Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
10-30-2019, 11:55 AM,
#1
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हवस की रंगीन दुनियाँ


मेरा नाम अमित है और में आगरा का रहने वाला हु। मेरे परिवार में मेरी मम्मी ऋतू पापा अनिल और छोटी बहन रचना है। मेरी और मेरी बहन की आयु में ६ साल का फर्क है। मेरे पापा का एक डिपार्टमेंटल स्टोर है।

में शुरू से ही पढ़ने में तेज था इसलिए मेरा १२ वि क्लास के बाद ही इन्ज्नीरिंग में एड्मिसन हो गया और में बहार पढ़ने चला गया . मेरा तब घर छुट्टियों में ही आना होता। छुट्टियों में जब भी में घर आता तो ज्यादा तर समय सोने में ही गुजरता। तब रचना काफी छोटी थी तो वो मेरे चारो और भैय्या भैय्या कहकर दौड़ लगाती रहती ,कभी मेरी गोद में आकर बैठ जाती तो कभी मुझे बहार चलकर घुमाने की ज़िद करती ,और में उसे अक्सर बहार ले जाता तो वो खुश हो जाती।
बीटेक करते करते में भी कॉलेज के लड़को के रंग में रंगने लगा था ,आये दिन हम अपने लैपटॉप पर पोर्न मूवी देखते या सेक्स साइट पर जाकर नंगी लड़कियों और ओरतो की तस्वीरें देखते ,कभी अश्लील कहानिया भी पढ़ते। कुछ लड़के जो ज्यादा उत्तेजित हो जाते वो वंही मूठ भी मार लेते पर न जाने क्यू मुझमे एक संकोच हमेशा बना रहता था। सही कहु तो तब तक मेने किसी भी लड़की को नंगी तक नही देखा था मुझे ये तक पता नही था की असल में चूत केसी होती है या गांड केसी होती है या बूब्स कैसे होते है। मेरा मन तो बहुत करता था पर मुझे डर भी बहुत लगता था। में मूठ मारने से भी डरता था की कंही ऐसा कुछ न हो जाये जिसके कारन में आगे परेशानी में फंस ना जाऊं।

मेरे कई दोस्त अक्सर कहा करते थे की सेक्स की शुरुआत घर से ही होती है ,घर पर माँ बहन भाभी चाची मामी सेक्स की शुरआत करने में सबसे ज्यादा मददगार होती है पर मेरी समझ में नही आता था की ये कैसे संभव हो सकता है ?
पर उनमे से कोई कहता यार इस बार तो भाभी की गांड खूब दबाई कोई कहता दीदी की चूत को खूब सहलाया कोई तो और आगे बड़ जाता वो कहता की रात भर मॉम से चिपट कर सोया।तो में सोचता की क्या में मॉम या रचना के साथ ऐसा कुछ कर सकता हु तो मेरा दिल मुझे धिक्कारने लगता की में ऐसा कैसे सोच भी सकता हु। कॉलेज में भी लड़के किसी लड़की को देखते तो उसकी खूब कुछ इस अंदाज़ में कहते,उफ़ क्या माल है,या क्या गांड है,,क्या मस्त फूली चूत है या क्या बोबे है वगेरा वगेरा। कुछ लड़के तो लेडीज टॉयलेट के बाहर खड़े होकर लड़कियों के पेशाब करने की आवाज सुनकर ही खुश हो जाते। फिर से मेरे दिमाग में वो सब चलने लगता की आखिर ऐसा करके क्या मिलता है। मेरा एक दोस्त अनुराग तो मुझे अक्सर ये समझाता रहता की आजकल ये सब बाते आम है और घर से बड़ा चुदाई का कोई सुख नही है ,उसने ये भी कहा की अगर इस बार घर जाने पर में इसके बारे में सोचु और अपनी मॉम या बहन को देख मेरा लिंग खड़ा हो जाये तो में समझ लू की इसमे कुछ भी गलत नही है।

अनुराग ने तो यहाँ तक कहा की दोस्ती में आजकल अपने निकट तम रिश्तेदारो की अदला बदली भी चलती है अगर वो मेरे किसी घर की फीमेल के साथ चुदाई करे या में उसके घर की किसी फीमेल के साथ चुदाई करू तो इसमे गलत कुछ नही होगा बल्कि दोस्ती और मजबूत होती है। और घर की बात घर में रहती है।

मेरी समझ में फिर भी ये सब गलत ही लगता था।

खेर इस बार जब में घर आया तो मेरे दिमाग में कई उलझने थी और सेक्स को लेकर कई सवाल थे। घर में घुसते ही मॉम मिली ,उन्होंने मुझे देखते ही गले लगाया ,उन्होंने मुझे गले कुछ ही सेकण्ड्स के लिए लगाया था लेकिन मुझे उनके बूब्स का दवाब मेरी छाती पर महसूस हो गया। पहली बार मुझे अजीब सा लगा ,मॉम के शरीर से एक भीनी भीनी खुशबु आ रही थी और में उनसे चिपक कर खड़ा हुआ था,उस थोड़े से समय में ही मेरे लंड में हरकत होने लगी और उसमे तनाव आ गया। में जल्दी ही मॉम से अलग हो गया। तभी रचना वंहा भागती हुई आई और भैया आ गए भैया आ गए कहते हुए मेरे गले लग गयी। पहली बार मेने रचना को धयान से देखा। उफ़ मेरी बहन तो क़यामत बन चुकी थी। उसने ब्लैक कलर की केप्री और ब्लैक कलर का टॉप पहन रखा था ,जिसमे उसकी सफ़ेद रंग की ब्रा की लाइन स्पष्ट दिख रही थी ,उस ब्रा के कप ऐसे थे की रचना के दोनों बूब्स ऐसे लग रहै थे जैसे वो दो अलग अलग विभक्त हो ,केप्री के निचे उसकी टांगे बिलकुल चिकनी दिख रही थी। मेरी बहन गोरी चिट्ठी तो थी ही पर उसके शरीर के कटाव और बनावट भी बहुत सेक्सी थी। घर में घुसते ही मॉम और रचना से इस तरह की मुलाकात ने मुझे भौचक कर दिया था ,मेने कभी सोचा भी नही था की मेरे घर में ही दो इतनी सेक्सी फीमेल है। मुझे मेरे दोस्तों की सब बाते याद आने लगी थी और मेरे दिमाग में एक कीड़ा कुलबुलाने लगा की जब तक में घर पर हु तब तक ज्यादा से ज्यादा समय इन दोनों के साथ गुजारूँगा। मॉम ने कहा की में अपने रूम में जाकर रेस्ट कर लू फिर सब टी टाइम पर जाकर मिलते है।

में अपने रूम में आ गया और मेने अपनी ड्रेस चेंज कर ली और बेड पर लेट गया पर पता नही इतना थका होने के बाद भी मुझे नींद नही आई और मेरे दिमाग में केवल मॉम और रचना ही घूमती रही।
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10-30-2019, 11:55 AM,
#2
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
शाम को में उठकर डाइनिंग टेबल पर आया तो मॉम और रचना वंहा पहले से ही बैठी हुई थी। मॉम ने चाय बना रखी थी और कुछ स्नेक्स वगेरा भी टेबल पर रखे हुए थे। हम तीनो के बीच चाय की चुस्कियो के साथ पढ़ाई को लेकर हलकी फुलकी बाते होती रही।में आपको बता दू आगरा में हम जिस फ्लैट में रहते है वो ३ बैडरूम का है १ बैडरूम मेरे पेरेंट्स का है १ बैडरूम में ,में और रचना रहते है और १ बैडरूम मेहमानो के लिए है। जब कोई मेहमान नही होता तो रचना उस बैडरूम में सोती है। सभी बैडरूम एक बड़े डाइनिंग हॉल में खुलते है। केवल हमारे पेरेंट्स के रूम में अटैच लेट बाथ है ,बाकि एक डाइनिंग हॉल के कोने में है जिसे बाकि हम शेयर करते है। मेरी मॉम ऋतू बहुत ही आकर्षक महिला है जो अपने शरीर का पूरा धयान रखती है। सुबह उठते ही वो योग और प्राणायाम करती है ,४० साल की उम्र होने के बाद भी कोई उन्हें देखता है तो वो उन्हें हमारी मॉम कम दीदी ज्यादा समझता है। यही नही मॉम घर में हमेशा साड़ी या सूट में ही रहती है ,मेने उन्हें कभी गाउन वगेरा में कभी हमारे सामने आते नही देखा चाहै वो बैडरूम में कैसे भी रहती हो। अभी भी मॉम ने एक शानदार सूट पहन रखा था जो उनपे बहुत फब रहा था। न जाने आज क्यू मेरा मन बार बार मॉम को देखने को कर रहा था।बहुत देर तक हम बाते करते रहै तब तक पापा भी घर आ गए। मेरे पापा को रोज ड्रिंक करने की आदत है ,इसलिए वो थोड़ी देर ही हमारे पास बैठकर अपने बेड रूम में चले गए।

मॉम ने मुझे और रचना को खाना खिलाया और फिर वो अपना और पापा का खाना लेकर अपने बेड रूम में चली गयी में और रचना भी अपने अपने रूम में चले गए।

रात को मुझे देर तक जागने की आदत थी तो में अपने लैप टॉप पर बैठ कर काम करता रहा ,थोड़ी देर बाद मुझे पेशाब करने की इच्छा हुई तो में उठकर बाहर के टॉयलेट में गया,जब में वंहा से लोट रहा था तो मुझे पापा मॉम के रूम से सिस्करिओ की आवाज आई,में ठिठक कर वंही रुक गया। इतने में फिर मॉम की मादक भरी आवाज आई ,बस अनिल बस अब डाल भी दो ,मॉम के ये मादक भरे शब्द सुन कर में उत्तेजित होकर कप कापने लगा,न जाने क्यू मेरा मन किया की अंदर क्या हो रहा है मुझे किसी तरह देखना चाहिए। मेने बेड रूम के दरवाजे पर निगाहै दौड़ाई तो मुझे की होल दिख गया। मेने की होल से अंदर की और झाँका तो में और चोंक गया ,मेरी मॉम और पापा एक दूसरे से चिपटे हुए थे,की होल के इस साइड पापा थे तो मुझे केवल उनका नंगा बदन दिखाई दिया,मॉम दूसरी साइड थी तो मुझे वो पापा की वजह से दिखाई नही दे रही थी

मेरे पांव कांपने लगे ,पहले तो मेरे मन ने कहा की में ये क्या कर रहा हु ,ये गलत है,अपने मॉम डैड को सेक्स करते देखना क्या सही होगा,ऐसे कई विचारो के बाद अंत में हवस ने मन पर काबू पा लिया और मेने की होल पर वापस नजरे लगा दी। इस बार मॉम डैड पोजीशन बदल कर सामने की और आ गए थे। वो दोनों एक दूसरे की आलिंगन किये हुए थे। डैड मॉम के लिप्स को जबरदस्त तरीके से चूस रहै थे ,और उनके हाथ मॉम की नंगी पीठ पर थे। मझे यकीं नही हो रहा था की जो मॉम दिन के उजालो में हमारे सामने कपड़ो में लिपटी सिमटी रहती है वो बिलकुल नग्न अवस्था में मेरे सामने लेती है। थोड़ी देर तक किस करने के बाद वे दोनों अलग हो गए,अब ओनो मेरे सामने बिलकुल नग्न अवस्था में थे,ऑफ़ मेरी मॉम नंगी होने के बाद इतनी खूबसूरत दिखेगी ये मेने सोचा भी नही थी,मॉम के दोनों बूब्स किसी पहाड़ की तरह तने हुए थे उन पर गुलाबी रंग के निप्पल क़यामत ढा रहै थे,उनकी कमर के निचे उनके चूत हलके हलके बालो से ढंकी हुई नजर आ रही थी। इधर डैड का लन्ड भी अच्छा खासा बड़ा था और वो तना हुआ मॉम की चूत को सलामी दे रहा था। अब डैड मॉम के बूब्स को अपने दोनों हाथो में जकड चुके थे और उन्हें बीच बीच में मसल रहै थे ,जैसे ही वो मॉम के बूब्स को मसलते माँ चिहुंक उठती पर डैड को कोई फर्क नही पड़ रहा था ,उन्होंने मॉम के बूब्स को मसलना जारी रखा ,इधर मॉम ने डैड के लोडे को अपने हाथ में पकड़ लिया था और वो कभी उसको सहला रही थी तो कभी उसको हिला रही थी। मॉम बार बार डैड से कह रही थी,ओह अनिल धीरे.... धीरे दबाओ ओह आह ओह ओह पर डैड थे की बूब्स को मसलना जारी रखे हुए थे। अचानक डैड ने मॉम के बूब्स को दबाना छोड़ दिया और उन्हें मुंह में भर लिया ,बांया बूब्स अब उनके मुंह में था और दांये बूब्स को उन्होंने अपने हाथ में जकड लिया और उसे मसलने लगे। सारा नजारा किसी को भी पागल कर सकता था ,और में जिसने पहली बार चूत देखि थी उसका तो और भी बुरा हाल था।
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10-30-2019, 11:55 AM,
#3
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
अचानक मुझे ख्याल आया की ऐसा न हो की रचना जग गयी हो और वो मुझे यहाँ ऐसे देख लेगी तो वो क्या सोचेगी ,ऐसा है की में एक बार उसके कमरे में जाकर उसे चेक कर लेता हु की वो सो रही है या जाग रही है। में उसके कमरे की और गया और जैसे ही बत्ती जलाई मेरा दिल धक से रह गया। थकी होने के कारण रचना घोड़े बेचकर सो
रही थी। इतनी गर्मी में कुछ ओढ़ने का तो सवाल ही नहीं उठता था। ऊपर से पंखा भी भगवान
भरोसे ही चल रहा था। उसकी स्कर्ट उसकी जाँघों के ऊपर उठी हुई थी। अभी एक महीने पहले
ही वो अठारह साल की हुई थी। उसकी हल्की साँवली जाँघें ट्यूबलाइट की रोशनी में ऐसी
लग रही थीं जैसे चाँद की रोशनी में केले का तना


अचानक मुझे लगा कि मैं यह क्या कर रहा हूँ? यह लड़की मुझे भैया कहती है और
मैं इसके बारे में ऐसा सोच रहा हूँ। मुझे बड़ी आत्मग्लानि महसूस हुई ,और मेने सोचा की मुझे बाहर ही चला जाना चाहिए


बाहर आकर मैंने सोचा कि इसकी स्कर्ट तो ठीक कर दूँ फिर अंदर जाते जाते रुक गया फिर मुझे लगा कि अगर यह जग गई तो कहीं कुछ गलत न सोचने लग जाए ऐसा लग रहा था जैसे मेरे भीतर एक युद्ध चल रहा हो। कामदेव ने मौका देखकर
अपने सबसे घातक दिव्यास्त्र मेरे सीने पर छोड़े। मैं कब तक बचता। आखिर मैं अंदर गया और
मैंने कमरे की बत्ती जला दी। रचना की स्कर्ट और ऊपर उठ गई थी और अब उसकी नीले
रंग की पैंटी थोड़ा थोड़ा दिखाई पड़ रही थी। उसकी जाँघें बहुत मोटी नहीं थीं और उरोज
भी संतरे से थोड़ा छोटे ही थे। मैं थोड़ी देर तक उस रमणीय दृष्य को देखता रहा। मेरा लंड खड़ा हो चूका था। अगर इस वक्त रचना जग जाती तो पता नहीं
क्या सोचती।

फिर मेरे दिमाग में एक विचार आया और मैंने
बत्ती बुझा दी। थोड़ी देर तक मैं वैसे ही खड़ा रहा धीरे धीरे मेरी आँखें अँधेरे की
अभ्यस्त हो गईं। फिर मैं बेड के पास गया और बहुत ही धीरे धीरे उसकी स्कर्ट को पकड़कर
ऊपर उठाने लगा। जब मुझे लगा कि स्कर्ट और ज्यादा ऊपर नहीं उठ सकती तो मैंने स्कर्ट
छोड़कर थोड़ी देर इंतजार किया और कमरे की बत्ती जला दी। जो दिखा उसे देखकर मैं दंग रह
गया। ऐसा लग रहा था जैसे पैंटी के नीचे रचना ने डबल रोटी छुपा रक्खी हो या नीचे
आसमान के नीचे गर्म रेत का एक टीला बना हुआ हो। मैं थोड़ी देर तक उसे देखता
रहा।फिर मैंने बत्ती बुझाई और बेड के पास आकर उसकी
जाँघों पर अपनी एक उँगली रक्खी। मैंने थोड़ी देर तक इंतजार किया लेकिन कहीं कोई हरकत
नहीं हुई। मेरा दिल रेस के घोड़े की तरह दौड़ रहा था और मेरे लंड में आवश्यकता से
अधिक रक्त पहुँचा रहा था। फिर मैंने दो उँगलियाँ उसकी जाँघों पर रखीं और फिर भी कोई
हरकत न होते देखकर मैंने अपना पूरा हाथ उसकी जाँघों पर रख
दिया।

धीरे धीरे मैंने अपने हाथों का दबाव बढ़ाया मगर
फिर भी कोई हरकत नहीं हुई। रचना वाकई घोड़े बेचकर सो रही थी।

धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी। फिर मैंने अपना हाथ उसकी जाँघों से
हटाकर उसकी पैंटी के ऊपर रखा। मेरी हिम्मत और बढ़ी। मैंने अपने हाथों का दबाव बढ़ाया।




अचानक मुझे लगा कि उसके जिस्म में हरकत होने वाली है। मैंने तुरंत अपना हाथ हटा लिया।
में वापस बाहर आ गया और फिर से मॉम डैड के बैडरूम के की होल में जाकर अपनी नजरे गड़ा दी,ओह माय गॉड क्या नजारा था,अंदर का सीन फिर से बदल चूका था,मॉम बेड के उप्पर अपने दोनों घुटने चोदे कर के बैठी हुई थी और डैड बेड के निचे भेटे हुए माँ की चूत को चूस रहै थे,मॉम बहुत उत्तेजित लग रही थी और वो डैड के बालो में हाथ फिरती हुई सिस्कारिया भर रही थी। मॉम कुछ ज्यादा ही जोश में थी वो जोर जोर से चिल्ला सी रही थी ,ओह अनिल जोर से जोर से जोर से चूस। ....... ओह भाडू ओह भोसड़ी के ,…। ओह मादर चोद चूस जोर से चूस निकल दे मेरी चूत का पानी,,में बहुत हतप्रभ था की मॉम ऐसी किसी आवारा भाषा का यूज़ कर रही है ,मॉम की ये बाते सुन मेरा दिमाग पूरी तरह सुन्न हो चूका था ,लौड़ा तम्बू की तरह तना और होठ मेरे सुख चुके थे।


अब डैडी अपना मुंह मॉम के खुले मुंह से लगा कर अपनी जीभ उनके मुंह में धकेल रहै थे। मॉम के मुंह से हल्की हल्की

सिस्कारियां निकल रहीं थीं। मॉम भी डैडी से लिपट कर उनके मुंह में अपनी जीभ देने लगीं। डैडी ने अपने बड़े हाथों में

मॉम के दोनों चूचियों को भर कर ज़ोर से उन्हें दबाने, मसलने लगे।



पर मम्मी की सिस्कारियां और भी ऊंची हो गयी ,"अनिल , और ज़ोर से दबाओ। मसल डालो इन निगोड़ी चूचियों को." डैडी

ने मम्मी के दोनों निप्पल पकड़ कर बेदर्दी से मड़ोड़ दिए और फिर उन्हें खींचने लगे।

" हाय अनिल कितना अच्छा दर्द है। " मम्मी को बहुत अच्छा लग रहा था।

डैडी ने कुछ देर बाद मम्मी का एक निप्पल अपने मुंह में लेकर ज़ोर से चूसने लगे और दुसरे को मसलने और मडोड़ने लगे।

मम्मी ने ज़ोर से चीख कर डैडी का सर अपनी चूचियों पर दबा लिया, "अंकु, और ज़ोर से काटो मेरी चूचियों को , आः

….., माँ …….. कितना दर्द कर रहै हो …….. और दर्द करो आँह … आँह …. आँह …….. अंकु। "

मम्मी डैडी को अंकु सिर्फ प्यार से और घर में ही पुकारतीं थी।

डैडी ने बड़ी देर तक मम्मी के दोनों चूचियों को बारी बारी चूसा, चूमा और कभी सहलाया कभी बेदर्दी से मसला। पर मम्मी

को जो भी उन्होंने किया वो बहुत अच्छा लगा।
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10-30-2019, 11:56 AM,
#4
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मम्मी ने डैडी को प्यार से चूम कर अपने घुटनों पर पलंग पर बैठ गयीं। मम्मी ने डैडी का बहुत ही

लम्बा मोटा लंड अपने दोनों हाथो में सम्हाला। , मम्मी

मुश्किल से डैडी के लंड को अपने दोनों हाथों से घेर पा रहीं थीं।

मम्मी ने प्रेम से अपनी जीभ बाहर निकाल कर डैडी के पूरे लंड को चाटने लगीं। डैडी के चेहरे पर हल्की से मुस्कान फ़ैल

गयी। उनके चेहरे पर वैसे ही 'अच्छा लगने' लगने वाली अभिव्यक्ति थे

मम्मी ने अपनी उँगलियों से डैडी के लंड की जड़ पर उगे घने घुंघराले बालों सहलाया और उन्हें हलके से खींचा। डैडी ने

भी हल्की सी सिसकारी मारी।

"ऋतु मेरे लंड को चूसो अब ," डैडी ने, मुझे लगा कि सख्त आवाज़ में हुक्म दिया। पर मम्मी ने मुसकरा कर अपने मुंह को

पूरा खोल लिया। मम्मी ने बड़ी मुश्किल से डैडी का सुपाड़ा अपने मुंह के भीतर छुपा लिया। डैडी की आँखें थोड़ी देर के

लिए बंद हो गयीं। उन्हें वास्तव में बहुत अच्छा लग रहा था।

मम्मी ने और भी ज़ोर लगा कर डैडी का थोडा सा और लंड भी अपने मुंह में ले लिया। मम्मी के मुंह से उबकाई की आवाज़

निकल पड़ी। पर अपना मुंह दूर खींचने की जगह मम्मी ने अपने मुंह को डैडी के लंड के ऊपर दबाना शुरू कर दिया।

मम्मी के मुंह से कई बार गोंगों की उल्टी करने जैसी आवाज़ें निकल रहीं थीं। डैडी ने अपने बड़े हाथ से मम्मी के सर को

पकड़ कर अपने लंड पे उनका मुंह दबाने लगे। डैडी ने अपने चूतड़ों को हिला कर अपने लंड को मम्मी के मुंह के और भी

अंदर डालने की कोशिश करने लगे।

मम्मी का मुंह लाल हो गया था। उनकी आँखों में आंसूं भर गये , शायद उल्टी करने की आवाज़ों की वजह से।

मम्मी ने अपने नाज़ुक हाथों डैडी के विशाल चूतड़ों पर रख उनके लंड को अपने गिगियाते मुंह के अंदर खींचने लगीं।

लगभग आधे घंटे बाद डैडी ने अपना, मम्मी के थूक और आंसुओं से चमकता, लंड मम्मी के मुंह से लिया। मम्मी गहरी

गहरी साँसे लेने लगीं। उनके सुंदर नाक के नथुने उनके हांफने के कारण फड़क रहै थे।


डैडी ने मम्मी को बिस्तर पर घुटनों और हाथों के ऊपर लिटा दिया। उन्होंने मम्मी की मोटी मुलायम झाँगेँ फैला दी थीं।

मम्मी के चूत पर घने घुंघराले बाल थे। डैडी ने मम्मे के चूतड़ों को अपने हाथों से फैला कर अपने

मुंह से उनकी पेशाब करने की जगह को चूमने लगे। अब मम्मी की बारी थी ज़ोर से सिसकारने की।

डैडी ने अपनी अपने जीभ निकल कर मम्मी के पेशाब करने वाली दरार में उसे घुसा दिया। मम्मी तड़प कर चीख उठीं।

इस बार उनकी चीख बहुत ऊंची थी।

"अंकु मेरी चूत ज़ोर से चूसो। आँ….. ओह! ……. अंकु बहुत….. आँ …….काट लो मेरी चूत को अंकु….. ज़ोर से,

और ज़ोर से……. ," मम्मी की चीखें वास्तव में आनंद की थीं।

डैडी ने अपनी लम्बी जीभ से ना केवल मम्मी की चूत चाटी पर उनकी टट्टी करने वाले छेद को भी चाट रहै थे। डैडी को

मम्मी का टट्टी करने वाला छेद बिलकुल बुरा नहीं लग रहा था।

"अंकु, ….ओह …. माँ ……। क्या कर रहै आँ………। मैं झड़ने वाली हूँ। मेरी गांड चाटो और चाटो……, प्लीज़…," मम्मी

ने चीख कर डैडी से कहा।

डैडी ने अपनी जीभ की नोक मम्मी की गांड के छेद के अंदर दाल दी और उनकी उंगलिया मम्मी की चूत को रगड़ रहीं

थी।

डैडी ने तड़पती कांपती मम्मी को कस कर दबोच लिया और उनकी गांड चाटना नहीं रोका , "अंकु…. अब रुक जाओ।

मैं झड़ चुकी हूँ। "

पर डैडी नहीं रुके , कुछ ही क्षणों में मम्मी ने 'रुक जाओ' की रट के जगह 'और

चाटो' की रट लगा दी। मम्मी ने चार बार चीख कर अपने झड़ने की गुहार लगाई।
डैडी ने आखिर कांपती मम्मी को मुक्त कर दिया। उनका लंड किसी खम्बे की तरह हिल-डुल रहा था। डैडी ने

फुफुसा कर मम्मी से कुछ कहा। मम्मी कुछ थकी हुई सी लग रहीं थीं। मुझे डैडी और मम्मी के बीच हुए वो वार्तालाप नहीं

सुनाई पड़ा।

डैडी ने पास की मेज़ से एक ट्यूब निकाल कर उसमे से सफ़ेद जैली जैसी चीज़ अपने लंड के ऊपर लगा ली और फिर

ट्यूब की नोज़ल को मम्मी की गांड के छेद में घुस कर उसे दबा दिया। मैं अब बिलकुल अनभिज्ञथा कि अंदर

क्या हो रहा था। डैडी ने अपना लंड मम्मी की गांड के ऊपर रख एक ज़ोर से धक्का दिया। डैडी का बड़े सेब से भी मोटा सूपड़ा एक

धक्के में मम्मी की गांड के अंदर घुस गया।

"नहीईईईईन…… अंकु……. धीईईईईईईरे…….। हाय माँ मेरी गांड फट जायेगी…….," मम्मी की दर्द भरी चीख से उनका

शयन कक्ष गूँज उठा।

डैडी मम्मी को कितना दर्द कर रहै थे पर उनके चीखने पर भी रुकने की जगह डैडी ने एक

और धक्का मारा। र मेरी फटी हुई आँखों के सामने डैडी का मोटा लंड कुछ और इंच मम्मी की गांड में घुस गया।

मम्मी दर्द से बिलबिला उठीं और फिर से चीखीं पर डैडी बिना रुके धक्के के बाद धक्का मार रहै थे। बहुत धक्कों के बाद डैडी

का पूरा लंड मम्मी की गांड में समां गया। मम्मी अब बिलख रहीं थीं। उनकी आँखों में से आंसूं बह रहै थे। उनका पूरा भरा-भरा

सुंदर शरीर कांप रहा था दर्द के मारे।
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10-30-2019, 11:56 AM,
#5
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
डैडी ने अपने लंड को मम्मी की गांड के और भी भीतर दबा कर मुसराये , "ऋतू , बहुत दर्द हो रहा हो तो बाहर निकाल लूँ अपना

लंड आपकी गांड से। "

मेरी हल्की सी राहत की सांस निकल पड़ी। आखिर डैडी को मम्मी पर तरस आ गया।

"खबरदार अंकु जो एक इंच भी बाहर निकाला। तुम्हारा लंड बना ही है मेरी चूत और गांड मारने के लिए। कब मैंने दर्द की वजह

से मैंने तुम्हे लंड बाहर निकालने के लिए बोला है ," मम्मे की दर्द भरी आवाज़ में थोडा गुस्सा और बहुत सा उल्लाहना था।

"मैं तो मज़ाक कर रहा था ऋतू । मैं तुम्हारी गांड का सारा माल मथने के बाद ही अपना लंड निकालूँगा ," डैडी ने ज़ोर से

मम्मी के भरे पूरे चौड़े चूतड़ पर ज़ोर से अपनी पूरी ताकत से खुले हाथ का थप्पड़ जमा दिया। मम्मी फिर से चीख उठीं।

मम्मी के आंसुओं से भीगे चेहरे पर दर्द के शिकन तो थी पर फिर भी हल्की से मुस्कराहट भी फ़ैल गयी थी , "हाय अंकु तुम

कितना दर्द करते हो मुझे। अंकु मेरी गाड़ मरना शुरू करो और मेरे चूतड़ों को मार मार कर लाल कर दो। अंकु आज मुझे चोद-चोद कर बेहोश कर दो। "

मम्मी की गुहार से में चौंक गया ।

डैडी ने अपना आधे से ज़यादा लंड बाहर निकाला और एक धक्के में बरदर्दी से मम्मी की गांड में पूरा का पूरा अंदर तक घुसा दिया।

मम्मी की चीख इस बार उतनी तेज़ नहीं थी। डैडी ने एक के बाद एक तीन थप्पड़ मम्मी के चूतड़ों पर टिका दिये। इस बार मम्मी

ने बस सिसकारी मारी पर चीखीं नहीं।

डैडी ने मम्मी के गांड में अपना लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया।

डैडी कभी अपने पूरा लंड को, सिवाय सुपाड़े के बाहर निकाल कर, उसे निर्ममता से मम्मी के खुली गांड में बेदर्दी से ठूंस थे ।

कभी बस आधे लंड से मम्मी की गांड बहुत तेज़ी और ज़ोर से मारते थे। जब जब डैडी की जांघें मम्मी के चूतड़ों से टकराती थीं तो

एक ज़ोर से थप्पड़ की आवाज़ कमरे में गूँज उठती थी। मम्मी का पूरा शरीर हिल उठता था।

मम्मी के विशाल भारी चूचियाँ आगे पीछे हिल रहीं थीं।

डैडी का लंड अब और भी तेज़ी से मम्मी की गांड के अंदर बाहर हो रहा था ,"अंकु और ज़ोर से मेरी गांड चोदो। ऑ…. ऑ….

अन्न…… मेरे गांड मारो अंकु……आन्ह……. और ज़ोर से……..माँ मैं मर गयी………. ," मम्मी की चीखें अब डैडी को

प्रोत्साहित कर रहीं थीं।

डैडी के मोटे भारी चूतड़ बहुत तेज़ी से आगे पीछे हो रहै थे। उनके लड़ पर मम्मी की गांड के अंदर की चीज़ फ़ैल गयी थी।

"मैं आने वाली हूँ अंकु…… आंँह……. और ज़ोर से मारो मेरी गांड आँह….. आँह…..आँह…… आँह….. आँह….. ज़ोर से चोद

डालो मेरी गांड अंकु…... फाड़ डालो मेरी गांड को…… ," मम्मी का सर पागलों की तरह से हिल रहा था। उनका चेहरा पसीने

से नहा उठा। उनके सुंदर लम्बे घुंघराले केश उनके पसीने से लथपत चेहरे और कमर से चिपक गए।

अचानक मम्मी ने लम्बी चीख मारी और उनका सारा शरीर कुछ देर तक बिलकुल बर्फ की तरह जम गया और फिर पहले की तरह

काम्पने लगा।

मम्मी एक बार फिर से झड़ रहीं थीं।

डैडी ने मम्मी के रेशमी केशों को इकठ्ठा करके उन्हें अपने बायीं हथेली पे रस्सी की तरह लपेट लिया। डैडी ने फिर बेदर्दी से

मम्मी के सुंदर बालों को पीछे खींचा। मम्मी का सर एक चीख के साथ अप्राकृतिक रूप से कमर की तरफ उठ कर मुड़ गया।

मम्मी के चेहरे पर दर्द के रेखाएं बिखरी हुईं थीं।

मम्मी बिलबिला उठीं पर उन्होंने डैडी को पुकारा, "अंकु और मारो मेरी गांड। प्लीज़ चोदो मुझे….., ज़ोर से….. और ज़ोर

से………। "

डैडी ने अब और भी ज़ोर से मम्मी की गांड मारनी शुरू कर दी। मम्मी तीन बार और झड़ गयी। डैडी रुकने का नाम ही नहीं ले

रहै थे।

जब मम्मी चौथी बार आ रहीं थीं तब डैडी ने अपना लंड मम्मी की गांड से बाहर निकाल कर उन्हें खिलोने की तरह पूरा घुमा

दिया। डैडी ने मम्मे के बालों को खींच कर उनके सुबकते मुंह में अपना लंड घुसा दिया। मैं सोच रहै था कि मम्मी

डैडी का गन्दा लंड चूसने से मना कर देंगीं और डैडी मान जायेंगें।

पर मम्मी ने लपक कर डैडी का लंड अपने मुंह में ले लिया और उसे सुपाड़े से जड़ तक चूस चूस कर साफ़ कर दिया।

डैडी ने मम्मी के घने बालों को इस्तेमाल करके उन्हें एक झटके से कमर के ऊपर लिटा दिया। डैडी ने हांफती हुई मम्मी की

मोटी, भारी सुंदर जांघों को उनके कन्धों तरफ दबा दिया। मम्मी ने अपनी जांघों के ऊपर अपने हाथ रख कर डैडी की मदद की। डैडी ने अपने बड़े हाथों से मम्मी की गोल

पिण्डिलयों को जकड के उनकी जांघों को पूरा फैला कर चौड़ा कर दिया। डैडी ने अपना लंड एक बार फिर मम्मी की

गांड के छोटे से छेद पर टिका कर मम्मी से पूछा ," ज़ोर से या धीरे धीरे ?"

"हाय कैसे तरसाते हो अंकु। घुसा दो न अपने लंड को मेरी तड़पती गांड में ," मम्मी की कांपती हुयी आवाज़ में अजीब सी

याचना थी।

"फिर न कहना …… ," डैडी ने गुर्रा कर कहा और पूरी ताकत से मम्मी की गांड की तरफ धक्का लगाया। मम्मी की

लम्बी चीख कमरे में गूँज उठी। डैडी का आधा लंड मम्मी की गांड में गायब हो गया। डैडी ने मम्मी की पहली चीख के

रुकने का इंतज़ार किये बिना दूसरा धक्का मारा और उनका डरावना लंड पूरा का पूरा मम्मी की गांड में जड़ तक घुस

गया।

डैडी ने अब जितनी ज़ोरों और तेज़ी से मम्मी की गांड चोदी उसे देख कर मेरा मुंह खुला का खुला रह गया।

मम्मी की गांड से अजीब सी ' फच-फच ' की आवाज़ें निकल रहीं थीं। डैडी के हर धक्के से मम्मी का सारा शरीर सर से

पाँव तक हिल जाता था। उनकी चूचियां डैडी के धक्कों से उनकी छाती पर बड़े पानी भरी गुब्बारों की तरह ऊपर नीचे झूल

रहीं थीं।

डैडी की गुरगुराहट मम्मी की सिस्कारियों से मिल गयीं। डैडी जब गुराहट के साथ पूरे दम से अपना लंड मम्मी की गांड

में घुसाते थे तो मम्मी सिसकने से पहले सुबक उठती थीं।
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10-30-2019, 11:58 AM,
#6
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
@getnada.comमम्मी हर कुछ मिनटों बाद झड़ने लगीं, "अंकु चोद डालो मेरी गांड ……ज़ोर से…… अपने लंड से मेरी गांड फाड़ दो।

हाय माँ मैं फिर से झड़ने वाली हूँ। आज तो तुम मेरी जान ही ले लोगे। "

डैडी ने मम्मी की बातों की तरफ कोई भी ध्यान नहीं दिया और बिना थके उनकी गांड मारते रहै। मम्मी न जाने

कितनी बार चीख कर ,सुबक कर , सिसक कर झड़ गयीं थीं।

"अंकु अब मेरी गांड में अपना लंड खोल दो। अब अपने लंड से मेरी गंदी गांड को नहला दो। आँ…… आँ………आँ….

आँ……..आँह…….. ऊँह……….. अंकू… ऊ …ऊ…. ऊ…. ऊ…………. , मैं फिर से आ रही हूँ," मम्मी का मीठा खुशी

का विलाप कमरे में गूँज रहा था।

डैडी ने तीन चार बार पूरे के पूरा लंड सुपाड़े से जड़ तक मम्मी की गांड में ठूंस कर उनके ऊपर गिर पड़े। मम्मी ने अपनी

टांगें डैडी की कमर के ऊपर गिरा दीं। उनकी सुंदर गोल बाँहों ने हाँफते हुए डैडी को प्यार से कस कर जकड़ लिया।

डैडी मम्मी के शरीर पसीने से लथपत हो चुके थे।

मम्मी ने प्यार से डैडी के पसीने से भीगे माथे को चूम लिया

मम्मी के मुलायम नाज़ुक हाथ हाँफते हुए डैडी के सर के ऊपर प्यार से उनके बालों को सेहला रहै थे। मम्मी भी हांफ रहीं

थीं।

में अपने कमरे में वापस आ गया ,मेरा लंड खड़ा हुआ था और मेरी आँखों के सामने बीते पलो की सब बाते घूम रही थी। मॉम का नंगा शरीर मेरी उत्तेजना को और बड़ा रहा था। मेरी मॉम नग्न अवस्था में इतनी खूबसूरत होगी ये मेने कभी सोचा भी नहीं था , रातभर मेने उनकी कल्पना कर मेने कितनी बार मूठ मारी होगी और कितना वीर्य निकाला होगा ये मुझे पता भी नही चला। एक घर में मेरी खूबसूरत मॉम और एक मेरी कमसिन बहन थी और में अब उनके बारे में दूसरी कल्पना करने लगा था। न जाने कब मेरी आँख लगी और में सुबह देर से सोकर उठा। उठते ही में बाहर आया तो मॉम डैड साथ स्टोर जाने की तैयारी में थी,मॉम कभी कभी सुबह २-३ घंटे के लिए डैड के साथ स्टोर चली जाती थी।
मॉम के जाने के बाद मेने देखा की रचना के बाथरूम से नहाने की आवाज आ रही है,ये मेरा तजुर्बा है की बाथरूम चाहै केसा भी ही उसमे कोई न कोई जगह ऐसी होती है जिसमे अंदर देखा जा सके। मेने
बाथरूम के पास जाकर दरखा तो उसके दरवाजे मुझे हलकी दरार नजर आई ,मेने अपनी निगाहै टिकाई तो अंदर के नज़ारे ने मेरे होश उडा दिए, रचना बिल्कुल नंगी होकर कपड़े धो रही थी।
उसके निर्वस्त्र पीठ और नितंब मेरी तरफ थे। दो अधपके खरबूजे रात्रिभोज का निमंत्रण
दे रहै थे।

फिर वो खड़ी हो गई और मुझे उसकी सिर्फ़ टाँगें
दिखाई पड़ने लगीं। मैं किसी योगी की तरह उसी आसन में योनि के दर्शन पाने का इंतजार
करने लगा।

आखिरकार इंतजार खत्म हुआ। वो मेरी तरफ मुँह
करके बैठी और उसने अपनी जाँघों पर साबुन लगाना शुरू किया। फिर उसने अपनी टाँगें
फैलाई तब मुझे पहली बार उस डबल रोटी के दर्शन मिले जिसको देखने के लिए मैं कल रात से
बेताब था। हल्के हल्के बालों से ढकी हुई योनि ऐसी लग रही थी जैसे हिमालय पर काली
बर्फ़ गिरी हुई हो और बीच में एक पतली सूखी नदी बर्फ़ के पिघलने और अपने पानी पानी
होने का इंतजार कर रही थी। दूसरी बार मैंने सचमुच की योनि देखी।अच्छी चीजें कितनी जल्दी नज़रों के सामने से ओझल हो जाती हैं। साबुन लगाकर वो
खड़ी हो गई और फिर मुझे उसके कपड़े पहनने तक सिर्फ़ उसकी टाँगें ही दिखाई
पड़ीं।में वापस अपने कमरे में आ गया ,रचना जब बाथरूम से अपने कमरे में चली गयी तब में बाथरूम में घुसा।
. मै बाथरूम का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े खोलना शुरू किया. मुझे जोरो की पिशाब लगी थी. पिशाब करने के बाद मै अपने लंड से खेलने लगा. एका एक मेरी नज़र बाथरूम के किनारे रचना के उतरे हुए कपड़े पर पड़ी. वहां पर रचना अपनी नाइटगाऊन उतार कर छोड़ गयी थी. जैसे ही मैने रचना की नाइटगाऊन उठाया तो देखा की नाइटगाऊन के नीचे उस की ब्रा पडा हुआ था. जैसे ही मै रचना का काले रंग का ब्रा उठाया तो मेरा लंड अपने आप खडा होने लगा. मै रचना के नाइटगाऊन उठाया तो उसमे से दीदी के नीले रंग का पैँटी भी गिर कर नीचे गिर गया. मैने पैँटी भी उठा लिया. अब मेरे एक हाथ मे रचना की पैँटी थी और दूसरे हाथ मे रचना के ब्रा था.
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10-30-2019, 11:58 AM,
#7
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
ओह भगवान रचना के अन्दर वाले कपड़े चूमे से ही कितना मज़ा आ रहा है यह वोही ब्रा हैं जो की कुछ देर पहले रचना के चुन्चिओं को जकड रखा था और यह वोही पैँटी हैं जो की कुछ देर पहले तक रचना की चूत से लिपटा था. यह सोच सोच करके मै हैरान हो रहा था और अंदर ही अंदर गरमा रहा था. मै सोच नही पा रहा था की मै रचना के ब्रा और पैँटी को ले कर क्या करूँ. मै रचना की ब्रा और पैँटी को ले कर हर तरफ़ से छुआ, सूंघा, चाटा और पता नही क्या क्या किया. मैने उन कपड़ों को अपने लंड पर मला. ब्रा को अपने छाती पर रखा. मै अपने खड़े लंड के ऊपर रचना की पैँटी को पहना और वो लंड के ऊपर तना हुआ था. फिर बाद मे मैं रचना की नाइटगाऊन को बाथरूम के दीवार के पास एक हैंगर पर टांग दिया. फिर कपड़े टांगने वाला पिन लेकर ब्रा को नाइटगाऊन के ऊपरी भाग मे फँसा दिया और पैँटी को नाइटगाऊन के कमर के पास फँसा दिया. अब ऐसा लग रहा था की रचना बाथरूम मे दीवार के सहारे ख़ड़ी हैं और मुझे अपनी ब्रा और पैँटी दिखा रही हैं मै झट जा कर रचना के नाइटगाऊन से चिपक गया और उनकी ब्रा को चूसने लगा और मन ही मन सोचने लगा की मैं रचना की चुंची चूस रहा हूँ. मै अपना लंड को रचना के पैँटी पर रगड़ने लगा और सोचने लगा की मै रचना को चोद रहा हूँ. मै इतना गरम हो गया था की मेरा लंड फूल कर पूरा का पूरा टनना गया था और थोड़ी देर के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और मै झड़ गया. मेरे लंड ने अपना पानी छोड़ा था और मेरे पानी से रचना की पैँटी और नाइटगाऊन भीग गया था. मुझे पता नही की मेरे लंड ने कितना वीर्य निकाला था लेकिन जो कुछ निकला था वो मेरे रचना के नाम पर निकला था.

अब मेने भी अपनी बहन रचना को चोदने का प्लान बनाया,मेने अपने कमरे में तकिये के निचे मस्तराम की १ सेक्सी किताब रख दी और रचना से कहा की वो मेरे कमरे में जाकर मेरी किताब ले आये|
पाम्च मिनिट बाद मेने चुपचाप जा कर देखा तो प्लान के अनुसार रचना को तकिये के नीचे वह किताब मिलने पर उसे पढ़ने का लोभ वह नहीं सहन कर पाई थी और बिस्तर पर बैठ कर किताब देख रही थी. उन नग्न सम्भोग चित्रों को देख देख कर वह किशोरी अपनी गोरी गोरी टांगें आपस में रगड़ रही थी. उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था.

मौका देख कर में बेडरूम में घुस गौर बोला. "देखूम, मेरी प्यारी बहना क्या पढ़ रही है?" रचना सकपका गयी और किताब छुपाने लगी. मेने छीन कर देखा तो फोटो में एक औरत को तीन तीन जवान पुरुष चूत, गांड और मुंह में चोदते दिखे. मेने रचना को एक तमाचा रसीद किया और चिल्लाया "तो तू आज कल ऐसी किताबें पढ़ती है बेशर्म लड़की. तू भी ऐसे ही मरवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई यह किताब देखने की? देख आज तेरा क्या हाल करता हूम."

रचना रोने लगी और बोली कि उसने पहली बार किताब देखी है और वह भी इसलिये कि उसे वह तकिये के नीचे पड़ी मिली थी. में एक न माना और जाकर दरवाजा बन्द कर के रचना की ओर बढ़ा. मेरी आम्खों में कामवासना की झलक देख कर रचना घबरा कर कमरे में रोती हुई इधर उधर भागने लगी पर में ने उसे एक मिनट में धर दबोचा और उसके कपड़े उतारना चालू कर दिये. पहले स्कर्ट खीम्च कर उतार दी और फिर ब्लाउज. फाड़ कर निकाल दिया. अब लड़की के चिकने गोरे शरीर पर सिर्फ़ एक छोटी सफ़ेद ब्रा और एक पैन्टी बची.

उसके अर्धनग्न कोमल कमसिन शरीर को देखकर मेरा लंड अब बुरी तरह तन्ना कर खड़ा हो गया था. मेने अपने कपड़े भी उतार दिये और नंगा हो गया. मेरे मस्त मोटे ताजे कस कर खड़े लंड को देख कर रचना के चेहरे पर दो भाव उमड़ पड़े. एक घबराहट का और एक वासना का मेरे ख्याल से वह भी सहैलियों के साथ ऐसी किताबें अक्सर देखती थी. उनमें दिखते मस्त लम्डों को याद करके रात को हस्तमैथुन भी करती थी. कुछ दिनों से बार बार उसके दिमाग में आता होगा कि उसके हैम्डसम भैया का कैसा होगा. आज सच में मेरे मस्ताने लौड़े को देखकर उसे डर के साथ एक अजीब सिहरन भी हुई.

"चल मेरी नटखट बहना, नंगी हो जा, अपनी सजा भुगतने को आ जा" कहते हुए में ने जबरदस्ती उसके अम्तर्वस्त्र भी उतार दिये.रचना छूटने को हाथ पैर मारती रह गई पर मेरी शक्ति के सामने उसकी एक न चली. वह अब पूरी नंगी थी. उसका गोरा गेहुमा चिकना कमसिन शरीर अपनी पूरी सुम्दरता के साथ मेरे सामने था. रचना को बाहों में भर कर मेने अपनी ओर खीम्चा और अपने दोनो हाथों में रचना के मुलायम जरा जरा से स्तन पकड़ कर सहलाने लगा. चाहता तो नहीं था पर मेरेसे न रहा गया और उन्हें जोर से दबाने लगा. वह दर्द से कराह उठी और रोते हुए बोली "भैया, दर्द होता है, इतनी बेरहमी से मत मसलो मेरी चूचियों को".

में तो वासना से पागल था. रचना का रोना मुझे और उत्तेजित करने लगा. मेने अपना मुंह खोल कर रचना के कोमल रसीले होंठ अपने होंठों में दबा लिये और उन्हें चूसते हुए अपनी बहन के मीठे मुख रस का पान करने लगा. साथ ही में उसे धकेलता हुआ पलंग तक ले गया और उसे पटक कर उसपर चढ़ बैठा. झुक कर मेने रचना के गोरे स्तन के काले चूचुक को मुंह में ले लिया और चूसने लगा. मेरे दोनों हाथ लगातार अपनी बहन के बदन पर घूंअ रहै थे. उसका हर अम्ग उसने खूब टटोला.
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10-30-2019, 11:58 AM,
#8
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
मन भर कर मुलायम मीठी चूचियां पीने के बाद में बोला. "बोल रचना , पहले चुदवाएगी, या सीधे गांड मरवाएगी?" आठ इम्च का तन्नाया हुआ मोटी ककड़ी जैसा लम्ड उछलता हुआ देख कर रचना घबरा गयी और बिलखते हुए मुझसे याचना करने लगी. "भैया, यह लंड मेरी नाजुक चूत फ़ाड़ डालेगा, मैम मर जाऊम्गी, मत चोदो मुझे प्ली ऽ ज़ . मैम आपकी मुठ्ठ मार देती हूं"

मेरे को अपनी नाज़ुक किशोरी बहन पर आखिर तरस आ गया. इतना अब पक्का था कि रचना छूट कर भागने की कोशिश अब नहीं कर रही थी और शायद चुदने को मन ही मन तैयार थी भले ही घबरा रही थी. उसे प्यार से चूमता हुआ में बोला. "इतनी मस्त कच्ची कली को तो मैम नहीं छोड़ने वाला. और वह भी मेरी प्यारी नन्ही बहन! चोदूम्गा भी और गांड भी मारूम्गा. पर चल, पहले तेरी प्यारी रसीली चूत को चूस लूम मन भर कर, कब से इस रस को पीने को मैम मरा जा रहा हूं."

रचना की गोरी गोरी चिकनी जाम्घें अपने हाथों से में ने फ़ैला दीं और झुक कर अपना मुंह बच्ची की लाल लाल कोमल गुलाब की कली सी चूत पर जमा कर चूसने लगा. अपनी जीभ से में उस मस्त बुर की लकीर को चाटने लगा.

रचना की गोरी बचकानी चूत पर बस जरा से रेशम जैसे कोमल बाल थे. बाकी वह एकदम साफ़ थी. उसकी बुर को उंगलियों से फ़ैला कर बीच की लाल लाल म्यान को में चाटने लगा. चाटने के साथ में उसकी चिकनी माम्सल बुर का चुंबन लेता जाता. धीरे धीरे रचना का सिसकना बम्द हो गया. उसकी बुर पसीजने लगी और एक अत्यम्त सुख भरी मादक लहर उसके जवान तन में दौड़ गयी. उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी चूत पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार छोड़कर वह चहक उठी. "चूसो भैया, मेरी चूत और जोर से चूसो. जीभ डाल दो मेरी बुर के अन्दर."

में ने देखा कि मेरी छोटी बहन की जवान बुर से मादक सुगन्ध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है जैसे कि अमृत का झरना हो. उस शहद को में प्यार से चाटने लगा. मेरी जीभ अब रचना के कड़े लाल मणि जैसे क्लिटोरिस पर से गुजरती तो रचना मस्ती से हुमक कर अपनी जाम्घें मेरे सिर के दोनों ओर जकड़ कर धक्के मारने लगती. कुछ ही देर में रचना एक मीठी चीख के साथ झड़ गई. उसकी बुर से शहद की मानों नदी बह उठी जिसे में बड़ी बेताबी से चाटने लगा. मुझे रचना की बुर का पानी इतना अच्छा लगा कि अपनी छोटी बहन को झड़ाने के बाद भी में उसकी चूत चाटता रहा और जल्दी ही रचना फ़िर से मस्त हो गयी.

कामवासना से सिसकते हुए वह फ़िर मेरे मुंह को चोदने लगी. उसे इतना मजा आ रहा था जैसा कभी हस्तमैथुन में भी नहीं आया था. में अपनी जीभ उसकी गीली प्यारी चूत में डालकर चोदने लगा और कुछ ही मिनटों में सपना दूसरी बार झड़ गयी. में उस अंऋत को भूखे की तरह चाटता रहा. पूरा झड़ने के बाड एक तृप्ति की साम्स लेकर वह कमसिन बच्ची सिमटकर मुझ से अलग हो गयी क्योंकि अब मस्ती उतरने के बाद उसे अपनी झड़ी हुई बुर पर मेरी जीभ का स्पर्श सहन नहीं हो रहा था.

में अब रचना को चोदने के लिये बेताब था. में उठा और रसोईसे मक्खन का डिब्बा ले आया. थोड़ा सा मक्खन मेने अपने सुपाड़े पर लगया और रचना को सीधा करते हुए बोला. "चल रचना , चुदाने का समय आ गया." रचना घबरा कर उठ बैठी. उसे लगा था कि अब शायद में उसे छोड़ दूंगा पर मेरे को अपने बुरी तरह सूजे हुए लंड पर मख्खन लगाते देख उसका दिल डर से धड़कने लगा. वह पलंग से उतर कर भागने की कोशिश कर रही थी तभी में ने उसे दबोच कर पलंग पर पटक दिया और उस पर चढ़ बैठा. मेने उस गिड़गिड़ाती रोती किशोरी की एक न सुनी और उस की टांगें फ.ऐला कर उन के बीच बैठ गया. थोड़ा मक्खन रचना की कोमल चूत में भी चुपड़ा. फिर अपना टमाटर जैसा सुपाड़ा मेने अपनी बहन की कोरी चूत पर रखा और अपने लंड को एक हाथ से थाम लिया.

मेरे को पता था कि चूत में इतना मोटा लंड जाने पर रचना दर्द से जोर से चिल्लाएगी. इसलिये मेने अपने दूसरे हाथ से उसका मुंह बम्द कर दिया. वासना से थरथराते हुए फिर में अपना लंड अपनी बहन की चूत में पेलने लगा. सकरी कुम्वारी चूत धीरे धीरे खुलने लगी और रचना ने अपने दबे मुंह में से दर्द से रोना शुरु कर दिया. कमसिन छोकरी को चोदने में इतना आनन्द आ रहा था कि मुझ से रहा ना गया और उसने कस कर एक धक्का लगाया. सुपाड़ा कोमल चूत में फच्च से घुस गया और रचना छटपटाने लगी.
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10-30-2019, 11:58 AM,
#9
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
में अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आम्सू भरी आम्खों में झाम्कता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. रचना के बम्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था. मुझे लग रहा था कि जैसे में एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.

कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलनए लगा तो एक धक्का मेने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और रचना दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गयी. में ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाज.उक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुम्वारी बुर में उतारकर एक गहरी साम्स लेकर में अपनी बहन के ऊपर लेट गया. रचना के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.

में एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि मेरी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने मेरे लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भीम्च कर पकड़ा हो. रचना के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ में धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से रचना होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आम्खें खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "भैया, मै मर जाऊम्गी, उई माम, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूम."

में ने झुक कर देखा तो मेरा मोटा ताजा लंड रचना की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिम्चा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. में ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. में मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही मेने रचना के गालों पर बहते आम्सू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. रचना के चीखने की परवाह न करके में जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी रचना , बहुत पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."

टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब रचना और जोर से रोने लगी तो में ने रचना के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो रचना को लगा कि शायद में झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इम्तजार करने लगी. पर में अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर में रुक गया जब तक मेरा उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.

सम्हलने के बाद मेने रचना से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूम्गा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुम्वारी चूत में तो माम-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूम्गा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.

दस मिनिट बाद रचना की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. मेरे जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.

जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गयी. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गयी. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' निकलने लगी.

रोना बन्द कर के रचना ने अपनी बाम्हें मेरे गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर मेरे शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह मेरे को बेतहाशा चूंअने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. ःआय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैम इसी लायक हूम."

में हंस पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता रचना , तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" रचना ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.

भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. मेने तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. रचना को मजा तो आ रहा था पर मेरे लंड के बार अम्दर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर मेरे लंड के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.
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10-30-2019, 11:58 AM,
#10
RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
काफ़ी देर यह सम्भोग चला. में पूरे ताव में था और मजे ले लेकर लंड को झड़ने से बचाता हुआ उस नन्ही जवानी को भोग रहा था. रचना कई बार झड़ी और आखिर लस्त हो कर निढाल पलंग पर पड़ गई. चुदासी उतरने पर अब वह फ़िर रोने लगी. जल्द ही दर्द से सिसक सिसक कर उसका बुरा हाल हो गया क्योंकि मेरा मोटा लंड अभी भी बुरी तरह से उसकी बुर को चौड़ा कर रहा था.

में तो अब पूरे जोश से रचना पर चढ़ कर उसे भोग रहा था जैसे वह इम्सान नही, कोई खिलौना हो. उसके कोमल गुप्ताम्ग को इतनी जोर की चुदाई सहन नहीं हुई और सात आठ जोरदार झटकों के बाद वह एक हल्की चीख के साथ रचना फिर बेहोश हो गयी. में उस पर चढ़ा रहा और उसे हचक हचक कर चोदता रहा. चुदाई और लम्बी खीम्चने की उसने भरसक कोशिश की पर आखिर मुझसे रहा नहीं गया और में जोर से हुमकता हुआ झड़ गया.

गरम गरम गाढ़े वीर्य का फ़ुहारा जब रचना की बुर में छूटा तो वह होश में आयी और अपने भैया को झड़ता देख कर उसने रोना बम्द करके राहत की एक साम्स ली. उसे लगा कि अब में उसे छोड़ दूंगा पर में उसे बाहों में लेकर पड़ा रहा. रचना रोनी आवज में मुझसे बोली. "भैया, अब तो छोड़ दीजिये, मेरा पूरा शरीर दुख रहा है आप से चुद कर." में हम्सकर बेदर्दी से उसे डराता हुआ बोला. "अभी क्या हुआ है रचना . अभी तो तेरी गांड भी मारनी है."

रचना के होश हवास यह सुनकर उड़ गये और घबरा कर वह फिर रोने लगी. में हम्सने लगा और उसे चूमते हुए बोला. "रो मत, चल तेरी गांड अभी नहीं मारता पर एक बार और चोदूम्गा जरूर ." मेने अब प्यार से अपनी बहन के चेहरे , गाल और आम्खों को चूमना शुरू कर दिया. मेने सपना से उसकी जीभ बाहर निकालने को कहा और उसे मुंहै में लेकर रचना के मुख रस का पान करता हुआ कैन्डी की तरह उस कोमल लाल लाल जीभ को चूसने लगा.

थोड़ी ही देर में मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया और मेने रचना की दूसरी बार चुदाई शुरू कर दी. चिपचिपे वीर्य से रचना की बुर अब एकदम चिकनी हो गयी थी इसलिये अब उसे ज्यादा तकलीफ़ नहीं हुई. 'पुचुक पुचुक पुचुक' की आवाज के साथ यह चुदाई करीब आधा घन्टा चली. सपना बहुत देर तक चुपचाप यह चुदाई सहन करती रही पर आखिर चुद चुद कर बिल्कुल लस्त होकर वह दर्द से सिसकने लगी. आखिर में ने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू किये और पाम्च मिनट में झड़ गया.

झड़ने के बाद कुछ देर तो में मजा लेता हुआ अपनी कमसिन बहन के निस्तेज शरीर पर पड़ा रहा. फिर उठ कर उसने अपना लंड बाहर निकला. वह 'पुक्क' की आवाज से बाहर निकला. लंड पर वीर्य और बुर के रस का मिला जुला मिश्रण लगा था. सपना बेहोश पड़ी थी. में उसे पलंग पर छोड़ कर बाहर आया और दरवाजा लगा लिया.रचना को चोद कर जो आनंद मुझे आया वो में आपको बता चूका हूँ|

रचना की चुदाई के बाद हम दोनों भाई बहन के बीच उम्र का कोई बंधन नही बचा था,अब जब भी हमे मौका मिलता हम दोनों एक दूसरे को छेड़ना शुरू हो जाते। लेकिन मॉम के घर पर रहने के कारन चुदाई करना मुश्किल हो रहा था,लेकिन जब भी रचना मुझे अकेले में मिलती में कुछ न कुछ उसके साथ करने लगता। एक दिन जब मॉम किसी काम से घर के बाहर गयी
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