RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
बटाला को अधिक देर तक प्राइवेट कस्टडी में नहीं रखा जा सकता था, विजय ने सुबह जब उसे लॉकअप में बन्द किया, तो स्टेनगन भी बरामद कर ली थी । अब उसने पूरा मामला तैयार कर लिया था । उसे मालूम था, बटाला को गिरफ्तार करते ही हंगामा होगा और वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी उससे जवाब तलबी कर सकते थे ।
हुआ भी यही ।
मामला सीधा आई.जी. के पास पहुँचा ।
खुद एस.एस.पी. सीधा थाने पहुंच गया ।
"आज तक तुम्हारे खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई ।" एस.एस.पी. ने कहा, "इसलिये बटाला को छोड़ दो, तुमने ठाणे जिले में कैसे हाथ डाल दिया, वहाँ की पुलिस… ।"
"सर । अगर मैं वहाँ की पुलिस को साथ लेता, तो बटाला हाथ नहीं आता, आखिरी वक्त तक वो यही समझता रहा कि उसी के थाने की पुलिस होगी, अगर उसे जरा भी पता चल जाता कि उसे सावंत मर्डर केस में अरेस्ट किया जा रहा है, तो वह हाथ नहीं आता ।"
"सावंत मर्डर केस पहले चंदन, फिर यह बटाला । "
"मैंने स्टेनगन भी बरामद कर ली ।"
"देखो इंस्पेक्टर विजय, आई.जी. का दबाव है, घाटकोपर की उस बस्ती में तुम्हारे खिलाफ नारे लगा रहे हैं , कोई ताज्जुब नहीं कि जुलूस निकलने लगे, तुम पुलिस इंस्पेक्टर हो, इसका यह मतलब नहीं कि…।"
"सर प्लीज, आप केवल रिजल्ट देखिये, ये मत देखिये कि मैंने कौन सा काम किस तरह किया है । यही शख्स सावंत का हत्यारा है । मैं इसका रिमांड लूँगा, ताकि असली हत्यारे को भी फंसाया जा सके ।"
"इसकी सावंत से क्या दुश्मनी थी ?"
"इसकी नहीं, यह तो मोहरा भी नहीं है, प्यादा भर है । इसने शूट किया, शूट किसी और ने करवाया, मैं मुकदमा दायर कर चुका हूँ, अब रिमांड लूँगा और उस शख्स को गिरफ्तार करूंगा, जिसने कत्ल करवाया है ।"
विजय ने एस.एस.पी. की एक न सुनी ।
बटाला लॉकअप में बन्द था ।
"मुझे मालूम है सर, मेरी सर्विस भी जा सकती है, लेकिन इस थाने का चार्ज और सावंत मर्डर केस की तफ्तीश कर रहा हूँ मैं, जब तक मेरी वर्दी मेरे पास है, पुलिस महकमे का बड़े से बड़ा ऑफिसर भी मुझे काम करने से नहीं रोक सकता ।"
"ठीक है, आई.जी. के सामने मैंने तुम्हारी बहुत तारीफ की थी, अब अपनी तारीफ खुद कर लेना, लेकिन मेरी व्यक्तिगत सलाह यही है कि…।"
"सॉरी सर ।"
एस.एस.पी. चला गया ।
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बटाला की गिरफ्तारी का समाचार ही सनसनीखेज था । सावंत मर्डर केस ने अब एक नया मोड़ ले लिया था । इस नए मोड़ के सामने आते ही स्वयं मायादास एडवोकेट रोमेश के घर पर आ पहुँचा ।
"बटाला से वह स्टेनगन भी बरामद कर ली गई है, जिससे मर्डर हुआ ।" रोमेश ने कहा ।
"तुम किस मर्ज की दवा हो, उसे फौरन जमानत पर बाहर करो भई ।" मायादास ने कहा, "अपनी फीस बोलो, लेके आया हूँ ।" उसने अपना ब्रीफकेस रोमेश की तरफ सरकाते हुए कहा ।
"मायादास जी, बेशक आप माया में खेलते रहते हैं । लेकिन आपकी जानकारी के लिए मैं सिर्फ इतना बता देना काफी समझता हूँ कि मैंने अपनी आज तक की वकालत की जिन्दगी में किसी मुजरिम का केस नहीं लड़ा, जिसके बारे में मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कत्ल उसी ने किया, उसे मैं फाँसी के तख्ते पर पहुंचाने में तो मदद कर सकता हूँ, मगर उसका केस लड़ने की तो सोच भी नहीं सकता ।"
"मेरा ख्याल है कि तुम नशे में नहीं हो ।"
"आपका ख्याल दुरुस्त है मायादास जी, मैं नशे में नहीं हूँ ।"
"मगर तुमने तो कहा था, तुम केस लड़ोगे ।"
"उस वक्त मैं नशे में रहा होऊंगा ।"
"आई सी ! नशे में न हम हैं न आप । मैं आपसे केस लड़वाने आया हूँ और आप उसे फाँसी चढ़ाने की सोच बैठे हैं ।"
"दूसरे वकील बहुत हैं ।"
"नहीं, मिस्टर रोमेश सक्सेना ! वकील सिर्फ तुम ही हो, हम जे.एन. साहब के पी.ए. हैं और जे.एन. साहब जो कहते हैं, वो ही होना होता है ।" मायादास ने फोन का रुख अपनी तरफ किया ।
जब तक वह नम्बर डायल करता रहा, तब तक सन्नाटा छाया रहा ।
नम्बर मिलते ही मायादास ने कहा, "सी.एम. साहब से बात कराओ हम मायादास ।"
कुछ पल बाद ।
"हाँ सर, हम मायादास बोल रहे हैं सर, आपने जिस वकील को पसन्द किया था, उसका नाम रोमेश सक्सेना ही है ना ?"
"हाँ, रोमेश ही है, क्यों ?" दूसरी तरफ से पूछा गया ।
"वो केस लड़ने से इंकार करता है । वो वकील कहता है, बटाला को फाँसी पर चढ़ना होगा । "
"उसको फोन दो ।"
मायादास ने रोमेश की तरफ घूरकर देखा और फिर रिसीवर रोमेश को थमा दिया ।
"लो तुम खुद बात कर लो, सी.एम. बोलते हैं ।"
रोमेश ने रिसीवर लिया और क्रेडिल पर रखकर कनेक्शन काट दिया ।
"बहुत गड़बड़ हो गई मिस्टर वकील ।" मायादास उठ खड़ा हुआ, "तुम जे.एन. साहब को नहीं जानते, इसका मतलब तो वह बताएंगे कि बटाला को पकड़वाने मैं तुम्हारा भी हाथ हो सकता है, क्योंकि इंस्पेक्टर विजय तुम्हारा मित्र भी है ।"
"मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ।"
"ठीक है, हम चलते हैं ।"
जाते-जाते ड्राइंग रूम में खड़ी सीमा पर मायादास ने नजर डाली । उसकी आँखों में एक शैतानी चमक आई, फिर वह मुस्कराया और रोमेश के फ्लैट से बाहर निकल गया ।
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