RE: Ghar Pe Chudai एक और घरेलू चुदाई
उषा ने सोचा नही था कि प्रेम इतनी जल्दी अपनी शरम छोड़ देगा उसका अपना भाई उसके होंठो का रस पी रहा था इस बात से ही वो बहुत उत्तेजित हो गयी थी उसकी आँखे अपने आप बंद हो गयी और उसने अपना मुँह थोडा सा खोलकर अपनी जीभ प्रेम के मुँह मे सरका दी दो जवान जिस्म एक बंद कमरे मे एक दूसरे मे समा जाने को बेताब होकर एक दूसरे की बाहों मे खोए हुए थे दोनो पिघल रहे थे हौले हौले पर तभी बाहर किसी ने किवाड़ खड़काया तो हड़बड़ाते हुए दोनो अलग हो गये
उषा ने अपने कपड़े सही किए और दरवाजा खोला तो सौरभ खड़ा था, उसने कहा मैं अपनी घड़ी इधर ही भूल गया था प्रेम का मन तो किया कि इसकी गान्ड मे लंड दे दे पर अब क्या करे फिर थोड़ी देर बाद तीनो भाई बहन घर की ओर चल पड़े प्रेम सोच रहा था कि आज की रात दीदी उसकी बाहों मे होगी पूरी रात रागडूंगा उसको उसका लंड पॅंट मे ही तंबू बनाए हुए था इधर सौरभ चलते चलते सोच रहा था कि किवाड़ बंद करके दोनो क्या कर रहे थे
उसे लग रहा था कि कही भाई बहन मे कुछ लफडा हो तो नही गया कही प्रेम अकेला ही मलाई खा रहा हो उसको भूल ही जाए बेचारा सौरभ कहाँ जनता था कि प्रेम कहाँ कहाँ मलाई खा चुका है उषा आगे चल रही थी तो दोनो लड़के उसकी गोल मटोल गान्ड को देख कर अपने अपने सपने बुन रहे थे दूसरी तरफ सुधा चाइ बनाने गयी हुई थी विनीता बिस्तर पर लेटी हुई अपनी चूत को खुज़ला रही थी सोच रही थी कि कब प्रेम उसको चोदेगा उस से चुदने के बाद विनीता की चूत कुछ ज़्यादा ही फुदक रही थी
चाइ बनाते बनाते सुधा अपने ख़यालो मे गुम थी , अपने भाई के घर पर उसने अपने भतीजे को मूत ते हुए देख लिया था उसके लंड को देख कर उसे अपने दिन याद आ गये जैसे तैसे करके कई सालो से उसने अपनी वासना की आग को दबा रखा था पर अब पता नही क्यो उसकी मुनिया भी उछल कूद करने लग गयी थी और फिर उसे याद आया कि प्रेम का लंड भी कितना मस्त है अंजाने ही उसे विचार आ गया कि काश उसका लंड वो अपनी चूत मे ले पाती तो मज़ा ही आजाता , अपने आप मे ही वो मुस्कुरा पड़ी
सुधा जब चाइ लेकर आई तो उसने देखा कि विनीता का हाथ अपने घाघरे मे है और वो अपनी मुनिया को हाथ से सहला रही है तो सुधा हँसते हुए बोली- करम्जलि, खाट मे पड़ी है फिर भी आग लगी है इसके भोस्डे मे कामिनी कम से कम इस टाइम तो सबर कर ले ठीक होज़ा फिर देवेर जी से दब के चुदवा लियो
विनीता बेशर्मी से बोली- क्या करू जीजी, ये साली भी बहुत खुजा रही है चैन लेने ही नही दे रही जब तक इसको खुराक नही मिलती इसको चैन मिलता ही नही
सुधा हँसने लगी और उसको चाइ का कप दिया दोनो हसी मज़ाक करने लगी विनीता की सेक्सी बातों से सुधा की झान्टे सुलग गयी थी उसकी कच्छी चूत के पानी से बहुत ज़्यादा गीली हो गयी थी टाँगो के बीच चिपचिपा पन बढ़ गया था तो वो वहाँ से उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ गयी तभी घर मे सौरभ का आना हुआ उसने सोचा कि पहले हाथ मुँह धो लेता हूँ फिर सोउंगा थोड़ी देर
घर मे कोई था नही तो सुधा ने दरवाजा बंद नही किया था उसने अपनी साड़ी घुटनो तक उठा रखी थी उसकी पैंटी उसके घुटनो तक सर्की हुई थी वैसे सुधा अपनी आग को दबा लिया करती थी पर पिछले कुछ दिनो की घटनाओ से उसका धीरज भी टूट ता जा रहा था तो आज उसने चूत की आग को उंगली से ठंडा करने का सोच लिया था अपनी आँखे बंद किए तेज़ी से चूत मे दो उंगलियो को अंदर बाहर करते हुए सुधा अपने काम मे लगी थी दूसरी तरफ बेख़बर सौरभ बाथरूम तक आ ही पहुचा था
सुधा की साँसे बहुत भारी हो गयी थी उसका बदन अकड़ने वाला था पूरा बदन गरम हो गया था चूत से गाढ़ा पानी बहकर उसकी जाँघो को गीला कर रहा था बस दो चार पलों की बात ही थी कि उसका पानी छूटने ही वाला था सुधा इस समय सातवे आसमान पर पहुच गयी थी और फिर उसका पूरा बदन कांप गया चूत से गरम पानी बह चला उसकी मस्ती बढ़ गयी और ठीक उसी पल सौरभ ने दरवाजा खोल दिया सुधा की चूत से रस टपक रहा था उसकी सिचुयेशन ऐसी थी कि वो कुछ कर ना पाई
सौरभ का तो बुरा हाल हो गया ये नज़ारा देख कर उसके पाँव जैसे वही पर जम गये सुधा तो शरम के मारे जैसे ज़मीन पर ही गढ़ गयी थी जल्दी से उसने अपने कपड़ो को सही किया और तेज़ी से बाहर निकल कर विनीता के कमरे मे भाग गयी सौरभ को कुछ समझ नही आया पर उसका लंड खड़ा हो चुका था उसने बाथरूम का दरवाजा बंद किया और देखने लगा दो मिनिट पहले ही उसकी ताइजी अपनी चूत मे उंगली कर रही थी यही पर उसकी ताइजी की खुश्बू बाथरूम मे फैली हुई थी सौरभ ने लंड को बाहर निकाला और मूठ मारने लगा
सौरभ दो बार अपने लंड को हिला चुका था पर उसके दिमाग़ मे सुधा के मस्ताने बदन का नशा चढ़ गया था अपने कमरे मे बैठा हुआ हो गहरी सोच मे डूबा हुआ था कि उसकी ताइजी का शरीर तो उसकी मम्मी से भी मस्त है बार बार सुधा की चूत का नज़ारा उसकी आँखो के सामने आ रहा था रसोई मे खाना बनाते हुए सुधा सोच रही थी कि जो भी हुआ ठीक नही हुआ घर के बच्चे बड़े हो रहे है जब इतने सालो से उसने अपनी आग को दबाया हुआ था तो फिर आज क्यो बहक गयी वो और सौरभ क्या सोचेगा उसके बारे मे कैसे नज़रें मिला पाएगी वो उस से
सुधा का पूरा ध्यान अपने ख़यालो पर था उसे पता ही नही चला कि कब प्रेम आकर रसोई मे खड़ा हो गया जब वो पलटी तो सीधा प्रेम से टकरा गयी उसके बोबे प्रेम की छाती मे घुस गये दोनो के मुँह से एक साथ आह सी निकल गयी प्रेम ने गिरने से बचने के लिए अपनी माँ की कमर मे हाथ डाल लिया और सुधा उसकी मजबूत बाहों मे झूल सी गयी अपनी माँ की नाज़ुक कमर को छूने से प्रेम का लंड उत्तेजित हो गया और वो सुधा की चूत के अगले हिस्से पर चुभने लगा सुधा को थोड़ी देर बाद पता चला कि प्रेम का खड़ा लंड उसे टच हो रहा है तो वो उस से दूर हो गयी
और बोली- बेटे माफ़ करना मैं तुम्हे देख नही पाई
प्रेम- नही माँ मेरी ग़लती थी मुझे तुम्हारे पीछे आकर नही खड़ा होना चाहिए था
प्रेम- माँ बड़ी भूख लगी है जल्दी खाना दो ना
सुधा- हाँ बेटे बस थोड़ी देर और बस तैयार हो ही गया है
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