमडी बने देखना चाहता था, और उसके एमडी बन'ने के बाद हम हार गये, हम उसका मुकाबला नही कर सकते थे. सॉरी बच्चो हम हेल्पलेस थे, इसलिए हमे ये करना पड़ा. मनु पूरा हमे बर्बाद कर के सब कुछ हथिया लेता, उस से अच्छा ही था कि अपने शेयर उससे दे कर, कंपनी मे उतने पर्सेंट का हिस्सेदार बने रहे"

एक ज़हर सा दिमाग़ मे बैठ गया सारे बच्चो के अंदर. कच्ची उम्र जवान खून उपर से पूरी संपत्ति ऐसे हाथ मे जिस'से नफ़रत करते आते रहे हैं..... दिमाग़ मे नफ़रत का जाल बिच्छा'ते चले गये.

हर किसी की लड़ाई शुरू हो चुकी थी. सब को मालिक बन'ना था और सभी लोग अपनी-अपनी प्लॅनिंग मे जुटे हुए थे. जिया भी ठीक घंटे भर बाद मनु के घर के सामने थी. श्रमण बाहर खड़ा ही उसका इंतज़ार कर रहा था.
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11-17-2020, 12:10 PM,
#54
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
हर किसी की लड़ाई शुरू हो चुकी थी. सब को मालिक बन'ना था और सभी लोग अपनी-अपनी प्लॅनिंग मे जुटे हुए थे. जिया भी ठीक घंटे भर बाद मनु के घर के सामने थी. श्रमण बाहर खड़ा ही उसका इंतज़ार कर रहा था.

जिया..... उफफफ्फ़, क्या अदा है श्रमण जी, मैं तो फिदा हो गयी...

श्रमण थोड़ा शरमाते हुए...... "आप भी ना अच्छा मज़ाक कर लेती हैं जिया मेडम. आप के सामने तो मैं कुछ भी नही".

जिया...... "आररीए अब ये मेडम बुलाना बंद करो, और चलो चलते हैं घूमने".

जिया, अपनी कार मे श्रमण को देल्ही घुमाने लगी, साथ-साथ पहली मुलाकात का उसको गिफ्ट भी देने लगी. महँगे कपड़े, घड़ी, चस्मा... पूरा हुलिया ही बदला-बदला था श्रमण का.

घूमते हुए दोनो को लगभग शाम हो गया था....

जिया.... श्रमण सच कहूँ, तुम्हारी अदा काफ़ी कातिलाना है, उफ़फ्फ़ मार ही देती हैं...

श्रमण..... कातिल तो आप हैं जिया जी, आप के रूप का जादू ऐसा है कि नज़रें हट'ती ही नही आप से.

जिया, श्रमण के हाथों को थामती.... "सच मे श्रमण, लेकिन मुझे ऐसा क्यों लगता है तुम झूट बोल रहे हो. जब मैं इतनी सुन्दर हूँ फिर भी मुझे देख कहाँ रहे".

श्रमण थोड़ा झेंप गया.... "नही, मैं वो.. ऐसी बात नही है जिया जी, शाम हो गयी है, घर चलें क्या"

जिया.... मुझ से बोर हो गये क्या श्रमण.

श्रमण..... नही, नही ऐसी बात नही है, वो तो बस शाम हो गयी है ना, और मनु भाई भी आते ही होंगे, तो वहाँ जाना ज़रूरी है...

जिया.... हाई रे ये वक़्त, कितनी जल्दी गुजर गया पता ही नही चला. ये अच्छा वक़्त भी ना इतनी जल्दी कैसे गुजर जाता है... चलिए ड्रॉप कर दूं आप को.

जिया, जब उसे ड्रॉप करने गयी, तो वो भी श्रमण के साथ ही उतरी और उसे हग करती हुई कहने लगी.... "ये मेरे लिए एक यादगार दिन था श्रमण, थॅंक्स"

किसी लड़की ने जैसे दिल के तार छेड़े हों. श्रमण को एक अजीब ही एहसास हुआ. उससे लगा जैसे जिया यूँ ही उस से गले लगी रही. जिया जब तक उसकी नज़रों से ओझल नही हो गयी, वो बस उसे जाते हुए ही देखता रहा.

जिया को भी विस्वास हो गया था कि तीर निशाने पर है. अब तो बस खेल शुरू करने की देर थी, लेकिन उसके लिए अभी श्रमण का पूरा लट्टू होना बाकी था.

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11-17-2020, 12:10 PM,
#55
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
इधर ऑफीस मे .....

मनु और स्नेहा सुबह से बधाई ही सुन रहे थे पूरा दिन. जो भी ऑफीस स्टाफ फाइल ले कर उनके कॅबिन मे आता, वो बधाई दे कर चला जाता. स्नेहा हँसने लगती, और मनु चिढ़ जाता. अभी बधाइयों का टोकरा ख़तम भी नही हुआ था कि मनु के कॅबिन मे हर्षवर्धन, अमृता और काया भी पहुँच गये.

हर्षवर्धन.... मनु, ये हमने क्या सुना, तुम स्नेहा से शादी कर रहे हो... और सब कुछ खुद ही तय कर लिया, हमे बताया भी नही.

काया.... ये भाई ने नही, बल्कि ये शादी मैने तय किया है पापा, बाकी अब आप सब का काम है, कैसे क्या करते हो.

अमृता.... हटो ज़रा देखने तो दो मुझे मेरी बहू को. यूँ तो वैसे बहुत बार देखी हूँ, पर आज बहू के रूप मे भी देख लेने दो. अब हर्ष खड़े-खड़े मुँह क्या देख रहे हो, शादी तय हुई है, कोई सगुण तो दो...

हर्षवर्धन.... हां-हां देता हूँ..

हर्षवर्धन ने एक डाइमंड का सेट निकाल कर स्नेहा के हाथ मे रख दिया. स्नेहा उसे हाथ मे थामे मनु को देख रही थी. मनु आखों मे इशारा किया ले लो, तब जा कर स्नेहा ने उसे कबूल किया.

काया.... कुछ देखा दोनो की अंडरस्टॅंडिंग, भाई ने जब तक इशारा नही किया तब तक भाभी ने गिफ्ट नही लिया.

अमृता.... हां मैने भी देखा... वैसे स्नेहा बेटा, तुम्हारे घर पर इस बात की खबर है कि नही.

घर का नाम सुनते ही स्नेहा को अपने पापा का चेहरा याद आ गया... और पापा का चेहरा याद कर के ही कांप गयी..... "नही अभी उन्हे कुछ भी पता नही है".

हर्षवर्धन.... काया बेटा तुम अड्रेस्स और फोन नंबर ले लो, अपने बेटे की शादी की बात हम खुद करने जाएँगे.....

"कहाँ है कमीना, मुझ से कुछ बताया भी नही, और बाहर वालों सीईई"..... अखिल कॅबिन के बाहर से ही चिल्लाता हुआ अंदर आ रहा था, और वहाँ मौजूद लोगों को देख कर, पूरी बात बोलते-बोलते रह गया....

गेट जैसे ही खोला नज़रों के सामने काया थी, और वो काया को देख कर बिल्कुल शांत हो गया..... "ये कौन है, माशाअल्लाह क्या प्यारी लड़की है, दिल धड़का गयी".

मनु..... आप सब इन से मिलिए, ये है मेरा दोस्त अखिल, अभी-अभी इसने देल्ही पोलीस जाय्न किया है. अखिल ये हैं, मेरे मोम-डॅड, और मेरी बहन काया...

अखिल, बड़ी सी आखें किए, अपना हाथ काया की तरफ बढ़ाते हुए कहा.... "हेलो"

अमृता.... ठीक है हम सब चलते हैं, मनु, रिश्ते की बात करने हम सब साथ जाएँगे. किसी फॅमिली ट्रिप की तरह....
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11-17-2020, 12:10 PM,
#56
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

इधर सब लोग अपनी-अपनी बात करने मे लगे थे, और अखिल, काया का हाथ थामे उसे बस देखे ही जा रहा था. काया, अखिल की हरकतों पर हँसती हुई, बस खड़ी उसे देख रही थी. मनु की नज़र जब उन पर पड़ी तो ज़ोर से कहने लगा..... "अखिल तू बाहर से चिल्लाता हुआ क्या कह रह था"

अखिल का ध्यान टूटा, और वो हडबडा कर अपना हाथ हटाया. काया उसकी हालत देख कर ज़ोर-ज़ोर हँसने लगी. तीनो जैसे आए थे वैसे ही वापस चले गये. लेकिन काया का जाना अखिल को अखर रहा था, वो तो बस इस हसरत से था कि यहाँ से सब लोग चले जाए, और काया और वो बिल्कुल अकेले रहे.

मनु, अखिल के आँखों के पास चुटकियाँ बजाते.... "तू खोया कहाँ है अखिल"

अखिल.... यार बड़ा बेईमान है तू, शादी फिक्स कर ली और लड़की से मिलवाया भी नही....

मनु.... मेरी छोड़, तू मेरी बहन को घूर क्यों रहा था.... साले अभी निकल जा यहाँ से. तुम्हे शर्म नही आती, दोस्त की बहन को ऐसे घूरते हुए....

अखिल.... सॉरी यार, मुझे मंफ़ कर दे. पर सच कहता हूँ, उसे देख कर जैसे मैं कहीं खो सा गया.... देख तू मुझे जानता है, मैं क्या ग़लत लड़का हूँ.

मनु.... ग़लत क्या होता है अखिल. अभी तो देख लिया ना मैने. किसी के दिल मे क्या है, वो तो वक़्त आने पर ही दिख जाता है. जैसे मुझे अभी दिखा.

अखिल.... यार, मुझे वो वाकई बहुत प्यारी लगी. अगर तुम राज़ी हो तो मैं उस से शादी करना चाहता हूँ.

मनु..... दो कौड़ी के पोलीस वाले तुमने ऐसा सोचने की हिम्मत कैसे किया.

अखिल.... मनु, तू बहुत बड़ा पैसा वाला होगा, पर किसी की औकात इतनी आसानी से नही आँकते.

मनु.... अच्छा तो कैसे आँकते हैं. किसी के घर गये, और उसके घर के औरतों पर बुरी नज़र डाल कर.

अखिल.... आइ आम सॉरी दोस्त. ठीक है मुझ से ग़लती हुई. चलता हूँ अभी.

मनु.... ओये मूड कर उधर मेरे एनकाउंटर का तो नही सोच रहा.

अखिल, मुस्कुराता हुआ पिच्चे मुड़ा.... "यार बहुत गिल्टी फील करवाया तूने, जानता है अंदर से रोने-रोने जैसा मन कर रहा था. सॉरी यार, मैं पहली बार किसी लड़की को ले कर इतना सीरीयस हुआ. उस वक़्त पता नही क्या हुआ, मैं खुद पर काबू नही रख पाया. जब कि बात केवल दोस्त के घर की नही थी यार, मुझे तो ट्रनिंग मे एमोशनलेस्स होना सिखाया गया था".

मनु.... मियाँ, अब ग़लती तो हो गयी तेरे से. भाई मेरी तरफ से तो रिस्ता पक्का है. आख़िर घर का लड़का है, मेरा खुद का जाँचा-परखा. और माशा-अल्लाह आज के दौर मे ऐसा नायाब हीरा कहाँ मिलता है. पर बेटा मेरे हां कहने से कुछ नही होता, लग जा अपनी दुल्हनिया के पिछे, उसने हां कर दी तो तुम दोनो का रिश्ता मैं करवाउंगा....

स्नेहा.... लेकिन उसकी शादी तो पहले से तय है...

मनु... तो क्या हुआ, डीडीएलजी रीफ्रेन्स के तौर पर देख लेगा अखिल, हा हा हा.

अखिल.... वो सब छोड़, पर यार इतनी तो क्लास नही लेना था ना. सच मे बहुत बुरा फील हुआ.

मनु.... कल तुमने मेरी होने वाली दुल्हनिया को डराया, और उससे फ्लर्ट किया था ना, उसी की सज़ा तुम्हे दिया.

अखिल.... क्या ???? ओह्ह्ह हूओ, ओह्ह्ह हूओ ... मुझे कल ही लगा था तुम दोनो के बीच कुछ है, आख़िर मेरा अंदाज़ा सही निकला.... पार्टययययी टाइमेयीईयी... बॉस को बोल ऑफीस संभाले.... हम पार्टी करते हैं....
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11-17-2020, 12:10 PM,
#57
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
इधर सब लोग अपनी-अपनी बात करने मे लगे थे, और अखिल, काया का हाथ थामे उसे बस देखे ही जा रहा था. काया, अखिल की हरकतों पर हँसती हुई, बस खड़ी उसे देख रही थी. मनु की नज़र जब उन पर पड़ी तो ज़ोर से कहने लगा..... "अखिल तू बाहर से चिल्लाता हुआ क्या कह रह था"

अखिल का ध्यान टूटा, और वो हडबडा कर अपना हाथ हटाया. काया उसकी हालत देख कर ज़ोर-ज़ोर हँसने लगी. तीनो जैसे आए थे वैसे ही वापस चले गये. लेकिन काया का जाना अखिल को अखर रहा था, वो तो बस इस हसरत से था कि यहाँ से सब लोग चले जाए, और काया और वो बिल्कुल अकेले रहे.

मनु, अखिल के आँखों के पास चुटकियाँ बजाते.... "तू खोया कहाँ है अखिल"

अखिल.... यार बड़ा बेईमान है तू, शादी फिक्स कर ली और लड़की से मिलवाया भी नही....

मनु.... मेरी छोड़, तू मेरी बहाँ को घूर क्यों रहा था.... साले अभी निकल जा यहाँ से. तुम्हे शर्म नही आती, दोस्त की बहाँ को ऐसे घूरते हुए....

अखिल.... सॉरी यार, मुझे मंफ़ कर दे. पर सच कहता हूँ, उसे देख कर जैसे मैं कहीं खो सा गया.... देख तू मुझे जानता है, मैं क्या ग़लत लड़का हूँ.

मनु.... ग़लत क्या होता है अखिल. अभी तो देख लिया ना मैने. किसी के दिल मे क्या है, वो तो वक़्त आने पर ही दिख जाता है. जैसे मुझे अभी दिखा.

अखिल.... यार, मुझे वो वाकई बहुत प्यारी लगी. अगर तुम राज़ी हो तो मैं उस से शादी करना चाहता हूँ.

मनु..... दो कौड़ी के पोलीस वाले तुमने ऐसा सोचने की हिम्मत कैसे किया.

अखिल.... मनु, तू बहुत बड़ा पैसा वाला होगा, पर किसी की औकात इतनी आसानी से नही आँकते.

मनु.... अच्छा तो कैसे आँकते हैं. किसी के घर गये, और उसके घर के औरतों पर बुरी नज़र डाल कर.

अखिल.... आइ आम सॉरी दोस्त. ठीक है मुझ से ग़लती हुई. चलता हूँ अभी.

मनु.... ओये मूड कर उधर मेरे एनकाउंटर का तो नही सोच रहा.

अखिल, मुस्कुराता हुआ पीछे मुड़ा.... "यार बहुत गिल्टी फील करवाया तूने, जानता है अंदर से रोने-रोने जैसा मन कर रहा था. सॉरी यार, मैं पहली बार किसी लड़की को ले कर इतना सीरीयस हुआ. उस वक़्त पता नही क्या हुआ, मैं खुद पर काबू नही रख पाया. जब कि बात केवल दोस्त के घर की नही थी यार, मुझे तो ट्रनिंग मे एमोशनलेस्स होना सिखाया गया था".

मनु.... मियाँ, अब ग़लती तो हो गयी तेरे से. भाई मेरी तरफ से तो रिस्ता पक्का है. आख़िर घर का लड़का है, मेरा खुद का जाँचा-परखा. और माशा-अल्लाह आज के दौर मे ऐसा नायाब हीरा कहाँ मिलता है. पर बेटा मेरे हां कहने से कुछ नही होता, लग जा अपनी दुल्हनिया के पिछे, उसने हां कर दी तो तुम दोनो का रिश्ता मैं करवाउंगा....

स्नेहा.... लेकिन उसकी शादी तो पहले से तय है...

मनु... तो क्या हुआ, डीडीएलजी रीफ्रेन्स के तौर पर देख लेगा अखिल, हा हा हा.

अखिल.... वो सब छोड़, पर यार इतनी तो क्लास नही लेना था ना. सच मे बहुत बुरा फील हुआ.

मनु.... कल तुमने मेरी होने वाली दुल्हनिया को डराया, और उससे फ्लर्ट किया था ना, उसी की सज़ा तुम्हे दिया.

अखिल.... क्या ???? ओह्ह्ह हूओ, ओह्ह्ह हूओ ... मुझे कल ही लगा था तुम दोनो के बीच कुछ है, आख़िर मेरा अंदाज़ा सही निकला.... पार्टययययी टाइमेयीईयी... बॉस को बोल ऑफीस संभाले.... हम पार्टी करते हैं....
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11-17-2020, 12:10 PM,
#58
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम को तनु-रौनक की मीटिंग....

रौनक..... तनु जी अब कोई फ़ायदा नही, हम तीनो एक भी हो जाए तो मूलचंदानी फिर भी आगे ही रहेंगे. मुझे मेरी कंपनी पर ध्यान देने दीजिए...

तनु.... सुनिए रौनक जी. इस ग्रूप को खड़ा करने मे आप सब की जितनी मेहाँत है, उसका 10% मेहाँत भी मूलचंदानी ने नही किया. मैं तो आप सब के हक़ की बात कर रही हूँ. यदि आप साथ दे, तो हम ये बाज़ी बड़ी आसानी से जीत लेंगे.

रौनक.... वो कैसे....

तनु.... कुछ पाप ऐसे होते हैं जिस के धब्बे कभी नही मिट'ते. बस कुछ पुरानी बातें तो बाहर आनी है. कुछ ऐसी बातें जो मूलचंदानी मेंशन के अंदर दफ़न है, बस उसे बाहर ही तो करना है. लेकिन हम कामयाब तब तक नही होंगे, जब तक आप साथ ना दे.

रौनक.... आप करने क्या वाली हैं तनु जी.

तनु.... रौनक जी, आप के चेहरे के भाव देख कर मुझे ये तो समझ आ रहा है कि आप बात को अच्छी तरह समझ गये हैं, फिर ऐसे अंजान क्यों बन रहे हैं.

रौनक.... ह्म ! बात अंजान बन'ने की नही है. बात उस राज की है जिसे आप बाहर लाना चाहती हैं. मुझे सोचने का वक़्त दीजिए, मैं अभी किसी नतीजे पर नही पहुँच सकता.

तनु.... ठीक है आप आराम से सोचिए रौनक जी. पर सोचने मे इतना भी वक़्त नही लगाइएगा कि बाज़ी अपने हाथ से निकल जाए....

रौनक का उड़ा चेहरा सॉफ बता रहा था कि इस बात के परिणाम कितने गंभीर हो सकते हैं, वहीं तनु अपनी चेहरे पर ऐसे मुस्कान लिए रौनक को देख रही थी, मानो कह रही है.... "हमारे साथ मिल जाइए और बस तमाशा देखिए"

इस मीटिंग से दोनो किसी नतीजे पर तो नही पहुचे, लेकिन रौनक को आने वाले कल की भनक ज़रूर लग गयी. दोनो बाप-बेटी, रात को खाने पर बैठे थे....

रौनक.... जिया बेटा मुझे तुम से कुछ बात करनी थी.

जिया.... पापा कहिए भी, इसमे इतना फॉर्मल होने की क्या ज़रूरत है.

रौनक.... बेटा मैं ये कह रहा था कि हम अपना शेयर और अपनी कंपनी ले कर सब लोगों से साइड हो जाते हैं. मुझे नही लगता है कि हमे पूरे ग्रूप के बारे मे सोचना चाहिए.

जिया.... पापा, आप के चेहरे के भाव कुछ और ही बता रहे हैं. तनु आंटी से मीटिंग थी ना, क्या हुआ उस मीटिंग मे.

रौनक उस मीटिंग की सारी बात और तनु के मंसूबे को बता कर जिया से कहने लगा.... "हमे नही इनके झमेले मे पड़ना चाहिए, हम साइड ही रहते हैं इस से. जिसे जो करना है करे".

जिया.... हा हा हा... पापा, आप भी ना बच्चों जैसी बातें करते हैं. आप तनु आंटी को हां कह दो और साइलेंट्ली कूद जाओ इस खेल मे. वैसे भी डाइरेक्ट वॉर तो वही करने वाले हैं. हम बस पिछे खड़े रह कर तमाशा देखेंगे... वैसे एक बात आप को पता है क्या ?

रौनक... क्या????

जिया.... नताली, मनु का ग्रूप शायद कल से जाय्न कर ले.

रौनक.... मतलब...

जिया.... पापा यदि मैं ग़लत नही हूँ तो ये लोग केवल अतीत को निशाना नही बना रहे. बल्कि कहानी कुछ यूँ होगी कि प्रेज़ेंट की किसी एक घटना को ले कर अतीत की धज्जियाँ उड़ाएंगे ये लोग. और यदि ऐसा होता है तो उस वक़्त कंपनी मूलचंदानी के हाथ मे नही, उनके पार्ट्नर्स के हाथ मे चली जाएगी.

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11-17-2020, 12:10 PM,
#59
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

मूलचंदानी हाउस.....

हर्षवर्धन..... अमृता, रौनक भड़क गया है हमारे फ़ैसले से. उसकी बातों से कड़वाहट नज़र आ रही थी.

अमृता..... ये तो होना ही था डार्लिंग. वैसे उन दोनो पार्ट्नर्स के क्या हाल हैं.

हर्षवर्धन.... उनकी हालत तो रौनक से भी खराब लगती है. आज कल उनकी अगुवाई तनु कर रही है.

अमृता.... डार्लिंग आप बस अब गेम एंजाय करो. आग लग चुकी है... धुआँ भी उतना शुरू हो गया है. अपना काम तो अब बस उन आग की लपटों को बढ़ाना है.

हर्षवर्धन.... लेकिन अमृता, कहीं ये आग हमारे घर को ना जला दे. रजत पहले तो खफा था, अब तो वो पूरे गुस्से मे है. मुझ से कह रहा था, हम मजबूर नही हो सकते, उस नाजायज़ को ये सुख ज़्यादा दिन नसीब नही होगा.

अमृता.... बच्चा है अभी, कल मैं उस से बात करूँगी, और बात कर के सब समझा दूँगी.

हर्षवर्धन.... कल क्यों, उसका इतना गुस्सा होना मुझे कुछ ठीक नही लग रहा. अभी चलते है ना बात करने.

अमृता.... ओह्ह्ह्ह कम ऑन हर्ष, जवान है, पार्टी मनाने गया है दोस्तों के साथ, उसे एंजाय करने दो. ये सब बातें शुरू कर के उससे अभी इन्वॉल्व मत करो. हम उस से कल बात कर लेंगे....

रात के 10:30 बजे... एक क्लब मे..

रजत कोकीन के एक शॉट सुघने के बाद जाम के घूँट पर घूँट पिए जा रहा था. पीछे से उसकी गर्लफ्रेंड उसके गले मे हाथ डालती...... "कम ऑन रजत, सब पार्टी एंजाय कर रहे हैं, और तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो".

रजत.... दीप्ति, मेरा मूड ठीक नही है, तुम सब पार्टी एंजाय करो.

दीप्ति पिछे से उसके कान को अपने दाँतों तले दबाती.... "चलो भी, एक डॅन्स जाए"

रजत.... एक बार तुमसे कहा ना मेरा मूड नही है, फिर क्यों परेशान कर रही हो.

रजत की तेज आवाज़ सुन कर उसके बाकी के दोस्त भी उनके पास आ गये. बार काउंटर के आगे सभी उसे घेर कर बैठ गये.

सम... रजत ब्रो क्या हुआ, तुम इतने परेशान क्यों लग रहे हो.

रजत, लड़खड़ाई सी आवाज़ मे कहा... "पार्टी ओवर दोस्तों, तुम सब अब जाओ, मैं भी चलता हूँ".

सम.... फ्रेंड्स पार्टी ओवर. दीप्ति चल इसे ले कर...

सम अपनी बात कहते दीप्ति को आँख मारा, और दोनो उसे ले कर दीप्ति के फ्लॅट पर पहुँच गये. वहाँ पहुँच कर दोनो फिर से रजत को घेर कर बैठ गये....

सम... तुझे क्या हुआ, इतना परेशान क्यों है.

रजत..... दिमाग़ की माँ बहाँ मत कर, और चुप-चाप जा यहाँ से.

सम.... यार बात दोस्तों को नही बताएगा तो किसे बताएगा. आख़िर दोस्त होते किस लिए हैं. तू परेशानी तो बता, हम जान लगा कर भी उससे तेरे लिए हल कर देंगे.

रजत.... क्या बताऊ, साला एक हरामी मेरा हक़ मारने पर तुला है. उसकी नज़र मेरी सारी प्रॉपर्टी पर है. उस ने मोम-डॅड को इतना मजबूर कर दिया कि, उन्हे अपना शेयर तक उस हरामी को देना पड़ा. जी तो करता है उसे अभी जा कर गोली मार दूं.

सम.... और गोली मार कर खुद जैल चले जाना. फिर वो दौलत को क्या दीमक चाटेगी. तू ये बड़ों की बातें उन्ही पर क्यों नही छोड़ देता. वो लोग खुद समझ लेंगे.

दीप्ति.... हां रजत, इतना टेन्षन लेने से कोई फ़ायदा नही.

रजत.... भागो यहाँ से कमिनो. कोई मेरे हक़ छिन रहा है, और मुझे ही शांत होने को कह रहे हो.अपना प्रवचन अपने पिच्छवाड़े मे डाल लो. गन निकाल, किधर है उसे अभी गोली मारूँगा फिर मेरे कलेजे को ठंडक मिलेगी.

सम.... तेरा दिमाग़ फिर गया है. अच्छा सुन मेरी एक बात. ये हरामी भी बिल्कुल अपने टाय्लेट की तरह होते हैं. ठीक से सॉफ ना करो तो इसकी बदबू पूरे घर मे फैलती है... तो क्या करे जा कर खुद ही टाय्लेट सॉफ करे, उस गंदगी को खुद छुये... या किसी को बुला कर उसे सॉफ करवाते हैं...

रजत.... साले, अब किया ना तूमे पते की बात. अभी फोन लगा उस गंदगी सॉफ करने वाले को. उस हरामी की बदबू मैं और बर्दास्त नही कर सकता.

सम.... रहने दे अभी रात हो गयी है. तू 10 लाख का एक टोकन अमाउंट दे. कल उस गंदगी सॉफ करने वाले से भी मीटिंग फिक्स कर लेते हैं.... तब तक तू एक काम कर....

रजत उसे 10 लॅक का एक चेक देते पुच्छने लगा.... "क्या करूँ".

सम.... दीप्ति को भरे क्लब मे तुम्हे डांटा... यहाँ भी चिल्ला दिया... देख तो बेचारी कितनी उदास है... आज रात तुम दीप्ति की उदासी मिटाओ, कल हम उस गंदगी को भी भागते हैं. ग़लती दुश्मन करे... और सज़ा अपनो को दे रहे हो. ये नही चलेगा... आज तो पूरा मज़ा देना दीप्ति को.
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11-17-2020, 12:10 PM,
#60
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )

सम की बात सुन कर रजत जाम हाथ मे उठाया, और दीप्ति को देख कर कहने लगा.... "आज तो मैं अपनी बेब को पूरा खुश कर दूँगा.... कल मिलता हूँ साले... सारा इंतज़ाम कर देना"...

दीप्ति, रजत के साथ उसे नीचे तक ड्रॉपे करने गयी.... "ज़रा आराम से इसे दुनिया दिखाना, ताकि तेरा दीवाना रहे. सही मौके पर बड़ा मुर्गा फसा है. अभी तो ये हमारी करोड़ो की चाबी है. बस कोई ग़लती मत करना".

दीप्ति, सम को ड्रॉप कर के जल्द ही वापस आई... तब तक रजत विश्की के दो पॅक बनाए बैठा था. दीप्ति जैसे ही अंदर आई.... उसे कमर से पकड़ कर खींचा और खुद से चिपका लिया. उसके हाथों मे जाम के ग्लास थमाते कहने लगा..... "ओ' माइ हॉट बेबी, यू आर सो सेक्सी.... आज तो प्यास बढ़ रही है"

दीप्ति..... तुम भी बिल्कुल माचो मॅन लग रहे.... बिजली गिरा रहे हो. आज तो प्यास इधर भी पूरी भड़की है. बुझा लो, और बुझा दो प्यास.

एक दूसरे से लिपटे हुए दोनो ने एक-एक जाम पिया, और रजत उसके हाथों से ग्लास ले कर टेबले पर रख दिया. ग्लास नीचे रख कर, रजत उसके होंठो को अपने उंगली से मसल दिया और अपने होंठ लगा कर ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगा.

पूरी तेज़ी के साथ दोनो एक दूसरे के होंठ चूमना शुरू कर दिए. पूरा मुँह कॉल कर दोनो एक दूसरे का मुँह अपने मुँह मे भरते, खींचती सांसो के साथ जीभ से जीभ लगा कर चूस्ते चले जाते, और फिर छोड़ती सांसो के साथ दोनो के होंठ अलग हो जाते.

दीप्ति उसे चूमते हुए नीचे बैठ गयी, और रजत अपनी पीठ दीवाल से टिका दिया. दीप्ति तेज़ी दिखाते हुए उसके बेल्ट को खोली, फिर पैंट के बटन, और फिर जिप को नीचे खिसकाती, उसके पैंट को घुटनों मे कर दी.

दीप्ति, अंडरवर के उपर आए उभार पर अपने होंठ ले गयी, और उसे चूम कर तेज सांस अपने अंदर खींची. इधर दीप्ति ने तेज सांस लिया उधर रजत की साँसें चढ़ गयी.... "ऊओ कम ऑन बेबी सक इट"

दीप्ति, उपर नज़र उठा कर रजत को देखी और अपने होंठों को काट'ती कहने लगी.... "ओह्ह रियली रजत" और इतना कह कर अपन मुँह पूरा खोली और अंडरवर के उपर आए उभार को अपने मुँह मे भर कर दाँतों से धीरे-धीरे काटने लगी.... "ऊऊऊऊऊ.. आआआआआअ, कॉमह ओन्णन्न्.... आआआ... जान ले रही हूऊओ... उफफफफफ्फ़"

रजत की कमर फडक उठी और गर्दन उपर कर के वो तेज-तेज साँसे लेने लगा. दीप्ति देर ना लगाती हुई, उसके अंडरवर मे हाथ डाल दी, और उसके लिंग को अपने हाथों मे ले कर उसे बाहर निकाल दी. जैसे ही दीप्ति ने अपने सर्द हाथ से लिंग पकड़ी, रजत भी ठंडी सांस ले लिया.

दीप्ति लिंग को अपने दोनो हाथ मे पकड़ी और ज़ोर-ज़ोर से उसे जड तक आगे पिछे करने लगी. एक्सिटमेंट आउट ऑफ कंट्रोल हो गया, और रजत ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगा.... "ओह्ह्ह्ह एसस्स... ओह्ह्ह्ह... दीप्ति... कम ऑन बेबी... सक इट... सक इट नाउ"

दीप्ति, रजत की बेकरारी पर मुस्कुराती, अपनी बड़ी सा जीभ निकाली, और लिंग के टॉप पर अपनी जीभ फिरा दी. पूरा बदन जैसे रजत का कांप गया हो. दो-तीन बार पूरी जीभ फिराने के बाद लिंग को अपने मुँह मे भर ली और अपने सिर हिला-हिला कर चूसने लगी.....

"ऊओफफफफफ्फ़... ऊओफफफफफफफ्फ़" करते हुए अपने दोनो मुट्ठी मे रजत ने दीप्ति के बाल पकड़े और उसका सिर ज़ोर-ज़ोर से आगे पिछे हिलाने लगा. उस पर से रजत अपने कमर को भी तेज़ी से झटकने लगा. एक्सिटमेंट... पूरा दोनो के उपर हावी हो गया था.

थोड़ी ही देर मे रजत पूरा पागल होते ही दीप्ति को उपर उठाया और खुद नीचे बैठ गया.... दीप्ति उल्टी घूम कर दोनो हाथ दीवाल से टिका ली. रजत उसकी स्कर्ट को उपर किया, और सर-सराते हुए उसकी पैंटी को नीचे उसके पाँव मे ले आया.

दीप्ति भी अपने पाओं से पैंटी निकालती, पीछे रजत के चेहरे पर फेक दी. रजत उसे नाक से लगा कर उसकी खुबहू लिया और उसे फर्श पर फेक कर अपना सिर पीछे से उसके चुतड़ों की दरारों के अंदर ठूंस दिया. बड़ी ही तेज़ी दिखाते हुए... उसने अपने हाथ आगे ले जा कर उसकी योनि के अंदर डाल कर ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा... और पिछे से पूरा जीभ फिरा रहा था.....

"आहह..... ऱजत्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त्त" की सिसकी दीप्ति के मुँह से निकल गयी और उसने अपने पाँव को और फैला दिया. रजत लगातार पूरे एक्सिटमेंट के साथ उंगली अंदर बाहर करता रहा, और अपने दाँतों के बीच योनि के क्लिट को फसा कर उस पर जीभ फिराते हुए अपने दाँतों से हल्के-हल्के काटने लगा.

दीप्ति का रोम-रोम सिहर गया, उसके पाँव काँपने लगे..... "उम्म्म्ममममम .... आआआ.... ऊओफफफफफ्फ़... रजत... प्लीज़ ... अब तडपाओ मत..... फक मे बेबी..... फक मी हार्ड्ड्ड"

रजत अपना चेहरा बाहर निकालते हुए, "ओह्ह्ह्ह एसस्स बेबीयी" कहा... और खड़ा हो गया. दीप्ति को अपनी ओर घुमाया.... उसके होंठों को ज़ोर से चूस्ते... उपर से उसे टॉपलेस कर दिया.... और फिर से उसे पिछे घुमा दिया.

दीप्ति दोनो हाथ से दीवार थामे... अपने पूरा पाँव फैला ली, रजत अपने लिंग को उसकी योनि के उपर घिसा, और एक्सिटमेंट से भरा झटका दिया. लिंग, योनि के अंदर पूरा चला गया..... "ओह यअहह बेबीयीईयी.... फक... फक्क्क... फक्क्क... इट हार्ड्ड्ड"

रजत अपने दोनो हाथ उसके बूब्स पर टिकाते, उसे ज़ोर-ज़ोर से मसल्ते हुए, तेज-तेज धक्के लगाने लगा. हर धक्के पर दोनो तेज-तेज चिल्लाते जाते...

"उफफफफफफ्फ़.... आआअहह.... ओह... यअहह... ऱजत्त्त्त्त.... यअहह बेबीयी.... एससस्स... एसस्स एससस्स... फक इट.... फक्क्क्क इत्त्तत्त ओह... फक मी हार्ड्ड्ड... ऱजत्त्त्त्त्त"

रजत भी बूब्स को और ज़ोर-ज़ोर से मसलते हुए धक्के लगाते ही गया.... तेज.. तेज.... और तेज... धक्को की स्पीड पूरी तेज होते चली गयी..... "ओह्ह्ह्ह... दीप्ति.... उफफफ्फ़..... मेरा... हूओ गया.... उफ़फ्फ़... ओह्ह्ह दीप्ति.... आहह"

दीप्ति तुरंत सीधी हुई और घुटनो पर बैठ कर.... "कम .. ऑन बेबी... कम ऑन माइ फेस... ओह्ह्ह कम ओनन्न"..

दीप्ति अपनी आखे मुन्दे सिर उपर की, और बड़बड़ाने लगी.... दो-तीन बार हिलने के बाद... रजत ने अपना कम दीप्ति के चेहरे पर पूरा छोड़ दिया... और बिस्तर पर जा कर धम्म से पड़ गया...

दीप्ति भी अपने चेहरे को सॉफ करती उसी हालत मे जा कर रजत के बगल मे लेट गयी....

रजत.... ओह्ह्ह दीप्ति यू आर रियली आ फक्किंग बिच...

दीप्ति.... रजत यू टू रॉकिंग... मज़ा आ गया.... तुम्हे मज़ा आया कि नही...

रजत.... उफफफ्फ़ जान ही निकाल दी थी.... उम्म्म व्हाट आ सकिंग दीप्ति.... मैं तो पागल हो गया....

दीप्ति.... ये सब तो तुम्हे देख कर एक्सिटमेंट मे हो गया.... यू आर रियली अवेसम रजत....

रजत.... उम्म्म्मम ... तुमने तो खुश कर दिया मुझे.... दीप्ति...

दीप्ति.... डार्लिंग, एक बात कहूँ...

रजत.... बोलो ना, क्या कहना है....

दीप्ति.... डार्लिंग इस फ्लॅट मे बहुत परेशानी होती है. अभी तो कोई रूममेट नही तो कोई बात नही, पर मैं इस शेरिंग फ्लॅट से परेशान हो गयी हूँ.

रजत.... हा हा हा.... बस इत्ति सी बात... मेरी गर्लफ्रेंड और शेरिंग फ्लॅट मे. कल मेरे आड्वोकेट को कॉल कर देना, वो पेपर की सारी फॉरमॅलिटी पूरी कर देगा.... और कल ही सेक्टर 10 के आदर्श अपार्टमेंट के फ्लॅट नंबर 223 मे शिफ्ट हो जाना.

दीप्ति, खुश होती हुई.... "रजत.... एक बार हो जाए... मेरा दिल अभी भरा नही"....

दोनो ही रात भर लगे रहे एक दूसरे मे.... एक पूरी रात दोनो ने पूरी मस्ती से बिताए.
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