RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
रोमेश ने काम शुरू कर दिया । सबसे पहले जे.एन. के बारे में जानकारियां प्राप्त करने का काम था ।
उसकी पिछली जिन्दगी की जानकारी, उसकी दिनचर्या क्या है ? कौन उसके करीब हैं ? उसे क्या-क्या शौक हैं ?
रोमेश ने तीन दिन में ही काफी कुछ जानकारियां प्राप्त कर लीं । सबसे उल्लेखनीय जानकारी यह थी कि जनार्दन नागारेड्डी की माया नाम की एक रखैल थी, जिसके लिए उसने एक फ्लैट बांद्रा में खरीदा हुआ था । माया के पास वह बिना नागा हर शनिवार की रात गुजरता था, चाहे कहीं हो, उस जगह अवश्य पहुंच जाता था । वह भी गोपनीय तरीके से । उस समय उसके पास सरकारी गार्ड या पुलिस प्रोटेक्शन भी नहीं रहता था । उसके दो प्राइवेट गार्ड रहते थे, जो रात भर उस फ्लैट पर रहते थे ।
जे.एन. यहाँ वी.आई.पी. गाड़ी से नहीं आता था बल्कि साधारण गाड़ी से आता था । यह उसकी प्राइवेट लाइफ का एक हिस्सा था ।
सियासत से पहले जे.एन. एक माफिया था और उसने एक जेबकतरे से अपनी जिन्दगी शुरू की थी । वह दो बार सजा भी काट चुका था । किन्तु अब सरकारी तौर पर जे.एन. का कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं मिलता था ।
इसके अतिरिक्त एक कोड का पता चला, फ़ोन पर यह कोड बोलने से सीधा जे.एन. ही कॉल सुनता था । यह कोड बहुत ही खास आदमी प्रयोग करते थे । यह कोड माया भी प्रयोग करती थी । रोमेश के पास काफी जानकारियां थी । एक जानकारी यह भी थी कि किसी आंदोलन के डर से जे.एन. की पार्टी के लोग ही उसे मुख्यमन्त्री पद से हटाने के लिए अन्दर-अन्दर मुहिम छेड़े हुए हैं । वह जानते हैं कि सांवत मर्डर केस कभी भी रंग पकड़ सकता है । अगर जे.एन. मुख्यमन्त्री बना रहता है, तो पार्टी की छवि खराब हो जायेगी । हो सकता था कि एक दो दिन में ही जे.एन. को मुख्यमन्त्री पद छोड़ना पड़े । जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री के रूप में लिया जाना तय हो चुका था, किन्तु कुछ दिन उसे पार्टी ठंडे बस्ते में रखना चाहती थी ।
इकत्तीस दिसम्बर की सुबह ही टी.वी. में यह खबर आ गयी थी कि जे.एन. मुख्यमन्त्री पद से हटा दिये गये हैं । समाचार यह भी था कि शीघ्र ही जे.एन. को केन्द्रीय मन्त्री पद मिल जायेगा । टी.वी. पर जे.एन. का इण्टरव्यू भी था । उसका यही कहना था कि पार्टी का जो कहना होगा, वह उसे स्वीकार है । चाहे वह मन्त्री न भी रहे, तब भी जनता की सेवा तो करता ही रहेगा ।
एक्स चीफ मिनिस्टर जे.एन. अब भी अत्यंत महत्वपूर्ण व्यक्ति था ।
इकत्तीस दिसम्बर की रात जश्न की रात होती है ।
नया साल शुरू होने वाला था ।
रोमेश एक मन्दिर में गया, उसने देवी माँ के चरण की रज ली और प्रार्थना की, कि आने वाले साल में वह जिस काम से निकल रहा है, उसे सम्भव बना दे । वह जे.एन. को कत्ल करने के लिए मन्नत मांग रहा था ।
उसके बाद उसने मोटरसाइकिल स्टार्ट की और मुम्बई की सड़कों पर निकल गया । एक डिपार्टमेंटल स्टोर के सामने उसने मोटरसाइकिल रोक दी । स्टोर में दाखिल हो गया, रेडीमेड गारमेंट्स के काउण्टर पर पहुँचा ।
"वह जो बाहर शोकेस में काला ओवरकोट टंगा है, उसे देखकर मैं आपकी शॉप में चला आया हूँ ।"
"अभी मंगाते हैं ।" सेल्समैन ने कहा ।
शीघ्र ही काउण्टर पर ओवरकोट आ गया ।
"क्या प्राइस है ?"
"अभी आप पसन्द कर लीजिये, प्राइस भी लग जायेगी और क्या दें, पैंट शर्ट ?"
"इससे मैच करती एक काली पैंट ।"
सेल्समैन ने कुछ काली पैंटे सामने रख दी और पैंटों की तारीफ करने लगा । रोमेश ने एक पैंट पसन्द की ।
"काली शर्ट ?" रोमेश बोला ।
"जी ।" सेल्समैन ने सिर हिलाया ।
अब काउंटर पर काली शर्टों का नम्बर था । रोमेश ने उसमें से एक पसन्द की ।
"एक काला स्कार्फ या मफलर होगा ।" रोमेश बोला ।
मफलर भी आ गया ।
"काले दस्ताने ।"
"ज… जी !" सेल्समैन ने दस्ताने भी ला दिये, "काले जुराब, काला चश्मा, काले जूते ।"
"तुम आदमी समझदार हो, वैसे काले जूते मेरे पास हैं ।" रोमेश ने अपने जूतों की तरफ इशारा किया ।
"चश्मा इसी स्टोर के दूसरे काउण्टर पर है ।" सेल्समैन बोला, "यहीं मंगा दूँ ?"
चश्मे का सेल्समैन भी वहाँ आ गया । उसने कुछ चश्मे सामने रखे, रोमेश ने एक पसन्द कर लिया ।
"अब एक काला फेल्ट हैट ।"
"हूँ !" सेल्समैन ने सीटी बजाने के अन्दाज में होंठ गोल किये, "मैं भी कितना अहमक हूँ, असली चीज तो भूल ही गया था । काला हैट !"
काला हैट भी आ गया ।
"क्यों साहब किसी फैंसी शो में जाना है क्या ?" सेल्समैन ने पूछा ।
"जरा मैं यह सब पहनकर देख लूं, फिर बताऊंगा ।"
सेल्समैन ने एक केबिन की तरफ इशारा किया । रोमेश सारा सामान लेकर उसमें चला गया ।
"अपुन को लगता है, कोई फिल्म का आदमी है, उसके वास्ते ड्रेस ले रहा होगा, नहीं तो मुम्बई के अन्दर कोट कौन पहनेगा ?"
"मेरे को लगता है फैंसी शो होगा ।"
दोनों किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाये, तभी रोमेश सारी कॉस्ट्यूम पहनकर बाहर आया ।
"हैलो जेंटलमैन !" रोमेश बोला ।
"ऐ बड़ा जमता है यार ।" एक सेल्समैन ने दूसरे से कहा, "फिल्म का विलेन लगता है कि नहीं ।"
"अब एक रसीद बनाना, बिल पर हमारा नाम लिखो, रोमेश सक्सेना ।"
"उसकी कोई जरूरत नहीं साहब, बिना नाम के बिल कट जायेगा । "
"नहीं, नाम जरूर ।"
"ठीक है आपकी मर्ज़ी, लिख देंगे नाम भी ।"
"रोमेश सक्सेना ।" रोमेश ने याद दिलाया ।
बिल काटने के बाद रोमेश ने पेमेंट दी और फिर बोला, "हाँ तो तुम पूछ रहे थे कि साहब किसी फैन्सी शो में जाना है क्या ?"
"वही तो ।" सेल्समैन बोला, "हम तो वैसे ही आइडिया मार रहे थे ।"
"मैं बताता हूँ । इन कपड़ों को पहनकर मुझे एक आदमी का खून करना है ।"
"ख… खून ।" सेल्समैन चौंका ।
"हाँ, खून !"
"मैं समझ गया साहब, अपना दूसरा वाला सेल्समैन ठीक बोलता था, आप फिल्म का आदमी है । साहब वैसे एक्टिंग मैं भी अच्छी कर लेता हूँ, दिखाऊं ।"
"नहीं, तुम गलत समझ रहे हो । मैं कोई फ़िल्मी आदमी नहीं हूँ । मुझे सचमुच इस लिबास को पहनकर किसी का कत्ल करना है और मैंने बिल में अपना नाम-पता इसलिये लिखवाया है, क्योंकि बिल की डुप्लीकेट कॉपी तुम्हारे पास रहेगी । यह कपड़े पुलिस बरामद करेगी, इन पर खून लगा होगा, तहकीकात करते-करते पुलिस यहाँ तक पहुंचेगी, क्योंकि इन कपड़ों की खरीददारी का यह बिल उस वक्त ओवरकोट की जेब में होगा ।"
सेल्समन हैरत से रोमेश को देख रहा था ।
"फिर… फिर क्या होगा साहब ?" उसने हकलाए स्वर में पूछा ।
"पुलिस यहाँ पहुंचेगी, बिल देखने के बाद तुम्हें याद आ जायेगा कि यहाँ इन कपड़ों को मैं खरीदने आया था । तुम उन्हें बताओगे कि मैंने कपड़ों को पहनकर खून करने के लिए कहा था और इसीलिये यह कपड़े खरीदे थे ।"
"ठीक है फिर ।"
"फिर यह होगा कि पुलिस तुम्हें गवाह बनायेगी ।" रोमेश ने उसका कंधा थपथपाकर कहा, "अदालत में तुम्हें पेश किया जायेगा, मैं वहाँ कटघरे में मुलजिम बनकर खड़ा होऊंगा । मुझे देखते ही तुम चीख-चीखकर कहना, योर ऑनर यही वह शख्स है, जो 31 दिसम्बर को हमारी दुकान पर आया और यह कपड़े जो सामने रखे हैं, इसने खून करने के लिए खरीदे थे । मुझसे कहा था ।" कुछ रुककर रोमेश बोला, "क्या कहा था ?"
"ऐं !" सेल्समैन जैसे सोते से जागा ।
"क्या कहा था ?"
"ख… खून करूंगा, कपड़े पहनकर ।"
"शाबास ।"
रोमेश ने भुगतान किया और सेल्समैन को स्तब्ध छोड़कर बाहर निकल गया ।
"साला क्या सस्पेंस वाली स्टोरी सुना गया ।" रोमेश के जाने के बाद सेल्समैन को जैसे होश आया, "फिल्म सुपर हिट होके रहेगा, जब मुझको सांप सूंघ गया, तो पब्लिक का क्या होगा ? क्या स्टोरी है यार, खून करने वाला गवाह भी पहले खुद तैयार करता फिर रहा है । पुलिस की पूरी मदद करता है ।"
"अपुन को पता था, वह फिल्म का आदमी है, तेरे को काम मांगना था यार चंदूलाल ।"
"मैं जरा डायलॉग ठीक से याद कर लूं ।"
चंदू एक्शन में आया, "देख सामने अदालत… कुर्सी पर बैठा जज, कैमरा इधर से टर्न हो रहा है, कोर्ट का पूरा सीन दिखाता है और फिर मुझ पर ठहरता है… बोल एक्शन ।"
"एक्शन !" दूसरे सेल्समैन ने कहा ।
"योर ऑनर ।" चन्दू ने शॉट बनाया, "यह शख्स जो कटघरे में खड़ा है, इसका नाम है रोमेश सक्सेना, मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि कत्ल इसी ने किया है और यह कपड़े, यह कपड़े योर ऑनर ।"
"कट ।" दूसरे सेल्समैन ने सीन काट दिया ।
"क्या हो रहा है यह सब ?" अचानक डिपार्टमेन्टल स्टोर का मालिक राउण्ड पर आ गया ।
दोनों सेल्समैन सकपकाकर बगलें झांकने लगे ।
फिर उन्होंने धीरे-धीरे सारी बात मालिक को बता दी । मालिक भी जोर से हँसने लगा ।
साला हमारा दुकान का पब्लिसिटी होयेंगा फ्री में ।
सेल्समैन भी मालिक के साथ हँसने लगे ।
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