Hindi Adult Kahani कामाग्नि
09-08-2019, 02:02 PM,
#41
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
आपने पढ़ा कि कैसे राजन ने होली की मस्ती और नशे में अपनी बहन नेहा को अपनी पत्नी सोनिया के सामने ही चोद दिया था. उसके बाद तीनों एक साथ नंगे नहाए और वहाँ बाथरूम में भी राजन ने नेहा बहन को एक बार और चोदा जिसमे सोनिया ने भी पूरा साथ दिया।
अब आगे…

बाथरूम ने नहाते नहाते जब मैं नेहा को चोद रहा था, तब तक नहाने की वजह से हम सब का नशा उतर चुका था लेकिन फिर भी मेरी बीवी और नेहा को कोई आपत्ति नहीं थी और हम तीनों पूरे होश में चुदाई का लुत्फ़ उठा रहे थे।
पहले मुझे लगा कि सोना (सोनिया) नशे में है इसलिए कुछ नहीं कह रही है लेकिन फिर जब नेहा को चोदने के बाद मैं उसे चोद रहा था तो वो नेहा के साथ मस्ती कर रही थी, उसको दोबारा चुदाई के लिए तैयार कर रही थी।

आखिर में जब वो झड़ने की कगार पर पहुंची तो नेहा को मुझे किस करने को कहा और मुझे उसकी चूचियां मसलने को। मैं अपनी बहन के मुख में जीभ डाल कर उसे किस कर रहा था और साथ में बाएँ हाथ से उसे अपनी बाहों में भर के उसकी बाईं चूची मसल रहा था जबकि दाईं चूची मेरी छाती से चिपकी हुई थी। दूसरे हाथ से मैं सोना की कमर पकड़ के उसे चोद रहा था।
हम भाई बहन की ये वासना भरी स्थिति देखते हुए सोना जोर से झड़ने लगी।

बाथरूम से बाहर आकर भी किसी ने कपड़े नहीं पहने, सबने नंगे ही खाना खाया और फिर तीनों बेडरूम में ऐसे ही एक साथ लेट गए। मेरे एक तरफ नेहा और दूसरी तरफ सोना, दोनों मेरी तरफ करवट ले कर और मुझसे चिपक कर लेटी थीं।


मैंने कहा- आज जो भी हुआ वो कभी सोचा नहीं था. ना कि कभी ऐसा भी हो सकता है।
दोनों ने एक साथ कहा- हम्म्म…
“मज़ा तो बहुत आया लेकिन सोना, तुम्हें बुरा तो नहीं लगा? और नेहा तुम्हें?” मैंने दोनों से एक साथ सवाल कर दिया।

पहले नेहा बोली- शुरू में अजीब लगा था लेकिन नशे में कुछ ज्यादा समझ नहीं आया और फिर बाद में मजा आने लगा।
सोना ने भी इसी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- शुरू में नशे और मस्ती में ये समझ ही नहीं आया कि तुम मेरे सामने अपनी बहन चोद रहे हो. लेकिन जैसे जैसे होश आता गया, मुझे बुरा लगने की बजाए और अच्छा लगने लगा। तुम अपनी सगी बहन चोद रहे हो, यह सोच सोच कर तो मैं इतनी गीली हो गई थी कि आज तक कभी नहीं हुई।

“हाँ, वो तो मैं समझ सकता हूँ, मैंने भी तुमको कभी इतनी जोर से झाड़ते नहीं देखा। लेकिन ये सब शुरू शराब के नशे से हुआ और बाद में चुदाई के मज़े में मैंने भी ध्यान नहीं दिया कि मैं बहनचोद बन गया हूँ। इसलिए अब जब सोचता हूँ तो लगता है कि कहीं हमने कुछ गलत तो नहीं कर लिया?”

नेहा- नहीं भैया, आप ऐसा ना सोचो, मैं तो बचपन से ही आपको बहुत चाहती थी और जब जवानी आई तो आप ही वो पहले मर्द थे जिसको मैं अपनी कल्पना में चोदा करती थी। मेरे ख्याल से कोई भी लड़की कभी ना कभी अपने भाई की ओर आकर्षित ज़रूर होती है.
सोनिया- हम्म्म, वो तो है.

नेहा- क्योंकि सबसे पहले आप ही थे जिसको मैं इतना पास से देख पाती थी। और याद है वो एक बार जब आप बाथरूम से नहा के आ रहे थे और मैं जा रही थी तब आपका टॉवेल खुल गया था। वो पहली बार था जब मैंने कोई जवान लंड देखा था। उस दिन पहली बार मैंने बाथरूम में अपनी चूत में उंगली डाल के अपनी मुनिया को शांत किया था। वो तो ये समाज के नियम कानूनों की वजह से आगे कुछ करने की हिम्मत नहीं हुई और इसी वजह से आज जब आज आपने अपना लंड मेरी चूत में डाला तो मैंने शुरू में थोड़ा मना भी किया लेकिन इसका मतलब ये नहीं था कि मैं ऐसा नहीं चाहती थी।

राजन- चलो अच्छा हुआ तुमने ये सब बता दिया अब मैं बिना किसी अपराधबोध (गिल्टी फीलिंग) के तुम्हारे साथ मज़े कर पाऊंगा। और सोना, तुम बहुत हाँ में हाँ मिला रहीं थीं। तुम्हारी भी कोई ऐसी तमन्ना थी क्या अपने भाई के साथ?
सोनिया- हाँ, लेकिन यहाँ तो आग दोनों तरफ बराबर लगी थी।

नेहा- क्या बात है भाभी, फिर क्या आप पहले ही चुदवा चुकी हो अपने भाई से?
सोनिया- अरे न…हीं!
नेहा- अब समझ आया आपको हमारी चुदाई देख कर बुरा क्यों नहीं लगा। क्या बात है भैया, भाभी तो पहले से ही भाईचोद हैं.
ऐसा कहते कहते नेहा बहुत उत्तेजित हो गई और मुझसे और जोर से चिपकते हुए उसने मेरा लंड अपने हाथ में लेकर 2-3 झटके मुठ भी मार दी।

सोनिया- अरे यार बात तो सुन लो। ऐसा कुछ नहीं हुआ था हमारे बीच।
नेहा- दोनों तरफ आग बराबर लगी हो फिर भी हवनकुंड में घी ना गिरे, ऐसा कैसे हो सकता है?
सोनिया- बताती हूँ बाबा पूरी कहानी बताती हूँ:
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09-08-2019, 02:02 PM,
#42
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
एक बार मैं रात को पानी पीने किचन में गई तो देखा समीर के कमरे से हल्की लाइट आ रही थी। धीरे से खिड़की का दरवाज़ा हटा कर देखा तो समीर कंप्यूटर के सामने नंगा बैठा ब्लू फिल्म देख रहा था और साथ में मुठ मार रहा था। उसका लंड देखा तो मैं देखती ही रह गई। फिर वो थोड़ी देर बाद झड़ गया और सो गया। उस रात मुझे नींद ही नहीं आई, सारी रात आँखों के सामने उसका लंड घूमता रहा और मैं अपनी चूत में उंगली करती रही।

उसके बाद मैंने कई रातें इस चक्कर में बिना सोए बिता दीं कि शायद फिर कुछ वैसा ही देखने को मिल जाए लेकिन कभी टाइमिंग सही नहीं बैठी।
एक दिन मेरे दिमाग में आईडिया आया कि एक तरीका है जिस से मैं रोज़ वो मस्त लंड देख सकती थी। फिर एक दिन जब घर पर मैं अकेली थी तो बड़ी मेहनत से मैंने बाथरूम के दरवाज़े में ऐसा छेद किया जो आसानी से किसी को समझ ना आये।

उसके बाद जब भी समीर नहाने जाता, मैं मौका देख के उस छेद से उसको नंगा देख लिया करती थी। लेकिन हमेशा वो लटका हुआ लंड ही देखने को मिलता था। कुछ महीने ऐसे ही बीत गए फिर एक दिन जब मैंने छेद से देखा तो समीर ने अपना लंड हाथ में ले कर सहलाना शुरू कर दिया। देखते ही देखते वो तन के खड़ा हो गया। लेकिन समीर मुठ मारने के जगह उससे खेल रहा था बस। उस दिन के बाद से वो रोज़ नहाते वक़्त अपने लंड से खेलता और कभी कभी मुठ भी मारता।

मेरे दिन मज़े में कट रहे थे। जब घर में कोई और ना होता तो मैं नंगी हो कर जाती और उसको देखते देखते अपनी चूत और चूचों के साथ खेल कर झड़ भी जाती थी। लेकिन एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि पहले तो समीर कभी अपने लंड से नहीं खेलता था फिर अचानक अब रोज़ ऐसा क्यों करने लगा? मुझे शक हुआ कि कहीं इसे पता तो नहीं कि मैं उसे देखती हूँ। पर अगर ऐसा ही था तो मतलब वो इस छेद के बारे में जानता था और वो भी इसका इस्तेमाल करता होगा।

उसके बाद जब मैं नहाने गई तो मैंने ध्यान देना शुरू किया। मेरी नज़र उस छेद पर ही टिकी थी। थोड़ी देर बाद सच में उस छेद से जो थोडा लाइट आ रहा था वो बंद हो गया। मतलब कोई मुझे देख रहा था।
लेकिन कौन था ये नहीं कहा जा सकता था। अगले दिन मैं बाथरूम में आ कर नंगी हुई और शावर चालू करके तुरंत मैंने अन्दर से बाहर की तरफ देखना शुरू किया। थोड़ी देर बाद देखा समीर आया दरवाज़े के पास आकर बैठ गया। मैं तुरंत खड़ी हो गई और नहाने लगी।
लेकिन मेरे दिमाग में ये ख्याल भी था कि मेरा भाई मुझे नंगी नहाते हुए देख रहा था और इसलिए मैं ना केवल बाहर से नहा रही थी बल्कि अन्दर से भी बहुत गीली हो गई थी। आखिर मैंने भी चूत में ऊँगली करके खुद को शांत किया।

उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को उस छेद से अपनी जवानी के जलवे दिखने लगे। कभी कभी मैं बड़ी कामुक अदा से नहाती तो कभी अपने नंगे शरीर से खेलती रहती। और वो भी यही सब करता था। लेकिन कभी ना उसकी हिम्मत हुई कि इस से आगे कुछ करे और ना मेरी हिम्मत हुई। समाज के ये सब जो कायदे हमें शुरू से सिखा दिए जाते हैं इसकी वजह से एक सीमा के बाद आगे बढ़ना मुश्किल लगता है। एक डर बैठा होता है दिल में कि अगर कुछ किया तो पता नहीं क्या होगा.
और इस से पहले कि हम दोनों में से कोई इस डर से मुक्ति पाने की कगार पर आता, मेरी शादी हो गई और मैं यहाँ आ गई।

नेहा- वाह भाभी! वाह! क्या दिमाग पाया है। ये आईडिया मुझे क्यों नहीं आया। मैं बेकार कल्पना में ही भैया के लंड के बारे में सोच सोच के जैसे तैसे खुद को संतुष्ट किया करती थी।

सोनिया- अरे, लेकिन दिमाग से क्या होता है। किस्मत तो तुम्हारी ज्यादा अच्छी निकली ना। मुझे तो बस देखने को मिलता था, तुम्हें तो चोदने को मिल गया। और शायद तुम कल्पना में ज्यादा रहीं इसलिए तुम्हारे अन्दर दबी हुई भावनाएं ज्यादा थीं इसीलिए शायद आज तुमने कायदों को ताक पर रख दिया. मुझे कुछ हद तक संतुष्टि मिल जाया करती थी इसलिए कभी ज्यादा हिम्मत नहीं कर पाई.
सोनिया की शक्ल देख कर मुझे उस पर तरस आ गया और मैंने बोल दिया- यार तुम फिकर ना करो, तुमने हम दोनों भाई बहन की चुदाई में मदद की है तो हमारा भी फ़र्ज़ बनता है कि हम तुमको तुम्हारे भाई से चुदवाने में मदद करें।
सोनिया की तो जैसे लाटरी लग गई हो, वो तुरंत ख़ुशी से उठ कर बैठ गई और और कहने लगी- वाओ, सच! मगर कैसे? और समीर मुझे चोदना चाहेगा या नहीं?
राजन- अरे बाबा इतना टेंशन ना लो। देखो तुमने खुद बोला ना कि समाज के डर से तुम्हारी हिम्मत नहीं हुई लेकिन अब तो तुम अकेली नहीं हो ना। हम भी तुम्हारे साथ हैं। जैसे आज तुमने हमें चुदाई के लिए प्रोत्साहित किया वैसे हम भी तुम दोनों भाई बहन की चुदाई के लिए सही माहोल बनाने में मदद करेंगे। तुम वो सब चिंता अभी से ना करो, कुछ ना कुछ प्लान तो बन ही जाएगा।

नेहा- हाँ भाभी, हम आपको आपके भाई से ज़रूर चुदवाएंगे लेकिन अभी तो आप हम दोनों भाई बहन की चुदाई की चीअर लीडर बनो।
इतना कह कर नेहा भी उठ कर बैठ गई और मेरा लौड़ा, जो उसने अब तक सहला सहला के कड़क कर दिया था उसको, अपनी चूत पर सेट करने लगी। सोनिया भी ख़ुशी में हम दोनों को प्रोत्साहित करने लगी।

सोनिया- हाँ हाँ क्यों नहीं मेरे भेनचोद पति की चुदक्कड़ बहन, जितना चुदवाना है चुदवा। अपने भाई के लंड पर बैठ कर घुड़सवारी कर। और राजन तुम भी चलाओ अपना लंड इसकी चूत में जैसे इंजन में पिस्टन चलता है। बुझा दो इसकी चूत की आग अपने लंड के पानी से।

सोनिया की बातें हमारी उत्तेजना और बढ़ा रही थीं और मेरी बहन मेरा लंड अपनी चूत में लिए उसके ऊपर उछल रही थी। मैं भी नीचे से उसका साथ दे रहा था और साथ ही दोनों हाथों से उसके चूचे भी मसल रहा था।
इस तरह हम तीनों ने मिल कर रात भर चुदाई की।
एक बार तो वो दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरी की चूत का दाना चूस रहीं थीं और मैं बारी बारे दोनों की चूत चोद रहा था। दोनों ने मिल कर कई बार मेरा लंड भी चूसा और एक बार तो दोनों में होड़ लगी थी कि मैं किसके मुँह में झडूंगा।

ऐसे ही मस्ती करते करते वो रात तो निकल गई और फिर अगले दिन से हम रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में व्यस्त हो गए। नेहा अब हम दोनों के साथ ही सोने लगी थी और हम सब मिल कर सेक्स किया करते थे।

दोस्तो, आपको यह भाई बहन की चुदाई कहानी कैसी लगी आप मुझे बता सकते हैं. अगर आपने पसंद किया तो मैं और आगे भी लिखने की कोशिश कर सकता हूँ...
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09-08-2019, 02:02 PM,
#43
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे नशा उतरने के बाद भी राजन की बहन और उसकी पत्नी इस सारे भाई बहन की चुदाई के प्रकरण से खुश थे और किसी को कोई अफ़सोस नहीं था। इसका कारण यह था कि सोनिया भी अपने भाई के लंड के सपने देखा करती थी और राजन नेहा ने उसे वादा किया कि वो उसका सपना पूरा करने में उसकी मदद करेंगे।
अब आगे…

हमारे दिन (और रातें) मज़े में कट रहे थे। मुझे 2-2 चूत चोदने को मिल रहीं थीं। घर में किसी की शर्म लिहाज़ करने की ज़रुरत नहीं थी। सब सारा समय नंगे ही रहते थे। XXX विडियो टीवी पर ऐसे चलते थे जैसे घरों में आम तौर पर म्यूजिक चैनल चलते हैं, माहौल एकदम मस्त था।

लेकिन एक दिन जब सोनिया को चोदने के बाद मैं नेहा को चोद रहा था तो मैंने देखा कि सोनिया लेटे-लेटे हमें देख रही है लेकिन उसका ध्यान कहीं और ही था जैसे किसी और ख्याल में खोई हुई हो।
तब अचानक मुझे याद आया कि उसे भी अपने भाई की याद आ रही होगी। हम दोनों भाई-बहन की चुदाई देख कर उसका भी मन उसके भाई से चुदवाने को करता होगा। हमने उससे वादा भी किया था लेकिन हम अपने मज़े में इतने खो गए थे कि भूल ही गए।


मुझे ये सोच सोच कर बहुत आत्मग्लानि का अनुभव हुआ और मैं झड़ नहीं पाया। जैसे ही नेहा झड़ी, मैंने अपना लंड बाहर निकाला और मैं दोनों के बीच लेट गया। मेरा खड़ा तना हुआ लंड देख कर सोनिया बोली- अरे तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है। लाओ मैं एक बार फिर चुदवा लेती हूँ।
राजन- नहीं, अभी मूड नहीं है।

सोनिया- अरे ऐसा क्या हो गया? अभी तो पूरे जोश में नेहा की चुदाई कर रहे थे।
राजन- वही तो… जब मैं उसे चोद रहा था तो मैंने देखा तुम पता नहीं किन ख्यालों में खोई हुई हो। तब मुझे याद आया कि तुमको भी शायद समीर से ऐसे ही चुदवाने तमन्ना हो रही होगी। और हमने तुमको वादा भी किया था लेकिन हम भूल ही गए। मुझसे तुम्हारी उदासी देखी नहीं गई इसलिए मूड ख़राब हो गया।

इतना सुनते ही सोनिया ने मुझे गले लगा लिया और जोर से एक चुम्मी लेकर मुझे कस कर अपनी बाहों में जकड़ते हुए बोली- जिसका पति उसके बारे में इतना सोचता हो वो भला उदास कैसे रह सकती है। आपने बिल्कुल सही समझा, मैं अपने भाई के ख्यालों में ही खोई हुई थी। लेकिन मुझे पता है आप अपना वादा नहीं भूले हैं और निभाएंगे भी इसलिए अभी तो मुझे आप पर बहुत प्यार आ रहा है।

उसकी आँखों में आंसू भर आये थे और मुझे पता था वो ख़ुशी के आंसू थे। उसने मुझे बहुत ही कोमल सा चुम्बन किया और हम एक दूसरे के होंठों को हौले हौले चूसने लगे। इस चुम्बन में वासना की उफान नहीं बल्कि सच्चे प्यार की स्थिरता थी। हम दोनों एक दूसरे की ओर करवट किये हुए लेटे थे और एक दूसरे को बाहों में भरे हुए सर से पाँव तक एक दूसरे से चिपके हुए थे। हमारी जांघें और पैर आपस में ऐसे गुत्थम गुत्था थे जैसे आपस में बंध जाना चाहते हों।
स ऐसे ही चिपके हुए मैं कभी उसकी पीठ सहलाता तो कभी नितम्बों से होता हुआ जाँघों तक हल्के से सहला देता, तो कभी स्तनों के बाजू से अपनी उंगलियाँ सरसरा देता।

सोनिया ने धीरे से अपना हाथ पीछे से अपने दोनों पैरों के बीच सरकाया और उसकी दोनों जाँघों के बीच दबे मेरे लिंग को धीरे से अपनी योनि में फिसला दिया। ना तो हमारा चुम्बन टूटा, ना ही आलिंगन लेकिन हम दोनों ने धीरे धीरे अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया। कभी वो हल्के से मेरे नितम्बों को अपनी हथेलियों से मसल देती तो कभी मैं अपने हाथों से उसके स्तनों तो दबा देता या फिर उसके नितम्बों को अपनी हथेलियों का सहारा देकर अपना लिंग उसकी योनि की गहराइयों तक पहुंचा देता।

यह सब हम बहुत आराम से और हौले हौले कर रहे थे। ऐसा लग रहा था मानो आज हमने पहली बार प्यार करना सीखा था। ना जाने कब तक हम ऐसे ही धीरे धीरे अपने इस अनूठे समागम के आनन्द में गोते लगाते रहे।

और भी अजब बात यह थी कि जब हम अपने अतिरेक पर पहुंचे तो भी हमारी रफ़्तार बहुत तेज़ नहीं हुई, ना ही हमारा आलिंगन या चुम्बन टूटा। लेकिन इतनी देर तक पहले कभी हमने पराकाष्ठा (climax) का अनुभव नहीं किया था। काफी देर तक मेरा लिंग सोनिया की योनि में वीर्य की वर्षा करता रहा और उसकी योनि भी मेरे लिंग को ऐसे चूसती रही जैसे कोई बच्चा अपना अंगूठा चूसता है।

सब ख़त्म होने के बाद भी हम ऐसे ही चिपके पड़े रहे, बीच बीच में कभी कभी मेरा लिंग झटका मार देता तो उसकी योनि भी कस जाती या उसकी योनि में खिंचाव आ जाता और उसकी वजह से मेरा लिंग झटके मारने लगता।

हम पता नहीं कितनी देर ऐसे ही पड़े रहते लेकिन नेहा हमें वापस इसी दुनिया में वापस ले आई।
नेहा- भैया!!! भाभी!!! ये क्या था?
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09-08-2019, 02:02 PM,
#44
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
तब हमें होश आया कि हम अकेले नहीं थे। मैंने धीरे से सोनिया की पीठ पर हाथ फेरा और उसे सहलाते हुआ अपना लिंग बाहर निकाल लिया और उसके गालों पर एक प्यार भरा चुम्बन देकर मैं बैठ गया।
सोनिया भी उठ कर बैठ गई थी।

मैं- यार क्या था ये तो नहीं पता लेकिन ऐसा पहले कभी अनुभव नहीं किया था। शायद इसी को प्यार करना कहते हैं।
नेहा- तो अब तक जो हम कर रहे थे वो क्या था?
सोनिया- वो चुदाई थी!

और इतना कह कर सोनिया हंस पड़ी। हम दोनों भी हंसने लगे। खैर उस वक़्त तो रात बहुत हो गई थी और हमको सबको नींद आ रही थी इसलिए हम सो गए लेकिन एक बात जो मुझे समझ आई वो यह कि जब सेक्स में इमोशन (भावनाएं) भी हों तो वो एक अलग ही अनुभव होता है। लेकिन अब भावनाएं कोई K-Y जेली तो है नहीं कि बाज़ार से लाओ और चूत में लगा के चुदाई का मज़ा बढ़ा लो। वो तो जब आना होता है तभी आती हैं। और चुदाई का मजा तो कभी भी लिया जा सकता है।

इसलिए ज्यादा भावनाओं में बहने के बजाए मैं अपनी बीवी को उसके भाई से चुदवाने के तरीके सोचने लगा। अगला दिन इसी उधेड़बुन और रोज़मर्रा के कामॉम में निकल गया। रात को जब सब खाना खाने बैठे तब मैंने ये बात निकाली- मेरे इस बारे में सोचने से ही अगर सोनिया को मुझ पर इतना प्यार आ सकता है तो सोचो अगर मैंने सच में अगर इसको इसके भाई से चुदवा दिया तो ये मुझे कितना प्यार करेगी।

सोनिया- हाँ, मैं यही सोच कर इतना भावुक हो गई थी कि मेरा पति मुझे कितना प्यार करता है। मेरी ख़ुशी के लिए वह ये काम तक करने को तैयार है जो कोई पति सपने में भी मंजूर नहीं करता।

नेहा- नहीं भाभी, मैंने अपनी शादीशुदा सहेलियों से सुना है कई पति आजकल स्वैपिंग करते हैं। अपनी पत्नियों को दूसरों से चुदवाते हैं और खुद उनकी पत्नी को चोदते हैं।
सोनिया- हाँ… लेकिन वो तो ये सब अपनी मस्ती के लिए करते हैं ना। मेरे भाई की तो कोई बीवी भी नहीं है।

नेहा- हाँ, लेकिन बदले में आपने भी तो भैया को मुझे चोदने दिया ना।
सोनिया- हाँ, क्योंकि मैं भी तुम्हारे भैया से उतना ही प्यार करती हूँ, इनकी ख़ुशी के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
मैं- सो स्वीट! तुमको जो करना था वो तुम कर चुकीं लेकिन अभी तो हमको तुम्हारी ख़ुशी के लिए कुछ करना है ना। तो देखो मैंने बहुत सोचा है इस बारे में। हमको बहुत सम्हाल कर कदम उठाने पड़ेंगे। कुछ गड़बड़ हो गई तो ना केवल तुम बल्कि मैं और नेहा भी बदनाम हो जाएंगे।

सोनिया- हाँ वो तो है। देखो अगर आसानी से हो सकता हो तो ठीक है नहीं तो रहने दो। मैं तुम्हारे साथ ही खुश हूँ।
मैं- चिंता ना करो, मैंने बहुत सोच समझ कर ऐसा प्लान बनाया है कि खतरा बहुत कम है।

नेहा- क्या प्लान है वो भी तो बताओ?
राजन- देखो, 2-3 महीने बाद राखी है। तब तक तुम समीर से फ़ोन पर बातें करते समय पता करो कि वो भी अब तक तुम्हारे बारे में वैसा ही सोचता है या नहीं। हो सके तो थोड़ी भूमिका भी बना लेना और फिर राखी पर उसको एक हफ्ते के लिए बुला लो यहाँ। त्यौहार ही ऐसा है कि कोई शक भी नहीं करेगा और काम भी हो जाएगा।

नेहा- अरे यार नहीं भैया, मैंने तो इस राखी के लिए बहुत प्लान बना रखे थे कि इस बार कुछ स्पेशल तरीके से मनाऊँगी आपके साथ। कोई और टाइम सोचो ना?
राजन- हम्म… ऐसा है तो… एक काम करेंगे!!… सोनिया, तुम उसको राखी से पहले ही बुलवा लेना तो अगर सब कुछ सही हुआ तो राखी से पहले ही सोनिया समीर से चुदवा चुकी होगी और फिर हम चारों मिल कर तुम्हारे हिसाब से स्पेशल राखी मना लेंगे।

नेहा- हाँ ये बात कुछ ठीक है. और वैसे भी भाभी की वजह से ही तो मैं आपके साथ इतना खुल पाई हूँ। इनकी इजाज़त ना होती तो आज हम तीनों यहाँ नंगे बैठ कर खाना न खा रहे होते। इसलिए इनके लिए इतना रिस्क तो ले ही सकते हैं।

सोनिया- अब खाना खत्म हो गया हो तो बेडरूम में चलें। एक तो तुम लोगों ने मेरी और समीर की चुदाई की बात कर करके मुझे इतना गर्म कर दिया है कि देखो ये कुर्सी तक गीली हो गई मेरे चूत के रस से।
राजन- ऐसा है तो चलो नेहा, आज स्वीट डिश में तुम्हारी भाभी की चूत का रस ही चाट लेंगे दोनों भाई-बहन।
इसके साथ ही सब हंस पड़े और हाथ मुह धो कर अगली चुदाई के लिए तैयार होने लगे।

दोस्तो, आपको यह भाई-बहन और पत्नी की त्रिकोणीय चुदाई की कहानी कैसी लगी आप मुझे ज़रूर बताइयेगा।
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09-08-2019, 02:02 PM,
#45
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
अब तक आपने पढ़ा कि कैसे भाई-बहन और पत्नी ने घर में खुलेआम चुदाई का माहौल बना लिया था और पूरी मस्ती के साथ रह रहे थे तभी राजन को याद आया कि उसने सोनिया को उसके भाई से चुदवाने का वादा किया था और फिर वो उसके लिए प्लानिंग करने लगे।
अब आगे…

अगले दिन मैं क्लीनिक चला गया और नेहा कॉलेज, तब सोनिया ने समीर (सोनिया का भाई) को कॉल लगाया।

सोनिया- क्या बात है यार, तुम तो अपनी बहन को भूल ही गए? कभी खुद भी कॉल कर लिया करो।
समीर- नहीं दीदी, आपको कैसे भूल सकता हूँ, वो ज़रा प्रोजेक्ट में बिजी हो गया था। फाइनल इयर है ना तो इसलिए!
सोनिया- ओह हाँ! वो तो है, फिर सारा टाइम पढ़ाई में ही लगे रहते हो या कोई दोस्त भी बनाई है?
समीर- ‘बनाई है?’ मतलब आप गर्लफ्रेंड के बारे में पूछ रही हो? पहले तो कभी नहीं पूछा जब यहाँ थीं तब। अब क्या जीजाजी की संगत का असर हो गया जो भाई की गर्लफ्रेंड की फिकर होने लगी।
सोनिया- हा हा हा… नहीं यार, सोचा अब तुम हमें मिस नहीं करते हो तो शायद कोई गर्लफ्रेंड बना ली हो। हम तो तुम्हें बहुत मिस करते हैं। अभी नहाने जा ही रही थी कि सोचा तुमको फ़ोन करके पूछ लूँ कि तुमको हमारी याद क्यों नहीं आती।
समीर- ओह्ह… मतलब… हम्म… अब मैं क्या बोलूँ?


वो सोनिया की बात में छिपा इशारा समझ गया था लेकिन पहले कभी उसने सोचा नहीं था कि सोनिया कभी इस बारे में बात करेगी। वैसे सोनिया और समीर दोनों ही ये जानते थे कि वो एक दूसरे को छिप छिप कर नहाते हुए देखते थे। दोनों ये भी समझते थे कि ये बात दोनों को पता है क्योंकि दोनों ना केवल देखते थे बल्कि दिखाते भी थे।
समीर ने सोनिया की जो अदाएं देखीं थीं उस छेद से उसे देखने के बाद वो भी जानता था कि उसकी दीदी उसको रिझाने की पूरी कोशिश कर रही थी।

लेकिन एक तो माता-पिता के साथ एक छोटे घर में रहते हुए दोनों का साथ में अकेले होना ही बहुत कम होता था उस पर कभी पढ़ाई की टेंशन तो कभी किसी का मूड ठीक नहीं। इन सब के बाद भी जो कुछ मौके मिले तो फटी पड़ी रहती थी कि कहीं कुछ गलत हो गया तो जितना मजा मिल रहा है वो भी हाथ से ना चला जाए। कभी कभी जब जैसे तैसे हिम्मत जुटाई तो मौका ही हाथ से फिसल जाता था।
ऐसे करते करते काफी समय हाथ से निकल गया और फिर सोनिया की शादी हो गई।

आज जब सोनिया ने इशारे में ही सही लेकिन वही पुराने तार छेड़े तो समीर के दिल कि धड़कन अचानक बढ़ गई और वो हड़बड़ा गया लेकिन फिर उसने अपने आप को सम्हालते हुए कहा- दरअसल दीदी ऐसा है ना, कि मैं कॉलेज में थोड़ा पढ़ाकू लड़कों की श्रेणी में आता हूँ, तो जो लड़कियाँ सारा टाइम पढ़ाई की ही बात करती हैं, बस उन्ही से बात हो पाती है। बाकी किसी से बात करने का कभी मौका ही नहीं मिलता, तो पढ़ाई के अलावा लड़कियों से कैसे बात करना है उसमें मैं थोड़ा कमज़ोर हूँ।

सोनिया- अच्छा ये बात है। तो ठीक है, तू एक काम कर कुछ दिन के लिए यहाँ आ जा, यहाँ राजन की बहन नेहा भी हमारे साथ रहती है। कुछ दिन उसके साथ रहेगा तो तेरी झिझक भी निकल जाएगी और क्या पता तुझे नेहा ही पसंद आ जाए और तू उसे ही गर्लफ्रेंड बना ले।

समीर- बात तो ठीक है लेकिन यहाँ मम्मी-पापा को क्या कहूँगा कि पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर मैं कुछ दिन के लिए दीदी के पास जा रहा हूँ और वो भी लड़की पटाने की ट्रेनिंग लेने? हा हा हा…
सोनिया- ओके बाबा! लेकिन राखी पर तो आ सकता है ना? उसके लिए तो कोई मना नहीं करेगा?
समीर- हाँ वो तो है। तब तक मेरा प्रोजेक्ट भी ख़त्म हो जाएगा।
सोनिया- गुड! अच्छा ठीक है अब रखती हूँ… नहाने जा रही हूँ… अब तो तू ज़रूर मिस करेगा मुझे।

शरारती अंदाज़ में इतना कह कर सोनिया ने फ़ोन रख दिया और नहाने चली गई। आज उसकी पुरानी यादें ताज़ा हो गईं थीं और वो साधारण तरीके से नहाने के बजाए उसी कामुक तरीके से नहा रही थी जैसे उसका भाई अभी भी उसे देख रहा है। उसने अपने उरोजों को अपने दोनों हाथों में भर के मसला और चूचियों को चुटकी से पकड़ कर उमेठा, फिर खींचा।

पानी से भीगते अपने बदन को सहलाते हुए अपना दायाँ हाथ वो अपनी जाँघों के बीच ले गई और अपनी एक उंगली से भगनासा (क्लिटोरिस, चूत का दाना) को सहलाने लगी। एक एक करके बाकी उंगलियाँ उसने अपनी चूत में डाल लीं और अन्दर बाहर करने लगी। उसकी आँखें बंद थीं और उसके मन में उसके भाई का लंड घूम रहा था.

आम तौर पर सोनिया हस्त-मैथुन नहीं करती थी। खासकर शादी के बाद तो उसने ऐसा कभी नहीं किया था लेकिन आज अपने भाई के लंड की कल्पना करते हुए उसे ऐसा करने में बड़ा मजा आया था।समीर का लंड राजन के लंड से बड़ा और मोटा था और ज्यादा गोरा होने से थोड़ा गुलाबी था जो उसे बहुत प्यारा लगता था वो सोचने लगी कि जब वो सच में उसे चोदेगा तब कैसा लगेगा।

उधर समीर की धड़कन अभी भी बढ़ी हुई थी, उसका मन अब प्रोजेक्ट में नहीं लग रहा था, बेचैनी में वो इधर उधर टहल रहा था, उसका लंड खड़ा तो नहीं था लेकिन उसमें एक अजीब सी गुदगुदी सी हो रही थी जैसे नींद खुलने पर अंगड़ाई लेने का मन करता है, वैसे ही उसका भी अपने लंड को मसलने का मन कर रहा था।वह अपनी बहन का दीवाना था वह उसको पाने के लिये कुछ भी कर सकता था

आखिर ऐसे ही टहलते टहलते जब वो बाथरूम के पास से गुज़रा तो उसे अन्दर नहाने की आवाज़ सुनाई दी। उसे पता था कि अन्दर उसकी माँ नहा रही होंगी क्योंकि उस वक़्त घर में वो दोनों ही थे।
शीतल वैसे तो दो बड़े बच्चों की माँ थी लेकिन हमेशा अपने काम में क्रियाशील रहने और व्यस्तता के कारण उनका शरीर सुडौल और त्वचा सुन्दर थी।

वैसे तो समीर ने कभी शीतल को इस नज़र से नहीं देखा था लेकिन आज उसकी बेचैनी ने उसे मजबूर कर दिया था। उसने सोचा न समझा और अपनी आँख उस छेद से लगा दी जिससे वो अपनी बहन सोनिया को देखा करता था। उसकी आँखों ने जो देखा उसकी खबर शायद उसके दिमाग से भी पहले उसके लंड को लग गई थी, वो लंड जो अब तक बेचैन पड़ा करवटें बदल रहा था, वही अब अंगड़ाई ले कर उठ खड़ा हुआ था।

समीर ने अपना लंड अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाना शुरू कर दिया। उसने पहली बार अपनी मम्मी के हुस्न को इस तरह नंगा देखा था। 36-30-35 का सुडौल बदन, डी कप साइज के बड़े बड़े उरोज जो ज़्यादा लटके नहीं थे और वो मस्त गोल भरे हुए नितम्ब… समीर का लंड थोड़ी ही देर में झड़ गया, वो इतना ज्यादा झड़ा जितना पहले कभी नहीं झड़ा था।

वैसे तो 42 साल की शीतल अपनी बेटी सोनिया से कुछ काम सुन्दर नहीं थी लेकिन आज समीर के इस कदर झड़ने का करण इससे कहीं ज़्यादा था। उसकी एक गर्लफ्रेंड है पर उसने दिदी को नही बताया और वह उसको कई बार चोद चुका था और भी तीन चार लड़कियों को चोद चुका था पर दिदी उसका पहला प्यार था उसको पाने के लिये वह उसकी नंनद को पटाने का नाटक भी कर सकता था कभी कभी भोला बनकर भी बहोत काम बनते है फिर अभी अभी सोनिया ने पुरानी यादें ताज़ा कर दी थीं और इन सब पर तुर्रा ये कि उसने अपनी माँ को नंगी देखा था।

सनी लियोनी को नंगी देख कर किसी को इतना झटका नहीं लगेगा जितना किसी पड़ोस की लड़की को नंगी देख कर लगेगा क्योंकि जिस बात की आप अपेक्षा नहीं करते, जब वो होती है तो उत्तेजना ज़्यादा होती है। और अगर वो औरत आपकी माँ हो तो फिर तो बात नियंत्रण से बाहर हो जाती है।
समीर भी इतनी उत्तेजना सहन नहीं कर पाया और जल्दी से लंड और हाथ धोकर अपने कमरे में जा कर सो गया।
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09-08-2019, 02:03 PM,
#46
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
उधर समीर की धड़कन अभी भी बढ़ी हुई थी, उसका मन अब प्रोजेक्ट में नहीं लग रहा था, बेचैनी में वो इधर उधर टहल रहा था, उसका लंड खड़ा तो नहीं था लेकिन उसमें एक अजीब सी गुदगुदी सी हो रही थी जैसे नींद खुलने पर अंगड़ाई लेने का मन करता है, वैसे ही उसका भी अपने लंड को मसलने का मन कर रहा था।वह अपनी बहन का दीवाना था वह उसको पाने के लिये कुछ भी कर सकता था

आखिर ऐसे ही टहलते टहलते जब वो बाथरूम के पास से गुज़रा तो उसे अन्दर नहाने की आवाज़ सुनाई दी। उसे पता था कि अन्दर उसकी माँ नहा रही होंगी क्योंकि उस वक़्त घर में वो दोनों ही थे।
शीतल वैसे तो दो बड़े बच्चों की माँ थी लेकिन हमेशा अपने काम में क्रियाशील रहने और व्यस्तता के कारण उनका शरीर सुडौल और त्वचा सुन्दर थी।

वैसे तो समीर ने कभी शीतल को इस नज़र से नहीं देखा था लेकिन आज उसकी बेचैनी ने उसे मजबूर कर दिया था। उसने सोचा न समझा और अपनी आँख उस छेद से लगा दी जिससे वो अपनी बहन सोनिया को देखा करता था। उसकी आँखों ने जो देखा उसकी खबर शायद उसके दिमाग से भी पहले उसके लंड को लग गई थी, वो लंड जो अब तक बेचैन पड़ा करवटें बदल रहा था, वही अब अंगड़ाई ले कर उठ खड़ा हुआ था।

समीर ने अपना लंड अपनी मुट्ठी में लेकर हिलाना शुरू कर दिया। उसने पहली बार अपनी मम्मी के हुस्न को इस तरह नंगा देखा था। 36-30-35 का सुडौल बदन, डी कप साइज के बड़े बड़े उरोज जो ज़्यादा लटके नहीं थे और वो मस्त गोल भरे हुए नितम्ब… समीर का लंड थोड़ी ही देर में झड़ गया, वो इतना ज्यादा झड़ा जितना पहले कभी नहीं झड़ा था।

वैसे तो 42 साल की शीतल अपनी बेटी सोनिया से कुछ काम सुन्दर नहीं थी लेकिन आज समीर के इस कदर झड़ने का करण इससे कहीं ज़्यादा था। उसकी एक गर्लफ्रेंड है पर उसने दिदी को नही बताया और वह उसको कई बार चोद चुका था और भी तीन चार लड़कियों को चोद चुका था पर दिदी उसका पहला प्यार था उसको पाने के लिये वह उसकी नंनद को पटाने का नाटक भी कर सकता था कभी कभी भोला बनकर भी बहोत काम बनते है फिर अभी अभी सोनिया ने पुरानी यादें ताज़ा कर दी थीं और इन सब पर तुर्रा ये कि उसने अपनी माँ को नंगी देखा था।

सनी लियोनी को नंगी देख कर किसी को इतना झटका नहीं लगेगा जितना किसी पड़ोस की लड़की को नंगी देख कर लगेगा क्योंकि जिस बात की आप अपेक्षा नहीं करते, जब वो होती है तो उत्तेजना ज़्यादा होती है। और अगर वो औरत आपकी माँ हो तो फिर तो बात नियंत्रण से बाहर हो जाती है।
समीर भी इतनी उत्तेजना सहन नहीं कर पाया और जल्दी से लंड और हाथ धोकर अपने कमरे में जा कर सो गया।फिर तो समीर रोज ही अपनी माँ को नहाते हुये देखने लगा।
एक दिन तो शीतल पूरी नंगी नहा रही थीं.. उस दिन तो वो पैन्टी भी नहीं पहने हुए थीं। वो अपनी बुर में भी साबुन लगाकर साफ़ कर रही थीं। ये देखकर समीर का लण्ड तन गया था और सम्भल ही नहीं पा रहा था। समीर सोच रहा था कि मैं कैसे अपनी माँ के बदन से लिपटूं..
समीरने पहले एक बार माँ को डैड के साथ सेक्स करते हुए भी देखा था।
उस दिन अचानक समीर बैलेंस नहीं रख पाया और दरवाजे से टकरा गया।
दरवाजे पर आवाज़ होने से शीतल ने पूछा- कौन?
समीरने कहा- मैं हूँ.. मुझे कॉलेज के लिए देर हो रही है.. जल्दी करो..
वो बोलीं- तुम अन्दर आ जाओ.. मैं दरवाजा खोलती हूँ।
दरवाजा खुला और समीर अन्दर चला गया।
शीतल ने दरवाज़ा बंद कर लिया, समीर जल्दी से लेट्रीन में घुस गया।
समीर के लेट्रिन जाते ही शीतल बदन से तौलिया हटाकर नहाने लगीं। समीर लेट्रीन के डोर के होल से देखने लगा.. शीतल पूरी नंगी होकर नहा रही थीं, उन्होंने अपने पूरे बदन पर साबुन लगाया और अपने चूचे मसल-मसल कर नहाने लगीं।
उनका पीठ पर हाथ नहीं पहुँच पा रहा था..
इस वक्त उनका भीगा गोरा बदन और भी सेक्सी लग रहा था। फिर उन्होंने अपनी बुर के ऊपर साबुन लगाया और मसल-मसल कर साफ़ करने लगीं। बुर के ऊपर काले-काले घने बाल बहुत सेक्सी लग रहे थे.. वो उनको धो रही थीं।
समीरने इसी समय लेट्रीन से बाहर आने की सोची.. किंतु फ्लश और दरवाजा की आवाज़ सुन कर उन्होंने बदन को तुरंत सामने से तौलिया से कवर किया और हड़बड़ी में समीर को देखकर पीठ देते हुए घूम गईं.. जबकि पीछे तौलिया नहीं था और उनके पूरे नंगे बदन को देखकर समीर के पूरे बदन में सनसनी दौड़ गई।
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09-08-2019, 02:03 PM,
#47
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
क्या सेक्सी सीन था.. नंगी कमर.. मोटे-मोटे गोल उठे हुए चूतड़..
समीरने पूछा- आपको कितनी देर और लगेगी.. आपका नहाना हो गया क्या?
तुरंत ही उनको ग़लती समझ में आई और तौलिया को कमर में लपेट लिया.. लेकिन इससे तो उनके मम्मे नंगे हो गए.. उन्होंने अपने मम्मों को हाथ से ढका हुआ था।
समीरने कहा- आप जल्दी नहा लो..
वे बोलीं- हाँ ठीक है..
फिर समीरने कहा- लगता है कि आपकी पीठ कुछ ज़्यादा ही मैली हो रखी है.. काफी कुछ काली सी है।
वो बोलीं- हाँ.. मेरा हाथ नहीं पहुँचता है ना.. इसलिए ठीक से साफ नहीं हो पाती है।
समीरने तुरंत ही कहा- लाओ.. मैं आपकी कमर और पीठ को रगड़ कर साफ़ कर देता हूँ।
वो बोलीं- नही मैं कर लुंगी तू बाहर जा
समीर बोला क्या मम्मी मैं करता हु ना
शीतल ने सोचा अब जब समीर ने सब देखा ही है तो क्या फर्क पड़ता है वैसे भी जय पंद्रह दिन से बाहर गया था और और दस दिन बाद वह आनेवाला था और समीर अपने बाप से भी बहुत खूबसूरत और पूरा गठीला जवान हो गया तो शीतल ने कहा “हाँ ठीक है”..
उन्होंने रबिंग पैड की तरफ इशारा करते हुए कहा- वो पैड ले लो..
समीरने रबिंग पैड लेकर उनकी पीठ पर और साबुन लगाया.. अपनी मम्मी के जिस्म पर हाथ फेरने से समीर के पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया।
समीरने यह कहते हुए अपना पजामा खोल दिया- ये खोल देता हूँ.. नहीं तो भीग जाएगा।
फिर समीरने रबिंग पैड से उनकी कमर को ज़ोर से रगड़ा.. कमर और पीठ का मैल उतर रहा था।
समीर बोलता जा रहा था- बहुत मैल निकल रहा है..
समीर उनके मस्त जिस्म को मलता भी जा रहा था.. बड़ी मस्ती से मम्मी के गोरे-गोरे चिकने बदन पर रबिंग पैड रगड़ रहा था।
शीतल को भी अच्छा लग रहा था, यह वही शीतल थी जिसने विराज को कुछ भी करने को ना बोला था और अपने पति के सिवा किसीको हाथ लगाने नही दिया था पर आज वह भी अपने बेटे के साथ अर्ध नग्न होकर नहा रही थी और अपने बेटे के हाथों को अपने बदन पर फेरने दे रही थी। औरबोलीं- ठीक से रगड़ दे.. जिससे सारा मैल उतर जाए।
समीर भी बोला- यस.. आज मैं पूरा मैल उतार दूँगा।
फिर समीरने उनको घुटने के बल खड़ा होने को कहा.. उनकी कमर को रगड़ते-रगड़ते समीरने रबिंग पैड को नीचे चूतड़ के ऊपर ले जाकर ये बोलते हुए रगड़ने लगा- यहाँ भी बहुत मैल है..
वो बोलीं- अच्छा.. जल्दी कर..
समीर भी रबिंग पैड को उनके चूतड़ों पर गोलाई में घुमा घुमा कर मस्ती से उनकी गांड को दबाने लगा।
फिर साबुन से हाथों से मला.. फिर गर्दन पर साबुन लगाते-लगाते समीर का हाथ फिसल कर उनके मम्मों पर चला गया और समीरने उनके मम्मों पर भी साबुन लगा दिया।
शीतल ने मस्ती से आँखें बन्द कर रखी थीं.. शायद समीर के हाथों के कोमल स्पर्श का वे भी मजा ले रही थीं। शीतल को चुदाई किये हुये बहुत दिन हुये थे इसलीये जब समीरने उनके मम्मों पर हाथ लगाया और उन्होंने कुछ नहीं कहा तो समीर उनके मम्मों को मसलने लगा और कहा- यहाँ का भी मैल साफ़ कर देता हूँ।
उनके चूचों की मुलायमियत ने समीर के लंड की सख्ती को और बढ़ा दिया था और अब उससे नहीं रहा जा रहा था।
समीर का लंड तन गया था.. और उसके अंडरवियर में लण्ड एकदम अकड़ कर टाइट हो गया था।
अब तक समीरने अपनी बनियान भी उतार दी थी.. भीगे-भीगे बदन पर मोती जैसी पानी की बूँदें चमक रही थीं.. जो शीतल को और सेक्सी बना रही थीं। फिर समीर कभी भीगे बदन को मलता और कमर के पीछे से हाथ डाल कर उनके मम्मों पर साबुन मलने लगता.. तो समीर का लंड बार-बार उनके चूतड़ पर और कभी-कभी दोनों चूतड़ों की फाँक में टच हो रहा था।
समीर का कड़क लौड़ा उनकी गांड में टच होने पर वो भी कुछ सकपकाईं। फिर समीर सामने से मम्मों को मसल कर उनके पेट को मसलने लगा। फिर गर्दन मसलते हुए अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर कमर मसलने लगा। लेकिन इससे उनके मम्मे समीर के सीने से ज़ोर से रगड़कर दब रहे थे और वो ‘आह्ह..’ की आवाज़ निकालने लगीं।
समीर समझ गया कि उन्हें भी कुछ-कुछ ज़रूर होने लगा है और अब तूफान आने वाला है..
फिर समीरने उनके मम्मों को दबाकर मसलना शुरू कर दिया और पूछा- ठीक से मैल उतार रहा है ना?
उनका चेहरा चुदास की मस्ती से लाल होने लगा।
समीरने भी सोचा कि आज अच्छा मौका है.. समीरने उनका बदन मसलते-मसलते अपने लंड को बाहर निकाल लिया था।
वो पूरा खड़ा था.. पूरा तैयार था।
मुझे शीतल-डैड का सेक्स सीन याद आ गया।
समीरने अचानक कहा- उई शीतल कॉकरोच है..
और समीर उनसे बुरी तरह से लिपट गया।
वो समीर को जकड़ते हुए बोलीं- कहाँ है?
‘साइड में चला गया..’
इसी लिपटा-लिपटी में समीर का लंड बार-बार उनकी खुली बुर से टकराकर रगड़ने का मज़ा ले रहा था..
इससे उनको भी मजा आया था..
अब समीर भी उनसे चिपके-चिपके अपने बदन पर पानी डाल कर नहाने लगा।
शीतल अब समीर के बदन पर साबुन लागते हुए उसके सीने को मसल रही थीं.. और उसके सारे बदन पर साबुन मलने लगी थीं।
समीर की चौड़ी मर्दाना छाती में.. पेट पर.. कमर में.. चूतड़ों पर.. मतलब अब वो बिंदास बेटे के जिस्म से खेल रही थीं।
फिर धीरे-धीरे उन्होंने समीर का अंडरवियर भी नीचे खिसका दिया और लण्ड के आस-पास साबुन मलने लगीं।
समीर को भी बहुत मज़ा आ रहा था.. फिर वो समीर के लंड पर साबुन मलने लगीं.. समीर से रहा नहीं जा रहा था, समीरने भी उनके मम्मों को जोर से दबा दिए और शीतल से बोला- कहो तो दूध भी पी लूँ?
वो जबाव में मस्ती से बेटे के लौड़े को मुठियाने लगीं..
बस फिर क्या था समीरने उनके मम्मों को पकड़ कर पहले जीभ से चाटा.. फिर ज़ोर ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया।
वो भी चूचे चुसवाती हुई समीर के लंड को ज़ोर-ज़ोर से मसलने और दबाने लगीं।
फिर समीर का रस गिरने वाला था.. शीतल बोलीं देर हो रही है.. चलो अभी इतना ही.. तुझे भी कॉलेज को देर हो रही होगी।
यह कहते हुए उन्होंने समीर के लंड पर ज़ोरदार किस जड़ दिया।
फिर समीरने कहा- हाँ ठीक है.. बाकी काम रात को करेंगे..
शीतल ने हँस कर समीर के चूतड़ों पर थपकी लगा दी।फिर समीर तैयार होकर कॉलेज चला गया
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09-08-2019, 02:03 PM,
#48
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
सोनिया भी अपने भाई की कल्पना में डूबी रही सारा दिन और जब शाम को राजन घर आया तो उस पर टूट पड़ी। वहीं ड्राइंग रूम में ही उसे नंगा करने लगी, बड़ी मुश्किल से राजन जैसे तैसे दरवाज़ा बंद कर पाया।
नेहा अभी वापस नहीं आई थी क्योंकि वो अपने दोस्तों के साथ कॉलेज के बाद फिल्म देखने चली गई थी। सोनिया और राजन दोनों घर में अकेले ही थे। खैर अकेले न होते तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता।

सोनिया तो पहले से ही नंगी थी। राजन के कपड़े उतरते ही सोनिया ने इसका लटका हुआ लंड अपने मुँह में भर लिया। अब क्लीनिक से ट्रैफिक के धक्के खा कर आए हुए आदमी का लंड इतनी आसानी से तुरंत तो खड़ा नहीं हो सकता। सोनिया उसे चूसे जा रही थी और वो नर्म पड़ा 4 इंच का ही उसके मुंह में भरा हुआ था। वैसे तो अभी सोनिया को गले तक लंड लेना नहीं आया था। लेकिन अभी लंड की जो अवस्था थी, उसमें सोनिया ने उसे जड़ तक अपने मुँह में ले रखा था और उसके होंठ राजन के अंडकोष को छू रहे थे।

यह राजन के लिए एक नया अनुभव था और उसके छोटे मियाँ को खड़े होने में देर नहीं लगी। जब वो पूरी तरह खड़ा हो गया तो राजन ने कोशिश की कि वो उसे सोनिया के मुँह से निकाल कर चूत में डाल दे, लेकिन जब सोनिया ने छोड़ने से मना कर दिया तो राजन ने सोनिया को कमर से पकड़ कर उठाया और उसकी जाँघों को अपने कन्धों पर रख कर खड़ा हो गया अब वो खड़े खड़े अपनी बीवी की चूत चाट रहा था और सोनिया उसके कन्धों पर उलटी लटकी हुई उसका लंड चूस रही थी।

तभी नेहा भी घर आ गई थी, उसने हमेशा की तरह अपनी चाभी से दरवाज़ा खोला और सामने जो देखा तो देखती ही रह गई। कुछ देर तक तो वो यूँ ही अवाक् खड़ी उनको देखती रही, फिर जब उसे होश आया तो उसने दरवाज़ा बंद किया और जल्दी से कपड़े निकाल कर अपने भाई के पीछे से जाकर उससे चिपक गई। फिर धीरे से नीचे सरकते हुए भैया के नितम्बों को चूमते हुए उनकी दोनों जाँघों के बीच अपना सर डाल कर नेहा उनके बॉल्स (अंडकोष) चूसने लगी।
शायद इसी वजह से थोड़ी ही देर में राजन, सोनिया के मुँह में झड़ने लगा।

वैसे तो शायद सोनिया उसका पूरा रस चूस जाती लेकिन शायद नेहा के अंडे चूसने की वजह से रस कुछ ज़्यादा ही निकल गया था या फिर उलटे लटके होने की वजह से सोनिया कण्ट्रोल नहीं कर पाई और थोड़ा वीर्य उसके मुँह से छलक कर नीचे बहने लगा जिसको नेहा ने जल्दी से चाट लिया।
यह देख कर सोनिया इतना उत्तेजित हो गई कि वो भी तुरंत झड़ने लगी।

उसके बाद राजन ने उसको नीचे उतारा और सोनिया ने नेहा के होंठों पर लगा राजन का वीर्य चाटना शुरू कर दिया। नेहा ने भी उसके होंठों और गालों पर जो वीर्य लगा था वो चाट लिया।
यह देख कर राजन हंस पड़ा और फिर सब हंसने लगे।

इसके बाद सबने खाना खाया और बैडरूम में सोने चले गए।

आज सोनिया अलग ही मूड में थी- आज तुम दोनों भाई बहन चुदाई करो, मैं बस देखूंगी।
नेहा- क्यों भाभी? ऐसा क्यों?
सोनिया- कुछ नहीं, आज कल्पना में मैं समीर के साथ चुदाई करना चाहती हूँ तो तुमको देख कर मुझे थोड़ी प्रेरणा मिल जाएगी।

और फिर राजन ने नेहा को खूब चोदा और उनको देख देख कर सोनिया ने जी भर के अपने भाई के नाम की चूत-घिसाई की। लेकिन आज नेहा और सोनिया ने एक नया खेल सीख लिया था, मिल बाँट कर लंड का रस पीने का खेल। राजन चूत में झड़े या मुँह में या कहीं और भी झड़े, नेहा या सोनिया उसे चाट कर अपने मुँह में भर लेती और फिर दोनों उसे एक दूसरी के मुँह से चाट कर या चूस कर निकालती और पी जाती।

ननद भौजाई के इस खेल ने उनके रिश्ते हो और मज़बूत कर दिया था, उन दोनों की कोई सगी बहन नहीं थी लेकिन अब वो एक दूसरे को अपनी बहन की तरह ही मानने लगी थी।
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09-08-2019, 02:03 PM,
#49
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
इधर समीर श्याम को घर आया अपने रूम जाकर कपड़े बदलकर बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर शीतल के पास गया शीतल आराम कर रही थी समीर को देख कर वह उठ गई और समीर को चाय देकर उसके साथ बैठकर उसने भी चाय पी लिया और शीतल नहाने के लिए बाथरूम में घुस गईं.. और समीर भी मौका पाकर अपनी आँख को दरवाजे के छेद से लगा कर बाथरूम के अन्दर का सीन देखने लगा।
शीतल ने अभी नहाना शुरू ही किया था.. वे अपनी साड़ी उतार रही थीं।
फिर उन्होंने अपने ब्लाउज को खोलना शुरू किया, अब शीतल ब्रा और पेटिकोट में समीर की नजरों के सामने थीं।
उनकी बड़ी-बड़ी गोरी चूचियाँ मानो ब्रा से निकलने के लिए बेताब हो रही थीं और शीतल ने ब्रा को भी उतार दिया, शीतल की दोनों चूचियाँ आज़ाद हो गईं।
अब शीतल ने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और वो बिल्कुल नंगी हो चुकी थीं।
नंगी शीतल ग़ज़ब की हसीन लग रही थीं.. शीतल की चूचियों से समीर की नज़र नीचे खिसकते हुए उनकी चूत पर ठहर गईं।
शीतल की चूत काफ़ी बड़ी और गोरी थी.. उस पर हल्की-हल्की सी झांटें उगी हुई थीं।
समीर के पूरे बदन में सनसनी होने लगी और समीर का लंड तन कर खड़ा हो गया।
शीतल अपने सारे बदन को साबुन से मसल-मसल कर नहा रही थीं, नहाते-नहाते शीतल अपने दोनों चूचियों को हाथों से दबाने लगीं।
इसी तरह दबाते-दबाते शीतल पर जवानी की मदहोशी छाने लगी, वे अपने हाथों से बुर भी मसल रही थीं।
पहले तो बुर को हाथों से हल्के-हल्के सहलाती रहीं.. और फिर उन्होंने अपनी छूट में अपनी दो उंगलियों को पेल दिया और शीतल के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकालने लगी ‘ऊऊओ.. आअहह.. ससिईई..
शीतल ने अब नहाना शुरू कर दिया, समीर दरवाज़े से हट गया।
थोड़ी देर बाद शीतल नहा कर बाथरूम से निकलीं.. इस बार समीर को उनका हुस्न और भी लाजवाब लगा।
शीतल के इस रूप ने समीर को अपनी माँ में दिलचस्पी लेने के लिए बेकरार कर दिया था। शीतल अपने कमरे में चली गईं.. उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया।
अब समीर में अपनी माँ को देखने की ज्यादा चाहत जाग उठी थी। शीतल का एक नया मस्ताना रूप देखने की इस चाहत कि वजह से समीर से भी नहीं रहा गया, समीरने भी बाहर से माँ को पुकारा।
‘क्या हुआ.. अन्दर आओ न..’
शायद शीतल भी समीर के इंतज़ार में थीं, उन्होंने दरवाज़ा खोल दिया.. समीर के अन्दर दाखिल होते ही दरवाज़ा लॉक कर दिया।
शीतल सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए थीं.. वे तौलिया वाला गाउन पहन कर बाथरूम से आई थीं।
फिर क्या था.. समीरने बोला- तो.. मैं आपका बदन पोंछ कर पाउडर लगा दूँ?
उनकी मौन मुस्कराहट देख कर समीरने उनके बदन पर से तौलिया को सामने से खोल दिया और उनके नंगे जिस्म को एक छोटी तौलिया से मस्ती से रगड़ कर पोंछना शुरू किया। पहले गर्दन.. फिर मम्मों को.. कमर.. पेट और फिर नाभि के नीचे भी तौलिया का एक कोना जिसमें समीर का हाथ उनके जिस्म को अधिक टच हो रहा था.. समीर हाथ फेरता रहा।
शीतल तौलिया वाले गाउन को बदन पर पकड़े हुई थीं।
समीर हाथ को अन्दर डालकर यह सब कर रहा था।
फिर समीरने नाभि के नीचे पोंछते समय एक झटका दिया और उनका तौलिया वाला गाउन नीचे गिर गया।
उनका पूरा गोरा जिस्म समीर के सामने नंगा हो गया। शीतल ने दोनों हाथ चूचों पर रख लिए.. समीरने उनकी बुर को मस्ती से रगड़-रगड़ कर पोंछना शुरू किया।
उन्हें भी मस्ती आने लगीं.. वो आज बड़ी हसीन लग रही थीं।
शीतल की बुर पर बड़ी-बड़ी झाँटें थीं.. और झाँटों के अन्दर से झाँकती उनकी गोरी बुर..
आह्ह.. समीर तो उनके बस इस मस्त हिस्से की झलक को देख कर मदहोश हो रहा था।
अब समीरने पाउडर लगाना शुरू किया और इसी बहाने शीतल को अपनी बाँहों में भर कर उनकी चूचियों को मसलने लगा। अपने हाथों से ज़ोर-ज़ोर से मम्मों को दबाने लगा और अचानक शीतल ने अपने होंठों को समीर के होंठों पर रख दिए।
समीर भी मौका देख कर होंठों से होंठ रगड़ते हुए चूसने लगा और मम्मों को भी ज़ोर से दबाने लगा।
वो फिर हल्की-हल्की सिसकारी निकालने लगीं- ऊऊओ.. आअहह.. ससिईई..
वो बोलीं- तुम क्या कर रहे हो..?
समीर बोला- मैंने आपको डैड के साथ कई बार सेक्स का मज़ा लेते हुए देखा है..
कहानी जारी रहेगी
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09-08-2019, 02:04 PM,
#50
RE: Hindi Adult Kahani कामाग्नि
समीर भी मौका देख कर होंठों से होंठ रगड़ते हुए चूसने लगा और मम्मों को भी ज़ोर से दबाने लगा।
वो फिर हल्की-हल्की सिसकारी निकालने लगीं- ऊऊओ.. आअहह.. ससिईई..
वो बोलीं- तुम क्या कर रहे हो..?
समीर बोला- मैंने आपको डैड के साथ कई बार सेक्स का मज़ा लेते हुए देखा है..
इतना सुनते ही उनका एक हाथ सरकता हुआ समीर के लंड पर चला गया और वे मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेकर सहलाने लगीं, बोलीं- आह्ह.. तुम मेरे मम्मों को चूसते रहो..
समीर भी चूचे चूसता.. फिर कभी जीभ फेरता.. समीर उनके निप्पलों पर जीभ फेरते-फेरते नाभि तक आ गया।
समीर के भी लंड में सनसनी होने लगी, शीतल लंड को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगीं।
देखते-ही-देखते लंड मूसल की तरह खड़ा हो गया।
‘हाय कितना शानदार लंड है.. मैं तो बस इस लंड की दीवानी हो गई हूँ..’
और शीतल अपने बेटे के लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं।
उन दोनों के मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगीं आआहह.. वे भरपूर मज़ा लेकर मेरे लवड़े को चूस रही थीं..
ऊओह क्या मस्ती थी.. क्या मज़ा आ रहा था.. आह्ह वे दाँत भी गड़ा रही थीं.. लौड़े को केले सा ग़ज़ब का चूस रही थीं।समीर ने सोचा माँ भी क्या मस्त चीज़ थीं.. कभी सोचा भी नहीं था.. अपनी माँ की मस्तानी जवानी का मज़ा लूटने मिलेगा।
समीरने माँ से पूछा- अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.. और करना है?
शीतल ने कहा- सब्र करो.. पूरे खेल का मज़ा लेना बाकी है.. जैसे-जैसे मैं बोलती हूँ.. वैसा करते जाओ।
समीरने तुरंत ‘यस’ कर दिया।
शीतल ने अपनी अल्मारी से हेयर रिमूवर क्रीम निकाली और समीर को दे दी।
अब उन्होंने समीर को अपने दोनों हाथ ऊपर करके बाँहों की बगलों के बालों पर लगाने को कहा..
समीरने उनके मम्मों को चूसते हुए उनकी बगलों पर क्रीम लगा दी।
फिर उन्होंने कहा- नीचे बुर के ऊपर के बालों पर भी लगाओ।
समीरने चूत पर भी क्रीम लगा दी।
इसके बाद वो वैसे ही बिस्तर पर लेटी रहीं.. लाल रोशनी में उनका पूरा बदन लाल लावे की तरह बड़ा ही सेक्सी लग रहा था।
समीर उनके बदन पर हाथ फेर रहा था।
कोई 5 मिनट बाद वो बोलीं- कॉटन लेकर अब ये क्रीम पोंछ दो।
समीर रुई लेकर बगलों और चूत पर लगी हुई बालसफा क्रीम को रगड़ते हुए पोंछने लगा।
दोनों बगलों के सारे बाल अपने आप उतर गए।
अब नीचे चूत के बाल पोंछने लगा.. पूरी क्रीम साफ़ होते ही सारे बाल उतर गए और क्या गजब की चिकनी मक्खन की तरह गोरी चूत के दीदार हुए।
समीरने शीतल से कहा- हाय माँ.. इतनी सुन्दर चूत.. इसे अब तक क्यों छुपा कर रखा था।
यह कहते हुए समीरने उनकी चूत पर ज़ोर से चुम्मी कर ली।
शीतल ने भी सिसकारी मारी.. फिर उन्होंने लिक्विड चॉकलेट निकाली और कहा- इसे नाभि के नीचे फैला दो।
समीरने लिक्विड चॉकलेट को उनकी बुर के ऊपर चारों तरफ फैला दिया और उनके लिए तो ये इशारा ही काफ़ी था।
फिर समीर जीभ से उनकी चूत को चाटने लगा.. चारों तरफ जीभ घुमा-घुमा कर चिकनी बुर पर लगी चॉकलेट को चाट रहा था।
हाय.. क्या मस्त मज़ा आ रहा था।
फिर ज़ोर-ज़ोर से चॉकलेट के साथ चूत चूसने लगा।
‘आहह.. उउईई.. मेरी माँ.. ओह्ह.. बड़ा मज़ा आ रहा है..’
‘चूस ले.. आह्ह.. चूस ले.. फिर मौका नहीं मिलेगा अपनी माँ की चॉकलेटी बुर.. को खा जा रे.. खा जा..’
शीतल मदहोशी में सिसकारियों के बीच बोल रही थीं।
‘माँ आपकी चूत कितनी टेस्टी है.. हाय माँ.. हाइईईई.. माँ क्या मस्तानी चूत है..’
बोलते हुए समीरने अपनी जीभ को उनकी चूत में अन्दर भी घुमा दी।
‘ऊओउउ उइई..इस्स.’ शीतल के मुँह से निकला, बोलीं- इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया… वेल डन माय बॉय.. कॅरी ऑन..
समीरने कहा- माँ मुझे कितने मार्क्स मिले?
बोलीं- सेशन पूरा होने दो..
समीर चूत में उंगली भी करने लगा।
इससे वो एकदम से गनगना उठीं और बोलीं- मुझे भी चॉकलेटी लंड का टेस्ट करना है।
समीरने तुरंत ही अपने लंड पर खूब ज़्यादा चॉकलेट लगा दी और उनके मुँह की तरफ लौड़े को बढ़ा दिया।
वो पहले जीभ से सुपारा चाटती रहीं.. फिर लौड़े को मुँह में लेकर ज़ोर से चूसने लगीं और सिसकारिया भरने लगीं ‘उम्म्म..या..’
समीर भी ‘ओह.. उउउ..’ कर रहा था।
बोलीं- क्या शानदार ‘चॉकलेटी बार’ है।
अब उन्होंने लंड को मुँह से निकालकर बुर के पास हाथ से रखा.. तो समीर समझ गया।
बोलीं- जल्दी करो..
समीरने लंड को बुर पर फेरते-फेरते फिसलाते हुए शीतल की हसीन नाज़ुक बुर में एक धक्के के साथ ‘घचह.. से अन्दर पेल दिया।
‘ऊओउउइई.. . मार दिया रे तूने..’ शीतल चिल्लाईं।
दस सेकंड में ही लौड़े ने चूत में अपनी जगह बना ली और शीतल चिल्लाने लगीं-तेज..कर.. ओह्ह..
समीर भी तेज़ी से अपना लंड शीतल की बुर में अन्दर-बाहर करने लगा।
‘आआअहह.. ययस्स.. ऊऊऊहह.. चोदद.. आआहह .. आआहह.. आआहह.. आआअहह और आई फेल्ट लाइक हेवेन..’
शीतल नीचे से अपनी चूत उछल-उछल कर लंड को अपने चूत में निगल रही थीं.. और बोले जा रही थी- और ज़ोर से और ज़ोर से..
समीरने भी चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी।
‘ऊऊऊहह.. आआहह.. अब मज़ा आ रहा है.. और चोद.. ज़ोर से चोद.. अपनी माँ की हसीन चूत को.. अपनी माँ की मस्त चूत लूट ले.. चूत का मज़ा चख ले.. हायईइ.. ऊऊुउउइईई.. तुमने मुझे आज स्वर्ग में पहुँचा दिया.. ऊऊहह..हाय.. .. ऊऊऊहह.. ऊऊहह.. आअहहहह.. आई लव यू..’
समीरने भी कहा- आई लव यू टू.. माँ..
काफी देर तक चूत की रगड़ाई करने के बाद समीर झड़ने को हो गया था।
चुदाई का खेल अब खत्म हो चुका था.. और समीरने अपना गरम-गरम जूस उनकी चूत में छोड़ दिया था। समीरने अपनी बीच की उंगली उनकी चूत में फिर से घुसा दी और ज़ोरों से घुमाने लगा।
समीर अपनी उंगली में उसके भी गरम पानी को महसूस कर रहा था।
शीतल बोलीं- ओह मेरी जान आई लव यू.. ऐसे ही मुझे हमेशा चोदना.. समीर जन्मों की प्यासी हूँ।
समीरने भी कहा- तुम जब भी चाहोगी.. मैं तुम्हें हमेशा तैयार मिलूँगा माँ.. बस मुझे ऐसे ही अपने पास रखना और मुझे बहुत प्यार करना..
समीर शीतल को गले लगाते हुए उनके होठो को चूमने लगा।
‘मेरी माँ.. मेरी जान.. तू मस्त चीज़ है… क्या शानदार चूत है तेरी.. काश मैं इस चॉकलेटी चूत को पहले चोद पाता.. आई एम सो लकी.. जिसे तुम जैसी माँ मिली है.. मेरी जानम फिर कब दोगी.. यह दिन फिर कब आएगा.. ग़ज़ब की माँ हो तुम..!’
“अब तो जब भी मौका मिलेगा तब”
उन्होंने मेरे गाल पर किस किया.. और बोलीं- नॉटी बॉय.. जल्दी ही फिर खेल होगा.. अबकी बार फ्रूट जैम के साथ मजा मिलेगा..
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