Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
11-23-2020, 01:59 PM,
#21
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री


22

" ये बाते तुम्हे कहाँ से पता चली "
" कान्हा के दोस्तो ने बताया था, लेकिन बताने से पहले उन्होने अपना नाम ना खोलने की शर्त रखी थी, उनके घरवालो को पता लगा तो उन्होने तो घोर आपत्ति उठा दी, बल्कि सीधे-सीधे ये ही कहने लगे कि हमारे बच्चो ने तुम्हे ऐसा कुछ नही बताया है, हम, मतलब पोलीस समझ गयी कि बच्चे कोर्ट मे पेश होकर वे बयान देने वाले नही है जो मुझे दिया गया है इसलिए कोर्ट मे पेश की गयी स्टोरी मे उन बच्चो का कोई ज़िक्र नही किया गया है "
" कौन है वे बच्चे "
राघवन चुप रह गया.

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" चुप रहने से काम नही चलेगा राघवन प्यारे " थोड़ी देर की चुप्पी के बाद विजय ने कहा," बच्चो के बारे मे बताओ "
" कोई फ़ायदा नही होगा सर क्योंकि अपने परिवारो के प्रेशर मे आए वे अब किसी के सामने कुछ भी कहने वाले नही है, और फिर, इस सबकी ज़रूरत भी क्या है, उनके आभाव मे भी कोर्ट सरकार दंपति को मुजरिम करार दे चुकी है "
" तुम शायद भूल रहे हो राघवन प्यारे कि हमारा संबंध रॉ से है " विजय ने थोड़े कड़क लहजे मे कहा था," तुम्हे हमारे हर सवाल का जवाब देना होगा, सीधी उंगली से नही तो टेढ़ी उंगली से "
रागवान ने एक सेकेंड सोचा, फिर बोला," क्योंकि आपसे छुपा नही सकता, इसलिए बता रहा हू, शुभम और संचित "
" कॉलोनी के है या.... "
" स्कूल के, उसी की क्लास मे पढ़ते है "
" अड्रेस तो उनके बाद मे ले लेंगे " विजय ने कहा," फिलहाल ये बताओ, उन्होने क्या बताया "
" कान्हा अक्सर उनसे मीना की बाते करता था, कहता था कि उसे उसके साथ बहुत मज़ा आता है, वो उन्हे भी किसी से ऐसे संबंध बनाने के लिए उकसाता था, कहता था कि इसमे कोई बुराई नही है बल्कि नया एक्सपीरियेन्स होता है "
" क्या उसने उन्हे अपने संबंधो का कोई सबूत भी दिया था "
" उन्हे तो नही दिया मगर मेरे हाथ लग गया था "
" कैसे और क्या "
" कान्हा का मोबाइल तो गायब हो ही गया था जो आजतक नही मिला परंतु उसके लॅपटॉप से मुझे एक ई-मेल मिला, ई-मेल उसने अपने पापा यानी मिस्टर. सरकार को भेजा था, लिखा था, मुझे मालूम है कि आप नाराज़ है, मुझे ऐसा नही करना चाहिए था, मगर नयी जेनरेशन पुरानी जेनरेशन से ज़रा अलग है, मैंने एक्सपीरियेन्स के लिए ऐसा किया, मेरे दोस्तो ने कहा था कि इसमे कोई बुराई नही है, आपको दुख पहुचाने के लिए सॉरी, बस इतना ही कह सकता हू कि अब ऐसा बालिग होने के बाद ही करूँगा "
" इस ई-मेल मे मीना से सेक्स संबंधो की बात कहाँ है, बल्कि अगर ये कहा जाए तो ज़्यादा मुनासिब होगा कि पता ही नही लग रहा कि कान्हा किस संबंध मे बात कर रहा है "
" क्या आपने बालिग होने के बाद वाली बात नही पकड़ी "
" बालिग होने से तो और भी काई चीज़ो का संबंध है "
" शायद आप ठीक कह रहे है लेकिन.... भले ही ई-मेल मे बात सॉफ ना हो लेकिन शुभम और संचित के बयानो की रोशनी मे बात पूरी तरह सॉफ हो जाती है "
" ई-मेल उसी संबंध मे था तो एक बात और सॉफ हो जाती है "
" क्या "
" मिस्टर. सरकार को कत्ल वाली रात से पहले ही कान्हा और मीना के संबंधो के बारे मे पता था, उस पर उन दोनो के बीच चर्चा भी हो चुकी थी और ई-मेल के ज़रिए उसने माफी भी माँग ली थी "
" सो तो है ही, तभी तो 4 और 5 जून की रात को मिस्टर. राजन सरकार मीना को उसके कमरे से गायब पाते ही समझ गये कि वो कहाँ होगी, हॉकी उठाकर गुस्से मे भरे सीधे कान्हा के कमरे मे पहुचे और वहाँ के हालात देखकर अपने गुस्से पर काबू ना रख सके और... मैंने उस रात का पूरा डेमो तैयार किया है जो कोर्ट को दिखाया गया, आप भी देख सकते है "
उसके ऑफर को दरकिनार करके विजय ने पूछा," तुमने मिस्टर. सरकार से ई-मेल के बारे मे पूछा होगा "
" उस वक़्त तो नही लेकिन इनटेरगेशन के दरम्यान पूछा था"
" क्या जवाब मिला "
" उनके मुताबिक कान्हा ने एक बार विस्की पी ली थी, पता लगने पर उन्होने डाँट लगाई, कहा कि इस उम्र मे तुम्हे ऐसा नही करना चाहिए, ई-मेल के ज़रिए उसने उसी के संबंध मे माफी माँगी थी "
" मिस्टर. सरकार और चंदानी के बारे मे किसने बताया "
" शुभम और संचित ने ही "
" क्या कहा "
" कान्हा ने उन्हे बताया था, मेरे पापा और चंदानी आंटी के बीच संबंध है, मैंने उन्हे साथ देखा है "
" तुमने पूछा होगा, कब और कैसे "
" उन्होने बताया कि कान्हा ने कहा था, एक रात मम्मी ने भी ज़्यादा पी ली थी और चंदानी अंकल ने भी, वे बेसूध हो गये, नशे मे तो पापा और चंदानी आंटी भी थी लेकिन वे बेसूध नही थे, उस रात मीना उसके बेटे से मिलने गयी हुई थी, पापा सोच रहे थे कि मैं सोया हुआ हू मगर ऐसा नही था, मैं इंटरनेट पर पॉर्न फिल्म देख रहा था, आहट सुनकर की-होल से झाँका तो देखा कि पापा चंदानी आंटी को किस कर रहे थे, कुछ देर बाद उन्हे बाँहो मे भरे ड्रॉयिंगरूम से बेडरूम की तरफ ले गये, मैं लॉबी मे आया, दबे पाँव पापा के बेडरूम की तरफ बढ़ा, वो अंदर से बंद था लेकिन ऐसी आवाज़े आ रही थी जैसी पॉर्न फिल्म्स मे होती है "
विजय जैसा शख्स हैरान होकर कह उठा," आज की जेनरेशन ऐसी बाते दोस्तो से शेअर करती है "
" इससे भी ज़्यादा "
" मतलब "
" शुभम और संचित ने ये भी बताया कि एक बार जब कान्हा के पापा ने मीना को नौकरी से हटाने की बात कही तो वो पापा से अड़ गया, पापा ने जब सख्ती की तो उसने कह दिया, अगर आप ऐसा करेंगे तो मैं आपके और चंदानी आंटी के बारे मे सबको बता दूँगा, वे इस बात को सुनकर सहम गये और मीना को नौकरी से हटाने का ख़याल दिमाग़ से निकाल दिया "
" इस बारे मे मिस्टर. सरकार से बात की "
" उनसे भी की थी और मिसेज़. चंदानी से भी, दोनो, ना केवल मुकर गये बल्कि ये कहते हुवे मुझपर राशन-पानी लेकर चढ़ गये कि मैं इतनी गंदी बाते सोच भी कैसे सकता हू "
" तब "
" मुझे लगा, अड़ने से फ़ायदा नही होगा क्योंकि अपने घरवालो के प्रेशर मे आए बच्चे अब किसी के सामने कुछ नही कहेंगे बल्कि इस बात से सॉफ मुकर जाएँगे कि उन्होने ऐसा कुछ कहा था "
" अधिकारियो को बताया होगा "
" सुनने के बाद वे भी यही बोले कि चार्जशीट मे इस बात का ज़िक्र करने से कोई लाभ नही होगा बल्कि हानि हो सकती है क्योंकि बच्चो के बयान के आभाव मे इस बात को सिद्ध नही कर सकेंगे, वैसी हालत मे चार्जशीट कमजोर पड़ जाएगी, इसलिए कोर्ट मे कही भी इन बातो का ज़िक्र नही आया "
" इतना सब पता लगने के बाद तुमने क्या किया "
" लगभग सबकुछ सॉफ था मगर कोई सबूत नही था इसलिए सरकार का मोबाइल सर्व्लेन्स पे ले लिया गया, इस बीच शायद मिस्टर. सरकार को भी इल्म हो गया था कि वे शक के दायरे मे आ गये है इसलिए उन्होने बिजलानी से जमानत की प्रक्रिया के बारे मे पूछा, ये पता लगते ही आइजी साहब अंतिम निर्णय पर पहुच गये, उनके हुकुम पर सरकार दंपति को गिरफ्तार कर लिया गया "
" मिसेज़. सरकार को क्यो "
" क्या आपको लगता है कि मिस्टर. सरकार ने इतना सबकुछ अकेले कर दिया होगा और मिसेज़. सरकार को कुछ पता ना लगा होगा "
विजय चुप रह गया.
राघवन कहता चला गया," फ्लॅट मे 4 लोग थे, दो मारे गये, दो जिंदा बचे, ऐसा हो ही नही सकता कि 2 को एक ने मारा हो और चौथे को पता ना लगा हो, ये बात असंभव है, ख़ासतौर पर उस हालत मे जबकि हत्याए हॉकी से हुई... "
विजय ने राघवन को टोका," तब तक ये बात कहाँ क्लियर हुई थी कि हत्याए हॉकी से हुई थी "
" गिरफ्तारी से पहले हो चुकी थी "
" कैसे "
" पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से " राघवन ने बताया," दूसरी बातो के अलावा उसमे ये भी था कि कान्हा की कनपटी और मीना के सिर पर हॉकी जैसी किसी चीज़ के निशान पाए गये है, हमारे लिए यानी कि पोलीस डिपार्टमेंट के लिए इतना काफ़ी था, हमे मालूम था कि मिस्टर. सरकार अपनी जवानी मे हॉकी के अच्छे खिलाड़ी रह चुके है और उसी वजह से वर्तमान मे रेलवे टीम के कोच है तो स्वाभाविक रूप से उनके घर मे हॉकी भी रहती होंगी जबकि तलाशी मे एक भी हॉकी नही मिली थी, जब इस बारे मे सवाल किया गया तो उन्होने बड़ा ही ना-मुमुकिन सा जवाब दिया "
पता होने के बावजूद विजय ने पूछा," क्या "
" उन्होने कहा, पिच्छले रात मैंने दो हॉकी बेडरूम मे रखी थी लेकिन सुबह वहाँ एक भी नही थी जबकि बेडरूम अंदर से बंद था "
" इस जवाब पर पोलीस ने क्या सोचा "
" कि वे झूठ बोल रहे है "
" क्यो "
" क्योंकि वे मर्डर वेपन को सामने नही ला सकते थे, उसे हमेशा के लिए गायब कर दिया था उन्होने, आजतक भी नही मिला "
" तुमने अपनी स्टोरी मे हॉकी के मीना के कमरे मे होना दर्शाया है, शायद डेमो मे भी यही है, ऐसा किस आधार पर किया, मिस्टर. सरकार अपनी हॉकी उसके कमरे मे क्यो रखेंगे "
" इसका कोई सबूत या आधार नही है " राघवन ने स्पष्ट रूप से कहा," कहानी को स्वाभाविक बनाने के लिए ऐसा किया गया "
" ओके, बात वही से शुरू करो जहाँ से हम ने काटी थी "
" मैं ये बता रहा था कि मिस्टर. सरकार के साथ मिसेज़. सरकार को भी क्यू गिरफ्तार किया गया, हॉकी से कत्ल करने के बाद मीना की लाश को कूड़े के ढेर पर भी पहुचाया गया, इतना ही नही, गाड़ी और पूरे फ्लॅट की सॉफ-सफाई की गयी, यहाँ तक कि कान्हा और मीना को मारने के बाद कपड़े पहनाए गये, क्या ये सब अकेले मिस्टर. सरकार के लिए संभव था "
" ऐसा कैसे कह सकते हो कि कान्हा और मीना को कपड़े उनके मारने के बाद पहनाए गये "
" जैसा कि मुझे शुरू मे ही लगा था कि कान्हा को शर्ट मरने के बाद पहनाई गयी, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद इसकी पुष्टि हो गयी "
" वो कैसे "
" रिपोर्ट मे सॉफ लिखा था, मृत्यु से पहले कान्हा सेक्स कर रहा था, मीना की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट भी यही कहती है और... "
" और "
" पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर गजेंदर हज़ारे ने आइजी साहब को बताया, मिस्टर. सरकार ने उनके पास संदेश भिजवाया था कि यदि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मे सेक्स वाली कोई बात आई हो तो उसे गोल कर जाए क्योंकि इससे परिवार की बदनामी होगी "
" इसे तो यूँ कहा जा सकता है की मिस्टर. सरकार अपने पैरो मे खुद ही कुल्हाड़ी मार रहे है "
" आप ही बताइए, इतने सब के बाद इनके हत्यारा ना होने की गुंजाइश ही कहाँ बचती है " राघवन कहता चला गया," पहली बात, मैंने खूब अच्छे से जाँच की थी, फ्लॅट मे किसी बाहरी व्यक्ति के आने का कोई निशान नही था, फिर भी अगर उन दोनो को किसी और ने मारा तो सरकार दंपति की नींद क्यो नही खुली "
" हो सकता है वे बहुत ज़्यादा नशे मे हो, उतने ही जितने एक रात मिस्टर. चंदानी और मिसेज़. सरकार हो गयी थी, बेसूध "
" पहली बात, नशा चाहे जितना हो, इतना बेसूध कोई नही होता कि केवल 4 इंच की दीवार के पार हॉकी से दो हत्याए कर दी जाए और किसी को पता ना लगे, दूसरी बात, हत्यारा या हत्यारे अगर कोई और होते तो अपना काम करने के बाद फरार होने के बारे मे सोचते या लॉबी मे डाइनिंग टेबल पर बैठकर शराब पीते "
" वो किसने पी "
" मेरा मानना है कि टेन्षन से मुकाबला करने के लिए शराब सरकार दंपति ने ही पी थी "
" तुम्हारा मानना है या इस बात का कोई सबूत भी है "
" इस केस मे सबसे अनोखी बात ही ये है " राघवन कहता चला गया," इस बात का कही भी, कोई स्पष्ट सबूत मौजूद नही है कि क्राइम सरकार दंपति ने ही किया है, सब परिस्तिथिजन्य साक्ष्य है और कोर्ट ने उन्ही के आधार पर फ़ैसला सुनाया है "
" हमारा कहना कुछ और है " विजय ने कहा.
राघवन ने पूछा," क्या "

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11-23-2020, 01:59 PM,
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" बकौल तुम्हारे ही, जिन्होने चुन-चुनकर एक-एक सबूत मिटा दिया, गाड़ी तक इस कदर धो दी कि इस बात के सबूत के नाम पर तुम्हे उसमे से कुछ नही मिला कि लाश उसी मे डालकर कूड़े के ढेर पर पहुचाई गयी, वे विस्की की बॉटल और गिलास को कैसे भूल सकते है, उन्हे वहाँ से क्यो नही हटाया "
" हो सकता है उन्होने ये सोचा हो कि बॉटल और गिलासो से उनके खिलाफ कुछ भी साबित नही किया जा सकेगा "
" हमारा जेहन ये मानने को तैयार नही है "
" तो क्या कहना चाहते है आप " राघवन ने उल्टा सवाल किया था," मीना की लाश उनकी गाड़ी मे किसी और ने कूड़े के ढेर पर पहुचाई और वापिस उनके गेराज मे लाकर खड़ी ही नही की बल्कि उसे धोया भी, उसकी सॉफ-सफाई भी की, किसी और को इतनी जहमत उठाने की क्या ज़रूरत थी, हर आंगल से एक ही बात सिद्ध होती है सर, कातिल वे ही है, बड़ी गहरी साजिश रची थी उन्होने, ऐसी कि, अगर मीना की लाश बरामद ना होती तो लोग आज भी यही सोच रहे होते कि नौकरानी मालिक के विश्वास का ही नही, उसके बेटे का भी कत्ल करके हमेशा के लिए गायब हो गयी, गौर कीजिए, मीना की लाश भी कहाँ ठिकाने लगाई उन्होने, वहाँ, जहाँ 24 घंटे गिद्ध मंडराते रहते है, उन्होने सोचा था, गिद्ध मीना की लाश को चट कर जाएँगे, वो कभी किसी को नही मिलेगी तो कोई सोच ही नही सकेगा कि उसकी भी हत्या हो गयी है, सब उसे ढूँढ-ढूँढकर थक जाते और अंततः फाइल बंद कर दी जाती, इसे सरकार दंपति का दुर्भाग्य कहा जाएगा कि मीना की लाश मिल गयी, ना मिलती तो ना केस खुलता, हर सबूत को इतनी सफाई के साथ सॉफ किया गया कि आजतक भी पोलीस के हाथ ऐसा कोई सीधा सबूत नही लगा जिसके आधार पर उन्हे कातिल साबित किया जा सके, हमे कोर्ट को धन्यवाद देना चाहिए कि उसने परिस्तिथिजन्य सबूतो को इतना महत्त्व दिया वरना .... दो कत्ल करके बचने की कैसी हैरतअंगेज़ और अद्भुत प्लॅनिंग थी ये, ऐसी, कि जिसकी कल्पना आदमी शातिर से शातिर अपराधी से भी नही कर सकता जबकि सरकार दंपति तो समाज के साधारण और सामान्य नागरिक है "
क्योंकि इस बार विजय ने कुछ नही कहा इसलिए पजेरो मे खामोशी पसर गयी, शायद विकास को भी कहने के लिए कुछ नही सूझा था इसलिए आगे का सफ़र खामोशी से कट गया मगर जैसी सनसनीखेज जानकारी उन्हे धनपतराय के फार्म हाउस पर मिली, वैसी जानकारी की कल्पना किसी ने नही की थी.

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वे धनपतराय के बंगले पर पहुचे.
उससे मिले.
चंदू के बारे मे पूछा, ये कि वो फार्महाउस पर है या नही.
धनपतराय ने फार्महाउस के केर टेकर को फोन किया और कहा," चंदू से बात काराव "
" वो तो कहीं गया हुआ है सर " केर टेकर ने बताया.
धनपतराय ने पूछा," कहाँ "
" बताकर नही गया "
" क्यो, ऐसा कैसे हो सकता है, बल्कि हुआ ही कैसे " धनपत गुर्राया था," तुम्हे वहाँ किसलिए रखा है, सबको कंट्रोल करने के लिए ही ना, तुम्हे बताए बगैर कोई कैसे जा सकता है "
" प..पहली बार ही हुआ है सर " दूसरी तरफ से हकलाहट भरी आवाज़ मे कहने के बाद पूछा गया," आप क्यो पूछ रहे है "
" कुछ लोग उससे मिलने आए है " कहने के साथ उसने संपर्क काट दिया था, ये सारी वार्ता धनपतराय ने अपने मोबाइल का स्पीकर ऑन करके विजय आंड कंपनी को सुनाई थी.
" गुरु " विकास बोला," मुझे गड़बड़ लगती है "
" कैसी गड़बड़ प्यारे "
" केर टेकर के बात करने का अंदाज, ख़ासतौर पर ये पूछना कि आप क्यो पूछ रहे है, आमतौर पर नौकर अपने एंप्लायर से ऐसे सवाल नही पूछता, ऐसा लगता है जैसे चंदू को लेकर उसे किसी किस्म की गड़बड़ी की आशंका है "
" तुम तो वाकाई शरलॉक होम्ज़ बनते जा रहे हो मिया "
विकास चुप रह गया.
तब, विजय ने धनपतराय से कहा," आपको हमारे साथ फार्महाउस पर चलना होगा धन्ना सिंग जी "
" द..धन्ना सिंग " वो चिहुका," आज से पहले हमे किसी ने इस नाम से नही पुकारा "
विजय ने तपाक से कहा," आज से पहले हमारी और आपकी मुक्कालात भी तो नही हुई थी "
" म..मुक्कलात " धनपत का दिमाग़ चकरा गया.
रघुनाथ को बीच मे कूदना पड़ा," उसे छोड़िए, आप हमारे साथ चल रहे है या नही "
" हमे क्या आपत्ति हो सकती है " धनपतराय बोला," लेकिन फ़ायदा क्या, चंदू तो वहाँ है नही "
" फ़ायदा-नुकसान हमे मालूम है, आप साथ चलिए "
धनपतराय अपनी गाड़ी लेकर साथ चल पड़ा, विजय इस बार पजेरो मे नही, धनपतराय के साथ उसी की गाड़ी मे बैठा था, और धनपतराय की समझ मे अभी तक ये नही आया था कि ये किस किस्म का आदमी है, फिर भी रास्ते मे उसने हिम्मत करके पूछ ही लिया," बुरा ना माने तो एक बात पूछू "
" रहने ही दीजिए धन्ना सिंग जी क्योंकि हम बुरा मान जाएँगे, हमे ज़रा-ज़रा सी बातो पर बुरा मानने की बीमारी है "
धनपतराय सकपका गया क्योंकि उसे ऐसे जवाब की ज़रा भी उम्मीद नही थी, आमतौर पर लोग वैसा कहते भी नही थे, यही कहा जाता था कि," नही, नही, आप कहिए, मैं बुरा नही मानूँगा "
पर जो बात धनपतराय की ज़ुबान तक आ चुकी थी, उसे पूछे बगैर ना रह सका," आप लोग चंदू को क्यो तलाश कर रहे है, क्या उसने कुछ कर दिया है, मेरा मतलब कोई ग़ैरक़ानूनी हरकत "
" अजी ग़ैरक़ानूनी हरकत करने वाले को हम पूछते नही बल्कि ढोते फिरते है और...और सवाल मत पूछना, हमे नींद आ रही है, और जो हमारी नींद मे खलल डालता है, हम उसकी जिंदगी मे खलल डाल देते है " कहने के बाद विजय ने ना केवल आँखे बंद कर ली बल्कि आधे मिनिट के अंदर ही खर्राटे लेने लगा.
ड्राइवर गाड़ी ड्राइव कर रहा था, कंडक्टर सीट पर बैठा धनपत ये सोच कर अस्चर्य मे डूबा हुआ था कि कोई आदमी इतनी जल्दी इतनी गहरी नींद मे कैसे जा सकता है.
मगर वास्तव मे विजय सोया हुआ नही था, बल्कि दिमाग़ को शांति देकर सारे झमेले को समझने की कोशिश कर रहा था, जहाँ उसने ये उम्मीद की थी कि राघवन से बात करने के बाद कान्हा मर्डर केस के बारे मे कुछ समझ आएगा, वहाँ बाते और उलझ गयी थी, नये सवालो ने सिर उठा लिया था.

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फार्महाउस के अंदर पहूचकर उसके खर्राटे अपने आप ही बंद हो गये, गाड़ी के रुकने पर बाहर निकलता बोला," केर टेकर सहित यहाँ जितने भी लोग काम करते है, सबको तलब कर लिया जाए "
धनपतराय ने सबको एक हॉल मे इकट्ठा कर लिया.
हॉल काफ़ी बड़ा था और उसमे काई सोफासेट पड़े हुवे थे.
केर टेकर के अलावा बाकी सब लेबर क्लास के लोग थे और वे अपने मालिक के सामने सोफॉ पर नही बैठ सकते थे इसलिए हाथ बाँधे और सिर झुकाए खड़े थे.
विकास की नज़रे केर टेकर के चेहरे पर जमी थी, वहाँ उसे हवैया उड़ती हुई नज़र आ रही थी.
हवाइयो को विजय ने भी देख लिया था मगर कुछ बोला नही.
लेबर्स से सवाल-जवाब शुरू किए.
बात ये निकलकर आई कि अकेला चंदू गायब नही था बल्कि उसके साथ बॉब्बी और बंटी भी गायब थे, चंदू के साथ वे भी माली का काम करते थे और उनकी आपस मे खूब पट-ती थी, एक बजे उनसे चीकू नाम का एक लंबे कद का लड़का मिलने आया था, 30 मिनिट तक वो भी फार्महाउस मे ही रहा, फिर डेढ़ बजे के करीब, तीनो उसके साथ, उसी की BMW मे चले गये.
" BMW मे " विजय चौंका," चीकू नाम का लड़का BMW मे आया था "
फार्महाउस के गार्ड ने कहा," आया तो BMW मे ही था साहब लेकिन मेरे ख़याल से गाड़ी उसकी नही थी "
" कैसे कह सकते हो "
" उसके पहनावे से साहब, ड्राइवर लगता था, मेरे ख़याल से वो किसी अमीर आदमी का ड्राइवर होगा "
" क्या तुमने गाड़ी का नंबर देखा था "
" नही साहब, हम तो उस चमचमाती गाड़ी को ही देखते रह गये, नंबर की तरफ तो ध्यान ही नही गया "
" उस लड़के का नाम कैसे पता "
" मैं उसके लिए दरवाजा कहाँ खोल रहा था, तब खोला जब उसने कहा कि मेरा नाम चीकू है और मैं बंटी से मिलने आया हू "
सभी चुप रह गये.
एकाएक केर टेकर ने अटकते लहजे मे पूछा," क्या इन लोगो ने कोई कांड कर दिया है सर "
विकास गुर्राया," कांड से मतलब "
" आप, पोलीस के इतने सारे लोग, इतने बड़े-बड़े ऑफीसर उनके बारे मे पूछते फिर रहे है, इसलिए पूछा, ऐसा तो तभी होता है ना जब किसी ने कोई कांड कर दिया हो "
" अभी तो ये नही पता कि कांड उन्होने ही किया है या किसी और ने मगर कांड हुआ बड़ा ही है "
" क...क्या हुआ है " पूछते वक़्त केर टेकर का चेहरा पीला पड़ गया था और उस चेहरे को देखते हुवे विकास ने कहा," मैं शुरू से महसूस कर रहा हू कि तुम कुछ छुपाने की कोशिश कर रहे हो, जो जानते हो, उसे बताओ, नही तो मुसीबत मे फँस सकते हो "
अचानक वो हकला उठा," म...मैंने कुछ नही किया है सर "
" फिलहाल मैंने नही कहा कि तुमने कुछ किया है " विकास ने सख़्त स्वर मे कहा," लेकिन जो छुपा रहे हो अगर उसे छुपाए ही रहे तो माना जाएगा कि तुमने कुछ किया है "
उसने हिचकते से लहजे मे कहा," म...मैं सोच रहा था कि उस बारे मे कुछ बताना चाहिए भी या नही "
" किस बारे मे "
" म...मेरा रिवॉल्वार गायब है "
" रिवॉल्वार गायब है " चीख जैसी ये आवाज़ धनपतराय के मुँह से निकली थी," वो रिवॉल्वार जो हम ने दिलाया था "
" ह..हां सर " जैसे उसका दम निकला जा रहा था.
" कहाँ गया, कब से गायब है "
" आज दोपहर से ही, आप जानते ही है, एक बजे खाने के बाद मैं एक घंटे के लिए आराम करता हू, उस समय मे अक्सर मेरी आँख लग जाती है, आज भी वैसा ही हुआ, सवा 2 बजे सोकर उठा तो अपने तकिये के नीचे से रिवॉल्वार गायब पाया "
धनपत गुर्राया," फोन करके हमे बताया क्यो नही "
" म..मुझे मालूम था सर कि आप नाराज़ होंगे, कहेंगे कि मैंने संभालकर नही रखा होगा, इन सबसे तो पूछ ही चुका था, सोच रहा था कि वे तीनो भी आ जाए, अगर उन्होने भी ना लिया हो तो आप से ज़िक्र करूँ लेकिन उनसे पहले ये लोग आ गये, मुझे शुरू से लग रहा है कि उन्होने उस रिवॉल्वार से कुछ कर ना दिया हो "
" ये क्या झमेला है धन्ना सिंग जी " विजय ने धनपतराय से पूछा था," किसका रिवॉल्वार है, किसने गायब कर दिया "
" लाइसेन्स इसके नाम है " धनपत राय ने केर टेकर की तरफ संकेत करने के साथ कहा," रिवॉल्वार मैंने अपने पैसे से ख़रीदकर दिया था क्योंकि फार्महाउस पर उसकी ज़रूरत पड़ सकती थी पर मुझे मालूम नही था कि ये इतना लापरवाह आदमी है "
" क्यो प्यारेलाल, क्या किस्सा है ये " विजय केर टेकर से मुखातिब हुआ," कहाँ गुम कर दिया रिवॉल्वार "
" म...मैंने गुम नही किया, लगता है उन्ही तीनो मे से किसी ने लिया होगा " वो बुरी तरह घबरा गया था.
" उनमे से कौन गुटखा खाता है, कौन खैनि चबाता है और कौन बीड़ी पीता है " सवाल विकास ने किया.
केर टेकर ने अस्चर्य से विकास की तरफ देखा.
उस वक़्त शायद उसके दिमाग़ मे ये बात चल रही थी कि इस लड़के को उनके बारे मे ये सब कैसे पता जिस वक़्त विकास ने कड़क लहजे मे कहा," जवाब दो, नही तो.... "
" बंटी खैनि खाता है, बॉब्बी गुटखा और चंदू बीड़ी पीता है "
विजय ने पूछा," मोबाइल तो होंगे उनके पास "
" तीनो के पास है लेकिन.... "
" लेकिन "
" स्विच ऑफ आ रहे है, इसलिए लग रहा है कि ज़रूर उनके दिमाग़ो मे कोई खराबी है "
विजय ने गार्ड से पूछा," तुमने पूछा नही वे कहाँ जा रहे थे "
" पूछा था, उन्होने कहा कि घूमकर आते है "
तब विजय ने राघवन से कहा," हालाँकि एक बार फिर नतीजा निल बट्टा निल निकलने का अनुमान है लेकिन फिर भी उन तीनो के नंबर सर्व्लेन्स पर लगवाकर लोकेशन निकालने की कोशिश करो "
राघवन केर टेकर से चंदू, बंटी और बॉब्बी के नंबर लेकर उन्हे सर्व्लेन्स पे लगवाने की प्रक्रिया मे जुट गया.
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11-23-2020, 01:59 PM,
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24

विजय को वहाँ से और कुछ निकलने की उम्मीद नही थी इसलिए केर टेकर से ये कहने के बाद वापिस हो लिया कि अगर उनमे से कोई आए या किसी अन्य माध्यम से संपर्क हो तो उन्हे इस बारे मे कुछ ना बताया जाए कि पोलीस उन्हे तलाश कर रही है और तुरंत ही पोलीस को सूचित कर दिया जाए.
ऐसा विजय ने इसलिए किया क्योंकि कन्फर्म हो चुका था कि इंदु को उन्ही चारो ने किडनॅप किया है.
ये खबर ख़तरनाक थी कि उनके पास रिवॉल्वार भी है.

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वापसी मे विजय ने राजन सरकार को पजेरो मे बिठा लिया था, राघवन रघुनाथ के पीछे चलने वाली सेक्यूरिटी जीप मे था, गाड़ी फार्महाउस से निकली ही थी कि विजय ने कहा," ये बताइए सरकार-ए-आली की 5 जून की सुबह क्या हुआ था "
" वो सब तो बाद मे भी बता दूँगा विजय पर प्लीज़, इस वक़्त किसी तरह इंदु को उन दरिंदो की गिरफ़्त से निकालने की कोशिश करो, उनके पास रेवोल्वेर भी है, मुझे डर लग रहा है, कही वे इंदु को कोई नुकसान ना पहुचा दे "
" जितनी कोशिश हो सकती है, आप देख ही रहे है कि उससे ज़्यादा की जा रही है " विजय ने कहा," हमारे पास जादू की ऐसी कोई छड़ी नही है जिससे झुर्रेट-मुर्रेट करे और ये पता लग जाए कि वे सरकारनी को कहाँ ले गये है "
" उन्होने रेवोल्वेर क्यो चुराया "
" उन्हे लगा होगा कि जो काम वे करने जा रहे है, उसमे उसकी ज़रूरत पड़ सकती है, हमारे ख़याल से भी उन्होने ठीक ही सोचा, किडनॅप करने जा रहे थे, बुके तो ले जाने से रहे "
" वे फार्महाउस पर लौट सकते है गुरु क्योंकि ये बात तो वे स्वप्न मे भी नही सोच सकते कि हमे उनके किडनॅपर होने की भनक लग गयी होगी और हम फार्महाउस पर पहुच चुके होंगे "
" हमारे ख़याल से अब वे फार्महाउस पर लौटने वाले नही है "
" वजह "
" दो वजह है, पहली, रेवोल्वेर साथ ले जाना, दूसरी, मोबाइल स्विच ऑफ कर लेना, वे जानते है कि केर टेकर को अपनी रेवोल्वेर गायब होने के बारे मे पता लग गया होगा और वो ये भी समझ गया होगा कि उसे उन्होने गायब किया है, इसलिए वे नही लौटेंगे, स्विच ऑफ करने का मतलब है, उनमे से कोई एक काफ़ी घुटा हुआ है, उसने कल्पना कर ली होगी कि पोलीस फार्महाउस तक पहुच सकती है, उसने ये इंतज़ाम भी कर लिया कि ऐसा हो जाए तो पोलीस उनके वर्तमान ठिकाने तक ना पहुच सके "
" ऐसा तो चीकू ही हो सकता है "
" संभावना तो यही है "
विकास खामोश हो गया.
राजन सरकार पहले ही चुप था, मौके का फ़ायदा उठाकर विजय ने राजन सरकार से पुनः सवाल किया," 5 जून की सुबह प्रिन्स के पहुचने से पहले क्या हुआ था "
" उसके पहुचने से पहले तो कुछ भी नही हुआ था, हम सो रहे थे, बार-बार बेल की आवाज़ आने के कारण इंदु की नींद खुली क्योंकि प्रिन्स को बार-बार बेल बजाने की ज़रूरत ही नही पड़ती थी, मीना पहली ही बेल पर दरवाजा खोल देती थी, जब कयि बार बेल बजने पर भी वैसा नही हुआ तब इंदु बेडरूम से बाहर निकली और ये जानने के लिए मीना को उसका नाम ले कर पुकारती हुई उसके कमरे की ओर बढ़ी की आज वो उठी क्यो नही लेकिन उसे गायब पाया, इंदु समझ ना सकी की सुबह-सुबह मीना कहाँ चली गयी, इंदु वापिस लॉबी मे आई, नज़र कान्हा के बेडरूम के खुले हुवे दरवाजे पर पड़ी, वो वहाँ पहुचि और कान्हा की लाहुलुहान लाश देखते ही चीख पड़ी, चीख इतनी जोरदार थी कि मैं बिस्तर से उच्छल पड़ा, बदहवास हालत मे बेडरूम से निकला लेकिन दरवाजे पर ही इंदु से टकरा गया क्योंकि चीखती हुई वो कान्हा के बेडरूम से इधर ही आ रही थी, मैंने उसे कंधो से पकड़ा और झींझोड़ते हुवे पूछा कि क्या हुआ है, उसने बोलने की कोशिश की मगर मुँह से स्पष्ट शब्द ना निकल सके, आतंकित अवस्था मे कान्हा के कमरे की तरफ इशारा किया, मैंने झाँक कर उधर देखा तो कान्हा की लाश देखते ही मेरे भी होश उड़ गये और मैं भी इंदु की तरह रोने लगा, तभी दिमाग़ मे आया कि कान्हा जिंदा भी तो हो सकता है, हो सकता है कि केवल ज़ख्मी हो, नब्ज़ चेक की और ऐसा करने के बाद वो उम्मीद भी ख़तम हो गयी, मेरे होश फाख्ता थे, बाहर से प्रिन्स मैंन गेट को पीटने लगा, शायद उसने हमारी आवाज़े सुन ली थी इसलिए बार-बार पूछने लगा कि क्या हुआ है, हम ने दरवाजा खोला और रोते हुवे कहा, देखो मीना क्या कर गयी "
" ऐसा क्यो कहा आपने " विजय ने पूछा," आपको क्या पता वैसा मीना ने ही किया था "
" मीना के गायब होने के कारण ऐसा लगा था "
" क्या आपको ये भी पता लग गया था कि कान्हा के गले से चैन, उंगली से अंगूठी और उसका मोबाइल गायब है "
" नही, उस वक़्त तक नही पता लगा था, तब तक तो हमे ये सब देखने का होश ही नही था "
" कब पता लगा "
" ये बात मिस्टर. चंदानी ने बताई "
" वे वहाँ कैसे पहुच गये "
" जो हुआ था, उसका शोर पूरी कॉलोनी मे मच चुका था, लोग हमारे घर के बाहर इकट्ठा हो चुके थे, चंदानी से क्योंकि घरेलू संबंध थे इसलिए वे सीधे अंदर आ गये, कान्हा की लाश देखकर उनके भी होश उड़ गये, मुझे मिस्टर. चंदानी ने ही बताया कि कान्हा की चैन और अंगूठी गायब है, ये सुनकर मैं एक बार फिर कान्हा के कमरे मे गया और उसका मोबाइल भी गायब पाया, तब सूझा की मीना ने उन्ही चीज़ो के लालच मे ये अनर्थ किया होगा "
" अशोक बिजलानी कैसे पहुचा "
" मैंने फोन किया था "
" चंदानी दंपति के आने से पहले या बाद मे "
" उनके आने से पहले, जब वे आए, उस वक़्त मैं बिजलानी का इंतजार कर रहा था, यानी वो उनके बाद पहुचा "
" आपने बिजलानी को फोन क्यू किया "
" मुसीबत की उस घड़ी मे बस उसे ही बुलाना सूझा "
" जिस किस्म की वो मुसीबत थी, उसमे सबसे पहले आपको पोलीस को बुलाना सूझना चाहिए था, ख़ासतौर पर हमारे बापूजान को, वे आपके बचपन के दोस्त थे, आपके दिमाग़ मे बिजलानी का ख़याल क्यो आया, हमारे बापूजान का ख़याल क्यो नही आया जो उन हालात मे आपके बड़े मददगार साबित हो सकते थे "
" उसका कारण शायद ये हो कि निर्भय सिंग हमारे बचपन का दोस्त ज़रूर है मगर काफ़ी दिनो से आउट ऑफ टच था, बहुत दिनो से हमारी आपस मे बाते नही होती थी जबकि बिजलानी लघ्भग रोज टच मे रहता था, बातो-बातो मे एक दिन उसने कहा भी था कि आम आदमी की समझ मे क़ानूनी पचडे नही आते जबकि हम जैसे वकील चुटकियो मे ऐसे पचड़ो से निपट लेते है "
विजय चौंका, बोला," ऐसा कहा था उसने "
" हां "
" 4 जून से कितने पहले "
" 2-3 महीने पहले, हो सकता है ज़्यादा भी हो चुके हो "
" ऐसा कहने की क्या ज़रूरत पड़ गयी थी उसे "
" अब तो ठीक से याद नही कि क्या टॉपिक चल रहा था, बस इतना याद है कि उसने ये बात कही थी और शायद इशी कारण उस मुसीबत की घड़ी मे मुझे उसे ही बुलाना सूझा और सच बात ये है कि उसके आने पर मैंने राहत महसूस की थी "
" उसने पहुचने पर क्या कहा या किया "
" सबसे पहले लाश चेक की, उसने नब्ज़ के साथ-साथ नाड़ी भी चेक की, मुझसे पूछा, पोलीस को फोन किया, मेरे इनकार करने पर बोला कि तुमने वही नही किया जो सबसे पहले करना चाहिए था, मैं केवल इतना ही कह सका, अब तुम आ गये हो, जो ठीक समझो, करो, उसने कहा, इन्फर्मेशन तो तुम्हारे द्वारा ही देनी ठीक होगी, थाने के लॅंडलाइन पर फोन करो और बताओ कि यहाँ क्या हो गया है, वे तो अब भी पूछेंगे कि सूचना देने मे इतनी देर क्यो हुई पर क्या किया जा सकता है, तब मैंने फोन किया "
" हमे तो सारे झमेले की जड़ ये बिजलानी मिया ही लग रहे है, खैर, इस सारे प्रकरण मे एक बात खटकने वाली है " विजय ने कहा," वो सबको खाटकी और हमे भी खटक रही है "
" क्या " राजन सरकार ने पूछा.
" यू तो सबको अपने बच्चे प्यारे होते है पर कान्हा तुम दोनो को ज़्यादा ही प्यारा था क्योंकि वो बहुत मिन्नतो के बाद तुम्हारी शादी के 18 साल बाद पैदा हुआ था फिर भी, क्या तुम दोनो मे से कोई भी उसे गले लगाकर नही रोया "
" हमे मालूम है कि बार-बार ये सवाल क्यो किया जेया रहा है लेकिन उस वक़्त हालात ही ऐसे थे ही हम वैसा ना कर सके, सूझ ही नही रहा था कि क्या करे, क्या ना करे "
" ये सूझने वाली नही, स्वाभाविक प्रक्रिया थी जो नही हुई "
राजन सरकार चुप रह गया.
विजय ने अगला सवाल किया," राघवन का कहना है कि कमरे की बाई दीवार और फर्श पर खून के ऐसे धब्बे थे जिन्हे सॉफ किया गया था, आपका क्या कहना है, क्या ऐसे धब्बे थे "
" राघवन का तो पता नही क्या-क्या कहना है " ये शब्द कहते वक़्त राजन सरकार के चेहरे पर राघवन के लिए घृणा के भाव उभर आए थे," उसका तो ये भी कहना है कि... "
" हम समझ सकते है कि उसके बारे मे आपके ये विचार क्यो है " विजय ने उसकी बात काटकर कहा," कारण सॉफ है, वही आपको घसीट-ता हुआ उस कोर्ट तक ले गया जिसने आपको दोषी करार दे दिया लेकिन इस वक़्त हम ऐसी बातो पर चर्चा नही कर रहे है, सीधे सवाल का सीधा जवाब दीजिए, आपके ख़याल से फर्श और दीवार पर वैसे धब्बे थे या नही "
" थे "
विजय ने बात दोहराई," यानी उन दोनो जगहो से किसी ने खून को सॉफ करने की कोशिश की थी "
" ये तो नही कहा जा सकता की वो खून ही था लेकिन इतना ज़रूर है कि उन दोनो जगहो से किसी ने कुछ सॉफ करने की कोशिश की थी " राजन सरकार का जवाब संतुलित था.
" किसने किया होगा ऐसा "
" मुझसे अनेक बार ये सवाल किया जा चुका है और मैंने हर बार एक ही जवाब दिया है, मुझे नही पता "
" गेरेज़ मे खड़ी स्विफ्ट क्ज़ाइर धोयि गयी थी " विजय ने उसकी आँखो मे झाँकते हुवे पूछा," ख़ासतौर पर टाइयर्स "
" देखने से लगता तो था "
" आपने धोयि "
" नही "
" उन ग्लासस मे विस्की भी आपने नही पी जो डिन्निंग टेबल पर एक बॉटल के साथ रखे पाए गये थे "
" बिल्कुल नही " उसने दृढ़तापूर्वक कहा.
" हॉकी किसने गायब की "
" बता चुका हू, मुझे नही पता "
" राघवन का कहना है कि कान्हा को कपड़े उसपर हमला होने के बाद पहनाए गये यानी कि कपड़े लाश को पहनाए गये "
" मुझे तो ऐसा नही लगा लेकिन वो यही कहे चला जा रहा है, कॉलर पर खून की बात कहता है मगर मैं उससे सहमत नही हू "
" यानी कि वे भी आपने नही पहनाए "
" कितनी बार कहूँ " राजन सरकार झल्ला गया," नही "
" पर डॉक्टर गजेंदर हज़ारे को तो आप ही ने फोन किया "
" ह..हां " वो थोड़ा सकपकाया," वो मैंने किया था "
" क्यो "
" राघवन ये स्टोरी बना रहा था कि मेरे द्वारा कान्हा और मीना की एक साथ हत्या इसलिए की गयी क्योंकि उस वक़्त वे सेक्स कर रहे थे, मैं सबकुछ बर्दाश्त करने को तैयार था मगर ऐसी कोई भी बात बर्दाश्त करने को तैयार नही था जिसके कारण मृत्यु के बाद मेरा मासूम बेटा बदनाम हो, इसलिए डॉक्टर हज़ारे से कहा कि अगर ये सच भी हो कि मृत्यु से पहले कान्हा सेक्स कर रहा था तो वे इसे रिपोर्ट मे ना लिखे, एक बाप....एक अभागा बाप इसके अलावा और कर भी क्या सकता था विजय " अंतिम शब्द कहते-कहते राजन सरकार की आँखे भर आई थी परंतु उन पर ज़रा भी ध्यान दिए बगैर विजय ने कहा," मैंने सुना है कि 5 जून की सुबह जब सोकर उठे तो आपके सिर मे दर्द था "

Reply
11-23-2020, 02:00 PM,
#24
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
25

विकास चौंका.
इसलिए, क्योंकि उसकी जानकारी मे ये बात विजय से किसी ने नही कही थी, फिर विजय गुरु ने ये क्यों कहा कि मैंने सुना है, ये बात विजय ने कब, किससे सुन ली और नही सुनी तो राजन सरकार से ऐसा क्यो कहा.
विकास समझने की कोशिश कर ही रहा था कि राजन सरकार की आवाज़ कानो मे पड़ी," मैंने तो ऐसा किसी से नही कहा "
" भले ही ना कहा हो लेकिन ये सच है या नही "
" सच तो ये है कि सोकर उठने पर मैं किसी किस्म के दर्द को महसूस करने की स्तिति मे ही नही था, उठा ही इंदु की चीख सुनकर था, उसके बाद जो कुछ हुआ, बता ही चुका हू, किसी किस्म के सिरदर्द को महसूस करने के हालात ही कहाँ थे "
" बाद मे महसूस किया हो "
" इतना मौका ही नही मिला "
" सरकारनी ने भी सिरदर्द की शिकायत नही की "
" नही " राजन सरकार ने कहा," तुम्ही सोचो विजय, हो भी रहा होगा तो क्या वो समय वैसी बाते करने का था, हमारे सामने हमारा बेटा मरा पड़ा था और हम सिरदर्द की बाते करते "
विजय बड़बड़ाया," बात तो ठीक है "
" सिरदर्द की बात कहाँ से आ गयी गुरु " विकास कहे बगैर ना रह सका," कम से कम मेरे सामने तो किसी ने आपसे..... "
" छोड़ो दिलजले " विजय ने उसकी बात काटी," तुम क्यो हमारे सिर मे दर्द किए दे रहे हो "
विकास चुप रह गया क्योंकि समझ चुका था कि विजय राजन सरकार के सामने इस विषय पर डिस्कशन नही चाहता था लेकिन उसके जहाँ मे ये बात अटक कर रह गयी थी कि विजय के दिमाग़ मे सिरदर्द वाली बात कहाँ से पैदा हो गयी.
ये तो सोचा ही नही जा सकता था कि विजय गुरु कोई ऐसा सवाल करेंगे जिसका कोई आधार ना हो.
इस सवाल का आधार क्या था.
काफ़ी सोचने के बावजूद विकास को जवाब नही मिला जबकि विजय ने राजन से अगला सवाल किया था," अशोक बिजलानी ने राघवन की मौजूदगी मे आपसे ये कहा था कि आपको आइजी को फोन करना चाहिए था क्योंकि वे आपके बचपन के दोस्त है "
" हां, कहा था "
" ये बात उसने तभी क्यो कही जब राघवन वहाँ पहुच चुका, उससे काफ़ी पहले भी कह सकता था "
" इस बारे मे मैं क्या कह सकता हू पर.... "
" पर "
" क्या फ़र्क हुआ दोनो बातो मे, अगर उसने पहले नही कही, राघवन के सामने कही तो इससे क्या फ़र्क पड़ गया "
" फ़र्क ये पड़ गया जनाब कि जो बात आपसे कही गयी, वो आपसे नही कही गयी थी बल्कि बिजलानी द्वारा राघवन को ये बताया गया था कि आइजी साहब तुम्हारे बचपन के दोस्त है "
" मैं अब भी नही समझा कि तुम क्या कहना चाहते हो "
" ये बात राघवन के सामने उसे प्रभावित करने के लिए कही गयी थी, उसे ये समझाने के लिए कही गयी थी कि राजन सरकार के बारे मे कोई भी उल्टी-सीधी बात दिमाग़ मे लाने से पहले याद रखना, उनकी एप्रोच उसके आइजी तक है "
" हो सकता है कि बिजलानी की मंशा यही रही हो पर उस वक़्त मुझे ऐसा नही लगा था, मुझे यही लगा था कि क्योंकि उसे मालूम है कि आइजी मेरे बचपन के दोस्त है, ये बात उसने इसलिए कही "
" जब आप फोन करने लगे तो उसने रोक क्यो दिया "
" कहा कि फोन करने की ज़रूरत नही है क्योंकि राघवन वही कर रहा है जो ऐसे मौके पर इनस्पेक्टर को करना चाहिए "
" बात वही सिद्ध हुई, उसका मकसद आइजी को मौकायेवार्दात पर बुलाना नही बल्कि राघवन को ये सुनाना था कि वे आपके बचपन के दोस्त है "
" ऐसा था भी तो क्या ग़लत किया उसने, संकट के समय हर दोस्त का फ़र्ज़ अपने दोस्त की मदद करना है, उसी मंशा से उसने राघवन को प्रभावित करने के लिए ऐसा कहा होगा ताकि वो सही दिशा मे इन्वेस्टिगेशन करे "
" सही दिशा मे नही " विजय ने कहा," हक़ीकत ये है कि राघवन को प्रभावित करके दिशा भटकाई जा रही थी, उसे फ्लॅट की जाँच-पड़ताल करने का मौका नही दिया गया, डॉग स्क्वाड और फिंगरप्रिंट्स एक्सपर्ट तक को बुलाने का मौका नही दिया गया, आइजी के नाम पर एसएसपी और डीआइजी पर भी यही प्रेशर डाला गया कि फ्लॅट की जाँच-पड़ताल करने की जगह मीना को तलाश करने की कोशिश की जाए, प्रेशर मे आए अधिकारियो ने वही किया यानी की बिजलानी का प्लान कामयाब हो गया "
" मुझे दुख है कि तुम अब भी राघवन के ही तरीके से सोच रहे हो, सच्चाई ये है कि वो किसी प्लॅनिंग के तहत नही किया गया था, जो हमे ठीक लग रहा था, हम चाहते थे कि वही किया जाए, मेरे ख़याल से भी उस वक़्त मीना की तलाश करना फ्लॅट की जाँच-पड़ताल करने से ज़्यादा इम्पोर्टेंट था "
" एक जून को कान्हा ने आपको एक ई-मैल भेजा था "
" राघवन ने उस ई-मैल को लेकर बवाल खड़ा कर दिया है, ये साबित कर दिया है कि ई-मैल से ये सिद्ध होता है कि मुझे कान्हा और मीना के संबंधो के बारे मे पहले से मालूम था और कान्हा ने उसी के लिए माफी माँगी थी जबकि मैं बार-बार कह चुका हू कि उसने विस्की पीने की वजह से माफी माँगी थी, मैंने उसे समझाया था कि ड्रिंक बालिग होने के बाद करनी चाहिए "
" ओके " विजय ने कहा," अब एक ऐसे सवाल का जवाब दीजिए जो शुरू से हमारी खोपड़ी मे इस तरह अटका हुआ है जैसे बंदर पेड़ की डाल पर लटका हुआ हो "
" ऐसा कौन सा सवाल है "
" आपने हमारे बापूजान को हम तक लाने के लिए कौन से जादू का इस्तेमाल किया "
" इसमे जादू वाली क्या बात है, मैंने कहा, उसे मानना पड़ा, ये बात अलग है कि काफ़ी मशहककत करनी पड़ी थी "
" उसी मशहककत के बारे मे जानना चाहते है क्योंकि हम अपने बापूजान को बहुत अच्छी तरह जानते है, वे किसी हालत मे उस शख्स की मदद नही कर सकते जो उनकी नज़र मे अपराधी हो और आप उनकी नज़र मे अपराधी ही नही थे बल्कि ऐसे अपराधी थे जिनकी गिरफ्तारी ही उनके आदेश पर हुई थी, जिन्हे एक-एक चीज़ के बारे मे पता था, ऐसी हालत मे आपने उन्हे हमारे पास आने के लिए कौन से जादू से तैयार किया "
" मैं फिर कहूँगा, उसमे जादू जैसी कोई बात नही थी " राजन सरकार कहता चला गया," जब मैंने निर्भय से कहा कि इस दुनिया मे तेरा बेटा एक्मात्र ऐसा शख्स है जो मुझे न्याय दिला सकता है तो वो दो कारनो से चौंका, पहला, मैं उसके नालायक बेटे के बारे मे इतनी बड़ी बात कह रहा था, दूसरा, मैं कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी खुद को बेगुनाह बता रहा था, वो बोला तेरे बार-बार खुद को बेगुनाह कहने से कोई लाभ नही होने वाला है राजन, मुझे मालूम है कितनी चीज़ें तुझे और सिर्फ़ इंदु भाभी को हत्यारा साबित कर रही है, इसलिए मैंने खुद तुझे गिरफ्तार करने का हुकुम दिया, ऐसी हालत मे मैं कैसे मान सकता हू कि तू बेगुनाह हो सकता है " तब मैंने कहा," मानता हू कि बहुत-सी चीज़ें बल्कि सभी चीज़ें मेरे और इंदु की तरफ इशारा कर रही है, इसलिए तू भी हमे हत्यारा समझ रहा है पर ये तो तू भी मानेगा, केवल परिस्तिथियो के आधार पर हमे हत्यारा माना जा रहा है, इस बात को कोर्ट ने भी स्वीकार किया है कि हमारे खिलाफ सबूत नही है, जवाब मे उसने कहा, हालात बता रहे है कि सबूत तुमने चालाकी से मिटाए है, मैं बोला, यही फ़र्क है, तू कह रहा है कि हम ने सबूत मिटाए है और मेरा कहना है कि हमे किसी ने बड़ी चालाकी से फँसाया है, उसने ये भी साबित किया है कि सबूत हम ने मिटाए है, निर्भय, मैं तेरे पास ये रिक्वेस्ट लेकर नही आया हू कि तू क़ानून के विरुद्ध जाकर मेरी मदद कर या अपने पड़ का दुरुपयोग कर, तू भी जानता है कि क़ानून हर मुलजिम को अंतिम समय तक खुद को बेगुनाह साबित करने की कोशिश का राइट देता है, मैं तेरे पास अपने उसी राइट का इस्तेमाल करने की रिक्वेस्ट लेकर आया हू, मुझे लगता है कि तेरा बेटा अगर इस केस की रियिन्वेस्टिगेशन करे तो मेरे बेटे को इंसाफ़ मिल सकता है, भला तू मुझे मेरा राइट इस्तेमाल करने से कैसे रोक सकता है, मैं किसी ग़ैरक़ानूनी तरीके से खुद को बेगुनाह साबित करने की बात नही कर रहा बल्कि ये कह रहा हू कि अगर विजय इस केस की रियिन्वेस्टिगेशन करे तो.... मुझे विश्वास है कि तस्वीर बदल सकती है, हक़ीकत सामने आ सकती है, तब उसने कहा, पहले तो मुझे यही नही लग रहा कि हक़ीकत उससे अलग है जो सिद्ध हुई है, दूसरी बात, यदि एक पर्सेंट इस बात को मान भी लूँ तो ये बात बहुत ही हास्यपाद लग रही है कि मेरा नलायक बेटा इस केस की तस्वीर बदल सकता है, तब मैंने कहा, इस मामले मे बहस करने से कोई फ़ायदा नही है, मैं केवल ये रिक्वेस्ट लेकर आया हू कि तू मुझे विजय के पास ले चल और दोस्त होने के नाते तुझे मेरी ये बात माननी ही पड़ेगी क्योंकि मैं तेरे पास कोई नाजायज़ मदद माँगने नही आया हू, वो इसके बाद भी बहुत कुछ कहता रहा पर अंततः इस तर्क के बाद मेरी बात माननी ही पड़ी कि क़ानून मुझे अंतिम समय तक खुदको बेगुनाह साबित करने का राइट देता है और इस काम मे वो मदद करता है तो कोई नाजायज़ काम नही करता, तब वो बेमन से ही सही लेकिन मुझे तुम्हारे पास लेकर गया "
विजय चुप रह गया.
विकास तो पहले से ही चुप था मगर उसका दिमाग़ शांत नही था, वो बराबर सोचे जा रहा था कि विजय गुरु ने राजन सरकार से सिरदर्द के बारे मे क्यो पूछा.
सिरदर्द की बात ही कहाँ से आ गयी.
जवाब नदारद था.
विकास ने फ़ैसला कर लिया कि पहला मौका मिलते ही विजय गुरु से इस बारे मे पूछेगा, उस वक़्त तो विकास ने कल्पना भी नही की थी कि कुछ ही देर मे उसके सामने एक ऐसा प्रस्श्न आने वाला है जो उसके दिमाग़ की उन सभी नसों को झकझोरकर रख देगा जिन पर सोचने-समझने की ज़िम्मेदारी है.

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वो मौका तब आया जब विजय ने पजेरो एक व्यस्त चौराहे से पहले फूटपाथ पर रुकवाई, उसे रुकता देख रघुनाथ की गाड़ी, पोलीस की जीप और राजन सरकार की सेटरो भी रुक गयी.
विजय, विकास, धनुष्टानकार और राजन सरकार को पजेरो से उतरता देखकर रघुनाथ और राघवन भी उनके करीब आ गये.
" आज की सभा यहीं समाप्त होती है " विजय ने एकसाथ सबको संबोधित किया था," सभी देवता अपने-अपने घर जाए और हमे भी अपने निवास स्थान पर जाने की अनुमति दे "
" ऐसा कैसे हो सकता है " राजन सरकार चिहुक उठा था," मैं तो तब तक तुम्हारे साथ ही रहूँगा जब तक इंदु नही मिल जाती "
" मरा हुआ साँप बनकर हमारे गले मे मत पडो सरकार-ए-आली " विजय ने कहा," इसमे कोई शक नही कि हम आपकी धरमपत्नी को सुरक्षित बरामद करने की भरपूर कोशिश करेंगे लेकिन इसका ये मतलब नही है कि हम तुम्हे अपने गले मे लटकाए घूमेंगे और फिर, तुम्हे 5 लाख का इंतज़ाम भी तो करना है "
" 5 लाख का इंतज़ाम "
" धरमपत्नी चाहिए तो उन्हे देने ही पड़ेंगे "
चौंकते हुए रघुनाथ ने पूछा," विजय, क्या तुम सचमुच उन्हे फिरौती देने के बारे मे सोच रहे हो "
" सरकारनी की जान की कीमत के बदले मे 5 लाख की औकात ही क्या है....क्यो सरकार-ए-आली "
" ब..बात तो ठीक है लेकिन.... "
" लेकिन "
" क्या गॅरेंटी है कि वे 5 लाख लेने के बाद भी.... "
विजय ने उसकी बात काटी," कोई गॅरेंटी नही है "
" फ...फिर " राजन सरकार का चेहरा पीला पड़ गया था.
Reply
11-23-2020, 02:00 PM,
#25
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
26

" जब तक घटना घट ना जाए तब तक गॅरेंटी से कोई ये नही कह सकता कि क्या घटने वाला है " विजय ने कहा," अभी तो ये गॅरेंटी ही नही है कि हम उन्हे 5 लाख देंगे ही देंगे, कोशिश तो यही होगी कि फ्री-फंड मे ही सरकारनी को बरामद कर लिया जाए मगर क्या पता, वे इतने चालाक हो कि हम अपने इरादो मे कामयाब नही सके और उन्हे 5 लाख देने ही पड़े इसलिए प्रबंध तो करके ही रखना पड़ेगा ना, वैसे भी, हो सकता है कि किसी माध्यम से उनकी नज़रे आप पर गाड़ी हो, आप उन्हे 5 लाख का इंतज़ाम करते नज़र आने चाहिए, साथ ही, पोलीस के संपर्क से दूर नज़र आने चाहिए, उन्हे ऐसा लगना चाहिए कि आप पोलीस से छुपकर 5 लाख मे अपनी बीवी को वापिस लेने को तैयार है, अगर उन्हे ये लगा कि आप पोलीस के साथ घूम रहे है तो वे कभी सामने नही आएँगे "
" कह तो ठीक रहे हो लेकिन.... "
" इस लेकिन की पूंछ कहाँ से पकड़ ली आपने "
राजन सरकार ने कहा," मैं ये पूछना चाह रहा हू कि कल जब उनका फोन आएगा तो मुझे क्या कहना है "
" आइए, बताते है " कहने के साथ विजय ने राजन सरकार के कंधे पर हाथ रखा और उसे उन सबसे दूर ले जाने के बाद धीमे स्वर मे बोला," आपका फोन हमारी जेब मे है, ये बात आप किसी को नही बताएँगे, किडनॅपर्स को जो जवाब देना होगा हम दे देंगे "
" हां, ये ठीक रहेगा, लेकिन... "
" फिर लेकिन "
" मुझे कैसे पता लगेगा कि तुम्हारी उनसे क्या बाते हुई है "
" आप आज ही एक नया सिम लेंगे, उससे अपने नंबर पर, यानी हम से बात करेंगे, आपका नया नंबर हमारे पास आ जाएगा, हम उस नंबर पर आपको बताएँगे कि किडनॅपर्स से क्या बाते हुई और आगे आपको क्या करना है "
" ये ठीक रहेगा... "
" फिर लेकिन का पुछल्ला मत लटका देना सरकार-ए-आली " वो राजन की बात पूरी होने से पहले ही कहता चला गया," अब निकलो, 5 लाख का इंतज़ाम करो और हमारे फोन का इंतजार करना "
" इंदु को कुछ होगा तो नही "
" हमारे ख़याल से अब उनकी उम्र ऐसी नही है कि कुछ हो सके " कहने के तुरंत बाद विजय उसे वही छोड़कर तेज कदमो से रघुनाथ, विकास और राघवन के करीब पहुच गया था.
राजन सरकार को विजय के अंतिम वाक्य का अर्थ समझने मे ज़रा देर लगी और जब समझ मे आया तो ये सोचकर झल्ला गया कि मैंने क्या पूछा था, उसने बताया क्या.
" अब निकलो तुलाराशि " विजय ने रघुनाथ से कहा था," इस चौराहे से बाई तरफ जाओगे तो तुम्हारा दडबा आएगा और हम दाई तरफ जाएँगे तो हमारा दडबा, कहने का मतलब ये है कि यहाँ से हमारी राहे जुदा होती है, हम पर क्योंकि टॅम-टॅम नही है इसलिए दिलजले और मोंटो मिया हमे हमारे दडबे पर ड्रॉप करने के बाद वही पहुचेंगे जहाँ तुम्हे पहुचना है क्योंकि इनका दडबा भी वही है "
" जा तो रहा ही हू विजय लेकिन एक बात कहना चाहता हू " रघुनाथ ने इस तरह से कहा जैसे इस बात को वो बहुत पहले से कहना चाहता था," तुम व्यर्थ ही अपनी एनर्जी नष्ट कर रहे हो "
" मतलब क्या हुआ तुलाराशि "
" जिस केस की रियिन्वेस्टिगेशन पर तुम निकले हो, उसमे से कुछ भी निकलने वाला नही है, कान्हा और मीना का मर्डर सरकार दंपति ने ही किया है, इनके अलावा किसी ने नही "
" तुम्हारी ये ग़लतफहमी बहुत जल्द दूर हो जाएगी प्यारे " विजय के इस सेंटेन्स ने विकास को अंदर-ही-अंदर बुरी तरह उछाल कर रख दिया था, राघवन को चौंकाया था तो राजन सरकार के चेहरे की चमक बढ़ा दी थी, चौंका रघुनाथ भी था, पूछा," क्या तुम ये कहना चाहते हो कि कातिल कोई और है "
" समझने के लिए शुक्रिया "
" किस बेस पर, कौन है कातिल "
" इंतजार करो प्यारेलाल, सारे पत्ते अभी मत खुलवाओ, अभी तो केवल एक ही दावा कर सकते है, ये कि जब हम कातिल के चेहरे से नकाब उतारेंगे तो तुम्हारे ही नही, हमारे बापूजान के भी छक्के छूट जाएँगे, नाचते-नाचते फिरेंगे वे " कहने के बाद विजय एक सेकेंड के लिए भी वहाँ नही रुका, पजेरो की तरफ लपकता सा बोला," आओ दिलजले, हमे हमारे दडबे पर छोड़ दो "
रघुनाथ हकबकाई सी अवस्था मे खड़ा रह गया था और...वो अकेला ही क्यो, राघवन की हालत भी वैसी ही थी और... राजन सरकार का दिल तो मानो बल्लिया उच्छल रहा था.
उसे इतना तक समझ मे नही आ रहा था कि अपनी ख़ुसी को किस तरह काबू मे रखे.
उधर गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ाने के साथ ही विकास ने प्रस्न किया," ये आपने क्या बात कही गुरु "
" कौन सी बात चेले "
" कि कातिल सरकार दंपति नही है "
" इसमे इतना बेचैन होने की क्या बात है दिलजले, तुम तो ये बात शुरू से ही कहते आ रहे हो "
" बेचैन होने की बात ही ये है, मैं शुरू से यही कह रहा था मगर आप मानने को तैयार नही थे, हर दलील के बावजूद यही कहे जा रहे थे कि कातिल सरकार दंपति ही है, सवाल उठता है क्यो, आपका विचार क्यो बदला, कम से कम मेरी नज़र मे तो अभी तक ऐसी कोई बात हुई नही है जिससे ये ध्वनित होता हो कि कातिल कोई और है, आपके विचार किस कारण से बदले "
" आमा छोड़ो मिया, तुम जानते ही हो कि हमे छोड़ने की बीमारी है "
" मतलब "
" कोई कारण नही है, ऐसे ही छोड़ दी "
" मैं नही मान सकता "
" क्या नही मान सकते "
" की ये बात आपने ऐसे ही छोड़ दी है "
" नही मान सकते तो मत मानो हमारे ठेंगे से " विजय ने कहा," हमारे अब्बा जान का क्या जाता है "
विकास इस बार कुछ बोला नही, बस सड़क से नज़र हटाकर बहुत गौर से विजय की तरफ देखा था और विजय ने कहा," सड़क पर देखो दिलजले वरना तुम्हारी इस नयी ताम-ताम का तिमाटर बन सकता है, साथ ही हम खुदा को प्यारे हो सकते है "
विकास पानी नज़रे सड़क पर स्थिर करता बोला," यानी आप नही बताएँगे कि आपके हाथ ऐसा कौनसा सुत्र लगा है जिसके बसे पर आप इस नतीजे पर पहुचे कि कातिल सरकार दंपति नही है "
" बोला ना यार, हमे छोड़ने की आदत है, ऐसे ही छोड़ दी "
" इतना ही नही " विकास ने कहा," ऐसा लगता है जैसे आपकी गिद्ध दृष्टि हत्यारे तक भी पहुच चुकी है, तभी तो ये कहा कि जब आप उसके चेहरे से नकाब हटाएँगे तो ठाकुर नाना तक के छक्के छूट जाएँगे, नाचते-नाचते फिरेंगे वे "
" पग्लाओ मत दिलजले, ऐसा कुछ नही है, रिलीफ दो अपने दिमाग़ को वरना ये तरबूज की तरह फट सकता है "
एक बार फिर चुप रह गया विकास क्योंकि समझ चुका था कि विजय गुरु इस बारे मे अभी कुछ भी बताने के मूड मे नही है पर चुप भी कितनी देर रहता, करीब आधे मिनिट बाद कहा," अच्छा छोड़िए उसे, मुझे आपसे दो सवालो के जवाब चाहिए "
" हमे तांत्रिक अंगूठी समझो प्यारे, जितने सवालो के जवाब चाहोगे मिल जाएँगे, करो "
" राजन सरकार के बेडरूम मे आपने ताली बजाने के साथ ऐसे अंदाज मे 'वो मारा' कहा था जैसे आपके हाथ कोई बड़ी कामयाबी लगी हो, उसके बाद बहुत हल्के-फुल्के हो गये थे आप, दूसरी बात, ये सिरदर्द का क्या चक्कर है, कहाँ से पैदा हो गया ये सिरदर्द का चक्कर, आपने राजन अंकल से ये सवाल क्यो किया "
" सोचो प्यारे....सोचो, भिडाओ खोपड़ी "
" काफ़ी सोचा लेकिन समझ नही पा रहा हू "
" तो तुम क्या खाक शरलॉक होम्ज़ बनॉगे दिलजले "
" मैंने कभी दावा नही किया कि मैं शरलॉक होम्ज़ बन सकता हू "
" जबकि हमारी आरज़ू है कि तुम वैसे बनो " विजय कहता चला गया," इसलिए हम तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नही देंगे, तुम्हे खुद समझना पड़ेगा कि राजन सरकार के बेडरूम से हमे क्या सुत्र हाथ लगा, सिरदर्द के पीछे क्या है और अब हमे डिस्टर्ब करने की ज़रूरत नही है क्योंकि हमे नींद आ रही है " कहने के बाद उसने ना केवल आँखे बंद कर ली बल्कि खर्राटे लेने लगा.

विकास का दिमाग़ चक्करघिन्नी बना हुआ था, वही हालत मोंटो के जेहन की भी थी मगर विजय ज़्यादा देर तक सोने की अवस्था मे नही रहा, मुश्किल से 10 मिनिट बाद हड़बड़ाता-सा बोला," रोको, रोको दिलजले, अपने हवाइज़हाज़ को यही रोक दो "
" क..क्या हुआ " विकास चौंका था.
" अरे साइड मे लगाओ ना यार "
विकास ने पजेरो फूटपाथ पर उतारकर रोक दी.
" हमे यही उतार दो " विजय ने कहा," और तुम अभी अपने दडबे पर नही जाओगे बल्कि सारी रात नही जाओगे, तब तक नही जाओगे जब तक हमारी तरफ से हरी झंडी ना मिल जाए "
" और कहाँ जाउन्गा "
" ए-74 "
" यानी राजन अंकल के फ्लॅट पर "
" फ्लॅट पर नही, फ्लॅट के आसपास रहोगे, राजन सरकार पर नज़र रखोगे, इस तरह कि राजन सरकार को पता ना लग सके कि उसपर नज़र रखी जा रही है, ना ही किसी और को, हम समझते है कि तुम्हे ये बताने की ज़रूरत नही है कि अपने इस हवाइज़हाज़ को वहाँ से दूर रखोगे और अपना हुलिया भी चेंज कर लोगे "
" मैं भी यही चाहता था "
" क्या "
" यही कि उनपर नज़र रखी जानी चाहिए "
" क्यो "
" उनकी हिफ़ाज़त की खातिर "
" क्या तुम उन्हे ख़तरे मे समझते हो "
" हां "
" कैसे ख़तरे मे और क्यो "
" सारे हालात पर गौर किया जाए तो सॉफ नज़र आता है कि चंदू के इरादे नेक नही है, केवल 5 लाख के लिए तो इंदु आंटी के किडनॅप की बात ज़रा भी समझ मे नही आ रही और आपका ये कहना बिल्कुल दुरुस्त है कि अगर उन्हे इंदु आंटी को कोई नुकसान पहुचाना होता तो उन्हे किडनॅप नही करते बल्कि फ्लॅट मे ही पहुचा देते, सॉफ है कि वो कोई और खेल खेल रहा है और वो खेल राजन अंकल की जान लेना भी हो सकता है क्योंकि चंदू की नज़र मे वे उसकी माँ के हत्यारे है लेकिन.... "
" इतनी शानदार दास्तान सुनाते-सुनाते कहा अटक गये प्यारे "
" मेरे ख़याल से उनपर हमला तब किया जाना चाहिए जब वे चंदू आंड कंपनी की डिमॅंड पर 5 लाख लेकर वहाँ पहुचेंगे जहाँ उन्हे बुलाया जाएगा "
" यदि उनका मकसद सरकार-ए-आली की जान लेना ही होता तो कान हो इतना घूमाकर पकड़ने की क्या ज़रूरत थी कि सरकारनी को किडनॅप करे, फिरौती के बहाने सरकार-ए-आली को कहीं बुलाए और हमला करे, सीधे-सीधे भी हमला कर सकते थे "
" कहीं भी हमला करना मुश्किल होता है गुरु जबकि अपनी जगह पर बुलाकर हमला करना बेहद आसान, दूसरी बात, मुमकिन है कि वे सरकार दंपति की जान के साथ 5 लाख भी चाहते हो "
" जियो दिलजले...जियो, अब लग रहा है कि तुम शरलॉक होम्ज़ बन सकते हो, इस मामले मे तुमने ठीक उसी तरह सोचा जिस तरह हम सोच रहे है, सरकार-ए-आली पर नज़र रखने का मतलब ये है कि तुम्हे उनकी हिफ़ाज़त करनी है, फिर भी, इस भुलावे मे ना रहना कि हमला तभी किया जाएगा जब वे फिरौती लेकर उनके बुलाए स्थान पर जाएँगे, उससे पहले भी हो सकता है या ये भी हो सकता है कि कोई उनसे संपर्क साधने की कोशिश करे, ऐसी कोशिश होते ही तुम्हे कोशिश करने वाले को दबोच लेना है "
" ये भी कोई कहने की बात है "
" फूटो "
" यहाँ क्यो उतर रहे है, मैं आपको कोठी पर छोड़ दूँगा "
" तुम निकलो प्यारे, हम यहीं ठीक है "
" क्या आप आशा आंटी से मिलने जा रहे है "
" आय-हाय, किस हुसनपरी का नाम ले दिया, पर ये बात तुमने कही क्यो दिलजले "
" आशा आंटी का फ्लॅट सामने वाली बिल्डिंग मे है और आप यही उतरने की ज़िद पर अड़े हुए है, क्या आप मुझे इतना नादान समझ रहे है कि इस ज़िद का कारण नही समझ सकता "
विजय को कहना पड़ा," तुम तो यार अचानक ही ज़रूरत से ज़्यादा स्मार्ट नज़र आने लगे हो "
" आप भी तो अचानक ही ज़रूरत से ज़्यादा सक्रिय नज़र आने लगे है " विकास मुस्कुराता हुआ बोला.
" मतलब "
" आशा आंटी के पास आप सोशियल विज़िट के लिए तो जाने से रहे, ज़रूर उनके लिए भी आपके दिमाग़ मे कोई काम है "
" अब ज़्यादा स्मार्ट ना बनो और फूटो यहाँ से "
" ओके "
और फिर उन्होने विपरीत दिशाए पकड़ ली.
Reply
11-23-2020, 02:00 PM,
#26
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
27

विजय ने आशा के फ्लॅट की कॉल्लबेल बजाई.
करीब 15 सेकेंड बाद दरवाजा खुला.
आशा नज़र आई.
विजय ने तुरंत थर्ड क्लास आशिक़ की तरह अपनी छाती पर हाथ मारने के साथ कहा," हाय मेरी गोगियपाशा "
आशा.
सीक्रेट सर्विस की एक मात्र महिला एजेंट.
गोल चेहरे और सिंदूरी रंगत वाली बेहद खूबसूरत लड़की.
वो, जो मन ही मन विजय से मोहब्बत करती थी बल्कि अब मन ही मन नही कहाँ जाना चाहिए क्योंकि वो विजय से अपनी मोहब्बत का इज़हार भी कर चुकी थी पर विजय तो फिर विजय था.
जिसने कभी शादी ना करने की कसम खा रखी हो, जिसका कहना ही ये था कि उसकी शादी देश से हो चुकी है, वो भला किसी लड़की की मोहब्बत को कैसे कबूल कर सकता था.
आशा ने जब भी उसके सामने अपनी भावनाए उकेरने की चेष्टा की, विजय तभी मूर्खतापूर्ण बाते और हरकते शुरू कर देता.
इतनी अति कर देता की आशा झल्ला उठती.
इस वक़्त वो सफेद रंग के सलवार-सूट मे थी और बहुत ही सुंदर लग रही थी, विजय को देखते ही गुलाब की पंखुड़ियो जैसे होंठो से निकला था," त...तुम "
" जी " वो पेट पर हाथ रखकर मोटी टिप पाने के ख्वाइश्मन्द वेटर की तरह झुक कर बोला," हम "
" यहाँ क्यो आए हो " उसने कड़क लहजे मे पूछा.
" ऐसी भी क्या बेरूख़ी डार्लिंग कि घर आए आशिक़ को दरवाजे पर से ही टरकाने के मूड मे हो "
" मुझे मालूम है तुम किस तरह के आशिक़ हो "
" पर हमे नही मालूम, बताओ, हम किस तरह के आशिक़ है "
" जो कभी किसी के ज़ज्बात नही समझ सकता "
" ज़ज्बात की बात मत करना मिस गोगियपाशा, ज़ज्बात तो तुम नही समझ सकी कभी हमारे, अब... अभी को देख लो, हम यहाँ, तुम्हारे पहलू मे अपने इश्क़ का बताशा फोड़ने आए है और तुम हो कि दरवाजे पर आड़कर खड़ी हो गयी हो, अंदर ही नही आने दे रही हमे, अंदर आए तो रायता फैलाए "
" रायता फैलाए, कैसा रायता "
" अपने इश्क़ का रायता "
" जो आदमी इश्क़ को रायता कहता है, वो प्यार-मोहब्बत की बातो को क्या समझेगा, मैं सब समझती हूँ, ज़रूर तुम किसी काम से आए हो, आओ " कहने के साथ वो एक तरफ हट गयी.
ड्रॉयिंग रूम मे कदम रखते हुए विजय ने कहा," आज हम तुमसे इसी टॉपिक पर बात करने आए है "
" किस टॉपिक पर "
" हम ने मोहब्बत का गुड चाट लिया है "
" क्या चाट लिया है "
" गुड "
" मोहब्बत का "
" हां "
" ये कौन सा गुड होता है "
" वो कहावत है ना कि सारा गुड गोबर कर दिया, पर ये वो गुड है जो कभी गोबर नही हो सकता, हमेशा गुड ही रहता है "
" तो तुमने मोहब्बत का गुड चाट लिया है "
" तभी तो मुँह चिपका हुआ है "
" तुम्हे कहाँ मिल गया ये गुड "
" ढूँढा तो तुम्हारे दिल के तहख़ाने मे था लेकिन हम बुड्ढे होने को आए, तुमने उसका स्वाद भी नही चखाया " कहने के साथ विजय सोफे पर पसर गया," इसलिए हम ने कही और चबा डाला "
" कहाँ "
" एक लकड़ी है जो आजकल हमारे दिल के स्विम्मिंग पूल मे उतरी हुई है और दनादन डुबकिया लगा रही है "
" नाम "
" अंकिता " कहने के साथ विजय ने अपना चेहरा इस कदर लाल कर लिया था जैसे शरम से गढ़ा जा रहा हो.
आशा ने ये जानने के लिए उसे ध्यान से देखा कि वो आख़िर चाहता क्या है, बोली," कहाँ रहती है "
" अड्रेस भी बता देंगे लेकिन.... "
" लेकिन "
" हमारी फर्स्ट प्राइयारिटी आज भी तुम हो "
" मतलब "
" आशा डार्लिंग, हम तुम्हारे इश्क़ का गजर्बत तब से पी रहे है जब अपनी माँ के पेट मे अठखेलिया कर रहे थे " विजय ने अपना लहज़ा भावुक बना लिया था," मगर एक तुम हो कि हमारे इश्क़ का सत्तू पीने को तैयार ही नही होती इसलिए हम ने अंकिता के सामने अपने प्यार की थाली परोस दी और आजकल वो उसे गपगाप खा रही है, फिर भी, जैसा कि हम ने कहा, हमारी फर्स्ट प्राइयारिटी तुम हो, यदि तुम हमारे प्यार की गरमा-गरम जलेबिया खाना शुरू कर दो तो हम अंकिता के सामने से अपनी थाली हटा लेंगे "

विजय क्योंकि आशा कि कमज़ोरी था इसलिए उसके शब्दो ने उसके अंदर कही संगीत सा बजाया था, परंतु वो तुरंत ही सतर्क हो गयी क्योंकि जानती थी कि विजय के दिल मे उसके लिए ऐसी कोई भावना नही है जैसी वो उसके प्रति रखती है, और अभी वो जो कुछ भी कह रहा है, वो सब बकवास है, अतः कड़े लहजे मे बोली," मेरा तुममे कोई इंटेरेस्ट नही है और मैं ये भी जानती हू कि तुम किसी अंकिता-वंकिता से मोहब्बत नही करते "

" तुमने तो हमारा दिल ही फोड़ दिया गोगियपाशा, एक साथ दो गोलियाँ दागी है तुमने, एक, ये कहकर कि हममे तुम्हारा कोई इंटेरेस्ट नही है, दूसरी, ये कहकर कि हम किसी अंकिता-वंकिता के भुने हुए चने चुरमुरे नही चबा सकते "
" बकवास बंद करो विजय और सीधे-सीधे बताओ की यहा क्यो आए हो, क्या चाहते हो मुझसे "
" वही, जो एक आशिक़ अपनी महबूबा से चाहता है "
" मैं तुम्हारी महबूबा नही हू "
" दुख हुआ सुनकर, खैर " विजय ने ठंडी साँस लेने के बाद कहा," दोस्त तो बन सकती हो "
" काय्दे से तो तुम दोस्त बनाने के लायक भी नही हो "
" तो दुश्मन ही बना लो जान-ए-मन, कुछ ना कुछ तो बना ही लो, हम तुम्हारे बनना चाहते है "
आशा गुर्राई," तुम लाइन पर नही आओगे "
" लाइन ही मार रहा हू लेकिन तुम हो कि.... "
" विजय " आशा उसकी बात काटकर गुर्राई थी," कोई काम की बात करनी है तो करो, वरना यहाँ से जा सकते हो "
" तुमने तो हमारे दिल का बताशा बिल्कुल ही कुचल दिया आशा डार्लिंग, खैर, घर ही तो बसाना है, एक दर्जन बच्चे भी पैदा करने है ताकि अपने घर की क्रिकेट टीम बन सके, अब तो अंकिता का सहारा ही है लेकिन... "
विजय ने इस उम्मीद मे खुद ही बात अधूरी छोड़ दी कि आशा पूछेगी लेकिन क्या, मगर उसने कुछ नही पूछा.
बस देखती रही विजय की तरफ.
अंततः विजय को ही कहना पड़ा," पूछो ना आशा डार्लिंग, लेकिन क्या "
" बता दो "
" अंकिता की जनमकुंडली बना दो "
" कैसी जनमकुंडली "
" वो कहाँ जाती है, क्या करती है, ख़ासतौर पर किसी और से इश्क़ का तरबूज तो नही खा रही है, तुम्हे ये सब पता लगाना है, बहरहाल, सारी जिंदगी का सवाल है, हम से शादी के बाद भी अगर उसके दिल मे किसी और के प्यार की मोमबत्ती जलती रहे तो दिक्कत हो जाएगी, इसलिए तुम्हे.... "
आशा ने टोका," आजकल किसी केस पर काम कर रहे हो "
" केस पर काम करे हमारे दुश्मन, हम तो इश्क़ की चाशनी मे डूबे घूम रहे है "
" मैं सीक्रेट सर्विस की एजेंट हू, तुम्हारी नही, तुम्हारे लिए क्यो किसी की जासूसी करती फिरू "
" दिल पर थपकीया मत बरसाओ आशा डार्लिंग, ये काम तुम्हे हमारी बेहतर जिंदगी के लिए करना है "
आशा समझ चुकी थी कि अंकिता नामक किसी लड़की की जानकारी विजय को किसी केस के तहत चाहिए, जानती थी, जब तक वो तैयार नही होगी तब तक वो उसका दिमाग़ चाट-ता रहेगा, इसलिए पीछा छुड़ाने के लिए बोली," अंकिता का अड्रेस दो "
विजय ने जेब से एक कागज निकालकर उसे पकड़ाते हुए कहा," इसके बॉस आलाहमिया को प्यारे हो चुके है मगर हमे शक है कि उससे पहले ये उनके इश्क़ के हिंडोले मे झूल रही थी, तुम्हे पता लगाना है कि ये सच है या नही, अगर सच है तो हम इसके सामने से अपने इश्क़ की थाली हटा लें और ऐसा नही है तो वादा करते है, हर साल तुम्हे एक बच्चा गिफ्ट करेंगे "

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अगले दिन 11 बजे विजय ने विकास के मोबाइल पर कॉल लगाकर पूछा," क्या रिपोर्ट है दिलजले "
" कोई ख़ास नही " विकास ने बताया," सवा 10 बजे राजन अंकल घर से निकले, बॅंक गये, अपने अकाउंट से 5 लाख रुपये निकाले, एक दुकान से सिम खरीदा और वापिस आ गये "
" उन्होने हमे अपना नया नंबर दे दिया है और ये भी बता दिया है कि वे 5 लाख का इंतज़ाम कर चुके है, तुम कहाँ हो "
" दाढ़ी और कपड़ो से मुसलमान नज़र आ रहा हू, पार्क के एक कोने मे कपड़ो पर प्रेस करने का ठेला लगा लिया है, खूब कपड़े आ रहे है, कॉलोनी वालो का कहना है कि मैंने बड़ा अच्छा किया जो यहा ठेला लगा लिया, उन्हे प्रेस कराने काफ़ी दूर जाना पड़ता था "
" चलो प्यारे, तुम्हारी बेरोज़गारी तो दूर हुई " कहने के बाद विजय ने पूछा," किसी नतीजे पर पहुचे, कोई और किसी तरीके से सरकार-ए-आली पर नज़र रखे हुवे है या नही "
" अभी तक महसूस तो नही किया मैंने ऐसा " बताने के बाद विकास ने पूछा," किडनॅपर्स मे से किसी का फोन आया "
" नही "
" आपका क्या प्रोग्राम है "
" शुभम के घर के लिए निकल रहे है "
" शुभम "
" भूल गये दिलजले, कान्हा के दो दोस्तो मे से एक "
" ओह, हां, पर उससे मिलकर क्या करेंगे "
" ये जानने की कोशिश कि उन्होने राघवन से वो सब कहा था या नही जो राघवन ने बताया "
" क्या आपको शक है "
" शक करना इन्वेस्टिगेटर की फ़ितरत होनी चाहिए "
" राघवन पहले ही कह चुका है कि अब वे और उनके घरवाले उस बारे मे कुछ भी स्वीकार नही करेंगे "
" देखते है क्या होता है, ये पता लगाना ज़रूरी है कि.... "
विजय का सेंटेन्स अधूरा रह गया क्योंकि तभी उसकी जेब मे पड़ा राजन सरकार का मोबाइल बजने लगा था, विजय ने विकास से ये कहकर अपना फोन काट दिया कि सरकार-ए-आली की फोन की घंटी बज रही है, शायद किडनॅपर्स हो.
उसने बगैर देर किए राजन सरकार का मोबाइल निकाला.
स्क्रीन पर नज़र डाली, नया नंबर था.
कॉल रिसीव करने के साथ राजन सरकार की आवाज़ मे हेलो कहा तो दूसरी तरफ से अक्खड़ लहजे मे पूछा गया," क्या सोचा "
" म..मैंने 5 लाख का इंतज़ाम कर लिया है "
" अपनी बीवी को बचाने के लिए तुझे यही करना चाहिए था "
" क...कहाँ पहुचाने है "
" इंतजार कर " कहने के बाद फोन काट दिया गया.
हालाँकि विजय को मालूम था कि कोई फ़ायदा नही होगा मगर फिर भी उसने वो नंबर मिलाया.
स्विच ऑफ आया, ये बात कल ही विजय की समझ मे आ चुकी थी कि चंदू आंड कंपनी सर्व्लेन्स की पूरी प्रक्रिया से ना केवल वाकिफ़ है बल्कि इस तरफ से पूरी सतर्क भी है, वे हर बार नये सिम से फोन कर रहे थे ताकि ट्रेस ना किए जा सके.
उसे वापिस जेब मे डालने के बाद विजय उस लॅंडलाइन फोन की तरफ बढ़ा जिसका नंबर ना किसी मोबाइल पर आ सकता था और ना ही किसी तरह से ट्रेस किया जा सकता था क्योंकि वो फोन सीक्रेट सर्विस का था, उसने अशरफ का नंबर लगाया और दूसरी तरफ से अशरफ की आवाज़ सुनते ही सीक्रेट सर्विस के चीफ यानी की ब्लॅक बॉय की ख़ास भर्राई हुई आवाज़ मे बोला," विक्रम, परवेज़ और नाहर को भी फोन कर देना, आज तुम चारो हाइ अलर्ट पर रहोगे, किसी भी समय एक ख़ास काम पर निकलना पड़ सकता है "
" यस सर " अशरफ की अलर्ट आवाज़ आई.
" दोबारा हम फोन नही करेंगे, विजय फोन करेगा और तुम चारो को वही करना है जो विजय कहे "
एक बार फिर अशरफ की यस सिर सुनाई दी और विजय ने रिसीवर क्रेडेल पर रख दिया.
पोर्च मे पहुचा.
गाड़ी स्टार्ट की और बाहर निकल गया.

शुभम 18-19 साल का एक गोल-मटोल और गोरा लड़का था, वो बहुत आसानी से विजय के सामने नही आ गया था बल्कि ये कहा जाए तो ज़रा भी अतिशयोक्ति नही होगी कि उसे अपने सामने लाने मे विजय को काफ़ी पापड बेलने पड़े थे.
बेल बजाने पर दरवाजा शुभम की मम्मी ने खोला था.
अपने दरवाजे पर अजनबी को खड़ा देखकर उसकी आँखो मे सवालिया निशान उभरा ही था कि विजय ने पूछा," अंशुल है "
" आप कौन " उसने पूछा.
" कहिए रॉ से आए है " विजय का लहज़ा बेहद शुष्क था.
" रॉ "
" बुलाइये, वे इस शब्द का अर्थ अच्छी तरह जानते होंगे "
उसने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि पीछे से प्रकट होते 45 वर्षीया अंशुल मेहता ने पूछा," कौन है किरण "
किरण के कुछ भी कहने से पहले विजय ने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और अंशुल मेहता की आँखो के सामने कर दिया.
अंशुल मेहता ने उसे पढ़ा और झटका सा खा गया, मुँह से ये शब्द निकले," र....रॉ, आप रॉ से आए है "
" इस कार्ड पर मेरा नाम भी पढ़ सकते है, विजय "
" वही रॉ ना, जो देश की सबसे बड़ी जासूसी संस्था है "
" जी "
" प...पर आप यहाँ क्यो आए है "
" बताते है, क्या अंदर नही आने देंगे "
" आइए " कहने के साथ वो दरवाजे से हटा.
उसे ऐसा करते देख, किरण भी एक तरफ हट गयी.
विजय ऐसे अधिकार के साथ ड्रॉयिंग रूम मे दाखिल हुआ जैसे ये उसका अपना फ्लॅट हो, उसी अधिकार से एक सोफा चेर पर बैठ गया, बेचैन और ससपेन्स मे फँसे अंशुल ने पूछा," मैं समझ नही पा रहा हू कि आप मेरे घर क्यो आए है "
" समझ जाएँगे, बहुत अच्छी तरह समझा दूँगा मैं आपको " विजय ने ऐसे लहजे मे कहा था कि अंशुल मेहता की शिराओ मे दौड़ता खून फ्रीज़ होने लगा था.
अंशुल और किरण एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे थे.
" बैठिए " विजय ने ऐसे लहजे मे कहा था जैसे थानेदार थाने मे आए किसी व्यक्ति से कहता है.
वे दोनो सहमे हुवे से नज़र आ रहे थे, इस कदर की कोई भी सवाल किए बगैर उसके सामने बैठ गये.
विजय ने हंटर सा चलाया," शुभम को बुलाइये "
" स...शुभम " ये शब्द दोनो के मुँह से एकसाथ निकला, फिर अंशुल मेहता ने पूछा," शुभम को क्यूँ, क्या किया है उसने "
" सब पता लग जाएगा, जो बाते होंगी, आपके सामने ही होंगी "
" प्लीज़ बताइए तो सही, उससे क्या ग़लती हो गयी है "
विजय सपाट लहजे मे बोला," मुझे पता लगा है कि उसने कान्हा और मीना के बारे मे इनस्पेक्टर राघवन से कुछ कहा था "
किरण का चेहरा पीला पड़ गया था जबकि अंशुल मेहता हकला उठा," क..कौन कान्हा और मीना "
" ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश की तो शुभम के साथ-साथ आपको भी जैल की हवा खानी पड़ेगी "
" क्या आप उन कान्हा और मीना के बारे मे बात कर रहे है जिनके बारे मे मीडीया मे चर्चा हुई थी " अंशुल भरपूर कोशिश के बावजूद अपने लहजे को संतुलित नही कर पा रहा था," मिस्टर. सरकार के बेटे और नौकरानी "
" मुझे ये जानना है कि शुभम ने उनके बारे मे इनस्पेक्टर राघवन से कुछ कहा भी था या नही और कहा था, तो क्या, उसे बुलाइये "
" नही " एकाएक किरण के चेहरे पर सख्ती के भाव काबिज हो गये," मैं उसे नही बुलाउन्गि, ऐसे किसी मामले से मेरे शुभम का कोई संबंध नही है, उसने किसी से कुछ नही कहा था "
" बुलाना तो आपको पड़ेगा ही "
" नही बुलाउन्गि, आप क्या कर लेंगे " किरण चट्टान बनकर खड़ी हो गयी थी," वो तो बच्चा है, हम से पूछिए क्या पूछना है "
" आपके कुछ कहने से काम नही चलेगा " विजय का लहज़ा सख़्त था," ये एक पोलीस इनस्पेक्टर के कॅरियर का मामला है "
" कौन पोलीस इनस्पेक्टर "
" राघवन "
" क्या हुआ उसे "
" सस्पेंड हो गया है " विजय ने कहा," इस मामले मे कि उसने कान्हा और मीना के बारे मे झूठी अफवाह उड़ाई "
" तो हम क्या करे "
" राघवन का कहना है कि उसने मीडीया से जो भी कहा, वो सब उसे शुभम और संचित ने बताया था "
" हमारे बेटे ने किसी से कुछ नही कहा "
विजय ने अपना आख़िरी तीर चलाया," अगर शुभम भी यही कहता है तो मुझे उसका नारको टेस्ट करना पड़ेगा "
" न...नारको टेस्ट " दोनो के होश उड़ गये.
" उसके अलावा कोई चारा भी तो नही है, मुझे उसे गिरफ्तार करके हेडक्वॉर्टर्स ले जाना पड़ेगा और वहाँ .... "
अंशुल मेहता कांपति आवाज़ मे कह उठा," आ...आप इतने छ्होटे बच्चे को गिरफ्तार करेंगे, उसका नारको टेस्ट कराएँगे "
" दुख तो मुझे भी होगा मगर मजबूरी है " विजय कहता चला गया," इस केस की जाँच मुझे सौंपी गयी है, अगर ये साबित होता है कि राघवन से वो सब शुभम और संचित ने कहा था तो राघवन की नौकरी बच सकती है और यदि ये साबित होता है कि उससे दोनो बच्चो मे से किसी ने कुछ नही कहा था बल्कि उसने अपनी तरफ से कहानी बनाई थी तो वो बारह के भाव लद जाएगा, मैंने राघवन से बात की, उसका कहना है कि ये बात शुभम और संचित ने उसे बताई थी, सच्चाई तक पहुचने के लिए आप उनका नारको टेस्ट करा सकते है, दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा "
किरण ने कहा," हम शुभम का नारको टेस्ट नही होने देंगे "
" क़ानूनी प्रक्रिया है, इसमे आप तो क्या, मैं भी कुछ नही कर सकता, बहरहाल, एक इनस्पेक्टर की नौकरी लेने से पहले हमे सच्चाई तक तो पहुचना ही होगा, हन, नारको से बचने का एक रास्ता है "
" क...क्या " दोनो के मुँह से एकसाथ निकला.
" वो वैसे ही सच बोल देगा तो नारको की ज़रूरत ही नही पड़ेगी "
" सच्चाई यही है की बच्चो ने उससे कुछ नही कहा " किरण ने कहा," सारी बाते उसकी अपनी बनाई हुई है "
" फिर वो बच्चो का नारको कराने को क्यूँ कह रहा है "
" हमे क्या मालूम "
" तो ठीक है, नारको करा लेते है, सच्चाई सामने आ जाएगी, आप उसे मेरे हवाले कर रहे है या फोर्स को बुलाओ "
थोड़ी घबराई और थोड़ी भन्नाइ हुई किरण फिर कुछ कहने वाली थी कि अंशुल मेहता ने उसे शांत रहने का इशारा करते हुवे विजय से कहा," अभी-अभी क्या कहा था आपने, कि अगर शुभम सच बता देता है तो नारको की ज़रूरत नही पड़ेगी "
" क्यो पड़ेगी, मेरा तो उद्देश्य ही सचाई का पता लगाना है, ऐसे ही पता लग जाएगी तो नारको क्यो कराउन्गा "
अंशुल के मुँह से ऐसी साँस निकली जैसे बहुत देर से रोके हुई हवा झटके से छोड़ी हो, बोला," तो सचाई ये है मिस्टर. विजय कि शुभम और संचित ने इनस्पेक्टर राघवन से वो सब कहा था, इसलिए कहा था क्योंकि उस बारे मे उन्हे कान्हा ने बताया था "
" बात आपके नही बल्कि शुभम के कहने से बनेगी "
" हम एक रिक्वेस्ट करना चाहते है "
" कीजिए "
" आप उसे गिरफ्तार नही करेंगे, नारको नही कराएँगे "
" सच बोलेगा तो उस सबकी ज़रूरत ही नही पड़ेगी और..... "
" और "
" ये भी वादा करता हू कि बात यहाँ से आगे नही जाएगी, अर्थात गवाही देने के लिए उसे कोर्ट-कचहरी तो क्या, किसी थाने तक भी नही जाना पड़ेगा, मेरी रिपोर्ट अंतिम मानी जाएगी "
" किरण " उसने अपनी पत्नी से कहा," शुभम को ले आओ "
किरण जैसे अब भी तैयार नही थी, उसने अपने पति की तरफ देखा जबकि अंशुल ने कहा," ले आओ, मुझे नही लगता की ये अपने वादे से मुकरने वाले शख्स है "

किरण बेमन से फ्लॅट के अंद्रूणी हिस्से मे गयी और दो मिनिट बाद जब वापिस आई तो वो गोल-मटोल लड़का विजय एक सामने था, विजय ने उसे सामने बिठाया और बोला," कान्हा ने तुमसे अपने और मीना के बारे मे क्या कहा था "
सहमे हुए शुभम ने अपने मम्मी-पापा की तरफ देखा.
अंशुल ने कहा," सच बता दो बेटा, कुछ नही होगा "
तब, उसने वही बताया जो राघवन ने कहा था.
विजय का अगला सवाल," उसने अपने पापा और चंदानी आंटी के बारे मे भी कुछ कहा था "
शुभम ने हन मे गर्दन हिलाई.
" क्या "
उसने वही कहा जो राघवन ने बताया था.

-------------------------

राजन सरकार के मोबाइल पर रात के 11 बजे किडनॅपर का फोन आया, विजय ने राजन की आवाज़ मे हेलो कहा.
दूसरी तरफ से कहा गया," 5 लाख लेकर घर से निकल "
" म.....मैं तो कब से तुम्हारे फोन का इंतजार कर रहा हू "
उसके सेंटेन्स पर ध्यान दिए बगैर कहा गया," तुझे सेंटरो मे नही स्विफ्ट क्ज़ाइर मे निकलना है "
" ऐसा क्यो " विजय ने पूछा.
" सवाल नही, जो कहा जाए वो कर "
" क...कहाँ पहुचना है "
" गाँधी चौक " कहने के बाद फोन काट दिया गया.
विजय ने तुरंत अशरफ का मोबाइल मिलाया और उसे कुछ भी कहने का मौका दिए बिना बोला," फ़ौरन से पहले विक्रम, नाहर और परवेज़ को साथ लेकर गाँधी चौक पहुचो प्यारे झान्झरोखे "
" ये मेरे साथ फ्लॅट पर ही है और हम तुम्हारे ही फोन का इंतजार कर रहे थे, माजरा क्या है "
टाइम कम था इसलिए विजय ने शॉर्ट मे बताया," अगर तुरंत निकल पड़े तो तुम्हे गाँधी चौक पहुचने मे 10 मिनिट लगेंगे, जबकि जिसकी तुम्हे मदद करनी है, वो जहाँ से चलेगा वहाँ से उसे करीब 12 मिनिट लगेंगे, मतलब वो तुम्हारे बाद वहाँ पहुचेगा, वो सफेद स्विफ्ट क्ज़ाइर मे होगा, राजन सरकार नाम के उस आदमी की बीवी को कुछ लोगो ने किडनॅप कर रखा है, वो उन्हे फिरौती देने निकला है और तुम्हे उन्हे जंबूरे से पकड़ना है जिन्हे फिरौती दी जाएगी, याद रहे, उन पर तब हाथ डालना है जब राजन सरकार की बीवी उसके पास सुरक्षित पहुच जाए "
" तुम कहाँ होगे "
" हम हमेशा जहन्नुम मे होते है " कहने के साथ उसने फोन काटा और दूसरी कॉल विकास को की.
उसे बताया कि किडनॅपर की तरफ से राजन सरकार को गाँधी चौक पहुचने के लिए कहा गया है.
तीसरा फोन राजन सरकार को किया, उससे कहा कि 5 लाख के साथ स्विफ्ट क्ज़ाइर मे गाँधी चौक पहुचे.
उसने पूछा," स्विफ्ट क्ज़ाइर मे ही क्यो, सेंटरो मे क्यो नही "
" यही हुकुम हुआ है, उनका हुकुम तो मानना ही पड़ेगा "
" तुम कहाँ हो "
" घबरआईए मत, आपके आसपास ही होंगे "
" म...मुझे बहुत डर लग रहा है, कही कोई गड़बड़ तो... "
" देर मत करो " विजय ने उसकी बात काटी," फ़ौरन गाड़ी लेकर निकलो वरना उन्हे शक हो जाएगा "
कहने के बाद विजय ने संबंध विच्छेद कर दिया ताकि राजन सरकार और समय बर्बाद ना करे.
वो खुद भी लघ्भग दौड़ता हुआ अपनी कोठी के पोर्च मे पहुचा और गाड़ी स्टार्ट करके गाँधी चौक की तरफ दौड़ा दी.
उसे मालूम था कि कोठी से गाँधी चौक पहुचने मे 15 मिनिट लगेंगे मगर उसे ये दूरी 15 मिनिट से पहले पूरी करनी थी इसलिए गाड़ी बहुत तेज चला रहा था.
उस वक़्त वो गाँधी चौक पहुचने ही वाला था कि राजन का मोबाइल एक बार फिर बजा.
इस बार अलग नंबर से कॉल आई थी.
ड्राइव करते हुए ही विजय ने कॉल रिसीव की.
दूसरी तरफ से पूछा गया," कहाँ पहुचा "
" गाँधी चौक " विजय ने राजन सरकार की आवाज़ मे कहा.
" वहाँ से रिंग रोड की तरफ चल और अब फोन मत काटना, मैं बताता रहूँगा कि कब क्या करना है "
" ठीक है " विजय ने कहा तो यही लेकिन तुरंत ही फोन काट दिया था, तेज़ी से राजन से संबंध स्थापित किया और बोला," मैं किडनॅपर को कान्फरेन्स पर ले रहा हू, उस अवस्था मे उसकी आवाज़ आप तक भी पहुचती रहेगी, याद रहे, आपको बिल्कुल नही बोलना है, एक लफ़्ज भी नही, बस उसके कहे का पालन करते रहना है "
" त...तुम कहाँ हो "
" मैं आपकी गाड़ी को देख रहा हू, रिंग रोड की तरफ चलिए " कहने के बाद विजय ने मोबाइल को होल्ड पर डाल दिया था.
इस बीच उसे अशरफ की गाड़ी भी नज़र आ गयी थी और उसमे बैठे विक्रम, नाहर और परवेज़ भी.
विकास नज़र नही आया था.
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11-23-2020, 02:00 PM,
#27
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
29

स्विफ्ट रिंग रोड की तरफ जा रही थी.
एक निस्चित दूरी रखे अशरफ की गाड़ी उसका पीछा कर रही थी, उसके पीछे विजय ने अपनी गाड़ी लगा दी, फिर, जाने क्या सोचकर उसने अपनी गाड़ी की रफ़्तार बढ़ाई और अशरफ की गाड़ी को ओवर्टेक करते हुए इशारा किया कि उसके पीछे ही रहे, तभी राजन सरकार के फोन ने दो बार 'टिंग-टिंग' की आवाज़ की.
विजय ने कॉल रिसीव की.
दूसरी तरफ से लघ्भग गुर्रकार पूछा गया," मेरे मना करने के बावजूद फोन क्यू काटा "
" म...मैंने नही काटा, अपने आप कट गया था " उसने राजन सरकार की आवाज़ मे कहा," शायद नेटवर्क की प्राब्लम... "
" कहाँ पहुचा "
" रिंग रोड पर हूँ "
" रिंग रोड पर कहाँ "
" मक्डोनल्ड के सामने से गुजर रहा हू "
" आगे जाकर अंबेडकर रोड पर मूड "
" एक ही बार मे बता दो ना कि कहाँ पहुचना है "
" ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत कर " पुनः कड़क लहजे मे कहा गया," जो कहता हू वो करता रह और फोन मत काटना, मैं रास्ता बताता रहूँगा "
" ठीक है " विजय ने केवल इतना ही कहा.
कुछ देर बाद उसने स्विफ्ट को अंबेडकर रोड पर मुड़ते हुए देखा.
विजय समझ गया कि राजन सरकार कॉन्फरेन्सिंग पर है.
किडनॅपर की तरफ से रास्ता बताया जाता रहा, राजन सरकार कॉन्फरेन्सिंग पर सुनकर उन्ही रास्तो पर बढ़ता रहा और विजय तथा अशरफ की गाड़िया सावधानी से उसके पीछे लगी रही.
वो सिलसिला करीब 25 मिनिट चला.
अब वे शहर से काफ़ी बाहर निकल आए थे, वहाँ स्ट्रीट लाइट्स भी नही थी लेकिन चाँदनी रात होने के कारण दोनो तरफ दूर-दूर तक फैले खेत सॉफ नज़र आ रहे थे.
कुछ देर बाद हाइवे छोड़ कर एक पतली सड़क पर मुड़ने का हुकुम मिला, स्विफ्ट उसी तरफ मूड गयी.
किडनॅपर की तरफ से पुनः कहा गया," 2 कीलोमेटेर चलने के बाद तुझे एक खंडहर दिखाई देगा, गाड़ी बाहर ही रोक कर खंडहर मे आना है, हम तुझसे खुद संपर्क कर लेंगे "
विजय ने कहा," मुझे बहुत डर लग रहा है "
" डर मत बेटा, 5 लाख लाया है तो किस बात का डर, हम पैसे लेकर तेरी बीवी तुझे सौंप देंगे "
" मुझे खंडहर नज़र आने लगा है "
" आ जा " कहने के बाद फोन काट दिया गया.
विजय ने कहा," उन्होने फोन काट दिया है सरकार-ए-आली, अब आप बोल सकते है "
" तुम कहाँ हो " राजन सरकार की घबराई हुई आवाज़ उभरी.
" चिंता मत करो, आपके पीछे ही हू "
" मुझे तो कोई गाड़ी नज़र नही आ रही "
" अगर आपको नज़र आ गयी तो उन्हे भी नज़र आ जाएगी और ऐसा हो गया तो सारे किए-कराए पर पानी फिर जाएगा "
" मतलब "
" हमारी हेडलाइट्स ऑफ है "
" विजय, कोई ऐसा काम मत करना जिससे इंदु की जान ख़तरे मे पड़ जाए, भले ही 5 लाख चले जाए, मुझे इंदु चाहिए "
" और मुझे वे चाहिए जिन्होने ये हरकत की है " कहने के बाद विजय ने सिर्फ़ फोन ही नही काटा बल्कि गाड़ी भी रोक दी.
गाड़ी रोकने का कारण था, स्विफ्ट का खंडहर के सामने पहुच जाना बल्कि रुक जाना.
अशरफ ने अपनी गाड़ी ठीक उसके पीछे पहूचकर रोकी थी.
उसने भी हेडलाइट्स ऑफ कर रखी थी.
अशरफ के साथ विक्रम, नाहर और परवेज़ भी दौड़ते हुवे विजय के करीब पहुचे, उन सबकी नज़रे अभी तक ओन स्विफ्ट क्ज़ाइर की टेल लाइट्स पर थी.
" अब " अशरफ ने पूछा.
" मेरे अनुमान से वे 4 होंगे " विजय ने कहा," एक भी बच कर नही निकलना चाहिए "
तभी स्विफ्ट की टेल लाइट्स ऑफ हो गयी.
" आओ " कहने के साथ वो तेज़ी से स्विफ्ट की टेल लाइट्स की तरफ बढ़ा.
चारो ने उसे फॉलो किया.
चाँदनी रात के बावजूद दूरी ज़्यादा होने के कारण वे राजन को सिर्फ़ एक परछाई के रूप मे देख सकते थे, उस परछाई के रूप मे जो गाड़ी से निकालकर खंडहर की तरफ बढ़ी थी.
उसके हाथ मे एक सूटकेस था.
तभी स्विफ्ट की डिकी खुली.
" अरे " अशरफ चौंका," उसमे कोई है "
विजय बोला," दिलजला होना चाहिए "
" ओह " नाहर के मुँह से निकला," वो भी है "
विजय ने जवाब देना ज़रूरी नही समझा.
वे तेज़ी से खंडहर की तरफ बढ़ रहे थे.
उस खंडहर की तरफ जिसके टूटे-फुट, उँचे-उँचे बुरज चारो तरफ छाए सन्नाटे मे बड़े भयावह लग रहे थे, एक दीवार तो ज़मीन से करीब 40 फुट उपर तक चली गयी थी, वे ज्यो-ज्यो नज़दीक पहुचते जा रहे थे, खंडहर की आकृति स्पष्ट होती जा रही थी.
राजन सरकार ही नही, विकास भी उनकी आँखो से ओझल हो चुका था, स्विफ्ट के करीब पहूचकर विजय ज़मीन पर लेट गया और बोला," लेट जाओ प्यारो वरना देख लिए जाओगे "
सबने वैसा ही किया.

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चीकू और बंटी खंडहर के मलबे से करीब 40 फुट उपर थे, खंडहर की सबसे उँची और विशाल दीवार के शीर्ष पर.
बुरज के नज़दीक.
जहाँ वे थे, वहाँ कही छत थी, कही से टूट चुकी थी.
वहाँ वे बुरज के पीछे मौजूद उन सीढ़ियो के ज़रिए पहुचे थे जो बीच-बीच मे से टूटी हुई थी.
उनके नज़दीक एक प्लास्टिक की कुर्सी थी और कुर्सी के साथ रस्सियो से बँधी थी इंदु सरकार.
अपनी इच्छा से वो हिल-डुल तक नही सकती थी.
मुँह पर टेप चिपका हुआ था.
चारो तरफ चाँदनी छितकी पड़ी थी, इसके बावजूद ना वे विजय आंड कंपनी को देख सके और ना ही विकास को, क्योंकि उन सबने खुद को मलबे के ढेर पर चिपका रखा था.
रेंगते हुवे आगे बढ़ रहे थे वे.
अकेला राजन सरकार था जो मलबे पर दो पैरो से चल रहा था और इसलिए दीवार के शीर्ष पर खड़े चीकू और बंटी उसे परछाई के रूप मे देख सकते थे.
एकाएक छीकु ने अपने हाथ मे मौजूद टॉर्च का रुख़ राजन सरकार की तरफ किया और ऑन कर दी.
उसके ऑन होते ही स्वाभाविक रूप से राजन सरकार की दृष्टि उपर की तरफ उठ गयी.
विजय आंड कंपनी ने भी उधर देखा था.
विकास ने भी.
टॉर्च के प्रकाश का गोल दायरा मलबे पर इधर-उधर थिरक रहा था, चीकू ने कहा," इस रोशनी को फॉलो कर सेठ, यही तुझे तेरी बीवी तक पहुचा सकती है "
राजन सरकार प्रकाश के दायरे की तरफ बढ़ने लगा और प्रकाश का दायरा था कि जितना वो उसके करीब पहचता, दायरा उतना ही और आगे सरक जाता, उसे फॉलो करता-करता राजन सरकार उस दीवार की जड़ मे पहुच गया जिसके शीर्ष पर चीकू और बंटी थे.
प्रकाश दायरा दीवार के शीर्ष से नीचे लटकी एक रस्सी पर स्थिर हो गया, चीकू की आवाज़ गूँजी," सूटकेस को इस रस्सी मे बाँध दे सेठ "
राजन के मुँह से कांपति आवाज़ निकली," प....पहले इंदु "
" मुझे मालूम था तू ये कहेगा, देख, ये रही तेरी इंदु " उसके शब्दो के साथ प्रकाश दायरा बड़ी तेज़ी से घूमा और जहा स्थिर हुआ वहाँ का दृश्य देखकर विजय जैसे शख्स के भी रोंगटे खड़े हो गये.
एक दूसरी रस्सी से बँधी प्लास्टिक की वो कुर्सी दीवार के साथ हवा मे झूल रही थी जिस पर इंदु बँधी हुई थी.
उसमे बँधी रस्सी को बंटी पकड़े हुए था.
" य...ये क्या कर रहे हो " राजन सरकार के हलक से चीख-सी निकल गयी थी," ये क्या कर रहे हो तुम, रस्सी को उपर खीँचो, कुर्सी उलट गयी तो, नही, तुम इंदु को नुकसान नही पहुचा सकते, मैं पाँच लाख लेकर आया हू "
" डर मत, डर मत सेठ " छीकु ने हंसते हुवे कहा," अगर तूने कोई गड़बड़ नही की तो ना तो कुर्सी उल्टी होगी, ना ही इतनी ज़ोर से नीचे जाकर गिरेगी कि तेरी बीवी की लीला ही ख़तम हो जाए, मेरे साथी ने इसे पकड़ रखा है "
" पर तुम ऐसा क्यो कर रहे हो "
" ताकि आदान-प्रदान साथ-साथ हो " चीकू बोला," तूने अभी तक सूटकेस इस दूसरी रस्सी मे नही बाँधा, जल्दी बाँध, जैसे-जैसे मैं इस रस्सी को उपर खींचुँगा, वैसे-वैसे मेरा साथी कुर्सी को नीचे लटकता जाएगा, इधर सूटकेस उपर पहुचेगा उधर तेरी बीवी तेरे पहलू मे, हिसाब बराबर, खेल ख़तम, पैसा हजम "
राजन सरकार ने बगैर ज़रा भी देर किए सूटकेस रस्सी मे बाँध दिया और.... वही हुआ जैसा चीकू ने कहा था, एक तरफ से सूटकेस उपर जाने लगा, दूसरी तरफ से कुर्सी नीचे आने लगी.
इस प्रक्रिया मे 10 मिनिट लगे लेकिन अंततः सूटकेस उपर पहुचा, कुर्सी के चारो पाए मलबे के ढेर पर आ टिके.
टॉर्च ऑफ हो चुकी थी.
राजन सरकार 'इंदु-इंदु' पुकारता कुर्सी के नज़दीक पहुचा और उसके मुँह पर चिपके टेप को हटाने के लिए हाथ बढ़ाया ही था की एक कड़क आवाज़ को सन्नाटे ने चीरा," रुक जा सेठ "
ये आवाज़ दीवार के शीर्ष से नही बल्कि ठीक उसके पीछे से आई थी, वो पलट-ता हुआ बोला," सी..चंदू, तू चंदू है क्या "
" ठीक पहचाना सेठ " टूटी हुई दीवार के पीछे से एक ऐसी परछाई निकलकर सामने आई जिसके हाथ मे रेवोल्वेर था," ठीक पहचाना तूने, मैं चंदू ही हूँ "
" त...तूने किया है ये सब "
" अब भी कोई शक रह गया है "
" पर क्यो, तूने ऐसा क्यो किया "
" तू तो एक नंबर का गधा निकला सेठ, सारे पत्ते खुलने के बाद भी नही समझा कि मैंने ये सब क्यो किया "
" त..तू ग़लतफहमी का शिकार है, हम ने मीना को नही मारा "
" हां, अब समझा, अब समझा तू " चंदू के हलक से आग-सी निकली थी," अब ये भी समझ कि मैंने तुझे स्विफ्ट मे ही क्यो बुलाया, मेरी माँ की लाश को इशी मे डालकर कूड़े के ढेर पर ले गया था ना कुत्ते, अब मैं तुम दोनो की लाशों को उसी गाड़ी मे डालकर उसी कूड़े के ढेर पर ले जाउन्गा "
" न...नही, तू ऐसा नही कर सकता चंदू, हम ने तेरी माँ को... "
" टॉर्च ऑन कर बॉब्बी " चंदू राजन सरकार की बात काट-ता गुर्राया," इसका चेहरा दिखा मुझे, मैं देखना चाहता हू कि मरते वक़्त इसके चेहरे पर कितना पीलापन होगा "
चंदू की परछाई के पीछे से एक टॉर्च ऑन हुई.
उसकी तेज रोशनी सीधे राजन सरकार के चेहरे पर पड़ी थी.
उसकी आँखे चुन्धिया गयी.
उसने अपने बाजू से उन्हे ढकने की कोशिश की.
" हराम्जादे " चंदू बुरी तरह जज्बाती होकर दहाडा था," मैंने तुझे यहाँ 5 लाख के लिए नही बुलाया था बल्कि... "
सेंटेन्स अधूरा रह गया उसका, आगे के शब्द चीख मे तब्दील हो गये ऑर, उस अकेले की ही चीख नही गूँजी थी वहाँ.
उसके साथ बॉब्बी की भी चीख गूँजी थी.
कारण था, दोनो पर एक साथ दो लोगो का हमला.
उन दोनो मे एक विकास था, दूसरा अशरफ.
चंदू के हाथ से छिटक कर रेवोल्वेर ना जाने कहाँ जा गिरा.
उसे लिए विकास मलबे के ढेर पर लुढ़कता चला गया था, इधर, अशरफ का शिकार उसके पंजे मे था और वो नाहर था जिसने लपक कर मलबे पर लुढ़कति वो ऑन टॉर्च उठा ली थी जो अचानक हमला होने के कारण बॉब्बी के हाथ से छूट कर गिरी थी.
कहाँ कल-परसो के लौन्डे और कहाँ विकास और अशरफ जैसे महारथी, सारा खंडहर चंदू और बॉब्बी की चीखो से गूँज उठा.
यही मंज़र दीवार के शीर्ष पर था.
वहाँ, जहाँ विजय, परवेज़ और विक्रम कहर बनकर चीकू और बंटी पर टूटे, पहले उन्होने मुकाबला करने की कोशिश की लेकिन जब ऐसे प्रहार होने लगे जिन्हे झेलना उनके वश मे नही था तो मैन्दान छोड़कर भागने लगे परंतु उन्हे भागने तक नही दिया गया.
चारो को दबोच लिया गया था.
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11-23-2020, 02:01 PM,
#28
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री
30

उनसे पूछताछ मे पता लगा कि चंदू के दिल मे अपनी माँ की हत्या का बदला लेने की आग सुलग रही थी, उसे लगता था कि पैसे और पहुच वाले होने के कारण सरकार दंपति उँची अदालत मे क़ानून से बच जाएँगे, वैसे भी, वो अपनी माँ के हत्यारों को अपने हाथो से सज़ा देने का ख्वाइश्मन्द था

मगर हिम्मत और साधन ना होने के कारण कुछ कर नही पा रहा था.
इस बारे मे वो अक्सर अपने ख़ास दोस्त बॉब्बी से चर्चा किया करता था, एक दिन बॉब्बी ने चंदू के दिल के मलाल के बारे मे बंटी को बता दिया, बंटी बोला,"

इसमे क्या बड़ी बात है, मेरा एक दोस्त है जो ऐसे कामो मे माहिर है "
बॉब्बी ने ये बात चंदू को बताई.
चंदू ने उससे मिलने की इच्छा जताई.
इस तरह चंदू, बॉब्बी और बंटी एकमत हुए और राजनगर के एक ढाबे पर चीकू से मिले.
चंदू की इच्छा सुनने के बाद चीकू ने कहा," मैं तेरा काम करा दूँगा लेकिन बदले मे मुझे क्या मिलेगा "
" तू तो जानता ही है यार " बंटी ने कहा था," चंदू भी हमारी तरह माली ही है, किसी को कुछ देने के लिए होता तो बात ही क्या थी "
" मैं प्रोफेशनल आदमी हूँ दोस्त " चीकू ने कहा था," जब तक मुझे कुछ नही मिलता, मैं कुछ नही करता "
उस दिन बात यही ख़तम हो गयी क्योंकि चंदू के पास देने के लिए कुछ नही था और चीकू फ्री मे काम करने को तैयार नही था, फिर अचानक कल

चीकू धनपतराय के फार्महाउस पर पहूचकर उनसे मिला और बोला," मेरे दिमाग़ मे एक तरकीब आई है "
" क्या " उत्सुक होकर चंदू ने पूछा.
" अगर तेरे सेठ की बीवी को किडनॅप कर लिया जाए तो उसके बदले मे क्या वो 10-5 लाख दे सकता है "
" मुझे नही पता "
" हैसिय्त क्या है उसकी "
" हैसियत तो बहुत है लेकिन ये नही पता की देगा या.... "
" जिसकी हैसियत होती है वो देता भी है " चीकू कहता चला गया," इस तरह बात बन सकती है, हम उसकी बीवी को किडनॅप कर लेंगे, 5 लाख माँगेंगे, फिरौती लेकर उसे ही बुलाएँगे, 5 लाख मे सबका हिस्सा होगा, सरकार दंपति को तेरे हवाले कर दिया जाएगा, तू आराम से उनका काम तमाम कर सकेगा क्योंकि वो

जगह सुनसान होगी और वहाँ हमारे और उनके अलावा कोई नही होगा, घटना का कोई गवाह नही "
" मुझे पैसो मे हिस्सा नही चाहिए " चंदू ने कहा था," बस एक ही ख्वाइश है, अपनी माँ के हत्यारो को मौत के घाट उतार सकूँ "
" मुझे भी हिस्सा नही चाहिए " बॉब्बी बोला था," मैं ये काम अपने दोस्त चंदू के लिए करूँगा "
" तो पक्का " चीकू बोला," 5 लाख मेरे और बंटी के और वे दोनो तुम्हारे, प्लान ऐसा बनाया जाएगा कि इधर हमे 5 लाख मिले और उधर तुम्हे सरकार

दंपति, दोनो पक्ष खुश "
" तो कब करना है काम " चंदू ने पूछा.
चीकू बोला," आज ही "
" आ...आज ही " तीनो चिहुके.
" नेक काम मे देरी कैसी, अभी निकल चलो मेरे साथ "
तीनो तैयार हो गये.
प्लान बनाने और उसपर अमल करने की ज़िम्मेदारी चीकू की थी, वार्ता के अंतिम चरण मे पहुचते-पहुचते ये सवाल उठा कि चंदू और बॉब्बी सरकार

दंपति को मारेंगे कैसे.
किसी हथियार का इंतज़ाम करने की बात चली तो बॉब्बी को केर टेकर के रेवोल्वेर का ख़याल आया.
उसे चुराना तय हुआ और वैसा ही किया गया.
चारो के संयुक्त बयान के बाद विजय-विकास इस नतीजे पर पहुचे की चंदू, बंटी और बॉब्बी तो केवल मोहरे थे.
असली खिलाड़ी चीकू था.
सबकुछ उसी ने किया था.
वे तीनो तो वही करते रहे जो वो बताता रहा.
इसलिए विजय ने उन तीनो को रघुनाथ के हवाले किया जबकि चीकू को लेकर विकास के साथ कोठी पर आ गया.
" अब बोलो चीन्कु प्यारे " उसे कुर्सी पर बिठाने के बाद विजय ने कहा," तुम्हारे साथ क्या सलूक किया जाए "
" ज...जी " वो सहमा हुआ था," मैं समझा नही "
" अभी तक समझ हम भी नही पाए है प्यारेलाल कि 2 ने 5 लाख के लिए अपहरण किया और 2 ने सरकार दंपति का राम नाम सत्य करने के लिए, ये बात क्या हुई "
" मैं समझा नही कि आप क्या नही समझे "
" किस्सा अगर इतना ही सीधा है तो ये घटना उसी दिन क्यो घटी जिस दिन हम रियिन्वेस्टिगेशन पर निकले, उससे पहले, पूरा साल पड़ा था, कभी भी क्यो नही घट गयी "
" मैं क्या कह सकता हू बल्कि... "
" हां-हां बोलो, बल्कि.. "
" मुझे तो अभी तक ये भी नही पता कि आप कौन है और किस केस की रियिन्वेस्टिगेशन कर रहे है "
" यानी अपहरण कल ही हुआ, ये एक इत्तेफ़ाक है "
" हां "
" हमारी खोपड़ी ये बात मानने के लिए तैयार नही है, हमे लगता है कि इस मामले मे कही ना कही कोई ना कोई पेंच है, कल का दिन ख़ासतौर पर चुना

गया "
" ऐसा नही है "
" तुमने बताया कि तुम किसी अमीर आदमी के ड्राइवर हो, वो BMW गाड़ी उसी की थी जिसे लेकर धनपत राय के फार्महाउस पर पहुचे थे और मिसेज. सरकार को

किडनॅप करने के बाद वॅन से उसी गाड़ी मे ट्रान्स्फर किया गया था "
" सच्चाई यही है "
" मिसेज़. सरकार को खंडहर मे पहुचाने के बाद तुम कल ही गाड़ी को मालिक के बंगले पर छोड़ आए और उससे ये कहकर 5 दिन की छुट्टी ले ली कि अपने गाँव जा रहे हो "
" जी "
" राजनगर मे तुम्हारा घोंसला कहाँ है "
" मालिक के बंगले मे सेरवेंट क्वॉर्टर्स है " उसने बताया," उन्ही मे से एक मुझे मिला हुआ है "
" अब हम तुम्हारे मालिक का नाम जानना चाहते है "
" संदीप बिजलानी "
" बिजलानी " विजय बुरी तरह चौंका था," इस किस्से मे ये दूसरा बिजलानी कहाँ से कूद पड़ा "
भीकु चुप रहा.
जैसे कुछ समझा ना हो.
विजय ने पूछा," क्या तुम अशोक बिजलानी को जानते हो "
" अशोक बिजलानी, नही तो "
" तुम्हारा वाला बिजलानी कहाँ रहता है "
" 7, सिविल लाइन्स "
" क्या करता है "
" उसकी शुगर मिल है, बिजलानी शुगर वर्क्स "
" ये नाम तो सुना है, शहर का बड़ा नाम है, तुम्हारे बिजलानी साहब के परिवार मे और कौन-कौन है "
" 3 साल पहले उनकी पत्नी की मौत हो चुकी है " चीकू ने बताया," अब अकेले है "
" बाल-बच्चा "
" कभी हुआ ही नही "
" माँ-बाप, भाई-बेहन तो हुए होंगे "
" माँ-बाप काफ़ी पहले मर चुके है, बेहन के बारे मे मैंने कभी नही सुना, एक भाई के बारे मे सुना है मगर कभी देखा नही, लोगो का कहना है कि उसके मालिक से संबंध अच्छे नही है "
" कब से नौकरी कर रहे हो वहाँ "
" एक साल हो गया "
" उससे पहले की बाते कैसे जानते हो "
" दूसरे नौकरो से बाते होती रहती है, काफ़ी तो काफ़ी पुराने है, तब के, जब बिजलानी साहब के माँ-बाप भी जिंदा थे "
" एक साल से पहले कहाँ सर्विस करते थे "
" तेवाटिया साहब का ड्राइवर था "
" यानी जहाँ रहे, ड्राइवर ही रहे हो "
" हाँ "
" जिस प्लॅनिंग के साथ मिसेज़. सरकार को किडनॅप किया और जिस शातिरना अंदाज मे सर्व्लेन्स नाम की चीज़ से बचे, उससे लगता है कि घुटे हुए अपराधी हो,

ये ड्राइवरी की नौकरी तो अपनी असलियत छुपाने के लिए करते हो "
वो चुप रह गया.
" अगर किसी को किडनॅप करके ही पैसे कमाने थे तो 5 लाख की आसामी को ही क्यू चुना, 5 करोड़ की आसामी को क्यू नही उठाया, जैसे, बिजलानी शुगर वर्क्स का मालिक, जिसकी तुम गाड़ी चलाते थे, उसका अपहरण करना सबसे आसान था "
" मेरा सिद्धांत है, जहाँ काम करते हो वहाँ गड़बड़ ना करो "
" कारण "
" पोलीस सबसे पहले नौकरो को ही पकड़ती है "
विजय को लगा, बड़े मारके की बात कही है उसने.
फिर भी, उसे लग रहा था कि ये मामला उतना सीधा नही है जितना नज़र आ रहा है, बोला," ठीक है चीन्कु प्यारे, कल तुम्हारे बिजलानी से भी मिलते है "
उस वक़्त उसने कल्पना तक ना कि थी की संदीप बिजलानी से मिलने के बाद एक नया ही किस्सा सामने आ जाएगा.

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अगले दिन पजेरो 7, सिविल लाइन्स के गेट के बाहर रुकी.
कंप्लीट ब्रास का बना हुआ गाते 12 फुट उँचा था और 12 ही फुट उँची थी वो चारदीवारी जो सिविल लाइन्स जैसे महँगे इलाक़े मे 10,000 वर्ग मीटर के

भूखंड को घेरे हुवे थी.
कीमती पत्थर से मॅंडी हुई थी वो.
गेट बंद था.
मस्तक पर लिखा था,' संदीप बिजलानी '
" क्या करना है गुरु " विकास ने पूछा.
विजय ने पिच्छली सीट पर बैठे चीकू से कहा," नंबर बता "
चीकू ने नंबर बताया.
विकास ने उसे अपने मोबाइल से मिलाया.
कुछ देर तक रिंग जाने के बाद कॉल रिसीव की गयी.
भारी-भरकम आवाज़ ने हेलो कहा.
विजय ने कहा," विजय बोल रहा हू बिजलानी साहब "
" कौन विजय " पूछा गया.
" मेरा संबंध रॉ से है "
" रॉ से " आवाज़ मे चौंकहट पैदा हुई," कहिए "
" किसी सिलसिले मे आपसे मिलना है "
" रॉ को हम से क्या काम हो सकता है " जैसे खुद से कहा गया हो, फिर फोन पर कहा गया," कब मिलना चाहते हो "
" अभी, बंदा आपके बंद गेट के बाहर खड़ा है "
खामोशी छा गयी.
जैसे कुछ सोचा जा रहा हो.
फिर निर्णायक लहजे मे कहा गया," गेट तक पहुच ही गये हो तो आ जाओ "
" गेट खुलेगा तो आएँगे ना "
" हम गार्ड को बोलते है "
" थॅंक्स " कहकर विजय ने संबंध विच्छेद कर दिया.
कुछ देर बाद काले रंग की वर्दी और बंदूकधारी गार्ड ने विशाल गाते खोला तथा गाड़ी को अंदर आने का इशारा किया.
गेट खुलते ही बंग्लॉ की भव्यता नज़र आने लगी थी.
5 फुट चौड़ी एक क्यारी दूर तक चली गयी थी.
उस क्यारी मे पानी भरा हुआ था.
छोटे-छोटे फाउंटन चल रहे थे.
क्यारी के दोनो तरफ सड़क थी.
एक बाई तरफ, दूसरी दाई तरफ.
विकास को समझने मे देर नही लगी कि उसे बाई सड़क से अंदर जाना है और उसने वैसा ही किया.
करीब 200 मीटर दूर इमारत नज़र आ रही थी.
एकदम गोल.
गोल पिल्लर्स पर टिकी हुई.
जैसे संसद भवन की कॉपी की गयी हो.
उसके चारो तरफ मखमली हरी घास और रंगबिरंगे फूलो से महकता लंबा-चौड़ा लॉन था.
हर तरफ छोटे-छोटे वॉटर फॉल.
सड़क डबल हाइट पोर्च के नीचे जाकर ख़तम हुई और विकास ने पजेरो वही रोकी, पोर्च इतना बड़ा था कि उसके नीचे पहले ही से 5 गाड़िया खड़ी हुई थी.
सभी लग्जरी.
उनमे BMW भी थी.
विजय ने उसकी तरफ इशारा करते हुवे चीकू से पूछा," क्या वो गाड़ी यही है जिसमे मिसेज़. सरकार को खंडहर मे ले गये थे "
उसने स्वीकृति मे गर्दन हिलाई.
पोर्च मे भी एक काली वर्दी वाला गार्ड तैनात था लेकिन उसके कंधे पर बंदूक नही थी.
उसने विजय की साइड वाला दरवाजा खोला.
विजय समझ सकता था कि ये सब संदीप बिजलानी के इशारे पर हो रहा है.
" आओ प्यारो " कहने के साथ विजय बाहर निकला और किसी को सोचने-समझने का मौका दिए बिना तेज कदमो के साथ BMW की तरफ बढ़ गया.
हड़बड़ा कर उसके पीछे लपकता गार्ड बोला," अरे उधर कहाँ जा रहे है सर, गेट इधर है "
मगर विजय भला कहाँ सुनने वाला था, वो BMW के करीब पहुचा और उसके अगले दाये टाइयर पर नज़र डाली.
उसका बाया किनारा घिसा हुआ था.
पुष्टि हो गयी कि मंदिर के पास मिसेज़. सरकार को वन से उसी मे ट्रान्स्फर किया गया था.
इस बीच गार्ड उसके करीब आ गया था.
बोला," आप यहाँ क्या कर रहे है सर "
" देख रहे थे कि BMW कैसी होती है "
" मेरे साथ आइए "
इस बीच विकास और चीकू भी पजेरो से बाहर निकल चुके थे.
और...चीकू पर नज़रे पड़ते ही गार्ड के चेहरे पर जो भाव उभरे उन्हे देखकर विजय चौंक पड़ा.
गार्ड ने चीकू से कहा था," तू "
" क्यो " चीकू ने पूछा," क्या हुआ "
" तेरी खबर तो साहब लेंगे "
" खबर लेंगे, क्या किया है मैंने "
" वही बताएँगे " उससे कहने के बाद गार्ड ने विजय से पूछा," आप कौन है सर और... ये आपके साथ कैसे "
" हम कौन है, ये तो हम तुम्हारे साहब को बता चुके है लेकिन तुम्हे हमारे साथ इसके होने मे क्या आपत्ति है "
उसने कुछ बताने के लिए मुँह खोला मगर फिर जैसे बात बदल दी," साहब ही बताएँगे, आइए "
वो इमारत के गेट की तरफ बढ़ गया था.
Reply
11-23-2020, 02:01 PM,
#29
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री


31

teeno peeche ho liye.
Vijay-Vikas samajh chuke they ki jagah-jagah CCTV camera lage huve they arthaat andar kahi unhe dekha jaa raha tha.
doodh jaise bedaag safed pattharo se mandhi kareeb 20 foot choudi aur 40 foot lambi gallery se gujarta guard unhe ek aise hall me le gaya jiski chatt 40 foot upar thi.
gumbadnuma.
gumbad me bahut bada italian faanush latka hua tha balki yadi ye kaha jaaye to atishyokti nahi hogi ki vaha maujood har vastu Sandeep bijlani ke raajsi thaath ki taraf ishara kar rahi thi.
sofa aisa ki baithne ko dil na chaahe, aisa ehsaas hota tha ki agar us par baitha gaya to mainla ho jaayega aur.... us par baithne ki naubat aayi bhi nahi.

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Vijay-Vikas abhi hall ki bhavyata me hi khoye huve they ki aisi aawaaj huyi jaise kisi darvaaje ko bahut gusse me jhatke se khola aur band kiya gaya ho.
sabki najare udhar ghoom gayi.
vo hall ka andar ki taraf khulne vaala darvaja tha.
keemti suit pehne ek aisa shakhs najar aaya jis par najar padte hi Vijay-Vikas ko laga ki vo Ashok bijlani hai.
bahut gusse me tha vo.
itna jyada ki hall me kadam rakhte hi usne kisi aur ki taraf dekha tak nahi, Cheeku par chadh douda," kaha tha tu, phone kyo band kar rakha tha "
Cheeku sir jhukaaye khada tha.
" jawaab de " uska paara aur chadh gaya," aur tere paas 10 lakh rupye kaha se aaye "
is baar Cheeku ne na sirf chehra upar uthaya tha balki us par chounkne ke bhaav bhi they.
munh se shabd fisley," koun se 10 lakh "
" jinhe tune apni almaari me rakh rakha tha "
Cheeku ka chehra peela pad chuka tha.
vo badi mushkil se keh saka," m....mere paas 10 lakh kaha se aayenge sahab "
" vahi to pooch rahe hai, itne paise kaha se aaye "
" m... mainne to kabhi itne paise dekhe tak nahi "
" jhooth mat bol, Gulaab singh ko ve teri almaari se miley hai "
" a...almaari se " vo hakbakaya aur fir turant hi jabardast u-turn leta hua bola," oh, achha, aap un 10 lakh ki baat kar rahe hai, vo to mainne apni jameen bechi thi na, uske miley they "
" kab, koun si jameen bechi thi tune "
" pichhle hafte hi to, apni gaanv vaali jameen "
" hame to is baare me kuch nahi bataya"
" isme bataane vaali kya baat thi sahab, meri jameen thi, mainne bech di, vaise bhi, jab mujhe gaanv me rehna hi nahi to karta bhi kya, par meri almaari Gulaab singh ya kisi aur ko kholne ka kya right hai, ye baat to theek nahi hai sahab, main police ko complaint karunga "
ye sunne ke baad to Sandeep bijlani ka gussa maano saatve aasmaan par chadh gaya, jhapatkar Cheeku ke najdeek pahucha vo aur uske gaal par chaanta maarta hua jor se cheekha," police se complaint karega tu, police me complaint karega hamari "
" aap mujhe maarkar theek nahi kar rahe hai sahab " Cheeku ne tevar dikhaaye," ek to aapne meri almaari... "
aur.... Sandeep bijlani jaise aapa kho baitha.
apne driver ke ve tevar vo bardaasht nahi kar saka tha.
uske dono gaalo par chaante barsata chala gaya.
baaye haath se baaye gaal par, daaye haath se daaye gaal par.
ek ke baad ek.
dono haath bijli ki-si gati se chal rahe they.
vo rukne ko hi taiyaar nahi tha, saath hi cheekhe chala jaa raha tha," jubaan ladayega, humse jubaan ladayega tu "
pehle to Vijay us scene ko dekhta raha, kuch sochta raha, fir chehre par thode ascharya ke bhaav ubhre aur jab dekha ki Sandeep rukne ko hi taiyaar nahi hai to aage badhkar hastakshep kiya.
Sandeep ke kandho ko pakadta bola," bas... bas mister Sandeep, apni badtameeji ki kaafi saza mil chuki hai use "
Sandeep ka gussa kam hone ko taiyaar nahi tha.
vo tab bhi cheekha tha," tu police me complaint karega hamari "
" kyo nahi kar sakta " Cheeku bhi poora dheeth tha," bhale hi vo aap hi ki di huyi ho par jab tak main yaha service kar raha hu, vo meri private almaari hai aur agar vo kisi aur ne kholi hai to chori hi huyi hogi na "
" naam kya hai tere gaanv ka " Bijlani ke lehje me vyangya tha.
" aap jaante to hai, mere license me likha hai, Noornagar "
" police enquiry kar chuki hai, tera address farzi hai "
" p..police " uske chakke chhut gaye, munh se nikla," police beech me kaha se aa gayi "
" kyo, abhi to khud police ko bulaane ki baat kar raha tha, ab police ke naam se hi chakke chhut gaye "
is baar vo kuch nahi bola.
keval ghoorta reh gaya Bijlani ko.
" hum samajh gaye, tu hame nahi batayega ki vo 10 lakh kaha se aaye, police ko batayega, hum teri complaint kar chuke hai aur 10 lakh rupye bhi police ko sounp chuke hai " kehne ke saath usne jeb se mobile nikala aur number milaane ki koshish kar hi raha tha ki Vijay ne kaha," kise phone kar rahe hai janaab "
" police ko " usne rou me jawaab diya.
" police ke abba hujoor to aapke saamne khade hai "
" matlab " vo ab bhi gusse me tha.
" hum ne bataya tha ki hum RAW se hai "
" oh, haan " Sandeep bijlani ko jaise yaad aaya," ye aapke saath kaise, kya isne kuch kar diya hai "
" tabhi to hamari giraft me hai "
" kya kiya hai "
" vo sab baad me " Vijay ne kaha," pehle aap bataiye ki 10 lakh ka kya chakkar hai "
" vahi to hum isse jaanna chahte hai " kehne ke baad vo thoda ruka, chehre par aise bhaav ubhre jaise gusse par kaabu paane ki koshish kar raha ho, fir apekshakrit shaant swar me bola," sorry mister, kya naam bataya tha aapne apna "
" Vijay thakur kehte hai hame " kehne ke saath Vijay ne apna haath uski taraf badha diya tha.
" sorry mr. Vijay " usne haath milaate huve Cheeku ki taraf ishaara karte huve kaha," ise dekhte hi hame itna gussa aa gaya ki aapki taraf dhyaan dena hi bhool gaye "
" gusse ka kaaran "
" parso raat isne humse kaha ki apne gaanv jaana hai, 5 din ki chutti chahiye, hum ne chutti de di, kal subah Gulaab singh ko iski almaari se 10 lakh rupye miley "
" Gulaab singh koun hua "
" hamara sabse purana aur vishvasht servant "
" vo Cheeku ki safe me kyu ghusa "
" aisa karne ke liye hum ne keh rakha hai "
" baat samajh me nahi aayi "
" bangle me 20 servant hai, Gulaab singh ke alawa sabhi servant quarters me rehte hai, raat ke samay keval Gulaab singh hamare saath bangle me rehta hai, bangle me kayi baar choti-moti choriya ho chuki hai isliye hum ne Gulaab isngh se kaha ki vo samay-samay par servant quarters me jaakar vaha ki talaashi leta raha kare taaki chor pakda jaaye, sabhi servants ko godrej ki ek-ek almaari di huyi hai, Gulaab singh ke paas unki duplicate chaabiya hai jinki madad se vo mouka lagte hi kisi ki bhi almaari check kar sakta hai par is baare me is ghatna se pehle kisi bhi servant ko kuch pata nahi tha "
" to Gulaab singh ne in janaab ki almaari check ki "
" haan "
" usse 10 lakh rupye miley "
" aap sun chuke hai, aur himakat to dekho iski aapke hi saamne hame bargalaane ki kitni koshish ki lekin aap samajh gaye honge ki ye jhooth bol raha tha, jameen-vameen ki baat gapp hai "
" rupye milne par Gulaab singh ne kya kiya "
" hame bataya "
" aapne kya kiya "
" sabse pehle bangle me maujood apna cash check kiya, usme se ek paisa bhi gaayab nahi tha "
" fir "
" hum chounk padey, dimaag me sawaal ubhra, Cheeku ke paas itni badi rakam kaha se aayi, jaanne ke liye ise phone kiya, switch off aaya, dopahar tak kayi baar phone kiye, jab switch off hi aata raha to laga ki jaroor kuch gadbad hai, ek driver par bagair koyi galat kaam kiye itne paise kaha se aayenge "
" baat to theek sochi aapne, uske baad "
" hame laga ki is baare me police ko soochit karna jaroori hai isliye civil lines thaane ko phone kiya, inspector ko bulaya aur saari baat bataate huve 10 lakh rupye use sounp diye, iske driving license ki copy bhi de di jisme iska gaanv ka vo address tha jiski baat ye abhi-abhi kar raha tha "
" inspector ne koyi report di "
" kal shaam phone par bataya ki vo enquiry kara chuka hai, address farzi hai, hame yakeen ho gaya ki ye aadmi do numbari hai "
" tab "
" inspector ne kaha, koyi bhi apne 10 lakh chhodkar nahi jaa sakta, almaari me rupye chhodkar jaane ka seedha-sa matlab hai ki vo aapke yaha se hamesha ke liye nahi gaya hai, 4-5 din baad jaroor loutega, use kya pata rupye pakde gaye hai, vo to yahi soch raha hoga ki uski rakam almaari me surakshit hai "
" badi marke ki baat kahi inspector ne "
" hame bhi janchi " Bijlani bola," hum bhi aur inspector bhi 5 din gujarne ka intjaar kar rahe they, inspector ne keh rakha tha ki jaise hi vo aaye, soochit kar de, uske baad ye pata lagana uska kaam hoga ki iske paas ye rakam aayi kaha se, police aane ke kaaran sabhi servants ko pata lag gaya tha ki Cheeku ki almaari se 10 lakh rupye miley hai magar hum ne sabko hidayat de di ki jab aaye to koyi usse kuch nahi kahega, jo kehna ya karna hoga hum karenge, par ye to aaj teesre din hi aa gaya "
" aaya nahi hai janaab, laaya gaya hai "
" ab aap bataiye, ye aapke saath kyo hai, aapke saath hai to kuch kiya hi hoga, kya kiya hai isne "
Vijay ne sanshep me bata diya.
" oh " Sandeep bijlani ke chehre par chinta aur ghabrahat ke bhaav kaabij ho gaye they," kidnap ke liye isne hamari hi gaadi istemaal ki, itna khatarnaak aadmi hai ye aur ek saal se hamare saath tha, hamari gaadi chala raha tha, kitna vishvaas tha hame ispar, ye to hame bhi nuksaan pahucha sakta tha "
" isliye to police kehti hai ki kisi vishvast sifarish ke bagair kisi ko apne yaha naukari par na rakhe, kya aapne aisa kiya tha, arthaat kisi ki sifarish par rakha tha ise "
" hum ne driver ke liye akhbaaro me vigyapan diya tha, kaafi log aaye they, ise chuna, driving license ki photocopy apne paas rakhna kaafi samjha tha "
" aur license par likha hua address farzi nikla "
" aapko bata hi chuke hai "
" bahut ghutey huve hote hai ye log, ho sakta hai ki poora license hi farzi ho, khair, ye sab pata lagana ab hamara kaam hai "
" kya hame inspector ko nahi bulana chahiye "
" bilkul bulana chahiye, usse kahiye ki iski almaari se miley 10 lakh rupye lekar aaye "
Sandeep bijlani ne inspector ka number milana chaalu kar diya.
Vijay ne Raghunath ka number milaya, usse baate karta hall ke dusre koney me chala gaya taaki baaki log na sun sakey, sanshep me Raghunath ko sabkuch bataya aur ant me kaha," civili lines ke inspector se kehna ki vo Cheeku ko hi nahi balki 10 lakh bhi hame sounp de kyonki ye case hamare hi havaale hai "
" vo to keh dunga lekin Vijay, aakhir ye..... "

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Vijay ko uski poori baat sunne ka mouka nahi mila kyonki theek usi waqt Cheeku ne gazab ki furti dikhaate huve Vikas ki belt me thoonse revolver ko na keval nikaal liya balki use un sab par taanta hua garja," koyi bhi hila to goli maar dunga "
sab hakbaka gaye.
Vijay aur Vikas jaise dhurandhar bhi.
kisi ne usse aisi harkat ki ummeed nahi ki thi.
uski taraf palat-te Vijay ne mobile off kar liya tha.
Cheeku ke chehre par is waqt kehar najar aa raha tha.

31

तीनो पीछे हो लिए.
विजय-विकास समझ चुके थे कि जगह-जगह सीसीटीवी कॅमरा लगे हुए थे अर्थात अंदर कही उन्हे देखा जा रहा था.
दूध जैसे बेदाग सफेद पत्थरो से मंधी करीब 20 फुट चौड़ी और 40 फुट लंबी गॅलरी से गुज़रता गार्ड उन्हे एक ऐसे हॉल मे ले गया जिसकी छत 40 फुट उपर थी.
गुम्बद्नुमा. गुंबद मे बहुत बड़ा इटॅलियन फानुश लटका हुआ था बल्कि यदि ये कहा जाए तो अतिशयोक्ति नही होगी कि वहाँ मौजूद हर वस्तु संदीप बिजलानी के राजसी ठाट की तरफ इशारा कर रही थी.
सोफा ऐसा की बैठने को दिल ना चाहे, ऐसा एहसास होता था की अगर उस पर बैठा गया तो मैला हो जाएगा और.... उस पर बैठने की नौबत आई भी नही.

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विजय-विकास अभी हॉल की भव्यता मे ही खोए हुए थे कि ऐसी आवाज़ हुई जैसे किसी दरवाजे को बहुत गुस्से मे झटके से खोला और बंद किया गया हो.
सबकी नज़रें उधर घूम गयी.
वो हॉल का अंदर की तरफ खुलने वाला दरवाजा था.
कीमती सूट पहने एक ऐसा शख्स नज़र आया जिस पर नज़र पड़ते ही विजय-विकास को लगा कि वो अशोक बिजलानी है.
बहुत गुस्से मे था वो.
इतना ज़्यादा कि हॉल मे कदम रखते ही उसने किसी और की तरफ देखा तक नही, चीकू पर चढ़ दौड़ा," कहाँ था तू, फोन क्यो बंद कर रखा था "
चीकू सिर झुकाए खड़ा था.
" जवाब दे " उसका पारा और चढ़ गया," और तेरे पास 10 लाख रुपये कहाँ से आए "
इस बार चीकू ने ना सिर्फ़ चेहरा उपर उठाया था बल्कि उस पर चौंकने के भाव भी थे.
मुँह से शब्द फिसले," कौन से 10 लाख "
" जिन्हे तूने अपनी अलमारी मे रख रखा था "
चीकू का चेहरा पीला पड़ चुका था.
वो बड़ी मुश्किल से कह सका," म....मेरे पास 10 लाख कहाँ से आएँगे साहब "
" वही तो पूछ रहे है, इतने पैसे कहाँ से आए "
" म... मैंने तो कभी इतने पैसे देखे तक नही "
" झूठ मत बोल, गुलाब सिंग को वे तेरी अलमारी से मिले है "
" आ...अलमारी से " वो हकबकाया और फिर तुरंत ही जबरदस्त यू-टर्न लेता हुआ बोला," ओह, अच्छा, आप उन 10 लाख की बात कर रहे है, वो तो मैंने अपनी ज़मीन बेची थी ना, उसके मिले थे "
" कब, कौन सी ज़मीन बेची थी तूने "
" पिच्छले हफ्ते ही तो, अपनी गाँव वाली ज़मीन "
" हमे तो इस बारे मे कुछ नही बताया"
" इसमे बताने वाली क्या बात थी साहब, मेरी ज़मीन थी, मैंने बेच दी, वैसे भी, जब मुझे गाँव मे रहना ही नही तो करता भी क्या, पर मेरी अलमारी गुलाब सिंग या किसी और को खोलने का क्या राइट है, ये बात तो ठीक नही है साहब, मैं पोलीस को कंप्लेंट करूँगा "
ये सुनने के बाद तो संदीप बिजलानी का गुस्सा मानो सातवे आसमान पर चढ़ गया, झपटकर चीकू के नज़दीक पहुचा वो और उसके गाल पर चाँटा मारता हुआ ज़ोर से चीखा," पोलीस से कंप्लेंट करेगा तू, पोलीस मे कंप्लेंट करेगा हमारी "
" आप मुझे मारकर ठीक नही कर रहे है साहब " चीकू ने तेवर दिखाए," एक तो आपने मेरी अलमारी... "
और.... संदीप बिजलानी जैसे आपा खो बैठा.
अपने ड्राइवर के वे तेवर वो बर्दाश्त नही कर सका था.
उसके दोनो गालो पर चान्टे बरसाता चला गया.
बाए हाथ से बाए गाल पर, दाए हाथ से दाए गाल पर.
एक के बाद एक.
दोनो हाथ बिजली की-सी गति से चल रहे थे.
वो रुकने को ही तैयार नही था, साथ ही चीखे चला जा रहा था," ज़ुबान लड़ाएगा, हम से ज़ुबान लड़ाएगा तू "
पहले तो विजय उस सीन को देखता रहा, कुछ सोचता रहा, फिर चेहरे पर थोड़े असचर्या के भाव उभरे और जब देखा की संदीप रुकने को ही तैयार नही है तो आगे बढ़कर हस्तक्षेप किया.
संदीप के कंधो को पकड़ता बोला," बस... बस मिसटर संदीप, अपनी बदतमीज़ी की काफ़ी सज़ा मिल चुकी है उसे "
संदीप का गुस्सा कम होने को तैयार नही था.
वो तब भी चीखा था," तू पोलीस मे कंप्लेंट करेगा हमारी "
" क्यो नही कर सकता " चीकू भी पूरा ढीठ था," भले ही वो आप ही की दी हुई हो पर जब तक मैं यहाँ सर्विस कर रहा हू, वो मेरी प्राइवेट अलमारी है और अगर वो किसी और ने खोली है तो चोरी ही हुई होगी ना "
" नाम क्या है तेरे गाँव का " बिजलानी के लहजे मे व्यंग्य था.
" आप जानते तो है, मेरे लाइसेन्स मे लिखा है, नूर्नगर "
" पोलीस एंक्वाइरी कर चुकी है, तेरा अड्रेस फ़र्ज़ी है "
" प..पोलीस " उसके छक्के छूट गये, मुँह से निकला," पोलीस बीच मे कहाँ से आ गयी "
" क्यो, अभी तो खुद पोलीस को बुलाने की बात कर रहा था, अब पोलीस के नाम से ही छक्के छूट गये "
इस बार वो कुछ नही बोला.
केवल घूरता रह गया बिजलानी को.
" हम समझ गये, तू हमे नही बताएगा कि वो 10 लाख कहाँ से आए, पोलीस को बताएगा, हम तेरी कंप्लेंट कर चुके है और 10 लाख रुपये भी पोलीस को सौंप चुके है " कहने के साथ उसने जेब से मोबाइल निकाला और नंबर मिलाने की कोशिश कर ही रहा था कि विजय ने कहा," किसे फोन कर रहे है जनाब "
" पोलीस को " उसने रौ मे जवाब दिया.
" पोलीस के अब्बा हुजूर तो आपके सामने खड़े है "
" मतलब " वो अब भी गुस्से मे था.
" हम ने बताया था कि हम रॉ से है "
" ओह, हां " संदीप बिजलानी को जैसे याद आया," ये आपके साथ कैसे, क्या इसने कुछ कर दिया है "
" तभी तो हमारी गिरफ़्त मे है "
" क्या किया है "
" वो सब बाद मे " विजय ने कहा," पहले आप बताइए कि 10 लाख का क्या चक्कर है "
" वही तो हम इससे जानना चाहते है " कहने के बाद वो थोडा रुका, चेहरे पर ऐसे भाव उभरे जैसे गुस्से पर काबू पाने की कोशिश कर रहा हो, फिर अपेक्षाकृत शांत स्वर मे बोला," सॉरी मिसटर, क्या नाम बताया था आपने अपना "
" विजय ठाकुर कहते है हमे " कहने के साथ विजय ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया था.
" सॉरी मिस्टर. विजय " उसने हाथ मिलाते हुए चीकू की तरफ इशारा करते हुवे कहा," इसे देखते ही हमे इतना गुस्सा आ गया कि आपकी तरफ ध्यान देना ही भूल गये "
" गुस्से का कारण "
" परसो रात इसने हम से कहा कि अपने गाँव जाना है, 5 दिन की छुट्टी चाहिए, हम ने छुट्टी दे दी, कल सुबह गुलाब सिंग को इसकी अलमारी से 10 लाख रुपये मिले "
" गुलाब सिंग कौन हुआ "
" हमारा सबसे पुराना और विश्वश्त सर्वेंट "
" वो चीकू की सेफ मे क्यू घुसा "
" ऐसा करने के लिए हम ने कह रखा है "
" बात समझ मे नही आई "
" बंगले मे 20 सर्वेंट है, गुलाब सिंग के अलावा सभी सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे रहते है, रात के समय केवल गुलाब सिंग हमारे साथ बंगले मे रहता है, बंगले मे काई बार छोटी-मोटी चोरिया हो चुकी है इसलिए हम ने गुलाब सिंग से कहा की वो समय-समय पर सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे जाकर वहाँ की तलाशी लेता रहा करे ताकि चोर पकड़ा जाए, सभी सर्वेंट्स को गोडरेज़ की एक-एक अलमारी दी हुई है, गुलाब सिंग के पास उनकी ड्यूप्लिकेट चाबिया है जिनकी मदद से वो मौका लगते ही किसी की भी अलमारी चेक कर सकता है पर इस बारे मे इस घटना से पहले किसी भी सर्वेंट को कुछ पता नही था "
" तो गुलाब सिंग ने इन जनाब की अलमारी चेक की "
" हां "
" उससे 10 लाख रुपये मिले "
" आप सुन चुके है, और हिमाकत तो देखो इसकी आपके ही सामने हमे बरगालाने की कितनी कोशिश की लेकिन आप समझ गये होंगे कि ये झूठ बोल रहा था, ज़मीन-वमीन की बात गप्प है "
" रुपये मिलने पर गुलाब सिंग ने क्या किया "
" हमे बताया "
" आपने क्या किया "
" सबसे पहले बंगले मे मौजूद अपना कॅश चेक किया, उसमे से एक पैसा भी गायब नही था "
" फिर "
" हम चौंक पड़े, दिमाग़ मे सवाल उभरा, चीकू के पास इतनी बड़ी रकम कहाँ से आई, जानने के लिए इसे फोन किया, स्विच ऑफ आया, दोपहर तक कयि बार फोन किए, जब स्विच ऑफ ही आता रहा तो लगा कि ज़रूर कुछ गड़बड़ है, एक ड्राइवर पर बगैर कोई ग़लत काम किए इतने पैसे कहाँ से आएँगे "
" बात तो ठीक सोची आपने, उसके बाद "
" हमे लगा कि इस बारे मे पोलीस को सूचित करना ज़रूरी है इसलिए सिविल लाइन्स थाने को फोन किया, इनस्पेक्टर को बुलाया और सारी बात बताते हुवे 10 लाख रुपये उसे सौंप दिए, इसके ड्राइविंग लाइसेन्स की कॉपी भी दे दी जिसमे इसका गाँव का वो अड्रेस था जिसकी बात ये अभी-अभी कर रहा था "
" इनस्पेक्टर ने कोई रिपोर्ट दी "
" कल शाम फोन पर बताया कि वो एंक्वाइरी करा चुका है, अड्रेस फ़र्ज़ी है, हमे यकीन हो गया कि ये आदमी दो नंबारी है "
" तब "
" इनस्पेक्टर ने कहा, कोई भी अपने 10 लाख छोड़कर नही जा सकता, अलमारी मे रुपये छोड़ कर जाने का सीधा-सा मतलब है की वो आपके यहाँ से हमेशा के लिए नही गया है, 4-5 दिन बाद ज़रूर लौटेगा, उसे क्या पता रुपये पकड़े गये है, वो तो यही सोच रहा होगा कि उसकी रकम अलमारी मे सुरक्षित है "
" बड़ी मारके की बात कही इनस्पेक्टर ने "
" हमे भी जँची " बिजलानी बोला," हम भी और इनस्पेक्टर भी 5 दिन गुजरने का इंतजार कर रहे थे, इनस्पेक्टर ने कह रखा था कि जैसे ही वो आए, सूचित कर दे, उसके बाद ये पता लगाना उसका काम होगा कि इसके पास ये रकम आई कहाँ से, पोलीस आने के कारण सभी सर्वेंट्स को पता लग गया था कि चीकू की अलमारी से 10 लाख रुपये मिले है मगर हम ने सबको हिदायत दे दी कि जब आए तो कोई उससे कुछ नही कहेगा, जो कहना या करना होगा हम करेंगे, पर ये तो आज तीसरे दिन ही आ गया "
" आया नही है जनाब, लाया गया है "
" अब आप बताइए, ये आपके साथ क्यो है, आपके साथ है तो कुछ किया ही होगा, क्या किया है इसने "
विजय ने सन्छेप मे बता दिया.
" ओह " संदीप बिजलानी के चेहरे पर चिंता और घबराहट के भाव काबिज हो गये थे," किडनॅप के लिए इसने हमारी ही गाड़ी इस्तेमाल की, इतना ख़तरनाक आदमी है ये और एक साल से हमारे साथ था, हमारी गाड़ी चला रहा था, कितना विश्वास था हमे इसपर, ये तो हमे भी नुकसान पहुचा सकता था "
" इसलिए तो पोलीस कहती है की किसी विश्वस्त सिफारिश के बगैर किसी को अपने यहा नौकरी पर ना रखे, क्या आपने ऐसा किया था, अर्थात किसी की सिफारिश पर रखा था इसे "
" हम ने ड्राइवर के लिए अख़बारो मे विग्यापन दिया था, काफ़ी लोग आए थे, इसे चुना, ड्राइविंग लाइसेन्स की फोटोकॉपी अपने पास रखना काफ़ी समझा था "
" और लाइसेन्स पर लिखा हुआ अड्रेस फ़र्ज़ी निकला "
" आपको बता ही चुके है "
" बहुत घुटे हुए होते है ये लोग, हो सकता है की पूरा लाइसेन्स ही फ़र्ज़ी हो, खैर, ये सब पता लगाना अब हमारा काम है "
" क्या हमे इनस्पेक्टर को नही बुलाना चाहिए "
" बिल्कुल बुलाना चाहिए, उससे कहिए कि इसकी अलमारी से मिले 10 लाख रुपये लेकर आए "
संदीप बिजलानी ने इनस्पेक्टर का नंबर मिलाना चालू कर दिया.
विजय ने रघुनाथ का नंबर मिलाया, उससे बाते करता हॉल के दूसरे कोने मे चला गया ताकि बाकी लोग ना सुन सके, सन्छेप मे रघुनाथ को सबकुछ बताया और अंत मे कहा," सिविल लाइन्स के इनस्पेक्टर से कहना कि वो चीकू को ही नही बल्कि 10 लाख भी हमे सौंप दे क्योंकि ये केस हमारे ही हवाले है "
" वो तो कह दूँगा लेकिन विजय, आख़िर ये..... "

-----------------------

विजय को उसकी पूरी बात सुनने का मौका नही मिला क्योंकि ठीक उसी वक़्त चीकू ने ग़ज़ब की फुर्ती दिखाते हुवे विकास की बेल्ट मे ठूँसे रेवोल्वेर को ना केवल निकाल लिया बल्कि उसे उन सब पर तानता हुआ गरजा," कोई भी हिला तो गोली मार दूँगा "
सब हकबका गये.
विजय और विकास जैसे धुरंधर भी.
किसी ने उससे ऐसी हरकत की उम्मीद नही की थी.
उसकी तरफ पलट-ते विजय ने मोबाइल ऑफ कर लिया था.
चीकू के चेहरे पर इस वक़्त कहर नज़र आ रहा था.
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11-23-2020, 02:06 PM,
#30
RE: Gandi Kahani सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री

33

" आपने कहा कि कुछ दिनो से अशोक पोलाइट हो गया था "
" बस इतना ही कि कभी-कभी मिलने आ जाया करता था, कहता था कि ग़लती तो मेरी भी थी मगर अंजलि और रिप्पी से बहुत डरता था, कहता था कि अगर उन्हे पता लग गया कि मैं तुमसे मिलता हू तो दोनो मेरी जान खा जाएँगी "
" ये चेंज क्यो आया था उसमे "
" नही कह सकता "
" और आप उसकी मौत की सूचना पाकर वहाँ गये "
" अंजलि ने सबके सामने कह दिया, जब अमरमनी मेरे पति का पिता ही नही था तो कोई भाई कैसे हो सकता है, दुख की इस घड़ी मे यहाँ से चले ही जाओ तो अच्छा होगा "
" और आप आ गये "
" इसके अलावा और कर भी क्या सकते थे " विजय को उसकी आँखो मे नमी नज़र आई थी," आप ही बताइए मिस्टर. विजय, क्या हम कुछ कर सकते थे "
" क्या उठवाने वाले दिन जाएँगे "
" हिम्मत तो नही पड़ रही है, पता नही जा पाएँगे या नही जा पाएँगे लेकिन जाने क्यो, दिल बार-बार एक बात ज़रूर कहता है "
" क्या "
" अभी तो वे गुस्से मे है लेकिन हो सकता है, महीने-दो महीने, या साल-दो साल बाद इतने गुस्से मे ना रहे, वे माने ना माने परंतु एक बार तो उनके पास जाएँगे ही, कहेंगे कि उनके उपर कोई साया नही रहा है और हमारी कोई फॅमिली नही है, क्यो ना साथ रहे "
" इतने सब के बावजूद बड़े अच्छे ख़याल है आपके, मैं आपको सलाम करता हू " कहने के बाद विजय विकास की तरफ पलट-ता हुआ बोला," चलो दिलजले, गठरी बनाकर चीन्कु उस्ताद को साथ ले चलो, आगे की राह यही दिखाएँगे "

-------------------------------

विजय-विकास चीकू को उसकी कोठी के उस कमरे मे ले गये जिसके लेन्टर के साथ दो ऐसी जंजीरे लटकी हुई थी जिसके निचले सिरो पर कुंडे मौजूद थे.
जिनमे पैर फँसाए विजय विकास, धनुष्टानकार, ठाकुर साहब और राजन सरकार के आने से पहले सिर्फ़ एक लाल अंडरवेर मे ना केवल उल्टा लटका हुआ था बल्कि पूरणसिंघ को अपने बाजुओ मे दबाए लंबे-लंबे झोट भी ले रहा था.
चीकू को एक कुर्सी पर बिठाने के बाद विजय ने कहा," हां तो छींकु उस्ताद, ये तो इति-सिद्धम हो चुका है कि मिसेज़. सरकार का अपहरण ना तो तुमने 5 लाख रुपयो के लिए किया था और ना ही परसो करना इत्तेफ़ाक था, पूरी स्क्रिप्ट काफ़ी सोचने-समझने के बाद पहले ही तैयार कर ली गयी थी और तैयार करने वाला शख्स वो था जिसने तुम्हे 10 लाख रुपये दिए, अर्थात इस सारे खेल मे तुम्हारे हाथ 15 लाख लगने थे और सरकार दंपति का काम तमाम होना था "
चीकू चुप रहा.
पुनः विजय ने ही कहा," अब तुम्हे उसका नाम बताना है जिसने तुम्हे इस काम के लिए 10 लाख की रकम दी "
" मैं उसके बारे मे कुछ नही जानता "
" पर हम जानते है कि तुम जानते हो "
ऐसा लगा जैसे चीकू ने जबड़े कस लिए हो.
" और जब हम ये जान लेते है कि सामने वाला वो जानता है जो हम जानना चाहते है पर बता नही रहा तो उसे दिलजले के हवाले कर देते है क्योंकि सामने वाले के मुँह से वो निकलवाने के मामले मे इसने पीएचडी कर रखी है जो वो निकालना नही चाहता "
चीकू अब भी चुप रहा.
विजय ने पुनः कहा," संदीप बिजलानी के शानदार ड्रॉयिंग रूम मे तुम्हे दिलजले के हाथो जो कुछ भी भुगतना पड़ा, वो सिर्फ़ ट्रेलर था, पूरी फिल्म देखने के मूड मे हो तो इसी तरह जबड़े कसे रखो, हम तुम्हे दिलजले के हवाले कर रहे है और अगर साबुत रहना चाहते हो तो जो पूछा जा रहा है, वो बता दो "
" मैंने कहा ना, मैं उसके बारे मे कुछ नही जानता "
" ये तो ज़िद पर अड़ा हुआ है दिलजले " विजय बोला," इतना तक नही जानता कि खुद का दुश्मन खुद ही बन रहा है "
" आप बस 10 मिनिट के लिए इस कमरे से चले जाइए गुरु " विकास ने कहर भरी नज़रो से चीकू को देखते हुए कहा था," जब आएँगे तो इसे टेपीरिकॉरडर की तरह बोलता पाएँगे "
" बोलो छींकु उस्ताद " विजय ने एक बार फिर चीकू से पूछा.
" जब मुझे कुछ पता ही नही है तो मैं क्या बता सकता हू "
" ओके, तो हम चले प्यारे " कहने के बाद वो ऐसा मुड़ा कि रुका ही नही, कमरे से बाहर निकलता चला गया.
इसी बीच, विकास जैसे फ़ैसला कर चुका था कि क्या करना है, उसने बगैर कुछ कहे चीकू को गठरी की तरह उठाया और इससे पहले कि वो कुछ समझ पाता, उसके दोनो पैर जंजीरो के दोनो कुंडो मे फँसाकर कुंडो के लॉक लगा दिए.
चीकू बेचारा समझ तक नही पा रहा था कि विकास क्या करने के मूड मे है और जब समझा तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि वो कुछ कर नही सकता था, शुरू मे विकास ने उसे बहुत छोटे-छोटे झोट दिए थे, धीरे-धीरे झोटो की लंबाई बढ़ाई और फिर इतनी बढ़ा दी कि उसका सिर दीवार से जा टकराया.
हलक से चीक निकल गयी थी उसके.
नया जख्म बन गया.
बेचारा पहले से ही लाहुलुहान था, अपने ही खून से और भीगने लगा और.... ये तो शुरुआत थी, अभी पहली चोट से ही नही उभर पाया था कि सामने वाली दीवार से जा टकराया.
विकास ने झोटा और तेज किया.
पुनः पहली दीवार से जा टकराया और उसके बाद तो ऐसा सिलसिला बना की रुकने का नाम ही नही ले रहा था.
विकास उसे जुनूनी अवस्था मे झोट देता रहा और वो ज़ोर-ज़ोर से आमने-सामने की दीवारो से टकराता रहा, कमरे मे उसकी चीखे इस कदर गूँज रही थी जैसे बकरे को हलाल किया जा रहा हो.
बुरी तरह डकरा रहा था वो.
सिर और चेहरे पर ही नही, पूरे जिस्म मे नये-नये जख्म बनते जा रहे थे, अब उनसे खून बह नही रहा था बल्कि खून की बारिश जैसे हो रही थी, कमरे की दीवारें और फर्श किसी बूचड़खाने की दीवारें और फर्श जैसी लगने लगी थी.
ये सिलसिला रुकने का नाम ही नही ले रहा था.
कब तक सहता चीकू.
चीखो के बीच उसके मुँह से शब्द निकलने लगे थे," र..र...रोको रोको, ब..ब...बात....बताता ह..हू "
उसके बाद भी विकास ने दो-तीन झोट दिए, तब रुका, जेब से मोबाइल निकालकर विजय का नंबर मिलाया और जिस वक़्त वो उस पर ये कह रहा था की," आ जाओ गुरु " उस वक़्त भी चीकू झोट खा रहा था परंतु अब दीवारो से नही टकरा रहा था.
विजय के आते-आते झोट काफ़ी छोटे हो गये थे.
विकास ने कहा," अभी केवल 5 मिनिट ही हुए है गुरु "
विजय ने दरवाजे पर खड़े-खड़े ही कमरे की हालत देखी तो कह उठा," तुमने तो अमा यार हमारे कमरे को बूचड़खाना बना दिया "
" न...नीचे उतारो " चीकू डकराया," प्लीज़ मुझे नीचे उतारो "
" पहले गुरु के सवालो का जवाब दे " उससे कहने के बाद विकास विजय से बोला," जो पूछना है, पूछो गुरु "
जिस वक़्त विजय फर्श पर बिखरे खून से बचने की कोशिश करता हुआ विकास की तरफ बढ़ रहा था उस वक़्त बहुत दय्नीय अंदाज मे चीकू गिडगिडा रहा था," अब उल्टा नही लटका जा रहा, प्लीज़ मुझे सीधा कर दो "
विकास गुर्राया," जब तक विजय गुरु के सवालो के जवाब नही देगा, तब तक सीधा नही होगा "
" वो मुझे बिजलानी शुगर वर्क्स के बाहर जो चाय वाला है, वहाँ मिला था, बिजलानी साहब की फॅक्टरी से निकलने के टाइम तक मैं ज़्यादातर वही बैठा रहता हू "
" कब की बात है ये "
" परसो दोपहर पौने एक बजे की "
" क्या कहा उसने "
" बोला, बंटी, बॉब्बी और चंदू की बात मान क्यो नही लेता "
" सीधे यही कहा "
" हां, मेरे तो छक्के छूट गये, ये सोचकर घबरा गया कि ये शख्स कौन है जो ना सिर्फ़ चंदू, बॉब्बी और बंटी का नाम ले रहा है बल्कि उनकी बात मान लेने के लिए भी कह रहा है, इसका मतलब तो सीधा था कि उसे मेरे और उनके बीच होने वाली बातो के बारे मे मालूम था लेकिन फिर भी, मैं किसी अजनबी के साथ कैसे खुल सकता था अतः बोला, कौन चंदू, बंटी और बॉब्बी, वो इस तरह मुस्कुराया जैसे मैंने कोई बचकानी बात कही हो, बोला, तुम होशियारी की जगह बेवकूफी का प्रदर्शन कर रहे हो, मैंने फिर भी कहा, शायद आपको कोई ग़लतफहमी हुई है, आप मुझे कौन समझ रहे है, चीकू, वो सीधा बोला, मैं हकबकाया सा रह गया, मुझे मालूम है, उसने कहा, चंदू सरकार दंपति से अपनी माँ की हत्या का बदला लेना चाहता है, बंटी और बॉब्बी उसका साथ देने को तैयार है, वे तुझसे मिले थे, तूने ये कहकर मना कर दिया कि मैं तब तक कोई काम नही करता जब तक कुछ मिले नही, इतनी बात के बाद मेरा अंजान बनना मूर्खता ही होती, अतः बोला, आपको ये सब कैसे मालूम, वो बोला, समझदार लोग आम खाते है बेटा, पेड़ नही गिनते, मतलब, मैं बोला, इस काम के 10 लाख मैं तुझे दूँगा, वो बोला, यानी आप भी सरकार दंपति का ख़ात्मा चाहते है, नही तो मैं क्या फोकट मे 10 लाख देने की बात कर रहा हू, क्यो, मैंने पूछा, क्या मतलब हुआ इस सवाल का, आप उनका मर्डर क्यो चाहते है, मैंने फिर पूछा, तू फिर पेड़ गिनने की कोशिश करने लगा, वो कहता चला गया, तू फ्री मे काम नही करता, मैं पैसे देने को तैयार हू, पैसे भी 10 लाख, तेरे लिए अच्छी-ख़ासी रकम है, बल्कि ये कहूँ तो ग़लत ना होगा कि इतनी मोटी रकम तूने पहले किसी काम से नही कमाई है, हां या ना बोल ताकि तेरी ना पर मैं किसी और को पकड़ सकूँ, मैं बोला, मैं तैयार हू लेकिन..., ऐसे कामो मे किंतु-परंतु की कोई गुंजाइश नही होती, वो बोला, पैसे पहले लूँगा, मैं बोला, ले, ये थैला पकड़, पूरे 10 है, काम कर, कहने के साथ उसने अपने हाथ मे मौजूद थैला मेरी तरफ बढ़ा दिया.
मैं ये सोचकर हड़बड़ा गया कि हाथ बढ़ाते ही मैं 10 लाख का मालिक बनने वाला हू, शायद उसी हड़बड़ाहट के कारण बोला, इस वक़्त मैं इसे कहाँ रखूँगा, उसने कहा, BMW की डिकी मे डाल लियो, बिजलानी क्या डिकी चेक कर रहा है, मुझे उसकी बात ठीक लगी इसलिए थैला पकड़ लिया "
" क्या ये भी उसने बताया था कि क्या कैसे करना है "
" एक-एक शब्द उसी ने बताया था " चीकू बोला," शर्त रखी थी कि काम आज ही होना चाहिए, उसी ने तय किया था कि इंदु सरकार का किडनॅप करना है, फिरौती के बहाने राजन सरकार को किसी सुनसान स्थान पर बुलाना है ताकि चंदू अपना काम बगैर किसी बाधा के कर सके, उसने कहा था कि फिरौती मे जो रकम मिलेगी वो मेरा बोनस होगा "
" ओह, अब ज़रा उसका नाम भी बता दोगे "
" नाम नही जानता "
विकास गुर्राया," और झोट खाना चाहता है क्या "
" त...तुम्हारी कसम " वो घिघिया उठा था," नाम तो मैं वाकाई नही जानता लेकिन उसे देखकर पहचान सकता हू "
" हुलिया बता "
" चौड़ा माथा था उसका, सिर पर लंबे लाल रंग के बाल, वैसे ही बालो यानी लाल रंग की दाढ़ी, आइ-साइट का चश्मा पहने हुए था, बाए गाल पर बड़ा सा मस्सा था "
" लंबाई "
चीकू ने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि..
" धाय "
बाहर कहीं से गोली चलने की आवाज़ आई.
तीनो चौंके और अभी कुछ समझ भी नही पाए थे कि, धाय, धाय.
दो गोलिया और चली.
बाहर से कुछ लोगो के चीखने-चिल्लाने की आवाज़े आई.
विजय ने तुरंत ही दरवाजे की तरफ छल्लांग लगाई, वैसा ही विकास ने भी किया.
आँधी-तूफान की तरह दौड़ते हुवे कोठी के लॉन मे आए तो पाया कि मैन रोड पर हंगामा मचा हुआ था.
सड़क पर पहुचे.
ट्रॅफिक जाम था.
चारो तरफ अफ़रा-तफ़री सी मची हुई थी.
लोग चिल्ला रहे थे.
ज़्यादातर के चेहरो पर दहशत के भाव थे.
विजय ने देखा, सड़क के बीचोबीच कयि गाड़ियाँ खड़ी थी.
उनमे से एक का पिच्छला काँच टूटा हुआ था.
वो उसी तरफ लपका.
कार का मालिक ड्राइविंग डोर खोलकर बाहर खड़ा हुआ था.
उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे कि अपनी मौत का मंज़र अपनी आँखो से देखा हो.
एक बाइक वाले ने कहा," बहुत बचे भाई साहब, गोली आपको लग जाती तो आप तो गये थे "
" क्या हुआ " विकास ने उसके करीब पहुचते हुवे कहा.
" मुझे पर जानलेवा हमला हुआ है " कहते वक़्त गाड़ी वाले की हालत ऐसी थी जैसे अभी बेहोश होकर गिरने वाला हो.


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